हैल्लो दोस्तों, में आपके लिए एक स्टोरी लेकर आया हूँ, यह मेरा सच्चा और हॉट अनुभव था. में आशा करता हूँ कि आप लोगों को मेरी यह स्टोरी भी पसंद आयेगी. अब मेरी कहानी शुरू होती है. मेरा नाम शिफान है, में इतना भी स्मार्ट नहीं हूँ कि लड़की को ऐसे ही पटा लूँ, लेकिन में जिस लड़की से भी फ्लर्ट करता हूँ वो मेरे पीछे पागल हो जाती है, क्योंकि मेरी बातें ही ऐसी है. मेरे लंड का साईज़ 7 इंच है.
मेरे मामा का प्रॉपर्टी बिजनेस है तो उसी सिलसिले में कुछ ज़रूरी काम से मुंबई से राजस्थान जा रहा था. मामा ने मेरी टिकट एक लग्जरी बस में करवा दी थी, क्योंकि में ट्रेन से जाने के मूड में नहीं था. मैंने अंधेरी से दोपहर 2 बजे बस पकड़ी, बस में ज़्यादा लोग नहीं बैठे थे, क्योंकि वो बहुत महँगी बस थी, उसमे आगे कुछ कपल बैठे थे और उनके पेरेंट्स थे और बीच में मैं और आख़री सीट में एक छोटी सी फेमिली थी. फिर रात में सूरत आया तो कुछ लोग चढ़ने लगे और एक कपल जिसमें एक आदमी, उसकी पत्नी और 2 बच्चे थे, एक लड़का जो 4 साल का था और बहुत ही खूबसूरत था और उसकी एक 3 साल की लड़की थी. उन लोगों की सीट मेरे बाज़ू में थी.
फिर बस स्टार्ट हुई और वो औरत झुककर अपने बैग को सीट के नीचे रख रही थी. उसका आदमी आराम से बैठ गया था और उसके दोनों बच्चे पीछे की सीट पर बैठे थे. फिर अचानक से मेरी नज़र उस पर पड़ी, उसका पल्लू नीचे गिरा था और उसके बूब्स मेरी आँखों में समा गये थे. मैंने एक पल के लिए भी उनसे अपनी निगाह नहीं हटाई, उसने मुझे नोटीस किया और एडजस्ट करते ही बैठ गयी.
उसने काले कलर की साड़ी पहनी थी और क़यामत ढा रही थी, उसका फिगर 36-28-36 होगा, स्लिम बॉडी और बहुत गोरी थी और साड़ी भी उसने नाभी के नीचे बांध रखी थी. फिर हम सब बैठे हुए थे और में अपना मोबाईल निकाल कर गाने सुन रहा था. फिर धीरे-धीरे रात होने लगी और फिर रात के 10 बजे बस एक मस्त से ढाबे पर रुकी, में उतरकर वॉशरूम गया और फिर मैंने टाईम पास के लिए कुछ स्नेक्स और कोल्ड ड्रिंक्स ले ली और वो औरत भी अपने बच्चो को लेकर वॉशरूम गयी और उसने कुछ स्नेक्स नहीं लिया, क्योंकि उसका पति बहुत गहरी नींद में सोया हुआ था तो वो ढाबे पर नहीं उतरा था.
फिर बस चलने के लिए तैयार थी और फिर सब आकर बैठ गये, उसका पति ग्लास वाली सीट पर था और वो उसके बाज़ू में और उसके बच्चे पीछे वाली सीट पर थे. फिर अचानक उसकी बच्ची रोने लगी कि उसको विंडो सीट पर बैठना है, लेकिन वो बच्चा नहीं मान रहा था और उसका पति विंडो सीट पर सो गया था, तो मैंने उन्हें कहा कि आप अपनी बच्ची को मेरी विंडो सीट पर बैठा दो, तो उसने पहले मना किया कि आप क्यों हट रहे हो.
फिर मैंने उसे समझाया कि बच्चो का दिल नहीं तोड़ते है और में बाज़ू की सीट पर बैठ गया और उसकी बच्ची को विंडो सीट पर बैठा दिया. फिर मैंने उसकी बच्ची को बहुत खुश किया मेरा मतलब स्नेक्स खिलाया, मोबाईल दिया और मुझसे उसकी माँ भी खुश हो गयी. फिर उसने मुझसे पूछा कि आप कहाँ जा रहे हो, तो मैंने कहा जयपुर तो उसने भी कहा कि वो लोग भी वहीं जा रहे है. फिर मैंने उससे फ्लर्ट करने की सोची और फिर मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने उसका नाम हेमा बताया फिर हमारी बातें शुरू हुई.
हेमा : जयपुर में कहाँ जा रहे हो?
में : मामा के कुछ प्रॉपर्टी का काम रुका हुआ है, उसी सिलसिले में जा रहा हूँ.
हेमा : ओह्ह्ह, तो आप क्या करते हो?
में : (मज़ाक से कहा की) खुश करता हूँ.
हेमा : उसने मुझे देखते हुए कहा कि कैसे खुश करते हो.
में : अरे, वो तो मैंने आपसे ऐसे ही कहा, मेरी शॉप मुंबई में है, में वो चलाता हूँ.
हेमा : अच्छा हुआ कि आपकी कंपनी मिल गयी वरना में तो अकेले बैठे-बैठे बोर हो रही थी, मेरे पति भी सो गये है.
में : हाँ इतना काम, मेहनत जो करते होगे बेचारे.
फिर उसने सेक्सी सी स्माइल दी, शायद वो मेरी बात समझ गयी हो. उतने में उसकी बेटी भी सो गयी थी. फिर मैंने उससे कहा कि आपकी बेटी भी सो चुकी है तो उसने देखा और कहा कि लाओं में उसे पीछे वाली सीट पर सुला देती हूँ. जब में उसे उसकी बेटी दे रहा था, तब मेरा हाथ उसके बूब्स से चिपक गया और मुझे बहुत गर्म-गर्म महसूस हुआ, जैसे वो एकदम गर्म हो चुकी है. फिर उसने भी मेरा हाथ नोटिस किया और बच्ची को लेकर पीछे वाली सीट पर सुला दिया. अब रात बहुत हो चुकी थी और बस की लाईट भी बंद थी और सब सोए हुए थे, तो में अपने मोबाईल में गाने सुनने लगा तो उसने रिक्वेस्ट की कि वो भी गाने सुनना चाहती है, क्योंकि उसे नींद नहीं आ रही थी.
फिर मैंने उसे लेफ्ट साईड का इयरफोन उसको दे दिया, हम लोग थोड़ा दूर-दूर बैठे हुए थे तो इयरफोन बार बार उसके कान से निकल रहा था, तो मैंने उसे अपने बाज़ू वाली सीट पर बैठने को बोला तो उसने हाँ कहा और अपने पति को चेक किया कि वो सो रहा है या नहीं? फिर मेरे बाज़ू में आकर बैठ गयी में बहुत रोमांटिक गाने प्ले कर रहा था, जिससे वो और मस्त हो रही थी.
फिर मैंने आहिस्ते-आहिस्ते हाथ उसके हाथ पर टच किया, उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया, तो मैंने और फ्री होना स्टार्ट किया, मैंने झटके से उसकी जांघ पर हाथ रख दिया, जिससे उसने एतराज़ जताया और एक स्माइल देकर बैठ गयी. फिर थोड़ी देर के बाद वो उठ रही थी तो वैसे ही मैंने उसे पकड़ लिया और प्यार से उसके बूब्स दबाने लगा. उसने मना किया कि प्लीज यहाँ मत करो कोई देख लेगा, प्रोब्लम हो जायेगी. तो मैंने कहा कि यहाँ कोई नहीं देखेगा अंधेरा है और सब सो रहे है तो वो मान गयी.
फिर मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटाया और ब्लाउज के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा, तो वो मौन करने लगी. फिर मैंने उसको लिप किस किया. फिर वो भी मेरा साथ देने लगी. तो उसने कहा कि जो करना है जल्दी-जल्दी करो वरना उसका पति उठ जायेगा. फिर मैंने उसे सीट पर बैठाया और उसकी साड़ी ऊपर की और पेंटी को नीचे किया तो देखा कि उसकी चूत तो बिल्कुल गीली हो चुकी थी और चूत पर थोड़े-थोड़े बाल भी थे, तो मैंने सकिंग करना स्टार्ट किया. तो वो मेरे बाल नोचने लगी और मेरा मुँह दबाने लगी, जैसे वो चाह रही हो कि में उसकी चूत को पूरा खा जाऊं, उसने फिर से पानी छोड़ा और मैंने पूरा चाट लिया.
फिर मैंने उससे लंड चूसने को कहा तो उसने मना कर दिया और कहा कि उसको उल्टी आ जायेगी, इसलिए मैंने उसे ज्यादा फोर्स नहीं किया, क्योंकि फोर्स करने से सेक्स करने का मज़ा नहीं आता और कपल उसे इन्जॉय नहीं कर पाता और सेक्स तो नेचुरल ही इन्जॉय करो और फील करो. फिर मैंने उसे नीचे लेटाया और मेरा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा, जिससे वो पागल सी हो गयी और उसने मुझसे कहा कि प्लीज शिफान अब मत तड़पाओ.
फिर मैंने चूत के दरवाजे पर अपना लंड रखा और एक झटका मारा तो चूत गीली होने की वजह से आधा लंड आसानी से अन्दर चला गया और में धक्के लगाने लगा. उसे बहुत मज़ा आ रहा था और मुझे भी बहुत मजा आ रहा था. फिर बिना रुके 15 मिनट चुदाई करने के बाद मैंने उसकी चूत में ही पानी छोड़ दिया और वो तब तक 2 बार झड़ चुकी थी. फिर उसने मुझे स्मूच किया और अपने कपड़े ठीक करके अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी और फिर हमने अपने मोबाईल नंबर एक्सचेंज किए. वो बहुत खुश हुई, उसने मुझसे वादा किया है कि हम फिर से मिलेंगे, वैसे तो में उससे अब भी फोन सेक्स करता हूँ.
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम प्रतिष्ठा है, वैसे तो में इलाहबाद की रहने वाली हूँ, लेकिन फिलहाल वनस्थली में पढ़ रही हूँ और में दिखने में कुछ ख़ास नहीं हूँ, लेकिन हाँ जिस चीज़ की मर्दो और लड़को को ज़रूरत होती है वो सारी चीज़ें ऊपर वाले ने मुझे भर-भर कर दी है. मेरा फिगर 36-34-38 साईज है. अब में आपको ज्यादा बोर ना करते हुए सीधे स्टोरी पर आती हूँ. ये बात पिछले ही महीने की है. में अपने हॉस्टल से फ्री हुई तो मेरे एग्जाम ख़त्म ही हुए थे और में छुट्टियाँ लेकर हॉस्टल से पैकिंग करके निकलने की तैयारी में थी. अक्सर में 2 या 3 दिन घर लेट ही पहुँचती हूँ इतने दिन में अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही रहती हूँ, तो मेरी पूरी पैकिंग हो गई थी और में अपने हॉस्टल से जयपुर के लिए निकल गई थी. बस ने जयपुर पहुँचने में 2 घंटे लगाये. अब मेरी तो चूत पानी छोड़े जा रही थी कि कब में जयपुर पहुंचू और मेरी चुदाई शुरू हो.
फिर में बस स्टेंड पहुंची और विशाल से मिली तो उसने मुझे हग किया और इतना ज़ोर से हग किया कि मेरे बूब्स उसकी छाती से चिपककर दब गये. मुझे बहुत मज़ा आया और फिर हमने मूवी देखी वहाँ भी उसने मुझे पूरी तरह से जकड़े रखा. वो कभी बूब्स दबाता तो कभी चूसता और कभी काटता उफफफफफफ्फ़ मेरी तो अब हालत खराब होने लगी थी. फिर मैंने उससे कहा कि अब और सहन नहीं हो रहा है. अब हमें अपना प्रोग्राम स्टार्ट कर देना चाहिए तो उसने कहा कि ठीक है. फिर हम मूवी आधी छोड़कर वहाँ से निकल गये और होटल के रूम में घुसते ही वो मुझ पर किसी भूखे जानवर की तरह टूट पड़ा. वो इतना पागल हो गया था कि मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे वो मेरे कपड़े ही फाड़ देगा. मैंने वैसे भी सूट के नीचे ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी.
फिर मैंने उससे कहा कि पहले कुछ ऑर्डर कर लेते है क्या जल्दी है? फिर मैंने अपनी हालत ठीक की और उसने ऑर्डर दे दिया था और वेटर स्नेक्स के साथ बियर और विस्की भी ले आया था. विशाल बहुत ड्रिंक करता है तो उसने पीना स्टार्ट कर दिया और थोड़ी मुझे भी पिला दी. अब मेरा सुरूर बना और उसको भी नशा चढ़ा तो वो मेरे ऊपर टूट पड़ा. फिर मैंने उसे पलट दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गयी और अपना कुर्ता उतार दिया. मेरे निपल ऐसे हो रहे थे जैसे फट ही जायेंगे. फिर मैंने अपने हाथ से उसका सर अपने बूब्स पर रखा और वो उन्हें चूसने लगा. फिर मैंने उसकी शर्ट उतार कर उसकी छाती पर किस किया. फिर मैंने उसकी जीन्स खोली और उसका 6 इंच का लंड बाहर निकाला और मैंने जैसे ही उस पर जीभ लगाई तो विशाल ने अपनी आँखें बंद कर ली और वो मौन करने लगा और कहने लगा, हहहाहा हाहाआआ और मुँह में ले, पूरा मुँह में ले और में भी वैसे ही करने लगी.
फिर उसने मेरा सिर अपने लंड पर दबाया और अब उसका पूरा लंड मेरे मुँह में था. मुझे चूसने में बहुत मज़ा आता है, बिल्कुल रंडी की तरह, अब में लंड चूसे जा रही थी और उसकी हालत खराब हुए जा रही थी. फिर एकदम से वो मेरे मुँह में अपना वीर्य निकालने लगा और में पूरा पी गयी और चाट-चाटकर उसके लंड को साफ कर दिया. अब में उसे खड़ा करने के लिए और चूस रही थी, लेकिन कुछ हो नहीं रहा था. फिर में खड़ी हुई तो मैंने देखा कि विशाल दारू के नशे की वजह से सो चुका है. एक बार तो मेरी आँखो में आंसू ही आ गये, फिर मैंने उसे बहुत जगाया, लेकिन वो पागल उठा ही नहीं. फिर में अपनी सलवार उतार कर चूत में उंगली करने लगी और उस पागल को गाली दे रही थी.
हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम रोशनी है और में हरयाणा की रहने वाली हूँ. दोस्तों में सेक्सी की बहुत भूखी हूँ, लेकिन एक रंडी नहीं और मेरी यह आज की कहानी मेरी पराए मर्द से पहली चुदाई की एक घटना है. दोस्तों में अब 42 साल की हूँ और कमल जीजाजी 58 साल के है और मेरे फिगर का साईज 44-40-48 है. मेरी लम्बाई 5 फीट 7 इंच है और कमल 6 फीट 1 इंच लंबे चौड़ी छाती और थोड़ी मोटे है, लेकिन बहुत अच्छे स्वभाव के है.
दोस्तों अब में आप सभी को मेरा पहला सेक्स अनुभव बताती हूँ. यह मेरा सेक्स कमल से कैसे शुरू हुआ? दोस्तों बात 1996 की है तब में 25 साल की थी. उन दिनों मेरे पति भी आर्मी में थे तभी उनको कुछ बीमारी लग गई और वो बहुत ज्यादा बीमार हो गये और तब ज्यादा मोबाइल नहीं होते थे. तभी मुझे टेलिग्राम से यह मैसेज मिला और में बहुत घबरा गई और मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था. में बस रो रही थी और सोच रही थी कि कैसे अपने पति के पास उनसे मिलने जाऊँ? क्योंकि सफ़र बहुत लंबा था और अंजान था. उसी टाईम मेरे घर पर अपनी पत्नी के साथ कमल मतलब मेरे जीजाजी आ गये मुझसे मिलने ( यानी मेरी मुहं बोली बहन के साथ ) तो मुझे रोते देखकर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या बात है तुम रो क्यों रही हो? तो मैंने उनको सब बता दिया.
उस समय कमल भी आर्मी में थे और वो मुझसे बोले कि इसमें रोने की क्या बात है अगर तुम्हे उससे मिलना है तो चल में तुम्हे वहां पर लेकर चलता हूँ. फिर दीदी ने ही मुझे कुछ सात्वना दी और उन्होंने मेरे घर पर बात करके मेरे भाई को बुला लिया और मेरे भाई ने मेरे साथ जाने के बजाए कमल को मेरे साथ ले जाने के लिए बोला और मेरे दोनों बच्चों को वो अपने साथ गावं ले गया.
फिर उसी रात को कमल मेरे पास रहे और सुबह हम लोग एक प्राइवेट बस से दिल्ली आ गये और फिर वहाँ हमने ट्रेन में फर्स्ट क्लास में सीट बुक करवा ली और रात को दस बजे हमारी ट्रेन चली और टिकिट चेक होने के बाद कमल ने दरवाजा बंद करके मुझे ऊपर सुला दिया और खुद नीचे सो गये और बस यही सफर मेरे लिए पहली पराए मर्द से सेक्स की वजह बन गया. रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी और कमल सो गये थे. शायद वो सोने का नाटक कर रहे थे.
तभी में बाथरूम जाने के लिए नीचे उतरी तो मैंने देख कि कमल का लंड एकदम तना हुआ है और खंबे की तरह खड़ा है. में उनका लंड देखकर एकदम हैरान हो गई और मन ही मन सोचने लगी कि इतना बड़ा लंड आदमी का कैसे हो सकता है? मैंने बहुत बार चाहा लेकिन मेरी नज़र कमल के लंड पर से हट ही नहीं रही थी. उनके लंड को बेड शीट के नीचे से देखकर ही मेरी चूत गीली हो रही थी, लेकिन अब तक में किसी पराए मर्द से चुदी नहीं थी तो इसलिए में आगे नहीं बड़ पा रही थी और फिर जैसे तैसे करके में बाथरूम में चली गई और जब में वहां से वापस आई तो मैंने देखा कि उनका लंड अब भी वैसे ही तना हुआ है और अब में बहुत डरते डरते हुए उनकी सीट पर बैठ गई और बहुत हिम्मत करके उनकी आँखों में आंखे डालकर देखने लगी कि तभी वो मुझसे बोले..
कमल : क्यों रोशनी नींद नहीं आ रही क्या? वो मेरे उनके पास बैठते ही बोले.
में : जी हाँ, मुझे नींद नहीं आ रही, थोड़ा डर लग रहा है, लेकिन दोस्तों पता नहीं उनकी क्या हालत होगी?
फिर कमल मेरा हाथ पकड़ते हुए बोले कि डर लग रहा है तो एक काम करो थोड़ा पानी पी लो, मैंने थोड़ा पानी पिया और उसी बीच मैंने महसूस किया कि वो मुझसे थोड़ा और सटकर बैठ गए और फिर हम कुछ इधर उधर की बातें करने लगे. दोस्तों तब मैंने महसूस किया कि कमल ने अपना लंड मेरी गांड से बिल्कुल सटा रखा था और मुझे अच्छा भी लग रहा था, लेकिन में उनसे कुछ कह नहीं पा रही थी. तभी इतने में एक स्टेशन आ गया. वहाँ पर कमल ने दो कप चाय ली और फिर हमने चाय पी और उस समय रात के करीब दो बज रहे थे. फिर चाय पीने के बाद कमल ने मुझसे कसम देकर पूछा कि रोशनी क्या तू मुझे एक बात सच सच बताएगी?
में : हाँ अगर मुझे पता है तो में आपको जरुर बताउंगी.
कमल : तू अभी कुछ देर पहले क्या देख रही थी? क्यों तुझे अच्छा लगा क्या? सच बोलना प्लीज़ अगर तुझे अच्छा लगा तो में तुझे और भी मज़ा दूँगा और अगर नहीं लगा तो में कुछ नहीं कहूँगा?
दोस्तों यह बात कहकर कमल ने मेरा एक हाथ अपने हाथों में लेकर ज़ोर से दबा दिया और थोड़ा मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखने लगे. फिर जैसे तैसे करके मैंने कहा कि हाँ मुझे अच्छा लगा तो बस फिर क्या था कमल मेरे ऊपर लट्टू हो गये? और अब उन्होंने मुझे अपनी गोदी में कैच कर लिया. फिर में एकदम से उनके ऐसा करने से बहुत आश्चर्यचकित हो गई क्योंकि वो मुझे अपनी छाती पर ज़ोर से दबाने लगे और जिसकी वजह से मेरी छाती उनकी छाती से दब रही थी और मुझमें एक अजीब सा अहसास ला रही थी और मेरे बदन पर उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी और अब कमल मेरे बूब्स को दबाने लगे और मेरी चूत को मसलने लगे और मेरे कपड़े उतारने लगे और फिर वो खुद भी नंगे हो गये और अब उनका लंबा, मोटा, तना हुआ लंड मेरी आँखों के सामने उछल रहा था.
फिर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में लेकर अब सीट पर लेटा दिया और फिर मेरी चूत को चाटने लगे. दोस्तों वैसे तो मेरे पति ने भी मेरी चूत बहुत बार चाटी थी, लेकिन आज मुझे चूत चटवाने का असली मज़ा कमल से आया. मैंने उनके कुछ देर चाटने के बाद पानी छोड़ दिया और तब कमल ने मुझसे अपना लंड चुसवाया और में उनके लंड का टोपा अंदर बाहर करके उनका लंड चूस रही थी. मुझे उनका लंड पूरा मुहं में लेने में दिक्कत हो रही थी क्योंकि उनका लंड बहुत मोटा था. वो बहुत मुश्किल से मेरे मुहं के अंदर जा रहा था, लेकिन उतनी ही आसानी से मेरे हलक में पहुंच रहा था और ज्यादा लंबा होने की वजह से मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और मेरी आँखों से आंसू बाहर आने लगे थे.
फिर करीब कोई दो पांच मिनट लंड को चूसने के बाद कमल ने मुझको खिड़की के सहारे घोड़ी बना दिया और अब एक बार मेरी चूत चाटकर एक ही ज़ोर के धक्के में अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया और अब में दर्द होने की वजह से बहुत ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगी थी और अपनी चूत को आगे की तरफ करके लंड को बाहर निकालने की नाकाम कोशिश करने लगी, लेकिन कमल की मजबूत पकड़ और मेरी चूत में फंसे हुए लंड से में थोड़ा भी आगे नहीं बढ़ सकी और अब वो मोटा और सख्त लंड मेरी चूत में लगातार आगे पीछे होने लगा था, लेकिन अब जल्दी ही मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा और में सिसकियाँ लेने लगी उफफफफ्फ़ अहाह्ह्ह्हह्ह हाँ और ज़ोर से चोदो जीजू उुईईईईईईइ माँ मेरी चूत को और ज़ोर से मारो अहह्ह्हह्ह्ह्ह कमल में गई.
कुछ देर की चुदाई के बाद कमल ने मेरी चूत में अपना वीर्य डाल दिया और फिर वो कुछ देर वैसे ही मेरी चूत में अपना लंड रखकर रुक गया और उसके कुछ देर बाद कमल ने मेरी चूत से अपना लंड बाहर निकाला और मेरी चूत को साफ किया और अपना लंड भी साफ किया. फिर हम दोनों एक ही सीट पर पूरे नंगे बैठकर एक दूसरे की बाहों में आकर प्यार करने लगे और चूमने चाटने लगे. फिर उस पूरी रात को दूसरी सुबह तक हमने करीब तीन बार जमकर सेक्स किया. मुझे उसकी चुदाई में बहुत मज़ा आया और फिर में अपने कपड़े पहनकर बहुत थककर गहरी नींद में सो गई, लेकिन कमल नहीं सोए और दोपहर को जब में नींद से उठी तो मैंने देखा कि ट्रेन एक स्टेशन पर खड़ी हुई थी और कमल ने खाना मँगवाया और ख़ाना खाकर हम दोनों फिर से सो गये.
उस रात को फिर से एक बार मेरी उस ट्रेन में बहुत जमकर चुदाई हुई और इस तरह से में कमल से चुदते हुए अपने पति के पास पहुँच गई और वहां से वापसी में भी हमने दो बार बहुत मस्त चुदाई की और उसके बाद जब तक मेरे पति जॉब पर रहे में कभी उनके साथ नहीं गई, में बस छुट्टियों में ही उनसे चुदवाती और बच्चों की पढ़ाई का बहान करके में उनकी गैरमोजूदगी में कमल से बहुत मस्त चुदवाती रही और बहुत बार कमल ने मुझे अपने फार्म हाउस में भी अपने साथ ले जाकर वहां पर चोदा है और मैंने उसकी चुदाई के बहुत मज़े लिए और हर कभी कोई अच्छा मौका देखकर उससे चुदवाती रही और एक बार बरसात में भीगते हुए भी कमल से मेरी चुदाई हुई. उसने मेरी चूत को अब चोद चोदकर पूरी तरह से भोसड़ा बना दिया. दोस्तों ये थी मेरी चुदाई की सच्ची घटना.
यह ट्रेन सेक्स स्टोरी एक जवान लड़की की है जो मुझे दिल्ली से मुंबई राजधानी ट्रेन में मिली. मेरा मन तो पहले ही उसे देखकर बावला हो गया था और वो भी कुछ कम नहीं निकली!
दोस्तो, अन्तर्वासना स्टोरी साइट अपने सेक्स अनुभव को शेयर करने के लिए बहुत अच्छी जगह है. यहाँ लेखकों की कहानी पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है. मैं भी मेरी एक कहानी यहाँ शेयर करना चाहता हूँ. उम्मीद करता हूँ कि आप सब को मेरी यह कहानी पसंद आयेगी.
मेरा नाम सुमित है. मेरी उम्र 28 साल है, लम्बाई 6 फ़ीट और शरीर की बनावट के हिसाब से मैं थोड़ा मोटा हूँ. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और यहाँ सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हूँ. ये बात करीब 3 साल पुरानी है जब मैं मुंबई एक इंटरव्यू के लिए जा रहा था. शाम को पांच बजे के करीब दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस में मेरा टिकट था.
उस दिन ट्रेन में ज्यादा भीड़ नहीं थी. मेरा रिजर्वेशन वातानुकूलित बोगी की द्वितीय श्रेणी में था. मेरी नीचे की सीट पर एक औरत थी जिसकी उम्र करीब 55 साल की होगी. मेरी सीट उसके ऊपर वाली थी. सामने की दोनों सीट खाली थीं, उन पर कोई नहीं था तो मैं नीचे ही बैठा रहा.
आंटी से थोड़ी बाते होने लगी और शाम करीब 8 बजे उन्होंने खाना खाया और दवाई ले कर सो गयी. करीब 9.15 बजे कोटा स्टेशन से एक लड़की सीट के साथ आकर खड़ी हो गयी. मेरे पास आकर वो बोली कि ये मेरी सीट है. मैंने उसके कहने पर वो नीचे वाली सीट खाली कर दी.
फिर वो लड़की अपना सामान सेट करने लगी. मैं उसके बदन को देख रहा था. मेरी नजर उसके बदन को नाप रही थी लेकिन मैंने उसको इस बात का अहसास नहीं होने दिया कि मैं उसके बदन को निहार रहा हूं. उसके टी-शर्ट के अंदर भरे हुए उसके गोल-गोल चूचे देखने में बड़ा मजा आ रहा था.
उसकी गांड भी बहुत मस्त सी थी. जीन्स में एकदम कमाल लग रही थी वो. मैं उसके पूरे बदन को ताड़ रहा था कि तभी उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने अपने फोन की स्क्रीन में देखना शुरू कर दिया.
उसने कहा- सुनिये.
मैंने जवाब दिया- आपने मुझे पुकारा?
वो बोली- हां, मेरे पास सामान काफी ज्यादा है तो आप प्लीज मेरी थोड़ी मदद कर दीजिये सामान सेट करवाने में.
मैंने कहा- हां क्यों नहीं!
मैं उसका सामान सेट करवाने लगा. जब सारा सामान सेट हो गया तो मैं भी हांफने लगा था. उसने मुझे अपने बैग से पानी की बोतल निकाल कर दी और मुझे पानी पीने के लिए कहा. मैं उसी की सीट पर बैठ कर पानी पीने लगा. वो भी मेरे बगल में ही बैठी हुई थी. मेरे मन में हलचल सी हो रही थी.
दोस्तो, उस लड़की की उम्र करीब 27-28 साल थी. देखने में बेहद ही खूबसूरत थी. मैं उसके पास बैठा हुआ था लेकिन उससे बात करने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी.
फिर पानी पीकर मैंने उसको बोतल वापस कर दी और उसको थैंक्स कहा.
वो बोली- थैंक्स तो मुझे आपको बोलना चाहिये. आपने मेरी मदद जो की.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, इसमें थैंक्स बोलने की क्या बात है. मेरी जगह कोई और होता तो वो भी आपकी मदद कर देता.
फिर वो मेरी बात सुन कर मुस्कराने लगी और अपने बैग से चिप्स का एक पैकेट निकाल कर उसे खोला और चिप्स खाने लगी. उसने मुझे भी चिप्स खाने के लिये कहा तो मैंने भी दो-तीन चिप्स निकाल ली और उसके साथ बैठ कर ही खाने लगा.
उसके बाद हम दोनों में बातें होना शुरू हो गईं. मैंने उसके बारे में पूछा कि कहां से आई है और कहां पर जा रही है. फिर वो मेरे बारे में भी ऐसे ही सवाल करने लगी. दोनों एक दूसरे को सामान्य परिचय देते हुए बातें करते रहे. काफी देर तक हम दोनों के बीच में बातें हुईं और उसके बाद वो भी मेरे साथ काफी कम्फर्टेबल हो गई.
काफी देर तक बातें करने के बाद मैंने टाइम देखा तो रात के 10.30 बज गये थे. मैंने उससे कहा कि आप भी थकी हुई होंगी. थोड़ा आराम कर लीजिये. मैं भी अपनी सीट पर जाकर कमर थोड़ी सीधी कर लेता हूं.
वो बोली- ठीक है.
मैं ऊपर वाली अपनी सीट पर जाकर बैठ गया और पानी पीकर लेट गया. मुझे नींद नहीं आ रही थी मगर मैं चादर ओढ़ कर लेटा गया. मेरे नीचे वाली सीट पर जो आंटी थी वो भी सो चुकी थीं और उनके खर्राटों की आवाज मेरे कानों में आ रही थी तो मैंने हेडफोन लगा लिये और मूवी देखने लगा.
आधे घंटे के बाद मुझे पेशाब लगा तो मैं उठ कर टॉयलेट में चला गया. उसके बाद जब मैं वापस आया तो मैंने देखा कि वो लड़की अपनी सीट पर बैठी हुई थी. वो किसी से फोन पर बात कर रही थी और बात करते हुए ही उसकी आंखों से आंसू भी निकल आये थे.
मैं हैरान था कि अचानक से इसको क्या हो गया. अभी तक तो ये आराम से लेटी हुई थी.
उत्सुकतावश मैं वहीं पर खड़ा हो गया. काफी देर तक वो फोन पर बात करती रही.
जब उसने फोन रखा तो मैंने पूछा- क्या हुआ? सब ठीक है तो आपके घर में?
वो बोली- मेरे घर में तो सब ठीक है.
मैंने पूछा- तो फिर आपकी आंखों में ये आंसू?
वो बोली- मेरी एक दोस्त का फोन आया था. उसकी मां गुजर गई है. वो फोन पर ही रो रही थी इसलिए मेरे भी आंसू निकल आये.
ये बात सुन कर मैं उसके पास ही बैठ गया. उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- ये तो बहुत ही दुखद समाचार है. लेकिन होनी को कौन टाल सकता है … आप दुखी मत होइये.
उसने मेरे कंधे पर सिर रख लिया और मुझसे लिपट कर रोने लगी. मेरा भी गला सा भर आया. वो लड़की बहुत ही प्यारी थी इसलिए उसको रोते हुए देख कर मेरा मन भी दुखी हो गया था. मैं उसके कंधे को सहलाने लगा. उसे सांत्वना देने लगा.
कंधे को सहलाने के बाद मैं उसकी पीठ को सहलाने लगा. उसकी मुलायम पीठ पर सहलाते हुए मेरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी. अब करुणा की जगह आसक्ति ने ले ली थी. मैं जान-बूझकर उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा. मुझे लगा कि शायद आज ट्रेन में सेक्स की मेरी ख्वाहिश पूरी हो जायेगी और मेरी यह ट्रेन सेक्स स्टोरी बन जायेगी.
वो भी चुप हो गई थी और उसने मेरे गले में अपनी बांहें डाल ली थीं. उसके चूचे मुझे मेरे शरीर पर टच होते हुए महसूस हो रहे थे. मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था. अब मेरा हाथ उसकी पीठ को अच्छी तरह सहला रहा था. मैं बीच-बीच में उसके कंधे को भी दबा रहा था.
पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा था लेकिन वो अभी भी मुझसे से ऐसे ही लिपटी हुई थी. फिर उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया. मेरे लंड में तूफान सा उठा और हिम्मत करके मैंने उसका हाथ अपनी जीन्स के अन्दर तने हुए अपने लंड पर सरका दिया. उसने आराम से अपना हाथ रख लिया और मुझसे कस कर लिपट गई.
अब मैं भी उसकी मंशा समझ चुका था, इसलिए अब कोई खतरा नहीं था तो मैंने उसके चूचों पर हाथ रख कर उनको दबाना शुरू कर दिया. अब उसका हाथ मेरे तने हुए लंड को दबाने लगा. दोनों की ही सांसें तेज हो चली थीं. मगर साथ में सो रही आंटी का भी डर था इसलिए उस लड़की ने खुद ही लाइट बंद कर दी.
उसने कम्बल खींच कर हम दोनों के ऊपर डाल लिया और मेरे साथ ही लेट गई. अगले ही पल हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे. मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल दिया और उसके चूचों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा.
वो मेरे लंड को मेरी जीन्स के ऊपर से ही सहलाने लगी. हम दोनों ही एक दूसरे से लिपट रहे थे. इतना मजा आ रहा था कि मेरी तो जैसे किस्मत ही खुल गई थी. मैं जोर से उसके होंठों का रस पी रहा था और साथ में ही उसके कसे हुए जिस्म के मजे भी ले रहा था.
फिर उसने मेरी जीन्स की चेन खोल ली और मेरी जीन्स के अंदर हाथ डाल कर मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को हाथ में भर लिया. मैंने भी उसकी जीन्स के बटन को खोल कर उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया.
उसके बाद उसने अपनी जीन्स खुद ही निकलवा दी और मुझे नीचे होने के लिए इशारा करने लगी. मैं समझ गया कि ये अपनी चूत की तरफ इशारा कर रही है. हम दोनों चुपचाप ये सब कर रहे थे क्योंकि आंटी भी बगल में ही सो रही थी. मैं धीरे से सरक कर उसकी जांघों के बीच में चला गया.
जांघों में फंसी हुई पैंटी को निकाल कर मैंने उसकी चूत पर नाक लगा कर उसकी चूत को सूंघा तो उसकी चूत से मस्त सी खुशबू आ रही थी. उसकी चूत गीली हो रही थी. मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया तो वो मेरे बालों को सहलाने लगी.
अब वो भी पूरी गर्म हो चुकी थी. मैंने उसकी चूत में जीभ डाल कर उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चोदना शुरू कर दिया. उसके बाद मैंने एक हाथ से अपनी पैंट को भी नीचे सरका दिया. अपना अंडरवियर नीचे करके मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.
लंड को बाहर लाने के बाद अब मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था. मैं वापस से उसके ऊपर की तरफ आ गया और उसके होंठों को चूसते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर लगाने लगा. उसकी गांड मेरे लंड की तरफ धक्के देने लगी तो मैं समझ गया कि अब ये भी चुदने के लिए तैयार हो चुकी है.
मैंने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर रखा और एडजस्ट करते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा तो वो चुपके से मेरे कान के पास आकर बोली- यहां सेक्स करना सेफ नहीं है.
मैंने फुसफुसाते हुए कहा- तो फिर कहां सेफ है!
वो बोली- टॉयलेट में चलो.
मैंने कहा- ओके.
फिर हम दोनों धीरे से उठ कर टॉयलेट में चले गये. पहले मैं गया और उसके बाद वो अंदर आ गयी. मैं लंड को बाहर निकाल कर खड़ा हुआ था. वो अंदर आकर मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी.
मैंने उसको नीचे बैठा दिया और अपना लंड चूसने का इशारा किया. वो नीचे बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी. पांच मिनट तक लंड चूसने के बाद मेरे लंड की नसें फटने को हो गईं. मैंने उसको उठा लिया और कस कर उसके जिस्म को भींचने लगा. कभी उसके चूचों को दबा देता तो कभी उसकी गांड को.
वो भी मेरी गर्दन को चूसने और काटने लगी. मैंने उसकी टी-शर्ट को उठा दिया और उसकी ब्रा को पीछे से खोलने लगा. उसने ब्रा खोलने में मेरी मदद की. उसकी ब्रा को निकाल कर मैंने अपनी जेब में ठूंस लिया और फिर उसके टी-शर्ट को ऊपर करके उसके चूचों को पीने लगा.
उसके चूचे बहुत ही कोमल और नर्म थे. मैं उसके निप्पलों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. वो पागल सी होने लगी. उसके हाथ मेरी गांड पर पहुंच गये और वो मेरी गांड को अपनी चूत की तरफ खींचने लगी. वो चुदने के लिए बेताब सी हो चली थी.
मगर मुझे उसके चूचों का रस पीने में बहुत मजा आ रहा था. मैंने उसके चूचों को काट-काट कर लाल कर डाला. उसके निप्पल एकदम से तन कर टाइट होकर बिल्कुल नुकीले हो गये. मैंने अपने मुंह को उसके निप्पलों से हटा कर उसके निप्पलों को चुटकी में लेकर मसल दिया.
उसने मेरे गाल पर अपने दांतों से काट लिया. फिर मैंने उसकी जीन्स में पीछे हाथ डाल कर उसकी गांड को दबाना शुरू कर दिया और दोनों फिर से एक दूसरे होंठों को चूसने लगे. उसकी लार मेरे मुंह में आ रही थी और मेरी लार उसके मुंह में जा रही थी.
काफी देर तक चूमा-चाटी के बाद मैंने उसकी पैंट को निकलवा दिया और उसको एक साइड में खड़ी करके उसकी टांग उठा कर अपना लंड उसकी चूत पर सेट करके उससे चिपक गया. मैं अपनी गांड को धकेलते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा. वो मेरे सीने से लिपटती हुई मेरी पीठ को अपनी बांहों में भरने लगी.
लंड उस जवान सेक्सी चुदक्कड़ की गीली चूत में घुस चुका था. उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मैंने एक हाथ से पीछे सहारा लिया और उसकी चूत में अपनी गांड के सहारे से लंड को धकेलते हुए उसकी चूत की चुदाई करने लगा. चूंकि रात का समय था इसलिए हवस बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी.
एक फायदा ये भी था कि उस वक्त तक बाकी सभी लोग भी सो चुके थे और बोगी में लोग भी कम थे. इसलिए हम दोनों मस्ती में चुदाई का मजा लेने लगे. वो मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी चूत में लंड को लेती रही और मैं उसकी चूत में धक्के लगाता रहा.
करीब 10 मिनट बाद हम दोनों साथ में झड़ गए. उसकी चूत में वीर्य को छोड़ कर जो आन्नद मुझे उस रात मिला वो मैं यहां पर बता नहीं सकता. हम दोनों ही हांफ रहे थे. वो दो मिनट तक मुझसे लिपटी रही. फिर वो मुझसे अलग हो गई.
हमने अपनी-अपनी जीन्स ऊपर की और फिर मैं चुपके से बाहर निकल आया. उसके दो मिनट बाद ही वो भी वापस से बाहर आ गयी. हम दोनों अपनी-अपनी सीट पर आकर बैठ गये. उसने लाइट जला दी और मेरी तरफ देखते हुए मुस्कराने लगी.
मैंने भी उसको एक फ्लाइंग किस दे दी. फिर सुबह उठने के बाद मैंने उसका नम्बर ले लिया और उसने मेरा नम्बर ले लिया. फिर तो अक्सर हमारी बात होने लगी. उस घटना के बाद जब भी उसको मुंबई जाना होता था वो मुझे बता देती थी और मैं उसके साथ में ही चला जाता था.
मुझे चाहे काम होता या न होता लेकिन मैं उसके साथ सफर पर निकल पड़ता था. सफर के दौरान कई बार तो हमको अपनी यह ट्रेन सेक्स स्टोरी आगे बढ़ाने का मौका मिल जाता था लेकिन कई बार नहीं मिल पाता था. अगर ट्रेन में हमें मौका न मिलता तो हम बाहर किसी गेस्ट हाउस में जाकर चुदाई के मजे लेते थे.
कई बार मैंने उसकी चूत को चोदा और उसके मजे लिये. लगभग साल भर के दौरान वो मुझसे चूत चुदवाती रही. फिर अचानक से उसका नम्बर स्विच ऑफ हो गया. मैंने उससे संपर्क करने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर कभी उससे न तो मुलाकात हो पाई और न ही बात हो पाई.
लेकिन जो भी हो उस सेक्सी लड़की ने मुझे पूरे मजे दिये. आज भी मैं उसके बारे में सोचता हूं तो मेरा मुठ मारने को मन कर जाता है. उस घटना के बाद मैं अक्सर इस तरह से ट्रेन के सफर के दौरान यह ट्रेन सेक्स स्टोरी बनाने की कोशिश करता रहता हूं.
अभी तक मुझे कोई और चूत नहीं मिली है. जब भी मिलेगी मैं आप लोगों को नई सेक्स कहानी के माध्यम से जरूर बताऊंगा. अगर आपको मेरी यह स्टोरी पसंद आई हो तो अपनी प्रतिक्रया मेरी इस यह ट्रेन सेक्स स्टोरी पर जरूर दें. आप लोगों को मेरी तरफ से ढेर सारा प्यार. जिन्दगी के मजे लेते रहिये. [email protected]
मैं ट्रेन के स्लीपर कोच में था पर बहुत सारे बिना रिजर्वेशन वाले लोग मेरे डिब्बे में थे. मैंने एक भाभी को अपनी बर्थ पर जगह दी. उसके बाद मैंने भाभी की जवानी का मजा लिया.
सभी दोस्तो और उनकी सहेलियों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम हैप्पी शर्मा है. मैं बिहार का हूँ मगर फिलहाल हरियाणा के सोनीपत में रहता हूं. मेरी 2 महीने पहले की मार्केटिंग जॉब लगी थी.
यह बात अभी एक हफ्ते पहले की है, जब मैं दिल्ली से अपने गांव सोनपुर जा रहा था. मैं वैसे तो कुछ नहीं करता, लेकिन नॉलेज सबकी रखता हूं.
मैं ट्रेन से जाने की तैयारी कर रहा था. आम्रपाली ट्रेन में ऊपर की बर्थ की स्लीपर कोच की मेरी टिकट कंफर्म थी. मैं ठीक टाइम पर स्टेशन पहुंच गया. मेरे पास एक बैग और ओढ़ने बिछाने के लिए चादर थी.
ट्रेन अपने टाइम से आई और चल दी. दस ही मिनट के अन्दर ट्रेन में इतनी भीड़ हो गयी जैसे और सारी ट्रेनें कैंसल हो गयी हों.
मेरी रिजर्व बर्थ होने के बावजूद मुझे अपनी बर्थ तक पहुंच पाने का अवसर बड़ी मुश्किल में मिल सका. भीड़ हद से ज्यादा थी इसलिए मुझे नीचे सीट पर बैठने का मौका नहीं मिला. मैं ऊपर की बर्थ पर चला गया.
ट्रेन दस मिनट देरी से चली. गाज़ियाबाद के करीब ट्रेन पहुंची तो बारिश होना शुरू हो गयी. इससे गाज़ियाबाद से आने वाले लोगों की भीड़ और बढ़ गयी.
कुछ टाइम बाद जब टीटी आया, तो सबने टिकट चैक कराए. जो बिना रिजर्व टिकट के थे, उनकी टीटी ने जेब काटी.
जब टीटी था, उसी समय मैं ऊपर की बर्थ से नीचे उतर आया. मुझे सुसु लगी थी. जब मैं बाथरूम से वापस आया, तो मेरी ऊपर वाली सीट पर एक भाभी आकर बैठ गई थीं. भाभी बड़ी मस्त दिख रही थीं. नीचे भीड़ भी ज्यादा थी, तो मैं भी ऊपर अपनी बर्थ पर जाने लगा.
वो बोलीं- ये आपकी सीट है?
मैंने हां में उत्तर दिया. इस पर वो बोलीं कि ठीक है, मैं थोड़ी देर में टीटी से अपने लिए सीट पक्की करवा लूंगी, अभी भीड़ ज्यादा है.
इस पर मैंने कहा- कोई बात नहीं … आप बैठ सकती हो.
मैं बर्थ पर आ गया और अपने फ़ोन में फेसबुक फ़्रेंड्स के साथ लूडो खेलने लगा. वो बार बार मेरी तरफ देख रही थीं.
मैंने उनसे खेलने को पूछा, तो वो बोलीं- ओके.
मैं और भाभी नार्मली लूडो खेलने लगे. कोई 4-5 मैच खेल कर हमने खाना खाने का प्लान किया और टिफिन निकाल कर खाना खाने लगे.
मैंने उनसे उनका नाम जानना चाहा, तो मालूम हुआ कि भाभी का नाम मनीषा था. जब हम दोनों खेलने के साथ बात कर रहे, तभी उन्होंने अपने बारे में बताया था कि वो दिल्ली पेपर देने आई थीं. उनके पति की कोई हलवाई की शॉप है.
खाना खाने के बाद हम बातें कर रहे थे. करीब 9 बजे के आस पास मैंने पूछा- टीटी आया नहीं … और भीड़ भी ज्यादा है … आप कैसे करोगी?
वो कुछ नहीं बोलीं, बस मेरी तरफ असहाय सी देखने लगीं.
मैंने कहा- ओके आप मेरी सीट पर ही रह जाओ. जब टीटी आएगा तब देख लेंगे.
तो भाभी ने कहा- ठीक है.
मुझे बिना चादर के नींद नहीं आती, तो मैंने चादर अपने ऊपर कर ली और आधे पैर सीधे करके बैठ गया. वो भी वैसे ही बैठ गईं.
जब कम्पार्टमेंट की सारी लाइटें बन्द हो गईं … तो एकदम घुप्प अँधेरा हो गया. उस डिब्बे की नाईट लैम्प खराब थे. कोई भी नाईट लैम्प नहीं जल रहे थे.
मैंने भाभी से पूछा कि आपको सोना है, तो आप सो सकती हो. उनका पैर मेरी तरफ था और मेरा पैर उसकी तरफ था.
वो भी लेट गयी और मैं भी लेट गया. रात 11 बजे के करीब थोड़ी थोड़ी ठंड लगने लगी … तो उन्होंने मेरी चादर को अपने ऊपर कर लिया. मुझे ट्रेन में नींद नहीं आ रही थी, मैं उठा हुआ था.
मैंने नोट किया कि भाभी का जिस्म मेरे बदन से टच हो रहा था. इससे मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था. मैंने भाभी की जांघों के नीचे से टांग बढ़ाते हुए उनकी गांड से नीचे पैर लगाने लगा.
ट्रेन चलने के कारण और मेरा पैर उनकी गांड को छूने लगा. उन्होंने कुछ नहीं कहा. फिर जब भाभी ने अपने पैर सीधे किए और चादर को अपने ऊपर पूरा ढक लिया, तो मैं डर गया और हल्का सा खुद को सिकोड़ कर पीछे कर लिया.
फिर भाभी के पैर से मेरा लंड छूने लगा. इस बार मैं उनके पैरों को अपने शरीर की हरकत से सहला रहा था.
फिर अचानक से भाभी ने करवट बदल ली, अब मेरे पैर उनकी चुचों से लग रहे थे. उधर उनके पैर मेरे लंड को छूते हुए मेरी छाती से लग रहे थे.
इससे मेरा लंड और भी खड़ा होने लगा था. ट्रेन के हिलने का फायदा लेकर मैंने एक हाथ उनकी गांड पर रख दिया, वो कुछ नहीं बोलीं.
ट्रेन तेज चलने के कारण मेरा हाथ हिल रहा था और मैं उसी का फायदा लेते हुए उनकी गांड को सहला भी रहा था. कुछ टाइम बाद उनका हाथ मेरे हाथ के ऊपर आ गया, इससे मैं डर गया.
मैं कुछ पल ऐसे ही पड़ा रहा … लेकिन मेरा लंड ट्रेन की गति के वाइब्रेशन से उनकी दोनों जांघों के बीच मस्ती ले रहा था.
कुछ टाइम बाद उन्होंने मेरा हाथ दबाया और साथ ही अपने पैरों से मेरे लंड को दबाया. इससे मैं समझ गया कि भाभी गर्म हो गयी हैं.
मैंने अपने हाथ से धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा. भाभी ने मेरा हाथ छोड़ दिया और मेरे पैर पर हाथ रख दिए.
मैं इससे उत्साहित हुआ और धीरे से उनके शर्ट के नीचे हाथ करने लगा. भाभी ने भी मेरे पैरों को पकड़ रखा था. मैंने अपना हाथ सूट के ऊपर से ही उनकी चूत पर रखा, तो वो और नीचे हो गईं.
Train Me Anjan Bhabhi Ki Chut Chudai
Train Me Anjan Bhabhi Ki Chut Chudai
अब मैं धीरे धीरे उनके पैरों को किस करने लगा और अपना हाथ ऊपर से ही चूत पर सहलाने लगा.
इससे वो भी मेरे लंड की ओर हाथ बढ़ाने लगीं … तो मैंने उनके पजामे के अन्दर हाथ डाल दिया. मुझे ऐसा लगा कि मेरा हाथ किसी गर्म जगह पर चला गया. एक पल में ही मैं समझ गया कि मेरा हाथ उनकी चुत के ऊपर आ गया था. मैंने भाभी की चुत को ठीक से टटोला और चूत में उंगली करने लगा. भाभी भी मेरा लंड सहलाने लगीं.
अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और अपने आपको ठीक करके बैठ गया. पहले मैंने नीचे झांक कर ट्रेन की भीड़ का जायजा लिया. सब लगभग सो रहे थे. मैंने उनको पैरों को हिला कर अपनी तरफ सिर करके लेटने का इशारा किया, वो कुछ पल इधर उधर देख कर मेरी तरफ आ गईं.
मैंने अपनी चादर को ठीक से ओढ़ लिया और भाभी को भी चादर में ले लिया. हमारे सामने वाली बर्थ पर एक लड़की लेटी हुई थी. वो शायद 19-20 साल की थी. उसका चेहरा चादर के अन्दर था. हम दोनों ने उसे एक बार देखा और चिपक कर लेट गए.
अब भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा दिया. मैंने एक बार मना किया और उतर कर नीचे चला गया. मैंने टॉयलेट में जाकर अंडरवियर उतार दिया और लोअर में आ गया. मैं फिर से सीट पर आ गया. इसके बाद भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया. मैं भी उनके मम्मों को दबाने लगा और किस करने लगा.
चलती ट्रेन ने हमारा काम और भी आसान कर दिया था. मैंने उनकी पजामी को नीचे किया और चुत में उंगली डालने लगा. सच में यारों मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ.
उसके बाद मैं 69 की पोजीशन लेते हुए नीचे की ओर हो गया … इससे मैं चादर के अन्दर ही उनकी चूत को चाटने लगा. वो भी मेरे लंड को मुँह में डाल रही थीं. कुछ टाइम बाद मैं भाभी के ही मुँह में झड़ गया. मेरा कुछ माल उनके मुँह में … और कुछ माल नीचे गिर गया.
कुछ पल बाद भाभी भी झड़ गईं. लेकिन मैंने उनकी चुत का रस नहीं पिया. बस उंगली घुसा कर मजे लेने लगा.
कुछ पल यूं ही रहने के बाद भाभी ने इशारा किया, तो मैं सीधा होकर भाभी से चिपक कर लेट गया. अब मैं चुत में उंगली करते करते उन्हें किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं. ट्रेन की कम्पन करती हुई गति हम दोनों को पूरा साथ दे रही थी.
पांच मिनट बाद मेरा लंड खड़ा हो गया. मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे पैर ने या भाभी ने खुद ही अपनी पजामी पूरी उतार दी थी. ऊपर ब्रा भी खोल दी थी.
मैंने पोजीशन बनाई और भाभी के ऊपर चढ़ कर अपना लंड भाभी की चूत में पेल दिया. भाभी ने अपनी टांगें फैलाते हुए मेरा लंड जज्ब कर लिया और मादक सिसकारियां लेने लगीं. लेकिन मैंने उनके होंठों को अपने मुँह में दबा रखा था … तो उनकी आवाजें बाहर नहीं निकल पा रही थीं.
भाभी मेरे नीचे गरमगरम सांसें छोड़ते हुए मस्ती से लेटी हुई चुद रही थीं. मैं सिर्फ लंड घुसाए पड़ा था, बाकी का चुदाई का काम चलती ट्रेन ने किया.
दस मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ गयी थीं. मैं लगा हुआ था. कुछ देर बाद मेरा लंड छूटने को हुआ.
मैंने उनसे कान में कहा तो भाभी ने फुसफुसा कर कहा- अन्दर ही आ जाओ.
मैं भाभी की चुत तेजी से लंड चलाते हुए झड़ गया. मेरे साथ ही भाभी ने भी अपनी गांड उठाते हुए चुत को झाड़ दिया. हम दोनों एक साथ ही झड़ गए थे.
कुछ पल बाद भाभी ने अपने कपड़े पहने और उतर कर टॉयलेट में चली गईं. मैंने अपना लंड अपने लोअर में समेटा और भाभी का इन्तजार करने लगा.
भाभी बाथरूम से तैयार हो कर आ गईं. अब रात के 3 बजे थे. तभी ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकी. मैंने देखा और उतर कर चाय ले आया. मैं भी पी और भाभी को भी पिलाई.
ट्रेन चल दी और हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार थे. लेकिन इस बार मेरे दिमाग में कुछ अलग था.
मैं अपने साथ हमेशा एक एनर्जी बढ़ाने वाला पाउडर रखता था, जो कि खाने में मीठा होता है. उसे मैंने अपने बैग से निकला. उसे मैंने खाया और कुछ भाभी को भी खिलाया.
भाभी ने पूछा कि ये क्या है.
मैंने कहा- स्पेशल पंजीरी है … प्रसाद में मिली थी.
भाभी ने बड़ी श्रद्धा से पाउडर खा लिया.
इसको खाने से किस करने में और भी मजा आता है. हम दोनों वापस लेट गए और एक ही चादर में लेटे हुए एक दूसरे को किस कर रहे थे. पाउडर ने काम दिखाना शुरू कर दिया था. मेरा लंड खड़ा हो गया था. भाभी उसे हिला रही थीं.
अब मैंने उनसे घूमने को कहा, वो पलट कर घूम गईं. मेरे लंड के सामने उनके मोटे मोटे चूतड़ थे.
मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और भाभी की गांड पर लगा दिया. एक हाथ से मैंने भाभी की एक टांग को उनके सीने की तरफ की और दूसरी अपने टांग के नीचे दबा ली. लंड ने भाभी की गांड के छेद को खोज लिया था.
तभी ट्रेन ने एक झटका लिया और मैंने मौके का फायदा उठा कर लंड अन्दर पेल दिया. इससे भाभी को बहुत दर्द हुआ. वो उछल कर आगे को हो गईं और बैठ गईं. वो मेरी तरफ गुर्रा कर देखने लगीं, तो मैंने उनकी चुची को पकड़ कर मसल दिया और सोने को कहा.
वो लेट गईं, लेकिन गांड में लंड नहीं डालने का इशारा करके लेट गईं. मैंने उन्हें प्यार से फिर से गर्म किया. भाभी के मम्मों को दबाकर और चुत में उंगली करके उसे कामुकता के शिखर पर ला दिया. अब मैंने भाभी से गांड मरवाने को कहा, वो गरम हो गई थीं, तो ये कहते हुए लेट गईं कि धीरे करना.
मैं धीरे धीरे करके अपना लंड भाभी की गांड में डालने लगा और मम्मों दबाने लगा. कुछ पल के दर्द के बाद उन्हें भी मजा आने लगा. हल्का दर्द भी हो रहा था. तब भी हम दोनों धीरे धीरे ऐसे ही गांड चुदाई करते रहे.
कुछ देर बाद मैंने भाभी की गांड से लंड खींचा और उनको सीधा लिटा कर अपने सामने कर लिया. भाभी ने अपनी एक टांग उठा कर मेरे ऊपर की और मैंने उनकी चूत में लंड पेल दिया. लंड पेल कर मैं भाभी को किस करने लगा. वो भी मजे से आगे पीछे होकर चुत चुदवा रही थी.
इस तरह से हम दोनों ने 3 बार चुदाई का खेल खेला और सो गए. अगली सुबह उठे तो ट्रेन में भीड़ उतनी ही थी. जब ट्रेन गोरखपुर पहुंची, तो भीड़ कम हुई और हम नीचे सीट पर आ कर बैठ गए.
मैंने एक हाथ पजामे के ऊपर से उनकी चुत पर रख हुआ था. भाभी की चुत को सहला रहा था, मेरे हाथ के ऊपर उनका बैग था, तो किसी को पता नहीं चल रहा था. फिर मैंने देखा कि ट्रेन छपरा से सोनपुर के 3 घंटे के सफर में 7 ट्रेन थीं तो मैंने भाभी से पूछा कि अगर आप चाहें तो हम इधर उतर कर किसी होटल या रूम में एक घंटे चुदाई का मजे कर सकते हैं.
भाभी ने कुछ पल सोचा, फिर बोलीं- आपको तो आगे जाना है.
मैं बोला कि आगे एक स्टेशन जाने की 6-7 ट्रेन हैं … मैं उनमें से किसी भी ट्रेन से चला जाऊंगा.
वो बोलीं कि मैं अपने पति को क्या बोलूंगी?
मैंने कहा- बोल देना कि बस या कोई ट्रेन में जगह ही नहीं मिली. भीड़ के कारण आज आना नहीं हो पा रहा है. आज यही रुक जाना सुबह चली जाना.
इस पर वो मान गईं.
मैंने ट्रेन से उतर कर बाहर आकर एक होटल में एक रूम ले लिया. हम दोनों होटल के कमरे में घुसते ही किस करने लगे.
मैंने कहा- भाभी, हम पहले फ्रेश हो जाते हैं फिर मजा लेंगे.
पहले मैंने भाभी से एक साथ ही नहाने का कहा, मगर वो मना करने लगीं कि बाथरूम छोटा है. एक एक करके आराम से नहा लेना.
वो वाशरूम चली गईं, तो मैंने वहीं एक दूसरे कमरे में नहाने के लिए मैनेजर से कहा. उसने हां कह दिया. मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं था. जब मैं नहा कर जब रूम में गया, तो भाभी भी नहा कर बाहर आ गई थीं. उन्होंने अब साड़ी पहन ली थी. मैं कैप्री और बनियान में था.
फिर मैंने अपना मुँह उसकी तरफ कर दिया और भाभी को किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मैंने अपने हाथ से उनका ब्लाउज खोल दिया और मम्मों को दबाने लगा. वो गर्म सिसकारियां लेने लगीं. हम दोनों बेड पर लेट गए. और किस करते करते अपने कपड़े भी उतार दिए.
वो सिर्फ पैंटी में थीं. काले रंग की पैंटी में भाभी क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं. मैं उन्हें नीचे लेटा कर उनके सारे बदन को पागलों की तरह चूमने लगा और उनकी पेंटी निकाल दी.
उनकी चुत पर छोटे छोटे से रेशम से बाल थे. ऐसा लग रहा था, जैसे 3-4 दिन पहले ही झांटों को साफ़ किया हो.
मैंने 69 की पोजिशन ली और उनकी चुत पर जीभ लगा कर चुत चाटने लगा. उन्हें भी चुत चटवाने में मजा आ रहा था. वो पूरी तरह से गर्म हो गयी थीं.
तभी उनका पूरा शरीर अकड़ गया और वो झड़ गईं.
फिर हम दोनों सीधे होकर लिप किस करने लगे. उसके बाद भाभी फिर से 69 में हो गईं और वो मेरे लंड को चूसने लगीं.
कुछ टाइम बाद वो सीधी लेट गईं और लंड पेलने का इशारा करने लगीं. मैंने उनकी टांगें चौड़ी कीं और अपना पूरा लंड चुत में पेल दिया. वो सिसकारियां भर रही थीं और मुझे किस कर रही थीं. दस मिनट की चुदाई के बाद हम झड़ गए और किस करते हुए लेटे रहे.
दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने उन्हें अब पीछे गांड में लंड लेने को कहा, तो वो मना करने लगीं. मेरे समझाने पर वो मान गईं.
मैंने थूक लगा कर लंड को उनकी गांड में पेला और गांड मारने लगा. उसे इस बार कम दर्द हो रहा था. मैं एक बार में लंड पेल कर रुक गया.
कुछ पल बाद वो खुद आगे पीछे होने लगीं. तो मैंने झटके मार मार कर भाभी की गांड चुदाई की.
अब हम दोनों कपड़े पहन कर जाने के लिए तैयार हो गए.
भाभी ने जाते जाते मेरा फोन नम्बर ले लिया. भाभी उसी रूम में रुक कर दूसरे दिन अपने गांव जाने वाली थीं.
दोस्तो, ये मेरी सच्ची और पहली सेक्स कहानी थी. आपको कैसी लगी, जरूर बताएं. धन्यवाद.
हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम परी है | मेरी उम्र 26 साल की हूँ और मैं जबलपुर की रहने वाली हूँ | मैं दिखने में ठीक ठाक हूँ पर मेरा फिगर गदराया हुआ है | मै एक शादीशुदा महिला हूँ और मेरे दो बच्चे है जिनमे से एक लड़का 5 साल का है और बेटी 7 साल की है | दोस्तों, आज जो मैं आप लोगों को कहानी बताने जा रही हूँ ये मेरी जीवन की पहली कहानी और आखरी भी | क्यूंकि ये मेरी सच्ची घटना है जो मैं किसी को भी बता नहीं सकती थी | इस कहानी के माध्यम से मैं अपने दिल का बोझ हल्का करना चाहती हूँ इसीलिए मैं ये कहानी आप सभी के सामने पेश कर रही हूँ | तो अब मैं आप लोगों का ज्यादा टाइम न लेते हुए सीधा कहनीं में आती हूँ |
ये घटना आज से दो साल पहले की है | जब मेरे पति जो कि दिल्ली में जॉब करते हैं उनकी तबियत ख़राब हो गयी थी अचानक से | तब मेरा बेटा 3 साल का था और बेटी 5 साल की थी | मेरे पति को अचानक से काम का दौरान ही हार्ट अटैक आ गया था | जब वो अस्पताल में भर्ती हुए और तब मेरे पास कॉल आया तब मुझे कुछ भी नहीं समझ में आया कि मैं क्या करू ? तो मैंने जल्दी जल्दी में सामान बांधा और अपने बच्चो को ले कर सीधा स्टेशन की ओर चली गयी | गर्मी का टाइम था और आप सभी जानते हैं कि गर्मी का समय तुरंत ही जनरल डब्बे की टिकट लेना भी कितना मुश्किल होता है | ये कहानी आप हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | मैं बहुत देर से लाइन में लगी थी कि मुझे टिकट मिल जाये पर ट्रेन का टाइम हो चुका था | तो मैंने सोचा कि अब बिना टिकट के ही मुझे सफ़र करना पड़ेगा |
तो मैंने अपने बच्चो से झूट कहा कि हमे टिकट मिल गयी है और हम सीधा ट्रेन में चढ़ गये | स्लीपर डब्बे में जा कर मैंने बड़े दिमाग के साथ अपना सारा सामान रख दिया | पर मुझे ये पता था कि जिसकी ये सीट होगी वो अपनी सीट तो ले ही लेगा | पर तब भी मैं उस सीट से नहीं हिली मुझे डर भी लग रहा था और जी भी घबरा रहा था | पर मैं हिम्मत नहीं हार रही थी | उस दिन शायद मेरी किस्मत ही थी कि कोई नहीं आया था उस सीट पर | फिर रात के 12 बजे करीब की बात है | टी.सी. वहां सबकी टिकट चेक कर रहा था और मुझे इस बात का जरा भी ध्यान नहीं था कि मैं पकड़ी जा सकती हूँ |
क्यूंकि मेरे पास कोई आई.डी प्रूफ नही था और होता भी तो क्या कौनसा वो सीट मेरे नाम पर थी | टी.सी मेरे पास आया और मुझसे टिकट के लिए पूछा | तो मैंने कहा सर मेरे पास कोई टिकट नहीं है | ऐसा नहीं है कि मैं टिकट नहीं ले सकती थी सब कुछ इतना जल्दी में हुआ कि मुझे यही रास्ता सही लगा | उतने में उसने मुझसे कहा कि मैडम देखिये इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ क्यूंकि जो मेरी ड्यूटी है वो तो मुझे करनी ही पड़ेगी | आप को टिकट देना ही होगा नहीं तो हर्जाना भरना पड़ेगा | यदि आप वो भी नहीं कर सकती तो मैं आप को अगले किसी भी स्टेशन में उतार दूंगा | मैंने बहुत उससे मिन्नतें की वो ऐसा न करे और मुझे माफ़ कर दे | मैंन उनसे सारी बाते बता चुकी थी पर उन्हें कोई ज्यादा फर्क ही नहीं पड़ा था | तो उन्होंने मुझसे कहा कि अकेले में आइये | तो मैं दरवाजे के पास गयी उनके साथ मेरे बच्चे सो रहे थे इसलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई |
फिर उन्होंने मुझसे कहा कि एक रास्ता है | तो मैंने पूछा बताइए क्या है रास्ता ? मैं सब कुछ करने के लिए तैयार हूँ | तब उन्होंने मुझे सेक्स के लिए कहा, तो थोड़ी देर के लिए मैं शांत रही पर मुझे जल्द ही फैसला लेना था | क्यूंकि उसे भी कई डब्बो में टिकट चेक करनी थी | तो मैंने बोला ठीक है पर थोडा जल्दी बच्चे अकेले है | तो मैंने अपनी बेटी से कहा कि जब अंशु उठे तो बता देना मैं थोडा फॉर्मेलिटी करके आती हूँ |
अब मैं उनसे ये तो नहीं कह सकती थी कि मैं चुदवाने जा रही हूँ | फिर उसने मुझे एक डब्बे के टॉयलेट में ले गया और वहां उसने मुझे किस करना चालू कर दिया और मैं ना चाहते हुए भी उसका साथ देने लगी थी | कुछ देर किस करने के बाद उसने मेरे ब्लाउज ऊपर करके मेरी ब्रा को खोल के जोर जोर से मेरे दूध को पीने लगा था और मैं अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कर रही थी | वो बहुत जोर जोर से मेरे दूध को चूस रहा था और मेरे निप्पल्स को होंठ से ख्नीच खींच के चूस रहा था और मैं बस अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कर रही थी |
फिर कुछ देर मेरे दूध पीने के बाद उसने अपना लंड निकाला और उसका लंड देख के मेरी गांड फट गयी थी | क्यूंकि उसका लंड बहुत बड़ा और मोटा था कम से कम 8 इंच का लंड था उसका | मैं उसका लंड जोर जोर से आगे पीछे करते हुए लंड चूसने लगी और वो अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कर रहा था | उसको मेरा लंड चूसने का स्टाइल पसंद आ रहा था और वो जोर जोर से अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ करने लगा था |
फिर थोड़ी देर के बाद मैं घोड़ी बन गयी थी और मेरी पेंटी उतार ली | फिर वो मेरे पीछे आ के मेरी साड़ी को ऊपर कर के मेरी चूत में अपना लंड डालने की कोशिश करने लगा | पर मेरी चूत टाइट भी थी और उसका लंड भी बड़ा और मोटा था | जिस वजह से आसानी से उसका लंड नहीं जा रहा था | फिर मैं थोडा नीचे और झुकी और अपनी टाँगे चौड़ी कर के एक हाथ से अपनी गांड को खोल कर उसको चूत का रास्ता दे रही थी | फिर जब उसका लंड मेरी चूत के अन्दर चला गया था तो जोर जोर से धक्के मार मार के मेरी चूत को चोदने लगा |
मुझे भी मजा आ रहा था और मैं अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ करते हुए उसका साथ दे रही थी | मुझे वो चोदने में माहिर लग रहा था क्यूंकि वो बहुत अच्छे से मेरी चूत को चोद रहा था | जब वो मेरी चुदाई कर रहा था तब मैं अपनी सारी दिक्कत और सारी मुसीबत भूल चुकी थी | कुछ देर चोदने के बाद उसने मेरी गांड में अपना वीर्य छोड़ दिया था | और फिर वापस उससे चुदवाने के बाद मैं अपने डब्बे में आ गयी |
मुझे लगा कि शायद अब सारी दिक्कते दूर हो चुकी है अब कोई परेशानी नहीं होने वाली है | पर मुझे क्या पता था कि दूसरा टी.सी. भी आयगा | जब मैं सोने लगी थी उस वक़्त २ बजे रहे थे और तभी दूसरा टी.सी आ गया और मैंने जब उसे पूरी राम कथा सुनाई | तो उसने भी मुझसे कहा कि मुझसे चुदवा लो फिर कोई दिक्कत नहीं होगी | मुझे ये सब बहुत खराब लग रहा था कि मैं ये सब कर रही हूँ और मेरी परेशानी से किसी को कोई भी मतलब नही है | मैं रुआंसी हो गयी थी पर मैं कर भी नहीं सकती थी कुछ भी |
उसने भी मुझे दूसरे डब्बे में ले जा कर मेरे साथ वो ही किया जो पहले वाले ने किया था | पर इस बार मुझे कोई दिक्कत नहीं होनी थी क्यूंकि उसका लंड छोटा भी था और वो जल्दी झड़ भी गया | पर वो नशे में था इसलिए उसका लंड खड़ा होने में बहुत टाइम लिया | फिर उसके बाद मैं जैसे ही दिल्ली पंहुची और जैसे तैसे अपने पति के पास पहुंची | उनका इलाज एम्स हॉस्पिटल में हो रहा था | मैं उनसे कोई भी चीज़ नही बता पाई थी क्यूंकि ये घटना कोई बताने वाली नही थी |
तो दो दोस्तों, ये थी मेरे जीवन कि सच्ची घटना जो मेरे साथ हुई | वैसे में यहाँ किसी का मनोरंजन करने या किसी को सेक्स का बढ़ावा देने नहीं हाजिर हुई थी | मै अपने दिल का बोझ कम करना चाहती थी, तो आप सभी के सामने अपनी कहानी रख के मुझे बहुत हल्का लग रहा है | आप सभी का मेरी इस कहानी को पढने के लिए धन्यवाद और प्लीज लोगों कि मजबूरी समझिये !