Category: पिता और पुत्री की चुदाई

  • बहुत अच्छे परिवार की असलियत

    हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम संजय है और मेरी उम्र 32 साल है. दोस्तों मेरी शादी को 10 साल हो चुके है और मेरी फेमिली में मेरे पापा 52 साल, मेरी मम्मी 49 साल और मेरी वाईफ 28 साल की है. दोस्तों में आप सभी को सबसे पहले यह बता दूँ कि मेरे मम्मी और पापा ने आज तक मुझसे ज्यादा बात नहीं की है.. वो मुझसे कोई भी ज़रूरत होने पर ही बात करते थे. मेरी मम्मी दिन भर पूजा पाठ और पापा अपने बिज़नेस में लगे रहते थे.

    फिर 22 साल की उम्र में मेरी शादी हुई और मुझे बहुत सेक्सी वाईफ भी मिली और मेरा जीवन बहुत मस्ती में गुजर रहा था. हाई सोसाईटी में रहना घूमना फिरना मज़े मस्ती करना.. तो अब में आपको बताता हूँ कि कैसे मेरी लाईफ में अचानक एक दिन बहुत बड़ा भूचाल आ गया.

    दोस्तों यह बात आज से एक साल पहले की है.. जब में अपने किसी जरूरी काम से घर पर लौटा था.. उस समय दिन के दो बज रहे थे और मेरी वाईफ ने मुझे पानी लाकर दिया और जब मैंने उससे पूछा कि बाकी सब लोग कहाँ गए?

    वो बोली कि सब बाहर गये है और उस समय में थोड़ा मूड में था.. तो मैंने उससे कहा कि चलो आज मस्ती करते है और उसे अपने रूम में ले जाने लगा.. लेकिन उसने कहा कि रूम में तो हम रोज ही यह सब करते है.. आज हम किचन में करते है और फिर हम किचन में चले गए. किचन में एक टेबल थी.. वो उसी पर चड़ गयी और उसने मुझसे कहा कि तुम नीचे ही रहो और वो अपनी साड़ी खोलने लगी और साड़ी को पूरा खोलने के बाद वो अपना ब्लाउज, फिर पेटिकोट, फिर ब्रा और आखरी में उसने अपनी पेंटी तक को उतार दिया.. लेकिन दोस्तों वो क्या मस्त सेक्सी लग रही थी.. जैसे कोई रंडी स्टेज पर प्रोग्राम कर रही हो और उसके बाद उसने मुझसे कहा कि हम आज कुछ नया करते है.. जैसा कि हम नेट पर वीडियो देखते है.

    फिर में भी एकदम तैयार हो गया और फिर उसने मुझसे कहा कि में उसकी चूत के नीचे अपना मुहं करूं और जैसे ही मैंने उसकी चूत के पास मुहं किया.. तो उसने तेज़ी से अपनी पीली कलर की धार मेरे मुहं में छोड़ दी और में एकदम से चकित हो गया कि यह क्या कर रही है.. लेकिन तब तक उसका पीला पानी मेरे पूरे मुहं और शरीर में आ चुका था.

    फिर उसके बाद वो बोली कि तुम ऐसे घबरा क्यों रहे हो.. अभी तो स्टार्ट हुआ है. फिर मैंने कहा कि क्या बात है.. आज तुम इतनी रंगीन कैसै? तो वो बोली कि बस तुम देखते जाओ और उसने मुझे ऊपर आने को कहा और जैसे ही में ऊपर चड़ा.. तो वो मेरे लंड को चूसकर मेरा सारा माल झाड़ दिया और मेरा पूरा वीर्य पी गयी. अब में तो बहुत चकित हो गया कि इतने सालों में आज तक उसने कभी भी मेरा लंड नहीं चूसा था और आज इतना कुछ.. खैर उसके बाद हम रोज इस तरह का कुछ ना कुछ करते रहे और अब मुझे क्या मालूम था कि मेरी जिन्दगी में और भी बहुत कुछ होने वाला है.

    फिर कुछ दिनों के बाद एक रात को करीब दो बजे में अचानक नींद से उठा और पानी पीने लगा.. तो मुझे अपनी माँ की आवाज़ हॉल में सुनाई दी और बेड पर मेरी वाईफ भी नहीं थी और जैसे ही में हॉल के सामने पहुंचा.. तो मेरी वाईफ और पापा मम्मी तीनो एकदम नंगे थे और मेरी वाईफ डाइनिंग टेबल पर खड़ी है और पापा मम्मी नीचे खड़े है और वो उन दोनों पर मूत रही है.. वो उन्हे कह रही थी कि..

    वाईफ : अबे साले मादरचोद तेरे बेटे का लंड तो तुझसे भी पतला है.. इसलिए आज में तेरे साथ हूँ और तू साला नखरे कर रहा है.. चल अब सामने आकर मेरा मूत पी.

    मम्मी : बेटी मुझे भी थोड़ा सा पिला.. बहुत दिन हो गये तेरा मूत पिए.

    पापा : हाँ बेटी में तैयार हूँ और फिर वो उन दोनों पर मूतने लगी.

    पापा : बेटी अब नीचे आ.. मुझे तेरी चूत का स्वाद भी चखा.

    फिर पापा मम्मी उसे गोदी में उठाकर ज़मीन पर ले आए और पापा उसकी चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगे.. तो अचानक माँ ने उससे कहा.

    मम्मी : बेटी तू तो मेरे पति से चुदवा ले और अब अपना वादा पूरा कर और मेरे पति से मुझे छुटकारा दिला.. साला संजय को जब से पैदा किया है.. तब से उससे अपनी चूत को चटवाकर पागल हूँ.

    वाईफ : हाँ मम्मी जी.. आज आपका काम जरुर होगा और आप बिल्कुल भी चिंता मत करो.

    फिर उसके बाद मेरा बाप पागलों की तरह मेरी बीवी को चोदने लगा. फिर उसे चोदने के बाद संध्या ने एक रबर का लंड अपनी कमर पर बाँध लिया और मेरी मम्मी की चूत में डाल दिया और यह सब देखकर में भी अब तक एकदम पागल हो चुका था कि जो माँ दिन भर पूजा करती है.. कभी ऐसी भी हो सकती है.

    फिर मुझे भी कंट्रोल नहीं हुआ और में अंदर घुस गया.. मुझे देखकर सबके सब घबरा गए. तभी मेरी मम्मी उसी नंगी हालत में मेरे पास आई और कहने लगी कि बेटा घबरा मत.. अगर तुझे भी हमारे साथ आना है.. तो बोल.. नहीं तो तू यहाँ से चला जा. फिर मैंने कहा कि मम्मी आप ऐसी भी हो सकती हो.. मुझे इस बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता. फिर वो बोली कि बेटा अभी तो यह शुरुवात है और तुझे पूरी बात कहां पता है. फिर मैंने कहा कि मतलब? तो उसने कहा कि में और तेरे पापा सेक्स में बहुत आगे आ चुके है और हमारी जो यह अमीरी है.. वो सेक्स की ही देन और जिस लड़की से तेरी शादी हुई है और यहाँ पर तेरी बीवी कोई नहीं है.. इसे तेरी शादी से पहले जब यह 18 साल की थी.. तब से तेरे पापा कई बार चोद चुके है और यह हमें दिल्ली में मिली थी और उसी दिन हमने सोच लिया था कि इसे तेरी वाईफ बनाकर लाएगें और फिर तुझे भी इसमे शामिल करेंगे.. ताकि तुझे भी दिक्कत ना हो.. वैसे में तेरे पापा और तेरी वाईफ हम तीनों बहुत सेक्स करते है.

    दोस्तों में यह सब सुनकर एकदम पागल हो चुका था.. अचानक से मेरा हाथ अपने आप मम्मी के बूब्स पर चला गया और जैसे ही मैंने उनके बूब्स को पकड़ा.. तो मेरी वाईफ मेरे बाप से बोली कि चल साले आज से तू मेरा पति और यह इसका पति है.. जो हमने सोचा था.. आज वो हो गया और वो रूम से चली गई.

    उसके बाद मैंने अपनी मम्मी को कहा कि बोलो.. तो मम्मी बोली और कहा कि आज से मम्मी नहीं किरण बुला मुझे और उसने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया.. उफ़फ्फ़ मम्मी नहीं सॉरी किरण चूस चूस और ज़ोर से. फिर किरण बोली कि मूत बेटा आज मुझे तेरा मूत पिला और फिर में धीरे धीरे मूतने लगा और उसे हॉट ड्रिंक्स समझकर पीने लगी.

    उसके बाद वो मुझे अपनी चूत चुसवाने लगी.. क्या गांड, क्या चूत, क्या बॉडी एक औरत वो भी 50 साल के लगभग थी. वो भी भगवान की भक्ति में लगी रहती थी.. उसका असली रूप तो यह है.. जो कि सेक्स में अपने बेटे को पाने के लिये इतना सब कर चुकी थी और उसके बाद उसकी चूत में मेरा लंड जैसे ही गया.. वो चिल्ला उठी.. आहह अह्ह्ह्ह मादरचोद बना ही दिया तुझे अह्ह्ह हाँ बेटा चोद अपनी माँ को चोद चोद उफफफ्फ़ और अंदर डाल साले बहनचोद डालना उउउफफफ्फ़. फिर में 15 मिनट के बाद जैसे ही झड़ने वाला था..

    मैंने कहा कि किरण मेरा माल निकल रहा है.. तो वो बोली कि तो क्या हुआ अंदर ही डाल.. इसलिये आज तक मैंने ऑपरेशन नहीं करवाया कि एक ना एक दिन में तेरे बेटे को जन्म दूंगी और आज तक तेरी बीवी तेरे साथ इसलिए कंडोम लगाकर चुदाई करती थी.. ताकि उसका पहला बच्चा तेरे बाप से हो. आज वो भी माँ बन गई और में भी.

    फिर उसके बाद रात भर में अपनी मम्मी किरण को चोदता रहा और उधर मेरे पापा मेरी बीवी को और जब सुबह हुआ.. तो मेरे घर का पूरा माहोल ही बदल चुका था.. जो औरत सुबह जल्दी उठकर पूजा में बैठ जाती थी.. आज मैंने देखा कि वो आज एकदम नंगी ही डाइनिंग हॉल में घूम रही है और पापा मेरी बीवी की कमर में हाथ डालकर उससे कह रहे है.. संध्या तू साली इंडिया की पहली औरत होगी.. जिसे भगवान ने इतना सेक्सी फिगर दिया.. इसे कपड़ो में क्यों छुपाकर रखती है? आज से तू और तेरी सास दोनों घर पर नंगी रहा करो और अब हम सब कुछ घर पर ही करेंगे.. बाहर होटल में नहीं और फिर उसके बाद अब हम एक साथ ही घर पर चुदाई करते है.. लेकिन आज एक साल बाद मेरी माँ को भी एक बेटी और मेरी वाईफ को भी एक बेटी हो गयी है.. लेकिन उन दोनों को नहीं पता कि मेरी बहन मेरी बेटी है और मेरी बेटी मेरी बहन है.

  • माँ ने नया बाप दिया

    हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आदित्य है और मेरी उम्र 18 है. में लखनऊ का रहने वाला हूँ. दोस्तों में आज आप सभी को अपने घर की एक सच्ची दास्तान सुनाने जा रहा हूँ जो एकदम सच्ची है और वो मेरी माँ की कहानी है जिसने एक ही बार में सब कुछ बदलकर रख दिया. दोस्तों एक दिन मेरे घर में भी कुछ ऐसा घटित हुआ जिसको में आज आपको बताऊंगा, लेकिन पहले में बहुत डरता था, लेकिन अब में बिल्कुल निडर होकर आप सभी को यह सच्चाई बता रहा हूँ यह कोई झूटी कहानी नहीं है और अब में अपनी कहानी पर आता हूँ.

    दोस्तों यह दास्तान दो साल पहले घटित हुई थी. मेरी माँ का नाम सरिता है और उनकी उम्र 33 साल, रंग गोरा और मेरे परिवार में हम 4 लोग रहते है. माँ, पिताजी में और मेरी दादी. दोस्तों उस समय मेरे पिताजी कपड़ो के एक बहुत बड़े शोरुम में काम किया करते थे और उन्ही की कमाई से हम लोगों का गुज़ारा हुआ करता था और हमारे दिन बहुत अच्छे कट रहे थे और में उस समय 12th क्लास में पढ़ता था. (दोस्तों यह बात दीवाली की उस रात से शुरू हुई जिसने हमारा जीवन बदल दिया) तो दीवाली वाले दिन मेरे पिताजी अपने बॉस को रात में हमारे घर पर लेकर आ गये जो शोरुम का मलिक था और मेरे पिताजी उनके पास नौकरी किया करते थे.

    तो पिता ने घर में घुसते ही मेरी माँ से बहुत प्यार भरी आवाज से कहा कि सरिता खाने पीने का सामान लगाओ और फिर मेरी माँ ने जल्दी से एक ट्रे में खाने का सामान लगा दिया और उनके सामने एक टेबल पर रख दिया और वो खुद दूर खड़ी हो गई. मेरे पिताजी के बॉस का नाम राकेश है और फिर खाने पीने के बाद राकेश ने मेरी माँ से उनके बनाए हुए खाने की तारीफ की और उसने कहा कि भाभी आप जैसी बीवी सबको मिले और यह बात कहकर पिताजी और राकेश दोनों हंसने लगे और फिर राकेश वहां से चले गए.

    दूसरे दिन दोपहर को जब में अपने स्कूल से घर आया तो वैसे ही राकेश अंकल भी अपनी बाईक से मेरे घर पर आ गए, लेकिन में उनसे पहले घर के अंदर चला गया और मैंने देखा कि वो मेरी माँ के लिए दीवाली के अवसर पर कुछ मिठाई और तोहफा लेकर आए थे. तो माँ ने उनसे मना किया, लेकिन उनके बहुत देर तक कहने के बाद रख लिया. फिर माँ और राकेश के बीच में कुछ देर बातें हुई और फिर वो चला गया. तो दूसरे दिन में सुबह उठा और मेरा उस दिन स्कूल जाने का बिल्कुल भी मन नहीं था, लेकिन मुझे पिताजी ने जबरदस्ती भेज दिया.

    फिर में स्कूल गया तो मुझे वहां पर पहुंचकर पता चला कि मेरे एक टीचर की म्रत्यु हो गई है और इस वजह से प्रार्थना करवाकर एक घंटे बाद सब बच्चो को छुट्टी दे दी गई. जब में अपने घर पर आया तो तब मैंने देखा कि राकेश अंकल की बाईक बाहर खड़ी हुई है और में समझ गया कि जरुर आज भी अंकल मेरे घर पर आए होंगे, लेकिन जब में अंदर गया तो मैंने उन्हे देखा मुझे वहां पर कोई भी नहीं दिखाई दिया और में माँ के रूम के पास चला गया. मैंने धीरे से बिना आहट के धक्का दिया, लेकिन रूम अंदर से लॉक था तो में दूसरी तरफ से खिड़की की तरफ चला गया और जब मैंने अंदर की तरफ झांककर देखा तो मेरी माँ और राकेश दोनों ही अंदर मोज़ूद थे और अब मैंने देखा कि राकेश मेरी माँ के बूब्स दबा रहा था. में यह सब देखकर बहुत डर गया और में बहुत चकित था.

    मुझे अपनी आखों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ कि अंदर यह सब क्या चल रहा है. में यह सब क्या देख रहा हूँ. मैंने कभी भी अपनी माँ से इन सब कामों की उम्मीद नहीं की थी. फिर मैंने देखा कि माँ उसका विरोध कर रही थी, लेकिन फिर भी राकेश रुक नहीं रहा था और अब राकेश ने माँ को एक ज़ोरदार स्मूच लिया तो माँ एकदम हिल गई. फिर राकेश ने एक एक करके माँ की साड़ी और उसके कपड़े उतार दिए. माँ अब उसके सामने ब्रा, पेंटी में लेटी हुई थी.

    दोस्तों मैंने पहली बार माँ को इस अजीब हालत में देखा था. जिसकी वजह से मेरे पैर एक जगह जम गए थे और फिर राकेश अंकल ने माँ की ब्रा को भी उतार दिया तो मैंने देखा कि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे जो अब ब्रा से बाहर आने के बाद बहुत सुंदर दिखाई दे रहे थे. फिर वो बूब्स को एक एक करके चूसने लगा और बुरी तरह से मसलने लगा. माँ शरम के मारे अपने दोनों हाथ अपनी आखों पर रखकर लेटी हुई थी और अब राकेश ने माँ के दोनों बूब्स को दबा दबाकर बिल्कुल लाल कर दिया था.

    फिर राकेश अंकल अब उन्हे ऐसे ही छोड़कर जल्दी से बाथरूम में चले गये और करीब दो मिनट के बाद सिर्फ़ अंडरवियर में वापस आए और उन्होंने बेड पर चड़कर एक ही झटके में माँ की पेंटी को उतार दिया. माँ शरम से अपनी चूत को एक हाथ से ढकने लगी, लेकिन अंकल ने माँ के हाथ को धीरे से हटाया और चूत को चाटना शुरू कर दिया. माँ तड़पने लगी और फिर राकेश अंकल ने अपनी अंडरवियर को उतारा तो अंडरवियर के अंदर से कम से कम 8 इंच लंबा लंड निकला और माँ उसे देखकर एकदम से डर गई और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी. अंकल ने माँ के होंठ पर किस करके उनसे पूछा कि क्यों तुम्हारे पति का कितना बड़ा है? माँ ने कहा कि उनका तो इससे बहुत छोटा है और वो फिर से रोने लगी और कहने लगी कि मुझे छोड़ दो, मुझे जाने दो, में यह सब नहीं कर सकती, यह बहुत गलत है.

    फिर अंकल उठे और उन्होंने माँ की एक भी बात नहीं सुनी और उन्होंने उनके दोनों पैर फैलाए और अपना लंड चूत के गुलाबी होंठो पर रगड़कर लंड को गीला कर लिया. में यह सब देखकर जल्दी ही समझ गया कि अब माँ की बेंड बजने वाली है. फिर अंकल ने एक ज़ोर का झटका मारा और उनका आधा लंड अंदर घुस गया, लेकिन माँ इतने ज़ोर से चीखी कि में एकदम से डर गया और मुझे भी रोना आ गया और अब माँ को इतने दुःख दर्द में देखकर मुझे बहुत अजीब लग रहा था, लेकिन राकेश अंकल ने माँ के दोनों हाथ पकड़ रखे थे और पैरों को फंसा रखा था, जिसकी वजह से माँ बिल्कुल भी हिल नहीं पा रही थी.

    फिर अंकल ने एक और ज़ोर का झटका मारा तो अब की बार माँ का पेशाब ही बाहर निकल गया और माँ ने कोई विरोध नहीं किया और माँ एकदम बेहोश हो गयी थी, लेकिन फिर भी वो ज़ालिम नहीं रुका और आने वाले बीस मिनट तक उसने माँ की चूत को बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदा और फिर अपना सारा वीर्य माँ की चूत में भर दिया और अपना लंड चूत से बाहर निकालकर चूत के छेद में रुई को घुसा दिया, जिससे वीर्य वापस बाहर ना आए. फिर वो माँ को लेटाकर उनके पास सो गया और एक घंटे तक में भी वहीं पर बैठा रहा. फिर जब माँ को होश आया तो माँ हड़बड़ाकर उठी, वो रोने लगी और फिर राकेश अंकल भी उठ गये. माँ उनसे कहने लगी कि यह आपने क्या कर दिया?

    मैंने अपने पति को धोखा दे दिया, कहीं में गर्भवती हो गयी तो मेरे पति मुझे मार ही डालेगें और जब माँ की नज़र नीचे अपनी चूत पर गयी तो माँ ने जल्दी से उस कॉटन को बाहर निकाल दिया, लेकिन अब तक वो सारा वीर्य चूत के अंदर जा चुका था. फिर राकेश ने माँ को बहुत देर तक समझाया और कहा कि सरिता में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, क्योंकि तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो और में तुमसे शादी भी करूंगा और तुम्हारे होने वाले बच्चे को अपना नाम भी दूंगा, लेकिन तुम सबसे पहले अपने पति को तलाक़ दे दो. में तुम्हे बहुत खुश रखूंगा और तुम्हे वो सब कुछ दूँगा जो तुम्हारे पति की तुम्हे देने की औकात नहीं है.

    फिर माँ ने कुछ देर सोचा और फिर माँ मान गई और अब माँ ने उनसे कहा कि लेकिन यह सब होगा कैसे? तो अंकल ने कहा कि तुम वो सब मुझ पर छोड़ दो. फिर वो दोनों एक दूसरे के गले लगे और फिर राकेश अंकल वहां से चले गये और ऐसे ही दिन बीतते चले गये, लेकिन इस दौरान माँ को राकेश अंकल ने बहुत बार चोदा और फिर माँ गर्भवती हो गयी. फिर माँ ने राकेश अंकल को फोन करके बताया कि वो उनके बच्चे की माँ बनने वाली है. तो एक दिन वो घर पर आकर माँ को अपने साथ ले गए और माँ साथ में मुझे भी ले गई और फिर माँ ने राकेश अंकल के घर पर पहुंचकर मुझसे कहा कि देखो बेटा अब में राकेश अंकल से शादी कर रही हूँ, क्योंकि तुम्हारे पापा बहुत बुरे है, उन्होंने तुम्हे कभी कुछ नहीं दिया, लेकिन अब राकेश तुम्हे वो सब कुछ देंगे.

    फिर उसी शाम को जब मेरे पिताजी घर पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि घर पर ना में हूँ और ना माँ है, सिर्फ़ दादी ही अकेली थी तो दादी ने पिताजी को सब कुछ बता दिया कि तुम्हारा बॉस आदित्य और सरिता को अपने साथ ले गया है. फिर पिताजी राकेश अंकल के घर पर आए और उन्होंने घंटी बजाई राकेश अंकल ने दरवाज़ा खोला, पिता ने कहा कि मेरी बीवी कहाँ है? अंकल ने कहा कि यहीं है और माँ को आवाज देकर बाहर बुलाया माँ एकदम डर गई तो अंकल ने कहा कि देखो यह अब मुझसे शादी करने जा रही है और मेरे बच्चे की माँ भी बनने वाली है. तो पिताजी को उनके मुहं से यह बात सुनकर एकदम से झटका लगा और फिर वो रोते हुए वहां से अपने घर पर चले गये. फिर दो दिन में राकेश अंकल ने माँ का पिताजी से तलाक करवा दिया और माँ से शादी कर ली और अब में भी अपने नये पापा के साथ रहता हूँ और अब यहाँ पर माँ और में बहुत खुश रहते है. कुछ दिनों के बाद माँ ने मेरे एक छोटे से भाई को जन्म दिया.

  • बहन मेरे दोस्त और उसके बाप की रंडी

    हैल्लो दोस्तों मेरा नाम देव है और मेरी उम्र 23 साल है. मेरी दो बहनें है, सबसे छोटी का नाम मोना है जो होस्टल में पढ़ती है और वो यहाँ से करीब 200 किलोमीटर दूरी पर है और मेरी दूसरी बहन का नाम अदिति है और वो मुझसे दो साल छोटी है, वो कॉलेज के तीसरे साल में पढ़ती है. दोस्तों मेरी बहन अदिति दिखने में एकदम चिकनी, सेक्सी लड़की है जो हर किसी को एक बार देखने से ही पसंद आ जाए और उसकी गांड, बूब्स बड़े है और उसके फिगर का साईज 34-28-36 है.

    मेरा दोस्त अमित जो एक बहुत बड़ा रांडबाज लड़का है वो मेरे पास में ही रहता है और उसके पापा पांडे जी जो मेरे पापा के बहुत अच्छे दोस्त है. मेरी माँ पापा दोनों नौकरी करते है इसलिए वो पूरा दिन बाहर ही रहते है. अमित और में एक बहुत अच्छे दोस्त है तो वो मेरे घर पर आता जाता रहता है और यह दोनों मेरी बहन को चोदते है. जब मुझे यह बात पता चली तब में बहुत चकित हुआ था.

    एक दिन अमित की मम्मी, पापा दोनों बाहर गए हुए थे तो अमित हमारे घर पर तीन चार दिन के लिए रहने आया था. पहली मंजिल पर मेरा और अदिति का रूम है और नीचे मम्मी पापा सोते है. उस रात को अमित और में लॅपटॉप पर गेम खेल रहे थे और कुछ देर बाद अमित उसके मोबाइल पर किसी से चेट कर रहा था. मुझे लगा कि वो उसकी कोई गर्लफ्रेंड होगी और फिर हम सो गये. जब मेरी रात को दो बजे गर्मी की वजह से आँख खुली तो मैंने देखा कि पंखा बंद था और में पानी पीने के लिए उठा और मैंने देखा कि अमित रूम में नहीं था.

    मैंने बाथरूम में जाकर चेक किया वो वहां पर भी नहीं था. अब मैंने अदिति के रूम में जाकर भी उसे देखा, लेकिन रूम अंदर से लॉक था और में अपने रूम में आ गया. मुझे लगा कि शायद गर्मी की वजह से अमित छत पर गया होगा. में वापस आकर बेड पर लेट गया और मैंने अमित को एक मैसेज किया कि नीचे आ जा लेकिन फोन की घंटी यहीं पर बजी अमित का मोबाइल मेरे बेड पर ही पड़ा हुआ था. मैंने देखा उसका मोबाइल देखा तो उसमें आखरी बार किसी लड़की से मैसेज से बात हुई थी. अमित ने उसका नंबर किसी गश्ती नाम से सेव किया था और अब मैंने वो उन दोनों की चेट पढ़ी. दोनों की कुछ सेक्सी चेट थी और वो बहुत ही गंदे शब्द में थी जिसको पढ़कर मेरा लंड भी अब खड़ा होने लगा और उसने बाद में लिखा हुआ था कि दरवाजा खुला हुआ है अंदर आ जाना. में कुछ हैरान हो गया.

    फिर मैंने जो नंबर गश्ती नाम से सेव था तो उसकी डीटेल में देखा और अब में एकदम से चकित रह गया, क्योंकि वो मेरी बहन का नंबर था जिसका मतलब है कि मेरी सुंदर बहन अमित की रंडी. मुझे यह सब नामुमकिन लग रहा था और फिर में समझ गया कि अमित मेरी बहन के रूम में ही गया हुआ है. अब मैंने एक बार फिर से अदिति के रूम में देखा तो उसका दरवाजा अभी भी बंद था और में समझ गया कि मेरी बहन अंदर सुहागरात मना रही है और में उसका बड़ा भाई अभी तक वर्जिन था और अभी तक सिर्फ़ मुठ का सहारा ले रहा था, लेकिन मुझे अमित पर ज्यादा गुस्सा नहीं आया. में अपने रूम में आ गया और मुझे नींद आ गई. में सो गया और फिर सुबह 8 बजे आँख खुली तो मैंने देखा कि घर पर कोई नहीं था और अमित अपने घर पर चला गया और मेरी बहन भी कॉलेज जा चुकी थी और मम्मी पापा भी नौकरी पर जा चुके थे. मुझे वो रात वाली बात एक सपने की तरह लग रही थी.

    में सबसे पहले अदिति के रूम पर गया और मैंने देखा कि वहां पर बेड के ऊपर कपड़े बिखरे पड़े थे और बेड को देखकर में सोचने लगा कि कल रात को यहाँ पर मेरी बहन चुद रही थी और फिर में मेरी बहन का रूम साफ करके नहाकर कॉलेज के लिए निकल गया और जब मुझे अमित मिला तो मैंने उससे पूछा कि तुम कल रात कहाँ थे यार? तो उसने कहा कि में गरमी की वजह से छत पर चला गया था, लेकिन अब मैंने उससे ज़्यादा कुछ पूछा नहीं और फिर शाम को में और अमित घर पर आए, लेकिन अदिति पहले से ही घर पर थी. हम तीनों बैठकर इधर उधर की बातें कर रहे थे. शायद पहली बार चुदाई होने की वजह से लड़की का चलने का तरीका बिल्कुल बदल सा जाता है, लेकिन मेरी बहन तो एकदम सही चल रही थी. शायद यह उसकी चुदाई का पहला समय नहीं था.

    फिर मम्मी पापा आ गये और हम सबने खाना खाया और कुछ देर टीवी देखकर बातें करके सोने चले गये मुझे फिर से पता था कि आज फिर से अमित और अदिति सेक्स करेंगे. अदिति ने उस समय मेक्सी पहनी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गांड बहुत बड़ी दिख रही थी और फिर से अमित शायद मेरी ही बहन से चेट कर रहा था. मैंने सोने का नाटक किया, लेकिन पता नहीं कब मुझे नींद आ गई और मेरी आँख खुली ही नहीं.

    फिर में सुबह 7 बजे उठा और कॉलेज के लिए तैयार हुआ. अमित सो रहा था तो मैंने सोचा कि बैचारा रात भर थक गया होगा. फिर में अपने कॉलेज के लिए निकल रहा था तो उससे मैंने पहले अदिति को देखा तो वो अभी भी सो रही थी और मैंने उसको उठाया तो बोली वो कि आज उसकी तबीयत कुछ ठीक नहीं तो वो कॉलेज नहीं जा रही है और मैंने जब अमित से पूछा तो वो भी में बाद में आ जाऊंगा कहकर सो गया और अब मुझे पूरा विश्वास था कि वो दोनों बहाना बना रहे है.

    फिर में कॉलेज चला गया, लेकिन वहां पर मेरा मन नहीं लग रहा था, क्योंकि अमित मेरे घर पर फ्री का माल चोद रहा था और में यहाँ पर कॉलेज में मक्खियाँ मार रहा था और फिर शाम को में जल्दी घर पर वापस आ गया. तो मैंने देखा कि अमित और अदिति टीवी देख रहे थे और अदिति ने वही रात वाली खुली खुली ढीली ढाली मेक्सी पहनी हुई थी. में फ्रेश होकर आ गया और अब हम ऐसे ही बातें कर रहे थे. अमित मुझे आज बहुत खुश लग रहा था और अदिति भी जैसे कि उनकी कोई लॉटरी लगी हो और उन दोनों को देखकर ही मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया.

    उस दिन अमित के मम्मी पापा वापस आ गये और अमित अपने घर पर चला गया और फिर उस दिन रात को दस बजे के बाद मेरी और अदिति की कुछ बातें शुरू हुई.

    में : में तेरे रूम में सोने के लिए आ रहा हूँ क्योंकि मेरे रूम का पंखा खराब है.

    अदिति : लेकिन क्यों? ऐसा कभी नहीं हो सकता, क्योंकि मुझे किसी के साथ नींद नहीं आती.

    दोस्तों इतना कहकर उसने बहुत गुस्से से दरवाजा बंद कर दिया, मैंने उससे बहुत बार कहा आग्रह किया, लेकिन वो नहीं मानी और फिर वो बोली कि आप मेरे रूम में आ जाओ और में आपके रूम में चली जाती हूँ फिर वो अपना सामान लेकर मेरे रूम में चली गई और फिर में उसी बेड पर सो गया जहाँ पर ना ज़ाने कितनी बार मेरी बहन चुदी होगी? में उसकी चुदाई की बातें सोचकर सो गया. फिर उस दिन भी में उठकर तैयार होकर कॉलेज चला गया, लेकिन उस दिन में जल्दी ही घर पर लौट आया और उस समय करीब तीन बजे थे और अमित भी उस दिन कॉलेज नहीं आया था.

    अब में उसके घर पर चला गया जो हमारे बिल्कुल पास में ही था, लेकिन मैंने देखा कि उसके घर पर भी ताला लगा हुआ था. मुझे कुछ काम होने की वजह से मैंने अमित के पापा के ऑफिस जाने की सोचा, दोस्तों जैसा कि मैंने पहले आप सभी को बताया था कि पांडे जी यानी कि अमित के पापा एक बहुत अच्छे और इज्जतदार इंसान है. वो एक कम्पनी के मालिक थे और घर से आधे घंटे की दूरी पर उनका ऑफिस है. में वहां पर चला गया और मैंने वहां पर पहुंचकर देखा कि वहां मेरी बहन की स्कूटी खड़ी हुई थी. मुझे अमित पर शक हुआ कि कहीं अदिति उसके साथ यहाँ पर ना आई हो?

    अब मैंने सोचा कि पहले पांडे अंकल से अपना काम निपटा लूँ और में उसके बाद में इन दोनों को देखूंगा. में उनके ऑफिस जो कि पांचवी मंजिल पर था वहां पर चला गया और अब मैंने उनके सेक्रेटरी मिस्टर समीर से पूछा कि क्या पांडे जी मेरे पड़ोसी है मुझे वो बहुत अच्छी तरह जानते है, लेकिन उन्होंने फिर भी ना जाने क्यों उन्होंने मुझे अंदर जाने नहीं दिया और बहाना बनाकर कहा कि सर कोई मीटिंग में व्यस्त है, लेकिन अब मुझे उस पर शक होने की वजह से में भी मानने वाला नहीं था. मैंने उन्हे बहुत बोला और धमकी भी दी कि में अंकल को बोलकर तुझे तेरी नौकरी से निकलवा दूँगा. हमारी बात कुछ यूँ हुई..

    मिस्टर समीर (सेक्रेटरी) : अंदर सर की आईटम, गर्लफ्रेंड आई हुई है और सर उसमे अभी बहुत व्यस्त है. अगर मैंने तुम्हे वहां पर जाने दिया तो वो मेरी सैलेरी काट देंगे.

    में : तुम यह क्या पागलों की तरह बोल रहे हो, तुम्हे पता है अंकल शादीशुदा है?

    मिस्टर समीर : हाँ, लेकिन उनकी आइटम को देखकर किसी भी बुड्ढे का लंड खड़ा हो जाए.

    फिर मुझे भी अब उसकी बातों में बहुत मज़ा आने लगा था और वो उस लड़की की बहुत तारीफ कर रहा था, तभी मुझे अचानक शक हुआ कि अदिति की स्कूटी भी यहीं पर बाहर खड़ी हुई है. कहीं अदिति और पांडे अंकल आज? फिर मैंने तुरंत अपने मोबाईल से अदिति की एक फोटो निकालकर मिस्टर समीर को दिखाई और उनसे पूछा कि कहीं यह तो नहीं? समीर की आँखे फटी की फटी रह गई और मेरा शक अब बिल्कुल सही निकला.

    में बहुत हैरान था कि समीर मुझसे सच बोल रहा था. उसने पूछा कि क्या तुम इसे जानते हो? तुम्हारे पास इसकी फोटो कहाँ से आई. तभी वो मुझसे बोला कि प्लीज मेरी एक बार इससे सेटिंग करवा दो प्लीज और फिर मैंने आख़िरकार उसे बता ही दिया कि यह मेरी छोटी बहन है तो समीर मेरे मुहं से यह बात सुनकर एकदम चुप हो गया और मैंने उससे कहा कि मुझे एक बार देखना है कि वो दोनों अंदर क्या कर रहे है? तो उसने कहा कि में तुम्हे दिखा सकता हूँ, लेकिन मेरी एक शर्त है? तो मैंने कहा कि मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है. फिर भी वो बहुत चालाकी करने लगा और मेरी मजबूरी का फायदा उठाने लगा. मुझे अंदाज़ा नहीं था कि वो इतनी गंदी शर्त रखेगा.

    समीर : में तुम्हे उन दोनों का सेक्स दिखाऊंगा तो उसके बदले में मुझे क्या मिलेगा?

    में : जो आप बोलो, लेकिन प्लीज़.

    समीर : क्या तुम अपने हाथों से मेरी मुठ मारोगे?

    में : तुम यह क्या बक रहे हो?

    समीर : तो ठीक है, अब तुम बिल्कुल चुपचाप यहाँ से वापस चले जाओ.

    फिर मैंने उस समय जल्दी से हाँ कर दिया और फिर वो मुझे एक स्टोर रूम में ले गया और ऑफिस रूम में जहाँ पर एसी लगा हुआ था वहां पर उसके पास तीन इंच जितना एक छेद था. सीड़ीयों की वजह से हम वहां पर खड़े हो गये और अब अंदर का नज़ारा मेरे लिए बहुत ही चौका देने वाला था, क्योंकि अंदर पांडे अंकल सिर्फ़ शर्ट में थे और वो नीचे से पूरे नंगे थे और मेरी बहन बिल्कुल नंगी थी और वो दोनों स्मूच कर रहे थे.

    दोस्तों उनको देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे एक हसीन माल किसी बुड्ढे के साथ स्मूच कर रहा था और आज मैंने पहली बार मेरी बहन को पूरा नंगा देखा था. अब उन दोनों को देखकर मुझ लग रहा था कि जैसे उनकी पहली चुदाई पूरी हो गई थी और अब दूसरी चुदाई चालू करने वाले थे.

    दोस्तों पांडे अंकल दिखने में बहुत गोरे है, लेकिन उनका लंड बहुत काला था. मेरी बहन उनके शरीर को इस तरह चूस रही थी जैसे वो एक भूखी शैरनी हो और अब अदिति धीरे धीरे नीचे की तरफ आ रही थी अब वो अंकल की छाती चाट रही थी. दोस्तों आपको क्या बताऊँ? फिर अंकल ने एक पैर कुर्सी पर रख दिया और अदिति के बाल पकड़कर अपने दोनों पैरों के बीच अदिति का मुहं कर दिया. मेरी बहन मेरे सामने अंकल के काले काले हिस्से को चाट चाटकर साफ कर रही थी. वो अपनी नाक और जीभ को बहुत ही गंदी तरह से लंड पर रगड़ रही थी और उसने उसकी गांड को भी नहीं छोड़ा.

    मेरी बहन किसी की गांड चाटे, चूसे और वो भी अदिति जो कभी मेरा झूठा पानी भी नहीं पीती वो अपने इतने सुंदर होंठो से अंकल की गांड को चूम रही थी और जीभ से चाट रही थी. मुझे इस बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि मुझसे ज़्यादा नसीब वाला तो अंकल की गांड का छेद है. में अब यही सब सोच रहा था. इतने में समीर ने मुझसे कहा कि क्यों शर्त याद है और फिर उसने अपना लंड पेंट से बाहर निकाल दिया और अब मुझसे हिलाने को बोला. में एकदम चुपचाप उसका लंड हाथ में लेकर उसकी मुठ मार रहा था.

    अब समीर बीच बीच में बोल रहा था कि रंडी नहीं तो रंडी का भाई ही सही. वो मेरी बहन को मेरे सामने ही रंडी बोल रहा था और हम दोनों अंदर देख रहे थे और अब पांडे अंकल ने एक टेबल पर अदिति को लेटा दिया और उसे चोदने लगे. मेरी बहन ठीक मेरे सामने चुद रही थी. में और समीर यह सब देख रहे थे. मेरा एक हाथ समीर के लंड पर था और फिर कुछ देर बाद समीर झड़ गया और उसके वीर्य की कुछ बूंदे मेरे हाथ पर लगी. में लगातार उनकी चुदाई को देखता रहा, लेकिन करीब दस मिनट के बाद अंकल और अदिति दोनों ही अचानक से रुक हो गये.

    फिर समीर मुझसे बोला कि बाहर चल अब इनकी फिल्म खत्म हो गई है और अब तेरी बहन बाहर आए उससे पहले तुम यहाँ से चले जाओ. फिर में वहां से भागा और जल्दी में मैंने अपने हाथ भी नहीं धोए और घर पर आकर में फ्रेश होने चला गया और मैंने मुठ मार ली. शाम को 6 बजे अदिति घर पर आई तो मैंने उससे पूछा कि तुमने आज घर पर आने में इतनी देर क्यों लगा दी? तो वो बोली कि ट्रेफिक बहुत ज़्यादा था और फिर वो भी फ्रेश होकर आई और हम बैठकर बातें करने लगे. में बार बार उसके होंठो को देख रहा था कि कैसे अभी कुछ देर पहले यह होंठ किसी का लंड चूस रहे थे.

    अब मेरी समझ में पूरी तरह से आ चुका था कि मेरी छोटी बहन उन दोनों बाप बेटे की रंडी थी. फिर रात को मम्मी पापा आए तो हमने बातें की और फिर उस दिन के बाद मुझे अदिति की सभी हरकते रंडी जैसी लगने लगी. जैसे कोई घर पर आए तो दरवाज़ा खोलकर उसे देखते रहना या किसी भी मेहमान के साथ खुद अकेले रहना बिल्कुल टाईट नाईटी, मेक्सी, टी-शर्ट में ही रहना अपने जिस्म को दिखाकर दूसरों को अपनी तरफ आकर्षित करना और बहुत कुछ ऐसा था जो वो अब करने लगी थी. फिर उसके बाद बहुत बार अमित मुझसे मिलने घर पर आता था, लेकिन मुझसे मिलना तो सिर्फ उसका एक बहाना था. वो तो मेरी रंडी बहन से मिलने के मौके ढूंढता और सही मौका मिलने पर बहुत जमकर उसे चोदता था.

  • पापा के लंड से मेरी चूत का संगम

    हैल्लो दोस्तों, में पायल मिश्रा में कानपुर से हूँ और आज में आप सभी के सामने अपनी एक सच्ची अनोखी चुदाई की कहानी लेकर आई हूँ और यह मेरा पहला सच्चा सेक्स अनुभव है, जिसमें मैंने पहली बार अपने पापा से अपनी चुदाई के मज़े लिए, वैसे में पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ती आ रही हूँ और इसलिए ही मैंने बहुत मेहनत और हिम्मत करके अपनी भी यह कहानी आप लोगों तक पहुँचाने के बारे में बहुत बार विचार किया और आज उसको आप तक पहुंचा भी दिया है और में उम्मीद करती हूँ कि यह आप लोगों को जरुर पसंद आएगी. दोस्तों वैसे यह घटना करीब तीन महीने पुरानी है और में अपने घर पर अकेली रहती हूँ, क्योंकि मेरी मम्मी मेरे बड़े भाई के साथ अमेरिका में रहती है, इसलिए घर पर पापा और में ही रहती हूँ. पापा पूरा दिन उनके ऑफिस में रहते है और हर रात को वो बहुत देरी से आते है, इसलिए में ज्यादातर समय अपने घर पर अकेली रहती हूँ. मेरे भाई की शादी करीब एक साल पहले हो चुकी है वो वहां पर अपनी बीवी और मेरी माँ के साथ रहता है और मेरी भाभी एक हाउस वाईफ है.

    दोस्तों यह उस रात की बात है जब कानपुर में 24 घंटे से लाइट नहीं आ रही थी और शायद वो अमावस्या की रात थी, वो बिल्कुल काली और बादलो से घिरी हुए जिसके बीच बीच में बादल भी गरज रहे थे. दोस्तों वैसे तो मेरे पापा हर दिन शाम के करीब 6 बजे तक घर पर आ जाते है, लेकिन ना जाने क्यों उस रात के दस बज रहे थे और मेरे पापा का कहीं भी कोई पता नहीं था, उनका मोबाइल भी बंद था और मेरी बहुत कोशिश के बाद भी उनका कुछ पता नहीं चल पा रहा था. मैंने उसने ऑफिस में भी फोन किया तो कोई वहां पर भी फोन उठा नहीं रहा था. में बहुत परेशान थी और बादलों की उन जोरदार घड़घड़ाहट की वजह से मेरा मन बार बार कांप उठता और बाहर बड़ी ग़ज़ब की बरसात हो रही थी और बार बार बदल ज़ोर ज़ोर से आवाज करके मुझे डरा रहे थे और अब दस बजने को थे कि तभी अचनाक दरवाजे पर दस्तक हुई. फिर मैंने खिड़की खोलकर देखा तो दरवाजे पर एक रिक्शे वाला खड़ा हुआ था और में उसको देखकर डर गयी और अब में मन में भगवान को याद करने लगी और सोचने लगी कि यह कौन है?

    फिर टॉर्च की रोशनी में देखा तो बाहर मेरे पापा भी थे और एक रिक्शे वाला उन्हे अपने रिक्शे से उतारने की कोशिश कर रहा था. फिर मैंने आगे बढ़कर दरवाजा खोला और उस रिक्शे से अपने पापा को उतारा, वो बिल्कुल भीगे हुए थे और बहुत नशे में थे. में उनको इस हालत में देखकर बड़ी हैरान थी, क्योंकि मेरे पापा को इससे पहले मैंने कभी भी इस हालत में नहीं देखा था. फिर में पापा को अपने साथ लेकर अंदर आ गयी और मैंने उनको अपने कमरे में बैठा दिया. उसके बाद मैंने एक एक करके उनके गीले कपड़े उतारने शुरू किए शर्ट और बनियान को उतारकर मैंने उनके बदन को टावल से रगड़ रगड़कर सूखा दिया और अचानक उनकी पेंट के चेन भी खोल दी, लेकिन वो इतने ज्यादा नशे में थे कि उनको पता ही नहीं चल रहा था कि में क्या कर रही हूँ. उनकी चेन खोलने के बाद मैंने पेंट को नीचे उतार दिया तो मैंने देखा कि उनका अंडरवियर भी बिल्कुल भीगा हुआ था, इसलिए मैंने उसको भी उतार दिया, लेकिन उसके बाद अंदर से जो सब मैंने देखा उसको देखते ही मेरे बदन में 880 वॉल्ट के करंट का झटका लगा और मेरे पूरे बदन में अजीब सी सुरसुरी होने लगी. फिर जैसे ही में उनका बदन उसके बाद अब पैरों को साफ कर रही थी तो मेरा हाथ गलती से उनके लंड पर चला जाता और वो लंड महोदय अब खड़े होने की तरफ बढ़ने लगे और देखते ही देखते वो अपने पूरे शबाब पर आ गए और तनकर मेरे सामने खड़े हो गए. अब में कभी पापा को देखती जो अभी भी उसी मदहोशी में थे और कभी उनके लंड को देखती जो पूरी तरह से तैयार था और खंबे की तरह तनकर खड़ा था. दोस्तों मैंने पहले भी पापा की अलमारी को खोलकर कई सेक्स की किताबे पड़ी थी और अब मेरा मन ललचाने लगा और सभी रिश्तों को भुलाकर मेरा मन हो रहा था कि में उनके लंड को चूस लूँ, लेकिन वो मेरे बाप थे और में उनकी लड़की तो ऐसा कर पाना संभव नहीं था इसलिए में अपने मन की इच्छाओ को मारने की कोशिश करने लगी, लेकिन अंत में सेक्स जीत गया और में उनके लंड को अपने मुहं में लेकर उसको धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगी. उसके कुछ देर बाद धीरे धीरे मेरी स्पीड बढ़ गई में ज़ोर ज़ोर से उनके लंड को अपने मुहं में अंदर बाहर करने लगी और देखते ही देखती करीब दस मिनट के बाद मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे मुहं में मेरे पापा का वीर्य था जो करीब 50 ग्राम तो होगा ही उसकी वजह से मेरा पूरा मुहं भर गया और में वीर्य को निगलने लगी. मुझे ऐसा करने में बहुत ही मज़ा आ रहा था, क्योंकि मैंने ज़िंदगी में पहली बार किसी के वीर्य को देखा और उसको महसूस करके अपने मुहं में लिया था. उसका भद्दा अजीब सा स्वाद था, ना वो बहुत मीठा ना बहुत तीखा बिल्कुल बेस्वाद सा, लेकिन उसको निगलना ही मुझे अच्छा लगा तो इसलिए मैंने उसको निगल लिया.

    अब में पूरी तरह से सफाई करके पापा को कपड़े पहनाने लगी और इस पूरी प्रतिक्रिया में मेरा क्या हाल था? में आप लोगों को आगे बताती हूँ. दोस्तों मेरे शरीर का एक एक अंग हिला जा रहा था और मेरे निप्पल बिल्कुल तनकर खड़े थे और मेरी चूत का हाल भी बड़ा बुरा था, वो तप तपकर बह रही थी, लेकिन में क्या कर सकती थी पहले अपने बाप को ठीक कर लूँ उसके बाद में अपनी सुध लूँगी, क्योंकि अब तो पापा का लंड भी झड़कर पूरा ढीला पड़ गया था इसलिए मेरी चुदाई का तो सवाल ही नहीं था और मुझे अपनी चुदाई अधूरी रहने का डर भी मन ही मन सता रहा था. अब पापा को पजामा पहनाकर ऊपर शर्ट पहनाकर में किचन में चली गयी और जल्दी से कुछ खाकर पापा के पास आ गई और फिर में उनकी देखभाल के लिए उनके पास ही बैठ गई. फिर करीब दो घंटे हो गये होगे उसके बाद मेरी आँख लग गयी और में पापा पर ही बेहोश होकर पड़ गयी. फिर जब मुझे होश आया तो पापा को भी होश आ चुका था और वो कुछ होश में आ रहे थे, लेकिन दोस्तों अब इस हादसे के बाद मेरी हालत बहुत खराब थी, मैंने पापा को जगाया और उनसे पूछा कि आपके क्या हाल है? वो धीरे से बोले कि ठीक है इतना सुनते ही में पलटी और अपने रूम की तरफ जाने लगी. तो पापा ने मुझसे कहा कि आज तुम भी इधर ही सो जाओ.

    अब में यह बात सुनते ही पापा के पास लेट गयी और मैंने पापा का एक हाथ अपने सर के नीचे रख लिया. फिर थोड़ी ही देर बाद मैंने देखा कि पापा का एक हाथ मेरे बूब्स को सहला रहा था और वो धीरे धीरे मसल रहे थे. में चुपचाप पड़ी आनंदित हो रही थी और चाह रही थी कि क्यों ना में पापा से आज चुद जाऊँ, क्योंकि पापा के मम्मी को चोदने के बाद शायद ही किसी औरत से सम्बंध रहे हो और उनके मसलने में मुझे भी अब बहुत आनंद आने लगा और में पापा की तरफ़ मुहं कर लेट गयी. फिर पापा ने मेरे मुहं पर एक जोरदार किस किया और मेरी मेक्सी के ऊपर के बटन खोल दिए और सहलाने लगे. में धीरे धीरे मोन कर रही थी और मेरे मुहं से आवाज़े आने लगी उहह्ह्ह्ह पापा अहहह्ह्ह पापा धीरे से करो ना और अब पापा ने धीरे धीरे मेरे पूरे बदन को किस करना शुरू किया. मेरी हालत और भी ज्यादा खराब होने लगी और में अब मन ही मन सोचने लगी कि इतनी प्यास लगाकर मेरे पापा बुझाएगें कैसे, क्योंकि में उनका लंड तो पहले ही खाली कर चुकी हूँ, लेकिन मेरे पापा बहुत चतुराई से मेरे बदन को चूम चाट रहे थे और वो धीरे धीरे मेरी चूत के पास पहुँचते जा आ रहे थे. अब उन्होंने मेरी चूत के पास जाकर चूमना शुरू किया तो मेरे आनंद की कोई सीमा ही नहीं थी. में मन में सोच रही थी कि पूरी ज़िंदगी ही इस तरह बीत जाए, पापा चूमते रहे और में उनसे अपना काम करवाती रहूं. फिर तभी मेरा हाथ अचानक पापा के लंड पर गया तो मैंने देखा कि धीरे धीरे अब वो एक बार फिर से तैयार हो रहा है और पापा ने मेरे ऊपर आते हुए मेरी पूरी मेक्सी को खोल दिया और उन्होंने मुझे बिल्कुल नंगा करके मेरी चूत को फैलाने लगे. उनका लंड मेरी बिना चुदी चूत में घुसने की कोशिश करने लगा और धीरे से एक एक इंच अंदर जाने लगा. दोस्तों में कोई 16 साल की तो थी नहीं जो मुझे लंड को अपनी चूत के अंदर लेने में बहुत तकलीफ़ होती और वैसे भी मैंने बरसो इस दिन का इंतज़ार किया था. अब मेरे दोनों पैर खुले हुए थे और मेरे पापा मेरी चूत के होंठो को खोलकर लंड को अंदर डालने की कोशिश में लगे थे और वो धीरे धीरे उसमे सफल भी हो रहे थे, क्योंकि पापा का लंड धीरे धीरे अंदर जा रहा था और में आनंद की प्रक्रिया में हिस्सा ले रही थी, वैसे मुझे थोड़ा सा दर्द जरुर हुआ, लेकिन उसको बर्दाश्त तो मुझे ही करना था और में वही कर रही थी और पापा मेरे बूब्स को मसल रहे थे और लंड को मेरी चूत के अंदर डालने की कोशिश में लगे थे.

    अब में मन ही मन धन्यवाद पापा कह रही थी, लेकिन पापा ने जब पूरा लंड अंदर डालकर धक्के मारने शुरू किए तो मुझे हल्का सा दर्द का अहसास होने लगा और वो दर्द भी बढ़ने लगा उसकी वजह से में हल्के हल्के चीख रही थी ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ पापा प्लीज़ धीरे धीरे करो ना, लेकिन पापा पर एक अलग ही जोश चड़ा था और वो धीरे धीरे अपने धक्कों की स्पीड को बढ़ाए जा रहे थे, जिसकी वजह से मेरा बड़ा बुरा हाल था, लेकिन एक अलग सा मज़ा भी आ रहा था जिसको किसी भी शब्दो में नहीं लिखा जा सकता. अब वो मेरी चूत के रास्ते मेरे शरीर के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे और अब मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे हम दो शरीर एक जान है. फिर में इतने में झड़ चुकी थी, लेकिन वो लगातार धक्के देकर मुझे चोदे ही जा रहे थे. फिर आख़िर एक बार झड़ने के बाद मुझे एक बार फिर से आनंद आने लगा और में चाह रही थी यह अनुभूति सुबह तक होती रहे और उसके बाद में एक बार फिर से उतेज़ित हुई और कुछ देर बाद दोबारा से झड़ गई और इतने में पापा भी झड़ गये. मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने शीशा गरम करके मेरी चूत में डाल दिया हो और वो सबसे अच्छा अहसास था जिसको में किसी भी शब्दों में नहीं लिख सकती. फिर एक दूसरे के शरीर पर हम दोनों पड़े रहे और सो गये. फिर दूसरे दिन सुबह जब में सोकर उठी तो देखा करीब 8 बजे थे और काम वाली बाई भी अब आने वाली थी, इसलिए तुरंत उठकर मैंने चाय बनाई और पापा को जागने चली गयी, पापा जो मेरे ही रूम में सो रहे थे वो बिल्कुल नंगे पड़े हुए थे और उनका लंड खड़ा था और पेट में टेंट बना था. मुझे उसकी शरारत को देखकर हँसी आ गयी कि रात भर इसी ने उपद्रव मचाया था और अब भी यह सिपाही की तरह तनकर खड़ा है, वो सब देखकर मुझे अपनी चूत में एक बार फिर से सुरसुरी सी होने लगी, लेकिन वो मेरी काम वाली बाई शांतबाई के आने का टाइम था, इसलिए पापा को उठाकर और चाय पिलाकर में जैसे ही मुड़ी तो पापा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और वो अपने लंड की तरफ इशारा करके बोले इसे भी तो देखो, यह क्या कह रहा है? तो मैंने पापा को कहा कि काम वाली बाई आने ही वाली है, आप अपने कपड़े पहन लो, लेकिन पापा की ज़िद थी कि इसको एक बार तुम चुप जरुर करा जाओ. तभी मैंने तेज़ी से उनका लंड अपने मुहं में लिया और फिर में जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करने लगी. अभी हम किसी मुकाम पर पहुंचे भी नहीं थे कि बाहर घंटी बजी और तुरंत मैंने अपने कपड़े ठीक किए और बाहर की तरफ भागी और बाहर जाकर मैंने देखा तो वो काम वाली बाई का लड़का खड़ा था, वो मुझसे कह रहा था कि आज मम्मी की तबीयत खराब है इसलिए वो आज काम करने नहीं आ पाएगी.

    दोस्तों उसके मुहं से यह बात सुनकर में मन ही मन बहुत खुश हो गई और में भागकर दोबारा पापा के पास चली गई, लेकिन तब तक वो चिराग बुझ चुका था और पापा अपने कपड़े पहनकर बाथरूम में घुस चुके थे और बाथरूम के अंदर से आवाज़ आ रही थी कि पायल मेरा टावल देना तो प्लीज़, मैंने टावल लेकर बाथरूम के बाहर खड़े होकर आवाज़ लगाकर उनसे कहा कि आज काम वाली बाई नहीं आई है, इसलिए टावल बाहर पड़ा है और में किचन में खाना बनाने जा रही हूँ. तभी वो बोले कि नहीं तुम टावल को अंदर ही दे जाओ, मैंने उनसे कहा कि दरवाजा खोलो और तभी उन्होंने दरवाजा खोल दिया. मैंने देखा कि पापा अपने अंडरवियर में खड़े थे और मेरा अधूरा छोड़ा गया काम वो पूरा कर रहे थे, यानी कि वो मुठ मार रहे थे. फिर मैंने उनसे कहा पापा यह क्या कर रहे हो? तो वो बोले कि कोई काम अधूरा नहीं छोड़ा जाता इसलिए में इसे पूरा कर रहा हूँ.

    अब मैंने तुरंत नीचे बैठकर लंड को उनके हाथ से छीनते हुए अपने मुहं में ले लिया और अंदर बाहर करने लगी और जैसे ही में यह काम स्पीड से कर रही थी तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे उनका लंड मोटा होता जा रहा है और अब वो मेरे मुहं में समा नहीं पा रहा, लेकिन फिर लंड मेरे मुहं में फिट हो गया और कुछ देर बाद एक ज़ोर से पिचकारी छोड़ते हुए उन्होंने अपना गरम गरम वीर्य मेरे मुहं में भर दिया और मैंने अपने मुहं में लेकर पापा की तरफ देखा तो वो मुस्कुराकर बोले तुम्हारा तो नाश्ता पूरा हो गया. फिर में उसे गटककर हंसकर बोली हाँ पापा अभी यह नाश्ता है और फिर दोपहर को लंड से अपनी चूत की चुदाई करवाकर दिन का खाना लूँगी और फिर देर रात को गांड मरवाकर रात का खाना. आज की सभी डिश तो एक से बढ़कर एक रहेगी, लेकिन समय अलग अलग रहेगा. दोस्तों पापा को ऑफिस जाना था, इसलिए में कुछ देर बाद पीछे हट गयी और पापा नहाकर तैयार होने लगे. फिर मैंने कहा कि पापा लंच पर आएँगे या मैंने भूखी रहूंगी? तो पापा ने मेरी तरफ देखा और वो हंसकर बोले अरे में ऑफिस कहाँ जा रहा हूँ, में तो बाहर सिर्फ़ हवा खाने जा रहा हूँ, हाज़री लगाकर में तुरंत लौट आऊंगा और फिर कुछ देर बाद पापा दफ़्तर चले गये. में सोचने लगी जो कुछ हुआ क्या ठीक हुआ? मेरा मन कहता नहीं और कभी कहता कि चलो सब ठीक है. फिर कुछ देर बाद पापा आ गये और वो मुझे लेकर बेडरूम में चले गये और उन्होंने मेरा गाउन खोल दिया और मेरे बूब्स को दबाने लगे. मुझे बड़ा आनंद आ रहा था और मेरी चूत में एक अजीब सी खलबली मची हुए थी, वो मेरे पूरे बदन को चूम रहे थे कि तभी अचानक से वो बोले क्यों पायल तुम्हारे बूब्स तो तुम्हारी माँ से बहुत बड़े है, क्या तुम कोई दवाई काम में लेती हो या फिर अपने हाथ से खींचती या किसी के हाथ से खिंचवाती हो? तो मैंने कहा कि नहीं पापा यह सब कुछ प्राक्रतिक है कोई दवाई नहीं, किसी तरह की कोई खिंचाई नहीं. फिर पापा ने मुझे बेड पर लेटा दिया और वो मेरी चूत की फांके खोलकर बहुत ध्यान से देखने लगे और हल्के हल्के चूत में अपनी ऊँगली को अंदर बड़ा रहे थे. मेरी हालत इतनी खराब थी कि मुझे कुछ देर बाद ही झड़ने का अहसास होने लगा और मेरी चूत से निकले रस की वजह से मेरे बाप के हाथ गीले हो गये, वो अपने हाथ चाटने लगे तो मैंने उनसे कहा कि पापा अगर चाटना ही है तो मेरी प्यारी चूत को चाटो. मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो तुरंत नीचे झुककर मेरी चूत पर अपनी जीभ को फेरने लगे और चाटने लगे. फिर में उनका लंड अपने हाथ में लेकर चूमने लगी और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और कुछ देर बाद उनका भी वीर्य निकल गया, वो मेरे मुहं में जा रहा था और कुछ देर बाद पापा मेरे ऊपर सवारी कर रहे थे और उनका लंड देवता मेरी चूत रानी के अंदर प्रवेश कर गया और उसके बाद से शुरू हुई धक्कों की दास्तान, क्योंकि दोनों का पानी अंदर मिल रहा था और इसलिए मेरी चूत से फट फट और फ़च फ़च की आवाज़े आने लगी थी. मुझे भी अजीब सी ख़ुशी मिल रही थी इसलिए में हल्की आवाज से चीख रही थी और मोन भी कर रही थी उहह्ह्ह अहह्ह्ह्हह ऑचचछ्ह्ह्हह्ह माँ मर गई, लेकिन मुझे मज़ा बहुत आ रहा था. दोस्तों पापा खुद भी जोरदार धक्के देकर मुझे लगातार चोदे जा रहे थे उनका लंड बिल्कुल पिस्टन की तरह मेरी चूत में चल रहा था और अंदर बाहर हो रहा था और फिर देखते ही देखते वो झड़ गये और उन्होंने अपना वीर्य अंदर ही डाल दिया, जिसकी वजह से मेरी चूत में ऐसा लगा जैसे किसी ने गरमा गरम लोहा डाल दिया हो मेरी चूत में अब आनंद की कोई सीमा नहीं थी इसलिए में बहुत मस्त थी और अपने पापा से अपनी चुदाई करवा रही थी. तो उसके बाद हम दोनों बहुत ज्यादा थककर एक दूसरे से चिपककर लेटे रहे, लेकिन मेरी चुदाई का यह दौर ऐसे ही चलता रहा और मैंने अपने पापा के लंड से अपने हर एक छेद को उनके वीर्य से पूरा भर दिया बहुत मज़े किए.

  • ससुर जी की असली रखैल बन गई

    हैल्लो दोस्तों, में एक बार फिर से अपनी एक और नई कहानी को लेकर आप सभी के सामने हाजिर हूँ. दोस्तों मेरा नाम सपना है और में जदोहपुर में रहती हूँ मेरे पति बाहर नौकरी करते है इसलिए वो साल में एक दो बार ही हमारे घर पर आ पाते है और बाहर नौकरी करने की वजह से उनके पास मुझे देने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं होता है जिसकी वजह से में हमेशा प्यासी तड़पती रहती हूँ और वो है जिनको मेरी बिल्कुल भी परवाह नहीं थी.

    उनके बाहर रहने की वजह से मेरे घर पर में मेरे भाई और मेरी ननद के साथ रहती हूँ और उन दिनों गरमी की छुट्टियाँ थी जिसकी वजह से मेरा भाई और ननद कहीं बाहर घूमने गये हुए थे और में अपने घर में एकदम अकेली थी और घर में अकेली होने की वजह से में बहुत मॉर्डन और खुली खुली रहती थी इसलिए में कभी सलवार, कुर्ता तो कभी जींस, टॉप तो कभी स्कर्ट, टी-शर्ट तो कभी गाउन पहना करती थी और हमारा घर बहुत बड़ा है और उसमे बहुत सारे कमरे है.

    एक दिन मेरे ससुर जी आ गए और वो करीब 10-15 दिनों के लिए आए थे और उस समय घर पर कोई भी नहीं था और सभी लोग बाहर गए थे. तभी मेरे ससुर जी आ गए और मैंने मन ही मन सोच लिया कि चलो अच्छा हुआ घर में कोई तो आ गया वरना इतने बड़े घर पर में बिल्कुल अकेली थी. दोस्तों मेरे ससुर जी दिखने में बहुत ही अच्छे है वो 50 की उम्र में भी एकदम जवान लगते है और उनको देखकर एक बार तो मेरा भी मन हुआ कि कुछ मज़े मस्ती हो जाए, लेकिन वो मेरे ससुर है यह बात सोचकर में रुक गई.

    फिर मेरे ससुर थोड़े दिन तक तो ठीक रहे और उनका मेरे साथ व्यहवार अच्छा रहा, लेकिन उसके बाद मैंने महसूस किया कि वो अब मुझे कुछ अलग नज़र से देख रहे है, वो मुझे हमेशा बहुत गौर से देखते थे. जब कभी भी में आती जाती तो वो मेरे बूब्स को और मेरे पैर को बहुत ध्यान गौर से देखते. दोस्तों में तुरंत समझ गई कि वो मुझसे अब क्या चाहते है, लेकिन वो कभी भी मुझसे यह सब बातें बोल नहीं सकते थे, क्योंकि वो रिश्ते में मेरे ससुर जी थे.

    फिर मैंने धीरे धीरे महसूस किया कि मेरे ससुर जी अब मुझे नहाते हुए और ज्यादा से ज्यादा बिना कपड़ो के देखने की हमेशा कोशिश किया करते थे और में यह बात जान गई थी और उनकी नियत को पहचान गई थी इसलिए में अब उनको अपनी तरफ से ज्यादा से ज्यादा मौके देती थी जिससे वो मुझे देख ले और में यह बात सोचकर तो कई बार बहुत गरम हो जाती थी.

    एक दिन मेरी यह इच्छा भी पूरी हो गई और उस दिन ससुर जी ने मुझसे बोला कि बेटी यह पानी है इसको पीने से सब रोग दूर हो जाते है और इसको पीने से कभी कोई बीमारी भी नहीं होती है, तो मैंने उनसे वो पानी ले लिया और रख दिया.

    फिर रात को मैंने देखा कि मेरे ससुर जी रसोई में जाकर मेरे लिए जो दूध ला रहे है उन्होंने उसमे कुछ मिला दिया है मैंने उनको यह काम करते हुए देख लिया था, लेकिन वो मुझे ना देख सके में चुपचाप वापस अपने कमर में आ गई और में बैठ गई तभी थोड़े देर के बाद मेरे ससुरजी भी आ गए और वो मुझसे कहने लगे कि बेटी तुम यह दूध पी लो और उसके बाद में सो जाओ इतना कहकर वो उनके कमरे में चले गए और मैंने उनके चले जाने के बाद वो दूध जानबूझ कर चोरी छिपे नीचे गिरा दिया और में सो गई.

    अब में सोने का नाटक करके चुपचाप लेटी रही करीब दो घंटे के बाद मेरे ससुरजी दोबारा मेरे कमरे में आ गए उन्होंने मुझे आवाज़ दी, लेकिन में एकदम चुपचाप लेटी रही वो मेरी तरफ से कोई भी हरकत ना होते देख तुरंत समझ गए कि में अब तक गहरी नींद में सो चुकी हूँ इसलिए वो भी चुपचाप मेरे पास में आकर लेट गए और थोड़ी देर के बाद उन्होंने मेरे गाउन को धीरे से थोड़ा सा ऊपर उठा दिया. पहले उन्होंने कम उठाया था और फिर घुटनों तक और उसके बाद उन्होंने अपना एक हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और वो मेरे बूब्स को हल्के हल्के दबाने लगे.

    तो कुछ देर बाद मेरी जवानी अंदर ही अंदर सुलगने लगी और में एकदम से उठ गई मुझे अचानक से अपने सामने ऐसे देखकर बाबूजी (मेरे ससुर) बहुत ज्यादा डर गए और वो मुझसे कहने लगे कि बेटी मुझसे ग़लती हो गई है तुम यह बात किसी से मत कहना अब में कभी भी ऐसा दोबारा नहीं करूंगा, में क्या करूं बहु तुम बहुत ही सेक्सी हो इसलिए मेरा मन तुम्हे देखकर डोल गया था, कोई बात नहीं बेटी में अब यहाँ से चला जाता हूँ, लेकिन तभी मैंने उनको यह सब करने से साफ मना कर दिया और मैंने उनसे बोला कि कोई बात नहीं आप एक बार कर लो में भी अंदर ही अंदर इस आग में आपकी तरह बहुत जल रही हूँ बाबूजी. तो मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो बहुत खुश हो गए और उन्होंने जल्दी से मेरा गाउन पूरा उतार दिया और वो खुद भी तुरंत नंगे हो गए.

    दोस्तों अब में उनके लंड को अपने सामने नंगा देखकर बहुत खुश हो गई क्योंकि वो बहुत लंबा था, लेकिन वो थोड़ा सा नीचे की तरफ झुका हुआ था और में झट से समझ गई कि वो डर की वजह से ऐसा हुआ होगा. अब उन्होंने सबसे पहले मुझे पूरा नंगा किया और फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और बहुत ध्यान से उन्होंने मेरे पूरे शरीर को देखा और उसके बाद बिस्तर पर मुझे लेटाकर वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगे और वो मेरे बूब्स को दबाते हुए बार बार उसको चूस भी रहे थे. फिर कुछ देर के बाद वो आचनक से नीचे आकर मेरी कामुक चूत पर किस करने लगे और उसको चाटने भी लगे. दोस्तों में किसी भी शब्दों में लिखकर नहीं बता सकती मुझे कैसा लग रहा था और कितना मज़ा आ रहा था?

    में तो जैसे उस समय जन्नत में हूँ मुझे ऐसा महसूस हो रहा था, लेकिन अब मुझसे बिल्कुल भी सहन नहीं हो रहा था और इसलिए में बोल पड़ी कि बाबूजी बस अब प्लीज आप जल्दी से मेरी प्यास को बुझा दो मुझे और ज्यादा मत तरसाओ. मेरे मुहं से यह शब्द सुनकर वो तुरंत मेरे ऊपर आ गये और उन्होंने मेरे दोनों घुटनों को मोड़ दिया था. अब उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत के मुहं पर रखकर एक ज़ोर का धक्का मार दिया, जिसकी वजह से एक ही बार में उनका पूरा लंड मेरी चूत की गहराईयों में चला गया और अब मेरे मुहं से एक बहुत ज़ोर की चीख निकल गई आईईईईईइई रे में मर गइईईईईईई प्लीज थोड़ा धीरे करो बाबूजी.

    फिर बाबूजी ने धीरे धीरे धक्के देकर मेरी चुदाई करना शुरू कर दिया और उसके बाद जो मुझे और बाबूजी हम दोनों को मज़ा आने लगा. मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और में बता नहीं सकती. फिर कुछ समय बाद मुझे लगा कि में अब झड़ने वाली हूँ तो में बोल पड़ी बाबूजी प्लीज अब जल्दी से करो में अब झड़ने वाली हूँ और में अब ज्यादा देर नहीं रुक सकती प्लीज. फिर मेरे मुहं से यह बात सुनकर बाबूजी अब और भी तेज़ धक्के देने लगे थे और मेरे मुहं से एक तेज़ आवाज़ निकली आईईईईईईई में तो गइईईईई सम्भालो मुझे ऊईईईई बाबूजी में तो मर गईईईईई और फिर में इतना कहकर झड़ गई और बाबूजी भी ऊऊईईईईई रे ऊह्ह्ह्ह बेटे बोलते हुए वो झड़ गए.

    उन्होंने अपना पूरा वीर्य मेरी चूत में डालकर अपने लंड को अंदर बाहर करके एक दूसरे में मिला दिया और अब उनका वीर्य मेरी चूत रस के साथ बहकर बाहर आने लगा वो गरम गरम माल बहकर मेरी गोरी जांघो तक पहुंच गया.

    फिर उसके बाद हम दोनों उठकर सीधे बाथरूम में नहाने के लिए चले गए और नहाने के बाद लाइट चली गई तो मैंने बाबूजी से बोला कि बाबूजी अब क्या करें? लाइट चली गई आप कपड़े पहनकर बाहर आ जाओ, तो बाबूजी ने बोला कि अरे में क्या पहनूं मेरे कपड़े गीले हो गए है और मुझे अँधेरे में दिखाई भी नहीं देगा, तो मैंने उनसे बोला कि आप एक काम करो, आप मेरे कपड़े पहन लो. फिर बाबूजी बोले कि में तुम्हारे कपड़े कैसे पहन सकता हूँ?

    मैंने उनसे बोला कि नहीं तो आपको लाईट आने तक नंगे ही रहना होगा, तो वो बोले कि हाँ ठीक है उसके बाद उन्होंने मेरी स्कर्ट और टॉपर पहन लिया और वो बाहर आ गए और उसके बाद हम दोनों मेरे बेडरूम के अंदर चले गये और थोड़ी देर बाद लाइट आई तब मैंने देखा कि बेड की चादर के ऊपर बहुत सारा वीर्य लगा हुआ था इसलिए मैंने वो चादर हटाकर में अलमारी से दूसरी चादर लेने के लिए गई और में चादर निकालने लगी. फिर तभी उस चादर के साथ कुछ कपड़े भी नीच गिरे और मैंने देखा तो वो मेरी शादी का लाल जोड़ा था.

    तब मुझसे मेरे ससुर जी ने पूछा कि बेटा क्या गिरा? तो मैंने उनसे बोला कि बाबूजी वो तो मेरी शादी का जोड़ा गिर गया है यह बात सुनकर ससुर जी ने मुझसे बोला कि तुम उसको बाहर ही रहने दो और फिर वो मुझसे बोले कि बहु एक बार में चाहता हूँ कि तुम इन कपड़ो को मेरे लिए पहनो और एक बार फिर से नई दुल्हन की तरह सजकर मेरे सामने शरमाकर बैठो और उसके बाद हम दोनों सुहागरात मनाए और फिर हम दोनों शादी भी करेंगे और फिर में तुमको मेरी दुल्हन बनाकर तुम्हारी बहुत जमकर चुदाई करूंगा.

    फिर मैंने उनसे बोला कि आज नहीं हम आगे का काम कल दोबारा से करेंगे तो हमे बड़ा मज़ा आएगा. मेरी बात को सुनकर वो बोले कि हाँ ठीक है.

    दोस्तों उसके बाद हम दोनों ने एक बार फिर से चुदाई के मज़े लिए और उसके बाद हम दोनों नंगे ही थककर सो गए उसके बाद हम दोनों दूसरी सुबह 11 बजे सोकर उठे और फिर हमने चाय नाश्ता किया और दोपहर का खाना खाया और उसके बाद हम दोनों शाम की चुदाई के लिए तैयारी करने लगे और फिर शाम को मुझे वो लाल जोड़ पहनाकर मेरे ससुर जी ने मुझसे शादी करके मेरे साथ सुहागरात मनाई उन्होंने मुझे बहुत जमकर चोदा और मुझे अपनी चुदाई से पूरी तरह से खुश कर दिया और हम दोनों ने बहुत मज़े किए, वो जब तक मेरे पास रहे, तो लगातार दिन रात जब भी उन्हें मौका मिलता वो मेरी चुदाई करते रहे और इस तरह से में उनकी दूसरी बीवी और एक असली रखैल बन गई. उन्होंने मुझसे बहुत जमकर चोदा और में उनके चोदने के तरीके से बहुत खुश हो गई, हर एक नये तरीके से उन्होंने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट किया और वो मज़ा वो सुख दिया जिसके लिए में इतने लंबे समय से तरस रही थी. में उनका साथ पाकर बहुत खुश थी.

  • पापा और भाई की रंडी बनकर चुद गई

    हैल्लो दोस्तों, में प्रीति आज आप सभी सेक्सी कहानियाँ पढ़ने वालों के लिए अपनी एक अनोखी कहानी लेकर आई हूँ जिसमें मैंने अपने भाई और अपने पापा के लंड से अपनी चुदाई का खेल खेला और उनके साथ मज़े लिए और अपने मन को वो सुख दिया.

    दोस्तों मेरे मम्मी पापा का बहुत साल पहले तलाक हो गया था, जिसकी वजह से हम हमारे घर में बस तीन लोग, में प्रीति, मेरा भाई जिसका नाम मोहन और मेरे पापा ही थे. में बहुत गोरी और मेरे बड़े आकार के सुडोल बूब्स, मटकती गांड जो मेरी इस चढ़ती मस्त जवानी को चार चाँद लगा रहे थे, क्योंकि मैंने अभी अभी अपनी जवानी की उस दहलीज पर अपना पहला कदम रखा था और में हमेशा बड़े गले के बिल्कुल टाईट कपड़े पहनती थी, जिसकी वजह से जो भी मुझे देखता बस देखता ही रह जाता था और ऐसा ही हाल कुछ मेरे भाई का था.

    में उसको अपना गोरा सेक्सी बदन दिखाती और वो मेरे पीछे हमेशा लगा रहता और यही हाल मेरे कॉलेज के सभी लड़को का भी था, वो भी मेरे दीवाने थे. दोस्तों मेरे पापा सुबह अपने ऑफिस चले जाते और उसके बाद में दोपहर को जब भी अपने घर पर आती तो हम दोनों भाई बहन ही होते थे. फिर एक दिन हम दोनों घर पर अकेले बैठे हुए फिल्म देख रहे थे, क्योंकि हम दोनों को फिल्म देखने का बहुत शौक था और में अपने कॉलेज से आ चुकी थी.

    अब हम दोनों का पूरा ध्यान उस फिल्म में था और हमे बड़े मज़े आ रहे थे. उसका मुझे पता नहीं, लेकिन में खुश थी और तभी अचानक से उसमे एक सेक्सी सीन आ गया जिसमें वो दोनों लड़का लड़की एक दूसरे से चिपककर चूमने चाटने लगे. कुछ देर चूमने के बाद उसने लड़की के कपड़े खोल दिए और वो अपने छोटे कपड़ो मतलब ब्रा पेंटी में आ गई. उसको मेरा भाई अपनी खा जाने वाली नजर से घूरकर देखने लगा.

    अब वो मुझसे कहने लगा यह फिल्म बहुत अच्छी सेक्सी है, लेकिन इसमे पूरा सब साफ नहीं दिखा रहे है, तो मैंने तुरंत उसकी मन की बात को समझकर कि उसके मन में अब क्या चल रहा है? मैंने उससे पूछा कि तुम्हें इसमे और क्या क्या देखना है, वो इतना सब कुछ तो साफ दिखा रहे है? अब वो मुझसे बोला कि प्रीति वही कपड़ो के अंदर छुपे हुए अंग जिसके लिए में क्या यह पूरी दुनिया पागल है, वो तो नहीं दिखाए ना?

    तब मैंने उससे पूछा कि कौन से अंग और तुम्हारा कहने का क्या मतलब है, मुझे तुम खुलकर समझाओ? और फिर उसने अपने लंड पर अपना एक हाथ रखकर कहा कि यह वाले अंग. दोस्तों में उसका वो इशारा तुरंत समझकर उसकी तरफ देखकर हंसने लगी, लेकिन तभी उसने अपनी अंडरवियर को उतार दिया और अब वो अपने लंड को मेरे ही सामने धीरे धीरे सहलाने लगा. फिर मैंने उससे पूछा कि तुम यह क्या कर रहे हो? उसने मुझसे कहा कि तुम्हें भी अगर ऐसा करना है तो कर सकती हो, मुझे उसमे किसी भी तरह की कोई भी आपत्ति नहीं होगी और अब मैंने उसकी उस बात को सुनकर अपनी पेंटी को उतार दिया और में भी शुरू हो गयी.

    उस दिन हमने एक दूसरे के सामने ही मुठ मारी, लेकिन चुदाई जैसा कोई भी काम नहीं किया. अगले दिन से हम लोग एक दूसरे के सामने पूरी तरह से खुल गये थे और धीरे धीरे हम लोग चुदाई भी करने लगे थे. फिर ऐसे ही एक दिन हम लोग अपनी चुदाई के काम में व्यस्त थे. उस समय में उसके सामने अपने दोनों हाथों पैरों पर बैठकर कुतिया बनी हुई थी और वो मेरे पीछे से मेरी गांड में अपनी जोरदार स्पीड से अपना लंड डालकर अंदर बाहर करके मेरी गांड मार रहा था और में ज़ोर ज़ोर से उसको गलियाँ दे रही थी, वो मुझे बहुत जबरदस्त तरीके से रगड़कर वो मेरी गांड को ठोक रहा था और में उस दर्द की वजह से चिल्ला रही थी और उसको कुत्ते कमीने कह रही थी.

    तभी पीछे से पापा की आवाज़ आ गई वो हमें देखकर पूछने लगे यह सब क्या हो रहा है? उनकी आवाज सुनकर हम दोनों उठकर तुरंत खड़े हो गये क्योंकि दरवाजे पर पापा खड़े हुए थे और अब तक उन्होंने हमें इस हालत में वो काम करते हुए देख लिया था, वो हमारी इस हरकत से बहुत ज्यादा गुस्सा हुए और उन्होंने गुस्से में हम दोनों को घर से बाहर निकल जाने को बोलकर वो अपने रूम में चले गये. अब मोहन ने मुझसे कहा कि अब हमारे पास सिर्फ़ एक ही रास्ता है, जिसकी वजह से हम दोनों बच सकते है, मैंने उससे पूछा कि वो क्या? तब उसने मुझसे कहा कि पापा का वो गुस्सा छोड़ दो और उस बात को भूल जाओ जो उन्होंने हमें अभी कुछ देर पहले गुस्से में कही थी.

    फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है में तुम्हारे कहने पर वो सब भुला देती हूँ और अब वो मुझसे बोला कि तुम चलो मेरे साथ, तो में उसके साथ हो गई और फिर हम दोनों नंगे ही पापा के रूम में चले गये. मैंने देखा कि उस समय पापा दारू पी रहे थे और हम दोनों को अपने सामने इस तरह से पूरा नंगा खड़ा देखकर वो कहने लगे क्या तुम्हें बिल्कुल भी शर्म नहीं आती?

    मैंने उनसे कहा कि आती तो है पापा, लेकिन इस गरम जोशीली जवानी के आगे किसी का ज़ोर नहीं चलता है और में भी क्या करती, मुझे भी तो जवानी चढ़ी हुई थी. में इसको अपने बस में कब तक रखती? तो पापा बोले कि तुम्हे क्या इतनी जवानी चढ़ी थी कि अब तुम अपने भाई से ही चुदाई करवाने लगी. उसको भी तुमने अपने साथ उस काम में लगा लिया, ऐसा क्या हो गया है तुम्हे, तुम अब बिल्कुल पागल हो चुकी हो.

    अब में और मेरे पापा एक दूसरे से पूरी तरह से खुलकर बातें कर रहे थे, इसलिए मेरे मन से पूरा डर निकल चुका था. फिर मैंने उनसे कहा कि पापा अगर यह मेरा भाई ना होता तो क्या आप फिर भी मेरी इस चुदाई से इतना ही नाराज़ होते जितना अभी हो?

    दोस्तों मेरी उस बात को सुनकर पापा बिल्कुल चुप हो गए और वो मन ही मन ना जाने क्या सोचने लगे थे? तभी मैंने उनसे कहा कि एक पल के लिए आप यह बात सोचिए कि में आपकी बेटी नहीं हूँ और आपके सामने सिर्फ़ एक नंगी जवान गरम लड़की अपनी कामुक चूत को लेकर खड़ी हुई है, क्या आप उसको नहीं देखेंगे? आप यह देखिए मेरे दूध इतने बड़े सेक्सी है, मेरी चूत इतनी चिकनी है और मेरी गांड इतनी मोटी है कि इन्हें कोई प्यार करने वाला भी तो होना चाहिए ना.

    फिर पापा ने मेरी यह बात को सुनकर उन्होंने मेरे पूरे शरीर को बहुत ध्यान से देखा और वो लगातार घूर घूरकर देखते ही रहे और तब मैंने उनसे कहा कि देखिए अब आप खुद भी मेरे इस गोरे गरम सेक्सी बदन को देखकर धीरे धीरे गरम हो रहे है, क्यों में ठीक कह रही हूँ ना पापा, आप बहुत लंबे समय से बिल्कुल अकेले है और कितने ही दिनों से आपने भी किसी की चुदाई नहीं की है. आप अपनी इस अनमोल जिंदगी को ऐसे ही खत्म मत कीजिए, यह मेरी प्यासी चूत आपके लिए ही तो है और उनसे यह बात कहकर मैंने तुरंत अपने एक पैर को उठा दिया जिसकी वजह से मेरी चूत उनके सामने फैल गयी.

    अब पापा अपने हाथ से उस गिलास को नीचे रखकर तुरंत खड़े हो गये थे और उनकी इस हरकत को देखकर में तुरंत समझ गई थी कि वो अब क्या करना चाहते है? इसलिए मैंने उनको अपनी बातों से और भी ज्यादा गरम करना शुरू कर दिया था.

    फिर मैंने उनसे कहा कि पापा आज आप मुझे अपनी बेटी नहीं बल्कि अपनी बीवी समझो और अगर बीवी का यह रूप आपको पसंद ना आए तो आज आप मुझे अपनी रांड ही बना लो, प्लीज अब आओ ना मेरे पास और इतना कहने पर पापा मेरे पास आ गये. फिर हम दोनों ने एक दूसरे को चूमा और मैंने सही मौका देखकर उनको भी पूरा नंगा कर दिया था.

    फिर मैंने देखा कि उनका लंड करीब 7 इंच का था और वो पूरा तनकर खड़ा हुआ था, जिसको देखकर में मन ही मन बहुत खुश थी, इसलिए मैंने उनको चूमते हुए कहा कि अभी तो आप मुझ पर बड़ा गुस्सा थे और अब आप मुझे चोदने के लिए तैयार हो, पापा आप पूरे बेटीचोद है. फिर पापा ने मुझसे पूछा कि तुमने यह गंदी गाली देना कहाँ से सीखा? मैंने उनसे कहा कि मोहन ने मुझे बहुत कुछ नया करना सिखाया है और अब पापा पूछने लगे कि वो बहनचोद तुम्हें कब से चोद रहा है और यह सब तुम दोनों के बीच में कब से चल रहा है? तो मैंने उनसे कहा कि बहुत समय हो गया है और हम एक दूसरे की प्यास को बुझा लेते है.

    हम दोनों ऐसा बहुत बार ना जाने कितने दिनों से करते आ रहे है? तो पापा उस समय मेरी चूत को चाट रहे थे, वो बोले कि मेरी प्यास अब बुझेगी. फिर मैंने उनसे कहा कि हाँ चाटो मुझे, चूसो मेरी इस चूत को और चोदो मुझे. फिर वो जोश में आकर मेरी चूत को चूसते रहे और अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर तक डालकर हिलाते रहे और उसके कुछ देर बाद मैंने पापा से कहा कि पापा में अब आपका लंड अपने मुहं में लेकर उसको चूसना चाहती हूँ.

    फिर पापा ने मुझसे कहा कि हाँ ले ले बेटी, यह इतना लंबा मोटा तेरे लिए ही है हाँ चूस ले इसको और फिर में उनका लंड अपने मुहं में लेकर लोलीपोप की तरह चूस रही थी, जिसकी वजह से मेरे साथ साथ उनको भी बहुत मज़ा आ रहा था और फिर कुछ देर लंड चूसने के बाद मैंने उनकी गांड में अपनी ऊँगली को डाल दिया और अब मैंने महसूस किया था कि वो अब मेरी चूत को अपने लंड से जोश भरे धक्के देकर उसकी चुदाई करने के लिए एकदम तैयार थे.

    फिर मैंने आवाज़ दी कि मोहन अब तू भी अंदर आजा, क्योंकि मोहन अभी तक भी रूम के बाहर ही खड़ा हुआ था और अब वो भी मेरी आवाज को सुनकर तुरंत अंदर आ गया और वो पापा से पूछने लगा क्यों पापा आपको भी दीदी की जवानी ने गरम कर दिया ना?

    पापा उससे बोले कि बहनचोद तू खुद तो इसको अपनी रांड बनाकर हर कभी इसको चोद देता है तो में भी क्यों ना इसकी चुदाई करूं? तो मैंने उनसे कहा कि वो सब तो ठीक है, लेकिन अब मेरी एक शर्त है, वो दोनों मुझसे पूछने लगे कि वो क्या है? तब मैंने उनसे कहा कि मुझे एक ही साथ एक लंड गांड में दो और एक मेरी चूत में डालकर मेरी जमकर चुदाई करो जिससे मुझे भी अपनी चुदाई में पूरा मज़ा आए और तुम दोनों भी खुश हो जाओ. दोस्तों सच कहूँ तो मेरी वो बात सुनकर वो दोनों बड़े खुश हो गये और उनके चेहरे ख़ुशी से खिल उठे और में उनके मन की बात को समझ गई.

    फिर मोहन मेरे पास आया और वो मुझसे बोला कि ठीक है चल अब जल्दी से तू अपनी चूत को फैला ले और मैंने उसके कहने पर अपनी चूत की पंखुड़ियों को मेरे एक हाथ की उँगलियों की मदद से फैला लिया और उसने मेरी चूत पर थूक दिया और फिर उसके बाद उसने मेरी चूत को कुछ देर चाटा और उसके बाद वो बोला कि हाँ अब ठीक है यह पूरी गीली हो गई है और उसके बाद उसने मुझसे कहा कि दीदी अब गांड को फैला ले और मैंने ठीक वैसा ही किया, लेकिन इस बार मेरी गांड को मेरे पापा ने चाटा और फिर वो भी कुछ देर चाटने के बाद मुझसे बोले कि हाँ अब यह भी गीली हो गई है.

    फिर मैंने उन दोनों से पूछा कि कौन मेरी चूत में अपना लंड डालेगा और कौन मेरी गांड मारेगा? तब पापा कहने लगे कि मोहन तू इसकी चूत ले ले और में इसकी गांड को अपने लंड का मज़ा देता हूँ. आज यह भी क्या याद रखेगी. अब मोहन ने कहा कि नहीं पापा आज आप इसकी चूत ले लो में इसकी गांड में अपना लंड डालूँगा प्लीज, पापा बोले कि हाँ ठीक है और फिर में पापा के ऊपर लेट गई.

    पापा ने अपने एक हाथ से पकड़कर लंड को मेरी चूत में डाल दिया और उनका लंड 7 इंच का था और बहुत मोटा भी था इसलिए में उसके अंदर जाते ही दर्द की वजह से चिल्ला गई उफ्फ्फफ्फ्फ़ माँ मार दिया रे आईईईईई यह कौन सा हथियार है रे? उफ्फ्फफ्फ्फ़ में मर जाऊँगी मादरचोद कुत्ते की औलाद तेरी माँ ने क्या गधे से उसका लंड अपनी चूत में लिया था क्या? साले छिनाल की औलाद तभी तो तेरा इतना बड़ा, मोटा लंड है जिससे मेरी चूत फट गयी.

    फिर पापा बोले कि रंडी कुतिया तेरी माँ की भी मैंने चूत ऐसे ही अपना लंड डालकर उसको फाड़ दिया था, अब देख आज में तेरी चूत को भी ठीक वैसे ही फाड़ दूँगा. गधे का लंड तो तेरी माँ ने लिया था और वो गधा में हूँ और आज में तुझे भी वैसे ही चोदूंगा, तेरी माँ की चूत साली रंडी ले और ले मज़े मेरे लंड के तुझे चुदाई का और लंड लेने का बहुत शौक है ना, कर मज़े मेरे साथ.

    अब वो अपनी तरफ से जोश में आकर ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत को धक्के दिए जा रहे थे जिसकी वजह से उनका लंड अब मेरी चूत में पूरा अंदर चला गया था और अब पापा बोले कि मोहन तू क्या वहाँ पर खड़ा होकर अपनी इस रंडी बहन की चुदाई को देख रहा है? चल अब इधर आजा बहनचोद मार तू इसकी गांड और दे इसको वो भी मज़ा जिसके लिए इसने हमसे कहा था.

    दोस्तों मेरा एक बूब्स पापा के मुँह में था और दूसरा उनके हाथ में, वो धक्के देने के साथ साथ उनको भी मसल निचोड़ रहे थे और तभी मोहन ने भी सही मौका देखकर मेरी गांड में अपना लंड डाल दिया और फिर पापा उससे पूछने लगे क्यों बे तेरी इस रंडी बहन की गांड ज्यादा टाइट है क्या?

    मोहन बोला कि हाँ पापा यह छिनाल ऐसे ही हर रोज मुझसे अपनी गांड मरवाती है, लेकिन फिर भी इसकी गांड अभी भी इतनी टाइट है? अब हम तीनों एकदम फिट हो गये थे और मैंने उन दोनों से बोला कि अब अगर किसी भी कुत्ते हरामी की औलाद ने अपने मुहं से कोई भी आवाज़ की तो में उसका लंड काट दूँगी. अब तुम दोनों बिल्कुल चुप रहो और चोदो मुझे ज़ोर से और पूरे जोश के साथ मुझे वो मज़े दो.

    फिर उन दोनों ने अपना अपना लंड सही जगह पर फिट किया और अब वो दोनों बारी बारी से मुझे धक्के लगाने लगे, जिसकी वजह से मुझे अब जन्नत का मजा मिल रहा था, लेकिन कुछ देर बाद हम लोग एकदम से जोश में आ गये और में उन दोनों को गालियाँ दे रही थी और वो दोनों मुझे अपने बीच में फँसाकर धक्के देकर मेरी चुदाई किए जा रहे थे और अब पापा का लंड चूत से अंदर बाहर निकलते समय फक फक की आवाज़ कर रहा था.

    फिर मैंने उनसे पूछा कि पापा सच सच बताना मेरी माँ की चूत मस्त थी या मेरी मस्त है? तब पापा बोले कि तेरी माँ तो पक्की रांड थी, वो भी दिनभर में ना जाने कितनों से अपनी चुदाई करवाती थी, वो पूरी चुदेल थी, लेकिन तू तो मेरी रानी है, मेरी रंडी है, मेरी छिनाल है और में तुझे तो हर रोज सुबह शाम ऐसे ही चोदता रहूँगा.

    फिर मोहन बोला कि मादरचोद में भी तो इसकी चुदाई करूंगा, तो में उससे बोली कि हाँ तुम दोनों ही मुझे चोद लेना, लेकिन अभी तुम दोनों इस स्पीड को और भी तेज करो, चलो जल्दी जल्दी आह्ह्ह्हहह म्‍म्म्मम उफफ्फ्फ्फ़ चोदो मुझे ज़ोर लगाकर, डाल दो पूरा, अंदर तक जाने दो. तभी कुछ देर धक्के देने के बाद पापा बोले कि में अब झड़ने वाला हूँ, मैंने कहा कि हाँ ठीक है अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लो और मेरे मुँह में डाल दो.

    दोस्तों मोहन अभी भी मेरी गांड में धक्के दे रहा था और अब पापा ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और वो मेरे मुँह में लंड को डालने की जगह वो मोहन की गांड के पास आ गये और वो मुझसे बोले कि बेटी इसे तू ज़ोर से पकड़ ले नहीं तो यह भाग जाएगा.

    अब मोहन पापा की उस हरकत उनकी नियत को समझकर बोला कि नहीं पापा आप मेरी गांड मत मारना, मुझे बहुत दर्द होगा और मैंने कहा कि हाँ पापा मारो मारो इसकी गांड इस मादरचोद ने मुझे बहुत बार चोदा है, इसने कभी भी मुझ पर तरस नहीं खाया, आज आप भी जमकर चोदो इसको. दोस्तों मोहन का लंड अब भी मेरी गांड में था और मैंने उसे ज़ोर से पकड़ लिया और उसके बाद पापा ने पीछे से उसकी गांड में थूक दिया और थोड़ा सा तेल भी लगा दिया.

    फिर उन्होंने सही निशाना लगाकर एक जोरदार धक्का देकर अपना पूरा लंड उसकी गांड में फँसा दिया और अब मोहन उस दर्द की वजह से रोने लगा, तो मैंने कहा कि मोहन रो मत मुझे भी दर्द होता है तू मुझे चोद लेना.

    फिर मोहन ने कहा कि साली कुतिया तेरी वजह से आज मेरी गांड मर गयी. आज अब तू देख में क्या करता हूँ और गुस्से में मोहन ने मेरी गांड पर ज़ोर ज़ोर से अपना लंड डाला और उधर पापा ने पीछे से मोहन की गांड मार ली वो मुझसे पूछने लगे कि क्यों बेटी इस खेल में तुम्हे मज़ा आ रहा है ना? मैंने कहा कि हाँ पापा, लेकिन आज रात को मोहन आपकी गांड मारेगा. फिर पापा ने कहा कि ठीक है मुझे कोई भी आपत्ति नहीं है, अभी तो में इसकी गांड मार रहा हूँ और जल्दी ही पापा ने मोहन की गांड में अपना पूरा वीर्य निकाल दिया और वो झड़ गये और उसके बाद मोहन मेरी गांड में झड़ गया.

    फिर उसने भी अपना गरम गरम माल मेरी गांड में डाल दिया और इसके बाद हम लोग अपने घर में सेक्स को लेकर बहुत खुले हो गये. मोहन और पापा एक दूसरे की गांड मार लेते और फिर मेरे पास आकर हम तीनों मिलकर मज़े करते. मैंने एक रबर का लंड खरीद लिया था, जिसको अपनी कमर पर पहनकर में उन दोनों की गांड मारती थी और हम बहुत मज़े करते थे. दोस्तों हम सभी लोग इस दुनिया के सबसे बड़े चुदक्कड़ लोग है, जिन्होंने अपने मज़े मस्ती के लिए वो सब किया जो कोई और नहीं कर सकता.

  • पापा ने अकेली देख मुझे चोदकर अपनी हवस शांत की

    keli Ladki ki Chudai, Papa Ne Choda, Bap Beti Sex Story : हेल्लो दोस्तों, मैं आयशा आप सभी का kamukta में बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालों से नॉन वेज स्टोरी की नियमित पाठिका रहीं हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। मेरी मम्मी कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली गयी थी। अब सिर्फ मैं और पापा ही घर पर थे। पापा मुझे करीब 4 महीनो से घूर घूर के देख रहे थे। मैं अच्छी तरह से जानती थी पापा अब मुझे कसके चोदना चाहते थे। मेरी कुवारी चूत को कसके बजाना चाहते थे। ये बात साफ़ थी। उस दिन मम्मी चली गयी। रात हो गयी। मुझे शक हो गया था की आज की रात मुझ पर बहुत भारी पढने वाली है। आज ही रात मैं जरुर चुद जाउंगी।

    दोस्तों अब मैं चुदने लायक एक जवान लड़की हो चुकी थी। मैं किसी भी मर्द का अब मोटा लंड खाने को तैयार हो गयी थी। कुछ दिनों से अंदर ही अंदर मेरा भी चुदवाने का बड़ा दिल कर रहा था। रात के 10 बजे तो मैं पापा के लिए खाना थाली में लगाकर ले गयी। पापा ने थाली लेकर एक किनारे रख दी और मुझे पकड़ लिया और गोद में बिठा लिया।

    “पापा! ये आप क्या कर रहे है???” मैंने कहा
    “बेटी!! आज मैं तुमको एक गुप्त विद्या सिखाने जा रहा हूँ। इसे सीखकर तुमको परम आनंद की प्राप्ति होगी। तुमको बहुत मजा मिलेगा” पापा बोले “पापा! क्या नाम है इस विद्या का???” मैंने गभीरतापूर्वक पूछा “बेटी इसे चुदाई की महाविद्या कहा जाता है। आज मैं तुमको ये सिखाऊंगा। तुम खूब ऐश मिलेगी। जो जो मैं कहूँ करती जाना। बस मना मत करना बेटी!!” पापा बोले

    दोस्तों मैं 23 साल की जवान माल हो गयी थी। मेरा रंग काफी साफ़ था। मैं बहुत गोरी थी क्यूंकि मेरी मम्मी भी बहुत खूबसूरत थी। मैंने कई बार पापा को मम्मी को चोदते हुए देखा था। इसलिए आज मेरा भी चुदने का मन था। धीरे धीरे पापा ने मुझे गोद में बिठा लिया और किस करने लगे। मुझे गुदगुदी हो रही थी। वो पीछे से मेरे कान, गले, पीठ में चुम्मी ले रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था। गुदगुदी तो बहुत हो रही थी। मैंने एक हल्की टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन रखा था। धीरे धीरे पापा के हाथ मेरी टी शर्ट पर यहाँ वहां घुमने थे। आखिर में उन्होंने मेरे बूब्स को हाथ में ले लिया और टी शर्ट के उपर से हल्का हल्का दबाने लगे।

    “पापा ये आप…..” मैं कुछ कहने जा रही थी पर पापा ने मुझे रोक दिया “बेटी इस चुदाई की महाविद्या को सीखना है तो प्लीस मुझे टोको मत। जो जो मैं करता हूँ करने दो। लास्ट में मजा ना आए तो तुम कहना” पापा बोले तो मैं मान गयी। मैं चुप थी। पापा के हाथ मेरी 36” की चूचियों को हाथ में लेकर खेल रहे थे। 15 मिनट पर बाद मुझे इस चुदाई की महाविद्या में गहरा इंटरेस्ट आने लगा। मुझे अच्छा लगने लगा। फिर पापा मुझे किस करने लगे। कुछ देर बाद मेरा भी चुदाने का मन करने लगा। फिर पापा ने मुझे नंगी होने का हुक्म दिया। मैंने सब कपड़े निकाल दिए। उधर पापा नंगे हो गये। आज रात मैं कसके चुदने वाली थी। पापा ने मुझे गोद में बिठा लिया बिस्तर पर ही। पापा की कमर में मैं दोनों पैर डालकर बैठ गयी। मेरी सेक्सी पतली 28” की कमर पापा की 40” की कमर से जुड़ गयी। पापा ने मुझे बाहों में भर लिया। दोस्तों आज रात घर में हम दोनों के सिवा कोई नही था। इसलिए पापा मुझे चोदकर आज बेटीचोद बन सकते थे। उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया। मैं भी चुदाने के मूड में थी इसलिए मैंने भी पापा को बाहों में कस लिया। फिर हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। हम बिस्तर पर थे। पापा मेरे नंगे जिस्म को नीचे से उपर तक सहला रहे थे।

    “ओह्ह आयशा बेटी!! तुम कितनी मस्त माल बन गयी। मैं तो जान ही नही पाया। आज रात मैं तेरी चूत का भोग लगाऊंगा और तुझे सेक्स विद्या का ज्ञान दूंगा” पापा बोले
    “पापा….आज मेरा भी आपसे चुदाने का बड़ा मन है। आज रात आप मुझे चोदकर मेरी चूत का रास्ता बना दो” मैंने कहा
    फिर हम होठो पर किस करने लगे। मेरे पापा मेरे गुलाबी होठो को पीने लगे। मुझे अच्छा लग रहा था। फिर मैं भी मुंह चला रही थी। हम दोनों एक दूसरे में पिघल रहे थे। मैं पापा के जिस्म को सहला रही थी। पापा भी मेरी नंगे जिस्म पर हाथ घुमा रहे थे। मेरी चूत गीली होने लगी थी। उसके बाद पापा गरमा गये। उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया। पागलों की तरह मुझे यहाँ वहां चूमने लगे। मेरे 36” के बड़े बड़े बूब्स उनके सीने से दब रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था। पापा मेरे नंगे जिस्म की खुस्बू बटोर ले रहे थे। आज रात मैं किसी रंडी की तरह चुदवाना चाहती थी। मैं बेशर्म लड़की बन चुँकि थी। पापा ने झुककर मेरे बाए मम्मे को मुंह में भर लिया और चूसने लगे। मैं “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” की
    आवाज निकालने लगी।

    मुझे अजीब सा नशा छा रहा था। आज पहली बार कोई मर्द मेरे बूब्स चूस रहा था। मेरी चूत में खलबली हो रही थी। पापा बार बार मेरे नंगे पुट्ठो को सहला रहे थे। साफ़ था की उनको बेहद मजा मिल रहा था। मेरी पीठ पर बार बार उपर से नीचे वो हाथ सहला रहे थे। धीरे धीरे मेरे जिस्म में वासना और सेक्स की आग लग रही थी। हाँ आज मैं पापा का मोटा लंड खाना चाहती थी। पापा मेरे बाए मम्मे को चूस रहे थे। मुझे ऐश मिल रही थी। फिर पापा मेरी दाई चूची को पीने लगे। मुझे लगा की मेरी चूत से माल निकल आएगा। पापा चूसते ही रहे और 20 मिनट बीत गये। अब मेरी चूचियां कामवासना के नशे से और जादा फूल गयी थी।36” की चूचियां अब 40” की दिख रही थी। मैं मस्त चोदने लायक माल लग रही थी।
    “आयशा बेटी….बोल की पापा मेरी चूत आज फाड़ दो” पापा बोले

    “पापा ….आज तुम मेरी चूत कसके फाड़ दो” मैंने उसकी लाइन दोहराई “बेटी बोल की मैं रंडी हूँ, आवारा और छिनाल हूँ” पापा ने अगला आर्डर दिया “पापा आज मैं तुम्हारी रंडी हूँ। आवारा और छिनाल हो। जितना मन करे तुम मुझे चोद लो” मैंने कहा
    इस तरह हम बाप बेटी गंदी गंदी बाते करने लगे। हमे भरपूर मजा मिलने लगा। पापा सिर्फ मेरी आँखों में झाँक रहे थे। मैं भी सिर्फ उनको ही ताड़ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को नजरो ही नजरों में चोद रहे थे। पापा फिर से मेरे होठ चूसने लगे। उनके हाथ अब भी मेरे डबलरोटी जैसी फूले चूतड़ों पर थे। वो सहला रहे थे। फिर पापा ने मुझे हल्का सा उचकाया और मेरी चूत के छेद पर लंड लगा दिया। पापा ने मेरे दोनों पुट्ठो को कसके पकड़कर अंदर ही तरफ दबाया। मेरी चूत की सील टूट गयी। पापा का 10” का लंड अंदर चला गया। पापा मुझे चोदने लगे। मैंने उनको कसके पकड़ लिया। पापा मुझे गोद में बिठाकर चोदने लगे। मेरी आँखों से अंशु की कुछ बूंद निकल गई। मेरे बेटीचोद पापा पी गये। फिर पापा जल्दी जल्दी मुझे चोदने लगे। दोस्तों हम लेटे नही थी। सिर्फ बिस्तर पर हम दोनों बैठो हुए थे। पापा की कमर जल्दी जल्दी मेरी कमर और पेडू से टकराने लगी। मैं चुदने लगी। बाप रे!! 10” के शक्तिशाली लंड को मैं साफ़ साफ अपने पेट में महसूस कर रही थी। पापा धीरे धीरे मुझे हल्का हल्का उछालकर चोद रहे थे। ऐसा लग रहा था मैं साईकिल चला रही हूँ। मुझे अभूतपूर्व मजा मिल रहा था। ऐसे दिव्या चुदाई के महासुख को आज मैंने पहली बार पाया था। मैं किस्मतवाली थी की अपने बाप का मोटा लंड खा रही थी। फिर पापा मुझे जल्दी जल्दी गोद में बिठाकर चोदने लगे। मैं खुद को पापा के हवाले कर दिया।

    मेरी चूत से पट पट की आवाज आने लगी। मैं “ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की आवाज निकाल रही थी। मेरी सांसे टूट रही थी। मैं गहरी साँस लेने की कोशिस कर रही थी। पापा का मोटा लंड मेरी चूत फाड़ रहा था। मेरी कुवारी चूत से निकला खून बिस्तर की चादर पर लग गया था। पापा फिर मेरे होठ पीने और चूसने लगा और घप घप मुझे चोदने लगे। फिर उन्होंने मेरे दोनों पैर का स्टैंड बना दिया। खुद थोडा पीछा हो गये और जल्दी जल्दी कमर चला कर मेरी चूत बजाने लगे। मुझे खुद को दोनों हाथों से रोकना पड़ा वरना मैं गिर जाती। मैंने दोनों हाथ पीछे कर दिए और अपने भार को हाथों से रोका। पापा ने भी ऐसा ही किया। वो दूर से मेरी चूत में लम्बे और गहरे शॉट्स मारने लगे। मुझे चुदाई का ब्रह्मसुख मिल रहा था। आज हम बाप बेटी २ जिस्म एक जान हो गये थे। कुछ देर बाद पापा ने फिर से मुझे गोद में भर लिया और हवा में उचका उचकाकर मेरी चुद्दी मारने लगे। मेरी चूत अब रवां हो गयी थी। मैंने अपने हाथ उनके कन्धो पर टिका दिए। पापा ने मुझे 35 मिनट लंड पर बिठाकर सारी दुनिया घुमा दी। फिर मेरी चूत में माल छोड़ दिया। कुछ देर के लिए हम दोनों चिपके रहे। पापा का लंड 10 मिनट तक मेरी चूत में रहा माल निकलने के बाद भी। तब जाकर वो शांत हुआ और छोटा हो गया था। जैसे ही पापा ने लंड मेरी चुद्दी से निकाला उनका मॉल मेरी चुद्दी से निकलने लगा। पापा ने जल्दी से माल हाथ में लिया और मेरे मुंह में डाल दिया।

    “पी ले…पी ले मेरी बहादुर बेटी!!” पापा बोले तो मैं सारा माल पी गयी। फिर अब लेट गये थे।
    “कहो बेटी कैसी लगी तुमको चुदाई की ये महाविद्या???” पापा ने पूछा “…..सुपरहिट!!” मैंने जवान दिया
    फिर हम लेट गये। कुछ देर तक हम प्यार की बाते करते रहे। फिर पापा के उपर मैं चढ़ गयी और उनका लंड चूसने लगी। पहले तो मैंने काफी देर तक पापा का लंड हाथ में लेकर फेटा। धीरे धीरे पापा का लंड खड़ा हो गया। फिर लंड खड़ा हो गया। मैं मुंह में लेकर चूसने लगी। पापा के लंड को मैंने हाथ से पकड़ किया था। और जल्दी जल्दी चूसने लगी। साथ ही मेरे हाथ गोल गोल लौड़े पर घूम रहे थे। पापा मेरे सिर को अंदर हाथ से दबा देते थे जिससे जड़ तक उनका लौड़ा मेरे मुंह में जा सके। दोस्तों आज पहली बार मैं किसी मर्द के खड़े लंड को चूस रही थी। वो बहुत ही जूसी था। मैं जीभ से उसको चाट लेती थी। लंड के मुंह को [छेद पर] मैं जीभ से चाट लेती थी। पापा सिसक उठते थे। वो आराम से बिस्तर पर लेटकर अपना लौड़ा आज अपनी सगी बेटी से चूसा रहे थे। आज पापा बेटीचोद बन चुके थे।

    “आयशा बेटी!! और जल्दी जल्दी” पापा से हुक्म दिया
    मैं और जल्दी जल्दी अपना मुंह पापा के 10” के लौड़े पर चलाने लगी। मेरे गुलाबी होठ आज पापा के खूब काम आ रहे थे। पापा तो ऐश कर रहे थे। कुछ देर तक ऐसा ही चला। मैंने 18 मिनट उनका लंड चूसा। पापा को भरपूर मजा मिल गया। फिर उन्होंने मुझे सीधा लिटा दिया। मेरी चूत में उन्होंने फिर से लंड डाल दिया और जल्दी जल्दी चोदने लगे। मेरी 36” की चूचियां बार बार उपर नीचे जाने लगी और डिस्को डांस करने लगी। पापा मेरी चूत का केक अपने लंड रूपी चाक़ू से काट रहे थे। मैं चुद रही थी। पापा ने मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ रखा था। वो मेरे जिस्म की खूबसूरती को नीचे से उपर तक निहार रहे थे और मुझे पेल रहे थे। मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी…..
    ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की आवाज निकाल रही थी। मैं गहरी गहरी सिस्कारियां ले रही थी। मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी। मेरे चूचियां उपर नीचे जल्दी जल्दी हिल रही थी और बहुत खूबसूरत लग रही थी। मैंने बिस्तर की चादर को मुठी में कस रखा था।

    “….उंह उंह उंह…..अई…अई….अई पापा आराम से चोदू। दर्द हो रहा है। जल्दी क्या है। पूरी रात अपनी है…आराम से” मैंने कहा। उसके पापा आराम आराम से मुझे चोदने लगे। कुछ देर बाद मैं अपनी कमर उठाने लगी। मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी। वासना और सेक्स की आग में मैं जल रही थी। चुदाते चुदाते मेरी आँखों में जलन हो रही थी। मेरा गला भी सुख रहा था। काश मेरे मुंह में कोई १ घूंट पानी डाल देता। फिर पापा ने मेरे सेक्सी पतले छरहरे पेट पर हाथ रख दिया और सहला सहला कर मुझे चोदने लगे। मेरे चेहरा अजीब तरह से बन गया था। मेरे गाल पिचक गये थे। मेरे दोनों भवे आपस में जुड़ गयी थी। मेरे मुंह से “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की आवाज आ रही थी। जैसे मैं कोई तेज मिर्ची खा रही थी और सी सी की आवाज निकाल रही थी। पापा का लंड अब बड़ी आराम से मेरी चूत में दौड़ रहा था। अब मेरी चूत रवां हो गयी थी। उसका रास्ता बन गया था। पापा का लंड मेरी चूत के आखिरी किनारे तक जा रहा था। मुझे भरपूर यौन सुख की प्रप्ति हो रही थी। कभी मैं बेचैनी से ऑंखें बंद कर लेती थी तो कभी खोल लेती थी। सिर्फ पापा को ही ताड़ रही थी। मेरी चूत में उनका लौड़ा पिघल रहा था। मैं अच्छे से जानती थी आज रात पापा मुझे चोद चोदकर मेरी रसीली बुर फाड़ देंगे और मुझे एक असली रंडी बना देंगे। फिर पापा मेरे उपर झुक गये और जल्दी जल्दी कमर घुमाने लगे। मेरी चूत में जल्दी जल्दी उनका लंड जाने लगा। चट चट की आवाज मेरी चूत से आने लगी जैसे बच्चे ताली बजा रहे हो। 20 मिनट बाद पापा ने चूत में माल गिरा दिया। वो मुझ पर लेट गये थे।

    15 मिनट बाद पापा ने मुझे कुतिया बना दिया और मेरे खूबसूरत पुट्ठे सहलाने और चूमने लगे। मुझे सुरसुरी सी हो रही थी। पापा आज अपनी जवान बेटी को देखकर वासना में अंधे हो गये थे। उनको किसी तरह की कोई शर्म नही आ रही थी। वो बड़ी देर तक मेरे गोल मटोल पिछवाड़े और गांड को चूमते रहे। फिर पापा ने मेरे पुट्ठों के बीच में मुंह डाल दिया और मेरी गांड चाटने लगे। “बेटी!! तेरी गांड तो कुवारी है” पापा बोले
    “पापा आप से गांड मराना चाहती थी, वरना तो कई लड़को ने मुझे गांड चोदने का ऑफर दिया था” मैंने कहा। फिर पापा जल्दी जल्दी मेरी कुवारी गांड में जीभ लगाकर पीने लगे। दोस्तों मेरी चूत की तरह गांड भी बेहद खूबसूरत थी। पापा जल्दी जल्दी चाटने लगे। फिर उन्होंने गांड में लंड डाल दिया और 30 मिनट चोदा। कहानी आपको कैसे लगी,

  • चुदक्कड़ परिवार के सदस्य

    हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम प्रदीप है और मैंने अपनी मम्मी और छोटी बहन को खूब चोदा था. उस समय मेरे पापा और मेरी बड़ी बहन घूमने गए थे. फिर पापा और मेरी बड़ी बहन शाम को वापस आ गये. अब में अपने कमरे में बैठकर ब्लू फिल्म देख रहा था और मेरी छोटी बहन अपनी फ्रेंड के घर गई हुई थी.

    मेरी बहन ने कमरे में आते ही अपनी पेंटी उठाई और बाथरूम में नहाने चली गई और नहाकर सिर्फ़ पेंटी पहनकर बाहर आई और मम्मी के कमरे में चली गई. अब पापा भी नहाकर नंगे ही बेड पर बैठे थे और मम्मी उनकी गोदी में बैठी थी. फिर में उठकर पापा के कमरे में गया तो मेरी बड़ी बहन मम्मी के बूब्स को चूस रही थी और पापा मम्मी की चूत को चाट रहे थे.

    फिर मेरी बहन ने पापा का लंड मम्मी की चूत पर लगाया और पापा, मम्मी को चोदने लगे. अब में और मेरी बहन सोफे पर बैठकर मम्मी पापा की ब्लू फिल्म देखने लगे थे. फिर मैंने बहन की चूत पर अपना एक हाथ रखा तो मेरी बहन ने मना कर दिया, उसको माहवारी आ रही थी.

    थोड़ी देर में मेरी छोटी बहन भी आ गई और पापा को नंगा देखकर अपने कपड़े उतारकर पापा से लिपट गई. फिर पापा और मैंने मेरी छोटी बहन को एक साथ चोदा. मेरा लंड पापा के लंड से थोड़ा छोटा था. फिर मेरी छोटी बहन झड़ने के बाद सोफे पर ही लेट गई और पापा और में भी वही लेट गये. फिर मम्मी ने टावल लेकर हमारा लंड और मेरी बहन की चूत साफ की.

    फिर मम्मी ने बताया कि हमारी मौसी और उनका परिवार हमारे घर रहने आ रहा है, तो हम सब खुश हो गये. मेरी मौसी विधवा है, उनकी उम्र 45 साल है, उनके एक बेटी और एक बेटा है, उनकी बेटी की उम्र 22 साल और बेटे की उम्र 20 साल की है. मेरी मौसी का नाम सीमा है और उनकी बेटी का नाम रजनी है और बेटे का नाम राजू है. मैंने पहली बार मौसी को मम्मी के कहने पर चोदा था, जब गर्मी की छुट्टियों में में और मम्मी मौसी के घर में रहने के लिए गये थे. उस समय मौसी के पति को गुजरे हुए कुछ समय ही हुआ था.

    उस समय रजनी की उम्र 20 साल की थी और राजू 18 साल का था. मौसी के घर का माहौल हमारे घर की तरह खुला हुआ नहीं था, लेकिन में रोज रात को चुदाई किए बिना नहीं सोता था. फिर मौसी के घर में मम्मी, मौसी के कमरे में और में राजू और रजनी के कमरे में शिफ्ट हो गया, लेकिन अब मुझको नींद नहीं आ रही थी तो में रात को पानी पीने के लिए किचन में गया, तो मौसी के कमरे से आवाज़े आ रही थी. फिर मैंने कमरे में देखा तो मौसी और मम्मी नंगे लेटे लेस्बियन सेक्स कर रहे थे, तो में वहीं खड़ा होकर देखने लगा.

    अब मम्मी मौसी की चूत चाट रही थी और मौसी अपनी चूची के निप्पल को खींच रही थी. फिर में भी अपनी अंडरवियर उतारकर मुठ मारने लगा और में मुठ मारते-मारते दरवाज़े से टकरा गया और दरवाज़ा अंदर की तरफ खुल गया, तो मम्मी और मौसी चौंक गई. फिर मम्मी ने उठकर मुझको बेड पर बैठाया और मेरे कपड़े उतारने लगी.

    में मौसी की बालों वाली चूत को देखने लगा, तो मम्मी ने मेरा एक हाथ पकड़कर मौसी की चूत पर रख दिया. उस रात मैंने मम्मी के कहने पर मौसी और मम्मी को 3 बार चोदा था. फिर ऐसे ही 1 साल तक में मौसी को चोदता रहा.

    अब मौसी जब भी घर पर आती तो पापा और में मिलकर मौसी को खूब चोदते थे. फिर एक दिन में किसी काम से मौसी के शहर गया और मौसी के घर पर एक हफ्ते के लिए रुका. अब मौसी बहुत खुश थी, क्योंकि मौसी 7 दिनों तक मेरी पत्नी बनकर रहने वाली थी. अब रात को जब में मौसी को चोद रहा था तो रजनी ने मुझको और मौसी को देख लिया और चुपचाप अपने कमरे में चली गई.

    अब मुझको और मौसी को डर था कि कहीं रजनी शोर ना मचा दे, तो मौसी ने मम्मी को फोन किया और फिर उठकर रजनी के कमरे में चली गई और 1 घंटे के बाद मौसी रजनी को लेकर कमरे में आई और कमरे में आते ही मौसी ने अपनी नाइटी उतार दी और रजनी के सारे कपड़े भी उतार दिए और मुझसे चिपक गये.

    फिर उस रात मैंने रजनी की सील तोड़ी और मौसी ने रजनी की चूत चाटी और रजनी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूस रही थी. फिर मौसी ने मेरे लंड को पकड़कर रजनी की चूत पर लगाया और इस तरह मैंने सारी रात रजनी और मौसी को चोदा. फिर एक दिन में, मम्मी, रजनी और मौसी सेक्स कर रहे थे, तो तभी राजू घर वापस आ गया. फिर मम्मी ने राजू को समझाकर हमारे ग्रूप में जॉइन करवा लिया और अब हम सब मिलकर सेक्स का मजा लेते है.

    अब मौसी के घर में भी हम सब नंगे ही रहते और जब दिल करता सेक्स कर लेते और फिर इस तरह से मौसी और उनका परिवार हमारे परिवार में शामिल हो गया. फिर मौसी अगले दिन शाम को आ गई, तो हमने सोने के लिए लॉबी में फ्लोर पर ही बिस्तर लगा लिया और खाना खाने के बाद हम सब लॉबी में आकर लेट गये. अब मेरी दोनों बहनों ने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी पहन रखी थी और मम्मी ने सिर्फ़ पेंटी और पापा और मैंने सिर्फ़ अंडरवियर पहन रखा था. तभी मौसी और उनकी बेटी और बेटा लॉबी में आए, तो में चौंक गया, वो सभी नंगे थे.

    फिर मौसी आकर मम्मी और पापा के साथ लेट गई और उनकी बेटी मेरे साथ और उनका बेटा मेरी दोनों बहनों के बीच में लेट गया. अब मौसी पापा का अंडरवेयर उतारने लगी थी और फिर अंडरवेयर उतरने के बाद उन्होंने पापा का लंड अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगी, तो पापा ने भी मम्मी की पेंटी खींचकर उतार दी और मम्मी की चूत को चाटने लगे. अब राजू भी मेरी दोनों बहनों को नंगा करके उनको चूमने लगा था. अब में रजनी की चूत को अपने एक हाथ से सहला रहा था और उसकी चूचीयों को चूस रहा था.

    अब रजनी मेरे लंड को चूस रही थी. अब पापा मौसी की चुदाई कर रहे थे और राजू लेटा हुआ था और मेरी छोटी बहन राजू के मुँह के ऊपर बैठी थी और वो उसकी चूत चाट रहा था और मेरी बड़ी बहन राजू के लंड को अपनी चूत में डालकर अंदर बाहर कर रही थी और में रजनी की चुदाई कर रहा था. फिर में, पापा और राजू एक साथ झड़ गये. अब पहले दौर के बाद हमने अपने-अपने पार्ट्नर बदल लिए थे और फिर सारी रात एक दूसरे की चुदाई करते रहे और फिर एक दूसरे से चिपककर सो गये.

    सुबह जब में उठा तो पापा मौसी की चूत में अपना लंड डालकर सो रहे थे और राजू मेरी मम्मी की चूत में अपना लंड डालकर सो रहा था. फिर में रजनी की चूत से अपना लंड बाहर निकालकर बाथरूम में गया तो थोड़ी देर के बाद मम्मी और मौसी भी उठकर बाथरूम में आ गई और फिर हम तीनों एक साथ नहाने लगे और मैंने नहाते समय मौसी और मम्मी की चूत मारी. फिर मम्मी और मौसी किचन में चली गई और में अपने बेडरूम में आ गया.

    अब दूसरे बाथरूम में मेरी बहनें, रजनी, राजू और पापा एक साथ नहा रहे थे और नहाने के बाद वो नंगे ही घर में घूमने लगे. फिर हमने नाश्ता किया और पापा तैयार होकर ऑफिस चले गये और मेरी दोनों बहनें रजनी को अपने साथ लेकर कॉलेज चली गई. अब राजू भी उनके साथ घूमने चला गया था. अब मैंने आज छुट्टी ले ली थी तो उनके जाने के बाद मौसी मेरे कमरे में आई और मेरे लंड से खेलने लगी.

    अब मेरा लंड खड़ा हो गया था. फिर मम्मी अपना काम ख़त्म करके कमरे में आ गई और मौसी की चूची से खेलने लगी. फिर मैंने तेल की बोतल लेकर मम्मी और मौसी के बदन की मालिश की और उनकी चूत के बाल भी साफ कर दिए और फिर उन दोनों को बाथरूम में खूब चोदा और शाम तक मैंने मम्मी और मौसी को 3 बार चोदा और फिर इस तरह से मौसी जितने दिन घर में रही, हम सबने खूब चुदाई की.

    फिर मौसी को छोड़ने के लिए पापा ने मुझको मौसी के घर भेज दिया, तो में, मौसी और उनकी बेटी और बेटा एक साथ उनके घर पर आ गये. फिर घर आने के बाद रजनी और राजू अपने कमरे में फ्रेश होने के लिए चले गये और में मौसी के कमरे में आ गया. अब मौसी बाथरूम में नहा रही थी, तो में भी अपने कपड़े उतारकर मौसी के साथ नहाने लगा.

    नहाते समय मौसी ने मेरे लंड पर और छाती पर साबुन लगाया, तो मैंने भी मौसी की चूत और गांड पर रगड़-रगड़कर साबुन लगाया. फिर नहाने के बाद मौसी नंगी ही किचन में चाय बनाने चली गई और में रजनी और राजू के कमरे में चल पड़ा.

    मैंने कमरे के बाहर से देखा कि वो दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे को देखकर अपने-अपने अंगो को सहला रहे थे और रजनी बेड पर लेटकर अपनी टाँगे फैलाकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी और राजू सामने सोफे पर बैठकर अपना लंड हिला रहा था. अब मौसी चाय लेकर मेरे पीछे खड़ी थी और वो यह सब देखकर हँसने लगी और मुझको अपने साथ लेकर बेडरूम में आ गई.

    फिर उनको देखकर रजनी और राजू अपनी माँ के पास आकर बैठ गये और चाय पीने लगे. फिर मेरे पूछने पर मौसी ने बताया कि हम घर के अंदर तीनों नंगे ही रहते है, रजनी की चूची जब मैंने उसे पहली बार चोदा था उससे काफ़ी बड़ी हो गई थी और राजू का लंड भी लंबा और मोटा हो गया था. फिर इतने में घर की डोर बेल बजी, तो रजनी उठकर नाइटी पहनकर दरवाज़ा खोलने चली गई.

    अब बाहर रजनी की फ्रेंड नेहा आई थी, तो रजनी उसे लेकर बेडरूम में ले आई, जहाँ हम सब बैठे थे. तो में घबरा गया, क्योंकि हमने कुछ भी नहीं पहना हुआ था. फिर बेडरूम में आते ही वो राजू के साथ चिपककर बैठ गई और राजू उसकी चूचीयों को कपड़े के ऊपर से ही दबाने लगा. फिर उसके जाने के बाद मौसी ने बताया कि वो हम सबको अपनी बर्थ-डे पार्टी के लिए बुलाने आई थी और फिर मौसी ने बताया कि वो राजू की होने वाली वाईफ है.

    फिर अगले दिन रात को हम उनके घर जाने के लिए तैयार होने लगे. मौसी और रजनी काफ़ी सेक्सी लग रही थी, उन्होंने काफ़ी कम कपड़े पहने हुए थे, तो मेरे पूछने पर वो हँसने लगी. फिर जब हम उनके घर पहुँचे, तो उनका घर काफ़ी बड़ा था. फिर दरवाजे की बेल बजाने पर नेहा की मम्मी और पापा आए, उन्होंने कुछ भी नहीं पहना था.

    दरवाज़ा बंद करने के बाद नेहा की मम्मी ने राजू और मेरे कपड़े उतार दिए और उसके पापा ने रजनी और मौसी को नंगा कर दिया. फिर वो मौसी और रजनी की गांड पर अपना हाथ रखकर ऊपर हॉल में चले गये और में और राजू नेहा की मम्मी के साथ हॉल में आ गये. अब वहाँ पर सभी लोग नंगे बैठकर एक दूसरे के अंगो से खेल रहे थे और नेहा पूरी नंगी होकर सोफे पर लेटी हुई थी और लंड को चूस रही थी और एक आदमी उसकी चूत को चाट रहा था.

    वो हमें देखकर हमारे पास आई और हमें लेकर एक कोने में चली गई. अब नेहा के पापा एक कोने में किसी को चोद रहे थे. फिर उनके झड़ने के बाद वो हमारे पास आए और रजनी और मौसी को लेकर कमरे में चले गये और नेहा राजू को लेकर दूसरे कमरे में चली गई. अब में अकेला बैठकर उन सबकी चुदाई देखने लगा था, अब मेरा लंड खड़ा हो गया था.

    फिर नेहा की मम्मी मेरे पास आई और मेरा लंड चूसने लगी. फिर उस पूरी रात मैंने बहुत सारी लड़कियों और औरतों की चूत मारी, उस रात मुझे बहुत मज़ा आया था. फिर सुबह जब में उठा तो नेहा की मम्मी मुझसे चिपककर सो रही थी और सभी मेहमान नंगे ही एक दूसरे से लिपटकर सो रहे थे.

    में उठकर कमरे में गया तो मैंने देखा कि मौसी और रजनी नेहा के पापा से चिपककर सो रही थी और राजू नेहा के साथ सो रहा था. फिर में बाथरूम होकर नेहा की मम्मी के साथ उनकी चूत में अपना लंड डालकर लेट गया और धीरे-धीरे अपनी कमर चलाने लगा और 1 घंटे बाद मैंने अपना पूरा वीर्य नेहा की मम्मी की चूत में ही डाल दिया. फिर सुबह सारे लोग अपने-अपने घर चले गये.

    अब सबके जाने के बाद नेहा, रजनी की चूत को सहला रही थी और राजू नेहा की मम्मी की चूत को चाट रहा था और नेहा के पापा मौसी की चूत में अपना लंड डालकर धक्के मार रहे थे. फिर इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने नेहा की दोनों टाँगे खोलकर उसकी चूत पर अपना लंड रखकर उसे चोदने लगा. फिर नेहा की मम्मी के झड़ने के बाद उसकी मम्मी मौसी की चूत को अपने हाथ से सहलाने लगी. फिर हम सब एक साथ झड़े गये, मुझे इतना मजा पहले कभी नहीं आया था. नेहा अपने माँ बाप की अकेली संतान है. फिर हम सब अपने घर आ गये और अब सारी रात चुदाई करने के कारण हम काफ़ी थक गये थे.

    बेडरूम में आते ही हम अपने-अपने कपड़े उतारकर पलंग पर लेट गये और लेटते ही सो गये. फिर रात को जब में उठा तो मौसी किचन में खाना बना रही थी और राजू और रजनी नंगे ही सो रही थे. फिर में उठकर किचन में चला गया और मौसी से पीछे से चिपक गया और मौसी को किचन की पट्टी पर बैठाकर उनकी दोनों टांगो को खोलकर उनकी चूत को चाटने लगा और उनकी चूत काफ़ी सूज़ी हुई थी.

    अब मैंने मौसी की चूत को चाटकर ही उनको झाड़ दिया था. अब मौसी मेरे लंड को चूसने लगी थी, लेकिन रात की चुदाई के कारण अब मेरा लंड झड़ नहीं रहा था.

    फिर में कमरे में आकर रजनी की चूत में अपना लंड डालकर सो गया. फिर 1 घंटे के बाद मौसी ने हम सबको जगाया, तो हम सब खाना खाने के बाद टी.वी पर ब्लू फिल्म देखने लगे. अब राजू अपनी मम्मी की गोदी में बैठकर उनकी चूचीयों को चूस रहा था. फिर मैंने भी रजनी को अपनी गोद में खींच लिया और अब वो मेरा लंड चूसने लगी थी, तो में भी लेटकर मौसी की चूत को चाटने लगा.

    30 मिनट के बाद राजू मौसी को चोदने लगा और में रजनी को चोदने लगा और चोदने के बाद थककर लॉबी में ही सो गये. फिर सुबह जब में उठा तो रजनी और राजू कॉलेज चले गये थे और में उठकर बाथरूम में गया और मौसी के बेडरूम में चला गया.

    मौसी ने मुझे उठाकर नाश्ता दिया और फिर एक साथ नाश्ता करने के बाद मैंने मौसी के बदन की मालिश की और मौसी के बूब्स को अच्छी से तरह मसला और उनकी चूत में अपनी एक उंगली डालकर खूब चोदा और उनकी गांड की मालिश की. अब तो हमारे परिवार में जो भी जब चाहे किसी को भी चोद लेता है.

  • मेरे बाप का पाप

    दोस्तों आज, में अपने जीवन की एक सच्ची घटना को आप तक पहुँचाने के लिए यहाँ पर आई हूँ. वैसे में में अब पूरी बीस साल की हो चुकी हूँ और में एक औरत मर्द के बिच बने हर एक रिश्ते को भी बहुत अच्छी तरह से समझती थी, क्योंकि अब मुझ में वो समझ पूरी तरह से आ चुकी थी.

    अब मेरी आप बीती को सुनकर थोड़े मज़े आप भी ले लीजिए. दोस्तों एक बार जब मैंने पहली बार अपने पापा को मेरी मम्मी की दमदार मस्त चुदाई करते हुए देखा तो मुझे वो सब इतना अच्छा मुझे उसको देखकर इतना मज़ा आया कि में अब हर दिन चोरीछिपे उनका वो खेल देखने लगी थी आप यह भी मान सकते है कि मेरी एक आदत सी हो गई थी ऐसा करने के लिए मुझसे मेरी प्यासी चूत कहती थी.

    अब में धीरे धीरे इतनी पागल हो चुकी थी कि मुझे अब चुदाई सेक्स के अलावा और कुछ भी नजर नहीं आ रहा था और में भी अब अपनी इस चूत की चुदाई करवाकर कैसे भी करके उसको वो मज़े देकर शांत करना चाहती थी. में उसके लिए नये नये विचार बनाने लगी थी और फिर में पापा की वो बहुत देर तक लगातार चुदाई को देखकर इतना मस्त हो गई थी कि में अब अपने पापा को फँसाने का वो जाल बुनने लगी और आख़िर एक दिन मुझे वो कामयाबी मिल ही गयी, मैंने अपने पापा को उसमे फँसा ही लिया.

    दोस्तों अब जब भी मुझे कोई अच्छा मौका मिलता में अपने पापा की गोद में बैठकर उनसे अपने बूब्स को दबवा दबवाकर मज़े लेने लगी थी, लेकिन अभी तक केवल में अपने बूब्स को ही उनसे दबवा पाई थी और मैंने उनके साथ चुदाई का वो पूरा मज़ा अब तक नहीं लिया था, लेकिन मुझे उस पल का बहुत बेसब्री से इंतजार था. में जानबूझ कर ऐसे काम करती जिसकी वजह से मुझे मज़े मिले और वो मेरी तरफ ज्यादा आकर्षित हो जाए और फिर मेरी किस्मत का ताला उस दिन खुल गया. दोस्तों उन दिनों मेरे मामा की शादी थी इसलिए मेरी मम्मी अपने मायके जा रही थी और रात के समय पापा ने मुझे अपनी गोद में अपने खड़े लंड पर बैठाकर मुझसे कहा कि नेहा बेटी कल तेरी मम्मी तेरे मामा के घर पर चली जाएगी फिर तुझे कल में पूरा मज़ा देकर जवान होने का सही मतलब बताऊंगा.

    दोस्तों में पापा की वो बात सुनकर और उसका सही मतलब तुरंत समझकर बहुत खुश हो गयी थी. अब हमेशा पापा अपने बेडरूम की कोई ना कोई खिड़की को जानबूझ कर खुली रखते थे. उस वजह से में पापा को अपनी मम्मी को चोदते हुए आराम से देख सकूँ और उनको ऐसा करने के लिए मैंने ही कहा था. फिर उस रात को पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पर बैठाकर उनकी चूत को चाटकर पापा ने दो बार झड़ने के लिए मजबूर कर दिया और फिर उसके बाद पापा ने उनको तीन बार बहुत जमकर चोदा.

    उसके बाद वो दोनों थककर सो गये, लेकिन मेरा जोश चुदाई का वो नशा उसके बाद पहले से ज्यादा बढ़ गया, जिसकी वजह से में बिल्कुल पागल हो चुकी थी और उसके अगले दिन मेरी मम्मी को भी शादी में जाना था, लेकिन में अपनी पढ़ाई का बहाना बनाकर अपने घर रुक रही थी. फिर उस दिन मम्मी जा रही थी और पापा ने मेरे कमरे में आकर मेरे बूब्स को पकड़कर दो तीन बार मेरे नरम रसीले होंठो को चूमा और मुझे अपनी बाहों में भरकर अपने लंड से मेरी चूत को दबाकर मुझसे कहा कि में अभी थोड़ी देर में तुम्हारी मम्मी को स्टेशन तक छोड़कर आता हूँ.

    फिर उसके बाद आज रात को में तुमको पूरा मज़ा दूंगा. में उनके मुहं से यह बातें सुनकर बड़ी खुश थी. अब पापा चले गये तो में उनके जाने के बाद घर में बिल्कुल अकेली रह गयी थी और में अपनी पेंटी को उतारकर अपने पापा की वापसी का इंतज़ार कर रही थी. मैंने मन ही मन में सोचा कि जब तक पापा नहीं आते तब तक में अपनी चूत को पापा के लंड के लिए अपनी उंगली से फैलाकर तैयार कर लेती हूँ.

    तभी कुछ देर बाद किसी ने दरवाज़ा खटखटाया, मैंने अपनी चूत में उंगली को आगे पीछे करते हुए पूछा कौन है? तब बाहर से आवाज आई में हूँ उमेश और फिर उमेश का नाम सुनकर में गुदगुदी से भर गई और मेरे पूरे शरीर में ना जाने कहाँ से वो जोश भर गया. में मन ही मन बहुत उत्साहित हो चुकी थी. दोस्तों उमेश मेरा बीस साल का पड़ोस में रहने वाला एक सुंदर दमदार लड़का था और वो भी मुझे पिछले कुछ दिनों से अपने जाल में फंसाना चाहता था, लेकिन में ही उसको जानबूझ कर अपनी तरफ से लाइन नहीं दे रही थी वो हर रोज़ जब भी मुझे देखता अपनी तरफ से गंदे गंदे इशारे किया करता था और वो कभी कभी तो मेरे पास में आकर मेरे बूब्स को भी दबा देता था और कभी वो सही मौका देखकर मेरी गांड पर भी अपना हाथ घुमा देता और वो हमेशा मुझसे कहता था कि रानी बस एक बार तुम मुझे चखा दो, तुम मुझे एक बार वो मौका दे दो. दोस्तों आज में अपनी प्यासी चूत में उंगली डालकर इतनी जोश से भरकर बेताब हो गयी थी कि आज उसके आने पर में इतनी मस्ती में भर गई कि मैंने बिना पेंटी पहने ही उठकर तुरंत दरवाज़ा खोल दिया.

    फिर मुझे उसके उन इशारो से तुरंत पता चल चुका था कि वो मुझे आज चोदना चाहता है और आज में भी ज्यादा जोश में होने की वजह से अपने पूरे होश खोकर उससे अपनी चुदाई करवाने के लिए बिल्कुल तैयार थी और आज सुबह ही मैंने देखा था कि पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पर बैठाकर उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटकर उनको चोदा था और अब मेरी मम्मी के भाई की शादी थी इसलिए वो पूरे एक सप्ताह के लिए बाहर गई हुई थी और कुछ देर पहले मुझसे मेरे पापा ने कहा था कि आज वो मुझे पूरा मज़ा देंगे और इसके पहले पापा ने कई बार मेरे गदराए बूब्स को दबाकर मुझे बहुत मज़ा दिया था. अब में घर में बिल्कुल अकेली होने के साथ साथ मैंने अपनी पेंटी को उतारकर अपनी चूत में एक उंगली को डालकर में मज़ा ले रही थी जिससे कि जब पापा का मोटा लंड मेरी इस कामुक चूत में जाए तब मुझे उतना दर्द ना हो.

    दोस्तों पापा के आने से पहले उमेश के आ जाने पर मैंने सोचा कि जब तक पापा नहीं आते तब तक क्यों ना में इसी से एक बार अपनी चूत को चुदवाकर इसके साथ भी वो मज़ा ले लूँ? मैंने अपने मन में यही बात सोचकर दरवाज़ा खोल दिया था. फिर मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला उमेश तुरंत अंदर आ गया और वो मुझे उस हालत में देखकर खुश हो गया. वो मेरे बड़े आकार के बूब्स को पकड़कर मुझसे बोला कि हाए मेरी रानी आज हमारे पास यह एक बहुत अच्छा मौका है और क्यों ना आज हम इसका पूरा पूरा फायदा उठाकर थोड़े मज़े मस्ती कर लें.

    अब में उसकी उस हरकत पर एकदम से सनसना गई और उसने उसी समय मेरे बूब्स को छोड़कर पलटकर दरवाज़ा बंद किया और फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और वो मेरे दोनों बूब्स को मसलते हुए मेरे गुलाबी होंठो को चूसने लगा और वो मुझसे कहने लगा कि मेरी रानी तुम्हारे बूब्स तो बहुत टाईट है उफ्फ्फ इन्होने मुझे हमेशा बहुत तड़पाया है, मेरी रानी आज में तुम्हें ज़रूर चोदूंगा. फिर में उससे बोली आह्ह्हह्ह हाए भगवान तुम यह क्या कर रहे हो, प्लीज अब जल्दी से चोद दो मुझे वरना पापा आ जाएँगे? तो वो कहने लगी कि तुम बिल्कुल भी मत डरो मेरी जान, क्योंकि में तुम्हे बहुत जल्दी से चोदकर मज़े दूंगा और वैसे भी मेरा लंड थोड़ा छोटा है इसलिए तुम्हे इतना दर्द भी नहीं होगा और अब वो मेरी गांड को सहलाते हुए बोला कि वाह आज तुमने पेंटी भी नहीं पहनी है यह तो बहुत अच्छा है.

    फिर मैंने उससे कहा कि में तो आज अपने पापा से अपनी चुदाई करवाने के जुगाड़ में नंगी बैठी थी, लेकिन यह एक सुनहरा मौका तेरी अच्छी किस्मत से तुझे मिल गया. दोस्तों में तो पापा से अपनी चुदाई करवाने के लिए पहले से ही बहुत गरम थी और जब उमेश अंदर आकर मेरे मुलायम बूब्स और गोरे गालों को मसलने लगा तो में अब पापा के आने से पहले ही उमेश के साथ वो मज़ा लेने को बिल्कुल बेकरार हो गयी. मुझे उसकी उस छेड़छाड़ में बड़ा मज़ा आ रहा था और मेरी चूत अब पापा का लंड खाने से पहले ही उमेश का लंड खाने को बहुत बेताब हो चुकी थी. अब में अपनी गोरी पतली कमर को लचकाकर बोली उह्ह्ह्ह उमेश तुम्हे जो करना हो जल्दी से कर लो, कहीं पापा ना आ जाए और मैंने अपनी चुदाई के लिए पागल होते हुए उससे यह बात कही.

    फिर उमेश ने तुरंत मेरा इशारा पाकर मुझे बेड पर लेटा दिया और वो अपनी पेंट को भी उतारने लगा. वो झट से पूरा नंगा होकर बोला कि रानी आज तुम्हे बड़ा मज़ा आएगा और तुम एकदम मस्त सेक्सी माल हो, देखो मेरा लंड छोटा है ना? उसने मेरे हाथ में अपने लंड को रख दिया. फिर में उसके चार इंच के खड़े लंड को पकड़ मस्त हो गयी और मन ही मन सोचने लगी कि इसका तो मेरे पापा के लंड से आधा है और फिर में उसके लंड को सहलाती हुई उससे बोली हाए राम जो भी करना है जल्दी से कर लो.

    दोस्तों उमेश के लंड को पकड़ते ही मेरा बदन कांपने लगा और पहले में थोड़ा सा डर रही थी, लेकिन अब में उसका लंड पकड़कर मचल उठी और मेरे कहने पर वो मेरे दोनों पैरों के बीच में आ गया और मेरी कसी हुई कुँवारी चूत पर अपना छोटा लंड रखकर उसने धक्का मार दिया, जिसकी वजह से उसके लंड का टोपा कुछ अंदर चला गया और फिर उसने तीन चार धक्के मारकर अपना पूरा लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया और कुछ देर के बाद उसने मुझे धीरे धीरे धक्के देकर चोदते हुए मुझसे पूछा, मेरी जान तुम्हे ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा है ना, क्यों मज़ा आ रहा है ना? उफ्फ्फफ्फ्फ़ हाँ आह्ह्हह्ह तुम ऐसे ही ज़ोर से धक्के मारो, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. फिर मेरी बात को सुनकर वो तेज़ी से धक्के मारने लगा और में उससे अपनी चुदाई करवाते हुए बहुत मस्त हो रही थी. उसकी चुदाई मुझे जन्नत की सेर करवा रही थी और में नीचे से अपनी गांड को उचकाती हुई सिसकियाँ लेती हुई उससे बोली उफफ्फ्फ्फ़ उमेश ज़ोर ज़ोर से चोदो तुम्हारा लंड बहुत छोटा है, ज़रा ताक़त से चोदो मेरे राजा.

    फिर मेरी बात को सुनकर उमेश अब मुझे ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा था. उसका छोटा सा लंड सरकता हुआ मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था और में पहली बार चुद रही थी इसलिए मुझे उमेश के छोटे लंड से भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो इसी तरह मुझे धक्के देकर चोदते हुए मुझे जन्नत का मज़ा देने लगा. फिर करीब दस मिनट के बाद वो मेरे बूब्स पर लुढ़क गया और कुत्ते की तरह हांफने लगा और उसके लंड से बाहर निकलकर उसका वो गरम, गरम पानी मेरी चूत में गिरने लगा था. में पहली बार चुदी थी और पहली बार मेरी चूत में किसी के लंड की मलाई गिरी थी इसलिए मज़े से भर में उससे चिपक गयी और मेरी चूत भी अब टपकने लगी, कुछ देर बाद हम लोग अलग अलग हुए. फिर वो मेरे पापा के आ जाने की बात से डरकर जल्दी से उठकर अपने कपड़े पहनकर चला गया.

    तब मैंने अपने एक हाथ से छूकर महसूस किया कि अब मेरी चूत उस वीर्य की वजह से चिपचिपा गयी थी और उमेश मुझे वैसे ही छोड़कर चला गया था, लेकिन उसकी इस हिम्मत भरी हरकत से में बहुत खुश थी और उसने आज मुझे चोदकर बता दिया था कि चुदवाने में कितना और कैसा मज़ा आता है? उमेश मुझे ठीक से चोद नहीं पाया था और वो बस ऊपर से ही मेरी चूत को रगड़कर चला गया था, लेकिन में आज बहुत अच्छी तरह से जान गई थी कि चुदाई में बड़ा ही अनोखा मज़ा है और उसके चले जाने के बाद मैंने अपनी पेंटी को पहन लिया था.

    अब में मन ही मन में सोच रही थी कि जब उमेश के छोटे लंड से मुझे अपनी चुदाई करवाने में इतना मज़ा आया है तो जब पापा उनका मोटा, लंबा, तगड़ा लंड मेरी इस चूत में डालेंगे तब मुझे कितना मज़ा आएगा? फिर उमेश के जाने के 6-7 मिनट बाद ही पापा स्टेशन से वापस आ गये. वो अंदर आते ही मेरे बूब्स के खड़े खड़े निप्पल को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ते हुए बोले कि आओ बेटी अब में तुमको जवान होने का सही मतलब बताऊंगा. फिर मैंने उनसे कहा ओहह पापा आपने तो कहा था कि आप मुझे रात को वो सब बताएँगे, अब वो कहने लगे अरे अब तो मम्मी चली गयी है अब हर समय रात ही है तुम अपनी मम्मी के कमरे में ही आ जाओ और वो क्रीम भी लेती आना, पापा मेरे बूब्स को मसलते हुए यह सब बोले.

    दोस्तों में उमेश से चुदवाकर पहले ही जान चुकी थी कि उस क्रीम का क्या होगा, लेकिन में उनसे बिल्कुल अंजान बनकर पूछने लगी कि पापा क्रीम क्यों? अरे तुम लेकर तो आओ तब में बताऊंगा और पापा मेरे बूब्स को इतने ज़ोर से कसकर मसल रहे थे कि जैसे वो मेरे बूब्स को आज उखाड़ ही लेंगे. अब में क्रीम और टावल लेकर मम्मी के बेडरूम में पहुंची में उस समय बहुत खुश थी क्योंकि में जानती थी कि पापा ने वो क्रीम मुझसे क्यों मंगवाई है? में उमेश से चुदने के बाद क्रीम का मतलब समझ गयी थी और अब पापा मुझे लड़की से औरत बनाने के लिए बेकरार थे और में भी अपने पापा का मोटा केला खाने को तड़प रही थी.

    फिर में कमरे में पहुँची तो पापा मुझसे बोले कि बेटी क्रीम टेबल पर रखकर बैठ जाओ और में गुदगुदाते हुए मन से कुर्सी पर बैठ गयी तो पापा मेरे पीछे आ गए और वो अपने दोनों हाथ मेरी खड़ी निप्पल पर ले आए और दोनों को वो बहुत प्यार से दबाने लगे. पापा के हाथ से अपने बूब्स को दबवाने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. तभी पापा ने अपने एक हाथ को गले के ऊपर से मेरी फ्रॉक के अंदर डाल दिया और वो मेरे नंगे बूब्स को दबाने सहलाने लगे.

    मैंने उस समय फ्रॉक के नीचे कुछ नहीं पहना था और पापा मेरे बूब्स के खड़े निप्पल को अपनी मुठ्ठी में भरकर दबा रहे थे और साथ ही वो मेरे दोनों बूब्स को भी मसल रहे थे. उस वजह से में मस्ती से भरी मज़ा ले रही थी. तभी पापा ने मुझसे पूछा, क्यों बेटी तुमको अच्छा लग रहा है? तो मैंने कहा कि हाँ पापा मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और वो कहने लगे कि तुम इसी तरह कुछ देर बैठो, क्योंकि आज में तुमको शादी से पहले ही शादी वाला पूरा मज़ा देता हूँ क्योंकि अब तुम जवान भी हो गयी हो और तुम यह मज़े लेने के लायक भी हो गयी हो, आज में तुमको बहुत मज़े दूंगा. जब में इस तरह से तुम्हारे बूब्स को दबाता हूँ तब तुम्हे कैसा लगता है? पापा मेरे खड़े बूब्स को निचोड़कर बोले, तो में एकदम उतावली होकर बोली उफ्फ्फ हाए पापा ऊहह्ह्ह सीईईईईइ इस तरह तो मुझे और भी अच्छा लगता है जब तुम कपड़े उतारकर नंगी होकर मज़ा लोगी तब और भी ज़्यादा मज़ा आएगा, वाह तुम्हारे बूब्स बड़े मस्त है.

    फिर मैंने पापा से पूछा कि मेरे बूब्स इतने छोटे क्यों है? मम्मी के तो बहुत बड़े है? वो कहने लगे कि तुम घबराओ मत बेटी तुम्हारे बूब्स को भी में तुम्हारी मम्मी की तरह बड़ा कर दूँगा. बेटी तुम अपने पूरे कपड़े उतारकर नंगी होकर बैठो तब बड़ा मज़ा आएगा. फिर मैंने उनसे पूछा पापा क्या में अपनी पेंटी को भी उतार दूँ? में उस समय बिल्कुल अंजान बनी हुई थी, वो बोले कि हाँ बेटी तुम अपनी पेंटी को भी उतार दो लड़कियों का असली मज़ा तो उनकी पेंटी में ही होता है. आज में तुमको वो सारी बातें बताने वाला हूँ, जब तक तुम्हारी शादी नहीं होती तब में ही तुमको शादी वाला मज़ा दूँगा और तुम्हारे साथ में ही सुहागरात मनाऊंगा तुम्हारे बूब्स बहुत टाइट है और पापा मेरी फ्रॉक के अंदर अपना एक हाथ डालकर मेरे दोनों को बूब्स को दबातें हुए बोले कि बेटी अब तुम नंगी हो जाओ.

    दोस्तों जब पापा ने मेरे बूब्स को मसलते हुए मुझे अपने कपड़े उतारने के लिए कहा तब मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि आज मुझे अपने पापा के लंड का असली मज़ा मिलेगा और में उनके लंड को खाने की बात को सोचकर गुदगुदा गयी थी. उसके साथ में अपनी मम्मी की रंगीन चुदाई को याद करती हुई कुर्सी से नीचे उतरी और अपने कपड़े उतारने लगी, उसके बाद में अपने पूरे कपड़े उतारकर नंगी होकर मम्मी की तरह ही अपने दोनों पैरों को फैलाकर उस कुर्सी पर बैठ गयी. दोस्तों मेरे छोटे छोटे बूब्स तने हुए थे और अब मुझे ज़रा सी भी शरम नहीं आ रही थी. मेरी दोनों गोरी जाँघो के बीच मेरी चूत पापा को साफ दिख रही थी और पापा मेरी गदराई हुई चूत को बहुत गौर से देख रहे थे. मेरी चूत का वो गुलाबी छेद बड़ा मस्त था, अब पापा अपने एक हाथ से मेरी गुलाबी कली को सहलाते हुए बोले हे राम बेटी तुम्हारी तो जवान हो गयी है. फिर मैंने उनसे पूछा पापा मेरी क्या जवान हो गयी है? तब वो कहने लगे कि अरे बेटी तुम्हारी चूत जवान हो गई है.

    फिर उन्होंने मेरी चूत को ज़ोर से दबा दिया और पापा के हाथ से मेरी चूत के दबाए जाने पर में एकदम सनसना गयी और में मस्ती से भरी अपनी चूत को देख रही थी. तभी पापा ने अपने अंगूठे को क्रीम से चुपड़कर मेरी चूत में डाल दिया. वो मेरी चूत को उस क्रीम से चिकनी कर रहे थे. अब अंगूठा अंदर जाते ही मेरा बदन कांप गया और तभी पापा ने मेरी चूत से उनका अंगूठा बाहर किया तो वो उस पर लगे मेरी चूत के रस को देखकर बोले कि बेटी यह क्या है? क्या तुमने किसी से चुदवाकर मज़ा लिया है? में अब अपने पापा के अनुभव को देखकर एकदम दंग रह गयी और में घबराकर अंजान बनती हुई उनसे बोली कैसा मज़ा पापा? बेटी क्या यहाँ कोई आया था? नहीं पापा यहाँ तो कोई भी नहीं आया, तो फिर तुम्हारी चूत में यह गाढ़ा रस कैसा? वो मुझे क्या पता? पापा जब आप मेरे बूब्स को मसल रहे थे शायद तब कुछ गिरा था में बहाना बनाकर बोली. फिर वो कहने लगे कि लगता है तुम्हारी चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया है. फिर पापा मुझे टावल देकर बूब्स को मसलते हुए बोले लो तुम इस टावल से साफ कर लो.

    अब मैंने पापा से टावल को लेकर अपनी चूत को रगड़ रगड़कर साफ किया और पापा को उमेश वाली बात पता नहीं चलने दी. में अब अपने बूब्स को मसलवाते हुए पापा से खुलकर गंदी बातें कर रही थी ताकि में सभी कुछ जान सकूँ और वो मुझसे पूछने लगे बेटी जब में तुम्हारे बूब्स को दबाता हूँ तब तुम्हे कैसा लगता है? मैंने उनको जवाब दिया उफफ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्ह पापा तब मुझे जन्नत जैसा मज़ा मिलता है और वो मुझसे पूछने लगे क्यों बेटी तुम्हारी चूत में भी तुम्हे अब कुछ महसूस होता है? अब में उनके सामने थोड़ा सा बेशरमाकर बोली मैंने कहा कि हाँ पापा मुझे बड़ी गुदगुदी हो रही है, तो वो मुझसे कहने लगे हाँ में अब ज़रा सा तुम्हारे बूब्स को और दबा लूँ. फिर उसके बाद में तुम्हारी चूत को भी मज़ा देता हूँ, बेटी तुम यह बात किसी को मत बताना.

    फिर मैंने कहा उफ्फ्फ हाँ पापा इसमे बहुत मज़ा है और किसी को कुछ भी नहीं पता चलेगा. अब पापा मेरे बूब्स को लगातार मसलते रहे और में उनके साथ जन्नत का मज़ा लेती रही. फिर कुछ देर बाद में एकदम से तड़पकर बोली ऊह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह पापा प्लीज अब आप बंद करो यह बूब्स को दबाना और अब आप अपनी बेटी की चूत का मज़ा लो. दोस्तों अब में भी अपने पापा के साथ खुलकर बातें कर रही थी और उस समय हम दोनों बाप, बेटी पति, पत्नी थे. फिर पापा मेरे बूब्स को छोड़कर अब मेरे सामने आ गए उस समय पापा का मोटा लंड तनकर खड़ा होकर मेरी आँख के सामने फुदकने लगा था. मैंने लंड तो पापा का पहले भी देखा था, लेकिन इतनी पास से में आज पहली बार देख रही थी इसलिए मेरा मन अब उसको लपककर पकड़ने को ललचाने लगा था और फिर मैंने उसको पकड़ लिया और में दबाने लगी.

    अब मेरी चूत पापा के मस्त लंड को देखकर अपनी लार टपकाने लगी थी, में पापा के केले को पकड़कर बोली आशशश पापा आपका लंड बहुत मोटा है और यह इतना मोटा मेरी चूत के अंदर भला कैसे जाएगा? तो वो बोले कि अरे पगली मर्द का लंड हमेशा ऐसा ही होता है और मोटे से ही तो असली मज़ा आता है, लेकिन पापा मेरी चूत तो बहुत छोटी है? फिर वो कहने लगे कि कोई बात नहीं बेटी तुम देखना तुम्हे वो पूरा मज़ा जाएगा, लेकिन पापा इससे तो मेरी आज फट ही जाएगी? अरे बेटी नहीं फटेगी, तुम इससे एक बार चुद जाओगी तो हर रोज़ चुदवाने के लिए तड़पती रहोगी और अब तुम अपने दोनों पैरों को फैलाकर अपनी चूत को खोल दो, क्योंकि सबसे पहले में अपनी बेटी की चूत को चाट लेता हूँ और फिर उसके बाद में चुदाई करूंगा.

    अब में समझ गयी थी कि पापा मम्मी की तरह मेरी चूत को चाटना चाहते है और मैंने जब मम्मी को उनकी चूत चटवाते हुए देखा था तभी से में मन ही मन में सोच रही थी कि काश पापा मेरी चूत को भी एक बार चाटते. अब जब पापा ने मुझसे मेरी चूत को फैलाने के लिए कहा तो मैंने तुरंत अपने दोनों हाथ से अपनी चूत की दरार को फैलाकर पूरा खोल दिया. अब पापा अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गये और वो मेरी रोयेदार चूत पर अपने होंठो को रख चूमने लगे.

    फिर पापा के पहली बार चूमने पर में कांप गयी. फिर दो चार बार चूमने के बाद पापा ने अपनी जीभ को मेरी चूत के चारों तरफ चलाते हुए उन्होंने अब मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया और वो हल्के हल्के मेरे बाल भी चाट रहे थे, जिसकी वजह से मुझे ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. अब पापा मेरी चूत को चाटते हुए चूत का दाना भी चाट रहे थे में उस वजह से बड़ी मस्त थी और उमेश तो बस मुझे जल्दी से चोदकर चला गया उसने मेरे बूब्स भी नहीं दबाए थे जिसकी वजह से कुछ मज़ा और जोश नहीं आया था, लेकिन पापा तो एकदम चालाक समझदार खिलाड़ी की तरह मुझे वो पूरा मज़ा दे रहे थे और उन्होंने मेरी चूत के बाहर से चाट चाटकर पूरा गीला कर दिया था.

    अब पापा मेरी चूत की दरार में अपनी जीभ को चला रहे थे और कुछ देर तक इसी तरह से करने के बाद पापा ने अपनी जीभ को मेरी गुलाबी चूत के छेद में डाल दिया और जब उनकी जीभ मेरी चूत के छेद में गयी तो मेरी हालत पहले से ज्यादा खराब हो गयी और में अब उस मस्ती से तड़प उठी क्योंकि पहली बार मेरी चूत चाटी जा रही थी और मुझे उसमे इतना मज़ा आया कि में नीचे से अपने कूल्हों को उछालने लगी, कुछ देर बाद पापा मेरी चूत को चाटकर अलग हुए और अब उन्होंने अपने खड़े लंड को मेरी चूत पर लगा दिया वो अपने लंड से मेरी चूत को रगड़ने लगे थे. दोस्तों कुछ देर पहले चूत की चटाई के बाद अब उनके लंड की रगड़ाई ने मुझे बिल्कुल पागल बना दिया था और में अपने उतावलेपन से पापा से कहने लगी उफ्फ्फ्फ़ प्लीज पापा अब आप चोद भी दो मेरी चूत को आअहह ऊऊहह.

    फिर पापा ने मेरी तड़पती हुई उस आवाज़ पर मेरे बूब्स को उसी समय ज़ोर से कसकर पकड़कर अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर उठाकर धक्का मार दिया. फिर एक करारा धक्का लगने पर पापा का आधा लंड मेरी चूत में चला गया और पापा का मोटा और लंबा लंड मेरी छोटी सी चूत को ककड़ी की तरह चीरकर अंदर घुसा था और लंड के आधा अंदर जाते ही में दर्द से तड़पकर उनसे बोली आअहह्ह्ह ऊऊईईईई स्सीईईइ माँ में मर गयी पापा, प्लीज धीरे धीरे पापा आपका बहुत मोटा है उफ्फ्फ्फ़ पापा मेरी चूत इससे अब पूरी तरह से फट गयी है, मुझे बहुत अजीब सा दर्द हो रहा है, में मर जाउंगी प्लीज.

    दोस्तों पापा का वो मोटा और लंबा लंड मेरी चूत में एकदम कसा हुआ था. मेरे उस दर्द और करहाने की वजह से पापा ने उसी समय धक्के मारना बंद कर दिया और उन्होंने मेरे बूब्स को मसलना शुरू किया. अब मुझे कुछ देर बाद दोबारा थोड़ा सा मज़ा आने लगा था. फिर करीब 6-7 मिनट बाद मेरा वो दर्द एकदम खत्म हो गया था और अब पापा अपने लंड को मेरी चूत में बिना रुके लगातार धक्के लगा रहे थे जिसकी वजह से धीरे धीरे पापा का पूरा लंड मेरी चूत की झिल्ली को चीरता फाड़ता हुआ अंदर घुस गया, लेकिन में दोबारा उस दर्द से छटपटाने लगी थी और मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी चूत में चाकू घुसाया है जिसने मेरी चूत के सभी जगह से छीलकर दर्द जलन पैदा कर दी थी और जिसको अब सहना मेरे लिए बहुत मुश्किल था. अब में अपनी कमर को झटकते हुए बोली उफ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्ह पापा आज मेरी फट गयी है, प्लीज अब इसको बाहर निकालो मुझे नहीं चुदवाना.

    फिर पापा अपना लंड डालते हुए मेरे गाल चाट रहे थे और वो मेरे गाल चाटते हुए मुझसे बोले कि बेटी रो मत, अब तो पूरा चला गया, हर लड़की को पहली बार दर्द होता है, लेकिन फिर मज़ा भी उसको उतना ही आता है. दोस्तों कुछ देर के बाद मेरा करहाना अब बंद हुआ तो पापा मुझे धीरे धीरे धक्के देकर चोदने लगे. पापा का लंड कस कसकर मेरी चूत के अंदर आ जा रहा था और अब सच में मुझे मज़ा आ रहा था. अब जब भी पापा ऊपर से धक्का लगाते तो में भी नीचे से अपनी गांड को उछालने लगती और उमेश तो मुझे केवल ऊपर से रगड़कर चोदकर चला गया था, मेरी असली चुदाई तो अब मेरे पापा कर रहे थे. फिर देखते ही देखते पापा ने अपना पूरा लंड मेरी चूत के अंदर तक डाल दिया था. फिर मैंने महसूस किया कि पापा का लंड तो उमेश के लंड से बहुत दमदार और मज़ेदार था.

    फिर जब पापा धक्का लगाते तो उनके लंड का टोपा मेरी बच्चेदानी तक छू जाता. मुझे आज जन्नत के मज़े से भी अधिक मज़ा मिल रहा था. तभी पापा ने मुझसे पूछा क्यों बेटी अब तुम्हे दर्द तो नहीं हो रहा है ना? तो मैंने उनसे कहा कि नहीं पापा अब तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा है आह्ह्हहह पापा और ज़ोर ज़ोर से आप मुझे धक्के देकर चोदो और पापा इसी तरह करीब बीस मिनट तक लगातार धक्के देकर मुझे चोदते रहे और फिर बीस मिनट के बाद पापा के लंड से गरम गरम मलाईदार पानी मेरी चूत में गिरने एक एक बूंद टपकने लगी, जिसको में बहुत अच्छी तरह से महसूस कर रही थी और जब पापा का वीर्य मेरी चूत में गिरा तो में पापा से चिपक गयी और मेरी चूत भी झड़ने लगी.

    उस समय हम दोनों साथ ही झड़ रहे थे. दोस्तों पापा ने मुझे उस रात को पूरी रात चोदा और जब रात भर चुदाई से थककर दूसरे दिन दोपहर 12 बजे सोकर उठे तो मैंने पापा से पूछा कि पापा आज फिर से आप मेरी चुदाई करोगे? तो वो हंसकर कहने लगे अरे मेरी जान अब में बेटीचोद बन गया हूँ और अब तो में तुझे हर रोज़ ही चोदकर मज़े दूंगा, क्योंकि अब तू मेरी दूसरी बीवी है, लेकिन पापा जब मम्मी आ जाएँगी तो क्या करोगे? अरे मेरी जान उसको तो में बस एक बार चोद दूँगा और वो ठंडी हो जाएगी और फिर में तेरे कमरे में आ जाया करूँगा. दोस्तों में फिर उस अपनी पहली चुदाई के बाद से पापा के साथ हर रोज़ सुहागरात मनाने लगी थी. मुझे उनके साथ ऐसा करने में बड़ा मज़ा आने लगा था और में भी अब पूरे जोश में आकर उनके साथ अपनी चुदाई के पूरे पूरे मज़े लेने लगी. उन्होंने मुझे हर बार चोदकर संतुष्ट किया. दोस्तों यह थी मेरी वो कहानी जिसको में आप तक पहुँचाने के बारे में बहुत दिनों से सोच विचार कर रही थी.

  • पापा ने अकेली देख मुझे चोदकर अपनी हवस शांत की

    Akeli Ladki ki Chudai, Papa Ne Choda, Bap Beti Sex Story : हेल्लो दोस्तों, मैं आयशा आप सभी का kamukta.app में बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालों से नॉन वेज स्टोरी की नियमित पाठिका रहीं हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। मेरी मम्मी कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली गयी थी। अब सिर्फ मैं और पापा ही घर पर थे। पापा मुझे करीब 4 महीनो से घूर घूर के देख रहे थे। मैं अच्छी तरह से जानती थी पापा अब मुझे कसके चोदना चाहते थे। मेरी कुवारी चूत को कसके बजाना चाहते थे। ये बात साफ़ थी। उस दिन मम्मी चली गयी। रात हो गयी। मुझे शक हो गया था की आज की रात मुझ पर बहुत भारी पढने वाली है। आज ही रात मैं जरुर चुद जाउंगी।

    दोस्तों अब मैं चुदने लायक एक जवान लड़की हो चुकी थी। मैं किसी भी मर्द का अब मोटा लंड खाने को तैयार हो गयी थी। कुछ दिनों से अंदर ही अंदर मेरा भी चुदवाने का बड़ा दिल कर रहा था। रात के 10 बजे तो मैं पापा के लिए खाना थाली में लगाकर ले गयी। पापा ने थाली लेकर एक किनारे रख दी और मुझे पकड़ लिया और गोद में बिठा लिया।

    “पापा! ये आप क्या कर रहे है???” मैंने कहा
    “बेटी!! आज मैं तुमको एक गुप्त विद्या सिखाने जा रहा हूँ। इसे सीखकर तुमको परम आनंद की प्राप्ति होगी। तुमको बहुत मजा मिलेगा” पापा बोले “पापा! क्या नाम है इस विद्या का???” मैंने गभीरतापूर्वक पूछा “बेटी इसे चुदाई की महाविद्या कहा जाता है। आज मैं तुमको ये सिखाऊंगा। तुम खूब ऐश मिलेगी। जो जो मैं कहूँ करती जाना। बस मना मत करना बेटी!!” पापा बोले

    दोस्तों मैं 23 साल की जवान माल हो गयी थी। मेरा रंग काफी साफ़ था। मैं बहुत गोरी थी क्यूंकि मेरी मम्मी भी बहुत खूबसूरत थी। मैंने कई बार पापा को मम्मी को चोदते हुए देखा था। इसलिए आज मेरा भी चुदने का मन था। धीरे धीरे पापा ने मुझे गोद में बिठा लिया और किस करने लगे। मुझे गुदगुदी हो रही थी। वो पीछे से मेरे कान, गले, पीठ में चुम्मी ले रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था। गुदगुदी तो बहुत हो रही थी। मैंने एक हल्की टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन रखा था। धीरे धीरे पापा के हाथ मेरी टी शर्ट पर यहाँ वहां घुमने थे। आखिर में उन्होंने मेरे बूब्स को हाथ में ले लिया और टी शर्ट के उपर से हल्का हल्का दबाने लगे।

    “पापा ये आप…..” मैं कुछ कहने जा रही थी पर पापा ने मुझे रोक दिया “बेटी इस चुदाई की महाविद्या को सीखना है तो प्लीस मुझे टोको मत। जो जो मैं करता हूँ करने दो। लास्ट में मजा ना आए तो तुम कहना” पापा बोले तो मैं मान गयी। मैं चुप थी। पापा के हाथ मेरी 36” की चूचियों को हाथ में लेकर खेल रहे थे। 15 मिनट पर बाद मुझे इस चुदाई की महाविद्या में गहरा इंटरेस्ट आने लगा। मुझे अच्छा लगने लगा। फिर पापा मुझे किस करने लगे। कुछ देर बाद मेरा भी चुदाने का मन करने लगा। फिर पापा ने मुझे नंगी होने का हुक्म दिया। मैंने सब कपड़े निकाल दिए। उधर पापा नंगे हो गये। आज रात मैं कसके चुदने वाली थी। पापा ने मुझे गोद में बिठा लिया बिस्तर पर ही। पापा की कमर में मैं दोनों पैर डालकर बैठ गयी। मेरी सेक्सी पतली 28” की कमर पापा की 40” की कमर से जुड़ गयी। पापा ने मुझे बाहों में भर लिया। दोस्तों आज रात घर में हम दोनों के सिवा कोई नही था। इसलिए पापा मुझे चोदकर आज बेटीचोद बन सकते थे। उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया। मैं भी चुदाने के मूड में थी इसलिए मैंने भी पापा को बाहों में कस लिया। फिर हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। हम बिस्तर पर थे। पापा मेरे नंगे जिस्म को नीचे से उपर तक सहला रहे थे।

    “ओह्ह आयशा बेटी!! तुम कितनी मस्त माल बन गयी। मैं तो जान ही नही पाया। आज रात मैं तेरी चूत का भोग लगाऊंगा और तुझे सेक्स विद्या का ज्ञान दूंगा” पापा बोले
    “पापा….आज मेरा भी आपसे चुदाने का बड़ा मन है। आज रात आप मुझे चोदकर मेरी चूत का रास्ता बना दो” मैंने कहा
    फिर हम होठो पर किस करने लगे। मेरे पापा मेरे गुलाबी होठो को पीने लगे। मुझे अच्छा लग रहा था। फिर मैं भी मुंह चला रही थी। हम दोनों एक दूसरे में पिघल रहे थे। मैं पापा के जिस्म को सहला रही थी। पापा भी मेरी नंगे जिस्म पर हाथ घुमा रहे थे। मेरी चूत गीली होने लगी थी। उसके बाद पापा गरमा गये। उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया। पागलों की तरह मुझे यहाँ वहां चूमने लगे। मेरे 36” के बड़े बड़े बूब्स उनके सीने से दब रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था। पापा मेरे नंगे जिस्म की खुस्बू बटोर ले रहे थे। आज रात मैं किसी रंडी की तरह चुदवाना चाहती थी। मैं बेशर्म लड़की बन चुँकि थी। पापा ने झुककर मेरे बाए मम्मे को मुंह में भर लिया और चूसने लगे। मैं “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” की
    आवाज निकालने लगी।

    मुझे अजीब सा नशा छा रहा था। आज पहली बार कोई मर्द मेरे बूब्स चूस रहा था। मेरी चूत में खलबली हो रही थी। पापा बार बार मेरे नंगे पुट्ठो को सहला रहे थे। साफ़ था की उनको बेहद मजा मिल रहा था। मेरी पीठ पर बार बार उपर से नीचे वो हाथ सहला रहे थे। धीरे धीरे मेरे जिस्म में वासना और सेक्स की आग लग रही थी। हाँ आज मैं पापा का मोटा लंड खाना चाहती थी। पापा मेरे बाए मम्मे को चूस रहे थे। मुझे ऐश मिल रही थी। फिर पापा मेरी दाई चूची को पीने लगे। मुझे लगा की मेरी चूत से माल निकल आएगा। पापा चूसते ही रहे और 20 मिनट बीत गये। अब मेरी चूचियां कामवासना के नशे से और जादा फूल गयी थी।36” की चूचियां अब 40” की दिख रही थी। मैं मस्त चोदने लायक माल लग रही थी।
    “आयशा बेटी….बोल की पापा मेरी चूत आज फाड़ दो” पापा बोले

    “पापा ….आज तुम मेरी चूत कसके फाड़ दो” मैंने उसकी लाइन दोहराई “बेटी बोल की मैं रंडी हूँ, आवारा और छिनाल हूँ” पापा ने अगला आर्डर दिया “पापा आज मैं तुम्हारी रंडी हूँ। आवारा और छिनाल हो। जितना मन करे तुम मुझे चोद लो” मैंने कहा
    इस तरह हम बाप बेटी गंदी गंदी बाते करने लगे। हमे भरपूर मजा मिलने लगा। पापा सिर्फ मेरी आँखों में झाँक रहे थे। मैं भी सिर्फ उनको ही ताड़ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को नजरो ही नजरों में चोद रहे थे। पापा फिर से मेरे होठ चूसने लगे। उनके हाथ अब भी मेरे डबलरोटी जैसी फूले चूतड़ों पर थे। वो सहला रहे थे। फिर पापा ने मुझे हल्का सा उचकाया और मेरी चूत के छेद पर लंड लगा दिया। पापा ने मेरे दोनों पुट्ठो को कसके पकड़कर अंदर ही तरफ दबाया। मेरी चूत की सील टूट गयी। पापा का 10” का लंड अंदर चला गया। पापा मुझे चोदने लगे। मैंने उनको कसके पकड़ लिया। पापा मुझे गोद में बिठाकर चोदने लगे। मेरी आँखों से अंशु की कुछ बूंद निकल गई। मेरे बेटीचोद पापा पी गये। फिर पापा जल्दी जल्दी मुझे चोदने लगे। दोस्तों हम लेटे नही थी। सिर्फ बिस्तर पर हम दोनों बैठो हुए थे। पापा की कमर जल्दी जल्दी मेरी कमर और पेडू से टकराने लगी। मैं चुदने लगी। बाप रे!! 10” के शक्तिशाली लंड को मैं साफ़ साफ अपने पेट में महसूस कर रही थी। पापा धीरे धीरे मुझे हल्का हल्का उछालकर चोद रहे थे। ऐसा लग रहा था मैं साईकिल चला रही हूँ। मुझे अभूतपूर्व मजा मिल रहा था। ऐसे दिव्या चुदाई के महासुख को आज मैंने पहली बार पाया था। मैं किस्मतवाली थी की अपने बाप का मोटा लंड खा रही थी। फिर पापा मुझे जल्दी जल्दी गोद में बिठाकर चोदने लगे। मैं खुद को पापा के हवाले कर दिया।

    मेरी चूत से पट पट की आवाज आने लगी। मैं “ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की आवाज निकाल रही थी। मेरी सांसे टूट रही थी। मैं गहरी साँस लेने की कोशिस कर रही थी। पापा का मोटा लंड मेरी चूत फाड़ रहा था। मेरी कुवारी चूत से निकला खून बिस्तर की चादर पर लग गया था। पापा फिर मेरे होठ पीने और चूसने लगा और घप घप मुझे चोदने लगे। फिर उन्होंने मेरे दोनों पैर का स्टैंड बना दिया। खुद थोडा पीछा हो गये और जल्दी जल्दी कमर चला कर मेरी चूत बजाने लगे। मुझे खुद को दोनों हाथों से रोकना पड़ा वरना मैं गिर जाती। मैंने दोनों हाथ पीछे कर दिए और अपने भार को हाथों से रोका। पापा ने भी ऐसा ही किया। वो दूर से मेरी चूत में लम्बे और गहरे शॉट्स मारने लगे। मुझे चुदाई का ब्रह्मसुख मिल रहा था। आज हम बाप बेटी २ जिस्म एक जान हो गये थे। कुछ देर बाद पापा ने फिर से मुझे गोद में भर लिया और हवा में उचका उचकाकर मेरी चुद्दी मारने लगे। मेरी चूत अब रवां हो गयी थी। मैंने अपने हाथ उनके कन्धो पर टिका दिए। पापा ने मुझे 35 मिनट लंड पर बिठाकर सारी दुनिया घुमा दी। फिर मेरी चूत में माल छोड़ दिया। कुछ देर के लिए हम दोनों चिपके रहे। पापा का लंड 10 मिनट तक मेरी चूत में रहा माल निकलने के बाद भी। तब जाकर वो शांत हुआ और छोटा हो गया था। जैसे ही पापा ने लंड मेरी चुद्दी से निकाला उनका मॉल मेरी चुद्दी से निकलने लगा। पापा ने जल्दी से माल हाथ में लिया और मेरे मुंह में डाल दिया।

    “पी ले…पी ले मेरी बहादुर बेटी!!” पापा बोले तो मैं सारा माल पी गयी। फिर अब लेट गये थे।
    “कहो बेटी कैसी लगी तुमको चुदाई की ये महाविद्या???” पापा ने पूछा “…..सुपरहिट!!” मैंने जवान दिया
    फिर हम लेट गये। कुछ देर तक हम प्यार की बाते करते रहे। फिर पापा के उपर मैं चढ़ गयी और उनका लंड चूसने लगी। पहले तो मैंने काफी देर तक पापा का लंड हाथ में लेकर फेटा। धीरे धीरे पापा का लंड खड़ा हो गया। फिर लंड खड़ा हो गया। मैं मुंह में लेकर चूसने लगी। पापा के लंड को मैंने हाथ से पकड़ किया था। और जल्दी जल्दी चूसने लगी। साथ ही मेरे हाथ गोल गोल लौड़े पर घूम रहे थे। पापा मेरे सिर को अंदर हाथ से दबा देते थे जिससे जड़ तक उनका लौड़ा मेरे मुंह में जा सके। दोस्तों आज पहली बार मैं किसी मर्द के खड़े लंड को चूस रही थी। वो बहुत ही जूसी था। मैं जीभ से उसको चाट लेती थी। लंड के मुंह को [छेद पर] मैं जीभ से चाट लेती थी। पापा सिसक उठते थे। वो आराम से बिस्तर पर लेटकर अपना लौड़ा आज अपनी सगी बेटी से चूसा रहे थे। आज पापा बेटीचोद बन चुके थे।

    “आयशा बेटी!! और जल्दी जल्दी” पापा से हुक्म दिया
    मैं और जल्दी जल्दी अपना मुंह पापा के 10” के लौड़े पर चलाने लगी। मेरे गुलाबी होठ आज पापा के खूब काम आ रहे थे। पापा तो ऐश कर रहे थे। कुछ देर तक ऐसा ही चला। मैंने 18 मिनट उनका लंड चूसा। पापा को भरपूर मजा मिल गया। फिर उन्होंने मुझे सीधा लिटा दिया। मेरी चूत में उन्होंने फिर से लंड डाल दिया और जल्दी जल्दी चोदने लगे। मेरी 36” की चूचियां बार बार उपर नीचे जाने लगी और डिस्को डांस करने लगी। पापा मेरी चूत का केक अपने लंड रूपी चाक़ू से काट रहे थे। मैं चुद रही थी। पापा ने मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ रखा था। वो मेरे जिस्म की खूबसूरती को नीचे से उपर तक निहार रहे थे और मुझे पेल रहे थे। मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी…..
    ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की आवाज निकाल रही थी। मैं गहरी गहरी सिस्कारियां ले रही थी। मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी। मेरे चूचियां उपर नीचे जल्दी जल्दी हिल रही थी और बहुत खूबसूरत लग रही थी। मैंने बिस्तर की चादर को मुठी में कस रखा था।

    “….उंह उंह उंह…..अई…अई….अई पापा आराम से चोदू। दर्द हो रहा है। जल्दी क्या है। पूरी रात अपनी है…आराम से” मैंने कहा। उसके पापा आराम आराम से मुझे चोदने लगे। कुछ देर बाद मैं अपनी कमर उठाने लगी। मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी। वासना और सेक्स की आग में मैं जल रही थी। चुदाते चुदाते मेरी आँखों में जलन हो रही थी। मेरा गला भी सुख रहा था। काश मेरे मुंह में कोई १ घूंट पानी डाल देता। फिर पापा ने मेरे सेक्सी पतले छरहरे पेट पर हाथ रख दिया और सहला सहला कर मुझे चोदने लगे। मेरे चेहरा अजीब तरह से बन गया था। मेरे गाल पिचक गये थे। मेरे दोनों भवे आपस में जुड़ गयी थी। मेरे मुंह से “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की आवाज आ रही थी। जैसे मैं कोई तेज मिर्ची खा रही थी और सी सी की आवाज निकाल रही थी। पापा का लंड अब बड़ी आराम से मेरी चूत में दौड़ रहा था। अब मेरी चूत रवां हो गयी थी। उसका रास्ता बन गया था। पापा का लंड मेरी चूत के आखिरी किनारे तक जा रहा था। मुझे भरपूर यौन सुख की प्रप्ति हो रही थी। कभी मैं बेचैनी से ऑंखें बंद कर लेती थी तो कभी खोल लेती थी। सिर्फ पापा को ही ताड़ रही थी। मेरी चूत में उनका लौड़ा पिघल रहा था। मैं अच्छे से जानती थी आज रात पापा मुझे चोद चोदकर मेरी रसीली बुर फाड़ देंगे और मुझे एक असली रंडी बना देंगे। फिर पापा मेरे उपर झुक गये और जल्दी जल्दी कमर घुमाने लगे। मेरी चूत में जल्दी जल्दी उनका लंड जाने लगा। चट चट की आवाज मेरी चूत से आने लगी जैसे बच्चे ताली बजा रहे हो। 20 मिनट बाद पापा ने चूत में माल गिरा दिया। वो मुझ पर लेट गये थे।

    15 मिनट बाद पापा ने मुझे कुतिया बना दिया और मेरे खूबसूरत पुट्ठे सहलाने और चूमने लगे। मुझे सुरसुरी सी हो रही थी। पापा आज अपनी जवान बेटी को देखकर वासना में अंधे हो गये थे। उनको किसी तरह की कोई शर्म नही आ रही थी। वो बड़ी देर तक मेरे गोल मटोल पिछवाड़े और गांड को चूमते रहे। फिर पापा ने मेरे पुट्ठों के बीच में मुंह डाल दिया और मेरी गांड चाटने लगे। “बेटी!! तेरी गांड तो कुवारी है” पापा बोले
    “पापा आप से गांड मराना चाहती थी, वरना तो कई लड़को ने मुझे गांड चोदने का ऑफर दिया था” मैंने कहा। फिर पापा जल्दी जल्दी मेरी कुवारी गांड में जीभ लगाकर पीने लगे। दोस्तों मेरी चूत की तरह गांड भी बेहद खूबसूरत थी। पापा जल्दी जल्दी चाटने लगे। फिर उन्होंने गांड में लंड डाल दिया और 30 मिनट चोदा। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स kamukta.app पर जरुर दे।

  • पापा के लंड पर बैठकर मजा लिया

    हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम निशा है और में दिल्ली की रहने वाली हूँ. मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा और मेरे दादा, दादी है. में मेरे बाप की एक ही औलाद हूँ. मुझे मेरे माँ बाप ने बड़े प्यार से बड़ा किया है.

    आज मेरी उम्र 21 साल की है, लेकिन मुझे देखकर कोई कह नहीं सकता कि मेरी उम्र इतनी कम होगी, क्योंकि मेरा बदन बिल्कुल एक 24 साल की लड़की की तरह हो चुका है, मेरा फिगर साईज 34-28-36 है और इसकी वजह में खुद ही हूँ, जो 18 साल की उम्र से ही सेक्स की तरफ ज़्यादा ध्यान देने लगी थी और लगभग तब से में चूत में उंगली करने लग गयी थी.

    मेरे घर में 5 रूम है, एक में मेरे मम्मी पापा और दूसरे में मेरे दादा दादी, जो अब 60 से ज्यादा उम्र के है और ज़्यादातर अपने कमरे में ही लेटे रहते है और तीसरे में में खुद रहती हूँ और बाकि के दो कमरे हम अलग-अलग कामों के लिए उपयोग में लेते है. मेरे पापा की उम्र 38 साल की है.

    मेरी माँ वैसे तो बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत ही पुराने विचारो वाली एक साधारण औरत है, जो अपना ज़्यादातर वक़्त पूजा पाठ या अपने सास ससुर की सेवा में और घर के काम काज में गुजारती है. मेरे पापा जो एक बिजनसमैन है और अपना खुद का बिजनेस चलाते है.

    हम बहुत अमीर तो नहीं है, लेकिन हमारे घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं है. मेरे पापा भी बहुत हैंडसम है, लेकिन मेरी माँ तो उन्हें टाईम ही नहीं दे पाती है, सिर्फ़ रात में जब उनके सोने का वक़्त होता है जब ही उनके पास जाती है.

    यह बात तब की है, जब मेरी उम्र 18 साल की थी. एक रात हम सब खाना खाकर सोने के लिए अपने अपने रूम में चले गये थे कि तभी अचानक से मुझे लगा कि मेरे मम्मी पापा के रूम से लड़ने की आवाज़े आ रही है.

    मम्मी पापा का रूम मेरे रूम से ही लगा हुआ था, मुझे ज़िंदगी में पहली बार लगा था कि मम्मी पापा की लड़ाई हो रही है इसलिए में यह जानना चाहती थी कि वो लड़ क्यों रहे है? तो पहले तो मैंने सोचा कि में मम्मी से जाकर पूंछू, लेकिन फिर बाद में सोचा कि वो लोग मेरे सामने शर्मिंदा हो जाएगे इसलिए मैंने पूछना उचित नहीं समझा, लेकिन फिर भी मेरे मन में वजह जानने की इच्छा तेज होती गयी और जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने उठकर देखने की कोशिश की. मेरे रूम में एक खिड़की थी, जो उनके कमरे में खुलती थी, वो खिड़की बहुत पुरानी तो नहीं थी, लेकिन उसमें 2-3 जगह छेद थे. फिर मैंने अपने रूम की लाईट ऑफ की और उस छेद में आँख लगा दी. अब अंदर का नज़ारा देखकर मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया था.

    अब मेरी मम्मी जो कि सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में थी और बेड पर बैठी थी और मेरे पापा सिर्फ़ अपनी वी-शेप अंडरवेयर में खड़े थे और बार-बार मम्मी को अपनी ब्रा उतारने के लिए कह रहे थे और मेरी मम्मी उन्हें बार-बार मना कर रही थी.

    मैंने देखा कि मेरे पापा की टाँगों के बीच में जहाँ मेरी पेशाब करने की जगह है, वहाँ कुछ फूला हुआ है. अब मेरी नजर तो बस वही टिक गयी थी और में चाहकर भी अपनी नजर हटा नहीं पा रही थी.

    अब वो लोग कुछ बात कर रहे थे, लेकिन मेरा ध्यान तो सिर्फ पापा की टाँगों के बीच में ही था और उनकी बातें सुनने का ध्यान भी नहीं था. अब मेरा दिल ज़ोर- ज़ोर से धड़क रहा था और मेरा बदन बिल्कुल अकड़ गया था और इसके साथ ही मुझ पर एक और बिजली गिरी और फिर मेरे पापा ने झटके से अपना अंडरवेयर भी उतार दिया. ओह गॉड मेरी तो जैसे साँसे ही रुक गयी थी. मेरे पापा की टाँगों के बीच में एक लकड़ी के डंडे की तरह कोई चीज लटकी हुई थी, जो कि मेरे हिसाब से 8 इंच लंबी और 3 इंच मोटी थी, उस चीज को क्या कहते है? मुझे उस वक़्त पता नहीं था.

    फिर मेरी मम्मी उस चीज को देखकर पहले तो गुस्सा हुई और फिर शर्म से अपनी नजरे झुका ली. अब उन्हें भी मस्ती आने लगी थी और फिर उन्होंने इशारे से पापा को अपने पास बुलाया और उनके उस हथियार को प्यार से सहलाने लगी थी.

    मम्मी ने अपनी ब्रा उतारी और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और फिर बिल्कुल नंगी होकर सीधी लेट गयी और अपनी टांगे खोलकर पापा को अपनी चूत दिखाई और इशारे से उन्हें पास बुलाने लगी थी. फिर मेरे पापा कुछ देर तक तो गुस्से में सोचते रहे और फिर जैसे अपना मन मारकर उनके ऊपर उल्टे लेट गये और अपने एक हाथ से अपना लंड पकड़कर मम्मी की चूत में डाला और हिलते हुए मम्मी को किस करने लगे थे और फिर लगभग 10 मिनट तक हिलने के बाद वो शांत हो गये और ऐसे ही पड़े रहे.

    फिर थोड़ी देर के बाद मम्मी ने उन्हें अपने ऊपर से हटाया और अपने कपड़े पहने और लाईट बंद करके सोने के लिए लेट गयी. अब कमरे में बिल्कुल अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ नहीं दिख रहा था.

    तब मैंने भी जाकर लेटने की सोची और फिर में भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी, लेकिन अब मेरी आँखों के सामने तो मम्मी पापा की पिक्चर चल रही थी और पापा का वो भयानक हथियार पता नहीं मुझे क्यों बहुत अच्छा लग रहा था? अब मेरा दिल कर रहा था कि में भी उनके हथियार अपने हाथ में लेकर देखूं. उस रात मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी.

    उस रात मैंने पहली बार हस्तमैथुन किया. अब मेरे ख्यालों में और कोई नहीं बल्कि मेरे पापा ही थे. फिर जब मेरी चूत का रस निकला, तो तब में इतनी थक चुकी थी कि कब मेरी आँख लग गयी? मुझे पता ही नहीं चला. फिर सुबह मम्मी ने जब आवाज लगाई तो मेरी आँख खुली.

    फिर मम्मी बोली कि बेटा सुबह के 7 बज रहे है, स्कूल नहीं जाना है क्या? तो तब में उठकर सीधी बाथरूम में गयी और नहाने के लिए अपने कपड़े उतारे.

    फिर तब मैंने देखा कि मेरी पेंटी पर मेरी चूत के रस का धब्बा अलग ही दिख रहा है. अब मेरी आँखों के सामने फिर से वही नज़ारा आ गया था. अब मुझे फिर से मस्ती आने लगी थी तो मैंने फिर से अपनी चूत में उंगली करनी चालू कर दी और तब तक करती रही जब तक कि में झड़ नहीं गयी.

    दोस्तों मुझे इतना मज़ा आया था कि में यह सोचने लगी कि जब उंगली करने में ही इतना मज़ा आता है तो सेक्स में कितना मज़ा आता होगा? और फिर में अपने पापा के साथ ही यह मज़ा लेने की सोचने लगी और सोचने लगी कि कैसे पापा के साथ मज़ा लिया जाए?

    खैर जैसे तैसे करके में स्कूल जाने के लिए तैयार हुई और ड्रेस पहनकर बाहर आई तो नाश्ते की टेबल पर मेरा पापा से सामना हुआ, में रोज सुबह पापा को गुड मॉर्निंग किस करके विश करती थी. तो तब मैंने उस दिन भी पापा को किस करके ही विश किया, लेकिन इस बार मैंने कुछ ज़्यादा ही गहरा किस किया और थोड़ा अपनी जीभ से उनके गाल को थोड़ा चाट लिया, जिससे मेरे पापा पर कुछ असर तो हुआ, लेकिन उन्होंने मेरे सामने ज़ाहिर नहीं किया था.

    अब में उनके ठीक सामने जाकर कुर्सी पर बैठकर नाश्ता करने लगी थी और फिर नाश्ता करने के बाद में स्कूल की बस पकड़ने के लिए बाहर जाने लगी, लेकिन मेरा मन पापा को छोड़कर जाने का नहीं हो रहा था, तो तब में बाहर तो गयी, लेकिन कुछ देर के बाद वापस आकर मैंने बहाना बनाया की मेरी बस निकल चुकी है.

    अब ऐसी स्थिति में पापा मुझे स्कूल छोड़कर आया करते थे, तो तब मम्मी बोली कि जा पापा से कह दे, वो तुझे स्कूल छोड़ आएँगे. फिर में खुशी-खुशी पापा के कमरे में गयी. अब पापा सिर्फ़ अपने पजामे में थे. फिर मैंने पापा से कहा तो वो मुझे स्कूल छोड़ने के लिए राज़ी हो गये. अब पापा अपनी पेंट पहनने लगे थे. फिर मैंने उनके हाथ से पेंट लेते हुए कहा कि पापा पजामा ही रहने दीजिए, में लेट हो रही हूँ. तो तब पापा बोले कि ठीक है, में टी-शर्ट तो पहन लूँ, तू मेरा बाहर इन्तजार कर, तो में बाहर आकर इन्तजार करने लगी.

    पापा मुझे ज़्यादातर स्कूल कार में ही छोड़ते थे, लेकिन उस दिन मेरे कहने पर उन्होंने मुझे हमारी एक्टिवा स्कूटर पर स्कूल छोड़ने के लिए गये. दोस्तों यहाँ तक तो मेरा प्लान सफल रहा था, लेकिन आगे के प्लान में थोड़ा खतरा था और मुझे यकीन नहीं था कि वो सफल हो जाएगा. फिर में उनके पीछे बैठ गयी और फिर हम स्कूल की तरफ चल दिए.

    मेरा स्कूल घर से लगभग 10 किलोमीटर दूर था, रास्ता लंबा था और सुबह का वक़्त था, तो रोड सुनसान थी. फिर जब हम घर से 2 किलोमीटर दूर आ गये, तो तब मैंने पापा से कहा कि गाड़ी में चलाऊँगी. तो तब पापा बोले कि बेटी तुझसे गाड़ी नहीं चलेगी, तो में तो ज़िद्द करने लगी. तो तब पापा परेशान होकर बोले कि ठीक है, लेकिन हैंडल में ही पकडूँगा. अब मुझे मेरा प्लान कामयाब होता दिख रहा था.

    फिर तब मैंने कहा कि ठीक है और पापा ने गाड़ी साईड में रोककर मुझे अपने आगे बैठाया और मेरी बगल में से अपने दोनों हाथ डालकर हैंडल पकड़ा और धीरे-धीरे चलाने लगे. लेकिन अब गाड़ी चलाने में किसका ध्यान था? अब मेरा ध्यान तो पापा के पजामे में लटके उनके लंड पर था. तो तभी गाड़ी जैसे ही खड्डे में गयी, तो मैंने हिलने का बहाना करके उनका लंड ठीक मेरी गांड के नीचे दबा लिया.

    अब पापा कुछ अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे. अब में अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी थी. अब गर्मी पाकर उनका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था, जिससे मुझे भी मस्ती आने लगी थी. अब पापा को भी मज़ा आ रहा था और फिर इस तरह मस्ती करते हुए में स्कूल पहुँच गयी.

    पापा को जाते वक़्त मैंने एक बार फिर से किस किया. अब पापा शायद मुझे लेकर कुछ परेशान हो गये थे और में मेरी तो पूछो मत, मेरी हालत तो इतना करने में ही बहुत खराब हो गयी थी और मेरी पेंटी इतनी गीली हो चुकी थी कि मुझे लग रहा था मेरी स्कर्ट खराब ना हो जाए.

    फिर पूरे दिन स्कूल में मेरे दिमाग में पापा का लंड ही घूमता रहा और अब मेरा दिल कर रहा था कि में पापा के लंड पर ही बैठी रहूँ. अब पता नहीं मुझे क्या हो गया था? ऐसा कौन सा वासना का तूफान मेरे अंदर था कि में पापा से चुदने के लिए ही सोचने लगी थी. खैर आगे बढ़ते है, फिर में चुदाई की इच्छा और गीली पेंटी लेकर घर पहुँची. अब उस वक़्त लगभग 3 बज रहे थे. अब घर में दादा, दादी के अलावा कोई नहीं था, मम्मी कहीं गयी हुई थी और पापा अपने ऑफिस में थे.

    में बाथरूम में गयी और गंदे कपड़ो में से पापा की अंडरवेयर ढूंढकर अपनी चूत पर रगड़ते हुए हस्तमैथुन किया. अब मुझे बहुत मज़ा आया था और फिर में सो गयी. फिर मेरी आँख खुली तो शाम के 5 बज रहे थे. फिर मैंने नहा धोकर कपड़े पहने और मैंने कपड़े भी उस दिन कुछ सेक्सी दिखने वाले पहने थे, मैंने एक शॉर्ट स्कर्ट और फिटिंग टी-शर्ट पहनी थी. अब पापा के आने का टाईम हो गया था, लेकिन मम्मी का कोई पता नहीं था.

    फिर शाम के 6 बजे पापा ने घंटी बजाई तो में दौड़ती हुई गयी और दरवाजा खोला. फिर पापा मुझे देखकर थोड़े मुस्कुराए और मुझे गले लगाकर मेरे गालों पर किस करते हुए बोले कि बेटा आज तो बहुत स्मार्ट लग रही हो. अब मुझे इतनी खुशी हुई थी कि में पापा को फंसाने में धीरे-धीरे सफल होती जा रही थी.

    अंदर आकर पापा ने चाय का ऑर्डर कर दिया तो में किचन में जाकर चाय बनाने लगी. फिर पापा भी फ्रेश होकर किचन में आ गये और इधर उधर की बातें करने लगे थे.

    थोड़ी देर में पापा मेरी गोरी जांघो देखकर गर्म हो गये और मेरे पीछे खड़े होकर अपना लंड मेरी गांड से सटाने की कोशिश करने लगे थे. तब में भी अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी. अब मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे में जन्नत में हूँ और बस ऐसे ही खड़ी रहूँ.

    ख़ैर अब चाय बन चुकी थी और फिर मैंने पापा से डाइनिंग रूम में जाकर बैठने को कहा और चाय वहाँ सर्व करके बाथरूम में जाकर फिर से उंगली करने लगी थी. फिर में झड़ने के बाद बाहर आई, तो तब तक मम्मी भी आ चुकी थी.

    मुझे मम्मी पर बहुत गुस्सा आया, क्योंकि मुझे पापा से अभी और मज़ा लेना था और मम्मी के सामने में कुछ नहीं कर सकती थी. अब पापा भी मम्मी के आने से थोड़े दुखी हो गये थे, क्योंकि ना तो वो कुछ करती थी और ना ही उन्हें कुछ करने देती थी. अब पापा मुझे देखकर बार-बार अपना लंड पजामे के ऊपर से ही सहला रहे थे और मुझे भी उन्हें सताने में बहुत मज़ा मिल रहा था.

    खाना खाने के बाद पापा मुझसे बोले कि बेटी चल थोड़ा घूमकर आते है और मुझे लेकर घर के बाहर आ गये. फिर बाहर आकर उनका मूड चेंज हुआ और मुझसे बोले कि चल बेटा पिक्चर देखने चलते है.

    तब मुझे पापा पर इतना प्यार आया कि पापा मेरे साथ अकेला रहने की कितनी कोशिश कर रहे है? खैर फिर हम एक्टिवा पर सवार होकर एक सिनिमा में पहुँच गये और रास्ते में ही मम्मी को फोन कर दिया कि हम पिक्चर देखने जा रहे है. जब सिनिमा में कोई पुरानी मूवी लगी होने की वजह से ज़्यादा भीड़ नहीं थी, पूरे हॉल में लगभग 30-40 लोग ही होंगे.

    अब मुझे पापा की समझदारी पर बहुत खुशी हुई थी, वो चाहते तो मुझे किसी बढ़िया पिक्चर दिखाने ले जाते, लेकिन उन्हें शायद कुछ ज़्यादा मज़े लेने थे. फिर उन्होने सबसे महेंगे टिकट लिए और फिर हम लोग बालकनी में जाकर बैठ गये. हमारा नसीब इतना बढ़िया चल रहा था की बालकनी में सिर्फ़ हमारे अलावा सिर्फ़ एक ही लड़का था, जिसकी उम्र लगभग 18 साल थी और वो भी आगे की सीट पर बैठ गया था. अब तो हम दोनों को और भी आराम हो गया था.

    पिक्चर चालू हुई, लेकिन पिक्चर पर तो किसका ध्यान था? अब मेरा दिमाग तो पापा के लंड की तरफ था और पापा भी तिरछी नजर से मेरी छोटी-छोटी चूचीयों की तरफ देख रहे थे. अब बस शुरुआत करने की देर थी कि कौन करे? अब में तो पापा का स्पर्श पाने के लिए वैसे ही मरी जा रही थी और फिर उसी वक़्त जैसे बिल्ली के भागों छिका टूटा हो, मेरे पैर पर किसी जानवर ने काटा हो, में उउउइई करती हुई खड़ी हो गयी.

    फिर तब पापा ने घबराते हुए पूछा कि क्या हुआ? तो तब मैंने बताया कि मेरे पैर पर किसी कीड़े ने काटा है. तो तब पापा बोले कि बैठ जा और अब काटे तो तुम मेरी सीट पर आ जाना. तो में बैठ गयी और फिर 5 मिनट के बाद फिर से उछलती हुई खड़ी हो गयी, लेकिन इस बार मुझे किसी ने काटा नहीं था बल्कि में जानबूझकर खड़ी हुई थी. खैर फिर पापा हंसते हुए बोले कि तू मेरी सीट पर आ जा.

    तब में बोली कि पापा कोई बात नहीं जैसे उस कीड़े ने मुझे काटा है, ऐसे ही आपको भी काट लेगा. तो तब पापा बोले कि तू एक काम कर मेरी गोद में बैठ जा. अब में तो पहले से ही तैयार थी तो पापा के बोलते ही में उनकी गोद में बैठ गयी और पर्दे की तरफ देखने लगी थी. अब में उनकी गोद में बैठी हुई बिल्कुल छोटी सी लग रही थी, मेरी उम्र उस वक़्त 18 साल ही तो थी.

    अब पापा मेरी गर्मी पाकर गर्म होने लगे थे. अब उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा था. अब मुझे भी उनके लंड पर बैठना बहुत अच्छा लग रहा था, वैसे तो हमारी नजर पर्दे की तरफ थी, लेकिन ध्यान सिर्फ़ अपनी-अपनी टाँगो के बीच में था. अब मेरा तो बदन जैसे किसी भट्टी की तरह तप रहा था. अब मेरी स्कर्ट में मेरी चड्डी बिल्कुल गीली हो रही थी.

    पापा का लंड ठीक मेरी गांड के छेद पर था और पापा धीरे-धीरे मेरा पेट सहला रहे थे. अब मेरा मन कर रहा था कि पापा अपना लंड ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत पर रगड़ दे, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था, क्योंकि हम दोनों ही एक दूसरे से शर्मा रहे थे.

    कुछ देर तक ऐसे ही बैठे रहने के बाद मैंने अपने हाथ में पानी की बोतल थी वो नीचे गिरा दी और फिर उसको उठाने के लिए झुकी तो पापा का लंड बहाने से अपनी चूत पर सेट किया और फिर सीधी बैठकर मज़े लेने लगी. अब 1 घंटा 30 मिनट निकल गये थे और हमें पता ही नहीं चला कि कब इंटरवेल हुआ?

    फिर पापा मुझे पैसे देते हुए बोले कि कैंटीन से जाकर कुछ ले आओ तो में बाहर गयी और कैंटीन से कुछ खाने की चीज़े खरीदी और फिर टॉयलेट में चली गयी और फिर जब तक वापस आई तो पिक्चर चालू हो चुकी थी.

    मैंने पापा की गोद में बैठते हुए कहा कि पापा मुझे आपकी गोद में बैठने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है. फिर तब पापा बोले कि तो फिर 1 मिनट रुक और बैठे हुए ही अपने लंड को सेट करने लगे थे.

    अब मुझे अंधेरे में कुछ नहीं दिख रहा था और फिर जब उन्होंने मुझे बैठने को कहा, तो उन्होंने अपना हाथ कुछ इस तरह से मेरी स्कर्ट पर लगाया कि मेरी स्कर्ट ऊपर हो गयी और में उनकी गोद में फिर से बैठ गयी. फिर थोड़ी देर के बाद मुझे अहसास हुआ कि पापा ने अपना लंड अपनी पेंट में से बाहर निकाल रखा है और इस अहसास के साथ ही जैसे मेरे बदन ने एक तगड़ा झटका लिया और अब मेरा भी मन अपनी चड्डी उतारकर पापा का लंड मेरी चूत से चिपकाने का करने लगा था.

    फिर उसके लिए मैंने फिर से एक प्लान बनाया और मेरे हाथ में कोल्डड्रिंक का जो गिलास था, उसे अपनी जांघों पर उल्टा दिया तो सारी कोल्डड्रिंक मेरे पैरो और चड्डी पर गिर गयी, तो तब पापा चौंकते हुए बोले कि यह क्या किया?

    तब मैंने कहा कि सॉरी पापा गलती से हो गया, में तो पूरी गीली हो गयी और मेरे कपड़े भी गीले हो गये. तो तब कपड़ो का मतलब समझते हुए पापा बोले कि जा और टॉयलेट में जाकर साफ कर आ और कपड़े ज़्यादा गीले हो तो उतारकर आ जाना, जल्दी सूख जाएँगे. अब मेरा मन पापा को छोड़ने का नहीँ था, तो मैंने वहीं खड़े होकर मेरी चड्डी उतारी और दूसरी सीट पर रखी और फिर से पापा के लंड पर बैठकर पापा के लंड को अपनी दोनों टाँगों के बीच में ले लिया.

    अब उनका लंड बिल्कुल मेरी चूत पर था. अब मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई गर्म लोहे की रोड मेरी जांघों में दबी पड़ी है. अब तो मेरा मन कर रहा था कि जल्दी से पापा अपना लंड मेरी चूत में डालकर ज़ोर से रगड़ दे, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते थे.

    अब मेरी बारी थी. फिर मेरा मन अपनी चूत को उनके लंड पर रगड़ने का हुआ तो तब में अपनी चड्डी उठाने के लिए झुकी और ज़ोर से अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ दी और फिर ऐसे ही 3-4 बार ज़ोर से रगड़ी, तो तब मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरा पानी निकल जाएगा. अब में कभी किस बहाने से तो कभी किस बहाने से हिलती और अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ देती थी. अब पापा समझ गये थे कि मेरा मन रगड़ने का हो रहा है.

    तब पापा ने मेरे पेट पर अपना एक हाथ रखकर दबाया और अपना जूता खोलने के बहाने से कभी खुजाने के बहाने से अपना लंड रगड़ने लगे थे. फिर कुछ ही देर में मुझे लगा कि जैसे मेरे जिस्म में से सारा खून फटकर मेरी चूत में से निकलने वाला है और फिर इसी के साथ मेरा पानी झड़ गया. अब में बिल्कुल ठंडी हो चुकी थी, लेकिन पापा ने 2-3 बार और अपना लंड रगड़ा और फिर पापा भी जैसे अकड़ से गये और उनका भी पानी निकलकर मेरी चूत और मेरे पेट पर फैल गया.

    अब हम दोनों बिल्कुल शांत थे और बहुत थक गये थे. फिर 5 मिनट के बाद ही पिक्चर ख़त्म हो गयी और लाईट जलती इससे पहले ही मैंने अपनी चड्डी यह कहते हुए पहन ली कि अब वो सूख चुकी है. अब दोनों पिक्चर ख़त्म हो चुकी थी एक जो पर्दे पर चल रही थी और एक जो हम बाप बेटी के बीच में चल रही थी. फिर थोड़ी देर के बाद लाईट जली और फिर हम दोनों हॉल से बाहर निकले.

    बाहर आकर पापा मुस्कुराते हुए बोले कि पिक्चर कैसी लगी? तो तब मैंने जवाब दिया कि इससे बढ़िया पिक्चर मैंने आज तक नहीं देखी, तो तब पापा बोले कि मेरे साथ घूमा करेगी तो और भी बढ़िया चीज़े देखने को मिलेंगी और फिर में मस्कुराती हुई गाड़ी पर बैठ गयी और फिर हम घर की तरफ चल पड़े.

  • हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़वा कर लड़की पटाई

    हिंदी सेक्स कहानी पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम आकाश पांडे है. मैं मध्य प्रदेश के रीवा से हूँ.
    यह मेरी पहली कहानी है. मेरी यह कहानी एकदम रियल है.

    आज से एक महीने पहले की बात है, उसे आज मैं आपके सामने पेश कर रहा हूँ.

    हमारे घर के सामने के घर में एक परिवार रहता है, उस परिवार में 3 लड़कियां हैं. बड़ी वाली तो कुछ ख़ास नहीं है, लेकिन उससे छोटी बहुत सुंदर है, लेकिन वो मुझे कुछ छोटी लगती थी. अभी कुछ दिन से वो मुझे देखकर मुस्कुरा देती थी.

    फिर जब मैंने उसको ध्यान से देखना शुरू किया तो उसके चूचे कुछ बड़े से लगे, तो मैंने अहसास किया कि वो अब बड़ी होने लगी है.

    अब मेरा दिल उसके साथ सेक्स करने का करने लगा था. मैंने सोचा कि ऐसा क्या किया जाए कि ये अपने आप तैयार हो जाए.

    फिर एक दिन मैं घर पर अकेला था कि वो एक मूवी की सीडी के लिए मेरे पास आई और बोली कि मुझे विवाह मूवी देखनी है, आप ला दोगे क्या?
    तो मैंने कहा- ठीक है, कल ला दूँगा.
    इसके बाद मैंने उसे अपनी सीडी दिखाकर कहा कि इनमें से कोई चाहिए तो देख लो.

    वो कुर्सी पर बैठ गयी और एक एक करके मूवी देखने लगी.

    वो सीडी देख रही थी और मैं उसकी जवानी को आंखों से चोद रहा था.

    तभी मुझे अन्तर्वासना की चुदाई की कहानी याद आने लगी. मैं अक्सर जब भी अपने ऑफिस में बैठ कर अन्तर्वासना की सेक्स स्टोरी पढ़ता हूँ तो उसका प्रिंट निकालकर घर ले आता हूँ और रात में आराम से पढ़ता हूँ. तो उस दिन भी रात को जो स्टोरी पढ़ी थी, उसका प्रिंट पेपर फ़्रिज़ पर रखा था.

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    मुझे उसकी जवानी देख कर नशा सा होने लगा और लंड खड़ा हुआ तो मैं बाथरूम में चला गया. फिर जब मैं वापस आया, तो उसके एक हाथ में एक सीडी थी और दूसरे हाथ में वो स्टोरी का पेपर था. वो उसे पढ़ रही थी.

    उसे जैसे ही इस बात का अहसास हुआ कि कोई है, तो उसने वो पेपर तुरंत वहीं पर रख दिया और मुझे देखकर मुस्कुराते हुए बोली कि मैं ये सीडी ले जा रही हूँ.
    इतना कह कर वो चली गयी.

    मैंने सोचा कि इसने तो ये सेक्स स्टोरी पढ़ ली होगी. अब मैं सोचने लगा कि इसको तैयार करने का यही सही तरीका है.. इसको रोज एक चुदाई की कहानी पढ़ने को मिलेगी तो साली चूत खोल ही देगी. बस अब मैं रोजाना एक सेक्स स्टोरी लाता और जब वो अकेली होती तो उसके निकलने के समय उसी के घर के दरवाजे पर डाल देता.

    पहले दिन तो मैंने सोचा कि चलो देखा जाए कि ये कैसे रिएक्ट करती है.

    कुछ देर के बाद में वो आई और उसने कल जैसे पेपर अपने दरवाजे पर पड़े देखे, तो उसने इधर उधर देखा और झट से स्टोरी वाले कागज़ उठा कर अपने कपड़ों में छिपा लिए. मैं समझ गया कि इसको गर्म स्टोरी पढ़ने में मजा आने लगा है.

    ऐसा मैंने लगातार चार दिन तक किया और मुझे ये आभास भी हो गया कि वो ये जान चुकी है कि ये सेक्स स्टोरी मैं ही उसके लिए रखता हूँ.

    फिर एक दिन मेरे घर पर मेरी माँ के बड़े भाई आए और माँ से बोले- मेरे साथ चलो, मैंने अपना नया घर लिया है, उसका मुहूर्त है.
    मेरी माँ उनके साथ चली गईं और मुझे बाद में आने के लिए बोल गईं.

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    मैं उस वक्त अपने किसी काम की वजह से नहीं जा सका था. उसी वजह से उस दिन मैंने ऑफ ले रखा था, तो मैं उस दिन घर पर ही रह गया था. ये इत्तेफाक ही था कि उसकी माँ भी उस दिन बाजार गयी थीं. वो भी घर पर अकेली थी.

    काम खत्म करके मैं मूवी देख रहा था. उस दिन एक कमसिन उम्र की लड़की की चुदाई की स्टोरी पढ़ कर फ्रिज पर रख दी थी.
    तभी वो आ गयी और बोली- कौन सी मूवी देख रहे हो?
    मैंने कहा- बैठो और देख लो.

    वो भी मेरे साथ बैठकर मूवी देखने लगी. फिर मैंने देखा कि उसकी नजर बार-बार उसी स्टोरी के पेपर्स पर पड़ रही थी, जो फ्रिज पर रखे थे.

    तभी मेरे मोबाइल की बेल बजी और मैं बात करता हुआ रूम से बाहर चला गया और फिर करीब 15 के बाद अन्दर आया, तो तब मैंने देखा कि वो फ्रिज के पास खड़ी थी. इस वक्त उसकी पीठ मेरी तरफ थी. मैं धीरे से उसके पास गया तो मैंने देखा कि वो उस स्टोरी को पढ़ रही थी. मैं कुछ देर तक खड़ा रहा.. फिर मैंने कुछ आवाज़ की ताकि उससे लगे कि मैं रूम में आ गया हूँ.

    वो जल्दी से कुर्सी पर बैठ गयी, लेकिन वो सेक्स स्टोरी अभी भी उसके हाथ में थी. मैं भी मन में मुस्कुराते हुए बेड पर बैठ गया और मूवी देखने लगा, ताकि उसे ये लगे कि मैंने कुछ नहीं देखा है.
    कुछ देर के बाद मैंने उसके हाथ में पेपर देखकर कहा- ये क्या है?
    पहले तो वो उसे छुपाने लगी. फिर मैंने उसके हाथ से पेपर्स ले लिए और खोलकर देखे. फिर उसकी तरफ देखा, तो वो डर से चुपचाप बैठकर मूवी देखने लगी थी.
    मैंने उससे कहा कि तुमको ऐसी स्टोरी अच्छी लगती हैं?
    उसने कुछ नहीं कहा.

    मैंने कहा कि तुम अभी छोटी हो, तुमको ये सब नहीं पढ़ना चाहिए.
    वो बोली कि मैं इतनी छोटी भी नहीं हूँ, मैं सब समझती हूँ. तुमने ही तो मुझे ये सब पढ़ने को दिया है.
    तब मैंने कहा- अगर सब जानती समझती हो तो बताओ जब ये स्टोरी पढ़ती हो तो कैसा लगता है?
    वो हंस कर बोली- अच्छा लगता है.
    तब मैंने आंख दबा कर कहा कि बस अच्छा.. और कुछ नहीं?
    वो होंठ काटते हुए बोली- नहीं और कुछ नहीं.

    फिर मैंने कहा- रियल में महसूस करना पसंद करोगी?
    वो सर झुका कर बोली- नहीं, मुझे डर लगता है.
    मैंने कहा- अगर डरोगी तो कभी इसके मज़े नहीं ले पाओगी और फिर मैं तुम्हारे साथ हूँ, मैं कुछ गलत नहीं होने दूँगा.
    वो मेरी तरफ देख कर बोली- ठीक है, लेकिन कैसे करना है?
    मैंने उससे पूछा- ये बताओ तुम्हारी माँ कब तक आएँगी?
    तो वो चहक कर बोली कि वो बाजार गयी हैं, शायद 2 घंटे के बाद आएंगी.

    ये सुनकर मैंने दरवाजा बंद किया और उसको बेड पर बैठने को कहा.

    इस वक्त उसने टी-शर्ट और जीन्स पहनी थी, तो पहले तो मैंने उससे कहा कि अपनी टी-शर्ट उतार दो.
    वो बोली- नहीं मुझे शर्म आती है.

    फिर मैंने ही चुदाई का खेल शुरू किया और पहले उसको अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों पर किस किया.. वो एकदम से गनगना गई. उसे भी मजा आने लगा. हम दोनों करीब 10 मिनट तक किस करते रहे.
    फिर मैंने अपना एक हाथ उसके मम्मों पर रख दिया और दबाने लगा. उसे कुछ-कुछ मज़ा आने लगा था.

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    तभी मैंने झटके से उसकी टी-शर्ट उतार दी और देखा कि उसके चूचे अभी छोटे-छोटे थे और उसके पिंक कलर के निप्पल खड़े हो गए थे. मैं उसके एक मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा. इससे शायद उसे और मज़ा आने लगा था.
    वो बिस्तर पर लेट गयी और मैं उसके मम्मों को एक एक करके सक करने लगा. साथ ही धीरे से उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और अपना एक हाथ उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी जीन्स के अन्दर डाल दिया और चूत को रब करने लगा था.

    वो बहुत ज्यादा गर्म हो गयी थी और मचल रही थी. मैंने उसकी जीन्स उतार दी. अब वो मेरे सामने पेंटी में थी और उसकी आँखों में नशा भर गया था. उसे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे उसने काफ़ी शराब पी रखी हो.

    मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी, उसकी चूत बहुत छोटी थी और चूत के ब्राउन कलर के बाल बहुत कम ही आए थे, लेकिन उसकी चूत बिल्कुल पिंक थी.

    फिर मैंने अपना एक हाथ जब उसकी चूत पर रखा तो वो जैसे पागल सी हो गयी. मैं उसकी चूत के दाने को अपनी उंगली से रगड़ने लगा तो वो मचल उठी और अपने हाथों से अपने बूब्स दबाने लगी.

    तभी मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ रख दी और उसकी चूत के पिंक होंठों को किस करने लगा, तो वो तो जैसे पागल ही हो गयी थी. उसकी आँखें बंद थीं और अब वो अपने मुँह से आवाजें निकाल रही थी.

    इस समय उसके दिल की धड़कन काफ़ी तेज हो गयी थी. फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अन्दर डाली तो वो तड़प गयी. तभी मुझे बाहर एक कार रुकने की आवाज आई तो मैंने खिड़की से देखा कि कौन है? बाहर उसकी माँ वापस आ गयी थीं, लेकिन वो इन बातों से बेखबर बेड पर लेटी मछली की तरह तड़प रही थी.

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    फिर मैंने उसके कान में कहा- तुम्हारी माँ आ गयी हैं.
    वो बोली- प्लीज आप जल्दी से मुझे डिसचार्ज कर दो, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.

    तब मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डालकर उसकी चुदाई स्टार्ट की और उसके होंठों को चूसने लगा, तो कुछ ही देर में वो डिसचार्ज हो गयी.

    फिर उसने झट से अपने कपड़े पहने और जाते वक़्त मुझे किस किया और बोली कि आज तक मैं इस खूबसूरत मजे को नहीं जान पाई थी कि कैसा होता है? आज आपने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया, लेकिन आप ऐसे ही रह गए, मैं जल्द ही ये प्रोग्राम फिर से बनाती हूँ.

    अब कब उसने मेरे लंड को शांत किया ये मैं आपको जल्द ही उसकी चुदाई की कहानी लिखता हूँ.
    मुझसे बात करने के लिए मेल करें.

  • ससुर जी का घोड़े जेसा लंड – Hindi Sex Stories

    Hindi Sex Stories – Sasur Ji Ka Ghode Jesa Lund दोस्तो मेरी उमर 26 साल की है मेरी शादी हो चुकी है मेरे पति एक मार्केटिंग कंपनी मे जॉब करते है इस लिए वो ज़्यादातर घर से बाहर ही रहते है. अभी मेरी शादी को सिर्फ़ 3 साल हुए है और ये कहानी दोस्तो आज से करीब 2 साल पहले की है. मेरे घर मे मेरे सास ससुर और मेरी एक 18 साल की ननद रहती है. बेस्ट इंडियन सेक्स स्टोरीस




    मेरी शादी को 3 साल हो चुके है और अभीतक मैं 25-30 बार ही सेक्स किया है क्योकि मेरे हज़्बेंड के पास इतना टाइम नही होता. इसलिए मैं और मेरी चूत चुदाई के लिए तड़पति रहती है. एक दिन की बात है मैं अपने रूम मे बैठकर .वी पर कुछ देख रही थी तभी मुझे प्यास लगी और मैं किचन मे से पानी पीने के लिए जाने लगी. जब मैं किचन मे जा रही थी तभी मुझे अपने ननंद के रूम मे से कुछ आवाज़े सुनी, मैने उसके रूम की विंडो मे से चुपके से देखा तो मैं पूरी तरह से हैरान रह गई.

    मैने देखा की मेरी ननंद नंगी नीचे ज़मीन पर पूरी नंगी लेटी हुई है और हमारा कुत्ता उसकी चूत को चाट रहा है और वो कुत्ते के लंड को अपने हाथ मे लेकर ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे कर रही है और कुछ ही देर बाद वो कुत्ते के सामने कुत्ति बन गई और कुत्ता उसके उपर पीछे से चढ़ गया और ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लग गया. मुझसे ये सब देखा ना गया इसलिए मैं वाहा से हट गई.




    करीब 15 मिनिट बाद मेरी ननंद के रूम मे से कुत्ता बाहर आया और उसके पीछे से मेरी ननंद भी आ गई. मैने उसे सॉफ सॉफ बता दिया की मैने उसे ये सब करते हुए देख लिया है. वो मेरे सामने रोने लग गई पर मैने उसे समझाते हुए कहा तुम कोई अपना बॉयफ्रेंड बना लो ऐसे जानवर से ऐसे काम करवाना ठीक नही है.

    तब मेरी ननंद ने कहा – भाभी मैं बॉयफ्रेंड तो बना लून पर आदमी का तो कुत्ते से भी ज़्यादा बड़ा होता है इसलिए मुझे डर लगता है.




    मैं – नही इतना भी बड़ा नही होता जितना तुम समझ रही हो.

    मेरी ननद – नही भाभी मैने देखा है इस लिए मैं कह रही हूँ.




    मैं – अछा किस का देख लिया है तूने, कही हॉर्स का तो नही देख लिया.

    मेरी ननंद – नही भाभी मैने डॅड का देखा है उनका लंड तो हॉर्स से बड़ा है कसम से इतना लंबा और मोटा लंड तो मैने आज तक नही देखा.




    ननंद के मूह से ऐसी बातें सुनकर मेरी चूत मे खुज़ली होनी शुरू हो गई. मुझे तो पता ही नही था की मेरे घर मे जबरदस्त चुदाई का समान है. अब मुझे किसी भी हालत मे ससुर जी का लंड देखना था बस मुझे एक आछे से मोके की तलाश थी.

    और मुझे जल्दी ही एक . मिल गया. उस दिन मेरे सारे घरवाले किसी शादी मे 2 दिन के लिए चले गये. घर मे मैं और मेरे ससुर थे. जब रात हुई तो मैने ससुर जी के दूध मे नींद की मेडिसिन घोल कर दे दी. दूध पीते ही उन्हे नींद आनी शुरू हो गई. पर फिर भी मैं करीब 30 मिनिट बाद ही उनके रूम मे गई. बेस्ट इंडियन सेक्स स्टोरीस




    मैने अंदर जाते ही ससुर जी को बहोत हिलाया जब वो नही उठे तो मैं समझ गई अब रास्ता सॉफ है, मैं जल्दी से उनकी धोती साइड मे करी और अंडरवेर का नाडा खोल कर उनका लंड बाहर निकाल लिया. उनका लंड देख कर तो मेरी आँखों मे एक अलग सी चमक आ गई. मेरी ननंद सच मे सच कह रही थी, मेरे ससुर का लंड सच मे काफ़ी बड़ा और मोटा था वो कमाल की बात तो ये थी की अभी लंड बैठा हुआ था तो भी वो कितना ख़तरनाक लग रहा था.

    मैने अपने दोनो हाथो से लंड को पकड़ कर उपर नीचे करने लग गई और पता नही कब खुद ही मेरे होंठ लंड के पास आ गये और उसे चूमने लग गये. अब मैं लंड को अपने मूह मे लेकर चूसने लग गई और नीचे से उपर तक लंड को अपनी ज़ुबान से चाटने लग गई. तभी अचानक लंड मे एक करेंट सा लगा और लंड खड़ा होना शुरू हो गया. देखते ही देखते लॅंड 5 इंच से 14 इंच का हो गया.




    मेरी आँखें खुली की खुली रह गई और मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही था. सच मे लंड काफ़ी शानदार लग रहा था. अब तो मेरी ज़ुबान लंड को चाटने मे लगी हुई थी. लंड को देखकर अब मेरी चूत मे खुज़ली होनी शुरू हो गई थी. मैं उठी और अपनी सारी और पेटिकोट उतार सीधा लंड के उपर आ गई और लंड को अपने हाथ मे पकड़ अपनी चूत पर रगड़ने लग गई. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. मैं इतने बड़े लंड को चूत मे कैसे लूँगी इसके बारे मे सोच रही थी और लंड को अपनी चूत पर लगा कर नाप रही थी. मैने देखा की लंड अगर चूत मे जाता है तो वो मेरे पेट तक आता है.

    मुझे अब डर सा लगने लग गया इस लिए अब मैने जाने का फ़ैसला किया. मैं जैसे ही लंड के उपर से उठने लगी तभी मेरी कमर को किसी ने ज़ोर से पकड़ लिया. मैं एकदम बहोत डर गई, मैने देखा तो ससुर जी जाग चुके थे और उन्होने ही मुझे पकड़ा हुआ था.

    ससुर – बहू अब लंड को नाप तो लिया है तुमने अब . अपनी चूत मे भी ले लो ना तुम्हे बहोत मज़ा आएगा.

    मैं उन्हे अपने को छुड़वाने की कोशिश करी पर उन्होने एक दम मुझे बेड पर दे मारा और मेरे उपर आ कर बहोत बुरी तरह मेरे बूब्स को मसलने लग गये. मेरे आँखे बंद होनी शुरू हो गई क्योकि अब मैं मदहोश सी होनी शुरू हो गई थी. तभी ससुर जी ने मेरा ब्लाउस पकड़ा और खींच कर फाड़ दिया और मेरे नंगे बूब्स को एक एक करके अपने मूह मे लेकर चूसने लग गये.

    मुझे बहोत मज़ा आने लग गया मैं पागल सी होने लगी थी क्योकि आज तक मेरे बूब्स मेरे पति ने भी नही चूसे थे. ससुर जी अब मेरी चूत मे उंगलिया कर रहे थे. मेरी चूत गीली होनी शुरू हो गई थी. मुझे सच मे बहोत मज़ा आ रहा था. तभी ससुर जी नीचे गये और मेरी चूत को अपनी ज़ुबान से चाटने लग गये. जैसे ही उनकी ज़ुबान मेरी चूत पर लगी वैसेही मेरे पूरे जिस्म मे करेंट सा दौड़ने लग गया. अब मेरे एक हाथ मे उनका लंड था जिसे मैं ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे कर रही थी.

    अचानक ही ससुर जी ने मेरे हात से लंड ले लिया और खुद ही अपना लंड मेरी चूत के उपर रगड़ने लग गये मेरी चूत के दाने के उपर लंड पूरी स्पीड मे उपर नीचे हो रहा था. मैं पूरी तरह से पागल हो चुकी थी क्योकि आज तक ऐसा मज़ा कभी नही मिला था. करीब 2 मिनिट बाद ही मेरी चूत ने काफ़ी सारा पानी बाहर निकाल दिया.

    ससुर जी – बहू ये क्या है अभी तो मेरा लंड तेरी चूत के अंदर गया भी नही और तेरी चूत ने पहले ही जवाब दे दिया. बेस्ट इंडियन सेक्स स्टोरीस

    उनके मूह से ऐसी बातें सुनकर मैं शर्मा गई और मैं धीरे से बोली – ससुर जी अब प्लीज़ आप मेरी चूत को आछे से चोद दे मुझे बहोत परेशान करती है.

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    ये सुनते ही ससुर जी ने मेरे होंठो को चूसा और नीचे जाकर मेरी चूत को फिरसे चाटने लग गये. अब की बार वो अपनी ज़ुबान मेरी चूत के दाने पर घुमा रहे थे जिससे मेरे मूह से अब आहह आहह की मस्ती से भरी आवाज़े निकल रही थी.

    ससुर जी अब अपनी दो उंगलिया मेरी चूत मे उतार दी और ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे कर रहे थे और साथ मे ही उपर से मेरी चूत के दाने को चाट रहे थे. एक साथ दो हमले मेरी चूत सहन ना कर पाई और करीब एक मिनिट मे ही मेरी चूत ने फिर अपना सारा पानी निकल दिया.

    मैं – ससुर जी अब क्यो आप मुझे तड़पा रहे हो प्लीज़ जल्दी से अब आप अपना लंड मेरी चूत मे डालो और मेरी प्यास को भुजा दो प्लीज़.

    मैने उनके लंड को हाथ मे पकड़ा तो मैने देखा की ये तो इतना मोटा है की ये मेरे हाथ मे नही आ रहा है ये तो मेरी चूत के चितड़े चितड़े कर देगा. मेरे चेहरे पर इस परेशानी के भाव देख कर ससुर जी बोले – मेरी बहू तू फिकर ना कर आज इस लंड को अपनी चूत मे ले फिर, आज के बाद तू किसी दूसरे के लंड को देखेंगी भी नही.

    मैं – पर ससुर जी आज आप मेरी चूत की आछे से चुदाइ करना ये साली मुझे बहोत तंग करती है.

    ये सुनते ही ससुर जीने मेरी तरफ देखकर हल्की सी स्माइल करी और अपना लंड मेरे मूह के पास कर दिया. मैं समझ गई की अब ये क्या चाहते है मैने झट से अपना मूह खोल दिया और ज़ोर ज़ोर से लंड को आछे से चूसने लगी.

    ससुर जी तभी मेरा सिर पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से मेरे को अपने लंड से चोदने लग गये. अब उनका लंड मेरे गले के अंदर जा रहा था जिससे मुझे सांस लेने मे बहोत दिक्कत आ रही थी पर वो रुके नही और करीब 5 मिनिट तक मेरे मूह ऐसे ही बे- रहमी से चोदते रहे.

    अब उन्होने अपना लंड मेरे मूह से निकाला और मेरी चूत पर रखकर और थोड़ासा ज़ोर लगा कर अपने लंड का आगे वाला हिस्सा पहले मेरी चूत मे उतारा और बाद मे फिर एक ज़ोर से धक्का लगा कर करीब 4-5 इंच तक लंड मेरी चूत मे उतार दिया. बेस्ट इंडियन सेक्स स्टोरीस

    लंड अंदर जाते ही मेरी जान निकल गई मैं उनके नीचे एक मछली की तरह तड़प रही थी. अब ससुर जी बहोत पुराने खिलाड़ी थे और धीरे धीरे मेरी चूत मे अपना लंड अंदर बाहर करते रहे. अब उन्होने मेरी गॅंड के नीचे मे पिल्लो रखा जिससे अब मेरी चूत उपर उठ गई और अब तो ससुर जी ने अपना लंड मेरी चूत मे एक दम डाला और उपर नीचे करने लग गये. अब ससुर जी मेरे उपर आ गये और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत को चोदने लग गये.

    ससुर जी ने अब अपना बाहर निकाला और एक जोरदार धक्के से अपना पूरा 14 इंच का लंड एक ही बार मे मेरी चूत मे उतार दिया. अब मैने अपनी दोनो टाँगे उपर उठा ली और अपनी गॅंड उठा उठा कर अपने ससुर जी का लंड अपनी चूत मे लेने लग गई. ससुर जीने मेरी दोनो टाँगो को अपने मोढ़े पर रख लिया और ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदने लग गये. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था मैं अपनी दोनो आँखें बंद कर के ससुर जी के हर धक्के का मज़ा ले रही थी.

    करीब 20 मिनिट की इस घमासान चुदाई के बाद अचानक मेरा पूरा जिस्म अकड़ गया मेरी चूत ने ससुर जी के लंड पर अपने पानी की बारिश कर दी और 2 मिनिट बाद ही ससुर जी ने भी अपना सारा पानी मेरी चूत मे ही निकाल दिया. मुझे बहोत ज़ोर से पेशाब आ रहा था पर मुझसे उठा तक नही जा रहा था इस लिए ससुर जी मुझे अपनी गोद मे उठाकर बाथरूम मे ले गये और मैने उनके सामने बाथरूम किया क्योकि उन्होने मेरी चूत मे से निकलते पेशाब को देखना था.

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    मेरी चूत से निकलते गरम गरम पीले पीले पेशाब को देखकर ससुर जी फिर से गरम हो गये और अपना लंड मेरे मूह मे डाल कर फिर से मेरे मूह को चोदने लग गये. फिर ससुर जीने मुझे टाय्लेट की सीट पर बिताया और मेरी दोनो टाँगे उपर कर के मेरी चूत और गॅंड दोनो मारी. आज मेरी चूत और गॅंड दोनो आछे से फट चुकी थी और मेरी बहोत ज़्यादा बुरी हालत हो चुकी थी. बेस्ट इंडियन सेक्स स्टोरीस

    उस दिन से मैं रोज रात को अपने ससुर जी से चुदति हूँ, एक दिन मेरी ननंद ने मुझे और अपने डॅड से सेक्स करते देख लिया और फिर मैने अपने साथ उसे भी ले लिया. अब हम तीनो इस सेक्स लाइफ के पूरे मज़े लेते है.

    मुझे उम्मीद है आप को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी पढ़ने के लिए आप का बहोत बहोत शुक्रिया, मेरी मैल आईडी है

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