Category: पार्टी में चुदाई

  • मुझे बूढ़े ने चोदा दोस्त की शादी में

    हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम ज्योति है और मैंने एक दिन थोड़ी ख़ुशी के लिए ज़िंदगी भर अपने आप में एक अज़ीब सी फीलिंग ले ली और अपनी नज़र में गिर गयी, काश वो दिन मेरी ज़िंदगी से निकल जाए, लेकिन जो समय बीत जाता है वो ख़त्म नहीं किया जा सकता, लेकिन आप लोग कहानी को पढ़े और देखे कि मैंने ऐसा क्या कर लिया था?

    ये मेरी बिल्कुल सच्ची कहानी है जो एक महीने पहले हुई थी. मेरी उम्र 28 साल है और मेरी शादी को 6 महीने हुए है. में अपनी दोंस्त की शादी में अपने पति (गणेश) के साथ गयी थी और फिर रात के 9 बजे हम लोगों ने खाना खाया और दोस्त से बोली कि हम लोग जा रहे है और फिर उसने बोला कि रुक जाओ सुबह चले जाना तो गणेश बोले कि तुम रुक जाओ में सुबह तुम्हें लेने आ जाऊंगा.

    फिर में रुक गयी और रात के 1 बजे मुझे नींद आने लगी तो में ऊपर सोने आ गई तो मैंने देखा कि सब रूम भरे है तो में हॉल में गयी तो हॉल में सब लोग सोए है और लास्ट में एक गद्दा खाली था और सब लोग चादर ओढ़े थे लेकिन मेरे पास कोई चादर नहीं थी. और मेरे बगल में कोई 60-62 साल का गावं का बूड़ा सोया था. फिर में वहीं लेट गयी और सो गयी. उस हॉल में ए.सी. था और मेरे बगल में कूलर चल रहा था तो वो हॉल काफ़ी ठंडा था.

    फिर रात में मुझे ठंड लगी तो में उस बूढ़े की तरफ़ सरकी तो उसने मुझे अपनी चादर ओढ़ा दी और में सो गयी. अब रात में मुझे लगा कि वो बूड़ा मेरी तरफ़ चिपक गया और मुझे अपनी तरफ़ पीछे खींचकर मुझे चिपका लिया. अब मुझे उसका स्पर्श काफ़ी अच्छा लगा तो अब में भी पीछे सरक गयी और मज़े लेने लगी कि बूड़ा क्या करता है? फिर उसने मेरी जांघ पर हाथ फैरते हुए मेरी साड़ी ऊपर कर दी और मेरी कमर पर अपना पैर रख दिया और मेरा ब्लाउज खोलने लगा और मेरे ब्लाउज के हुक खोलकर निकाल दिया. अब मुझे मज़ा आ रहा था और अब मुझे उसका स्पर्श गणेश से अच्छा लग रहा था.

    फिर वो मेरी ब्रा खोलने लगा और मेरा मुँह अपनी तरफ कर लिया और मुझे किस करते हुए मेरी ब्रा निकाल दी. फिर उसने मुझे अपना लंड पकड़ा दिया, वो केवल अंडरवियर में था तो अब में भी उसका लंड सहलाने लगी और उसने मेरी पेंटी निकाल दी. फिर मेरे बूब्स को चूसने लगा तो अब में एकदम मस्त हो गयी और फिर अब वो मेरे बूब्स चूसते हुए मेरी चूत पर हाथ फैरता हुआ अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को चाटने लगा तो अब में पागल सी हो गयी.

    तभी किसी ने लाईट जला दी तो में एकदम डर गयी और फिर लाईट बंद हो गयी. फिर मेरे बगल में जगह देखकर कोई लेट गया, क्योंकि में बूढ़े से चिपक गयी थी तो मेरे बगल में जगह हो गयी थी. अब इधर में घबरा रही थी और उधर वो बूड़ा नीचे मेरी चूत को चाट-चाटकर पागल कर रहा था. फिर मेरा ध्यान मेरे ब्लाउज और ब्रा पर गया तो मुझे याद आया कि मेरी ब्रा और ब्लाउज उस बिस्तर पर है तो अब में घबरा गयी और अब मेरा मन चुदाई से हटकर मेरे कपड़ो पर गया. फिर में उस बूढ़े को हटाने लगी तो वो बोलने लगा कि रूको और मुझे पकड़ लिया. अब में फंस गयी थी और अब मुझे बेचैनी सी होने लगी.

    फिर उधर वो पीछे वाला आदमी मेरी चादर में घुसने लगा और मेरी गांड पर हाथ फैरने लगा तो अब मुझे लगा कि वो समझ गया है कि बगल में क्या हो रहा है? अब मुझे लगा कि ज्योति आज तो तू मरी. फिर पीछे वाला आदमी मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखने लगा तो उसने धोती पहनी थी और फिर उसने अपनी धोती साईड में करके अपना लंड मेरे हाथ में थमा दिया. इधर वो पहले वाला बूड़ा मेरे ऊपर आकर मुझे किस करने लगा और अपना लंड मेरी चूत पर टिकाकर अंदर करने लगा.

    फिर एक दो बार तो उसका लंड फिसला, लेकिन तीसरी बार बूढ़े का लंड मेरी चूत में थोड़ा सा अन्दर घुस गया तो मेरे मुँह से आह्ह कि आवाज़ निकल गयी और में पीछे सरक गयी. फिर पीछे वाला आदमी अपना लंड मेरी गांड के छेद पर थूक लगाकर सेट करने लगा और अंदर करने लगा. अब मेरी गांड फटने लगी कि में कहाँ फंस गयी? अब मुझे पसीना आ गया था और इधर वो पहले वाला बूड़ा अपना लंड हिला-हिलाकर मेरी चुदाई करने लगा था. अब मुझे पीछे से दूसरे आदमी का डर था कि ये कौन है? और में उसका लंड मेरी गांड में नहीं घुसने दे रही थी. अब में अपनी गांड टाईट कर रही थी और वो पीछे पेलने में लगा हुआ था.

    इधर मुझे लगा कि वो पहले वाला बूड़ा झड़ने वाला है तो में उसे हटाने लगी, लेकिन उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और तीन चार धक्कों में झड़ गया, अब में रोने लगी थी, क्योंकि मुझे अभी बच्चा नहीं चाहिए था और गणेश तो हमेशा कंडोम का उपयोग करते थे.

    अब में इस चुदाई से परेशान होने लगी और उस बूढ़े ने अपना लंड निकालकर अपना अंडरवियर पहना और अलग हो गया. अब पीछे वाले आदमी ने मुझे दूसरी तरफ खींच लिया और चादर से बाहर कर दिया और मेरी टाँगे चौड़ी करके मेरे ऊपर आ गया और अपना लंड मेरी चूत पर रखकर अंदर करने लगा, उसका लंड बहुत मोटा था. अब मेरी चूत गीली होने के कारण उसका लंड झट से मेरी चूत में घुस गया, लेकिन वो लंबा लंड मुझे तब मालूम हुआ जब वो अंदर रुका और वो मेरे मुँह पर आकर किस करने लगा. फिर मैंने देखा कि उसने ड्रिंक किया है और वो भी बूड़ा है. अब ड्रिंक की वजह से वो अगल बगल ध्यान नहीं दे रहा था और ना ही डर रहा था. अब उसने मेरी चुदाई जोर-जोर से करनी शुरू कर दी.

    अब मुझे लगा कि वो भी झड़ने वाला है तो में उसे भी हटाने लगी, लेकिन वो मुझे कसकर पकड़कर चोदने लगा. और फिर थोड़ी देर में वो मेरी चूत में झड़ गया. फिर मैंने उसे तुरंत हटाया और अपना ब्लाउज ब्रा लिया और हॉल के बाथरूम में चली गयी. फिर जब में वापस आई तो हॉल की लाईट जल रही थी और फिर वो दोनों बूढ़े मुझे देखने लगे.

    फिर मैंने देखा कि वो दोनों बूढ़े बहुत गंदे थे और अब लाईट की वजह से और लोग भी आँख खोल रहे थे, इसलिए मैंने अपनी पेंटी को ढूंढना ठीक नहीं समझा और वहाँ से बाहर निकल गयी और मेरी दोस्त की माँ के पास आ गयी. अब वो मेरी सबसे बड़ी ग़लती थी, लेकिन आदमी को एक ग़लती माफ़ होती है, अभी मेरे पीरीयड हो गये है और अब सब ठीक है. में इस चुदाई का आनंद तो नहीं ले सकी, लेकिन आपको मेरी कहानी में मज़ा आया होगा.

  • बीवी को चुदते हुए देखा – [Part 1]

    हेलो दोस्तों.. मैं अरमान आप सभी के सामने अपनी दूसरी कहानी लेकर आया हूँ और मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी भी आप सभी को मेरी कहानी बहुत पसंद आएगी.. आज मैं आपको बताने जा रहा हु कि किस तरह से मेरी बीवी छवि कैसे पड़ोस वाले अंकल से चुदने लगी? आज मैं आपको उनके सेक्स एनकाउंटर के बारे में बताने जा रहा हूँ और मुझे यकीन है यह आपको ज़रूर पसंद आएगी.

    दोस्तों, मेरे अन्दर एक अजीब सी कशिश है और मुझे अपनी बीवी छवि को किसी और से चुदते हुए देखने का कितना मन करता है? इसलिए मैंने यह एक आईडिया निकाला.. यह आईडिया मुझे एक ऑफिस से आया जहाँ पर मैं कुछ काम से गया था. मैं केबिन में बैठा था और मैंने देखा कि जो भी लोग ऑफिस में आ रहे है उन्हें मैं देख सकता था.. लेकिन कोई केबिन के अंदर नहीं देख सकता था. तो मैंने बोला कि सर यह आपने अच्छा करवाया है कि आप सब पर नज़र रख सकते हो.. लेकिन आपको कोई नहीं देख सकता. तो उन्होंने मुझे बताया कि इसको टू वे कांच बोलते है.. जिससे हम बाहर वाले को देख सकते है.. लेकिन बाहर वाला हमे नहीं देख सकता. फिर रात को सोते वक्त जब मैं मेरे बेडरूम में गया तो मैं आईने के सामने खड़ा था और मुझे आईडिया आया कि अगर मैं भी यहाँ पर टू वे कांच फिट करवा दूँ तो बेडरूम के अंदर क्या हो रहा है? मैं आसानी से देख सकता हूँ.. लेकिन मैं नहीं चाहता था कि मेरी बीवी को पता चले इसलिए मैं मौका ढूँढ रहा था कि जब छवि घर पर ना हो. तो मैं यह काम करवा सकता हूँ और मुझे जल्द ही ऐसा मौके मिल भी गया.. यह अगस्त की बात थी.. जब मेरी बीवी छवि अपने भाई के घर करीब 7-8 दिन राखी बाँधने के लिए गयी थी.

    तो उसी समय मैं कांच वाले की दुकान पर गया और मैंने डेमो देख लिया और मैंने कहा कि मुझे ऑफिस में कांच फिट करवाना है. तो उन्होंने मुझे डेमो दिखाया और मैंने 4×4 का बड़ा टू वे कांच ले लिया कटिंग करवाकर बिल्कुल उसी साईज़ का जैसा मेरे बेडरूम में नॉर्मल कांच था ताकि छवि को शक ना हो कि कांच क्यों चेंज हो गया? वो कांच फर्निचर में स्क्रू से फिट किया हुआ था जो मैं भी बदल सकता था.. लेकिन उसके पीछे की दीवार को 4×4 की साईज़ में काटना था ताकि मैं स्टोर रूम से अपना बेडरूम देख सकूँ वो काम थोड़ा मुश्किल था और मैं नहीं चाहता था कि किसी को भी इस बात की भनक लगे कि मैं क्या करवा रहा हूँ? मैंने घर पर एक लेबर को बुलाया और उसे बताया कि मुझे यहाँ पर दरवाजा बनवाना है 4×4 का तो दीवार को गिराकर मुझे यहाँ पर जगह करवानी है. तो उसने मुझे बताया कि साहब उसमे 3-4 दिन लग जाएगे..

    मैंने कहा कि नहीं मुझे दो दिन में पूरा काम चाहिए अगर तुम चाहो तो मैं डबल पैसा देने के लिए तैयार हूँ और तुम देर रात तक काम करके उसे पूरा करो. तो वो मान गया.. मुझे जैसे भी हो सके छवि के आने से पहले जल्दी काम ख़त्म करवाना था और उसके लिए मैं उसे डबल पैसा देने को तैयार था और उसने दो दिन मैं काम पूरा कर दिया और फिर मैंने कलर वाले के यहाँ से जो मेरी दीवार पर कलर था वैसा ही लाकर लगा दिया और फिर मैंने वो नॉर्मल कांच की जगह टू वे कांच को फिट करना चालू किया और मैंने टू वे कांच फिट करवा दिया फिर मैंने पूरे फर्नीचर को वैसे का वैसा सेट कर दिया जैसा पहले था और मैंने वो नॉर्मल कांच को स्टोर रूम के कोने में रख दिया.

    वैसे हमारे स्टोर रूम में कोई जाता नहीं और छवि तो कभी अकेली अंदर नहीं जाती क्योंकि उसे छिपकली से बहुत डर लगता है और मैं ही एक साल में एक बार दीवाली के टाईम सफाई करने जाता हूँ वरना तो वैसे ही बंद पड़ा रहता है.. वैसे उसमे कुछ खास समान नहीं पड़ा है, कुछ पुराना फर्निचर और जैसे टीवी, एक पुरानी साईकल, पानी के पाईप, एक पुराना लकड़ी का बेड है और कुछ पुराने बर्तन और कपड़े पड़े रहते है. जो कभी काम में नहीं आते.. वो सब ऐसे ही पड़े है.. इसलिए वो कमरा हमेशा बंद ही रहता है और उसका दरवाजा हमारे घर के पीछे है इसलिए ज्यादातर कोई उस पर ध्यान नहीं देता.. लेकिन मैंने उसी का ही फ़ायदा उठाया और यह प्लान बनाया था जिससे मैं छवि को दूसरो के साथ सेक्स करते हुए खुलकर देख लूँ और उसे शक भी ना हो.

    छवि करीब 6 अगस्त को जल्दी सुबह आ गयी और मुझे उसका कॉल आया कि मैं स्टेशन पर आ गयी हूँ. तो मैं उसे लेने चला गया और फिर वो आकर बेड पर लेट गयी और मैं भी उसके पास लेट गया. तभी थोड़ी देर के बाद मैंने उसके ऊपर हाथ डाला.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली. फिर मैं धीरे धीरे उसके बूब्स पर हाथ ले गया.. लेकिन उसने मेरा हाथ हटा दिया और बोली कि अरमान मैं बहुत थक गयी हूँ प्लीज मुझे थोड़ा आराम करने दो. तो मैंने सोचा कि 7-8 दिन से चुदी नहीं है तो ना नहीं कहगी.. लेकिन उसने साफ माना कर दिया. तो मैंने भी कुछ नहीं कहा करीब 8.30 हुए और मैंने छवि से कहा कि क्या टिफिन बना दोगी मुझे ऑफिस जाना है? तो उसने कहा कि अरमान मैं थक गयी हूँ तुम प्लीज आज होटल से मँगवाकर खा लेना.. तो मैंने कहा कि ठीक है और मैं ऑफिस चला गया.. लेकिन ऑफिस में मेरा मन नहीं लगा और मैंने बॉस से सरदर्द और चक्कर का बहाना करके छुट्टी ले ली और मैं 11.00 बजे घर आ गया.

    फिर मैंने देखा कि घर का दरवाजा अभी भी बंद था और मैंने देखा कि छवि अभी उठी नहीं थी. मैं धीरे से घर के पीछे चला गया और धीरे से स्टोर रूम का दरवाजा खोलकर अंदर चला गया और मैंने टू वे कांच से देखा तो अंदर बेडरूम की सारी खिड़कियां बंद होने के कारण बहुत अँधेरा था.. लेकिन थोड़ा थोड़ा दिख रहा था. छवि अभी तक वही कपड़े पहने सो रही थी और मैंने स्टोर रूम में जो बेड था उसे नीचे गिराया और कुछ पुराने गद्दे पड़े थे उसमे से एक को उठाकर उसके ऊपर डाल दिया और आराम से बैठा और उसके उठने का इंतजार करता रहा. फिर करीब 12:15 के आस पास उसके मोबाईल पर किसी का कॉल आया और उसकी आँख खुल गयी और उसने बस थोड़ी सी ही बात की और कहा कि हाँ वो पहुंच गयी है और फिर फोन रख दिया शायद वो मेरी सास का फोन था.. लेकिन उस कॉल ने मेरा काम कर दिया और छवि को नींद से जगा दिया था.

    फिर वो थोड़ी देर ऐसे ही बेड पर पड़ी रही और थोड़ी देर बाद वो बेड से उठी और उसने लाईट चालू की.. वो सलवार और कमीज़ पहने हुए थी और उठकर उसने सलवार का नाड़ा टाईट किया और कांच के सामने आकर खड़ी हो गयी और बाल बनाने लगी मुझे इस साईड से तो ऐसा ही लगा कि वो मुझे देख रही है. तो मैं थोड़ा डर रहा था.. लेकिन वो मुझे देख नहीं पा रही थी और वो बाल बनाकर दूसरे रूम में चली गयी. फिर मैं आराम से बैठ गया करीब एक डेढ़ घंटे के बाद वो नहा धोकर फ्रेश हो गयी और खाना खाने के बाद वापस बेडरूम में आई.. उसने हल्के गुलाबी कलर की साड़ी पहनी हुई थी और कंप्यूटर चालू किया और अपने मैल चेक किए फिर याहूँ मैसेंजर पर लॉग इन किया. तभी थोड़ी ही देर मैं उसके मोबाईल पर कॉल आया और उसने बात की वो किसका कॉल था मुझे पता नहीं चला.. लेकिन उसने जो बोला वो मैं आपको बताता हूँ.

    छवि : हाँ मैं आज सुबह ही आई हूँ.. हाँ करीब 6.30 के आस पास.. नहीं वो ऑफिस गये है. अभी नहीं, अभी नहीं मैं बहुत थक गयी हूँ. तो ठीक है मैं थोड़ी देर में आपको कॉल करती हूँ. फिर उसने थोड़ी देर बाद मुझे कॉल किया.. लेकिन मैं बात नहीं कर सकता था क्योंकि अगर वो सुन लेती तो प्राब्लम हो जाती इसलिए मैंने कॉल काट कर दिया और मैंने उसे मैसेज किया कि छवि मैं अपने बॉस के साथ एक मीटिंग में था और अब हम ऑफिस के काम से बाहर जा रहे है आने में थोड़ा टाईम लगेगा.. शायद 7-8 बज जाएगे. फिर उसका जवाब आया कि ठीक है और मैंने जैसा सोचा था वैसा ही हुआ उसने तुरंत ही किसी नंबर पर मिस कॉल किया और फिर उसके मोबाईल पर कॉल आया और उसने बातें कि जो एक साईड मैंने सुनी वो आपको बताता हूँ.

    छवि : हाँ मैंने उनको कॉल किया और वो तो शाम को 7-8 बजे आएगे.. हाँ ठीक है आना है तो आ जाओ और उसने कॉल रख दिया. फिर 10 मिनट बाद मेन दरवाजे पर बेल बजी और छवि कंप्यूटर से उठकर दरवाजा खोलने गयी और फिर वापस कंप्यूटर पर बैठ गयी और आवाज़ लगाई कि दरवाजा बंद करके आना. फिर मैंने देखा कि वही पंजाबी अंकल भूपेन्द्र सिंह बेडरूम में आए और बेड पर बैठ गये और छवि ने कंप्यूटर चालू छोड़ दिया और पीने को पानी लाकर दिया और पास में बैठ गयी. तो अंकल ने छवि को जांघ पर हाथ घुमाया और बोले कि डार्लिंग कितने दिन के बाद आई हो और आज भी आने को मना कर रही थी. फिर छवि ने बोला कि नहीं मैं सफर के कारण थक गयी थी इसलिए मना किया था. तो वो बोला कि चलो मैं तुम्हारी थकान उतार देता हूँ.. छवि ने कहा कि वो कैसे? तो वो बोले कि बस तुम पूछो मत मैं तुम्हारी सारी थकान उतार दूँगा और तुम जाकर यह जग, ग्लास किचन में रखकर आओ.

    तो वो रखकर वापस आई और अंकल ने उसे बाहों में भर लिया और चूमना शुरू कर दिया और बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर आ गये और बातें करने लगे. तो अच्छा बताओ कैसे मेरी थकान उतारोगे? तो वो बोले कि क्या सचमुच थक गयी हो? तो छवि बोली कि हाँ बाबा सच में सफर करके आई हूँ और सुबह 6.30 बजे ही आई. तो अंकल बोले कि ठीक है एक काम करो कोई पुरानी बेडशीट हो तो वो लेकर आओ. छवि ने पूछा कि पुरानी क्यो? तो वो बोले कि तुम लेकर तो आओ और छवि अंदर से एक पुरानी बेडशीट लेकर आई और अंकल ने उसे डबल बेड पर बिछा दिया और बोले कि अब तुम लेट जाओ.. छवि लेट गयी और फिर अंकल ने जो कांच के पास ड्रॉयर है खोला और उसमें से तेल की बॉटल निकाली.

    छवि : यह क्यों निकाला?

    अंकल : थोड़ी तुम्हारे पैरों को मसाज कर देता हूँ तो थकान मिट जाएगी.

    छवि : हाँ ठीक है.

    फिर छवि ने अपनी साड़ी घुटनों तक ऊपर कर दी और फिर अंकल ने थोड़ा तेल उसके पैरों पर डाला और हाथ घुमाने लगे और छवि को एक हफ्ते से किसी मर्द ने छुआ नहीं था इसलिए वो थोड़ी मचलने लगी. फिर अंकल ने धीरे धीरे घुटनों तक हाथ लगाया और फिर उसे बातों में उलझाए रखा और घुटनों से ऊपर उसकी जांघ पर हाथ घुमाना शुरू किया तो छवि ने कसकर बेडशीट पकड़ ली.. मुझे टू वे कांच से साफ दिख रहा था कि वो कितनी तड़प रही थी.

    अंकल : साड़ी निकाल दो ना.

    छवि : हाँ निकाल रही हूँ.

    तो छवि ने साड़ी पेटिकोट और ब्लाउज सब निकाल दिया और वो अब सिर्फ़ ब्रा पेंटी में थी और पीठ के बल बेड पर लेटी हुई थी. अंकल ने उसकी जांघो पर थोड़ा तेल डाला और मसाज शुरू किया छवि तड़पने लगी, अंकल ने धीरे से एक हाथ उसकी पेंटी पर लगाया.

    अंकल : यह वही है ना जो पहली बार मैंने दी थी.

    छवि : हाँ वही है.

    अंकल : बहुत पसंद है?

    छवि : हाँ.

    अंकल : तो फिर उतार दो इसे वर्ना तेल से खराब हो जाएगी.

    छवि : अहहा बड़ा दिमाग़ लगाते हो उतरवाने के लिए.

    अंकल : तेरे जैसी कमसिन जवानी के लिए तो कुछ भी लगाना पड़े कोई हर्ज नहीं.

    छवि : ठीक है फिर तुम्ही निकाल दो वैसे भी तुम्हारी ही दी हुई है ना.

    अंकल : ठीक है.

    अंकल ने पेंटी की दोनों साईड की लेस खोल दी और छवि को बोला कि थोड़ा ऊपर उठो ताकि वो बाहर निकाल दे और अंकल ने पेंटी को निकालकर साईड में रख दिया और छवि छाती के बल लेट गयी.

    अंकल : क्यों क्या हुआ डार्लिंग शरमा गयी?

    छवि : नहीं जी वो मैं कह रही थी कि ब्रा की लेस भी खोल ही दो.

    अंकल : बड़ी समझदार हो.

    छवि : साथ में तुम जैसा हट्टा कट्टा तगड़ा मर्द हो तो समझदार बनाने में कोई हर्ज नहीं और दोनों हंस पड़े.

    छवि अब बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी और अंकल उसके पास बेड पर बैठे थे. फिर अंकल बेड से उठे और नीचे आ गए और कांच के सामने आकर अपनी टी-शर्ट निकाल दी और पेंट को भी निकाल दिया. मैंने साफ देखा कि अंडरवियर में उनका लंड तनकर एकदम लंबा और मोटा हो गया था.. वो अंडरवियर पहनकर ही छवि के पास बैठ गये और फिर तेल की बॉटल को हाथ में लिया और उसकी पीठ पर तेल डाला और फिर बॉटल साईड में रखकर दोनों हाथों से उसकी पीठ मालिश करने लगे और छवि ने तकिये को कसकर पकड़ा हुआ था. फिर अंकल धीरे धीरे हाथ को छवि की गांड पर चलाने लगे और तेल लिया और छवि के दोनों चूतड़ो पर थोड़ा तेल डाला और हाथ से रगड़ने लगे. तभी थोड़ी ही देर मैं मैंने देखा कि छवि की गांड एकदम चमक मारने लगी और अंकल उसके चूतड़ को कभी मसलते तो कभी दबाते..

    लेकिन वो इतने मस्त चमक रहे थे कि किसी का भी लंड खड़ा हो जाए. मेरा तो लंड तनकर एकदम टाईट हो गया था और बस अब निकल ही जाए और मेरा भी मन कर रहा था कि मैं भी जाकर ऐसी मुलायम मुलायम गांड को मसाज दूँ. अंकल ने फिर ने उससे कहा कि तुम अपनी गांड थोड़ी ऊपर उठाओ और छवि ने थोड़ी सी ऊपर उठाई और धीरे धीरे वो डॉगी स्टाईल में हो गयी. तो उसकी गांड मस्त दिख रही थी.. अंकल ने फिर से उसके चूतड़ो पर तेल डाला.. लेकिन इस बार वो तेल उनके दो चूतड़ो के बीच में से धीरे धीरे नीचे उतरने लगा. तो अंकल बड़ी वाली उंगली को दोनों चूतड़ो के बीच में से नीचे ले गये और उंगली को छवि की गांड के छेद में डाल दिया.. उसने कसकर तकिये को पकड़ लिया और दातों से तकिये को काटने लगी.

    तो उससे मुझे पता चल गया कि उसको सेक्स की बहुत इच्छा हो गयी थी. तभी थोड़ी देर तक अंकल ने उंगली को छेद में अंदर बाहर किया और वो मज़े लेती रही. अंकल ने फिर उंगली बाहर निकाली और छवि की चूत पर तेल वाले हाथ रगड़ने लगे.. वो सिसकियां ले रही थी आह मम्मी आअहह बहुत तड़पा रहे हो आप और यह कहकर छवि पलट गयी और पीठ के बल लेट गयी. तो अंकल अपने तेल वाले हाथ उसकी जाँघो पर फिराने लगे.. कभी वो चूत के ऊपर छूते.. तो कभी उंगली चूत में घुसाते और मैं सब कुछ साफ साफ देख रहा था.

    फिर छवि ने अंकल का हाथ पकड़ लिया.. जिस हाथ से वो उसकी चूत के साथ खेल रहे थे और इशारे से कहा कि बस अब रहने दो नहीं तो निकल जाएगा. तो अंकल ने रहने दिया. फिर अंकल ने हाथ हटा लिया.. लेकिन उनका लंड तनकर इतना मोटा हो गया था कि वो रुकने वाले नहीं थे. फिर उन्होंने छवि के बूब्स के ऊपर तेल डाला और बूब्स को मसलने लगे.. छवि ने उनके हाथ रोके.. लेकिन अंकल धीरे धीरे बूब्स मसलते रहे और मैंने देखा कि छवि के बूब्स मस्त चमकदार हो गए थे. अंकल ने उसकी निप्पल को थोड़ा मसला तो छवि खड़ी हो गयी और अंकल को रोक दिया.. अंकल ने कहा क्या हुआ? वो बोली कि कुछ नहीं और फिर लेट गयी. मुझे पता चल गया कि तो अब छवि रह नहीं पाएगी.

    छवि ने अपना हाथ अंकल की जांघों पर फेरना शुरू किया. अंकल का लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया था.. लेकिन अभी तक वो अंडरवियर के अंदर ही था. तो उन्होंने छवि को अपनी आखों से इशारा करते हुए उनका अंडरवियर निकालने को कहा. छवि ने पहले उसके ऊपर हाथ फिराया और अंकल के सामने देखकर थोड़ी सी स्माईल दी और दांतो के बीच में होंठ को थोड़ा सा काटा और ऐसा इशारा दिया जैसे अभी वो पूरा लंड लेना चाहती है. फिर अंकल बेड पर लेट गये और छवि उनकी जांघो पर बैठ गयी और उसने धीरे से अंकल का अंडरवियर उतारा और मैंने साफ साफ देखा कि अंकल का लंड करीब 6-7 इंच लंबा और तगड़ा हो गया था. छवि ने अंडरवियर निकालकर साईड में रख दी और अपने दोनों हाथों से उनका काला मोटा तगड़ा लंड पकड़ा..

    लेकिन फिर भी वो छवि के हाथों में नहीं समा रहा था और वो उसे पकड़कर हिलाने लगी और हिलाते टाईम छवि की तेल वाली चमकदार गांड ऊपर नीचे हो रही थी और वो अंकल की जांघो से दब रही थी और यह सब देखकर मेरा तो निकलने ही वाला था.. लेकिन मैंने रोक दिया और मैंने सोचा कि थोड़ी देर और रुक जाता हूँ तो मज़ा आएगा और मुझे कांच में से ऐसे दिख रहा था जैसे कि मेरे सामने मेरी बीवी की ब्लू फिल्म चल रही हो और मैं बेड पर बैठे बैठे अपना लंड हिला रहा था …

    दोस्तों आगे की कहानी अगले भाग में …

    धन्यवाद …

  • किटी पार्टी में लेस्बियन चुदाई

    हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम मीनल है. मेरी शादी को 5 साल हो गये है और ज्यादातर मेरे पति ऑफिस के टूर में बिज़ी रहते है. मेरे बहुत सारी सहेलियां है, लेकिन कुछ सहेलियां काफ़ी करीब है जो कि एक दूसरे के घर पर किटी पार्टी ऑर्गनाइज़ करती है. वैसे भी टाईम पास के लिए कुछ तो चाहिए और हर 15 दिन में हम सभी के घर जाते है फिर खाना, पीना और मौज मस्ती और अब तो हम सब इतने खुल चुके है कि सभी को अपने सीक्रेट्स बताने में कोई झिझक नहीं होती और नॉटी बातें करने का मज़ा ही कुछ और होता है.

    एक बार हमेशा की तरह मेरे घर पर किटी पार्टी ऑर्गनाइज़ की गई. मैंने अपनी काम वाली बाई को हेल्प करने के लिया बुलाया था, लेकिन किसी कारण से वो नहीं आई थी और उसने अपनी छोटी बेटी कमला को भेज दिया था, जो अभी सिर्फ़ 19 साल की थी. उसकी माँ की जगह पर वो कभी-कभी घर का काम करने आती थी.

    किटी पार्टी में मेरी सारी सहेलियां आ गई और हम सबने बहुत इन्जॉय किया, लेकिन मेरी सबसे करीबी दोस्त श्रेया का ध्यान पता नहीं क्यों बार बार कमला पर जा रहा था? में समझ गई थी कि उसका इरादा क्या है? इसलिए पार्टी ख़त्म होने के बाद मैंने सीधा श्रेया से पूछ ही लिया कि क्या तू उस कमला को चोदना चाहती है? और श्रेया ने तुरंत हाँ कर दी. तो मैंने कहा कि थोड़ा सब्र कर में कुछ जुगाड़ करती हूँ और मैंने श्रेया को अपने बेडरूम में भेज दिया. जब कमला मुझे किचन में हाथ बंटा रही थी तब मैंने उससे कहा कि मेरा एक काम करेगी? हो सके तो तू श्रेया के सिर में थोड़ा तेल डाल कर मसाज कर दे, उसका बहुत तेज सिर दर्द हो रहा है.

    कमला मेरी बात का कभी मना नहीं करती थी तो वो मेरे बेडरूम में तेल लेकर गई और श्रेया को कहा मेडम जी सिर में दर्द हो रहा है, चलो में आपको मालिश कर देती हूँ. श्रेया को बस यही चाहिए था. मालिश करते-करते श्रेया ने कमला से कहा कि मेरी पीठ में काफ़ी दिनों से बहुत दर्द हो रहा है, तू इतनी अच्छी मालिश करती है ज़रा वहां पर भी कर दे.

    कमला तैयार हो गई और फिर श्रेया ने उसके सामने ही अपना टॉप और ब्रा निकाल दिया तो कमला देख कर थोड़ी शरमा गई, लेकिन जब श्रेया उल्टी सो गयी तो कमला अच्छे से मालिश करने लगी. उस वक़्त में सभी के लिए एक वोडका का पैक बनाकर ले आई और कहा कि जमकर मालिश हो रही है. फिर मैंने कमला को भी वोडका पीने के लिए फोर्स किया और उसे पसंद भी बहुत आया.

    अब कमला को थोड़ा-थोड़ा नशा होने लगा था तो श्रेया ने कहा अपनी मालिश तो पूरी कर ले और कमला के हांथो के पास अपने बूब्स ले आयी और मालिश करवाने लगी जिससे कमला थोड़ी गर्म हो चुकी थी. फिर धीरे-धीरे मैंने कमला के पैरो पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और वो मदहोश होने लगी थी. मैंने और श्रेया ने माहोल और गर्म करने के लिए नॉटी बातें शुरू कर दी थी, तभी श्रेया ने कमला से पूछा क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है? तो कमला बोली कि हाँ मुझे एक लड़का पसंद है.

    फिर हम समझ गयी थी कि अब वो खुल रही है इसलिए मैंने भी अब अपना टॉप निकाल दिया और ऐसे ही बातें करने लगी. फिर श्रेया धीरे-धीरे कमला के नज़दीक होती गयी और उसकी स्कर्ट में हाथ डाल दिया. कमला को मज़ा आ रहा था इसलिए वो कुछ नहीं बोली फिर श्रेया धीरे-धीरे ने अपना पूरा हाथ कमला की पेंटी में डाल दिया.

    अब कोई औपचारिकता नहीं बची थी. हम तीनों काफ़ी गर्म हो चुकी थी. श्रेया और कमला दोनों किस करने लगी थी और में भी कमला के कपड़े उतारने लगी थी और धीरे-धीरे मैंने कमला के पूरे बदन को चूमना चालू किया और उसके बूब्स दबाने लगी. कमला के मुँह से आह्ह्ह्ह आआआअ की आवाज़ निकलने लगी तभी श्रेया ने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी थी. अब कमला को हमने पूरा नंगा लेटा दिया और श्रेया उसकी चूत को चाटने लगी, में बूब्स की बड़ी शौकीन हूँ इसलिए में कमला के बूब्स मुँह में लेने लगी. कमला की तड़प से हमें पता चल गया था कि वो कितना मजा ले रही है. श्रेया को उसकी चूत बहुत पसंद आई थी. फिर मुझे भी अपनी चूत चटवाने का मन किया तो में कमला के मुँह के ऊपर जाकर बैठ गयी और कमला भी उसे जोर ज़ोर से चाटने लगी और मेरा सारा पानी निकलकर उसके मुँह में चला गया.

    अब श्रेया से रहा नहीं गया और वो अपने पर्स में से एक नकली प्लास्टिक का लंड निकालकर ले आई (वो जब भी मेरे घर आती है डिल्डो ज़रूर लाती है, आप समझ जायेंगे क्यों?) श्रेया ने डिल्डो बाँध कर कमला की चूत में घुसा दिया. मुझे पता था कमला ज़ोर से चीखेगी इसलिए मैंने पहले से ही कमला का सिर अपनी गोदी में ले लिया था और जब वो चिल्लाने वाली थी तो उसका मुँह दबा दिया.

    फिर श्रेया ने धीरे-धीरे डिल्डो अंदर डालना शुरू किया और कमला को भी चुदाने में मजा आने लगा. में पीछे से उसके बूब्स मसल रही थी, बस अब कमला का पानी निकलने वाला था और श्रेया ने ज़ोर-ज़ोर से चोदना चालू कर दिया था. फिर कमला की तड़प बहुत बढ़ने लगी थी और उसे देख कर हम दोनों की तड़प बढ़ रही थी और वो उसे ज़ोर-ज़ोर से चोद रही थी. फिर कमला को चोदने के बाद अभी भी श्रेया का मन नहीं भरा था और उसकी प्यास बुझाने के लिए मैंने अपनी चूत को भी उसके आगे कर दिया. फिर उसने मुझे भी जमकर चोदा, जिसके बाद हम तीनों बहुत थक चुके थे और फिर एक दूसरे के साथ लिपट कर सो गये.

  • मेरा लंड कठोर होता चला गया

    काफी दिनों से मैं नौकरी की तलाश में था मुझे अभी तक कहीं भी अच्छी नौकरी नहीं मिल पाई थी कॉलेज खत्म हो जाने के बाद मैं अपने करियर को लेकर बहुत ही ज्यादा चिंतित हो गया था जिससे कि मैं परेशान भी रहने लगा था। एक दिन सुबह मैंने अखबार में इश्तहार देखा उसमें जब मैंने एक कंपनी का इश्तेहार देखा तो मैं वहां पर इंटरव्यू के लिए जाना चाहता था। जब मैं वहां पर गया तो मैंने उस कंपनी में इंटरव्यू दिया और वहां पर मेरी जॉब लग चुकी थी। मेरी जॉब लग जाने के बाद मैं काफी खुश था और करीब एक वर्ष तक मैंने उसी कंपनी में जॉब की लेकिन फिर मुझे लगने लगा कि मुझे अब किसी और कंपनी में ट्राई करना चाहिए और मैंने दूसरी कंपनी में जॉब के लिए ट्राई किया। जब मैंने दूसरी कंपनी में जॉब के लिए ट्राई किया तो मेरा सिलेक्शन वहां भी हो गया और थोड़े ही समय बाद मैं जॉब के लिए मुंबई चला गया था।

    मुंबई से मुझे बड़ी कंपनी का ऑफर आया और मैं वहां पर जॉब करने लगा जब मैं मुंबई में जॉब कर रहा था तो मुंबई में ही मेरे पड़ोस में रहने वाला मेरा दोस्त जिससे कि मेरी काफी अच्छी बनने लगी थी वह मुझे मिला। जब हम दोनों एक दूसरे से मिले तो मैंने उससे कहा कि आजकल तुम दिखाई नहीं दे रहे हो तो वह मुझे कहने लगा कि आजकल मैं ऑफिस के काम में कुछ ज्यादा बिजी था इसलिए मैं तुमसे मिल नहीं पाया था। हम दोनों एक दूसरे के साथ बात कर रहे थे जब हम लोग एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे घर में सब लोग कैसे हैं तो वह कहने लगा घर में तो सब लोग ठीक हैं। हम लोगों ने करीब एक घंटे तक बात की और समय का पता ही नहीं चला की कब एक घंटा बीत गया उसके बाद मैं घर आ गया और घर आने के बाद मुझे याद ही नहीं रहा कि मुझे एक फंक्शन में जाना था और जब मुझे याद आया तो मैं जल्दी से तैयार होने लगा। हमारे ऑफिस में काम करने वाले रोहन के घर पर एक पार्टी थी और मुझे वहां जाना था मेरे दिमाग से यह बात निकल चुकी थी लेकिन जब मुझे ध्यान आया तो मैं जल्दी से तैयार होकर रोहन के घर के लिए निकल गया।

    मुझे यह पता नहीं था कि उन्होंने पार्टी का अरेंजमेंट कहां किया हुआ है, जब मैं रोहन के घर पर पहुंचा तो वह घर पर नहीं था तब रोहन के पापा ने मुझे पार्टी के अरेंजमेंट के बारे में बताया जहां पर पार्टी होनी थी और फिर मैं वहां पर चला गया। जब मैं वहां पर गया तो वहां मुझे रोहन मिला रोहन मुझे कहने लगा कि तुम कहां रह गए थे तो मैंने रोहन से कहा कि मेरे दिमाग से यह बात निकल गई थी उसके लिए मैं तुमसे माफी मांगना चाहता हूं रोहन ने कहा कोई बात नहीं। रोहन अपने रिलेटिव्स को मैनेज कर रहा था रोहन के बेटे का जन्मदिन था और उसके बेटे के जन्मदिन के लिए ही उसने पार्टी रखी थी। वह काफी खुश था और उसकी पत्नी भी काफी खुश नजर आ रही थी। पार्टी शुरू हो चुकी थी लगभग सब लोग आ चुके थे सब लोगों के चेहरे पर खुशी थी और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने रोहन के बेटे को बर्थडे की बधाई दी और फिर मैं अब वहां से कार पार्किंग की तरफ चला गया। मैं वहां पर सिगरेट पीने लगा तभी मैंने एक लड़की को कार से उतरते हुए देखा उसे देखकर मैं उसकी तरफ देखता ही रह गया मेरी नजर एक पल के लिए भी उससे हट नही पाई। मैंने देखा कि वह भी पार्टी हॉल में ही जा रही है मैं भी उस लड़की के पीछे पीछे चला गया और जब वह रोहन से मिली तो मैं भी उसके बिल्कुल सामने ही खड़ा था तो रोहन ने मेरा परिचय सुरभि से करवाया। जब रोहन ने मेरा परिचय सुरभि से करवाया तो मुझे काफी अच्छा लगा और सुरभि से मैंने हाथ मिलाया। मुझे क्या मालूम था कि एक वक्त ऐसा आएगा जब सुरभि और मैं एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाएंगे देखते ही देखते हम दोनों का रिलेशन चलने लगा और हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे। हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे और मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब मैं सुरभि के साथ होता हम दोनों जब भी एक दूसरे के साथ होते तो हम दोनों काफी खुश होते और हम दोनों एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताते। सुरभि के पिताजी एक बड़े बिजनेसमैन है और मैं एक नौकरी पेशा हूं मुझे कई बार लगता कि क्या सुरभि और मेरा रिश्ता आगे बढ़ पाएगा भी या नहीं।

    जब भी मैं सुरभि से इस बारे में बात करता तो सुरभि मुझे कहती कि सोहन तुम इस बारे में मत सोचा करो क्योंकि हम दोनों ने अभी कोई भी फैसला नहीं किया था। सुरभि चाहती थी कि हम दोनों अपनी जिंदगी अच्छे से जिये मैं और सुरभि एक दूसरे के साथ अच्छे से समय बिता रहे थे और मैं सुरभि को समय देने की पूरी कोशिश करता। मेरे पास जब भी टाइम होता तो मैं सुरभि के साथ ही टाइम स्पेंड करता और यह सुरभि को भी अच्छा लगता था कि हम दोनों एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड कर रहे हैं। हम दोनों के बीच का प्यार बढ़ता ही जा रहा था और मैं काफी खुश था कि सुरभि और मेरे बीच प्यार बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। एक दिन मैं और सुरभि मेरे ऑफिस की कैंटीन में ही बैठे हुए थे सुरभि उस दिन मुझसे मिलने के लिए मेरे ऑफिस में ही आई हुई थी क्योंकि सुरभि को उस दिन मुझसे मिलना था। मैं दो-तीन दिनों से सुरभि से नहीं मिल पा रहा था तो सुरभि ऑफिस में ही मुझसे मिलने के लिए आ गई। उस वक्त लंच टाइम था तो मैं और सुरभि हमारे ऑफिस की कैंटीन में बैठे हुए थे सुरभि को मैंने अपने दोस्तों से भी मिलवाया था और मेरे सारे दोस्त सुरभि से परिचित हो चुके थे।

    हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे तो सुरभि ने मुझसे कहा कि तुम काफी दिनों से मुझे मिल नहीं रहे हो तो मैंने सुरभि से कहा कि आजकल ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इस वजह से मैं तुमसे मिल नहीं पाया। सुरभि और मैं करीब एक दूसरे के साथ आधे घंटे तक बैठ कर बाते करते रहे और फिर वह चली गई थी। एक दिन मैं और सुरभि साथ में ही थे। सुरभि और मेरे बीच प्यार तो था अब हम दोनों के बीच किस भी हो चुका था। कई बार हम दोनों के बीच किस हो चुका था जिससे कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और सुरभि को भी बहुत अच्छा लगता। हमारे बीच अभी तक शारीरिक संबंध नहीं बन पाए थे इसलिए एक दिन मैंने सुरभि को अपने घर पर बुला लिया और सुरभि आ गई। जब सुरभि घर पर आई तो उस दिन सुरभि को भी यह समझ आ चुका था कि आज हम दोनों एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाले हैं इसलिए वह भी आ गई। जब सुरभि और मै एक दूसरे के साथ बैठकर बातें कर रहे थे तो मैंने सुरभि की जांघ पर हाथ रखा। सुरभि की जांघ को मैं अपने हाथो से सहलाने लगा मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था और बहुत अच्छा महसूस भी हो रहा था क्योंकि सुरभि के बदन को मैं गर्म कर रहा था। वह पूरी तरीके से गर्म होती जा रही थी मेरे अंदर की गर्मी भी अब बढ चुकी थी और सुरभि के अंदर की आग भी बढ चुकी थी। वह बिल्कुल रह नहीं पाई मैंने उससे कहा मैं तुम्हें आज अपना बनाना चाहता हूं। सुरभि मुझे कहने लगी मैं तो तुम्हारी ही हूं। मैंने जब सुरभि को अपनी बाहों में लिया तो सुरभि मचलने लगी। मै सुरभि के स्तनों को सहलाने लगा था। सुरभि के स्तनों को जब मैं सहला रहा था तो मुझे मज़ा आ रहा था और सुरभि को भी बहुत ही आनंद आ रहा था। सुरभि के अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी। अब मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे। मेरे अंदर की आग बहुत बढने लगी मैंने उसको कहा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पाऊंगा। यह कहकर जब मैंने उसके स्तनों को चूसकर अपना बना लिया।

    वह तड़पने लगी थी मैंने उसकी पैंटी को नीचे उतारकर उसकी योनि को चाटना शुरू किया तो उसकी योनि से पानी बाहर निकलने लगा था वह बहुत ज्यादा तड़प रही थी। मैंने सुरभि को कहा मुझे तुम्हारी योनि को चाटना है वह इस बात पर मुस्कुराने लगी। मैंने सुरभि की योनि को चाटना शुरू किया और उसके अंदर की गर्मी को मैं पूरी तरीके से बढा चुका था। सुरभि के अंदर की गर्मी बढ़ चुकी थी वहां उत्तेजित हो गई थी और उसे मजा आने लगा। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था। मैंने सुरभि की चूत पर लंड लगाकर अंदर की तरफ डाला। जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश होने लगा तो उसकी चूत से खून निकलने लगा और मुझे मजा आने लगा। मुझे बहुत मजा आने लगा था मैं सुरभि को तेजी से धक्के मारता। मै सुरभि को धक्के मार रहा था सुरभि के पैरों को मैंने खोला हुआ था जिससे कि मैं उसे बड़ी ही आसानी से चोद रहा था। सुरभि की योनि के अंदर बाहर मेरा लंड हो रहा था। सुरभि की योनि के अंदर बाहर जब मेरा लंड तेजी से अंदर बाहर होता तो मुझे मजा आता और वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होती उसकी योनि को मैंने पूरी तरीके से चिकना बना दिया था।

    सुरभि की चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था और मेरे अंदर से निकलती हुई गर्मी भी अब इतनी अधिक हो चुकी थी कि मैंने सुरभि की चूत मे अपने माल को गिरा दिया। कुछ देर बाद सुरभि ने मेरे लंड को चूसकर दोबारा से कठोर बना दिया। जिसके बाद मैंने सुरभि की योनि के अंदर दोबारा से लंड को घुसा दिया। जब मेरा लंड सुरभि की योनि के अंदर जाता तो सुरभि को मजा आने लगता और मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था। मैं सुरभि की योनि के अंदर बाहर अपने लंड को किए जा रहा था जिससे कि मुझे मजा आ रहा था और सुरभि को भी बड़ा आनंद आ रहा था। हम दोनों की गर्मी बढ़ती जा रही थी जिस से मेरे धक्को मे बढ़ोतरी हो चुकी थी। वह मुझे कहने लगी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पाऊंगी। अब वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकडने की कोशिश करने लगी जैसे ही मैंने उसकी चूत मे माल गिराया तो वह खुश हो गई। सुरभि खुश हो चुकी थी और उसके बाद हम दोनों कुछ देर तक एक दूसरे के साथ बैठे रहे और एक दूसरे से बात करते रहे। मुझे बहुत ही अच्छा लगा जब मैंने सुरभि के साथ सेक्स संबंध बनाए और सुरभि को पूरी तरीके से संतुष्ट कर दिया था।