Month: February 2020

  • बेटे ने मम्मी की चूत फाड़ी

    हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम स्नेहल है और में बी कॉम के आखरी साल में पढ़ता हूँ। दोस्तों यह कहानी उस वक़्त की है जब मेरे पापा उनके किसी काम से कहीं बाहर गए हुए थे। उस वक़्त घर पर में और मेरी सेक्सी मम्मी दोनों ही अकेले थे। दोस्तों में अपनी इस घटना को सुनाने से पहले आप सभी को अपनी मम्मी का परिचय दे देता हूँ। मेरी मम्मी का फिगर 36-24-36 है और वो इतनी सेक्सी लगती है कि कोई भी उनको देखकर उनकी चुदाई करने की इच्छा रखता है। अब में आप लोगों को घुमाना नहीं चाहता और इसलिए में सीधे अपने जीवन के सच्चे अनुभव बेटे ने मम्मी की चूत फाड़ी की तरफ ले चलता हूँ। एक दिन मेरे पापा अपने काम की वजह से वो गोवा गये हुए थे और में घर पर अपनी मम्मी के साथ था। फिर उस समय मेरी मम्मी सब्जी लेने बाजार में गयी हुई थी और जब वो सब्जी लेकर वापस आई तो वो अपने कपड़े बदलने के लिए कमरे में चली गयी और तब उन्होंने अपना दरवाजा खुला छोड़ दिया।

    में तुरंत वहां पर चला गया और तब मैंने देखा कि वो उस समय अपना दरवाजा बंद करना भूल गई है और मैंने वहां छुपे छुपे थोड़ा सा दरवाजा खोला और में अंदर देखने लगा। मम्मी ने अपनी साड़ी उतारी और उसके बाद में उन्होंने अपना ब्लाउज भी उतार दिया, जिसकी वजह से अब मम्मी सिर्फ़ अपनी ब्रा और पेंटी में खड़ी हुई थी। अब यह नजारा देखते ही मेरा लंड तुरंत तनकर खड़ा हो गया और में कुछ देर मज़े लेकर अपने कमरे में चला गया और में अपना लंड हाथ में लेकर मसलने लगा। अपने लंड को सहलाने लगा और में कुछ देर बाद में अपने दोस्त के साथ बाहर चला गया।

    फिर जब में लौटकर वापस आया तो मेरी मम्मी ने खाना टेबल पर रख दिया था और में खाना खाकर बाहर के रूम में जाकर सो गया। फिर रात को अचानक मेरी जब नींद खुल गयी तो मैंने देखा कि मेरी सेक्सी मम्मी भी उस समय आगे के रूम में मेरे पास वाले बेड पर सोई हुई है। करीब 15 मिनट तक में उनको देखता ही रहा और उन्होंने उस समय बहुत ही सेक्सी गाउन पहना हुआ था, लेकिन अब मुझसे रहा नहीं गया और में धीरे से उनके पास जाकर बैठ गया और मैंने मम्मी को धीरे से हिलाया और चेक किया कि वो सो गयी है या अभी जाग रही, लेकिन वो तो उस समय पूरी तरह से सोई हुई थी, इसलिए मैंने थोड़ी हिम्मत करके धीरे से अपना एक हाथ उनके गोरे, बड़े और सेक्सी बूब्स पर रख दिया और मम्मी की तरफ से कोई भी हलचल ना देखकर थोड़ी और हिम्मत करके मैंने थोड़ी देर के बाद अपने दूसरे हाथ से उनके गाउन की चैन को धीरे धीरे खोलना शुरू कर दिया और उसके बाद मैंने अपना एक हाथ उनके बूब्स पर रख दिया और अब में धीरे धीरे उनके बूब्स को दबाने लगा। तब मैंने महसूस किया कि उनके वाह क्या मस्त मुलायम बूब्स थे, वो बहुत ही बड़े आकार के और सेक्सी थे आर मैंने करीब बीस मिनट तक उनके बूब्स को दबाया और उनको सहलाया।

    फिर उसके बाद में धीरे से उठकर उनके दोनों पैरों के बीच में जाकर बैठ गया और अब में अपना हाथ धीरे धीरे उनकी चूत के करीब ले गया और फिर में अपने हाथ को उनकी चूत के ऊपर फेरने लगा। में उनकी चूत को छूकर महसूस करने लगा और सहलाने लगा। मुझे यह सभी काम करने में बहुत मज़ा आ रहा था। तभी थोड़ी देर के बाद अचानक से मेरी मम्मी जाग गयी और तब उन्होंने देखा कि मेरा हाथ उनकी चूत पर है तो वो यह सब देखकर एकदम घबरा गई, तो उसी समय मैंने उनसे बोला कि मम्मी अगर आपको ऐतराज ना हो तो क्या में आपको चोद सकता हूँ। दोस्तों मम्मी मेरे मुहं से यह बात सुनकर पहले से ज्यादा घबरा गई। वो मेरी उस बात को सुनकर बड़ी चकित थी और इसलिए वो मुझसे बोली कि तुझे पता भी कि तू मुझसे यह सब क्या कह रहा है और अगर तेरे पापा को यह बात पता लगी तो क्या होगा, तुम्हे मालूम है? मैंने कहा कि किसी को कुछ भी पता नहीं पड़ेगा और में किसी से कुछ नहीं कहूँगा और आप भी मत बताना। उसके बाद मैंने अपनी माँ को बहुत देर तक समझाया तब जाकर वो तैयार हुई और उनकी तरफ से हाँ सुनकर अब मुझे कौन रोक सकता था? इसलिए में तुरंत कूदकर अपनी मम्मी पर चड़ गया और में उनको होंठो पर किस करने लगा।

    फिर कुछ देर बाद मम्मी भी मुझे अपने होठों से अपना जवाब देती हुई मेरा साथ देने लगी थी, उनका जोश देखकर मैंने सही मौका समझकर मम्मी का वो गाउन पूरा उतार दिया और अब मैंने उनको अपने सामने पूरा नंगा कर दिया। अब मम्मी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और वो मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी, जिसकी वजह से हम को बहुत मज़ा आने लगा और थोड़ी देर के बाद मैंने मम्मी को बेड पर लेटा दिया और अब में दोबारा उनके ऊपर चड़ गया और मैंने अपना तनकर खड़ा लंड उनकी चूत के छेद पर रखकर एक ज़ोर का झटका लगा दिया। फिर उसकी वजह से मम्मी के मुहं से सस्स्स्स्सस्स आह्ह्ह्हह्ह आईईईई ज़ोर से आवाज़ निकल गयी और में उनकी चीख को सुनकर एकदम से घबरा गया कि कहीं मेरे जोरदार धक्के के वजह से मम्मी की चूत फट तो नहीं गई और अगर ऐसा हुआ तो हमारे सामने समस्या खड़ी हो जाएगी और यह बात सोचकर में बहुत ज्यादा डर गया।

    उस दर्द की चीख की वजह मैंने मम्मी से भी पूछा, तो मम्मी ने मुझसे बोला नहीं बेटे अभी मेरी चूत नहीं फटी है, लेकिन अब तुम मेरी चूत को फाड़ दो और मेरी इस प्यास को बुझा दो, तुम मुझे आज अच्छी तरह जमकर चोदो और मुझे चुदाई का पूरा मज़ा दे दो। वैसे भी मुझे यह सब करे हुए बहुत समय हो गया है, क्योंकि तुम्हारे पापा को समय ही नहीं मिलता या वो बहुत थके होते है। अब मैंने उनके मुहं से यह बात सुनकर बहुत खुश होकर में अब ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा और मम्मी भी नीचे से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाती हुई मेरे धक्को का जवाब देती रही। इस तरह हम दोनों ने करीब आधे घंटे तक धक्के देकर चुदाई के बहुत मज़े लिए उसके बाद मैंने मम्मी से कहा कि अब आप उल्टा लेट जाओ और अब में आपकी गांड मारूँगा।

    बेटे ने मम्मी की चूत फाड़ी
    फिर यह बात सुनकर मम्मी ने मुझसे कहा कि नहीं बेटे तेरे पापा ने आज तक मेरी गांड नहीं मारी, हाँ उन्होंने कभी कभी मेरी गांड में अपनी ऊँगली जरुर डाली, लेकिन कभी लंड नहीं डाला। तुम रहने दो मुझे बहुत दर्द होगा और अब तू मेरी गांड मारेगा तो शायद वो आज फट जाएगी और उसका छेद भी बहुत छोटा और टाईट है इसमे तुम्हारा मोटा लंबा लंड नहीं जाएगा और तू तो अपना यह लंड मेरी चूत में डालकर ही इसके साथ मज़े कर ले। फिर मैंने मम्मी से कहा कि पहली बार आपको थोड़ा सा दर्द जरुर होगा, लेकिन उसके बाद में आपको बहुत अच्छा लगेगा और आपको मेरे साथ अपनी गांड में लंड लेने में बड़ा मज़ा आएगा और मेरे समझाने पर मम्मी तैयार हो गई और में उनके ऊपर आ गया।

    फिर मैंने अपना लंड मम्मी की गांड के छेद पर रख दिया और एक ज़ोर का झटका दिया जिसकी वजह से मेरा आधा लंड मम्मी की गांड में घुस गया, लेकिन दर्द की वजह से मम्मी अब बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी और वो मुझसे कहने लगी कि बाहर निकाल तेरा लंड ऊऊईईईईईईईइ माँ में मर गई निकाल इसको बाहर वरना यह मेरी गांड को फाड़ देगा ऊउफ़्फ़्फ़ मुझे बहुत दर्द हो रहा है आह्ह्हह्ह में मर जाउंगी प्लीज अब बाहर निकाल इसको, लेकिन में तो उनकी बात को सुने बिना अब और भी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था। फिर कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि अब मम्मी को भी मुझसे अपनी गांड मरवाने में बड़ा मज़ा आने लगा था और इसलिए वो भी अब अपनी तरफ से ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगी और थोड़ी देर के बाद मैंने वापस मम्मी को सीधा लेटा दिया और मैंने दोबारा उनकी चूत में अपना लंड डाल दिया।

    में उनको जोरदार धक्के देकर चोदने लगा और जब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो मम्मी से पूछा कि में इसको कहाँ निकालूं? तब उन्होंने मुझसे बोला कि तुम अपना लंड मेरी चूत से बाहर मत निकालना और तुम अपना वीर्य मेरी चूत में ही डाल देना और अब मैंने ठीक वैसा ही किया मैंने जोरदार धक्को के साथ अपना पूरा वीर्य उनकी चूत की गहराइयों में ही डाल दिया। उसके थोड़ी देर के बाद मैंने हम दोनों उठकर साथ में बाथरूम में नहाने चले गए। हम साथ में नहाने लगे और नहाकर वहां से बाहर निकलने के बाद हमने एक बार फिर से सेक्स किया और मस्त चुदाई के मज़े लिए और उसके बाद में खाना खाकर सो गया। दोस्तों सच कहूँ तो उस चुदाई से हम दोनों ही बहुत खुश थे, जिसमे उन्होंने भी मेरा पूरा पूरा साथ दिया और हमने चुदाई के मस्त मज़े लिए ।।

  • माँ कि चुचिया और चुत

    दोस्तों एक दिन की बात है, में उस दिन अपने कमरे में बैठकर किताब पढ़ रहा था कि तभी अचानक से कुछ गिरने की बहुत ज़ोर से आवाज़ आई। मैंने अपने कमरे से बाहर निकलकर देखा तो मेरी माँ के हाथ से दूध नीचे गिर पड़ा, क्योंकि उनका पैर फिसल गया था, लेकिन वो नहीं गिरी थी और उसके बाद वो उसे साफ करने लगी, तो मैंने उनसे कहा कि लाओ में इसको साफ कर देता हूँ, वो बोली कि नहीं में सब साफ कर दूँगी और जब वो साफ करने लगी तो मैंने देखा कि जो उनके बूब्स है वो उनके घुटनों से दबकर बाहर आने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हे ब्लाउज के अंदर के ब्रा ने पकड़ रखा था और वो बैठी हुई जो दूध गिर गया था उसको साफ कर रही थी। में वो सब देखकर पागल सा हो गया था और जैसे ही मैंने उनके उठे हुए बूब्स देखे, तो मेरे मन में जाने कैसे कैसे विचार आने लगे। मेरी माँ की लम्बाई 5.6 और उनके बूब्स का आकार 38 था और बाकी का आकार आप अपने आप सोच सकते है। मेरी माँ दिखने में बिल्कुल अच्छी, लेकिन थोड़ी सी मोटी जरुर थी। फिर जिस दिन से मैंने माँ को उस हालत में देखा में अब माँ कि चुचिया का दूध पीना चाहता था और मुझे एक दिन वो सही मौका मिल ही गया, जिसका मुझे बहुत इंतजार था। एक दिन मेरी माँ बाथरूम में कपड़े धो रही थी, वो दोपहर का समय था और में उस समय अपनी पढ़ाई कर रहा था। फिर इतने में माँ ने मुझे आवाज़ लगाई तो में तुरंत उठकर उनके पास चला गया और वो मुझसे कहने लगी कि तुम बाजार जाकर कुछ समान ले आओ और जैसे ही में उनके कहने पर बाजार की तरफ गया तो कुछ दूर जाकर मैंने देखा कि मेरी जेब में तो पैसे ही नहीं थे और ना ही पर्स था, इसलिए में वहीं से अपने घर के लिए वापस मुड़ गया और फिर अपने घर पर पहुंच गया।

    अब मैंने दरवाजे पर लगी घंटी बजाई, लेकिन उसका कुछ असर नहीं हुआ और तभी बाहर खड़े हुए मैंने मन ही मन में सोचा कि दाल में कुछ काला ज़रूर है, इसलिए मैंने अपनी जेब से दूसरी चाबी निकालकर दरवाजा खोल लिया और जैसे ही मैंने दरवाज़ खोला तो देखा कि मेरी मम्मी उस समय बाथरूम में नहा रही है। फिर मैंने बाथरूम के बाहर से आवाज़ देकर उनसे पूछा कि पैसे कहाँ है? तो वो बोली कि अलमारी से ले लो। मैंने उनकी बात पर तुरंत हाँ भर दी, लेकिन फिर में बाथरूम के ज्यादा पास चला गया और जो मैंने उस समय देखा तो में देखता ही रह गया। मेरी मम्मी के शरीर पर केवल ब्लाउज और ब्रा ही थी। उनकी साड़ी और पेटीकोट एक तरफ उतरे हुए रखे थे और उस समय मेरी माँ अपनी चूत पर मालिश कर रही थी, क्योंकि उन्होंने अभी अभी नहाते समय अपनी चूत के बाल साफ किये थे।

    यह सब देखकर मेरा 6 इंच का लंड खड़ा हो गया और पेंट से बाहर आने लगा। में वहां से कुछ देर बाद चला गया, क्योंकि मेरे दिमाग़ ने वो सब देखकर अब बिल्कुल काम करना बंद कर दिया था। फिर जब में सामान लाकर अपने घर पर पहुंचा तो में तुरंत बाथरूम में पेशाब करने चला गया और अब रह रहकर मुझे वो द्रश्य याद आ रहे थे जिनकी वजह से में पागल हो रहा था। फिर जैसे ही में कमरे में पहुंचा तो माँ मुझसे कहने लगी कि क्या बात है तुम आज बहुत परेशान से नजर आ रहे हो? तो मैंने कहा कि कुछ नहीं वैसे ही। दोस्तों में अपनी माँ को कैसे बताता कि मेरे मन में क्या बात है? माँ बोली कि चल में तुझे सर में तेल लगाकर मालिश कर देती हूँ जिससे तेरी थकान दूर हो जाएगी। फिर मैंने कहा कि ठीक है और मैंने झट से जाकर उनकी गोद में जाकर अपना सर रख दिया और लेट गया।

    मुझे उनके बूब्स बहुत अच्छे लग रहे थे और वो मेरी मालिश करती रही और कुछ देर बाद माँ ने मुझसे कहा कि मेरे पैर बहुत दर्द कर रहे है, लेकिन मेरे पैरों में तेल कौन लगाएगा? तो मैंने कहा कि आप मुझे दो में लगा देता हूँ, वो बोली कि नहीं में खुद लगा लूँगी और अब उनका हाथ मेरे सर पर बड़े प्यार से धीरे धीरे मालिश कर रहा था कि तभी अचानक से वो कुछ लेने के लिए नीचे झुकी तो उनके बूब्स मेरे मुहं में आ गए। मैंने उन पर अपनी जीभ को लगा दिया और मेरी यह हरकत मेरी माँ को पता चल गई। फिर में थोड़ा सा घबरा गया, तो वो मुझसे पूछने लगी कि तूने यह क्या किया? मैंने कहा कि कुछ नहीं, लेकिन माँ को कुछ और ही मंजूर था। शायाद वो मेरे मुहं से कुछ सुनना चाहती थी और उनकी शरारती मुस्कान को देखकर मुझे कुछ हिम्मत आई में टीवी देख रहा था कि उसमे कुछ देर बाद अचानक से एक स्मूच करने का द्रश्य आ गया।

    मेरी माँ भी पहले से गरम थी, क्योंकि उन्होंने अभी अभी अपनी चूत के बाल साफ किए थे और उसके साथ वो अपनी चूत को पहले ही रगड़कर गरम कर चुकी थी। अब वो मुझसे बोली कि क्या तू अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कहीं बाहर घूमने नहीं जाता? तो मैंने कहा कि वो एक महीने से बाहर गयी है, अब वो हंसते हुए बोली कि तेरी बात कहाँ तक पहुँची? मैंने कहा कि कहीं नहीं मतलब वो कुछ करने से बहुत ज्यादा डरती है। फिर माँ बोली कि ठीक बात है, लेकिन अगर ग़लती से कुछ हो गया तो? तभी मैंने तुरंत उनसे पूछ लिया कि क्या? दोस्तों में अपनी माँ की शर्म को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहता था। अब वो मुझसे बोली कि तू अब ज्यादा भोला मत बन, मुझे सब पता है कि तू मेरी कही सभी बातें अच्छी तरह से समझ चुका है। तभी मैंने डरते हुए उनसे एक बात बोली कि माँ में अपने मन की एक सच्ची बात बताऊं? कि तुम मुझे बहुत ज्यादा अच्छी लगती हो और फिर मेरी बात को सुनकर माँ बोली कि धत तू बिल्कुल पागल जैसी बातें क्यों करता है? तो मैंने बोला कि नहीं में सब सच कह रहा हूँ, वो भी अब गरम होने लगी थी और वो बोली कि तुझे मुझमें क्या क्या अच्छा लगता है? मैंने कहा कि आपकी आँखे और स्माइल, वो दोबारा पूछने लगी कि चल अब सही बता झूठ क्यों बोलता है?

    फिर मैंने बोला कि में आपको एक बात बताऊं? अभी कुछ देर पहले मैंने आपको बाथरूम में अपनी आखों से देखा था कि आप क्या कर रही थी? अब वो मुझसे झूठ बोलती हुई बोली कि नहीं तू झूठ बोलता है, चल बता में क्या कर रही थी? मैंने कहा कि आप उस समय बाथरूम में खड़ी हुई थी और नीचे से पूरी नंगी थी और आपने अपनी चूत के बाल साफ किये थे और उसके बाद आप चूत की मालिश कर रही थी। दोस्तों वो मेरी यह पूरी बात को सुनकर एकदम डर गयी और अब वो मेरे ऊपर झूठा गुस्सा करने लगी। फिर मैंने उनसे कहा कि जब मैंने आपको उस हालत में देख ही लिया तो अब किस बात का गुस्सा? फिर वो मेरी बात सुनकर थोड़ा सा शांत हो गयी और फिर मैंने सही मौका देखकर तुरंत उनसे कहा कि मुझे अब आपका ऊपर का हिस्सा भी देखना है और उसके साथ में नीचे का भी, वो मेरी इस बात को सुनकर एक बार फिर से आग बबूला हो गई और अब वो उठने लगी तो मैंने उन्हे पकड़ते हुए बिस्तर पर लेटा दिया और अब में उनके ऊपर बैठ गया। वो कहने लगी कि तुझे पता है कि यह सब क्या कर रहा है? तो मैंने कहा कि मुझे बस आप एक बार दिखा दो में कभी कुछ नहीं मांगूगा।


    दोस्तों वो मेरी बात से बहुत नाराज़ होने लगी, लेकिन शायद वो कुछ देर बाद धीरे धीरे ठंडी भी होने लगी थी। पहले तो वो कुछ नहीं बोली, लेकिन फिर उन्होंने कहा कि हाँ ठीक है, लेकिन में जैसा कहूँगी तू वैसा ही करेगा? तो मैंने तुरंत कहा कि हाँ ठीक है और फिर उन्होंने कहा कि जब तक में ना कहूँ तू मुझे कहीं भी हाथ नहीं लगाएगा, मैंने बोला कि हाँ ठीक है और सबसे पहले उन्होंने मुझसे कहा कि तू अब पेटीकोट उतार तभी मैंने बहुत खुश होकर मन ही मन सोचा कि शायद आज सारा काम मुझे ही करना पड़ेगा और मैंने जैसे ही उनका ब्लाउज उतारकर अपनी चकित नजरों से देखा तो उनके बूब्स उनकी ब्रा को फाड़कर बाहर आने के लिए तड़पने लगे और में बाहर की तरफ झूलते हुए गोरे गोरे बूब्स को लगातार घूर घूरकर देखने लगा। तभी माँ बोली कि चल अब तू जल्दी से मेरी ब्रा को भी उतार दे और मैंने जैसे ही उनकी ब्रा को उतारा तो उनके बूब्स झट से कूदते हुये बाहर आ गए और यह देखकर में तो पागल हो गया और में अब उन पर टूट पड़ा और उन्हे दबाने लगा। अब माँ मेरी उस हरकत की वजह से नाराज़ हो गयी और उठने लगी, लेकिन मेरे वजन और दबाने की वजह से वो निकल ना पाई और वो दोबारा बिस्तर पर गिर गयी। फिर कुछ देर बाद उन्हे भी मज़ा आने लगा था, पहले तो में बूब्स को दबाता ही रहा, लेकिन थोड़ी देर बाद मेरी हिम्मत बढ़ने लगी तो मैंने जल्दी से एक बूब्स की निप्पल को अपने मुहं में पूरा भर लिया और अब में बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए चूसने निचोड़ने लगा, जिसकी वजह से उन्हे अब और भी ज्यादा मज़ा आने लगा था और वो अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी।

    फिर मैंने सही मौका देखकर अब में अपने एक हाथ से उनकी चूत को छूने लगा और उन्होंने मेरा थोड़ा सा विरोध किया, लेकिन कुछ देर बाद वो ज़ोर से आह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ करने लगी और में उनकी गोरी चिकनी कामुक चूत को लगातार सहलाता रहा और उसमे अपनी एक ऊँगली डालकर चूत की गरमी को महसूस करने लगा था, जिसकी वजह से वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी। फिर मैंने मौका देखकर उनसे कहा कि मुझे अब कुछ और भी चाहिए, तो वो कहने लगी कि अब तो मैंने तुम्हे अपना सब कुछ दे दिया है, तुम्हे मुझसे अब क्या चाहिए? दोस्तों शायद वो सब कुछ मेरे मुँह से कहलवाना चाहती थी, इसलिए मैंने भी कहा कि जिसके आपने बाल साफ किया है वो। फिर वो कहने लगी कि अब यह सब तेरा ही है, जो तुझे चाहिए वो सब ले ले। दोस्तों उनके मुहं से यह बात सुनकर मैंने सबसे पहले उनकी साड़ी को खोल दिया, लेकिन एक अजीब सी बात यह थी कि मैंने महसूस किया कि उन्होंने अपना पेटीकोट ठीक तरह से नहीं बांधा था, क्योंकि वो भी मेरे हल्का से खीचने पर ही तुरंत निकल पड़ा, शायद वो भी पहले से सेक्स के लिए तैयार होकर आई थी।

    फिर मैंने कुछ देर उनकी चूत को चूसा उसके बाद चूत पर थोड़ी सी क्रीम लगाई तो वो बोली कि अभी इसे इसकी ज़रूरत नहीं है और वो इतना कहकर खड़ी हो गई और अपने घुटनों के बल बैठ गयी। उसके बाद मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर पहले कुछ देर हिलाती रही और उसके बाद चूसने लगी। में फिर से अपनी माँ की चूत और बूब्स का नज़ारा देखने लगा और फिर मैंने धीरे से अपनी माँ की गोरी चमकीली चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से माँ को मस्ती चड़ने लगी और वो मुझसे बोली कि राजू प्लीज़ पहले अपना वो काम पूरा करो उफ्फ्फ्फ़ नहीं तो में पहले ही गीली हो जाउंगी आह्ह्हह्ह मुझसे अब ज्यादा देर नहीं रुका जाएगा और माँ ने यह बात कहकर अपनी दोनों आँखें बंद कर ली। फिर मैंने शावर को माँ चूत के ऊपर वाले हिस्से पर ले जाकर स्विच को चालू कर दिया और माँ बोली कि राजू शावर को धीरे धीरे रोक रोक कर चलाओ, तुम्हारे हाथ से मुझे बड़ी गुदगुदी हो रही है। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है और 6-7 बार शावर को उनकी चूत पर घुमाने पर चूत का पूरा मैदान पहले भी ज्यादा साफ हो गया माँ बहुत ही गरम हो गई थी और उस वजह से मुझको मेरा काम बीच में रोकना पड़ा।

    फिर मैंने देखा कि माँ की गांड और चूत के बीच के हिस्से में कुछ बाल रह गये थे और वो बाल थोड़े लंबे भी थे, तो मैंने माँ से बोला कि आप अपने पैरों को ऊपर छत की तरफ करो। फिर उन्होंने ठीक वैसा ही किया और अब मैंने उनके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रखकर मैंने उनकी चूत और गांड के बीच के हिस्से के बाल भी एकदम अच्छी तरह से साफ कर दिए। अब जब साफ सफाई का काम खत्म हो गया तो माँ मुझे देखने लगी और वो पूछने लगी क्यों इसके आगे क्या इरादा है, चल अब ज़रा नज़दीक आ जा और माँ ने मेरे लंड को पकड़ लिया। अब मेरा लंड खड़ा होने लगा था, लेकिन माँ बोली कि यह ऐसे खड़ा नहीं होगा, इसको सहारे की ज़रूरत है में माँ का मतलब नहीं समझ सका था और में उनको देखने लगा थी वो बोली कि अरे मुझे भी पता है कि टेड़े लंड को कैसे सीधा किया जाता है और जब लंड सीधा नहीं जाता तो उसको टेढ़ा कैसे चूत में लिया जाता है? वो बोली कि राजू डार्लिंग में तुम्हारी समस्या को बहुत अच्छी तरह से समझ गई हूँ, तुम बस सीधे लेट जाओ और अब में उनके कहने पर बेड पर एकदम सीधा लेट गया और उन्होंने अपना मुहं मेरी झाटों के पास में ले जाकर जीभ से चाटना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से अब मेरी जोश ज्यादा बढ़ गया था और मेरा लंड भी आकार में ज्यादा बड़ा होने लगा।


    फिर कभी वो बीच बीच में मेरे लंड पर भी अपनी जीभ घुमा देती और कहती कि अरे यह खंबा ही तो मुझे पार ले जाएगा यही तो पुलिस का जवान है जो हमको आज जंग के मैदान तक ले जाएगा और उसके बाद उन्होंने मेरे लंड के टोपे को अपने मुहं में ले लिया और किस करने लगी। अब तो मेरा लंड फनफनाने लगा था और उन्होंने मेरे लंड को अपने मुहं में ले लिया और और चूसने लगी, लेकिन वो बहुत धीरे से आराम से यह सब काम कर रही थी। फिर कुछ देर बाद उन्होंने मुझसे कहा कि तुझे में आज चुदाई से पहले का अनुभव देती हूँ, तू में जैसा कहूँ ठीक वैसा करना इससे तुझको चुदाई करने में आसानी होगी, वैसे तुझे पहले से पता तो होगा कि जब तक औरत भी अंदर ना ले तब तक चूत में लंड आसानी से नहीं जाता है, लेकिन इस स्टाइल में तुझको ऐसा मज़ा आएगा जैसे किसी ढीली चूत वाली रंडी की चुदाई कर रहा हो।

    फिर मैंने कहा कि हाँ मेरे दोस्तों ने मुझे ऐसा बताया था कि पहली बार में ज़ोर लगाना पड़ता है, लेकिन ब्लूफिल्मों में तो एक चूत में दो दो लंड घुस जाते है। दोस्तों अब मेरी झिझक एकदम दूर हो गयी थी और में चुदाई करने के लिए एकदम तैयार हो गया था और अब में संध्या को अपनी माँ नहीं एक रंडी की तरह ही देख रहा था, वो बोली कि तू ऐसा कर सीधा खड़ा हो जा और बाकी सब कुछ में देख लूँगी। अब में खड़ा हो गया तो मेरा लंड एकदम सीधा तनकर खड़ा हो गया, उन्होंने तुरंत नीचे बैठकर मेरे आधे लंड को अपने मुहं में ले लिया और फिर मुहं बाहर निकालकर बोली कि अब जब तेरा लंड मेरे मुहं में होगा तू यह सोचना जैसे मेरा मुहं मेरी चूत है और तू मुझे चोद रहा है। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है संध्या डार्लिंग उन्होंने मेरे तरफ देखकर मुस्कुरा दिया और एक हल्का सा किस मेरे लंड के टोपे पर ले लिया। फिर वो बोली कि चल अपनी पहली चुदाई के लिए तैयार हो जा और उन्होंने मेरे लंड के टोपे को अपने होंठों के बीच दबा लिया।


    माँ कि चुचिया
    अब मेरा लंड पूरे जोश में था और मैंने धीरे से अपना लंड उनके मुहं के अंदर डाल दिया, जिसकी वजह से वो एम्म्म उफफ्फ्फ्फ़ की आवाज़ करने लगी। फिर मैंने लंड को पीछे किया और इस बार मैंने ज़रा ज़ोर से आगे को धक्का दे दिया तो वो मुझे पीछे की तरफ धकेलने लगी, इससे मुझे पूरा मज़ा नहीं आया और मैंने उनके सर को बालों के साथ पीछे से पकड़ लिया और चुदाई वाली स्टाइल में ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चुदाई करना शुरू कर दिया। अब मुझे बहुत मज़ा आने लगा और फिर में समझ गया कि अगर में किसी ढीली चूत वाली रंडी को चोद रहा होता तो मुझे कैसा मज़ा आता। फिर करीब एक मिनट बाद उन्होंने मेरा लंड पकड़कर एक झटका देकर अपने मुहं से बाहर निकाल दिया और वो हाफते हुए बोली कि बस अब और नहीं, नहीं तो तेरा पूरा वीर्य मेरे मुहं में आ जाएगा और अब वैसे मेरी चूत भी गीली होने को है। फिर में बहुत जोश में होने की वजह से बड़ा परेशन सा हो गया और चुदाई की मस्ती बीच में रुकने की वजह मेरे लंड का सारा वीर्य लंड से बाहर आ गया और में अपने लंड को कंट्रोल नहीं कर पाया। फिर वो हंसने लगी और बोली कि राजू वैसे तो मुझे इसे अपने मुहं में लेना था, लेकिन डार्लिंग मुझे यह पसंद नहीं है, में सीधी-साधी चुदाई में ही हमेशा खुश रहती हूँ और तेरे पापा को भी सेक्स का यह तरीका बिल्कुल भी पसंद नहीं है, तू भी मुझको रंडी मत समझना, मैंने केवल आज तक बस तेरे पापा से ही अपनी चुदाई करवाई है और उनके अलावा बाहर और किसी से नहीं।

    फिर उसके बाद में उन्होंने मुझसे कहा कि अरे तेरा लंड तो फिर से ढीला हो गया और अब उन्होंने फिर से अपने हाथों, मुहं और होंठो के जादू से उसको दो तीन मिनट में फिर से तैयार कर दिया और मैंने भी अब पूरी तरह से किला फ़तह करने की इच्छा से उनके शरीर को नापना शुरू कर दिया। मैंने उनके पैरों पर भी हाथ फेरना शुरू कर दिया और उनके पैर बड़े ही मुलायम और चिकने थे। मुझे लगता है कि वो अपने पूरे बदन का बहुत ख्याल रखती है और मैंने अब तक अंदर जाने वाले दरवाजे पर दस्तक नहीं दी थी और में आज उनको पूरा मस्त कर देना चाहता था और मैंने अपने लंड को पूरे कंट्रोल में रखा और में उनके शरीर को अभी भी अपने होंठो, उंगलियों और हाथों से ही सहला रगड़ रहा था, जिसकी वजह से वो थोड़ा थोड़ा गरम होने लगी थी और फिर वो बोली कि राजू अब आ भी जा यार प्लीज़ मत तड़पा जालिम, जल्दी से मेरे ऊपर आ जा प्लीज आह्ह्ह्ह।

    फिर मैंने कहा कि बस थोड़ा सा और इतंजार करो, में तैयार हो रहा हूँ बस एक मिनट रुक जाओ में भी आता हूँ और फिर मैंने उनकी चूत पर अपना हाथ रखकर कहा कि संध्या यह क्या है? तो वो बोली कि इसे औरत का लंड कहते है यह औरत की मस्ती का बटन है, अगर तुझे किसी औरत को चोदना है और वो तैयार ना हो तो बस इस बटन पर हाथ फेर दे, वो तुझसे चुदवाए बगैर नहीं मानेगी। फिर मैंने कहा कि ठीक है, लेकिन आज में तुम्हारा बटन ऐसा दबाऊँगा कि सारे फ्यूज़ उड़ जाएँगे, वो मेरी बातें सुनकर मस्ती में आकर हंसने और चिल्लाने लगी। मैंने उनके दोनों पैरों को दूर करते हुए उनकी जांघो को अपनी कमर की तरफ़ किया और दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख दिया और उनके चूतड़ को दोंनो हाथों से धकेलते हुए अपना लंड उनकी चूत के पास ले गया और पूरे ज़ोर का धक्का दे दिया, जिसकी वजह से मेरा आधा लंड उनकी चूत में समा गया और मेरी तो चीख निकल गयी, लेकिन उनको कुछ तसल्ली हुई और वो मेरे अगले धक्के का इंतज़ार करने लगी। फिर मैंने एक और ज़ोरदार धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया। अब मैंने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया, जिसकी वजह से वो तो पूरी मस्ती में आ चुकी थी और मेरे साथ अपनी चुदाई का मज़ा ले रही थी।

    में तो सातवें आसमान पर था, लेकिन उनका पूरा ध्यान इस बात पर था कि कहीं मेरा माल बीच में ही नहीं निकल जाए, वो शुरू से ही चुदाई को लंबा करना चाह रही थी। फिर वो बोली कि पूरा अंदर तक डाल दे अपना लंड, हाँ ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मुझे बहुत मज़ा आता है, उसकी आवाज़ मुझे अच्छी लगती है। अब वो भी ज़ोर ज़ोर से अपने पेट और चूत बीच के हिस्से पर मस्ती में ज़ोर ज़ोर से धक्के देती, तो में भी ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा वो बोली कि अच्छा, तुझे भी अब बहुत मस्ती आ रही है? वाह मुझे भी मज़ा आ गया। आज बहुत दिन बाद जवानी का मज़ा पाया है, कसम से आज तूने मुझे अपनी जवानी के दिन याद दिला दिए आईईईईईईईई सस्स्स्स्सस्स उह्ह्हह्ह। अब में भी बहुत जोश के साथ धक्के देकर चुदाई कर रहा था और मैंने कहा कि में आज तेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दूँगा, अब तू पापा से चुदाई करवाना भूल जाएगी, हर वक़्त वो मेरा ही लंड अपनी चूत में डलवाने को तड़पा करेगी। फिर वो आह्ह्हहह ऊईईईईईईई वाह क्या मज़ा आ रहा है चोद मुझे और ज़ोर से आउउउ ज़ोर से और तेज, में भी बोला हाँ मेरी जान।

    फिर वो बोली कि राजू मुझे चुदाई का तो मज़ा लेते हुए बहुत समय हो गया है, लेकिन मैंने आज तुमको जोश में करके जो तुमसे अपनी चुदाई करवाई, ऐसा पहली बार हुआ है। में अब तक यह जानती थी कि आदमी ही गरम करते है, लेकिन मैंने पहली बार किसी मर्द को शुरू से गरम करके अपनी चुदाई करवाई है और वो चिल्ला रही थी वाह बहुत अच्छा राजू मज़ा आ गया उऊम्‍म्म्मम आआअहहउहह म्‍म्म्ममम। फिर अचानक जब मुझे लंड पर कुछ तरल का फील होने लगा वो बोली कि राजू अब धीरे कर दे, तूने मेरा तो पानी निकाल दिया। अब मैंने अपनी स्पीड को थोड़ा सा कम कर दिया और अब में थकने भी लगा था। अब अचानक मेरा सारा दबाव मेरे लंड के रास्ते उनकी चूत की घाटी में समा गया और में एकदम से सुस्त हो गया और मेरा लंड भी शांत हो गया। फिर वो और में एक दूसरे के ऊपर लेट गये। फिर कुछ देर बाद मैंने अपना लंड संध्या की चूत से बाहर निकाल लिया और देखा तो वो एकदम मूँगफली की तरह सिकुड़ गया था और माँ उसे देखकर हंसने लगी और वो बोली कि देख मैंने तेरे लंड का क्या हाल कर दिया राजू।

    अब मैंने माँ से कहा कि मेरी बड़ी इच्छा हो रही है कि एक बार आपकी गांड मारूं, अगर तुम बुरा ना मानो तो शुरू कर दूँ? तो माँ बोली कि अबे कहाँ तो तुझसे चुदवाने के लिए मुझे तुझको कितना तैयार करना पड़ा और कहाँ तू अब मेरी गांड मारने की भी सोचने लगा। अबे सारा काम एक दिन में ही कर देगा और फिर टाइम देख क्या हो गया है? सुबह के 5.00 बज रहे है और अगर तेरी ज्यादा ही इच्छा है तो में तुझको पूर्वाभ्यास करवा देती हूँ और इतना कहकर वो उल्टा होकर लेट गयी और उनके बड़े बड़े कुल्हे के बीच उनकी गांड का छेद मुझे नज़र नहीं आया, लेकिन उनके कुल्हे बड़े मस्त थे। जब वो पूरी तरह से गरम हो गयी तो बोली कि चल अब शुरू हो जा, तो वो ऊपर आई और मैंने उनके दोनों पैर फैलाए और अपना 6 इंच का लंबा लंड उनकी गांड पर रख दिया और हल्का सा दबाया तो वो करहाने लगी। फिर मैंने हल्की सी स्पीड बढाई तो वो कहने लगी कि आस्स्स्स्सस्स साले तेरा तो ओह्ह्ह्ह बड़ा जबरदस्त लंड है, तूने तो अपने बाप को पीछे कर दिया। फिर मैंने कहा कि अगर कहो तो में तुम्हे रोज इस तरह खुश कर दूंगा, तो वो बोली कि में तेरी माँ हूँ, पहले अब जल्दी से तू मुझे शांत कर दे। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है और यह कहकर अपनी धक्को की स्पीड को तेज कर दिया, वो मज़े की वजह से चिल्लाने लगी और हम दस मिनट तक यह बातें करने लगे और जब में शांत हुआ तो वो उठकर सीधा बाथरूम में चली गयी और नल को खोलकर नहाने से टब में नीचे बैठ गयी और मुझे आवाज़ दी। में गया तो देखा कि वो टब में बैठी हुई है और मेरी तरफ हाथ बढ़ा रही है, तो में भी उसमे जाकर समा गया और हमने वहां पर भी बहुत मस्ती की ।।

  • मेरी माँ की अन्तर्वासना को मिला चौकीदार का लंड

    मैं आपको मेरी माँ की अन्तर्वासना सच्ची कहानी बता रहा हूँ. वो स्कूल टीचर हैं. एक दिन मैं स्कूल गया तो मैंने चौकीदार और माँ की चुदाई का नजारा देखा. तो मैंने क्या किया?

    दोस्तो, आज मैं आपको अपने परिवार की, मेरी माँ की अन्तर्वासना सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ. मेरा नाम विनोद है और मेरी उम्र 19 साल है. मेरे परिवार में मेरी मम्मी के अलावा और कोई नहीं है. मेरे पापा का एक साल पहले देहांत हो चुका है. मम्मी गांव के एक स्कूल में टीचर हैं. मैंने इसी साल कॉलेज में एडमिशन लिया है.
    हम दोनों की ज़िन्दगी बड़ी खुशनुमा है. मम्मी रोज़ स्कूल जाती हैं और मैं अपने कालेज जाता हूँ.

    मेरी मम्मी की उम्र केवल 40 साल है. उनका नाम नीतू है. उनके शरीर की बनावट किसी को भी पागल बनाने के लिए काफी है. वह मुझसे अपनी सारी बात शेयर करती हैं.

    उन्होंने अपने स्कूल के बारे में बताया कि वहां स्टाफ के नाम पर केवल तीन ही लोग हैं, एक हैडमास्टर और एक चौकीदार और तीसरी मेरी मम्मी.

    हैडमास्टर की उम्र 58 साल के करीब है और वह जल्दी ही सेवानिवृत होने वाले हैं. चौकीदार की उम्र करीब 32 साल है और उसकी अभी तक शादी नहीं हुई है. उसके बहुत प्रयास करने पर भी उसकी शादी नहीं हो रही है. इसलिए वह हमेशा परेशान रहता है. मम्मी अक्सर उसका जिक्र मुझसे करती हैं.

    उस चौकीदार का नाम कल्लू है. जैसा नाम है, वो वैसा ही दिखता भी है. एकदम काले रंग का मजबूत शरीर और छह फिट की हाईट वाला है. मैंने उसे देखा है, वो अक्सर हमारे घर आता रहता है. कल्लू मम्मी का बहुत मुँह लगा है, वो मम्मी से काफी मज़ाक कर लेता है, लेकिन मम्मी कभी उसकी बात का बुरा नहीं मानती हैं.

    मम्मी कभी कभी मुझसे कहती हैं कि वह देर से घर आएंगी क्योंकि स्कूल में ज्यादा काम है. मैं उनकी इस बात पर विश्वास कर लेता हूँ. लेकिन कभी कभी मुझे उनके बर्ताव पर शक होता है. क्योंकि जब कभी वह देर से आती हैं, तो उनके चेहरे पर थकान ना होकर ख़ुशी होती है. उनका यह व्यवहार मेरी समझ में नहीं आता है.

    एक दिन फिर उन्होंने लेट आने की बात की. मैंने तय कर लिया कि आज कुछ भी हो जाए, लेकिन यह पता करना ही है कि इनको देर कहां हो जाती है.

    उस दिन मैं कॉलेज से सीधे माँ के स्कूल चला गया. स्कूल की छुट्टी होने में 15 मिनट थे. मैं स्कूल से थोड़ी दूर बैठ गया.

    फिर 15 मिनट में बाद स्कूल की छुट्टी हो गई. धीरे-धीरे सारे बच्चे स्कूल से जाने लगे, मैं दूर से बैठा बैठा, यह सब देख रहा था.

    उसके 10 मिनट बाद हैडमास्टर साहब भी स्कूल से चले गए लेकिन मम्मी का दूर दूर तक पता नहीं लग रहा था. फिर मैंने देखा कि कल्लू चौकीदार सब कमरों में ताले लगा रहा था. ताले लगाने के बाद वह एक कमरे में चला गया और उसने अन्दर से दरवाज़ा बंद कर लिया.

    मैं बहुत धीरे धीरे स्कूल के अन्दर आ गया. मैं उस कमरे की तरफ गया, जहां कल्लू गया था. वो कमरा अन्दर से बंद था.

    मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि अन्दर क्या हो रहा है. मैं बहुत परेशान हो गया था. मैंने कैसे भी करके उस कमरे में अन्दर की आवाजों को सुनने का प्रयास किया. अन्दर से फुसफुसाहट की आवाज आ रही थीं, जिसमें से एक आवाज मेरी मम्मी की थी. मैं समझ गया कि अन्दर कुछ तो गड़बड़ चल रहा है.

    मैंने अन्दर की ओर से झांकने की कोशिश की, अन्दर का नजारा गजब का था. मेरी मम्मी एक साइड में खड़ी हुई थीं और कल्लू बिस्तर बिछा रहा था. मम्मी धीरे धीरे अपनी साड़ी उतार रही थीं. मम्मी ने साड़ी को पास में रखी कुर्सी पर रख दिया. अब उनके शरीर पर केवल ब्लाउज और पेटीकोट था. उनका भरा भरा जिस्म किसी को भी पागल बना सकता था.

    मैं यह सोच कर हैरान हो रहा था कि माँ ने चौकीदार में ऐसा क्या देखा कि उसको अपने जिस्म का रसपान करा रही थीं. कल्लू अपनी कमीज उतार चुका था और अब अपनी पैंट उतार रहा था.
    वह मम्मी से कह रहा था- नीतू रानी आज कौन से स्टाइल से चुदवाओगी?
    मम्मी कहने लगीं- जिस भी स्टाइल में चोद सको चोद दो … बस मेरी चुत की गर्मी शान्त कर दो.

    मैं मम्मी के मुँह से ऐसी भाषा सुनकर हैरान था. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह मेरी मम्मी हैं. लेकिन माँ की अन्तर्वासना का सच सामने था.

    फिर मम्मी ने अपना ब्लाउज भी उतार दिया. कल्लू केवल अंडरवियर में खड़ा होकर अपना लंड ऊपर से ही सहला रहा था.
    मम्मी बोलीं- इसको सहलाते ही रहोगे या यह लंड कुछ काम भी करेगा?
    कल्लू बोला- रानी, यह लंड ही तेरी चूत की आग को शांत करेगा.

    मैंने देखा मम्मी केवल पेंटी में खड़ी थीं. वो ऊपर से पूरी नंगी थीं. उनकी बड़ी बड़ी चूचियां बिल्कुल मक्खन की तरह मुलायम लग रही थीं. चूचियों का साइज का अंदाज़ा तो मुझे आज लग पा रहा था.

    मम्मी की चूचियां ऐसे लग रही थीं, जैसे किसी ने मम्मी के सीने पर दो खरबूजे चिपका दिए हों. मम्मी की दोनों चूचियों का शेप देखते ही बन रहा था. मम्मी इतने गजब की फिगर की मालकिन थीं कि कोई भी उनसे शादी करने के लिए तड़प जाता. उनका जिस्म ऐसा, जैसे पत्थर को तराश दिया हो.

    मेरे लिए अब वह मम्मी नहीं, बल्कि एक ऐसी औरत थीं … जो सेक्स समागम के लिए प्यासी थीं.

    यह विचार दिमाग में आते ही मेरा मम्मी के प्रति दृष्टिकोण बदल गया. अब मुझे लग रहा था कि वह जो कर रही थीं, ठीक कर रही थीं. उन्हें अपनी अन्तर्वासना, शारीरिक भूख मिटाने का पूरा अधिकार है.

    अब चौकीदार में मुझे मेरी मम्मी का पति मालूम होने लगा, जो उनकी शारीरिक जरूरतों को पूरा कर रहा था. वह दोनों जो सेक्स कर रहे थे, उसका हक़ सब को होना चाहिए.
    फिर मैंने अपने सोच से ध्यान हटाया और मम्मी की रासलीला देखने लगा.

    कल्लू मम्मी के पास आ गया था और उसने अपने होंठ माँ के होंठों से जोड़ दिए थे. वे दोनों एक दूसरे को डीप किस कर रहे थे. मम्मी की जीभ कल्लू के मुँह में थी और कल्लू मम्मी की जीभ को चूस रहा था. कल्लू के हाथ मेरी मम्मी की गोलाईयां नाप रहे थे. बीच बीच में कल्लू मम्मी की चूचियों को जोर से दबा देता था, तो मम्मी चिहुंक पड़ती थीं.

    कभी कभी कल्लू अपनी दो उंगली से मम्मी की चूचियों की घुंडियों को मसल देता था. मम्मी मस्ती से सिसिया कर रह जाती थीं.

    फिर कल्लू ने मम्मी की पेंटी उतार कर अलग फ़ेंक दी. मम्मी की चिकनी जांघें केले के तने को मात दे रही थीं. मैंने ध्यान से देखा कि मम्मी की चूत बिल्कुल साफ़ थी … वहां एक भी बाल नहीं था. मम्मी की चूत बिल्कुल शीशे की तरह चिकनी और टाइट दिख रही थी. मम्मी की चूत का गुलाबी रंग दूर से दिखाई दे रहा था.

    अब कल्लू मम्मी की चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगा. वह मम्मी की पूरी चूची को मुँह में भरने की असफल कोशिश कर रहा था, लेकिन मम्मी की चूचियां उसके मुँह से बड़ी थीं.

    मम्मी आहें भर रही थीं.

    फिर कल्लू ने अपना अंडरवियर उतार दिया और उसके अंडरवियर उतारते ही माँ उसके काले और विकराल लंड को सहलाने लगीं. उसका लंड कम से कम नौ इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा रहा होगा. उसने मम्मी को गोदी में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया.

    कल्लू माँ के ऊपर आकर 69 की पोजिशन बना कर उनकी चूत को चाटने लगा. कभी कभी वह अपनी जीभ से मम्मी की चूत के दाने को छेड़ देता, तो मम्मी कसमसा जाती थीं.

    चौकीदार का लंड मम्मी के मुँह के ऊपर आ रहा था. अब मम्मी ने मुँह खोलकर उसके लंड को मुँह में ले लिया और उसके लंड को चूसने लगीं. मम्मी कोशिश कर रही थीं कि वह अपने मुँह में ज्यादा से ज्यादा लंड ले लें. लेकिन मम्मी केवल पांच इंच तक ही लंड को मुँह में ले पा रही थीं.

    थोड़ी देर बाद कल्लू ने मम्मी की दोनों टांगें फैलाकर ऊपर कर दीं. उसने अपना लंड मम्मी की चूत पर लगाकर एक जोर का झटका दे मारा.

    मम्मी की चूत में आधे से ज्यादा लंड प्रविष्ट हो गया. मम्मी के चेहरे पर हल्की सी परेशानी का भाव आया … लेकिन थोड़ी देर बाद वह खुद नीचे से अपने चूतड़ों को उठाने लगीं.

    कल्लू को इशारा मिल चुका था. उसने धीरे धीरे पूरा लंड मम्मी की चूत में घुसेड़ दिया. उसका पूरा लंड मम्मी की चूत में समा गया. फिर उसने तेज तेज झटके मारने शुरू कर दिए. मम्मी सिसिया सिसिया कर नीचे से चूतड़ों को उठा उठा कर उसका साथ दे रही थीं.

    दस मिनट की धकापेल मेरी माँ की चुदाई के बाद उसने अपना लंड मम्मी की चूत से निकाल लिया. उसने मम्मी को खड़े होने को कहा.

    मम्मी के खड़े होते ही उसने मम्मी की दोनों टांगों के बीच अपने हाथ डालकर उन्हें एक फिट उठाकर दीवार के सहारे टिका दिया और उनको अपने हाथों से हवा में लटका कर अपना लंड फिर से मम्मी की चूत में घुसेड़ दिया. इस समय मम्मी एक मासूम गुड़िया सी लग रही थीं, जिसे कल्लू जैसा पहलवान धमाधम चोद रहा था.

    कल्लू मम्मी की चूत पर दस मिनट तक प्रहार करता रहा. मम्मी अचानक कल्लू से बेल की तरह चिपक गईं. मम्मी की चूत अपना रस छोड़ चुकी थी, लेकिन कल्लू ने दस बारह धक्कों के बाद अपना रस मम्मी की चूत में ही निकाल दिया.

    फिर मम्मी की चूत से निकलते हुये रस को कल्लू ने मम्मी की पेंटी से पौंछ दिया.

    अब दोनों ने उठकर अपने अपने कपड़े पहन लिए. मम्मी ने अपनी पेंटी को एक थैली में रखकर उसे अपने पर्स में रख लिया.

    जैसे ही कल्लू ने दरवाजा खोला, मुझे देखकर वे दोनों चौंक गए. मैंने मम्मी से अपने साथ चलने को कहा, तो वह चुपचाप मेरी मोटरसाईकल पर बैठ गईं.
    घर आकर मम्मी बिल्कुल चुप थीं. वह समझ चुकी थीं कि अब मुझे सब पता है.

    मैं मम्मी के पास गया और उनसे कहा कि मुझे आप दोनों के इस रिश्ते से कोई परेशानी नहीं है … बल्कि मैं चाहता हूँ कि आप जो स्कूल में कर रहे थे, वह घर पर करें. वहां कोई और देखेगा, तो बदनामी होगी.
    माँ मेरी बात सुनकर खुश हो गईं.

    अगले ही दिन चौकीदार शाम को घर आया और मुझसे बोला- तुम्हारी मम्मी से कुछ काम है.
    मैं समझ गया कि ये मेरी माँ की चुदाई करने आया है. मैंने अपनी माँ की अन्तर्वासना की पूर्ति के लिए उसे मम्मी के कमरे में भेज दिया और कहा- काम अच्छे तरीके से करना … बिल्कुल कल की तरह.
    वह मुस्कुरा दिया.

    मैंने बाहर से कमरा बंद कर दिया. एक घंटे बाद कल्लू दरवाजा खोलकर बाहर आया, तो उसे पसीना आ रहा था.
    मैंने उससे कहा- रात को मम्मी के पास ही रुक जाओ.
    वह अगले दिन रुकने का वादा करके चला गया.

    मैं माँ के कमरे में गया, तो वह बेड पर चादर ओढ़कर लेटी हुई थीं. उनका पेटीकोट, पेंटी, बगल में रखी थी. मैं समझ गया कि यह अभी अन्दर नंगी ही लेटी हुई हैं.
    मैंने पूछा- अब कैसा लग रहा है?
    तो मम्मी ने कहा- तूने मुझको मेरी ज़िन्दगी का बहुत बड़ा उपहार दिया है.

    कुछ दिन के बाद मैंने मम्मी और कल्लू की शादी करवा दी. शुरू शुरू में तो मम्मी और कल्लू मेरे सामने सेक्स नहीं करते थे. लेकिन अब कल्लू जब चाहे, मेरे सामने ही मम्मी की चुदाई कर देता है और मम्मी का कमरा भी खुला रहता है.

    जब भी मैं उनके कमरे में जाता हूँ. तो कभी मम्मी उसके ऊपर होती हैं, तो कभी कल्लू माँ के ऊपर चढ़ा हुआ होता है.

    Maa Ki Antarvasna
    Maa Ki Antarvasna
    अब हमारा परिवार सुखी है, मेरी माँ की अन्तर्वासना को उनका हमसफ़र मिल चुका है. आपको यह मेरी माँ की चुदाई की कहानी कैसी लगी, कृपा करके कमेंट जरूर करें.
    [email protected]

  • मामी सेक्स स्टोरी: प्यासी चूत की सफाई और चुदाई

    इस मामी सेक्स स्टोरी हिंदी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी चाची की भाभी यानि मेरी मामी को चोदा. एक दिन फोन पर मामी से बात हुई. उनकी सेक्सी आवाज सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया.

    मेरे प्यारे दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्ते, मेरा नाम दीपू वर्मा है। मेरी उम्र 28 वर्ष है और मेरी लंबाई 5 फीट 10 इंच है. ऊपर वाले की कृपा से मैं एक अच्छी पर्सनेलिटी का मालिक हूँ। मैं उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का रहने वाला हूँ और लखनऊ में रहता हूँ।

    यह हिंदी मामी सेक्स स्टोरी आज से दस वर्ष पहले की है तब मेरी उम्र 20 वर्ष की थी.

    मुझे आंटी व भाभियां ज्यादा पसंद हैं सेक्स के मामले में, क्योंकि इनकी चूत चाहे जितनी चोदो, जैसे चोदो वैसे चुदने को तैयार रहती हैं वो.
    मेरी हिंदी कहानी की नायिका मेरी मामी है (मेरे चाचा के साले की बीवी) जिनकी उम्र उस समय 27 वर्ष की थी और उनका स्किन कलर गेंहुआ, कद मीडियम जो कि रहा होगा 36-34-38 के करीब. पूरी तरह से गदरायी हुई माल थी. मेरी मामी को एक 4 साल की बेटी थी।

    यह बात उन दिनों की है जब मैं पढ़ाई करने के दौरान दशहरे की छुट्टियों में अपने घर गया हुआ था. उस दिन मैं ऐसे ही घर पर टाइम पास कर रहा था कि मेरी चाची आयी और कहने लगी कि दीपू जरा अपने मामा के यहां फोन लगा दे. मेरे फोन में बैलेंस नहीं है.

    मैंने फोन लगा दिया और वहां से एक प्यारी सी आवाज में हैल्लो हुई. मैंने भी जवाब में हैल्लो किया.
    मैंने कहा- मैं दीपू बात कर रहा हूं, मामा जी घर पर हैं क्या?

    उधर से जवाब आया- क्यों, अपने मामा से ही बात करेंगे क्या, हमसे बात नहीं करेंगे?
    मैंने कहा- जी मैंने आपको पहचाना नहीं, आप कौन बात कर रही हो?
    वो बोली- मैं तुम्हारी मामी बात कर रही हूं.

    मैंने कहा- नमस्ते मामी जी. आप चाची से बात कर लीजिये, मैं आपसे थोड़ी देर के बाद बात कर लूंगा.
    इतना कह कर मैंने चाची को फोन पकड़ा दिया.
    चाची मेरी मामी से बात करने लगी.

    सात या आठ मिनट तक चाची और मामी आपस में एक दूसरे से बातें करती रहीं. उसके बाद फोन कट हो गया. मैंने फोन उठा कर एक तरफ रख दिया. उसके बाद मैं अपने कुछ काम में लग गया.

    लगभग 20 मिनट के बाद फिर से मेरा फोन बजने लगा. मैंने फोन उठा कर देखा तो कोई अन्जान नम्बर से कॉल आ रही थी. उस नम्बर से पहले कभी कॉल नहीं आयी थी. मैंने फोन रिसीव करके हैलो किया. वहां से वही प्यारी सी आवाज आई. मैंने पहली बार में पहचान लिया कि यह तो वही पहले वाली आवाज है जिससे मेरी बात अभी कुछ देर पहले ही हुई थी.

    मैंने कहा- मामी जी!
    वो बोली- अरे वाह, तुमने तो पहचान लिया मुझे.
    मैं बोला- कहिये क्या बात है.
    वो बोली- मैं तो बस ऐसे ही तुमको परेशान करने के लिए फोन कर रही थी. मुझे लगा कि तुम मेरी आवाज को नहीं पहचान सकोगे.

    उनको छेड़ते हुए मैंने कहा- अरे मामी जी, कहीं मुझे परेशान करने के चक्कर में आप खुद परेशान न हो जाओ.
    वो बोली- अरे मैं तो चाहती हूं कि तुम मुझे परेशान करो. वैसे भी भान्जे का मामी पर आधा हक होता है. मैं तो तुम्हें पूरा हक दे रही हूं. तुम जितना चाहे मुझे परेशान कर सकते हो.

    मैंने कहा- सोच लो मामी जी. अगर मैं परेशान करने लगा तो फिर कहीं आपको पीछे न हटना पड़े.
    वो बोली- अरे तुम परेशान तो करो, मैं तो 2 इंच आगे खिसक आऊंगी लेकिन पीछे नहीं जाऊंगी इंच भर भी. चाहे तुम कितना भी परेशान करके देख लो. कितना भी जोर (धक्का) लगा कर देख लो.

    मामी की आवाज से पता लग रहा था कि वो लेटी हुई थी और अंगड़ाई ले रही थी. वो मुझे उकसाने की बातें कर रही थीं. डबल मीनिंग बातें करते हुए मुझे भी कुछ कुछ होने लगा था. एक तो मामी की आवाज बहुत मधुर थी और दूसरी तरफ वो मीठी मीठी बातें करके जैसे मुझे उत्तेजित करना चाह रही थी.

    फिर उन्होंने बात को घुमाते हुए कहा- अच्छा, ये नम्बर किसका है?
    मैंने कहा- मेरा ही है. क्यूं क्या हुआ? आप ऐसे क्यों पूछ रही हो?
    वो बोली- कुछ नहीं, बस ऐसे ही पूछ रही हूं. आप ये बताओ कि आप मेरे यहां पर क्यों नहीं आते हैं? कभी मुझसे बात भी नहीं करते हैं. मैं आपकी सगी मामी नहीं हूं इसलिए नहीं आते हो क्या मुझसे मिलने?

    मैंने कहा- नहीं मामी जी, ऐसी कोई बात नहीं है. मेरे पास आपका नम्बर नहीं था. इसलिए आपसे कभी बात नहीं हो पाती थी.
    वो बोली- ठीक है, अब तो नम्बर भी मिल गया है. अब देखूंगी कि कितनी बार फोन करोगे मेरे पास!
    मैं बोला- जब तक आप करने दोगी, तब तक करता रहूंगा.

    इस बार मैंने भी डबल मीनिंग से मामी को उत्तेजित करने की कोशिश की. मैं तो जानता था कि मामी फोन के बारे में बात कर रही है लेकिन मेरा मकसद उसकी चुदाई करने से था क्योंकि मामी की बातों से मुझे पूरा यकीन हो चला था कि मामी की चूत की प्यास बार-बार उनको मुझे उनके पास बुलाने के लिए कह रही है.

    मेरी इस बात पर मामी ने कहा- देख लो भान्जे, तुम थक जाओगे करते-करते अगर मैंने दे दिया तो.
    मामी ने मुझे और ज्यादा उत्तेजित करते हुए कहा.
    मैंने कहा- पहले आप दीजिये तो सही, उसके बाद देखेंगे कि मैं थकूंगा कि नहीं.

    यहां पर मेरा मतलब मामी के फोन नम्बर से नहीं बल्कि मामी की चूत से था. मुझे पूरी उम्मीद हो चली थी कि मेरी मामी सेक्स स्टोरी अब तैयार है.
    वो बोली- ठीक है तो फिर तय रही. मेरा यही नम्बर है. जब आप को टाइम मिले तब कीजिये। ठीक है बाबू, मैं आपसे बाद में बात करूंगी।

    उसके बाद मैं मामी जी के बारे में सोच-सोच कर उत्तेजित होने लगा कि मामी की बातों से ऐसा लग रहा है कि पटाऊंगा तो चूत चोदने को मिल जाएगी।

    मामी की चूत चुदाई के बारे में सोचते हुए दिन निकल गया। बार बार उनकी डबल मीनिंग बातें सोच कर मेरा लंड खड़ा हो रहा था. मन कर रहा था कि एक बार जाकर मुठ मार लूं. फिर नहीं मारी. ऐसे ही सोचते-सोचते रात में डिनर किया. रात का खाना खाने के बाद फिर मैं सोने की तैयारी कर रहा था लेकिन मामी के साथ हुई कुछ बातों को याद करके उत्तेजित हो गया और मेरा लंड बिल्कुल खड़ा होकर सलामी देने लगा.

    मैंने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और वापस आकर अपने बेड पर लेट कर मैं अपने तने हुए लंड पर हाथ फिराने लगा. मामी की चूत व चूचों की कल्पना करने लगा. मेरा लंड एकदम फटने वाला हो चुका था. मन कर रहा था कि अगर अभी मामी पास में होती तो उसकी चूत को चोद चोद कर फाड़ देता.

    अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मैंने अपना लोअर निकाल दिया अपने अंडरवियर में हाथ डाल कर आंखें बंद कर लीं और मामी के बारे में सोचते हुए लंड को मसलने लगा. धीरे-धीरे मेरी हवस और बढ़ने लगी और मैंने लंड पर तेजी से हाथ चलाना शुरू कर दिया. उसके बाद मैंने कल्पना करते हुए मामी के कपड़े उतारने शुरू कर दिये.

    मेरा हाथ तेजी से मेरे लंड पर चल रहा था. मैं अपने लंड की मुट्ठ मारने लगा. फिर सोचा कि ऐसी सूखी कल्पना करने से बेहतर तो मामी को फोन ही कर लूं और मामी की आवाज सुनते हुए अपना लंड को हिलाऊं.
    फिर मैंने सोचा कि अभी तो मामा ही मेरी मामी की चूत को चोदने में लगा हुआ होगा. इसलिए मैंने फोन को वापस रख दिया.

    मैं ऐसे ही कल्पना करते हुए मामी को नंगी करने लगा और तेजी के साथ लंड पर हाथ चलाते हुए मुट्ठ मारने लगा. दो-तीन मिनट हो गये थे लंड को हिलाते हुए कि मेरे फोन की रिंग बजने लगी और मैंने देखा तो मामी के ही नम्बर से फोन आ रहा था.

    मैंने हैल्लो किया तो मामी बोली- अभी तक सोये नहीं हो?
    मैं बोला- नहीं, नींद नहीं आ रही थी.
    वो बोली- क्यूं, नींद क्यों नहीं आ रही है?
    मैंने कहा- किसी की याद आ रही थी.
    वो बोली- गर्लफ्रेंड को याद कर रहे हो क्या?

    हंसते हुए मैंने कहा- नहीं मामी, अभी तो मैं सिंगल ही हूं.
    वो बोली- फिर इतनी रात को किसकी याद में खोए हुए हो?
    मैंने कहा- सच कह दूं.
    वो बोली- हां, अब बता भी दो.
    मैंने कहा- मामी, आपकी ही याद आ रही थी.

    वो बोली- अच्छा, तो फिर फोन कर लेते?
    मैंने कहा- नहीं बस इसलिए नहीं किया कि आप और मामा जी अभी लगे हुए होगे.
    वो बोली- क्या?
    मैंने कहा- बातों में लगे हुए होगे आप दोनों इसलिए नहीं किया.
    वो हंसते हुए बोली- अच्छा, मैं तो कुछ और ही समझ गई थी.

    फिर मामी बोली- वैसे इतनी रात को मुझ बुढ़िया को याद किसलिए कर रहे थे तुम?
    मैंने कहा- अरे मामी, अमरूद जितना पका हुआ हो उसका मिठास उतना ही ज्यादा होता है.
    मामी बोली- अरे वाह, तुम तो कहावतें भी जानते हो. ऐसे होशियार लड़के की एक भी गर्लफ्रेंड नहीं है. मुझे तो सोच कर आश्चर्य हो रहा है.

    मैंने कहा- क्या करूं मामी, कोई ऐसी मिली ही नहीं जो मेरे मन की बात समझ सके. मगर अब सोच रहा हूं कि एक तो बना ही लूं. कम से कम रात में बात करते हुए उसके साथ टाइम पास तो हो जाया करेगा.
    मामी बोली- तो फिर बना लो. इसमें इतना सोचने की क्या बात है.
    मैंने कहा- मामी बना तो लूं, लेकिन!
    वो पूछने लगी- लेकिन क्या?
    मैंने कहा- कुछ नहीं, जाने दो.

    वो बोली- इतनी आसानी से नहीं जाने दूंगी.
    मैं बोला- अगर मैं जबरदस्ती करने लगा तो?
    वो बोली- अच्छा जी, सीनाजोरी करोगे अपनी मामी के साथ?
    मैंने कहा- जी बिल्कुल, आपने पूरा हक दिया हुआ है मुझे.
    मामी बोली- हां, ये तो है.

    मैं बोला- अच्छा छोड़िये इन बातों को. आप बताइये कि आपने इस टाइम कैसे फोन किया. आपको भी नींद नहीं आ रही है क्या?
    वो बोली- हां भान्जे, मैं भी ऐेसे ही तनहा लेटी हुई हूं.
    मामी की बात सुनकर मेरा लंड फिर से झटके देने लगा और मैं लंड को सहलाने लगा.
    मैंने कहा- तो मुझे ही बुला लेती अपने पास, या मामा के डर से नहीं बुलाओगे?

    मामी बोली- अरे नहीं, तुम्हारे मामा तो अलग बेड पर सोते हैं.
    मैं बोला- तो फिर मुझे कहां पर सुलाओगी?
    वो बोली- जहां तुम्हारा मन करे वहां सो जाना.
    मैंने कहा- अपने ऊपर सुला लोगी क्या?

    ये कहते हुए मेरे मुंह से सिसकारी सी निकल गई. मैं तेजी से अपने लंड की मुठ मार रहा था.
    वो बोली- सुला तो लूं लेकिन वो जगह तो तुम्हारे मामा की जगह है सोने के लिए.

    मैंने कहा- तो थोड़ी सी जगह मुझे भी दे देना वहीं साथ में?
    मामी भी अब हंसते हुए बोली- तुम्हारी बातों से तो लग रहा है कि तुम्हें कुछ और ही चाहिए. लगता है कि भान्जा अब जवान हो गया है.
    मैं बोला- तो जो आप समझी हो वही दे दो.
    मामी बोली- क्या चाहिए मेरे राजा को!
    अब मामी भी उत्तेजित होकर बातें करने लगी थी और मामी के स्वर में एक कसक सी महसूस हो रही थी.

    उसकी बात का जवाब देते हुए मैंने कहा- जो मामा जी को देती हो वही …
    वो बोली- अगर वो दूंगी तो कितना करोगे?
    मैंने कहा- जितना आप साथ दोगी, उतना ही करूंगा.
    अब मुझे भी पूरा जोश चढ़ गया था और दोनों ही सेक्स चैट पर उतर आये थे.

    अब मामी ने और खुल कर पूछते हुए कहा- सच बताओ अब, कितनी देर तक कर लेते हो?
    मैंने कहा- सच कहूं तो मामी कभी मैंने इसका अनुभव नहीं किया है क्योंकि मैंने अभी तक किसी के साथ नहीं किया है. मुझे इसका अंदाजा और तजुरबा नहीं है.

    मामी बोली- अनुभव तो मैं दे दूंगी. तुम आगे तो बढ़ो.
    मैंने कहा- मैं तो कर रहा हूं.
    वो तपाक से बोली- क्या कर रहे हो?
    मैंने बात पलटते हुए कहा- मतलब मैं तो आगे बढ़ रहा हूं.

    मेरा हाथ तेजी से मेरे लंड की मुठ मार रहा था. बहुत मजा आ रहा था.
    मेरी उत्तेजना में मेरे मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं. उधर मामी के स्वर भी भारी से लग रहे थे. कुछ देर तक ऐसे ही मामी के साथ सेक्स की बातें करते रहने के कारण मेरा वीर्य निकलने वाला था.

    मैंने तेजी से अपने लंड की मुठ मारते हुए मामी से बातें करना जारी रखा. जोश में आकर मैंने मामी को आई लव यू बोल दिया. उधर से मामी ने भी लव यू टू कह दिया. इतना सुनकर एकदम से मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकलने लगी.

    मेरे लंड से वीर्य निकल कर मेरी जांघों पर टिकी मेरी गोलियों तक बहने लगा. मैंने शांत होकर ऐसे ही अंडरवियर को ऊपर कर दिया और फिर मामी को गुड नाइट बोल कर सो गया.

    मामी से बातें करते हुए मेरे लंड की प्यास तो कुछ समय के लिए शांत हो गई थी लेकिन उस रात मैंने मामी की चूत की प्यास को बहुत तेज कर दिया था. मामी की चूत प्यासी हो चुकी थी. जिसकी प्यास बुझाने के लिए मामी ने फिर क्या किया वो मैं मामी सेक्स स्टोरी के अगले भाग में बताऊंगा.
    में आपने पढ़ा कि मेरी मामी ने रात को फोन पर बातें करते हुए मुझे उत्तेजित कर दिया. अब हम दोनों सेक्सी बातें करने लगे. मामी से बातें करते हुए मैंने मामी को चोदा अपनी बातों से … अपने लंड की मुठ मारी और उधर मामी की चूत को भी गर्म कर दिया.

    मैंने अपने लंड का माल निकाल दिया था लेकिन मामी की चूत अभी प्यासी रह गई थी. मैं मामी से बात करते हुए मुठ मार कर सो गया. उस दिन मैंने उनको आई लव यू भी बोल दिया था जोश में.

    मामी भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए जैसे पूरी तरह से तैयार थीं. उस दिन के बाद तो रोज हम दोनों के बीच में फोन पर सेक्सी बातें होने लगीं.
    एक दिन सेक्स चैट करते हुए मैंने मामी को खुले शब्दों में चोदने की बात कह दी.

    उनको भी मेरी बात का जरा भी बुरा न लगा. बल्कि वो कहने लगी- ठीक है चोद लेना … मगर एक वादा करना पड़ेगा तुमको!
    मैंने पूछा- बोलो मेरी सेक्सी मामी. आपके लिए तो मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूं.
    वो बोली- जब तक तुम्हारी शादी नहीं हो जाती, तब तक तुम्हें मेरी चूत को चोदना पड़ेगा.
    मैंने कहा- अरे आप एक बार चूत चोदने का मौका तो दो. मैं आपकी चूत को फाड़ न दूं तो कहना.
    वो बोली- ठीक है. तो फिर सही मौके इंतजार करो और तैयार रहो.
    मैंने कहा- जी बिल्कुल मैं तो तैयार हूं.

    अब मामी और मेरे बीच में लंड और चूत जैसी बातें खुल कर होने लगी थीं. मामी ने भी बोल दिया था कि जितना खुल कर बात करेंगे उतना ही मजा आयेगा. इसलिए हम दोनों रोज रात को फोन पर गन्दी बातें करते हुए एक दूसरे को मजा देते थे.

    काफी दिन ऐसे ही बीत गये थे. मगर अभी तक हम दोनों को मुलाकात करने का मौका नहीं मिल पाया था. मैं भी मामी की चूत को चोदने के लिए बुरी तरह से तड़प रहा था. उधर मामी भी मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही थी.

    एक दिन सुबह ही अचानक मामी का फोन आ गया.
    मामी बोली- मेरे राजा, अगर तुमको मामी की चूत मारनी है तो आज शाम तक मेरे घर पर पहुंच जाना. आज मौका अच्छा है.
    मैं बोला- ठीक है मामी जी. मैं शाम तक आपके घर पर पहुंच जाऊंगा.

    उस दिन मैं सोचने लगा कि अब बढ़िया मौक़ा है … अब मामी को चोदा तो चोद लिया … नहीं तो पता नहीं मौक़ा मिले ना मिले!
    अब घर वालों के सामने क्या बहाना किया जाये कि मैं मामी की चूत मारने के लिए जा सकूं. अगर सीधा ही कहूंगा कि मैं मामी के पास जा रहा हूं तो मां सौ सवाल करने लगेगी. इसलिए मैंने पढ़ाई का बहाना कर दिया.

    मैंने मां से कहा- मुझे अपने एक दोस्त के यहां पर कुछ जरूरी काम से जाना है. मेरे कॉलेज का कोई प्रोजेक्ट है तो मैं रात को वहीं पर रहूंगा.
    पढ़ाई की बात सुन कर मां ने कोई सवाल नहीं किया. मैं खुश हो गया. मैंने तुरंत मामी के घर जाने की तैयारी कर दी.

    शाम के 6 बजे तक मैं मामी के घर पहुंच गया. उन्होंने जब दरवाजा खोला तो मैं उनको देखता ही रह गया. वो बिल्कुल तैयार होकर बैठी थी. मामी ने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी थी और उस पर काला ब्लाउज था. वो एकदम हीरोइन के जैसी दिख रही थी.

    मामी ने मुझे अंदर बुला लिया.
    कुछ देर तक हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे.
    मैंने पूछा- मामा जी कहां गये आज?
    वो बोली- वह काम के सिलसिले में एक सप्ताह के लिए बाहर चले गये हैं.

    मैंने पूछा- और आपकी बेटी?
    मामी ने कहा- उसको मेरी मां अपने घर लेकर चली गई. कल ही मेरी मां आई थी. तुम्हारे मामा तो एक दिन पहले ही चले गये थे लेकिन बच्ची कल ही अपनी नानी के साथ गई है.

    खुश होते हुए मैंने कहा- वाह, फिर तो मजा आयेगा. लेकिन आपने मुझे कल ही क्यों नहीं बुलाया?
    मामी ने कहा- मेरी मां कल शाम तक घर पर ही थी इसलिए नहीं बुलाया. लेकिन तुम बड़े उतावले हो रहे हो.

    मैं बोला- हां मेरी रानी, तुम्हारी चूत चोदने के लिए मैं तो जैसे बरसों से प्यासा हूं.
    वो बोली- हां मेरे राजा, मैंने भी तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए पूरी तैयारी कर रखी है.

    उनकी बात पर मैंने पूछा- आपने क्या खास तैयारी की है?
    वो बोली- तुम खुद ही देख लेना.
    मैंने कहा- लगता है आपने कोई सरप्राइज़ रखा है मेरे लिये.
    वो बोली- हां बिल्कुल.

    मैंने कहा- तो फिर देर किस बात की है?
    वो बोली- पहले कुछ खा लेते हैं उसके बाद शुरू करेंगे.
    इतना कह कर वो उठ कर किचन में चली गई और केले का शेक बना कर ले आई.
    मैंने कहा- इस टाइम पर शेक?

    वो बोली- हां, तुम्हारे केले को एनर्जी देने के लिए बनाया है.
    मैं बोला- मेरे केले में बहुत एनर्जी है.
    इस बात पर मामी बोली- वो तो रात में पता चल ही जायेगा मेरे राजा.
    मैंने कहा- रात का इंतजार कौन करेगा मेरी रानी.

    इतना कह कर मैंने मामी को बांहों में भर लिया. उसके होंठों पर होंठ रख दिये और दोनों ही एक दूसरे से लिपटते हुए एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे. मैंने मामी की साड़ी को उतारना शुरू कर दिया तो उसने मुझे रोक दिया.

    पीछे हट कर बोली- पहले शेक पी लो.
    तब तक मैं खाना तैयार कर लेती हूं. हमारे पास पूरी रात है अभी.
    मेरा लंड मेरी पैंट में तन गया था. मामी ने उस पर हाथ फेरते हुए कहा- ये तो अभी से उतावला हो रहा है.
    मैंने कहा- बस मामी, आपकी चूत का रस पीना चाहता है ये.

    वो बोली- हां मेरे राजा, पहले खाना खायेंगे फिर सब कुछ करेंगे.
    इतना बोल कर वो किचन में चली गई.

    मैंने भी शेक का गिलास गटक लिया. मामी के पीछे ही मैं भी किचन में चला गया. वो खाना बना रही थी. मैंने पीछे से जाकर मामी की गांड पर लंड को लगा दिया.

    उसको बांहों में भर कर उसकी गांड पर लंड को रगड़ने लगा. उसके चूचों को दबाने लगा.
    मामी ने बेलन दिखाते हुए कहा- इससे मारूंगी. अभी मुझे खाना बनाने दो.
    मैंने मामी की गांड पर लंड को सटाते हुए कहा- मेरा बेलन भी तैयार है मेरी रानी. चलो बेलन-बेलन खेलते हैं.

    मामी ने पलट कर मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ कर खींच दिया. उसको हाथ में भींच कर उसका माप लेते हुए बोली- तुम्हारा बेलन तो वाकई कड़क है. क्या ये मेरी पाव रोटी को अच्छी तरह बेल पायेगा?
    मैंने कहा- एक बार अपनी पाव रोटी के दर्शन तो करवाओ. उसको चोद-चोद कर लाल न कर दे तो कहना.
    वो बोली- ठीक है. पहले खाना खा लेते हैं.

    हम दोनों ने साथ में बैठ कर खाना खाया.
    मामी ने अपने हाथ से मुझे खाना खिलाया. मैं मामी के चूचों की क्लिवेज को ही ताड़ रहा था. उसके बाद मामी किचन में बर्तन रख कर वापस आ गयी.

    मैंने कहा- बस मामी, अब और इंतजार नहीं हो रहा है. अब जल्दी से मेरे पास आ जाओ.
    वो बोली- हां मेरे राजा. मैं भी इतनी ही बेचैन हूं. लेकिन उससे पहले तुम्हें एक और काम करना पड़ेगा.
    उनकी बात पर मैंने पूछा- अब कौन सा काम रह गया है?

    झांट साफ़ करके मामी को चोदा
    वो बोली- मेरी भट्टी पर थोड़ी सी घास रह गई है. पहले उसको साफ कर दो.
    मैंने कहा- आह्ह … अभी कर देता हूँ उसकी सफाई.
    इतना कहने पर वो बोली- ठीक चलो, रूम में अंदर.

    मामी मुझे अपने रूम में ले गई. अंदर जाते ही मैंने मामी को चूसना शुरू कर दिया. उनके चूचों को दबाना शुरू कर दिया. वो भी मेरा साथ देने लगीं. फिर मामी ने अलग होकर अपनी साड़ी को खोलना शुरू किया.

    मैंने कहा- ये काम भी मैं ही कर देता हूं.
    वो बोली- ठीक है.
    मैंने पास जाकर मामी की साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया. फिर उसके ब्लाउज के हुक खोल कर उसके ब्लाउज को अलग कर दिया.
    उसने नीचे से काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी जिसमें उसके चूचे भरे हुए थे.

    मामी की ब्रा को उतारते ही उनके चूचे एकदम से हवा में झूल गये. मैंने उनको हाथों में भर लिया और फिर उनके चूचों को पीने लगा. मामी मेरे सिर को पकड़ कर अपने चूचों में दबाने लगी.
    उसके बाद मैंने मामी के पैटीकोट को भी खोल दिया. अब मामी केवल पैंटी में रह गई थी.

    जब मैं पैंटी को उतारने लगा तो मामी ने मुझे रोक दिया. फिर वो पास ही के स्लैब से रेजर और क्रीम लेकर आ गयी.
    मामी ने अपनी पैंटी उतारी तो मैं देख कर हैरान रह गया. उसकी चूत के ऊपर के बाल आधे कटे हुए थे और आधे वैसे ही छोड़ दिये थे.

    मैंने कहा- आपने इसे पूरी साफ क्यों नहीं किया?
    वो बोली- तुमसे ही करवाना था.
    मैं बोला- अच्छा जी, ठीक है. सफाई और चुदाई दोनों ही मजे से कर दूंगा.

    फिर वो अपनी टांगों को खोल कर बेड पर बैठ गई. मैं मामी की टांगों के बीच में बैठ गया. मैंने मामी की चूत पर क्रीम लगा दी. उसके बाद झाग बनने पर मैंने रेजर से मामी की चूत को साफ करना शुरू कर दिया.

    दो मिनट में ही मामी की चूत बाल रहित हो गई. उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी निकलने लगा था. मैंने मामी की चूत में उंगली करनी शुरू कर दी. वो सिसकारियां लेने लगी. मैंने उंगली से मामी को चोदा.

    उसके बाद मैंने मामी की चूत में जीभ डाल दी और उसको तेजी से अंदर तक साफ करने लगा. मामी के मुंह से कामुक आवाजें निकलने लगीं -उम्म्ह … अहह … हय … ओह … बस करो … आराम से … मेरे राजा.’
    मैं कई मिनट तक मामी की चूत को चाटता रहा और इस बार जीभ से मामी को चोदा.

    जब उनसे रहा न गया तो उसने मुझे पीछे धकेला और उठ कर मेरे कपड़े उतारने लगी. मामी ने दो मिनट के अंदर ही मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे पूरा नंगा कर दिया.

    नंगा होने के बाद उसने मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाते हुए मेरे होंठों को चूसा. मामी के हाथ मेरे लंड को सहलाते हुए उनके होंठ मेरे होंठों से लार को खींच रहे थे. मैं भी मामी के चूचों को कस कर दबा रहा था.

    उसके बाद मामी ने मुझे नीचे बेड पर बैठा दिया. अब वो मेरी टांगों के बीच में आ गई और मेरे लंड को मुंह में भर लिया. मेरे लंड को तेजी से चूसने लगी. मेरे मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. दो मिनट तक मामी ने मेरे लंड को चूसा और फिर मैं उठ गया.

    मैंने मामी को बेड पर पटक दिया. उनकी टांगों को चौड़ी कर दिया. फिर अपने लंड को उनकी चूत पर लगा दिया और उनके ऊपर लेटता चला गया. मेरा लंड मामी की प्यासी और गीली चूत में उतर गया. अब पल भर भी इंतजार किये बिना मैंने मामी की चिकनी चूत में लंड के धक्के लगाना शुरू कर दिया.

    “आह्ह … मेरी रानी … मेरी चुदक्कड़ मामी … तुम तो बहुत गर्म चूत की मालकिन हो!”
    वो सिसकारते हुए बोली- हां मेरे राजा, अपने लंड से मेरी इस प्यासी चूत की प्यास बुझा दो. मैं बहुत दिनों से मस्त चुदाई का मजा लेना चाह रही थी. तुम फोन पर ही मेरी चूत को गीली कर देते थे. आज जाकर इसको तेरा लंड नसीब हुआ है मेरे राजा.

    मैं तेजी से मामी की चूत को चोदने लगा. पांच-सात मिनट तक चुदाई करने के बाद मैंने मामी को घोड़ी बनने के लिए कह दिया. मैंने बहुत से पोर्न वीडियो में ये पोजीशन देखी हुई थी. इसलिए मेरे लंड की तमन्ना थी कि मैं मामी की चूत में अपना पानी इसी पोजीशन में निकालूं.

    अपनी इच्छा मामी को बताई तो वो झट से घोड़ी बन गई.

    Mami Ko Choda
    Mami Ko Choda
    मैंने मामी की चूत पर लंड को रगड़ा और पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया. मामी की चूत में लंड को घुसा कर तेजी से उसकी चुदाई करने लगा.
    अब हम दोनों ही चुदाई के नशे में मदहोश हो चुके थे. मामी की चूत को चोदते हुए बहुत मजा आ रहा था. पूरे कमरे में आह्ह … ओहह् जैसी कामुक आवाजें गूंज रही थीं. पांच मिनट के बाद ही मेरे लंड का पानी निकलने के कगार पर पहुंच गया.

    मैंने मामी से बिना पूछे ही तीन-चार जोर के झटके लगाये उसकी पानी छोड़ रही चूत में अपना माल गिरा दिया. मामी की चूत तो अपने जवान लंड के गर्म वीर्य से भर दिया मैंने.

    उसके बाद हम दोनों ही बिस्तर पर गिर गये. उस रात मैंने मामी की चूत की सफाई के साथ ही जम कर चुदाई भी करी. रात भर मामी की चूत को 3-4 बार चोदा. सुबह तक मामी की चूत सूज कर लाल हो गई थी. उस दिन सुबह ही हम दोनों सोये.

    रात भर की चुदाई के बाद दोनों थक गये थे. उस दिन दोपहर तक मैं सोता ही रहा.

    दोपहर को मां का फोन आ गया कि मैं अब तक घर नहीं पहुंचा हूं.
    मैंने कहा- अभी थोड़ा काम बाकी है मां. शाम तक आ जाऊंगा.
    उठने के बाद मैंने एक बार फिर से मामी को चोदा और मैं अपने घर चला गया.

    मैं फिर अगले दिन पढ़ाई का बहाना बना कर मामी की चुदाई करने पहुँच गया. इस तरह एक सप्ताह तक मैंने मामी की प्यासी चूत को अपने लंड से चोदा और अच्छी तरह शांत किया.

    उसके बाद मामा जी वापस आ गये. फिर मेरे कॉलेज भी खुल गये थे. इसलिए हम दोनों को मौका नहीं मिल सका. मगर जब भी कभी मामी जी घर पर नहीं होते तो मेरी मामी मुझे बुला लेती थी और हम चुदाई के जमकर मजे लेते थे. जब भी मामी ने बुलाया, मैं मामी के घर गया और मामी को चोदा पूरे मजे से!

    तो दोस्तो, इस तरह से मैंने अपनी चुदक्कड़ मामी को चोदा, उनकी चूत की सफाई और चुदाई दोनों ही कर डाली.

    आपको मेरी मामी सेक्स स्टोरी पसंद आई या नहीं … कमेंट करना न भूलें. मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा.
    [email protected]

  • मैंने अपनी चुदासी बुआ को चोदा

    रिश्तों में चुदाई की इस कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी बुआ को चोदा. बुआ का फिगर बहुत ही मस्त था. मैं उन्हें बाथरूम में नंगी नहाती देखता था. वो बहुत चुदासी थी और बाथरूम में अपनी चूत में उंगली करती थी.

    मेरा नाम केशव है. मैं जयपुर का रहने वाला हूँ. मेरे घर में मेरे मम्मी पापा, बड़ा भाई और एक बुआ रहती थीं जो तब तक कुंवारी थीं. रिश्तों में चुदाई की इस कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने अपनी बुआ को चोदा.

    बुआ का फिगर बहुत ही मस्त था. उनके मोटे मोटे चूचे बड़े ही मस्त थे. पतली कमर और उसके नीचे बुआ की उभरे हुए चूतड़ थे. जब वो चलती थीं, तो उनकी मटकती गांड देख कर मेरा आठ इंच का लंड एकदम सिग्नल सा खड़ा हो जाता था.

    ये हालत मेरे लंड की ही नहीं थी, जो भी उनकी मटकती गांड को एक बार देख भर ले, गारंटी है कि उसका लंड खड़ा हो जाएगा.

    जब बुआ नहाने जाती थीं, तो मैं बाथरूम के छेद से चुपके से उन्हें नहाते हुए देखता रहता था. वो भी जब अन्दर नहाती थीं, तो बिल्कुल नंगी होकर नहाती थीं. ख़ास बात ये थी कि बुआ नहाते समय अपने मोटे चूचों को खूब मसलती थीं.

    Bua Ko Choda
    Bua Ko Choda
    वो अपनी चूत को भी अपने हाथ से सहलाती थीं और कभी कभी तो उसमें उंगली भी डाल लेती थीं. बुआ की चूत बड़ी गद्देदार थी.

    ऐसे ही एक बार मैं बुआ को नंगी नहाते हुए देख रहा था. उस दिन बुआ अपनी चूत में उंगली कर रही थीं. बुआ की चूत पर छोटे छोटे बाल थे, ऐसा लगता था कि उन्होंने थोड़े दिन पहले ही अपनी झांटों को साफ किया था.

    बुआ के नंगे चूचे और मस्त गांड देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा. उन्होंने अपने पूरे बदन पर साबुन लगाया और चूचों को दबाने लगीं. कुछ पल बाद बुआ अपने एक हाथ से अपनी चुत में उंगली डालने लगीं.
    उनकी हल्के स्वर में कराहने की मादक आवाज निकलने लगी. थोड़ी देर में ही वो झड़ गईं और एक हाथ से अपने चूचों को सहलाते हुए चूत में से उंगली निकाल कर चाट ली.

    फिर कुछ देर बाद बुआ नहा कर बाहर आ गईं. मैं वापस अपनी जगह आ कर बैठ गया. वो अपने कमरे में जा कर कपड़े पहनने लगीं. उन्होंने पिंक रंग की ब्रा और पेंटी पहनी. उस ब्रा पेंटी के सैट में वो बहुत ही मस्त लग रही थीं.

    फिर मैं नहा धो कर विद्यालय चला गया. जब शाम को घर वापस आया, तो मम्मी और पापा घर पर नहीं थे.

    मेरे पूछने पर बुआ ने बताया कि किसी रिश्तेदार की मृत्यु हो गई है, वहां चले गए हैं. शायद उनको आने में कुछ दिन लग जाएं.

    बुआ ने खाना परोसा और मुझे दे दिया. मैंने खाना खाया और अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करने में लग गया.

    शाम होने से कुछ देर पहले बुआ ने मेरे पास आकर पूछा कि शाम के खाने में क्या खाएगा?
    मैंने कहा- बुआ ऐसा खाना बनाओ, जो मस्त लगे.
    बुआ हंस दीं और खाना बनाने चली गईं.

    मैं बाहर खेलने चला गया. मैं शाम को 7 बजे वापस आया, तो बुआ ने खाना बना लिया था.
    बुआ ने बोला- खाना खा ले.
    मैंने कहा- बुआ साथ में ही खाएंगे.
    बुआ ने कहा- मैं तो नहाने के बाद खाऊंगी.
    मैंने कहा- ठीक है. आप आ जाओ फिर साथ ही खाएंगे.
    तब बुआ बोलीं- ओके, मैं नहाने जा रही हूँ.

    बुआ नहाने चली गईं और बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया. दरवाजा बंद होते ही मेरी आंख बाथरूम के उसी छेद में लग गई. मैंने देखा कि बुआ ने अपनी पेंटी और ब्रा उतारी और नहाने लगीं. उन्होंने पहले अपने पूरे बदन पर साबुन लगाया और वे अपनी बुर के बाल साफ करने लगीं.

    चूत के बाल साफ करके बुआ अपनी एक उंगली चूत में लेने लगीं. ये देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.

    थोड़ी देर मैं बुआ झड़ गईं और नहा कर कपड़े पहन कर बाहर आने लगीं. मैं वहां से हट गया. वो अपने कमरे में चली गईं.

    फिर बुआ ने कहा- खाना खा लें क्या?
    मैंने कहा- बुआ आप बुरा न मानो, तो आज मैं थोड़ा एन्जॉय कर लूं?
    बुआ ने आंखें नचाईं और पूछा- कैसा एन्जॉय?

    मैंने अंगूठा उठाया और दारू पीने का इशारा किया.

    बुआ हंस दीं और बोलीं- तू पीता भी है?
    मैंने हंस कर कहा- कभी मौक़ा मिल जाता है, तो मजा कर लेता हूँ.
    बुआ बोलीं- बाजार जाएगा क्या?
    मैंने बुआ से कहा- नहीं, पापा की दारू की बोतल में से हम दोनों थोड़ी टेस्ट कर लेते हैं … उनको क्या पता चलेगा.

    ये कह कर मैंने उनको भी लपेटने की कोशिश की थी.

    बुआ हंस दीं और बोलीं- ज़्यादा नहीं लेंगे … कहीं नशा वशा हो गया, तो दिक्कत हो जाएगी.
    मैंने उत्साहित होकर कहा- बुआ बस दो दो पैग ही लेंगे. दो पैग से कुछ नहीं होता है. मैं अभी लाया, आप जरा गिलास और नमकीन का इंतजाम करो.

    फिर मैं पापा की दारू की बोतल ले आया. तब तक बुआ ने टेबल पर दो गिलास और साथ में आइस भी रख दी थी. एक प्लेट में भुने हुए काजू भी रख लिए थे. मुझे देख कर आश्चर्य हुआ कि बुआ को दारू लेने के बारे में सब कुछ मालूम है.

    मैंने दोनों गिलासों में दारू डाल कर पैग बनाए. मैंने बुआ का गिलास थोड़ा ज़्यादा हार्ड बना दिया.

    हम दोनों ने चियर्स बोल कर जाम टकराए.

    बुआ पहला सिप लेते ही बोलीं- ये तो बड़ी कड़वी है यार … लोग कैसे पी लेते हैं.
    मैंने कहा- बुआ इससे बड़ी मस्ती चढ़ती है. आपको मजा आ जाएगा … लो तो.

    मैंने बुआ को ज़बरदस्ती शराब पिला दी. फिर हम दोनों थोड़ी देर इधर उधर की बातें करने लगे.

    मैं बुआ से बोला- बुआ शादी कब कर रही हो … अब तो आप पूरी जवान हो गई हो.
    बुआ मस्ती में बोलीं- तुझे कैसे मालूम है कि मैं जवान हो गई हूँ.
    मैं शरमाते हुए बोला- आपको देख कर ही लगता है.
    फिर बुआ ने गिलास से घूँट लेते हुए कहा- हां करेंगे जल्दी ही.

    कुछ देर में दो दो पैग खत्म हो गए.

    मैंने एक एक पैग और बनाया और हम दोनों दारू पीने के साथ साथ खाना खाने लगे.

    खाना खत्म करते करते बुआ को नशा होने लगा. उन्होंने अपनी टांगें टेबल पर पसार दी थीं और मस्त बातें करने लगी थीं.

    मैंने सारे बर्तन रसोई में रख कर बुआ को बोला- चलो, मैं आपको आपके कमरे में ले चलता हूँ.
    बुआ नशे में बोलीं- क्यों?
    मैंने कहा- आपको सुला देता हूँ.
    बुआ ने बोला- नहीं, आज हम एक साथ ही सोएंगे … रात में मुझे कुछ हो गया, तो में क्या करूंगी … तू साथ रहेगा, तो मुझे संभाल तो लेगा.

    मैं कुछ नहीं बोला मुझे बुआ की चुत मिलने जैसी लगने लगी थी.

    बुआ कुछ देर बाद लड़खड़ाते हुए उठीं और मेरा सहारा लेते हुए अपने कमरे में जाकर लेट गईं. मैं भी लाइट बंद करके बुआ के पास जा कर सोने लगा.

    करीब एक बजे मुझे सर्दी लगी, तो मैं बुआ से चिपक गया. उनसे चिपकने के बाद मुझे लगा कि नीचे से बुआ नंगी हैं. मैंने हाथ से टटोल कर देखा, तो मेरा हाथ बुआ की नंगी गांड पर जा लगा. नंगी गांड को टच करते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. उनकी पेंटी नीचे को सरकी हुई पड़ी थी.

    मैंने अब देर नहीं की और बुआ के चूचे दबाने लगा. मुझे बुआ के मम्मों को दबाने में मज़ा आने लगा.

    फिर धीरे से मैंने उनकी पेंटी पूरी तरह से निकाल दी और धीरे धीरे बुआ की चुत को सहलाने लगा. बुआ को नशा चढ़ा था, इसलिए उन्हें मेरे हाथ का मालूम ही नहीं चला.

    मैंने उनकी नाइटी भी खोल दी और ब्रा भी खोल दी. ब्रा को खोलते ही उनके मोटे चूचे बाहर आ गए. मैं उनके चूचे चूसने लगा. फिर मैंने लाइट ऑन करके देखा, तो मेरा दिमाग़ खराब हो गया.

    बुआ का बदन सफ़ेद संगमरमर की तरह चिकना लग रहा था. मैंने अपना कंट्रोल खो दिया और बुआ के पास जा कर उनकी चुत को चाटने लगा.

    मुझे बुआ की चुत की खुशबू बड़ी मदहोश कर रही थी. दस मिनट तक चुत की चुसाई करने के बाद मैंने बुआ के चूचों को जम कर चूसा.

    अब बुआ की सांसें तेज चलने लगीं. मुझे लगा कि बुआ जागी हुई हैं, लेकिन वो भी मज़े ले रही हैं.

    ये सोचते ही मैं बेख़ौफ़ हो गया और बुआ के ऊपर चढ़ गया. मैं बुआ के होंठों को चूसने लगा.

    मैंने देखा कि बुआ ने अपनी आंखें खोल दी थीं. मुझे एक पल के लिए तो थोड़ा डर लगा, लेकिन बुआ मेरा साथ देने लगीं.
    वो कहने लगीं- आह … केशव आज मेरी प्यास बुझा दे … मैं बहुत प्यासी हूँ.
    मैंने बुआ से कहा- मैंने तो पहले ही कहा था कि आप जवान हो गई हो.
    बुआ मेरे लंड को टटोलते हुए बोलीं- हां, तू भी तो पूरा मर्द हो गया है.

    मैंने लंड पर बुआ का हाथ महसूस किया तो मैंने कहा- मेरा लंड चूसो ना बुआ.
    बुआ ने हामी भर दी.

    मैं उठ कर पोजीशन में आ गया और बुआ मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं. कुछ ही देर में हम दोनों 69 की पोज़ीशन में आ गए. अब वो मेरा लंड और मैं उनकी चुत को चूसने लगा.

    बुआ ने दस मिनट में अपनी चुत से पानी छोड़ दिया. मैंने चूत का सारा पानी पी लिया.

    थोड़ी देर बाद मेरा भी होने वाला था, तो मैंने बुआ को बोला- बुआ मेरा निकलने वाला है.
    बुआ ने लंड चूसते हुए ही कहा- हम्म … आने दे … तू मेरे मुँह में ही छोड़ दे.

    मैंने बुआ के मुँह में वीर्य छोड़ दिया. बुया ने न केवल वीर्य खा लिया, बल्कि वे मेरे लंड को चूसती ही रहीं. इससे ये हुआ कि थोड़ी ही देर बाद मेरा लंड वापस खड़ा हो गया.

    बुआ ने मुझे अपने ऊपर ले लिया. मैं बुआ की चुत पर अपना लंड रगड़ने लगा.

    बुआ चुदास भरी आवाज में बोलीं- आह … केशव अब मत तड़पा … जल्दी से डाल दे मेरी चुत में अपना मूसल …

    मैंने बुआ की टांगों को फैला कर उनके बीच में बैठ कर अपना सुपारा चुत के छेद पर लगा कर एक तेज झटका दे मारा. मेरा आधा लंड बुआ की चुत में चला गया.
    बुआ ज़ोर से चीख उठीं ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’

    मैंने अपनी प्यारी बुआ की सील तोड़ दी थी … उनके चिल्लाने से मुझे कोई असर नहीं पड़ा. मैंने फिर से ज़ोर का झटका से मारा. इस बार मेरा पूरा लंड बुआ की चुत में जड़ तक समा गया.

    बुआ ज़ोर से चिल्लाने लगीं और बोलीं- केशव प्लीज़ अपना लंड बाहर निकाल … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
    मैंने बुआ से कहा- सील टूटी है बुआ, थोड़ा दर्द तो सहन करना ही पड़ेगा.

    मैं शांत होकर उनके ऊपर चढ़ा रहा. बुआ का थोड़ा दर्द कम होने के बाद मैं लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. थोड़ी देर बाद बुआ अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं. बुआ को भी मज़ा आने लगा.

    फिर बीस मिनट तक मैंने बुआ की धुआंधार चुदाई की. इस बीच बुआ दो बार झड़ गई थीं.
    बुआ ने मुझे कसके पकड़ लिया और कहने लगीं- केशव, आई लव यू.
    मैंने भी कहा- बुआ, आई लव यू टू.

    मैं उनके एक चूचे को चचोरने लगा और धक्का मारते हुए मैंने बुआ की चुत को अपने पानी से भर दिया.

    झड़ने के बाद मैं बुआ के ऊपर ही लेट गया. कुछ देर बाद बुआ उठ कर बाथरूम में जाने लगीं, तो बुआ ने देखा बिस्तर की सफ़ेद चादर लाल हो गई थी. ये खून के छींटे उस पर दाग बन कर दिखने लगे थे.
    ये देख कर बुआ बोलीं- केशव, आज तूने अपनी बुआ को चोदा. तूने मुझे पूरी औरत बना दिया है.
    मैं हंसने लगा.

    बुआ बाथरूम में जाकर अपनी चुत को साफ करके वापस आ गईं और चादर बदल कर हम दोनों सोने लगे.

    हम दोनों चिपक कर सो गए. सुबह करीब सात बजे हमारी आँख खुली, तो मेरा लंड खड़ा हो रहा था.
    बुआ ने लंड टटोल कर कहा- केशव तेरा हमेशा ही खड़ा रहता है क्या?
    मैंने कहा- बुआ, आप जैसी मस्त लड़की पास हो … तो बुड्डों का लंड भी खड़ा हो जाएगा.

    वो शरमाने लगीं. फिर बुआ नंगी ही रसोई में चाय बनाने चली गईं … और मैं भी उनके पीछे जा कर खड़ा हो गया.

    मैं बुआ की गांड में लंड पेलने की कोशिश करने लगा.
    बुआ हंस कर बोलीं- सुबह सुबह ही लग गया … थोड़ा रुक जा, चाय पी ले … फिर कर लेना, जो करना है.
    मैंने कहा- बुआ आज आपकी गांड मारनी है.
    बुआ बोलीं- ठीक है.

    मैंने बुआ की गांड कैसे मारी, ये आगे की रिश्तों की चुदाई कहानी में बताता हूँ. आपको कैसा लगा जब मैंने अपनी बुआ को चोदा?
    [email protected]

  • सेक्स फेंटेसी किटी पार्टी में पूरी हुई

    आज लिख रहा हूँ लेडीज किटी पार्टी में बढ़ती अश्लीलता पर! सब औरतें अब अपनी सेक्स फेंटेसी पूरी करना चाहती हैं और वह भी खुलकर बेशर्मी से!
    अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को बहुत समय बाद एक बार फिर से अरुण का नमस्कार.
    मैं हमेशा कुछ ना कुछ नया लिखने का प्रयास करता हूं अन्तर्वासना पर … इसीलिए मुझे लिखने में बहुत समय लग जाता है. और मैं वही सब कुछ लिखने की कोशिश करता हूं जो आजकल समाज में और हम लोगों के आसपास घटित हो रहा है जिसे हम अखबार टीवी पर भी देखते रहते हैं.

    यौन दृष्टि से अब भारत में भी सेक्स को लेकर बहुत खुलापन आता जा रहा है.
    आज का मेरा यह लेख अन्तर्वासना की शादीशुदा लड़कियों और महिलाओं को समर्पित है.

    आज लिख रहा हूँ लेडीज किटी पार्टी में बढ़ती अश्लीलता पर!

    और यह अश्लीलता या नंगपना इस वजह से बढ़ती जा रही है कि मॉडर्न सेक्स में खुलेपन की पक्षधर लड़कियाँ ही अब गृहणी भी बन रही हैं. उनके पति जॉब में रहते हैं तो किटी पार्टी मनोरंजन का एक बहुत ही अच्छा विकल्प है.
    दोस्तो, आपने भी ऐसे वीडियो देखे होंगे जिसमे ये औरतें सेक्स गेम खेलती हैं. एक लेडी गांड पे गुब्बारा लगाती, दूसरी अपनी चूत की टक्कर उसे फोड़ती है.
    जन्म दिन पे कुछ औरतें लंड के शेप का केक काटती हैं, साथ बेठ के पोर्न देखती हैं वाट्सएप पे शेयर भी करती हैं.

    क्योंकि अब उन को सब पता है कि उनके पति भी बाहर बहुत मस्ती करते हैं इसलिए उनका भी हक है कि वह अपनी निजी जिंदगी के मजे उठाएं.

    इनमें से साधारण मजे भी है और कुछ अश्लील भी होते हैं जैसा जिसका ग्रुप हो और अब जैसा कि सबको पता है कि जहां एक समय कॉलगर्ल मिला करती थी मर्दों के लिए, अब ठीक उसी तर्ज पर प्लेबॉय या जिगोलो ब्वॉय भी उपलब्ध हैं और वह भी पूरी निजता के साथ!

    यदि किसी पाठक, पाठिका ने एकता कपूर की वेब सीरीज xxx देखी है तो पता होगा कि आजकल यह सब कितना कॉमन होता जा रहा है.
    पिछले दिनों आई फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ में भी चार सहेलियां सेक्स मस्ती के लिए फुकेट थाईलैंड घूमने जाती हैं और वहां ज़म के मस्ती करती हैं.
    लोग सही कहते है कि औरतें ज्यादा सेक्सी होती जा रही हैं.

    आजकल कुछ बोल्ड, आधुनिक ज़माने की औरतों द्वारा निजी बर्थडे पार्टी या किटी पार्टी में बाकायदा जिगोलो ब्वॉय को बुलाया जाता है और सब औरतें उसके साथ अपनी सेक्स फेंटेसी पूरी करती हैं या मस्ती करती हैं. और वह भी खुलकर बेशर्मी से!

    ऐसी ही एक बोल्ड किटी पार्टी मेरी पत्नी ने भी ज्वाइन कर रखी है. उसमें शामिल सभी औरतों को बहुत ही जांच परख के शामिल किया गया है. वो सब की सब ज़बरदस्त सेक्स की दीवानी हों. कामुकता से भरपूर हों और तो और किटी पार्टी ग्रुप में अंग प्रदर्शन से भी जिन्हें कोई परहेज़ न हो. और यह इसलिए भी जरूरी था कि यह बात बाहर नहीं जानी चाहिए.

    ये सभी हल्के फुल्के वयस्क गेम, अश्लील चुटकुले, ब्लू फिल्म्स देखना, थीम के नाम पर सेक्सी और बहुत छोटे कपड़े पहनना, एक दूसरे को आलिंगन में लेना, चुम्बन लेना यही किया करती थी.
    और ऐसी औरतें कम ही होती हैं इस लिए ग्रुप में सिर्फ पांच औरतें ही हैं अलका, प्रीति, कल्पना, एकता और किरण. इनकी उम्र 30 से 48 के बीच की थी.

    एकता सबसे जवान लेकिन सबसे ज्यादा बोल्ड, कल्पना सबसे ज्यादा बेशरम और बेहया! बहरहाल जैसा चल रहा था वो आजकल नार्मल बात है, उसमें लिखने जैसा कुछ नहीं था.

    इस ग्रुप में ज़बरदस्त नंगाई और उत्तेजना का भूचाल तब आया जब इसमें एक छठी औरत शामिल हुयी.
    जिसे ग्रुप में शामिल किया कल्पना ने!

    इसका नाम था जॉयश … उम्र 45 मांसल जिस्म वाली, महाफेशनेबल करोड़पति, आलिशान बंगले में रहने वाली! इसके पति का ज़बरदस्त सफल बिजनस, अक्सर विदेश आना जाना!
    एक ही बेटा वो बोर्डिंग स्कूल में, घर में सब काम नौकर चाकर के हवाले!

    जॉयश बहुत ही खुशनुमा और बिंदास लेडी थी अपने पैसे वाली होने का लेशमात्र भी घमंड या दिखावा नहीं, इसलिए वो सबकी दोस्त बन गयी.

    उसने ऑफर दिया कि अब से सभी किटी पार्टी उसके आलिशान बंगले के एकदम एकांत पेंटहाउस में ही होगी और सारा खर्चा भी उसी का. उसने ये भी बताया कि अब ये किटी पार्टी कम सेक्स पार्टी हुआ करेगी.
    एक दो को संकोच आया लेकिन उसने आश्वस्त किया कि किसी के साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं है. लेकिन शामिल तो रहो और देख के ही मजे लो!

    सबको यह सही लगा. तो दोस्तो, अब पहली किटी पार्टी से शुरू होते होते यह आगे कहाँ तक पहुँची, ये बहुत ही दिलचस्प कामुक और उत्तेज़क वाकया है जो मेरी वाइफ ने मुझे बताया.
    और अब मैं इसे अपने उत्तेजक अंदाज में सिर्फ अन्तर्वासना के लिए लिख रहा हूँ.

    पहले ही दिन उसने सबको अपने एक निजी ड्राइवर कम बॉडी गार्ड से परिचित करवाया.

    और दोस्तो, उसे देख कर सबकी सांसें ही थम सी गई. वह एक 6 फुट से भी लंबा हट्टा कट्टा नौजवान था.

    जॉयश बोली- सिर्फ ये हम लोगो की किटी पार्टी के समय मौजूद रहेगा, ड्रिंक, लंच, गेम में हेल्प और सब काम ये करेगा. लेकिन इसके साथ एक त्रासदी है कि यह बोल नहीं सकता. मेरे पति इसे तब लाए थे जब यह छोटा लड़का ही था. यह तब से हमारे परिवार के साथ हैं और अब यह मेरा निजी साथी नौकर ड्राइवर अंगरक्षक सब कुछ है और इसका नाम मंगल है.

    सभी औरतें घबरा गयी.

    लेकिन जब उसने यह बताया और साबित भी किया के ये बोल नहीं सकता, और सब कुछ गोपनीय रहेगा तो सब रिलेक्स हुयी.

    पहले दिन बहुत ही शानदार ड्रिंक ब्रेकफास्ट से वेलकम हुआ. उस लेडी ने सबसे बहुत मजाकिया सेक्सी सवाल जवाब किये जैसे:
    ‘कौन कौन हस्त मैथुन का आदी है?’
    पहली बार तुम्हें किस ने गलती से नग्न देखा?
    पहली ब्लू फिल्म कब देखी, किसके साथ देखी?
    और चूत के बाल पहली बार कब साफ़ किये?

    और ये सब कुछ वो बहुत मजे लेकर कर रही थी तो किसी को बुरा भी नहीं लग रहा था.
    किसी ने जवाब दिए और कोई शर्मा के रह गयी.

    एकता ने बहुत बिंदास जवाब दिए. कुल मिला के इस वजह से सभी न खूब सेक्स की बातें की, सबको मज़ा आया.

    दूसरी किटी पार्टी में सब की सब हाज़िर थी. और हर किटी पार्टी में मंगल पूरे समय मौजूद रहता था, वही सब कुछ अरेंज करता था और एक पालतू नौकर की तरह से लगा रहता था.
    एक तो किटी पार्टी का वयस्क और अश्लील माहौल और ऊपर से मंगल की मौजूदगी अब सभी औरतों को उत्तेजित करने लगी थी.

    लेकिन दो किटी पार्टी हो चुकी थी और अब तक उसका रोल इसके आगे नहीं आया था. सब की सब थोड़ी बेचैन होने लगी थी, खासकर एकता और कल्पना बहुत ज्यादा खुल चुकी थी किटी पार्टी में भी और मंगल के साथ भी!

    और फिर आखिरकार उत्तेजना और अश्लीलता की शुरुआत हो ही गई.

    अगली किटी पार्टी का ड्रेस कोड साड़ी था. इस बार वहाँ कुछ गिफ्ट्स भी थे.

    पहली गेम थी कि कौन सबसे तेज़ अपनी साड़ी पेटीकोट, ब्लाउज उतार सकती है.
    सब भौंचक्की रह गयी. लेकिन जब उसने बताया की विनर को बॉम्बे डाइंग का टावल सेट गिफ्ट मिलेगा तो सब तैयार हो गयी.

    जॉयश ने बताया कि यह मंगल यहीं पर मौजूद रहेगा और टाइम यही नोट करेगा.
    तब सब महिलायें थोड़ी सी संकोच में पड़ गई.

    लेकिन एकता और कल्पना को यह आइडिया उत्तेजक लगा और उन्होंने बाकी सबको भी मना ही लिया.

    पर्ची डालकर क्रम निर्धारित हुआ. सबसे पहली एकता का ही नाम था.

    मंगल स्टॉपवॉच लेकर तैयार था और अच्छा ही हुआ कि पहला नंबर एकता का था. उसने धड़ाधड़ अपनी साड़ी उतार फेंकी पेटीकोट फिर ब्लाउज और कुछ ही देर में वह सबके बीच में पेंटी और ब्रा में मौजूद थी.
    सबने ताली बजाकर उसका वेलकम किया. एकता ने भी हाथ उठाकर सबका अभिवादन किया.
    उसका फिगर देखने लायक था. वह अपने कपड़े वापस पहनने के लिए बढ़ी लेकिन जॉयश ने मंगल को बोल कर उसके कपड़े एक तरफ रखवा दिए और कहा- आपने ऐसे ही रहना है आज!

    सब औरतें खिलखिला कर हंसने लगी और फिर उसके बाद बारी बारी से सब अपने कपड़े उतारने लगी.

    अलका के पेटीकोट का नाड़ा अटक गया, उसे समय लग रहा था लेकिन गेम जीतने की हड़बड़ी में उसने नाड़ा तोड़ दिया.
    सब जोर से हंस पड़ी.

    किरण शायद सोच कर के ही बैठी थी, उसने दनादन अपनी कपड़े उतार फेंके.

    अब बची प्रीति … यह थोड़ी भारी शरीर की थी और कपड़े उतारने में संकोच कर रही थी.
    उसने कहा- मैं इस खेल में शामिल नहीं होती हूं!
    लेकिन जॉयश और सब लेडीज उसके पीछे पड़ गई- नहीं, कोई फर्क नहीं पड़ता. सब तरह के शरीर होते हैं. करना ही पड़ेगा.

    और आखिर मन मार कर वह भी गेम में शामिल हुई और तेजी से उसने अपने कपड़े उतारे.
    वह सच में मोटी थी इसीलिए उसके बूब्स, गांड सब बहुत मोटी थी.

    हॉल में अब सब अंडरगारमेंट्स में थी और एक दूसरे को देखकर खिलखिला रही थी. इससे जाहिर था कि सबीने एंजॉय किया था.

    इतनी सारी औरतों के बीच में मंगल की मौजूदगी पूरे माहौल को उत्तेजक भी बना रही थी.

    समय नोट किया तो पता चला कि एकता और कल्पना का टाइम एकदम बराबर था यानि कि मुकाबला टाई हो गया था.
    अब फर्स्ट प्राइज किसे मिले … इसका फैसला होना था.

    जॉयश ने जो सुझाव दिया, उससे पूरे माहौल में करंट सा दौड़ गया, उसने कहा- अब फर्स्ट प्राइज उसे दिया जाएगा जो इन दोनों में से अपनी पेंटी और ब्रा को जल्दी जल्दी से उतारेगी.
    यह सुनकर एकता और कल्पना शरमा गई और झेंप गई लेकिन बाकी सब औरतें यस यस करने लगी.

    अब माहौल बहुत मस्त हो चला था.

    दोनों औरतें खड़ी खड़ी सोचती रही कि क्या करें?
    लेकिन बाकी सब औरतें उन्हें उकसा रही थी. नई शर्त के अनुसार उन्हें पूरी तरह निर्वस्त्र हो जाना था, यह बात उन्हें बेचैन कर रही थी और हॉल में मंगल भी मौजूद था.

    कल्पना ने कहा- मंगल को बाहर भेज दिया जाना चाहिए!
    सभी एक सुर में चिल्लाई- नहीं नहीं … यह कहीं नहीं जाएगा. जो करना है सामने करो.

    कल्पना बेचारी सकुचा गई, वह बोली- मैं इस गेम से अपने आप को बाहर करती हूं, यह फर्स्ट प्राइज एकता को ही दे दो.
    लेकिन जॉयश बोली- एकता को भी इसी शर्त पर देंगे कि उसे दिया गया काम करना ही होगा.
    सब चिल्लाई- ऐसा ही होना चाहिए!

    और अब सारा ध्यान एकता पर आ गया था. सब की सब घेरा बना कर खड़ी हो गई और तालियां बजाने लगी.
    और उधर एकता सब को देख रही थी. उसका ध्यान मंगल के ऊपर भी गया, वह भी तो मौजूद था और उसे ही देख रहा था.

    आखिरकार एकता ने अपनी आंखें बंद की, दोनों हाथ पीठ पर ले गई ब्रा का हुक खोला और कुछ ही देर में ब्रा ढीली होकर उसके उन्नत कसावट लिए हुए वक्ष स्थल पर से फिसल कर नीचे गिर गई. सबने ताली बजाई.

    Kitty Party Nude
    Kitty Party Nude Bhabhi
    जॉयश ने मंगल को इशारा किया और उसने एकता की ब्रा को भी अपने कब्जे में ले लिया.
    और अब सबकी निगाहें एकता की अंडरवियर पर ठहर गई थी. एकता ने हिम्मत दिखाई और अपनी अंडरवियर को भी नीचे की तरफ खींचना शुरू किया.

    सब की सब मजे ले रही थी. एकता पूर्णतया नग्न होने जा रही थी. चूंकि अब पेंटी और ब्रा उतारने में समय की पाबंदी नहीं थी इसलिए वह सब कुछ आहिस्ता कर रही थी. और फिर कुछ ही पल में अंडरवियर भी उसकी योनि और विशाल कूल्हों को उघाड़ा करते हुए नीचे गिरी और सीधी पंजों पर जाकर रुकी.

    मंगल ने पास आकर उसकी अंडरवियर अपने पास रख ली.

    अब एकता पूर्णतया निर्वस्त्र यानि पूरी नंगी हो चुकी थी. उसके नितम्ब गोल और भारी थे और उसकी योनि पर हल्के हल्के बाल थे.
    उसने अपनी आंखें अभी तक नहीं खोली थी.

    सब तालियां बजाकर उसकी नग्नता का स्वागत कर रही थी. जॉयश ने आगे बढ़कर एकता को अपने आलिंगन में ले लिया और कहा- वेल डन … वेल डन!
    फिर सबने बारी-बारी से एकता को गले से लगाया.

    आज के खेल में एकता विनर बन चुकी थी. अब जॉयश ने मंगल को बुलाया. वह अपने साथ बॉम्बे डाइंग का जंबो साइज का टॉवल लेकर आया और पूरी तरह नंगी एकता के पीछे जाकर उसके दोनों हाथ ऊंचे किए और टॉवल को उसके वक्ष पर लपेटकर अच्छे से बांध दिया और एकता के निर्वस्त्र शरीर को ढक दिया.

    और अंत में जॉयश बोली- आज के बाद सभी किटी पार्टी ऐसी ही हुआ करेंगी. मजे लो ज़िन्दगी के!

    वो आगे बोली- अब अंत में सबके लिए एक और तोहफा; आज तुम सब इस मंगल को पूरी तरह जान लो, पहचान लो, जांच लो और परख भी लो.
    यह कहते हुए उसने मंगल को नग्न होने का आदेश दिया.

    मंगल एक पालतू की तरह से एक एक करके अपने पूरे कपड़े उतरता ही चला गया.
    और फिर वो बारी बारी से सब के पास गया.

    उसका गठीला नग्न शरीर बहुत उत्तेज़क था, लंड तो गजब का मस्त और बड़ा था.
    एकता ने तो सबसे पहले उसके लंड को ही सहलाया मसला. कल्पना ने तो चूम ही लिया.

    इससे बाकी सब की हिम्मत भी बढ़ गयी, सब की सब उसके लंड उसकी गांड से मस्ती करने लगे, उसके नंगे बदन को देख सब की सब वासना के सागर में डूब गयीं.

    अलका ने तो उसका लंड जड़ तक मुंह में घुसा लिया. प्रीति ने उसकी गांड पे कस कस के चांटे लगाए, कल्पना ने तो दांत ही गड़ा दिए.

    मंगल खुद भी खुल के सहयोग कर रहा था और तो और … उनके बूब्स भी दबाने लगा था.

    ये सब काफी देर तक चला.
    इसके बाद किटी पार्टी में खाना-पीना चला और किटी पार्टी संपन्न हुई.

    यारो … आज ‘नो ड्रेस’ कोड है, हम सब आज कपड़ों से आजाद होकर पार्टी करेंगी और सबके मन की सेक्स फेंटेसी शेयर करेंगी. यकीन मानो नग्न होने के बाद ज्यादा मजा आएगा.

    कहानी का पहला भाग: लेडीज किटी पार्टी में नंगापन
    उस दिन किटी पार्टी में सबने मस्ती की वह सबको ही अच्छी लगी क्योंकि सब आपस में बातें कर रही थी, सब ने बहुत आनंद लिया था और आहिस्ता आहिस्ता सब आपस में बहुत खुल भी गई थी.

    अगली किटी पार्टी के लिए जॉयश ने सबको मैसेज किया कि सब लेडीज अपनी अपनी सेक्स फेंटेसी लिख कर लाएंगी और खुलकर लिखेंगी जो भी मन में हो, उसमें शर्म या ‘गन्दी है’ जैसी कोई बात नहीं होगी.
    इस किटी पार्टी का ड्रेस कोड बताया नहीं गया था. मैसेज में लिखा था ड्रेस कोड का डिसाइड किटी पार्टी में पहुंचने के बाद ही होगा.

    सबने पूछा भी सही कि वह ड्रेस क्या होगी? और कौन देगा?
    तो जॉयश ने जवाब दिया- उसकी जिम्मेदारी मेरी है, आप लोग तो अपने फॉर्मल कपड़ों में ही किटी पार्टी में आना. तुम्हें तो बस अपनी सेक्स फेंटेसी लिखनी है. इसलिए तसल्ली से और खुलकर लिखकर लाना है.

    सबको काम मिल गया था और निर्धारित दिन सब किटी पार्टी में फिर से एकत्रित हो गई.
    हमेशा की तरह मंगल ने सबका वेलकम किया, उन्हें ड्रिंक सर्व किए.

    जॉयश हॉल में नहीं आई थी, सब उसी का वेट कर रही थी और आज की किटी पार्टी के ड्रेस कोड का अंदाज लगा रही थी कि क्या होगा?
    मन ही मन वह यह तो सोच ही चुकी थी कि ड्रेस कोड उत्तेजक होगा.

    और फिर इंतजार समाप्त हुआ क्योंकि अंदर से जॉयश ने मंगल को अंदर बुलाया और मंगल अंदर चला गया.

    कुछ ही देर में जो नजारा उन सब ने देखा तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गई. मंगल खुद मात्र अंडरवियर पहने हुए था और जॉयश को अपनी गोद में उठाकर हॉल में आ रहा था
    और जॉयश ने बहुत ही शानदार मेकअप किया हुआ था लेकिन …
    लेकिन …
    लेकिन …
    उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था वह पूर्णतया नग्न अवस्था में मंगल की गोदी में समाई हुई थी.

    सब सकते में आ गए और हॉल में सन्नाटा सा छा गया. उसने हॉल के बीचों-बीच वस्त्रहीन जॉयश को उतार दिया और खुद एक गुलाम की भांति हाथ बांधकर एक तरफ खड़ा हो गया.

    जॉयश की नंगी जवानी देखने लायक थी. वह खुद करोड़पति परिवार से थी इसलिए अपने जिस्म को बहुत सहेज कर रखा हुआ था. फिगर अच्छा खासा मेंटेन था, चूत एकदम सफाचट साफ थी. उसे तो मालूम था कि आज ‘नो ड्रेस किटी पार्टी’ होने वाली है इसलिए उसकी तैयारी पूरी थी नंगी हो के भी वो नॉर्मल थी.

    जॉयश बिंदास खिलखिला कर बोली- क्या हुआ? सबको सांप क्यों सूंघ गया? ऐसा क्या देख लिया? यारो … यही है आज का ‘नो ड्रेस कोड’ हम सब आज कपड़ों से आजाद होकर पार्टी करेंगी और सबके मन की सेक्स फेंटेसी शेयर करेंगी. और यकीन मानो नग्न होने के बाद ज्यादा मजा आएगा.

    लेकिन जॉयश के कहने का ज्यादा असर नहीं हुआ. सब चुपचाप बैठी रही और एक दूसरे को देखती रही.

    फिर जॉयश ही बोली- कम ऑन बेबी! बी बोल्ड! कम ऑन … हम यहां एंजॉय करने के लिए आए हैं. और फिर हमें कौन देख रहा है, हम सब औरतें ही तो हैं.
    यह सुनकर एकता खड़ी हुई बोली- और यह मंगल भी तो है यहां पर!
    जॉयश बोली- ओह यह तो हमारा मस्ती करने का साधन बनेगा आज! और तुम्हें यदि यह लग रहा है कि यह नंगा क्यों नहीं है, बोलो तो मैं इसे भी नंगा किए देती हूं.

    और इसके बाद वह मंगल के पास गई और उसकी अंडरवियर भी उतार दी. मंगल के चेहरे पर कोई भाव नहीं था. अब वह 6 फुट का लंबा-चौड़ा आकर्षक व्यक्ति पूरी तरह से उन औरतों के बीच में नंगा हो गया था.

    सबके चेहरे का रंग बदल गया क्योंकि मंगल का जिस्म जितना ताकतवर था, उससे भी कहीं ज्यादा आकर्षक और मजबूत उसका लंड दिखाई दे रहा था.
    सबकी निगाहें वहीं जाकर टिक गई.

    और फिर सबसे पहले एकता ने और उसके बाद क्रमशः कल्पना किरण और अलका सभी ने एक एक करके अपने समूचे कपड़े अपने शरीर से अलग कर दिए.
    लेकिन प्रीति अभी भी ऐसे ही खड़ी थी. सब उसके पास गई और उससे निर्वस्त्र होने को बोलने लगी.

    प्रीति ने एकता के कान में कुछ फुसफुसाया जिसे सुनकर एकता ठहाका मारके हंसने लगी और बोली- तो क्या हुआ? जानेमन जंगल है तो मंगल है!
    सब बोली- क्या बात है, क्या हुआ?
    तो एकता ने बताया- प्रीति की जाँघों के बीच में भरपूर जंगल है. और उसे शर्म आ रही है नंगी होने में!

    सब बोली- तो क्या हुआ, जंगल तो सबके ही होता है.
    और फिर एकता ने कहा- यहां जंगल है तो हमारे पास मंगल है.
    यह कहते हुए मंगल का लंड सहला दिया.

    फिर अंततः प्रीति ने भी अपने समूचे कपड़े उतार दिए. वह सही कह रही थी, उसकी चूत पर जबरदस्त बालों का गुच्छा दिख रहा था. एकदम काले घुंघराले बाल थे लेकिन अच्छे लग रहे थे.

    जॉयश प्रीति के नजदीक गई और घुटने के बल बैठकर उसकी जाँघों में अपनी उंगलियां फिराने लगी, बोली- वाह, कितनी तो अच्छी लग रही हो! बहुत शानदार!
    और यह कहते हुए उसने प्रीति की झांट में अपने होंठ घुसा कर एक दीर्घ चुंबन ले लिया.
    प्रीति पूरी तरह से शरमा गई.

    और सब लोग हंसने लगे, माहौल हल्का हो गया था क्योंकि अब सब की सब पूरी तरह नंगी हो चुकी थी और उस हॉल का दृश्य ही बदल गया.
    जहां कुछ देर पहले सब शरमा रही थी, घबरा रही थी, अब निर्वस्त्र होकर एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रही थी, हंस रही थी.

    जॉयश बोली- क्या बात है … अब लग रहा है कि हम सब नए जमाने की औरतें हैं. चलिए अब आगे का प्लान करते हैं. सबकी सेक्स फेंटेसी पढ़नी है.

    सबसे पहले अलका की सेक्स फेंटेसी पढ़ी गई. उसने लिखा था- काश कोई मर्द उसके साथ दर्द और प्यारी सी तकलीफ देते हुए सेक्स करे … उसके जिस्म को कुचल डाले, मसल डाले बिना कोई दया दिखाए हुए! रौंद डाले उसके जिस्म को!
    सब दंग रह गई उसकी सेक्स फेंटेसी सुन कर!

    किरण ने लिखा- मेरा पति कभी मुझे मुखमैथुन का सुख नहीं देता. मेरा बहुत मन है कि कोई मर्द मेरे पैरों को पूरा फैला कर मेरी चूत को चूस डाले, चाट जाए, खा जाए.

    एकता ने लिखा कि उसका मन है कि वह बारिश में खुले में निर्वस्त्र झूम झूम कर नहाए और फिर कहीं से कोई अजनबी आ जाए और उसके साथ बारिश में भीगते हुए संभोग करे.

    कल्पना ने बहुत शर्माते हुए अपनी सेक्स फेंटेसी बताई कि उसका बहुत मन है कि वह किसी औरत के साथ लेस्बियन सेक्स करे. उसे खुद औरत होते हुए भी नंगी औरतों को देखना और उनके जिस्म से खेलने का बहुत मन है.

    और प्रीति की सेक्स फेंटेसी भी बहुत ज्यादा वाइल्ड और उत्तेजक थी. उसने बताया कि जब वह सो रही हो, उस समय कोई अजनबी इंसान उसकी बिस्तर पर आकर आहिस्ता आहिस्ता उसके कपड़े उतार कर उसे नंगी करता जाए और नींद की हालत में ही उसके जिस्म के हर एक अंग के साथ खिलवाड़ करे और उत्तेजक हरकतें करता रहे.

    और अब खुद जॉयश की बारी थी खुद की सेक्स फेंटेसी बताने की!
    उसने कहा कि उसे दर्द और तकलीफ देने वाला सेक्स पसंद है. उसका मन करता है कि कोई उसे पूरी तरह नंगी करके उसके गले में पट्टा डाल कर उसे कुतिया बनाके खुले में घुमाए और उसकी गांड पर खूब पिटाई करे. उसे नंगी करके उसके दोनों हाथ और दोनों पैर पलंग के चारों कोनों पर कस के बांध दे और फिर उसके जिस्म के साथ अपनी मनमानी करे.

    सब की सब हैरत से जॉयश को देख रही थी.

    जॉयश जोकि सबकी लीडर बनी हुई थी, बोली- तो दोस्तो, तुम लोगों में से किसी की सेक्स फेंटेसी पूरी हुई या नहीं?
    सब ने कहा- हमारी ऐसी किस्मत कहां है?
    तो फिर जॉयश ने बोला- फिकर नॉट … यह किटी पार्टी इसीलिए तो कर रही हूँ कि यहां हम सब अपनी मनमानी करेंगी. तो फिर आज कौन है जो अपनी सेक्स फेंटेसी हो पूरी करवाना चाहता है?

    अब फिर सब की सब शांत हो गई और एक दूसरे की शक्ल देखने लगी. असल में मन में तो सबके था लेकिन पहल करना कोई नहीं चाह रहा था, सब कशमकश में थी.

    फिर प्रीति और कल्पना ने कहा- अभी हमें संकोच है तो आज की शुरुआत तुम से ही की जाए!
    जॉयश भी उन सब की मनोस्थिति समझ रही थी और सही भी था क्योंकि वह खुद तो ऐसे ही माहौल में थी और उसके पास मंगल जैसा गुलाम भी था. यही सही होगा कि आज बाकी सब औरतें दर्शक बनी रहेंगी.

    जॉयश बोली- ओके … यह सही रहेगा. तुम लोग खुल भी जाओगी लेकिन उसके पहले आज एक काम और करना है.
    फिर उसने उन सब को एक लाइन में खड़ा कर दिया.

    सब की सब सोच रही थी कि वो क्या करने वाली है.

    फिर जॉयश ने मंगल को इशारा किया और जॉयश का इशारा मिलते ही मंगल आगे बढ़ा और लाइन में सबसे पहले खड़ी हुई अलका को अपने आलिंगन में ले लिया और उसके समूचे नंगे जिस्म को सहलाने लगा, उसके चेहरे पर चुम्बन उसके दोनों दूध पर चुम्बन और फिर नीचे खिसकते हुए उसकी चूत पर एक गहरा चुम्बन लिया.

    सब देख रही थी; अब सभी को मज़ा भी आ रहा था और अपनी बारी का इंतजार कर रही थी कि कब मंगल उनके नंगे जिस्म को अपने आगोश में लेगा.

    लाइन में दूसरे सिरे पर खड़ी एकता को इसी तरह उत्तेजक प्यार करने लगा. सब उत्तेजना के मारे सिसकारियां भर रही थी और जैसा कि मैंने बताया था इस ग्रुप में एकता सबसे कम उम्र की और सबसे ज्यादा सेक्सी नेचर की थी.
    तो उसने मंगल का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उससे खेलने लगी.

    इतने में उसके आगे खड़ी हुई किरण और दूसरी औरतों ने मंगल को अपनी ओर खींचा- अरे इसी हमारे पास भी आने दो!
    बहुत गजब माहौल हो रहा था.

    कुछ ही देर में सब नंगी हसीनाएं मंगल के नंगे जिस्म पर टूट पड़ी, उसे जगह-जगह चूमने लगी, किस करने लगी, काटने लगी और प्रीति जो कपड़े खोलने में शर्मा रही थी अब बेशर्म बनती हुई अपनी चूत को मंगल की जाँघों पर रगड़ने लगी.

    जॉयश दूर खड़ी खड़ी यहां तमाशा देख रही थी.
    इन सब घरेलू औरतों को एक खिलौना मिल गया था मंगल के रूप में!
    और जॉयश ने सही कहा था कि असली मजा पूरी तरह निर्वस्त्र होकर आ रहा था.

    इधर मंगल पूरी कोशिश कर रहा था कि वह सभी को अपना स्पर्श या सुख दे सके. इसलिए वह कभी किसी का चेहरा पकड़कर उसके होंठों को चूस रहा था और कभी किसी के मम्मे दबा रहा था चूस रहा था और किसी की गांड में उंगली घुसा रहा था और किसी की गांड पर चांटे लगा रहा था.

    एकता ने मंगल के चेहरे को पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया तो वह एक पालतू कुत्ते की तरह उसकी चूत को चाटने लगा. सब में छीना झपटी जैसी होने लगी मंगल के लिये!

    फिर जॉयश ने हस्तक्षेप किया, बोली- क्या रंडियां बन गई हो तुम लोग? रुको तो सही! ऐसे में तुम में से किसी को मजा नहीं आएगा. मैं जो कह रही हूं, वह करो तभी सभी इस कुत्ते के मजे ले पाएंगे. और यकीन मानो … मैंने इसे भरपूर ट्रेनिंग दे रखी है. इसलिए आराम से इसका मजा लो.

    यह बात सबकी समझ में आ गई और सब रुक गई.

    फिर जॉयश ने बेड के ऊपर सबको लेटने का इशारा किया और कहा- सब अपने पैरों को वी के आकार में खोलो और चौड़े कर लो. अभी यह तुम सबकी चूत के साथ मस्ती करेगा.
    यह आइडिया सबको पसंद आ गया और सब ऐसे ही लेट गई और सबने अपनी-अपनी चूत को खोल लिया.

    फिर जॉयश ने मंगल को इशारा किया और वह दोनों जांघों के बीच में सिर घुसा कर बहुत निर्दयता से चूत का चूषण और भक्षण करने लगा. उनकी चीखें निकलने लगी.

    जॉयश बोली- तुम लोग जितना जोर से चिल्ला सकती हो, गाली देना चाहती हो तो गाली भी दे सकती हो इस मादरचोद को!

    और अब इन सब घरेलू औरतों का मादक अश्लील और गंदा रूप सामने आने लगा था. सब अपनी जांघों से मंगल के सिर को अपनी चूत पर दबा रही थी और उनका मन ही नहीं कर रहा था कि मंगल उनकी चूत को छोड़कर किसी दूसरी की चूत पर जाए.

    लेकिन जॉयश इस बात का ध्यान रख रही थी, 5 मिनट होते ही वह मंगल के बाल पकड़कर उसका सिर दूसरी की चूत पर रख देती थी. साथ ही साथ वह मंगल की गांड पर चांटे भी मार रही थी और उसे गालियां भी दे रही थी, बोल रही थी- बहन के लंड … मां चोद दे इन सब की! आज भुर्ता बना दे इन रंडियों की चूत का!
    और मंगल भी पागल कुत्ते की तरह उनकी चूत की मां चोद रहा था.

    जब जॉयश ने मंगल का सिर एकता की चूत पर रखा तो वह तो जैसे पागल ही हो गई. वह अकेली ही थी जॉयश के अलावा जिसने गालियों की सब हद पार कर दी थी. वह भी चिल्ला रही थी- भोसड़ी वाले मादरचोद … मेरी चूत को अंदर तक खा लेना! नहीं तो मैं तेरी गांड में डंडा घुसा दूंगी. बहन के लंड खा जा मेरी चूत को मेरे राजा!
    और भी ना जाने क्या क्या बोल रही थी.

    फिर वह पीछे पड़ गई- मुझे चोद अभी चोद बहन के लोड़े! नहीं तो मैं तेरी जान ले लूंगी! अभी चोद मुझे … मैं तुझे छोडूंगी नहीं!
    और सच में उसने मंगल को कस के पकड़ लिया और पागलों की तरह उसे यहां-वहां काटने लगी. सब की सब उसका यह रौद्र और बेशर्म रूप देख रही थी.

    जॉयश भी समझ गई कि एकता अब काबू में नहीं आने वाली है तो उसने मंगल को कहा- मां चोद दे आज एकता की बच्ची की! साली को ऐसा चोदना कि हमेशा के लिए याद रखे.

    मंगल ने उठकर एकता को एक गुड़िया के जैसे उठा लिया और अपने कंधे पर पटक कर बेडरूम की तरफ चला गया. बाकी सब औरतें भी उसके पीछे पीछे आ गई.
    वहां जाकर उसने नंग धड़ंग एकता को बिस्तर पर पटक दिया और फिर उसको घोड़ी बना दिया.

    Kitty Party Nude Doggy bhabhi
    Kitty Party Nude Doggy bhabhi
    और फिर अलमारी में से कोई तेल निकाला और खूब सारा उसकी चूत में मसल दिया. फिर उसके बाल कस के पकड़े और एक दो तीन नहीं ना जाने कितने थप्पड़ उसकी नंगी गांड पर लगाए.

    एकता चिल्लाए जा रही थी लेकिन उसने बिल्कुल भी दया नहीं दिखाई और घोड़ी बनाकर अपना फौलादी लंड एकता की चूत में झटके से घुसा दिया.
    तेल लगा होने की वजह से उसका समूचा लंड एकता की चूत में गहराई तक घुस गया और उसके मुंह से महा उत्तेजक चीख निकली- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
    लेकिन साफ पता पड़ रहा था कि उसे जन्नत मिल गई थी.

    और फिर उसने जो चुदाई चालू की, वह देखने लायक थी. यह दृश्य देखकर सब कामुकता के मारे कांपने लगी. सबके हाथ बरबस अपनी अपनी चूत पर चले गए और सब अपनी चूत और बूब्स को सहलाने लगी और एकता और मंगल की अश्लीलता और उत्तेजना से भरी हुई चुदाई देख रही थी.

    अब जॉयश भी अब उस बेड पर चली गई और दोनों को सपोर्ट कर रही थी. कुल मिलाकर बहुत ही ज्यादा उत्तेजक माहौल बन गया था.

    और फिर आखिरकार दोनों एक साथ इस स्खलित हुए और एकता बहुत ज़ोर से चिल्लाई और बिस्तर पर निढाल पड़ गई. मंगल अभी भी उसके ऊपर ही पड़ गया था. आखिर जिस किसी की खातिर सब आए थे वह एपिसोड उनकी आंखों के सामने सम्पन्न हो चुका था.

    इसके बाद जॉयश ने सबको प्रॉमिस किया कि अब अगली हर किटी पार्टी में तुम सबकी सेक्स फेंटेसी को पूरा किया जाएगा.
    और बोली- हां, मैं यह भी प्रॉमिस करती हूं कि यह बात हम सबके बीच ही रहेगी और बाहर नहीं जायेगी.

    तो दोस्तो, यह हुई उत्तेजक किटी पार्टी की उत्तेजक दास्तां!
    मुझे मेल करके अपने अनुभव जरूर से बताना. और इस बार मेरा विशेष अनुरोध अन्तर्वासना की लड़कियों और महिलाओं से है कि वे सिर्फ सेक्सी कहानी या लेख पढ़कर ही नहीं बैठें, लेखक को मेल भी करें, अपनी सेक्स फेंटेसी बताएं और यह भी लिखिए कि वह अन्तर्वासना में क्या पढ़ना चाहती हैं, उन्हें क्या अच्छा लगता है.

    आगे भी समाज में चल रही ऐसे ही किसी टॉपिक पर लिखूंगा.
    आपका अरुण
    [email protected]

  • ट्रेन सेक्स स्टोरी एक जवान लड़की की

    यह ट्रेन सेक्स स्टोरी एक जवान लड़की की है जो मुझे दिल्ली से मुंबई राजधानी ट्रेन में मिली. मेरा मन तो पहले ही उसे देखकर बावला हो गया था और वो भी कुछ कम नहीं निकली!

    दोस्तो, अन्तर्वासना स्टोरी साइट अपने सेक्स अनुभव को शेयर करने के लिए बहुत अच्छी जगह है. यहाँ लेखकों की कहानी पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है. मैं भी मेरी एक कहानी यहाँ शेयर करना चाहता हूँ. उम्मीद करता हूँ कि आप सब को मेरी यह कहानी पसंद आयेगी.

    मेरा नाम सुमित है. मेरी उम्र 28 साल है, लम्बाई 6 फ़ीट और शरीर की बनावट के हिसाब से मैं थोड़ा मोटा हूँ. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और यहाँ सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हूँ. ये बात करीब 3 साल पुरानी है जब मैं मुंबई एक इंटरव्यू के लिए जा रहा था. शाम को पांच बजे के करीब दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस में मेरा टिकट था.

    उस दिन ट्रेन में ज्यादा भीड़ नहीं थी. मेरा रिजर्वेशन वातानुकूलित बोगी की द्वितीय श्रेणी में था. मेरी नीचे की सीट पर एक औरत थी जिसकी उम्र करीब 55 साल की होगी. मेरी सीट उसके ऊपर वाली थी. सामने की दोनों सीट खाली थीं, उन पर कोई नहीं था तो मैं नीचे ही बैठा रहा.

    आंटी से थोड़ी बाते होने लगी और शाम करीब 8 बजे उन्होंने खाना खाया और दवाई ले कर सो गयी. करीब 9.15 बजे कोटा स्टेशन से एक लड़की सीट के साथ आकर खड़ी हो गयी. मेरे पास आकर वो बोली कि ये मेरी सीट है. मैंने उसके कहने पर वो नीचे वाली सीट खाली कर दी.

    फिर वो लड़की अपना सामान सेट करने लगी. मैं उसके बदन को देख रहा था. मेरी नजर उसके बदन को नाप रही थी लेकिन मैंने उसको इस बात का अहसास नहीं होने दिया कि मैं उसके बदन को निहार रहा हूं. उसके टी-शर्ट के अंदर भरे हुए उसके गोल-गोल चूचे देखने में बड़ा मजा आ रहा था.

    उसकी गांड भी बहुत मस्त सी थी. जीन्स में एकदम कमाल लग रही थी वो. मैं उसके पूरे बदन को ताड़ रहा था कि तभी उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने अपने फोन की स्क्रीन में देखना शुरू कर दिया.
    उसने कहा- सुनिये.
    मैंने जवाब दिया- आपने मुझे पुकारा?
    वो बोली- हां, मेरे पास सामान काफी ज्यादा है तो आप प्लीज मेरी थोड़ी मदद कर दीजिये सामान सेट करवाने में.
    मैंने कहा- हां क्यों नहीं!

    मैं उसका सामान सेट करवाने लगा. जब सारा सामान सेट हो गया तो मैं भी हांफने लगा था. उसने मुझे अपने बैग से पानी की बोतल निकाल कर दी और मुझे पानी पीने के लिए कहा. मैं उसी की सीट पर बैठ कर पानी पीने लगा. वो भी मेरे बगल में ही बैठी हुई थी. मेरे मन में हलचल सी हो रही थी.

    दोस्तो, उस लड़की की उम्र करीब 27-28 साल थी. देखने में बेहद ही खूबसूरत थी. मैं उसके पास बैठा हुआ था लेकिन उससे बात करने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी.

    फिर पानी पीकर मैंने उसको बोतल वापस कर दी और उसको थैंक्स कहा.
    वो बोली- थैंक्स तो मुझे आपको बोलना चाहिये. आपने मेरी मदद जो की.
    मैंने कहा- कोई बात नहीं, इसमें थैंक्स बोलने की क्या बात है. मेरी जगह कोई और होता तो वो भी आपकी मदद कर देता.

    फिर वो मेरी बात सुन कर मुस्कराने लगी और अपने बैग से चिप्स का एक पैकेट निकाल कर उसे खोला और चिप्स खाने लगी. उसने मुझे भी चिप्स खाने के लिये कहा तो मैंने भी दो-तीन चिप्स निकाल ली और उसके साथ बैठ कर ही खाने लगा.

    उसके बाद हम दोनों में बातें होना शुरू हो गईं. मैंने उसके बारे में पूछा कि कहां से आई है और कहां पर जा रही है. फिर वो मेरे बारे में भी ऐसे ही सवाल करने लगी. दोनों एक दूसरे को सामान्य परिचय देते हुए बातें करते रहे. काफी देर तक हम दोनों के बीच में बातें हुईं और उसके बाद वो भी मेरे साथ काफी कम्फर्टेबल हो गई.

    काफी देर तक बातें करने के बाद मैंने टाइम देखा तो रात के 10.30 बज गये थे. मैंने उससे कहा कि आप भी थकी हुई होंगी. थोड़ा आराम कर लीजिये. मैं भी अपनी सीट पर जाकर कमर थोड़ी सीधी कर लेता हूं.
    वो बोली- ठीक है.

    मैं ऊपर वाली अपनी सीट पर जाकर बैठ गया और पानी पीकर लेट गया. मुझे नींद नहीं आ रही थी मगर मैं चादर ओढ़ कर लेटा गया. मेरे नीचे वाली सीट पर जो आंटी थी वो भी सो चुकी थीं और उनके खर्राटों की आवाज मेरे कानों में आ रही थी तो मैंने हेडफोन लगा लिये और मूवी देखने लगा.

    आधे घंटे के बाद मुझे पेशाब लगा तो मैं उठ कर टॉयलेट में चला गया. उसके बाद जब मैं वापस आया तो मैंने देखा कि वो लड़की अपनी सीट पर बैठी हुई थी. वो किसी से फोन पर बात कर रही थी और बात करते हुए ही उसकी आंखों से आंसू भी निकल आये थे.

    मैं हैरान था कि अचानक से इसको क्या हो गया. अभी तक तो ये आराम से लेटी हुई थी.
    उत्सुकतावश मैं वहीं पर खड़ा हो गया. काफी देर तक वो फोन पर बात करती रही.

    जब उसने फोन रखा तो मैंने पूछा- क्या हुआ? सब ठीक है तो आपके घर में?
    वो बोली- मेरे घर में तो सब ठीक है.
    मैंने पूछा- तो फिर आपकी आंखों में ये आंसू?
    वो बोली- मेरी एक दोस्त का फोन आया था. उसकी मां गुजर गई है. वो फोन पर ही रो रही थी इसलिए मेरे भी आंसू निकल आये.
    ये बात सुन कर मैं उसके पास ही बैठ गया. उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- ये तो बहुत ही दुखद समाचार है. लेकिन होनी को कौन टाल सकता है … आप दुखी मत होइये.

    उसने मेरे कंधे पर सिर रख लिया और मुझसे लिपट कर रोने लगी. मेरा भी गला सा भर आया. वो लड़की बहुत ही प्यारी थी इसलिए उसको रोते हुए देख कर मेरा मन भी दुखी हो गया था. मैं उसके कंधे को सहलाने लगा. उसे सांत्वना देने लगा.

    कंधे को सहलाने के बाद मैं उसकी पीठ को सहलाने लगा. उसकी मुलायम पीठ पर सहलाते हुए मेरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी. अब करुणा की जगह आसक्ति ने ले ली थी. मैं जान-बूझकर उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा. मुझे लगा कि शायद आज ट्रेन में सेक्स की मेरी ख्वाहिश पूरी हो जायेगी और मेरी यह ट्रेन सेक्स स्टोरी बन जायेगी.

    वो भी चुप हो गई थी और उसने मेरे गले में अपनी बांहें डाल ली थीं. उसके चूचे मुझे मेरे शरीर पर टच होते हुए महसूस हो रहे थे. मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था. अब मेरा हाथ उसकी पीठ को अच्छी तरह सहला रहा था. मैं बीच-बीच में उसके कंधे को भी दबा रहा था.

    पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा था लेकिन वो अभी भी मुझसे से ऐसे ही लिपटी हुई थी. फिर उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया. मेरे लंड में तूफान सा उठा और हिम्मत करके मैंने उसका हाथ अपनी जीन्स के अन्दर तने हुए अपने लंड पर सरका दिया. उसने आराम से अपना हाथ रख लिया और मुझसे कस कर लिपट गई.

    अब मैं भी उसकी मंशा समझ चुका था, इसलिए अब कोई खतरा नहीं था तो मैंने उसके चूचों पर हाथ रख कर उनको दबाना शुरू कर दिया. अब उसका हाथ मेरे तने हुए लंड को दबाने लगा. दोनों की ही सांसें तेज हो चली थीं. मगर साथ में सो रही आंटी का भी डर था इसलिए उस लड़की ने खुद ही लाइट बंद कर दी.

    उसने कम्बल खींच कर हम दोनों के ऊपर डाल लिया और मेरे साथ ही लेट गई. अगले ही पल हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे. मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल दिया और उसके चूचों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा.

    वो मेरे लंड को मेरी जीन्स के ऊपर से ही सहलाने लगी. हम दोनों ही एक दूसरे से लिपट रहे थे. इतना मजा आ रहा था कि मेरी तो जैसे किस्मत ही खुल गई थी. मैं जोर से उसके होंठों का रस पी रहा था और साथ में ही उसके कसे हुए जिस्म के मजे भी ले रहा था.

    फिर उसने मेरी जीन्स की चेन खोल ली और मेरी जीन्स के अंदर हाथ डाल कर मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को हाथ में भर लिया. मैंने भी उसकी जीन्स के बटन को खोल कर उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया.

    उसके बाद उसने अपनी जीन्स खुद ही निकलवा दी और मुझे नीचे होने के लिए इशारा करने लगी. मैं समझ गया कि ये अपनी चूत की तरफ इशारा कर रही है. हम दोनों चुपचाप ये सब कर रहे थे क्योंकि आंटी भी बगल में ही सो रही थी. मैं धीरे से सरक कर उसकी जांघों के बीच में चला गया.

    जांघों में फंसी हुई पैंटी को निकाल कर मैंने उसकी चूत पर नाक लगा कर उसकी चूत को सूंघा तो उसकी चूत से मस्त सी खुशबू आ रही थी. उसकी चूत गीली हो रही थी. मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया तो वो मेरे बालों को सहलाने लगी.

    अब वो भी पूरी गर्म हो चुकी थी. मैंने उसकी चूत में जीभ डाल कर उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चोदना शुरू कर दिया. उसके बाद मैंने एक हाथ से अपनी पैंट को भी नीचे सरका दिया. अपना अंडरवियर नीचे करके मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.

    लंड को बाहर लाने के बाद अब मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था. मैं वापस से उसके ऊपर की तरफ आ गया और उसके होंठों को चूसते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर लगाने लगा. उसकी गांड मेरे लंड की तरफ धक्के देने लगी तो मैं समझ गया कि अब ये भी चुदने के लिए तैयार हो चुकी है.

    मैंने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर रखा और एडजस्ट करते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा तो वो चुपके से मेरे कान के पास आकर बोली- यहां सेक्स करना सेफ नहीं है.
    मैंने फुसफुसाते हुए कहा- तो फिर कहां सेफ है!
    वो बोली- टॉयलेट में चलो.
    मैंने कहा- ओके.

    फिर हम दोनों धीरे से उठ कर टॉयलेट में चले गये. पहले मैं गया और उसके बाद वो अंदर आ गयी. मैं लंड को बाहर निकाल कर खड़ा हुआ था. वो अंदर आकर मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी.

    मैंने उसको नीचे बैठा दिया और अपना लंड चूसने का इशारा किया. वो नीचे बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी. पांच मिनट तक लंड चूसने के बाद मेरे लंड की नसें फटने को हो गईं. मैंने उसको उठा लिया और कस कर उसके जिस्म को भींचने लगा. कभी उसके चूचों को दबा देता तो कभी उसकी गांड को.

    वो भी मेरी गर्दन को चूसने और काटने लगी. मैंने उसकी टी-शर्ट को उठा दिया और उसकी ब्रा को पीछे से खोलने लगा. उसने ब्रा खोलने में मेरी मदद की. उसकी ब्रा को निकाल कर मैंने अपनी जेब में ठूंस लिया और फिर उसके टी-शर्ट को ऊपर करके उसके चूचों को पीने लगा.

    उसके चूचे बहुत ही कोमल और नर्म थे. मैं उसके निप्पलों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. वो पागल सी होने लगी. उसके हाथ मेरी गांड पर पहुंच गये और वो मेरी गांड को अपनी चूत की तरफ खींचने लगी. वो चुदने के लिए बेताब सी हो चली थी.

    मगर मुझे उसके चूचों का रस पीने में बहुत मजा आ रहा था. मैंने उसके चूचों को काट-काट कर लाल कर डाला. उसके निप्पल एकदम से तन कर टाइट होकर बिल्कुल नुकीले हो गये. मैंने अपने मुंह को उसके निप्पलों से हटा कर उसके निप्पलों को चुटकी में लेकर मसल दिया.

    उसने मेरे गाल पर अपने दांतों से काट लिया. फिर मैंने उसकी जीन्स में पीछे हाथ डाल कर उसकी गांड को दबाना शुरू कर दिया और दोनों फिर से एक दूसरे होंठों को चूसने लगे. उसकी लार मेरे मुंह में आ रही थी और मेरी लार उसके मुंह में जा रही थी.

    काफी देर तक चूमा-चाटी के बाद मैंने उसकी पैंट को निकलवा दिया और उसको एक साइड में खड़ी करके उसकी टांग उठा कर अपना लंड उसकी चूत पर सेट करके उससे चिपक गया. मैं अपनी गांड को धकेलते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा. वो मेरे सीने से लिपटती हुई मेरी पीठ को अपनी बांहों में भरने लगी.

    लंड उस जवान सेक्सी चुदक्कड़ की गीली चूत में घुस चुका था. उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मैंने एक हाथ से पीछे सहारा लिया और उसकी चूत में अपनी गांड के सहारे से लंड को धकेलते हुए उसकी चूत की चुदाई करने लगा. चूंकि रात का समय था इसलिए हवस बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी.

    एक फायदा ये भी था कि उस वक्त तक बाकी सभी लोग भी सो चुके थे और बोगी में लोग भी कम थे. इसलिए हम दोनों मस्ती में चुदाई का मजा लेने लगे. वो मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी चूत में लंड को लेती रही और मैं उसकी चूत में धक्के लगाता रहा.

    करीब 10 मिनट बाद हम दोनों साथ में झड़ गए. उसकी चूत में वीर्य को छोड़ कर जो आन्नद मुझे उस रात मिला वो मैं यहां पर बता नहीं सकता. हम दोनों ही हांफ रहे थे. वो दो मिनट तक मुझसे लिपटी रही. फिर वो मुझसे अलग हो गई.

    हमने अपनी-अपनी जीन्स ऊपर की और फिर मैं चुपके से बाहर निकल आया. उसके दो मिनट बाद ही वो भी वापस से बाहर आ गयी. हम दोनों अपनी-अपनी सीट पर आकर बैठ गये. उसने लाइट जला दी और मेरी तरफ देखते हुए मुस्कराने लगी.

    मैंने भी उसको एक फ्लाइंग किस दे दी. फिर सुबह उठने के बाद मैंने उसका नम्बर ले लिया और उसने मेरा नम्बर ले लिया. फिर तो अक्सर हमारी बात होने लगी. उस घटना के बाद जब भी उसको मुंबई जाना होता था वो मुझे बता देती थी और मैं उसके साथ में ही चला जाता था.

    मुझे चाहे काम होता या न होता लेकिन मैं उसके साथ सफर पर निकल पड़ता था. सफर के दौरान कई बार तो हमको अपनी यह ट्रेन सेक्स स्टोरी आगे बढ़ाने का मौका मिल जाता था लेकिन कई बार नहीं मिल पाता था. अगर ट्रेन में हमें मौका न मिलता तो हम बाहर किसी गेस्ट हाउस में जाकर चुदाई के मजे लेते थे.

    कई बार मैंने उसकी चूत को चोदा और उसके मजे लिये. लगभग साल भर के दौरान वो मुझसे चूत चुदवाती रही. फिर अचानक से उसका नम्बर स्विच ऑफ हो गया. मैंने उससे संपर्क करने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर कभी उससे न तो मुलाकात हो पाई और न ही बात हो पाई.

    लेकिन जो भी हो उस सेक्सी लड़की ने मुझे पूरे मजे दिये. आज भी मैं उसके बारे में सोचता हूं तो मेरा मुठ मारने को मन कर जाता है. उस घटना के बाद मैं अक्सर इस तरह से ट्रेन के सफर के दौरान यह ट्रेन सेक्स स्टोरी बनाने की कोशिश करता रहता हूं.

    अभी तक मुझे कोई और चूत नहीं मिली है. जब भी मिलेगी मैं आप लोगों को नई सेक्स कहानी के माध्यम से जरूर बताऊंगा. अगर आपको मेरी यह स्टोरी पसंद आई हो तो अपनी प्रतिक्रया मेरी इस यह ट्रेन सेक्स स्टोरी पर जरूर दें. आप लोगों को मेरी तरफ से ढेर सारा प्यार. जिन्दगी के मजे लेते रहिये.
    [email protected]

  • फेसबुक फ्रेंड ने अपनी बीवी की चुदाई करवायी full story

    फेसबुक पर दोस्त बने एक आदमी की बीवी की चुदाई की मैंने … उसने अपनी बीवी की फोटो भी डाल रखी थी. मैंने उसकी बीवी की तारीफ़ की तो वो गुस्सा हो गया. लेकिन बाद में …

    नमस्कार दोस्तो … मेरा नाम निहाल सिंघानिया है. ये मेरी पहली सेक्स कहानी है, इसलिए मुझे अगर कुछ ग़लती हो जाए, तो माफ़ कर दीजिएगा. मैं पहले अपने बारे में कुछ बता देता हूँ. मैं पांच फिट सात इंच का 22 साल का एक जवान लड़का हूँ. मेरा रंग गोरा है और बॉडी भी ठीक-ठाक है. मेरे लंड का साइज़ छह इंच है. मेरी पहली चुदाई से पहले मेरे जीवन में बहुत सी लड़कियां आईं, लेकिन मैंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया. क्योंकि शुरू में मैं बहुत शरमाता था … जिसके चलते मैं उनके साथ कुछ कर ही नहीं पाया.

    पर मेरी पहली चुदाई के बाद से तो मैं खुला हवसी बन गया हूँ. अब तो मैं जिसकी भी बड़ी चुची या गांड देखता हूँ, उसका दीवाना बन जाता हूँ. चाहे वो कोई लड़की हो या भाभी.

    ये कहानी मेरी पहली चुदाई की है, जो बस एक साल पहले हुई थी.

    मैं फ़ेसबुक की अपनी प्रोफाइल पर हमेशा सेक्सी भाभी या लड़कियों की तस्वीर डाला करता था.

    एक दिन मुझे एक मैसेज आया, जिसमें लिखा हुआ था कि आपकी और मेरी पसंद बहुत मिलती है, क्या हम दोस्त बन सकते हैं.

    मैंने उस आदमी की प्रोफाइल चैक की, उसका नाम राकेश (बदला हुआ नाम) था. उसकी प्रोफाइल में उसकी और उसकी बीवी की कुछ तस्वीरें थीं. मैं उसकी बीवी को देखते ही अपना लंड मसलने लगा. क्योंकि उसकी वाइफ बहुत ज़्यादा हॉट लग रही थी.

    मैंने उसके साथ दोस्ती की और हमारी बात शुरू हुई. उसने बताया कि वो और उसकी बीवी एक कंपनी में काम करते हैं. उन दोनों की उम्र पैंतीस साल है.

    धीरे धीरे मैंने बात को उसकी बीवी की तरफ मोड़ दी. मैंने उससे पूछा की तुम्हारी बीवी की उम्र 35 तो बिल्कुल नहीं लगती.
    इस पर वो हंसने लगा और बोला- तो कितनी लगती है?
    मैं चुप हो गया.

    उसने अपनी बीवी का नाम काव्या (बदला हुआ नाम) बताया था. अगले मैसेज में मैंने उससे बोल दिया कि तुम्हारी बीवी बहुत सुंदर है.
    उसने पूछा- सिर्फ़ सुंदर?
    मैंने बोल दिया- मस्त माल है, देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
    उधर से उसका मैसेज आया- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बीवी के बारे में ऐसा बोलते हुए?

    दोस्तो, उस वक़्त सच में मेरी डर के मारे गांड फट गयी कि कहीं ये किसी से कोई शिकायत ना कर दे, इसलिए मैंने तुरंत उसे सॉरी का मैसेज किया.
    उधर से उसका मैसेज आया- ठीक है, पर दुबारा ऐसा मत बोलना.

    उसके बाद वो ऑफलाइन हो गया, लेकिन मैंने उसकी बीवी की पिक्चर सेव करके रख ली. उस रात मैंने काव्या की फोटो देखते हुए उसके नाम की मुठ मारी. मुझे सच में उसे चोदने का मन होने लगा.

    अगली दिन सुबह राकेश का गुड मॉर्निंग का मैसेज आया. हमारी बात शुरू हुई, तो उसने पूछा कि तुम्हें मेरी बीवी में क्या अच्छा लगा?
    मैंने लिखा- खुल कर सच बोलूँ?
    उसने हामी भर दी, तो मैंने बोला कि मुझे तो सबसे ज़्यादा लड़कियों की चुचियां पसंद हैं और तुम्हारी बीवी की चुचियां तो सच में बहुत मस्त हैं.
    उसने कहा कि हां, ये तो सच है, मैं खुद उसकी चुचियों का दीवाना हूँ.
    मैंने हिम्मत करके उसका फिगर पूछ लिया, तो उसने बताया कि उसकी बीवी का फिगर 36-30-38 का है.

    दोस्तो, मैं तो ये सुनते ही पागल हो गया और बोला- मुझे तुम्हारी बात पर बिल्कुल भरोसा नहीं है.

    उसने तुरंत ही मुझे उसकी बीवी की चार फोटो भेज दीं.

    मैं तो उसकी बीवी के लिए पागल हो गया. मैंने उसको बोला कि तुम बहुत भाग्यशाली हो यार … जो तुम्हें ऐसी सेक्सी बीवी मिली है.
    उसने पूछा- अगर ये तुम्हें मिल जाए तो तुम क्या करोगे?
    मैं समझ गया कि ये अपनी बीवी को चुदवाना चाहता है. मैंने सीधे बोल दिया कि मैं तो इसके साथ सेक्स करने के लिए कुछ भी कर जाऊंगा.

    मेरा ये मैसेज पढ़ कर वो हंसने लगा उसने कहा- तुम कहां रहते हो?
    मैंने बता दिया कि मैं पटना में रहता हूँ.

    उसने बताया कि वो और उसकी बीवी दोनों कुछ हफ्ते बाद पटना कुछ काम से आने वाले हैं. अगर उसकी बीवी मान गयी, तो वो मुझे उससे मिलवा भी देगा.

    उसकी बात सुनकर मैं सच में बहुत खुश हुआ और उसके बाद से हम दोनों रोज उसकी बीवी, काव्या को लेकर गंदी और कामुक बातें करने लगे. वो मुझे रोज काव्या की तस्वीरें देता था, लेकिन कभी उसने मुझे उसकी एक भी न्यूड फोटो नहीं दी.

    आख़िर वो समय आ ही गया. उसने मुझे मैसेज किया कि मैं और काव्या आज पटना पहुंचेंगे और काम ख़त्म होने के बाद सात बजे तुमसे मिलेंगे, तुम सात बजे तक स्टेशन के पास आ जाना.

    मैंने उस दिन शेव किया, थोड़ी ज़्यादा एक्सर्साइज़ की, लंड की मालिश की और अच्छे से तैयार होकर मिलने स्टेशन पहुंच गया. मैंने रास्ते में काव्या के लिए कुछ फूल भी ले लिए थे.

    स्टेशन पर पहुंचने के बाद उसने बताया कि वो हनुमान मंदिर के पास एक कैब में मेरा वेट कर रहा है.

    मैं जब वहां गया, तो वो बाहर खड़ा था और उसकी बीवी अन्दर बैठी हुई थी. उसने मुझे गले लगाया.

    फिर वो अपनी बीवी से बोला- काव्या, देखो आ गया तुम्हारा आशिक़.
    उसके बाद उसकी बीवी बाहर निकली. उफ्फ़. … इतने बड़े दूध …

    मेरी उफ़फ्फ़ से आप समझ गए होंगे कि वो कैसी होगी. सच में दोस्तो, कल्पना करो कि एक मस्त गोरी लड़की, जिसकी चुचियां 36 की और गांड 38 की हो, तो वो क्या लगती होगी.

    काव्या ने एक सिल्वर कलर का स्लीवलैस और बैकलैस, गहरे गले वाला ब्लाउज पहना हुआ था, जिसके अन्दर से उसके आधे चुचे और वाइट कलर की ब्रा की थोड़ी सी डिज़ाइन दिख रही थी.
    आपको ये सुनकर क्या लगता है कि वो कैसी लग रही होगी.

    इतना ही काफ़ी नहीं था, उसने उसके ऊपर एक मस्त पारदर्शी ब्लैक नैट की साड़ी नाभि से ऊपर बांध कर पहनी हुई थी. उसके गोरे गाल, मस्त गहरी नाभि और गुलाबी होंठ, काले लंबे खुले हुए बाल थे.

    अगर मैं उसकी खूबसूरती बताने लगूं, तो पूरी कहानी उसी में चली जाएगी.

    मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हुआ कि मैं इतनी गजब की सेक्सी महिला से मिल रहा हूं.

    उसने मुझसे बोला- कहां खो गए? क्या रात भर यहीं रुके रहना है?
    काव्या ने हंसते हुए मुझे आंख मार दी, उसके साथ राकेश भी हंसने लगा.

    मैंने उसे सॉरी बोला और स्माइल के साथ उसको फूल दे दिए.
    उसने कहा- वाउ. … ब्यूटीफुल..
    मैंने भी मौक़ा देखकर बोल दिया- आपसे ज़्यादा नहीं..
    काव्या ने बोला- अच्छा जी … मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे हो, आप तो कुछ ज़्यादा ही एड्वान्स निकले.

    हम दोनों एक दूसरे की आंखों में बस देखते जा रहे थे कि तभी राकेश बोला- क्या यार निहाल … काव्या के लिए फूल और मेरे लिए?
    मैंने बोला- तुम्हारे लिए तो तुम्हारी इतनी खूबसूरत बीवी है और क्या जान लोगे बच्चे की?

    इसके बाद हम तीनों हंसने लगे.

    मैं बोला- चलो, कहीं बैठ कर कुछ खाते हैं, मुझे बहुत भूख लगी हैं.
    उसके बाद हम तीनों कैब में बैठ गए.

    मैं आगे की सीट पर बैठने लगा, तो राकेश ने बोला- यार तुम भी … ये क्या कर रहे हो, तुम पीछे बैठो, मैं आगे बैठ जाता हूँ.

    मैं भी खुशी खुशी पीछे बैठ गया.

    कैब चल दी और मैं और काव्या पीछे बात करने लगे.

    काव्या ने पूछा- निहाल, तुम दिखने में तो बहुत अच्छे हो, तुमने तो बहुत गर्लफ्रेंड पटाई होंगी ना?
    मैंने बोला- नहीं यार … मैंने आज तक किसी लड़की को प्रपोज़ तक नहीं किया.
    काव्या ने बोला- अच्छा जी … तो जनाब सीधा सेक्स करते हैं?
    ये कह कर उसने मुझे आंख मार दी.

    मैंने बोला- नहीं नहीं, जब गर्लफ्रेंड ही नहीं बनी … तो सेक्स कैसे करूंगा.
    इसके तुरंत बाद ही काव्या ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला- कैसी लड़की चाहिए तुम्हें?

    मैं समझ गया कि ये साली बहुत चालू माल है. मैंने भी झट से उसकी जांघों पर हाथ रख दिया और बोला कि अब बता के क्या फायदा? अब तो आपकी शादी हो गयी है.
    वो हंसने लगी और बोली- तुम बिल्कुल पागल हो और लकी भी. हो सकता है कि आज तुम्हारी किस्मत तुम्हें कुछ दिला ही दे.

    इसी तरह की बातें चल रही थीं कि तभी कैब एक बढ़िया से रेस्टोरेंट के बाहर जा रुकी. हम तीनों उतरे … उसके बाद अन्दर जाकर पहले काव्या बैठी. इस बार मैं बिना किसी के कुछ बोले उसके साथ जा के बैठ गया.

    मैंने राकेश से बोला- तुम सामने वाली कुर्सी पर बैठ जाओ.

    उसके बाद राकेश ने ऑर्डर करने लगा तो उसने मुझसे पूछा, तो मैंने बोला कि जो तुम्हें मन है, ऑर्डर कर दो.
    काव्या ने भी यही कहा, क्योंकि टेबल के दूसरी तरफ मैं उसका हाथ पकड़ कर बैठा हुआ था.

    उसके बाद खाना आया, हम तीनों बात करते हुए खा रहे थे और बीच बीच में मैं काव्या के साथ मस्ती भी कर रहा था. क्योंकि मुझे पता चल चुका था कि राकेश को इस बात से कोई परेशानी नहीं है.

    इसी बीच मैंने जानबूझ कर अपना मोबाइल नीचे गिरा दिया और उसे उठाने के लिए जब मैं नीचे झुका, तो मैंने टेबल के नीचे से ही काव्या की साड़ी हल्की ऊपर करके उसकी टांगों को हौले से चाट दिया.

    इससे काव्या चौंक गयी और उसके मुँह से निकल गया- उफफ्फ़ …
    राकेश ने पूछा- क्या हुआ जान? आर यू ओके?
    काव्या ने बोला- हां, कुछ नहीं, जीभ कट गयी थी.

    फिर मैं बाहर निकला, तो काव्या ने चुपके से मुझे डांटा. उसके बाद खाना खा कर राकेश ने बिल दे दिया और हम तीनों बाहर आ गए.

    राकेश ने बोला- चलो यार निहाल … आज मेरे साथ रुक जाओ.
    मैंने बोला- यार, घर पर क्या बोलूँगा … नहीं रुक सकता, सॉरी!
    इसके बाद काव्या ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला- रुक जाओ ना निहाल.

    इसके बाद मैं तो क्या, दुनिया का कोई भी मर्द मना नहीं कर सकता था.
    मैंने बोला- ठीक है, चलो.

    उसके बाद हम तीनों उसके होटल आ पहुंचे. राकेश ने रिसेप्शन पर ही एक दारू के लिए बोल दिया, जो कि बहुत महंगी थी.

    ऊपर आकर हम तीनों बेड पर बैठ गए.

    राकेश ने बोला कि मैं बाथरूम से आता हूँ, फिर उसके बाद तुम दोनों भी फ्रेश हो लेना.

    जैसे ही वो बाथरूम में गया, मैंने काव्या को खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया और ज़ोर से उसको अपने सीने से लगा लिया.

    काव्या मुझे हटाने की कोशिश करने लगी और बोली- ये क्या कर रहे हो यार. मेरा पति देख लेगा, तो नाराज़ हो जाएगा.
    मैंने कहा- अभी तो राकेश फ्रेश होने गया है, जब तक वो आता है, तब तक तो करूंगा ही.

    उस वक़्त काव्या मेरे सीने पर थी, उसकी चुचियां मेरे सीने पर दबी हुई थीं. मुझे उसके चूचुकों का अहसास हो रहा था. उसके बाद मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया.

    अब मेरा चेहरा उसके चेहरे के बिल्कुल पास था. हमारी आंखें मिली हुई थीं, हमारे होंठ थरथरा रहे थे और हम दोनों एक दूसरे की गर्म सांसों को महसूस कर सकते थे.

    उसके बाद मैंने धीरे से काव्या के सुर्ख लाल होंठों को अपने होंठों की क़ैद में दबा लिया और उसे किस करने लगा.

    हम दोनों एक दूसरे में डूब चुके थे कि तभी राकेश की आवाज़ आई- काव्या, ज़रा मेरा तौलिया देना.
    राकेश की आवाज सुनते ही एकदम से हम दोनों होश में आए और काव्या बोली- हटो, मुझे जाने दो.

    मैंने बोला- तौलिया की जगह उसे तुम अपनी साड़ी खोल कर दे दो … उसी से पौंछ लेगा.
    मैं फिर से उसे किस करने लगा.
    काव्या ने मुझे धक्का दिया और बोला- हट बदमाश … पहले मुझे तौलिया देने दो.
    वो उठ कर तौलिया देने चली गयी.

    काव्या ने आवाज़ लगाई- राकेश, ये लो तौलिया.

    तब तक मैं काव्या के पीछे चिपक कर खड़ा हो गया था और इससे पहले कि काव्या कुछ बोलती, राकेश ने दरवाज़ा खोला और बोला- थैंक्यू … मैं बस अभी आया, फिर तुम भी फ्रेश हो जाना.

    जब वो अपनी बीवी से बात कर रहा था, मैं काव्या के पीछे खड़ा होकर चुपके से अपना लंड उसकी गांड पर रगड़ रहा था.

    लेकिन बेचारी काव्या कुछ बोल नहीं पा रही थी. मैंने ज़ोर से उसके चूतड़ों पर च्यूंटी काट दी, तो वो चिहुंक उठी- आअहह.
    राकेश ने पूछा- क्या हुआ?
    काव्या ने बोला- कुछ नहीं, बस थक गयी हूँ.

    उसके बाद राकेश ने दरवाज़ा बंद कर लिया. इधर काव्या मुझे गुस्सा दिखाने लगी- क्या कर रहे थे तुम? अगर राकेश देख लेता तो?
    मैंने बोला- देख लेता तो क्या? उसको भी पता है कि उसकी बीवी को देखकर कोई भी रुक नहीं सकता.

    इतना बोल कर मैंने उसको दीवार से चिपका दिया, उसके दोनों हाथों को ऊपर करके पकड़ लिया और उसके होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. हम दोनों एक दूसरे की जवानी का रस पी रहे थे. मैं तो जैसे उसके होंठों को खा जाना चाहता था.

    अब मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और मेरे हाथ छोड़ते ही उसने अपने दोनों हाथ मेरे गले में डाल कर मुझे और ज़ोर से अपने पास खींच लिया. वो ज़ोर ज़ोर से मुझे किस करने लगी.

    इधर जैसे ही मेरे हाथ आज़ाद हुए, मैंने पहले तो उनको उसके पेट पर रखा, उसकी नाभि में उंगली डाली, उसकी कमर को सहलाया और फिर मेरे हाथ धीरे धीरे ऊपर आने लगे.

    अब मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटाया, वैसे ही मुझे उसके उठे हुए गोल, मुलायम और सफेद चुचे दिखने लगे और मेरा दिमाग़ खराब होने लगा. मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से उसकी चुचियां पकड़ लीं और एकदम ज़ोर से दबा दीं.

    उसके मुँह से निकला- आअह्ह्ह …
    मैंने पूछा- क्या हुआ?
    उसने बोला- यार, धीरे धीरे करो ना, प्यार से … मुझे दर्द हुआ.

    मैंने फिर से उसकी चुचियां मसल दीं और बोला- साली, इतने दिन से अपने पति से चुद रही है और अभी भी तुझे दर्द हो रहा है … नाटक करती है.

    मैंने फिर से उसके मम्मों को मसल दिया.

    वो फिर से तड़फ कर बोली- आअह्ह्ह … राकेश कभी मेरी चुचियां इतनी ज़ोर से नहीं मसलता … इसलिए मुझे दर्द हुआ कमीने.
    मैंने बोला- तो आज तू थोड़ा दर्द भी सहना सीख ले.

    मैं उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों को चाटने लगा, जिससे उसका पूरा ब्लाउज मेरे थूक से गीला हो गया और वो गर्म गर्म सांसें लेने लगी.
    उसकी गर्म और गहरी सांसों के चलते उसकी चुचियां और तेजी से ऊपर नीचे हो रही थीं, जिसे देख के मेरा लंड पूरा टाइट हो गया. मैंने अब उसके पेट पर अपना मुँह रखा और चाटने लगा.

    ‘आअहह … उफ्फ़ निहाल … आहह उम्म्म्मम मज़ा आ गया … आअहह तुम तो सच में कमाल हो आहह..’ काव्या के मुँह से बस यही सब निकल रहा था. मैंने अपनी जीभ उसके नाभि में डाली और ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा, जिसके बाद उसकी सिसकारी और ज़्यादा बढ़ गईं.

    अब मैं उसके ब्लाउज को खोलने ही वाला था कि तभी मुझे लगा कि कोई हमें देख रहा है. मैंने पीछे देखा, तो राकेश खड़ा था और हम दोनों को ही देख रहा था.

    काव्या ने जैसे ही राकेश को देखा, वो तुरंत उठ कर खड़ी हो गयी और अपनी साड़ी ठीक करते हुए बोली- सॉरी राकेश … प्लीज़ तुम मुझे ग़लत मत समझना, ये सब बस जोश जोश में हो गया. आई एम रियली सॉरी.

    तो राकेश उसके पास गया और उसे गुस्से से देखने लगा, काव्या को लगा कि अब तो वो बहुत बुरी फंस गई.
    लेकिन तभी राकेश हंसने लगा और बोला- इतना क्यों डर रही हो यार. अगर मुझे गुस्सा ही करना होता, तो मैं पिछले पांच मिनट से तुम दोनों का ये खेल नहीं देख रहा होता. मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा था और ये मेरा और निहाल का पहले से प्लान था. उसने कहा था कि मैं अपनी बीवी की चुदाई करवाना चाहता हूँ.

    फिर वो मेरी तरफ देख कर बोला- क्या यार निहाल … कम से कम मेरे आने तक तो रुक जाते, मुझे भी तो मज़ा लेने देते.
    राकेश फिर से हंसने लगा.

    मैं बोला- यार क्या करूं राकेश, तेरी बीवी है ही इतनी मस्त कि मुझसे बिल्कुल कंट्रोल भी नहीं हुआ. मैं तो बस अभी इसे नंगी करने ही वाला था.
    ये सुन कर राकेश बोला- तो अब कर दो इसे नंगी … मैंने मना थोड़े ही किया है.

    उसका ऐसा कहना था कि मैं फिर से काव्या के ऊपर टूट पड़ा और उसे दीवार से लगा कर उसके पल्लू को हटा कर उसके ब्लाउज खोलने लगा और उसे किस करने लगा.

    काव्या भी अब मेरा खुल कर साथ दे रही थी और राकेश सामने कुर्सी पर बैठ कर हम दोनों को मस्ती करते हुए देख रहा था.

    अभी मैंने काव्या के ब्लाउज के सिर्फ़ दो ही बटन खोले थे कि तभी दरवाज़े की घंटी बजी.
    अब तक आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने और राकेश ने मिलने का प्लान बनाया और मिलने के बाद मैं और काव्या, एक दूसरे के प्यार में डूबे हुए थे. राकेश कुर्सी पर बैठ कर अपनी बीवी को मेरे साथ प्यार करते हुए देख रहा था. मैंने उसकी बीवी काव्या के ब्लाउज के दो बटन खोले ही थे कि तभी किसी ने दरवाज़े की घंटी बजा दी.

    अब आगे:

    जैसे ही घंटी बजी, मेरा मूड खराब हो गया. मैंने गुस्से में बोला- यार, जैसे ही तेरे ब्लाउज को खोलने लगता हूँ, वैसे ही कोई ना कोई आ जाता है.
    काव्या हंस कर बोली- सच में यार, उफ्फ़ … अभी तो मज़ा आना शुरू ही हो रहा था कि पता नहीं कौन आ गया. राकेश, जाओ देखो ना कौन है.

    उसके बाद मैं बाथरूम में चला गया और काव्या भी अपने कपड़े ठीक करके बैठ गयी.

    राकेश ने दरवाज़ा खोला, तो सामने वेटर खड़ा था.

    वो बोला- सर, आपने ये मँगवाई थी.
    राकेश ने बोला- हां लाओ.

    राकेश ने उसको कुछ टिप देकर वापस भेज दिया. अन्दर आकर उसने अभी बॉटल को खोला ही था कि मैं भी बाथरूम से बाहर आ गया. मैं उस समय सिर्फ़ टी-शर्ट और तौलिया में था.

    राकेश ने बोला- आओ, आओ निहाल. बॉटल की शुरूआत तुम ही करो.

    मैं गया और काव्या के बगल में बैठ गया. उसके गले पर चूमा लेने लगा और बोला- शराब क्या पीऊँगा अब … तेरी इस बीवी में तो इससे भी ज़्यादा नशा है.

    इसके बाद मैंने काव्या को अपनी गोदी में बैठा कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. काव्या ने मुश्किल से अपने होंठों को आज़ाद किया और बोली- तुम दोनों तो फ्रेश हो गए, अब मुझे भी होने दो.

    फिर वो भी तौलिया और कुछ कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गयी. मैं और राकेश साथ में बैठ कर पीने लगे.

    धीरे धीरे राकेश को नशा चढ़ने लगा. उसने मुझसे पूछा- यार निहाल … तू जब मेरी बीवी को चूम रहा था और चाट रहा था, तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मुझे तो लग रहा था कि कब तुम उसको नंगी करके चोदोगे.
    मैंने बोला- साले राकेश … अगर वो वेटर नहीं आया होता, तो अभी तक तेरी बीवी मेरे नीचे लेट कर चूत चुदवा रही होती.

    वो ये सुनकर अपने लंड पर हाथ फेरने लगा.

    मैंने बोला- क्या किस्मत है तेरी यार … ऐसी मस्त बीवी तो बहुत नसीब से मिलती है. स्वर्ग की अप्सरा से भी ज़्यादा मस्त माल है साली. इसको तो अगर बाज़ार में बेचने जाएंगे, तो लोग कितने भी रुपये देने के लिए तैयार हो जाएंगे.
    राकेश बोला- उफफ्फ़ … तेरी इन्हीं रसीली बातों ने तो मुझे और मेरी बीवी को तेरा गुलाम बना दिया है. अब तो बस तो उसे चोद कर अपनी रांड बना ले.
    मैं बोला- चिंता मत कर दोस्त. आज के बाद तेरी बीवी सिर्फ़ मेरा लंड माँगेगी.

    मेरे ऐसा कहने के बाद राकेश बोला- मुझे कम से कम अपना लंड तो दिखा.
    मैंने अपना तौलिया खोल दिया. मेरा लंड तो उसकी बीवी की वजह से टाइट भी था और थोड़ा गीला भी हो गया था.

    उसने बोला- यार, तेरा लंड भी तो मेरे जितना ही है … बस थोड़ा ज़्यादा मोटा है.
    मैंने बोला- हां … मेरा लंड भी छह इंच का ही है, लेकिन मेरी टाइमिंग बहुत ज़्यादा है. अभी देखना कैसे तू अपने हाथ से लंड हिलाता रह जाएगा और मैं तेरे सामने तेरी बीवी को अपनी बीवी बना कर पेलूंगा.

    अभी राकेश मेरा लंड सहला ही रहा था कि तब तक काव्या बाहर आ गयी.

    उफ्फ़ … क्या कयामत लग रही थी काव्या. उस टाइम को याद करके अभी भी मेरा लंड बहकने लगता है. उसने काले रंग की ट्रान्स्पेरेंट एक मॉडर्न नाइट ड्रेस पहनी हुई थी और उसके अन्दर उसकी सफेद ब्रा बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रही थी.

    मेरा लंड राकेश के हाथ में देख कर वो बोली- ये क्या राकेश? तुम्हें भी चाहिए क्या निहाल का लंड?
    ये कह कर वो हंसने लगी.

    उस वक़्त वो बहुत प्यारी लग रही थी. मैंने बोला- देख राकेश … ये तुझे चिढ़ा रही है … जाकर इसको पकड़ कर ले आ और मेरी गोदी में बैठा दे.

    राकेश उठा और उसने काव्या के बालों को पकड़ कर उसको खींचते हुए मेरी गोद में लाकर बैठा दिया.

    काव्या बोली- आहह … मैं तो खुद से आ जाती … फिर ऐसा क्यों किया निहाल.
    मैंने बोला- बेबी, जब तेरा पति तुझे खुद मेरी गोदी में बैठा रहा है, उसमें ज़्यादा मज़ा है.

    उसके बाद मैंने एक गिलास उठाया और उसको दारू से भर के काव्या को दिया.

    काव्या वो दारू का गिलास एक बार में ही पूरा पी गयी. फिर वो मेरे गले के चारों तरफ हाथ डाल कर मेरे होंठों को किस करने लगी. मैं भी उसके होंठों को चाटने लगा. मेरा एक हाथ उसके दूध पर था और दूसरा उसकी गांड पर.

    उधर राकेश चुपचाप कुर्सी पर बैठ कर हम दोनों को एक दूसरे के होंठों के साथ खेलते हुए देख रहा था. कभी मैं काव्या के होंठों को चूसता … और कभी वो मेरे होंठों को चूसती.

    इस वक्त मैं नीचे से नंगा था, इसलिए मेरा लंड उसकी गांड पर टकरा रहा था. मेरे लंड से थोड़ा थोड़ा पानी भी निकलने लगा था.

    उधर काव्या भी बहुत गर्म हो गयी थी और बार बार ‘आअहह … उफफ्फ़ … हइईए निहाल … यार आआहह..’ बोल रही थी और मेरे होंठों को चूस रही थी.

    हम दोनों कम से कम बीस मिनट तक ऐसे ही खेलते रहे थे, मुझे तो उसके होंठ छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था.

    जब उससे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था, तो उसने कहा- निहाल, उफफ्फ़ … अब ये खेल का बस करो. … अब चलो ना बेड पर चलते हैं, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.
    राकेश ने भी बोला- हां यार निहाल, मैं भी अब अपनी काव्या को चुदवाते हुए देखना चाहता हूँ … जल्दी करो.

    मैंने काव्या को उठा कर बेड पर पटक दिया और फिर उसके पेट पर दारू गिरा कर चाटने लगा. मेरे ऐसा करते ही काव्या तड़पने लगी और उसने चादर को अपनी मुट्ठियों में दबा लिया. वो ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी. जिससे उसकी चुचियां हवा में पर्वत की तरह उठने बैठने लगीं और वो सिसकराने लगी.

    ‘आआहह … ओह माँआ … मत करो ऐसा … आहह..’

    फिर मैंने भी देर ना करते हुए उसकी नाइट ड्रेस खोल दी और काव्या मेरे सामने सिर्फ़ सफेद ब्रा और पेंटी में लेटी हुई थी. मेरा तो मन हुआ कि अभी के अभी उसकी पेंटी फाड़ कर लवड़ा उसकी गीली चूत में घुसा दूं … लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया. क्योंकि मैं उसको और तड़पाना चाहता था.

    उस समय उसकी सांसें बहुत तेज़ चल रही थीं और इसी वजह से उसकी चुचियां बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं. ये सीन देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं बस उसकी चूचियों को ही देख रहा था.

    फिर वो उठी और उसने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया और ताबड़तोड़ मेरे होंठों और गालों और गर्दन पर चुम्मियों की बरसात कर दी. वो अब पागलों वाली हरकत करने लगी थी. लेकिन मैंने अपने आपको उससे अलग किया. क्योंकि मेरा खेल तो अभी बाकी था.

    उसके बाद मैंने उसकी ब्रा को खोला और जब मैंने उसकी चुचियां देखीं, तो क्या बोलूं यार. मैंने जैसा सोचा था, ये तो उससे भी अच्छी थीं. एकदम हंस सी सफेद चुचियां, जिसके निप्पल एकदम कड़े हो गए थे. भूरे रंग के मस्त निपल्स, काव्या की हर एक सांस के साथ ऊपर नीचे होती उसकी 36 की गोरी मोटी चुचियों पर चमक रहे थे.

    मुझे मालूम है कि काव्या का ये रूप सोच कर ही आप लोगों का लंड खड़ा हो गया होगा.

    ये देख कर मैं भी नहीं रुका और मैंने उसकी चुचियों को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया. मैं कभी दाईं चुचि को चूसता, तो कभी बाईं को. जब दाईं वाली चूसता, तो बाईं वाली को मसलता और जब बाईं वाली को चूसता, तो दाईं वाली को मसलता. कभी कभी मैं दोनों चुचियों को एक साथ सटा कर चाटने की कोशिश भी करता था, लेकिन चूचों के बड़े साइज़ के चलते मैं पूरी तरह से ऐसा नहीं कर पा रहा था.

    उधर मेरा खेल देख कर राकेश का लंड एक बार पानी छोड़ चुका था और काव्या की चूत भी पानी पानी हो रही थी.

    मुझे यकीन है कि जो आदमी अभी काव्या की जगह अपनी बीवी के साथ ऐसा होते हुए सोच रहा होगा, उसके लंड का हाल भी बहुत बुरा हो गया होगा … हैं ना दोस्तों …

    अब मैंने काव्या की चुचियों पर एक थप्पड़ मारा … वो दर्द से तड़प गयी.

    काव्या- आअह्ह्ह … मार क्यों रहे हो … यार … दर्द हो रहा है ना.
    मैंने बोला- मैं तेरी चुचियों को तैयार कर रहा हूँ.
    उसने पूछा- किसलिए?
    मैंने बोला- अभी मैं तेरी चुचियों को चोदूंगा.

    फिर मैंने अपना लंड हाथ में लिया और उसकी दोनों चुचियों के बीच में रख कर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा.

    मुझे ऐसा करते देख कर राकेश बोला- उफफ्फ़ यार निहाल … मैंने तो अपनी बीवी के बारे में कभी ऐसा सोचा ही नहीं था. तुमने तो सच में मुझे एक रंडी का पति बना दिया है.
    मैं बोला- साले … तेरी बीवी रंडी नहीं है … ये तो अब मेरी जान बन गयी है.

    ये सुन कर काव्या बोली- ह्म्म्म्म … आहह … सच बोला निहाल तुमने. आज तक मैं इसी प्यार के लिए तरस रही थी और तुम्हारे इस ज़ोश ने तो मुझे तुम्हारा दीवाना बना दिया है. आज से मैं तुम्हारी जान नहीं, तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ … उफफ्फ़ …

    दोस्तो, उसकी चुचियों को चोदते हुए मुझे दो तीन मिनट ही हुए थे लेकिन चूंकि ये मेरा पहली बार था … इसलिए मुझे लगा कि मेरा अब निकल जाएगा, इसलिए मैंने जल्दी से अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और उसके बाल पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगा.

    मेरा पूरा लंड उसकी मुँह में जा रहा था और मैं ज़ोर ज़ोर से उसके बाल पकड़ कर उसके मुँह को रंडी की तरह चोद रहा था.

    बस दो मिनट के बाद मेरा लंड एकदम कड़ा हो गया. मैंने पूरा लंड उसके मुँह में एकदम अन्दर तक डाल दिया और झड़ने लगा.

    इतना ज़ोर ज़ोर से मैं कभी भी मुठ मारते हुए भी नहीं झड़ा था, ऐसा लग रहा था, जैसे आज में अपने लंड का पूरा माल उसी के मुँह में गिरा दूँगा.

    मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से उसके मुँह में झटके ले रहा था और थोड़ी देर बाद जब मेरा पूरा माल निकल गया, तो मैं काव्या के ऊपर गिर गया. उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया और तुरंत बाथरूम में चली गयी.

    जब वो वापस आई, तो उसने बोला- छीई … पहली बार किसी ने मेरे मुँह में गिराया है. मैंने तो राकेश को भी ऐसा नहीं करने दिया था, मेरा मुँह दुखने लगा, तुम मेरे मुँह में एकदम राक्षस की तरह से कर रहे थे.

    मैं बोला- कसम से काव्या, आज तक इतना मज़ा नहीं आया. जब तेरे मुँह में इतना मज़ा आया, तो तेरी चुत में कितना आएगा.

    उसके बाद मैंने काव्या को बेड पर गिराया और 69 की पोज़िशन में आ गया.

    अब मैं काव्या की चूत और जांघों को चाट रहा था और काव्या मेरे लंड और अंडों से खेल रही थी. मैंने ज़ोर ज़ोर से काव्या की चूत चाटना शुरू कर दिया. चाटना क्या … खाना बोलो. मुझे तो बस ऐसा लग रहा था कि उसकी चुत में घुस जाऊंगा. चूंकि काव्या पहले से ही बहुत गर्म थी, इसलिए अब उसने मेरा लंड चूसना बंद कर दिया और तड़पने लगी.

    ‘ओह्ह्ह निहाल … आअह्ह मेरी जान … उम्म्ह… अहह… हय… याह… … मेरा निकलने वाला है … आह्ह्ह्ह …’

    मैंने जीभ के साथ साथ अपनी एक उंगली भी उसकी चूत में डाल दी और दूसरी उंगली से उसकी चूत के दाने को मसलने लगा.
    ऐसा करने के बाद काव्या, तो क्या कोई भी लड़की का पानी निकल लाएगा. तुरंत ही काव्या एकदम ज़ोर से चिल्लाई- आअहह … माँआ … मर गयी मैं … आहह … मैं आई.

    बस उसके बाद तो दोस्तो, लगा जैसे किसी ने पानी का बाँध खोल दिया हो. इतना पानी तो मेरा भी नहीं निकला था. मैं हटने लगा, तो उसने मेरा चेहरा ज़ोर से अपनी चुत के पास दबा लिया और तब तक नहीं छोड़ा, जब तक वो शांत नहीं हो गयी.

    उसकी चूत का पानी मेरे मुँह में कम गया … लेकिन मेरे चेहरे पर पूरा फैल गया.

    मेरा चेहरा देख कर राकेश हंसने लगा और बोला- हाहहाहा … इतना पानी तो काव्या कभी नहीं निकालती … तेरा तो पूरा चेहरा ही भीग गया है. जाओ, जाकर बाथरूम में साफ़ कर लो.

    मैं बाथरूम में गया. इधर काव्या को तो लग रहा था कि उसे कोई होश ही नहीं है. वो बस बेसुध लेटी हुई थी.

    जब तक मैं बाथरूम गया था, तब तक राकेश बेड पर आ गया था. वो अब नंगी काव्या के साथ खेलना शुरू कर चुका था. चूंकि उसका लंड खड़ा था, इसलिए उसने थोड़ी देर काव्या को किस किया. जब काव्या भी वापस उसको किस करने लगी, तो उसने काव्या की टांगों को फैला कर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया.

    जब मैं वापस आया, तब तक काव्या भी गर्म हो गयी थी और राकेश उसे चोद रहा था. मैं कुर्सी पर बैठ गया और उन दोनों को देख कर शराब पीने लगा.

    अब राकेश ने काव्या को उल्टा किया और उसको कुतिया बना दिया.

    राकेश पीछे से काव्या को चोद रहा था और बोल रहा था- साली कमीनी … बहुत मज़ा ले रही थी निहाल के साथ. रंडी बनने का बहुत शौक है ना तुझे, अब ले मेरा लंड और चुद कुतिया की तरह.

    ऐसी ही गंदी गंदी बात करते हुए राकेश उसे ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था और अब काव्या भी शुरू हो गयी थी.
    काव्या- यार निहाल … देख, अभी तो ये साला बहुत जोश से चोद रहा है … लेकिन ज़्यादा देर तक नहीं रह पाएगा. साला हमेशा मुझे उंगली डाल कर शांत करता है.

    मैं बस उन दोनों की चुदाई को देख रहा था. उन दोनों की मस्ती वाली गंदी बात सुन रहा था.

    सच में दोस्तो, असलियत में ऐसी बात सुनने में बहुत मज़ा आता है. मुझे यकीन है कि आप लोगों को भी असलियत में ऐसी गंदी गंदी बात करके सेक्स करने में बहुत मज़ा आता होगा. अपने विचार मुझे ज़रूर बताएं.

    अब जैसा कि काव्या ने कहा था. कोई दो तीन मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद राकेश का पानी निकल गया और वो वहीं बेड पर लेट कर हांफने लगा.

    उसके बाद काव्या बोली- देखा साले … तेरा दम निकल गया न … इसीलिए मैं निहाल के साथ मज़े ले रही थी क्योंकि तुझसे तो कुछ होता नहीं है.

    थोड़ी देर बाद राकेश नीचे आ गया और मुझसे बोला- जा यार … अब तो इस साली की गर्मी तू ही शांत कर सकता है.

    मैं तो कब से तैयार था. मुझे आता देख कर काव्या मुस्कुराने लगी. मैं बेड पर गया, तो काव्या ने मेरा लंड चूस कर खड़ा कर दिया और फिर खुद ही चूत फैला कर लेट गयी.

    वो चूत पर हथेली बजाते हुए बोली- आ जा मेरे राजा … आज अपनी दीवानी को अपना शिकार बना ले. आज मेरी चुत की भी गर्मी शांत कर दे मेरे यार.
    उसकी ऐसी बात सुन कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

    अब मुझसे भी इंतज़ार नहीं हुआ और मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर बोला- धीरे धीरे पेलूं या एक बार में डाल दूं?
    वो बोली- जैसे तेरी मर्ज़ी. अब तो मैं तेरी गुलाम हूँ.

    मैंने देर नहीं की … और उसके कमर को पकड़ कर एक ज़ोर का धक्का दिया. चूंकि मेरा लंड राकेश से बस एक इंच ही बड़ा है और शायद उतना ही ज़्यादा मोटा भी, इसलिए लंड घुसवाते वक़्त उसको ज़्यादा दर्द नहीं हुआ. चूंकि उसकी चुत बहुत गीली भी थी, इसलिए मेरा लंड भी एकदम फिसलते हुए उसकी चुत में घुस गया.

    अब हम दोनों प्यार में खो गए और एक दूसरे के बदन के साथ खेलते हुए और अलग अलग तरीकों से चुदाई चालू हो गई. धकापेल चुदाई के बाद काव्य झड़ गई. उसके कुछ देर बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ गया.

    मैंने काव्या को उस रात तीन बार चोदा. सुबह काव्या ने जाते वक़्त मुझे एक खूबसूरत सी घड़ी गिफ्ट दी.

    वो बोली- धन्यवाद निहाल … तुमने मुझे जितना प्यार दिया, उतना किसी ने नहीं दिया था.

    मैंने भी उसे गले से लगा लिया और बोला- तुम भी बहुत प्यारी हो काव्या. तुम्हारी जैसी लड़की से मिल कर बहुत मज़ा आया. उम्मीद करता हूँ कि हम दोबारा ज़रूर मिलेंगे.

    उसके बाद राकेश बोला- बिल्कुल मिलेंगे दोस्त … मैं हमेशा तुम्हारे टच में रहूँगा.

    मैं उन दोनों से गले मिला और उसके बाद वो दोनों वापस निकल गए. उसके बाद भी मैं काव्या से मिल चुका हूँ. एक बार अकेले भी मिला था. लेकिन वो सेक्स कहानी अगली बार लिखूंगा

    मुझे ज़रूर बताइएगा कि आपको मेरी ये चुदाई कहानी कैसी लगी. आप लोगों के मेल का मुझे इंतज़ार रहेगा. धन्यवाद.
    [email protected]

  • दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड full story

    दीवाली की शाम मैं अपने मित्र के घर गया. उस समय घर में उसकी माँ अकेली थी. तभी मेरे दोस्त की बहन भी आ गयी. उसकी खिली जवानी देख मैं देखता ही रह गया.

    नमस्कार दोस्तो, मैं राजीवअपनी एक सेक्सी कहानी के साथ हाजिर हूँ जो इस दीपावली मेरे साथ हुई।

    दोस्तो इस दीपावली की छुट्टी में मैं अपने गाँव गया हुआ था। दीपावली की शाम को दिए जलाने के बाद मैं अपने पड़ोस में एक मित्र के घर गया जो मेरे साथ ही वाराणसी में काम करता है और इस बार वो वापस गांव नहीं आ पाया था।

    उसके घर में उसके पापा मम्मी और एक छोटी बहन, जिसका नाम पीहू था, रहती थी। जब मैं उसके घर पहुँचा तो घर पर सिर्फ उसकी मां थी।
    मैंने उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दी और पीहू और उसके पापा के बारे पूछा.
    तो उन्होंने बताया कि पीहू के पापा किसी काम से रिश्तेदार के यह गए है कल आएंगे। पीहू गांव में मन्दिर पर दिए जलाने गयी है, कुछ देर बाद आएगी।

    तब मैंने उनके साथ मिलकर पूरे घर में दीये जलाये।
    दिए जलाने के बाद उसकी माँ और मैं छत पर खड़े होकर बात कर रहे थे तभी वहाँ पीहू आ गयी।
    उसने मुझसे कहा- भैया, आप कब आये?

    मैं तो बस उसे देखता रह गया.
    वो नीले रंग का कमीज और सफेद सलवार पहने थी।

    दोस्तो, पहले मैं पीहू के फिगर के बारे में बता दूँ. उसकी हाइट लगभग पांच फुट, उसकी चूचियों का साइज बत्तीस इंच, कमर छब्बीस इंच और गांड का साइज़ बत्तीस इंच था।

    मैं पीहू से दो साल बाद मिला था। इन दो सालों में उसका बदन काफी भर गया था। उसकी उम्र बाइस साल की हो गयी थी।

    उसके आने के बाद उसकी मम्मी ने कहा- तुम दोनों बात करो, मैं नीचे जा रही हूँ खाना बनाने।

    उसकी मम्मी के जाने के बाद मैं पीहू को कुछ देर तक लगातार देखता रहा तो पीहू ने हंसकर कहा- भैया, क्या देख रहे हो? पहले कभी नहीं देखा क्या?
    तब मैंने कहा- पहले भी देखा है पर तब और अब तुम काफी बदल गयी हो।

    यह सुनकर पीहू ने कहा- मैं कहाँ बदली हूँ, मैं तो वैसी ही हूँ.
    तब मैंने कहा- बदल तो गयी हो. अब पहले से ज्यादा खूबसूरत लग रही हो।

    पीहू बोली- झूठी तारीफ मत करिए.
    तब मैंने कहा- झूठ नहीं कह रहा हूँ. सच में तुम बहुत ही खूबसूरत लग रही हो. तुम्हें देखकर तो कोई भी पागल हो जाएगा। किसी का भी दिल तुम्हें पाने के लिए मचल जाएगा।

    पीहू यह सुनकर मुस्कुराती हुई बोली- भैया, खूबसूरत तो आप भी बहुत लग रहे हैं, आपको भी कई सारी लड़कियां पसन्द करती होंगी।
    मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है, मुझे तो आज तक किसी ने नहीं कहा.
    तो वो बोली- डरती होंगी आपसे!
    तब मैंने कहा- इसमें डरने वाली क्या बात है। जब तक कोई कहेगा नहीं … तब तक किसी के दिल का हाल कैसे पता चलेगा।

    पीहू ने कहा- भैया आपकी कोई गर्लफ्रैंड है?
    तो मैंने कहा- नहीं!

    मैंने उससे पूछा बॉयफ्रेंड के बारे में तो उसने भी न में जवाब दिया।

    पीहू ने मुझसे पूछा- भैया, आपको कैसी गर्लफ्रैंड चाहिए?
    तब मैंने कहा- बिल्कुल तुम्हारे जैसी!
    तो उसने कहा- मतलब?
    तब मैंने कहा- तुम्हारे जैसी न ज्यादा पतली न ज्यादा मोटी! तुम्हारे जैसी खूबसूरत और जिस पर मैं तुम्हारे जितना विश्वास कर सकूं कि वो हमारी बातें किसी और से न कहे।

    पीहू बोली- भैया, इस तरह की तो सिर्फ मैं हूँ. तब तो आपको मुझे ही अपनी गर्लफ्रैंड बनाना पड़ेगा. नहीं तो बिना गर्लफ्रैंड के रह जाएंगे।
    तब मैंने कहा- मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहाँ कि तुम मेरी गर्लफ्रैंड बनो।
    पीहू ने कहा- आपको मुझसे अच्छी मिलेगी!
    तब मैंने कहा- मुझे तुमसे अच्छी नहीं, तुम्हारे जैसी चाहिए।

    पीहू ने कहा- भैया क्या आप अपनी बहन को अपनी गर्लफ्रैंड बनाना चाहते हैं?
    तो मैंने कहा- अगर मेरी प्यारी बहना को एतराज न हो तो मैं उसे गर्लफ्रैंड बनाना चाहता हूँ।

    पीहू ने कहा- कहीं आप भाई को तो नहीं बता देंगे कि मैं आप से ऐसे बात कर रही थी?
    तब मैंने कहा- क्या मुझपर विश्वास नहीं है?
    तो उसने कहा- आप पर तो मैं खुद से भी ज्यादा विश्वास करती हूँ।

    मैंने पीहू से कहा- पीहू, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
    तो पीहू ने कहा कि वो भी मुझसे प्यार करती है।

    इसके बाद मैंने पीहू को पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया। मैंने पीहू का सर अपने दोनों हाथों में लेकर उसके माथे पर एक चुम्बन किया तो उसने अपनी आँखें बंद कर ली.

    फिर मैं उसके पूरे चेहरे पर किस करने लगा.
    पीहू मदहोश हो गयी थी।

    फिर मैं उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी. करीब दो तीन मिनट तक हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।

    इसके बाद मैंने पीहू को पलट कर उसके पीछे आ गया और अपने दोनों हाथों को समीज के अंदर उसके चूचियों पर रखकर दबाने लगा और अपने होंठों से उसके गर्दन पर किस करने लगा।
    पीहू ने मुझसे कहा- भैया, मम्मी कभी भी ऊपर आ सकती हैं.

    तब मैं उसी तरह उसकी चूचियों को दबातें हुए उसे सीढ़ी के किनारे के पास रेलिंग तक ले आया।
    वो नीचे की तरफ देख रही थी और मैं उसे किस करते हुए उसकी चूचियों को दबा रहा था।

    तभी उसकी मम्मी ऊपर आने लगी तो हम दोनों एक दूसरे से अलग होकर बातें करने लगे।

    उसकी मम्मी चाय लेकर ऊपर आयी थी. हम लोग चाय पीने लगे।

    उसकी मां चाय देकर नीचे चली गयी तब पीहू ने कहा- भैया, आप मेरे लिए दीपावली का क्या गिफ्ट लाये हैं?
    मैंने कहा- हाँ गिफ्ट लाया हूँ, बहुत ही खूबसूरत है.
    तब पीहू बोली- इस समय साथ लाये हैं?
    तो मैंने कहा- हाँ!
    तो वो बोली- जल्दी से मेरा गिफ्ट मुझे दीजिये.
    मैंने कहा- पहले अपनी आँखों को बंद करो, तब तुम्हें गिफ्ट मिलेगा।

    पीहू ने अपनी आँखों को बंद कर लिया और बोली- दीजिये गिफ्ट!

    तो मैंने अपनी पैन्ट को खोलकर अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और पीहू के हाथों को अपने हाथ में लेकर लन्ड उसकी हाथ में दे दिया।

    मेरे गर्म लन्ड का एहसास पाते ही उसने चौंक कर अपनी आँखों को खोल दिया और लन्ड अपनी हाथ में देखकर बोली- भैया, आप बहुत शरारती हो। क्या आप मेरे लिए यही लेकर आये थे?
    तब मैंने कहा- गिफ्ट तो तुम्हारा घर पर है पर ये वाला भी सबसे कीमती गिफ्ट मेरी प्यारी बहन के लिए है. क्या ये वाला गिफ्ट मेरी बहन को पसंद नहीं आया?
    पीहू ने कहा- ये गिफ्ट तो बहुत अच्छा है।

    तो पीहू से मैंने कहा- नीचे झुककर इसे चूसो.
    उसने मना कर दिया, बोली- ऐसा कौन करता है?
    तब मैंने कहा- सभी करती हैं, लन्ड में से निकलने वाला माल को पीने के बाद लड़कियाँ और खूबसूरत हो जाती हैं। तुम्हें भी अच्छा लगेगा.
    काफी मनाने के बाद वो लन्ड मुंह में लेने को तैयार हुई।

    Behan Ne Lund Chusa
    Behan Ne Lund Chusa
    पीहू नीचे झुककर घुटनों के बल बैठ गयी और हाथों में मेरा लन्ड लेकर उस पर एक किस किया।
    मैंने उसके हाथों के ऊपर अपना हाथ रखकर लन्ड के चमड़े को पीछे किया तो सुपारा बाहर आ गया।
    अब मैंने पीहू से कहा- मुंह में लेकर चूसो.
    तो वो लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।

    जब पीहू मेरा लन्ड चूस रही थी तो मुझे कितना मज़ा आ रहा था यह मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।

    कुछ देर के बाद मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मेरे लन्ड ने पूरा माल पीहू के मुंह में निकाल दिया। पीहू मेरा पूरा माल पी गयी पर उसके चेहरे के भाव देखकर ऐसा लगा जैसे उसका स्वाद पसन्द नहीं आया।
    मैंने उससे कहा- धीरे धीरे इसका स्वाद पसन्द आने लगेगा. और मेरा माल मेरी बहन की खूबसूरती को और बढ़ाएगा।

    यह सुनकर पीहू मुस्कुराने लगी.

    मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होंठों को चूसने लगा, वो भी मेरे होंठो को चूसने लगी।

    कुछ देर बाद मैंने पीहू से कहा- मैं अपनी प्यारी बहन को चोद कर दीपावली मनाना चाहता हूँ. क्या मेरी प्यारी बहना अपनी चुदाई मुझसे करवाएगी?
    पीहू ने कहा- भैया, आप मेरे साथ कुछ भी कर सकते हैं. मैं आपको रोकूंगी नहीं … पर यहाँ कुछ करने में रिस्क है।
    मैंने पीहू से कहा- तुम मेरा साथ दो, मैं कोई तरकीब निकलता हूँ।

    इसके बाद मैं पीहू के साथ नीचे आ गया और उसकी मम्मी से कहा- मैं पीहू को मार्केट लेकर जा रहा हूँ दीपावली का गिफ्ट दिलवाने … उसके बाद घर होते हुए आएंगे।

    उसके बाद मैं पीहू को लेकर आने घर आया और उसके लिए जो कपड़े लेकर आया था, वो ले लिये और बाइक निकाल कर उसकी डिग्गी में डाल दिया।
    मैंने घर पर बोल दिया कि पीहू को लेकर मार्किट जाऊंगा और उसे उसके घर छोड़ते हुए आऊंगा।

    पीहू को बाइक पर बैठा कर गांव के बाहर आ गया और बाइक अपने खेतों वाली ट्यूबेल की तरफ मोड़ दिया जो एकदम सुनसान स्थान पर था।
    ये देखकर पीहू बोली- भैया, आप तो मुझे गिफ्ट दिलवाने मार्केट ले जा रहे थे?
    तब मैंने कहा- गिफ्ट ही दूंगा अपनी प्यारी बहन को … वो भी सबसे अच्छा वाला।

    बाइक को मैंने अपनी ट्यूबेल पर खड़ी कर दिया। ट्यूबेल पर एक छोटा सा कमरा बना था जिसमें पम्पिंग सेट लगा था. उसके बगल में एक खाट पड़ी थी. जब खेतों में पानी देना होता था तो पिताजी यहीं पर सोते हैं।

    मैंने ट्यूबेल का दरवाजा खोला और पीहू को अंदर कर बाइक को भी दरवाजा बंद कर लिया।

    मैं कुछ देर पहले ही ट्यूबवैल पर दीये जला कर गया था. बाहर जो दीये जल रहे थे, मैं कमरे में उन्हें ले आया और कमरे में पूरा उजाला हो गया।
    पीहू ने कहा- भैया, यहाँ कोई आएगा तो नहीं?
    मैंने कहा- यहाँ कौन आएगा पागल इस समय … वैसे भी आज दीपावली मना रहे हैं लोग।
    पीहू ने कहा- लोग दीपावली मना रहे हैं और हम …

    इतने में मैंने उसे कमर से पकड़ कर खींच कर अपने सीने से लगा लिया और कहा- हम भी दीपावली को अपनी यादगार बना रहे हैं एक दूसरे से प्यार करके!

    इसके बाद मैं पीहू के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर पूरे चेहरे पर चूमने लगा. पीहू भी मदहोश होकर अपनी बांहों में मुझे कसकर पकड़ लिया।

    कुछ देर मैं पीहू को ऐसे ही चूमता रहा, फिर मैंने अपने होंठों में उसके निचले होंठ को लेकर चूसने लगा. तो वो भी मेरे ऊपर वाले होंठ को चूसने लगी.

    थोड़ी देर बाद मैंने पीहू से कहा कि वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दे.
    तो पीहू ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. मैं उसकी जीभ को चूसने लगा।

    कुछ देर तक उसकी जीभ चूसने के बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और वो मेरी जीभ चूसने लगी।
    करीब दस मिनट तक हम ऐसे ही चुम्माचाटी करते रहे।

    अब तक पीहू पूरी तरह चुदाई की मस्ती में आ गयी थी.
    मैंने पीहू से कहा- पीहू, हाथ ऊपर करो, तुम्हारी कमीज उतारनी है.
    तो वो बोली- भैया, मुझको शर्म आ रही है।
    मैंने कहा- शर्म कैसी पागल जब भैया तुझे चोदने के लिए तैयार है और तू भैया से चुदवाने के लिए।

    उसने शर्म से अपना सर मेरे सीने में छिपा लिया।
    अपने दोस्त के घर गया तो उसकी बहन से मिला. हम दोनों की जवानी ने जोर मारा और मैं उसकी चुदाई के लिए उसे अपने खेतों में ट्यूबवैल के कमरे में ले आया. जवान लड़की की पहली चुदाई का मजा लें.

    मेरे ख़ास दोस्त की बहन की चूत चुदाई की इस कहानी के पहले भाग
    दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड-1
    में आपने पढ़ा कि मैं दीपावली की शुभकामनाएं देने अपने दोस्त के घर गया तो उसकी बहन से मुलाकात हुई. उसकी जवानी मुझे घायल कर गयी. बातों बातों में हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी भावनाएं बता दी और मैं उसकी पहली चुदाई के लिए उसे अपने खेतों में ट्यूबवैल के कमरे में ले आया.
    अब आगे:

    वो बोली- भैया, मुझको शर्म आ रही है।
    मैंने कहा- शर्म कैसी पागल जब भैया तुझे चोदने के लिए तैयार है और तू भैया से चुदवाने के लिए।

    उसने शर्म से अपना सर मेरे सीने में छिपा लिया। मैंने उसके हाथ ऊपर कर उसका कमीज निकाल दिया।

    अब वह नीले रंग की ब्रा में मेरे सामने खड़ी थी। उसके बाल उसके चूतड़ों से नीचे तक की लंबाई के थे, जिनको उसने बाँध कर रखा था. मैंने उसे सीने से लगा कर उसके बालों को खोल दिया।

    पीहू को सीने से चिपकाए हुए ही मैंने अपने दोनों हाथों को उसकी कमर पर फिराते हुए ऊपर ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसके कंधों पर से ब्रा की डोरी को सरकाकर नीचे कर ब्रा को उसके जिस्म से अलग कर दिया।

    अब मैंने पीहू को घुमाकर उसकी पीठ को सीने से चिपका कर दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियाँ के निप्पल जोर से मसलने लगा।
    पीहू ने कहा- भैया धीरे धीरे करो दर्द हो रहा है, अब मैं तुम्हारी हो गयी हूँ।
    मैंने कहा- पीहू जान … यह तो प्रेम का मीठा दर्द है … भैया का प्यार में दिया इतना दर्द नहीं सहोगी?
    तो उसने कहा- आप मेरे भैया और सईंया आज से दोनों हैं।

    मैंने अपने शर्ट और बनियान को निकाल दिया और पीहू को सीने से लगा लिया. फिर पीहू को गोद में उठा कर खाट पर लिटा दिया।

    अपनी पैंट निकाल कर मैं पीहू के ऊपर चढ़ गया। मैं पीहू के चेहरे को चूमने लगा. उसके चेहरे को चूमते हुए उसके कानों को भी बारी बारी मुंह में लेकर चूसने लगा।
    पीहू पूरी तरह से चुदासी होकर मादक आहें भरने लगी थी।

    फिर मैं उसके कानों को चूमते हुए उसके गर्दन और कंधों को चूमने लगा। पीहू के कंधों से होते हुए उसके बायें हाथ को चूमते हुए उंगलियों तक आया और बारी बारी उसकी अंगुलियों को मुंह में लेकर चूसने लगा.
    फिर यही सब उसकी दायें हाथ के साथ भी किया।

    पीहू मादक आहें भर रही थी और मुझसे बोली- भैया कुछ हो रहा है, जल्दी करिये.
    मैंने कहा- क्या?
    तो वो शर्मा गयी।

    मैंने उसकी चूचियाँ के निप्पलों को दोनों हाथों की उंगलियों और अंगूठे से मसलते हुए पूछा- मेरी प्यारी बहना, क्या करूँ तुम्हारे साथ?
    तो वो बोली- भैया, आप बहुत बेशर्म हो गए हैं।
    तब मैंने उसके दोनों निप्पलों को जोर से मसलते हुए कहा- अपनी प्यारी बहना को चोदने के लिए बेशर्म तो होना ही पड़ेगा।

    उसके मुँह से एक आह निकल गयी शर्माकर उसने अपनी आँखें बंद कर ली।

    अब मैं पीहू की बायीं चूची की निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दायीं चूची को अपने हाथों से मसलता रहा.
    पीहू धीरे धीरे आहें भर रही थी.

    फिर मैं पीहू की दायीं चूची को मुंह में लेकर बायीं को मसलने लगा।
    मैंने पीहू से पूछा- कैसा लग रहा है?
    तो वो बोली- बहुत अच्छा भैया।

    उसकी चूचियों को चूसने के बाद उसके पेट और कमर को चूमने लगा उसके बाद मैंने पीहू की ठोड़ी के चारों तरफ अपनी जीभ से चाटने लगा।
    पीहू ने मेरा सर कसकर पकड़ लिया और धीरे धीरे ‘आह भैया … आह …’ कह कर आहें भर रही थी।

    अब मैंने पीहू के सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को निकाल दिया। अब वो मेरे सामने नीले रंग की पैंटी में थी। पैंटी के ऊपर से ही मैंने उसकी बुर पर किस किया तो वो सिहर उठी।
    मैंने उसकी पैंटी को उसकी टाँगों से निकल दिया। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी।

    Jawan Ladki Ki Chut
    Jawan Ladki Ki Chut
    पीहू का गोरा जिस्म बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।

    मैंने उसकी टांगों को फैलाकर अपना मुँह उसकी बुर पर रख कर किस किया तो वो सिहर उठी।

    अब मैं अपनी जीभ उसकी बुर के अंदर डालकर चाटने लगा तो उसने मेरे सर को कसकर पकड़ लिया और धीरे धीरे ‘भैया … भैया …’ कहते हुए आहें भरने लगी.
    लगभग पांच मिनट तक मैं उसकी बुर को चूसता रहा.

    इसके बाद पीहू शरीर अकड़ने लगा और उसकी बुर ने पानी छोड़ दिया।
    स्खलित होने के बाद पीहू काफी रिलैक्स दिख रही थी।

    पीहू से मैंने कहा- अब तुम्हारी बारी है.
    और उसके ऊपर लेट कर उसको बांहों में भर कर करवट बदल कर उसको ऊपर कर दिया।

    उसकी दोनों टांगों में अपनी टाँगें फंसा ली और उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से दबाते हुए कहा- किस करो पूरे बदन को!
    तो पीहू मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर किस करने लगी।

    चेहरे को कुछ देर चूमने के बाद उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी जीभ मेरे मुँह डाल दिया. मैं उसकी जीभ चूसते हुए उसकी कमर को सहला रहा था और उसके चूतड़ों को दबा रहा था।
    उसके बाल कुछ उसके चूतड़ों पर थे कुछ बाल मेरे चेहरे के दोनों तरफ लटके थे। बालों के साथ उसके कमर को सहलाने में एक अलग ही मज़ा आ रहा था।

    इसके बाद मेरे गले को चूमते हुए पीहू नीचे मेरे सीने की तरफ आयी और मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। धीरे धीरे पीहू फिर गर्म होने लगी थी।

    निप्पलों को चूसने के बाद जब उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे अपनी चड्डी उतारने का इशारा किया।
    उसने मेरी चड्डी को उतार दिया।

    मैंने लन्ड चूसने का इशारा किया तो वो मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ कर चूसने लगी। मैं पीहू के बालों को सहलाने लगा।

    थोड़ी देर बाद मैंने पीहू को रुकने का इशारा किया. वो मेरी तरफ देखने लगी तो मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर ऊपर की तरफ खींच लिया और पीहू के होंठों को चूसने लगा।
    कुछ देर तक उसके होंठों को चूसने के बाद मैंने उसे पेट के बल लिटा दिया और उसके बायें पैर की एड़ी को चूमते हुए उसके चूतड़ों तक आया फिर उसके दायें पैर की एड़ी को चूमते हुए चूतड़ों तक आया।

    उसके बल उसके चूतड़ों तक फैले हुए थे। उनके ऊपर से ही उसके चूतड़ों को किस करते हुए उसकी पूरी पीठ पर चुम्बन करने लगा।

    अब तक पीहू पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और आहें भरने लगी थी।

    मैंने पीहू के चूतड़ों पर अपने दांतों से हल्का सा काट लिया तो उसने एक मदहोश करने वाली आह भरी। फिर मैंने पीहू को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोनों टाँगों को फैलाकर उनके बीच में घुटनो के बल बैठ गया।

    पीहू मेरी तरफ मदहोश होकर देख रही थी।

    मैंने पीहू से कहा- मेरी प्यारी बहना दीपावली की शाम अपने भाई के लन्ड से चुदने के लिए तैयार है।
    तब पीहू ने सर हिलाकर हाँ का इशारा किया।

    मैंने कहा- ऐसे नहीं, बोलकर कहो!
    तब उसने कहा- हाँ, मेरे प्यारे भैया, आपकी बहन भाई के लन्ड से चुदने के लिए तैयार है।

    पीहू ने कहा- भैया … पर आपका इतना मोटा लन्ड मेरी बुर में कैसे जाएगा?
    तब पीहू से मैंने पूछा- सच बताओ कि अब तक कभी चुदी हो या नहीं?
    तो उसने कहा- नहीं … पर कभी कभी उंगली से कर लेती हूं।

    पीहू बोली- भैया, इतना मोटा लंड मेरी बुर में नहीं जा पायेगा.
    तो मैंने कहा- पहली बार में हल्का सा दर्द हो सकता है। अपने भाई के लिए इतना तो कर ही सकती हो?
    तो उसने हाँ का इशारा किया।

    मैंने मुँह से ढेर सारा थूक उसकी बुर और अपने लन्ड पर लगाया और अपना लन्ड उसकी बुर की छेद पर रख कर पीहू की तरफ देखकर कहा- डालूं? तैयार हो?
    तो उसने हाँ कहा.

    फिर मैंने उसकी कमर को जोर से पकड़ कर लन्ड पर दवाब बनाकर एक झटके से पूरा लन्ड उसकी बुर में उतार दिया।
    मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे मेरा लन्ड किसी चीज़ को चीरते हुए आगे बढ़ रहा था।
    और पीहू के मुंह से एक आह निकल गयी।

    मैंने पीहू से पूछा- दर्द तो नहीं हो रहा है?
    तो उसने कहा- नहीं … मैं तो सोचती थी कि बहुत दर्द होगा।
    तब मैंने कहा- अगर लड़की को पूरी तरह गर्म करके चुदने के लिए तैयार करके लन्ड डालेंगे तो उसे ज्यादा दर्द नहीं होता है।

    इस पर पीहू ने कहा- पर भैया, ऐसा लग रहा है जैसे कोई गर्म लोहे का रॉड मेरी बुर में चल गया है।
    तब मैंने कहा- मुझे भी ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लन्ड किसी गर्म भट्टी में चला गया है। पीहू तुम्हारे अंदर बहुत गर्मी है जिसे मैं अपने लन्ड से पानी निकाल कर तुम्हारी जिस्म की गर्मी को आज शांत करूँगा।

    यह सुनकर पीहू मुस्कुराने लगी और बोली- तो शांत कर दीजिए।
    और मैं धीरे धीरे पीहू की चूचियाँ दबाते हुए धक्के मारने लगा।

    नीचे से पीहू भी धक्के लगाकर जवाब दे रही थी और धीरे धीरे बोल रही थी- चोद दो भैया … और चोदो।

    कुछ देर ऐसे ही अपने दोस्त की बहन की चूत को चोदने के बाद मैं रुक गया और पीहू से कहा- अपनी टांगें मेरी कमर में लपेट लें और हाथों से मुझे कसकर बांहों में भर ले. मैं तुझे खाट से उठाऊंगा.
    तो उसने ऐसा ही किया।

    मैंने पीहू को खाट से अपनी गोद में उसकी बुर में अपना लन्ड डाले ही उठा लिया। मैंने पीहू को लाकर दरवाजे से लगा दिया और उसकी बायीं चूची को मुंह में लेकर पीने लगा.
    तो पीहू ने कहा- भैया, मैं आपको भारी नहीं लग रही हूँ?
    तो मैंने कहा- मेरी बांहों में इतनी ताकत तो ही ही कि तुम्हें गोद में लेकर चोद सकूँ।

    मैंने उसके चूतड़ों को नीचे से उठाया हुआ था और वो मुझे अपने पैरों से कसकर लपेटे हुए अपनी बांहों के घेरे में लेकर मुझसे कसकर चिपकी हुई थी।
    उसकी नर्म चूचियाँ मेरे सीने से दबी हुई थी और मैं उसके होंठों का रस पी रहा था।

    मैंने उससे पूछा- कैसे लग रहा है?
    तो उसने कहा- बहुत ही अच्छा! भइया पर ये आप किसी को कभी बताइयेगा मत … नहीं तो तो मैं मर ही जाऊंगी।
    मैंने उससे कहा- आज के बाद मरने की बात कभी मत करना! तुम्हें तो जीना है मेरे लिए! वादा करो कि तुम मुझे यूं ही प्यार करोगी.
    तो उसने कहा- भैया, मैं हमेशा आपकी रहूंगी, जब चाहे आप मुझसे प्यार कर सकते हैं।

    पीहू से मैंने कहा- पीहू, दरवाजा खोलो!
    तो उसने कहा- क्यों भैया?
    मैंने कहा- पहले खोलो, फिर बताऊंगा.
    तो उसने दरवाजा खोल दिया।

    मैं उसे गोद में लिए बाहर आ गया तो उसने कहा- भैया, कोई देख लेगा.
    तो मैंने कहा- देखो बाहर कितना अंधेरा है. वैसे भी यहाँ खेत पर कौन आएगा।
    उसने चारों तरफ देखा, फिर बोली- भैया, आप मुझे बाहर क्यों लाये हो?
    तो मैंने कहा- मेरी प्यारी बहना, तेरी चुदाई खुले आसमान के नीचे खेत में करूँगा.
    तो उसने कहा- भैया, आप बहुत शरारती हो।

    पीहू को मैंने अपनी गोद से नीचे उतार दिया, उससे बोला- बहना, अब तुम घोड़ी बन जाओ, पीछे से तुमको चोदूंगा।
    वो घोड़ी बन गयी मैं भी उसके पीछे घुटनों के बल बैठ गया और अपना लन्ड उसकी बुर में पीछे से डाल दिया.
    मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगा, नीचे से वो आहें भर रही थी।

    कुछ देर चोदने के बाद मैं रुक गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
    फिर कुछ देर बाद उसके बालों को पकड़ कर उसका सर हल्का पीछे खींच कर फिर से उसे चोदने लगा. जब मुझे लगता कि मेरा माल निकल जायेगा तो मैं रुक जाता और उसके बाद उसके जिस्म से कुछ देर खेलने लगता।

    लगभग पन्द्रह मिनट तक उसे घोड़ी बनाकर चोदने के बाद मैंने अपना लन्ड उसकी बुर से निकाल कर उसको खड़ा किया।
    अब तक कि चुदाई से वो मस्त हो गयी थी वो सही से खड़ा भी हो पा रही थी।

    मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
    तो वो बोली- आप बहुत बेरहम होकर चोद रहे हैं.
    तब मैंने कहा- क्या तब मज़ा नहीं आ रहा?
    तो वो बोली- मज़ा तो बहुत आ रहा है भइया। क्या आप मुझे हमेशा ऐसे ही प्यार करेंगे?
    मैंने कहा- हाँ, हमेशा करूंगा।

    फिर मैंने उसे गोद में लेकर रूम के अंदर लेकर खाट पर लिटा दिया. उसकी दोनों टाँगें फैलाकर अपना लंड उसकी बुर में डाल कर मैं उसके ऊपर लेट गया.
    उसकी उसकी आँखों में देखते हुए मैं बोला- मेरी प्यारी बहना को मेरे लन्ड की चुदाई कैसी लगी?
    तो वो बोली- भैया, आप बहुत अच्छा चोदते हैं.

    फिर मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगा.
    कुछ देर बाद उसने पानी छोड़ दिया और मुझसे बोली- भैया बस करो!
    तो मैंने कहा- बस थोड़ी देर और!
    मैं जोर से धक्के लगा कर उसको चोदने लगा।

    कुछ देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा, मैं पीहू के ऊपर लेट कर और जोर से धक्के लगाकर उसे चोदने लगा. पीहू ने मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया।
    मेरे लन्ड ने अपना सारा माल पीहू की बुर में निकल दिया और मैं निढाल होकर पीहू के ऊपर लेट गया।

    कुछ देर ऐसे ही पीहू के ऊपर लेटा रहा और पीहू मेरी पीठ सहलाती रही.
    उसके बाद मैं उसके ऊपर से उठ गया।

    मैंने उसकी चड्डी से अपना लन्ड साफ करके उसकी बुर को भी साफ किया।
    पीहू से मैंने कहा- पीहू आज की चुदाई के यादगार के रूप में ये तुम्हारी चड्डी और ब्रा मेरे पास रहेगी.
    तो वो मुस्कुराती हुई बोली- रख लीजिए।

    उसके बाद हम दोनो ने कपड़े पहन लिए और मैं पीहू को लेकर घर आ गया।

    मैं अपने दोस्त की कुँवारी बहन की चुदाई एक बार खेतों में कर चुका था. अब रात को उसी के घर में रात भर सुहागरात मनाने का कार्यक्रम था. क्या मैं उस देसी लड़की के साथ सेक्स कर पाया?

    मेरे ख़ास दोस्त की बहन की चूत चुदाई की इस कहानी के दूसरे भाग
    दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड-2
    में आपने पढ़ा कि मैं अपने दोस्त की बहन से दोस्ती करके उसे अपने साथ अपने खेतों के बीच में बने कमरे में ले आया उसकी चुदाई का कार्यक्रम बना कर. वो भी अपनी पहली चुदाई का मजा लेकर चुद गयी थी.

    अब आगे:

    नमस्कार दोस्तो मैं फिर से हाजिर हूँ अपनी कहानी को लेकर!

    तो पीहू को खेत में चोदने के बाद मैं उसे उसके घर छोड़ने गया। वहाँ मैंने पीहू को उसका गिफ्ट नीले रंग की जीन्स और सफेद रंग का टॉप उसे दिया।
    उसे पीहू लेकर काफी खुश हो गयी.
    मैंने उससे कहा- पहन कर देख लो कि ठीक है या नहीं!
    तो वो रूम में उसे पहनने चली गयी।

    मैं उसकी मम्मी से बातें करने लगा।

    वो जीन्स टॉप पहन कर जब बाहर आई तो बोली- बिल्कुल सही साइज का है।
    और हम लोग आपस में बातें करने लगे।

    उसकी मम्मी ने कहा- राज, आज पीहू के पापा घर पर नहीं हैं, ऐसा करो कि तुम आज यही हमारे साथ खाना खाकर यहीं सो जाओ।
    मैंने कहा- ठीक है आंटी, पर अभी मैं घर जा रहा हूँ कुछ देर बाद आऊंगा तो सभी लोग साथ खाएंगे।

    उसके बाद मैं बाइक लेकर वहां से सीधे मार्केट चला गया। रास्ते में मैंने पीहू को कॉल कर पूछा- मम्मी कहाँ हैं?
    तो वो बोली- रसोई में!
    मैंने कहा- पीहू तैयार रहना, आज अपनी सुहागरात मनाएंगे।

    उसके बाद मैंने मार्केट में मेडिकल की दुकान से गर्भ रोकने की दवाई, सेक्स की गोली और नींद की गोली खरीद ली।

    वापसी में मैंने एक दुकान से दो जोड़ी ब्रा और पैंटी और दो बड़े वाले डेरी मिल्क चॉकलेट और सुनार की दुकान से सोने की एक चेन लेकर पीहू के घर आ गया।
    अपने घर पर मैंने कॉल कर बता दिया कि आज दोस्त के घर पर सोऊंगा क्योंकि उसके पापा घर पर नहीं है।

    उसके बाद पीहू के घर गया तो उसकी मम्मी ने कहा- तुम लोग बैठो, मैं खाना निकालती हूँ।
    उसकी मम्मी खाना निकालने रसोई में चली गयी तो मैंने पीहू से कहा- ये नींद की गोली किसी तरह से अपनी मम्मी को खिला दो।
    पीहू ने मुझसे वो दवा ले ली और अपनी मोबाइल से अपने भाई को कॉल कर बात करते हुए रसोई में चली गयी।

    थोड़ी देर बाद उसकी मम्मी मोबाइल पर बात करते हुए मेरे पास आकर बैठ गयी और मेरे दोस्त से बात करने लगी।

    कुछ देर बाद पीहू खाना लेकर आई और हम लोगों के सामने रख दिया। फिर एक प्लेट में वो खीर लेकर आई और एक कटोरी मेरे सामने रखी, एक अपनी मम्मी को दी और एक कटोरी अपने लिए रखी।
    उसके बाद हम सभी लोगों ने खाना खाया।
    खाने के बाद हम लोग बातें करने लगे।

    कुछ देर बाद उसकी मम्मी बोली- मुझे नींद आ रही है, मैं सोने जा रही हूं.
    उन्होंने मुझसे कहा- तुम बाहर वाले रूम में सो जाना और पीहू अपने रूम में सो जाएगी।

    फिर वो और पीहू अपने अपने रूम में सोने चली गयी।

    उनके जाने के बाद मैंने वियाग्रा की गोली खा ली और बाइक की डिग्गी में से सामान निकल कर रूम में आया और आराम करने लगा।

    कुछ देर बाद मैंने पीहू को कॉल किया और बोला- देखो, तुम्हारी मम्मी सो गई हैं या नहीं?
    तो कुछ देर बाद उसका कॉल आया- मैंने मम्मी को आवाज दी मगर वो बोल नहीं रही हैं।
    मैंने कहा- अब तुम्हारी मम्मी सुबह ही उठेंगी। अब तुम जल्दी से मेरे रूम में आ जाओ।

    कुछ देर बाद मेरे रूम का दरवाजा खुला और पीहू अंदर आ गयी। वो लाल रंग की साड़ी पहन कर आई थी।

    साड़ी में पीहू और भी खूबसूरत लग रही थी।
    मैंने पूछा- साड़ी पहन कर क्यों आयी हो?
    तो उसने कहा- आज पूरी रात अपनी है. आज मैं भैया आपकी दुल्हन बनकर आपके साथ सुहागरात मनाना चाहती हूं। क्या आप मुझको अपनी दुल्हन बनायेंगे?
    मैंने कहा- क्यों नहीं मेरी प्यारी बहना।

    इसके बाद वो बाहर चली गयी कुछ देर बाद वापस आयी तो वो अपने साथ सिंदूर,एक ग्लास दूध और एक जलता हुआ दीया लेकर आई।
    उसने कहा- पहले मेरी मांग में सिंदूर भरिये!
    तो मैंने उसकी मांग में सिंदूर लगा दिया.

    उसके बाद उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- इस दीये के चारों तरफ हम सात फेरे लेंगे।
    फिर हमने दीये के चारों तरफ घूमकर सात फेरे पूरे किए।

    मैंने पीहू को अपने सीने से लगाते हुए कहा- अब तुम मेरी दुल्हन हो, तुम्हारे मन और इस खूबसूरत तन पर किसका अधिकार है?
    तो वो बोली- मेरे प्यारे भइया का … जो अब मेरे सईंया भी हैं।

    मैंने पीहू से कहा- अब हम सुहागरात मनाएंगे.
    तो वो बोली- हाँ!

    मैंने कहा- जानती हो न कि सुहागरात में तुम्हारे साथ क्या होगा?
    तो वो मेरी आँखों में देखती हुई बोली- आप ही बता दो न आप क्या करेंगे?

    पीहू से मैंने कहा- आज तुमको मैं सुहागरात की सेज पर चोदूंगा।
    मैंने पीहू से पूछा- बताओ मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा?
    तो वो बोली- आप मुझे चोदेंगे।

    मैंने उससे पूछा- तुम चुदाई के तैयार हो?
    तो उसने कहा- हाँ!

    मैंने कहा- बिस्तर पर ले चलूं?
    तो उसने कहा- हाँ!

    मैंने उसको गोद में उठाया और बिस्तर पर ले जाकर बैठा दिया।
    उसने अपने चेहरे पर घूंघट खीच लिया और बोली- दूल्हन का चेहरा देखने के लिए भइया आपको मुंह दिखाई देनी पड़ेगी।
    मैंने कहा- ठीक है, दूंगा.
    और उसके घूंघट को उठा दिया।

    इस पर पीहू बोली- अब मेरी मुँह दिखाई दीजिये?
    तो मैंने कहा- अपनी आँखें बंद करो.
    उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
    मैंने सोने की चैन निकाल कर उसके गले में पहना दी।

    उसने आँखें खोल कर चैन को देख कर बोली- बहुत खूबसूरत मुंह दिखाई दी है भइया आपने।
    तो मैंने कहा- इसलिए कि मेरी प्यारी बहन ही मेरी ही दुल्हन बनी है।

    मैंने पीहू से पूछा- क्या अब तुम्हारे बदन का दीदार करने की इजाज़त है मुझे?
    तो उसने कहा- हाँ, पर पहले आप दूध पी लीजिये।
    मैंने कहा- जरूर पिऊंगा पर उसे तुम्हें अपने मुंह में लेकर पिलाना होगा।
    उसने कहा- ठीक है!

    और थोड़ा सा दूध अपने मुंह में लेकर मेरे मुंह में डाल दिया।
    इसी तरह मैंने भी थोड़ा सा दूध उसकी मुंह में डाल दिया।
    इस तरह सारा दूध हम दोनों ने एक दूसरे को पिला दिया।

    इसके बाद मैंने पीहू को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ के उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर चूमने लगा। उसके बाद मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।

    फिर मैंने उसके सीने पर से उसकी साड़ी को हटा दिया। ब्लाउज के ऊपर से ही मैं उसकी दोनों चूचियाँ दोनों हाथों से कसकर मसलने लगा।

    पीहू अब तक एकदम चुदासी होकर आह भरते हुए आह भ..इ..या कहने लगी। उसकी मद भरी आहें सुनकर मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। मैंने उसकी साड़ी के चुन्नट जो साया के अंदर किये हुए थे, उनको निकाल दिया और पूरी साड़ी उतार दी।

    अब वह साया और ब्लाउज में मेरे सामने थी। मैंने बिस्तर पर अपने दोनों पैर सटाकर फैला दिए और पीहू को अपनी जांघों पर बैठने का इशारा किया।

    पीहू अपने दोनों पैर मेरे कमर के दोनों तरफ करके अपना मुँह मेरी तरफ करके मेरी जाँघों पर बैठ गयी। मैंने कसकर उसे सीने से लगा लिया उसने भी मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया।

    मैंने पीहू का सर अपने हाथों में पकड़ कर पहला चुम्मा उसकी माथे पर किया तो उसने शर्म से अपनी आँखों को बंद कर लिया।
    उसके बाद मैं उसके पूरे चेहरे को चूमने लगा।

    कुछ देर बाद मैंने पीहू से अपने चेहरे पर किस करने को कहा तो वो मेरे पूरे चेहरे पर चुम्बन करने लगी।

    मैं पीहू के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा वो भी मेरा साथ देने लगी. उसके बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी तो वो मेरे जीभ को चूसने लगी. फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी मैं उसकी जीभ चूसने लगा।

    फिर मैं उसके दोनों कानों और गर्दन को चूमते हुए उसके कंधे तक आया।
    अब तक पीहू पूरी तरह चुदासी हो गयी थी।

    फिर मैंने उसके ब्लाउज के हुक को खोल कर उसका ब्लाउज निकाल दिया और उसकी कमर को सहलाते हुए अपने हाथों को सजी पीठ पर ले जाकर उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया।
    फिर धीरे धीरे उसके कंधे से ब्रा की डोरी को सरका कर नीचे कर दिया और ब्रा को भी निकाल कर उसके जिस्म से अलग कर दिया।

    उसके बाद मैंने कहा- मेरी बहन, अपनी चूची अपने हाथों से मुझे पिलाओ!
    तो उसने घुटनों के बल होकर अपने हाथ से अपनी बायीं चूची का निप्पल मेरे मुँह में दे दिया और बोली- भइया मेरी चूची का सारा रस पी जाइये।
    मैं उसकी चूची का निप्पल अपने दांतों में दबाकर चूसने लगा और बायें हाथ से उसकी दूसरी चूची और उसके निप्पल को मसलने लगा।
    पीहू मेरे सर को सहलाते हुए मादक आहें भर रही थी।

    बारी बारी उसकी दोनों चूचियों को पीने और मसलने के बाद पीहू को लिटा कर उसकी साया का डोरी खोल दिया और उसके साया को निकाल दिया। फिर मैंने उसकी पैंटी भी निकाल कर उसको बिल्कुल नंगी कर दिया औऱ मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया।

    मैंने अपना लन्ड उसके हाथ में देकर पूछा- ये क्या है?
    तो उसने कहा- आपका लन्ड है.
    मैंने पूछा- इससे क्या करूँगा मैं?
    तो वो बोली- इससे आज अपनी बहन को दुल्हन बना कर चोदोगे।

    मैंने उसे लन्ड चूसने का इशारा किया तो मेरे दोस्त की बहन मेरा लन्ड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.

    Dost Ki Behan Ki Chut Chati
    Dost Ki Behan Ki Chut Chati
    कुछ देर बाद मैंने अपना लन्ड उसके मुंह से निकाल लिया और उसको लिटा कर उसकी टाँगें फैला दी और अपना मुंह उसकी बुर पर लगा उसे चूसने लगा।
    मैं उसकी बुर तब तक चूसता रहा जब तक उसकी बुर ने पानी नहीं छोड़ दिया। मैं उसकी बुर के पानी को पी गया।

    उसके बाद मैं उसकी दूसरी चूची के निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगा और एक को अपने हाथों से मसलकर उसको चुदने के लिए गर्म करने लगा।

    लगभग दस मिनट तक दोनों चूचियाँ दबाने और चूसने के बाद वो चुदने के लिए फिर से तैयार हो गयी और बोली- भैया, प्लीज अब मुझे चोद दीजिये।
    अपने दोस्त की बहन की चूत मैं दो बार चोद चुका था. अब मेरा मन उसकी गांड मारने का था. वो डर रही थी कि गांड में लंड जाएगा तो दर्द होगा. तो मैंने उसकी गांड मारी या नहीं?

    कहानी का पिछला भाग: दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड-3

    फिर मैं उसके पेट और कमर को चूमते हुए उसकी चूत पर आकर एक चुम्बन किया। उसके बाद बायें पैर के जाँघों को चूमते हुए घुटनों से नीचे उसके पैरों की एड़ियों तक आया फिर दायें पैर की एड़ी को चूमते हुए उसकी घुटनों से होते हुए उसकी जाँघों तक जाकर फिर से उसकी चूत पर किस किया।
    वो आह भ..इ..या कहते हुए मादक आहें भर रही थी जिससे मेरी उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी।

    फिर मैंने उसको पेट के बल लिटा दिया और उसके बाएं पैर की उँगलियों को चाटते हुए घुटनों से होकर उसके बायें चूतड़ पर आया। फिर इसी तरह दायें पैर को चूमते हुए उसके दायें चूतड़ तक आया। फिर मैं उसके बालों को उसकी पीठ और चूतड़ों के पास से हटाकर पूरी पीठ को चूमते हुए उसके गर्दन तक आया।

    अब पीहू आहें भरती हुई कहने लगी- भइया, अब चोद दो मुझे … नहीं तो मर जाऊंगी।

    मैंने उसे पेट के बल लिटा दिया और उसके माथे पर उसकी चूचियाँ दबाते हुए प्यार से उसको चूम लिया। उसकी दोनों टाँगों को फैलाकर मैं उसके बीच घुटनों के बल बैठ गया और उसके दोनों टाँगों को अपने कंधों पर रखकर लन्ड का सुपारा उसकी चूत की छेद पर रखकर एक ही झटके में पूरा लन्ड उसकी चूत में पेल दिया।

    पीहू के मुंह से एक दर्द भरी आह निकली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… भइ..या धीरे करो … दर्द होता है,
    फिर मैं दोनों हाथों में उसकी दोनों चूचियाँ पकड़ कर दबातें हुए उसकी चूत को चोदने लगा।

    करीब पंद्रह मिनट बाद पीहू का जिस्म अकड़ने लगा वो बोली- भैया मेरा निकलने वाला है.
    और कसकर मेरे बदन से लिपट गयी।

    चार पांच झटके खाने के बाद उसका बदन ढीला पड़ गया। इसके बाद वो बोली- भइया, थोड़ी देर रुक जाओ, दर्द हो रहा है.
    तो मैंने अपना लन्ड उसके चूत से निकल लिया।

    दवा अपना असर दिखा रही थी। फिर मैं पीहू को घोड़ी बनाकर पीछे से अपना लन्ड उसकी चूत में डाल कर उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगा.

    कुछ देर अपने दोस्त की जवान बहन ऐसे चोदने के बाद मैं लन्ड उसकी चूत से निकाल कर बिस्तर पर लेट गया और पीहू से कहा- मेरे लंड के ऊपर आकर इसकी सवारी करो।

    पीहू मेरी कमर के दोनों तरफ अपने घुटनों के बल होकर अपनी चूत की छेद पर मेरे लन्ड को सेट कर बैठ गयी। मेरा पूरा लन्ड उसकी चूत में समा गया।
    मैंने पीहू से कहा- पीहू, अब तुम मुझे चोदो.
    तो वो कमर हिला कर मुझे चोदने लगी।

    कुछ देर बाद मैंने इशारा किया तो वो मुझसे लिपट गयी।

    मैंने करवट बदल कर पीहू को नीचे कर दिया और उसे चोदने लगा। अब मैं पूरी तरह उत्तेजित हो गया था और कसकर धक्के लगा कर पीहू को चोदने लगा।

    करीब दस मिनट तक धक्के लगता रहा तब तक पीहू का शरीर फिर अकड़ने लगा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
    पीहू अब बिल्कुल तृप्त हो गयी थी, उसने मुझसे कहा- भइया, अब बस करो … क्या चोद कर मेरी जान लेने का इरादा है? बहुत दर्द हो रहा है।
    मैंने कहा- बहना, आज तुम्हारी ऐसी चुदाई करूँगा कि जिंदगी में कभी भूल नहीं पाओगी मेरे लन्ड को।
    तब पीहू ने कहा- भइया, आपने मेरी पहली चुदाई कर मेरी सील तोड़ी है. मैं आपको कैसे भूल सकती हूं।

    मैं उसकी बातों को अनसुना कर और तेज़ी से धक्के लगाकर उसे चोदने लगा.
    नीचे से पीहू मादक आहें भर रही थी- भ..इ…या… बस करो. मैं मर जा…ऊं…गी.

    करीब दस मिनट तक लगातार चोदने के बाद मेरा जिस्म अकड़ने लगा और मेरे लन्ड ने अपना माल उसकी चूत में निकाल दिया।

    मैं निढाल होकर अपना लन्ड उसकी चूत में डाले ही उसके ऊपर लेट गया और वो प्यार से मेरी पीठ को सहलाने लगी।
    पीहू ने कहा- भइया, आपने तो आज मुझे चोद कर मेरी जान ही निकाल दी। ऐसे बेरहमी से कोई अपनी बहन को चोदता है क्या?
    मैंने उससे पूछा- सच बता, इस चुदाई में तुझे मज़ा आया या नहीं?
    तो उसने कहा- मज़ा तो बहुत आया। आपने सच में बहुत अच्छे से मुझे चोदा. मज़ा आ गया।

    फिर मैंने करवट बदल कर उसको अपने ऊपर ले लिया उसकी टाँगों में टांगें फंसाकर उसकी चूतड़ों और कमर को सहलाते हुए उससे बातें करने लगा।

    लगभग चालीस मिनट के बाद मेरे लन्ड ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू की. तब मैंने पीहू से कहा- पीहू आज मैं तुम्हारी गांड भी मारूँगा.
    तो वो बोली भइया- आपका इतना मोटा लन्ड मेरी गांड में कैसे जाएगा? बहुत दर्द होगा.
    तब मैंने कहा- धीरे धीरे डालूंगा, थोड़ा दर्द होगा पर आज ये दर्द मेरे लिए सहना पड़ेगा तुमको।

    पीहू बोली- भइया, मैं आपके दिया हर दर्द सहूंगी. पर धीरे से डालियेगा।
    मैंने कहा- मेरी प्यारी बहन तेरी गांड में अपना लन्ड धीरे से ही डालकर तेरी गांड चोदूँगा ज्यादा दर्द नहीं होगा।

    पीहू से मैंने पूछा कि उसके पास वैसलीन है तो उसने कहा- मेरे रूम में है.
    तो मैंने लाये हुए दोनों चॉकलेट के पैकेट उसके हाथों में दिए और उसको गोद में उठाकर उसके कमरे में ले आया।

    बाहर जाकर उसकी मम्मी के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और पीहू के रूम में आया। चॉकलेट के दोनों पैकेट पिघल गए थे।
    पीहू ने कहा- भइया, ये तो पिघल गए हैं.
    तब मैंने कहा- हाँ इन्हें जानबूझकर कर पिघलाया है।
    तब वो बोली- क्यों भैया?

    तो मैंने एक पैकेट फाड़कर उसका चॉकलेट अपने पूरे लन्ड पर लगा दिया और उसे कहा- चाटकर इसे खा जाओ.
    वो मेरे लन्ड को चाटते हुए पूरी चॉकलेट को खा गयी।

    मैंने उससे पूछा- कैसा लगा मेरे लन्ड चॉकलेट का स्वाद?
    तो बोली- भैया, बहुत अच्छा लगा।

    फिर मैंने उसे लिटा कर दूसरे पैकेट को फाड़ कर पूरा चॉकलेट उसकी चूत पर लगा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा।
    मैं उसकी चूत को चाटते हुए चॉकलेट को खा रहा था और पीहू की बेकरारी बढ़ती जा रही थी।

    उसकी चूत को चाट कर साफ कर देने के बाद मैंने उससे कहा- घोड़ी बन जाओ, अब तुम्हारी गांड मारूँगा.
    तो वो बोली- भइया, धीरे धीरे डालियेगा. गांड में लंड जाएगा तो दर्द होगा।

    उसे घोड़ी बनाने के बाद मैंने वैसलीन उंगली में निकाल कर गांड के छेद के ऊपर ढेर सारी वैसलीन लगा दी और अपने लन्ड पर भी वेसलीन लगा ली।
    फिर मैंने लन्ड का सुपारा उसकी गांड की छेद पर रख और हल्का सा दवाब बनाया तो सुपारे का नोकीला सिरा उसकी गांड की छेद में सेट हो गया।

    Desi Ladki Gand Chudai
    Desi Ladki Gand Chudai
    मैंने कसकर पीहू का कमर पकड़ लिया और उससे बोला- अपना लन्ड तुम्हारी गांड में डाल रहा हूँ. बर्दाश्त करना.
    तो उसने कहा- ठीक है भैया, कोशिश करूंगी. पर आराम से डालना आप!
    मैंने कहा- ठीक है।

    उसकी कमर को मैंने कस कर पकड़ लिया और लन्ड पर दवाव बनाया तो उसका सुपारा उसकी गांड की छेद के अंदर चला गया।
    उसके मुँह से एक जोर की चीख निकल गयी- उईइ माँ मर गयी … निकालो भैया!
    उसने लन्ड अपनी गांड में से निकलने की कोशिश की.

    मगर मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़ा हुआ था और एक जोर का झटका देकर पूरा लन्ड उसकी गांड में डाल दिया।
    वो जोर से चीख उठी- भ..इ…या, प्लीज अपना लन्ड बाहर निकाल लो!
    उसकी आँखों में आँसू आ गए।

    मैंने उससे कहा- पीहू, प्लीज शांत हो जाओ, दर्द अभी खत्म हो जाएगा।
    कुछ देर तक वैसे ही रहने के बाद पीहू से पूछा- दर्द कम हुआ?
    तो वो बोली- हाँ!
    फिर मैंने धीरे धीरे उसकी गांड में धक्के लगाना शुरू कर दिया।

    कुछ देर धक्के लगाने के बाद मैंने पीहू से पूछा- गांड में लंड का मज़ा आ रहा है?
    तो वो बोली- हाँ … पर शुरू में जब मेरी गांड में लंड घुस रहा था तो मेरी जान ही निकल गयी थी।

    मैंने उसकी गांड में धक्के लगाने की स्पीड बढ़ा दी।

    करीब आधे घण्टे तक लगातार अपने दोस्त की बहन की गांड में धक्के लगाने के कारण मेरा लन्ड आराम से अंदर बाहर होने लगा था।
    अब उसे भी गांड मरवाने में मज़ा आने लगा था। नीचे से वो धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी।

    कुछ देर चोदने के बाद मेरे लन्ड ने अपना माल उसकी गांड में निकाल दिया और मैं निढाल होकर उसकी बगल में लेट गया।
    मैंने पीहू को अपने ऊपर ले लिया और उसके बदन को सहलाते हुए उससे बातें करने लगा।

    घड़ी में तीन बजे का अलार्म सेट कर हम सो गए।

    तीन बजे घड़ी का अलार्म बजा तो मेरी नींद टूट गयी। मैंने अलार्म बन्द किया, पीहू को देखा तो वो बेसुध नंगी लेटी थी। उसके नंगे बदन को देखकर लन्ड महाराज फिर तन कर खड़े हो गए।

    मैंने पीहू को जगाया और चालीस मिनट तक फिर उसकी चूत की चुदाई पूरा मजा लेकर और देकर की।

    उसके बाद पीहू ने अपने कपड़े पहन लिए. उसने बिस्तर को सही किया और मेरे साथ बाहर वाले कमरे में आ गयी।
    वहाँ पर मैंने अपने कपड़े पहने और उसने अपनी साड़ी और अन्य कपड़े समेट लिए।

    मैंने उसे वो ब्रा और पैंटी दे दी जो मैं उसके लिए लाया था.
    और उसने मुझे वो सोने की चैन वापस दे दी, बोली- भैया, इसे आप रखे रहिये, बाद में कोई मौका देखकर मुझे दे दीजियेगा।

    इसके बाद वो अपने रूम में चली गयी और मैं बिस्तर पर सो गया।

    सुबह मेरी नींद तब खुली जब मेरी जान पीहू मेरे लिए चाय लेकर आई और मुझे जगाया।
    मैंने प्यार से उसे चूमा और उसके हाथों से चाय ले ली.

    चाय पीने के बाद मैं अपने दोस्त की मम्मी से मिल के अपने घर चला आया।

    दोस्तो, मेरे जिगरी दोस्त की सगी जवान बहन की चूत चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी? मुझे बताना मत भूलियेगा. मुझे आपकी राय का इंतजार रहेगा।
    दुनिया का सबसे बड़ा नशा चूत का नशा होता है। ऐसा ही मेरे साथ हुआ। दोस्त की बहन को जमकर चोदने के बाद मेरे ऊपर हमेशा उसकी चूत चोदने का नशा छाया रहता था।

    कहानी का पिछला भाग: दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड-4
    दोस्तो नमस्कार!
    कहते हैं दुनिया का सबसे बड़ा नशा चूत का नशा होता है। अगर वो भी एक कमसिन कली की चूत मारने को मिल जाये तो उसको चोदने के चक्कर में आप हमेशा पड़े रहते हैं।
    ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ।
    पीहू को दीपावली की रात जमकर चोदने के बाद मेरे ऊपर हमेशा उसकी चूत चोदने का नशा छाया रहता था।

    मैं अक्सर उसके घर जाया करता पर उसको चोदने का कोई मौका मिल नहीं पा रहा था। मैं उसे देखकर बस आहें भरकर रह जाता था। मैं उसे चोदने की तरकीब सोचता रहता था।

    मेरी दीपावली की छुट्टियां खत्म होने वाली थी।
    एक दिन मैं उसके घर पर बैठकर उसकी मम्मी और पीहू से बातें कर रहा था।

    मैंने पीहू से पूछा- तुम बी ए के आखरी साल में हो, इसके बाद क्या करने का सोचा है?
    पीहू ने कहा- इसके बाद बी एड करना है।
    मैंने कहा- अगर पढ़ना है तो किसी अच्छे कॉलेज से पढ़ो.

    तब उसकी मम्मी ने कहा- यहाँ पास में कहाँ कोई अच्छा कॉलेज है।
    मैंने उसकी मम्मी से कहा- पीहू को बाहर भेज दो पढ़ने के लिए!
    तो वो बोली- अकेली लड़की को कैसे बाहर भेज सकते हैं।

    मैंने उसकी मम्मी से कहा- आप परेशान क्यों हो रही हो? आप पीहू को वाराणसी भेज दीजिये. वहाँ पर मनीष भी होगा और मैं तो रहूंगा ही।

    काफी समझाने के बाद उसकी मम्मी बोली- ठीक तो है, पीहू को अगर किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल जाएगा तो अच्छा ही रहेगा।

    मौका सही देखकर मैंने उसकी मम्मी से कहा- पीहू को क्यों नहीं एक बार वाराणसी भेज देती हैं, मेरे साथ वहाँ थोड़ा ये भी घूम फिर लेगी और कुछ दिनों के बाद मनीष के साथ वापस आ जायेगी।

    मैंने पीहू को आंखों से इशारा किया तो उसने कहा- हाँ मम्मी, क्यों नहीं मुझे भैया के साथ भेज देती. कुछ दिनों घूम फिर कर मनीष भैया के साथ वापस आ जाऊंगी।

    बार बार कहने और उनकी बात मनीष से करवाने के बाद वो मेरे साथ पीहू को भेजने के लिए तैयार हो गयी।

    उस दिन जब पीहू अकेले में मिली तो बोली- भैया, मैं सब समझती हूं। आप मुझे घुमाने के बहाने चोदने के लिए लेकर जा रहे हैं।
    मैं मौका देखकर उसकी चूचियाँ दबाते हुए बोला- मेरी छोटी बहना तो काफी समझदार हो गयी है।

    तीन दिन बाद मेरी छुट्टियां खत्म हो गयी तो मैं पीहू को साथ लेकर वाराणसी रूम पर आ गया। मनीष भी रूम पर था। हमारा रूम तीसरी मंजिल पर था। सबसे नीचे मकान मालकिन रहती थी। दूसरी मंजिल पर एक टीचर अपनी पत्नी के साथ रहते थे। दूसरे में एक आदमी अकेले रहता था। सबसे ऊपर वाले रूम में हम दोनों लोग रहते थे।

    कुछ देर आराम करने के बाद शाम को हम तीनों तैयार होकर घाट की तरफ घूमने चले गए फिर होटल में खाना खाकर हम लोग वापस रूम पर आ गए।

    वापस आने के बाद मनीष ने कहा- तुम दोनों आराम करो. मेरी नाईट शिफ्ट चल रही है, मैं ड्यूटी पर जा रहा हूँ।
    इसके बाद वो तैयार होकर ड्यूटी पर चल गया।

    मैं एक जरूरी काम से नीचे चला गया था।

    कुछ देर बाद मनीष का काल आया कि वो ड्यूटी पर पहुँच गया है।
    अब मैं रूम पर आ गया।

    पीहू फोन पर अपनी मम्मी से बात कर रही थी। मैं पीछे से जाकर उसको अपनी बांहों में भर कर उसकी दोनों चूचियाँ दबाने लगा।

    कुछ देर बाद उसने कॉल कट कर दिया और बोली- भइया, आप मुझे क्या इसीलिए यहाँ लेकर आये हैं?
    तब मैंने उसे घुमाकर सीने से लगा लिया और उसकी आँखों में देखकर बोला- मैं तुम्हें चोदने के लिए यहाँ लेकर आया हूँ. क्या तुम मुझसे चुदने के लिए यहाँ नहीं आई हो?
    वो कसकर मुझे अपनी बांहों में भरती हुई बोली- हाँ भैया, घूमना तो सिर्फ एक बहाना है. असल में मैं सिर्फ आपसे चुदने के लिए आई हूँ।

    पीहू मुझसे बोली- भैया आपके जाने के बाद भाभी आयी थी। वो तो बहुत खूबसूरत है आपने कभी उनपर लाइन नहीं मारी क्या?
    मैंने उसकी चूचियाँ दबातें हुए कहा- वो खूबसूरत तो है ही पर कभी भाव ही नहीं दिया. और कहने में गांड भी फटती है कि किसी से कह दिया तो बवाल हो जाएगा।

    पीहू ने कहा- भैय्या कहो तो आपके लिए उससे बात करूं?
    मैंने पीहू की चूचियों को दबाते हुए कहा- उससे सेटिंग करा दो न मेरी प्यारी बहना … तुम्हारा अहसान रहेगा।
    उसने कहा- कोई बात नहीं भैया, जाने से पहले आपके लिए इनकी व्यवस्था करके जाऊंगी। पर भाभी से सेटिंग होने के बाद मुझे तो नहीं भूल जाओगे?
    मैंने उसकी चूचियो को दबाते हुए कहा- अपनी प्यारी बहन पर ऐसी सौ भाभियां कुर्बान … मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा।

    पीहू ने कहा- भैया ऐसा क्या मुझमें है जो भाभी में नहीं है?
    तब मैंने कहा- भाभी भी खूबसूरत है. पर तुम मुझे उनसे भी खूबसूरत लगती हो, तुम्हारी सील तोड़कर मैंने तुमको कली से फूल बनाया है। तुमको चोदने के चक्कर में तो बहुत लड़के पड़े होंगे. पर तुमने ये मौका मुझे दिया. तब बताओ मैं तुमको कैसे भूल सकता हूँ।

    पीहू ने कहा- भैया, सिर्फ लड़के ही नहीं बुड्ढे भी मेरे पीछे पड़े हैं।
    मैंने उसकी गर्दन पर किस करते हुए कहा- तुम इतनी खूबसूरत हो ही कि तुम्हें चोदने के ख्याल मात्र से ही बुड्ढों के भी लन्ड खड़े हो जाते होंगे।

    यह सुनकर पीहू बोली- भईया क्या सच में मैं इतनी खूबसूरत हूँ?
    मैंने उससे कहा- हीरे की परख सिर्फ जौहरी जानता है. तुम कितनी खूबसूरत हो ये सिर्फ वही बता सकते हैं जिनका लन्ड तुम्हें देखते ही खड़ा हो जाता होगा और उनका दिल तुमको चोदने के लिए मचल जाता होगा।

    इतना कहकर मैं उसके कानों को बारी बारी मुंह में लेकर चूसने लगा।
    मैंने पीहू से कहा- जरूर मैंने कुछ अच्छे काम किये होंगे जो तुम्हारे जैसी लड़की की सील तोड़ने और तुमको चोदने को मिला।
    उसने मुझसे कहा- भैया आप जब कभी मौका मिलेगा तब तब अपनी बहन को नहीं अपनी दुल्हन को चोद सकते हैं।
    इतना कहकर वो मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।

    मैंने उसके बंधे हुए बालों को खोल दिया उसके बाल उसके चूतड़ों तक लटकने लगे। मैं उसके चूतड़ों को अपने हाथों से दबाने लगा।
    होंठों को चूसने के बाद उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं उसकी जीभ चूसने लगा।

    फिर मैंने उसके हाथ को ऊपर कर उसका गुलाबी रंग का टीशर्ट निकाल दिया।
    मैंने उसे इशारा किया तो उसने मेरा टीशर्ट और बनियान निकल कर अलग कर दिया।

    हमारे रूम में दो तख्त सटाकर डाले गए थे। मैं तख्त के बीच में बिस्तर पर टांगें फैलाकर बैठ गया और पीहू को अपनी गोद में आने का इशारा किया।
    वो मेरी तरफ मुँह करके मेरी गोद में आकर मेरी जाँघों पर बैठ गई।
    मैं उसके होंठों को अपने मुँह में लेकर पीने लगा।

    उसके होंठों को चूसते हुए ही उसकी ब्रा को खोल कर निकाल दिया। उसके बाद उसको लिटा कर उसके लैगी और पैंटी को उसकी टाँगों से निकाल कर नंगी कर दिया।
    फिर मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया।

    फिर मैं पीहू के साथ सिक्सटी नाइन वाली पोजीशन में लेट कर उसकी चूत को चूसने लगा और वो मेरा लन्ड चूस रही थी। कुछ देर ऐसे ही चूसने के बाद उसके ऊपर से उठ गया और उसकी दोनों टाँगों के बीच आकर बैठ गया।

    पीहू पूरी तरह चुदासी होकर मुझसे बोली- भइया अब डाल दीजिए!
    मैंने पूछा- क्या?
    तो बोली- अपना लन्ड और क्या!

    Dost Ki Nangi Bahan Ki Chudai
    Dost Ki Nangi Bahan Ki Chudai
    मैं अपना लन्ड उसकी चूत में डाल कर उसकी टाँगों को कंधे पर रख कर चोदने लगा. जब मुझे लगता कि मेरी उत्तेजना ज्यादा बढ़ गयी है तब धक्के लगाना रोक देता और उसकी चूचियाँ को मसलने लगता था.

    लगभग दस मिनट बाद पीहू के चूत ने पानी छोड़ दिया। पीहू के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ दिख रहे थे।

    फिर मैंने उसको घोड़ी बना दिया और लन्ड उसकी गांड में डाल कर उसकी कमर को पकड़ कर धक्के मारने लगा। कुछ देर तक उसकी गांड में धक्के लगाकर चोदने के बाद अपना लन्ड उसकी गांड में से निकाल कर उसकी चूत में डाल कर उसकी चूत चोदने लगा।

    अब मैंने लन्ड निकाल कर पीहू को बिस्तर पर लिटा कर उसकी दोनों टाँगों को उठा कर उसके गर्दन की तरफ मोड़ दिया और उसकी चूत में लन्ड डालकर चोदने लगा।
    पहले ही झड़ चुकने के कारण उसकी चूत काफी गीली हो गयी थी और छप छप की आवाज के साथ लन्ड आसानी के साथ अंदर बाहर हो रहा था।

    पीहू नीचे से गांड उठाकर हर धक्के का जवाब दे रही थी और ‘आह भ…ई…या और जोर से भ…ई…या मेरे प्यारे भ..ई..या.. मेरी जान भ…इ…या आई लव यू भइया’ कह करके आहें भर रही थी।

    उसकी आहें सुनकर उसकी चूत को जोर से चोदते हुए मैंने कहा- हाँ मेरी प्यारी बहना, मेरी प्यारी दुल्हनिया … आज पूरी रात तुमको चोदूंगा।
    यह सुनकर पीहू ने कहा- हाँ भैया, आज पूरी रात आपसे चुदवाऊंगी।

    मेरी उत्तेजना ज्यादा बढ़ गयी थी इसलिए मैंने लन्ड उसकी चूत से निकाल लिया और उसकी दोनों टाँगों को फैलाकर उसकी चूत को चूसने लगा।

    थोड़ी देर बाद पीहू मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ खींचने लगी. मैं समझ गया कि अब वो दुबारा झड़ने वाली है।
    कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

    मैं उसकी चूत का पूरा पानी पी गया और उठकर पीहू के ऊपर लेट गया और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।

    कुछ देर उसके होंठों को चूसने के बाद मैं लेट गया और पीहू को अपने लन्ड पर बैठने का इशारा किया।
    पीहू मेरे लन्ड को चूत पर सेट कर बैठ गयी। मेरा लन्ड पूरा उसकी चूत में चला गया. उसके बाद वो थोड़ा झुककर अपने हाथों को मेरे दोनों कंधो के बगल में रखकर धीरे धीरे कमर उठा कर मुझको चोदने लगीं और मैं उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगा।

    कुछ देर तक वो मुझे ऐसे ही चोदती रही. उसके बाद मैंने इशारा किया तो उसने मुझे सहारा देकर बैठा लिया। अब वो मेरे गोद में थी और मेरा लन्ड अब भी उसकी चूत में!

    मैं उसके होंठों को मुंह में लेकर चूसने लगा।
    कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- मुझे पकड़ ले! मैं तुझे गोद में लेकर खड़ा होकर उसे चोदूंगा।

    उसने अपने पैरों को कसकर मेरे कमर से लपेट लिया और मेरे बांहों में चिपक गयी। मैंने उसकी गांड के नीचे दोनों हाथों को लगा दिया और खड़ा हो गया।
    अब कमरे में खड़े होकर मैं इधर उधर घूमते हुए उसे चोद रहा था।

    कुछ देर खड़े होकर चोदने के बाद मैं उसे बिस्तर के किनारे लिटा कर खड़ा हो गया और जोर जोर से उसकी चूत में धक्के लगा कर उसको चोदने लगा।
    पूरा कमर पीहू की मादक आहों और छप छप की आवाज से गूंज रहा था।

    लगातार पांच मिनट धक्के लगाने के कारण मैं उत्तेजना के शिखर पर पहुँच गया और मेरे लन्ड ने अपना सारा माल पीहू की चूत में गिरा दिया।
    मैंने पीहू के माथे पर एक किस किया और निढाल होकर उसकी बगल में लेट गया।

    कुछ देर बाद मैं उठ कर बैठ गया और पीहू की पीठ को अपने सीने से चिपका कर उसको अपनी गोद में बैठा कर उसकी दोनों चूचियों के निप्पल को उंगलियों में ले कर मसलने लगा और पीहू से बातें करने लगा।

    पीहू ने मुझसे कहा- भैया अगर आपको भाभी अच्छी लगती है तो बात आगे बढ़ाऊ?
    मैंने पीहू से कहा- जैसी तुम्हारी इच्छा!
    तो पीहू ने कहा- जाने से पहले मैं वादा करती हूं कि भाभी को आपकी गोद में बैठा कर जाऊँगी।

    कुछ देर बाद लन्ड फिर से खड़ा होने लगा तो मैंने पीहू को बिस्तर पर लिटा दिया और अपना लन्ड उसकी टाँगों को उठाकर उसके चूत के अंदर डालने लगा.
    तो पीहू ने कहा- भैया आपके अंदर तो बहुत स्टेमिना है, इतनी जल्दी आपका लन्ड दुबारा खड़ा हो गया है। आपकी बीवी आपसे बहुत खुश रहेगी।
    मैंने पीहू से कहा- स्टेमिना तो मेरे अंदर है ही … पर तुम भी इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हारे इस जवान और गदराए बदन को देखकर तुम्हें चोदने का मन अपने आप करने लग रहा है। और रही बात बीवी की … तो क्या तुम भूल गयी हो हो कि तुम भी मेरी बीवी हो।

    यह सुनकर पीहू मुझको अपनी बांहों में भरते हुए बोली- नहीं भैया, मैं भूली नहीं … आपको दिल से हमेशा अपन पति मानूँगी।
    इसके बाद मैं उसे चोदने लगा।

    मैंने पीहू से कहा- मनीष दूसरी कम्पनी में साक्षात्कार देने वाला है. अगर वो वहां सलेक्ट हो जाएगा तो वो मुम्बई चला जायेगा। तुम अच्छी तरह से तैयारी करके यहाँ एड्मिशन ले लो. और जब मनीष चला जायेगा तो फिर यहाँ पर हम दोनों पति पत्नी की तरह रहेंगे। फिर मेरी जान, तुमको मैं रोज इसी तरह चोदूँगा।

    लगभग चालीस मिनट लगातार पीहू का चूत चोदने के बाद लन्ड ने मेरे पानी छोड़ दिया। उस रात पीहू को मैंने चार बार अलग अलग तरीके से जमकर चोदा। पीहू और मैं दोनों लोग चुदाई से पूरी तरह थक कर चूर हो गए थे। मैं पीहू को अपनी नंगी ही अपनी बांहों में लेकर सो गया।

    सुबह नींद खुली तो सात बज रहे थे।
    मैं जल्दी से उठा और पीहू को जगाया और बोला- सुबह हो गयी है।
    जल्दी जल्दी हम दोनों लोग फ्रेश होकर नहाए और खाना बनाने लगे।

    पीहू हमारे साथ एक हफ्ते रही दिन में मनीष उसको शहर घुमाता और रात भर मैं पीहू की जमकर चुदाई करता।

    इसके एक हफ्ते बाद पीहू मनीष के साथ वापस घर चली गई। मनीष ने पीहू से वादा किया है कि पीहू के एग्जाम खत्म होने के बाद उसका एडमिशन यहाँ कम्प्यूटर क्लासेस में करवाएगा।

    उसके बाद से मैं उसके एग्जाम खत्म होने का इन्तजार कर रहा हूँ कि वो एग्जाम देकर फ्री हो जाए और मैं उसे यहाँ फिर से लेकर आऊं और उसको चोद सकूँ।

    दोस्तो आपको मेरे ख़ास दोस्त की बहन की चूत और गांड चुदाई की ये कहानी कैसी लगी आप बताना मत भूलियेगा.
    आप मुझसे [email protected] पर सम्पर्क कर सकते हैं।

  • मोटी लड़की की चुदाई के हसीन पल

    मॉर्निंग वॉक पर गार्डेन में मुझे एक मोटी सी लड़की दिखाई दी तो मैंने उसे ही पटाने की सोची क्योंकि मैं काला मोटा हूँ. मैंने मोटी लड़की की चुदाई कैसे की? मजा लें.

    दोस्तो मेरा नाम कुमार है. मैं कई सालों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. आज थोड़ी हिम्मत हुई, तो अपनी एक सच्ची कहानी लिखने जा रहा हूँ.

    मैं जन्म से ही मुम्बई में रहता हूँ. मैं आपको अपने बारे में बता दूं कि मैं बहुत ही मोटा हथियार रखता हूँ और मैं खुद भी देखने कुछ मोटा हूँ.

    सभी को पता है कि मुम्बई दो बातों के लिए जानी जाती है. एक कमाई और दूसरी चुदाई. मैं बचपन से ही अच्छे शरीर का मालिक हूँ … पर वासना का असर तो सब पर होता है. अब लंड है, तो उसे चुत पाने का दर्द भी है.
    तो सबकी तरह मैंने भी एक लड़की पटा ली और उसके साथ बहुत मजे किए. पर कहते हैं ना कि आंख लगी अंधे की, मां चुदी धंधे की.

    जब मैं किसी काम के बाहर गया था. उस बीच में उस लड़की ने शादी कर ली अब उससे चुत मिलना भी बंद हो गयी थी.

    बिना चुदाई के अब दिन निकले भी कैसे … कॉल गर्ल्स के साथ जाने में इज्जत का डर लगा रहता था. करें तो करें … जैसे तैसे मुठ मार कर दिन निकल रहे थे. पर अब मुझसे लंड की बेकरारी सहन नहीं हो रही थी.

    मैं एक दिन सुबह मॉर्निंग वॉक करने पास के गार्डन में गया था. वहां मैंने अपने जैसे ही एक मोटी सी लड़की देखी और सोचा कि यही चोदने मिल जाए तो काम बन जाए. एक तो मैं काला, दूसरा मोटा … उसे सैट कैसे करूं.

    मैं तीन दिन तक रोज गार्डन में उसे देखता रहा … धीरे धीरे उससे हैलो हाय भी होने लगी, लेकिन अब भी बात हैलो हाय और गुडमॉर्निंग तक ही सीमित थी.

    कुछ दिन की लगातार मेहनत के बाद एक दिन उससे अच्छे से बात करने का मौका मिला. उस दिन हुआ ये था कि मॉर्निंग वॉक के दौरान वो गिर पड़ी थी.

    मैं तो उसके पीछे ही था तो उसको संभाला और एक किनारे में ले जाकर उससे पूछा- आपको कहीं चोट तो नहीं लगी?
    उसने कहा- नहीं … मुझे उठाने के लिए आपका शुक्रिया.
    मैंने कहा- आप एकदम से गिरीं, तो मुझे झटका सा लगा कि ये सुबह सुबह क्या हो गया.

    हालांकि उसके केवल शुक्रिया कह देने से मेरा दिल बैठ गया था. तब भी उसे सहारा देते समय मैंने उसके हाथ को जरा जोर से दबा दिया था.

    उससे थोड़ी औपचारिक बात हुई, फिर मैंने उसका नंबर मांगा. उसने मेरी तरफ देखा और न जाने क्या सोच कर मुझे नम्बर दे दिया. मैंने भी उसी समय उसके नम्बर को अपने मोबाइल में डायल करके उसे मिसकॉल कर दी.

    वो बोली- मुझे घर जाने के लिए एक ऑटो बुला दो.
    मैंने ओके कहा और एक ऑटो को बुला लिया. फिर मैंने उससे बाय बोल कर उस ऑटो में बिठा कर जाने दिया.

    शाम को उसका, मेरे व्हाट्सअप पर मैसेज आया- गुड इवनिंग.
    मेरी तो मैसेज पढ़ कर मानो बांछें खिल गई थीं. मैंने भी झट से रिप्लाय कर दिया- गुड इवनिंग.

    फिर हमारी बातें शुरू हो गईं. दो तीन दिन में ही ये स्थिति हो गई कि हम दोनों काफी काफी देर तक चैट करने लगे. मैंने उसके बारे उसी से सब जानकारी ली. उसका नाम किंजल था और वो एक गुजराती परिवार से थी. उसे भी मैं पसंद आ गया था.

    उससे कुछ ही दिनों में ईलू ईलू जैसी स्थिति आ गई. सारी सारी रात बातें होने लगीं.

    अब मेरा रुकना मुश्किल था. मैंने सोचा कि अब इसकी दुखती नस पर हाथ रखने का समय आ गया है. मैंने उसके मोटापे पर बात की … और उससे पूछा- क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
    उसने जो कहा, वो सुनकर मैं दंग रह गया.

    वो बोली कि अगर कोई होता, तो मैं तुमसे चैट क्यों करती.
    मैंने भी गर्म लोहा देख हथौड़ा मार दिया. मैंने बोला- मतलब तुमको मैं पसंद हूँ?
    वो बोली- हां.
    मैंने खुला ऑफर पेश कर दिया- मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ.
    उसने भी मैसेज में आँख मारते हुए कहा- हां … अब आए न तुम मतलब की बात पर. मुझे तो उसी दिन पता चल गया था, जब तुम गार्डन में मुझे घूर रहे थे.

    मैंने भी दांत निकाल कर उसके सामने हंस कर दिखा दिया.
    उसने कहा कि चल पहले अपन दोनों मिलते हैं.
    मैंने भी हां कह दिया.

    दूसरे दिन मिलने का तय होकर बातचीत खत्म हो गई. उसकी चुत मिलने की आशा में दो बार लंड को हिलाना पड़ा. तब भी वो रात न जाने कैसे तो कटी, मुझे ही मालूम है.

    सुबह उठते ही मैंने अपनी मुट्टो गुजरातिन को मैसेज किया- कितने बजे मिलने का है?
    उसका तुरंत रिप्लाय आया कि 12 बजे मॉल में.
    उसने मॉल का नाम लिख दिया था.
    मैंने ओके कर दिया.

    मैं ठीक 12 बजे से पन्द्रह मिनट पहले उस मॉल में पहुंच गया. मैंने देखा कि मेरी डार्लिंग तो वहां पहले से ही बैठी थी.

    मैंने पूछा- आप इतनी जल्दी कैसे? आप तो 12 बजे आने वाली थीं न?
    उसने कहा- तुमको भी तो 12 बजे बोला था, तो तुम कैसे इतने जल्दी आ गए.

    फिर हम दोनों हंसने लगे. हम दोनों की बेकरारी एक दूसरे ने समझ ली थी. हम दोनों एक जगह बैठ कर कॉफ़ी पीने लगे थे. इधर मेरी उससे खुल कर बात होने लगी. उसने अपने बारे में एक नया खुलासा करते हुए बताया कि मेरे पति की मृत्यु हो चुकी है और मैं अपने लिए कोई अच्छा साथी ढूंढ रही हूँ.

    उसने मेरे किसी सवाल करने से पहले ही अपनी कमी को जाहिर करते हुए कहा- मुझे मेरे मोटे होने के कारण कोई साथी नहीं मिल रहा है.
    मैंने भी क्लियर किया- मुझे भी एक सेक्स पार्टनर की तलाश है … मैं फिलहाल जीवन साथी नहीं ढूँढ रहा हूँ.

    उसने हां में सर हिलाते हुए मुझे स्वीकृति दे दी. उसकी तरफ से हां की झंडी पाते ही मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.

    तभी उसने मेरे हाथ में एक टिकिट दिया और वाशरूम में जाने की कहते हुए निकल गई. मैंने देखा कि वो उसी मॉल के मूवी थिएटर की टिकट थी. वो 12 बजे की इंग्लिश वाली मूवी थी. वो मुझसे उधर थिएटर में ही मिलने की कह कर वाशरूम चली गई थी.

    मैं भी उठ कर मॉल के एक वाशरूम में गया और उधर जाकर उसकी चुत के नाम से मुठ मार ली. मुठ मारने के बाद एक सिगरेट फूँकी और एक टॉफ़ी चूसता हुआ सीधा थिएटर में पहुंच गया.

    वहां पहुंच कर अपनी सीट देखने लगा.

    मैंने देखा कि थियेटर लगभग खाली था. इस समय के शो में सिर्फ हम जैसे चुदाई के प्यासे ही हॉल में आते थे. इस समय न तो मुंबई में बाहर से आने वाला फिल्म देखने वाला आता था … और न ही कोई रंडी को लेकर इधर आता था. दोनों तरह के आदमियों को अपने काम की जगह, हॉल में आना मुफीद नहीं लगता था.

    तभी अंधेरे में एक आवाज आई- यहां आ जाओ.

    मैं अपनी गुजरातिन की आवाज के पीछे उसके करीब पहुंच गया और उसके बाजू में बैठ गया. कुछ देर की शांति के बाद मैंने अपना काम शुरू कर दिया. उसने पहले तो मुझे रोकने की कोशिश की, पर जब मैं नहीं रुका, तो उसने भी मुझे मना करना बंद कर दिया. मैं उसे गर्म करने लगा और उसकी चूचियां दबाने लगा. उसकी चूचियों का आकार इतना बड़ा था कि मेरे दोनों हाथों में भी नहीं आ रही थीं. उसने भी मेरे लंड को पकड़ लिया.

    कुछ ही देर में वो मेरे लंड को हिलाने लगी और मैं उसकी चड्डी में चूत को रगड़ने लगा. थोड़ी ही देर में हम दोनों झड़ गए. फिर वो और मैं मूवी को छोड़ बाहर आ गए.

    उसने कहा- दोनों अलग अलग चलेंगे … और फ़ोन पर बात करेंगे.
    क्योंकि जिस एरिया में हम दोनों आए थे, उसकी पहचान के बहुत सारे लोग उस एरिया में रहते थे. हम दोनों अलग हो गए और फ़ोन पर बात करके मजा लेने लगे.

    उसने बताया कि उसके मोटापे की वजह से कोई उसे पसंद नहीं करता है. वो बहुत देर तक बहुत किस्म की बातें बताती रही. फिर वो रोने लगी. मैंने उसे समझाया और दिलासा दी. उसने रोना बंद किया और फिर से आगे बताने लगी कि उसने अपनी मन की वासना को कैसे दबा कर रखा.

    मैंने कहा- मुझे भी सेक्स करना है और तेरे अन्दर भी आग लगी है.
    उसने कहा- हां ये तो है. पर आज नहीं, तू कल मेरे घर आ जाना.

    उसने मुझे मैसेज से आने के समय के साथ, अपने घर का पता भेज दिया. दूसरे दिन मैं उसी समय पर पहुंच गया. उसके घर पर तब कोई नहीं था.

    मेरे पूछने पर उसने बताया कि सब रिश्तेदारी में बाहर गांव गए हुए हैं.

    वो मेरे लिए नाश्ता लाई. फिर थोड़ी देर बाद उसने मुझे एक गोली दी और खुद ने भी एक ले ली.
    मैंने उससे गोली लेने का कारण पूछा, तो वो बताने लगी कि मोटे लोग जल्दी स्खलित हो जाते हैं, इसलिए हम दोनों को ये गोली लेना ठीक रहेगा.

    कुछ ही देर में हमारी आग भड़कने लगी और मैं उसे लेकर उसके बेडरूम में आ गया. वो मुझसे लिपट गई. हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.

    कुछ ही देर में हम नंगे हो गए थे और एकदम से गर्म हो गए थे. हम एक दूसरे में समा जाना चाहते थे. मेरा भी लंड एकदम लोखंड सा कड़क हो गया था. मेरा साढ़े पांच इंच का मोटा लंड देख कर वो खुश हो गई. वो अपने हाथों से लंड को पकड़ कर अपनी चूत की फांकों में घिसने लगी.

    एक बात है चोदने के लिए सिर्फ लंड और चूत की जरूरत होती है … मोटापा कुछ नहीं होता … चुदाई का सही आसन जरूरी होता है.

    मैंने भी मोटी लड़की की चूत में लंड घुसा दिया और उसकी आह निकल गई. मेरे लंड के झटकों में गोली का साफ़ असर दिख रहा था.

    कोई 15 मिनट तक जमकर चूत में लंड पेलने के बाद भी लंड खड़ा था. फिर मैंने उसे घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चुत में लंड दे ठोका.

    गोली के असर से करीब करीब एक घंटे तक हम दोनों ने जम कर चुदाई का मजा लिया. फिर जाकर लंड झड़ा, तो आराम मिला.

    उसके घर में एसी फुल कूलिंग पर चल था, हम दोनों तब भी पसीने पसीने हो गए थे. फिर एक साथ नहाने गए और वहां भी एक बार सेक्स कर लिया.

    अब दोनों थक चुके थे, पर मन नहीं मान रहा था. उस दिन हम दोनों ने 3 बार सेक्स किया और उसके बाद उसने मुझे एक बियर पिलाई. एक उसने भी ले ली. मैंने बियर के साथ सिगरेट पीने की इच्छा जाहिर की, तो वो मान गई.

    मैंने उससे सिगरेट की इसलिए पूछी थी क्योंकि कई लड़कियों को धुंआ से दिक्कत होती है. उसने भी मेरी सिगरेट से कुछ शॉट खींचे.

    चुदाई के बाद विदाई की बेला आ गई. वो मेरे सीने से सर लगा कर फिर से रोने लगी. मैंने उसे दिलासा दी. वो मुझे अगले बार जल्दी मिलने की कहने लगी थी.

    उससे आज भी मेरा सेक्स चल रहा है उसके साथ आगे हुए सेक्स कहानी को मैं अगली बार लिखूँगा.
    आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
    [email protected]

  • मेरी चूत की चुदाई कार में

    मैं नर्स हूँ और एक डॉक्टर से प्यार करती हूँ. वो मेरी चूत की चुदाई भी कर चुका है. उसके बाद हालत कुछ ऐसे बने कि मेरी मुलाक़ात मेरे एक रिश्ते के भाई से हुई. तो उसके बाद …

    दोस्तो, मैं अन्तर्वासना कहानियों को बहुत पसंद करती आयी हूँ। इसी लिये आज मैं अपनी एक भूल को आप लोगों के साथ शेयर करना चाहती हूँ।
    सबसे पहले मैं अपने बारे में बता देती हूँ।

    मेरा नाम मीना है और मैं 24 वर्ष की कुंवारी लड़की हूँ। मेरे बदन का आकार 32 28 36 व ऊंचाई 5’1″ है. और मैंने नर्सिंग की पढ़ाई की हुई है। मैं शहडोल के एक निजी अस्पताल में नौकरी करती हूँ।

    मैं शुरू से ही एक इंसान को चाहती आ रही हूँ, वो एक डॉक्टर है और सुकमा बस्तर में सरकारी नौकरी कर रहे हैं और वो भी मुझे दिलो जान से प्यार करते हैं। हम दोनों के बीच बारम्बार शारीरिक संबंध बन चुका है और उनके साथ रह रह के पूरी तरह ओपन माइंड हो चुकी हूँ।

    जब मैं डॉ आशु के साथ काम करती थी तो वो मुझे रोज चोदते थे, मुझे खूब मजा आता था. हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं.

    अब मैं सीधे अपनी कहानी में आती हूँ। यह घटना अप्रेल 2019 की है जब मेरी लड़ाई मेरे प्यार डॉ आशु से चल रही थी. हमें महीने बीत गये बात किये और मिले हुये। जब प्यार होता है तो उसमें नोक झोंक भी चलती रहती है. यह सामान्य बात है.

    लेकिन इस नोक झोंक का असर मेरी चूत पर पड़ रहा था जिसे अब कोई लंड नहीं मिल रहा था. मेरी चूत की चुदाई नहीं हो रही थी.
    जब कभी मेरी वासना ज्यादा उफान पर होती तो मैं अपनी उंगली चूत में लेकर चूत की गर्मी निकालने की कोशिश करती थी. लेकिन जो मजा लंड के चूत में जाने में है वो उंगली से कहाँ मिलता है.

    और जब तक मर्द के जिस्म का बोझ नंगी लड़की के गर्म जिस्म पर ना पड़े … मजा ही नहीं आता.
    तो कुल मिला कर मैं लंड के अभाव में रह रही थी.
    फिर भी मैंने किसी दूसरे लडके की तरफ सेक्स की दृष्टि से नहीं देखा था.

    एक दिन हमारे अस्पताल में एक पति पत्नि का जोड़ा इलाज के लिये आया हुआ था। पति का नाम दीपक और उनकी पत्नि नीलिमा था. दीपक की पत्नि माँ नहीं बन पा रही थी. इसी सिलसिले में वो लोग इलाज कराने आये हुए थे।

    उन लोगों को जल्दी थी शायद इसलिये बार बार परेशान कर रहे थे जिससे तंग आके मैंने दीपक को बहुत कुछ सुना दी।
    इस पर वो चुप शांत हो गए थे और आखिर उनका नंबर आ ही गया।

    जब डॉक्टर ने दीपक की पत्नि की पूरी जांच के लिए उसको एक दिन के लिए भर्ती करने का लिखा तो मैंने दीपक का पूरा नाम पता लिखा। तो मुझे पता चला कि वो मेरे दूर के रिलेशन का भाई था।
    अब मुझे अपने व्यवहार पर अफसोस हुआ तो मैं दीपक से माफी मांगने चल दी और पूरा परिचय हुआ।

    बातचीत के बाद जब दीपक ने मेरा मोबाईल नं० मांगा तो मैंने तुरंत दे दिया।
    अगले दिन उनकी छुट्टी हो गयी और दोनों मुझसे मिलकर चल दिये।

    कुछ दिन बाद दीपक का मैसेज आया, फिर बातें चालू हुई। चूँकि मेरी बातें आशु से नहीं हो पा रही थी तो मैं रात में दीपक से बातें करने लगी। दीपक से मेरा रिश्ता दोस्ताना सा हो गया था.

    कुछ दिन बाद दीपक के रिेलेशन में एक शादी थी यहीं शहडोल में … दीपक बोला- जब मैं शादी में आऊंगा तो तुम मुझे शहडोल घुमाना!
    तो मैंने ड्यूटी के बाद उसे घुमाने को हाँ बोल दी।

    शादी वाले दिन दीपक शाम 4 बजे ही मेरी क्लिनिक में आ गया और मुझे साथ चलने बोलने लगा। मैंने अपने डॉक्टर से छुट्टी मांगी और जल्दी से बकाया काम खत्म करके अपने पी जी चल दी कपड़े बदलने!

    और दीपक बाहर ही अपनी कार में मेरा इंतजार करने लगा।

    मैं जल्दी से तैयार होकर कार में बैठ गयी. फिर हम दोनों क्षीर सागर पिकनिक स्पॉट में गये। वहाँ कुछ समय मंदिर में दर्शन किये फिर एक शांत जगह में पुलिया के ऊपर बैठ के बातें करने लगे। मैं पिंक शर्ट और सफेद जींस में खिली हुई लग रही थी।

    अचानक मैंने नोटिस किया कि दीपक मुझे एकटक देखे जा रहा था. तो मैं अपने शर्ट पर गौर किया।
    उसका ऊपर का बटन टूट गया था और मेरे वक्ष के उभार खिल के बाहर दिखाई दे रहे थे जिन्हें देख दीपक के मुंह में शायद पानी आ रहा था।

    मेरी चूचियां हैं ही ऐसी कि किसी के भी मुंह में पानी आ जाए इन्हें चूसने के लिए और ये किसी का भी लंड खडा कर सकती हैं.

    मैं कुछ कर नहीं सकती थी तो दीपक को बोली- क्या देख रहे हो?
    दीपक- मीना, तुम बहुत हॉट और खूबसूरत हो मीना। तुम्हें खा जाने को मन हो रहा है मेरा!
    मैं बोली- हटो पागल, ऐसा कुछ नहीं है।

    लेकिन दीपक लगातार मेरे जिस्म की तारीफें करता रहा और उसकी आंखों से ही मुझे लगने लगा कि ये आज मुझे छोड़ेंगे नहीं।
    बहुत देर बातें होने के बाद अंधेरा होने लगा तो मैं दीपक से बोली- चलो अब आपको शादी में भी जाना है।

    दीपक ने दुखी मन से कार चालू की.
    कुछ आगे चलने के बाद मैं उसे बोली- मुझे बाथरूम जाना है। जरा कहीं सुनसान में गाड़ी रोक लो!

    दीपक ने थोड़ा जंगल के पास सुनसान में गाड़ी साइड में खड़ी कर दी और मैं पेशाब करके वापस आयी तो दीपक कहीं दिखा नहीं।
    ध्यान से देखा तो पता चला दीपक कार के पीछे बैठा है।

    मैं दीपक के पास जाकर बोली- क्या हुआ? अब चलो भी।
    दीपक मेरी आंखों में देखते हुए बोला- मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ. और जब तक तुम हाँ नहीं बोलोगी, मैं कहीं नहीं जाऊंगा।
    मैं बोली- दीपक, मुझे डर लग रहा है. यहाँ जंगल और अंधेरा है।

    दीपक ने मेरा हाथ पकड़ के अपनी बांहों में कस लिया और बोला- कार के अंदर हम सुरक्षित हैं.
    और वह मेरे होठों को चूमने लगा।

    Meri Chut Ki Chudai Car Me
    Meri Chut Ki Chudai Car Me
    मेरे शर्ट का बटन टूटा था तो वो ऊपर से सीधे मेरे उभारों को छूने लगा। थोड़ी देर ही किस करने और उभारों को मसलने से मैं वासना के नशे में आ गयी क्योंकि आशु से रिलेशन बने महीनों बीत गये थे।
    मैं भी अब दीपक को किश करने लगी और हम दोनों गर्म हो गये।

    फिर दीपक मेरे सारे कपड़े एक एक करके हटाता गया। दीपक भूखे शेर की तरह मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगा।
    मैं बस सिसकारियाँ लेती रह गयी।

    फिर दीपक ने खुद के सारे कपड़े जैसे हटाये तो मैंने देखा कि दीपक का लण्ड थोड़ा छोटा है।
    मैंने सोचा कि इसे मुंह में लेकर बड़ा कर दूं।
    और मैं दीपक का लण्ड पकड़ के चूसने लगी।

    मैं बहुत दिन बाद लंड चूस रही थी तो मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं पूरे दिल से भाई का लंड चूस रही थी.

    दीपक कराह उठा और मुझे उठा के अपने ऊपर 69 पॉजीशन में ले आया. फिर मैं उसके लण्ड को चूस रही थी और दीपक मेरी चूत चाटने लगा। हम दोनों के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी।

    जब हम दोनों गर्म हो गये तो दीपक ने मुझे डॉगी स्टाईल में आने बोला।
    मेरे डॉगी स्टाईल में आते साथ दीपक मुझे पीछे से जकड़ लिया और अपने लण्ड में थूक लगा के मेरी चुत से सटा दिया और एक जोर के झटके से अपने लण्ड को पूरा मेरी चुत में डाल दिया।

    मैं जोर से कराह उठी उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्योंकि बहुत दिनों से किसी ने मेरी चूत की चुदाई नहीं हुई थी।

    दीपक मेरा पीठ और उभारों को सहलाते हुए जोर जोर से झटके मारने लगा। दीपक का लण्ड छोटा जरूर था लेकिन मुझे देर तक चोदता रहा।

    मैं जल्द झड़ गयी लेकिन दीपक झड़ नहीं रहा था तो दीपक गाड़ी से मुझे बाहर लाकर अपनी गोद में उठा के चोदने लगा। अब मेरा पूरा वजन दीपक के लण्ड पे पड़ने लगा और दीपक मुझे उछाल उछाल के चोदने लगा।

    दीपक ने झड़ने से पहले मुझे कार में वापस लाके लेटा दिया और चिपक के बांहों में कस के चोदने लगा।
    मुझे भी जन्नत का अहसास होने लगा और मैं दुबारा झड़ गयी.

    थोड़ी देर में दीपक भी झड़ गया और हम दोनों चिपक के लेटे रहे।

    कुछ देर बाद दीपक ने मुझे दुबारा चोदा और पूरा आनंद दिया जो मैं चाहती थी।

    इसके बाद हम दोनों वापस गये। दीपक मुझे गुड नाईट किस देकर शादी में चला गया और अगले दिन वापस चला गया।

    इसके बाद दीपक जब भी शहडोल आता है तो अच्छे से मेरी चूत की चुदाई करके ही जाता है।
    दीपक से मुझे सेक्स का मजा मिलता है और मुझे उससे लगाव भी हो गया है.
    ऐसा नहीं कि डॉ आशु के साथ चुदाई में मुझे मजा नहीं आता था. पर सच यही है कि दीपक ज्यादा मजा देकर चोदता है.

    लेकिन अब आशु से मेरी फिर से बात चालू हो चुकी है। आशु मेरा भविष्य है और दीपक शादीशुदा इंसान जो दूर का भाई भी है।

    मैं दोनों को एक दूसरे की बात बता नहीं सकती.
    कई बार मुझे लगता है कि रिश्तों में चुदाई करके मैं गलत कर रही हूँ. मैं अपने ही भाई की बीवी का हक़ छीन रही हूँ.
    यही वजह है कि मुझे आप लोगों की राय चाहिये कि अब मैं क्या करूं?

    मेरी चूत की चुदाई की सच्ची कहानी आपको कैसी लगी? अपने विचार मुझे जरूर बताएं नीचे कमेन्ट करके और मुझे इमेल करके!
    [email protected]

  • जीजा की नजर साली की कुंवारी बुर पर-1

    जवानी में कदम रखते ही मेरी अन्तर्वासना जागने लगी थी. सेक्स और चुदाई की बात सोच मेरी कुंवारी बुर गीली हो जाती थी। एक बार होली पर जीजा ने मुझे मसल दिया तो …



    दोस्तो, आप सबकी मुस्कान सिंह एक नई कहानी के साथ फिर से आप लोगों के सामने आई है।

    अभी तक अन्तर्वासना साईट पर प्रकाशित मेरी सभी कहानियों को आप लोगों ने काफी पसंद किया, उसके लिए आप लोगों का दिल से शुक्रिया।
    आप लोगों के इतने मेल मुझे मिलते हैं मगर माफ करिए मैं सभी को जवाब नहीं दे सकती।
    और कृपया मुझसे फ़ोन नंबर या मिलने के लिए मत मेल किया करिये, मैं ये सब नहीं कर सकती।

    जैसा कि मैं पहले भी बता चुकी हूं कि मैं जो भी कहानी लिखूंगी वो सत्य घटनाओं पर ही लिखूंगी क्योंकि जो बात सत्य घटना में होती हैं वो बात बनावटी कहानी में नहीं।

    इस जीजा साली सेक्स की कहानी में आज आपको मैं अपनी एक अच्छी सहेली आरोही के बारे में बताऊँगी जिसने अपनी जिंदगी के पल मेरे साथ साझा किए।
    वैसे तो अब वो शादीशुदा है मगर ये कहानी उसकी शादी से पहले की है।



    तो दोस्तो, चलते हैं जीजा साली की चुदाई कहानी की तरफ।

    हरियाणा की रहने वाली 19 वर्ष की आरोही की है। वह 12वीं क्लास की छात्रा है और एक खूबसूरत जिस्म की मालकिन है।

    आरोही के घर में आरोही के अलावा उसके माता पिता और एक बहन थी जिसकी शादी हो चुकी है। आरोही के पिता एक किसान होने के साथ साथ बैंक में क्लर्क के पद पर भी हैं।
    उनका परिवार बिल्कुल सामान्य ही है और आरोही भी एक सामान्य सी लड़की थी।

    जवानी में नई नई कदम रखने के बाद आरोही के मन में भी काफी उथल पुथल रहती थी सहेलियों के द्वारा सेक्स के बारे में बातें होती थी मगर कभी ऐसा मौका उसे मिला नहीं था।

    उसके बहन के पति मतलब उसके जीजा काफी रंगीन मिजाज के आदमी थे और जब से आरोही कुछ बड़ी हुई थी वो अक्सर उसे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे।



    जब भी वो आरोही के यहाँ आया करते तो आरोही के साथ ही ज्यादा समय बिताते क्योंकि उनके घर पर आरोही के पिता के अलावा दूसरा कोई मर्द था नही।
    इसलिए आरोही के साथ ही हँसी मजाक चलता रहता था।

    दोस्तो, मैं आपको आरोही के शरीर के बारे में बता दूं।
    उसकी लंबाई 5.5 फीट, रंग गोरा, शरीर काफी गदराया हुआ। और उसका फिगर 34 30 36 था।
    जैसा कि फिगर में है कि उसके दूध और चूतड़ काफी बड़े बड़े थे। खासकर उसके कूल्हों को देखने से ही लोगों के लंड खड़े हो जाते थे।
    वो काफी हट्टी कट्टी गदराए बदन की लड़की है।

    तो दोस्तो अब आरोही की कहानी उसके ही जुबानी पढ़ते हैं।



    मैं अभी 12वीं की परीक्षा की तैयारियों में लगी हुई थी। मेरा रोज का काम सुबह स्कूल जाना और दोपहर 2 बजे वापस आकर घर का काम करना और शाम को 6 बजे ट्यूशन जाना।
    दोस्तो, मैंने कभी भी सेक्स नहीं किया था मगर अपनी सहेलियों के साथ फ़ोन पर कई बार गंदी फ़िल्म देखा करती हूं।

    मेरी कई सहेलियों के बॉयफ्रेंड थे और उन लड़कियों ने बुर चुदाई का अनुभव ले लिया था।

    मेरे मन में भी हमेशा सेक्स की बात घूमा करती थी। जब भी रात में मैं अकेली सोती थी तो सेक्स और चुदाई की बात सोच कर मेरी चड्डी गीली हो गया करती थी।

    मैं हमेशा ही सलवार कमीज पहना करती हूं। और जब भी स्कूल ड्रेस में स्कूल के लिए निकलती तो कई लोगों की निगाह मेरे ऊपर होती थी।

    कई बार तो कुछ लोग मुझे सुना कर कई बातें कहते थे। मेरे तने हुए दूध को देख बहुत लोग आहें भरा करते थे।
    यहाँ तक कि जहाँ मैं ट्यूशन जाती थी वही रास्ते में एक अंकल हमेशा मुझे ताड़ते रहते थे।



    ये सब देखकर मेरे मन में और भी ज्यादा उथलपुथल मची रहती थी। सच कहूँ तो मेरा भी मन अब चुदाई के लिए बेताब था।
    मगर घर का डर मुझे ऐसा कुछ करने से हमेशा रोकता था।

    दोस्तो, पिछली होली में मेरे साथ एक ऐसी घटना हुई जो शायद जिंदगी भर नहीं भूल सकती।



    मेरी दीदी के पति मतलब मेरे जीजा जी होली मनाने के लिए हमारे घर आए हुए थे। दीदी तो माँ के साथ ही व्यस्त रहती थी और जीजा हमेशा मेरे साथ ही हँसी मजाक किया करते थे।
    मगर उनके प्रति मेरे मन में ऐसा कुछ गलत कभी नहीं आया क्योंकि वो मेरे दीदी के पति थे औऱ मुझसे उम्र में भी बड़े थे। उनकी उम्र 30 साल की थी और मैं 19 की।

    होली की सुबह सुबह ही हम लोगों ने नहा कर भगवान की पूजा की और करीब 11 बजे मैं अपनी सहेलियों के साथ होली खेलने के बाद दीदी के साथ होली खेल रही थी।
    उस वक्त जीजा हम दोनों को देख रहे थे।

    दीदी के साथ होली खेलने के बाद दीदी नहाने चली गई और मैं घर के पीछे आंगन में बैठी हुई धूप का मजा ले रही थी।
    पापा भी अपने दोस्तों के साथ बाहर निकल गए थे और माँ पड़ोस में गई हुई थी।



    मैं कुर्सी में अकेली ही बैठी हुई थी कि तभी पीछे से जीजा ने मुझे पकड़ लिया। उनके दोनों हाथों में बहुत सारा रंग था।
    उन्होंने मुझे जकड़ लिया और बोले- आज मेरी बीवी को तुमने रंग लगाया है, अब तुम्हारी बारी है, अब तुम तैयार हो जाओ साली साहिबा।

    और इतना बोलते हुए जीजा मेरे गालों पर रंग लगाने लगे.

    उस वक्त मैंने दुपट्टा नहीं लिया था और मेरे बड़े बड़े दूध मेरी कुर्ती से बाहर निकलते आ रहे थे।
    गालों पर रंग लगाते हुए वो मेरे गले पर रंग लगाने लगे। मैं चुपचाप कुर्सी पर बैठी उनसे प्रेम से रंग लगवा रही थी।



    इतने में उन्होंने अपनी जेब से और भी सारा रंग निकाला और हाथों में लेकर मलने लगे।
    मैं बोली- जीजा, अब औऱ कितना लगाओगे बस करो।
    तो वो बोले- तू साली है मेरी … मतलब आधी घर वाली है. तुझे तो हर जगह रंग लगाना है।
    मैं हँसती हुई बोली- क्या मतलब?

    मेरा इतना बोलना हुआ कि उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे गले के पास से मेरी कुर्ती के अंदर डाल कर मेरे दोनों दूध को जकड़ लिया।

    मैं मचलती रही मगर वो मेरे दूध में रंग लगाते रहे। मैं उनसे छुटने की कोशिश करती रही मगर वो रंग लगाते रहे।
    रंग के बहाने वो मेरे दूध को जोर जोर से मसल रहे थे।



    पहली बार किसी मर्द ने मेरे दूध को छुआ था। सच में मैं बहुत मचल रही थी।

    किसी तरह से मैं कुर्सी से उठी तो उन्होंने मुझे पीछे से जकड़ लिया। जीजा का मोटा सा लंड मेरी गांड में चिपक गया। मुझे बहुत अजीब सा लगा. उनका लंड एकदम कड़ा था।

    उन्होंने मेरे पूरे दूध पर रंग लगाया और हाथ निकाल कर एक हाथ से मेरे दोनों हाथों को जकड़ लिया।
    उसके बाद जीजा अपना एक हाथ मेरी चड्डी में डाल कर मेरे चूतड़ों पर रंग लगाने लगे।

    मुझे बहुत शर्म आ रही थी मैं छूटने की कोशिश करती रही मगर वो रंग लगाते रहे।
    जीजा ने मेरे चूतड़ पर रंग लगाया फिर गांड की दरार में हाथ डाल दिया और मेरी बुर तक हाथ डाल दिया।

    अब मुझे बहुत ही अजीब सा लगा मैंने पूरी ताकत से उनको धक्का दिया और उनसे अलग हो गई।
    मैंने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किये.
    जीजा बस मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे।
    मैं हँसती हुई वहाँ से भाग गई।



    दीदी जब नहा कर बाहर निकली तो मैंने अपने कपड़े लिये और तुरंत बाथरूम में घुस गई।
    मैंने अपने आपको आईने में देखा।

    मेरी साँसें तेज़ी से चल रही थी जीजा की वो हरकत सोच सोच कर दिल में हलचल मची हुई थी। मैंने अपने सारे कपड़े उतार फेंके. मेरे दूध एकदम से तने हुए थे उन पर रंग लगा हुआ था। मेरे पेट, चूतड़ और थोड़ा रंग बुर में भी लगा हुआ था।

    Jija Sali ki Antarvasna
    Jija Sali ki Antarvasna
    मैंने फव्वारा चालू किया और मुझ पर पानी की बूंदें गिरने लगी।
    पर दोस्तो … जो आग मेरे अंदर लगी हुई थी वो शांत नहीं हो रही थी।

    मैंने अपने पूरे बदन को अच्छे से साफ किया मगर कुछ रंग बच ही गया। नहा कर मैं बाथरूम से बाहर निकली और अपने कमरे में जा कर बैठ गई।



    मैं सोचने लगी कि ये बात किसी को बताऊँ या नहीं? अगर बता देती हूं तो कहीं कोई बवाल न हो जाये!
    यही सब सोचते हुए मैंने किसी को कुछ नहीं बताने का फैसला लिया।

    सारा दिन मैं अपने कमरे में ही रही. शाम को जब मैं अपने काम में व्यस्त थी तो जीजा बार बार मुझे ही देख रहे थे. उन्होंने कई बार मेरे पास आने की कोशिश भी की मगर मैं उनसे दूर हो जाती।

    रात को खाना खाने के लिए सब साथ में बैठे हुए थे, उस वक्त भी जीजा की नज़र मुझ पर ही थी। वो बार बार कुछ न कुछ बात करने की कोशिश करते मगर मैं उनको अनसुना कर रही थी।

    फिर रात में सब सो रहे थे, मेरे रूम में दीदी और मैं थी और जीजा सामने वाले रूम में सो रहे थे।
    रात में 11 बजे दीदी तो गहरी नींद में सो चुकी थी मगर मेरी आंखों में वही बात घूम रही थी मुझे एक भी नींद नहीं आ रही थी।



    बहुत कोशिश के बाद भी जब नींद नहीं आई तो मैं उठकर ऊपर छत पर टहलने चली गई।
    उस वक्त रात के 12:30 हो रहे थे।
    ऊपर काफी अंधेरा था और हल्की हल्की ठंड पड़ रही थी।
    मैं छत पर टहल ही रही थी कि अचानक से जीजा भी वहाँ आ गए।
    शायद उन्होंने मुझे ऊपर आते देख लिया था।

    मैं उनको देख नीचे की तरफ जाने लगी मगर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया।
    मैं हाथ छुड़ाने की कोशिश करती रही मगर सफल नहीं हो पाई।
    मैं उस वक्त आवाज भी नहीं कर सकती थी क्योंकि ऐसे में सब लोग हमको गलत ही समझते।

    जीजा ने मुझे पास खींचा और बोले- डरो मत, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, फिर तुम चली जाना।
    मैं भी धीरे से बोली- बोलिए जल्दी?
    पर वो मुझे दीवार के पास ले गए और बोले- देखो आरोही, सुबह जो कुछ हुआ वो बस एक मस्ती थी उसके बारे में किसी को कुछ मत बोलना. नहीं तो सब गलत समझेंगे।



    “मैं किसी को कुछ नहीं बोलूंगी. आप चिंता मत करिए. बस मुझे अभी जाने दीजिए, किसी ने देख लिया तो अच्छा नहीं होगा।”
    “मतलब तुम नाराज नहीं हो न मुझसे?”
    “नहीं! मगर आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।”
    “क्यों?”
    “आप मेरी दीदी के पति हैं. आपको ये नहीं करना चाहिए।”
    “अरे तुम मेरी साली हो और जीजा साली में इतना मजाक चलता है।”

    मेरी बात से शायद उनको तसल्ली हो गई थी कि मैं ये बात किसी को नहीं बताऊँगी इसलिए उनकी हिम्मत अब औऱ बढ़ गई।
    उन्होंने मुझे अपने से लिपटा लिया और बोले- तुम चीज ही ऐसी हो कि किसी का भी मन डोल जाए।

    मैं फिर से उनसे छूटने की कोशिश करने लगी मगर वो मुझे कसकर जकड़े हुए थे।
    तो मैं बोली- प्लीज जीजा, मुझे जाने दीजिए. कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी।

    मगर उन्होंने एक शर्त रख दी- अगर तुम चाहती हो कि तुमको जाने दूँ तो मुझे एक पप्पी दो और चली जाओ।
    मैं सोच में पड़ गई क्या करूँ क्या नहीं।

    मैंने अपनी आँख बंद की और अपना गाल उनकी ओर करते हुए बोली- लो जल्दी करो।
    “नहीं गाल पर नहीं … होंठ पर!”
    “नहीं नहीं … वहाँ नहीं, गाल पर ही करो।”



    मेरी इतनी छूट का फायदा उठाकर उन्होंने मेरा चेहरा सामने किया, एक पल में ही अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और एक हाथ से मेरी कमर और दूसरे हाथ से मेरे सर को कस लिए।

    वो मेरी जिंदगी का पहला चुम्बन था दोस्तो।

    जीजा अपनी जीभ चला चला कर मेरे होंठो को चूमते चूसते रहे।
    मैं भी कुछ विरोध के बाद न जाने क्यों अपने आप को उनको सौम्प चुकी थी।

    मेरी चड्डी अपने आप गीली होने लगी। मेरे हाथ उनके बालों को सहलाने लगे। मुझे पता नहीं क्या हो रहा था उस वक्त!



    जब मैंने कोई विरोध नहीं किया तो जीजा ने मेरे सर से हाथ हटा लिया और सीधा मेरे दूध पकड़ लिए उनके ऐसा करने से मेरे अंदर एक बिजली सी दौड़ गई।
    मैंने भी उनको जकड़ लिया।

    जीजा मेरे दूध को कुर्ती के ऊपर से ही मसलने लगे। मैंने महसूस किया कि मेरी जांघों पर कुछ गड़ सा रहा था।
    ये जीजा का लंड था जो कि पूरा खड़ा होकर मेरी जांघ पर टकरा रहा था।

    इस बीच उन्होंने मेरी कुर्ती कब मेरे सीने तक उठा दी मुझे महसूस नहीं हुआ। उन्होंने मेरा एक उरोज ब्रा से बाहर निकाल लिया और मेरे होंठ को छोड़ दूध की तरफ़ झुक गए।
    जैसे ही उन्होंने मेरे निप्पल को मुँह में लगाया मेरे मुँह से निकला- सीसी सीसीससी सीसी आआहहह।
    मुझे असीम सुख मिला उस वक्त।



    जीजा बहुत प्यार से मेरे चूचुक को चूस रहे थे।
    मेरे दोनों निप्पल खड़े हो गए थे।

    मैं यहाँ दूध चुसवाते हुए मजा ले रही थी, वहां जीजा का एक हाथ मेरी लैगी के अंदर घुस चुका था।
    अब वो मेरी गीली बुर को उँगलियों से सहला रहे थे।
    “बसस्स सस्सस जीजा जी बसस्स करो … कोई आ जायेगा. छोड़ दो न अब!”

    सच में पहली बार कोई मर्द मेरे जिस्म के साथ इस तरह खेल रहा था। मुझे बेइंतहा मजा आ रहा था।

    कुछ ही देर बाद मेरी बुर ये सब सह नहीं सकी और मैं झड़ गई। मेरी बुर से गर्म गर्म पानी मेरी जांघों की तरफ जाने लगा।



    उसके बाद मुझे कुछ होश आया और मैं तुरंत जीजा से अलग हो गई- बस जीजा जी इतना काफी है. अब बस करो।
    वो मुझे फिर से खीचे और बोले- मुझे तुझको चोदना है।
    “छी ईईईई!”
    “क्यों क्या हुआ?”
    “नहीं वो नहीं।”
    “क्यों?”

    मैं शर्माती हुई बोली- बाद में कभी।
    “पक्का न?”
    “हाँ पक्का! पर किसी को बताना नहीं आप!”
    “अरे हम दोनों किसी को नहीं बतायेंगे. बस तू तैयार रहना।”

    मैं उनसे अलग हुई और अपने कपड़े ठीक करके बोली- अच्छा. अब मैं कमरे में जा रही हूँ।
    और भाग कर कमरे में आ गई।

    पूरी रात मैं बस उस पल को याद करती रही. कब सुबह हो गई पता भी नहीं चला।

    उसके बाद अगले दिन दीदी और जीजा दोनों चले गए।



    पर बीच बीच में जीजा से फ़ोन पर बात होती रहती थी। फ़ोन पर भी जीजा सेक्स की बात करते थे।
    वो कई बार बोले- किसी होटल में चलते हैं, वहाँ मजा करेंगे.
    मगर मैं हमेशा मना कर देती थी।

    पर दोस्तो, जीजा की किस्मत में ही मेरी पहली चुदाई का सुख लिखा था।
    ये सब कैसे हुआ ये कहानी के अगले भाग में पढ़िए।

    किस तरह मेरी कुंवारी बुर की सील टूटी और जीजा ने मेरी जवानी कैसे लूटी।
    मिलते हैं मेरी अन्तर्वासना की कहानी के अगले भाग में।
    [email protected]

    जीजा साली सेक्स स्टोरी का अगला भाग: जीजा की नजर साली की कुंवारी बुर पर-2

  • खूबसूरत मां और उसकी 3 सौतेली बेटियां

    मैं डॉक्टर हूँ. एक बार मेरे पास एक सेक्सी महिला आई. मैंने ताड़ लिया कि यह बिस्तर पर आ जायेगी. मैंने उसे चोदन सुख दिया. फिर उसकी तीन जवान बेटियों को भी चोदा!



    लेखक की पिछली कहानी: साली की चूत चुदाई का सपना पूरा हुआ

    मैं अपने क्लीनिक में मरीज देख रहा था तभी 35-40 साल की एक सेक्सी महिला ने प्रवेश किया. उसके साथ 55-60 साल के एक सरदार जी थे, चुसे आम जैसा बेरौनक चेहरा.

    जब तक उनका नम्बर आता मेरी आँखें कई बार उस महिला से टकराईं और मेरी पारखी नजरों ने ताड़ लिया कि यह बिस्तर तक पहुंच सकती है.

    उनका नम्बर आया तो वो महिला मेरे बगल में रखे स्टूल पर बैठ गई और सरदार जी सामने वाली कुर्सी पर.

    मेरे पूछने पर महिला ने बताया कि दो दिन से बुखार है, हरारत है, कुछ खाने का मन नहीं कर रहा.
    उसकी कटीली निगाहें बहुत कुछ कह रही थीं.

    मैंने उसकी पीठ पर स्टेथोस्कोप लगाया और लम्बी सांस लेने को कहा. फिर उसकी छाती पर तीन चार जगह स्टेथोस्कोप लगाया और अंगूठे से उसका निप्पल दबा दिया जिसके जवाब में वो अपने पैर के अंगूठे से मेरी टांग कुरेदने लगी.
    तीर सही निशाने पर लगा था.



    मैंने उससे अन्दर चलने को कहा.
    वो अन्दर जाकर बेड पर लेट गई.

    मैं अन्दर गया और उससे बोला- दो बजे तक क्लीनिक खुला रहता है, तुम सवा दो बजे आओ. मेन गेट बंद मिलेगा, साइड गेट से आ जाना. पर्चे पर मेरा मोबाइल नम्बर लिखा है, जरूरत समझो तो कॉल कर सकती हो.

    बाहर आकर मैंने पर्चा उठाया, नाम पूछा तो जवाब मिला- प्रीति कौर.
    मैंने दवा लिख दी और वे पर्चा लेकर चले गए.
    मैं मरीज देखने में व्यस्त हो गया.



    दो बजे मेरे मोबाइल पर फोन आया- डॉक्टर साहब मैं प्रीति बोल रही हूँ, सवा दो बजे आ जाऊं?
    मैंने जवाब दिया- आ जाइये.

    थोड़़ी देर में मेरा कम्पाउंडर क्लीनिक बंद करके चला गया और मैं उस शेरनी का शिकार करने का इन्तजार करने लगा.

    सवा दो बजे प्रीति आई तो मैंने उठकर दरवाजा बंद कर दिया और प्रीति से पूछा- वो सरदार जी कौन हैं?
    “मेरे पति हैं.”
    “तुम्हारे पति?”
    “हां, डॉक्टर साहब. वो मेरे पति हैं, मैं उनकी दूसरी पत्नी हूँ, दस साल पहले इनकी पत्नी की मृत्यु हुई तो इनकी चार छोटी छोटी औलादें तीन लड़कियां और एक बेटा थे, हमारे रिश्तेदारों ने इनसे मेरी शादी करवा दी. अब बच्चे बड़े हो गये हैं, लड़कियां जवान हो गयी हैं. मेरे मां बाप गरीब थे इसलिये मेरी जवानी तड़प तड़प कर गुजर गई.



    “अभी कहाँ गुजर गई, बहुत जवानी बाकी है. आओ जवानी का जश्न मनायें!”

    इतना कहकर मैंने उसका हाथ पकड़ा और अन्दर कमरे में ले गया. कमरे में पहुंच कर प्रीति ने अपना दुपट्टा बेड पर रख दिया और अपनी बांहें फैला कर मुझे आमंत्रित किया.
    मैंने प्रीति का सलवार सूट उतार दिया और अपनी पैन्ट शर्ट भी.

    प्रीति ने आगे बढ़कर मेरी बनियान उतारी तो मैंने उसकी ब्रा खोल दी. प्रीति के बड़े बड़े कबूतर आजाद हो गये थे. मैंने प्रीति को बांहों में भर लिया और बेड पर लिटाकर उसकी चूचियां चूसने लगा. चूचियां चूसते चूसते मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा.



    मैंने प्रीति की पैन्टी भी उतार दी और उसकी ताजा ताजा शेव की हुई चूत में उंगलियां चलाने लगा. प्रीति की बेताबी जब ज्यादा बढ़ने लगी तो वो मेरा लण्ड सहलाने लगी.

    मामला दोनों तरफ गर्म हो चुका था. मैंने अपना अण्डरवियर उतारा और प्रीति के मुंह में लंड दे दिया. प्रीति के चूसने से मेरा लण्ड और टाईट हो गया तो मैंने प्रीति के चूतड़ों के नीचे तकिया रखा, अपने लण्ड पर जेल लगाया और मेरा लण्ड सरदारनी की चूत में जाने के लिए तैयार हो गया.

    प्रीति की टांगों के बीच आकर मैंने उसकी चूत के लब खोले और अपने लण्ड का सुपारा अन्दर कर दिया.
    प्रीति के चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो पूरा लण्ड लेने को बेताब है.
    मैंने एक झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया.



    अपना लण्ड प्रीति की चूत में पेलकर मैं उसकी चूचियां चूसने लगा. लेकिन प्रीति जल्दी चुदवाने के मूड में थी इसलिये अपने चूतड़ उचकाने लगी.
    ऐसा देखकर मैंने अपनी ट्रेन चलाई तो प्रीति भी उचक उचक कर चुदवाने लगी.

    लण्ड के धकाधक अन्दर बाहर होने से प्रीति की चूत ने पानी छोड़ दिया तो फचफच की आवाज आने लगी. मेरा भी डिस्चार्ज होने वाला था इसलिए मैंने स्पीड बढ़ा दी और उसकी चूत में फव्वारा छोड़ दिया.



    अब यह रोज का क्रम हो गया, प्रीति सवा दो बजे आ जाती और आसन बदल बदल कर चुदवाती.

    हम दोनों के बीच होने वाली बातचीत से मुझे यह पता चला कि प्रीति की बीस साला बड़ी बेटी मनमीत के लिए रिश्ते की तलाश हो रही है लेकिन काफी दुबली पतली होने के कारण दो बार रिजेक्ट हो चुकी है.

    मैंने प्रीति से कहा- कभी लाओ उसको भी. विटामिन एल खायेगी तो दुरुस्त हो जायेगी.
    थोड़़ी आनाकानी के बाद प्रीति मनमीत को लाने के लिए राजी हो गई.

    दो दिन बाद प्रीति मनमीत को लेकर आई. मनमीत का कद 5 फुट 7 इंच, वजन 50-52 किलो, गोरा चिट्टा रंग, तीखे नैन नक्श. दुबली पतली टांगें और छोटे छोटे संतरे जैसी चूचियां. आंखों में उदासी भरी थी.



    मैंने उसको बिठाया, खानपान के बारे में पूछा. खानपान में कुछ बदलाव की सलाह दी और अपने पास से विटामिन के कैपसूल दिये.
    “इन सबके साथ मसाज बहुत जरूरी है प्रीति जी!” आप इनको सोमवार, बुधवार, शुक्रवार हफ्ते में तीन दिन लाइये, मसाज करेंगे. दो तीन महीने में ये प्रियंका चोपड़ा जैसी हो जायेंगी.”

    अगली बार प्रीति और मनमीत आईं तो प्रीति बाहर बैठ गई और मनमीत को मैं अन्दर ले गया.
    मैंने मनमीत से कहा- सलवार सूट उतारकर लेट जाओ.

    मनमीत थोड़ा हिचकिचाई तो मैंने कहा- बेटा शर्माओ नहीं, कपड़े उतारकर लेट जाओ.
    मनमीत ने सलवार सूट उतारा और लेट गई.



    मैंने ऑलिव ऑयल हाथ में लिया और मनमीत की पीठ और टांगों पर मसाज करने लगा.

    करीब बीस मिनट बाद मैंने उससे पलटने को कहा और उसकी बांहों और टांगों पर मसाज करने लगा.

    एक घंटे तक मसाज करने के बाद मैंने मनमीत से कपड़े पहनने को कहा और पूछा- कैसा लग रहा है?
    मनमीत ने कहा- फ्रेशनेस और चुस्ती फील कर रही हूँ.

    मनमीत हर दूसरे दिन आने लगी, अब प्रीति साथ में नहीं आती थी. एक दिन मनमीत मसाज कराती और दूसरे दिन प्रीति चुदवाने आ जा जाती.

    आज मनमीत का पांचवाँ दिन था, वो आई और सलवार सूट उतारकर बेड पर लेट गई. मैंने हथेली पर तेल लिया, मनमीत की पीठ पर लगाया और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. पीठ पर मसाज करने के बाद जब वो पलटी तो मैंने उसकी ब्रा उसके शरीर से अलग कर दी.



    हथेली पर तेल मलकर मैंने उसके संतरों की मसाज शुरू कर दी. संतरों की मसाज से मनमीत के निप्पल्स टाईट हो गये. टाईट तो मेरा लण्ड भी हो गया था लेकिन अभी इन्तजार बाकी था.

    चूचियों की मसाज के बाद मनमीत ने सलवार सूट पहना और चली गई. मैं जूस मंगाकर रख लेता था, जो मैं और मनमीत पी लेते थे.

    अब मसाज के समय मनमीत के शरीर पर केवल पैन्टी रहती थी. अब उसका उतरना भी नजदीक था.

    अबकी बार मनमीत आई, सलवार, सूट और ब्रा उतारकर पेट के बल लेट गई. मैंने तेल लिया और उसकी पीठ पर मसाज करने लगा. मेरा हाथ उसके कंधों से चूतड़ों की तरफ आया तो मैंने उसकी पैन्टी चूतड़ों से नीचे खिसका दी और उसके गोरे गोरे चूतड़ों की मसाज करने लगा.

    चूतड़ों की मसाज करने के बाद मैंने उसकी पैन्टी ऊपर चढ़ा दी और उसे पलट दिया.



    मनमीत के स़ंतरे देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने मनमीत का एक संतरा अपने मुंह में ले लिया.
    उस जवान लड़की मनमीत का एक संतरा मैं चूस रहा था और दूसरा सहला रहा था. मनमीत को भी अच्छा लग रहा था.

    थोड़़ी देर बाद मैंने उसके संतरे छोड़कर अपनी हथेली पर ऑलिव ऑयल लिया और मनमीत की पैन्टी नीचे खिसकाकर उसकी बुर पर मसाज करने लगा. हल्के गुलाबी रंग की बुर पर मुलायम झांटें ऑयल की मसाज से चमकने लगी थीं.

    अब मैंने अपनी पैन्ट व अण्डरवियर उतार दिया. कई दिन से मनमीत की बुर में जाने की आस लगाया लण्ड फनफनाये नाग की तरह फुफकारने लगा. लण्ड पर ऑलिव ऑयल लगाकर चिकना किया.



    और मैंने मनमीत की बुर के गुलाबी होंठ खोलकर लण्ड का सुपारा टिका दिया. मनमीत की पतली कमर पकड़कर लण्ड को अन्दर धकेला तो टप्प की आवाज के साथ सुपारा अन्दर हो गया.

    मनमीत ने हल्की सी आह की आवाज की. मनमीत के संतरों पर हाथ फेरते हुए मैंने लण्ड को अन्दर खिसकाना जारी रखा.
    लगभग आधा लण्ड अन्दर चला गया तो मैंने अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

    लण्ड के धीरे धीरे अन्दर बाहर होने से मनमीत भी आनन्दित हो रही थी लेकिन मेरा लण्ड पूरा घुसने को बेताब था. लण्ड को अन्दर बाहर करने की स्पीड बढ़ाते हुए मैंने एक बार जोर से धक्का मारा तो मनमीत की बुर की झिल्ली फाड़ते हुए पूरा लण्ड मनमीत की बुर में समा गया.

    मैं मनमीत की हिम्मत का कायल हो गया. खून से सना लण्ड अन्दर बाहर होने लगा और मैं आनंद की चरम बेला पर पहुंचने लगा तो लण्ड फूलकर और मोटा होने लगा. अन्ततः मेरे लण्ड से पिचकारी छूटी और मनमीत की बुर वीर्य से भर गई.



    अब मनमीत रोज आने लगी.

    करीब तीन महीने में उसका शरीर एकदम बदल गया, छोटी छोटी चूचियां बड़ी हो गईं, जांघें और चूतड़ भी सुडौल हो गये. लण्ड का विटामिन मिलने से मनमीत की पर्सनैलिटी बदल गई थी. अब मनमीत की शादी हो गई है और प्रीति का कहना है कि किसी दिन दूसरी बेटी गुरप्रीत को लेकर आऊंगी.

    मनमीत की शादी के करीब एक महीने बाद प्रीति गुरप्रीत को लेकर आई.

    गुरप्रीत अपनी बड़ी बहन मनमीत की कॉपी थी लेकिन थोड़े भरे बदन की थी जिसके कारण बहुत सेक्सी लग रही थी.



    मैंने उन दोनों को कोक पिलाई और काफी देर तक बातें कीं. बातचीत का सारांश यह है कि गुरप्रीत ने पिछले साल कक्षा 12 की परीक्षा पास की थी और डॉक्टरी में दाखिला लेने के मकसद से नीट का इम्तहान दिया था लेकिन रिजल्ट अच्छा नहीं रहा था, इस बार फिर से तैयारी कर रही है. सुबह 10 बजे से 1 बजे तक कोचिंग जाती है.

    मैंने कहा- कोचिंग के बाद घर जाओ और दो ढाई बजे तक यहां आ जाया करो, मैं गाइड कर दूंगा.

    अगले दिन से गुरप्रीत आने लगी. मैं कोक की बॉटल में व्हिस्की मिला कर रखता था, गुरप्रीत रोज कोक समझकर एक पेग व्हिस्की लेने लगी. व्हाट्सएप पर गुड मार्निंग, गुड नाईट से शुरू होकर पहले हल्के फुल्के जोक्स और फिर डबल मीनिंग जोक्स का आदान प्रदान करते मामला पोर्न वीडियो शेयर करने तक आ पहुंचा.

    एक दिन गुरप्रीत नहीं आई तो मैंने फोन करके पूछा तो उसने बताया- उसका पीरियड शुरू हो गया है, इसलिये तीन दिन नहीं आयेगी.
    मैंने कहा- पीरियड्स हैं तो क्या हुआ?



    गुरप्रीत ने बताया कि पीरियड्स के दौरान ओवर ब्लीडिंग के कारण कमजोरी और दर्द होता है, इसलिये घर पर रहती हूँ.
    “और मुझे जो तुम्हारी आदत हो गई है, मेरे तीन दिन कैसे कटेंगे?”
    “मैं कम्पनसेट कर दूंगी.”
    “कैसे?”
    “दो घंटे के बदले चार घंटे आपके साथ रहकर.”

    “चार घंटे साथ रहने से कुछ नहीं होगा, मुआवजा देना पड़ेगा.”
    “दे दूंगी.”
    “क्या दोगी?”
    “जो आप कहेंगे.”
    “संतरों का रस पिलाना पड़ेगा.”
    “पिला दूंगी.” कहकर गुरप्रीत हंस दी.

    अगले दिन दोपहर में प्रीति आई. पिछले दो महीने में एक दो बार ही चुद पाई थी, इसलिये बड़ी बेताब और परेशान थी, कहने लगी, अब आपको जवान लड़कियां मिलने लगीं तो हमको भुला दिया.

    मैं खुद कई दिन का भरा हुआ था. मैंने जल्दी से पहले अपने कपड़े उतारे, फिर प्रीति के.
    प्रीति का हाथ पकड़कर बेड पर खींच लिया और अपने लण्ड पर थूक लगाकर उसकी चूत में पेल दिया.



    अब मैंने प्रीति से कहा- मेरे लिए सबसे पहले तुम हो, बाद में वो जवान लड़कियां.
    प्रीति अपने चूतड़ उचकाकर लण्ड का पूरा मजा लेते हुए बोली- आपका पानी निकालने वाली पचास होंगी लेकिन मेरा सहारा आप ही हैं.
    मैंने कहा- बेफिक्र रहो, मैं हमेशा तुम्हारी केयर करूंगा.

    इतने में मेरे मोबाइल की घंटी बजी, देखा तो गुरप्रीत का फोन था. मैंने फोन प्रीति को दिखाते हुए चुप रहने का इशारा किया और कॉल अटैण्ड करते हुए कहा, हैलो.
    “सर, गुरप्रीत बोल रही हूँ.”
    हां गुरप्रीत, कैसी हो?”
    “मैं अच्छी हूँ, आप कैसे हैं?”
    “बहुत बढ़िया, तुम्हारी तबियत ठीक है?”
    “जी, काफी कुछ ठीक है. अभी क्या कर रहे हैं?”
    “तुम्हारा इन्तजार, और क्या?”



    “सच? इतनी बेकरारी?”
    “जी, बेहद बेकरार हूँ.”
    “किस बात की बेकरारी है, सर?”
    “बेकरारी यह है कि, अब जिस दिन मिलोगी, वो तुम्हारी जिन्दगी का सबसे हसीन दिन होगा.”
    “उस हसीन दिन का मुझे भी इन्तजार है, सोमवार को आती हूँ. बॉय!”
    ओके, बॉय. कहकर मैंने फोन काट दिया.

    इस दौरान लण्ड का अन्दर बाहर होना जारी था.

    प्रीति बोली- तुमसे चुदवा कर मनमीत की तो जिन्दगी संवर गई. मैं भी जन्नत का आनंद ले रही हूँ. गुरप्रीत पर तुम्हारे लण्ड का क्या असर होता है, अब यह देखना है.



    अन्दर बाहर करते करते मेरा लण्ड मूसल की तरह टाईट हो गया था. मैंने प्रीति को घोड़ी बना दिया और उसके पीछे जाकर उसकी चूत में अपना लण्ड पेल दिया.
    घोड़ी बनाकर चोदने से चूत और टाईट हो जाती है, जिससे लण्ड बहुत फंसकर अन्दर जाता है, इसीलिये मुझे यह आसन बहुत पसन्द है.

    चोदते चोदते मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी.

    अब आया सोमवार का दिन. मैं सुबह से ही गुरप्रीत के इन्तजार में था. अपनी झांटें शेव करके लण्ड को एकदम चिकना कर दिया था.

    दो बजे जैसे ही कम्पाउंडर ने मेन गेट बंद किया, मैं पीछे वाले कमरे में पहुंच गया. पांच मिनट में ही गुरप्रीत आ गई, अपना बैग रखकर वो मेरी तरफ मुड़ी और कातर निगाहों से देखने लगी.



    मैं उठा, गुरप्रीत का दुपट्टा उतारकर बेड पर रख दिया और उसे अपने सीने से सटा लिया. काफी देर तक हम ऐसे ही लिपटे हुए खड़े रहे, चुपचाप. फिर मैंने फ्रिज से कोक की बॉटल निकाली और दो दो गिलास कोक पी. दो गिलास कोक मतलब दो पेग व्हिस्की अन्दर हो गई.

    फिर अपनी शर्ट और बनियान उतार दी और उसके बाद गुरप्रीत की कुर्ती और ब्रा.

    गुरप्रीत की ब्रा हटते ही उसके कबूतर उड़ने लगे. मैंने लपककर गुरप्रीत को अपने सीने से लगा लिया और फिर बेड पर लिटा दिया. उसके कबूतरों से छेड़छाड़ करते करते मैंने अपने होंठ गुरप्रीत के होंठों पर रख दिये. उसके होंठ आग की भठ्ठी की तरह तप रहे थे.

    Virgin Girl Bur Chodan
    Virgin Girl Bur Chodan
    गुरप्रीत की चूत पर हाथ फेरा तो वहां भी भठ्ठी जलती दिखी. मैंने गुरप्रीत की सलवार और पैन्टी उतार दी.
    पूरी तरह से नंगी गुरप्रीत आलिया भट्ट को भी मात दे रही थी.



    मैं 69 की पोजीशन में आ गया और गुरप्रीत की चूत के धधकते होठों पर अपने होंठ रख दिये. उसके होठों की गर्मी कम करने के लिए मैंने अपनी जीभ फेरना शुरू किया तो गुरप्रीत अपनी टांगें चिपकाने लगी.

    मैंने उसकी टांगें फैला दीं और अपनी जीभ नुकीली करके उसकी चूत के अन्दर कर दी. इससे गुरप्रीत चिहुंक गई, उसने मेरी पैन्ट की चेन खोलकर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और चूसने लगी.

    वो मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं उसकी चूत में शोले भर रहा था.



    अचानक गुरप्रीत उठी और मुझ पर सवार हो गई, अपनी चूत के होंठों को फैलाकर मेरे लण्ड पर बैठ गई और रगड़ने लगी.

    लण्ड को चूत के अन्दर लेने की उसकी कोशिश नाकामयाब होते देख मैं उठा. मैंने अपनी पैन्ट और अण्डरवियर उतार दिया और अपने लण्ड पर जेल लगा लिया.
    गुरप्रीत की टांगें उठाकर एक तकिया उसके चूतड़ों के नीचे रख दिया और उसकी टांगों के बीच आकर उसकी चूत के गुलाबी होंठ फैलाकर अपने लण्ड का सुपारा रख दिया.

    पहले धक्के में सुपारा और दूसरे में पूरा लण्ड गुरप्रीत की चूत में समा गया. लण्ड को अन्दर बाहर करते हुए धक्के मारना शुरू कर दिया.

    गुरप्रीत लगातार आती रही, चुदवाती रही और तब तक चुदवाती रही जब तक मेडिकल कॉलेज में उसका एडमिशन नहीं हो गया.

    अब प्रीति तो घर की दाल बराबर हो गई है. मनमीत और गुरप्रीत जब भी आती हैं, अपनी चूत का प्रापर चेकअप जरूर कराती हैं.

    प्रीति की तीसरी बेटी हनीप्रीत अब साढ़े अठरह साल की हो गई है, मैं प्रीति के पीछे पड़ा हुआ हूँ कि एक बार दीदार करा दे.

    गुरप्रीत का मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हुए करीब तीन महीने हो चुके थे. मैं जब भी प्रीति से उसकी तीसरी बेटी हनीप्रीत से मिलवाने की बात करता, वो टाल जाती.



    आज मैंने बहुत जोर देकर पूछा तो बोली- अभी बहुत छोटी है वो.
    “कितनी छोटी है?”
    “साढ़े अठरह साल की है.”
    “तो? साढ़े अठरह साल की लड़की छोटी होती है क्या?”
    “अच्छा, आप जिद करते हो तो कल ले आऊंगी.”

    अगले दिन प्रीति आई तो साथ में हनी थी, आलिया भट्ट की छोटी बहन लग रही थी. कक्षा 12 में पढ़ती है, डांस और एक्टिंग में कई पुरस्कार जीत चुकी है.

    यह सब सुनकर मैंने कहा- इसे तो फिल्मी दुनिया में जाना चाहिए.
    प्रीति ने कहा- ये तो जाना चाहती है लेकिन इसके पापा जाने दें तब ना.



    मैंने कहा- मेरा एक कज़िन एकता कपूर की कम्पनी में असिस्टेंट डायरेक्टर है, मैं उससे बात करता हूँ.

    दो दिन बाद मैंने हनी को फोन करके बुलाया और उसे बताया कि अलग अलग ड्रेसेज में, अलग अलग हेयर स्टाइल में, अलग अलग एक्सप्रेशन्स में कम से कम 100 फोटो भेजनी हैं. कहीं भी फोटोशूट कराओगी तो एक से डेढ़ लाख रुपये का खर्च है. कर पाओगी?

    यह सुनकर हनी उदास हो गई और बोली, मैं कहाँ कर पाऊंगी. और पापा सपोर्ट करेंगे नहीं.

    मैंने कहा, एक ऑप्शन ये है कि कहीं से ड्रेसेज किराये पर ली जायें और खुद फोटोग्राफी की जाये. वैसे मैं अच्छा फोटोग्राफर हूँ और मेरे पास बेहतरीन कैमरा है.

    मरता क्या न करता. यही तय हो गया और अगले दिन से फोटोशूट शुरू हो गया.

    ड्रेसेज किराये पर लाकर एक से बढ़कर एक फोटो खींचे गये. एक दिन खींचे गये फोटो अगले दिन लैपटॉप की स्क्रीन पर देखकर हनी बहुत खुश होती. इस बीच वो मेरे साथ काफी कम्फर्टेबल हो गयी थी.

    एक फोटो ‘राम तेरी गंगा मैली’ की मंदाकिनी जैसा भी होना चाहिये, इसके लिए मैंने हनी को राजी कर लिया.

    मेरे कहने पर अगले दिन वो ऑरेंज कलर का सूट पहन कर आई. मेरे सामने ड्रेस चेंज करने की उसकी हिचक शुरुआती दो तीन दिनों में ही खत्म हो गई थी.

    आज मैंने उससे सलवार सूट उतारने को कहा तो उसने उतार दिया. मेरे कहने पर उसने दुपट्टा ओढ़ लिया और फोटोशूट शुरू हो गया.



    आठ दस फोटोज के बाद मैंने कहा कि ब्रा उतारकर दुपट्टा ओढ़ लो.

    थोड़़ी हिचक और नानुकुर के बाद हनी ने ब्रा उतार दी. अब उसके शरीर पर सिर्फ पैन्टी थी. मेरे कहने पर वो दुपट्टा ओढ़कर खड़ी हो गई. ऑरेंज कलर के जॉर्जेट के दुपट्टे से उसकी चूचियां झलक रही थीं.

    पोज़ सेट करने के लिए कई बार चेहरा, बॉडी या कपड़ों को फोटोग्राफर एडजस्ट करता है. आज कई सारी फोटो खींचने के दौरान कई बार मैं हनी को छू चुका था. एक फोटो खींचने के बाद अगली फोटो के लिए उसका पोज बनाते हुए मैं हनी की चूचियों पर हाथ फेरने लगा.

    हनी ने मेरी ओर देखा और मेरी आँखों में प्रणय निवेदन देखकर कुछ नहीं बोली.

    मैंने हनी के होठों पर अपने होंठ रख दिये और हम लोग आलिंगनबद्ध हो गये. मैंने हनी को गोद में उठा लिया और बेड पर ले आया.



    हनी के होठों के बाद मैंने उसकी चूचियां चूसना शुरू कर दिया और धीरे से उसकी पैन्टी उतार दी. अपने होंठ हनी की बुर के होंठो पर रखकर मैं उसकी बुर का रसपान करने लगा.

    थोड़ी देर बाद मैं फिर से हनी की चूचियां चूसने लगा और अपनी उंगली उसकी बुर में चलाने लगा.

    जब हनीप्रीत की बुर काफी गीली हो गई तो मैंने अपने कपड़े उतारे और अपने लण्ड पर ऑलिव ऑयल लगाकर धीरे धीरे से हनी की बुर में पेल दिया. लण्ड को आराम आराम से अन्दर बाहर करते करते मेरे डिस्चार्ज करने का समय आया तो मैंने अपनी स्पीड थोड़़ी बढ़ा दी और वक्त आने पर अपने लण्ड का सारा वीर्य हनीप्रीत की बुर में उड़ेल दिया.

  • दोस्त की बीबी की प्यासी चूत गांड में मेरा लंड

    औरत की चुदाई की प्यास जागती है तो वह चुदने के लिए लाखों बहाने ढूंढती है. मेरे दोस्त की शादी हुई और कुछ दिन बाद ही उसे ड्यूटी पर जाना पड़ा तो उसकी बीबी ने क्या किया?



    हाय दोस्तो, नमस्कार! मैं हूँ शिवा!
    मैं आज आप लोगों के लिए एक सच्ची कहानी लेकर आया हूँ जिसमें आप लोग पढ़ेंगे कि कैसे मैंने अपने दोस्त की नयी नवेली दुल्हन बीबी की प्यासी चूत की प्यास बुझाई.

    दोस्तो, एक बात बता दूं कि जब औरत की चुदाई की प्यास जागती है तो वह चुदने के लिए लाखों बहाने ढूंढ लेती है.
    कुछ ऐसी ही कहानी है मेरी!

    अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ.

    मेरे दोस्त की शादी को अभी 1 महीना ही हुआ था कि उसे उसकी कम्पनी से काल आया कि तुम्हें ड्यूटी ज्वाइन करनी है.
    और वह ड्यूटी पर चला गया.
    उसके घर पर सिर्फ उसकी माँ थी और उसकी नवविवाहिता सुंदर बीबी!

    एक दिन अचानक मेरे दोस्त का फ़ोन आया और कहा- यार शिवा, तेरी भाभी की तबियत खराब हो गई है, तुम उसे डॉक्टर से दवा दिलवा दो.
    तो मैंने कहा- ठीक है!



    और मैं अपनी बाइक से उसके घर गया.

    मैंने दरवाजा खटखटाया तो दोस्त की बीबी ने ही दरवाजा खोला और मुस्मेंकुरा कर मेरा स्वागत किया, अंदर आने को कहा.
    भाभी का खिला चेहरा देख कर मुझे उसमें बीमारी वाली कोई बात नहीं दिखी. फिर भी मैं उसे लेकर डॉक्टर के पास गया और उसे दवा दिलवा दी.

    मेरे दोस्त की बीबी दिखने में एकदम हॉट माल थी. भाभी का रंग गोरा, चिकनी त्वचा, मध्यम कद, और उसका साईज 28 30 32 का होगा. पर मैंने भाभी को सेक्स वाली कामुकता भरी नजर से नहीं देखा था.

    डॉक्टर ने अगले दिन फिर से दिखाने को कहा था तो दूसरे दिन मैं भाभी को लेकर फिर से डाक्टर के पास गया.



    जब हम अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे तो उसने मुझसे कहा- देवर जी, तुम्हारे दोस्त ड्यूटी पर क्या गये, तुमने तो मेरे घर पर आना ही बन्द कर दिया?
    मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसा कुछ भी नहीं! जब आपको मेरी जरूरत होगी तो मैं हाजिर हो जाऊँगा.
    और फिर हम दोनों के बीच में हंसी मजाक होने लगी.

    उसके बाद डाक्टर के पास से दवा ली. पर उस दिन उसने डाक्टर से नींद की गोलियां भी ली. और उसके बाद हम वापिस आ गये.

    एक दो दिन गुजरे … तभी अचानक एक दिन मेरे दोस्त का फ़ोन आया और कहा- अभी घर जाओ, तुम्हारी भाभी को फीवर आ गया है.

    अभी रात के 10 बजे थे, सर्दी का मौसम था. मेरा मन तो नहीं था जाने का … तब भी दोस्त की दोस्ती तो निभानी ही थी, मैंने अपने कपड़े पहने और चला गया.



    मैंने दोस्त के घर जाकर डोरबेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला और कहा- अंदर आ जाओ!
    मैंने कहा- आपको तो फीवर था? पर आप तो बिल्कुल सही हैं. और आँटी कहाँ हैं?
    उसने कहा- वो सो रही हैं. तुम अंदर तो आओ.

    तो मैं उसके कमरे में गया. मैंने कहा- आपको दवा लेने चलना है तो चलो. नहीं तो मैं जाऊँ. रात काफी हो चुकी है.
    उसने कहा- पहले बैठो तो सही!

    मैं बैठ गया और बो भी मेरे साथ बैठ गई और बोली- शिवा, हमारी शादी के तुरंत बाद ही तुम्हारे दोस्त चले गये.
    तो मैंने कहा- नौकरी तो करनी ही होगी. बास की काल आई तो जाना तो पड़ेगा ही.
    उसने कहा- मेरा क्या?
    मैंने भाभी- वो आ जायेगा. आप परेशान क्यों हो रही हो?



    उसके बाद उसने जो कहा, उसे सुनकर मेरे होश उड़ गए.
    उसने कहा- मेरी शादी के बाद तुम्हारे दोस्त सिर्फ दो तीन बार मेरे साथ लेटे हैं. पहली बार सुहागरात को और फिर एक आध बार उसके बाद!
    तो मैंने कहा- मैं आपकी इसमें क्या मदद कर सकता हूँ?

    उसने कहा- शिवा, मैं बहुत दिनों से चुदना चाहती हूँ. इसलिए मैं बार बार दवा के बहाने तुम्हें बुलाती थी. पर तुमने कभी मुझे समझा ही नहीं! पर आज तुमको मुझे चोदने होगा.
    और इतना कहकर भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे दबाने लगी.

    तो मैंने कहा- देखो, आँटी आ जायेंगी तो क्या कहेंगी?
    उसने कहा- मैंने मम्मी को नींद की गोली दे दी है. वो सुबह तक नहीं उठेंगी.



    इतना कहकर उसने मेरा लंड बाहर निकाला और उसे आगे पीछे करने लगी. अब मैं भी अपने आप को संभाल नहीं पाया और उसे अपनी बांहों में भर लिया. हम लोग एक-दूसरे को चूमने लगे.
    चूमते चूमते मैंने उसकी साड़ी खोल दी और उसके बाद मैंने उसका ब्लाउज खोला और उसके चूचे दबाने लगा.

    वो भी उसके मुँह से सेक्सी आवाज निकलने लगी जिससे मैं और भी जोश में आ गया.

    फिर मैंने भाभी का पेटीकोट भी उतार दिया अब वह मेरे सामने केवल ब्रा और पेंटी में थी.
    क्या मस्त लग रही थी.

    और फिर मैंने भाभी की ब्रा खोल दी और उसके मम्मे चूसने लगा. उसके मुँह से निकलने वाली आवाज मुझे पागल कर रही थी.



    अब मैंने भाभी की पेंटी भी उतार दी. उफ्फ … क्या मस्त चिकनी चूत थी! उसकी चूत गीली हो चुकी थी. मैं धीरे-धीरे भाभी की चूत सहलाने लगा. फिर मैंने उसकी चूत को किस किया.

    तभी भाभी ने कहा- अब चोदो मुझे! मैं बहुत दिनों से चुदना चाहती हूँ.
    तो मैंने कहा- अब चोदना तो है ही … पर पहले तुम मेरा लंड चूसो. उसके बाद मैं तुम्हें चोदूगा.

    इतना कहते ही मेरे दोस्त की बीबी ने मेरी पैंट और अंडरवियर उतार दिया और मेरा लंड चूसने लगी.
    क्या स्टाइल से लंड चूस रही थी … ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई पोर्न स्टार मेरा लंड चूस रही थी.

    करीब बीस मिनट तक लंड चूसने के बाद मैं झड़ने वाला था. मैंने उससे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ.
    पर उसने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और थोड़ी देर में मेरे लंड ने अपना सारा माल उसके मुँह में छोड़ दिया और वह मेरा सारा माल गटक गई.

    फिर कुछ देर तक मैं भाभी के नंगे जिस्म से खेल करता रहा, भाभी की चूत सहलाता रहा.
    तभी उसने कहा- अब चोदो … मुझे तुम्हारा लंड चाहिए!
    और वह मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगाने लगी.



    पर मेरा लंड अभी चोदने के लिए तैयार नहीं था. मैंने उससे कहा- पहले इसे चोदने के लिए तैयार करो. फिर हम चुदाई करेंगे.

    उसने फिर मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. और मैं सोच रहा था कि उसकी चूत चोदूँ या गांड … क्योंकि मुझे उसकी मटकती गांड बहुत पसंद थी.
    पर वह चूत चुदवाना चाहती थी.

    अब मेरा लंड भी एकदम लोहे की तरह खड़ा हो गया. और तभी वह मुझसे बोली- अब तुम्हारा लंड तैयार है, अब चोदो मुझे!
    तो मैंने कहा- मुझे तुम्हारी गांड मारनी है.
    भाभी ने कहा- पहले मेरी चूत की आग शांत कर दो. उसके बाद तुम मेरी गांड भी चोद लेना. अब सब कुछ तुम्हारा ही है.

    और वह लेट कर मेरे लंड को अपनी चूत में डालने लगी.

    Dost Ki Bibi Ki Chut Gand Chudai
    Dost Ki Bibi Ki Chut Gand Chudai
    तभी मैंने एक जोर का झटका दिया और मेरा पूरा लंड एक ही बार में भाभी की टाइट चूत में घुस गया. जिससे भाभी की चीख निकल गई और बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आराम से … तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है और मोटा भी!

    मगर मैं बिना रुके धकापेल चुदाई करने लगा. पहले उसे थोड़ा दर्द हुआ पर थोड़ी देर में वह भी नीचे से अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी.
    भाभी ने कहा- पहली बार इतना लम्बा और मोटा लंड मुझे चोद रहा है. चोदो मुझे … फाड़ दो मेरी चूत … बना दो इसका भोसड़ा. और तेज चोदो!



    और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी. पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूज रही थी. करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था. वह भी झड़ चुकी थी.

    मैंने पूछा- मैं अपना पानी कहाँ निकालूं?
    तो उसने कहा- मेरी चूत में ही निकालो और इसकी प्यास बुझा दो.

    मैं भी अपनी स्पीड बढ़ाते हुए भाभी की चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर लेट गया.

    हम लोग पूरी तरह थक चुके थे.



    थोड़ी देर बाद भाभी ने पूछा- और करना है?
    तो मैंने कहा- अब मुझे तुम्हारी गांड मारनी है.
    उसने कहा- जो तुम्हारी इच्छा … मगर आराम करना. क्योंकि मैंने कभी भी गांड में लंड नहीं डलवाया है.
    मैंने कहा- कोई बात नहीं, आज मैं डालूंगा. पहले मेरा लंड तैयार करो.

    और मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया. मेरे दोस्त की बीबी बड़े मजे से मेरा लंड चूसने लगी.

    थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से तैयार हो गया और अब मैंने मेरे दोस्त की बीबी को डागी स्टाइल में लिया और अपना लंड उसकी गांड पर सेट किया. फिर हल्का धक्का दिया.
    पर भाभी की गांड टाइट होने के कारण लंड फिसल गया.

    मैंने फिर से भाभी की गांड पर लंड सेट किया और हल्का दबाव दिया. फिर से लंड फिसल गया.

    इस बार मैंने अपने लंड पर थोड़ी क्रीम लगाई और उसकी गांड पर भी! और फिर से अपना लंड भाभी की गांड पर सेट किया और जोर का धक्का दिया.

    इस बार एक ही बार में मेरा आधा लंड भाभी की गांड में घुस गया. लंड अंदर जाते ही भाभी की चीख निकल गई और वह लेट गई जिससे मेरा लंड बाहर निकल गया.
    उसने कहा- प्लीज मेरी गांड मत चोदो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.



    मैंने कहा- बस एक बार … अगर मज़ा न आए तो मैं नहीं करूंगा.
    वो मान गई और इस मैंने उसे लिटा दिया ताकि वह आगे पीछे न हो सके.

    और मैंने उसके पैर फैलाकर उसके ऊपर लेट कर अपना लंड भाभी की गांड पर सेट किया और जोर का धक्का दिया. इस बार मेरा पूरा लंड एक ही बार में भाभी की गांड में घुस गया जिससे वह चीखने लगी और रोने लगी.

    वह बोल रही थी- छोड़ दो मुझे … बहुत दर्द हो रहा है.
    उसकी छटपटाहट से पता चल रहा था कि उसे कितना दर्द हो रहा होगा.

    पर मैं हटा नहीं … मैं थोड़ी देर रूका और फिर से भाभी की गांड में धक्के देना शुरू कर दिया.
    वह चीख रही थी पर मैं रुका नहीं.



    कुछ ही देर में वह भी मेरा साथ देने लगी और अपनी गांड उठाकर मेरा पूरा लंड अपनी गांड में लेने लगी.
    भाभी बोल रही थी- और जोर से चोदो … मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. काश तुम मुझे पहले मिले होते! आह चोदो और जोर से चोदो! फाड़ दो मेरी गांड!
    और मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया.

    अब मैं झड़ने वाला था. मैंने उससे पूछा- अपना पानी कहाँ निकालूं?
    तो उसने कहा- अपनी भाभी की चूत में डालो!
    फिर मैंने अपना लंड भाभी की चूत में डाला और 8-10 झटकों के बाद मैं झड़ गया.

    उसके बाद हम लोग बाथरूम में गये उसने मेरा लंड अच्छी तरह साफ किया. भाभी ने अपनी चूत और गांड भी साफ की.

    बाथरूम से आने के बाद हम लोग नंगे ही लेट गये.

    फिर उस रात हमने दो बार और जमकर चुदाई की और उसके बाद हमें जब भी मौका मिला … हम लोग चुदाई करते. कभी मैं भाभी की गांड मारता और कभी भाभी की चूत!



    तो भाभी की चूत और गांड की चुदाई की मेरी यह रियल कहानी कैसी लगी आपको? और कमेन्ट करके जरूर बताएं!

  • पड़ोस की भाभी से रोमांस और चुदाई

    मेरे कमरे के पास एक भाभी मुझे पसंद आ गयी. पहले तो उसने मुझे अनदेखा किया पर बाद में हमारी दोस्ती हो गयी. उसके बाद मैंने भाभी की चुदाई की ‘आई लव यू’ बोल कर!



    दोस्तो, मेरा नाम संजय है। ये मेरी पहली कहानी है। उम्मीद करता हूं आपको अच्छी लगेगी।

    पहले मैं आपको अपने बारे में और इस कहानी की नायिका के बारे में थोड़ा बता देता हूं।

    मेरा नाम आपको मैंने बता दिया है। मैं हरियाणा के गुरुग्राम में जॉब करता हूं। वैसे मैं अम्बाला के पास का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 27 साल है।

    अब बताता हूं इस कहानी की नायिका के बारे में उसका नाम ध्वनि है। उसकी उम्र 30 साल है। एकदम गोरी मस्त सेक्सी फिगर वाली शादीशुदा भाभी है। रंग गोरा चूची का साइज 34, कमर 30 और गांड 32″
    उसके दो बच्चे हैं। उसके पति कंपनी में प्राइवेट जॉब करते हैं। उसकी ड्यूटी शिफ्टों में होती है।

    तो दोस्तो अब शुरू होती है कहानी।

    अभी एक साल पहले मेरी जॉब लगी है गुरुग्राम में तो उसकी वजह से मुझे यहां आना पड़ा। तो मैंने यहां एक बिल्डिंग एक कमरा लिया किराए पर, यहां और भी परिवार रहते हैं।
    तो यही पर मेरी मुलाकात ध्वनि के साथ हुई।

    तो दोस्तो हुआ कुछ यों … जब मैं यहां नया नया आया तो मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा. सब अजीब सा लग रहा था. शायद घर से दूर होने की वजह से या अकेले होने की वजह से।

    शुरू में मुझे बहुत परेशानी हुई पर धीरे धीरे सब आदत बन गई। अब सब कुछ नॉर्मल लगने लग गया था।



    मैं सवेरे 9 बजे अपनी जॉब पर जाता और शाम को 7 बजे वापिस आता। बस यही मेरी दिनचर्या थी।

    अब मुझे यहां लगभग 2 महीने हो चुके थे। मैं अपनी बिल्डिंग में किसी से बात नहीं करता था. बस कंपनी से रूम और रूम से कंपनी।

    एक दिन मैं जब सवेरे कंपनी जाने के लिए रूम से निकला तो मेरे नीचे वाले फ्लोर पर एक भाभी सवेरे सवेरे मुझे सफाई करती हुई मिली।
    उस दिन मैंने उसको पहली बार देखा था। उसका चेहरा एकदम मस्त था।

    उस दिन मैं इससे ज्यादा नहीं देख पाया क्योंकि मुझे कंपनी जाना था और थोड़ा जल्दी में था।
    लेकिन उस दिन के बाद वो हफ्ते में एक दो बार मुझे सवेरे सवेरे दिख जाती ऐसे ही सफाई करते हुए।

    एक दिन जब वो सवेरे सफाई करती हुई दिखी तो उसने भी मेरी तरफ देखा.
    मैंने उसको स्माइल दी पर उसने मेरी तरफ देख कर भी अनदेखा कर दिया। मैं चुपचाप वहाँ से निकल गया।

    ऐसे ही दो तीन बार हुआ। मैं उसको देख कर स्माइल करता और वो मुझे इग्नोर कर देती।
    मुझे लगा कि शायद इसको कोई दिलचस्पी नहीं है मेरे में।



    उसके बाद वो जब भी दिखती तो मैं चुपचाप सिर नीचे करके निकल जाता। मैंने उसकी तरफ देखना भी बंद कर दिया।

    ऐसे ही 3 महीने निकल गए।

    फिर एक दिन इतवार का दिन मतलब छुट्टी का दिन … मैं अपने रूम की सफाई कर रहा था, मेरे रूम का दरवाजा खुला हुआ था तो देखा वो भाभी ऊपर छत से नीचे आ रही थी. उसने मेरी तरफ देखा और देख कर हंसती हुई नीचे चली गई।

    अब रोज ऐसे ही होने लगा मैं जब सवेरे कंपनी जाता तो वो मुझे दिखती और मुझे देख कर बस हंस देती; मैं चुपचाप निकल जाता।

    एक दिन रात को खाना खाने के बाद मैं ऊपर छत पर गया तो मैंने देखा वो भाभी पहले से ही छत पर थी. उसने मेरी तरफ देखा और देख कर हंस दी, मैं नीचे आ गया।
    ऐसा मेरे साथ रोज होने लगा।

    एक दिन ऐसे ही रात को वो मुझे छत पर मिली तो फिर से वो मुझे देख कर हंसी।



    उस दिन मैंने उसको कहा- हेल्लो।
    भाभी- हाय!
    मैं- आपका नाम क्या है?
    भाभी- क्यों?
    मैं- ऐसे ही अब बिना नाम जाने मैं आपको क्या कहकर बुलाऊँ?
    भाभी- ध्वनि।
    मैं- ओह! तो आपका नाम ध्वनि है। क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकता हूं ध्वनि जी।
    ध्वनि- जी पूछो।



    मैं- आप मुझे देख कर हंसती क्यों हो?
    ध्वनि- बस ऐसे ही।
    मैं- नहीं कोई तो वजह होगी जो आप मुझे देख कर हंसती हो। मेरी शक्ल जोकर जैसी है क्या?
    ध्वनि- अरे नहीं ये बात नहीं है वो उस दिन तुमको सफाई करते देखा तो इसलिए उस दिन हंसी आ गई।
    मैं- तो इसमें गलत क्या है? सफाई करना गलत है क्या?
    ध्वनि- नहीं, पहली बार किसी लड़के को अपना रूम साफ करते देखा इसलिए! वरना लड़के ये सब कहाँ करते हैं।
    मैं- ओह, पर मैं सब लड़कों जैसा नहीं हूं. मुझे जब भी टाइम मिलता है, मैं अपने रूम की सफाई करता हूं।
    ध्वनि- ओके।

    बस उस टाइम ऐसे ही बातें हुई. उसने मेरा नाम पूछा मैंने बता दिया।

    फिर अगले दिन रात को वो मुझे फिर से छत पर मिली। हमने एक दूसरे के साथ हाय हैलो किया और बातें की.
    उस दिन मैंने उसको पूछा- क्या आप रोज रात को छत पर आती हो?
    तब उसने बताया- जब मेरे पति की सेकंड शिफ्ट मतलब बी शिफ्ट होती है तब ही मैं ऊपर आती हूँ।

    अब ऐसे ही हमारी बातें होती रही और बातों बातों में हमारी दोस्ती हो गई।

    फिर उसके बाद उसने मुझे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा तो मैंने बताया- अगर मेरी कोई गर्लफ्रेंड होती तो मैं आपके साथ रात को यहां थोड़े ना होता।
    उसके बाद मैंने उसका नंबर मांगा तो उसने दे दिया।

    फिर उसके बाद हम मिल नहीं पाए क्योंकि उसके पति की ड्यूटी चेंज हो गई थी। बस हमारी फोन पर ही बात होती थी।



    एक दिन बातों बातों में मैंने उसको बोला दिया कि मैं तुमको पसंद करता हूं। आई लव यू।
    पहले उसने मना कर दिया।
    मैं बोला- कोई बात नहीं! पर हम दोस्त तो बन सकते हैं.
    उसने बोला- ओके! पर दोस्त के अलावा और कुछ नहीं।
    मैंने कहा- ठीक है।

    अब जब भी उसके पति की ड्यूटी चेंज होती तो वो वहीं छत पर मुझसे मिलती और हम बातें करते।

    एक दिन मेरी कंपनी में एक लड़के का जन्मदिन था। तो उसने अपने जन्मदिन की पार्टी दी। तो उसमें मैंने दो बीयर पी ली और उसके बाद मैं अपने रूम पर गया। मैं जाकर सो गया क्योंकि थोड़ा नशा हो रहा था।

    थोड़ी देर बाद उस भाभी का फोन आया. पहले तो मैंने रिसीव नहीं किया, फिर उसने 2-3 बार फोन किया तो मैंने रिसीव कर लिया।
    मैं- हैलो!
    ध्वनि- कहाँ हो तुम? कब से छत पर खड़ी हूं. और फोन कर रही हूं, ना ही तुम छत पर आए और ना फोन उठा रहे हो?
    मैं- आज मेरी तबियत ठीक नहीं है इसलिए नहीं आया।
    मैंने उसको ऐसे ही झूठ बोल दिया.

    फिर वो पूछने लगी कि क्या हुआ।
    मैं- कुछ नहीं कंपनी में काम करते वक़्त सिर में दर्द हुआ और चक्कर से आ रहे हैं।
    ध्वनि- तुम हो कहाँ अभी?
    मैं- रूम में हूं।

    ध्वनि- अपने रूम का दरवाजा खोल के रखो, मैं आ रही हूं।
    मैं- नहीं नहीं, इतनी भी ज्यादा प्रॉब्लम नहीं है।
    ध्वनि- जितना बोल रही हूं उतना करो, रूम का दरवाजा खोल के रखो।
    उसके बाद उसने फोन कट कर दिया।



    तब मैंने उठकर जल्दी से थोड़ा रूम ठीक किया और दरवाजा खोल कर बिस्तर पर लेट गया।
    फिर दस मिनट के बाद मेरे रूम कर दरवाजा खुला, मैंने देखा वो ध्वनि ही थी।
    वो अंदर आयी और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया।

    ध्वनि- क्या हुआ तुमको।
    मैं- कुछ नहीं, बस थोड़ी तबीयत ठीक नहीं है। सिर में दर्द है।
    ध्वनि- कोई दवाई ली?
    मैं- नहीं मेरे पास कोई दवाई नहीं है अभी अगर तुम्हारे पास हो तो दे दो।
    ध्वनि- मेरे पास रूम में है, मैं लेकर आती हूं।
    मैं- ओके।

    फिर वो थोड़ी देर बाद एक पेनकिलर पैरासिटामोल 650mg लेकर आयी और मुझे दे दी।
    अब मैं ये सोच रहा था कि जब कोई दिक्कत नहीं है तो दवाई कैसे खाऊँ.
    पर क्या कर सकता था, मजबूरी में खानी पड़ी।

    फिर उसके बाद ध्वनि वहीं मेरे पास बैठ गई और मेरे साथ बात करने लगी। बोलते समय उसके पतले होंठ बहुत प्यारे लग रहे थे। मेरा दिल कर रहा था कि अभी चूस लूं।

    बात करते करते मैंने उसके होंठ पर किस कर लिया तो वो गुस्सा हो गई और जाने लगी।
    तब मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया और फिर उसको आई लव यू बोला।



    ध्वनि- नहीं संजय, ये सब ठीक नहीं है. मैं शादशुदा हूं। अगर किसी को पता चल गया तो बहुत बदनामी होगी।
    मैं- मेरे और तुम्हारे अलावा यहां किसी को कुछ नहीं पता चलेगा. भाभी, मैं तुमको बहुत प्यार करने लगा हूं। प्लीज़ भाभी मना मत करना।

    और मैं पीछे से उनकी कमर में हाथ डालकर उनकी गर्दन पर किस करने लगा। और मैं अपना लन्ड भाभी की गांड पर रगड़ रहा था।
    ध्वनि- संजय यह ठीक नहीं है, प्लीज़।

    मैं- आई लव यू भाभी, ऊउम्म्म आम्म्मह हम्मम!
    मैं भाभी की गर्दन पर किस करने लगा और उसके बूब्स भी दबाने लगा।

    धीरे धीरे भाभी का विरोध भी खत्म हो गया और वो भी गर्म होने लगी।

    उसके बाद मैंने उसको अपनी तरफ घुमाया उसके गालों और होंठों को चूसने लगा और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर कपड़ों के ऊपर से ही उसकी चूत रगड़ने लगा।
    वो भी अब मेरा साथ देने लगी और आहें भरने लगी।

    पर कुछ देर के बाद उसने मुझे रोका और बोलने लगी- संजय, तुम मुझे धोखा तो नहीं दोगे?
    मैं- भाभी मैं तुमको प्यार करता हूं, बहुत सारा प्यार … मैं तुमको कभी धोखा नहीं दे सकता।

    फिर मैं भाभी की गांड को दबाने लगा और उसके होंठ चूसने लगा जिससे वो और ज्यादा गर्म होने लगी।

    उसके बाद मैंने उसको नीचे लिटा दिया और फिर उसके ऊपर लेट कर उसकी 34 साइज की चूचियां दबाने लगा।

    ध्वनि- आह्ह … हम्म…. संजय थोड़ा और ज़ोर से दबाओ।
    उसके बाद मैंने भाभी का कमीज उतारने को बोला तो भाभी ने शर्ट उतार दिया।



    अब वो काले रंग की ब्रा में मेरे पास लेटी थी। फिर मैंने उसकी ब्रा को उपर करके उसके पास लेट कर उसकी एक चूची चूसने लगा और दूसरी हाथ से दबाने लगा।
    मैं अपना एक हाथ नीचे भाभी की चूत पर लेकर गया. मुझे महसूस हुआ उसने नीचे पैंटी नहीं पहनी है और सच में उसने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी।

    उसके बाद मैंने भाभी की चूत को सलवार के ऊपर से सहलाना शुरू किया और उसकी चूत के पानी से उसकी सलवार गीली होने लगी।

    उसके बाद वो बोली- संजय, अब कुछ कर दो जल्दी! मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा।
    मैं अपने कपड़े उतारने लगा.

    तब वो बोली- लाइट बंद कर दो प्लीज़! मुझे शरम आती है।
    मैंने उसकी बात मान ली और लाइट बंद कर दी।

    और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया और भाभी की सलवार भी उतार दी।
    उसके बाद उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया मैं उसके होंठों में होंठ डालकर चूसने लगा।
    और नीचे मेरा लन्ड उसकी चूत को चूसने लगा।

    कुछ देर बाद वो बोली- अब डाल भी दो।
    मैं- पहले तुम मेरा लन्ड चूसो और मैं तुम्हारी चूत चाटूंगा।
    ध्वनि- छी: … मुझे ये सब पसंद नहीं है. अगर तुम ऐसा करने को बोलोगे तो मैं अभी चली जाऊंगी यहां से!

    मुझे बहुत अफसोस सा हुआ. पर फिर मैंने सोचा कि ये सब तो बाद भी कर लूंगा, अभी इसकी चूत तो चोदूँ।
    फिर मैं उसके ऊपर लेट गया- तुम ही अपने हाथ से डाल लो।
    ध्वनि- नहीं, मुझसे नहीं होगा।
    मैं- ठीक है मर्जी है तुम्हारी मैं भी नहीं डालता।
    ध्वनि- क्यों परेशान कर रहे हो, डाल दो ना!



    उसके बाद मैंने लंड को उसकी चूत पर सेट किया और धीरे धीरे अन्दर डालने लगा।

    Padosan Bhabhi Ki Chudai
    Padosan Bhabhi Ki Chudai
    जैसे ही मेरा लन्ड उसकी चूत में गया, उसने कसकर मुझे अपनी बांहों में भींच लिया और उसके मुंह से हल्की सी आह निकली।
    अब मैं धीरे धीरे लन्ड को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
    ध्वनि- आह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… म्म्म … संजय थोड़ा तेज करो, बहुत मज़ा आ रहा है।

    फिर मैं उसको थोड़ा तेज़ी के साथ चोदने लगा। ऐसे ही मैंने पोजिशन बदल दी, मैंने उसको पलट कर अपने ऊपर ले लिया और उसको धक्के मारने को बोला।
    ऐसे ही वो मेरे ऊपर चढ़कर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगी।

    मैं- उउम्म … आहह … भाभी मज़ा आ रहा है, ऐसे ही करती रहो।
    ध्वनि- आह.. ऊहह… संजय मैं थक गई हूं, अब तुम ही करो।

    5 मिनट बाद वो मेरे ऊपर से उतरकर नीचे लेट गई।
    फिर मैं उसके ऊपर आ गया और इस बार मैंने एक ही बार में पूरा लन्ड भाभी की चूत में डाल दिया जिससे उसकी चीख निकल गई और वो बोली- संजय, धीरे डालो यार, मारोगे क्या आज मुझे?
    उसके बाद मैं उसको प्यार से चोदने लगा।

    थोड़ी देर बाद वो जोर से चोदने को बोलने लगी। मैं जोर जोर से भाभी की चुदाई करने लगा. कुछ देर बाद उसने मुझे कस कर अपनी बांहों में भींच लिया।

    ध्वनि- आह … ओह … हुम्म … संजय मैं गई!
    और इसके साथ ही वो झड़ गई।

    साथ ही मैं भी भाभी की चूत में झड़ गया।

    फिर हम थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे और उसके बाद वो अपने कपड़े पहन कर जाने लगी।
    जाते जाते उसने मुझे एक किस किया और बाय बोलकर चली गई।



    उसके बाद भी मैंने बहुत बार भाभी को चोदा। उसको अपना लन्ड भी चुसवाया और उसकी चूत भी चूसी।

    वो सब मैं आपको बाद में बताऊंगा कि कैसे मैंने उसको लन्ड चुसवाया और कैसे उसकी चूत चूसी।
    और उसके बाद उसने वहां से अपना रूम बदल लिया।

    दोस्तो, यह मेरी असली कहानी है भाभी की चुदाई की! इसमें कोई मिर्च मसाला नहीं है. जो रियल हुआ है वहीं सब लिखा है।
    पसंद आई या नहीं? बताना जरूर!

  • मेरी बहन पड़ोसी लड़के और उसके दोस्त से चुदी

    मेरी बहन की वासना ने उसे चालू रंडी बना दिया था. वो हर वक्त हर किसी का लंड लेने को तैयार रहती थी. इस सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि वो पडोसी लड़के और उसके दोस्त से कैसे चुदी.



    अपनी चुदक्कड़ बहन की चुदाई की पिछली कहानी
    मेरी लंडखोर रंडी बहन की गैंग बैंग चुदाई-2https://www.freesexkahani.com/group-sex-stories/randi-bahan-chudai-2/
    में मैंने आप लोगों को बताया था कि मेरी बहन अंजलि कैसे रंडी बन चुकी है. ये भाग और मजेदार है. माफ करियेगा पाठको, मैं थोड़ा लेट हो गया आप लोगों के लिए कहानी का आगे का भाग लाने में।

    मैं अपनी बहन अंजलि पर नजर रखने लगा. अब तो मैं जान चुका था सब कुछ।

    सुबह मैं उठा, फ्रेश हुआ, नाश्ता किया और उसको बोला- मैं कॉलेज जा रहा हूँ. टू दरवाजा बंद कर ले!
    इतना बोल कर छत पर जाकर छुप गया. अंजलि थोड़ी देर बाद आई और मेन गेट लॉक करके अंदर चली गयी.

    मैंने अपने फोन की रिंगटोन बंद की और अपनी बहन को 5 मिनट बाद कॉल किया और पूछा- गैस है क्या सिलिंडर में? हिला कर देखना वरना मंगवाना होगा।
    तो वो किचन में गयी और सिलिंडर हिला कर चेक करने लगी.



    इतने में मैं छत से नीचे आकर घर में अंदर छुप गया। घर में करीब करीब सभी लाइट बंद थी, थोड़ी रोशनी थी.

    दो मिनट बाद ही मेरी बहन का फोन आया, उसने बताया कि गैस मंगवाने की जरूरत नहीं है.
    मैंने धीरे से ओके बोल कर फोन बंद कर दिया.

    फिर मैं चुपके से रसोई की तरफ गया तो मुझे पीछे से अपनी बहन दिखी. वो तो बस एक झीना बेबीडॉल नाईटी पहने हुए थी जो उसकी चूत को भी मुश्किल से ढक पा रही थी. इसके अलावा उसने कुछ नहीं पहना था … कुछ भी नहीं … न ब्रा न पैंटी! मेरी बहन की पूरी गोरी गांड नंगी दिख रही थी।



    और तभी डोर बेल बजी. दूध वाले के आने का टाइम था ये!
    मैं सोच रहा था कि मेरी बहन ऐसे ही जाएगी क्या दूध लेने?
    और वो वैसे ही गयी. उसकी चूचियों के निप्पल उसकी नाईटी में से साफ़ दिख रहे थे. साफ पता चल रहा था कि उसने और कुछ भी नहीं पहन रखा है।

    मेरी अधनंगी बहन ने दरवाजा खोला।
    दूध वाले ने बड़ी हैरानी से मेरी बहन को नीचे से ऊपर तक निहारा.
    फिर वो बोला- कोई घर पर नहीं है क्या?
    बहन- क्यों?
    दूध वाला- बस ऐसे ही।
    बहन- नहीं, कोई भी नहीं है।

    दूध वाला- थोड़ा पानी मिल सकता है पीने के लिए?
    बहन- जो पीना है घर के अंदर आकर पी लीजिये।

    बहन पीछे घूमी अंदर जाने के लिए तो दूधवाले को मेरी बहन की पूरी गोरी गांड के दर्शन हो गए।

    दूध वाला- केला खाओगी?
    बहन- हाँ, खाऊँगी।
    अंजलि यह बोलती हुई किचन में चली गयी। उसने दूध गैस पर हल्की आँच पर चढ़ा दिया।

    दूध वाला तो पूरा खुश हो गया था. वो अंदर आया और गेट बंद करके किचन में आ गया.



    उसने मेरी बहन को पीछे से पकड़ के स्लैब पर झुका दिया और नीचे बैठ कर मेरी बहन की गांड को चूमने लगा. उसके बाद उसने मेरी बहन को सीधा घुमा कर बहन की चूत को चूसना शुरू कर दिया.
    मेरी बहन आनन्द से उसके सर को अपने चूत पर दबा रही थी और आहें भर रही थी।

    उसके बाद दूध वाले ने अंजलि की एक टांग उठा कर किचन की स्लैब पर रख दिया और अपना लन्ड निकाल कर उस पर थूक लगा कर मेरी बहन की चूत में घुसा दिया और जोर जोर से चोदने लगा।
    मेरी बहन वासना से पूरी मदहोश हो चुकी थी. फिर दूध वाले ने बहन को अपनी गोद में उठा लिया और चोदने लगा.



    उसके बाद उसने वैसे ही लन्ड बहन की चूत में घुसाए हुए ही बेडरूम में लेजा कर बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया. लेकिन इतने में उसका लंड मेरी बहन की चूत में से निकल गया. उसने अपना लन्ड बहन की चूत के मुंह पर रखकर जोरदार झटका दिया, एक ही झटके में पूरा अंदर चला गया।

    Chalu Bahan Ki Chut Gaand Chudai
    Chalu Bahan Ki Chut Gaand Chudai
    मेरी बहन थोड़ी आवाज़ें निकल रही थी- आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊह उम्म!

    करीब 10 मिनट चोदने के बाद दूध वाले ने अपना वीर्य उसकी चूत के अंदर ही छोड़ दिया और बोला- तुम्हारी चूत कभी चोदने को मिलेगी, मैंने कभी नहीं सोचा था।
    मेरी बहन अंजलि हंसती हुई बोली- और भी मौके मिलते रहेंगे भैया आपको!
    दूध वाला मेरी बहन की चूची को मसलते हुए बोला- अब जाना होगा, और भी जगह दूध बाँटना है।

    उसके बाद दूध वाला चला गया।

    मेरी बहन ने उठकर अपनी चूत को तौलिये से साफ़ किया, फिर उस तौलिये को अपनी नाक के पास लेजाकर सूंघा और फिर दरवाजा बंद किया।

    तभी अंजलि दौड़ कर किचन में जाने लगी, तब मुझे भी याद आया कि दूध चढ़ाया था उसने गैस पर।

    फिर अंजली नहाने गयी और फिर नहा कर बाहर नंगी ही आ गयी. वो अपने बाल संवार रही थी.

    कुछ देर बाद मेरी बहन का फोन बजा. उसने फोन उठा कर स्पीकर ऑन करके रख दिया और जोर से बात करने लगी. मैं भी सुन रहा था कि क्या बात हो रही है।
    फोन बगल वाले घर से अभय का था.

    अभय- फ्री हो क्या?
    बहन- फ्री ही हूँ, घर पर कोई नहीं है।
    अभय- भैया? मम्मी पापा तो बाहर गए हैं।
    अंजलि- कॉलेज।



    अभय- घर आ जाऊँ क्या?
    बहन- आ जाओ। डेरी मिल्क लेते आना।
    अभय- मेरा खा लेना।
    अंजलि- वो भी खाऊँगी।

    अभय- तेरा लेने को बहुत मूड कर रहा है।
    बहन- तुम आओ तो!
    अभय- दोस्त आये हुए हैं घर पर, साथ में ले आऊं? कोई प्रॉब्लम तो नहीं न?
    अंजलि- बिल्कुल नहीं … तुम्हारे उस दोस्त के सामने मुझे कॉल करके ये सवाल पूछने का मतलब है कि तुम अपने दोस्त के साथ ही आओगे।

    अभय- समझदार तो हो ही, आजकल रंडी होते जा रही हो।
    अंजलि- रंडी नहीं हूँ.. अगर चोदने न दूँ तो कहां जाओगे?
    अभय- सॉरी, सॉरी! मेरी सेक्सी बेबी डॉल।

    अंजलि- तुम अगर रंडी समझते हो मुझे तो जाओ कहीं और जाओ, मुझे क्यों कॉल किया?
    अभय- अरे हवस चढ़ा है, उतार दे ना!
    अंजलि- आ गया न मेरे झांट के नीचे … गांड चाटेगा तो ही चोदने दूंगी।
    अभय- इतनी गंदी कबसे हो गयी तू?
    अंजलि- कुछ नहीं जानते तुम मेरे बारे में, और रंडी बोलते हो?
    अभय- आता हूँ।



    मुझे तब पता चला कि बहन कितनी गंदी हो चुकी है।

    अब मेरी बहन तैयार होने लगी. उसने मस्त काली ब्रा पैंटी का सेट पहना और स्कर्ट और टॉप।
    अभय घर के बगल में रहता है. मेरी बहन का हमउम्र है तो मेरी बहन उससे थोड़ा फ्रेंडली है घर वालों के नज़र में!
    बाकी आप और मैं तो जानते हैं कि कितना फ्रेंडली है दोनों।

    अभय हमारे घर आया अपने 1 दोस्त के साथ।
    अंजलि- वेलकम!
    अभय- ये सौरभ है मेरा दोस्त!
    सौरभ- हाय!
    वो मेरी सेक्सी बहन को देख कर मचल उथा.

    मेरी बहन बोली- आओ मेरे पीछे मेरे रूम में चलो.

    तभी सौरभ ने पीछे से मेरी बहन की गांड पर धीरे से एक हाथ मार दिया. अंजलि उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा दी।
    अभय- ये लो डेरी मिल्क!
    अंजलि- थैंक्स! पर क्या बोल रहा था तू मुझे रंडी?

    अभय अंजलि को लिप किस करके बोलला- सॉरी बाबू!
    सौरभ- साइज क्या है तुम्हारा?
    अंजलि- लोग नाम, नंबर, उम्र पूछते हैं, तुम तो सीधा साइज पूछ रहे हो?
    सौरभ- तुम्हारा साइज़ परफेक्ट लग रहा है।

    अंजलि- वैसे तुम्हारा क्या साइज है? बाहर से तो अच्छा बड़ा लग रहा है।
    अंजलि उसका और अभय का लन्ड जीन्स के ऊपर से ही सहला रही थी।

    इतना सुनकर सौरभ- लो मेरा लॉलीपॉप!
    बोलते हुए उसने अपना 8 इंच का काला लन्ड मेरी बहन के हाथ में दे दिया।
    अंजलि- क्या तगड़ा लन्ड है; बिल्कुल मेरे लिए ही बना है।



    अभय- ले मेरा भी ले!
    अभय का भी 7 इंच का रहा होगा।

    सौरभ से छोटा था अभय का… इसीलिए बहन सौरभ को ज्यादा अटेंशन दे रही थी।
    मेरी कामुक बहन दोनों का लन्ड बारी बारी से चूस रही थी और साथ साथ सहला रही थी।

    उसके बाद अभय ने अंजलि को उठा कर बेड पर पटक दिया और मेरी बहन की टांगें फैला कर उसकी पैंटी और स्कर्ट उतार दी और फिर मेरी चालू बहन की चूत पर अपना मुंह लगा दिया।
    अंजलि- उम्म आआह … आराम से … आआह … हम्म आह आआह उउम्म!
    सौरभ- मुझे भी चाटने दे।

    फिर सौरभ मेरी बहन की गीली चूत चाटने लगा और अभय आगे जाकर बहन के मुंह में लंड देकर चोदने लगा और कुछ ही देर में उसके मुख में ही अपना रस गिरा दिया। मेरी बहन सारा माल पी गयी।



    सौरभ ने अंजलि की टॉप को खोल दिया, फिर ब्रा! और उसके बाद वो मेरी बहन के बड़े बड़े चूचों को जोरों से चूसने लगा. मेरी बहन की सिसकारियों की आवाज पूरे रूम में गूंज रही थी.

    उसके बाद सौरभ ने मेरी गर्म बहन की चूत पर अपना लन्ड लगा कर धक्का दिया. और उसका लन्ड बिना कोई दिक्कत के मेरी बहन की चिकनी चूत में घुस गया.
    मेरी चुदक्कड़ बहन उसका चेहरा देख कर मुस्कुरा रही थी और सौरभ लगातार झटके मार रहा था.

    सौरभ- इतने आराम से कैसे?
    बहन- तुम लोग के आने से पहले कोई और भी मेहनत कर के हल चला गया है इस खेत में!
    अभय- तो मैंने गलत क्या बोला था कॉल पर तुम्हें? रंडी।

    उसके बाद अंजलि ने सौरभ को कहा- रुको, अभय को नीचे आने दो!
    अभय नीचे लेट गया और अंजलि उसका लन्ड गांड में लेने का कोशिश करने लगी. पर लन्ड अंदर नहीं गया तो अभय मेरी बहन को झुका कर उसकी गांड चाटने लगा.

    उसके बाद अभय ने मेरी बहन की गांड में लंड डाला तो वो आसानी से घुस गया.

    और फिर अंजलि ने सौरभ को लन्ड चूत में घुसाने को कहा. सौरभ का लंड मेरी बहन की प्यासी चूत में एकदम चला गया. मेरी बहन अब अपने दोनों यारों का साथ दे रही थी!

    अंजलि- आह आआह … अभय तुझे आज अभी मैंने चूत दी भी नहीं और गांड चटवा ली न!

    उसके बाद मेरी बहन अपनी मनपसंद पोज़ सैंडविच में आई और अपनी चूत और गांड चुदवाने लगी। वो पूरी खिलाड़िन लग रही थी इस चुदाई के खेल की!
    मेरी बहन कभी खुद घूम जाती तो कभी उनको ऊपर नीचे करवाती।

    इसी तरह लगभग आधे घंटे तक चुदाई चलती रही। पूरे कमरे में मेरी बहन की वासना भारी आहें और फच फच की आवाज गूंज रही थी.

    हर पोजीशन में चुदाई हुई अंजलि की! और तीनों एक बार झड़ चुके थे. अभय तो 2 बार!

    फिर कुछ देर बाद दोबारा चुदाई का दौर शुरू हुआ. मेरी बहन की चुदाई पूरे चरम पर थी.
    मेरी बहन ने कहा- अब तुम दोनों एक साथ मेरी चूत में घुसाओ और अंदर गिराओ।
    दोनों ने वैसा ही किया।

    फिर सभी निढाल होकर नंगे ही एक दूसरे से लिपटे हुए बेड पर पड़े हुए थे।

    मेरी बहन की चिकनी चूत से मर्दाना रस बह रहा था. क्या मस्त लग रही थी मेरी बहन की चुदी हुई चूत! उसकी गांड का छेद भी बड़ा हो गया था, ये साफ पता चल रहा था.

    कोई एक बार मेरी बहन की चूत और गांड के छेद देख ले तो चोदे बिना रह ही नहीं सकता।

    तभी मेरी बहन अपनी चूत में उंगली करते हुए बोली- न जाने कितने और लन्ड खायेगी ये मेरी चूत। मजा आ रहा है इस जवानी का।



    अभय- तूने गैंगबैंग ट्राय किया है?
    अंजलि- ट्राय नहीं, गैंगबैंग करवा चुकी हूं 6 लोगों से।
    सौरभ और अभय एक साथ बोले- दर्द नहीं हुआ?
    अंजलि- दर्द सहने के बाद मज़े की बात ही कुछ और है। मुझे बड़े लन्ड से डर नहीं लगता, उनसे चुदने मे मज़ा आता है।

    सौरभ- नंबर दे दे अपना तू मुझे, दीवाना बना दिया तेरी फिगर ने मुझे!
    अंजलि- अब पूछा न सही चीज़ तुमने। वैसे मेरा साइज पता चला तुमको?
    सौरभ- 36-24-36
    बहन- नजर अच्छी है तुम्हारी, और हथियार भी।

    फिर दोनों दोस्तों ने मेरी बहन अंजलि को किस किया, उसकी चूचियों को दबाया. उसके बाद दोनों हमारे घर से चले गए.

    अंजलि भी दुबारा नहाने चली गयी. मैं भी चुके से घर से निकल गया और आधे घंटे बाद घर आया.

    अंजलि बहुत खुश दिख रही थी.

    मैं भी खुश था लाइव पोर्न देख कर को भी अपनी बहन का जो कि खुद किसी पोर्नस्टार से कम नही।

    आगे मैं बताऊंगा

    कि कैसे सौरभ मेरी बहन को अपने दोस्तों के साथ चोदने के लिए बुलाता है और मेरी बहन एक परेशानी में फंस जाती है।

    मेरी चालू बहन की चूत और गांड चुदाई की कहानी कैसी लगी?

  • मेरी मां और मौसी की वासना

    मैं अपनी विधवा मां और तलाकशुदा मौसी के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक छोटे गांव में रहता हूं। दोनों का बदन सेक्सी चोदने लायक है भरा हुआ. एक रात मैंने खेत वाले कमरे में देखा कि …



    दोस्तो, यह कहानी मेरे मां, मौसी और गाँव के एक आदमी की है। यह मेरी पहली कहानी है अगर कुछ गलतियां हो तो माफ़ करें।

    मेरा नाम है आयुष, उम्र 21 साल। मैं एक शुद्ध ब्राह्मण परिवार से हूं। मैं अपनी मां और मौसी के साथ एक बहुत ही छोटे गांव में रहता हूं। मेरे पिता का देहांत 12 साल पहले हो गया था।
    हम बहुत ही गरीब हैं लेकिन हमारे पास एक जमीन का टुकड़ा है तो हम अपना गुज़ारा उसी पर खेती करके करते हैं।

    Desi Indian Maa ki Gand
    Desi Indian Maa ki Gand
    मेरी मां नाम संगीता है. उनकी उम्र 40 साल, फूले हुए शरीर की मालकिन, 40″ की दूध से भरी हुई चूची और 44″ की कहर ढा देने वाली बाहर को निकली हुई सुडौल गान्ड … जिसे देख गांव में हर कोई अपना लौड़ा मसलता और मेरी माँ की चुदाई की फिराक में होता था।

    अब बारी मेरी मौसी की … उनका नाम अमिता उम्र 35 साल. मौसी भी अपनी बहन से कुछ कम ना थी. 36″ की टाईट चूची और 38″ की बल खाती मटकती हुई गान्ड।
    अमिता मौसी का तलाक हो गया था. तलाक होने के बाद मौसी हमारे साथ ही रहने लगी क्योंकि यहां माँ भी अकेली ही थी।



    हम तीनों दिन भर खेत में मेहनत करते और शाम को माँ और मौसी घर चली जाती खाना बनाने. और मैं रात तक वहीं कुएं पर नहाकर खेत पर बने छोटे से कमरे में रुकता।

    रात को 8 बजे मौसी आती और वो रात भर वहीं रुकती खेत की रखवाली करने।
    मैं और माँ घर पर सोते थे।

    हमारा खेत गांव से काफी दूर था. यहां आसपास कोई दूसरा खेत भी नहीं था इसी वजह से किसी को वहां रखवाली करने रुकना पड़ता।

    हम अपना खेत से निकला हुआ पूरा अनाज गांव के एक लेनदार, जो पूरा अनाज बाहर दूसरे शहर जाकर बेचता था, उसको बेच देते थे।
    उसका नाम था मुकेश वो एक ट्रक ड्राइवर था और वो ही पूरे गांव का अनाज ले जाता था। उसका एक भाई भी था मनीष जो गाँव के बाहर मांस की दूकान करता था।



    एक बार की बात है ठंडी का समय था. खेत की कुटिया में कोई कम्बल नहीं था तो माँ ने मुझे कम्बल लेकर भेजा कि जा मौसी को दे आ।
    जब मैं खेत के पास पहुंचा तो मुझे अजीब सी आवाजें सुनाई दी।

    तो मैं दबे पांव कुटिया के पास जाकर वहां दरवाजे के छेद से झाँका तो देखा कि मेरी मौसी पूरी नंगी पड़ी थी और मनीष जो करीब 50 साल के थे वो बड़ी बेरहमी से मौसी की चूत को चोद रहे थे।

    मनीष- आह अमिता … साली तुझे रोज चोद कर भी जी नहीं भरता. साली गांव की इतनी औरतें और लड़कियां चोदी मगर तेरे जैसी बात नहीं उनमें।
    अमिता- ऊऊह आह … मनीष जी आपके खातिर ही तो अपने हिजड़े पति से तलाक लेकर यहां आई हूं। मैं एक दिन भी आपसे चूदे बिना नहीं रह सकती हूं.
    मनीष- मेरी रण्डी, तो मैं कहाँ जा रहा हूं. रोज पूरी रात तो तुझे चोदता हूं साली छिनाल!

    अमिता मौसी- उह आह चोदो और तेज़ उम्म्ह… अहह… हय… याह… मालिक ऊह!
    मनीष- आह साली अमिता रण्डी … तुझे रोज चोदता हूं, तब भी रोज मज़ा आता है तुझे चोदने में। तो तेरी बहन को चोदेगा मेरा लौड़ा तो कितना मज़ा आएगा! क्या भरा हुआ एक गदराया माल है संगीता! गांव के सब लौड़े मरते हैं उस पर।

    अमिता- हाँ मनीष जी, साली रण्डी पर पूरा गांव फिदा है. और वो है कि 12 साल से चुदी नहीं है।
    मनीष- क्या सच अमिता? उस साली को चोदने में तो और मजा आएगा. साली की फुद्दी और बड़ी गान्ड में अपना 8 इंच का लौड़ा डालूँगा और रण्डी को रुला रुला कर अपनी रखैल बना लूंगा। अमिता कुछ कर … साली को मेरे लौड़े पर सुला कैसे भी करके! मेरा लौड़ा तड़प रहा है उसकी लेने के लिए।

    अमिता- मनीष जी, मैं कुछ करती हूं। वो कुछ ही दिनों में आपके नीचे होगी। अभी तो अच्छे से मेरी चूत की चुदाई कर दो।
    मनीष- हाँ रण्डी … तू अगर मुझे संगीता दिलाएगी तो तुझे मैं और एक मोटे लौड़े से चुदवाऊँगा रण्डी!



    और मनीष अपने 7 इंच के लौड़े से अमिता मौसी की चूत को बहुत बुरी तरह चोद रहा था. अमिता मौसी भी अपनी मोटी गान्ड उछाल उछाल के उसका लौड़ा ले रही थी।
    यह दख मुझसे रहा नहीं गया और मैंने मुठ मार ली और कम्बल वहीं छोड़ घर को आ गया.

    अगले दिन जब मां दोपहर का खाना बनाने घर गई तो मौसी ने मुझे मुझे पास बुलाया और बोली- आयुष, तू कल रात कम्बल लेकर आया था?
    मैं- हां मौसी, मैं ही आया था.
    मौसी- तो दिया क्यूं नहीं? बाहर छोड़ कर क्यूँ चला गया

    मैं- मौसी वो आप … मौसी वो आप।
    मौसी- बोल ना क्यूँ नहीं दिया?
    मैं- मौसी … वो आप अंदर जो कर रहे थे वो देख कर मैं वापस चला गया.

    मौसी- क्या देखा तूने?
    मैं- मौसी, सब कुछ जो आप मनीष जी के साथ कर री थी!
    मौसी- आयुष बेटा, यह बात तू किसी को मत बताना वरना हमारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी.

    मैं- तो फिर आप ऐसे क्यों करती हो? यह तो गलत है ना!
    मौसी- बेटा, शरीर की भी कुछ जरूरत होती है। तुझे तो पता है मेरे तलाक हुए 4 साल हो गये हैं। शरीर की गर्मी निकलने के लिए यह सब करना पड़ता है. और जब औरत 30+ हो जाती है तो उसके गर्मी और बढ़ जाती है और अगर वो नहीं निकली तो चर्बी चढ़ने लगती है।



    मैं- तो पापा को गए हुए तो 12 साल हो गए हैं. फिर माँ को नहीं है इसकी जरूरत? वो तो नहीं करती ऐसा!
    मौसी- बेटा, उसमें भी बहुत गर्मी है. रोज वो अपनी फुद्दी में खीरा गाजर डाल कर खुद को शांत करती है. मगर उसकी गर्मी शांत नहीं होती। उसे भी ऐसे तगड़े लौड़े की जरूरत है। पर वो ‘समाज क्या कहेगा’ इसकी चिंता में मन मार के रहती है। वो खुद ऐसे मोटे बड़े लौड़े लेना चाहती है.

    मैं- यह तुम अपने मन से बोल रही हो. मेरी माँ ऐसी नहीं है!
    मौसी- तुझे विश्वास नहीं ना … तो आज शाम को जब हम घर जाएंगे. तब थोड़ी देर बाद घर आकर खुद सुन लेना अपनी माँ से!

    मैं शाम होने का इंतज़ार करने लगा।



    जब शाम को माँ और मौसी घर चली गई, तब फिर मैं घर को गया और पीछे के खिड़की से अंदर घुस गया।

    मुझे यह तो पता था कि खेत से घर जाकर माँ और मौसी एक दूसरी की मालिश करती हैं पर देखा नहीं था।

    मेरी मां पूरी नंगी नीचे लेटी थी और मौसी भी पूरी नंगी उस पर तेल लगा रही थी।
    मां को ऐसे पूरी नंगी देख मेरा तो बुरा हाल हो गया था.

    मौसी मां की मोटी 40 इंच की चूची पर तेल लगा कर उन्हें मसल रही थी. और माँ के बड़े बड़े एक इंच के निप्पल को अपनी उंगली से खींच रही थी।
    मां भी बड़ी उत्तेजित होकर उह आह इस्सस आह … ऐसे आवाज निकल रही थी।

    फिर मौसी ने माँ की गान्ड पर ढेर सारा तेल डाला और 44 इंच के मोटे मोटे कूल्हों को मसलने लगी. और मौसी मेरी माँ की गान्ड के छेद पर भी तेल लगा रही थी. वो दो उंगली तेल में भर कर अंदर करती थी।

    मां- साली गान्ड में उंगली करने लगी वापस?
    मौसी- दीदी, तुम्हारी गान्ड का छेद कितना टाइट है.
    मां- हां अमिता, सुबह को साफ़ होने भी दिक्कत होती है। बड़ा दुखता है.



    मौसी- दीदी, मैंने तो कितने बार कहा है कि आपकी गर्मी सिर्फ एक मर्द का लौड़ा ही ठण्डी कर सकता है. और उसी लौड़े से आपकी गान्ड का भी हल निकलेगा. एक बार लौड़ा गान्ड में गया तो फिर आपकी गान्ड पूरी खुल जाएगी।
    मां- अमिता, मन तो बहुत है अपनी फुद्दी में लौड़े लेने का, अपनी गान्ड मरवाने का! पर अगर गांव में किसी को पता चला तो हमारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी.

    मौसी- दीदी, मैं कितनी बार बोल चुकी हूं कि तुम उसकी चिंता मत करो. मनीष है … वो गांव वालों को पता नहीं चलने देंगे और यह बात मनीष जी तक ही रहेगी।

    मां- वो मांस बेचने वाले की लुल्ली लूंगी मैं अपनी शुद्ध फुद्दी में … पागल है तू?
    मौसी- दीदी, लुल्ली नहीं, लौड़ा बोलते हैं उसे! एक बार देखेगी ना तब पता चलेगा। और वैसे भी तेरे इस भरे हुए शरीर को सिर्फ एक बड़ा लौड़ा ही झेल सकता है. किसी ऐसे गैरे लंड में इतना दम कहाँ और इतना बड़ा कहाँ जो तेरी 44 इंच की गान्ड मार सके। मनीष जी के आठ इंच के लौड़े से जब तेरी फुद्दी और गान्ड की चुदाई होगी, जब जाकर मेरी जान तुम्हारी गर्मी शांत होगी.

    मां- क्या? आठ इंच का लौड़ा! तू कैसे ले लेती है रण्डी साली इतना बड़ा लौड़ा।
    मौसी- दीदी, शुरुआत में दर्द होगा पर फिर बाद में मज़े ही मज़े हैं.

    मां- पर तेरे जीजा का तो चार इंच का भी नहीं था. और अब 12 साल हो चुके मेरी फुद्दी की चुदाई हुए! अब तो मेरी फुद्दी पूरी जवान लड़की जैसी हो गई है।
    मौसी- ओह दीदी, फिर मनीष जी के चोदने से पहले तेरी फुद्दी को खोलना होगा. मैं मनीष जी से बात करती हूं. चल अभी तो फिलहाल की गर्मी शांत कर ले।

    और फिर माँ ने तेल मौसी के शरीर पर गिराया और दोनों अपना सुडौल शरीर एक दूसरे पर रगड़ने लगी और 69 अवस्था में आकर एक दूसरी की फुद्दी को शांत करने लगी. फिर एक दूसरी की फुद्दी को फुद्दी से रगड़ रगड़ कर चोदने लगी और चूची मसलने लगी.

    मैं भी अपना लौड़ा निकल कर मुठ मारने लगा. माँ और मौसी के नंगे बदन से मैं सिर्फ 5 फीट की दूरी पर ही था. लेकिन मां मुझे नहीं देख सकती थी पर मौसी मुझे पूरे गौर से देख रही थी और बड़ी गौर से देख रही थी.



    मौसी मेरी मां के होंठ चूसते हुए मन की चूत पर अपनी चूत रगड़ रही थी।

    मुझसे रहा नहीं गया और मेरा पूरा माल मौसी के पैरों पर जा गिरा और वो दोनों भी झड़ के शांत हुई और एक दूसरी से चिपक गई।
    आगे जब कुछ और घटित होगा तो वो भी आपके सामने लेकर आऊंगा.

    दोस्तो यह सेक्सी कहानी कैसी लगी आपको? मुझे ज़रूर बताएं और अपनी कीमती राय दें।

  • ट्रेन में मिली अनजान भाभी की चुत चुदाई

    मैं ट्रेन के स्लीपर कोच में था पर बहुत सारे बिना रिजर्वेशन वाले लोग मेरे डिब्बे में थे. मैंने एक भाभी को अपनी बर्थ पर जगह दी. उसके बाद मैंने भाभी की जवानी का मजा लिया.

    सभी दोस्तो और उनकी सहेलियों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम हैप्पी शर्मा है. मैं बिहार का हूँ मगर फिलहाल हरियाणा के सोनीपत में रहता हूं. मेरी 2 महीने पहले की मार्केटिंग जॉब लगी थी.



    यह बात अभी एक हफ्ते पहले की है, जब मैं दिल्ली से अपने गांव सोनपुर जा रहा था. मैं वैसे तो कुछ नहीं करता, लेकिन नॉलेज सबकी रखता हूं.

    मैं ट्रेन से जाने की तैयारी कर रहा था. आम्रपाली ट्रेन में ऊपर की बर्थ की स्लीपर कोच की मेरी टिकट कंफर्म थी. मैं ठीक टाइम पर स्टेशन पहुंच गया. मेरे पास एक बैग और ओढ़ने बिछाने के लिए चादर थी.

    ट्रेन अपने टाइम से आई और चल दी. दस ही मिनट के अन्दर ट्रेन में इतनी भीड़ हो गयी जैसे और सारी ट्रेनें कैंसल हो गयी हों.

    मेरी रिजर्व बर्थ होने के बावजूद मुझे अपनी बर्थ तक पहुंच पाने का अवसर बड़ी मुश्किल में मिल सका. भीड़ हद से ज्यादा थी इसलिए मुझे नीचे सीट पर बैठने का मौका नहीं मिला. मैं ऊपर की बर्थ पर चला गया.

    ट्रेन दस मिनट देरी से चली. गाज़ियाबाद के करीब ट्रेन पहुंची तो बारिश होना शुरू हो गयी. इससे गाज़ियाबाद से आने वाले लोगों की भीड़ और बढ़ गयी.

    कुछ टाइम बाद जब टीटी आया, तो सबने टिकट चैक कराए. जो बिना रिजर्व टिकट के थे, उनकी टीटी ने जेब काटी.

    जब टीटी था, उसी समय मैं ऊपर की बर्थ से नीचे उतर आया. मुझे सुसु लगी थी. जब मैं बाथरूम से वापस आया, तो मेरी ऊपर वाली सीट पर एक भाभी आकर बैठ गई थीं. भाभी बड़ी मस्त दिख रही थीं. नीचे भीड़ भी ज्यादा थी, तो मैं भी ऊपर अपनी बर्थ पर जाने लगा.

    वो बोलीं- ये आपकी सीट है?
    मैंने हां में उत्तर दिया. इस पर वो बोलीं कि ठीक है, मैं थोड़ी देर में टीटी से अपने लिए सीट पक्की करवा लूंगी, अभी भीड़ ज्यादा है.
    इस पर मैंने कहा- कोई बात नहीं … आप बैठ सकती हो.

    मैं बर्थ पर आ गया और अपने फ़ोन में फेसबुक फ़्रेंड्स के साथ लूडो खेलने लगा. वो बार बार मेरी तरफ देख रही थीं.

    मैंने उनसे खेलने को पूछा, तो वो बोलीं- ओके.

    मैं और भाभी नार्मली लूडो खेलने लगे. कोई 4-5 मैच खेल कर हमने खाना खाने का प्लान किया और टिफिन निकाल कर खाना खाने लगे.

    मैंने उनसे उनका नाम जानना चाहा, तो मालूम हुआ कि भाभी का नाम मनीषा था. जब हम दोनों खेलने के साथ बात कर रहे, तभी उन्होंने अपने बारे में बताया था कि वो दिल्ली पेपर देने आई थीं. उनके पति की कोई हलवाई की शॉप है.



    खाना खाने के बाद हम बातें कर रहे थे. करीब 9 बजे के आस पास मैंने पूछा- टीटी आया नहीं … और भीड़ भी ज्यादा है … आप कैसे करोगी?
    वो कुछ नहीं बोलीं, बस मेरी तरफ असहाय सी देखने लगीं.
    मैंने कहा- ओके आप मेरी सीट पर ही रह जाओ. जब टीटी आएगा तब देख लेंगे.
    तो भाभी ने कहा- ठीक है.

    मुझे बिना चादर के नींद नहीं आती, तो मैंने चादर अपने ऊपर कर ली और आधे पैर सीधे करके बैठ गया. वो भी वैसे ही बैठ गईं.

    जब कम्पार्टमेंट की सारी लाइटें बन्द हो गईं … तो एकदम घुप्प अँधेरा हो गया. उस डिब्बे की नाईट लैम्प खराब थे. कोई भी नाईट लैम्प नहीं जल रहे थे.

    मैंने भाभी से पूछा कि आपको सोना है, तो आप सो सकती हो. उनका पैर मेरी तरफ था और मेरा पैर उसकी तरफ था.

    वो भी लेट गयी और मैं भी लेट गया. रात 11 बजे के करीब थोड़ी थोड़ी ठंड लगने लगी … तो उन्होंने मेरी चादर को अपने ऊपर कर लिया. मुझे ट्रेन में नींद नहीं आ रही थी, मैं उठा हुआ था.

    मैंने नोट किया कि भाभी का जिस्म मेरे बदन से टच हो रहा था. इससे मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था. मैंने भाभी की जांघों के नीचे से टांग बढ़ाते हुए उनकी गांड से नीचे पैर लगाने लगा.

    ट्रेन चलने के कारण और मेरा पैर उनकी गांड को छूने लगा. उन्होंने कुछ नहीं कहा. फिर जब भाभी ने अपने पैर सीधे किए और चादर को अपने ऊपर पूरा ढक लिया, तो मैं डर गया और हल्का सा खुद को सिकोड़ कर पीछे कर लिया.

    फिर भाभी के पैर से मेरा लंड छूने लगा. इस बार मैं उनके पैरों को अपने शरीर की हरकत से सहला रहा था.

    फिर अचानक से भाभी ने करवट बदल ली, अब मेरे पैर उनकी चुचों से लग रहे थे. उधर उनके पैर मेरे लंड को छूते हुए मेरी छाती से लग रहे थे.

    इससे मेरा लंड और भी खड़ा होने लगा था. ट्रेन के हिलने का फायदा लेकर मैंने एक हाथ उनकी गांड पर रख दिया, वो कुछ नहीं बोलीं.

    ट्रेन तेज चलने के कारण मेरा हाथ हिल रहा था और मैं उसी का फायदा लेते हुए उनकी गांड को सहला भी रहा था. कुछ टाइम बाद उनका हाथ मेरे हाथ के ऊपर आ गया, इससे मैं डर गया.



    मैं कुछ पल ऐसे ही पड़ा रहा … लेकिन मेरा लंड ट्रेन की गति के वाइब्रेशन से उनकी दोनों जांघों के बीच मस्ती ले रहा था.

    कुछ टाइम बाद उन्होंने मेरा हाथ दबाया और साथ ही अपने पैरों से मेरे लंड को दबाया. इससे मैं समझ गया कि भाभी गर्म हो गयी हैं.

    मैंने अपने हाथ से धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा. भाभी ने मेरा हाथ छोड़ दिया और मेरे पैर पर हाथ रख दिए.

    मैं इससे उत्साहित हुआ और धीरे से उनके शर्ट के नीचे हाथ करने लगा. भाभी ने भी मेरे पैरों को पकड़ रखा था. मैंने अपना हाथ सूट के ऊपर से ही उनकी चूत पर रखा, तो वो और नीचे हो गईं.

    Train Me Anjan Bhabhi Ki Chut Chudai
    Train Me Anjan Bhabhi Ki Chut Chudai
    अब मैं धीरे धीरे उनके पैरों को किस करने लगा और अपना हाथ ऊपर से ही चूत पर सहलाने लगा.

    इससे वो भी मेरे लंड की ओर हाथ बढ़ाने लगीं … तो मैंने उनके पजामे के अन्दर हाथ डाल दिया. मुझे ऐसा लगा कि मेरा हाथ किसी गर्म जगह पर चला गया. एक पल में ही मैं समझ गया कि मेरा हाथ उनकी चुत के ऊपर आ गया था. मैंने भाभी की चुत को ठीक से टटोला और चूत में उंगली करने लगा. भाभी भी मेरा लंड सहलाने लगीं.

    अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और अपने आपको ठीक करके बैठ गया. पहले मैंने नीचे झांक कर ट्रेन की भीड़ का जायजा लिया. सब लगभग सो रहे थे. मैंने उनको पैरों को हिला कर अपनी तरफ सिर करके लेटने का इशारा किया, वो कुछ पल इधर उधर देख कर मेरी तरफ आ गईं.

    मैंने अपनी चादर को ठीक से ओढ़ लिया और भाभी को भी चादर में ले लिया. हमारे सामने वाली बर्थ पर एक लड़की लेटी हुई थी. वो शायद 19-20 साल की थी. उसका चेहरा चादर के अन्दर था. हम दोनों ने उसे एक बार देखा और चिपक कर लेट गए.

    अब भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा दिया. मैंने एक बार मना किया और उतर कर नीचे चला गया. मैंने टॉयलेट में जाकर अंडरवियर उतार दिया और लोअर में आ गया. मैं फिर से सीट पर आ गया. इसके बाद भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया. मैं भी उनके मम्मों को दबाने लगा और किस करने लगा.

    चलती ट्रेन ने हमारा काम और भी आसान कर दिया था. मैंने उनकी पजामी को नीचे किया और चुत में उंगली डालने लगा. सच में यारों मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ.

    उसके बाद मैं 69 की पोजीशन लेते हुए नीचे की ओर हो गया … इससे मैं चादर के अन्दर ही उनकी चूत को चाटने लगा. वो भी मेरे लंड को मुँह में डाल रही थीं. कुछ टाइम बाद मैं भाभी के ही मुँह में झड़ गया. मेरा कुछ माल उनके मुँह में … और कुछ माल नीचे गिर गया.

    कुछ पल बाद भाभी भी झड़ गईं. लेकिन मैंने उनकी चुत का रस नहीं पिया. बस उंगली घुसा कर मजे लेने लगा.

    कुछ पल यूं ही रहने के बाद भाभी ने इशारा किया, तो मैं सीधा होकर भाभी से चिपक कर लेट गया. अब मैं चुत में उंगली करते करते उन्हें किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं. ट्रेन की कम्पन करती हुई गति हम दोनों को पूरा साथ दे रही थी.

    पांच मिनट बाद मेरा लंड खड़ा हो गया. मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे पैर ने या भाभी ने खुद ही अपनी पजामी पूरी उतार दी थी. ऊपर ब्रा भी खोल दी थी.



    मैंने पोजीशन बनाई और भाभी के ऊपर चढ़ कर अपना लंड भाभी की चूत में पेल दिया. भाभी ने अपनी टांगें फैलाते हुए मेरा लंड जज्ब कर लिया और मादक सिसकारियां लेने लगीं. लेकिन मैंने उनके होंठों को अपने मुँह में दबा रखा था … तो उनकी आवाजें बाहर नहीं निकल पा रही थीं.

    भाभी मेरे नीचे गरमगरम सांसें छोड़ते हुए मस्ती से लेटी हुई चुद रही थीं. मैं सिर्फ लंड घुसाए पड़ा था, बाकी का चुदाई का काम चलती ट्रेन ने किया.

    दस मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ गयी थीं. मैं लगा हुआ था. कुछ देर बाद मेरा लंड छूटने को हुआ.
    मैंने उनसे कान में कहा तो भाभी ने फुसफुसा कर कहा- अन्दर ही आ जाओ.

    मैं भाभी की चुत तेजी से लंड चलाते हुए झड़ गया. मेरे साथ ही भाभी ने भी अपनी गांड उठाते हुए चुत को झाड़ दिया. हम दोनों एक साथ ही झड़ गए थे.

    कुछ पल बाद भाभी ने अपने कपड़े पहने और उतर कर टॉयलेट में चली गईं. मैंने अपना लंड अपने लोअर में समेटा और भाभी का इन्तजार करने लगा.

    भाभी बाथरूम से तैयार हो कर आ गईं. अब रात के 3 बजे थे. तभी ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकी. मैंने देखा और उतर कर चाय ले आया. मैं भी पी और भाभी को भी पिलाई.

    ट्रेन चल दी और हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार थे. लेकिन इस बार मेरे दिमाग में कुछ अलग था.

    मैं अपने साथ हमेशा एक एनर्जी बढ़ाने वाला पाउडर रखता था, जो कि खाने में मीठा होता है. उसे मैंने अपने बैग से निकला. उसे मैंने खाया और कुछ भाभी को भी खिलाया.

    भाभी ने पूछा कि ये क्या है.
    मैंने कहा- स्पेशल पंजीरी है … प्रसाद में मिली थी.

    भाभी ने बड़ी श्रद्धा से पाउडर खा लिया.

    इसको खाने से किस करने में और भी मजा आता है. हम दोनों वापस लेट गए और एक ही चादर में लेटे हुए एक दूसरे को किस कर रहे थे. पाउडर ने काम दिखाना शुरू कर दिया था. मेरा लंड खड़ा हो गया था. भाभी उसे हिला रही थीं.

    अब मैंने उनसे घूमने को कहा, वो पलट कर घूम गईं. मेरे लंड के सामने उनके मोटे मोटे चूतड़ थे.

    मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और भाभी की गांड पर लगा दिया. एक हाथ से मैंने भाभी की एक टांग को उनके सीने की तरफ की और दूसरी अपने टांग के नीचे दबा ली. लंड ने भाभी की गांड के छेद को खोज लिया था.

    तभी ट्रेन ने एक झटका लिया और मैंने मौके का फायदा उठा कर लंड अन्दर पेल दिया. इससे भाभी को बहुत दर्द हुआ. वो उछल कर आगे को हो गईं और बैठ गईं. वो मेरी तरफ गुर्रा कर देखने लगीं, तो मैंने उनकी चुची को पकड़ कर मसल दिया और सोने को कहा.

    वो लेट गईं, लेकिन गांड में लंड नहीं डालने का इशारा करके लेट गईं. मैंने उन्हें प्यार से फिर से गर्म किया. भाभी के मम्मों को दबाकर और चुत में उंगली करके उसे कामुकता के शिखर पर ला दिया. अब मैंने भाभी से गांड मरवाने को कहा, वो गरम हो गई थीं, तो ये कहते हुए लेट गईं कि धीरे करना.



    मैं धीरे धीरे करके अपना लंड भाभी की गांड में डालने लगा और मम्मों दबाने लगा. कुछ पल के दर्द के बाद उन्हें भी मजा आने लगा. हल्का दर्द भी हो रहा था. तब भी हम दोनों धीरे धीरे ऐसे ही गांड चुदाई करते रहे.

    कुछ देर बाद मैंने भाभी की गांड से लंड खींचा और उनको सीधा लिटा कर अपने सामने कर लिया. भाभी ने अपनी एक टांग उठा कर मेरे ऊपर की और मैंने उनकी चूत में लंड पेल दिया. लंड पेल कर मैं भाभी को किस करने लगा. वो भी मजे से आगे पीछे होकर चुत चुदवा रही थी.

    इस तरह से हम दोनों ने 3 बार चुदाई का खेल खेला और सो गए. अगली सुबह उठे तो ट्रेन में भीड़ उतनी ही थी. जब ट्रेन गोरखपुर पहुंची, तो भीड़ कम हुई और हम नीचे सीट पर आ कर बैठ गए.

    मैंने एक हाथ पजामे के ऊपर से उनकी चुत पर रख हुआ था. भाभी की चुत को सहला रहा था, मेरे हाथ के ऊपर उनका बैग था, तो किसी को पता नहीं चल रहा था. फिर मैंने देखा कि ट्रेन छपरा से सोनपुर के 3 घंटे के सफर में 7 ट्रेन थीं तो मैंने भाभी से पूछा कि अगर आप चाहें तो हम इधर उतर कर किसी होटल या रूम में एक घंटे चुदाई का मजे कर सकते हैं.

    भाभी ने कुछ पल सोचा, फिर बोलीं- आपको तो आगे जाना है.

    मैं बोला कि आगे एक स्टेशन जाने की 6-7 ट्रेन हैं … मैं उनमें से किसी भी ट्रेन से चला जाऊंगा.

    वो बोलीं कि मैं अपने पति को क्या बोलूंगी?
    मैंने कहा- बोल देना कि बस या कोई ट्रेन में जगह ही नहीं मिली. भीड़ के कारण आज आना नहीं हो पा रहा है. आज यही रुक जाना सुबह चली जाना.

    इस पर वो मान गईं.

    मैंने ट्रेन से उतर कर बाहर आकर एक होटल में एक रूम ले लिया. हम दोनों होटल के कमरे में घुसते ही किस करने लगे.

    मैंने कहा- भाभी, हम पहले फ्रेश हो जाते हैं फिर मजा लेंगे.

    पहले मैंने भाभी से एक साथ ही नहाने का कहा, मगर वो मना करने लगीं कि बाथरूम छोटा है. एक एक करके आराम से नहा लेना.

    वो वाशरूम चली गईं, तो मैंने वहीं एक दूसरे कमरे में नहाने के लिए मैनेजर से कहा. उसने हां कह दिया. मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं था. जब मैं नहा कर जब रूम में गया, तो भाभी भी नहा कर बाहर आ गई थीं. उन्होंने अब साड़ी पहन ली थी. मैं कैप्री और बनियान में था.

    फिर मैंने अपना मुँह उसकी तरफ कर दिया और भाभी को किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मैंने अपने हाथ से उनका ब्लाउज खोल दिया और मम्मों को दबाने लगा. वो गर्म सिसकारियां लेने लगीं. हम दोनों बेड पर लेट गए. और किस करते करते अपने कपड़े भी उतार दिए.



    वो सिर्फ पैंटी में थीं. काले रंग की पैंटी में भाभी क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं. मैं उन्हें नीचे लेटा कर उनके सारे बदन को पागलों की तरह चूमने लगा और उनकी पेंटी निकाल दी.

    उनकी चुत पर छोटे छोटे से रेशम से बाल थे. ऐसा लग रहा था, जैसे 3-4 दिन पहले ही झांटों को साफ़ किया हो.

    मैंने 69 की पोजिशन ली और उनकी चुत पर जीभ लगा कर चुत चाटने लगा. उन्हें भी चुत चटवाने में मजा आ रहा था. वो पूरी तरह से गर्म हो गयी थीं.

    तभी उनका पूरा शरीर अकड़ गया और वो झड़ गईं.

    फिर हम दोनों सीधे होकर लिप किस करने लगे. उसके बाद भाभी फिर से 69 में हो गईं और वो मेरे लंड को चूसने लगीं.

    कुछ टाइम बाद वो सीधी लेट गईं और लंड पेलने का इशारा करने लगीं. मैंने उनकी टांगें चौड़ी कीं और अपना पूरा लंड चुत में पेल दिया. वो सिसकारियां भर रही थीं और मुझे किस कर रही थीं. दस मिनट की चुदाई के बाद हम झड़ गए और किस करते हुए लेटे रहे.

    दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने उन्हें अब पीछे गांड में लंड लेने को कहा, तो वो मना करने लगीं. मेरे समझाने पर वो मान गईं.

    मैंने थूक लगा कर लंड को उनकी गांड में पेला और गांड मारने लगा. उसे इस बार कम दर्द हो रहा था. मैं एक बार में लंड पेल कर रुक गया.

    कुछ पल बाद वो खुद आगे पीछे होने लगीं. तो मैंने झटके मार मार कर भाभी की गांड चुदाई की.

    अब हम दोनों कपड़े पहन कर जाने के लिए तैयार हो गए.



    भाभी ने जाते जाते मेरा फोन नम्बर ले लिया. भाभी उसी रूम में रुक कर दूसरे दिन अपने गांव जाने वाली थीं.

    दोस्तो, ये मेरी सच्ची और पहली सेक्स कहानी थी. आपको कैसी लगी, जरूर बताएं. धन्यवाद.