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  • जन्मदिन के बहाने चूत चुदाई

    दोस्तो, मेरा नाम अक्षय है और मैं हैदराबाद का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 23 साल है और मैं अभी अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ. मेरी हाइट 6 फ़ीट है और वज़न 72 किलो है. रनिंग और कसरत करने से मेरा शरीर बिल्कुल फिट है. बाकी मैं अपने लंड के बारे में में क्या बताऊं, जिसने लिया है, वही जानती है. अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली सेक्स स्टोरी है, जो मेरे साथ कुछ महीने पहले घटी थी.

    हुआ ये कि मैं पढ़ाई के सिलसिले में शहर में रहता था, तो मैं शहर में एक रूम भाड़े पर लेकर रहता था. कुछ दिन तो ठीक से कट गए, पर कहते हैं ना कि शहर की हवा लगने में देर नहीं लगती. मेरे साथ भी यही हुआ, कुछ दिन बाद मेरी किस्मत चमकी और मेरे रूम के बगल में एक मेरे से सीनियर लड़की रहने के लिए आ गयी.

    उस लड़की का नाम पूजा था, वो अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही थी. उसके बारे में क्या बताना दोस्तो… लगता था कि ऊपर वाले ने उसे बड़ी ही तसल्ली से बनाया था. उसकी झील सी आंखें, पतली कमर, बड़े बड़े चूतड़, जब चलती तो ऐसे मटकती कि जान ही ले ले. ऊपर की तरफ देखिए तो बड़े ही आकर्षक बूब्स … जिन्हें देखकर तो उन्हें खा जाने का मन करता. उस पर उसके लंबे बाल.. उफ्फ पूरी माल लगती थी.
    अगर ऐसी हॉट लड़की को देखकर भी कोई अपने लंड को खड़ा ना कर सके, तो वो किस मर्द कहलाने लायक ही नहीं है.

    कुछ दिन तक मैं उसे सिर्फ छुप छुप कर ही देखता था, कभी हिम्मत ही नहीं हुई कि उससे सीधी नजर मिला लूँ.
    पर कुछ दिन बाद हम आपस में पढ़ाई के बारे में बातचीत करने लगे, इसके बाद धीरे धीरे हम दोनों आपस में अच्छे से घुल मिल गए. कभी मैं उसके रूम पर जाता, तो कभी वो मेरे रूम पर आती थी. मगर मुझे तो उसको चोदने की लग रही थी. इसलिए मैंने एक प्लान बनाया, मेरे पास उसका मोबाइल नंबर था.

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    मैंने दिमाग लगाया और एक नए सिम कार्ड से उस नम्बर से व्हाट्सअप शुरू किया और उसे हाय कहकर भेजा.

    फिर मैं सो गया, जब मैं अगली सुबह जागा, तो देखा कि उसका रिप्लाई आया था. वो मुझसे पूछ रही थी कि तुम कौन हो?
    मैंने कहा कि तुम्हारा दोस्त.
    फिर उसने मेरे बारे में जानने के लिए दो तीन दोस्तों के नाम से पूछा.
    मैंने कहा कि मैं इनमें से नहीं हूँ.
    तो उसने लिखा कि तो तुम कौन हो और मुझसे क्या चाहते हो?
    मैंने लिखा- मैं तुम्हारा दोस्त बनना चाहता हूँ.
    उसने कहा- क्यों?
    मैंने बताया- मेरी कोई भी गर्लफ़्रेंड नहीं है.
    उसने पूछा- गर्लफ़्रेंड बना कर उसका क्या करोगे?
    मैंने कहा- कुछ तो करूँगा.. आप पहले दोस्त तो बनिए.

    फिर उसने मुझे अपना फ़्रेंड बना लिया. हम रोज़ बातें करने लगे. धीरे धीरे वो मुझसे सेक्स की बातें करने लगी.

    इस तरह की बातों से जब वो गर्म हो जाती तो कहती कि मुझे चुदवाने का मन कर रहा है.
    तो मैंने कहा कि मैं तो आ नहीं सकता.. तुम हाथ से शांत हो जाओ.
    उसने बताया कि आज तक वो सिर्फ हाथ से ही करती आ रही थी, पर अब उसे मर्द का लंड चाहिए.

    कुछ दिन बाद वो मिलने की ज़िद करने लगी तो मैंने कहा- मिलकर क्या करोगी?
    उसने कहा कि और क्या करना है.. उस काम के सिवा?
    तो मैंने कहा- अगर उतना मन कर रहा है तो एक आईडिया बता सकता हूँ.
    उसने कहा- हां बताओ.
    मैंने कहा कि अगर तुम्हारे घर के अगल बगल कोई है, जो तुम्हें चोदने के चक्कर में हो.. तो उससे चुदवा लो इस तरह तुम्हारा काम बन सकता है.
    वो कहने लगी- ये कैसे हो सकता है.. मैं कैसे जानूंगी कि कोई पड़ोस वाला मुझे चोदना चाहता है.
    मैंने लिखा- ये तेरे लिए क्या बड़ी बात है.. जो भी तुझे पसंद हो उसे अपने रूप के जलवे दिखा कर फांस ले. बस फिर उसको चोदने की बात कर और चूत खोल दे.
    वो बोली- मैं किसको पटाऊं, मेरी समझ में ही नहीं आ रहा है?
    मैंने कहा- तेरे साथ कोई लड़का नहीं पढ़ता.. उसी पर जादू चला दे.

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    उसने मेरा ही नाम लेकर कहा- हां है तो एक घोंचू.. साला लगता तो है कि मुझे चोदने के चक्कर में है लेकिन उसने कभी मुझसे कहा नहीं है.
    मैंने लिखा- वो शायद डरता होगा. उसको अपने दूध दिखा और उसर सेक्सी बात कर.. हो सकता है कि वो मान जाए और तेरी आग बुझा दे.
    उसके दिमाग में घुस गया और वो चहकने की स्माइली भेजी और लिखा- ठीक है.. उसको अब देखती हूँ.

    अगले दिन से ही वो मेरे साथ अलग सा बर्ताव कर रही थी, जब वो चलती तो गांड ज्यादा ही मटकाने लगती और आज तो टॉप भी ढीला और गहरे गले का पहना हुआ था. उस टॉप को पहनकर वो मुझे झुक झुक कर अपने मम्मे दिखा रही थी. मैंने भी सोच रखा कि उसे तड़पाकर ही चोदूंगा.
    फिर दूसरे दिन उसने मुझे अपने घर पर शाम को सात बजे बुलाया और बताया कि आज उसका बर्थडे है.
    मैंने उसे विश किया और कहा कि तुमने बताया ही नहीं मैं गिफ्ट लेकर आता. चलो मैं अभी आता हूँ.
    मैं गिफ्ट लेने की कह कर जा ही रहा था कि उसने रोकते हुए आँख मारते हुए कहा- रुको यार, गिफ्ट भी ले लूँगी.. पर अभी मेरी सुनो.. आज रात का खाना तुम मेरे साथ ही खाना.
    मैंने भी मुस्कुरा कर ओके कहा और उसके घर से चला गया.

    आठ बजे रात को मैं अच्छे से सज कर पर्फ्यूम लगा कर अपने साथ कंडोम लेकर उसके घर चला गया.

    उसने केक काटा और मुझे खिलाया, मैंने उसको खिलाया. फिर मैंने उसे बताया कि इतने कम समय में मैं तो तुम्हारे लिए कोई गिफ्ट ही नहीं ला सका.
    तब उसने बोला- कोई बात नहीं, पर गिफ्ट तो तुम अभी भी मुझे दे सकते हो.
    मैंने पूछा- मैं क्या दे सकता हूँ?
    उसने कहा- आज मैं जो मांगूंगी, दोगे?
    मैंने कहा- मांग कर देखो.. मैं पक्का दे दूंगा.

    उसने मुझे सीधे कह डाला- मैं आज औरत बनना चाहती हूँ, क्या तुम मुझे औरत बना सकते हो.

    इतना सुनते ही मैं उस पर टूट पड़ा और उसको जोर से किस करने लगा. वो भी मुझसे लिपट गई और हम लोग दस मिनट तक तो एक दूसरे को टटोलते रहे. फिर मैं उसको उठाकर बिस्तर पर ले आया और किस करते हुए मैंने उसकी टॉप ब्रा और स्कर्ट उतार दी. वो अब सिर्फ पैंटी में थी. क्या मस्त कांटा माल लग रही थी. उसके बड़े बड़े मम्मों पर गुलाबी निप्पल मुझे बुला रहे थे कि आओ और हमको चूस लो.

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    मैं अगले ही पल उसके मम्मों पर टूट पड़ा और चूसने लगा. मैं एक हाथ उसकी पैंटी में डालकर उसकी चूत मसलने लगा. वो भी मेरा लंड मसलने लगी. फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपना लंड उसके हाथ में दिया. साथ ही मैंने उसकी पेंटी भी उतार फेंकी.

    अब वो और मैं बिल्कुल नंगे थे, मैं उसकी दोनों टांगों के बीच बैठकर उसकी चूत को चाटने लगा. इससे वो बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गयी. ‘आआआ उफ़्फ़फ़फ़ उम्म्ह… अहह… हय… याह… अमा उफ्फ हआ..’ ऐसे करते हुए मेरा सिर उसके चूत पर रगड़ने लगी और कहने लगी- चाटो आज ऐसे चाट चाट कर खा जाओ.
    वो मेरे मुँह में ही झड़ गयी और ढीली हो गयी.

    इसके बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया और वो मेरा लंड का टोपा चूमने लगी. थोड़ी देर बाद वो मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगी, इससे मेरा पानी निकल गया. अब हम दोनों थोड़ी देर के लिए शान्त हो गए और एक दूसरे से खेलते हुए धीरे धीरे 69 पोजीशन में आ गए. कुछ पल की चुसाई के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.

    अब मैंने उसे सीधा लिटाकर उसके नीचे तकिया लगा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
    मैंने कहा- डार्लिंग पेल रहा हूँ.. क्या तुम तैयार हो?
    इससे वो और तड़पने लगी और कहने लगी- चाहे आज जो हो जाए.. तुम रुकना मत.. मैं कितनी भी चिल्लाऊं तुम रुकना मत.

    मेरे सामने एक कली फूल बनने को तैयार थी. मैंने अपना लंड का दबाव हल्के से डाला और एक जोर का झटका दे मारा. इस झटके से मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर घुस गया. उसकी झिल्ली फट चुकी थी और उसकी चुत में से हल्का सा खून आ रहा था. वो बड़ी मुश्किल से अपना दर्द छुपा रही थी. मैं भी यूं ही रुका रहा.

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    थोड़ी देर बाद उसने कमर हिलाकर साथ देना शुरू किया और अब मैं भी शुरू हो गया. उसे जोर जोर से चोदने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने उसे कुतिया बना कर भी चोदा.

    फिर कुछ देर बाद मैं उसके चूतड़ों पर अपना पानी निकालकर शांत हुआ.

    उसने मेरे साथ चुदाई को बहुत एन्जॉय किया. उस रात हमने दो बार औऱ सेक्स किया और कुछ हफ्तों बाद मैंने उसकी गांड भी मारी.

    बाद में जब उसको मेरे बारे में पता चल गया कि मैंने ही उस से व्हाट्सएप पर बात की थी, तो उसने बताया कि वो उसका बेस्ट बर्थडे गिफ्ट था.

    इसके बाद हम जब तक साथ रहे, वो मुझसे खूब चुदवाती रही. फिर वो चली गयी, पर अभी भी कॉल करके फोन सेक्स से अपनी प्यास बुझवा लेती है.

    दोस्तो, मुझे रिप्लाई देकर बताएं कि मेरी इस हिंदी सेक्स स्टोरी के बारे में आपको क्या लगा.

  • मेरी माँ की अन्तर्वासना को मिला चौकीदार का लंड

    मैं आपको मेरी माँ की अन्तर्वासना सच्ची कहानी बता रहा हूँ. वो स्कूल टीचर हैं. एक दिन मैं स्कूल गया तो मैंने चौकीदार और माँ की चुदाई का नजारा देखा. तो मैंने क्या किया?

    दोस्तो, आज मैं आपको अपने परिवार की, मेरी माँ की अन्तर्वासना सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ. मेरा नाम विनोद है और मेरी उम्र 19 साल है. मेरे परिवार में मेरी मम्मी के अलावा और कोई नहीं है. मेरे पापा का एक साल पहले देहांत हो चुका है. मम्मी गांव के एक स्कूल में टीचर हैं. मैंने इसी साल कॉलेज में एडमिशन लिया है.
    हम दोनों की ज़िन्दगी बड़ी खुशनुमा है. मम्मी रोज़ स्कूल जाती हैं और मैं अपने कालेज जाता हूँ.

    मेरी मम्मी की उम्र केवल 40 साल है. उनका नाम नीतू है. उनके शरीर की बनावट किसी को भी पागल बनाने के लिए काफी है. वह मुझसे अपनी सारी बात शेयर करती हैं.

    उन्होंने अपने स्कूल के बारे में बताया कि वहां स्टाफ के नाम पर केवल तीन ही लोग हैं, एक हैडमास्टर और एक चौकीदार और तीसरी मेरी मम्मी.

    हैडमास्टर की उम्र 58 साल के करीब है और वह जल्दी ही सेवानिवृत होने वाले हैं. चौकीदार की उम्र करीब 32 साल है और उसकी अभी तक शादी नहीं हुई है. उसके बहुत प्रयास करने पर भी उसकी शादी नहीं हो रही है. इसलिए वह हमेशा परेशान रहता है. मम्मी अक्सर उसका जिक्र मुझसे करती हैं.

    उस चौकीदार का नाम कल्लू है. जैसा नाम है, वो वैसा ही दिखता भी है. एकदम काले रंग का मजबूत शरीर और छह फिट की हाईट वाला है. मैंने उसे देखा है, वो अक्सर हमारे घर आता रहता है. कल्लू मम्मी का बहुत मुँह लगा है, वो मम्मी से काफी मज़ाक कर लेता है, लेकिन मम्मी कभी उसकी बात का बुरा नहीं मानती हैं.

    मम्मी कभी कभी मुझसे कहती हैं कि वह देर से घर आएंगी क्योंकि स्कूल में ज्यादा काम है. मैं उनकी इस बात पर विश्वास कर लेता हूँ. लेकिन कभी कभी मुझे उनके बर्ताव पर शक होता है. क्योंकि जब कभी वह देर से आती हैं, तो उनके चेहरे पर थकान ना होकर ख़ुशी होती है. उनका यह व्यवहार मेरी समझ में नहीं आता है.

    एक दिन फिर उन्होंने लेट आने की बात की. मैंने तय कर लिया कि आज कुछ भी हो जाए, लेकिन यह पता करना ही है कि इनको देर कहां हो जाती है.

    उस दिन मैं कॉलेज से सीधे माँ के स्कूल चला गया. स्कूल की छुट्टी होने में 15 मिनट थे. मैं स्कूल से थोड़ी दूर बैठ गया.

    फिर 15 मिनट में बाद स्कूल की छुट्टी हो गई. धीरे-धीरे सारे बच्चे स्कूल से जाने लगे, मैं दूर से बैठा बैठा, यह सब देख रहा था.

    उसके 10 मिनट बाद हैडमास्टर साहब भी स्कूल से चले गए लेकिन मम्मी का दूर दूर तक पता नहीं लग रहा था. फिर मैंने देखा कि कल्लू चौकीदार सब कमरों में ताले लगा रहा था. ताले लगाने के बाद वह एक कमरे में चला गया और उसने अन्दर से दरवाज़ा बंद कर लिया.

    मैं बहुत धीरे धीरे स्कूल के अन्दर आ गया. मैं उस कमरे की तरफ गया, जहां कल्लू गया था. वो कमरा अन्दर से बंद था.

    मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि अन्दर क्या हो रहा है. मैं बहुत परेशान हो गया था. मैंने कैसे भी करके उस कमरे में अन्दर की आवाजों को सुनने का प्रयास किया. अन्दर से फुसफुसाहट की आवाज आ रही थीं, जिसमें से एक आवाज मेरी मम्मी की थी. मैं समझ गया कि अन्दर कुछ तो गड़बड़ चल रहा है.

    मैंने अन्दर की ओर से झांकने की कोशिश की, अन्दर का नजारा गजब का था. मेरी मम्मी एक साइड में खड़ी हुई थीं और कल्लू बिस्तर बिछा रहा था. मम्मी धीरे धीरे अपनी साड़ी उतार रही थीं. मम्मी ने साड़ी को पास में रखी कुर्सी पर रख दिया. अब उनके शरीर पर केवल ब्लाउज और पेटीकोट था. उनका भरा भरा जिस्म किसी को भी पागल बना सकता था.

    मैं यह सोच कर हैरान हो रहा था कि माँ ने चौकीदार में ऐसा क्या देखा कि उसको अपने जिस्म का रसपान करा रही थीं. कल्लू अपनी कमीज उतार चुका था और अब अपनी पैंट उतार रहा था.
    वह मम्मी से कह रहा था- नीतू रानी आज कौन से स्टाइल से चुदवाओगी?
    मम्मी कहने लगीं- जिस भी स्टाइल में चोद सको चोद दो … बस मेरी चुत की गर्मी शान्त कर दो.

    मैं मम्मी के मुँह से ऐसी भाषा सुनकर हैरान था. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह मेरी मम्मी हैं. लेकिन माँ की अन्तर्वासना का सच सामने था.

    फिर मम्मी ने अपना ब्लाउज भी उतार दिया. कल्लू केवल अंडरवियर में खड़ा होकर अपना लंड ऊपर से ही सहला रहा था.
    मम्मी बोलीं- इसको सहलाते ही रहोगे या यह लंड कुछ काम भी करेगा?
    कल्लू बोला- रानी, यह लंड ही तेरी चूत की आग को शांत करेगा.

    मैंने देखा मम्मी केवल पेंटी में खड़ी थीं. वो ऊपर से पूरी नंगी थीं. उनकी बड़ी बड़ी चूचियां बिल्कुल मक्खन की तरह मुलायम लग रही थीं. चूचियों का साइज का अंदाज़ा तो मुझे आज लग पा रहा था.

    मम्मी की चूचियां ऐसे लग रही थीं, जैसे किसी ने मम्मी के सीने पर दो खरबूजे चिपका दिए हों. मम्मी की दोनों चूचियों का शेप देखते ही बन रहा था. मम्मी इतने गजब की फिगर की मालकिन थीं कि कोई भी उनसे शादी करने के लिए तड़प जाता. उनका जिस्म ऐसा, जैसे पत्थर को तराश दिया हो.

    मेरे लिए अब वह मम्मी नहीं, बल्कि एक ऐसी औरत थीं … जो सेक्स समागम के लिए प्यासी थीं.

    यह विचार दिमाग में आते ही मेरा मम्मी के प्रति दृष्टिकोण बदल गया. अब मुझे लग रहा था कि वह जो कर रही थीं, ठीक कर रही थीं. उन्हें अपनी अन्तर्वासना, शारीरिक भूख मिटाने का पूरा अधिकार है.

    अब चौकीदार में मुझे मेरी मम्मी का पति मालूम होने लगा, जो उनकी शारीरिक जरूरतों को पूरा कर रहा था. वह दोनों जो सेक्स कर रहे थे, उसका हक़ सब को होना चाहिए.
    फिर मैंने अपने सोच से ध्यान हटाया और मम्मी की रासलीला देखने लगा.

    कल्लू मम्मी के पास आ गया था और उसने अपने होंठ माँ के होंठों से जोड़ दिए थे. वे दोनों एक दूसरे को डीप किस कर रहे थे. मम्मी की जीभ कल्लू के मुँह में थी और कल्लू मम्मी की जीभ को चूस रहा था. कल्लू के हाथ मेरी मम्मी की गोलाईयां नाप रहे थे. बीच बीच में कल्लू मम्मी की चूचियों को जोर से दबा देता था, तो मम्मी चिहुंक पड़ती थीं.

    कभी कभी कल्लू अपनी दो उंगली से मम्मी की चूचियों की घुंडियों को मसल देता था. मम्मी मस्ती से सिसिया कर रह जाती थीं.

    फिर कल्लू ने मम्मी की पेंटी उतार कर अलग फ़ेंक दी. मम्मी की चिकनी जांघें केले के तने को मात दे रही थीं. मैंने ध्यान से देखा कि मम्मी की चूत बिल्कुल साफ़ थी … वहां एक भी बाल नहीं था. मम्मी की चूत बिल्कुल शीशे की तरह चिकनी और टाइट दिख रही थी. मम्मी की चूत का गुलाबी रंग दूर से दिखाई दे रहा था.

    अब कल्लू मम्मी की चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगा. वह मम्मी की पूरी चूची को मुँह में भरने की असफल कोशिश कर रहा था, लेकिन मम्मी की चूचियां उसके मुँह से बड़ी थीं.

    मम्मी आहें भर रही थीं.

    फिर कल्लू ने अपना अंडरवियर उतार दिया और उसके अंडरवियर उतारते ही माँ उसके काले और विकराल लंड को सहलाने लगीं. उसका लंड कम से कम नौ इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा रहा होगा. उसने मम्मी को गोदी में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया.

    कल्लू माँ के ऊपर आकर 69 की पोजिशन बना कर उनकी चूत को चाटने लगा. कभी कभी वह अपनी जीभ से मम्मी की चूत के दाने को छेड़ देता, तो मम्मी कसमसा जाती थीं.

    चौकीदार का लंड मम्मी के मुँह के ऊपर आ रहा था. अब मम्मी ने मुँह खोलकर उसके लंड को मुँह में ले लिया और उसके लंड को चूसने लगीं. मम्मी कोशिश कर रही थीं कि वह अपने मुँह में ज्यादा से ज्यादा लंड ले लें. लेकिन मम्मी केवल पांच इंच तक ही लंड को मुँह में ले पा रही थीं.

    थोड़ी देर बाद कल्लू ने मम्मी की दोनों टांगें फैलाकर ऊपर कर दीं. उसने अपना लंड मम्मी की चूत पर लगाकर एक जोर का झटका दे मारा.

    मम्मी की चूत में आधे से ज्यादा लंड प्रविष्ट हो गया. मम्मी के चेहरे पर हल्की सी परेशानी का भाव आया … लेकिन थोड़ी देर बाद वह खुद नीचे से अपने चूतड़ों को उठाने लगीं.

    कल्लू को इशारा मिल चुका था. उसने धीरे धीरे पूरा लंड मम्मी की चूत में घुसेड़ दिया. उसका पूरा लंड मम्मी की चूत में समा गया. फिर उसने तेज तेज झटके मारने शुरू कर दिए. मम्मी सिसिया सिसिया कर नीचे से चूतड़ों को उठा उठा कर उसका साथ दे रही थीं.

    दस मिनट की धकापेल मेरी माँ की चुदाई के बाद उसने अपना लंड मम्मी की चूत से निकाल लिया. उसने मम्मी को खड़े होने को कहा.

    मम्मी के खड़े होते ही उसने मम्मी की दोनों टांगों के बीच अपने हाथ डालकर उन्हें एक फिट उठाकर दीवार के सहारे टिका दिया और उनको अपने हाथों से हवा में लटका कर अपना लंड फिर से मम्मी की चूत में घुसेड़ दिया. इस समय मम्मी एक मासूम गुड़िया सी लग रही थीं, जिसे कल्लू जैसा पहलवान धमाधम चोद रहा था.

    कल्लू मम्मी की चूत पर दस मिनट तक प्रहार करता रहा. मम्मी अचानक कल्लू से बेल की तरह चिपक गईं. मम्मी की चूत अपना रस छोड़ चुकी थी, लेकिन कल्लू ने दस बारह धक्कों के बाद अपना रस मम्मी की चूत में ही निकाल दिया.

    फिर मम्मी की चूत से निकलते हुये रस को कल्लू ने मम्मी की पेंटी से पौंछ दिया.

    अब दोनों ने उठकर अपने अपने कपड़े पहन लिए. मम्मी ने अपनी पेंटी को एक थैली में रखकर उसे अपने पर्स में रख लिया.

    जैसे ही कल्लू ने दरवाजा खोला, मुझे देखकर वे दोनों चौंक गए. मैंने मम्मी से अपने साथ चलने को कहा, तो वह चुपचाप मेरी मोटरसाईकल पर बैठ गईं.
    घर आकर मम्मी बिल्कुल चुप थीं. वह समझ चुकी थीं कि अब मुझे सब पता है.

    मैं मम्मी के पास गया और उनसे कहा कि मुझे आप दोनों के इस रिश्ते से कोई परेशानी नहीं है … बल्कि मैं चाहता हूँ कि आप जो स्कूल में कर रहे थे, वह घर पर करें. वहां कोई और देखेगा, तो बदनामी होगी.
    माँ मेरी बात सुनकर खुश हो गईं.

    अगले ही दिन चौकीदार शाम को घर आया और मुझसे बोला- तुम्हारी मम्मी से कुछ काम है.
    मैं समझ गया कि ये मेरी माँ की चुदाई करने आया है. मैंने अपनी माँ की अन्तर्वासना की पूर्ति के लिए उसे मम्मी के कमरे में भेज दिया और कहा- काम अच्छे तरीके से करना … बिल्कुल कल की तरह.
    वह मुस्कुरा दिया.

    मैंने बाहर से कमरा बंद कर दिया. एक घंटे बाद कल्लू दरवाजा खोलकर बाहर आया, तो उसे पसीना आ रहा था.
    मैंने उससे कहा- रात को मम्मी के पास ही रुक जाओ.
    वह अगले दिन रुकने का वादा करके चला गया.

    मैं माँ के कमरे में गया, तो वह बेड पर चादर ओढ़कर लेटी हुई थीं. उनका पेटीकोट, पेंटी, बगल में रखी थी. मैं समझ गया कि यह अभी अन्दर नंगी ही लेटी हुई हैं.
    मैंने पूछा- अब कैसा लग रहा है?
    तो मम्मी ने कहा- तूने मुझको मेरी ज़िन्दगी का बहुत बड़ा उपहार दिया है.

    कुछ दिन के बाद मैंने मम्मी और कल्लू की शादी करवा दी. शुरू शुरू में तो मम्मी और कल्लू मेरे सामने सेक्स नहीं करते थे. लेकिन अब कल्लू जब चाहे, मेरे सामने ही मम्मी की चुदाई कर देता है और मम्मी का कमरा भी खुला रहता है.

    जब भी मैं उनके कमरे में जाता हूँ. तो कभी मम्मी उसके ऊपर होती हैं, तो कभी कल्लू माँ के ऊपर चढ़ा हुआ होता है.

    Maa Ki Antarvasna
    Maa Ki Antarvasna
    अब हमारा परिवार सुखी है, मेरी माँ की अन्तर्वासना को उनका हमसफ़र मिल चुका है. आपको यह मेरी माँ की चुदाई की कहानी कैसी लगी, कृपा करके कमेंट जरूर करें.
    [email protected]

  • मामी सेक्स स्टोरी: प्यासी चूत की सफाई और चुदाई

    इस मामी सेक्स स्टोरी हिंदी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी चाची की भाभी यानि मेरी मामी को चोदा. एक दिन फोन पर मामी से बात हुई. उनकी सेक्सी आवाज सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया.

    मेरे प्यारे दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्ते, मेरा नाम दीपू वर्मा है। मेरी उम्र 28 वर्ष है और मेरी लंबाई 5 फीट 10 इंच है. ऊपर वाले की कृपा से मैं एक अच्छी पर्सनेलिटी का मालिक हूँ। मैं उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का रहने वाला हूँ और लखनऊ में रहता हूँ।

    यह हिंदी मामी सेक्स स्टोरी आज से दस वर्ष पहले की है तब मेरी उम्र 20 वर्ष की थी.

    मुझे आंटी व भाभियां ज्यादा पसंद हैं सेक्स के मामले में, क्योंकि इनकी चूत चाहे जितनी चोदो, जैसे चोदो वैसे चुदने को तैयार रहती हैं वो.
    मेरी हिंदी कहानी की नायिका मेरी मामी है (मेरे चाचा के साले की बीवी) जिनकी उम्र उस समय 27 वर्ष की थी और उनका स्किन कलर गेंहुआ, कद मीडियम जो कि रहा होगा 36-34-38 के करीब. पूरी तरह से गदरायी हुई माल थी. मेरी मामी को एक 4 साल की बेटी थी।

    यह बात उन दिनों की है जब मैं पढ़ाई करने के दौरान दशहरे की छुट्टियों में अपने घर गया हुआ था. उस दिन मैं ऐसे ही घर पर टाइम पास कर रहा था कि मेरी चाची आयी और कहने लगी कि दीपू जरा अपने मामा के यहां फोन लगा दे. मेरे फोन में बैलेंस नहीं है.

    मैंने फोन लगा दिया और वहां से एक प्यारी सी आवाज में हैल्लो हुई. मैंने भी जवाब में हैल्लो किया.
    मैंने कहा- मैं दीपू बात कर रहा हूं, मामा जी घर पर हैं क्या?

    उधर से जवाब आया- क्यों, अपने मामा से ही बात करेंगे क्या, हमसे बात नहीं करेंगे?
    मैंने कहा- जी मैंने आपको पहचाना नहीं, आप कौन बात कर रही हो?
    वो बोली- मैं तुम्हारी मामी बात कर रही हूं.

    मैंने कहा- नमस्ते मामी जी. आप चाची से बात कर लीजिये, मैं आपसे थोड़ी देर के बाद बात कर लूंगा.
    इतना कह कर मैंने चाची को फोन पकड़ा दिया.
    चाची मेरी मामी से बात करने लगी.

    सात या आठ मिनट तक चाची और मामी आपस में एक दूसरे से बातें करती रहीं. उसके बाद फोन कट हो गया. मैंने फोन उठा कर एक तरफ रख दिया. उसके बाद मैं अपने कुछ काम में लग गया.

    लगभग 20 मिनट के बाद फिर से मेरा फोन बजने लगा. मैंने फोन उठा कर देखा तो कोई अन्जान नम्बर से कॉल आ रही थी. उस नम्बर से पहले कभी कॉल नहीं आयी थी. मैंने फोन रिसीव करके हैलो किया. वहां से वही प्यारी सी आवाज आई. मैंने पहली बार में पहचान लिया कि यह तो वही पहले वाली आवाज है जिससे मेरी बात अभी कुछ देर पहले ही हुई थी.

    मैंने कहा- मामी जी!
    वो बोली- अरे वाह, तुमने तो पहचान लिया मुझे.
    मैं बोला- कहिये क्या बात है.
    वो बोली- मैं तो बस ऐसे ही तुमको परेशान करने के लिए फोन कर रही थी. मुझे लगा कि तुम मेरी आवाज को नहीं पहचान सकोगे.

    उनको छेड़ते हुए मैंने कहा- अरे मामी जी, कहीं मुझे परेशान करने के चक्कर में आप खुद परेशान न हो जाओ.
    वो बोली- अरे मैं तो चाहती हूं कि तुम मुझे परेशान करो. वैसे भी भान्जे का मामी पर आधा हक होता है. मैं तो तुम्हें पूरा हक दे रही हूं. तुम जितना चाहे मुझे परेशान कर सकते हो.

    मैंने कहा- सोच लो मामी जी. अगर मैं परेशान करने लगा तो फिर कहीं आपको पीछे न हटना पड़े.
    वो बोली- अरे तुम परेशान तो करो, मैं तो 2 इंच आगे खिसक आऊंगी लेकिन पीछे नहीं जाऊंगी इंच भर भी. चाहे तुम कितना भी परेशान करके देख लो. कितना भी जोर (धक्का) लगा कर देख लो.

    मामी की आवाज से पता लग रहा था कि वो लेटी हुई थी और अंगड़ाई ले रही थी. वो मुझे उकसाने की बातें कर रही थीं. डबल मीनिंग बातें करते हुए मुझे भी कुछ कुछ होने लगा था. एक तो मामी की आवाज बहुत मधुर थी और दूसरी तरफ वो मीठी मीठी बातें करके जैसे मुझे उत्तेजित करना चाह रही थी.

    फिर उन्होंने बात को घुमाते हुए कहा- अच्छा, ये नम्बर किसका है?
    मैंने कहा- मेरा ही है. क्यूं क्या हुआ? आप ऐसे क्यों पूछ रही हो?
    वो बोली- कुछ नहीं, बस ऐसे ही पूछ रही हूं. आप ये बताओ कि आप मेरे यहां पर क्यों नहीं आते हैं? कभी मुझसे बात भी नहीं करते हैं. मैं आपकी सगी मामी नहीं हूं इसलिए नहीं आते हो क्या मुझसे मिलने?

    मैंने कहा- नहीं मामी जी, ऐसी कोई बात नहीं है. मेरे पास आपका नम्बर नहीं था. इसलिए आपसे कभी बात नहीं हो पाती थी.
    वो बोली- ठीक है, अब तो नम्बर भी मिल गया है. अब देखूंगी कि कितनी बार फोन करोगे मेरे पास!
    मैं बोला- जब तक आप करने दोगी, तब तक करता रहूंगा.

    इस बार मैंने भी डबल मीनिंग से मामी को उत्तेजित करने की कोशिश की. मैं तो जानता था कि मामी फोन के बारे में बात कर रही है लेकिन मेरा मकसद उसकी चुदाई करने से था क्योंकि मामी की बातों से मुझे पूरा यकीन हो चला था कि मामी की चूत की प्यास बार-बार उनको मुझे उनके पास बुलाने के लिए कह रही है.

    मेरी इस बात पर मामी ने कहा- देख लो भान्जे, तुम थक जाओगे करते-करते अगर मैंने दे दिया तो.
    मामी ने मुझे और ज्यादा उत्तेजित करते हुए कहा.
    मैंने कहा- पहले आप दीजिये तो सही, उसके बाद देखेंगे कि मैं थकूंगा कि नहीं.

    यहां पर मेरा मतलब मामी के फोन नम्बर से नहीं बल्कि मामी की चूत से था. मुझे पूरी उम्मीद हो चली थी कि मेरी मामी सेक्स स्टोरी अब तैयार है.
    वो बोली- ठीक है तो फिर तय रही. मेरा यही नम्बर है. जब आप को टाइम मिले तब कीजिये। ठीक है बाबू, मैं आपसे बाद में बात करूंगी।

    उसके बाद मैं मामी जी के बारे में सोच-सोच कर उत्तेजित होने लगा कि मामी की बातों से ऐसा लग रहा है कि पटाऊंगा तो चूत चोदने को मिल जाएगी।

    मामी की चूत चुदाई के बारे में सोचते हुए दिन निकल गया। बार बार उनकी डबल मीनिंग बातें सोच कर मेरा लंड खड़ा हो रहा था. मन कर रहा था कि एक बार जाकर मुठ मार लूं. फिर नहीं मारी. ऐसे ही सोचते-सोचते रात में डिनर किया. रात का खाना खाने के बाद फिर मैं सोने की तैयारी कर रहा था लेकिन मामी के साथ हुई कुछ बातों को याद करके उत्तेजित हो गया और मेरा लंड बिल्कुल खड़ा होकर सलामी देने लगा.

    मैंने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और वापस आकर अपने बेड पर लेट कर मैं अपने तने हुए लंड पर हाथ फिराने लगा. मामी की चूत व चूचों की कल्पना करने लगा. मेरा लंड एकदम फटने वाला हो चुका था. मन कर रहा था कि अगर अभी मामी पास में होती तो उसकी चूत को चोद चोद कर फाड़ देता.

    अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मैंने अपना लोअर निकाल दिया अपने अंडरवियर में हाथ डाल कर आंखें बंद कर लीं और मामी के बारे में सोचते हुए लंड को मसलने लगा. धीरे-धीरे मेरी हवस और बढ़ने लगी और मैंने लंड पर तेजी से हाथ चलाना शुरू कर दिया. उसके बाद मैंने कल्पना करते हुए मामी के कपड़े उतारने शुरू कर दिये.

    मेरा हाथ तेजी से मेरे लंड पर चल रहा था. मैं अपने लंड की मुट्ठ मारने लगा. फिर सोचा कि ऐसी सूखी कल्पना करने से बेहतर तो मामी को फोन ही कर लूं और मामी की आवाज सुनते हुए अपना लंड को हिलाऊं.
    फिर मैंने सोचा कि अभी तो मामा ही मेरी मामी की चूत को चोदने में लगा हुआ होगा. इसलिए मैंने फोन को वापस रख दिया.

    मैं ऐसे ही कल्पना करते हुए मामी को नंगी करने लगा और तेजी के साथ लंड पर हाथ चलाते हुए मुट्ठ मारने लगा. दो-तीन मिनट हो गये थे लंड को हिलाते हुए कि मेरे फोन की रिंग बजने लगी और मैंने देखा तो मामी के ही नम्बर से फोन आ रहा था.

    मैंने हैल्लो किया तो मामी बोली- अभी तक सोये नहीं हो?
    मैं बोला- नहीं, नींद नहीं आ रही थी.
    वो बोली- क्यूं, नींद क्यों नहीं आ रही है?
    मैंने कहा- किसी की याद आ रही थी.
    वो बोली- गर्लफ्रेंड को याद कर रहे हो क्या?

    हंसते हुए मैंने कहा- नहीं मामी, अभी तो मैं सिंगल ही हूं.
    वो बोली- फिर इतनी रात को किसकी याद में खोए हुए हो?
    मैंने कहा- सच कह दूं.
    वो बोली- हां, अब बता भी दो.
    मैंने कहा- मामी, आपकी ही याद आ रही थी.

    वो बोली- अच्छा, तो फिर फोन कर लेते?
    मैंने कहा- नहीं बस इसलिए नहीं किया कि आप और मामा जी अभी लगे हुए होगे.
    वो बोली- क्या?
    मैंने कहा- बातों में लगे हुए होगे आप दोनों इसलिए नहीं किया.
    वो हंसते हुए बोली- अच्छा, मैं तो कुछ और ही समझ गई थी.

    फिर मामी बोली- वैसे इतनी रात को मुझ बुढ़िया को याद किसलिए कर रहे थे तुम?
    मैंने कहा- अरे मामी, अमरूद जितना पका हुआ हो उसका मिठास उतना ही ज्यादा होता है.
    मामी बोली- अरे वाह, तुम तो कहावतें भी जानते हो. ऐसे होशियार लड़के की एक भी गर्लफ्रेंड नहीं है. मुझे तो सोच कर आश्चर्य हो रहा है.

    मैंने कहा- क्या करूं मामी, कोई ऐसी मिली ही नहीं जो मेरे मन की बात समझ सके. मगर अब सोच रहा हूं कि एक तो बना ही लूं. कम से कम रात में बात करते हुए उसके साथ टाइम पास तो हो जाया करेगा.
    मामी बोली- तो फिर बना लो. इसमें इतना सोचने की क्या बात है.
    मैंने कहा- मामी बना तो लूं, लेकिन!
    वो पूछने लगी- लेकिन क्या?
    मैंने कहा- कुछ नहीं, जाने दो.

    वो बोली- इतनी आसानी से नहीं जाने दूंगी.
    मैं बोला- अगर मैं जबरदस्ती करने लगा तो?
    वो बोली- अच्छा जी, सीनाजोरी करोगे अपनी मामी के साथ?
    मैंने कहा- जी बिल्कुल, आपने पूरा हक दिया हुआ है मुझे.
    मामी बोली- हां, ये तो है.

    मैं बोला- अच्छा छोड़िये इन बातों को. आप बताइये कि आपने इस टाइम कैसे फोन किया. आपको भी नींद नहीं आ रही है क्या?
    वो बोली- हां भान्जे, मैं भी ऐेसे ही तनहा लेटी हुई हूं.
    मामी की बात सुनकर मेरा लंड फिर से झटके देने लगा और मैं लंड को सहलाने लगा.
    मैंने कहा- तो मुझे ही बुला लेती अपने पास, या मामा के डर से नहीं बुलाओगे?

    मामी बोली- अरे नहीं, तुम्हारे मामा तो अलग बेड पर सोते हैं.
    मैं बोला- तो फिर मुझे कहां पर सुलाओगी?
    वो बोली- जहां तुम्हारा मन करे वहां सो जाना.
    मैंने कहा- अपने ऊपर सुला लोगी क्या?

    ये कहते हुए मेरे मुंह से सिसकारी सी निकल गई. मैं तेजी से अपने लंड की मुठ मार रहा था.
    वो बोली- सुला तो लूं लेकिन वो जगह तो तुम्हारे मामा की जगह है सोने के लिए.

    मैंने कहा- तो थोड़ी सी जगह मुझे भी दे देना वहीं साथ में?
    मामी भी अब हंसते हुए बोली- तुम्हारी बातों से तो लग रहा है कि तुम्हें कुछ और ही चाहिए. लगता है कि भान्जा अब जवान हो गया है.
    मैं बोला- तो जो आप समझी हो वही दे दो.
    मामी बोली- क्या चाहिए मेरे राजा को!
    अब मामी भी उत्तेजित होकर बातें करने लगी थी और मामी के स्वर में एक कसक सी महसूस हो रही थी.

    उसकी बात का जवाब देते हुए मैंने कहा- जो मामा जी को देती हो वही …
    वो बोली- अगर वो दूंगी तो कितना करोगे?
    मैंने कहा- जितना आप साथ दोगी, उतना ही करूंगा.
    अब मुझे भी पूरा जोश चढ़ गया था और दोनों ही सेक्स चैट पर उतर आये थे.

    अब मामी ने और खुल कर पूछते हुए कहा- सच बताओ अब, कितनी देर तक कर लेते हो?
    मैंने कहा- सच कहूं तो मामी कभी मैंने इसका अनुभव नहीं किया है क्योंकि मैंने अभी तक किसी के साथ नहीं किया है. मुझे इसका अंदाजा और तजुरबा नहीं है.

    मामी बोली- अनुभव तो मैं दे दूंगी. तुम आगे तो बढ़ो.
    मैंने कहा- मैं तो कर रहा हूं.
    वो तपाक से बोली- क्या कर रहे हो?
    मैंने बात पलटते हुए कहा- मतलब मैं तो आगे बढ़ रहा हूं.

    मेरा हाथ तेजी से मेरे लंड की मुठ मार रहा था. बहुत मजा आ रहा था.
    मेरी उत्तेजना में मेरे मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं. उधर मामी के स्वर भी भारी से लग रहे थे. कुछ देर तक ऐसे ही मामी के साथ सेक्स की बातें करते रहने के कारण मेरा वीर्य निकलने वाला था.

    मैंने तेजी से अपने लंड की मुठ मारते हुए मामी से बातें करना जारी रखा. जोश में आकर मैंने मामी को आई लव यू बोल दिया. उधर से मामी ने भी लव यू टू कह दिया. इतना सुनकर एकदम से मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकलने लगी.

    मेरे लंड से वीर्य निकल कर मेरी जांघों पर टिकी मेरी गोलियों तक बहने लगा. मैंने शांत होकर ऐसे ही अंडरवियर को ऊपर कर दिया और फिर मामी को गुड नाइट बोल कर सो गया.

    मामी से बातें करते हुए मेरे लंड की प्यास तो कुछ समय के लिए शांत हो गई थी लेकिन उस रात मैंने मामी की चूत की प्यास को बहुत तेज कर दिया था. मामी की चूत प्यासी हो चुकी थी. जिसकी प्यास बुझाने के लिए मामी ने फिर क्या किया वो मैं मामी सेक्स स्टोरी के अगले भाग में बताऊंगा.
    में आपने पढ़ा कि मेरी मामी ने रात को फोन पर बातें करते हुए मुझे उत्तेजित कर दिया. अब हम दोनों सेक्सी बातें करने लगे. मामी से बातें करते हुए मैंने मामी को चोदा अपनी बातों से … अपने लंड की मुठ मारी और उधर मामी की चूत को भी गर्म कर दिया.

    मैंने अपने लंड का माल निकाल दिया था लेकिन मामी की चूत अभी प्यासी रह गई थी. मैं मामी से बात करते हुए मुठ मार कर सो गया. उस दिन मैंने उनको आई लव यू भी बोल दिया था जोश में.

    मामी भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए जैसे पूरी तरह से तैयार थीं. उस दिन के बाद तो रोज हम दोनों के बीच में फोन पर सेक्सी बातें होने लगीं.
    एक दिन सेक्स चैट करते हुए मैंने मामी को खुले शब्दों में चोदने की बात कह दी.

    उनको भी मेरी बात का जरा भी बुरा न लगा. बल्कि वो कहने लगी- ठीक है चोद लेना … मगर एक वादा करना पड़ेगा तुमको!
    मैंने पूछा- बोलो मेरी सेक्सी मामी. आपके लिए तो मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूं.
    वो बोली- जब तक तुम्हारी शादी नहीं हो जाती, तब तक तुम्हें मेरी चूत को चोदना पड़ेगा.
    मैंने कहा- अरे आप एक बार चूत चोदने का मौका तो दो. मैं आपकी चूत को फाड़ न दूं तो कहना.
    वो बोली- ठीक है. तो फिर सही मौके इंतजार करो और तैयार रहो.
    मैंने कहा- जी बिल्कुल मैं तो तैयार हूं.

    अब मामी और मेरे बीच में लंड और चूत जैसी बातें खुल कर होने लगी थीं. मामी ने भी बोल दिया था कि जितना खुल कर बात करेंगे उतना ही मजा आयेगा. इसलिए हम दोनों रोज रात को फोन पर गन्दी बातें करते हुए एक दूसरे को मजा देते थे.

    काफी दिन ऐसे ही बीत गये थे. मगर अभी तक हम दोनों को मुलाकात करने का मौका नहीं मिल पाया था. मैं भी मामी की चूत को चोदने के लिए बुरी तरह से तड़प रहा था. उधर मामी भी मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही थी.

    एक दिन सुबह ही अचानक मामी का फोन आ गया.
    मामी बोली- मेरे राजा, अगर तुमको मामी की चूत मारनी है तो आज शाम तक मेरे घर पर पहुंच जाना. आज मौका अच्छा है.
    मैं बोला- ठीक है मामी जी. मैं शाम तक आपके घर पर पहुंच जाऊंगा.

    उस दिन मैं सोचने लगा कि अब बढ़िया मौक़ा है … अब मामी को चोदा तो चोद लिया … नहीं तो पता नहीं मौक़ा मिले ना मिले!
    अब घर वालों के सामने क्या बहाना किया जाये कि मैं मामी की चूत मारने के लिए जा सकूं. अगर सीधा ही कहूंगा कि मैं मामी के पास जा रहा हूं तो मां सौ सवाल करने लगेगी. इसलिए मैंने पढ़ाई का बहाना कर दिया.

    मैंने मां से कहा- मुझे अपने एक दोस्त के यहां पर कुछ जरूरी काम से जाना है. मेरे कॉलेज का कोई प्रोजेक्ट है तो मैं रात को वहीं पर रहूंगा.
    पढ़ाई की बात सुन कर मां ने कोई सवाल नहीं किया. मैं खुश हो गया. मैंने तुरंत मामी के घर जाने की तैयारी कर दी.

    शाम के 6 बजे तक मैं मामी के घर पहुंच गया. उन्होंने जब दरवाजा खोला तो मैं उनको देखता ही रह गया. वो बिल्कुल तैयार होकर बैठी थी. मामी ने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी थी और उस पर काला ब्लाउज था. वो एकदम हीरोइन के जैसी दिख रही थी.

    मामी ने मुझे अंदर बुला लिया.
    कुछ देर तक हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे.
    मैंने पूछा- मामा जी कहां गये आज?
    वो बोली- वह काम के सिलसिले में एक सप्ताह के लिए बाहर चले गये हैं.

    मैंने पूछा- और आपकी बेटी?
    मामी ने कहा- उसको मेरी मां अपने घर लेकर चली गई. कल ही मेरी मां आई थी. तुम्हारे मामा तो एक दिन पहले ही चले गये थे लेकिन बच्ची कल ही अपनी नानी के साथ गई है.

    खुश होते हुए मैंने कहा- वाह, फिर तो मजा आयेगा. लेकिन आपने मुझे कल ही क्यों नहीं बुलाया?
    मामी ने कहा- मेरी मां कल शाम तक घर पर ही थी इसलिए नहीं बुलाया. लेकिन तुम बड़े उतावले हो रहे हो.

    मैं बोला- हां मेरी रानी, तुम्हारी चूत चोदने के लिए मैं तो जैसे बरसों से प्यासा हूं.
    वो बोली- हां मेरे राजा, मैंने भी तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए पूरी तैयारी कर रखी है.

    उनकी बात पर मैंने पूछा- आपने क्या खास तैयारी की है?
    वो बोली- तुम खुद ही देख लेना.
    मैंने कहा- लगता है आपने कोई सरप्राइज़ रखा है मेरे लिये.
    वो बोली- हां बिल्कुल.

    मैंने कहा- तो फिर देर किस बात की है?
    वो बोली- पहले कुछ खा लेते हैं उसके बाद शुरू करेंगे.
    इतना कह कर वो उठ कर किचन में चली गई और केले का शेक बना कर ले आई.
    मैंने कहा- इस टाइम पर शेक?

    वो बोली- हां, तुम्हारे केले को एनर्जी देने के लिए बनाया है.
    मैं बोला- मेरे केले में बहुत एनर्जी है.
    इस बात पर मामी बोली- वो तो रात में पता चल ही जायेगा मेरे राजा.
    मैंने कहा- रात का इंतजार कौन करेगा मेरी रानी.

    इतना कह कर मैंने मामी को बांहों में भर लिया. उसके होंठों पर होंठ रख दिये और दोनों ही एक दूसरे से लिपटते हुए एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे. मैंने मामी की साड़ी को उतारना शुरू कर दिया तो उसने मुझे रोक दिया.

    पीछे हट कर बोली- पहले शेक पी लो.
    तब तक मैं खाना तैयार कर लेती हूं. हमारे पास पूरी रात है अभी.
    मेरा लंड मेरी पैंट में तन गया था. मामी ने उस पर हाथ फेरते हुए कहा- ये तो अभी से उतावला हो रहा है.
    मैंने कहा- बस मामी, आपकी चूत का रस पीना चाहता है ये.

    वो बोली- हां मेरे राजा, पहले खाना खायेंगे फिर सब कुछ करेंगे.
    इतना बोल कर वो किचन में चली गई.

    मैंने भी शेक का गिलास गटक लिया. मामी के पीछे ही मैं भी किचन में चला गया. वो खाना बना रही थी. मैंने पीछे से जाकर मामी की गांड पर लंड को लगा दिया.

    उसको बांहों में भर कर उसकी गांड पर लंड को रगड़ने लगा. उसके चूचों को दबाने लगा.
    मामी ने बेलन दिखाते हुए कहा- इससे मारूंगी. अभी मुझे खाना बनाने दो.
    मैंने मामी की गांड पर लंड को सटाते हुए कहा- मेरा बेलन भी तैयार है मेरी रानी. चलो बेलन-बेलन खेलते हैं.

    मामी ने पलट कर मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ कर खींच दिया. उसको हाथ में भींच कर उसका माप लेते हुए बोली- तुम्हारा बेलन तो वाकई कड़क है. क्या ये मेरी पाव रोटी को अच्छी तरह बेल पायेगा?
    मैंने कहा- एक बार अपनी पाव रोटी के दर्शन तो करवाओ. उसको चोद-चोद कर लाल न कर दे तो कहना.
    वो बोली- ठीक है. पहले खाना खा लेते हैं.

    हम दोनों ने साथ में बैठ कर खाना खाया.
    मामी ने अपने हाथ से मुझे खाना खिलाया. मैं मामी के चूचों की क्लिवेज को ही ताड़ रहा था. उसके बाद मामी किचन में बर्तन रख कर वापस आ गयी.

    मैंने कहा- बस मामी, अब और इंतजार नहीं हो रहा है. अब जल्दी से मेरे पास आ जाओ.
    वो बोली- हां मेरे राजा. मैं भी इतनी ही बेचैन हूं. लेकिन उससे पहले तुम्हें एक और काम करना पड़ेगा.
    उनकी बात पर मैंने पूछा- अब कौन सा काम रह गया है?

    झांट साफ़ करके मामी को चोदा
    वो बोली- मेरी भट्टी पर थोड़ी सी घास रह गई है. पहले उसको साफ कर दो.
    मैंने कहा- आह्ह … अभी कर देता हूँ उसकी सफाई.
    इतना कहने पर वो बोली- ठीक चलो, रूम में अंदर.

    मामी मुझे अपने रूम में ले गई. अंदर जाते ही मैंने मामी को चूसना शुरू कर दिया. उनके चूचों को दबाना शुरू कर दिया. वो भी मेरा साथ देने लगीं. फिर मामी ने अलग होकर अपनी साड़ी को खोलना शुरू किया.

    मैंने कहा- ये काम भी मैं ही कर देता हूं.
    वो बोली- ठीक है.
    मैंने पास जाकर मामी की साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया. फिर उसके ब्लाउज के हुक खोल कर उसके ब्लाउज को अलग कर दिया.
    उसने नीचे से काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी जिसमें उसके चूचे भरे हुए थे.

    मामी की ब्रा को उतारते ही उनके चूचे एकदम से हवा में झूल गये. मैंने उनको हाथों में भर लिया और फिर उनके चूचों को पीने लगा. मामी मेरे सिर को पकड़ कर अपने चूचों में दबाने लगी.
    उसके बाद मैंने मामी के पैटीकोट को भी खोल दिया. अब मामी केवल पैंटी में रह गई थी.

    जब मैं पैंटी को उतारने लगा तो मामी ने मुझे रोक दिया. फिर वो पास ही के स्लैब से रेजर और क्रीम लेकर आ गयी.
    मामी ने अपनी पैंटी उतारी तो मैं देख कर हैरान रह गया. उसकी चूत के ऊपर के बाल आधे कटे हुए थे और आधे वैसे ही छोड़ दिये थे.

    मैंने कहा- आपने इसे पूरी साफ क्यों नहीं किया?
    वो बोली- तुमसे ही करवाना था.
    मैं बोला- अच्छा जी, ठीक है. सफाई और चुदाई दोनों ही मजे से कर दूंगा.

    फिर वो अपनी टांगों को खोल कर बेड पर बैठ गई. मैं मामी की टांगों के बीच में बैठ गया. मैंने मामी की चूत पर क्रीम लगा दी. उसके बाद झाग बनने पर मैंने रेजर से मामी की चूत को साफ करना शुरू कर दिया.

    दो मिनट में ही मामी की चूत बाल रहित हो गई. उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी निकलने लगा था. मैंने मामी की चूत में उंगली करनी शुरू कर दी. वो सिसकारियां लेने लगी. मैंने उंगली से मामी को चोदा.

    उसके बाद मैंने मामी की चूत में जीभ डाल दी और उसको तेजी से अंदर तक साफ करने लगा. मामी के मुंह से कामुक आवाजें निकलने लगीं -उम्म्ह … अहह … हय … ओह … बस करो … आराम से … मेरे राजा.’
    मैं कई मिनट तक मामी की चूत को चाटता रहा और इस बार जीभ से मामी को चोदा.

    जब उनसे रहा न गया तो उसने मुझे पीछे धकेला और उठ कर मेरे कपड़े उतारने लगी. मामी ने दो मिनट के अंदर ही मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे पूरा नंगा कर दिया.

    नंगा होने के बाद उसने मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाते हुए मेरे होंठों को चूसा. मामी के हाथ मेरे लंड को सहलाते हुए उनके होंठ मेरे होंठों से लार को खींच रहे थे. मैं भी मामी के चूचों को कस कर दबा रहा था.

    उसके बाद मामी ने मुझे नीचे बेड पर बैठा दिया. अब वो मेरी टांगों के बीच में आ गई और मेरे लंड को मुंह में भर लिया. मेरे लंड को तेजी से चूसने लगी. मेरे मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. दो मिनट तक मामी ने मेरे लंड को चूसा और फिर मैं उठ गया.

    मैंने मामी को बेड पर पटक दिया. उनकी टांगों को चौड़ी कर दिया. फिर अपने लंड को उनकी चूत पर लगा दिया और उनके ऊपर लेटता चला गया. मेरा लंड मामी की प्यासी और गीली चूत में उतर गया. अब पल भर भी इंतजार किये बिना मैंने मामी की चिकनी चूत में लंड के धक्के लगाना शुरू कर दिया.

    “आह्ह … मेरी रानी … मेरी चुदक्कड़ मामी … तुम तो बहुत गर्म चूत की मालकिन हो!”
    वो सिसकारते हुए बोली- हां मेरे राजा, अपने लंड से मेरी इस प्यासी चूत की प्यास बुझा दो. मैं बहुत दिनों से मस्त चुदाई का मजा लेना चाह रही थी. तुम फोन पर ही मेरी चूत को गीली कर देते थे. आज जाकर इसको तेरा लंड नसीब हुआ है मेरे राजा.

    मैं तेजी से मामी की चूत को चोदने लगा. पांच-सात मिनट तक चुदाई करने के बाद मैंने मामी को घोड़ी बनने के लिए कह दिया. मैंने बहुत से पोर्न वीडियो में ये पोजीशन देखी हुई थी. इसलिए मेरे लंड की तमन्ना थी कि मैं मामी की चूत में अपना पानी इसी पोजीशन में निकालूं.

    अपनी इच्छा मामी को बताई तो वो झट से घोड़ी बन गई.

    Mami Ko Choda
    Mami Ko Choda
    मैंने मामी की चूत पर लंड को रगड़ा और पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया. मामी की चूत में लंड को घुसा कर तेजी से उसकी चुदाई करने लगा.
    अब हम दोनों ही चुदाई के नशे में मदहोश हो चुके थे. मामी की चूत को चोदते हुए बहुत मजा आ रहा था. पूरे कमरे में आह्ह … ओहह् जैसी कामुक आवाजें गूंज रही थीं. पांच मिनट के बाद ही मेरे लंड का पानी निकलने के कगार पर पहुंच गया.

    मैंने मामी से बिना पूछे ही तीन-चार जोर के झटके लगाये उसकी पानी छोड़ रही चूत में अपना माल गिरा दिया. मामी की चूत तो अपने जवान लंड के गर्म वीर्य से भर दिया मैंने.

    उसके बाद हम दोनों ही बिस्तर पर गिर गये. उस रात मैंने मामी की चूत की सफाई के साथ ही जम कर चुदाई भी करी. रात भर मामी की चूत को 3-4 बार चोदा. सुबह तक मामी की चूत सूज कर लाल हो गई थी. उस दिन सुबह ही हम दोनों सोये.

    रात भर की चुदाई के बाद दोनों थक गये थे. उस दिन दोपहर तक मैं सोता ही रहा.

    दोपहर को मां का फोन आ गया कि मैं अब तक घर नहीं पहुंचा हूं.
    मैंने कहा- अभी थोड़ा काम बाकी है मां. शाम तक आ जाऊंगा.
    उठने के बाद मैंने एक बार फिर से मामी को चोदा और मैं अपने घर चला गया.

    मैं फिर अगले दिन पढ़ाई का बहाना बना कर मामी की चुदाई करने पहुँच गया. इस तरह एक सप्ताह तक मैंने मामी की प्यासी चूत को अपने लंड से चोदा और अच्छी तरह शांत किया.

    उसके बाद मामा जी वापस आ गये. फिर मेरे कॉलेज भी खुल गये थे. इसलिए हम दोनों को मौका नहीं मिल सका. मगर जब भी कभी मामी जी घर पर नहीं होते तो मेरी मामी मुझे बुला लेती थी और हम चुदाई के जमकर मजे लेते थे. जब भी मामी ने बुलाया, मैं मामी के घर गया और मामी को चोदा पूरे मजे से!

    तो दोस्तो, इस तरह से मैंने अपनी चुदक्कड़ मामी को चोदा, उनकी चूत की सफाई और चुदाई दोनों ही कर डाली.

    आपको मेरी मामी सेक्स स्टोरी पसंद आई या नहीं … कमेंट करना न भूलें. मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा.
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  • मैंने अपनी चुदासी बुआ को चोदा

    रिश्तों में चुदाई की इस कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी बुआ को चोदा. बुआ का फिगर बहुत ही मस्त था. मैं उन्हें बाथरूम में नंगी नहाती देखता था. वो बहुत चुदासी थी और बाथरूम में अपनी चूत में उंगली करती थी.

    मेरा नाम केशव है. मैं जयपुर का रहने वाला हूँ. मेरे घर में मेरे मम्मी पापा, बड़ा भाई और एक बुआ रहती थीं जो तब तक कुंवारी थीं. रिश्तों में चुदाई की इस कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने अपनी बुआ को चोदा.

    बुआ का फिगर बहुत ही मस्त था. उनके मोटे मोटे चूचे बड़े ही मस्त थे. पतली कमर और उसके नीचे बुआ की उभरे हुए चूतड़ थे. जब वो चलती थीं, तो उनकी मटकती गांड देख कर मेरा आठ इंच का लंड एकदम सिग्नल सा खड़ा हो जाता था.

    ये हालत मेरे लंड की ही नहीं थी, जो भी उनकी मटकती गांड को एक बार देख भर ले, गारंटी है कि उसका लंड खड़ा हो जाएगा.

    जब बुआ नहाने जाती थीं, तो मैं बाथरूम के छेद से चुपके से उन्हें नहाते हुए देखता रहता था. वो भी जब अन्दर नहाती थीं, तो बिल्कुल नंगी होकर नहाती थीं. ख़ास बात ये थी कि बुआ नहाते समय अपने मोटे चूचों को खूब मसलती थीं.

    Bua Ko Choda
    Bua Ko Choda
    वो अपनी चूत को भी अपने हाथ से सहलाती थीं और कभी कभी तो उसमें उंगली भी डाल लेती थीं. बुआ की चूत बड़ी गद्देदार थी.

    ऐसे ही एक बार मैं बुआ को नंगी नहाते हुए देख रहा था. उस दिन बुआ अपनी चूत में उंगली कर रही थीं. बुआ की चूत पर छोटे छोटे बाल थे, ऐसा लगता था कि उन्होंने थोड़े दिन पहले ही अपनी झांटों को साफ किया था.

    बुआ के नंगे चूचे और मस्त गांड देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा. उन्होंने अपने पूरे बदन पर साबुन लगाया और चूचों को दबाने लगीं. कुछ पल बाद बुआ अपने एक हाथ से अपनी चुत में उंगली डालने लगीं.
    उनकी हल्के स्वर में कराहने की मादक आवाज निकलने लगी. थोड़ी देर में ही वो झड़ गईं और एक हाथ से अपने चूचों को सहलाते हुए चूत में से उंगली निकाल कर चाट ली.

    फिर कुछ देर बाद बुआ नहा कर बाहर आ गईं. मैं वापस अपनी जगह आ कर बैठ गया. वो अपने कमरे में जा कर कपड़े पहनने लगीं. उन्होंने पिंक रंग की ब्रा और पेंटी पहनी. उस ब्रा पेंटी के सैट में वो बहुत ही मस्त लग रही थीं.

    फिर मैं नहा धो कर विद्यालय चला गया. जब शाम को घर वापस आया, तो मम्मी और पापा घर पर नहीं थे.

    मेरे पूछने पर बुआ ने बताया कि किसी रिश्तेदार की मृत्यु हो गई है, वहां चले गए हैं. शायद उनको आने में कुछ दिन लग जाएं.

    बुआ ने खाना परोसा और मुझे दे दिया. मैंने खाना खाया और अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करने में लग गया.

    शाम होने से कुछ देर पहले बुआ ने मेरे पास आकर पूछा कि शाम के खाने में क्या खाएगा?
    मैंने कहा- बुआ ऐसा खाना बनाओ, जो मस्त लगे.
    बुआ हंस दीं और खाना बनाने चली गईं.

    मैं बाहर खेलने चला गया. मैं शाम को 7 बजे वापस आया, तो बुआ ने खाना बना लिया था.
    बुआ ने बोला- खाना खा ले.
    मैंने कहा- बुआ साथ में ही खाएंगे.
    बुआ ने कहा- मैं तो नहाने के बाद खाऊंगी.
    मैंने कहा- ठीक है. आप आ जाओ फिर साथ ही खाएंगे.
    तब बुआ बोलीं- ओके, मैं नहाने जा रही हूँ.

    बुआ नहाने चली गईं और बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया. दरवाजा बंद होते ही मेरी आंख बाथरूम के उसी छेद में लग गई. मैंने देखा कि बुआ ने अपनी पेंटी और ब्रा उतारी और नहाने लगीं. उन्होंने पहले अपने पूरे बदन पर साबुन लगाया और वे अपनी बुर के बाल साफ करने लगीं.

    चूत के बाल साफ करके बुआ अपनी एक उंगली चूत में लेने लगीं. ये देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.

    थोड़ी देर मैं बुआ झड़ गईं और नहा कर कपड़े पहन कर बाहर आने लगीं. मैं वहां से हट गया. वो अपने कमरे में चली गईं.

    फिर बुआ ने कहा- खाना खा लें क्या?
    मैंने कहा- बुआ आप बुरा न मानो, तो आज मैं थोड़ा एन्जॉय कर लूं?
    बुआ ने आंखें नचाईं और पूछा- कैसा एन्जॉय?

    मैंने अंगूठा उठाया और दारू पीने का इशारा किया.

    बुआ हंस दीं और बोलीं- तू पीता भी है?
    मैंने हंस कर कहा- कभी मौक़ा मिल जाता है, तो मजा कर लेता हूँ.
    बुआ बोलीं- बाजार जाएगा क्या?
    मैंने बुआ से कहा- नहीं, पापा की दारू की बोतल में से हम दोनों थोड़ी टेस्ट कर लेते हैं … उनको क्या पता चलेगा.

    ये कह कर मैंने उनको भी लपेटने की कोशिश की थी.

    बुआ हंस दीं और बोलीं- ज़्यादा नहीं लेंगे … कहीं नशा वशा हो गया, तो दिक्कत हो जाएगी.
    मैंने उत्साहित होकर कहा- बुआ बस दो दो पैग ही लेंगे. दो पैग से कुछ नहीं होता है. मैं अभी लाया, आप जरा गिलास और नमकीन का इंतजाम करो.

    फिर मैं पापा की दारू की बोतल ले आया. तब तक बुआ ने टेबल पर दो गिलास और साथ में आइस भी रख दी थी. एक प्लेट में भुने हुए काजू भी रख लिए थे. मुझे देख कर आश्चर्य हुआ कि बुआ को दारू लेने के बारे में सब कुछ मालूम है.

    मैंने दोनों गिलासों में दारू डाल कर पैग बनाए. मैंने बुआ का गिलास थोड़ा ज़्यादा हार्ड बना दिया.

    हम दोनों ने चियर्स बोल कर जाम टकराए.

    बुआ पहला सिप लेते ही बोलीं- ये तो बड़ी कड़वी है यार … लोग कैसे पी लेते हैं.
    मैंने कहा- बुआ इससे बड़ी मस्ती चढ़ती है. आपको मजा आ जाएगा … लो तो.

    मैंने बुआ को ज़बरदस्ती शराब पिला दी. फिर हम दोनों थोड़ी देर इधर उधर की बातें करने लगे.

    मैं बुआ से बोला- बुआ शादी कब कर रही हो … अब तो आप पूरी जवान हो गई हो.
    बुआ मस्ती में बोलीं- तुझे कैसे मालूम है कि मैं जवान हो गई हूँ.
    मैं शरमाते हुए बोला- आपको देख कर ही लगता है.
    फिर बुआ ने गिलास से घूँट लेते हुए कहा- हां करेंगे जल्दी ही.

    कुछ देर में दो दो पैग खत्म हो गए.

    मैंने एक एक पैग और बनाया और हम दोनों दारू पीने के साथ साथ खाना खाने लगे.

    खाना खत्म करते करते बुआ को नशा होने लगा. उन्होंने अपनी टांगें टेबल पर पसार दी थीं और मस्त बातें करने लगी थीं.

    मैंने सारे बर्तन रसोई में रख कर बुआ को बोला- चलो, मैं आपको आपके कमरे में ले चलता हूँ.
    बुआ नशे में बोलीं- क्यों?
    मैंने कहा- आपको सुला देता हूँ.
    बुआ ने बोला- नहीं, आज हम एक साथ ही सोएंगे … रात में मुझे कुछ हो गया, तो में क्या करूंगी … तू साथ रहेगा, तो मुझे संभाल तो लेगा.

    मैं कुछ नहीं बोला मुझे बुआ की चुत मिलने जैसी लगने लगी थी.

    बुआ कुछ देर बाद लड़खड़ाते हुए उठीं और मेरा सहारा लेते हुए अपने कमरे में जाकर लेट गईं. मैं भी लाइट बंद करके बुआ के पास जा कर सोने लगा.

    करीब एक बजे मुझे सर्दी लगी, तो मैं बुआ से चिपक गया. उनसे चिपकने के बाद मुझे लगा कि नीचे से बुआ नंगी हैं. मैंने हाथ से टटोल कर देखा, तो मेरा हाथ बुआ की नंगी गांड पर जा लगा. नंगी गांड को टच करते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. उनकी पेंटी नीचे को सरकी हुई पड़ी थी.

    मैंने अब देर नहीं की और बुआ के चूचे दबाने लगा. मुझे बुआ के मम्मों को दबाने में मज़ा आने लगा.

    फिर धीरे से मैंने उनकी पेंटी पूरी तरह से निकाल दी और धीरे धीरे बुआ की चुत को सहलाने लगा. बुआ को नशा चढ़ा था, इसलिए उन्हें मेरे हाथ का मालूम ही नहीं चला.

    मैंने उनकी नाइटी भी खोल दी और ब्रा भी खोल दी. ब्रा को खोलते ही उनके मोटे चूचे बाहर आ गए. मैं उनके चूचे चूसने लगा. फिर मैंने लाइट ऑन करके देखा, तो मेरा दिमाग़ खराब हो गया.

    बुआ का बदन सफ़ेद संगमरमर की तरह चिकना लग रहा था. मैंने अपना कंट्रोल खो दिया और बुआ के पास जा कर उनकी चुत को चाटने लगा.

    मुझे बुआ की चुत की खुशबू बड़ी मदहोश कर रही थी. दस मिनट तक चुत की चुसाई करने के बाद मैंने बुआ के चूचों को जम कर चूसा.

    अब बुआ की सांसें तेज चलने लगीं. मुझे लगा कि बुआ जागी हुई हैं, लेकिन वो भी मज़े ले रही हैं.

    ये सोचते ही मैं बेख़ौफ़ हो गया और बुआ के ऊपर चढ़ गया. मैं बुआ के होंठों को चूसने लगा.

    मैंने देखा कि बुआ ने अपनी आंखें खोल दी थीं. मुझे एक पल के लिए तो थोड़ा डर लगा, लेकिन बुआ मेरा साथ देने लगीं.
    वो कहने लगीं- आह … केशव आज मेरी प्यास बुझा दे … मैं बहुत प्यासी हूँ.
    मैंने बुआ से कहा- मैंने तो पहले ही कहा था कि आप जवान हो गई हो.
    बुआ मेरे लंड को टटोलते हुए बोलीं- हां, तू भी तो पूरा मर्द हो गया है.

    मैंने लंड पर बुआ का हाथ महसूस किया तो मैंने कहा- मेरा लंड चूसो ना बुआ.
    बुआ ने हामी भर दी.

    मैं उठ कर पोजीशन में आ गया और बुआ मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं. कुछ ही देर में हम दोनों 69 की पोज़ीशन में आ गए. अब वो मेरा लंड और मैं उनकी चुत को चूसने लगा.

    बुआ ने दस मिनट में अपनी चुत से पानी छोड़ दिया. मैंने चूत का सारा पानी पी लिया.

    थोड़ी देर बाद मेरा भी होने वाला था, तो मैंने बुआ को बोला- बुआ मेरा निकलने वाला है.
    बुआ ने लंड चूसते हुए ही कहा- हम्म … आने दे … तू मेरे मुँह में ही छोड़ दे.

    मैंने बुआ के मुँह में वीर्य छोड़ दिया. बुया ने न केवल वीर्य खा लिया, बल्कि वे मेरे लंड को चूसती ही रहीं. इससे ये हुआ कि थोड़ी ही देर बाद मेरा लंड वापस खड़ा हो गया.

    बुआ ने मुझे अपने ऊपर ले लिया. मैं बुआ की चुत पर अपना लंड रगड़ने लगा.

    बुआ चुदास भरी आवाज में बोलीं- आह … केशव अब मत तड़पा … जल्दी से डाल दे मेरी चुत में अपना मूसल …

    मैंने बुआ की टांगों को फैला कर उनके बीच में बैठ कर अपना सुपारा चुत के छेद पर लगा कर एक तेज झटका दे मारा. मेरा आधा लंड बुआ की चुत में चला गया.
    बुआ ज़ोर से चीख उठीं ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’

    मैंने अपनी प्यारी बुआ की सील तोड़ दी थी … उनके चिल्लाने से मुझे कोई असर नहीं पड़ा. मैंने फिर से ज़ोर का झटका से मारा. इस बार मेरा पूरा लंड बुआ की चुत में जड़ तक समा गया.

    बुआ ज़ोर से चिल्लाने लगीं और बोलीं- केशव प्लीज़ अपना लंड बाहर निकाल … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
    मैंने बुआ से कहा- सील टूटी है बुआ, थोड़ा दर्द तो सहन करना ही पड़ेगा.

    मैं शांत होकर उनके ऊपर चढ़ा रहा. बुआ का थोड़ा दर्द कम होने के बाद मैं लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. थोड़ी देर बाद बुआ अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं. बुआ को भी मज़ा आने लगा.

    फिर बीस मिनट तक मैंने बुआ की धुआंधार चुदाई की. इस बीच बुआ दो बार झड़ गई थीं.
    बुआ ने मुझे कसके पकड़ लिया और कहने लगीं- केशव, आई लव यू.
    मैंने भी कहा- बुआ, आई लव यू टू.

    मैं उनके एक चूचे को चचोरने लगा और धक्का मारते हुए मैंने बुआ की चुत को अपने पानी से भर दिया.

    झड़ने के बाद मैं बुआ के ऊपर ही लेट गया. कुछ देर बाद बुआ उठ कर बाथरूम में जाने लगीं, तो बुआ ने देखा बिस्तर की सफ़ेद चादर लाल हो गई थी. ये खून के छींटे उस पर दाग बन कर दिखने लगे थे.
    ये देख कर बुआ बोलीं- केशव, आज तूने अपनी बुआ को चोदा. तूने मुझे पूरी औरत बना दिया है.
    मैं हंसने लगा.

    बुआ बाथरूम में जाकर अपनी चुत को साफ करके वापस आ गईं और चादर बदल कर हम दोनों सोने लगे.

    हम दोनों चिपक कर सो गए. सुबह करीब सात बजे हमारी आँख खुली, तो मेरा लंड खड़ा हो रहा था.
    बुआ ने लंड टटोल कर कहा- केशव तेरा हमेशा ही खड़ा रहता है क्या?
    मैंने कहा- बुआ, आप जैसी मस्त लड़की पास हो … तो बुड्डों का लंड भी खड़ा हो जाएगा.

    वो शरमाने लगीं. फिर बुआ नंगी ही रसोई में चाय बनाने चली गईं … और मैं भी उनके पीछे जा कर खड़ा हो गया.

    मैं बुआ की गांड में लंड पेलने की कोशिश करने लगा.
    बुआ हंस कर बोलीं- सुबह सुबह ही लग गया … थोड़ा रुक जा, चाय पी ले … फिर कर लेना, जो करना है.
    मैंने कहा- बुआ आज आपकी गांड मारनी है.
    बुआ बोलीं- ठीक है.

    मैंने बुआ की गांड कैसे मारी, ये आगे की रिश्तों की चुदाई कहानी में बताता हूँ. आपको कैसा लगा जब मैंने अपनी बुआ को चोदा?
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  • ट्रेन सेक्स स्टोरी एक जवान लड़की की

    यह ट्रेन सेक्स स्टोरी एक जवान लड़की की है जो मुझे दिल्ली से मुंबई राजधानी ट्रेन में मिली. मेरा मन तो पहले ही उसे देखकर बावला हो गया था और वो भी कुछ कम नहीं निकली!

    दोस्तो, अन्तर्वासना स्टोरी साइट अपने सेक्स अनुभव को शेयर करने के लिए बहुत अच्छी जगह है. यहाँ लेखकों की कहानी पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है. मैं भी मेरी एक कहानी यहाँ शेयर करना चाहता हूँ. उम्मीद करता हूँ कि आप सब को मेरी यह कहानी पसंद आयेगी.

    मेरा नाम सुमित है. मेरी उम्र 28 साल है, लम्बाई 6 फ़ीट और शरीर की बनावट के हिसाब से मैं थोड़ा मोटा हूँ. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और यहाँ सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हूँ. ये बात करीब 3 साल पुरानी है जब मैं मुंबई एक इंटरव्यू के लिए जा रहा था. शाम को पांच बजे के करीब दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस में मेरा टिकट था.

    उस दिन ट्रेन में ज्यादा भीड़ नहीं थी. मेरा रिजर्वेशन वातानुकूलित बोगी की द्वितीय श्रेणी में था. मेरी नीचे की सीट पर एक औरत थी जिसकी उम्र करीब 55 साल की होगी. मेरी सीट उसके ऊपर वाली थी. सामने की दोनों सीट खाली थीं, उन पर कोई नहीं था तो मैं नीचे ही बैठा रहा.

    आंटी से थोड़ी बाते होने लगी और शाम करीब 8 बजे उन्होंने खाना खाया और दवाई ले कर सो गयी. करीब 9.15 बजे कोटा स्टेशन से एक लड़की सीट के साथ आकर खड़ी हो गयी. मेरे पास आकर वो बोली कि ये मेरी सीट है. मैंने उसके कहने पर वो नीचे वाली सीट खाली कर दी.

    फिर वो लड़की अपना सामान सेट करने लगी. मैं उसके बदन को देख रहा था. मेरी नजर उसके बदन को नाप रही थी लेकिन मैंने उसको इस बात का अहसास नहीं होने दिया कि मैं उसके बदन को निहार रहा हूं. उसके टी-शर्ट के अंदर भरे हुए उसके गोल-गोल चूचे देखने में बड़ा मजा आ रहा था.

    उसकी गांड भी बहुत मस्त सी थी. जीन्स में एकदम कमाल लग रही थी वो. मैं उसके पूरे बदन को ताड़ रहा था कि तभी उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने अपने फोन की स्क्रीन में देखना शुरू कर दिया.
    उसने कहा- सुनिये.
    मैंने जवाब दिया- आपने मुझे पुकारा?
    वो बोली- हां, मेरे पास सामान काफी ज्यादा है तो आप प्लीज मेरी थोड़ी मदद कर दीजिये सामान सेट करवाने में.
    मैंने कहा- हां क्यों नहीं!

    मैं उसका सामान सेट करवाने लगा. जब सारा सामान सेट हो गया तो मैं भी हांफने लगा था. उसने मुझे अपने बैग से पानी की बोतल निकाल कर दी और मुझे पानी पीने के लिए कहा. मैं उसी की सीट पर बैठ कर पानी पीने लगा. वो भी मेरे बगल में ही बैठी हुई थी. मेरे मन में हलचल सी हो रही थी.

    दोस्तो, उस लड़की की उम्र करीब 27-28 साल थी. देखने में बेहद ही खूबसूरत थी. मैं उसके पास बैठा हुआ था लेकिन उससे बात करने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी.

    फिर पानी पीकर मैंने उसको बोतल वापस कर दी और उसको थैंक्स कहा.
    वो बोली- थैंक्स तो मुझे आपको बोलना चाहिये. आपने मेरी मदद जो की.
    मैंने कहा- कोई बात नहीं, इसमें थैंक्स बोलने की क्या बात है. मेरी जगह कोई और होता तो वो भी आपकी मदद कर देता.

    फिर वो मेरी बात सुन कर मुस्कराने लगी और अपने बैग से चिप्स का एक पैकेट निकाल कर उसे खोला और चिप्स खाने लगी. उसने मुझे भी चिप्स खाने के लिये कहा तो मैंने भी दो-तीन चिप्स निकाल ली और उसके साथ बैठ कर ही खाने लगा.

    उसके बाद हम दोनों में बातें होना शुरू हो गईं. मैंने उसके बारे में पूछा कि कहां से आई है और कहां पर जा रही है. फिर वो मेरे बारे में भी ऐसे ही सवाल करने लगी. दोनों एक दूसरे को सामान्य परिचय देते हुए बातें करते रहे. काफी देर तक हम दोनों के बीच में बातें हुईं और उसके बाद वो भी मेरे साथ काफी कम्फर्टेबल हो गई.

    काफी देर तक बातें करने के बाद मैंने टाइम देखा तो रात के 10.30 बज गये थे. मैंने उससे कहा कि आप भी थकी हुई होंगी. थोड़ा आराम कर लीजिये. मैं भी अपनी सीट पर जाकर कमर थोड़ी सीधी कर लेता हूं.
    वो बोली- ठीक है.

    मैं ऊपर वाली अपनी सीट पर जाकर बैठ गया और पानी पीकर लेट गया. मुझे नींद नहीं आ रही थी मगर मैं चादर ओढ़ कर लेटा गया. मेरे नीचे वाली सीट पर जो आंटी थी वो भी सो चुकी थीं और उनके खर्राटों की आवाज मेरे कानों में आ रही थी तो मैंने हेडफोन लगा लिये और मूवी देखने लगा.

    आधे घंटे के बाद मुझे पेशाब लगा तो मैं उठ कर टॉयलेट में चला गया. उसके बाद जब मैं वापस आया तो मैंने देखा कि वो लड़की अपनी सीट पर बैठी हुई थी. वो किसी से फोन पर बात कर रही थी और बात करते हुए ही उसकी आंखों से आंसू भी निकल आये थे.

    मैं हैरान था कि अचानक से इसको क्या हो गया. अभी तक तो ये आराम से लेटी हुई थी.
    उत्सुकतावश मैं वहीं पर खड़ा हो गया. काफी देर तक वो फोन पर बात करती रही.

    जब उसने फोन रखा तो मैंने पूछा- क्या हुआ? सब ठीक है तो आपके घर में?
    वो बोली- मेरे घर में तो सब ठीक है.
    मैंने पूछा- तो फिर आपकी आंखों में ये आंसू?
    वो बोली- मेरी एक दोस्त का फोन आया था. उसकी मां गुजर गई है. वो फोन पर ही रो रही थी इसलिए मेरे भी आंसू निकल आये.
    ये बात सुन कर मैं उसके पास ही बैठ गया. उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- ये तो बहुत ही दुखद समाचार है. लेकिन होनी को कौन टाल सकता है … आप दुखी मत होइये.

    उसने मेरे कंधे पर सिर रख लिया और मुझसे लिपट कर रोने लगी. मेरा भी गला सा भर आया. वो लड़की बहुत ही प्यारी थी इसलिए उसको रोते हुए देख कर मेरा मन भी दुखी हो गया था. मैं उसके कंधे को सहलाने लगा. उसे सांत्वना देने लगा.

    कंधे को सहलाने के बाद मैं उसकी पीठ को सहलाने लगा. उसकी मुलायम पीठ पर सहलाते हुए मेरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी. अब करुणा की जगह आसक्ति ने ले ली थी. मैं जान-बूझकर उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा. मुझे लगा कि शायद आज ट्रेन में सेक्स की मेरी ख्वाहिश पूरी हो जायेगी और मेरी यह ट्रेन सेक्स स्टोरी बन जायेगी.

    वो भी चुप हो गई थी और उसने मेरे गले में अपनी बांहें डाल ली थीं. उसके चूचे मुझे मेरे शरीर पर टच होते हुए महसूस हो रहे थे. मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था. अब मेरा हाथ उसकी पीठ को अच्छी तरह सहला रहा था. मैं बीच-बीच में उसके कंधे को भी दबा रहा था.

    पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा था लेकिन वो अभी भी मुझसे से ऐसे ही लिपटी हुई थी. फिर उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया. मेरे लंड में तूफान सा उठा और हिम्मत करके मैंने उसका हाथ अपनी जीन्स के अन्दर तने हुए अपने लंड पर सरका दिया. उसने आराम से अपना हाथ रख लिया और मुझसे कस कर लिपट गई.

    अब मैं भी उसकी मंशा समझ चुका था, इसलिए अब कोई खतरा नहीं था तो मैंने उसके चूचों पर हाथ रख कर उनको दबाना शुरू कर दिया. अब उसका हाथ मेरे तने हुए लंड को दबाने लगा. दोनों की ही सांसें तेज हो चली थीं. मगर साथ में सो रही आंटी का भी डर था इसलिए उस लड़की ने खुद ही लाइट बंद कर दी.

    उसने कम्बल खींच कर हम दोनों के ऊपर डाल लिया और मेरे साथ ही लेट गई. अगले ही पल हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे. मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल दिया और उसके चूचों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा.

    वो मेरे लंड को मेरी जीन्स के ऊपर से ही सहलाने लगी. हम दोनों ही एक दूसरे से लिपट रहे थे. इतना मजा आ रहा था कि मेरी तो जैसे किस्मत ही खुल गई थी. मैं जोर से उसके होंठों का रस पी रहा था और साथ में ही उसके कसे हुए जिस्म के मजे भी ले रहा था.

    फिर उसने मेरी जीन्स की चेन खोल ली और मेरी जीन्स के अंदर हाथ डाल कर मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को हाथ में भर लिया. मैंने भी उसकी जीन्स के बटन को खोल कर उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया.

    उसके बाद उसने अपनी जीन्स खुद ही निकलवा दी और मुझे नीचे होने के लिए इशारा करने लगी. मैं समझ गया कि ये अपनी चूत की तरफ इशारा कर रही है. हम दोनों चुपचाप ये सब कर रहे थे क्योंकि आंटी भी बगल में ही सो रही थी. मैं धीरे से सरक कर उसकी जांघों के बीच में चला गया.

    जांघों में फंसी हुई पैंटी को निकाल कर मैंने उसकी चूत पर नाक लगा कर उसकी चूत को सूंघा तो उसकी चूत से मस्त सी खुशबू आ रही थी. उसकी चूत गीली हो रही थी. मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया तो वो मेरे बालों को सहलाने लगी.

    अब वो भी पूरी गर्म हो चुकी थी. मैंने उसकी चूत में जीभ डाल कर उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चोदना शुरू कर दिया. उसके बाद मैंने एक हाथ से अपनी पैंट को भी नीचे सरका दिया. अपना अंडरवियर नीचे करके मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.

    लंड को बाहर लाने के बाद अब मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था. मैं वापस से उसके ऊपर की तरफ आ गया और उसके होंठों को चूसते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर लगाने लगा. उसकी गांड मेरे लंड की तरफ धक्के देने लगी तो मैं समझ गया कि अब ये भी चुदने के लिए तैयार हो चुकी है.

    मैंने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर रखा और एडजस्ट करते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा तो वो चुपके से मेरे कान के पास आकर बोली- यहां सेक्स करना सेफ नहीं है.
    मैंने फुसफुसाते हुए कहा- तो फिर कहां सेफ है!
    वो बोली- टॉयलेट में चलो.
    मैंने कहा- ओके.

    फिर हम दोनों धीरे से उठ कर टॉयलेट में चले गये. पहले मैं गया और उसके बाद वो अंदर आ गयी. मैं लंड को बाहर निकाल कर खड़ा हुआ था. वो अंदर आकर मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी.

    मैंने उसको नीचे बैठा दिया और अपना लंड चूसने का इशारा किया. वो नीचे बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी. पांच मिनट तक लंड चूसने के बाद मेरे लंड की नसें फटने को हो गईं. मैंने उसको उठा लिया और कस कर उसके जिस्म को भींचने लगा. कभी उसके चूचों को दबा देता तो कभी उसकी गांड को.

    वो भी मेरी गर्दन को चूसने और काटने लगी. मैंने उसकी टी-शर्ट को उठा दिया और उसकी ब्रा को पीछे से खोलने लगा. उसने ब्रा खोलने में मेरी मदद की. उसकी ब्रा को निकाल कर मैंने अपनी जेब में ठूंस लिया और फिर उसके टी-शर्ट को ऊपर करके उसके चूचों को पीने लगा.

    उसके चूचे बहुत ही कोमल और नर्म थे. मैं उसके निप्पलों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. वो पागल सी होने लगी. उसके हाथ मेरी गांड पर पहुंच गये और वो मेरी गांड को अपनी चूत की तरफ खींचने लगी. वो चुदने के लिए बेताब सी हो चली थी.

    मगर मुझे उसके चूचों का रस पीने में बहुत मजा आ रहा था. मैंने उसके चूचों को काट-काट कर लाल कर डाला. उसके निप्पल एकदम से तन कर टाइट होकर बिल्कुल नुकीले हो गये. मैंने अपने मुंह को उसके निप्पलों से हटा कर उसके निप्पलों को चुटकी में लेकर मसल दिया.

    उसने मेरे गाल पर अपने दांतों से काट लिया. फिर मैंने उसकी जीन्स में पीछे हाथ डाल कर उसकी गांड को दबाना शुरू कर दिया और दोनों फिर से एक दूसरे होंठों को चूसने लगे. उसकी लार मेरे मुंह में आ रही थी और मेरी लार उसके मुंह में जा रही थी.

    काफी देर तक चूमा-चाटी के बाद मैंने उसकी पैंट को निकलवा दिया और उसको एक साइड में खड़ी करके उसकी टांग उठा कर अपना लंड उसकी चूत पर सेट करके उससे चिपक गया. मैं अपनी गांड को धकेलते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा. वो मेरे सीने से लिपटती हुई मेरी पीठ को अपनी बांहों में भरने लगी.

    लंड उस जवान सेक्सी चुदक्कड़ की गीली चूत में घुस चुका था. उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मैंने एक हाथ से पीछे सहारा लिया और उसकी चूत में अपनी गांड के सहारे से लंड को धकेलते हुए उसकी चूत की चुदाई करने लगा. चूंकि रात का समय था इसलिए हवस बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी.

    एक फायदा ये भी था कि उस वक्त तक बाकी सभी लोग भी सो चुके थे और बोगी में लोग भी कम थे. इसलिए हम दोनों मस्ती में चुदाई का मजा लेने लगे. वो मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी चूत में लंड को लेती रही और मैं उसकी चूत में धक्के लगाता रहा.

    करीब 10 मिनट बाद हम दोनों साथ में झड़ गए. उसकी चूत में वीर्य को छोड़ कर जो आन्नद मुझे उस रात मिला वो मैं यहां पर बता नहीं सकता. हम दोनों ही हांफ रहे थे. वो दो मिनट तक मुझसे लिपटी रही. फिर वो मुझसे अलग हो गई.

    हमने अपनी-अपनी जीन्स ऊपर की और फिर मैं चुपके से बाहर निकल आया. उसके दो मिनट बाद ही वो भी वापस से बाहर आ गयी. हम दोनों अपनी-अपनी सीट पर आकर बैठ गये. उसने लाइट जला दी और मेरी तरफ देखते हुए मुस्कराने लगी.

    मैंने भी उसको एक फ्लाइंग किस दे दी. फिर सुबह उठने के बाद मैंने उसका नम्बर ले लिया और उसने मेरा नम्बर ले लिया. फिर तो अक्सर हमारी बात होने लगी. उस घटना के बाद जब भी उसको मुंबई जाना होता था वो मुझे बता देती थी और मैं उसके साथ में ही चला जाता था.

    मुझे चाहे काम होता या न होता लेकिन मैं उसके साथ सफर पर निकल पड़ता था. सफर के दौरान कई बार तो हमको अपनी यह ट्रेन सेक्स स्टोरी आगे बढ़ाने का मौका मिल जाता था लेकिन कई बार नहीं मिल पाता था. अगर ट्रेन में हमें मौका न मिलता तो हम बाहर किसी गेस्ट हाउस में जाकर चुदाई के मजे लेते थे.

    कई बार मैंने उसकी चूत को चोदा और उसके मजे लिये. लगभग साल भर के दौरान वो मुझसे चूत चुदवाती रही. फिर अचानक से उसका नम्बर स्विच ऑफ हो गया. मैंने उससे संपर्क करने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर कभी उससे न तो मुलाकात हो पाई और न ही बात हो पाई.

    लेकिन जो भी हो उस सेक्सी लड़की ने मुझे पूरे मजे दिये. आज भी मैं उसके बारे में सोचता हूं तो मेरा मुठ मारने को मन कर जाता है. उस घटना के बाद मैं अक्सर इस तरह से ट्रेन के सफर के दौरान यह ट्रेन सेक्स स्टोरी बनाने की कोशिश करता रहता हूं.

    अभी तक मुझे कोई और चूत नहीं मिली है. जब भी मिलेगी मैं आप लोगों को नई सेक्स कहानी के माध्यम से जरूर बताऊंगा. अगर आपको मेरी यह स्टोरी पसंद आई हो तो अपनी प्रतिक्रया मेरी इस यह ट्रेन सेक्स स्टोरी पर जरूर दें. आप लोगों को मेरी तरफ से ढेर सारा प्यार. जिन्दगी के मजे लेते रहिये.
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  • जीजा की नजर साली की कुंवारी बुर पर-1

    जवानी में कदम रखते ही मेरी अन्तर्वासना जागने लगी थी. सेक्स और चुदाई की बात सोच मेरी कुंवारी बुर गीली हो जाती थी। एक बार होली पर जीजा ने मुझे मसल दिया तो …



    दोस्तो, आप सबकी मुस्कान सिंह एक नई कहानी के साथ फिर से आप लोगों के सामने आई है।

    अभी तक अन्तर्वासना साईट पर प्रकाशित मेरी सभी कहानियों को आप लोगों ने काफी पसंद किया, उसके लिए आप लोगों का दिल से शुक्रिया।
    आप लोगों के इतने मेल मुझे मिलते हैं मगर माफ करिए मैं सभी को जवाब नहीं दे सकती।
    और कृपया मुझसे फ़ोन नंबर या मिलने के लिए मत मेल किया करिये, मैं ये सब नहीं कर सकती।

    जैसा कि मैं पहले भी बता चुकी हूं कि मैं जो भी कहानी लिखूंगी वो सत्य घटनाओं पर ही लिखूंगी क्योंकि जो बात सत्य घटना में होती हैं वो बात बनावटी कहानी में नहीं।

    इस जीजा साली सेक्स की कहानी में आज आपको मैं अपनी एक अच्छी सहेली आरोही के बारे में बताऊँगी जिसने अपनी जिंदगी के पल मेरे साथ साझा किए।
    वैसे तो अब वो शादीशुदा है मगर ये कहानी उसकी शादी से पहले की है।



    तो दोस्तो, चलते हैं जीजा साली की चुदाई कहानी की तरफ।

    हरियाणा की रहने वाली 19 वर्ष की आरोही की है। वह 12वीं क्लास की छात्रा है और एक खूबसूरत जिस्म की मालकिन है।

    आरोही के घर में आरोही के अलावा उसके माता पिता और एक बहन थी जिसकी शादी हो चुकी है। आरोही के पिता एक किसान होने के साथ साथ बैंक में क्लर्क के पद पर भी हैं।
    उनका परिवार बिल्कुल सामान्य ही है और आरोही भी एक सामान्य सी लड़की थी।

    जवानी में नई नई कदम रखने के बाद आरोही के मन में भी काफी उथल पुथल रहती थी सहेलियों के द्वारा सेक्स के बारे में बातें होती थी मगर कभी ऐसा मौका उसे मिला नहीं था।

    उसके बहन के पति मतलब उसके जीजा काफी रंगीन मिजाज के आदमी थे और जब से आरोही कुछ बड़ी हुई थी वो अक्सर उसे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे।



    जब भी वो आरोही के यहाँ आया करते तो आरोही के साथ ही ज्यादा समय बिताते क्योंकि उनके घर पर आरोही के पिता के अलावा दूसरा कोई मर्द था नही।
    इसलिए आरोही के साथ ही हँसी मजाक चलता रहता था।

    दोस्तो, मैं आपको आरोही के शरीर के बारे में बता दूं।
    उसकी लंबाई 5.5 फीट, रंग गोरा, शरीर काफी गदराया हुआ। और उसका फिगर 34 30 36 था।
    जैसा कि फिगर में है कि उसके दूध और चूतड़ काफी बड़े बड़े थे। खासकर उसके कूल्हों को देखने से ही लोगों के लंड खड़े हो जाते थे।
    वो काफी हट्टी कट्टी गदराए बदन की लड़की है।

    तो दोस्तो अब आरोही की कहानी उसके ही जुबानी पढ़ते हैं।



    मैं अभी 12वीं की परीक्षा की तैयारियों में लगी हुई थी। मेरा रोज का काम सुबह स्कूल जाना और दोपहर 2 बजे वापस आकर घर का काम करना और शाम को 6 बजे ट्यूशन जाना।
    दोस्तो, मैंने कभी भी सेक्स नहीं किया था मगर अपनी सहेलियों के साथ फ़ोन पर कई बार गंदी फ़िल्म देखा करती हूं।

    मेरी कई सहेलियों के बॉयफ्रेंड थे और उन लड़कियों ने बुर चुदाई का अनुभव ले लिया था।

    मेरे मन में भी हमेशा सेक्स की बात घूमा करती थी। जब भी रात में मैं अकेली सोती थी तो सेक्स और चुदाई की बात सोच कर मेरी चड्डी गीली हो गया करती थी।

    मैं हमेशा ही सलवार कमीज पहना करती हूं। और जब भी स्कूल ड्रेस में स्कूल के लिए निकलती तो कई लोगों की निगाह मेरे ऊपर होती थी।

    कई बार तो कुछ लोग मुझे सुना कर कई बातें कहते थे। मेरे तने हुए दूध को देख बहुत लोग आहें भरा करते थे।
    यहाँ तक कि जहाँ मैं ट्यूशन जाती थी वही रास्ते में एक अंकल हमेशा मुझे ताड़ते रहते थे।



    ये सब देखकर मेरे मन में और भी ज्यादा उथलपुथल मची रहती थी। सच कहूँ तो मेरा भी मन अब चुदाई के लिए बेताब था।
    मगर घर का डर मुझे ऐसा कुछ करने से हमेशा रोकता था।

    दोस्तो, पिछली होली में मेरे साथ एक ऐसी घटना हुई जो शायद जिंदगी भर नहीं भूल सकती।



    मेरी दीदी के पति मतलब मेरे जीजा जी होली मनाने के लिए हमारे घर आए हुए थे। दीदी तो माँ के साथ ही व्यस्त रहती थी और जीजा हमेशा मेरे साथ ही हँसी मजाक किया करते थे।
    मगर उनके प्रति मेरे मन में ऐसा कुछ गलत कभी नहीं आया क्योंकि वो मेरे दीदी के पति थे औऱ मुझसे उम्र में भी बड़े थे। उनकी उम्र 30 साल की थी और मैं 19 की।

    होली की सुबह सुबह ही हम लोगों ने नहा कर भगवान की पूजा की और करीब 11 बजे मैं अपनी सहेलियों के साथ होली खेलने के बाद दीदी के साथ होली खेल रही थी।
    उस वक्त जीजा हम दोनों को देख रहे थे।

    दीदी के साथ होली खेलने के बाद दीदी नहाने चली गई और मैं घर के पीछे आंगन में बैठी हुई धूप का मजा ले रही थी।
    पापा भी अपने दोस्तों के साथ बाहर निकल गए थे और माँ पड़ोस में गई हुई थी।



    मैं कुर्सी में अकेली ही बैठी हुई थी कि तभी पीछे से जीजा ने मुझे पकड़ लिया। उनके दोनों हाथों में बहुत सारा रंग था।
    उन्होंने मुझे जकड़ लिया और बोले- आज मेरी बीवी को तुमने रंग लगाया है, अब तुम्हारी बारी है, अब तुम तैयार हो जाओ साली साहिबा।

    और इतना बोलते हुए जीजा मेरे गालों पर रंग लगाने लगे.

    उस वक्त मैंने दुपट्टा नहीं लिया था और मेरे बड़े बड़े दूध मेरी कुर्ती से बाहर निकलते आ रहे थे।
    गालों पर रंग लगाते हुए वो मेरे गले पर रंग लगाने लगे। मैं चुपचाप कुर्सी पर बैठी उनसे प्रेम से रंग लगवा रही थी।



    इतने में उन्होंने अपनी जेब से और भी सारा रंग निकाला और हाथों में लेकर मलने लगे।
    मैं बोली- जीजा, अब औऱ कितना लगाओगे बस करो।
    तो वो बोले- तू साली है मेरी … मतलब आधी घर वाली है. तुझे तो हर जगह रंग लगाना है।
    मैं हँसती हुई बोली- क्या मतलब?

    मेरा इतना बोलना हुआ कि उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे गले के पास से मेरी कुर्ती के अंदर डाल कर मेरे दोनों दूध को जकड़ लिया।

    मैं मचलती रही मगर वो मेरे दूध में रंग लगाते रहे। मैं उनसे छुटने की कोशिश करती रही मगर वो रंग लगाते रहे।
    रंग के बहाने वो मेरे दूध को जोर जोर से मसल रहे थे।



    पहली बार किसी मर्द ने मेरे दूध को छुआ था। सच में मैं बहुत मचल रही थी।

    किसी तरह से मैं कुर्सी से उठी तो उन्होंने मुझे पीछे से जकड़ लिया। जीजा का मोटा सा लंड मेरी गांड में चिपक गया। मुझे बहुत अजीब सा लगा. उनका लंड एकदम कड़ा था।

    उन्होंने मेरे पूरे दूध पर रंग लगाया और हाथ निकाल कर एक हाथ से मेरे दोनों हाथों को जकड़ लिया।
    उसके बाद जीजा अपना एक हाथ मेरी चड्डी में डाल कर मेरे चूतड़ों पर रंग लगाने लगे।

    मुझे बहुत शर्म आ रही थी मैं छूटने की कोशिश करती रही मगर वो रंग लगाते रहे।
    जीजा ने मेरे चूतड़ पर रंग लगाया फिर गांड की दरार में हाथ डाल दिया और मेरी बुर तक हाथ डाल दिया।

    अब मुझे बहुत ही अजीब सा लगा मैंने पूरी ताकत से उनको धक्का दिया और उनसे अलग हो गई।
    मैंने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किये.
    जीजा बस मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे।
    मैं हँसती हुई वहाँ से भाग गई।



    दीदी जब नहा कर बाहर निकली तो मैंने अपने कपड़े लिये और तुरंत बाथरूम में घुस गई।
    मैंने अपने आपको आईने में देखा।

    मेरी साँसें तेज़ी से चल रही थी जीजा की वो हरकत सोच सोच कर दिल में हलचल मची हुई थी। मैंने अपने सारे कपड़े उतार फेंके. मेरे दूध एकदम से तने हुए थे उन पर रंग लगा हुआ था। मेरे पेट, चूतड़ और थोड़ा रंग बुर में भी लगा हुआ था।

    Jija Sali ki Antarvasna
    Jija Sali ki Antarvasna
    मैंने फव्वारा चालू किया और मुझ पर पानी की बूंदें गिरने लगी।
    पर दोस्तो … जो आग मेरे अंदर लगी हुई थी वो शांत नहीं हो रही थी।

    मैंने अपने पूरे बदन को अच्छे से साफ किया मगर कुछ रंग बच ही गया। नहा कर मैं बाथरूम से बाहर निकली और अपने कमरे में जा कर बैठ गई।



    मैं सोचने लगी कि ये बात किसी को बताऊँ या नहीं? अगर बता देती हूं तो कहीं कोई बवाल न हो जाये!
    यही सब सोचते हुए मैंने किसी को कुछ नहीं बताने का फैसला लिया।

    सारा दिन मैं अपने कमरे में ही रही. शाम को जब मैं अपने काम में व्यस्त थी तो जीजा बार बार मुझे ही देख रहे थे. उन्होंने कई बार मेरे पास आने की कोशिश भी की मगर मैं उनसे दूर हो जाती।

    रात को खाना खाने के लिए सब साथ में बैठे हुए थे, उस वक्त भी जीजा की नज़र मुझ पर ही थी। वो बार बार कुछ न कुछ बात करने की कोशिश करते मगर मैं उनको अनसुना कर रही थी।

    फिर रात में सब सो रहे थे, मेरे रूम में दीदी और मैं थी और जीजा सामने वाले रूम में सो रहे थे।
    रात में 11 बजे दीदी तो गहरी नींद में सो चुकी थी मगर मेरी आंखों में वही बात घूम रही थी मुझे एक भी नींद नहीं आ रही थी।



    बहुत कोशिश के बाद भी जब नींद नहीं आई तो मैं उठकर ऊपर छत पर टहलने चली गई।
    उस वक्त रात के 12:30 हो रहे थे।
    ऊपर काफी अंधेरा था और हल्की हल्की ठंड पड़ रही थी।
    मैं छत पर टहल ही रही थी कि अचानक से जीजा भी वहाँ आ गए।
    शायद उन्होंने मुझे ऊपर आते देख लिया था।

    मैं उनको देख नीचे की तरफ जाने लगी मगर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया।
    मैं हाथ छुड़ाने की कोशिश करती रही मगर सफल नहीं हो पाई।
    मैं उस वक्त आवाज भी नहीं कर सकती थी क्योंकि ऐसे में सब लोग हमको गलत ही समझते।

    जीजा ने मुझे पास खींचा और बोले- डरो मत, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, फिर तुम चली जाना।
    मैं भी धीरे से बोली- बोलिए जल्दी?
    पर वो मुझे दीवार के पास ले गए और बोले- देखो आरोही, सुबह जो कुछ हुआ वो बस एक मस्ती थी उसके बारे में किसी को कुछ मत बोलना. नहीं तो सब गलत समझेंगे।



    “मैं किसी को कुछ नहीं बोलूंगी. आप चिंता मत करिए. बस मुझे अभी जाने दीजिए, किसी ने देख लिया तो अच्छा नहीं होगा।”
    “मतलब तुम नाराज नहीं हो न मुझसे?”
    “नहीं! मगर आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।”
    “क्यों?”
    “आप मेरी दीदी के पति हैं. आपको ये नहीं करना चाहिए।”
    “अरे तुम मेरी साली हो और जीजा साली में इतना मजाक चलता है।”

    मेरी बात से शायद उनको तसल्ली हो गई थी कि मैं ये बात किसी को नहीं बताऊँगी इसलिए उनकी हिम्मत अब औऱ बढ़ गई।
    उन्होंने मुझे अपने से लिपटा लिया और बोले- तुम चीज ही ऐसी हो कि किसी का भी मन डोल जाए।

    मैं फिर से उनसे छूटने की कोशिश करने लगी मगर वो मुझे कसकर जकड़े हुए थे।
    तो मैं बोली- प्लीज जीजा, मुझे जाने दीजिए. कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी।

    मगर उन्होंने एक शर्त रख दी- अगर तुम चाहती हो कि तुमको जाने दूँ तो मुझे एक पप्पी दो और चली जाओ।
    मैं सोच में पड़ गई क्या करूँ क्या नहीं।

    मैंने अपनी आँख बंद की और अपना गाल उनकी ओर करते हुए बोली- लो जल्दी करो।
    “नहीं गाल पर नहीं … होंठ पर!”
    “नहीं नहीं … वहाँ नहीं, गाल पर ही करो।”



    मेरी इतनी छूट का फायदा उठाकर उन्होंने मेरा चेहरा सामने किया, एक पल में ही अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और एक हाथ से मेरी कमर और दूसरे हाथ से मेरे सर को कस लिए।

    वो मेरी जिंदगी का पहला चुम्बन था दोस्तो।

    जीजा अपनी जीभ चला चला कर मेरे होंठो को चूमते चूसते रहे।
    मैं भी कुछ विरोध के बाद न जाने क्यों अपने आप को उनको सौम्प चुकी थी।

    मेरी चड्डी अपने आप गीली होने लगी। मेरे हाथ उनके बालों को सहलाने लगे। मुझे पता नहीं क्या हो रहा था उस वक्त!



    जब मैंने कोई विरोध नहीं किया तो जीजा ने मेरे सर से हाथ हटा लिया और सीधा मेरे दूध पकड़ लिए उनके ऐसा करने से मेरे अंदर एक बिजली सी दौड़ गई।
    मैंने भी उनको जकड़ लिया।

    जीजा मेरे दूध को कुर्ती के ऊपर से ही मसलने लगे। मैंने महसूस किया कि मेरी जांघों पर कुछ गड़ सा रहा था।
    ये जीजा का लंड था जो कि पूरा खड़ा होकर मेरी जांघ पर टकरा रहा था।

    इस बीच उन्होंने मेरी कुर्ती कब मेरे सीने तक उठा दी मुझे महसूस नहीं हुआ। उन्होंने मेरा एक उरोज ब्रा से बाहर निकाल लिया और मेरे होंठ को छोड़ दूध की तरफ़ झुक गए।
    जैसे ही उन्होंने मेरे निप्पल को मुँह में लगाया मेरे मुँह से निकला- सीसी सीसीससी सीसी आआहहह।
    मुझे असीम सुख मिला उस वक्त।



    जीजा बहुत प्यार से मेरे चूचुक को चूस रहे थे।
    मेरे दोनों निप्पल खड़े हो गए थे।

    मैं यहाँ दूध चुसवाते हुए मजा ले रही थी, वहां जीजा का एक हाथ मेरी लैगी के अंदर घुस चुका था।
    अब वो मेरी गीली बुर को उँगलियों से सहला रहे थे।
    “बसस्स सस्सस जीजा जी बसस्स करो … कोई आ जायेगा. छोड़ दो न अब!”

    सच में पहली बार कोई मर्द मेरे जिस्म के साथ इस तरह खेल रहा था। मुझे बेइंतहा मजा आ रहा था।

    कुछ ही देर बाद मेरी बुर ये सब सह नहीं सकी और मैं झड़ गई। मेरी बुर से गर्म गर्म पानी मेरी जांघों की तरफ जाने लगा।



    उसके बाद मुझे कुछ होश आया और मैं तुरंत जीजा से अलग हो गई- बस जीजा जी इतना काफी है. अब बस करो।
    वो मुझे फिर से खीचे और बोले- मुझे तुझको चोदना है।
    “छी ईईईई!”
    “क्यों क्या हुआ?”
    “नहीं वो नहीं।”
    “क्यों?”

    मैं शर्माती हुई बोली- बाद में कभी।
    “पक्का न?”
    “हाँ पक्का! पर किसी को बताना नहीं आप!”
    “अरे हम दोनों किसी को नहीं बतायेंगे. बस तू तैयार रहना।”

    मैं उनसे अलग हुई और अपने कपड़े ठीक करके बोली- अच्छा. अब मैं कमरे में जा रही हूँ।
    और भाग कर कमरे में आ गई।

    पूरी रात मैं बस उस पल को याद करती रही. कब सुबह हो गई पता भी नहीं चला।

    उसके बाद अगले दिन दीदी और जीजा दोनों चले गए।



    पर बीच बीच में जीजा से फ़ोन पर बात होती रहती थी। फ़ोन पर भी जीजा सेक्स की बात करते थे।
    वो कई बार बोले- किसी होटल में चलते हैं, वहाँ मजा करेंगे.
    मगर मैं हमेशा मना कर देती थी।

    पर दोस्तो, जीजा की किस्मत में ही मेरी पहली चुदाई का सुख लिखा था।
    ये सब कैसे हुआ ये कहानी के अगले भाग में पढ़िए।

    किस तरह मेरी कुंवारी बुर की सील टूटी और जीजा ने मेरी जवानी कैसे लूटी।
    मिलते हैं मेरी अन्तर्वासना की कहानी के अगले भाग में।
    [email protected]

    जीजा साली सेक्स स्टोरी का अगला भाग: जीजा की नजर साली की कुंवारी बुर पर-2

  • मेरी बहन पड़ोसी लड़के और उसके दोस्त से चुदी

    मेरी बहन की वासना ने उसे चालू रंडी बना दिया था. वो हर वक्त हर किसी का लंड लेने को तैयार रहती थी. इस सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि वो पडोसी लड़के और उसके दोस्त से कैसे चुदी.



    अपनी चुदक्कड़ बहन की चुदाई की पिछली कहानी
    मेरी लंडखोर रंडी बहन की गैंग बैंग चुदाई-2https://www.freesexkahani.com/group-sex-stories/randi-bahan-chudai-2/
    में मैंने आप लोगों को बताया था कि मेरी बहन अंजलि कैसे रंडी बन चुकी है. ये भाग और मजेदार है. माफ करियेगा पाठको, मैं थोड़ा लेट हो गया आप लोगों के लिए कहानी का आगे का भाग लाने में।

    मैं अपनी बहन अंजलि पर नजर रखने लगा. अब तो मैं जान चुका था सब कुछ।

    सुबह मैं उठा, फ्रेश हुआ, नाश्ता किया और उसको बोला- मैं कॉलेज जा रहा हूँ. टू दरवाजा बंद कर ले!
    इतना बोल कर छत पर जाकर छुप गया. अंजलि थोड़ी देर बाद आई और मेन गेट लॉक करके अंदर चली गयी.

    मैंने अपने फोन की रिंगटोन बंद की और अपनी बहन को 5 मिनट बाद कॉल किया और पूछा- गैस है क्या सिलिंडर में? हिला कर देखना वरना मंगवाना होगा।
    तो वो किचन में गयी और सिलिंडर हिला कर चेक करने लगी.



    इतने में मैं छत से नीचे आकर घर में अंदर छुप गया। घर में करीब करीब सभी लाइट बंद थी, थोड़ी रोशनी थी.

    दो मिनट बाद ही मेरी बहन का फोन आया, उसने बताया कि गैस मंगवाने की जरूरत नहीं है.
    मैंने धीरे से ओके बोल कर फोन बंद कर दिया.

    फिर मैं चुपके से रसोई की तरफ गया तो मुझे पीछे से अपनी बहन दिखी. वो तो बस एक झीना बेबीडॉल नाईटी पहने हुए थी जो उसकी चूत को भी मुश्किल से ढक पा रही थी. इसके अलावा उसने कुछ नहीं पहना था … कुछ भी नहीं … न ब्रा न पैंटी! मेरी बहन की पूरी गोरी गांड नंगी दिख रही थी।



    और तभी डोर बेल बजी. दूध वाले के आने का टाइम था ये!
    मैं सोच रहा था कि मेरी बहन ऐसे ही जाएगी क्या दूध लेने?
    और वो वैसे ही गयी. उसकी चूचियों के निप्पल उसकी नाईटी में से साफ़ दिख रहे थे. साफ पता चल रहा था कि उसने और कुछ भी नहीं पहन रखा है।

    मेरी अधनंगी बहन ने दरवाजा खोला।
    दूध वाले ने बड़ी हैरानी से मेरी बहन को नीचे से ऊपर तक निहारा.
    फिर वो बोला- कोई घर पर नहीं है क्या?
    बहन- क्यों?
    दूध वाला- बस ऐसे ही।
    बहन- नहीं, कोई भी नहीं है।

    दूध वाला- थोड़ा पानी मिल सकता है पीने के लिए?
    बहन- जो पीना है घर के अंदर आकर पी लीजिये।

    बहन पीछे घूमी अंदर जाने के लिए तो दूधवाले को मेरी बहन की पूरी गोरी गांड के दर्शन हो गए।

    दूध वाला- केला खाओगी?
    बहन- हाँ, खाऊँगी।
    अंजलि यह बोलती हुई किचन में चली गयी। उसने दूध गैस पर हल्की आँच पर चढ़ा दिया।

    दूध वाला तो पूरा खुश हो गया था. वो अंदर आया और गेट बंद करके किचन में आ गया.



    उसने मेरी बहन को पीछे से पकड़ के स्लैब पर झुका दिया और नीचे बैठ कर मेरी बहन की गांड को चूमने लगा. उसके बाद उसने मेरी बहन को सीधा घुमा कर बहन की चूत को चूसना शुरू कर दिया.
    मेरी बहन आनन्द से उसके सर को अपने चूत पर दबा रही थी और आहें भर रही थी।

    उसके बाद दूध वाले ने अंजलि की एक टांग उठा कर किचन की स्लैब पर रख दिया और अपना लन्ड निकाल कर उस पर थूक लगा कर मेरी बहन की चूत में घुसा दिया और जोर जोर से चोदने लगा।
    मेरी बहन वासना से पूरी मदहोश हो चुकी थी. फिर दूध वाले ने बहन को अपनी गोद में उठा लिया और चोदने लगा.



    उसके बाद उसने वैसे ही लन्ड बहन की चूत में घुसाए हुए ही बेडरूम में लेजा कर बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया. लेकिन इतने में उसका लंड मेरी बहन की चूत में से निकल गया. उसने अपना लन्ड बहन की चूत के मुंह पर रखकर जोरदार झटका दिया, एक ही झटके में पूरा अंदर चला गया।

    Chalu Bahan Ki Chut Gaand Chudai
    Chalu Bahan Ki Chut Gaand Chudai
    मेरी बहन थोड़ी आवाज़ें निकल रही थी- आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊह उम्म!

    करीब 10 मिनट चोदने के बाद दूध वाले ने अपना वीर्य उसकी चूत के अंदर ही छोड़ दिया और बोला- तुम्हारी चूत कभी चोदने को मिलेगी, मैंने कभी नहीं सोचा था।
    मेरी बहन अंजलि हंसती हुई बोली- और भी मौके मिलते रहेंगे भैया आपको!
    दूध वाला मेरी बहन की चूची को मसलते हुए बोला- अब जाना होगा, और भी जगह दूध बाँटना है।

    उसके बाद दूध वाला चला गया।

    मेरी बहन ने उठकर अपनी चूत को तौलिये से साफ़ किया, फिर उस तौलिये को अपनी नाक के पास लेजाकर सूंघा और फिर दरवाजा बंद किया।

    तभी अंजलि दौड़ कर किचन में जाने लगी, तब मुझे भी याद आया कि दूध चढ़ाया था उसने गैस पर।

    फिर अंजली नहाने गयी और फिर नहा कर बाहर नंगी ही आ गयी. वो अपने बाल संवार रही थी.

    कुछ देर बाद मेरी बहन का फोन बजा. उसने फोन उठा कर स्पीकर ऑन करके रख दिया और जोर से बात करने लगी. मैं भी सुन रहा था कि क्या बात हो रही है।
    फोन बगल वाले घर से अभय का था.

    अभय- फ्री हो क्या?
    बहन- फ्री ही हूँ, घर पर कोई नहीं है।
    अभय- भैया? मम्मी पापा तो बाहर गए हैं।
    अंजलि- कॉलेज।



    अभय- घर आ जाऊँ क्या?
    बहन- आ जाओ। डेरी मिल्क लेते आना।
    अभय- मेरा खा लेना।
    अंजलि- वो भी खाऊँगी।

    अभय- तेरा लेने को बहुत मूड कर रहा है।
    बहन- तुम आओ तो!
    अभय- दोस्त आये हुए हैं घर पर, साथ में ले आऊं? कोई प्रॉब्लम तो नहीं न?
    अंजलि- बिल्कुल नहीं … तुम्हारे उस दोस्त के सामने मुझे कॉल करके ये सवाल पूछने का मतलब है कि तुम अपने दोस्त के साथ ही आओगे।

    अभय- समझदार तो हो ही, आजकल रंडी होते जा रही हो।
    अंजलि- रंडी नहीं हूँ.. अगर चोदने न दूँ तो कहां जाओगे?
    अभय- सॉरी, सॉरी! मेरी सेक्सी बेबी डॉल।

    अंजलि- तुम अगर रंडी समझते हो मुझे तो जाओ कहीं और जाओ, मुझे क्यों कॉल किया?
    अभय- अरे हवस चढ़ा है, उतार दे ना!
    अंजलि- आ गया न मेरे झांट के नीचे … गांड चाटेगा तो ही चोदने दूंगी।
    अभय- इतनी गंदी कबसे हो गयी तू?
    अंजलि- कुछ नहीं जानते तुम मेरे बारे में, और रंडी बोलते हो?
    अभय- आता हूँ।



    मुझे तब पता चला कि बहन कितनी गंदी हो चुकी है।

    अब मेरी बहन तैयार होने लगी. उसने मस्त काली ब्रा पैंटी का सेट पहना और स्कर्ट और टॉप।
    अभय घर के बगल में रहता है. मेरी बहन का हमउम्र है तो मेरी बहन उससे थोड़ा फ्रेंडली है घर वालों के नज़र में!
    बाकी आप और मैं तो जानते हैं कि कितना फ्रेंडली है दोनों।

    अभय हमारे घर आया अपने 1 दोस्त के साथ।
    अंजलि- वेलकम!
    अभय- ये सौरभ है मेरा दोस्त!
    सौरभ- हाय!
    वो मेरी सेक्सी बहन को देख कर मचल उथा.

    मेरी बहन बोली- आओ मेरे पीछे मेरे रूम में चलो.

    तभी सौरभ ने पीछे से मेरी बहन की गांड पर धीरे से एक हाथ मार दिया. अंजलि उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा दी।
    अभय- ये लो डेरी मिल्क!
    अंजलि- थैंक्स! पर क्या बोल रहा था तू मुझे रंडी?

    अभय अंजलि को लिप किस करके बोलला- सॉरी बाबू!
    सौरभ- साइज क्या है तुम्हारा?
    अंजलि- लोग नाम, नंबर, उम्र पूछते हैं, तुम तो सीधा साइज पूछ रहे हो?
    सौरभ- तुम्हारा साइज़ परफेक्ट लग रहा है।

    अंजलि- वैसे तुम्हारा क्या साइज है? बाहर से तो अच्छा बड़ा लग रहा है।
    अंजलि उसका और अभय का लन्ड जीन्स के ऊपर से ही सहला रही थी।

    इतना सुनकर सौरभ- लो मेरा लॉलीपॉप!
    बोलते हुए उसने अपना 8 इंच का काला लन्ड मेरी बहन के हाथ में दे दिया।
    अंजलि- क्या तगड़ा लन्ड है; बिल्कुल मेरे लिए ही बना है।



    अभय- ले मेरा भी ले!
    अभय का भी 7 इंच का रहा होगा।

    सौरभ से छोटा था अभय का… इसीलिए बहन सौरभ को ज्यादा अटेंशन दे रही थी।
    मेरी कामुक बहन दोनों का लन्ड बारी बारी से चूस रही थी और साथ साथ सहला रही थी।

    उसके बाद अभय ने अंजलि को उठा कर बेड पर पटक दिया और मेरी बहन की टांगें फैला कर उसकी पैंटी और स्कर्ट उतार दी और फिर मेरी चालू बहन की चूत पर अपना मुंह लगा दिया।
    अंजलि- उम्म आआह … आराम से … आआह … हम्म आह आआह उउम्म!
    सौरभ- मुझे भी चाटने दे।

    फिर सौरभ मेरी बहन की गीली चूत चाटने लगा और अभय आगे जाकर बहन के मुंह में लंड देकर चोदने लगा और कुछ ही देर में उसके मुख में ही अपना रस गिरा दिया। मेरी बहन सारा माल पी गयी।



    सौरभ ने अंजलि की टॉप को खोल दिया, फिर ब्रा! और उसके बाद वो मेरी बहन के बड़े बड़े चूचों को जोरों से चूसने लगा. मेरी बहन की सिसकारियों की आवाज पूरे रूम में गूंज रही थी.

    उसके बाद सौरभ ने मेरी गर्म बहन की चूत पर अपना लन्ड लगा कर धक्का दिया. और उसका लन्ड बिना कोई दिक्कत के मेरी बहन की चिकनी चूत में घुस गया.
    मेरी चुदक्कड़ बहन उसका चेहरा देख कर मुस्कुरा रही थी और सौरभ लगातार झटके मार रहा था.

    सौरभ- इतने आराम से कैसे?
    बहन- तुम लोग के आने से पहले कोई और भी मेहनत कर के हल चला गया है इस खेत में!
    अभय- तो मैंने गलत क्या बोला था कॉल पर तुम्हें? रंडी।

    उसके बाद अंजलि ने सौरभ को कहा- रुको, अभय को नीचे आने दो!
    अभय नीचे लेट गया और अंजलि उसका लन्ड गांड में लेने का कोशिश करने लगी. पर लन्ड अंदर नहीं गया तो अभय मेरी बहन को झुका कर उसकी गांड चाटने लगा.

    उसके बाद अभय ने मेरी बहन की गांड में लंड डाला तो वो आसानी से घुस गया.

    और फिर अंजलि ने सौरभ को लन्ड चूत में घुसाने को कहा. सौरभ का लंड मेरी बहन की प्यासी चूत में एकदम चला गया. मेरी बहन अब अपने दोनों यारों का साथ दे रही थी!

    अंजलि- आह आआह … अभय तुझे आज अभी मैंने चूत दी भी नहीं और गांड चटवा ली न!

    उसके बाद मेरी बहन अपनी मनपसंद पोज़ सैंडविच में आई और अपनी चूत और गांड चुदवाने लगी। वो पूरी खिलाड़िन लग रही थी इस चुदाई के खेल की!
    मेरी बहन कभी खुद घूम जाती तो कभी उनको ऊपर नीचे करवाती।

    इसी तरह लगभग आधे घंटे तक चुदाई चलती रही। पूरे कमरे में मेरी बहन की वासना भारी आहें और फच फच की आवाज गूंज रही थी.

    हर पोजीशन में चुदाई हुई अंजलि की! और तीनों एक बार झड़ चुके थे. अभय तो 2 बार!

    फिर कुछ देर बाद दोबारा चुदाई का दौर शुरू हुआ. मेरी बहन की चुदाई पूरे चरम पर थी.
    मेरी बहन ने कहा- अब तुम दोनों एक साथ मेरी चूत में घुसाओ और अंदर गिराओ।
    दोनों ने वैसा ही किया।

    फिर सभी निढाल होकर नंगे ही एक दूसरे से लिपटे हुए बेड पर पड़े हुए थे।

    मेरी बहन की चिकनी चूत से मर्दाना रस बह रहा था. क्या मस्त लग रही थी मेरी बहन की चुदी हुई चूत! उसकी गांड का छेद भी बड़ा हो गया था, ये साफ पता चल रहा था.

    कोई एक बार मेरी बहन की चूत और गांड के छेद देख ले तो चोदे बिना रह ही नहीं सकता।

    तभी मेरी बहन अपनी चूत में उंगली करते हुए बोली- न जाने कितने और लन्ड खायेगी ये मेरी चूत। मजा आ रहा है इस जवानी का।



    अभय- तूने गैंगबैंग ट्राय किया है?
    अंजलि- ट्राय नहीं, गैंगबैंग करवा चुकी हूं 6 लोगों से।
    सौरभ और अभय एक साथ बोले- दर्द नहीं हुआ?
    अंजलि- दर्द सहने के बाद मज़े की बात ही कुछ और है। मुझे बड़े लन्ड से डर नहीं लगता, उनसे चुदने मे मज़ा आता है।

    सौरभ- नंबर दे दे अपना तू मुझे, दीवाना बना दिया तेरी फिगर ने मुझे!
    अंजलि- अब पूछा न सही चीज़ तुमने। वैसे मेरा साइज पता चला तुमको?
    सौरभ- 36-24-36
    बहन- नजर अच्छी है तुम्हारी, और हथियार भी।

    फिर दोनों दोस्तों ने मेरी बहन अंजलि को किस किया, उसकी चूचियों को दबाया. उसके बाद दोनों हमारे घर से चले गए.

    अंजलि भी दुबारा नहाने चली गयी. मैं भी चुके से घर से निकल गया और आधे घंटे बाद घर आया.

    अंजलि बहुत खुश दिख रही थी.

    मैं भी खुश था लाइव पोर्न देख कर को भी अपनी बहन का जो कि खुद किसी पोर्नस्टार से कम नही।

    आगे मैं बताऊंगा

    कि कैसे सौरभ मेरी बहन को अपने दोस्तों के साथ चोदने के लिए बुलाता है और मेरी बहन एक परेशानी में फंस जाती है।

    मेरी चालू बहन की चूत और गांड चुदाई की कहानी कैसी लगी?

  • मेरी मां और मौसी की वासना

    मैं अपनी विधवा मां और तलाकशुदा मौसी के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक छोटे गांव में रहता हूं। दोनों का बदन सेक्सी चोदने लायक है भरा हुआ. एक रात मैंने खेत वाले कमरे में देखा कि …



    दोस्तो, यह कहानी मेरे मां, मौसी और गाँव के एक आदमी की है। यह मेरी पहली कहानी है अगर कुछ गलतियां हो तो माफ़ करें।

    मेरा नाम है आयुष, उम्र 21 साल। मैं एक शुद्ध ब्राह्मण परिवार से हूं। मैं अपनी मां और मौसी के साथ एक बहुत ही छोटे गांव में रहता हूं। मेरे पिता का देहांत 12 साल पहले हो गया था।
    हम बहुत ही गरीब हैं लेकिन हमारे पास एक जमीन का टुकड़ा है तो हम अपना गुज़ारा उसी पर खेती करके करते हैं।

    Desi Indian Maa ki Gand
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    मेरी मां नाम संगीता है. उनकी उम्र 40 साल, फूले हुए शरीर की मालकिन, 40″ की दूध से भरी हुई चूची और 44″ की कहर ढा देने वाली बाहर को निकली हुई सुडौल गान्ड … जिसे देख गांव में हर कोई अपना लौड़ा मसलता और मेरी माँ की चुदाई की फिराक में होता था।

    अब बारी मेरी मौसी की … उनका नाम अमिता उम्र 35 साल. मौसी भी अपनी बहन से कुछ कम ना थी. 36″ की टाईट चूची और 38″ की बल खाती मटकती हुई गान्ड।
    अमिता मौसी का तलाक हो गया था. तलाक होने के बाद मौसी हमारे साथ ही रहने लगी क्योंकि यहां माँ भी अकेली ही थी।



    हम तीनों दिन भर खेत में मेहनत करते और शाम को माँ और मौसी घर चली जाती खाना बनाने. और मैं रात तक वहीं कुएं पर नहाकर खेत पर बने छोटे से कमरे में रुकता।

    रात को 8 बजे मौसी आती और वो रात भर वहीं रुकती खेत की रखवाली करने।
    मैं और माँ घर पर सोते थे।

    हमारा खेत गांव से काफी दूर था. यहां आसपास कोई दूसरा खेत भी नहीं था इसी वजह से किसी को वहां रखवाली करने रुकना पड़ता।

    हम अपना खेत से निकला हुआ पूरा अनाज गांव के एक लेनदार, जो पूरा अनाज बाहर दूसरे शहर जाकर बेचता था, उसको बेच देते थे।
    उसका नाम था मुकेश वो एक ट्रक ड्राइवर था और वो ही पूरे गांव का अनाज ले जाता था। उसका एक भाई भी था मनीष जो गाँव के बाहर मांस की दूकान करता था।



    एक बार की बात है ठंडी का समय था. खेत की कुटिया में कोई कम्बल नहीं था तो माँ ने मुझे कम्बल लेकर भेजा कि जा मौसी को दे आ।
    जब मैं खेत के पास पहुंचा तो मुझे अजीब सी आवाजें सुनाई दी।

    तो मैं दबे पांव कुटिया के पास जाकर वहां दरवाजे के छेद से झाँका तो देखा कि मेरी मौसी पूरी नंगी पड़ी थी और मनीष जो करीब 50 साल के थे वो बड़ी बेरहमी से मौसी की चूत को चोद रहे थे।

    मनीष- आह अमिता … साली तुझे रोज चोद कर भी जी नहीं भरता. साली गांव की इतनी औरतें और लड़कियां चोदी मगर तेरे जैसी बात नहीं उनमें।
    अमिता- ऊऊह आह … मनीष जी आपके खातिर ही तो अपने हिजड़े पति से तलाक लेकर यहां आई हूं। मैं एक दिन भी आपसे चूदे बिना नहीं रह सकती हूं.
    मनीष- मेरी रण्डी, तो मैं कहाँ जा रहा हूं. रोज पूरी रात तो तुझे चोदता हूं साली छिनाल!

    अमिता मौसी- उह आह चोदो और तेज़ उम्म्ह… अहह… हय… याह… मालिक ऊह!
    मनीष- आह साली अमिता रण्डी … तुझे रोज चोदता हूं, तब भी रोज मज़ा आता है तुझे चोदने में। तो तेरी बहन को चोदेगा मेरा लौड़ा तो कितना मज़ा आएगा! क्या भरा हुआ एक गदराया माल है संगीता! गांव के सब लौड़े मरते हैं उस पर।

    अमिता- हाँ मनीष जी, साली रण्डी पर पूरा गांव फिदा है. और वो है कि 12 साल से चुदी नहीं है।
    मनीष- क्या सच अमिता? उस साली को चोदने में तो और मजा आएगा. साली की फुद्दी और बड़ी गान्ड में अपना 8 इंच का लौड़ा डालूँगा और रण्डी को रुला रुला कर अपनी रखैल बना लूंगा। अमिता कुछ कर … साली को मेरे लौड़े पर सुला कैसे भी करके! मेरा लौड़ा तड़प रहा है उसकी लेने के लिए।

    अमिता- मनीष जी, मैं कुछ करती हूं। वो कुछ ही दिनों में आपके नीचे होगी। अभी तो अच्छे से मेरी चूत की चुदाई कर दो।
    मनीष- हाँ रण्डी … तू अगर मुझे संगीता दिलाएगी तो तुझे मैं और एक मोटे लौड़े से चुदवाऊँगा रण्डी!



    और मनीष अपने 7 इंच के लौड़े से अमिता मौसी की चूत को बहुत बुरी तरह चोद रहा था. अमिता मौसी भी अपनी मोटी गान्ड उछाल उछाल के उसका लौड़ा ले रही थी।
    यह दख मुझसे रहा नहीं गया और मैंने मुठ मार ली और कम्बल वहीं छोड़ घर को आ गया.

    अगले दिन जब मां दोपहर का खाना बनाने घर गई तो मौसी ने मुझे मुझे पास बुलाया और बोली- आयुष, तू कल रात कम्बल लेकर आया था?
    मैं- हां मौसी, मैं ही आया था.
    मौसी- तो दिया क्यूं नहीं? बाहर छोड़ कर क्यूँ चला गया

    मैं- मौसी वो आप … मौसी वो आप।
    मौसी- बोल ना क्यूँ नहीं दिया?
    मैं- मौसी … वो आप अंदर जो कर रहे थे वो देख कर मैं वापस चला गया.

    मौसी- क्या देखा तूने?
    मैं- मौसी, सब कुछ जो आप मनीष जी के साथ कर री थी!
    मौसी- आयुष बेटा, यह बात तू किसी को मत बताना वरना हमारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी.

    मैं- तो फिर आप ऐसे क्यों करती हो? यह तो गलत है ना!
    मौसी- बेटा, शरीर की भी कुछ जरूरत होती है। तुझे तो पता है मेरे तलाक हुए 4 साल हो गये हैं। शरीर की गर्मी निकलने के लिए यह सब करना पड़ता है. और जब औरत 30+ हो जाती है तो उसके गर्मी और बढ़ जाती है और अगर वो नहीं निकली तो चर्बी चढ़ने लगती है।



    मैं- तो पापा को गए हुए तो 12 साल हो गए हैं. फिर माँ को नहीं है इसकी जरूरत? वो तो नहीं करती ऐसा!
    मौसी- बेटा, उसमें भी बहुत गर्मी है. रोज वो अपनी फुद्दी में खीरा गाजर डाल कर खुद को शांत करती है. मगर उसकी गर्मी शांत नहीं होती। उसे भी ऐसे तगड़े लौड़े की जरूरत है। पर वो ‘समाज क्या कहेगा’ इसकी चिंता में मन मार के रहती है। वो खुद ऐसे मोटे बड़े लौड़े लेना चाहती है.

    मैं- यह तुम अपने मन से बोल रही हो. मेरी माँ ऐसी नहीं है!
    मौसी- तुझे विश्वास नहीं ना … तो आज शाम को जब हम घर जाएंगे. तब थोड़ी देर बाद घर आकर खुद सुन लेना अपनी माँ से!

    मैं शाम होने का इंतज़ार करने लगा।



    जब शाम को माँ और मौसी घर चली गई, तब फिर मैं घर को गया और पीछे के खिड़की से अंदर घुस गया।

    मुझे यह तो पता था कि खेत से घर जाकर माँ और मौसी एक दूसरी की मालिश करती हैं पर देखा नहीं था।

    मेरी मां पूरी नंगी नीचे लेटी थी और मौसी भी पूरी नंगी उस पर तेल लगा रही थी।
    मां को ऐसे पूरी नंगी देख मेरा तो बुरा हाल हो गया था.

    मौसी मां की मोटी 40 इंच की चूची पर तेल लगा कर उन्हें मसल रही थी. और माँ के बड़े बड़े एक इंच के निप्पल को अपनी उंगली से खींच रही थी।
    मां भी बड़ी उत्तेजित होकर उह आह इस्सस आह … ऐसे आवाज निकल रही थी।

    फिर मौसी ने माँ की गान्ड पर ढेर सारा तेल डाला और 44 इंच के मोटे मोटे कूल्हों को मसलने लगी. और मौसी मेरी माँ की गान्ड के छेद पर भी तेल लगा रही थी. वो दो उंगली तेल में भर कर अंदर करती थी।

    मां- साली गान्ड में उंगली करने लगी वापस?
    मौसी- दीदी, तुम्हारी गान्ड का छेद कितना टाइट है.
    मां- हां अमिता, सुबह को साफ़ होने भी दिक्कत होती है। बड़ा दुखता है.



    मौसी- दीदी, मैंने तो कितने बार कहा है कि आपकी गर्मी सिर्फ एक मर्द का लौड़ा ही ठण्डी कर सकता है. और उसी लौड़े से आपकी गान्ड का भी हल निकलेगा. एक बार लौड़ा गान्ड में गया तो फिर आपकी गान्ड पूरी खुल जाएगी।
    मां- अमिता, मन तो बहुत है अपनी फुद्दी में लौड़े लेने का, अपनी गान्ड मरवाने का! पर अगर गांव में किसी को पता चला तो हमारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी.

    मौसी- दीदी, मैं कितनी बार बोल चुकी हूं कि तुम उसकी चिंता मत करो. मनीष है … वो गांव वालों को पता नहीं चलने देंगे और यह बात मनीष जी तक ही रहेगी।

    मां- वो मांस बेचने वाले की लुल्ली लूंगी मैं अपनी शुद्ध फुद्दी में … पागल है तू?
    मौसी- दीदी, लुल्ली नहीं, लौड़ा बोलते हैं उसे! एक बार देखेगी ना तब पता चलेगा। और वैसे भी तेरे इस भरे हुए शरीर को सिर्फ एक बड़ा लौड़ा ही झेल सकता है. किसी ऐसे गैरे लंड में इतना दम कहाँ और इतना बड़ा कहाँ जो तेरी 44 इंच की गान्ड मार सके। मनीष जी के आठ इंच के लौड़े से जब तेरी फुद्दी और गान्ड की चुदाई होगी, जब जाकर मेरी जान तुम्हारी गर्मी शांत होगी.

    मां- क्या? आठ इंच का लौड़ा! तू कैसे ले लेती है रण्डी साली इतना बड़ा लौड़ा।
    मौसी- दीदी, शुरुआत में दर्द होगा पर फिर बाद में मज़े ही मज़े हैं.

    मां- पर तेरे जीजा का तो चार इंच का भी नहीं था. और अब 12 साल हो चुके मेरी फुद्दी की चुदाई हुए! अब तो मेरी फुद्दी पूरी जवान लड़की जैसी हो गई है।
    मौसी- ओह दीदी, फिर मनीष जी के चोदने से पहले तेरी फुद्दी को खोलना होगा. मैं मनीष जी से बात करती हूं. चल अभी तो फिलहाल की गर्मी शांत कर ले।

    और फिर माँ ने तेल मौसी के शरीर पर गिराया और दोनों अपना सुडौल शरीर एक दूसरे पर रगड़ने लगी और 69 अवस्था में आकर एक दूसरी की फुद्दी को शांत करने लगी. फिर एक दूसरी की फुद्दी को फुद्दी से रगड़ रगड़ कर चोदने लगी और चूची मसलने लगी.

    मैं भी अपना लौड़ा निकल कर मुठ मारने लगा. माँ और मौसी के नंगे बदन से मैं सिर्फ 5 फीट की दूरी पर ही था. लेकिन मां मुझे नहीं देख सकती थी पर मौसी मुझे पूरे गौर से देख रही थी और बड़ी गौर से देख रही थी.



    मौसी मेरी मां के होंठ चूसते हुए मन की चूत पर अपनी चूत रगड़ रही थी।

    मुझसे रहा नहीं गया और मेरा पूरा माल मौसी के पैरों पर जा गिरा और वो दोनों भी झड़ के शांत हुई और एक दूसरी से चिपक गई।
    आगे जब कुछ और घटित होगा तो वो भी आपके सामने लेकर आऊंगा.

    दोस्तो यह सेक्सी कहानी कैसी लगी आपको? मुझे ज़रूर बताएं और अपनी कीमती राय दें।

  • ट्रेन में मिली अनजान भाभी की चुत चुदाई

    मैं ट्रेन के स्लीपर कोच में था पर बहुत सारे बिना रिजर्वेशन वाले लोग मेरे डिब्बे में थे. मैंने एक भाभी को अपनी बर्थ पर जगह दी. उसके बाद मैंने भाभी की जवानी का मजा लिया.

    सभी दोस्तो और उनकी सहेलियों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम हैप्पी शर्मा है. मैं बिहार का हूँ मगर फिलहाल हरियाणा के सोनीपत में रहता हूं. मेरी 2 महीने पहले की मार्केटिंग जॉब लगी थी.



    यह बात अभी एक हफ्ते पहले की है, जब मैं दिल्ली से अपने गांव सोनपुर जा रहा था. मैं वैसे तो कुछ नहीं करता, लेकिन नॉलेज सबकी रखता हूं.

    मैं ट्रेन से जाने की तैयारी कर रहा था. आम्रपाली ट्रेन में ऊपर की बर्थ की स्लीपर कोच की मेरी टिकट कंफर्म थी. मैं ठीक टाइम पर स्टेशन पहुंच गया. मेरे पास एक बैग और ओढ़ने बिछाने के लिए चादर थी.

    ट्रेन अपने टाइम से आई और चल दी. दस ही मिनट के अन्दर ट्रेन में इतनी भीड़ हो गयी जैसे और सारी ट्रेनें कैंसल हो गयी हों.

    मेरी रिजर्व बर्थ होने के बावजूद मुझे अपनी बर्थ तक पहुंच पाने का अवसर बड़ी मुश्किल में मिल सका. भीड़ हद से ज्यादा थी इसलिए मुझे नीचे सीट पर बैठने का मौका नहीं मिला. मैं ऊपर की बर्थ पर चला गया.

    ट्रेन दस मिनट देरी से चली. गाज़ियाबाद के करीब ट्रेन पहुंची तो बारिश होना शुरू हो गयी. इससे गाज़ियाबाद से आने वाले लोगों की भीड़ और बढ़ गयी.

    कुछ टाइम बाद जब टीटी आया, तो सबने टिकट चैक कराए. जो बिना रिजर्व टिकट के थे, उनकी टीटी ने जेब काटी.

    जब टीटी था, उसी समय मैं ऊपर की बर्थ से नीचे उतर आया. मुझे सुसु लगी थी. जब मैं बाथरूम से वापस आया, तो मेरी ऊपर वाली सीट पर एक भाभी आकर बैठ गई थीं. भाभी बड़ी मस्त दिख रही थीं. नीचे भीड़ भी ज्यादा थी, तो मैं भी ऊपर अपनी बर्थ पर जाने लगा.

    वो बोलीं- ये आपकी सीट है?
    मैंने हां में उत्तर दिया. इस पर वो बोलीं कि ठीक है, मैं थोड़ी देर में टीटी से अपने लिए सीट पक्की करवा लूंगी, अभी भीड़ ज्यादा है.
    इस पर मैंने कहा- कोई बात नहीं … आप बैठ सकती हो.

    मैं बर्थ पर आ गया और अपने फ़ोन में फेसबुक फ़्रेंड्स के साथ लूडो खेलने लगा. वो बार बार मेरी तरफ देख रही थीं.

    मैंने उनसे खेलने को पूछा, तो वो बोलीं- ओके.

    मैं और भाभी नार्मली लूडो खेलने लगे. कोई 4-5 मैच खेल कर हमने खाना खाने का प्लान किया और टिफिन निकाल कर खाना खाने लगे.

    मैंने उनसे उनका नाम जानना चाहा, तो मालूम हुआ कि भाभी का नाम मनीषा था. जब हम दोनों खेलने के साथ बात कर रहे, तभी उन्होंने अपने बारे में बताया था कि वो दिल्ली पेपर देने आई थीं. उनके पति की कोई हलवाई की शॉप है.



    खाना खाने के बाद हम बातें कर रहे थे. करीब 9 बजे के आस पास मैंने पूछा- टीटी आया नहीं … और भीड़ भी ज्यादा है … आप कैसे करोगी?
    वो कुछ नहीं बोलीं, बस मेरी तरफ असहाय सी देखने लगीं.
    मैंने कहा- ओके आप मेरी सीट पर ही रह जाओ. जब टीटी आएगा तब देख लेंगे.
    तो भाभी ने कहा- ठीक है.

    मुझे बिना चादर के नींद नहीं आती, तो मैंने चादर अपने ऊपर कर ली और आधे पैर सीधे करके बैठ गया. वो भी वैसे ही बैठ गईं.

    जब कम्पार्टमेंट की सारी लाइटें बन्द हो गईं … तो एकदम घुप्प अँधेरा हो गया. उस डिब्बे की नाईट लैम्प खराब थे. कोई भी नाईट लैम्प नहीं जल रहे थे.

    मैंने भाभी से पूछा कि आपको सोना है, तो आप सो सकती हो. उनका पैर मेरी तरफ था और मेरा पैर उसकी तरफ था.

    वो भी लेट गयी और मैं भी लेट गया. रात 11 बजे के करीब थोड़ी थोड़ी ठंड लगने लगी … तो उन्होंने मेरी चादर को अपने ऊपर कर लिया. मुझे ट्रेन में नींद नहीं आ रही थी, मैं उठा हुआ था.

    मैंने नोट किया कि भाभी का जिस्म मेरे बदन से टच हो रहा था. इससे मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था. मैंने भाभी की जांघों के नीचे से टांग बढ़ाते हुए उनकी गांड से नीचे पैर लगाने लगा.

    ट्रेन चलने के कारण और मेरा पैर उनकी गांड को छूने लगा. उन्होंने कुछ नहीं कहा. फिर जब भाभी ने अपने पैर सीधे किए और चादर को अपने ऊपर पूरा ढक लिया, तो मैं डर गया और हल्का सा खुद को सिकोड़ कर पीछे कर लिया.

    फिर भाभी के पैर से मेरा लंड छूने लगा. इस बार मैं उनके पैरों को अपने शरीर की हरकत से सहला रहा था.

    फिर अचानक से भाभी ने करवट बदल ली, अब मेरे पैर उनकी चुचों से लग रहे थे. उधर उनके पैर मेरे लंड को छूते हुए मेरी छाती से लग रहे थे.

    इससे मेरा लंड और भी खड़ा होने लगा था. ट्रेन के हिलने का फायदा लेकर मैंने एक हाथ उनकी गांड पर रख दिया, वो कुछ नहीं बोलीं.

    ट्रेन तेज चलने के कारण मेरा हाथ हिल रहा था और मैं उसी का फायदा लेते हुए उनकी गांड को सहला भी रहा था. कुछ टाइम बाद उनका हाथ मेरे हाथ के ऊपर आ गया, इससे मैं डर गया.



    मैं कुछ पल ऐसे ही पड़ा रहा … लेकिन मेरा लंड ट्रेन की गति के वाइब्रेशन से उनकी दोनों जांघों के बीच मस्ती ले रहा था.

    कुछ टाइम बाद उन्होंने मेरा हाथ दबाया और साथ ही अपने पैरों से मेरे लंड को दबाया. इससे मैं समझ गया कि भाभी गर्म हो गयी हैं.

    मैंने अपने हाथ से धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा. भाभी ने मेरा हाथ छोड़ दिया और मेरे पैर पर हाथ रख दिए.

    मैं इससे उत्साहित हुआ और धीरे से उनके शर्ट के नीचे हाथ करने लगा. भाभी ने भी मेरे पैरों को पकड़ रखा था. मैंने अपना हाथ सूट के ऊपर से ही उनकी चूत पर रखा, तो वो और नीचे हो गईं.

    Train Me Anjan Bhabhi Ki Chut Chudai
    Train Me Anjan Bhabhi Ki Chut Chudai
    अब मैं धीरे धीरे उनके पैरों को किस करने लगा और अपना हाथ ऊपर से ही चूत पर सहलाने लगा.

    इससे वो भी मेरे लंड की ओर हाथ बढ़ाने लगीं … तो मैंने उनके पजामे के अन्दर हाथ डाल दिया. मुझे ऐसा लगा कि मेरा हाथ किसी गर्म जगह पर चला गया. एक पल में ही मैं समझ गया कि मेरा हाथ उनकी चुत के ऊपर आ गया था. मैंने भाभी की चुत को ठीक से टटोला और चूत में उंगली करने लगा. भाभी भी मेरा लंड सहलाने लगीं.

    अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और अपने आपको ठीक करके बैठ गया. पहले मैंने नीचे झांक कर ट्रेन की भीड़ का जायजा लिया. सब लगभग सो रहे थे. मैंने उनको पैरों को हिला कर अपनी तरफ सिर करके लेटने का इशारा किया, वो कुछ पल इधर उधर देख कर मेरी तरफ आ गईं.

    मैंने अपनी चादर को ठीक से ओढ़ लिया और भाभी को भी चादर में ले लिया. हमारे सामने वाली बर्थ पर एक लड़की लेटी हुई थी. वो शायद 19-20 साल की थी. उसका चेहरा चादर के अन्दर था. हम दोनों ने उसे एक बार देखा और चिपक कर लेट गए.

    अब भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा दिया. मैंने एक बार मना किया और उतर कर नीचे चला गया. मैंने टॉयलेट में जाकर अंडरवियर उतार दिया और लोअर में आ गया. मैं फिर से सीट पर आ गया. इसके बाद भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया. मैं भी उनके मम्मों को दबाने लगा और किस करने लगा.

    चलती ट्रेन ने हमारा काम और भी आसान कर दिया था. मैंने उनकी पजामी को नीचे किया और चुत में उंगली डालने लगा. सच में यारों मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ.

    उसके बाद मैं 69 की पोजीशन लेते हुए नीचे की ओर हो गया … इससे मैं चादर के अन्दर ही उनकी चूत को चाटने लगा. वो भी मेरे लंड को मुँह में डाल रही थीं. कुछ टाइम बाद मैं भाभी के ही मुँह में झड़ गया. मेरा कुछ माल उनके मुँह में … और कुछ माल नीचे गिर गया.

    कुछ पल बाद भाभी भी झड़ गईं. लेकिन मैंने उनकी चुत का रस नहीं पिया. बस उंगली घुसा कर मजे लेने लगा.

    कुछ पल यूं ही रहने के बाद भाभी ने इशारा किया, तो मैं सीधा होकर भाभी से चिपक कर लेट गया. अब मैं चुत में उंगली करते करते उन्हें किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं. ट्रेन की कम्पन करती हुई गति हम दोनों को पूरा साथ दे रही थी.

    पांच मिनट बाद मेरा लंड खड़ा हो गया. मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे पैर ने या भाभी ने खुद ही अपनी पजामी पूरी उतार दी थी. ऊपर ब्रा भी खोल दी थी.



    मैंने पोजीशन बनाई और भाभी के ऊपर चढ़ कर अपना लंड भाभी की चूत में पेल दिया. भाभी ने अपनी टांगें फैलाते हुए मेरा लंड जज्ब कर लिया और मादक सिसकारियां लेने लगीं. लेकिन मैंने उनके होंठों को अपने मुँह में दबा रखा था … तो उनकी आवाजें बाहर नहीं निकल पा रही थीं.

    भाभी मेरे नीचे गरमगरम सांसें छोड़ते हुए मस्ती से लेटी हुई चुद रही थीं. मैं सिर्फ लंड घुसाए पड़ा था, बाकी का चुदाई का काम चलती ट्रेन ने किया.

    दस मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ गयी थीं. मैं लगा हुआ था. कुछ देर बाद मेरा लंड छूटने को हुआ.
    मैंने उनसे कान में कहा तो भाभी ने फुसफुसा कर कहा- अन्दर ही आ जाओ.

    मैं भाभी की चुत तेजी से लंड चलाते हुए झड़ गया. मेरे साथ ही भाभी ने भी अपनी गांड उठाते हुए चुत को झाड़ दिया. हम दोनों एक साथ ही झड़ गए थे.

    कुछ पल बाद भाभी ने अपने कपड़े पहने और उतर कर टॉयलेट में चली गईं. मैंने अपना लंड अपने लोअर में समेटा और भाभी का इन्तजार करने लगा.

    भाभी बाथरूम से तैयार हो कर आ गईं. अब रात के 3 बजे थे. तभी ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकी. मैंने देखा और उतर कर चाय ले आया. मैं भी पी और भाभी को भी पिलाई.

    ट्रेन चल दी और हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार थे. लेकिन इस बार मेरे दिमाग में कुछ अलग था.

    मैं अपने साथ हमेशा एक एनर्जी बढ़ाने वाला पाउडर रखता था, जो कि खाने में मीठा होता है. उसे मैंने अपने बैग से निकला. उसे मैंने खाया और कुछ भाभी को भी खिलाया.

    भाभी ने पूछा कि ये क्या है.
    मैंने कहा- स्पेशल पंजीरी है … प्रसाद में मिली थी.

    भाभी ने बड़ी श्रद्धा से पाउडर खा लिया.

    इसको खाने से किस करने में और भी मजा आता है. हम दोनों वापस लेट गए और एक ही चादर में लेटे हुए एक दूसरे को किस कर रहे थे. पाउडर ने काम दिखाना शुरू कर दिया था. मेरा लंड खड़ा हो गया था. भाभी उसे हिला रही थीं.

    अब मैंने उनसे घूमने को कहा, वो पलट कर घूम गईं. मेरे लंड के सामने उनके मोटे मोटे चूतड़ थे.

    मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और भाभी की गांड पर लगा दिया. एक हाथ से मैंने भाभी की एक टांग को उनके सीने की तरफ की और दूसरी अपने टांग के नीचे दबा ली. लंड ने भाभी की गांड के छेद को खोज लिया था.

    तभी ट्रेन ने एक झटका लिया और मैंने मौके का फायदा उठा कर लंड अन्दर पेल दिया. इससे भाभी को बहुत दर्द हुआ. वो उछल कर आगे को हो गईं और बैठ गईं. वो मेरी तरफ गुर्रा कर देखने लगीं, तो मैंने उनकी चुची को पकड़ कर मसल दिया और सोने को कहा.

    वो लेट गईं, लेकिन गांड में लंड नहीं डालने का इशारा करके लेट गईं. मैंने उन्हें प्यार से फिर से गर्म किया. भाभी के मम्मों को दबाकर और चुत में उंगली करके उसे कामुकता के शिखर पर ला दिया. अब मैंने भाभी से गांड मरवाने को कहा, वो गरम हो गई थीं, तो ये कहते हुए लेट गईं कि धीरे करना.



    मैं धीरे धीरे करके अपना लंड भाभी की गांड में डालने लगा और मम्मों दबाने लगा. कुछ पल के दर्द के बाद उन्हें भी मजा आने लगा. हल्का दर्द भी हो रहा था. तब भी हम दोनों धीरे धीरे ऐसे ही गांड चुदाई करते रहे.

    कुछ देर बाद मैंने भाभी की गांड से लंड खींचा और उनको सीधा लिटा कर अपने सामने कर लिया. भाभी ने अपनी एक टांग उठा कर मेरे ऊपर की और मैंने उनकी चूत में लंड पेल दिया. लंड पेल कर मैं भाभी को किस करने लगा. वो भी मजे से आगे पीछे होकर चुत चुदवा रही थी.

    इस तरह से हम दोनों ने 3 बार चुदाई का खेल खेला और सो गए. अगली सुबह उठे तो ट्रेन में भीड़ उतनी ही थी. जब ट्रेन गोरखपुर पहुंची, तो भीड़ कम हुई और हम नीचे सीट पर आ कर बैठ गए.

    मैंने एक हाथ पजामे के ऊपर से उनकी चुत पर रख हुआ था. भाभी की चुत को सहला रहा था, मेरे हाथ के ऊपर उनका बैग था, तो किसी को पता नहीं चल रहा था. फिर मैंने देखा कि ट्रेन छपरा से सोनपुर के 3 घंटे के सफर में 7 ट्रेन थीं तो मैंने भाभी से पूछा कि अगर आप चाहें तो हम इधर उतर कर किसी होटल या रूम में एक घंटे चुदाई का मजे कर सकते हैं.

    भाभी ने कुछ पल सोचा, फिर बोलीं- आपको तो आगे जाना है.

    मैं बोला कि आगे एक स्टेशन जाने की 6-7 ट्रेन हैं … मैं उनमें से किसी भी ट्रेन से चला जाऊंगा.

    वो बोलीं कि मैं अपने पति को क्या बोलूंगी?
    मैंने कहा- बोल देना कि बस या कोई ट्रेन में जगह ही नहीं मिली. भीड़ के कारण आज आना नहीं हो पा रहा है. आज यही रुक जाना सुबह चली जाना.

    इस पर वो मान गईं.

    मैंने ट्रेन से उतर कर बाहर आकर एक होटल में एक रूम ले लिया. हम दोनों होटल के कमरे में घुसते ही किस करने लगे.

    मैंने कहा- भाभी, हम पहले फ्रेश हो जाते हैं फिर मजा लेंगे.

    पहले मैंने भाभी से एक साथ ही नहाने का कहा, मगर वो मना करने लगीं कि बाथरूम छोटा है. एक एक करके आराम से नहा लेना.

    वो वाशरूम चली गईं, तो मैंने वहीं एक दूसरे कमरे में नहाने के लिए मैनेजर से कहा. उसने हां कह दिया. मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं था. जब मैं नहा कर जब रूम में गया, तो भाभी भी नहा कर बाहर आ गई थीं. उन्होंने अब साड़ी पहन ली थी. मैं कैप्री और बनियान में था.

    फिर मैंने अपना मुँह उसकी तरफ कर दिया और भाभी को किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मैंने अपने हाथ से उनका ब्लाउज खोल दिया और मम्मों को दबाने लगा. वो गर्म सिसकारियां लेने लगीं. हम दोनों बेड पर लेट गए. और किस करते करते अपने कपड़े भी उतार दिए.



    वो सिर्फ पैंटी में थीं. काले रंग की पैंटी में भाभी क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं. मैं उन्हें नीचे लेटा कर उनके सारे बदन को पागलों की तरह चूमने लगा और उनकी पेंटी निकाल दी.

    उनकी चुत पर छोटे छोटे से रेशम से बाल थे. ऐसा लग रहा था, जैसे 3-4 दिन पहले ही झांटों को साफ़ किया हो.

    मैंने 69 की पोजिशन ली और उनकी चुत पर जीभ लगा कर चुत चाटने लगा. उन्हें भी चुत चटवाने में मजा आ रहा था. वो पूरी तरह से गर्म हो गयी थीं.

    तभी उनका पूरा शरीर अकड़ गया और वो झड़ गईं.

    फिर हम दोनों सीधे होकर लिप किस करने लगे. उसके बाद भाभी फिर से 69 में हो गईं और वो मेरे लंड को चूसने लगीं.

    कुछ टाइम बाद वो सीधी लेट गईं और लंड पेलने का इशारा करने लगीं. मैंने उनकी टांगें चौड़ी कीं और अपना पूरा लंड चुत में पेल दिया. वो सिसकारियां भर रही थीं और मुझे किस कर रही थीं. दस मिनट की चुदाई के बाद हम झड़ गए और किस करते हुए लेटे रहे.

    दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने उन्हें अब पीछे गांड में लंड लेने को कहा, तो वो मना करने लगीं. मेरे समझाने पर वो मान गईं.

    मैंने थूक लगा कर लंड को उनकी गांड में पेला और गांड मारने लगा. उसे इस बार कम दर्द हो रहा था. मैं एक बार में लंड पेल कर रुक गया.

    कुछ पल बाद वो खुद आगे पीछे होने लगीं. तो मैंने झटके मार मार कर भाभी की गांड चुदाई की.

    अब हम दोनों कपड़े पहन कर जाने के लिए तैयार हो गए.



    भाभी ने जाते जाते मेरा फोन नम्बर ले लिया. भाभी उसी रूम में रुक कर दूसरे दिन अपने गांव जाने वाली थीं.

    दोस्तो, ये मेरी सच्ची और पहली सेक्स कहानी थी. आपको कैसी लगी, जरूर बताएं. धन्यवाद.