Month: March 2020

  • पडोसी के लुगाई की ठुकाई

    दोस्तो, आज यह कहानी मेरे पडोस की भाभी की है जो मुझसे प्रकाशित करवाना चाहती उन्ही की जुबानी. आप सभी को मेरा नमस्कार, मेरा नाम सुनीता है. मैं थोड़ी प्यासी औरत हूँ. वैसे मेरे पति तो मुझे चोदते ही हैं लेकिन मुझे और ज्यादा चुदवाने का मन करता है. मेरा अन्दर बहुत सेक्स है. मेरे पति जब भी मुझे चोदते हैं तो वो जल्दी झड़ जाते हैं जबकि मैं और सेक्स के लिए तड़पती रहती हूँ.

    मेरी सेक्स की तड़प ने ही मुझे अपनी चूत में उंगली करने के लिए मजबूर कर दिया और मैं अपनी चूत में उंगली करके अपनी चूत को शांत करती हूँ. मेरा मन जब नहीं लगता है तो कभी कभी अन्तर्वासना सेक्स कहानियां पढ़ती हूँ जिससे मुझे बहुत अच्छा लगता है.

    मैं आप अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रही हूँ जो मेरे और मेरे देवर की है. जब पति से चुदकर मेरी चूत को शांति नहीं मिली तो मैं अपने देवर से अपनी चूत शांत करवाने लगी. वो भी क्या दिन थे जब मैं अविवाहिता थी तो मुझे बहुत लंड मिलते थे चुदवाने के लिए … लेकिन ससुराल में तो डर लगता है. किसी का लंड अपनी चूत में लेने से! अगर मेरे ससुराल वालों को पता चल गया तो कितनी बदनामी होगी. वैसे मैं मौका देख कर किसी न किसी को पटा लेती हूँ और उससे चुदवा लेती हूँ. ज्यादातर लोग तो मुझे ही पटाते हैं मुझे चोदने के लिए. और मैं भी अपने जिस्म का बहुत ध्यान रखती हूँ.

    मेरे पति थोड़ा पैसा भी कम कमाते हैं और मेरा देवर मेरे पति से ज्यादा पैसा कमाता है. वैसे मुझे यह पता था कि मेरा देवर मुझे शुरू से ही पसंद करता था क्योंकि वो हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ बाजार से लाता रहता था, मुझे त्योहार पर उपहार भी देता था. मैं अपने देवर को कभी गलत नजरिये से नहीं देखती थी. मैं भी अपने देवर को बहुत मानती थी. मेरे पति मुझे अच्छे से नहीं चोद पाते थे या मैं ही थोड़ा ज्यादा चुदासी थी कि मुझे अपने पति के लंड के अलावा भी दूसरे के लंड से चुदवाने का मन करता था.

    मैं अपने देवर से पहले से ज्यादा बातें करने लगी. मैं जब भी अपने देवर को सुबह में चाय देने जाती थी तो उनका खड़ा लंड देखती थी.

    एक दिन देवर ने मुझे उनका खड़ा लंड देखते हुए देख लिया और बोले- भाभी क्या हुआ, आपको कुछ चाहिए?

    मेरे देवर अपने लंड की तरफ देख कर मुझसे बातें कर रहे थे. मेरे देवर ने पहली बार मुझसे डबल मीनिंग में बात की थी.

    अब तो उसी दिन से हम दोनों लोग गंदे गंदे मजाक करने लगे. अब तो मेरे पति जब जॉब करने जाते थे तो मैं घर का सारा काम करके अपने रूम में आराम से सोती थी. दोपहर में मेरा यही काम था कि मैं दोपहर में सोती थी.

    एक दिन मैं दोपहर में अपने रूम में सो रही थी. उस दिन मेरे देवर अपने जॉब पर नहीं गए थे. मैं सोते समय अपनी साड़ी खोल एक ब्लाउज और पेटीकोट में सोती हूँ. इससे मुझे सोने में आराम रहता है और नींद भी अच्छी आती है. मैं रात को भी ब्लाउज और पेटीकोट में ही सोती हूँ.

    मैं अपने रूम में दोपहर को सो रही थी और मेरी पेटीकोट मेरे जांघों तक आ गयी थी. मेरी पेंटी दिख रही थी और मैं सो रही थी. मेरा देवर मेरे कमर में आकर मेरी पेंटी को देख रहे थे. मैं जब थोड़ा नींद में उठी तो देखा कि मेरा देवर मेरी पेंटी को बहुत ध्यान से देख रहा है.

    मैंने अपने देवर की तरफ देखा तो मेरा देवर मुझे देख कर मुस्कुराने लगा और बोलने लगा- भाभी, आप सोते समय बहुत सेक्सी लगती हो. आप कभी मेरे साथ भी सो लिया करिए.

    मैं अपने देवर की डबल मीनिंग बात समझ गयी. मैं समझ गयी कि मेरा देवर भी मुझे चोदना चाहता है. मेरी उभरे हुए चुचे और बड़ी गांड जो थोड़ी सी उभरी हुई है.

    मेरा देवर मेरे जिस्म को देख कर दीवाना हो गया. मेरा देवर मेरे जिस्म की तारीफ करने लगा- भाभी आप बहुत सुन्दर हो. भईया तो आपको खूब रात में प्यार करते होंगे. मैं यह बात सुनकर थोड़ा उदास हो गयी क्योंकि मुझे अपने पति से चुदाई का सुख नहीं मिल पाता था जैसा मैं चाहती थी. वैसा मेरा पति मुझे नहीं चोदता था.

    मेरे देवर मेरे पास आया और बोला- भाभी क्या बात है. आप मुझे बताओ मैं हूँ न आपकी सहायता करने के लिए!

    मैंने अपने देवर को बताया- मेरे पति को अब ज्यादा मुझमे रूचि नहीं है. मेरे पति अब मुझसे ज्यादा प्यार नहीं करते हैं जैसा वो पहले करते थे.

    मेरा देवर यह बात सुनकर बोला- भाभी मैं हूँ ना आपका देवर … मैं आपसे प्यार करूँगा. मैं और मेरा देवर हम दोनों लोग एक दूसरे से नज़रें मिलाकर बात कर रहे थे. मेरा देवर मुझे देख कर थोड़ा हवस भरी नजरों से मुझसे बातें कर रहा था. मेरे सास और ससुर दोनों लोग बाहर गए हुए थे.

    मेरा देवर मुझसे बातें करते करते मुझे किस करने लगा. मैं भी अपने देवर के बालों में अपना हाथ फिराने लगी और हम दोनों लोग एक दूसरे को किस करने लगे. हम दोनों लोग एक दूसरे को बहुत अच्छे से किस कर रहे थे और मेरा देवर मेरे होंठों को चूस रहा था. मेरा देवर मुझे किस करते करते मेरी चूची को मेरे ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा.

    मैं भी अब चुदासी हो गयी थी और मेरे अन्दर की सेक्स की बहार आ गयी थी. मेरे देवर ने मेरी ब्लाउज निकाल दी और उसके बाद वो मेरे ब्रा को भी निकाल कर मेरी बड़ी बड़ी चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. मेरे पति तो मेरी चूची को ठीक से चूसते भी नहीं थे.

    मेरे देवर ने मेरी दोनों चूची को बहुत देर तक चूसा और उसके बाद वो मेरी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, मेरी पेटीकोट को निकाल दिया और मैं उसके सामने बस एक पेंटी में थी. मेरा देवर भी अपने कपड़े निकालने लगा और वो भी कुछ देर के बाद नंगा हो गया.

    देवर ने मेरी पेंटी को निकाल कर मुझे एकदम नंगी कर दिया और मुझसे बोलने लगा- भाभी, मैं आपको बहुत पहले से पसंद करता था लेकिन आपके साथ ये सब करने की हिम्मत नहीं होती थी. मैं आपको बहुत पहले ही चोदना चाहता था. मेरा भाई बहुत किस्मत वाला कि उसको आप जैसे खूबसूरत बीवी मिली है.

    मेरा देवर मेरी चूत को सूंघने लगा लगा और मेरी चूत को सूंघने के बाद वो मेरी पेंटी को भी सूंघने लगा. मेरा देवर मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा. वो मेरी चूत की दरार को बहुत देर तक अपनी जीभ से चाटता रहा और उसके बाद वो मेरी चूत को खोलकर मेरी चूत को अन्दर तक चाट रहा था. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी, मेरा देवर मेरी चूत के पानी को पी रहा था और मेरी चूत को चाट रहा था.

    मेरे देवर ने मेरी चूत को बहुत देर तक चाटा जिससे मेरे अन्दर की सेक्स की आग बाहर निकल गयी और मुझे अपने देवर से चुदवाने का मन करने लगा. मैं अपने देवर को बोलने लगी- आप मेरी चूत कब तक चाटोगे? मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोदो! प्लीज मुझे अब मत तड़पाओ. मेरा देवर मेरी चूत को चाट रहा था और मेरी चूत से अब थोड़ा ज्यादा पानी निकलने लगा और मैं एक बार झड़ गयी.

    मेरा देवर मेरी चूत चाटने के बाद अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा. मेरी चूत के पानी से मेरे देवर का लंड भी भीग गया था और उसके बाद मेरे देवर ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. मेरे देवर का लंड मेरी चूत में जाते ही मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मेरी प्यासी चूत को लंड मिल गया था और हम दोनों लोग सेक्स करने लगे. मेरा देवर मेरी गर्दन पर किस कर रहा था और मेरे गर्दन को चाट रहा था. मेरी देवर मुझे चोदते चोदते मेरी चूची चूस रहा था.

    हम दोनों लोगों का कामुक जिस्म एक दूसरे से मिल रहा था. मैं क्या बताऊँ कि मुझे अपने देवर से चुदवाने में कितना मजा आ रहा था. वो भी बहुत जोश से मुझे चोद रहा था. मैं उसके नीचे थी वो मेरे ऊपर था और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था.

    चुदाई से हम दोनों की आवाज भी निकल रही थी. जब उसका लंड मेरी चूत में जा रहा था तो चट चट की आवाज आ रही थी. हम दोनों की चुदाई से पूरे कमरे में गर्मी हो गई थी.

    अचानक मेरे देवर ने मुझे चोदते चोदते अपना लंड बाहर निकल दिया और अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया और मैं अपने देवर के लंड को चूसने लगी. मैं अपने मुलायम होंठों से अपने देवर का लंड चूस रही थी और वो मुझे अपना लंड चुसवा रहा था और अपनी आँखें बंद करके लंड चुसवाने का मजा ले रहा था.

    कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मेरे देवर ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगा. हम दोनों चुदाई कर रहे थे और हम दोनों के पसीने से बिस्तर भी भीग गया था. साथ में बिस्तर भी गर्म हो गया था. इस बार मेरा देवर मुझे बहुत ताकत के साथ चोद रहा था. वो अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल रहा था और बाहर निकाल रहा था.
    हम दोनों लोग सेक्स करते करते थोड़ा थक गए लेकिन हम दोनों की सेक्स करने की आग और बढ़ती जा रही थी. हम दोनों चुदाई करते करते एक दूसरे के होंठों को भी कभी कभी चूस रहे थे. मेरा देवर मुझे चोद रहा था और मैं कामवासना भरी आवाजें निकाल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

    हम दोनों देवर भाभी एक दूसरे को जोर से पकड़ कर चुदाई कर रहे थे. मेरा देवर मुझे जोर जोर से चोदने लगा और मैं अपनी गांड उछाल उछाल कर अपने देवर से चुदवाने लगी. हम दोनों लोग चुदाई करते करते चरम सीमा पर पहुँच गए और हम दोनों चुदाई करते करते झड़ गए. हम दोनों का पानी निकल गया और हम बिस्तर पर थक कर सो गए.

    हम दोनों की कब नींद लग गयी, हमें पता भी नहीं चला.

    अब हम दोनों लोग शाम को सो कर उठे, चुदाई करने के बाद मैं बहुत फ्रेश महसूस कर रही थी. मैं जल्दी से अपनी साड़ी पहनने लगी क्योंकि अब मेरे सास ससुर का आने का समय हो गया था. मेरे सास ससुर खेत में काम करने जाते हैं और शाम को घर आते हैं. मैंने और मेरे देवर ने एक दूसरे को किस किया और उसके बाद अपने अपनी साड़ी पहन कर घर का काम करने लगी.

    उस दिन के बाद से तो मैं और मेरा देवर हम दोनों का जब भी चुदाई करने के मन करता था और जब भी हम दोनों घर में अकेले रहते थे तो चुदाई करते थे. मेरा देवर कभी कभी रात में मुझे बाहर बुलाकर मेरी चूची चूसता था और मेरी चूत में उंगली करता था.

    मेरी चूत तो हमेशा लंड लेने के लिए तैयार रहती है और जब हम दोनों को चुदाई करने के मौका नहीं मिलता था तो हम दोनों लोग रात छत पर जाकर चुदाई करते थे. मेरा देवर मुझे छत पर ले जाता था और मुझे छत पर चोदता था.

  • पति पत्नी और औलाद का सुख

    मेरा नाम कोमल है और मेरी उम्र 30 साल है। मैं एक कंपनी में बहुत अच्छी नौकरी करती हूँ। मेरे पिता कुछ समय पहले तक इसी कंपनी में महाप्रबंधक थे जिसकी वजह से मुझे नौकरी ढूंढने में कोई परेशानी नहीं हुई।
    अब वो सेवा निवृत्‍त हो चुके हैं। मगर उनकी वजह से मुझे कभी कोई परेशानी नहीं हुई।

    जब मैंने आफिस ज्‍वाइन ही किया था, तभी धीरज नाम का एक और लड़का भी इसी आफिस में मेरी तरह ही नया नया लगा था। उससे मेरी कुछ बातचीत होने लगी। उसको मैंने नहीं बताया था कि मेरे पापा इसी कम्पनी में महाप्रबंधक हैं। धीरे धीरे हमारी दोस्ती बढ़ने लगी। वो मुझसे दो साल बड़ा था. उसके माता पिता किसी दूसरे शहर में रहते थे और वो यहाँ पर नौकरी करने के लिए ही आया था और हमारे शहर में एक किराये का मकान लेकर रहता था। हम दोस्त ज़रूर बने मगर हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं था जिससे कोई कुछ कह सकता। हमारा मिलना जुलना और लंच भी बस आफिस तक ही था। और हम लंच भी एक साथ ही किया करते थे.

    धीरज एक मिडिल क्‍लास परिवार से था, उसने मुझे बताया कि वो एक मिडल क्लास के परिवार से है और उसके कुछ रिश्तेदार तो बहुत ही ग़रीब हैं. उसकी बहन की शादी एक बहुत अच्छे परिवार में हुई थी जहाँ किसी किस्म की कोई दिक्कत नहीं थी मगर उसके जीजा को शादी के कुछ समय बाद व्यापार में बहुत ही नुकसान हो गया था जिसकी वजह से उनको अब गुज़ारा करना भी मुश्किल होता है. वो कभी कभी उनकी सहायता के लिए कुछ रुपये भेज देता है. उसके मुक़ाबले में मेरी माली हालत कहीं अच्छी थी.

    धीरज बहुत ही मेहनती था और कुछ ही समय में वो कंपनी में उच्‍च पद पर आ गया।
    अब क्योंकि मैं उससे रोज़ ही मिलती जुलती थी धीरे धीरे मैंने खुद को पाया कि मैं उसको चाहने लगी हूँ मगर मैंने कभी उससे जाहिर नहीं होने दिया क्योंकि मुझे नहीं पता था कि वो मेरे बारे में क्या सोचता है. अगर मैंने कुछ पहल दिखाई और उसने मना कर दिया तो मैं उससे फिर नज़र नहीं मिला पा सकूँगी.

    जब मेरे पापा सेवानिवृत्‍त हुए तब उसे पता लगा कि मैं उनकी बेटी हूँ।
    उसने तब मुझसे कहा कि मैंने उसे पहले क्यों नहीं बताया इस बारे में तो मैंने उससे कहा- मैं अपनी दोस्ती के बीच तुमसे यह नहीं बताना चाहती थी कि मेरा परिवार कौन सा है जिससे तुम यह ना समझो कि मैं अपनी पारिवारिक पृष्‍ठ भूमि तुमको जता रही हूँ. मैंने उसको अहसास दिलाया कि मेरे लिये हमारी दोस्‍ती ज्‍यादा मायने रखती है।

    कुछ दिन बाद उसने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हारी शादी अभी तक कहीं पक्की नहीं की?
    मैंने कहा- मेरे पिता तो बहुत जल्दी कर रहे हैं मगर मैं ही नहीं मानती.
    उसने पूछा- क्यों क्या हुआ?
    मैंने कहा- मुझे एक लड़के से प्यार हो चुका है.
    “तब क्यों नहीं अपने पिता से कहकर उससे शादी पक्की कर लेती हो.”

    मैंने कहा- मुझे नहीं पता कि वो लड़का मेरे बारे में क्या सोचता है.
    उसने कहा- महामूर्ख होगा जो तुम जैसी को ना करेगा.
    मैंने कहा- मैं क्या कर सकती हूँ … मैं उससे पूछ कर अपनी दोस्ती ख़त्म नहीं करना चाहती. अगर उसके दिल में कोई और लड़की हुई तो?
    उसने मुझसे कहा- तुम मुझे उसका नाम बताओ, मैं उससे बात करने की कोशिश करता हूँ.
    मैंने कहा- अगर काम बनता हुआ तो भी नहीं बनेगा, वो यह सोचेगा कि तुम मेरे बहुत नज़दीक हो और वो बिदक जाएगा.
    यह सुनकर उसने कहा- बात तो तुम सही कह रही हो.

    फिर वो बोला- मेरी भी किस्मत देखो, जिसे मैं चाहता हूँ वो किसी और को चाहती है.
    मैंने पूछा- कौन है वो खुश नसीब जिसे तुम चाहते हो?
    वो बोला- छोड़ो … अब बताना भी ठीक नहीं होगा.
    मैंने कहा- क्यों, मैं क्या किसी को बताने जा रही हूँ?
    उसने कहा- नहीं, मैं अब कुछ नहीं बता सकता.
    मैंने कहा- तुम्हें उसकी कसम होगी, जिसको तुम सब से ज़्यादा प्यार करते हो … अगर नहीं बताओगे तो.
    उसने कहा- ठीक है, मैं आज नहीं बता सकता क्योंकि आज मेरे दिल बहुत उचाट हो गया है मगर कल बता दूँगा.

    अगले दिन वो आफिस में नहीं आया मगर मेरी टेबल पर एक लिफ़ाफ़ा पड़ा था जिस पर मेरा नाम लिखा था। उसे खोलकर देखा तो उसमें बस दो लाइन ही लिखी हुई थी- कोमल जी, मैं आपको चाहता था मगर जब मुझे पता लगा कि आप किसी और की होने वाली हैं तो मैं कैसे आपको बताता। क्योंकि आपने मुझे यह पूछा है, सिर्फ इसलिये मुझे यह सब मजबूरी में लिखना पड़ रहा है क्योंकि आपने मुझे कसम दे कर यह पूछा है।
    पढ़कर मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा, मैंने उसी समय उसको फोन किया और बोली- इतने दिन तक क्यों तरसाया मुझे? आपको नहीं पता मैंने अपने माता पिता को कितनी बार शादी से इन्कार किया तुम्हारी खातिर! मुझसे कई बार उन्होंने पूछा था कि अगर कोई लड़का है तुम्हारी नज़र में तो बता दो, हम बिना झिझक तुम्हारी शादी वहीं कर देंगे.
    उसने कहा- मैं डरता था कि कहीं तुम्हारे घर वाले मुझे अपने परिवार का हिस्सा ना बनाना चाहें।
    मैंने उसे रोते हुए कहा- बहुत तरसाया है तुमने मुझे. क्या यही समझा था तुमने मुझे आज तक?

    अगले दिन जब वो ऑफिस में आया तो मैंने उससे कहा- मुझे नहीं करनी कोई भी बात, तुमने मुझे बहुत रुलाया है.
    उसने कहा- मेरी अपनी मजबूरी थी, मैं भी तुम्हें नहीं खोना चाहता था, अगर तुम्हारी तरफ से हाँ ना होती तो!
    खैर गिले शिकवे होने के बाद मैंने उससे कहा- ऑफिस के बाद किसी जगह बैठकर खुलकर बात करेंगे.

    ऑफिस के बाद हम किसी रेस्टोरेंट में चले गये और वहाँ बैठकर मैंने उससे पूछा- तुम्हारे घर वाले मुझे दिल से अपना मानेंगे ना?
    उसने कहा- इस बात की तुम चिंता ना करो, बस अपने घर वालों को यही बात मेरे बारे में पूछो.
    उससे मैंने कहा- तुम अभी चलो मेरे घर पर … सब कुछ तुम्हारे सामने ही बोलूंगी, तुम्हें पता लग जाएगा।
    उसने कहा- नहीं, कल चलूँगा आज नहीं. मुझे अपना मनोबल बना कर तुम्हारे साथ चलना है.
    अगले दिन हम दोनों घर पर आए तो मेरे पापा ने ही दरवाजा खोला और उसे देखकर पूछा- हेलो धीरज, कैसे हो? तुम्हारी अगली प्रमोशन हो गई या नहीं? मैं तो पूरी सिफारिश करके आया था।
    उसने पूरे अदब से जवाब दिया और बोला- सर, आपकी मेहरबानी है. वो तो बहुत दिन पहले ही हो चुकी है।

    पापा ने कहा- आओ आओ अंदर आकर बात करते हैं.
    पापा ने उससे पूछा- और सुनाओ कैसे काम चल रहा है. अगर मेरे लायक कोई काम हो तो बताओ. मुझे खुशी होगी करने में तुम जैसे लायक लड़के के लिए!

    इतने में मैं बोली धीरज को देखकर बोली- बोलो ना पापा से कि मेरी प्रमोशन तो अब आपके ही हाथ में है.
    पापा कुछ समझ नहीं पाए और हैरानी से मुझे देखने लगे.
    फिर उन्होंने धीरज से कहा- बोलो क्या बात है?
    मगर धीरज अभी झिझक रहा था.

    तब मैंने कहा- पापा, यह आपसे कुछ माँगने आया है.
    पापा ने कहा- अब मैं क्या दे सकता हूँ सिवा इसके कि कम्पनी में कोई सिफारिश करनी हो तो!
    मैंने कहा- नहीं पापा, यह आपकी लड़की का हाथ माँगने के लिए आया है.
    यह सुन कर पापा ने मुझसे कहा- तो यही है वो … जिसके लिए तुम आज तक मेरा कहना नहीं मान रही थी?

    फिर उन्होंने मेरी मां को आवाज़ लगा कर कहा- सुनाती हो … जल्दी से आओ यहाँ पर!
    जब माँ आई तो पापा बोले- मुबारक हो, तुम्हाऱी इच्छा पूरी हो गई. इनसे मिलो!
    धीरज की तरफ इशारा करते हुए बोले- ये हैं तुम्हारी बेटी की पसंद जिसके लिए इसने हमें इतना तंग किया है.

    मेरे पापा ने धीरज से कहा- मेरी खुशनसीबी होगी अगर तुम जैसा लड़का मेरा दामाद बने तो. मगर यह रिश्ता तभी पक्का हो सकता है जब तुम्हारे माँ बाप इसके लिए राज़ी हों तो!
    धीरज ने कहा- ठीक है, मैं कल या परसों ही बुलवा लेता हूँ. मगर सर, वो साधारण तरह से रहने वाले हैं, उन्‍हें आपके घर पर आने में कुछ झिझक हो सकती है.
    मेरा पापा ने कहा- जब वो तुम्हारे पास आयें तब मुझे बताना, हम लोग उनसे मिलने के लिए आएँगे.

    यह कहानी भी पड़े मेरी गांड के लिए पहला मर्द मिला
    दो दिन बाद मेरे माँ बाप ने धीरज के मां बाप से मिल कर हमारा रिश्ता पक्का कर दिया.

    अब धीरज जो मुझसे हमेशा दूरी बनाकर रखता था मेरे बहुत ही करीब आने लगा। जब भी हम लोग अकेले होते थे वो मेरे गालों को चूम लेता। धीरे धीरे गालों से अब वो मेरे होंठों को भी चूमने लगा। मैं भी उसका उसी तरह से जवाब देती।

    एक दिन उसने मेरे मम्मों को कपड़ों के ऊपर से दबा दिया। जब मैंने कुछ विरोध किया तो “क्या करूँ अब ये बेईमान दिल नहीं मानता।” कहते हुए उसने अबकी बार मेरे उभारों को पूरी तरह से सहलाना शुरू कर दिया।
    मैंने नारी सुलभ लज्‍जा दिखाते हुए उससे कहा- ये सब ठीक नहीं है, जो करना हो, शादी के बाद करना।
    जवाब मिला- शादी में तो अभी एक महीना पड़ा है, तब तक कुछ तो करने की इजाजत दे दो।

    क्योंकि अंदर से मेरा भी दिल तो करता था कि मैं भी उसकी बाहों में सिमट जाऊं, मैंने कहा- ठीक है मेरे कपड़े उतारे बगैर जो चाहो कर सकते हो.
    उसने कहा- ठीक है मगर अपनी बात पर कायम रहना.
    मैंने कहा- मैंने सोच समझ कर ही कहा है और इस पर मैं कायम रहूंगी.

    अब वो बिना कपड़े उतारे अपना हाथ मेरी शर्ट के अंदर डाल कर मेरे मम्मों को दबाने लगा और उनकी निप्पल से खेलने लग गया.
    कुछ देर बाद मैंने कहा- बस अब बंद करो, मुझे कुछ होने लगा है. मैं और सह नहीं पाऊँगी.

    अबकी बार उसने मेरी पेंटी के अंदर हाथ डाल कर मेरी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.
    मैंने उससे कहा- तुम वकीलों की तरह से मेरे शब्दों को ना लो वरना मैं तुमसे शादी से पहले मिलना ही बंद कर दूँगी। तुम जानते हो कि जब मैंने तुमसे कहा था ‘कपड़ों को उतारे बिना’ तो इसका मतलब यह नहीं था कि तुम अपना हाथ कपड़ों के अंदर डालकर जो चाहो करो।
    तब वो बोला- ठीक है, मगर मुझे डराओ नहीं कि तुम मुझे शादी से पहले मिलोगी भी नहीं.
    मैंने कहा- अगर इसी तरह से करोगे तो मुझे मजबूरी में करना पड़ेगा.
    उसने सहम कर कहा- अच्छा बाबा, अब नहीं करूँगा। मगर कपड़ों के ऊपर से तो इज़ाज़त है ना?

    इसी तरह से हम लोग एक दूसरे से मिलते वो मेरे बूब्स को कपड़ों के ऊपर से ही दबाता रहा और कई बार टाँगों के बीच भी सहला देता तो मुझे अच्‍छा लगता। मैं भी उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके हथियार को दबा देती थी।

    इसी तरह से एक महीना बीत गया और हमारी शादी हो गई।
    शादी के बाद आखिर हमारे प्रथम मिलन की रात भी आ गई, हमने एक दूसरे से अनेक कसमें वादे किये। वो तो मुझे अपने आगोश में लेने को उतावला था।
    जब उसके उतावलेपन को मैंने देखा तो उससे कहा- मैं अब पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ ही रहूंगी, क्यों जल्दी मचा रखी है. मैं पूरी तरह से तुम्हें समर्पण कर दूँगी. मगर मुझ से पहले एक वायदा करो कि चाहे कोई कुछ भी कहे, तुम मुझसे पूछे बिना कोई अंतिम फैसला नहीं करोगे जिसमें तुम्हारी और मेरी जिंदगी की बात हो.
    उसने कहा- यह भी कोई कहने की बात है? मैं जिंदगी में कोई भी फैसला तुमसे बिना सलाह लिए नहीं करूँगा.

    उसके बाद उसने मुझे अपने आगोश में ले लिया और मेरे कपड़े उतारने लगा.
    मेरे अन्‍दर की हया ने धीरज से कमरे की लाईट बन्‍द करने का अनुरोध किया।
    जिसको ठुकराते हुए वो बोला- आख़िर मैं भी तो देखना चाहता हूँ कि मेरे चाँद की रोशनी कैसी है उस पर यह रोशनी पड़कर कैसे लगती है।

    अब धीरज मुझे पूरी नंगी करके मेरे मम्मों को दबा दबाकर उसकी घुंडियों को चूसने लगा। मैंने भी बिना शर्माये उसका लंड पकड़ लिया जो पूरे शवाब पर था और अपना जलवा दिखाने को पूरी तरह से तैयार था।
    कुछ देर बाद वो बोला- सुनो मेरी प्राण प्रिय, अब मैं और तुम मिलकर एक जिस्म बन जायेंगे।

    यह कहते हुए उसने अपनी तलवार को मेरी म्‍यान पर रख दिया और ज़ोर से अंदर डालने की कोशिश की। मगर म्यान का मुँह बहुत छोटा था और तलवार का मुँह बड़ा था मगर तलवार तो फिर तलवार ही होती है उसने जबरदस्‍ती उसे म्यान में डालने की कोशिश की आखिर में उसकी जबरदस्‍ती कामयाब हई और म्यान का मुँह फट गया खून बहने लगा और तलवार अंदर जाने लग गई।
    मै कहती रही- बहुत दर्द हो रहा है, ज़रा धीरे से करो.
    उसने कहा- बहुत तरसाया है तुमने मुझे, जब भी मैंने तुम्हें ज़रा सा हाथ लगाने की कोशिश की. तुम कभी कुछ और कभी कुछ बोलती रही. आज तो मुझे पूरा अधिकार है तुमसे पूरी तरह से मिलने का … मेरा हर एक अंग तुम्हारे अंग अंग तो भेदता हुआ आज तुमसे मिलेगा.

    उसने अपना हथियार पूरा अंदर कर के मुझे अपनी बांहों से जकड़ लिया. फिर उसका शरीर मेरे साथ घमासान करने लग गया. मैं मीठे मीठे दर्द से कराह रही थी। पर आज वो पूरे अधिकार से मुझ पर सवार था। थोड़ी मेहनत के बाद उसने अपना लावा मेरे अन्‍दर उड़ेल दिया। उसके गरम लावे की एक एक बूंद मेरे अन्‍दर अंग अंग तक ठंडक पहुंचा रही थी। आखिरी बूंद तक निचुड़ जाने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला।

    उसके बाद हम दोनों ने बाथरूम में जाकर एक दूसरे का अंग अंग अच्‍छी तरह धोकर साफ दिया और बिस्‍तर पर आकर फिर से एक दूसरे की बांहों में समा गये।
    धीरज रात भर मेरा बैंड बजाने के मूड में था। सच यह था कि मेरा दिल भी चाहता था कि जिस चुदाई को मैं महीनों से तड़प रही थी उसकी सारी कसर धीरज आज ही पूरी कर दे।

    इस तरह से हम दोनों फिर से एक दूसरे के साथ थे. अबकी बार 69 में होकर हम लोगों ने एक दूसरे को पूरी तसल्ली से चूसा और दोनों का पानी जब निकला तो दोनों ने ही अपने अपने मुँह में लेते हुए पी लिया.
    इसके बाद उसने मुझे पूरी रात सोने नहीं दिया और मेरे शरीर से अच्छी तरह से खिलवाड़ करता रहा. ऊपर से तो मैं कह रही थी कि अब छोड़ो भी ना … मगर मेरा दिल यही चाहता था कि यह करता ही रहे … करता ही रहे.

    जिंदगी की गाड़ी यूँ ही चल रही थी। मेरा पति रोज ही मेरी चुदाई करता रहा मगर कोई बच्चा नहीं ठहरा।
    आख़िर एक दिन मेरी सास ने मेरे पति से पूछ ही लिया- मुझे पोते या पोती का मुँह कब दिखाओगे?
    यह सुनकर मुझे लगा कि कहीं ना कहीं किसी ना किसी में तो कोई कमी है। मैंने बिना पति से कहे अपनी जाँच एक डॉक्टर से करवाई तो पाया कि मैं मां नहीं बन सकती। कुछ कमी है मुझमें!
    जब मैंने डॉक्टर से पूछा कि इसका कोई इलाज तो होगा?
    तब उसने कहा- जहाँ तक मैं समझती हूँ, बहुत मुश्किल है. हम तुमसे पैसे ऐंठने के लिए तुम्हारा इलाज़ करेंगे मगर कोई परिणाम नहीं निकलेगा.

    मेरा दिल टूट गया। जब मैंने धीरज को ये बताया तो वो भी बहुत परेशान हुआ। कुछ दिनों बाद यह बात मेरी सास तक भी पहुँच गई। अब तो वो मेरे पति को मेरे विरुद्ध भड़काने लगी। यहाँ तक की उसको मुझसे तलाक़ लेकर दूसरी शादी करने के लिए भी कहने लगी.

    जब मैंने यह सुना तो मैंने अपने पति से कहा- सुनो, अगर तुम चाहो तो मुझे तलाक़ दे सकते हो मैं उसमें कोई रोड़ा नहीं बनूँगी. हां मुझे बहुत अफ़सोस होगा कि मैं तुमसे दूर हो जाऊँगी.
    मेरे पति ने कोई जवाब नहीं दिया, कुछ भी नहीं कहा.
    मगर उसकी चुप्पी मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। अब वो मेरे साथ रात को कुछ भी नहीं करता था। मैं भी कुछ नहीं बोल पाती। मैं शर्म के मारे उनसे कुछ नहीं कहती थी कि आओ, मुझे तुम्हारे लंड की ज़रूरत है, मेरी चूत इस का इंतजार कर रही है. पता नहीं वो किस मिट्टी का बना हुआ था, मेरे साथ सोते हुए भी मुझे हाथ भी नहीं लगाता था.

    यह कहानी भी पड़े कमसिन साली की मस्त चुत चुदाई
    आख़िर मैंने ही फैसला कर लिया कि मैं अब इसके साथ नहीं रहूंगी और रोते रोते धीरज को अपनी बात कह दी। मगर इसका भी उस पर कोई असर नहीं हुआ।

    धीरज ने चुपचाप अपनी बदली भी शहर की दूसरी शाखा में करवा ली। अब मुझसे सिवा घर पर मिलने के अलावा और कोई समय नहीं मिलता था और घर पर वो मुझसे कोई बात नहीं करते थे। दुखी होकर एक दिन मैं ही अपने पिता के घर चली आई, उनसे कहा कि मैं कुछ दिन आपके साथ रहना चाहती हूँ.

    अभी मुझे पिता के घर आये कुछ ही दिन हुए थे कि मुझे पता लगा मेरी ननद जिसका एक 6 महीने का बच्चा भी था अपने पति के साथ किसी दुर्घटना में चल बसी। दुर्घटना में सारा परिवार परलोक सिधार गया मगर बच्चे को कुछ भी नहीं हुआ, उसे तो एक खरोंच तक नहीं आई.
    इस हादसे को सुनकर मेरा पति जल्दी से पहुँचा और ननद आदि के अन्तिम संस्‍कार के बाद उस बच्‍चे को अपने साथ अपने घर ही ले आया क्योंकि मेरी ननद की आर्थिक दशा बहुत खराब थी, उसके ससुराल में भी कोई ऐसा नहीं था जो बच्चे को संभाल सके.

    इस दुःख की घड़ी में मैं भी ससुराल आ गयी.
    अब छह महीने का बच्चा जो कुछ दिन पूर्व सबकी आँखों का तारा होना चाहिए था, रोड़ा बन गया. दबी ज़ुबान से सब कह रहे थे कि यह भी अगर उनके साथ ही चला जाता तो अच्छा था. अब इसको कौन संभालेगा. मेरी सास और ससुर अपनी उमर को देखते हुए यह ज़िम्मेदारी नहीं ले सकते थे.
    आखिर यही सोचा गया कि इसे किसी अनाथ आश्रम में भेज दिया जाए.

    जब मैंने देखा की यह क्या हो रहा है, तब मैंने सभी से सामने यह कह सुनाया- नहीं, यह बच्चा किसी अनाथ वनाथ आश्रम में नहीं जाएगा. आज से यह मेरे बेटा बन कर रहेगा. मैं कल ही किसी वकील से मिल कर इसे गोद लेने की पूरी क़ानूनी करर्वाही करती हूँ. अगर मेरा निर्णय आप लोगो को पसंद ना आया हो तो भी मैं इसे अपने साथ ही रखूँगी और मैं कोई अलग मकान लेकर इसे पालूंगी. ईश्वर ने मेरी गोद में इसे डाला है अब यह बिन माँ का बच्चा नहीं है, इसकी माँ मैं हूँ. आज के बाद इसे कोई बिन माँ का बच्चा नहीं कहेगा.

    मेरी बात सुन कर सब लोग जो वहाँ पर थे, मेरा मुँह देखने लग गये. मेरी सास और ससुर और पति को यकीन ही नहीं हो रहा था जो मैंने कहा था.
    मेरी सास ने मुझसे सबके जाने के बाद कहा- बहू मुझे नहीं पता था कि मेरे घर पर तुम जैसे बहू आई है. पता नहीं किस जन्म के किए कर्मों का फल ईश्वर ने मुझे दिया है जो तुम जैसे बहू मिली है. इतनी बड़ी ज़िमेदारी एक पल में तुमने ले ली यह जानते हुए भी कि ये बच्चा अभी इतना छोटा है जिसे पालना बहुत मुश्किल होगा.
    मैंने कहा- मां जी, अगर यह बच्चा मेरा होता और मैं अपनी ननद की जगह मैं होती तो क्या होता? यही सोच कर मैं बहुत डर गई.

    क्योंकि घर पर कई रिश्तेदार आए हुए थे मेरी ननद की मौत का सुन कर इसलिए मेरा पति मेरे पास नहीं आया.

    दूसरे दिन क्योंकि बच्चा अभी माँ का दूध पीने का आदी था, इसलिए मैंने सुबह सुबह ही किसी दुकान से माँ के दूध का सब्स्टिट्यूड लाकर दूध पिलाया और वो उसे बहुत मज़े से पीने लगा जैसे वो उसकी माँ का दूध हो.

    उसी दिन मैंने एक वकील को बुलाकर उससे कहा- इस बच्चे को मैं गोद ले रही हूँ, इसके पूरे क़ानूनी कागज बनवाइए ताकि कभी कोई अड़चन ना आए.
    इस तरह से मैं अब उस बच्चे में पूरी तरह से खो गई. ऑफिस से मैंने कुछ दिन की छुट्टी ले ली जब तक कि कोई आया पूरे दिन के लिए उसकी देख भाल के लिए ना मिल जाए.

    अब मैं अपने पति से कोई खास बात भी नहीं करती थी। बल्कि अगर यह कहा जाए की एक ही छत के नीचे जैसे दो अंजान हस्तियाँ रहती हों, हम ऐसे ही रहते थे।

    कुछ दिन बाद रात को सोते हुए मेरे पति ने मेरे मम्मों को दबाया तो मैंने कहा- छोड़ो … बच्चा जाग जाएगा, बहुत मुश्किल से सोया है.
    यह सुन कर वो बोले- आख़िर बच्चे के अलावा भी तो कोई और है इस घर में!
    मैंने कहा- वो कोई और तब कहाँ था जब मुझे डॉक्टर ने बताया था कि मैं माँ नहीं बन सकती? मैं तो अब भी वही हूँ, मैं आपको कोई बच्चा भी नहीं दे सकूँगी.
    इस पर वो बोला- अब ताने मारना छोड़ो. तुम्हें नहीं पता कि मैं किन हालातों से गुज़रा हूँ जब से मुझे तुमने यह सब बताया था. तुमने तो बहुत आसानी से कह दिया कि तुम मुझे तलाक़ देकर कोई दूसरी शादी कर लो. उधर मेरे माँ और बाप तो कितने पुराने ख़यालात के हैं. मैं उनसे कुछ भी कहकर उनका दिल नहीं दुखाना चाहता था और जब तुमने भी कुछ ऐसा बोल दिया तो मुझे अपने आप से ही बहुत घृणा होने लगी. कभी तुमने सोचा था कि जो तुम मुझसे बोल रही हो, उसका मुझ पर क्या असर होगा. मैं कई दिन तक रात को नहीं सो पाया था और अंदर ही अंदर घुटता रहा था. ना मैं तुमसे कुछ कहने लायक था और ना ही माँ बाप से. मगर उस दर्दनाक हादसे और उसके बाद जो तुमने किया वो मुझे बहुत हैरान कर देने वाला था. मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था की तुम ऐसे भी कर लोगी. उसी रात मैंने माँ से कहा ‘माँ, देखा जिसे तुम मुझ से दूर करना चाहती थी, उसने आज तुम्हारी बेटी की बच्चे की बिना किसी झिझक के अपना बना लिया. और एक तुम हो जो मेरी बीवी से मुझको दूर कर रही थी.

    यह सब सुन कर मुझे बहुत रोना आया और मैं अपने पति के सीने से लग कर रोते हुए बोली- तुमने मुझे कभी कुछ कहा क्यों नहीं?
    उसने जवाब दिया- तुम्हारी बात सुनकर मुझे ऐसा लगा था कि शायद तुम भी मुझसे अलग रहना चाहती हो. वरना कोई भी लड़की इस तरह से नहीं कहती. मेरा दिल बहुत टूट गया था. मैंने देखा कि वो भी रो रहा था.
    मैंने उसकी आँखों के आँसुओं को पौंछते हुए उससे कहा- अब सब भूल जाओ, भगवान ने एक हंसता खेलता बेटा हमारी गोद में डाल दिया है.
    यह कहकर मैंने उस का लंड जोर से पकड़ कर दबाया और बोली- इसके बिना तुम्हें नहीं पता कि मेरी रातें कितनी मुश्किल से बीती हैं.

    उसने एक हाथ को मेरे मम्मों और दूसरे को मेरी चूत पर रख कर बोला- मैं हर दिन इनके बिना कैसे रहता था, मैं ही जानता हूँ. आज भी जब मैंने हाथ लगाया तो तुमने बुरी तरह से झटक दिया. मैंने कहा- नहीं धीरज, मैं तो कई दिन से चाहती थी कि तुम्हारा हाथ इनको जोर जोर से दबाए और तुम्हारा लंड मेरी चूत में जाए … मगर मैं कैसे कहती जब तुम मुझसे बात ही नहीं करते थे.
    धीरज ने उसी समय अपना लंड निकाल कर मेरी चूत में डाला और मुझे जितनी भी जोर से चोद सकता था चोदा और बोला- कोमल, अब पिछली कसर पूरी निकालनी पड़ेगी.
    उस रात उसने मुझे चार बार चोद कर मेरी चूत को खुश किया.

    जब वो सुबह उठने को हुआ तो मैंने उसे अपने पास खींच कर उस का लंड अपने मुँह में लेकर अच्छी तरह से चूसा, तब तक … जब तक कि उसका पूरा लावा नहीं निकला.
    मैंने कहा उसको- मैं भी तुम्हें इस काम में निराश नहीं करूँगी. अगर मेरी चूत रोती रही है तो तुम्हारा लंड भी रोता रहा है, अब हम दोनों का ही यह फ़र्ज़ है कि एक दूसरे का पूरा ख्याल रख कर उनको खुश करते रहें.

  • चुदक्कड़ चाची चोदू चाचा

    नमस्कार मित्रो, मैं अनिल, मेरी उम्र चौबीस साल है, ये मेरी पहली कहानी है. उम्मीद है आप सभी को पसन्द जरूर आएगी.

    यह चुदाई कहानी मेरे सगे चाचा चाची की है. मेरे चाचा की उम्र 55 साल है और चाची 50 साल की हैं, लेकिन देखने में चाची 40 की लगती हैं. चाची का नाम किरण है.. वो एक कसे हुए गदराये से बदन की मालकिन हैं. हालांकि मेरी चाची थोड़ी सी मोटी सी हैं.. लेकिन मोटी होते हुए भी मन को बेचैन कर देने वाली जवानी की दुकान हैं. उनकी विशाल थलथल करती गांड.. नागिन सी कमर पतली पर टिकी है.. जब वो चलती हैं तो मानो उनके मोटे चूतड़ों के हिलने से कयामत ही बरसती है. जब चाची अपनी गांड के गोले हिला हिला कर चलती हैं, तो मेरा लंड अनाकोंडा सा होकर फुंफकार मारने लगता है. उनकी चूचियां भी बहुत बड़ी और ठोस, बिल्कुल तने हुए पपीते की तरह हैं. उनके मुलायम पेट पे जो गहरी नाभि सामने से नजर आती है, आह.. उसका क्या कहना.. मेरा दिल तो करता है उनकी नाभि में ही लंड पेल दूँ. मीडियम कद की चाची अच्छों अच्छों का लंड खड़ा कर देने वाले जवानी की खान लगती हैं.

    मैं हमेशा ही अपनी सेक्सी चाची को ख्वाबों में चोदता हूँ.. और इस फिराक में लगा रहता हूँ कि चाची को कैसे चोदूँ.

    पर चाची वैसी औरत नहीं थीं. वो चाचा से बहुत प्यार करती हैं.

    मैं ज्यादातर चाची के घर पे ही चाची के साथ समय गुजारता हूँ.. और नजरें बचा कर चाची को घूरता रहता हूँ. मेरी छिपी हुई नजरें चाची की अधखुली चुची.. नाभि और मटकती गांड देख कर लंड को मुठ्ठ मारने पर मजबूर कर देती हैं. मेरे चाचा स्कूल टीचर हैं.. वे देखने में वो भी थोड़े मोटे ही हैं.

    यह कहानी भी पड़े Savita Chachi Aur Pados Ki Chudasi Auntiyan- Part 2
    बात उस दिन की है.. मैं करीब शाम को आठ बजे चाची के घर पहुंचा, चाची खाना बना रही थीं और चाचा हॉल में पड़े बिस्तर पर लेटे कोई किताब पढ़ रहे थे. मुझे देखते ही चाचा ने मुझे बैठने को कहा, मैं चाचा के पास बैठ गया और इधर उधर की बातें करने लगा.

    तभी किचन से चाची की आवाज आई- अनिल.. खाना यहीं खा लेना.
    मैंने पूछा- कुछ विशेष बन रहा है क्या चाची?
    “हां.. सत्तू का पराँठा बना रही हूँ.”
    “ओके चाची..”

    इतना कहने के बाद मैं चाचा से बात करने लगा. रात के 9:45 बज गए. तभी चाची खाना लेकर आ गईं. चाचा के साथ मैं भी खाना खाने लगा.. साथ में चाची भी खाना खाने लगीं.

    तभी अचानक से बारिश होना शुरू हो गई. बारिश इतनी तेज होने लगी थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी. हम लोग खाना खा चुके थे, लेकिन बारिश बन्द होने का नाम ही नहीं ले रही थी. रात के 10 बज गए मौसम काफी खराब हो गया था.

    चाची बोलीं- अनिल तुम यहीं पर सो जाना, तेज बारिश हो रही है.. घर कैसे जाओगे?

    मेरे पास भी दूसरा कोई चारा नहीं था सो मैंने हामी भर दी. चाचा चाची अपने कमरे में चली गए और अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया. मैं वहीं हॉल में सो गया.. मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी.

    तभी मेरे कानों में चाची की चूड़ियों के खनकने आवाज सुनाई दी. मेरे कान खड़े हो गए और ये सोच कर मेरा लंड खड़ा हो गया कि शायद चाचा चाची चुदाई कर रहे हैं. मैं झट से बिस्तर से उठा और दबे पांव खिड़की के पास चला गया और खिड़की से कान सटा कर सुनने लगा.
    चाची फुसफुसा कर चाचा से कह रही थीं- अनिल बाहर सोया हुआ है.. कहीं उसको पता न चल जाए, आज छोड़ दीजिए कल कर लेना.
    चाचा- आज पाँच दिन हो गए हैं मेरी रानी.. आज तो बर्दाश्त नहीं हो रहा. अनिल को पता भी चल गया तो क्या हुआ.. बेचारा अपनी चाची की चुदाई सुनकर मुठ्ठ मार के सो जाएगा.
    चाची- बहुत बड़े चुदक्कड़ हो आप..
    चाचा- क्या करूँ रानी, तुम्हारी चूत ही ऐसी है कि चोदे बिना नहीं ठहर सकता.

    यह कहानी भी पड़े गेंगबेंग कहानी 4 लंड ले के मैंने अपनी जॉब बचाई
    उन दोनों की गर्म बातें सुन कर मेरा लंड तो सातवें आसमान पर था. मेरे पूरे बदन में एक कंपकंपी सी होने लगी, मुँह हलक तक सूख गया, कनपटी गर्म हो गईं. मैं अपने चाचा चाची की चुदाई देखने के लिये तड़प उठा. तभी अन्दर से चुम्बन की आवाजें आने लगीं. शायद दोनों एक दूसरे को ताबड़तोड़ चूम रहे थे. मैं पागल सा हो गया, खिड़की भी बन्द थी, अब उन दोनों की चुदाई कैसे देखूँ. मैं विचलित हो गया.. पता नहीं ऐसा मौका फिर कभी हाथ आएगा भी या नहीं, मैं ये मौका हाथ से गंवाना नहीं चाहता था.

    तभी चाची की लम्बी सीत्कार सुनाई दी.
    चाचा बोल रहे थे- आह.. क्या चुची बनाई है भगवान ने.. जी चाहता है इसे रात भर चूसता ही रहूँ.. पुच.. पुच..
    चूमने की आवाज सुनाई दी.. तो लगा कि शायद चाचा चाची की चुची चूसने लगे थे.
    चाची ‘आह… ओह…’ कर रही थीं.
    मेरा हाल बुरा था, मैं अपना लंड पकड़ कर तड़पने लगा. तभी मैं हॉल की दूसरी तरफ बनी खिड़की के पास दबे पांव गया, ऊपर वाली खिड़की खुली हुई थी.. अन्दर से रोशनी आ रही थी. ये देखते ही मेरी आँख मारे खुशी के चमक उठीं, मेरे दिल धड़कन तेज हो गईं. मैं किसी तरह खिड़की के पास पहुंचा.. अन्दर झाँका और जो नजारा नसीब हुआ, उसे देख कर मैं हिल गया.

    मैं सर से पांव तक काँपने लगा, मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो रहा था.
    अन्दर बिस्तर पर चाची पूरी नंगी चित लेटी हुई थीं और चाचा उनकी चूचियों पर टूटे पड़े थे.

    आज पहली बार किसी औरत को इतने करीब से पूरी नंगी देख रहा था. क्या बदन था चाची का.. दूध सी चमचमाती गदरायी हुई मादक जवानी सामने मचल रही थी. जिन चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से देखा करता था, आज वो दोनों कठोर मम्मे मेरी आंखों के सामने चमचमा रहे थे. चाची की दोनों मोटी मोटी जांघों के बीच चूत नजर आ रही थी. काफी फूली हुई बड़ी सी चूत थी, जिस पर छोटी छोटी झांटें चूत की सुन्दरता बढ़ा रही थीं.

    चाचा बार बार चाची कि चूत को मुठ्ठी भर पकड़ कर ऐसे मसल रहे थे मानो चुची मसल रहे हों. चाची भी बार बार अपनी गांड उछाल रही थीं.

    जैसे ही चाचा ने अपनी एक उंगली को चाची की चूत में घुसाया कि चाची का पूरा बदन सनसना उठा और वो अपने बदन को ऐंठते हुए चूतड़ उछालते हुएऔर बड़बड़ाने लगीं- ओह.. मेरे राजा.. बहुत मजा आ रहा है..
    चाचा- आह.. तुम्हारी चूत बहुत गर्म है मेरी चुदक्कड़ डार्लिंग..
    चाची- ओह मेरे चोदू राजा.. जब तक आपका लंड जब अन्दर नहीं घुसेगा, आपका वीर्य जब तक मेरी चूत की गहराई में नहीं गिरेगा, तब तक मेरी चूत इसी तरह आग उगलती रहेगी.. आह.. जल्दी से पेल दो.
    चाचा ने अपने हाथ की स्पीड बढ़ाते हुए मादक स्वर में कहा- कसम से आज तेरी चूत को बहुत चोदूँगा.. बहुत चोदूंगा.. मेरी चुदक्कड़.. मेरी प्राण प्यारी.. तेरी चूत चोदे बिना कहां रह पाता हूँ मैं..

    यह कहानी भी पड़े होली में रंग लगाने के बहाने सगे देवर ने मेरी कसके ठुकाई की
    इतना कहने के बाद चाचा ने अपना हाथ चाची की चूत से हटाकर एक चुची को दबोच लिया और पागल की तरह दोनों हाथों से दोनों चुची मसलने लगे. फिर बारी बारी से दोनों चुची को चूसने लगे.

    चाची का जोश चार गुना बढ़ गया. वो पागलों की तरह चाचा से लिपट गईं. चाची का पूरा बदन कांपने लगा.. उनकी आंखों के डोरे बिल्कुल लाल हो गए.. सांसें तेज हो गईं.. नथुने फूलने लगे और उनके मुँह से मादक सीत्कारें निकलने लगीं.

    चाचा समझ गए कि अब उनकी बीवी को लंड चाहिए है. तभी चाचा चित लेट गए और उन्होंने अपना कच्छा उतार दिया. जैसे ही चाचा ने अपना कच्छा उतारा कि उनका लंड फुंफकार मारता हुआ बाहर निकल आया. चाचा का लंड देखते ही चाची मानो पागल हो गईं.

    चाची झट से चाचा का मोटा काला लंड पकड़ कर मसलते हुए चूमते बोले जा रही थीं- हे भगवान क्या लंड दिया है मेरे पति को आह… कितना मस्त लंड है.. आज जी भर के चुदवाऊंगी इस लंड से…
    चाचा का मोटा लंड किसी बैंगन के समान था. लंड का सुपारा काफी बड़ा था, जैसे टेनिस की गेंद हो.

    चाची सुपारा देखकर हिनहिना उठीं और अपनी मुठ्ठी से सुपारा पकड़ कर बोलने लगीं- बहुत बड़ा सुपारा है आपका.. मेरी चूत आज निहाल हो जाएगी..
    चाचा- तो मुँह में भर लो न इस सुपारे को मेरी रंडी रानी..

    चाची जैसे ही सुपारा मुँह में डाला कि चाचा के मुँह से सीत्कार निकल गई और वो नीचे से कमर चलाने लगा. चाची बड़े चाव से लंड का सुपारा चूसने लगीं.
    दो मिनट बाद ही चाची कहने लगीं- अब रहा नहीं जाता.. जल्दी से चोद दो न, चूत में बहुत तेज खुजली हो रही है.

    यह कहानी भी पड़े दीदी को मैंने चोदा
    चाची चाचा का लंड को जोर जोर से हिलाते हुए बोले जा रही थीं- जल्दी घुसा दो अपना मूसल लंड मेरी चूत में.. इस मोटे सुपारे से चोदो मुझे..
    चाचा- आह.. कितनी बेचैन है तू लंड के लिये मेरी रानी..

    चाची लंड को जोर जोर से हिलाते हुए कहने लगीं- आपका लंड भी तो मेरी चूत चोदने के लिए देखो.. कितना फुंफकार मार रहा है.. क्या गजब का लंड है आपका.. आओ अब देर मत करो चोद लो.. प्लीज जल्दी से पेल दो मेरी झांटों से भरी चूत में अपना लौड़ा पेल दो..

    उन दोनों की बातें सुनकर मेरा लंड जोश के मारे और ज्यादा सख्त हो गया. मैंने मुठ्ठ मारना शुरू कर दिया. उधर चाचा ने चाची को चित करके उनके दोनों पैरों को घुटने तक मोड़ा और कंधों तक ले लिया. इस वजह से चाची की चूत और गांड आसमान को देखने लगी.

    क्या दिलकश नजारा था.. ऐसी पोजीशन में चाची की चौड़ी गांड देखने में और ज्यादा चौड़ी नजर आ रही थी. मांसल और भरी फूली हुई चूत और चूत की मोटी मोटी फांकें मुझे पागल बना रही थीं.
    मैं अपना लंड को जोर जोर से मसलने लगा.
    तभी मैंने देखा कि चाचा ने अपना लंड चाची की चूत की फांकों पर रख दिया. चूत पर लंड लगते ही चाची मचल उठीं और कराह भरते हुए चाचा का लंड पकड़ कर चूत की फांकों पर रगड़ने लगीं. उधर चाचा भी अपने लंड को फांकों पर रगड़ने लगे. वे दोनों पूरे जोश में थे. चाचा चूत को देखते हुए फांकों पर लंड रगड़ रहे थे. चाची भी अपने सर को उठा कर चूत पर रगड़ते हुए लंड को देख रही थीं.. और जोर जोर से सिस्कार रही थीं. चाची का चेहरा चुदास के मारे लाल हो गया था, नाक फूलने और पिचकने लगी थीं. वे आंखें फाड़ कर लंड को देखे जा रही थीं.

    चाची- कितना रगड़ रहे हो.. चूत पनिया गई है.. अब तो पेल दो न!
    चाचा- थोड़ा सा सबर कर न मेरी चुदक्कड़.. चूत की फांकों पर लंड रगड़ने में बहुत मजा आ रहा है.. थोड़ा रगड़ का मजा लेने दो मेरे रानी.. कितना गर्म है तुम्हारी बुर.. ऐसा लगता है मेरे लंड को आज जला ही देगी.
    चाची- आपका लंड भी तो बहुत गर्म है.
    चाचा- पेलता हूँ अब..
    चाची- हां पेल दो..
    चाचा- क्या पेलूँ?
    चाची- अपना लंड मेरी चूत में पेल दो..
    चाचा- आज बहुत पेलूँगा साली..
    चाची- तो पेल दो न भोसड़ी के.. खाली पेलूँ पेलूँ बोलते हो.. और पेलते नहीं हो.. प्लीज मेरी जान अब पेल दो अपना मूसल लंड..

    तभी चाचा ने अपना लंड चाची की चूत के छेद पर रखकर अपने दोनों हाथों से चाची की दोनों चुचों को पकड़ कर जोर से लंड ठेला, तो सुपारा चूत के अन्दर घुस गया. चाची गनगना उठीं.. और उन्होंने नीचे से अपने चूतड़ों को उचका दिया. इससे आधा लंड चाची की चूत के अन्दर घुस गया.

    चाची जोर जोर से सिसकारने लगीं.. और मादक स्वर में कराहते हुए बोलीं- ओह.. राजा.. स्वर्ग में पहुंच गयी मैं..
    चाचा- अभी तो आधा लंड ही घुस पाया है मेरी जान.. और तुम स्वर्ग में पहुंच गईं.. आह ले..
    चाची- पूरा पेलो न.. बहुत मजा आ रहा है.
    चाचा- इस उम्र में भी तेरी चूत इतनी कसी हुई है कि एक बार में घुसता ही नहीं है.
    चाची- मेरी चूत कसी हुई नहीं है मेरे राजा.. आपका लंड ही इतना मोटा है कि जल्दी घुसता नहीं है.

    यह कहानी भी पड़े बहन को सुहागरात मनाना सिखाया
    इतना कहकर चाची ने एक बार फिर से अपनी गांड को जोर के उछाल दिया.. और इसी वक्त चाचा ने भी जोर से लंड ठेल दिया. इस बार पूरा का पूरा लंड जड़ तक समा गया. चाची एक बार फिर से एक लम्बी सिसकारी भरते हुए दाँतों पर दाँत बैठा कर अपनी गांड को जोर जोर से उछालते हुए बोलने लगीं- आह.. अब चोदो मेरे राजा.. जितना चोदना है.. मेरी चूत को चोद चोद कर लाल कर दो.. आह चोदो मेरी चूत को.

    चाचा चाची को जोर जोर से चोदने लगे. ऊपर से चाचा का लंड ठाप मार रहा था और नीचे से चाची चूतड़ उछाल रही थीं. दोनों तरफ जोश बराबर था, दोतरफी धकापेल चलने लगा.. दोनों तरफ से चुदाई का खेल चलने लगा. दोनों एक दूसरे को चोदने लगे. पूरा कमरा गूँज उठा, पलंग चुँ.. चुँ.. करने लगा.

    चाचा का जोश शायद बहुत ज्यादा बढ़ गया था.. वो किसी सांड की भांति हुँकार भरते हुए चाची को चोदने लगे. चाची भी रुकने का नाम नहीं ले रही थीं, वो उसी तरह बेतहाशा अपनी भारी भरकम गांड को उछाले जा रही थीं.

    चाची के चूतड़ों की उछाल देखकर मैं जोश के मारे थरथर कांपने लगा. मैं तो सोच में पड़ गया कि इस उम्र में भी एक गाँव की देहाती औरत इस कदर से चुदाई कर सकती है.

    चाचा- कैसा लग रहा है मेरी लंडखोर रानी..
    चाची- बहुत मजा आ रहा है मेरे चुदक्कड़ राजा..
    चाचा- आज रात भर चोदूँगा..
    चाची- हां मेरे राजाजी.. जितना मर्जी उतना चोदो.. मेरी चूत तो तुम्हारे लंड के लिए ही तो बनी है.. तुम्हारे लंड के सिवाए दुनिया का कोई लंड मेरी चूत की आग को नहीं बुझा सकता.
    चाचा- इतना मजा देता है मेरा लंड तेरी चूत को?
    चाची- हां राजा.. बहुत मजा देता है तुम्हारा लंड..

    यह कहानी भी पड़े ससुर जी से अपनी प्यास बुझाई
    चाचा का जोश और बढ़ गया, तभी चाचा ने चाची के दोनों पैरों को सीधा किया और चाची के ऊपर छा गए. वे दोनों चुची को अपने दोनों हाथों से कस कस कर मसलते हुए चोदने लगे. चाची भी अपने दोनों हाथ से चाचा की गांड पकड़ कर उनको अपनी तरफ दबा कर बदन को ऐंठने लगीं.

    तभी चाचा का मुँह और चाची का मुँह एक दूसरे से गुत्थमगुत्था करने लगा और जोर लगा कर चोदने और चुदवाने लगे. चुदाई के कारण चाची की चूत बिल्कुल पानी पानी हो गयी.. जिसकी वजह से चूत से पचर.. पचर की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी. चाचा अपने लंड से नीचे चाची की चूत चोद रहे थे और ऊपर अपनी जीभ से चाची के मुँह को चोद रहे थे. चाची की चूत से पचर.. पचर की और तेज आवाज आने लगी थी और उनके मुँह से गुँ.. गुँ की आवाज भी चाचा की चुदास को गति दे रही थी.
    इस तरह का चुदाई देख कर इधर मेरे लंड से पिचकारी निकलना शुरू हो गया. मैं झड़ गया.. लेकिन वो दोनों चुदाई करते ही जा रहे थे.

    तभी चाची बोलीं- अब मैं चोदूँगी ऊपर चढ़ कर..
    चाचा- आजा मेरी रानी..

    इतना कहकर चाचा चाची के ऊपर से एक पलटी मार कर चित लेट गए. चाचा का मोटा लंड और मोटा हो गया था. लंड की नसें उभर आई थीं.. सुपारा खुला हुआ लाल नजर आ रहा था. चूत के पानी से नहाया हुआ लंड झटके पर झटके खा रहा था.

    यह देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. तभी चाची चाचा के ऊपर सवार हो गईं. चाची की भारी भरकम गांड मोटी और गहरी गांड की दरार देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. चाची ने चाचा के लंड को पकड़ कर चूत के छेद पर टिकाया और अपनी भारी भरकम गांड का भार लंड पर छोड़ दिया. पूरा लंड सरसराता हुआ चूत के अन्दर समा गया. अब मुझे सिर्फ चाचा के आंड दिखाई दे रहे थे.

    फिर चाची ने अपनी गांड को चाचा के लंड पर पटकना शुरू किया. उनके चूचे मस्त डिस्को करने लगे थे. थप.. थप.. की मस्त आवाजों से कमरा गुंजायमान हो गया.
    चाची- अब बोलो.. राजा जी, मैं चोद रही हूँ तो कैसा लग रहा है?
    चाचा- बहुत मजा देती हो तुम.. अभी लंड पूरा अन्दर तक घुसा हुआ है.

    चाची और जोर जोर से हिलने लगीं, चाची अपनी गांड पटक पटक कर चाचा को चोद रही थीं. उनकी मांसल गांड थिरक थिरक कर हिल रही थी. चाचा भी नीचे से कमर चलाते हुए चाची की हिलती हुई चुचियों पर नजर टिकाए हुए थे.
    चाची पागलों की तरह चाचा को चोद रही थीं. चाची की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी, वे जोर जोर बोले जा रही थीं- चोद.. चोद.. साले.. चोद मुझे..
    चाचा- वाह.. मेरी रानी क्या चोद रही है तू मुझे.. कितनी चुदासी चूत है तेरी.. मेरी छिनाल.. मेरी चुदक्कड़.. आज मेरा लंड तेरी चूत में ही टूट जाएगा.. आह कितनी बड़ी चुदक्कड़ है तू.. आह.. साली हर रोज चुदवाती है.. फिर भी तेरी चूत की आग शान्त नहीं होती.
    चाची- ये तो तुम्हारे लंड का कमाल है.. कोई भी औरत तुम्हारा लंड जो एक बार देख ले, वो तुमसे चुदवाये बिना नहीं रह पाएगी.. तुम्हारा लंड ही ऐसा है कि चुदवाए बिना नहीं रह सकती..

    यह कहानी भी पड़े फ़ेसबुक से मों को चोदा
    इतना सुनते ही चाचा झट से उठ के बैठ गए. चाची के दोनों पैरों को पीछे की ओर किया और हाथों से चूतड़ पकड़ कर चोदने लगे. चाची भी चूतड़ चला रही थीं और चाचा भी.. दोनों तरफ से चूतड़ चल रहे थे.

    चाची की एक चुची को मुँह भर रख कर चाचा जोर जोर से चूसने लगे और चूतड़ के मांस को मुठ्ठी भर पकड़ कर अंधाधुँध चोदने लगे. चाची जोर जोर से आह.. उह.. करने लगीं. चाचा बार बार चाची की गांड पर थपकी लगाते और फिर चूतड़ के मांस को मुठ्ठी भर पकड़ कर चोदने लगते.

    चाचा- रानी अब थोड़ा घोड़ी बन जाओ.. तुम्हारी गांड की तरफ से चूत को चोदूँगा.. आह.. तुम्हारी विशाल गांड देख देख कर चोदूँगा.
    चाची झट से घोड़ी बन गईं.. चाचा वक्त गंवाए बिना जल्दी से चाची के पीछे आए और अपने लंड को फिर से चाची की चूत में घुसा दिया. फिर चाची की गांड पकड़ कर चोदते हुए बोलने लगे.

    चाचा- बाप रे बाप.. क्या गांड है मेरी रानी की.. दिल तो करता है तुम्हारी गांड भी मारूं.
    चाची- पहले चूत की आग शान्त करो गांड किसी और दिन मार लेना राजा.. अभी चूत की खुजली खत्म नहीं हुई है.. ऐसे ही चोदो..
    चाची भी गांड हिला हिला कर चुद रही थीं.

    इस आसन में करीब दस मिनट ऐसे ही चुदाई का खेल चलता रहा, फिर चाची बोलीं- अब मैं झड़ने वाली हूँ..
    इतना सुनते ही चाचा ने अपना लंड बाहर निकाला और बोले- चित लेट जा.. जल्दी.. मैं भी झड़ने वाला हूँ..

    यह कहानी भी पड़े भाई की मस्ती बहन का गुस्सा
    चाची झट से चित लेट गईं और अपने दोनों पैर खोल के आसमान की तरफ उठा लिए. चाचा भी जोश में थे. वो जल्दी से चाची के ऊपर चढ़ गए और धकाधक चोदने लगे. नीचे से चाची भी गांड उचकाने लगीं. दोनों तरफ जोश बढ़ता गया.. दोनों की स्पीड बढ़ गई. दोनों की सीत्कार भी तेज होती गईं. दोनों आनन्द की चरम सीमा पर पहुंच रहे थे. उनकी चुदाई की स्पीड और तेज हो गई. चाची अपनी टांगें और ऊपर उठाती चली गईं. चाचा की स्पीड भी बढ़ती गई.. और अगले ही पल दोनों के मुँह से एक लम्बी आह.. निकल गई.

    उसी बीच चाचा बोल उठे- कहां झड़ूं?
    चाची जोर जोर से हांफते हुए बोलीं- चूत के अन्दर ही झड़ा दो राजा..

    चाचा की स्पीड और तेज हो गई. चाची की गांड की उछाल भी तेज हो गई. तभी दोनों कचकचाकर एक दूसरे से लिपट गए और इधर मेरा लंड भी एक बार और पिचकारी छोड़ गया.
    दोनों एक साथ झड़ गए, चाचा का समूचा वीर्य चाची की चूत के अन्दर ही पिचकारी छोड़ते हुए निकल गया. चाची की चूत ने भी ढेर सारा पानी छोड़ दिया. दोनों हांफते हुए एक दूसरे से लिपट गए.. और गहरी सांसें लेने लगे.
    थोड़ी देर यूं ही पड़े रहने के बाद दोनों एक दूसरे से अलग हो गए. चाचा का लंड और चाची की चुदी हुए चूत का सीन देखने लायक था.
    कुछ देर के बाद दोनों कपड़े पहनने लगे और मैं दबे पांव अपने बिस्तर पर चला गया.

    मेरी चाची की चुदाई की कहानी पर आपके मेल का इन्तजार रहेगा.

  • भाई के साथ मस्ती

    नमस्कार दोस्तो, मैं रागिनी सिंह हाजिर हूँ आपके सामने अपनी पहली कहानी लेकर, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है जिसमें आपको भरपूर मज़ा मिलने वाला है। यह कोई कहानी नहीं बल्कि एक सच्चाई है जो की मेरे बारे में है। यह सच्ची कहानी बहुत बड़ी है जो की कई भागो में आप तक भेजी जाएगी।
    तो दोस्तों तैयार हो जाइये मेरी सच्ची कहानी पढ़ने के लिए।

    मेरा नाम रागिनी सिंह है मेरी उम्र 23 साल है मेरी फैमिली में मेरे पापा अजय सिंह (45 वर्ष) मेरी मम्मी अन्नू सिंह (43 वर्ष) और मेरा भाई आशू सिंह (18 वर्ष) है। मेरा परिवार दिल्ली में रहता है। मेरे पापा स्कूल टीचर हैं और मम्मी हाउसवाइफ है, मैं कॉलेज में एम एस सी की स्टूडेंट हूँ और मेरा भाई अभी 12वीं में है।

    आप सबको मैं अपने पुराने समय के बारे में कुछ बता दूं तो ज्यादा अच्छा होगा। बचपन में जब मैं 5 साल की थी तब मेरे भाई का जन्म हुआ, धीरे-धीरे समय बीतता गया अब मैं 10 की तथा मेरा भाई 5 साल का हो गया। वह बचपन से ही मुझे बहुत प्यारा लगता था, हम दोनों का कमरा एक ही था। वह देखने में जितना क्यूट था उतना ही नटखट भी था, अक्सर वह मुझसे लड़ता झगड़ता था। आशू मेरे सामान को हमेशा इधर उधर बिखेर देता था जैसे- मेरी किताबें, कपड़े आदि।
    अब वह स्कूल जाने लगा था घर पर मैं उसकी पढ़ने में मदद किया करती थी।

    धीरे-धीरे हम बड़े होते गए, मैं जवानी की दहलीज पर खड़ी थी और आशू अब 13 साल का हो गया था। पर उसके बड़े होने के साथ साथ उसकी शैतानियाँ भी बढ़ गयी थी, वह मुझे परेशान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था। अब मैं 18 की हो गयी थी, मेरी जवानी खूब निखर के आई थी मुझ पर। 18 की उम्र में 22 की लगती थी मेरे उरोजो में गजब की वृद्धी हुयी थी। 18 की उम्र में ही मेरा साइज़ 34-28-32 का हो गया था और अभी तक मैं कुंवारी थी पर सेक्स के बारे में पूरी जानकारी रखती थी। स्कूल में मेरी सहेलियां मुझसे मेरी जवानी देख के जलन रखने लगी थी। लड़के तो देख देख के ही आहें भरते थे, कइयों ने तो प्रपोज भी कर दिया था पर मुझे इन सब में कोई इंटरेस्ट नहीं था उस समय। मैं तो सिर्फ अपनी पढाई में ध्यान लगाये हुयी थी क्योंकि 12वीं बोर्ड का एग्जाम था।

    यह कहानी भी पड़े बुआ और उनकी सेक्सी बेटियों को चोदने का मौका मिला
    घर पर अक्सर मैं कम्फर्टेबल रहना पसंद करती थी चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो जैसे- सोना, कपड़े पहनना आदि। मुझे ढीले कपड़े पहनना ज्यादा पसंद था, मैं घर पर अंडरगारमेंट बहुत कम पहनती थी। बिना अंडरगारमेंट के मैं बहुत अच्छा महसूस करती थी, सोते वक्त बिना कपड़ों के ही सो जाती थी। कपड़ों के बिना सोने का अपना ही मजा है और बिना अंडरगारमेंट के तो कुछ अलग ही आनंद है। कई बार तो मैं स्कूल में भी अंदर बिना कुछ पहने ही चली जाती हूँ, मेरे स्कूल का ड्रेस कोड है- नीले रंग का स्कर्ट जोकि घुटनों तक होता है, सफ़ेद रंग का शर्ट और धारीदार ग्रे कलर की टाई।

    एक दिन रविवार को घर पर मैं अपने कमरे में बैठकर पढ़ रही थी, तभी मेरा भाई आशू आया और मेरी किताबें इधर उधर करने लगा.
    मैंने उससे कहा- मुझे डिस्टर्ब न कर आशू, मुझे पढ़ने दे!
    पर वह मेरी बात को अनसुना करके अपनी शरारत में मस्त था।
    मैंने तेजी दिखाते हुए एक झटके से अपनी किताब उससे ले ली, ऐसा होते ही वह मुझ पर टूट पड़ा और मुझे गिराकर मेरे ऊपर बैठ गया तथा हाथापाई करने लगा। इस लड़ाई में उसके प्रहार से मैं अपने आप को बचा रही थी क्योंकि मैं उसे चोट नहीं पहुँचाना चाहती थी।

    वह मेरे मम्मों पर बैठा था जिससे वे एकदम से दबे हुए थे मुझे तकलीफ हो रही थी। लेकिन वह उठने का नाम ही नहीं ले रहा था आखिर मुझे हारकर अपनी किताब उसे देनी पड़ी तब जाकर वह मेरे ऊपर से हटा। अब जाकर मुझे राहत महसूस हुई.

    यह कहानी भी पड़े बेटी की सास मुझसे चुदने आई
    मेरे बगल में बैठ कर वह मुझे जीभ निकाल कर चिढ़ा रहा था। ऐसी ही मासूम सी हाथापाई हमेशा हम दोनों के बीच होती रहती है, जिसमें कभी कभी वह मजाक में मुझे गुदगुदी करने लिए मेरे मम्में भी दबा देता है। यह सिलसिला लगभग रोज का रूटीन बन गया है, सोने के समय तो वह जरूर मुझसे शैतानियाँ करता है। हमारा रूम छत पर होने की वजह से मम्मी पापा को इस के बारे में पता नहीं चल पाता। हम ज्यादातर छत पर ही रहते हैं, हमारे रूम के बगल में ही हमारा अलग बाथरूम भी है। नीचे वाले फ्लोर पर मम्मी पापा रहते हैं तथा किचन भी वही है और उनका बाथरूम भी। टीवी भी वही किचन के बगल में हाल में है।

    एक दिन मैं बाथरूम में नहा रही थी, तभी मेरा भाई भी नहाने के लिए अंदर घुस आया. उसे पता नहीं था कि मैं अंदर नहा रही हूँ। नहाते वक्त मैं बाथरूम का दरवाजा लॉक नहीं करती थी क्योंकि ऊपर जल्दी कोई आता नहीं था, आशू ही ऊपर होता था जिससे मुझे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि अभी वह छोटा था। तो आशू भी बाथरूम में घुस आया था नहाने के लिए!
    मैं वहाँ पर नंगी होकर नहा रही थी. पहले तो मैं डर गयी कि कौन आ गया। जब देखा कि आशू है तो जान में जान आई।
    अब डरने की बारी आशू की थी, वह मुझे पहली बार नंगी देख रहा था, मुझे बाथरूम में नंगी देखकर तो पहले तो उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी, वह मुझे एकटक घूरे जा रहा था। डर के मारे उसकी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी, मेरे डर से वह काम्प रहा था। वह डर इसीलिए रहा था कि कहीं मैं मम्मी पापा से उसकी शिकायत न कर दूँ कि यह मेरे बाथरूम में घुस गया था।
    मुझे उसको देखकर हंसी आ गयी, मैंने पूछा- क्या हुआ आशू?
    वह हकलाते हुए बोला- क..क..क.. कुउउउच्चछ… कुछ नहीं दीदी।
    और इतना कहते ही वह जाने को हुआ तो मैंने पूछा- नहाना है तुमको?
    तो वह बोला- जी दीदी।
    मैंने कहा- ठीक है, आ जाओ साथ में नहाते हैं.

    मैंने उससे कपड़े निकालने को कहा तो उसने धीरे धीरे अपने कपड़े निकाल कर अलग कर दिए और मेरी तरह बिल्कुल नंगा हो गया। अब हम साथ में बैठकर नहाने लगे, मैं उसको नहलाने लगी जैसे एक माँ अपने बच्चे को नहलाती है, वह भी चुपचाप बैठकर नहा रहा था।

    आशू के शरीर पर मैंने साबुन लगाना शुरू किया और हर एक जगह मैंने अच्छी तरह साबुन लगाया, उसके नुन्नू पर भी। उसका नुन्नू अभी छोटा था तक़रीबन 3 इंच का रहा होगा। नहाने के बाद हमने अपने कपड़े पहने और अपने अपने काम में लग गए, मैं एग्जाम की तैयारी करने लगी और आशू अपना होमवर्क करने लगा। अब लगभग रोज ही हम दोनों साथ साथ नहाने लगे थे और एक दूसरे के अंगों को पकड़कर देखने भी लगे थे।

    उस दिन के बाद से मैं अपने रूम में आशू के सामने ही कपड़े बदल लेती थी, नंगी हो जाती थी। आशू भी मेरे सामने ही अपने कपड़े बदल लेता था।

    यह कहानी भी पड़े चाची की सहेली की बेटी चुद गई
    जैसा मैंने बताया था कि मुझे रात को सोते वक्त नंगी होकर सोना ज्यादा पसंद है। दिसम्बर का महीना था ठण्ड पड़ रही थी, मैं नंगी होकर रजाई में लेटी थी, आशू नीचे पापा के साथ टीवी देख रहा था। कुछ देर तक टीवी देखने के बाद वह ऊपर सोने के लिए आया.

    मैं जाग रही थी, आते ही वह रजाई में घुस कर मुझसे चिपक गया। रजाई में घुसने पर उसको पता चल गया कि मैं नंगी हूँ, वह अपने हाथ मेरे ऊपर फिराने लगा। वह मेरे मम्मों को टटोल रहा था.
    आशू को मेरे मम्मों से ज्यादा प्यार है.

    मेरा भाई मेरे निप्पल को उमेठ रहा था, मैंने पूछा- ऐसा क्यों कर रहा है?
    तो वह बोला- दीदी, मुझे आपका दूध पीना है।
    मैंने कहा- मुझे अभी दूध नहीं आता!
    तो वह बोला- क्यों? आपको दूध क्यों नहीं आता दीदी?

    तब मैंने उसको दूध आने की पूरी प्रक्रिया बताई।
    मेरी बात सुनने के बाद वह बोला- मुझे तो आपके दूध पीने हैं तो पीने हैं.
    मैं उसकी बचकानी बात पर हंसने लगी और बोली- ठीक है पी ले जैसी तेरी इच्छा।

    मेरे हां कहते ही आशू ने मेरे निप्पल चूसना शुरू कर दिया और बारी बारी से वह एक दुधमुंहे की तरह मेरे चूचियों को चूसता रहा, चूची चूसते चूसते कब उसे और मुझे नींद आ गयी, पता ही नहीं चला।
    अब यही प्रक्रिया लगभग रोज होने लगी, अब आशू को बगैर मेरी चूची चूसे नींद ही नहीं आती थी. शायद मुझे भी अब चूची चुसाने की आदत पड़ गयी थी। लेकिन इस सब में सेक्स नाम की कोई चीज नहीं थी. यह तो भाई बहन का प्यार था.

    यह कहानी भी पड़े मेरी गांड के लिए पहला मर्द मिला
    धीरे धीरे हमारी उम्र बढती गयी अब मैं 23 साल की तथा आशू 18 साल का हो गया था।

    अब आशू जवान हो गया था तथा उसका नुन्नू अब 3 इंच से 6 इंच का हो गया था। मेरे शरीर का साइज़ भी अब बदल चुका था इन 5 सालो में जो चूचियां कभी 34 की हुआ करती थी वह अब 36 की हो गयी थी। अब मेरा साइज़ 36-30-34 की हो गयी थी, मेरे सगे भाई ने मेरी चूचियां चूस चूस के बड़ी कर दी थी। इतनी चुसाई होने के बाद भी मेरे मम्में अभी भी पूरी तरह से टाइट थे, देखने में लगता था जैसे दो गोल गोल खरबूजे लटक रहे हो बिल्कुल हॉरर माडल डैनी डीवाइन की तरह।

    एक दिन मैं घर पर अकेली थी, पापा स्कूल पढ़ाने गए थे, मम्मी भी मामा के यहाँ गयी थी और आशू स्कूल गया था। मैं घर का सब काम निपटा के नहाने चली गयी, नहाने से पहले मैंने पूरे शरीर पर वैक्स किया था।
    नहाकर मैं नंगी ही वापस कमरे में गयी और बाल सुखाकर तथा मेकअप करके घर में उसी अवस्था में घूमने लगी। कुछ देर टीवी देखा और वहीं पर नंगी ही सो गयी.

    नींद में ही डोरबेल की आवाज सुनाई पड़ी तो मेरी आँख खुली। मैंने कीहोल से बाहर देखा तो आशू था, मैंने कपड़ा पहनना मुनासिब नहीं समझा और दरवाजा खोल दिया।
    जब वह अंदर आया तो मुझे नंगी देखकर बड़ा खुश हुआ, आशू तुरंत मेरी ओर लपक पड़ा। इससे पहले की वह मुझ तक पहुँचता, मैंने दरवाजा लॉक कर दिया, दरवाजा बंद होते ही वह मेरी चूचियों पर टूट पड़ा।
    आशू बोला- दीदी, आपके दूध मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मन करता है हरदम इन्हें पकड़ के चूसता रहूँ।
    मैंने भी झट से बोल दिया- तो चूसो … मना किसने किया है।
    आशू एक एक करके मेरे मम्मों को वही खड़े खड़े दबाने व चूसने लगा, मुझको भी मज़ा आने लगा।

    15-20 मिनट चूसने के बाद जब उसका मन भर गया तो उसने मेरे मम्मों को छोड़ दिया और मुस्कुराते हुए कमरे की ओर जाने लगा. मैं भी उसको देखकर मुस्कुरा रही थी। आज तक हमारे दरमियान कभी भी सेक्स की फीलिंग नहीं थी, हम दोनों ऐसा करते हुए एक अलग ही लेवल के आनंद में डूब जाते थे। ऐसा करते हुए मुझे लगता कि मैं एक माँ हूँ और अपने बच्चे को दूध पिला रही हूँ। आशू को अभी तक सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था, हाँ इतना जरूर था कि जब वो मेरी चूचियों को चूसता तो उसका नुन्नू जो अब एक लंड बन गया था, जरूर तन जाता था।

    जब भी उसका लंड तन जाता तो वह उसे पकड़ के मुझे दिखाता और कहता दीदी- ये देखो मेरे नुन्नू को क्या हो गया ये इतना बड़ा और मोटा हो गया।
    मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती और कहती- कुछ नहीं हुआ, अभी ठीक हो जायेगा.

    ऐसे ही चलता रहा, एक महीना बीत गया। अगस्त का महीना था एक रात को हम दोनों बिल्कुल नंगे लेटे लेटे बातें कर रहे थे उसका लंड तना हुआ था, वह उसको पकड़ के मुझे दिखाते हुए बोला- ऐसा क्यों होता है दीदी?
    तब मैंने उसे समझाते हुए सब कुछ बताया तथा यह भी बताया कि यह पुरुष और महिला के अट्रैक्शन के कारण होता है। यह उत्तेजना के कारण होता है।
    आशू बोला- इसको ठीक कैसे करते हैं?
    मैंने कहा- सेक्स करके या फिर अपने हाथ से!

    यह कहानी भी पड़े मां बहन का आशिक बेटा 2
    फिर उसने मुझसे पूछा- ये सेक्स क्या होता है दीदी?
    तब मैंने उसको बताया- जब इस नुन्नू को किसी लड़की के (अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए) यहाँ पर डालते हैं तो उसको सेक्स करना कहते हैं।
    आशू फिर पूछने लगा- ये हाथ से कैसे होता है?
    तब मैंने उसको बताया- इसको मुट्ठी में पकड़ के आगे पीछे करते रहने से ये कुछ देर में शांत हो जाता है।

    आशू कहने लगा- दीदी, मुझे आपके साथ सेक्स करना है.
    मैंने उसे समझाया- ये सब भाई और बहन के बीच नहीं होता।
    मैंने कहा- आशू जब तुम्हारी शादी हो जाएगी, तब तुम अपनी पत्नी के साथ सेक्स करना।

    वह जिद करने लगा तो मैंने कहा- अच्छा इधर आओ, मैं अपने हाथों से तुम्हारे नुन्नू को शांत कर दूँ।
    वह मेरे पास आ गया, मैंने उसको खड़ा होने को कह दिया वह मेरे चेहरे के सामने खड़ा हो गया। मैं घुटनों के बल बैठ गयी तथा उसके लंड को अपने हाथो में पकड़ा और आगे पीछे करते हुए हिलाने लगी, वह धीरे धीरे मदहोशी में खो गया और आँखें बंद कर ली।

    आँखें बंद करके वह आहें भरने लगा- सस.. सस आह… उह.. सस एस्स.. आह दीदी, बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसे ही करती रहो।
    तकरीबन 15-20 मिनट लंड हिलाने के बाद उसका लंड फूल गया.

    इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसके लंड से पिचकारी निकली जो सीधे मेरे माथे से जा टकराई, मैं संभल पाती इससे पहले दूसरी पिचकारी निकली जो मेरे होठों पर जा गिरी, फिर उसके लंड ने मेरी चूचियों पर अपना बचा हुआ माल उलट दिया, धीरे धीरे आशू का लंड झटके खा खा कर शांत हो गया।

    यह कहानी भी पड़े मैं और मेरा भाई अर्पित के साथ चोदन
    अब मैंने अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराई जहां आशू का माल गिरा था, मुझे उसका स्वाद नमकीन सा लगा जो थोड़ा अजीब था पर टेस्ट अच्छा था तो मैं पूरा चाट के साफ़ कर गयी।
    आज आशू पहली बार झड़ा था तो माल भी बहुत ज्यादा निकला था जो मेरी चूचियों पर साफ़ देखा जा सकता था।

    झड़ने के बाद आशू वही बेड पर लेट गया उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी।

    कुछ देर बाद जब उसकी आँखें खुली तो वह बहुत खुश दिखाई दे रहा था।
    मैंने पूछा- कैसा लगा?
    तो वह बोला- बहुत मज़ा आया।

    अब हम दोनों भाई बहन वहीं बेड पर लेटे लेटे जो कुछ हुआ उसके बारे में बातें करने लगे।

    कुछ देर बात करने के बाद आशू बोला- दीदी, अब मेरा नुन्नू आप रोज हिलाना, आज मुझे बहुत अच्छा लगा।
    मैंने उसको समझाया- ये रोज रोज करना अच्छा नहीं है अभी से, अभी तुम छोटे हो सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।
    मेरी यह बात उसको अच्छी नहीं लगी।

    कुछ देर चुप रहने के बाद आशू नाराज होते हुए बोला- अगर आप को नहीं करना तो ना करो, मैं खुद ही कर लूँगा।
    मैंने उस टाइम उसको तसल्ली दिला दी- ठीक है, मैं ही कर दूंगी, पर अभी सो जाओ रात बहुत हो गयी है।

    सुबह हम दोनों सोकर उठे, फ्रेश होने के बाद हम दोनों साथ में नहाये। आशू नाश्ता करके स्कूल चला गया, कुछ देर बाद मैं भी कॉलेज चली गयी।
    रात को वह मेरे पास आया और अपने कपड़े निकाल के बिस्तर में घुस गया। मैं पहले से ही नंगी रजाई के अंदर पड़ी थी, रजाई में घुसते ही उसके हाथ मेरी चूचियों पर टहलने लगे। कुछ देर मेरी चूचियों को दबाने के बाद वह एक एक करके उन्हें चूसने लगा।

    अनायास ही मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया जो अब पूरी तरह से तन गया था।

    आशू मेरी चूचियों को दबा दबा के चूस रहा था जिससे आज मेरी भी उत्तेजना जाग गयी थी, मुझे भी मज़ा आने लगा था। जोश में मैं भी उसके लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगी, आशू की सिसकारियाँ निकलने लगी- आह.. हम्म… उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स्स्स… ऊह्ह… ओह्ह… दी… दी… आह। बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही करती जाओ।
    आज तो मेरा भी मन डोल गया था, अब मेरे अंदर की वासना हिलोरें लेने लगी थी। मैं खुद को ना रोक पाई और रजाई में मैं आशू के लंड के पास पहुँच गयी थी।

    लंड के पास पहुंचते ही मैंने तपाक से उसको मुंह में भर लिया और चूसने लगी। आशू अपने लंड पर मेरे होठों का स्पर्श होते ही चिहुँक पड़ा और बोला- ओह दीदी, ये क्या किया आपने … बहुत मजा आ रहा है। ऐसे ही चूसती रहो, मैं तो जन्नत की सैर कर रहा हूँ दीदी।

    मैं भी पूरी पोर्न फिल्मो को रंडियों की तरह अपने भाई का लंड चूसे जा रही थी, मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था. अब मैं एक हाथ से लंड पकड़ के चूस रही थी तथा एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी।
    10-12 मिनट लंड चूसने के बाद आशू को उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और उसने मेरे मुंह में ही पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी, मेरा मुंह उसके लंड के माल से भर गया जिसे मैं पूरा गटक गयी।

    यह कहानी भी पड़े सेक्सी सुशीला भाभी की रसीली जवानी
    इसी दौरान मैं भी भाई के लंड का पानी पीने की उत्तेजना में मैं भी झड़ने लगी। मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी- आह… ह्म्म्म… यस्सस… ओह्ह्ह… आशूशूशू… य्म्म्म!

    अब यही प्रक्रिया रोज रोज होने लगी आशू मुझसे अपना लंड चुसा के मजा लेता और मैं अपनी उँगलियों से खुद को शांत कर लेती। हमें जब भी मौका मिलता हम दोनों नंगे होकर अपने काम में लग जाते। अब तो मुझे आशू के लंड के पानी लत लग गयी थी, घर का कोई ऐसा कोना नहीं बचा था जहां पर मैंने आशू का लंड न चूसा हो। यहाँ तक की घर के बाहर लॉन में भी मैंने उसके लंड को चूस के शांत किया था।
    मैं ऐसे ही 2-3 महीनों तक अपने भाई का लंड चूसती रही। हम दोनों बहुत खुश थे।

    मेरी कहानी कैसी लगी, मेल जरूर कीजियेगा।

  • जन्मदिन के बहाने चूत चुदाई

    दोस्तो, मेरा नाम अक्षय है और मैं हैदराबाद का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 23 साल है और मैं अभी अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ. मेरी हाइट 6 फ़ीट है और वज़न 72 किलो है. रनिंग और कसरत करने से मेरा शरीर बिल्कुल फिट है. बाकी मैं अपने लंड के बारे में में क्या बताऊं, जिसने लिया है, वही जानती है. अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली सेक्स स्टोरी है, जो मेरे साथ कुछ महीने पहले घटी थी.

    हुआ ये कि मैं पढ़ाई के सिलसिले में शहर में रहता था, तो मैं शहर में एक रूम भाड़े पर लेकर रहता था. कुछ दिन तो ठीक से कट गए, पर कहते हैं ना कि शहर की हवा लगने में देर नहीं लगती. मेरे साथ भी यही हुआ, कुछ दिन बाद मेरी किस्मत चमकी और मेरे रूम के बगल में एक मेरे से सीनियर लड़की रहने के लिए आ गयी.

    उस लड़की का नाम पूजा था, वो अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही थी. उसके बारे में क्या बताना दोस्तो… लगता था कि ऊपर वाले ने उसे बड़ी ही तसल्ली से बनाया था. उसकी झील सी आंखें, पतली कमर, बड़े बड़े चूतड़, जब चलती तो ऐसे मटकती कि जान ही ले ले. ऊपर की तरफ देखिए तो बड़े ही आकर्षक बूब्स … जिन्हें देखकर तो उन्हें खा जाने का मन करता. उस पर उसके लंबे बाल.. उफ्फ पूरी माल लगती थी.
    अगर ऐसी हॉट लड़की को देखकर भी कोई अपने लंड को खड़ा ना कर सके, तो वो किस मर्द कहलाने लायक ही नहीं है.

    कुछ दिन तक मैं उसे सिर्फ छुप छुप कर ही देखता था, कभी हिम्मत ही नहीं हुई कि उससे सीधी नजर मिला लूँ.
    पर कुछ दिन बाद हम आपस में पढ़ाई के बारे में बातचीत करने लगे, इसके बाद धीरे धीरे हम दोनों आपस में अच्छे से घुल मिल गए. कभी मैं उसके रूम पर जाता, तो कभी वो मेरे रूम पर आती थी. मगर मुझे तो उसको चोदने की लग रही थी. इसलिए मैंने एक प्लान बनाया, मेरे पास उसका मोबाइल नंबर था.

    यह कहानी भी पड़े सेक्स कहानी पड़ने वाली लड़की की चुदाई
    मैंने दिमाग लगाया और एक नए सिम कार्ड से उस नम्बर से व्हाट्सअप शुरू किया और उसे हाय कहकर भेजा.

    फिर मैं सो गया, जब मैं अगली सुबह जागा, तो देखा कि उसका रिप्लाई आया था. वो मुझसे पूछ रही थी कि तुम कौन हो?
    मैंने कहा कि तुम्हारा दोस्त.
    फिर उसने मेरे बारे में जानने के लिए दो तीन दोस्तों के नाम से पूछा.
    मैंने कहा कि मैं इनमें से नहीं हूँ.
    तो उसने लिखा कि तो तुम कौन हो और मुझसे क्या चाहते हो?
    मैंने लिखा- मैं तुम्हारा दोस्त बनना चाहता हूँ.
    उसने कहा- क्यों?
    मैंने बताया- मेरी कोई भी गर्लफ़्रेंड नहीं है.
    उसने पूछा- गर्लफ़्रेंड बना कर उसका क्या करोगे?
    मैंने कहा- कुछ तो करूँगा.. आप पहले दोस्त तो बनिए.

    फिर उसने मुझे अपना फ़्रेंड बना लिया. हम रोज़ बातें करने लगे. धीरे धीरे वो मुझसे सेक्स की बातें करने लगी.

    इस तरह की बातों से जब वो गर्म हो जाती तो कहती कि मुझे चुदवाने का मन कर रहा है.
    तो मैंने कहा कि मैं तो आ नहीं सकता.. तुम हाथ से शांत हो जाओ.
    उसने बताया कि आज तक वो सिर्फ हाथ से ही करती आ रही थी, पर अब उसे मर्द का लंड चाहिए.

    कुछ दिन बाद वो मिलने की ज़िद करने लगी तो मैंने कहा- मिलकर क्या करोगी?
    उसने कहा कि और क्या करना है.. उस काम के सिवा?
    तो मैंने कहा- अगर उतना मन कर रहा है तो एक आईडिया बता सकता हूँ.
    उसने कहा- हां बताओ.
    मैंने कहा कि अगर तुम्हारे घर के अगल बगल कोई है, जो तुम्हें चोदने के चक्कर में हो.. तो उससे चुदवा लो इस तरह तुम्हारा काम बन सकता है.
    वो कहने लगी- ये कैसे हो सकता है.. मैं कैसे जानूंगी कि कोई पड़ोस वाला मुझे चोदना चाहता है.
    मैंने लिखा- ये तेरे लिए क्या बड़ी बात है.. जो भी तुझे पसंद हो उसे अपने रूप के जलवे दिखा कर फांस ले. बस फिर उसको चोदने की बात कर और चूत खोल दे.
    वो बोली- मैं किसको पटाऊं, मेरी समझ में ही नहीं आ रहा है?
    मैंने कहा- तेरे साथ कोई लड़का नहीं पढ़ता.. उसी पर जादू चला दे.

    यह कहानी भी पड़े कमसिन बेटी की महकती जवानी-2
    उसने मेरा ही नाम लेकर कहा- हां है तो एक घोंचू.. साला लगता तो है कि मुझे चोदने के चक्कर में है लेकिन उसने कभी मुझसे कहा नहीं है.
    मैंने लिखा- वो शायद डरता होगा. उसको अपने दूध दिखा और उसर सेक्सी बात कर.. हो सकता है कि वो मान जाए और तेरी आग बुझा दे.
    उसके दिमाग में घुस गया और वो चहकने की स्माइली भेजी और लिखा- ठीक है.. उसको अब देखती हूँ.

    अगले दिन से ही वो मेरे साथ अलग सा बर्ताव कर रही थी, जब वो चलती तो गांड ज्यादा ही मटकाने लगती और आज तो टॉप भी ढीला और गहरे गले का पहना हुआ था. उस टॉप को पहनकर वो मुझे झुक झुक कर अपने मम्मे दिखा रही थी. मैंने भी सोच रखा कि उसे तड़पाकर ही चोदूंगा.
    फिर दूसरे दिन उसने मुझे अपने घर पर शाम को सात बजे बुलाया और बताया कि आज उसका बर्थडे है.
    मैंने उसे विश किया और कहा कि तुमने बताया ही नहीं मैं गिफ्ट लेकर आता. चलो मैं अभी आता हूँ.
    मैं गिफ्ट लेने की कह कर जा ही रहा था कि उसने रोकते हुए आँख मारते हुए कहा- रुको यार, गिफ्ट भी ले लूँगी.. पर अभी मेरी सुनो.. आज रात का खाना तुम मेरे साथ ही खाना.
    मैंने भी मुस्कुरा कर ओके कहा और उसके घर से चला गया.

    आठ बजे रात को मैं अच्छे से सज कर पर्फ्यूम लगा कर अपने साथ कंडोम लेकर उसके घर चला गया.

    उसने केक काटा और मुझे खिलाया, मैंने उसको खिलाया. फिर मैंने उसे बताया कि इतने कम समय में मैं तो तुम्हारे लिए कोई गिफ्ट ही नहीं ला सका.
    तब उसने बोला- कोई बात नहीं, पर गिफ्ट तो तुम अभी भी मुझे दे सकते हो.
    मैंने पूछा- मैं क्या दे सकता हूँ?
    उसने कहा- आज मैं जो मांगूंगी, दोगे?
    मैंने कहा- मांग कर देखो.. मैं पक्का दे दूंगा.

    उसने मुझे सीधे कह डाला- मैं आज औरत बनना चाहती हूँ, क्या तुम मुझे औरत बना सकते हो.

    इतना सुनते ही मैं उस पर टूट पड़ा और उसको जोर से किस करने लगा. वो भी मुझसे लिपट गई और हम लोग दस मिनट तक तो एक दूसरे को टटोलते रहे. फिर मैं उसको उठाकर बिस्तर पर ले आया और किस करते हुए मैंने उसकी टॉप ब्रा और स्कर्ट उतार दी. वो अब सिर्फ पैंटी में थी. क्या मस्त कांटा माल लग रही थी. उसके बड़े बड़े मम्मों पर गुलाबी निप्पल मुझे बुला रहे थे कि आओ और हमको चूस लो.

    यह कहानी भी पड़े कमसिन बेटी की महकती जवानी-6
    मैं अगले ही पल उसके मम्मों पर टूट पड़ा और चूसने लगा. मैं एक हाथ उसकी पैंटी में डालकर उसकी चूत मसलने लगा. वो भी मेरा लंड मसलने लगी. फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपना लंड उसके हाथ में दिया. साथ ही मैंने उसकी पेंटी भी उतार फेंकी.

    अब वो और मैं बिल्कुल नंगे थे, मैं उसकी दोनों टांगों के बीच बैठकर उसकी चूत को चाटने लगा. इससे वो बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गयी. ‘आआआ उफ़्फ़फ़फ़ उम्म्ह… अहह… हय… याह… अमा उफ्फ हआ..’ ऐसे करते हुए मेरा सिर उसके चूत पर रगड़ने लगी और कहने लगी- चाटो आज ऐसे चाट चाट कर खा जाओ.
    वो मेरे मुँह में ही झड़ गयी और ढीली हो गयी.

    इसके बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया और वो मेरा लंड का टोपा चूमने लगी. थोड़ी देर बाद वो मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगी, इससे मेरा पानी निकल गया. अब हम दोनों थोड़ी देर के लिए शान्त हो गए और एक दूसरे से खेलते हुए धीरे धीरे 69 पोजीशन में आ गए. कुछ पल की चुसाई के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.

    अब मैंने उसे सीधा लिटाकर उसके नीचे तकिया लगा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
    मैंने कहा- डार्लिंग पेल रहा हूँ.. क्या तुम तैयार हो?
    इससे वो और तड़पने लगी और कहने लगी- चाहे आज जो हो जाए.. तुम रुकना मत.. मैं कितनी भी चिल्लाऊं तुम रुकना मत.

    मेरे सामने एक कली फूल बनने को तैयार थी. मैंने अपना लंड का दबाव हल्के से डाला और एक जोर का झटका दे मारा. इस झटके से मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर घुस गया. उसकी झिल्ली फट चुकी थी और उसकी चुत में से हल्का सा खून आ रहा था. वो बड़ी मुश्किल से अपना दर्द छुपा रही थी. मैं भी यूं ही रुका रहा.

    यह कहानी भी पड़े कमसिन बेटी की महकती जवानी-3
    थोड़ी देर बाद उसने कमर हिलाकर साथ देना शुरू किया और अब मैं भी शुरू हो गया. उसे जोर जोर से चोदने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने उसे कुतिया बना कर भी चोदा.

    फिर कुछ देर बाद मैं उसके चूतड़ों पर अपना पानी निकालकर शांत हुआ.

    उसने मेरे साथ चुदाई को बहुत एन्जॉय किया. उस रात हमने दो बार औऱ सेक्स किया और कुछ हफ्तों बाद मैंने उसकी गांड भी मारी.

    बाद में जब उसको मेरे बारे में पता चल गया कि मैंने ही उस से व्हाट्सएप पर बात की थी, तो उसने बताया कि वो उसका बेस्ट बर्थडे गिफ्ट था.

    इसके बाद हम जब तक साथ रहे, वो मुझसे खूब चुदवाती रही. फिर वो चली गयी, पर अभी भी कॉल करके फोन सेक्स से अपनी प्यास बुझवा लेती है.

    दोस्तो, मुझे रिप्लाई देकर बताएं कि मेरी इस हिंदी सेक्स स्टोरी के बारे में आपको क्या लगा.

  • हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़वा कर लड़की पटाई

    हिंदी सेक्स कहानी पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम आकाश पांडे है. मैं मध्य प्रदेश के रीवा से हूँ.
    यह मेरी पहली कहानी है. मेरी यह कहानी एकदम रियल है.

    आज से एक महीने पहले की बात है, उसे आज मैं आपके सामने पेश कर रहा हूँ.

    हमारे घर के सामने के घर में एक परिवार रहता है, उस परिवार में 3 लड़कियां हैं. बड़ी वाली तो कुछ ख़ास नहीं है, लेकिन उससे छोटी बहुत सुंदर है, लेकिन वो मुझे कुछ छोटी लगती थी. अभी कुछ दिन से वो मुझे देखकर मुस्कुरा देती थी.

    फिर जब मैंने उसको ध्यान से देखना शुरू किया तो उसके चूचे कुछ बड़े से लगे, तो मैंने अहसास किया कि वो अब बड़ी होने लगी है.

    अब मेरा दिल उसके साथ सेक्स करने का करने लगा था. मैंने सोचा कि ऐसा क्या किया जाए कि ये अपने आप तैयार हो जाए.

    फिर एक दिन मैं घर पर अकेला था कि वो एक मूवी की सीडी के लिए मेरे पास आई और बोली कि मुझे विवाह मूवी देखनी है, आप ला दोगे क्या?
    तो मैंने कहा- ठीक है, कल ला दूँगा.
    इसके बाद मैंने उसे अपनी सीडी दिखाकर कहा कि इनमें से कोई चाहिए तो देख लो.

    वो कुर्सी पर बैठ गयी और एक एक करके मूवी देखने लगी.

    वो सीडी देख रही थी और मैं उसकी जवानी को आंखों से चोद रहा था.

    तभी मुझे अन्तर्वासना की चुदाई की कहानी याद आने लगी. मैं अक्सर जब भी अपने ऑफिस में बैठ कर अन्तर्वासना की सेक्स स्टोरी पढ़ता हूँ तो उसका प्रिंट निकालकर घर ले आता हूँ और रात में आराम से पढ़ता हूँ. तो उस दिन भी रात को जो स्टोरी पढ़ी थी, उसका प्रिंट पेपर फ़्रिज़ पर रखा था.

    यह कहानी भी पड़े चाची की सहेली की बेटी चुद गई
    मुझे उसकी जवानी देख कर नशा सा होने लगा और लंड खड़ा हुआ तो मैं बाथरूम में चला गया. फिर जब मैं वापस आया, तो उसके एक हाथ में एक सीडी थी और दूसरे हाथ में वो स्टोरी का पेपर था. वो उसे पढ़ रही थी.

    उसे जैसे ही इस बात का अहसास हुआ कि कोई है, तो उसने वो पेपर तुरंत वहीं पर रख दिया और मुझे देखकर मुस्कुराते हुए बोली कि मैं ये सीडी ले जा रही हूँ.
    इतना कह कर वो चली गयी.

    मैंने सोचा कि इसने तो ये सेक्स स्टोरी पढ़ ली होगी. अब मैं सोचने लगा कि इसको तैयार करने का यही सही तरीका है.. इसको रोज एक चुदाई की कहानी पढ़ने को मिलेगी तो साली चूत खोल ही देगी. बस अब मैं रोजाना एक सेक्स स्टोरी लाता और जब वो अकेली होती तो उसके निकलने के समय उसी के घर के दरवाजे पर डाल देता.

    पहले दिन तो मैंने सोचा कि चलो देखा जाए कि ये कैसे रिएक्ट करती है.

    कुछ देर के बाद में वो आई और उसने कल जैसे पेपर अपने दरवाजे पर पड़े देखे, तो उसने इधर उधर देखा और झट से स्टोरी वाले कागज़ उठा कर अपने कपड़ों में छिपा लिए. मैं समझ गया कि इसको गर्म स्टोरी पढ़ने में मजा आने लगा है.

    ऐसा मैंने लगातार चार दिन तक किया और मुझे ये आभास भी हो गया कि वो ये जान चुकी है कि ये सेक्स स्टोरी मैं ही उसके लिए रखता हूँ.

    फिर एक दिन मेरे घर पर मेरी माँ के बड़े भाई आए और माँ से बोले- मेरे साथ चलो, मैंने अपना नया घर लिया है, उसका मुहूर्त है.
    मेरी माँ उनके साथ चली गईं और मुझे बाद में आने के लिए बोल गईं.

    यह कहानी भी पड़े कमसिन बेटी की महकती जवानी-3
    मैं उस वक्त अपने किसी काम की वजह से नहीं जा सका था. उसी वजह से उस दिन मैंने ऑफ ले रखा था, तो मैं उस दिन घर पर ही रह गया था. ये इत्तेफाक ही था कि उसकी माँ भी उस दिन बाजार गयी थीं. वो भी घर पर अकेली थी.

    काम खत्म करके मैं मूवी देख रहा था. उस दिन एक कमसिन उम्र की लड़की की चुदाई की स्टोरी पढ़ कर फ्रिज पर रख दी थी.
    तभी वो आ गयी और बोली- कौन सी मूवी देख रहे हो?
    मैंने कहा- बैठो और देख लो.

    वो भी मेरे साथ बैठकर मूवी देखने लगी. फिर मैंने देखा कि उसकी नजर बार-बार उसी स्टोरी के पेपर्स पर पड़ रही थी, जो फ्रिज पर रखे थे.

    तभी मेरे मोबाइल की बेल बजी और मैं बात करता हुआ रूम से बाहर चला गया और फिर करीब 15 के बाद अन्दर आया, तो तब मैंने देखा कि वो फ्रिज के पास खड़ी थी. इस वक्त उसकी पीठ मेरी तरफ थी. मैं धीरे से उसके पास गया तो मैंने देखा कि वो उस स्टोरी को पढ़ रही थी. मैं कुछ देर तक खड़ा रहा.. फिर मैंने कुछ आवाज़ की ताकि उससे लगे कि मैं रूम में आ गया हूँ.

    वो जल्दी से कुर्सी पर बैठ गयी, लेकिन वो सेक्स स्टोरी अभी भी उसके हाथ में थी. मैं भी मन में मुस्कुराते हुए बेड पर बैठ गया और मूवी देखने लगा, ताकि उसे ये लगे कि मैंने कुछ नहीं देखा है.
    कुछ देर के बाद मैंने उसके हाथ में पेपर देखकर कहा- ये क्या है?
    पहले तो वो उसे छुपाने लगी. फिर मैंने उसके हाथ से पेपर्स ले लिए और खोलकर देखे. फिर उसकी तरफ देखा, तो वो डर से चुपचाप बैठकर मूवी देखने लगी थी.
    मैंने उससे कहा कि तुमको ऐसी स्टोरी अच्छी लगती हैं?
    उसने कुछ नहीं कहा.

    मैंने कहा कि तुम अभी छोटी हो, तुमको ये सब नहीं पढ़ना चाहिए.
    वो बोली कि मैं इतनी छोटी भी नहीं हूँ, मैं सब समझती हूँ. तुमने ही तो मुझे ये सब पढ़ने को दिया है.
    तब मैंने कहा- अगर सब जानती समझती हो तो बताओ जब ये स्टोरी पढ़ती हो तो कैसा लगता है?
    वो हंस कर बोली- अच्छा लगता है.
    तब मैंने आंख दबा कर कहा कि बस अच्छा.. और कुछ नहीं?
    वो होंठ काटते हुए बोली- नहीं और कुछ नहीं.

    फिर मैंने कहा- रियल में महसूस करना पसंद करोगी?
    वो सर झुका कर बोली- नहीं, मुझे डर लगता है.
    मैंने कहा- अगर डरोगी तो कभी इसके मज़े नहीं ले पाओगी और फिर मैं तुम्हारे साथ हूँ, मैं कुछ गलत नहीं होने दूँगा.
    वो मेरी तरफ देख कर बोली- ठीक है, लेकिन कैसे करना है?
    मैंने उससे पूछा- ये बताओ तुम्हारी माँ कब तक आएँगी?
    तो वो चहक कर बोली कि वो बाजार गयी हैं, शायद 2 घंटे के बाद आएंगी.

    ये सुनकर मैंने दरवाजा बंद किया और उसको बेड पर बैठने को कहा.

    इस वक्त उसने टी-शर्ट और जीन्स पहनी थी, तो पहले तो मैंने उससे कहा कि अपनी टी-शर्ट उतार दो.
    वो बोली- नहीं मुझे शर्म आती है.

    फिर मैंने ही चुदाई का खेल शुरू किया और पहले उसको अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों पर किस किया.. वो एकदम से गनगना गई. उसे भी मजा आने लगा. हम दोनों करीब 10 मिनट तक किस करते रहे.
    फिर मैंने अपना एक हाथ उसके मम्मों पर रख दिया और दबाने लगा. उसे कुछ-कुछ मज़ा आने लगा था.

    यह कहानी भी पड़े दोस्त की गांड और चचेरी बहन की चूत
    तभी मैंने झटके से उसकी टी-शर्ट उतार दी और देखा कि उसके चूचे अभी छोटे-छोटे थे और उसके पिंक कलर के निप्पल खड़े हो गए थे. मैं उसके एक मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा. इससे शायद उसे और मज़ा आने लगा था.
    वो बिस्तर पर लेट गयी और मैं उसके मम्मों को एक एक करके सक करने लगा. साथ ही धीरे से उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और अपना एक हाथ उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी जीन्स के अन्दर डाल दिया और चूत को रब करने लगा था.

    वो बहुत ज्यादा गर्म हो गयी थी और मचल रही थी. मैंने उसकी जीन्स उतार दी. अब वो मेरे सामने पेंटी में थी और उसकी आँखों में नशा भर गया था. उसे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे उसने काफ़ी शराब पी रखी हो.

    मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी, उसकी चूत बहुत छोटी थी और चूत के ब्राउन कलर के बाल बहुत कम ही आए थे, लेकिन उसकी चूत बिल्कुल पिंक थी.

    फिर मैंने अपना एक हाथ जब उसकी चूत पर रखा तो वो जैसे पागल सी हो गयी. मैं उसकी चूत के दाने को अपनी उंगली से रगड़ने लगा तो वो मचल उठी और अपने हाथों से अपने बूब्स दबाने लगी.

    तभी मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ रख दी और उसकी चूत के पिंक होंठों को किस करने लगा, तो वो तो जैसे पागल ही हो गयी थी. उसकी आँखें बंद थीं और अब वो अपने मुँह से आवाजें निकाल रही थी.

    इस समय उसके दिल की धड़कन काफ़ी तेज हो गयी थी. फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अन्दर डाली तो वो तड़प गयी. तभी मुझे बाहर एक कार रुकने की आवाज आई तो मैंने खिड़की से देखा कि कौन है? बाहर उसकी माँ वापस आ गयी थीं, लेकिन वो इन बातों से बेखबर बेड पर लेटी मछली की तरह तड़प रही थी.

    यह कहानी भी पड़े बॉयफ्रेंड ने दुल्हन बना कर मेरी पहली चुदाई की
    फिर मैंने उसके कान में कहा- तुम्हारी माँ आ गयी हैं.
    वो बोली- प्लीज आप जल्दी से मुझे डिसचार्ज कर दो, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.

    तब मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डालकर उसकी चुदाई स्टार्ट की और उसके होंठों को चूसने लगा, तो कुछ ही देर में वो डिसचार्ज हो गयी.

    फिर उसने झट से अपने कपड़े पहने और जाते वक़्त मुझे किस किया और बोली कि आज तक मैं इस खूबसूरत मजे को नहीं जान पाई थी कि कैसा होता है? आज आपने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया, लेकिन आप ऐसे ही रह गए, मैं जल्द ही ये प्रोग्राम फिर से बनाती हूँ.

    अब कब उसने मेरे लंड को शांत किया ये मैं आपको जल्द ही उसकी चुदाई की कहानी लिखता हूँ.
    मुझसे बात करने के लिए मेल करें.

  • देवर ने की भाभी की चूत चुदाई

    दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार, मेरा नाम सुनीता है. मैं थोड़ी प्यासी औरत हूँ. वैसे मेरे पति तो मुझे चोदते ही हैं लेकिन मुझे और ज्यादा चुदवाने का मन करता है. मेरा अन्दर बहुत सेक्स है. मेरे पति जब भी मुझे चोदते हैं तो वो जल्दी झड़ जाते हैं जबकि मैं और सेक्स के लिए तड़पती रहती हूँ.
    मेरी सेक्स की तड़प ने ही मुझे अपनी चूत में उंगली करने के लिए मजबूर कर दिया और मैं अपनी चूत में उंगली करके अपनी चूत को शांत करती हूँ. मेरा मन जब नहीं लगता है तो कभी कभी अन्तर्वासना सेक्स कहानियां पढ़ती हूँ जिससे मुझे बहुत अच्छा लगता है.

    मैं आप अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रही हूँ जो मेरे और मेरे देवर की है.
    जब पति से चुदकर मेरी चूत को शांति नहीं मिली तो मैं अपने देवर से अपनी चूत शांत करवाने लगी. वो भी क्या दिन थे जब मैं अविवाहिता थी तो मुझे बहुत लंड मिलते थे चुदवाने के लिए … लेकिन ससुराल में तो डर लगता है. किसी का लंड अपनी चूत में लेने से! अगर मेरे ससुराल वालों को पता चल गया तो कितनी बदनामी होगी.
    वैसे मैं मौका देख कर किसी न किसी को पटा लेती हूँ और उससे चुदवा लेती हूँ. ज्यादातर लोग तो मुझे ही पटाते हैं मुझे चोदने के लिए. और मैं भी अपने जिस्म का बहुत ध्यान रखती हूँ.

    मेरे पति थोड़ा पैसा भी कम कमाते हैं और मेरा देवर मेरे पति से ज्यादा पैसा कमाता है. वैसे मुझे यह पता था कि मेरा देवर मुझे शुरू से ही पसंद करता था क्योंकि वो हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ बाजार से लाता रहता था, मुझे त्योहार पर उपहार भी देता था.
    मैं अपने देवर को कभी गलत नजरिये से नहीं देखती थी. मैं भी अपने देवर को बहुत मानती थी. मेरे पति मुझे अच्छे से नहीं चोद पाते थे या मैं ही थोड़ा ज्यादा चुदासी थी कि मुझे अपने पति के लंड के अलावा भी दूसरे के लंड से चुदवाने का मन करता था.

    यह कहानी भी पड़े भाभी की मस्त चुदाई
    मैं अपने देवर से पहले से ज्यादा बातें करने लगी. मैं जब भी अपने देवर को सुबह में चाय देने जाती थी तो उनका खड़ा लंड देखती थी.

    एक दिन देवर ने मुझे उनका खड़ा लंड देखते हुए देख लिया और बोले- भाभी क्या हुआ, आपको कुछ चाहिए?
    मेरे देवर अपने लंड की तरफ देख कर मुझसे बातें कर रहे थे. मेरे देवर ने पहली बार मुझसे डबल मीनिंग में बात की थी.

    अब तो उसी दिन से हम दोनों लोग गंदे गंदे मजाक करने लगे. अब तो मेरे पति जब जॉब करने जाते थे तो मैं घर का सारा काम करके अपने रूम में आराम से सोती थी. दोपहर में मेरा यही काम था कि मैं दोपहर में सोती थी.

    एक दिन मैं दोपहर में अपने रूम में सो रही थी. उस दिन मेरे देवर अपने जॉब पर नहीं गए थे. मैं सोते समय अपनी साड़ी खोल एक ब्लाउज और पेटीकोट में सोती हूँ. इससे मुझे सोने में आराम रहता है और नींद भी अच्छी आती है. मैं रात को भी ब्लाउज और पेटीकोट में ही सोती हूँ.
    मैं अपने रूम में दोपहर को सो रही थी और मेरी पेटीकोट मेरे जांघों तक आ गयी थी. मेरी पेंटी दिख रही थी और मैं सो रही थी. मेरा देवर मेरे कमर में आकर मेरी पेंटी को देख रहे थे. मैं जब थोड़ा नींद में उठी तो देखा कि मेरा देवर मेरी पेंटी को बहुत ध्यान से देख रहा है.

    मैंने अपने देवर की तरफ देखा तो मेरा देवर मुझे देख कर मुस्कुराने लगा और बोलने लगा- भाभी, आप सोते समय बहुत सेक्सी लगती हो. आप कभी मेरे साथ भी सो लिया करिए.
    मैं अपने देवर की डबल मीनिंग बात समझ गयी. मैं समझ गयी कि मेरा देवर भी मुझे चोदना चाहता है. मेरी उभरे हुए चुचे और बड़ी गांड जो थोड़ी सी उभरी हुई है.

    यह कहानी भी पड़े सरिता भाभी की चुदाई
    मेरा देवर मेरे जिस्म को देख कर दीवाना हो गया. मेरा देवर मेरे जिस्म की तारीफ करने लगा- भाभी आप बहुत सुन्दर हो. भईया तो आपको खूब रात में प्यार करते होंगे.
    मैं यह बात सुनकर थोड़ा उदास हो गयी क्योंकि मुझे अपने पति से चुदाई का सुख नहीं मिल पाता था जैसा मैं चाहती थी. वैसा मेरा पति मुझे नहीं चोदता था.

    मेरे देवर मेरे पास आया और बोला- भाभी क्या बात है. आप मुझे बताओ मैं हूँ न आपकी सहायता करने के लिए!
    मैंने अपने देवर को बताया- मेरे पति को अब ज्यादा मुझमे रूचि नहीं है. मेरे पति अब मुझसे ज्यादा प्यार नहीं करते हैं जैसा वो पहले करते थे.

    मेरा देवर यह बात सुनकर बोला- भाभी मैं हूँ ना आपका देवर … मैं आपसे प्यार करूँगा.
    मैं और मेरा देवर हम दोनों लोग एक दूसरे से नज़रें मिलाकर बात कर रहे थे. मेरा देवर मुझे देख कर थोड़ा हवस भरी नजरों से मुझसे बातें कर रहा था.
    मेरे सास और ससुर दोनों लोग बाहर गए हुए थे.

    मेरा देवर मुझसे बातें करते करते मुझे किस करने लगा. मैं भी अपने देवर के बालों में अपना हाथ फिराने लगी और हम दोनों लोग एक दूसरे को किस करने लगे. हम दोनों लोग एक दूसरे को बहुत अच्छे से किस कर रहे थे और मेरा देवर मेरे होंठों को चूस रहा था. मेरा देवर मुझे किस करते करते मेरी चूची को मेरे ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा.

    मैं भी अब चुदासी हो गयी थी और मेरे अन्दर की सेक्स की बहार आ गयी थी. मेरे देवर ने मेरी ब्लाउज निकाल दी और उसके बाद वो मेरे ब्रा को भी निकाल कर मेरी बड़ी बड़ी चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. मेरे पति तो मेरी चूची को ठीक से चूसते भी नहीं थे.

    मेरे देवर ने मेरी दोनों चूची को बहुत देर तक चूसा और उसके बाद वो मेरी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, मेरी पेटीकोट को निकाल दिया और मैं उसके सामने बस एक पेंटी में थी. मेरा देवर भी अपने कपड़े निकालने लगा और वो भी कुछ देर के बाद नंगा हो गया.

    देवर ने मेरी पेंटी को निकाल कर मुझे एकदम नंगी कर दिया और मुझसे बोलने लगा- भाभी, मैं आपको बहुत पहले से पसंद करता था लेकिन आपके साथ ये सब करने की हिम्मत नहीं होती थी. मैं आपको बहुत पहले ही चोदना चाहता था. मेरा भाई बहुत किस्मत वाला कि उसको आप जैसे खूबसूरत बीवी मिली है.

    मेरा देवर मेरी चूत को सूंघने लगा लगा और मेरी चूत को सूंघने के बाद वो मेरी पेंटी को भी सूंघने लगा. मेरा देवर मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा. वो मेरी चूत की दरार को बहुत देर तक अपनी जीभ से चाटता रहा और उसके बाद वो मेरी चूत को खोलकर मेरी चूत को अन्दर तक चाट रहा था. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी, मेरा देवर मेरी चूत के पानी को पी रहा था और मेरी चूत को चाट रहा था.

    यह कहानी भी पड़े भैया के शादी में बुआ की ननद को चोदा और उसकी चूत चाटा
    मेरे देवर ने मेरी चूत को बहुत देर तक चाटा जिससे मेरे अन्दर की सेक्स की आग बाहर निकल गयी और मुझे अपने देवर से चुदवाने का मन करने लगा. मैं अपने देवर को बोलने लगी- आप मेरी चूत कब तक चाटोगे? मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोदो! प्लीज मुझे अब मत तड़पाओ.

    मेरा देवर मेरी चूत को चाट रहा था और मेरी चूत से अब थोड़ा ज्यादा पानी निकलने लगा और मैं एक बार झड़ गयी.

    मेरा देवर मेरी चूत चाटने के बाद अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा. मेरी चूत के पानी से मेरे देवर का लंड भी भीग गया था और उसके बाद मेरे देवर ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. मेरे देवर का लंड मेरी चूत में जाते ही मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मेरी प्यासी चूत को लंड मिल गया था और हम दोनों लोग सेक्स करने लगे. मेरा देवर मेरी गर्दन पर किस कर रहा था और मेरे गर्दन को चाट रहा था. मेरी देवर मुझे चोदते चोदते मेरी चूची चूस रहा था.

    हम दोनों लोगों का कामुक जिस्म एक दूसरे से मिल रहा था. मैं क्या बताऊँ कि मुझे अपने देवर से चुदवाने में कितना मजा आ रहा था. वो भी बहुत जोश से मुझे चोद रहा था. मैं उसके नीचे थी वो मेरे ऊपर था और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था.

    चुदाई से हम दोनों की आवाज भी निकल रही थी. जब उसका लंड मेरी चूत में जा रहा था तो चट चट की आवाज आ रही थी. हम दोनों की चुदाई से पूरे कमरे में गर्मी हो गई थी.

    यह कहानी भी पड़े बड़ी गंद वाली सेक्सी चुदक्कड आंटी की चुदाई
    अचानक मेरे देवर ने मुझे चोदते चोदते अपना लंड बाहर निकल दिया और अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया और मैं अपने देवर के लंड को चूसने लगी. मैं अपने मुलायम होंठों से अपने देवर का लंड चूस रही थी और वो मुझे अपना लंड चुसवा रहा था और अपनी आँखें बंद करके लंड चुसवाने का मजा ले रहा था.

    कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मेरे देवर ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगा. हम दोनों चुदाई कर रहे थे और हम दोनों के पसीने से बिस्तर भी भीग गया था. साथ में बिस्तर भी गर्म हो गया था. इस बार मेरा देवर मुझे बहुत ताकत के साथ चोद रहा था. वो अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल रहा था और बाहर निकाल रहा था.

    हम दोनों लोग सेक्स करते करते थोड़ा थक गए लेकिन हम दोनों की सेक्स करने की आग और बढ़ती जा रही थी. हम दोनों चुदाई करते करते एक दूसरे के होंठों को भी कभी कभी चूस रहे थे. मेरा देवर मुझे चोद रहा था और मैं कामवासना भरी आवाजें निकाल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

    हम दोनों देवर भाभी एक दूसरे को जोर से पकड़ कर चुदाई कर रहे थे. मेरा देवर मुझे जोर जोर से चोदने लगा और मैं अपनी गांड उछाल उछाल कर अपने देवर से चुदवाने लगी. हम दोनों लोग चुदाई करते करते चरम सीमा पर पहुँच गए और हम दोनों चुदाई करते करते झड़ गए. हम दोनों का पानी निकल गया और हम बिस्तर पर थक कर सो गए.
    हम दोनों की कब नींद लग गयी, हमें पता भी नहीं चला.

    अब हम दोनों लोग शाम को सो कर उठे, चुदाई करने के बाद मैं बहुत फ्रेश महसूस कर रही थी. मैं जल्दी से अपनी साड़ी पहनने लगी क्योंकि अब मेरे सास ससुर का आने का समय हो गया था. मेरे सास ससुर खेत में काम करने जाते हैं और शाम को घर आते हैं. मैंने और मेरे देवर ने एक दूसरे को किस किया और उसके बाद अपने अपनी साड़ी पहन कर घर का काम करने लगी.

    उस दिन के बाद से तो मैं और मेरा देवर हम दोनों का जब भी चुदाई करने के मन करता था और जब भी हम दोनों घर में अकेले रहते थे तो चुदाई करते थे. मेरा देवर कभी कभी रात में मुझे बाहर बुलाकर मेरी चूची चूसता था और मेरी चूत में उंगली करता था.

    मेरी चूत तो हमेशा लंड लेने के लिए तैयार रहती है और जब हम दोनों को चुदाई करने के मौका नहीं मिलता था तो हम दोनों लोग रात छत पर जाकर चुदाई करते थे. मेरा देवर मुझे छत पर ले जाता था और मुझे छत पर चोदता था.

    आप सब को मेरी चुदाई की कहानी कैसी लगी. आप मुझे मेल करके बतायें. आप मेरी कहानी पर फीडबैक देंगे तब भी मुझे पता चलेगा कि मेरी कहानी आपको कैसी लगी.