Month: April 2020

  • xxx kahani, चचेरी बहन की चुदाई

    दोस्तों मेरा नाम लकी है और मैं गुजरात के एक छोटे से शहर से हूँ। मेरी उम्र 24 साल है। अब मैं अपनी chut chudai wali कहानी पर आता हूँ। बात उस समय की है जब में कॉलेज के पहले साल में था। वैसे मैं बहुत ही रोमांटिक किस्म का हूँ पर उस समय तक मैंने कभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया था।

    तो मेरी बहुत ही इच्छा थी कि मेरी जिंदगी में भी कोई हो और फिर ऐसा हुआ कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।

    मेरी एक दूर की बहन है सिमरन (बदला हुआ) जो बहुत ही ख़ूबसूरत है और मेरी और उसकी बहुत ही अच्छी दोस्ती थी।

    Chut chudai – समुंदर किनारे बीवियाँ बदली

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    वह मेरे शहर से थोड़ी ही दूर एक गांव में रहती थी और हमारे शहर में कॉलेज में पढ़ रही थी। वह जब भी कॉलेज आती तो मुझसे मिलने जरूर आती थी और मैं भी कभी-कभी उससे मिले बस-स्टैंड चला जाता था।

    फिर जब जब दिन बीतते गए और उनका परिवार गाँव छोड़ कर हमारे शहर में ही आ गए। फिर क्या था, मैं रोज़ उससे मिलने उसके घर चला जाता था। फिर मुझे लगा कि शायद मुझे उससे प्यार हो गया है, पर मैं डरता था कि वह मेरी चचेरी बहन है और ऐसा कैसे हो सकता है।

    एक दिन जब वह कॉलेज आई तो मुझे फ़ोन कर के बुलाया और कहा- कहीं ऐसी जगह चलते हैं जहाँ कोई न हो !

    फिर मैं उसे अपने दोस्त के ऑफिस पर ले गया। वहाँ पर उसने मुझे कहा कि वह मुझसे फ्रेंडशिप करना चाहती है। हालांकि वह भी मुझसे प्यार करती थी पर मुझे साफ़-साफ़ कहना नहीं चाहती थी।

    Chut chudai – गर्लफ्रेंड की सहेली को घर बुला के चोदा

    और फिर जब भी हम मिलते और हमें अकेले में मौका मिलता तो वह मेरा हाथ पकड़ कर बातें करती, कभी मेरे गालों पर चूम लेती।

    फिर क्या था, मैं भी समझ गया था कि क्या करना है।

    एक दिन मैंने मौका देख कर उसके होठों पर चूम लिया और वहाँ से निकल गया। हमने पहले से ही अगले दिन मिलने का कार्यक्रम बनाया हुआ था पर वह नहीं आई और मैं उससे नाराज़ हो गया। वह दो दिन बाद जब आई तो मैंने उससे बात नहीं की, वह मुझे मनाने लगी। ज

    ब मैं नहीं माना तो वह बहुत रोने लगी फिर मैंने उसे चुप किया तो वह मेरी बाँहों में आकर मुझे बेतहाशा चूमने लगी। हमारी चूमा-चाटी करीब 10-15 मिनट तक चली। तब तक मैं और वो पूरे गर्म हो चुके थे।

    फिर क्या था, मैंने उससे कहा- तुम मुझे अपने जिस्म में कहाँ तक हक देना चाहती हो?

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    उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी कमर पर रखा और कहा- यहाँ तक तुम्हारा है !

    उसके ऐसा करने से मेरी मुराद टूट गई पर मैंने भी उससे सच्चा प्यार किया था तो कुछ नहीं कहा और उसके स्तन सहलाने लगा। वो गर्म होती जा रही थी और मुझे पागलों की तरह चूम रही थी। फिर मैं उसकी टॉप ऊँची करके ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तन दबाने और चूसने लगा।

    थोड़ी देर बाद उसने अपने हाथों से ही अपना टॉप उतार दिया और मुझ से लिपट गई। मैं समझ गया कि वो क्या चाहती है।

    मैं भी उसके स्तन चूसने लगा और चूसता हुआ उसके पेट और पीठ तक जा पहुँचा।

    उसकी आँखों में अजीब सा नशा छा गया था और मेरा लंड तो पैंट में तम्बू बनाये बैठा था। फिर मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसे भी हटा दिया और फिर चूमने-चूसने लगा। उसका गोरा बदन देख कर मेरा हाल बहुत ही बुरा हो रहा था।

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    फिर मैं चूमता हुआ नीचे उसकी सलवार तक पहुँच गया और उसका नाड़ा खोलने की कोशिश करने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मना करने लगी।

    मैंने उससे वादा किया कि हम आज एक बार ही सेक्स का मज़ा लेंगे उसके बाद मैं कभी उसको सेक्स के लिए नहीं कहूँगा, पर फिर भी वो नहीं मानी और मुझे भी गुस्सा आ गया और मैंने उसको बोल दिया- यहाँ से चली जाओ !

    वो रोने लगी, गिड़गिड़ाने लगी कि मैं क्या उससे प्यार नहीं करता हूँ? क्या मैं उसको सिर्फ सेक्स के लिए इस्तेमाल करना चाहता हूँ?

    मैंने कहा- नहीं, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ पर आज तो तुम्हें मेरी बात माननी ही पड़ेगी। फिर कभी तुम्हें तंग नहीं करूँगा। अगर तुम मुझसे प्यार करती हो तो अपने कपड़े उतार दो ! मैं दरवाज़ा बन्द करके आता हूँ ! या फिर यहाँ से चली जाओ !

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    और वो मान गई और कहा- दरवाज़ा बन्द कर दो !

    जब मैं दरवाज़ा बन्द करके वापस आया तो वो पूरी नंगी ही मेरे सामने थी।

    मैं उसको बाँहों में भर कर चूमने लगा और अपने कपड़े भी निकाल दिए। उसे नीचे चादर बिछा कर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया। मैंने उसकी चूत को बहुत मसला और उसने उसने पानी छोड़ दिया। वो भी आहें भरती हुई मेरे लण्ड का इंतज़ार कर रही थी।

    मैंने भी देर न करते हुए अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रख दिया और हल्का सा धक्का मारा पर लण्ड फिसल कर बाहर आ गया।

    फिर मैं दोबारा लण्ड घुसाने लगा तो थोड़ा अंदर जाते ही उसको बहुत दर्द होने लगा। मैं रुक गया और उसको चूमने लगा, चूचियाँ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद उसके होठों को चूसते हुए एक जोरदार झटका लगाया और वो चीख पड़ी, चूत से खून निकल आया और आँखों से आँसू निकलने लगे।

    फिर मैं उसको प्यार से समझाते हुए चूमने लगा। थोड़ी देर बाद जब लगा कि वो गर्म हो गई है तो मैंने अन्दर-बाहर करना शुरू किया और धीरे धीरे अपनी गति बढ़ा दी और चोदने लगा। अब उसको भी मज़ा आने लगा था।

    Chut chudai sex kahani – कमीने भाई की गुलाम

    करीब 15 मिनट तक चोदने के बाद वो झड़ चुकी थी और मैं भी अब झड़ने वाला था तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसके पेट पर अपना सारा वीर्य निकाल दिया।

    उस दिन के बाद करीब दो साल तक हमारे सम्बन्ध बने रहे पर फिर कभी हमने चुदाई नहीं की।

    अब वो शादी करके अपने पति के साथ खुश है, हालांकि मैं आज भी उसे नहीं भूल सका हूँ।

  • xxx kahani hindi me, ससुराल में दीदी की चुदाई

    आज से तीन महीने पहले घटी है। मैं कॉलेज में प्रथम वर्ष का छात्र हूँ और जब मेरे प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा खत्म हुई तो मैं 15-20 दिन के लिए फ्री हो गया, तो मैंने छुट्टियों में इंदौर जाने का फ़ैसला किया जहाँ मेरी बड़ी दीदी रहती हैं। उनकी शादी आज से दो साल पहले हो गई थी और अब वो इंदौर में ही रहती हैं। मेरी दीदी का नाम आरती, उम्र 23 साल है, उनका रंग गोरा और उनका फीगर एकदम मस्त है, पर मैंने अपनी दीदी को चोदने के बारे में कभी नहीं सोचा, हम दोनों का रिश्ता हमेशा से ही भाई-बहन तक सीमित रहा है।

    तो मैंने दीदी की ससुराल जाने का और वहाँ एक सप्ताह रहने का प्लान बना लिया, मैं इंदौर के लिए सुबह घर से निकल गया और ट्रेन से दो बजे तक इंदौर पहुँच गया, वहाँ जीजाजी मुझे लेने पहुँच गए और हम आधे घंटे में दीदी के ससुराल पहुँच गए।

    दीदी ने मुझे देखते ही गले लगा लिया क्योंकि हम बहुत समय बाद मिल रहे थे। दीदी को देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए, वो पहले से भी ज्यादा सुडोल और फूली हुई लग रही थी और उनके स्तन पहले से कहीं ज्यादा बड़े लग रहे थे, उस समय मुझे दीदी को देख कर उन्हें चोदने का मन करने लगा। इन सबके बाद मैंने घर पर खाना खाया और सभी घर वालों से बात करने लगा पर दीदी ने मुझे टोक कर कहा- तुम थक गए होगे इसलिए थोड़ा आराम कर लो !

    और मैं भी सोने के लिए चला गया। मैं चार बजे सोया और शाम को सात बजे उठ गया, मैंने उठने के बाद थोड़ी देर टी.वी. देखा और नौ बजे तक डिनर का वक्त हो गया। हम सभी ने खाना खाया और बात करने लगे। यह सब होते-होते 11 बज गए और सबका सोने का समय हो गया।

    दीदी को पता था कि मैं थोड़े शर्मीले स्वभाव का हूँ इसलिए दीदी ने मुझे अपने साथ सोने को कहा।
    यह सुन कर तो मेर पप्पू फुंफ़कारें मारने लगा। जीजाजी भी यह कह कर राजी हो गए की दोनों भाई-बहन बहुत दिनों बाद मिले है, तो इन दोनों को बहुत सारी बातें करने होगी। ये सब बातें होने के बाद सभी अपने-अपने कमरों में सोने चले गए। दीदी के सास-ससुर एक कमरे में, देवर एक कमरे में और जीजाजी जी अलग कमरे में और दीदी वाले कमरे में दीदी, मैं और उनकी एक साल की बच्ची जिसका नाम कृति है सोने के लिए गए।

    दीदी के कमरे में जाने के बाद मैंने देखा कि वहाँ सिंगल बेड ही था पर मैंने सोचा कि इसमें मेरा ही फायदा है, दीदी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी पर मुझे पता था कि दीदी मेक्सी पहन कर सोती है। इसके बाद दीदी ने बाथरूम में जाकर काले रंग की मेक्सी पहन ली, इसमें वो और भी सेक्सी लग रही थी, उनके स्तनों का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था और मैं उन्हें ही घूर रहा था।

    इसके बाद बेड की बाईं ओर दीदी लेट गई, दाईं तरफ मैं और बीच में मेरी एक साल की भांजी कृति लेट गए। यह देख कर मैं निराश हो गया क्योंकि मैं दीदी के साथ सोना चाहता था। दीदी कृति को सुलाने के लिए उसे अपने दायें स्तन से दूध पिलाने लगी और स्तनों के ऊपर दुपट्टा डाल लिया और दीदी मुझसे बात भी कर रही थी। मैं बीच-बीच में चुपके से दीदी के स्तनों को दुपट्टे के ऊपर से ही निहारने की कोशिश भी कर रहा था और शायद दीदी ने मुझे यह करते हुए देख भी लिया था।

    मैं केवल अंडरवियर और बनियान में ही सोता हूँ तो उस दिन भी मैं वैसे ही सो रहा था और मैंने एक चादर ओढ़ रखी थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

    बातें करते करते हमें साढ़े बारह बज गए और कृति भी सो चुकी थी इसलिए हम भी सोने लगे लेकिन मैं अभी भी दीदी को चोदने के बारे में ही सोच रहा था। पर मेरे और दीदी के बीच में कृति आ रही थी तो मैंने सोचा कि आज तो कुछ नहीं हो सकता।

    और मैं भी सोने लगा पर भगवान को तो यह मंजूर नहीं था इसलिए लगभग आधे घंटे बाद कृति की नींद खुल गई और इससे दीदी की भी नींद खुल गई और दीदी उसे चुप कराने लग गई पर उसके चुप न होने पर दीदी ने उसे दूध पिलाने की सोची। क्योंकि दीदी ने पहले उसे अपने दायें स्तन से दूध पिलाया था इसलिए उसे अपने बायें स्तन से दूध पिलाने के लिए दीदी बीच में आ गईंऔर कृति को बेड की बाईं तरफ सुला दिया और दूध पिलाने लगी।

    यह सब देख मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद कृति फिर से सो गई और दीदी की भी नींद लग गई। दीदी अपनी गांड मेरी तरफ करके सोयी हुई थी और जैसा कि मैंने बताया था कि हम सिंगल बेड पर थे इसलिए जगह भी कम थी तो मैं थोड़ा दीदी की तरफ सरक गया। अब मेरा लंड जो पहले से ही खड़ा हुआ था, अब मेरी दीदी की गांड से छूने होने लगा था, मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था, मैंने अपना लंड अंडरवियर के बाहर निकाल लिया और दीदी की मेक्सी के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनकी गांड मारने लगा।
    अभी तक दीदी की नींद नहीं खुली थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई और अब मैंने पीछे से दीदी के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें सीधा लेटा दिया, दीदी ने थोड़ी बहुत हलचल की पर वो अभी भी नींद में ही थी।

    दीदी का एक स्तन अभी भी बाहर ही था क्योंकि उन्होंने कृति को दूध पिलाने के बाद उसे अन्दर नहीं किया था।यह देखकर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उनके खुले स्तन पर रख दिया और उसे सहलाने लगा और साथ में उसे दबाने भी लगा। फिर मैंने दीदी की मेक्सी के सारे बटन खोल दिए और मुझे उनकी ब्रा दिखने लगी, मैं ब्रा के ऊपर से ही दीदी के चूचों को मसल रहा था और दीदी अभी भी सोयी हुई थी तो मैंने अपना एक हाथ दीदी की जांघ पर रख दिया और उसे ऊपर से ही सहलाने लगा। फिर मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ दीदी की चूत के ऊपर रख दिया और मेक्सी के ऊपर से ही चूत की दरार में अपनी उंगलियाँ फेरने लगा।

    थोड़ी देर बाद दीदी मुझे कुछ कसमसाती लगी, मुझे लगा कि दीदी की नींद खुल गई, इसलिए मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया और बिल्कुल भी नहीं हिला। लेकिन दीदी का कोई भी विरोध न करने पर मेरी हिम्मत बढ़ गई पर मेरे हाथ-पैर कांप भी रहे थे, लेकिन मैंने हिम्मत करके फिर से दीदी की चूत पर हाथ रख दिया और उसे जोर-जोर से मसलने लगा और अब शायद दीदी भी जग चुकी थी, दीदी ने थोड़ी देर बाद अपनी आँखें खोल ली और उनके कुछ कहने से पहले मैंने अपने होंठ उनके होंठों से मिला दिए और उन्होंने भी मेरा कोई विरोध न करते हुए मेरा साथ दिया।

    xxx kahani hindi me – kamukta – भाई के साथ मस्ती

    पांच मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को चूमते रहे और इसके बाद दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी।

    मैंने भी दीदी की मेक्सी ऊपर करके उनकी जांघों से होता हुआ उनकी चूत पर पहुँच गया और सहलाने लगा। दीदी की पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी तो मैंने पहले दीदी को उनकी मेक्सी उतारने को कहा और अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी, उनका बदन एकदम दूध जैसा गोरा था, उनके स्तन काफी कड़े हो चुके थे। मैंने उनकी ब्रा भी उतार फेंकी, उनके स्तन बहुत बड़े थे और मैं पहली बार इतने पास से किसी औरत के स्तन देख रहा था।

    मैंने स्तनों को बहुत चूसा और फिर दीदी की पेंटी उतार दी। उनकी चूत को देख कर मैं हैरान रह गया, उनकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे जो उसकी शोभा बढ़ा रहे थे। फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारकर उनकी टाँगें चौड़ी कर दी। दीदी की चूत के दोनों होंठ बिल्कुल गुलाबी थे।

    जैसे ही मैंने उनकी चूत पर अपना हाथ रखा, मुझे अपने हाथ में असीम गर्माहट का एहसास हुआ और दीदी भी बहुत गर्म हो चुकी थी और आ आ आ ऊ ऊ ऊ के स्वर निकाल रही थी। इसे सुनकर मैं और भी उत्तेजित हो रहा था।
    इसके बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मैं उनकी चूत चाट रहा था जबकि वो मेरे लंड को बड़े चाव से चूस रही थी।
    लगभग 15 मिनट चूसने के बाद दीदी बोली- वरुण, अब नहीं रुका जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दे।
    फिर मैंने दीदी की दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखा और अपने लंड के सुपारे को दीदी की चूत पर रखकर जोर का धक्का लगाया और मेरा आधा लंड दीदी की चूत में चला गया।

    दीदी अपने मुख से कामुक आवाजें निकाल रही थी और कह रही थी- फाड़ दे आज मेरी चूत ! और जोर से ! और जोर से।

    इसके बाद मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा दी और करीब दस मिनट हिलने के बाद मैं झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया।

    पर मैं कहाँ अभी मानने वाला था, लगभग 15 मिनट बाद मैं फिर से दीदी को चोदने के लिए तैयार हो गया और इस बार मैंने दीदी को अलग प्रकार से चोदा। इस वाले दौर में दीदी भी झड़ गई। बाद में दीदी ने मेरा पूरा लंड चाट कर साफ़ कर दिया।

    उस रात दीदी को मैंने दो बार और चोदा और जब तक मैं दीदी की ससुराल में रहा, मैंने दीदी को खूब चोदा और उनकी गांड भी मारी।

    फिर मैं भोपाल वापस आ गया और अब दीदी से फ़ोन पर ही सेक्स की बातें होती हैं। उसके बाद से मैंने अभी तक किसी और लड़की की चूत नहीं मारी पर मैं इधर से उधर चूत मारने के लिए लड़कियों को ढूंढता फिरता हूँ।

  • xxx kahani || कामवाली को चोदने का असली मजा

    मित्रो कामवाली को चोदने की इच्छा कौन नहीं रखता…! वैसे यह कामवालियां भी अक्सर साहब के लौड़े लेने के लिए ही काम करने आती हैं. लेकिन कभी कभी ऐसी कामवाली भी आती है जिन्हें चोदने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं. और फिर भी साली वह अपनी चूत देने में नखरे दिखाती हैं तो मन करता हैं उन्हें पेड़ के साथ बाँध कर उनकी गांड ही मार दूँ. मेरे फ्लेट्स में मैं अब तक तिन कामवालियां बदल चूका था.

    पहली दो मैं से एक को चोदने में हर्ज था और दूसरी सिर्फ चुदवाने आती थी और सारा काम मुझे करना पड़ता था. बेचलर लाइफ थी क्यूंकि अभी पिएचडी ख़तम होने में और एक महिना बाकी रह गया था. मेरे साथ के सभी साथी फ्लेट छोड़ छोड़ के जा चुके थे और मैं अकेला पीछे रह गया था. बोर लगता था लेकिन मैं अक्सर कोलेज की लायब्रेरी मैं ही अपना वक्त निकाल देता था.

    घर आके मुझे चोदने की इच्छा हो जाती थी क्यूंकि लायब्रेरी में बैठी हसीन गांड और स्तन को देख मेरा लंड कोलेज की लायब्रेरी में ही खड़ा हो जाता था. मैं एक कामवाली की तलाश में था जो काम करे और मुझ से चुदवायें, और वोह भी कम दामों में. मैंने राशन के दूकान वाले शेट्टी और बेकरी वाले मुकेश को बोल रखा था कामवाली के लिए.

    तिन दिन के बाद मुकेश भाई ने लाजवंती नाम की एक कामवाली को मेरे पास भेजा, जिसकी उम्र कुछ 32 की होगी. लाजवंती शक्ल से ही चुदक्कड लगती थी. घेरी रंग ककी लिपस्टिक, माथे में मस्त बिंदिया, गले में चेन और हाथ में मस्त महेंदी. मैं तो पहली बार इस सेक्सी कामवाली को देख उसे चोदने के स्वप्न वही देखने लगा. मैंने उसे ऊपर से निचे देखा और दरवाजा खोल अंदर बुलाया, वोह मेरे सामने कुर्सी पर बैठने लगी.

    कुर्सी के ऊपर उसकी बड़ी गांड आ नहीं रही थी, लेकिन वो एडजस्ट कर के बैठ गई. मैंने उसे काम बताया और साथ में मैं कितने पैसे दे सकता हूँ वोह भी बताया. वोह काम करने को तैयार थी यह रेट में. लेकिन उसकी दो शर्ते थी एक के वो बुधवार को काम नहीं करेंगी और दूसरा की वोह कचरा वगेरह करने शाम में आएंगी क्यूंकि वो कई और भी काम करती थी. मैंने उसकी शर्ते मान ली. सच बताऊँ तो वो दो दिन में एक बार भी कचरा वगेरह करे तो कोई दिक्कत नहीं थी मुझे. लाजवंती उठ के जा रही थी, मेरी नजर उसके स्तन के ऊपर ही गड़ी हुई थी. मटकती गांड को पकड़ के उसे दबाने को मन कर रहा था.

    लाजवंती को काम चालू किए तब दूसरा हफ्ता था. मैंने अभी तक उस से चुदाई की बात नहीं की थी. साली भाव तो दे रही थी मुझे लेकिन मैं जल्दबाजी कर के काम ख़राब नहीं करना चाहता था. आज मैं कोलेज से जल्दी आ गया था. लाजवंती के आने का समय हुआ नहीं था अभी. मैंने लेपटोप पे प्रिया राय की चुदाई की एक क्लिप देखी और मुठ मारने के लिए तौलिया ले के बाथरूम में चला गया. लक्स साबुन के पुरे पैसे वसूल करते हुए मैं उसे लंड पे सही तरह मल के मुठ मारी.

    आँखे बंध कर के मैं लाजवंती की याद में ही डंडा रगड़ने लगा. जबरदस्त छुट हुई और कुछ मिलीलिटर वीर्य नाली में बहने लगा. मुझे कुछ शांति जरुर मिल गई लेकिन मेरे मंद में लाजवंती को चोदने की इच्छा और भी जागृत हो गई. लंड नाम का शैतान जाग उठा था जिसे सुलाने के लिए लाजवंती की चूत ही शक्तिमान थी. तभी लाजवंती आई, उसने आज मस्त लीले रंग की साडी और अंदर काली ब्लाउज डाली थी. मैं हररोज की तरह उसके स्तन की और ताकने लगा. मुझे देख उसने साडी का पल्लू सही करने के एक्टिंग की. मैंने नजर तब भी नहीं हटाई उसके भरे हुए बूब्स से. लाजवंती कमरे में झाड़ू लगाने लगी और मैं सोफे पर बैठ के लेपटोप देखने लगा.

    मेरा सारा ध्यान लाजवंती के ऊपर ही था, आज मुझे चोदने की बड़ी इच्छा हुई थी. मैंने देखा की लाजवंती मेरे को उसके स्तन का हिस्सा देखने को मिले इस तरह निचे झुकती थी और स्तन के आगे की साडी हटा रही थी. मैं दो मिनट तक उसके ब्लाउज के अंदर उछलते हुए स्तन को देखता रहा और फिर मुझ से रहा नहीं गया. मैं उठा और सिगरेट लेने के बहाने मैं जानबूझ के लाजवंती की गांड को टांग लगाते हुए चला. मेरा पाँव उसकी गांड के ऊपर अड़ने के बावजूद लाजवंती कुछ नहीं बोली. मैं दुबारा उसकी गांड घिसते हुए वापस लेपटोप के पास आके बैठ गया.

    मुझे अब लाजवंती को चोदने की बहुत ही खुजली हो रही थी, जैसे ही वोह नजदीक आके झाड़ू लगाने लगी मैंने पीछे से उसके गांड के ऊपर पाँव लगा दिया. मेरा अंगूठा उसके गांड के छेद की तरफ ही था. उसकी चुप्पी मेरी हिम्मत बढ़ाने लगी और मैं उसकी गांड के ऊपर अंगूठे को घिसने लगा. वोह अभी भी जैसे की कुछ ना हुआ हो वैसे झाड़ू लगा रही थी. मैं अब खड़ा हुआ, मेरा लंड कब से चोदने के लिए बेताब था.

    मैंने लाजवंती को कंधे से पकड़ा और खड़ा किया. मैंने उसे कहा, लाजवंती मुझे तुम्हे चोदना है, लेकिन अगर तुम्हारी मर्जी हो तो. लाजवंती कुछ बोली नहीं लेकिन उसकी नजरें मेरे लंड की तरफ थी. मैंने उसके साडी के पल्लू को साइड में किया और उसके भारी स्तन मसलने लगा. उसके स्तन में जबरदस्त कसाव आया हुआ था और वोह नजरे उठाये मुझे देखने लगी. मैंने धीमे धीमे कर उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए. उसके बड़े बड़े स्तन देख चोदने का कीड़ा और भी उबाल मारने लगा. मैंने लाजवंती को पूरा नंगा कर दिया. वोह हाँ तो नहीं बोली थी, लेकिन चुप रहने का मतलब तो हा ही होता हैं.
    मैंने अपने कपडे भी तुरंत उतार दिए. लाजवंती मेरे 9 इंच लम्बे लौड़े को देख के खुश हो गई और उसे हाथ में ले के मसलने लगी. चोदने की इच्छा जबरदस्त हुई थी इसलिए लौड़े में मस्त कसाव आया था.

    लाजवंती ने लंड को थोडा सहलाया और फिर बहुत देर तक हाथ में ले के हिलाया. मैं थोड़ी देर पहले ही मुठ मारके आया था इसलिए लंड अभी झड़ने के चांसिस बहुत ही कम थे. लाजवंती ने थोड़ी देर लंड हिलाने के बाद उसे सीधा मुहं में रखा. उसके होंठ लंड के ऊपर निचे होने लगे. उसके होंठ लंड को चोदने के लिए जैसे की उकसा रहे थे. वोह पूरा मुहं अपने गले तक भर लेती थी और फिर अपने होंठो को उसके उपर ऐसे चलाती थी जैसे की कुल्फी खा रही हो.

    मेरी हालत खराब हो रही थी और मुझे इस देसी कामवाली को चोदने की असीम इच्छा होने लगी. मैंने लाजवंती का सर पीछे से पकड़ा और उसके मुहं के अंदर ही झटके देने लगा. लाजवंती ने अपना मुहं मेरे झटके देने के वक्त थोडा खोल दिया जिस से मुझे उसका मुहं चोदने में कोई तकलीफ ना हो. मेरे झटके देने से उसके मुहं से…गोगूग्गग्गग्गग…..ऐसे आवाज आ रहे थे. मैंने करीब 2 मिनिट तक जम के उसके मुहं में लंड दिया.

    लाजवंती ने लंड अब मुहं से बहार निकाला और मैं उसे हाथ पकड़ के पलंग के तरफ ले गया. उसको मैंने पलग के ऊपर उल्टा लिटा दिया. वैसे भी डौगी स्टाइल मेरी फेवरेट थी इसलिए मैं हमेशां उसी स्टाइल में चोदने की इच्छा रखता था, हाँ कभी कभी कुछ लडकियां और आंटीयां पहेले से इस पोजीशन में चुदवाने को राजी नहीं होती क्यूंकि इसमें लंड पूरा पेनेट्रेट होता हैं. लेकिन लाजवंती को पहले से कुतिया बनके लंड लेने में कोई दिक्कत नहीं हुई. मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड दे दिया. आह आह ओह ओह हम दोनों के मुहं से निकल पड़ा, लाजवंती की चूत मस्त गर्म और चिकनी थी.

    मेरे प्रत्येक झटके से जैसे की लंड के ऊपर एक अजब चिकनाहट महेसुस हो रही थी. लाजवंती थोड़ी देर में ही अपनी गांड को हिला हिला के चोदने के मजे लेने लगी. मैंने भी उसकी सेक्सी गांड को दोनों तरफ से पकड़ लिया और उसे जोर जोर से चोदने लगा. हम दोनों पसीने से लथपथ हो गए थे और लाजवंती की हालत तो मुझ से भी खराब हो गई थी क्यूंकि वैसे भी 9 इंच का लंड किसी भी पोजीशन में हालत ख़राब कर सकता हैं जब की यह तो डौगी स्टाइल थी.

    लाजवंती की इसी तरह 10 मिनिट तक चुदाई होती रही और मुझे और जोर जोर से चोदने की मजा आने लगी थी. मैंने लाजवंती को पूरा लंड बहार निकाल के वापस उसकी चूत में देता था. वोह भी हिल हिल के लंड के मजे लेती रही, हाँ लेकिन वह अब एकदम धीमे धीमे हिल रही थी क्यूंकि इतनी हार्ड चुदाई से वह थक चुकी थी. मेरे लंड में अजब सा तनाव होने लगा और उसके अंदर जैसे की अजब ताकत आने लगी, मुझे लगा की अब मैं तुरंत झड जाऊँगा.

    मैंने सोचा की लाजवंती के अंदर ही झड़ जाऊं, लेकिन तभी मैंने सोचा की अगर गर्भ रह गया तो पंगे होंगे. सालाबिना कमाई में खर्चा हो जाएंगा. मैंने जोर जोर से दो झटके दिए और जैसे ही वीर्य निकलने वाला था मैंने लंड बहार खिंच लिया. लंड से वीर्य की एक नदी बहने लगी, मैंने सारा के सारा वीर्य लाजवंती के गांड के ऊपर छिडक दिया…..वोह भी आह आह अ=करती हंस रही थी.

    मुझे आज पहली बार एक कामवाली को चोदने में इतना मजा आया था.

  • xxx kahani hindi me, भाई की बीवी की पहली गलती

    हैल्लो दोस्तों, मेरा Antarvasna नाम जय है और में सूरत का रहने वाला हूँ। में आज आप सभी pornsexstory.com के पढ़ने वालों के साथ मेरा एक सच्चा सेक्स अनुभव और मेरी पहली चुदाई के वो कुछ पल बाँटना चाहता हूँ जिसको में बहुत समय से आप तक पहुँचाने के बारे में सोच रहा था। फिर एक दिन मुझे मेरे दोस्त ने मुझे pornsexstory.com के बारे में बताया जिसकी बहुत सारी सेक्सी कहानियों को पढ़कर मुझे बड़ा मज़ा आया और मुझे बहुत ख़ुशी हुई और आज में अपनी भी उस चुदाई की कहानी को लिखकर भेज रहा हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि यह सभी पढ़ने वालों को जरुर पसंद आएगी और अब में अपना परिचय देकर कहानी को शुरू करता हूँ। दोस्तों मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरा एक बड़ा भाई जो अब शादीशुदा है, मेरी भाभी, मेरी माँ, पापा है, मेरे बड़े भाई की शादी को दो साल हो चुके है और उनकी शादी एक बहुत ही सुंदर लड़की से हुई थी जिसका नाम स्नेहा है। वो दिखने में बहुत सुंदर गोरी और उनका बदन बड़ा ही गदराया हुआ है। दोस्तों मेरे भाई, भाभी के बीच सब कुछ बहुत अच्छा चला रहा था इसलिए के सभी लोग भी बड़े खुश थे, क्योंकि मेरी भाभी का स्वभाव बहुत अच्छा और वो हंसमुख है।

    फिर उनकी शादी के करीब दो महीने बाद मेरा भाई अपने काम की वजह से कनाडा चला गया और भाई के चले जाने के बाद स्नेहा मतलब मेरी भाभी से में बहुत क़रीब हो गया, उनके सभी कामों को में ही किया करता हूँ और में उनकी बहुत इज्जत भी करता था, क्योंकि वो बहुत अच्छे स्वभाव की है और उन्होंने मेरे लिए भी बहुत कुछ किया, लेकिन मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि स्नेहा भाभी के साथ कभी ऐसा भी हो जाएगा। एक दिन जब माँ और पापा उनके एक दोस्त की पार्टी में गये हुए थे तो उस रात बारिश बहुत जोरदार हो रही थी और उस समय में और मेरी भाभी बैठे हुए टीवी देख रहे थे, लेकिन तभी मैंने देखकर महसूस किया कि मेरी भाभी बहुत ही उदास होकर बैठी हुई थी और कुछ दिनों से उनका किसी भी काम में अब पहले की तरह मन नहीं लगाता था। फिर कुछ देर बाद मैंने उनसे उनकी उस उदासी की वजह पूछी, तब वो बहुत ही धीमी आवाज में मुझसे कहने लगी कि यह उदासी तुम्हारे समझ में नहीं आएगी, क्योंकि इसको सिर्फ़ एक लड़की ही अच्छी तरह से समझ सकती है। दोस्तों मेरे वो बात बिल्कुल भी समझ में नहीं आई और अब मैंने उस बात को टालते हुए अब में अपनी भाभी को हंसाने की कोशिश कर रहा था, जिसकी वजह से उनका मन कहीं किसी दूसरी जगह लग जाए और इतने में ही लाइट भी अचानक से चली गयी। अब में और भाभी मोमबत्ती को ढूंढने के लिए उठे और उसी समय हम एक दूसरे से टकरा गए। उस समय गलती से मेरा एक हाथ भाभी की छाती पर चला गया और मैंने तुंरत उनसे कहा कि आप मुझे माफ़ करना, यह मुझसे गलती से हो गया और इतना कहकर में अपने हाथ को हटाने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसी समय भाभी ने अचानक से मेरे हाथ को पकड़ लिया और वो मेरे उस हाथ को अपनी छाती पर फेरने लगी। तब मैंने महसूस किया कि उनके बूब्स के निप्पल जोश में आने की वजह से तने हुए थे। फिर यह सब देखकर में एकदम से बहुत घबराकर परेशान हो गया और उसी समय मैंने भाभी से पूछा कि वो यह सब क्या कर रही है? तब भाभी मुझसे कहने लगी कि यही मेरी उदासी की वजह है, अगर आज तुम मुझे खुश करना चाहते हो तो जो में कर रही हूँ मुझे वो सब करने दो यह बात कहते हुए भाभी ने अपना एक हाथ मेरी पेंट पर रख दिया और वो मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी थी, जिसकी वजह से में मदहोश हो गया। अब मैंने कुछ देर बाद होश में आकर उन्हे अपने से थोड़ा दूर धकेलना चाहा, लेकिन वो तो अब मुझे किस करने लगी थी और उसके साथ साथ भाभी ने मेरे होंठो को ज़ोर से किस करना शुरू कर दिया, क्योंकि वो उस समय बहुत जोश में थी, लेकिन मेरे अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मेरे साथ यह सब क्या हो रहा है यह सब होने की वजह से अब मेरा लंड भी फूलकर बड़ा हो गया था और मेरे लंड ने अपना आकार बदलना शुरू कर दिया था।

    अब भाभी ने मेरे लंड को हाथ लगाकर उसको महसूस किया और उसी के कुछ देर बाद उन्होंने तुरंत मेरी पेंट की चेन को खोल दिया और लंड को बाहर निकालकर सहलाने लगी थी। फिर कुछ देर बाद उन्होंने झट से नीचे बैठकर अपने मुहं में मेरे लंड के टोपे को लेकर पहले वो उस पर अपनी जीभ को कुछ देर घुमाती रही और उसके बाद वो उसको चूसने लगी। में थोड़ी थोड़ी देर में लंड को बाहर निकालकर उस पर अपनी जीभ को फेरने लगी थी और वो यह सब ऐसे कर रही थी जैसे वो इस काम में पहले से ही बहुत अनुभवी हो और अब में बिल्कुल बेक़ाबू हो गया था। में भी बहुत जोश में आ चुका था। फिर मैंने उसी समय भाभी को उठाकर खड़ा कर दिया और में भी उन्हे अब पागलों जैसे चूमने लगा और उसी समय वो मेरे हाथों को अपने ब्लाउज में डालने लगी और जैसे ही मेरे हाथ भाभी के गोरे नरम मुलायम बूब्स को छुये तो मुझे एक अजीब सा एहसास हुआ और में बूब्स को छूकर बिल्कुल पागल होकर अब भाभी के ब्लाउज के हुक को खोलने लगा था और उनकी ब्रा को चूमने लगा। अब हम दोनों उस नशे में थे और हम दोनों में से कोई भी बिल्कुल भी होश में नहीं था और ऐसी हालत में उसी समय अचानक से पापा के कार की आवाज़ आ गई और भाभी ने उसी समय तुरंत मुझे रोका और वो कहने लगी राज तुम मुझे माफ़ करना, में अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर सकी इसलिए मुझसे यह सब गलती से हो गया था और इसलिए प्लीज़ मुझे तुम माफ़ कर दो और इस बारे में तुम किसी से कुछ ना कहना, में अब अपने रूम में जा रही हूँ और इससे पहले मम्मी पापा अंदर आ जाए तुम भी अपने आप को संभाल लो।

    दोस्तों मुझसे यह बात कहकर भाभी उसी समय तुरंत अपने रूम में चली गयी और मम्मी पापा के अंदर आने से पहले में भी अब धीरे धीरे पहले जैसा शांत हो गया, लेकिन मेरे दिल और दिमाग़ में अब भी एक अजीब सा तूफान था और मेरा लंड शांत हो जाने के बाद भी मेरे मन में एक आग जल रही थी और भाभी का वो अहसास मेरे पास से जा नहीं रहा था। फिर हम दोनों अपने अपने कमरे में आकर सो गए और में अपने बेड पर पूरी रात लेटे हुए वो सभी बातें मेरे साथ अचानक घटी उस घटना के बारे में सोचता रहा और ना जाने कब मुझे नींद आई, मुझे इस बात का पता ही नहीं चला और फिर दूसरे दिन सुबह उठकर हम दोनों ही एक दूसरे के साथ पहले जैसे ही रहने की बहुत कोशिश करने लगे थे। दोस्तों तब मैंने महसूस किया कि मेरी भाभी में तो कोई भी बदलाव नहीं आया था, लेकिन में अब पहले जैसा नहीं रह सका और अब मेरे दिमाग़ में जब भी में अपनी भाभी को अपने सामने या आसपास अकेले में देखता हर बार मेरे मन में भाभी के ही विचार आ रहे थे और उस वजह में बहुत बेचैन हो जाता। फिर मेरे वो दिन ऐसे ही बीत रहे थे, लेकिन अब भी मेरी वो बेचैनी खत्म नहीं हो रही थी। मेरे मन में अपनी भाभी के वो गलत गलत विचार आ रहे थे। फिर एक दिन भाभी ने मुझसे कहा कि उनकी मम्मी पापा और घर के सभी लोग कुछ दिनों के लिए बाहर विदेश जा रहे है। फिर मैंने कहा कि भाभी आप उन्हे जाते समय एक बार मिलने क्यों नहीं चली जाती? भाभी को मेरा यह विचार बहुत पसंद आया और उन्होंने मेरे पापा मम्मी से पूछा, तो वो भी तैयार हो गए और अब मुझसे मेरे पापा ने कहा कि में अपनी भाभी को उनके घर लेकर चला जाऊँ और फिर में उनको अपने साथ वापस भी लेकर आऊँ। फिर में अपने घरवालों की यह बात सुनकर मन ही मन बहुत खुश होकर अपनी भाभी को अपने साथ उनके घर ले गया और मैंने उन्हे वहां पर छोड़कर उनसे कहा कि में पास ही अपने एक दोस्त के पास जाकर आता हूँ और फिर हम वापस चलेंगे, लेकिन मेरा वहां पर कोई भी दोस्त नहीं था और यह सब मैंने अपनी भाभी से झूठ कहा था और कुछ दूर जाकर में अब उनके घरवालों के जाने का इंतज़ार कर रहा था और कुछ घंटो बाद जब वो लोग चले गये तो में वापस आ गया। दोस्तों ये कहानी आप vipchoti.com पर पड़ रहे है।

    फिर मैंने देखा कि मेरी भाभी अब मेरे साथ वापस चलने के लिए एकदम तैयार ही खड़ी थी, लेकिन अब में तैयार नहीं था, क्योंकि मेरे दिमाग़ में तो बस वही बातें थी जो उस दिन रात को लाइट के चले जाने के बाद हम दोनों के बीच में हुआ था, वो बातें सोच रहा था। अब मैंने वापस आकर देखा कि मेरी भाभी के घर में कोई भी नहीं था और में और बस मेरी भाभी बिल्कुल अकेले थे। यह मेरे लिए एक बहुत अच्छा मौका था। अब मैंने यही सब बातें सोचकर भाभी से कहा कि हम कुछ देर बाद चलते है, भाभी ने पूछा कि वो किस लिए? तब मैंने कहा कि क्योंकि मुझे यहाँ आपसे कुछ काम है। अब भाभी ने पूछा कि कौन सा कैसा काम? तब मैंने बिना जवाब दिए भाभी के दोनों बाज़ुओं को पकड़ लिए वो मेरे यह सब करने की वजह से डर गयी और मैंने धीरे से उनके होंठो को किस करने की कोशिश कि, लेकिन वो इस काम के लिए बिल्कुल भी राज़ी नहीं थी, इसलिए उन्होंने चकित होकर मुझसे पूछा कि यह तुम क्या कर रहे हो? तब मैंने जवाब दिया कि वही जो उस रात को आपने मेरे साथ किया था और अब भाभी ने मेरी हरकतों से डरते हुए वो मुझसे कहने लगी कि उस रात को वो मेरी गलती की वजह से हुआ था, प्लीज अब तुम मुझे छोड़ दो, में तुमसे उस गलती के लिए माफ़ी भी मांग चुकी हूँ। अब भाभी की वो बातें सुनने के बाद भी में खामोश नहीं हुआ और में उसी जोश में उन्हे किस करता जा रहा था और फिर मैंने भाभी की उभरी हुई छाती पर एक किस कर दिया, जिसकी वजह से वो मचलने लगी थी, लेकिन वो मुझे अब अपने से दूर भी हटाना चाहती थी और उनका वो विरोध अभी तक भी जारी था। फिर मैंने अब अपनी भाभी के बूब्स को कपड़ो के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया था और कुछ देर बाद मैंने उनका जोश देखकर अब उनके ब्लाउज के अंदर हाथ डाल दिया। अब भाभी मुझसे कहने लगी कि प्लीज अब बस करो तुम दूर हट जाओ मुझसे, लेकिन मैंने कुछ नहीं सुना और में उनका ब्लाउज उतारने की कोशिश करने लगा था। अब भाभी ने मुझसे कहा कि हाँ ठीक है ज़रा धीरे से करो, लेकिन तुम सिर्फ़ मेरे ब्लाउज को ही उतारोगे और उसके आगे उससे ज्यादा कुछ नहीं करोगे। अब मैंने बिना देर किए तुरंत उनके ब्लाउज को उतारकर दूर फेंक दिया और तब मैंने देखा कि भाभी ने उस समय ब्लाउज के अंदर काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी और अब मैंने उनकी ब्रा को भी ऊपर उठा दिया, जिसकी वजह से उनके वो गोरे गोरे बूब्स जिनकी हल्के भूरे रंग की तनी हुई निप्पल थी, वो मेरे सामने पूरे नंगे थे। में उनको चकित होकर देख रहा था। अब तो मुझे वो सेक्सी नजारा देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे कि में इस दुनिया में ही नहीं हूँ, क्योंकि मेरी भाभी के वो बूब्स एकदम गोल आकार में थे और वो बहुत रसीले थे। में उसी समय उन्हे अपने मुहं में लेकर चूसने लगा और मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था। में एकदम मदहोश होकर यह सब कर रहा था। मेरा एक हाथ लगातार भाभी के दूसरे बूब्स को दबा रहा था और भाभी मुझे बार बार रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन में उस समय पूरी मस्ती में था इसलिए मुझे कुछ भी दिखाई या सुनाई नहीं दे रहा था।
    भाई की बीवी की पहली गलती
    अब में तेज़ी से अपने कपड़े उतारने लगा और मैंने अपनी शर्ट को उतारा तो भाभी ने जोश में आकर मेरी छाती पर एक किस कर दिया और कि कहा कि तुम बहुत समझदार हो चुके हो। अब मैंने अपनी पेंट को उतारने की कोशिश की तो भाभी ने मेरी पेंट को पकड़ लिया और कहा कि अब बस करो, में आज तुम से वादा करती हूँ कि आज हम दोनों ने जो कुछ भी किया है यह हमने तुम्हारी ख़ुशी के लिए किया था और हम फिर से करेंगे, लेकिन अभी मुझे इससे ज्यादा और कुछ नहीं करना। फिर मैंने भाभी के उस हाथ को अपनी पेंट के ऊपर से हटाकर अपने तनकर खड़े लंड के टोपे पर रख दिया और भाभी ने थोड़ी देर के लिए मेरे लंड के टोपे को ज़ोर से पकड़ लिया, लेकिन फिर उसी समय छोड़ भी दिया। फिर मैंने अपनी पेंट को उतार दिया और अंडरवियर को भी मैंने झट से नीचे सरका दिया और अब में पूरी तरह नंगा हो गया था। यह सब मेरे साथ पहली बार हुआ था और भाभी मुझे इस रूप में देखकर बहुत परेशान हो गई। मैंने उनके हाथ को अब पकड़कर मेरे लंड के टोपे पर रख दिया। फिर वो मेरे मोटे गरम लंड को छूकर उसको देखकर बहुत जोश में आकर अपने होश खो बैठी और अब वो मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी, उसको सहलाने लगी थी और फिर कुछ देर बाद वो उसको अपने मुहं में लेकर चूसने भी लगी थी और जब वो जब मेरे लंड को चूस रही थी तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और कुछ देर बाद मेरी स्नेहा भाभी के मुहं में मेरा वीर्य जो मेरे लंड से बाहर निकला था वो अब भर गया था। फिर वो खड़ी हो गई और उन्होंने खुद ही अपनी ब्रा को पूरा उतारकर अपने से अलग कर दिया। मैंने भाभी की साड़ी और पेटीकोट को खींचना शुरू किया और कुछ ही देर में भाभी को भी मेरे सामने नंगा कर दिया और उसके बाद में बहुत देर तक भाभी के बूब्स को चूसता रहा और फिर मेरा लंड भाभी की चूत को छू रहा था तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे उनकी चूत मुझे करंट मार रही हो। अब भाभी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और वो मुझे पास वाले बेडरूम तक ले गई और वहां पर हमने एक दूसरे को बहुत देर किस किया। फिर वो उसके बेड पर लेट गई और में भाभी के ऊपर लेट गया और में कभी भाभी के बूब्स को तो कभी उनके गले को तो कभी उनके पेट को किस करने लगा था। फिर वो समय आ ही गया, जिसका मुझे कब से इंतज़ार था और अब हम दोनों पूरी मस्ती में थे। भाभी ने अपने एक पैर को ऊपर उठाया और अब मुझे उनकी साफ चमकती हुई रस से भरी कामुक गुलाबी चूत नजर आ गई। वो दिखने में ऐसी नजर आ रही थी कि जैसे वो कब से मेरे लंड का इंतज़ार कर रही थी और उसी समय मैंने उसका वो इंतज़ार खत्म किया और मैंने अपने लंड का टोपा उनकी खुली हुई चूत पर लगाकर चूत के दाने को रगड़ने लगा। अब भाभी उछलने लगी और हम दोनों बहुत मज़े कर रहे थे। में अब अपने लंड को धीरे धीरे उनकी चूत में दबाव बनाते हुए अंदर डालने लगा था और मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लग रहा था। में लिखकर बता नहीं सकता कि मुझे उस समय कितना मज़ा आ रहा था और में उस समय बहुत जोश में था, इसलिए मैंने उसी समय एक ज़ोर का धक्का दे मारा, जिसकी वजह से भाभी उस दर्द की वजह से एकदम उछल पड़ी और मेरा लंड फिसलता हुआ पूरी तरह उनकी गीली चूत के अंदर चला गया और अब भाभी उस दर्द से बहुत मचलने लगी। फिर मैंने अब उनको लगातार धक्के देने शुरू किए और मैंने बहुत देर तक अपनी भाभी की चूत में लगातार धक्के दिए।

    फिर उसने मुझे अपने से दूर होने के लिए और कहा कि अब बहुत देर हो गई है, क्योंकि हमें घर भी जाना है, प्लीज अब बंद करो और बाहर निकालो अपना लंड मेरी चूत से आह्ह्ह्ह मुझे बहुत दर्द हो रहा है आईईइ माँ में मर गई आफ्फफ्फ्फ्फ़ अब तुम छोड़ दो मुझे। फिर मैंने कहा कि एक शर्त पर में अपना लंड बाहर निकालूँगा, तब भाभी ने कहा कि मुझे तुम्हारी वो शर्त बहुत अच्छी तरह से जानती हूँ, हाँ हम दोनों फिर से ऐसे ही मज़े मस्ती जरुर करेंगे, क्योंकि अब तो में भी तुम्हारे साथ यही सब करना चाहती हूँ क्योंकि मुझसे भी अब बिना यह सब किए ज्यादा रहा नहीं जाता और मुझे भी इसकी बहुत जरूरत है और मुझे उम्मीद है कि तुम मुझे कभी भी निराश नहीं करोगे। फिर मुझे अपनी भाभी के मुहं से वो बात सुनकर बहुत ख़ुशी हुई और फिर उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए और उसके बाद हम दोनों वापस अपने घर पर चले गये। दोस्तों फिर तो हर रोज़ माँ और पापा के अपने कमरे में जाकर सोने के बाद में अपनी भाभी के कमरे में चला जाता हूँ और में उनके साथ बहुत सेक्सी रातें गुजार रहा हूँ, जिसकी वजह से में और भाभी अब बहुत खुश रहते है और हर रोज़ मुझे मेरी सुंदर, हॉट, सेक्सी भाभी के साथ सेक्स करने का वो मौका मिलता है, जिसको में हमेशा पाना चाहता था। आज वो भाभी हर कभी रात को तो कभी दिन में मेरी बाहों में मेरे साथ अपनी चुदाई का मज़ा लेती है उनको हर बार में अपनी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट करता हूँ। वो भी मेरी चुदाई मेरे साथ से बहुत खुश रहती है और मैंने अब तक उनको ना जाने कितनी बार चोदा है और हर बार उन्होंने मेरा पूरा पूरा साथ भी दिया है ।।

    धन्यवाद …

  • Boss ki biwi xxx chudayi, सर की बीवी को चोदा , Sex Story Hindi Mein

    हैल्लो दोस्तों, में राजीव और मुझे उम्मीद है कि मेरी आज की कहानी सभी भीआईपीचोटी डॉट कॉम पर पढ़ने वालो को बेहद पसंद आएगी। अब सबसे पहले में अपना परिचय दे दूँ, मेरा नाम अनीश है और में कोलकाता का रहने वाला हूँ। दोस्तों मुझे छोटी उम्र से ही सेक्स करने की बहुत इच्छा थी और इसलिए में हमेशा एक औरत जिसका नाम सुधा था, में उस औरत के साथ सेक्स करना चाहता था, क्योंकि वो बहुत अनुभवी और सुंदर अच्छी लगती। दोस्तों यह बात उस समय की है जब में पढ़ाई कर रहा था और में इंग्लीश की ट्यूशन के लिए मेरे एक सर के घर जाता था और हम लोग पांच दोस्त थे, जो वहां पर एक साथ जाते थे। वो सर हम सभी को दोपहर तीन बजे बुलाते थे और वो हमे पांच बजे तक पढ़ाकर फ्री करते थी और हम सभी दोस्त हर दिन पढ़ने जाते थे। दोस्तों हमारे वो सर शादीशुदा थे और उनकी पत्नी एकदम मस्त माल थी और वो बहुत ही सुंदर थी। फिर जिस दिन पहली बार मैंने उसको देखा में बस उसी के बारे में दिन रात सोचा करता था। उसका नाम रूपा था और वो एक बिंगाली परिवार से थे। दोस्तों में आप सभी को बता दूँ कि रूपा हर दिन दोपहर के समय अपने बेडरूम में सोती थी और सर हम सभी को हॉल में पढ़ाते थे।
    फिर रूपा के उठने का समय 4.30 का था और वो गाउन पहनकर सबसे पहले बाथरूम में जाती हॉल में बस एक ही बाथरूम था और हम लोग जहाँ पढ़ते थे। वो जगह बाथरूम के बिल्कुल पास ही थी। फिर जब भी वो बाथरूम के अंदर मूतने बैठती और फिर मूतने लगती, तब उसका पेशाब इतने दबाव के साथ निकलता था कि उसकी आवाज़ हमारे कानों तक आ जाती। दोस्तों मेरे मन में बस यही इच्छा होती थी कि मुझे बस एक बार उसके साथ सेक्स करने का मौका मिल जाए उसके बाद मेरी ज़िंदगी मस्त हो जाएगी, मुझे बड़ा मज़ा आएगा में हमेशा उसकी चुदाई के विचार में डूबा रहा करता था। फिर ऐसे ही दिन गुज़रते चले गये और कुछ दिन बाद हमारे सर जो एक स्कूल में टीचर थे उनका तबादला हो गया। तभी सर ने हम सभी को बताया कि उनका अब तबादला हो गया है और इसलिए हम किसी और टीचर का बंदोबस्त कर ले। फिर सर ने हमे एक बात बताई कि उनकी पत्नी भी वही विषय पढ़ाती है अगर हम चाहे तो उनसे ट्यूशन ले सकते है, क्योंकि सर का तबादला कुछ दिनों के लिए हुआ था और उन्हे अभी अपने घरवालों को अपने साथ ले जाने की अनुमति और रहने के लिए कोई फ्लेट भी नहीं मिला था, इस वजह से सर वहां पर अकेले ही जा रहे थे।
    अब मेरे सभी दोस्तों ने साफ मना कर दिया और वो दूसरे टीचर के पास जाने लगे थे, लेकिन में रूपा मेडम से ट्यूशन लेने को तैयार हो गया। फिर जब सर जाने लगे तब वो मुझसे कहने लगी कि में अपनी टीचर का ध्यान भी रखूं और अगर उन्हे कोई भी चीज़ चाहिए तो उन्हे में ला दूँ। फिर मैंने सर को अपनी तरफ से पूरा पूरा भरोसा दिलाया कि में हाँ ठीक है में ऐसा ही करूँगा और सर चले गये। अब मेरी मेडम घर में एकदम अकेली रहने लगी थी, उनका अब तक कोई भी बच्चा भी नहीं था और फिर मैंने मेडम से ट्यूशन लेना शुरू कर दिया और में कुछ ही दिन में मेडम का बहुत अच्छा दोस्त भी बन गया और मेडम भी मेरी दोस्त बन गई। अब में मेडम का बहुत ध्यान रखने लगा था और मेडम मुझे एक छात्र की तरह प्यार भी बहुत करती थी। फिर धीरे धीरे एक महिना बीत गया। एक दिन मैंने मेडम से पूछा कि मेडम क्या आपको सर की याद नहीं आती? तब मेडम ने मुझसे कहा कि हाँ याद तो मुझे उनकी बहुत आती है, लेकिन मेरे पास कोई और रास्ता भी तो नहीं है। अब मैंने मेडम से हिम्मत करके कहा कि मेडम क्या में आपसे एक बात पूछ सकता हूँ? मेडम ने कहा कि हाँ तुम मुझसे कुछ भी बोलो, उसके पहले में तुम्हे एक बात बोलना चाहती हूँ।
    फिर मेडम ने मुझसे कहा कि जब हम दोनों एक दूसरे का इतना ध्यान रखते है और एक बहुत अच्छे दोस्त भी है तो फिर आज से तुम मुझे मेडम नहीं बल्कि रूपा के नाम से बुलाना और वैसे भी तुम पूरे दिन मेरे घर में ही तो रहते हो, इसलिए मुझे तुम्हारे मुहं से मेडम सुनना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। अब में तैयार हो गया और फिर रूपा ने मुझसे कहा कि क्यों तुम मुझसे अभी कुछ पूछ रहे थे? तब मैंने बहुत हिम्मत करके उनसे कहा कि रूपा फिर में चुप हो गया और में अपनी आधी बात में ही रुक गया। अब रूपा मुझसे पूछने लगी हाँ बोलो ना वो क्या बात है? और मैंने कुछ नहीं कहा। फिर उसने मुझे अपनी कसम दे दी और वो बोली कि कहो ना नहीं तो तुम मुझसे कभी भी बात मत करना और मुझसे दोबारा पढ़ने भी मत आना। फिर उस बात को सुनकर मैंने उसको पूछा कि तुम बुरा तो नहीं मनोगी? उसने कहा कि नहीं मुझे कुछ भी बुरा नहीं लगने वाला। अब में कहने लगा कि तुम्हे क्या सेक्स करने का मन नहीं करता? मेरे यह शब्द सुनकर रूपा एकदम चुप हो गयी और वो मेरी तरफ एकदम आश्चर्य से देखने लगी। में उस वजह से एकदम डर गया था और मैंने उसको माफी मांगी।
    अब उसने मुझसे कहा कि तुम्हे माफ़ नहीं बल्कि मुझे तुम्हे धन्यवाद कहना चाहिए तुम्हे मेरा कितना ख्याल है और मेरे पति को मेरा ज़रा सा भी ध्यान नहीं है और उसने तभी मुझे मेरे गाल पर एक चुम्मा दे दिया, जिसकी वजह से में एकदम चकित रह गया। फिर उसके बाद हम दोनों ने साथ में खाना खाया और उसके बाद में अपने घर चला गया। फिर कुछ दिनों के बाद में एक दिन रूपा के घर गया, लेकिन वो उस समय मुझे घर में कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी, में हर एक कमरे को देख रहा था, लेकिन वो कहीं भी नहीं थी। अब उसके बाद मैंने बाथरूम का दरवाजा खोला और फिर दोस्तों मैंने उस दिन वो द्रश्य देखा जो मैंने कभी सपने में सोचा भी नहीं था। दोस्तों उस समय बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद नहीं था और जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि रूपा अपने बाथरूम के कोमोड पर बैठी हुई थी। उस समय उसका गाऊन, ब्रा और पेंटी सब कुछ खुली हुई उसके पास ही में रखी हुई थी। वो उस समय एकदम नंगी थी और उसने अपने एक हाथ की तीन उँगलियाँ अपनी चूत में डाली हुई थी और वो अपने दूसरे हाथ से अपने बूब्स को दबा रही थी। उस समय उसकी दोनों आँखे बंद थी और वो बहुत मस्त मज़ा ले रही थी।
    फिर में करीब पांच मिनट तक बिना कुछ कहे बिना हिले खड़ा रहकर उसको अपनी चकित नजरों से देखता रहा, जिसकी वजह से मेरा लंड पूरा तनकर खड़ा और एकदम सख्त हो चुका था। अब मेरा मन कर रहा था कि में अभी उसको पकड़कर उसकी बहुत जमकर चुदाई कर दूँ, लेकिन मैंने अपने आपको शांत कर रखा था और कुछ देर बाद मैंने कहा रूपा यह क्या है? तब रूपा मेरी आवाज को सुनकर एकदम से डर गई और वो अपनी उंगली को चूत से बाहर खींचकर अपने उस एक तरफ पड़े गाउन से अपने नंगे गोरे जिस्म को ढकने की कोशिश करने लगी। अब वो मेरी तरफ देखती हुई अपने कमरे में चली गई और में हॉल में जाकर सोफे पर बैठ गया, कुछ देर बाद वो कपड़े पहनकर अपने कमरे से बाहर आई और वो मेरे पास आकर बैठ गई। अब वो मुझसे कहने लगी कि तुम्हे क्या पता एक शादीशुदा औरत इतने दिन अपने पति के बिना कैसे रह सकती है? सेक्स की जरूरत तो हर एक को होती है उस काम को करने की सभी की इच्छा होती है और मेरी भी बहुत होती है। फिर मुझसे यह सभी बातें कहकर वो उसी समय मुझसे लिपटकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी थी। अब मैंने उसको संभाला और उसने कुछ देर बाद शांत होकर मुझे यह बात बाहर किसी से नहीं कहने को कहा उसके पति से भी नहीं, में उसकी वो बात मान गया।
    फिर मैंने उसको कहा कि अगर तुम्हे सेक्स की इतनी ही चाहत है तो में तुम्हारी यह चाहत जरुर पूरी कर सकता हूँ, यह शब्द मेरे मुहं से सुनकर वो और भी ज़ोर से मुझसे लिपट गई और कुछ देर बाद मुझे उसने एक बार फिर से एक चुम्मि दी। अब उसने मुझसे पूछा क्या सच क्या तुम मुझे प्यार करोगे? और यह बातें मेरे पति को भी नहीं बताओगे? तुम कितने अच्छे हो यह बात कहकर वो मुझे चूमने लगी और में भी उसको कसकर अपनी बाहों में दबाने लगा और कुछ देर तक हम वैसे ही रहे। फिर में जाने के लिए उठने लगा, तभी उसने मुझसे कहा कि तुम कहाँ जा रहे और तुम मुझे कब प्यार करोगे? मैंने उसको कहा कि में शाम को आठ बजे आ जाऊंगा और फिर में अपने घर चला गया। फिर उसके बाद में शाम को उसके घर जा पहुँचा और अंदर गया तो मैंने देखा कि उसने एक बहुत ही सुंदर जालीदार साड़ी पहन रखी थी। दोस्तों उसके बड़े आकार के बूब्स उसके ब्लाउज से बाहर आने को तड़प रहे थे, उसका वो गोरा मुलायम पेट पूरा साफ साफ नजर दे रहा था और वो एक शादीशुदा थी, इसलिए उसका जिस्म पूरा हराभरा था और मुझे ऐसी ही औरते अच्छी लगती थी।
    दोस्तों उसकी कमर बड़ी मस्त थी, वो ज्यादा गोरी नहीं थी, लेकिन उसका रंग बहुत ही मस्त था, वो बहुत ही सुंदर और हॉट सेक्सी औरत थी और वो सर से लेकर पैरों तक एकदम सेक्सी और चोदने के लायक ही थी। दोस्तों उसको देखकर मुझे ऐसा लगता था कि जैसे वो मुझसे अपनी चुदाई करवाने के लिए एकदम तैयार है। अब वो तुरंत मुझे अपने कमरे में ले गई और फिर उसने अंदर से अपना बेडरूम का दरवाजा बंद कर लिया, उसके लंबे काले बाल खुले हुए थे। अब मैंने उसको कहा कि आज में उसको हर तरह से खुश और उसकी सेक्स की गर्मी को पूरी तरह से ठंडा कर दूँगा। वो मुस्कुराकर मुझसे बोली कि चलो देखते है। फिर उसके ऐसा कहने पर मेरा लंड और भी ज्यादा गरम हो गया और मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया, में उसके नरम गुलाबी होंठो को चूमने लगा, कुछ देर बाद मैंने उसको पलंग पर बैठा दिया और अब में उसके नरम मुलायम पेट पर अपना हाथ फेरने लगा। फिर वो भी अब जोश में आने लगी और वो मेरे सर के बाल को सहलाने लगी। मैंने उसके बूब्स को अपने एक हाथ से ज़ोर से पकड़ लिया और में उनको दबाने मसलने लगा था, वो पहले तो थोड़ा दर्द से करहा रही थी, लेकिन उसके बाद वो धीरे धीरे एकदम शांत हो गई और में उसके बूब्स को लगातार दबाता रहा और ऐसा करते हुए मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को उसके कंधे के ऊपर से नीचे गिरा दिया।
    फिर धीरे धीरे में अब उसकी साड़ी को खोलने लगा और वो अब मेरे सामने अपने पेटीकोट और ब्लाउज में थी। उसके बाद उसने भी अब मेरी शर्ट और पेंट को उतार दिया, जिसकी वजह से में अब सिर्फ़ अंडरवियर में था। अब उसने मुझे पलंग पर लेटा दिया और वो मेरे ऊपर सो गयी और अपने होंठो से मेरी छाती को चूमने और फिर जीभ से चाटने भी लगी। फिर उसके ऐसा करने पर मुझे लगा कि यह अब पूरी तरह से गरम हो चुकी है और इसको इस काम का पूरी तरह से बहुत ज्यादा अनुभव भी है और मुझे उसकी चूत की गरमी का भी अंदाजा हो गया। फिर वो मुझे कुछ देर तक ऐसे ही लगातार चूमती रही और कुछ देर बाद उसने मुझसे कहा कि क्या तुम भी अब मेरे बूब्स का मज़ा नहीं लेना चाहते और मुझसे यह शब्द कहते कहते उसने अपना ब्लाउज उतार दिया। अब उसके दोनों बड़े आकार के बूब्स को देखकर में एकदम हैरान बहुत चकित हो गया, क्योंकि उसकी निप्पल का रंग भूरा था और उसके बूब्स का रंग बिल्कुल गोरा था। फिर मैंने जोश में आकर उसको एक ही बार में पलंग पर लेटा दिया और अब में उसके ऊपर चड़कर उसकी एक निप्पल को चूसने लगा और दूसरे बूब्स को दबाने लगा था, जिसकी वजह से वो ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी और मुझसे और भी ज़ोर से दबाने को कहा। दोस्तों ये कहानी आप भीआईपीचोटी डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
    फिर मैंने भी ठीक वैसा ही किया। उसने मेरे सर को पीछे से पकड़कर ज़ोर से अपनी छाती पर रगड़ने लगी, जिसकी वजह से मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो अपने पूरे बूब्स मेरे मुहं में भर देना चाहती है। फिर कुछ देर बाद मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और मैंने उसको भी उतारकर दूर फेंक दिया। तब मैंने देखा कि वो एक बहुत सुंदर फूलों वाली आक्रति की गुलाबी रंग की पेंटी पहने हुए थी। अब उस द्रश्य सुंदरता को देखकर मुझे ऐसा लग रहा था कि में अभी अपना गरम लंड उसकी चूत में डाल दूँ, उसकी गोरी जांघे मोटी मोटी और अच्छे आकार में थी। फिर मैंने उसको पूछा कि तुम अपने पति के साथ सेक्स कैसे करती हो? तब उसने मुझसे कहा कि वो मुझे इतना ज़्यादा मज़ा नहीं देते, वो मेरे बूब्स को कुछ देर चूसते है और फिर वो अपना लंड मेरी चूत में डाल देते है और उसके बाद वो कुछ ही देर धक्के लगाने के बाद झड़ जाते है और उस वजह से मुझे तो ठंडा होने का मौका ही नहीं मिलता। तुमने मुझे जिस दिन बाथरूम में पहली बार मेरी चूत में उंगली करते हुए देखा था वो तो में उनके यहाँ पर होते हुए भी हर कभी करती हूँ। अब मैंने उसको पूछा कि क्या तुम और कुछ नहीं करती हो? तब उसने कहा कि और होता ही क्या है? फिर मैंने उसको कहा कि तुम्हे तो अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है।
    अब उसने मुझसे पूछा क्या सच अगर ऐसा है तो जल्दी करो ना और ऐसा कहने पर मैंने उसकी पेंटी को धीरे धीरे उतार दिया। अब मैंने उसको बिल्कुल नंगी कर दिया था। दोस्तों मैंने उस दिन पहली बार किसी औरत की चूत को ऐसे बिना कपड़ो के देखा था, उसकी चूत का दाना एकदम लाल रंग का और उठा हुआ था और उस पर हल्के हल्के भूरे रंग के बाल चारो तरफ थे। अब मैंने अपनी अंडरवियर को उतार दिया तब वो मेरा भी मोटा और 6 इंच लंबा लंड देखकर वो मुझसे कहने लगी कि ऐसे लंड से अपनी चुदाई करवाने का मज़ा मुझे आज पहली बार आएगा। अब मैंने उसको कहा कि क्या तुम इसको भी चखना चाहोगी? उसने कहा कि नहीं मुझे घिन आएगी, तब मैंने उसको कहा कि तुम एक बार करके तो देखो। अब मैंने उसको बिना कुछ कहे उसके दोनों पैरों को पूरा फैला दिया और अब में उसके पैरों के बीच में बैठकर उसकी चूत पर मैंने एक चुम्मि दे दी। मेरे ऐसा कहने पर उसने मुझसे कहा कि तुम ऐसा मत करो, क्या तुम्हे घिन नहीं आएगी? फिर मैंने कहा कि इसी में तो सारा मज़ा है, उसको यह बात कहकर मैंने चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और में अपनी दो उँगलियों से उसकी चूत को फैलाने लगा था।
    अब मेरे ऐसा करने पर उसको बहुत दर्द हो रहा था, इसलिए उसने मुझसे ऐसा ना करने को कहा, लेकिन में अब उसकी बातें कहाँ सुनने वाला था। फिर वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ भर रही थी और में पूरे ज़ोर से उसकी चूत को चूस रहा था। दोस्तों उसकी चूत से एक बहुत ही अच्छी मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी और उसकी चूत बहुत गरम भी थी। में करीब 15 मिनट तक उसकी चूत को चूसता रहा और कुछ देर बाद अब उसको भी अच्छा लगने लगा था। फिर मैंने उसको पूछा क्यों अब तुम्हे कैसा लग रहा है? उसने मुझसे कहा कि अब कुछ अच्छा लग रहा है। मैंने अब अपनी दो उँगलियाँ उसकी गरम चूत में घुसा दी, लेकिन उसकी चूत इतनी टाईट थी कि वो अंदर ही नहीं जा रही थी। दोस्तों उसकी चूत में मेरी उंगली नहीं जा रही थी इसलिए मैंने उसकी चूत में अपना थोड़ा सा पेशाब गिरा दिया, तब उसने मुझसे पूछा कि तुमने यह सब क्यों किया? मैंने उसको कहा कि यह इसलिए इसकी वजह से तुम्हे ज्यादा दर्द नहीं हो और ऐसा करने पर तुम्हारी सुखी चूत भी गीली हो जाएगी। अब मेरी उंगली उसमे बहुत आसानी से फिसलकर अंदर चली गई और में उसको ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा, मेरे ऐसा करते हुए उसका पूरा जिस्म काँपने लगा और उसने मुझसे कहा कि तुम जल्दी से अपना मुहं और उंगली वहां से दूर हटा लो, क्योंकि में अब झड़ने वाली हूँ।

    सर की बीवी को चोदा
    अब मैंने उसको कहा कि में उसको पीना चाहता हूँ, मुझसे इतना कहते हुए वो झड़ गई और में उसकी चूत से बाहर निकले पूरे चूत रस को पी गया, मैंने उसकी एक बूँद को भी नीचे नहीं गिराया। फिर उसने मुझसे कहा कि आज पहली बार तुमने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट और बहुत खुश भी किया है और में भी अब तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ। फिर मुझसे इतना कहकर उसने भी मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और मेरे लंड की चमड़ी को नीचे करके उसके अंदर वाले मुलायम हिस्से को वो अपनी जीभ से रगड़ने लगी। उस वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अब वो मेरा पूरा 6 इंच का लंबा लंड अपने मुहं में लेना चाहती थी उसके चूसने की वजह से कुछ देर बाद में अब झड़ने वाला था, इसलिए मैंने अपना लंड उसके मुहं से निकालना चाहा, लेकिन वो भी वही करना चाहती थी जो मैंने उसके साथ किया था। अब मेरे थोड़ा ऐठने की वजह से लंड उसके मुहं से बाहर निकल गया और में वहीं झड़ गया मेरा पूरा वीर्य उसके पूरे मुहं में पिचकारी की तरह चला गया और कुछ उसके होंठो पर भी गिरा कुछ उसके गाल पर और चारो तरफ। अब वो उस पूरे वीर्य को अपने होंठो और उंगली से चाटने लगी और उसका पूरा मज़ा लेने लगी।
    फिर उसने मुझसे धन्यवाद कहा और लंड को अपनी जीभ, होंठो से चाटकर साफ कर दिया और अब उसने मुझसे अपना लंड उसकी चूत में डालने के लिए कहा। फिर मैंने भी ठीक वैसा ही किया और में धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत में डालने लगा, लेकिन अंदर जाने से पहले ही वो ज़ोर से चीख पड़ी। अब मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाया, मेरा चार इंच लंड उसकी चूत में चला गया और उस वजह से उसका दर्द और भी ज्यादा बड़ गया। अब वो ज़ोर से छटपटाने लगी और मुझसे उसने बस बहुत है बाहर निकालने को कहा। फिर उसने मुझसे कहा कि मेरे पति का लंड तो सिर्फ़ चार इंच का ही है और अब में तुम्हारा इतना लंबा लंड कैसे अंदर लूँ? मैंने कहा कि तुम उसकी बिल्कुल भी चिंता मत करो, उसको इतना कहकर मैंने एक और ज़ोर का झटका लगा दिया, जिसकी वजह से अब मेरा थोड़ा सा लंड उसकी चूत में समा गया और उस दर्द की वजह से उसकी आँखों से आंसू बाहर निकल पड़े, लेकिन में तब भी नहीं रुका और मैंने धीरे धीरे करके अपना पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। दोस्तों उसकी चूत बहुत गरम थी, में अपने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करता रहा। कुछ देर बाद उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी थी।
    अब वो मेरे हर एक धक्के के साथ अपनी कमर को मेरे साथ साथ आगे पीछे करने लगी और हम दोनों अभी अभी झड़े थे इसलिए दोबारा इतनी जल्दी हमारा झड़ना बहुत मुश्किल था। अब हमें उस खेल का मज़ा और भी ज़्यादा आने लगा, ऐसा करते करते कुछ देर बाद वो झड़ गयी, उस वजह से उसकी गरम चूत एकदम गीली हो गई और वो एकदम शांत होने लगी, लेकिन में नहीं रुका और में उसको धक्के देकर चोदता रहा। फिर उसने मुझे अब रुकने को कहा, लेकिन में रुका नहीं और में अपना काम करता रहा, करीब दस मिनट के बाद में भी झड़ गया और मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में डालकर एकदम शांत होकर में उसकी बाहों में लेट गया। अब वो मुझे चूमती रही और वो मेरे ऊपर लेट गई। कुछ देर बाद मैंने उससे कहा कि अभी तो और एक मज़ा बाकी है उसने पूछा वो क्या? फिर मैंने कहा कि अभी में तुम्हारी गांड मारूँगा जिसमे तुम्हे बहुत मज़ा आएगा। दोस्तों उसको उसके बारे में कुछ भी नहीं पता था। उसको लगा कि इसमे भी बहुत मज़ा आएगा और वो तैयार हो गई। फिर मैंने उसको उसके पलंग के एक कोने में कुत्ते की तरह बैठने के लिए कहा और उसके दोनों हाथों को मैंने बेड के ऊपर रख दिए, उसका पैर ज़मीन पर और उसकी कमर बीच में थी।
    फिर मैंने उसके मुहं में अपने लंड को डाल दिया, जिसकी वजह से वो थोड़ा सा गीला हो जाए और अब में अपनी जीभ से उसकी गांड को चाटने लगा और मैंने उसको पूरी तरह से गीला कर दिया, उसको अब अच्छा लग रहा था। फिर मैंने अपना लंड अपने हाथों में लेकर उसकी गांड के छेद पर लगा दिया और अपने हाथों से पकड़कर मैंने एक जोरदार धक्का मार दिया, मेरे धक्का मारते ही वो दर्द से चीख पड़ी और उसने मुझसे कहा कि मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है, उफ्फ्फ्फ़ प्लीज अब बस करो वरना में मर जाउंगी। अब मैंने उसको कहा कि तुम थोड़ा सा सहन करो क्योंकि यह पहली बार है ना इसलिए तुम्हे थोड़ा सा दर्द जरुर होगा और फिर में बार बार धक्के लगाता रहा और हर बार वो चीखती चिल्लाती रही। दोस्तों मेरा लंड लगातार कुछ अंदर बाहर आता जाता रहा और ऐसा करते हुए मेरा लंड अब तीन इंच अंदर चला गया। अब उसने मुझसे रोते हुए उसको छोड़ देने को कहा, लेकिन मैंने उसको समझाया कि बस कुछ देर बाद ही उसको मज़ा आने लगेगा। फिर ऐसा कहने पर वो मान गई और मैंने फिर एक जोरदार धक्का लगाकर अपना लंड थोड़ा और अंदर डाल दिया, ऐसा करते हुए मेरा पूरा का पूरा लंड अब उसकी गांड में चला गया और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ भरने लगी।
    फिर मैंने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू किया और कुछ देर बाद उसको भी मज़ा आने लगा था और में उसके बूब्स को पीछे से पकड़कर अब दबाने लगा था और में उसकी गांड को भी धक्के मारने लगा। दोस्तों ऐसा करते हुए में दो बार झड़ गया और मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी गांड में डाल दिया और फिर में पलंग पर लेकर लेट गया और उसके बूब्स को चूसने लगा। फिर कुछ देर बाद में सीधा लेट गया और उसको मैंने अपने लंड पर बैठाया, रूपा ने धीरे धीरे मेरा पूरा लंड अपनी चूत में डलवा लिया और अब वो मज़ा लेने लगी। फिर वो जोश में आकर अपनी उंगली के बड़े बड़े नाख़ून से मेरी गांड के आसपास के हिस्से को खरोचने लगी, ऐसा करने पर मुझे बहुत आराम बड़ा मज़ा आ रहा था। फिर उसने मेरी गांड के छेद पर अपने मुहं का थूक गिराया और अपनी उंगली को मेरे मुहं से गीला करके वो मेरी गांड में अपनी उंगली को डालने लगी थी, जिसकी वजह से मुझे पहली बार बहुत दर्द हुआ, लेकिन कुछ देर बाद मज़ा भी आने लगा था। फिर में कुछ देर धक्के देने के बाद उसकी चूत में झड़ गया।
    दोस्तों वो करीब दस मिनट तक ऐसा ही करती रही और ऐसा करते हुए हम दोनों कब सो गए हमें पता ही नहीं चला। फिर सुबह हुई और हम दोनों एक दूसरे के जिस्म से लिपटे हुए उठे और अब जब भी मौका मिलता में उसकी दिन में भी चुदाई करने लगता। अब हम दोनों हर दिन एक साथ सोने लगे और मैंने उसको हर एक आसन में चोदा और उसको चुदाई का पूरा मज़ा दिया, हम दोनों ब्लूफिल्म भी साथ में देखते और हम उस तरीके में एक दूसरे के साथ चुदाई का वो खेल खेलते थे। दोस्तों मैंने उसकी बहुत बार गांड मार मारकर उसके कूल्हों को पहले से भी ज्यादा फैला दिया, जिसकी वजह से वो और भी सुंदर सेक्सी लगने लगी थी। दोस्तों मैंने उसकी चुदाई करके अब अपनी एक बहुत पुरानी इच्छा को भी पूरी करना चाहा। एक बार चुदाई के समय मैंने उसको कहा कि जब में तुम्हारे पति से पढ़ता था और तब तुम दोपहर को सोने के बाद उठकर पेशाब करने जाती थी तब तुम्हारे पेशाब करने की वो आवाज सुनकर मुझे तुम्हारी चूत को चाटने का बहुत मन करता था। अब उसने यह पूरी बात सुनकर मुझसे कहा कि तुम अपनी उस इच्छा को भी चाहो तो अभी पूरी कर लो और फिर वो बाथरूम में गई। फिर उसने उसी आवाज के साथ पेशाब करना शुरू किया और मैंने उसके पेशाब करते समय ही अपना मुहं उसकी चूत से सटा दिया, उसका सारा पेशाब मेरे मुहं पर गिरने लगा और में उसका मज़ा लेने लगा। फिर इस तरह जब मेरा मन करता में रूपा को चोदने लगा और वो भी पूरी चाहत के साथ मुझसे अपनी चुदाई करवाती थी ।।
    धन्यवाद

  • Bhabhi ki xxx chudayi || भाभी ने की लंड पर सर्जिकल स्ट्राइक | Hindi Xxx Sex Story

    Bhabhi Ne Ki Lund Per Surgical Strike – भीआईपीचोटी के पाठको, आप सबको विशाल का नमस्कार। यह मेरी पहली कहानी है तो कोई भूल हो तो क्षमा कर देना।

    जैसे कि मैंने आपको बताया मेरा नाम विशाल है, मैं गुजरात में रहता हूं। मेरी उम्र 19 साल की है। मेरा 7 इंच लम्बा लंड किसी भी चूत की गर्मी बुझाने के लिए काफी है।
    यह कहानी मेरी ममेरी भाभी के साथ हुई चुदाई पर आधारित है। तो अब सब लौंडे अपने अपने लवडे को पकड़ कर बैठ जाएं और सब लड़कियां एक एक खीरा अपने पास रख लें।
    बात तब की है जब मैं अपने मामा के यहां गया था। मामा के परिवार में मामी, मेरा भाई, भाभी और उनकी एक प्यारी सी बेटी है।
    मैं थोड़ा शर्मिला लड़का था इसलिए भाभी से पहले बहुत कम बात करता था।

    मेरी भाभी के बारे में थोड़ा बता दूँ। भाभी एक गजब की फिगर की मल्लिका हैं और उनका हुस्न भी किसी को भी आकर्षित करने के लिए काफी है। उनका फिगर 36-30-36 का है । वो जब भी चलती हैं तो उनकी मटकती गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है।

    मेरे मामा की फैक्ट्री है तो मामा और भाई सुबह चले जाते हैं और दोपहर को खाना खाने के लिए आते हैं और फिर से चले जाते हैं. फिर रात को लेट करीब दस ग्यारह बजे के आसपास आते हैं।
    एक दिन की बात है मामा और मामी किसी काम के लिए मेरे नाना के यहां गांव गए थे और अपनी पोती को भी साथ ले गए थे। घर में सिर्फ भाई भाभी और मैं हम तीन ही बचे थे।

    उस दिन सुबह को भाई जल्दी फैक्ट्री पर चले गए था। वैकेशन के चलते मैं सुबह देर से उठता था। उस दिन जब मेरी नींद खुली तो मेरा उस्ताद अपनी मस्ती में खड़ा था, मैं नींद में उसे मसल रहा था।

    लेकिन मुझे पता नहीं था कि भाभी वहीं बाजू में खड़ी खड़ी मेरी हरकतें देख रही थी.
    जब मेरी आंख खुली तो मैंने भाभी को मेरा लंड शॉर्ट्स के ऊपर से घूरता पाया। जब हमारी आंख मिली तो मैंने तुरंत अपना हाथ हटा लिए, लेकिन भाभी मेरी ओर देखकर हंसने लगी और वो वहां से चली गई।

    भाभी जब भी झाड़ू पौंछा लगाती तो मैं उनके गहरे गले के टॉप में से उनके बड़े बड़े मम्मे घूरता। उस दिन मैं सोफ़ा पर बैठ कर अपने फोन में कुछ कर रहा था, तभी भाभी आ गई और मेरे पास बैठ गई। हम ऐसे ही बात करने लगे, तभी भाभी ने पूछा- आपकी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं?
    तो मैंने मना कर दिया और फिर हम बातों में मशगूल हो गए।

    एक दिन बाद जब भाभी झाड़ू लगा रही थी तब मैं उनके मम्मे घूरे जा रहा था, तभी भाभी ने मुझे पकड़ लिया और कहा- अब तो देवर जी, आप कोई लड़की ढूंढ ही लीजिए।
    भाभी की इस बात से मैं झेंप गया।

    बाद में मैं पढ़ने ऊपर के रूम में चला गया क्यूंकि छुट्टी के बाद मेरे एग्जाम स्टार्ट होने वाले थे। भाभी ऊपर रूम में अपना काम निपटा कर आई और बोली- मैं मार्केट जा रही हूं कुछ सामान लेने के लिए!
    मैंने कहा- ठीक है।

    मार्केट से आने के बाद भाभी नहाने के लिए चली गई। नहाने के बाद वो नीचे टीवी देखने चली गई। उस वक्त मुझे शरारत सूझी। मैं चुपके से भाभी के कमरे में गया जो ऊपर के माले पर ही था और वहां जा के भाभी की पेंटी और ब्रा ले ली और उसे मैं सूंघने लगा।
    कमाल की खुश्बू आ रही थी भाभी की पेंटी से।

    पैंटी पर मैंने देखा कि कुछ चिपचिपा लगा हुआ था। वो भाभी का कामरस था।
    मैं उसे चाटने लगा। थोड़ा खारा स्वाद था मगर मस्त था।

    इस सब चक्कर में मैंने अपना खड़ा लंड शॉर्ट्स में से बाहर निकाला और ब्रा उस पर लपेट के मुठ मारने लगा और पेंटी भी चाट रहा था.
    मुझे दरवाजा बंद करने का खयाल नहीं आया और तभी भाभी आ गई, उन्होंने मुझे इस हालत में देखा और जोर से बोली- क्या कर रहे हो यह तुम?
    मैं डर गया और भाभी से माफी मांगने लगा.

    लेकिन मेरी सोच से उलट भाभी मेरे करीब आई और अचानक से मेरा लौड़ा चूसने लगी। भाभी के इस अचानक वार के लिए मैं तैयार नहीं था। पहली बार किसी लड़की ने मेरा लौड़ा मुंह में लिया था तो पूरे शरीर में अचानक से करेंट दौड़ गया।
    मैं आंखें बंद करके मजे ले रहा था। भाभी गपागाप मेरा लंड चूसे जा रही थी। दोस्तो, उस अहसास को शब्दों में बयां करना मुश्किल है।

    दस पंद्रह मिनट की चुसाई के बाद मैं झड़ गया और भाभी मेरा सारा रस गटक गई, चूस चूस कर उन्होंने मेरा सारा माल खाली कर दिया।

    मेरा माल पीने के बाद भाभी बोली- देवर जी, आपका लंड तो बहुत ही मस्त है और माल भी टेस्टी है।
    भाभी ने इतना बोल लिया कि नीचे से दरवाज़े की बेल बजी।
    भाभी बोली- लगता है तुम्हारे भैया आ गए!
    और अपने आप को ठीक करके वह वहां से निकल गई।

    बाद में भैया मुझे खाने के लिए आवाज दी तो मैं नीचे चला गया। हम तीनों ने खाना खाया और भैया खाना खाने के बाद पंद्रह-बीस मिनट में फैक्ट्री लिए निकल गए।
    बाद में भाभी वाशबेसिन में बर्तन साफ करने लगी। मैं पानी पीने के बहाने किचन में गया और भाभी को पीछे से पकड़ लिया।
    भाभी ने इस हरकत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी इसलिए मैंने अपना लौड़ा भाभी की गांड की दरार में घुसा दिया और घिसने लगा। मैंने मेरे हाथ भाभी के बड़े बड़े स्तनों पर रख दिये और उन्हें दबाने और मसलने लगा।

    भाभी बोली- क्यों देवर जी, पहले तो शरमाते थे और अब सब शर्म निकल गई?
    तो मैंने कहा- ये सब आपका ही किया-धरा है।
    इस बात से भाभी हंसने लगी और कहा- जाइए ऊपर रूम में… मैं अभी काम खत्म करके आती हूं.
    तो मैं मन मार के ऊपर चला गया।

    करीब दस मिनट बाद भाभी आई। उनके आते ही मैंने उन पर हमला कर दिया और उन्हें किस करने लगा। भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं किस करते करते उनके मम्मे मसलने लगा. तभी भाभी ने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी तो मैं भी उसे चूसने लगा।

    किस करते करते मैं उनके कुर्ते के अंदर हाथ डाल कर मम्मे दबाने लगा। अब मैंने भाभी का कुर्ता उतार दिया। कुर्ता उतरते ही उनके 36 इंच साइज़ के बड़े बड़े मम्मे मेरे सामने थे। मैं उन पर टूट पड़ा, एक को हाथ से दबाता और एक को मुंह से चूसता रहा। बड़े और नर्म नर्म मम्मे चूस कर मज़ा आ गया।
    तकरीबन 15 मिनट तक मैं मम्मे चूसता रहा।

    अब बारी उनकी नाभि की थी। भीआईपीचोटी की कहानियां पढ़ पढ़ कर मुझे यह पता लग गया था कि औरतें नाभि और गर्दन पर किस करने से बहुत जल्दी गर्म होती हैं।
    मैं नाभि पर और उनके नरम पेट पर किस करने लगा। किस करते करते मैंने अपना एक हाथ उनकी सलवार में घुसा दिया और पैंटी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा।

    फिर मैं अचानक खड़ा हुआ और फटाक से उनकी सलवार को खींच कर उतार दिया। अब भाभी मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में पड़ी थी।
    आह दोस्तो क्या नज़ारा था।
    तभी भाभी बोली- ये तो नाइंसाफी है देवर जी, मुझे नंगी करके आप खुद कपड़ों में हैं. तो मैंने कहा कि आप खुद उतार दीजिए।
    तब भाभी खड़ी हुई और मुझे किस करने लगी।

    किस करते करते मेरा टीशर्ट उतार दिया और मुझे बेड पर धकेल दिया। अब अधनंगी भाभी मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे किस करने लगी।
    उनकी चूत सीधे मेरे लंड पर थी तो वो भी खड़ा हो गया था। किस करते करते वो नीचे की तरफ आगे बढ़ी और मेरे शॉर्ट्स उतार दिए। अब मैं सिर्फ चड्डी में था और भाभी सिर्फ़ पैंटी में।
    चड्डी को मेरा लंड खड़ा करके तम्बू बना रहा था, यह देखकर भाभी बोली- आप के छोटे उस्ताद तो बहुत बड़े हैं।

    उसके बाद भाभी ने मेरी चड्डी को खींच कर निकाल दिया और वो मेरा लंड चूसने लगी। उनके मुंह से आवाजें आ रही थी।

    तभी मैंने भाभी के सर को पकड़ लिया और नीचे से धक्के देने लगा। दस-पंद्रह मिनट की चुसाई के बाद में जब मैं झड़ने को आया तो मैंने भाभी का सर अपने हाथों से लंड पर दबा दिया और एक धक्का दिया तो मेरा लंड सीधा उनके गले में रुका और मैंने अपना माल भाभी के मुंह में झाड़ दिया और भाभी मजे से सारा माल पी गई।

    अब मेरी बारी थी। भाभी को मैंने बेड पर धकेल दिया और उनकी नर्म और चिकनी जांघों को सहलाने और चूमने लगा। धीरे धीरे मैं ऊपर बढ़ता गया और बाद में पेंटी के ऊपर से ही भाभी की चूत चाटने लगा और मौका देखते ही जब भाभी ने अपनी गांड ऊपर की तो फटाक से पेंटी को निकाल दिया।

    अब भाभी मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी। मैं भाभी की जांघों के पास आया और उनकी चूत निहारने लगा। उनकी चूत क्लीन शेव्ड थी और बड़े होंठों के साथ गुलाबी थी।
    मैं पागलों की तरह चूत चाटने लगा।

    इसी बीच मैंने अपनी पूरी जीभ उनकी चूत के अन्दर डाल दी और भाभी आहें भरने लगी- हाँ चाटो विशाल अपनी भाभी की चूत और जोर से।
    और मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी।

    थोड़ी देर की चुसाई और चटाई के बाद भाभी अपने चरम पर पहुंच गई और झड़ने लगी। मैं सारा पानी चाट कर पी गया नमकीन थोड़ा खट्टा स्वाद था भाभी के पानी का।

    अब हम फिर किस करने लगे। किस करते करते भाभी मेरे लंड और टट्टे सहलाने लगी। सहलाते सहलाते उन्होंने मेरे लंड को फिर से खडा कर लिया।

    मैं फिर से नीचे आ गया और भाभी की चूत में उंगली करने लगा। भाभी की सिसकारियां निकलने लगी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और कहने लगी- मुझसे अब रहा नहीं जाता, चोद दो अपनी भाभी को।
    तो मैंने भाभी की टांगों को फैलाया और उनकी चूत पर लंड का टोपा घिसने लगा।

    भाभी और तड़पने लगी और कहने लगी- अब नहीं रहा जाता, प्लीज़ चोद दो मुझे।
    तो मैंने छेद पर लण्ड टिका कर धक्का दिया, एक बार में अपना पूरा 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड चूत में घुसा दिया।
    भाभी चीखने लगीं- मार डाला तूने विशाल… एक झटके में कोई इतना बड़ा लंड डालता है?

    कुछ पल रुकने के बाद मैं भाभी को चोदने लगा, धीरे धीरे अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और भाभी भी सिसकारियां लेते लेते बड़बड़ा रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह ह्ह… जोर से चोदो अपनी भाभी को… आह्ह… उम्म्म।

    पंद्रह मिनट की धक्का पेल चुदाई के बाद मैं झड़ने को हुआ तो भाभी को बताया.
    तो भाभी ने कहा- अन्दर ही झाड़ दो!
    मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा, तभी भाभी का पानी फूट पड़ा और उसकी गर्मी से मैं भी झड़ने लगा। झड़ने के बाद में भाभी के पास ही लेट गया और उनके मम्मों से खेलने लगा।

    भाभी को मैंने पूछा- आज सुबह आपने एकदम से मेरा लंड क्यों मुंह में ले लिया था?
    तो उन्होंने कहा- मैं बहुत दिनों से देख रही थी कि आप मेरे मम्मे और गांड को ताड़ते थे और मुझे भी चेंज के लिए नया लंड चाहिए था. पर आप रहे बहुत शर्मीले, इसलिए मुझे पता था कि आप तो कोई पहल नहीं करेंगे, इसलिए मैंने आपके लंड पर हमला कर दिया।

    इस बात पर मैं भी मजाक के मूड में बोला- भाभी, आपकी इस सर्जिकल स्ट्राइक से तो मेरा लंड ढेर हो गया।
    और हम दोनों हसने लगे।

    बाद में मेरा फिर से मूड बनने लगा तो भाभी को कहा- भाभी, एक और राउंड हो जाए!!
    तो भाभी ने भी बात पर हामी भर दी।

    मैंने एक बार और भाभी की तरह तरह की पोजिशन में चुदाई की।

    इसके बाद तो जैसे हमारे बीच चुदाई का सिलसिला शुरू हुआ और अब भी मैं जब अपने मामा के घर जाता हूं तो कम से कम एक बार तो भाभी की चुदाई करता ही हूं।
    दोस्तो, मेरी यह कहानी कैसी लगी यह मुझे मेल करके जरूर बताना।
    आपका दोस्त विशाल।
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  • dest xxx kahani, भाई से चूत चुदवाकर चुदाई के मजे | kamukta Hindi Sex Story

    हैल्लो दोस्तों, मेरा Antarvasna नाम भूमि है और में गुजरात के वडोदरा शहर में रहती हूँ। मेरी उम्र 26 साल है और मुझे kamukta.app की सभी सेक्सी कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है, इसलिए में पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियों को पढ़कर उनके मज़े लेती आ रही हूँ और ऐसा करने में मुझे बहुत मज़ा आता है और यह मेरी अपनी लिखी हुई पहली सच्ची कहानी मेरे साथ घटी एक घटना है और यह आप लोगों को शायद पसंद आए। दोस्तों यह कहानी है मेरी और मेरे चचेरे भाई जिसका नाम मनीष है और जब मेरी उम्र 18 साल थी और मनीष की उम्र 22 साल थी। वो सूरत में रहता है और एक बार में अपनी छुट्टियों के दिनों में सूरत गई थी। वो वहां पर अपनी मम्मी और पापा के साथ रहता था और हम दोनों एक बहुत अच्छे भी दोस्त थे, इसलिए हमारे बीच में हमेशा हंसी मजाक हुआ करता था और हम दोनों एक दूसरे को अपनी सभी बातें भी बताया करते थे। फिर में उसके साथ उसके घर पर बहुत हंसी ख़ुशी से रहने लगी और उसके साथ मेरे कुछ दिन कैसे बीत गए मुझे इस बात का पता ही नहीं चला और मुझे वहां पर रहना हर बार की तरह इस बार भी बहुत अच्छा लगा और वो भी सभी घरवाले मेरे साथ बहुत खुश थे और उन सभी का मेरे लिए व्यहवार बहुत अच्छा था। सभी लोग मुझसे बहुत प्यार से पेश आते थे इसलिए मुझे वहां पर रहना अच्छा लगता था।

    फिर एक दिन मुझे पता चला कि उसकी मम्मी और पापा को किसी काम की वजह से एक सप्ताह के लिए कहीं बाहर जाना था, इसलिए वो मुझसे अपने बाहर जाने और हम दोनों का ध्यान रखने की बात कहकर दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर चले गये और में कहे अनुसार अब घर का काम करने लगी। दोस्तों वैसे मनीष मुझे शुरू से ही बड़ा अच्छा लगता था और वो भी मन ही मन मुझे चाहता था और फिर जब में किचन में काम कर रही थी तब वो चोरी छिपे पीछे से आकर मुझसे चिपक गया और फिर वो मुझसे इधर उधर की बातें करने लगा था और चुपके से उसने मेरे बूब्स को भी दबा दिया। उसी रात को हम दोनों साथ में बैठकर फिल्म देख रहे थे और तभी कुछ देर बाद उसमे एक किस का द्रश्य आ गया, तो मनीष उसको देखकर थोड़ा सा शरमा गया और में उसको देखकर हंस पड़ी। फिर वो भी मुझे देखकर हंस पड़ा और थोड़ी देर के बाद में सोने के लिए चली गई और रात के समय मुझे पानी की प्यास लगी, तो में अब उठकर किचन में चली गई। उस समय ड्रॉयिंग रूम में से कुछ आवाज़ आ रही थी, वो आवाज एक लड़की की थी, तो मैंने चुपके से अंदर झांककर देखा तो टीवी पर एक ब्लूफिल्म चल रही थी और अब मैंने देखा कि मनीष उस समय पूरा नंगा सोफे पर था और उसका हाथ उसके लंड पर था। मैंने पहली बार किसी का लंड देखा था, इसलिए में उसको देखकर बड़ी चकित थी, क्योंकि वो बहुत मोटा और लंबा भी था और टीवी पर एक लड़का एक लड़की की गांड में जबरदस्ती अपना डाल रहा था और वो लड़की दर्द की वजह से बहुत ज़ोर से चिल्ला रही थी। में भी अब वो सब देखकर बड़ी मस्त हो गयी और में उस समय धीरे धीरे जोश में आने लगी थी और उसी समय मैंने अपनी उस नाईट ड्रेस में अपना एक हाथ अंदर डालकर मैंने अपनी चूत में उंगली को डाल दिया और में अपने दूसरे हाथ से अपने बूब्स को दबाने लगी मुझे बड़ा मज़ा आने लगा था। फिर तभी अचानक से उसने अपना मुहं मेरी तरफ घुमाया और फिर उसने मुझे देख लिया और वो मुझे बाहर खड़ा देखकर एकदम से डर गया और उसने टीवी को उसी समय तुरंत ही बंद कर दिया। अब में उसके पास चली गयी और वो मुझसे बोला कि दीदी आप मुझे माफ़ करना और प्लीज़ यह बात आप किसी से मत कहना। फिर तभी में उसको गुस्से से देखकर बोली कि यह सब तुम अभी क्या कर रहे थे? तुम कितने गंदे हो जो ऐसे गंदे गंदे काम किया करते हो। फिर वो मुझसे बोला कि अब में ऐसा कभी भी नहीं करूँगा और फिर मैंने उसको बोला कि हाँ ठीक है में यह बात किसी से नहीं कहूँगी, लेकिन मैंने देखा कि उसने अभी भी कुछ नहीं पहना हुआ था और मैंने देखा कि मेरी पेंटी भी उस समय उसके हाथ में थी, उसकी वजह से वो और भी ज्यादा घबरा गया। अब में उसके पास में बैठ गयी और फिर मैंने उसके हाथ से मेरी पेंटी को ले लिया, जिससे उसने अपने लंड को ढका हुआ था और मैंने देखा कि उसका लंड अभी भी टाइट था। फिर मैंने उसको छुआ तो वो बहुत गरम था। फिर मैंने उसको प्यार से कहा कि यह सब ठीक नहीं है वो बिल्कुल पागल हो गया और मुझे अपनी बाहों में ले लिया और फिर वो मुझे किस भी करने लगा और अब में उससे अपनी चुदाई करने की कोशिश करने लगी, लेकिन वो बहुत हिम्मत वाला था और उसने मुझे ज़ोर से किस किया और वो मेरे बूब्स को दबाने लगा और में मस्त हो गयी। दोस्तों ये कहानी आप kamukta.app डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
    भाई से चूत चुदवाकर चुदाई के मजे
    अब वो मेरे कपड़े उतारने लगा और बोला कि भूमि में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और फिर में उससे कुछ कहती उससे पहले ही वो मुझे किस करने लगा और अब हम दोनों पूरे नंगे थे। फिर में भी उसके लंड को अपने हाथ में लेकर प्यार करने लगी और उसको धीरे धीरे सहलाने लगी थी। फिर वो मुझसे कहने लगा कि प्लीज जानेमन तुम इसको एक बार अपने मुहं में ले लो और वो इतना कहकर सोफे पर बैठ गया और मुझे भी नीचे बैठाकर उसने अपना लंड मेरे मुहं में डाल दिया। दोस्तों तब मैंने महसूस किया कि उसका लंड बहुत गरम और आकार में वो मोटा भी बड़ा था और में उसका लंड अपने मुहं में लेकर बड़े मज़े लेकर चूसने लगी थी, जिसकी वजह से वो बिल्कुल पागल हो गया और वो मेरे बाल को पकड़कर मेरे मुहं को अपने लंड से धक्के देकर चोदने लगा था और वो मुझसे बोलने लगा कि तू भी तेरी माँ की तरह बिल्कुल रंडी है, वो भी मेरे बाप का लंड हमेशा हर कभी ऐसे ही चूसती है। अब में उसके मुहं से वो बातें सुनकर एकदम से चकित हो गयी और वो मुझसे बोला कि हाँ चूस ले साली रंडी, ले और मज़े से चूस, वो ज़ोर से मेरे मुहं में अपने लंड को धक्के मार रहा था, जिसकी वजह से मुझे कुछ अजीब सा लगा। फिर उसने मुझे सोफे पर लेटा दिया और कुछ देर बाद अब हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गये वो मेरी चूत को चूसने के साथ साथ उस पर किस भी करने लगा था और मेरे दोनों पैरों को पूरा फैलाकर मेरी चूत में उंगली भी डालने लगा था। अब में उस दर्द की वजह से चिल्लाने लगी थी आह्ह्ह्ह ऑशश उफफ्फ्फ् वो अब और भी ज्यादा जोश में आकर बड़ा मस्त हो गया और में उसका लंड चूसने लगी। फिर थोड़ी देर बाद उसने मुझे खड़ा किया और बेडरूम में ले गया। फिर उसके बाद मुझे नीचे लेटा दिया और वो मेरे ऊपर चड़ गया उसके बाद वो मुझे किस करने लगा, जिसकी वजह से में गरम होकर सिसकियाँ लेने लगी थी और उसके बाद वो मेरे बूब्स को दबाने लगा और निप्पल को धीरे धीरे सहलाने लगा था और उसी के साथ वो मेरी चूत में अपनी दो उँगलियों को डालने लगा और फिर चाटने भी लगा था। अब में जोश में आकर उससे बोली कि प्लीज़ आह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फ़ थोड़ा जल्दी करो स्सीईईई, तब वो मुझसे पूछने लगा क्यों क्या तेरी चूत में अब खुजली हो रही है? साली तेरी तो चूत को में आज जरुर फाड़कर इसका भोसड़ा बना दूंगा और वो इतना कहकर अब मेरी चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा, जिसकी वजह से में पागल हो रही थी आह्ह्ह ओइईईई उफफ्फ्फ्फ़ और उसने धीरे से मेरी चूत में अपना आधा लंड डाल दिया और में उस दर्द की वजह से चिल्लाने लगी आईईई माँ में मर गयी, प्लीज़ अब तुम इसको बाहर निकाल दो आह्ह्ह्हह्ह माँ में तो गयी, वो फिर से मुझे किस करने लगा और कहने लगा कि कुछ नहीं हुआ है मेरी जान पहली बार चुदाई के समय सभी के साथ ऐसा ही होता है और इतना कहकर उसने अपनी तरफ से पूरा ज़ोर लगाकर अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया और में उस दर्द की वजह से रो पड़ी ओह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह माँ प्लीज़ अब तुम मुझे छोड़ दो आह्ह उफफ्फ्फ्फ़ मेरी चूत से अब खून भी निकलने लगा है और उसने थोड़ी देर कुछ नहीं किया, वो बिना हिले वैसे ही रुका रहा। फिर कुछ दे के बाद में वो अब मुझे धीरे धीरे धक्के देकर चोदने लगा था और अब मुझे भी उसके धक्को की वजह से धीरे धीरे मज़ा आने लगा था, अब में भी उसके साथ बहुत मस्त हो गयी और हम चुदाई करने लगे।

    अब वो मुझसे बोला कि क्यों मज़ा आया ना मेरी रानी? तब में जोश में आकर उससे बोली कि वाह क्या मस्त है तेरा लंड आह्ह्ह्हह्ह माँ वाह्ह्ह्हह हाँ बस ऐसे ही धक्के देकर तू चोद मुझे, आज तू फाड़ दे मेरी चूत को इसको असली मज़े दे, जिसके लिये में अब तक तरस रही हूँ, मुझे वो सभी मज़े आज ही दे क्योंकि में कितने दिनों से यह सभी मज़े मस्ती करने के लिए ऐसे ही किसी दमदार मोटे लंबे लंड की तलाश में थी जो आज तेरे लंड पर आकर खत्म हुई है इसलिए आज तू मुझे तेरे लंड का पूरा दम और इसकी असली ताकत दिखा दे, मुझे वो जोरदार धक्के मार जिससे में संतुष्ट हो जाऊँ और अब वो मेरी जोश भरी बातें सुनकर बड़ा मस्त होकर मुझे अपनी तरफ से जबरदस्त धक्के देकर चोदने लगा और अब मेरी गीली चूत में उसके लंड के लगातार अंदर बाहर होने की वजह से फच फच आवाज़ आने लगी। में दो बार झड़ गयी थी और अब वो मुझसे बोला कि में भी अब झड़ने वाला हूँ इसलिए में अपना वीर्य कहाँ निकालूं? तब मैंने उससे कहा कि तुम उस वीर्य को मेरी चूत में मत डालना, उसको बाहर ही निकाल दो। फिर उसने उसी समय अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकालकर मेरे मुहं में डाल दिया और उसने एक गरम पानी की पिचकारी मेरे मुहं में मार दी और वो मुझसे बोला कि तू इसको पी जा मेरी रंडी, तू आज मेरा सारा पानी पी ले और मैंने उसके आधे वीर्य को अपने गले से नीचे गटक लिया और आधा बाहर गिरा दिया। में उसके लंड को अपनी जीभ से चाटने लगी और मैंने उसको पहले से भी ज्यादा चमका दिया था और फिर हम दोनों वैसे ही पूरी रात नंगे एक दूसरे से चिपककर सो गए। दोस्तों हमारे बीच यह चुदाई का सिलसिला पूरे सात दिन तक ऐसे ही चलता था और हम दोनों ने तब उन दिनों चुदाई के पूरे पूरे मज़े लिए जिसकी वजह से हम दोनों बहुत खुश थे ।।

    धन्यवाद …

  • bhai behen xxx kahani, भाई और बहन की चुदाई कहानी

    मेरी दो जवान चचेरी बहनें आई हुई थी. मेरी एक सगी बहन है. तीनों रात को एक बेड पर सो रही थी कि मैंने उन्हें आपस में लेस्बीयन करते देखा और उनकी बातें सुनी.

    दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार. मेरा नाम शुभम कपूर है. मेरी आयु 23 साल है और मैं इंजीनियरिंग का छात्र हूँ. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ इसलिए मैंने सोचा कि मैं आपको अपनी जिंदगी में मिले सेक्स के अनुभव से परिचित कराऊं.

    यह बात उस समय की है जब मैं चढ़ती जवानी यानि बीस साल की उम्र में था. मैं अपने कॉलेज के तीसरे सेमेस्टर की छुट्टियों में अपने घर गया था.

    मैंने घर जाकर पाया कि मेरे घर में मम्मी पापा, दादी औऱ बहन रिचा के अलावा मेरे अंकल की बेटी आई हुई थी. उसका हमारे यहां आना जाना हमारे बचपन से था और वो उम्र में मुझसे दो साल बड़ी भी है. उसका बदला हुआ नाम अवनी है. उसके साथ मेरी बुआ की बेटी भी आई थी, उसका नाम आयुशी (बदला हुआ) है. आयुषी भी मुझसे एक साल बड़ी थी. मेरी सगी बहन रिचा भी मुझसे डेढ़ साल बड़ी है. मतलब घर में मैं ही एक अकेला जवान लड़का था और बाकी तीन लड़कियां थीं.

    दोस्तो, मैं बचपन से ही घर से दूर रहकर पढ़ा हूँ. इसलिए जब मैं घर पहुंचा, तो सभी के चेहरे पर मेरे लिए ख़ुशी थी. घर पहुंचते ही मैंने सभी को यथायोग्य प्रणाम किया, मुझे उनकी दुआएं मिलीं. इसके बाद खाना वगैरह खाकर मैं लेटने की तैयारी में था.

    मेरे घर में खाने के बाद गरम दूध पीने का रिवाज है. तो मुझे भी दूध पीकर सोने की आदत थी. मैंने अपना दूध का गिलास लिया और पीने के बाद अपने बिस्तर की तरफ चला गया.

    अब बारी उस रात की थी, जब से मेरे जीवन के शारीरिक सुख की नींव रखी गयी.

    मेरे घर में सभी बच्चों के एक साथ आने पर सभी ख़ुश थे, इसलिए मम्मी ने हम सबके लिए एक बड़े कमरे में सोने का इंतजाम किया था.

    हमारे घर में सभी कमरे काफी बड़े बनाये हुए हैं, पलंग वगैरह भी बड़े बड़े पड़े हैं, तो आराम से ज़्यादा लोग सो सकते हैं. मैं जिस कमरे में था, उस कमरे में एक डबल बेड और एक सिंगल बेड के साथ एक सोफा सैट भी था. इसके बाद भी इतनी जगह बची थी कि कोई अलग से खाट भी डाले, तब भी चलेगा.

    मैंने सोचा कि ये ठीक इंतजाम है, सोने से पहले सबसे बैठ कर बात कर लूंगा.

    तो हुआ यूं कि मेरी बहन, बुआ की लड़की और अंकल की लड़की तीनों बेड पर सोने लगीं. मैं अपने सिंगल बेड पर सोने आ गया. अभी मुझे नींद नहीं आ रही थी और वो तीनों भी बातें कर रही थीं. उनकी बातों में कुछ मौसम की गर्मी, मच्छरों की बहुतायत जैसी बातें शामिल थीं. मुझे उनकी बातें बहुत कम सुनाई दे रही थीं. पर उनकी धीमी आवाज में होने वाली बातें सुनकर मुझे ऐसा लगा कि मेरे उस कमरे में सोने से उन्हें कुछ दुख सा हो रहा था.

    उनके साथ मेरा क्या हुआ इस बात को आगे बढ़ाने से पहले मैं आपको उन तीनों के बारे में बता देता हूं.

    मेरी बहन रिचा की हाइट पांच फ़ीट पांच इंच है, रंग साफ बल्कि एकदम गोरा है. उसका उस समय फिगर 30-28-32 का होगा. अंकल की बेटी अवनी की हाईट पांच फ़ीट सात इंच, रंग गोरा, फिगर 32बी-30-36 का था और बुआ की बेटी आयुषी का कद पांच फ़ीट आठ इंच था. उसका रंग भी बिल्कुल दूध जैसा है. आयुषी का फिगर 32बी-28-34 का है.

    मेरा रंग साफ गेहुंआ खुलता गोरा, हाइट छह फ़ीट एक इंच है. लंड की लम्बाई छह इंच है.

    उन तीनों की खुसुर पुसुर जितनी तेज आवाजों से मुझे कोई रस नहीं आ रहा था, सो मैं चादर को सर से ओढ़ कर सो गया. लेकिन मेरी आंख तब खुली, जब मैंने पच्च पच्च उच्च की आवाज सुनी.

    ऐसी आवाजें तब आती हैं, जब कोई सेक्सी लंबी स्मूच करता है. उन आवाजों को सुनकर मेरी नींद टूट गई और मैं कान खड़े करके उन आवाजों को सुनने लगा.

    मामला समझते ही मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ पड़ी. मैंने धीरे से अपनी चादर के अन्दर से देखने की कोशिश की, तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ. वे तीनों पूरी माल जैसी लड़कियां एक साथ आपस में चूमाचाटी के मजे ले रही थीं. साथ में वो मेरा भी ध्यान रख रही थीं.

    उस समय मुझे समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं. अपने लंड को सहलाऊं या इनके खेल में कूद जाऊं.

    मगर ये जो लंड है, ये किसी की नहीं सुनता है. मामला समझते ही मेरा लंड अपने आप ही आधा खड़ा सा हो गया. इसके साथ साथ लंड से हल्का पानी भी निकलने लगा.

    सच्ची बात तो ये थी कि मैं दिखने में शरीफ हूँ, मगर शातिर दिमाग का हूँ. मैंने उस रात कुछ नहीं किया, बस यूं ही उनकी लेस्बियन रासलीला को देखता रहा. उनकी आपस में चुसाई चल रही थी, जिसका मैं आनन्द ले रहा था.

    मैं देख रहा था कि शुरुआत में उनकी जो तवज्जो में मेरी तरफ थी, वो धीरे धीरे अपनी सेक्स गतिविधियों की तरफ हो गई थी. मैं उनकी सेक्स लीला को अब आराम से देखे जा रहा था.

    उनमें से कभी कोई किसी के ऊपर चढ़ जाती, तो कभी कोई किसी की चूची दबाकर सुख ले रही थी. नाईट बल्ब भी बंद था, पर एसी की एलईडी लाइट से मुझे काफी कुछ दिख रहा था. उनकी ऊपर नीचे होने की सारी गतिविधियां मुझे साफ़ समझ आ रही थीं.

    फिर उनकी गतिविधियां खत्म हो गईं और मैं भी सो सा गया. तभी उनकी हल्की सी बात करने की आवाज आई. मेरे कान खड़े हो गए. अवनी मेरी बहन रिचा से कह रही थी.

    अवनी- तुझे कोई दिक्कत न हो तो मैं शुभ का ले लूं?
    रिचा ने कहा- मुझे क्या दिक्कत है … छेद तेरा है, तू किसी का भी ले ले.
    आयुषी- अवनी तू पटा ले फिर मैं भी खुजली मिटवा लूंगी.
    अवनी- फिर रिचा भी अपने भाई का ले लेगी.
    रिचा- अब सो जा कुतिया.

    वे सब हल्की आवाज में हंसने लगीं और इसी तरह की बातों के कुछ देर बाद वे तीनों सो गईं. मैं भी सो गया.

    सुबह हुई, तो सब नार्मल था. वे मुझसे ऐसे बात कर रही थीं, जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं चला था. मैंने भी सामान्य व्यवहार जारी रखा और उनके छुपे हुए हाव भाव पढ़ने की कोशिश करता रहा.

    कुछ देर बाद मेरी बहन और बुआ की बेटी घर से बाहर गार्डन में चली गई थीं.

    मैंने आवाज लगा कर आयुषी से पूछा- अवनी दीदी कहां चली गई हैं?
    वो बोली- उसको पथरी है … उसको स्टोन पेन हो रहा है.
    मैंने पूछा- ओह … पर वो कहां हैं?
    वो बोली कि वो रूम में ही है.

    मैं कमरे में गया, तो देखा कि वो लेटी हुई थी.

    मैंने अवनी से पूछा- क्या ज्यादा दर्द हो रहा है … दवाई ली क्या?
    वो बोली कि हां दवा ली है, पर उससे आराम नहीं हो रहा है.
    मैंने पूछा- वोवरान का इंजेक्शन लेना है क्या?

    वोवरान का इंजेक्शन एक दर्द निरोधक इंजेक्शन है … जो प्राथमिक उपचार के लिए घरों में रखा जाता है.

    अवनी- नहीं … मुझे सुई नहीं लगवाना है.
    मैंने कुछ सोचते हुए कहा कि अच्छा रुको, मुझको बताओ कि कहां पर दर्द हो रहा है.
    उसने हाथ रखकर बताया कि यहां है.
    मैंने वहां हल्का सा हाथ लगाते हुए पूछा कि यहां?
    वो बोली कि हां यहीं है.

    वो दर्द में थोड़ी सी तड़पने का नाटक करने लगी.

    दोस्तो, कोई बला सामने हो, तो दर्द भी अच्छा लगता है. मेरे सामने अवनी जैसी सेक्सी आइटम पड़ी थी, जो पिछली रात खूब चुम्मा चाटी कर रही थी. वो बेहतरीन रूप की रानी थी. साथ ही मुझे उसकी बात भी याद थी, जिसमें उसने मेरी बहन रिचा से मेरे लंड लेने की बात की थी.

    ये सब सोच कर मैंने उसे एक चूतियापंती वाली सलाह देते हुए कहा कि जब दांत में दर्द होता है, तो उसे भींचने से आराम मिलता है. तुमको जहां दर्द है, वहां जरा जोर से भींचो.

    लेकिन वो कुछ भी नहीं कर रही थी. बस दर्द में कराह रही थी.

    मैंने भावुकता में उससे फिर से बोला- तू पागल है यार!
    जहां हम आपस में आप करके बात करते थे, वहां मैंने तू बोल दिया था.

    वो मेरी तरफ देखने लगी, जैसे जानना चाह रही हो कि इसमें पागलपन जैसी क्या बात थी.

    मैं भाईपना दिखाते हुए उसके पेट को दबाने लगा, जिसका उसने बिल्कुल भी विरोध नहीं किया. उसने ऐसा रिएक्ट किया, जैसे उसे थोड़ा आराम मिल रहा हो. मैं भी महामादरचोद था, उसकी आंखों को देख रहा था. वो पास खड़ी आयुषी की तरफ देखते हुए आंख दबा रही थी.

    आयुषी कमरे में कब आ गई थी इसका मुझे भान ही नहीं हुआ था. मगर रात में ये भी मेरे लंड से खुजली मिटवाने की बात कर रही थी, तो उससे मुझे कोई डर नहीं था.

    उसकी दबती आंख देख कर मेरी ये हरकत अब कामुकता की ओर जाने लगी थी. मेरी चूतियापने की ट्रिक काम कर गयी थी. अब मैंने उसके पेट को बिना किसी के डर के दबाते हुए उसका सूट ऊपर कर दिया. वो एक पल के लिए जरा हड़ाबड़ाई, पर इस पर उसने कोई खास विरोध नहीं किया.

    उसने आयुषी को जाने का इशारा कर दिया. मैं समझ गया कि अब ये मुझे खोलना चाह रही है.

    मैंने उन दोनों के इशारेबाजी से खुद को लापरवाह दिखाते हुए कहा कि ऐसे करने से ज्यादा आराम मिलेगा. मुझे मालूम है कि कैसे दर्द कम किया जा सकता है. मैं मसाज से दर्द ठीक कर सकता हूँ.

    उसे मालूम था कि मैंने योग और मसाज थेरेपी का कोर्स ऋषिकेश से किया हुआ है … इसलिए उसने शायद मेरे लिए अपना भरोसा सा जताया.

    इधर मैंने भी मन ही मन ठान लिया था कि रात में इनका लेस्बियन सेक्स देखने के बाद आज मैं भी कुछ ना कुछ तो सुख ले सकता हूँ. मैं उसके पेट पर अपने हाथ फेरते हुए सोच रहा था कि जब बहन से बहन मजे ले सकती है, तो भाई को भी शक्ति प्रदर्शन का हक़ है. फिर ये तो खुद ही मुझसे चुदने फिर रही है.

    मैं अपने पूरे दिमाग और हाथों की कला से अवनी के पेट को सहलाने लगा. मैं ऊपर की तरफ हाथ ले जाने की अभी सोच ही रहा था … लेकिन तभी अवनी ने अपने मम्मों के नीचे दोनों हाथ रख लिए … जिससे कि मेरे हाथ उसके ऊपर ना जा पाएं और उसके मोटे मोटे चुचों को मेरे करामाती हाथ ना छू सकें.

    दोस्तो, अगर कुछ मिले तो कुछ और के लिए कुछ और मेहनत भी करनी पड़ती है. अब उसने ऐसा शो किया कि उसका दर्द कम होने लगा है. इधर उसके पेट के स्पर्श से मेरा लंड हिलने लगा था. उसका भी कोई विरोध न होने से मेरा लंड अपना रूप बढ़ाने लगा था.

    अब मैं अपना हाथ उसके पेट नाभि और नीचे सलवार के नाड़े के अन्दर करने की ताक में था. उसकी सलवार का नाड़ा बाद टाइट बंधा था. पर मुझ पर तो मानो भूत सवार हो गया था. मैंने बेहिचक उसकी टांगें फैला दीं और अपने हाथ को नीचे ले जाने लगा. मेरा हाथ सलवार के नाड़े को खोले बिना अन्दर जाने लगा था. मेरी उंगलियों को उसकी चुत की झांट के बाल टच होने लगे. उसे भी मेरी उंगलियां अपनी पैंटी के ऊपर से महसूस होने लगीं. मेरे शरीर में एक अलग सी सिरहन सी दौड़ने लगी. मेरा लंड से रस टपकने लगा.

    मैं उसकी चुत के बिल्कुल पास अपना हाथ ले गया. अब मुझे उसकी रेशमी झांटें महसूस होने लगी थीं. अभी मेरा हौसला सातवें आसमान पर था. उधर उसको भी पथरी के दर्द में आराम का सुख नहीं, बल्कि शरीर के सुख का मजा आने लगा था. अब उसने मेरा विरोध करना बिल्कुल बंद कर दिया था … और अपनी टांगें पूरी तरह से खोल दी थीं.

    दोस्तो, वो इतनी मस्त माल थी कि मैं उसी समय उससे उसको चोदने की गारंटी किसी भी तरह ले लेना चाहता था. इसलिए जब मैंने उसकी झांटों की बीच से उसकी चुत की फांकों पर जब हाथ लगाया, तो उसने मेरा हाथ बाहर निकाल दिया. जबकि मेरा हाथ उसकी पेंटी के ऊपर ही था.

    ‘क्या हुआ?’
    अवनी- कोई आ जाएगा.
    उसकी इस बात से मुझे साफ़ हो गया कि लौंडिया चुदने को मचलने लगी है.

    अब मैं उसके पेट और उसकी पटियाला सलवार के ऊपर से उसकी चुत को सहलाने लगा था. इससे उसे कोई दिक्कत नहीं हो रही थी.
    ये देख कर मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. मानो बस ऐसे ही हाथ से सहलाते हुए मुझे जैसे उसके गुप्तागों से खेलने का अनुमति पत्र मिल गया था.

    अब वो ‘सीई सीई यस … उम्म इजी..’ की आवाज़ करने लगी. मेरी मंजिल कुछ ही दूरी की बची थी. मैंने उसके सूट को ऊपर करने के लिए हाथ बढ़ाए, तब उसने मेरे हाथ पकड़ने का नाटक करना चाहा … पर अब वो टाइम निकल चुका था. मैं उसके साथ लेट गया.

    अब उसकी ब्रा को मैंने नीचे से ऊपर किया … तब जो सामने आया, वो रुककर देखने लायक नजारा था.

    गोलाकार ऊपर को उठे हुए प्राकृतिक मम्मे और उन पर भूरे रंग के बड़े से निप्पल … आह लाजवाब सीन था. अब मुझे उनका रसपान भी करना था … लेकिन किसी के आने के डर से मैंने उसके मम्मों को हाथ से दबाते हुए बाहर की तरफ देखा कि कोई है तो नहीं.

    फिर मैं उसके चौतीस बी के बड़े गोलाकार चूचों को दबाने लगा और उनका रसपान करने लगा. वो भी मधुर और कामुकता भरी आवाजों से मुझे शब्द सुख देने लगी. मुझे स्पर्श-रस का अतुलनीय सुख मिलने लगा. इससे मेरे लंड ने एक ठोस लकड़ी का रूप ले लिया.

    एक पल बाद मैं उसके बगल से उठ कर खड़ा ही गया. पहले मैंने बाहर जाकर देखा कि कोई आ तो नहीं रहा है. जब कोई नहीं दिखा तो मैंने कमरे की बिना कुंडी लगाए दरवाजे उड़का दिए. कमरे के दरवाजे को लॉक नहीं किया जा सकता था. इससे सभी को शक हो सकता था.

    फिर मैं पलट कर अवनी को ‘आई लव यू सेक्सी…’ कहके बुलाने लगा. उसने भी अपनी बांहें मेरी तरफ फैला दीं. मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा.

    कुछ पल बाद एक हाथ से मैंने उसकी सलवार के अन्दर हाथ डालकर उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया. मैंने पाया कि चुत पूरी गीली हो चुकी थी. चुत गीली पाकर मैंने उंगली को फांकों में डालने का प्रयास किया. उसकी गरम चुत में एक बार को उंगली घुसाने में मुझे थोड़ा जोर भी लगाना पड़ा. वो सिसकारने लगी शायद उसे उंगली अन्दर लेने में दर्द हो रहा था.

    मैंने पूरी लगन और उत्तेजना की हद पार की और उंगली से उसकी चुत की गर्मी का मजा लेने लगा.

    वो मुझे चूमने लगी. हाथ से चुत में उंगली और होंठों से चुम्बन का सुख हम दोनों की चुदास को लगातार बढ़ाता जा रहा था.

    तभी किसी के आने की आहट ने मुझे बेड से उठने को मजबूर किया और उठते हुए मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चुत की गंध को सूंघा और अवनी की चुत को चोदने का निश्चय कर लिया.

    कमरे में आयुषी आई हुई थी. उसे देख कर अवनी ने बुरा सा मुँह बनाया. तभी आयुषी जल्दी से बाहर चली गई.

    मैंने अवनी से कहा- मैं ऊपर अपने कमरे में जा रहा हूँ. तुम उधर ही आ जाना.
    अवनी ने मुस्कुरा कर ओके कहा … तो मैंने भी हंस कर कह दिया कि बाल साफ़ करके आ जाना. मुझे भी अपने साफ़ करने हैं.

    उसने उठ कर मेरे सीने से लग कर मुझे चूमा और नशीली आंखों से कहा- मैं बहुत प्यासी हूँ.
    मैंने भी उसके होंठ चूसे और कहा- मैं भी बहुत प्यासा हूँ.

    इसके बाद मैं कमरे से निकल कर ऊपर चला गया और वो बाथरूम में चली गई.

    कुछ देर बाद मैंने अपने लंड की झांटों को साफ़ किया और शॉवर लेकर अवनी के आने का इंतजार करने लगा.

    दस मिनट बाद अवनी एक स्कर्ट और हाफ शर्ट पहन कर कमरे में आ गई.

    मैं उसे देखते ही समझ गया कि साली ने न तो चड्डी पहनी है और न ही दूध बांधने का कोई सरदर्द लिया है. वो बिना ब्रा पैंटी के आई थी. मैं भी सिर्फ एक फ्रेंची में लेटा था.

    उसके आते ही मैंने कमरे के दरवाजे बंद कर दिए. वो मेरी कमर से अपनी टांगें लिपटाते हुए मुझसे लटक गई और हम दोनों के होंठ आपस में जुड़ गए.

    दोनों के मुँह की जीभों ने लड़ना शुरू कर दिया था. मेरे हाथ उसकी नंगी गांड पर घूम रहे थे. मेरे हाथ की एक उंगली उसकी चुत में घुस कर उसकी चुत का जायजा ले रही थी. झांटें हट चुकी थीं और चुत टपक रही थी.

    इसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया. उसने लेटते ही अपनी स्कर्ट उतार दी और शर्ट के बदन खोल कर अपनी सफाचट चुत और मदमस्त चूचियां मेरे सामने खोल दीं.

    उसकी आंखों से हया नाम की चीज खत्म हो चुकी थी और वो भूखी रंडी सी दिख रही थी. मैंने भी अपनी चड्डी उतार कर लंड लहराया और उसकी टांगों को फैलाते हुए उसकी चुत पर होंठ लगा दिए. उसने भी गांड उठा कर चुत को मेरे होंठों से लगा दिया.

    एक मिनट बाद ही मैं 69 में हो गया और वो मेरे लंड को चूस कर मजा देने लगी.

    उसने कहा- शुभ … एक बार अन्दर बाहर कर दो … प्लीज़ बड़ी आग लगी है.
    मैंने ओके कहते हुए कहा- प्रोटेक्शन?
    वो बोली- माँ की चुत प्रोटेक्शन की. तू बस जल्दी से लंड पेल दे. न जाने कब से प्यासी है.

    मैंने चुदाई की पोजीशन सैट करते हुए पूछा- कबसे प्यासी है?
    वो बोली- दो महीने पहले लिया था.

    मैं समझ गया कि इसकी चुत रगड़ी जा चुकी है. बस मैंने बिना इशारा दिए लंड का सुपारा चुत में ठोक दिया.

    ‘आह … भैनचोद … फाड़ेगा क्या?’

    मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए फिर से झटका मारा तो आधा लंड बहन की चुत को चीरता हुआ अन्दर धंस गया था.

    उसने मेरी पीठ पर नाखून गड़ा दिए और दर्द से कराहते हुए बोली- रुक तो जा मादरचोद … पानी तो आने दे.

    मैंने हंस कर उसे चूमा और उसके दूध पीने लगा. एक दो पल बाद उसको राहत सी मिली और उसने गांड उठा कर इशारा किया. मैंने लंड बाहर खींचा और पेल दिया. अबकी बार पूरा लौड़ा बहन की चुत में अन्दर तक चला गया था.

    धकापेल चुदाई होने लगी. कोई बीस मिनट बाद मैंने उसकी चुत में ही अपना माल छोड़ दिया.

    फिर उसको चूम कर पूछा- अब पथरी का दर्द कैसा है?
    वो हंस दी और बोली- पथरी को तेरे इस लोहे के लंड ने तोड़ दिया है.
    मैंने उसे चौंकाते हुए कहा- तो जाकर आयुषी से उसकी खुजली को खत्म करवाने की कह दे.

    वो मेरी बात सुनकर हैरान हो गई और बोली- मतलब तुम सब देख सुन रहे थे.
    मैंने उसकी चूची के निप्पल को चूसते हुए कहा- मुझे भोसड़ समझ रखा था क्या?
    इस पर वो बोली- तो रिचा को भी साथ बुला लूं?
    मैंने कहा- चुत लंड का कोई रिश्ता नहीं होता है. चुत को लंड की जरूरत होती है और लंड को चुत और गांड दोनों की जरूरत होती है.
    वो हंस दी और बोली- मादरचोद साले गांड मारने की भी फिराक में हो.

    मैं भी हंस दिया और उसके साथ चिपक कर लेट गया.

    दोस्तों मैंने अवनी की चुत चुदाई का मजा ले लिया था. अब आगे आयुषी और रिचा की चुत में लंड पेलने की कहानी आपके मेल मिलने के बाद लिखूंगा.

    अगले दिन मैं किसी जरूरी काम से एक दिन के लिए अपने कॉलेज दिल्ली चला गया. मैं अपनी इन चुदक्कड़ बहनों की चुदाई की कहानी आपको जरूर बताऊंगा.

    आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी, आप मुझ बता सकते हैं.
    [email protected]