Category: ट्रैन – बस में चुदाई

  • हेमा भाभी को बस में चोदा

    हैल्लो दोस्तों, में आपके लिए एक स्टोरी लेकर आया हूँ, यह मेरा सच्चा और हॉट अनुभव था. में आशा करता हूँ कि आप लोगों को मेरी यह स्टोरी भी पसंद आयेगी. अब मेरी कहानी शुरू होती है. मेरा नाम शिफान है, में इतना भी स्मार्ट नहीं हूँ कि लड़की को ऐसे ही पटा लूँ, लेकिन में जिस लड़की से भी फ्लर्ट करता हूँ वो मेरे पीछे पागल हो जाती है, क्योंकि मेरी बातें ही ऐसी है. मेरे लंड का साईज़ 7 इंच है.

    मेरे मामा का प्रॉपर्टी बिजनेस है तो उसी सिलसिले में कुछ ज़रूरी काम से मुंबई से राजस्थान जा रहा था. मामा ने मेरी टिकट एक लग्जरी बस में करवा दी थी, क्योंकि में ट्रेन से जाने के मूड में नहीं था. मैंने अंधेरी से दोपहर 2 बजे बस पकड़ी, बस में ज़्यादा लोग नहीं बैठे थे, क्योंकि वो बहुत महँगी बस थी, उसमे आगे कुछ कपल बैठे थे और उनके पेरेंट्स थे और बीच में मैं और आख़री सीट में एक छोटी सी फेमिली थी. फिर रात में सूरत आया तो कुछ लोग चढ़ने लगे और एक कपल जिसमें एक आदमी, उसकी पत्नी और 2 बच्चे थे, एक लड़का जो 4 साल का था और बहुत ही खूबसूरत था और उसकी एक 3 साल की लड़की थी. उन लोगों की सीट मेरे बाज़ू में थी.

    फिर बस स्टार्ट हुई और वो औरत झुककर अपने बैग को सीट के नीचे रख रही थी. उसका आदमी आराम से बैठ गया था और उसके दोनों बच्चे पीछे की सीट पर बैठे थे. फिर अचानक से मेरी नज़र उस पर पड़ी, उसका पल्लू नीचे गिरा था और उसके बूब्स मेरी आँखों में समा गये थे. मैंने एक पल के लिए भी उनसे अपनी निगाह नहीं हटाई, उसने मुझे नोटीस किया और एडजस्ट करते ही बैठ गयी.

    उसने काले कलर की साड़ी पहनी थी और क़यामत ढा रही थी, उसका फिगर 36-28-36 होगा, स्लिम बॉडी और बहुत गोरी थी और साड़ी भी उसने नाभी के नीचे बांध रखी थी. फिर हम सब बैठे हुए थे और में अपना मोबाईल निकाल कर गाने सुन रहा था. फिर धीरे-धीरे रात होने लगी और फिर रात के 10 बजे बस एक मस्त से ढाबे पर रुकी, में उतरकर वॉशरूम गया और फिर मैंने टाईम पास के लिए कुछ स्नेक्स और कोल्ड ड्रिंक्स ले ली और वो औरत भी अपने बच्चो को लेकर वॉशरूम गयी और उसने कुछ स्नेक्स नहीं लिया, क्योंकि उसका पति बहुत गहरी नींद में सोया हुआ था तो वो ढाबे पर नहीं उतरा था.

    फिर बस चलने के लिए तैयार थी और फिर सब आकर बैठ गये, उसका पति ग्लास वाली सीट पर था और वो उसके बाज़ू में और उसके बच्चे पीछे वाली सीट पर थे. फिर अचानक उसकी बच्ची रोने लगी कि उसको विंडो सीट पर बैठना है, लेकिन वो बच्चा नहीं मान रहा था और उसका पति विंडो सीट पर सो गया था, तो मैंने उन्हें कहा कि आप अपनी बच्ची को मेरी विंडो सीट पर बैठा दो, तो उसने पहले मना किया कि आप क्यों हट रहे हो.

    फिर मैंने उसे समझाया कि बच्चो का दिल नहीं तोड़ते है और में बाज़ू की सीट पर बैठ गया और उसकी बच्ची को विंडो सीट पर बैठा दिया. फिर मैंने उसकी बच्ची को बहुत खुश किया मेरा मतलब स्नेक्स खिलाया, मोबाईल दिया और मुझसे उसकी माँ भी खुश हो गयी. फिर उसने मुझसे पूछा कि आप कहाँ जा रहे हो, तो मैंने कहा जयपुर तो उसने भी कहा कि वो लोग भी वहीं जा रहे है. फिर मैंने उससे फ्लर्ट करने की सोची और फिर मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने उसका नाम हेमा बताया फिर हमारी बातें शुरू हुई.

    हेमा : जयपुर में कहाँ जा रहे हो?

    में : मामा के कुछ प्रॉपर्टी का काम रुका हुआ है, उसी सिलसिले में जा रहा हूँ.

    हेमा : ओह्ह्ह, तो आप क्या करते हो?

    में : (मज़ाक से कहा की) खुश करता हूँ.

    हेमा : उसने मुझे देखते हुए कहा कि कैसे खुश करते हो.

    में : अरे, वो तो मैंने आपसे ऐसे ही कहा, मेरी शॉप मुंबई में है, में वो चलाता हूँ.

    हेमा : अच्छा हुआ कि आपकी कंपनी मिल गयी वरना में तो अकेले बैठे-बैठे बोर हो रही थी, मेरे पति भी सो गये है.

    में : हाँ इतना काम, मेहनत जो करते होगे बेचारे.

    फिर उसने सेक्सी सी स्माइल दी, शायद वो मेरी बात समझ गयी हो. उतने में उसकी बेटी भी सो गयी थी. फिर मैंने उससे कहा कि आपकी बेटी भी सो चुकी है तो उसने देखा और कहा कि लाओं में उसे पीछे वाली सीट पर सुला देती हूँ. जब में उसे उसकी बेटी दे रहा था, तब मेरा हाथ उसके बूब्स से चिपक गया और मुझे बहुत गर्म-गर्म महसूस हुआ, जैसे वो एकदम गर्म हो चुकी है. फिर उसने भी मेरा हाथ नोटिस किया और बच्ची को लेकर पीछे वाली सीट पर सुला दिया. अब रात बहुत हो चुकी थी और बस की लाईट भी बंद थी और सब सोए हुए थे, तो में अपने मोबाईल में गाने सुनने लगा तो उसने रिक्वेस्ट की कि वो भी गाने सुनना चाहती है, क्योंकि उसे नींद नहीं आ रही थी.

    फिर मैंने उसे लेफ्ट साईड का इयरफोन उसको दे दिया, हम लोग थोड़ा दूर-दूर बैठे हुए थे तो इयरफोन बार बार उसके कान से निकल रहा था, तो मैंने उसे अपने बाज़ू वाली सीट पर बैठने को बोला तो उसने हाँ कहा और अपने पति को चेक किया कि वो सो रहा है या नहीं? फिर मेरे बाज़ू में आकर बैठ गयी में बहुत रोमांटिक गाने प्ले कर रहा था, जिससे वो और मस्त हो रही थी.

    फिर मैंने आहिस्ते-आहिस्ते हाथ उसके हाथ पर टच किया, उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया, तो मैंने और फ्री होना स्टार्ट किया, मैंने झटके से उसकी जांघ पर हाथ रख दिया, जिससे उसने एतराज़ जताया और एक स्माइल देकर बैठ गयी. फिर थोड़ी देर के बाद वो उठ रही थी तो वैसे ही मैंने उसे पकड़ लिया और प्यार से उसके बूब्स दबाने लगा. उसने मना किया कि प्लीज यहाँ मत करो कोई देख लेगा, प्रोब्लम हो जायेगी. तो मैंने कहा कि यहाँ कोई नहीं देखेगा अंधेरा है और सब सो रहे है तो वो मान गयी.

    फिर मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटाया और ब्लाउज के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा, तो वो मौन करने लगी. फिर मैंने उसको लिप किस किया. फिर वो भी मेरा साथ देने लगी. तो उसने कहा कि जो करना है जल्दी-जल्दी करो वरना उसका पति उठ जायेगा. फिर मैंने उसे सीट पर बैठाया और उसकी साड़ी ऊपर की और पेंटी को नीचे किया तो देखा कि उसकी चूत तो बिल्कुल गीली हो चुकी थी और चूत पर थोड़े-थोड़े बाल भी थे, तो मैंने सकिंग करना स्टार्ट किया. तो वो मेरे बाल नोचने लगी और मेरा मुँह दबाने लगी, जैसे वो चाह रही हो कि में उसकी चूत को पूरा खा जाऊं, उसने फिर से पानी छोड़ा और मैंने पूरा चाट लिया.

    फिर मैंने उससे लंड चूसने को कहा तो उसने मना कर दिया और कहा कि उसको उल्टी आ जायेगी, इसलिए मैंने उसे ज्यादा फोर्स नहीं किया, क्योंकि फोर्स करने से सेक्स करने का मज़ा नहीं आता और कपल उसे इन्जॉय नहीं कर पाता और सेक्स तो नेचुरल ही इन्जॉय करो और फील करो. फिर मैंने उसे नीचे लेटाया और मेरा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा, जिससे वो पागल सी हो गयी और उसने मुझसे कहा कि प्लीज शिफान अब मत तड़पाओ.

    फिर मैंने चूत के दरवाजे पर अपना लंड रखा और एक झटका मारा तो चूत गीली होने की वजह से आधा लंड आसानी से अन्दर चला गया और में धक्के लगाने लगा. उसे बहुत मज़ा आ रहा था और मुझे भी बहुत मजा आ रहा था. फिर बिना रुके 15 मिनट चुदाई करने के बाद मैंने उसकी चूत में ही पानी छोड़ दिया और वो तब तक 2 बार झड़ चुकी थी. फिर उसने मुझे स्मूच किया और अपने कपड़े ठीक करके अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी और फिर हमने अपने मोबाईल नंबर एक्सचेंज किए. वो बहुत खुश हुई, उसने मुझसे वादा किया है कि हम फिर से मिलेंगे, वैसे तो में उससे अब भी फोन सेक्स करता हूँ.

  • चूत की आग नहीं मिट पाई

    हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम प्रतिष्ठा है, वैसे तो में इलाहबाद की रहने वाली हूँ, लेकिन फिलहाल वनस्थली में पढ़ रही हूँ और में दिखने में कुछ ख़ास नहीं हूँ, लेकिन हाँ जिस चीज़ की मर्दो और लड़को को ज़रूरत होती है वो सारी चीज़ें ऊपर वाले ने मुझे भर-भर कर दी है. मेरा फिगर 36-34-38 साईज है. अब में आपको ज्यादा बोर ना करते हुए सीधे स्टोरी पर आती हूँ. ये बात पिछले ही महीने की है. में अपने हॉस्टल से फ्री हुई तो मेरे एग्जाम ख़त्म ही हुए थे और में छुट्टियाँ लेकर हॉस्टल से पैकिंग करके निकलने की तैयारी में थी. अक्सर में 2 या 3 दिन घर लेट ही पहुँचती हूँ इतने दिन में अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही रहती हूँ, तो मेरी पूरी पैकिंग हो गई थी और में अपने हॉस्टल से जयपुर के लिए निकल गई थी. बस ने जयपुर पहुँचने में 2 घंटे लगाये. अब मेरी तो चूत पानी छोड़े जा रही थी कि कब में जयपुर पहुंचू और मेरी चुदाई शुरू हो.

    फिर में बस स्टेंड पहुंची और विशाल से मिली तो उसने मुझे हग किया और इतना ज़ोर से हग किया कि मेरे बूब्स उसकी छाती से चिपककर दब गये. मुझे बहुत मज़ा आया और फिर हमने मूवी देखी वहाँ भी उसने मुझे पूरी तरह से जकड़े रखा. वो कभी बूब्स दबाता तो कभी चूसता और कभी काटता उफफफफफफ्फ़ मेरी तो अब हालत खराब होने लगी थी. फिर मैंने उससे कहा कि अब और सहन नहीं हो रहा है. अब हमें अपना प्रोग्राम स्टार्ट कर देना चाहिए तो उसने कहा कि ठीक है. फिर हम मूवी आधी छोड़कर वहाँ से निकल गये और होटल के रूम में घुसते ही वो मुझ पर किसी भूखे जानवर की तरह टूट पड़ा. वो इतना पागल हो गया था कि मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे वो मेरे कपड़े ही फाड़ देगा. मैंने वैसे भी सूट के नीचे ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी.

    फिर मैंने उससे कहा कि पहले कुछ ऑर्डर कर लेते है क्या जल्दी है? फिर मैंने अपनी हालत ठीक की और उसने ऑर्डर दे दिया था और वेटर स्नेक्स के साथ बियर और विस्की भी ले आया था. विशाल बहुत ड्रिंक करता है तो उसने पीना स्टार्ट कर दिया और थोड़ी मुझे भी पिला दी. अब मेरा सुरूर बना और उसको भी नशा चढ़ा तो वो मेरे ऊपर टूट पड़ा. फिर मैंने उसे पलट दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गयी और अपना कुर्ता उतार दिया. मेरे निपल ऐसे हो रहे थे जैसे फट ही जायेंगे. फिर मैंने अपने हाथ से उसका सर अपने बूब्स पर रखा और वो उन्हें चूसने लगा. फिर मैंने उसकी शर्ट उतार कर उसकी छाती पर किस किया. फिर मैंने उसकी जीन्स खोली और उसका 6 इंच का लंड बाहर निकाला और मैंने जैसे ही उस पर जीभ लगाई तो विशाल ने अपनी आँखें बंद कर ली और वो मौन करने लगा और कहने लगा, हहहाहा हाहाआआ और मुँह में ले, पूरा मुँह में ले और में भी वैसे ही करने लगी.

    फिर उसने मेरा सिर अपने लंड पर दबाया और अब उसका पूरा लंड मेरे मुँह में था. मुझे चूसने में बहुत मज़ा आता है, बिल्कुल रंडी की तरह, अब में लंड चूसे जा रही थी और उसकी हालत खराब हुए जा रही थी. फिर एकदम से वो मेरे मुँह में अपना वीर्य निकालने लगा और में पूरा पी गयी और चाट-चाटकर उसके लंड को साफ कर दिया. अब में उसे खड़ा करने के लिए और चूस रही थी, लेकिन कुछ हो नहीं रहा था. फिर में खड़ी हुई तो मैंने देखा कि विशाल दारू के नशे की वजह से सो चुका है. एक बार तो मेरी आँखो में आंसू ही आ गये, फिर मैंने उसे बहुत जगाया, लेकिन वो पागल उठा ही नहीं. फिर में अपनी सलवार उतार कर चूत में उंगली करने लगी और उस पागल को गाली दे रही थी.

  • ट्रेन में लिया जीजा का मोटा लंड

    हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम रोशनी है और में हरयाणा की रहने वाली हूँ. दोस्तों में सेक्सी की बहुत भूखी हूँ, लेकिन एक रंडी नहीं और मेरी यह आज की कहानी मेरी पराए मर्द से पहली चुदाई की एक घटना है. दोस्तों में अब 42 साल की हूँ और कमल जीजाजी 58 साल के है और मेरे फिगर का साईज 44-40-48 है. मेरी लम्बाई 5 फीट 7 इंच है और कमल 6 फीट 1 इंच लंबे चौड़ी छाती और थोड़ी मोटे है, लेकिन बहुत अच्छे स्वभाव के है.

    दोस्तों अब में आप सभी को मेरा पहला सेक्स अनुभव बताती हूँ. यह मेरा सेक्स कमल से कैसे शुरू हुआ? दोस्तों बात 1996 की है तब में 25 साल की थी. उन दिनों मेरे पति भी आर्मी में थे तभी उनको कुछ बीमारी लग गई और वो बहुत ज्यादा बीमार हो गये और तब ज्यादा मोबाइल नहीं होते थे. तभी मुझे टेलिग्राम से यह मैसेज मिला और में बहुत घबरा गई और मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था. में बस रो रही थी और सोच रही थी कि कैसे अपने पति के पास उनसे मिलने जाऊँ? क्योंकि सफ़र बहुत लंबा था और अंजान था. उसी टाईम मेरे घर पर अपनी पत्नी के साथ कमल मतलब मेरे जीजाजी आ गये मुझसे मिलने ( यानी मेरी मुहं बोली बहन के साथ ) तो मुझे रोते देखकर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या बात है तुम रो क्यों रही हो? तो मैंने उनको सब बता दिया.

    उस समय कमल भी आर्मी में थे और वो मुझसे बोले कि इसमें रोने की क्या बात है अगर तुम्हे उससे मिलना है तो चल में तुम्हे वहां पर लेकर चलता हूँ. फिर दीदी ने ही मुझे कुछ सात्वना दी और उन्होंने मेरे घर पर बात करके मेरे भाई को बुला लिया और मेरे भाई ने मेरे साथ जाने के बजाए कमल को मेरे साथ ले जाने के लिए बोला और मेरे दोनों बच्चों को वो अपने साथ गावं ले गया.

    फिर उसी रात को कमल मेरे पास रहे और सुबह हम लोग एक प्राइवेट बस से दिल्ली आ गये और फिर वहाँ हमने ट्रेन में फर्स्ट क्लास में सीट बुक करवा ली और रात को दस बजे हमारी ट्रेन चली और टिकिट चेक होने के बाद कमल ने दरवाजा बंद करके मुझे ऊपर सुला दिया और खुद नीचे सो गये और बस यही सफर मेरे लिए पहली पराए मर्द से सेक्स की वजह बन गया. रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी और कमल सो गये थे. शायद वो सोने का नाटक कर रहे थे.

    तभी में बाथरूम जाने के लिए नीचे उतरी तो मैंने देख कि कमल का लंड एकदम तना हुआ है और खंबे की तरह खड़ा है. में उनका लंड देखकर एकदम हैरान हो गई और मन ही मन सोचने लगी कि इतना बड़ा लंड आदमी का कैसे हो सकता है? मैंने बहुत बार चाहा लेकिन मेरी नज़र कमल के लंड पर से हट ही नहीं रही थी. उनके लंड को बेड शीट के नीचे से देखकर ही मेरी चूत गीली हो रही थी, लेकिन अब तक में किसी पराए मर्द से चुदी नहीं थी तो इसलिए में आगे नहीं बड़ पा रही थी और फिर जैसे तैसे करके में बाथरूम में चली गई और जब में वहां से वापस आई तो मैंने देखा कि उनका लंड अब भी वैसे ही तना हुआ है और अब में बहुत डरते डरते हुए उनकी सीट पर बैठ गई और बहुत हिम्मत करके उनकी आँखों में आंखे डालकर देखने लगी कि तभी वो मुझसे बोले..

    कमल : क्यों रोशनी नींद नहीं आ रही क्या? वो मेरे उनके पास बैठते ही बोले.

    में : जी हाँ, मुझे नींद नहीं आ रही, थोड़ा डर लग रहा है, लेकिन दोस्तों पता नहीं उनकी क्या हालत होगी?

    फिर कमल मेरा हाथ पकड़ते हुए बोले कि डर लग रहा है तो एक काम करो थोड़ा पानी पी लो, मैंने थोड़ा पानी पिया और उसी बीच मैंने महसूस किया कि वो मुझसे थोड़ा और सटकर बैठ गए और फिर हम कुछ इधर उधर की बातें करने लगे. दोस्तों तब मैंने महसूस किया कि कमल ने अपना लंड मेरी गांड से बिल्कुल सटा रखा था और मुझे अच्छा भी लग रहा था, लेकिन में उनसे कुछ कह नहीं पा रही थी. तभी इतने में एक स्टेशन आ गया. वहाँ पर कमल ने दो कप चाय ली और फिर हमने चाय पी और उस समय रात के करीब दो बज रहे थे. फिर चाय पीने के बाद कमल ने मुझसे कसम देकर पूछा कि रोशनी क्या तू मुझे एक बात सच सच बताएगी?

    में : हाँ अगर मुझे पता है तो में आपको जरुर बताउंगी.

    कमल : तू अभी कुछ देर पहले क्या देख रही थी? क्यों तुझे अच्छा लगा क्या? सच बोलना प्लीज़ अगर तुझे अच्छा लगा तो में तुझे और भी मज़ा दूँगा और अगर नहीं लगा तो में कुछ नहीं कहूँगा?

    दोस्तों यह बात कहकर कमल ने मेरा एक हाथ अपने हाथों में लेकर ज़ोर से दबा दिया और थोड़ा मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखने लगे. फिर जैसे तैसे करके मैंने कहा कि हाँ मुझे अच्छा लगा तो बस फिर क्या था कमल मेरे ऊपर लट्टू हो गये? और अब उन्होंने मुझे अपनी गोदी में कैच कर लिया. फिर में एकदम से उनके ऐसा करने से बहुत आश्चर्यचकित हो गई क्योंकि वो मुझे अपनी छाती पर ज़ोर से दबाने लगे और जिसकी वजह से मेरी छाती उनकी छाती से दब रही थी और मुझमें एक अजीब सा अहसास ला रही थी और मेरे बदन पर उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी और अब कमल मेरे बूब्स को दबाने लगे और मेरी चूत को मसलने लगे और मेरे कपड़े उतारने लगे और फिर वो खुद भी नंगे हो गये और अब उनका लंबा, मोटा, तना हुआ लंड मेरी आँखों के सामने उछल रहा था.

    फिर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में लेकर अब सीट पर लेटा दिया और फिर मेरी चूत को चाटने लगे. दोस्तों वैसे तो मेरे पति ने भी मेरी चूत बहुत बार चाटी थी, लेकिन आज मुझे चूत चटवाने का असली मज़ा कमल से आया. मैंने उनके कुछ देर चाटने के बाद पानी छोड़ दिया और तब कमल ने मुझसे अपना लंड चुसवाया और में उनके लंड का टोपा अंदर बाहर करके उनका लंड चूस रही थी. मुझे उनका लंड पूरा मुहं में लेने में दिक्कत हो रही थी क्योंकि उनका लंड बहुत मोटा था. वो बहुत मुश्किल से मेरे मुहं के अंदर जा रहा था, लेकिन उतनी ही आसानी से मेरे हलक में पहुंच रहा था और ज्यादा लंबा होने की वजह से मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और मेरी आँखों से आंसू बाहर आने लगे थे.

    फिर करीब कोई दो पांच मिनट लंड को चूसने के बाद कमल ने मुझको खिड़की के सहारे घोड़ी बना दिया और अब एक बार मेरी चूत चाटकर एक ही ज़ोर के धक्के में अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया और अब में दर्द होने की वजह से बहुत ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगी थी और अपनी चूत को आगे की तरफ करके लंड को बाहर निकालने की नाकाम कोशिश करने लगी, लेकिन कमल की मजबूत पकड़ और मेरी चूत में फंसे हुए लंड से में थोड़ा भी आगे नहीं बढ़ सकी और अब वो मोटा और सख्त लंड मेरी चूत में लगातार आगे पीछे होने लगा था, लेकिन अब जल्दी ही मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा और में सिसकियाँ लेने लगी उफफफफ्फ़ अहाह्ह्ह्हह्ह हाँ और ज़ोर से चोदो जीजू उुईईईईईईइ माँ मेरी चूत को और ज़ोर से मारो अहह्ह्हह्ह्ह्ह कमल में गई.

    कुछ देर की चुदाई के बाद कमल ने मेरी चूत में अपना वीर्य डाल दिया और फिर वो कुछ देर वैसे ही मेरी चूत में अपना लंड रखकर रुक गया और उसके कुछ देर बाद कमल ने मेरी चूत से अपना लंड बाहर निकाला और मेरी चूत को साफ किया और अपना लंड भी साफ किया. फिर हम दोनों एक ही सीट पर पूरे नंगे बैठकर एक दूसरे की बाहों में आकर प्यार करने लगे और चूमने चाटने लगे. फिर उस पूरी रात को दूसरी सुबह तक हमने करीब तीन बार जमकर सेक्स किया. मुझे उसकी चुदाई में बहुत मज़ा आया और फिर में अपने कपड़े पहनकर बहुत थककर गहरी नींद में सो गई, लेकिन कमल नहीं सोए और दोपहर को जब में नींद से उठी तो मैंने देखा कि ट्रेन एक स्टेशन पर खड़ी हुई थी और कमल ने खाना मँगवाया और ख़ाना खाकर हम दोनों फिर से सो गये.

    उस रात को फिर से एक बार मेरी उस ट्रेन में बहुत जमकर चुदाई हुई और इस तरह से में कमल से चुदते हुए अपने पति के पास पहुँच गई और वहां से वापसी में भी हमने दो बार बहुत मस्त चुदाई की और उसके बाद जब तक मेरे पति जॉब पर रहे में कभी उनके साथ नहीं गई, में बस छुट्टियों में ही उनसे चुदवाती और बच्चों की पढ़ाई का बहान करके में उनकी गैरमोजूदगी में कमल से बहुत मस्त चुदवाती रही और बहुत बार कमल ने मुझे अपने फार्म हाउस में भी अपने साथ ले जाकर वहां पर चोदा है और मैंने उसकी चुदाई के बहुत मज़े लिए और हर कभी कोई अच्छा मौका देखकर उससे चुदवाती रही और एक बार बरसात में भीगते हुए भी कमल से मेरी चुदाई हुई. उसने मेरी चूत को अब चोद चोदकर पूरी तरह से भोसड़ा बना दिया. दोस्तों ये थी मेरी चुदाई की सच्ची घटना.

  • साले की बीवी के साथ नंगा खेल

    हैल्लो दोस्तों, यह आज से 2 महीने पहले की बात है. में छुट्टियों में मेरी बीवी को उसके मायके छोड़ने के लिए में मेरे ससुराल गया था और वहाँ मेरे सास, ससुर, बड़ा साला और उसकी पत्नी एकता (जो इस कहानी की हिरोईन है) और उसकी बेटी रहते है. में मेरी बीवी को वहाँ छोड़कर दूसरे दिन वापस आने वाला था और एकता का मायका भी मेरे शहर में ही था.

    मेरे बड़े साले ने कहा कि जीजा जी अगर आपको कोई प्रोब्लम ना हो तो एकता को भी अपने साथ ले जाओ तो मुझे वहां तक उसे छोड़ने नहीं आना पड़ेगा. तो मैंने हाँ कर दी और दूसरे दिन हमारी रात की बस थी और हमे स्लीपर कोच में सीट मिली थी. हम लोग ट्रेवल्स के ऑफिस पर आ गये और बस रात को एक बजे की थी तो हम लोग बस में चढ़ गये. पहले मैंने एकता से कहा कि तुम पहले चढ़ जाओ और उस टाईम उसने फिटिंग वाला पंजाबी सूट पहना था और वो मुझसे छोटी है इसलिए में उसे तुम कहता हूँ, तो मैंने उसे बर्थ पर चढ़ने में मदद की.

    अब तक मेरे मन में कोई ख्याल नहीं था, लेकिन जैसे ही मैंने उसे बर्थ पर चढ़ने में मदद की तो मेरा हाथ उसके कूल्हों को टच हुआ और मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया. मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कोई मक्खन पकड़ा हो और फिर में भी बर्थ में चढ़ गया और बस हाइवे पर आते ही उसकी लाईट ऑफ हो गई.

    एकता ने मुझे कहा कि जीजू आपको सोना है तो सो जाओ, मुझे नींद नहीं आती है, में बैठी हूँ. तो में सो गया और फिर आधे घंटे के बाद जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि एकता भी सीधी होकर सो गई है. फिर मैंने आँख खोलकर देखा तो उसका दुपट्टा साईड में पड़ा था और उसके दोनों बूब्स उसकी सांस के साथ ऊपर उठते थे और फिर अचानक से मुझे छींक आई और एकता उठी तो वो मेरी तरफ पीठ करके सो गई, में तो उसे ही देखता रह गया, लेकिन कुछ कर नहीं पाया.

    फिर थोड़ी देर के बाद में भी एकता की पीठ की तरफ मुँह करके सो गया. फिर बस जैसे ही ब्रेक मारती या गढ्ढे में जाती तो मेरा शरीर एकता को टच हो जाता और में पागल सा हो जाता. फिर मैंने मौके का फायदा उठाया और उसके ज़्यादा करीब सो गया और मेरा लंड तनकर पूरा 9 इंच का हो गया था और वो एकता की गांड को टच कर रहा था.

    मेरी नींद उड़ चुकी थी और में तो आँख बंद करके मज़े ले रहा था और फिर अचानक मुझे नींद आ गई और थोड़ी देर के बाद जब आँख खुली तो एकता का दबाव मेरी तरफ बढ़ गया था और उसकी गांड मेरे लंड से एकदम चिपक गई थी और मेरे लंड के पानी से टोपा भी गीला हो गया था. फिर मैंने सोचा कि एकता तो नींद में है, तो में सीधा लेट गया और मेरी ट्राउज़र पेंट में तंबू बना हुआ था. फिर उतने में एकता भी मेरी तरफ मुँह करके सो गई और में भी लेटा हुआ था और मेरी आँख फिर लग गई.

    फिर थोड़ी देर के बाद मेरा हाथ उसके 36 साईज के बूब्स को टच हुए और उसका कोई जवाब नहीं आया, तो में जैसे तैसे उसे दबा देता था और उतने में होटल आया तो में ऐसे ही सीधा होकर सोने का नाटक करने लगा और भूल गया कि मेरा तंबू बहुत बड़ा है. फिर एकता उठी और वो तंबू देखकर देखती ही रह गई और उसने मुझे उठाया लेकिन में जानबूझ कर सोने की एक्टिंग करने लगा तो वो मेरा तंबू देखती रह गई और उतने में, में उठा और उससे पूछा कि क्या हुआ? क्या देख रही हो?

    वो मुस्कुराई और शरमा गई और कहा कि कुछ नहीं नीचे उतरो होटल आ गई है. फिर हम लोग नीचे ऊतरे और वापस चढ़ते वक़्त उसने मुझसे कहा कि जीजू में आपको मिस कॉल दूँ, तभी आप ऊपर आना. में सोच में पड़ गया और ओके कहकर नीचे ही खड़ा रह गया. फिर 7-8 मिनट के बाद एकता का मिस कॉल आया और में बस में चढ़ गया और मैंने उससे कुछ पूछा नहीं और कहा कि अब सीधा 2 घंटे के बाद अपने शहर पहुचेंगे तो तुम सो जाओ.

    फिर बस चालू हुई और लाईट बंद हुई और अब में एकता को चोदने की सोच रहा था, जो कि मुमकिन नहीं था और में सो गया. फिर अचानक 15 मिनट के बाद मुझे मेरे लंड पर कुछ महसूस हुआ, तो मैंने देखा वो तो एकता का हाथ था और उसकी तरफ देखा तो वो सोई हुई थी. फिर वो मेरी तरफ पीठ करके सो गई, लेकिन इस बार वो मुझसे ज़्यादा नज़दीक सो गयी थी और मेरा लंड उसकी गांड को टच हो रहा था.

    तब मुझे लगा कि उसने पेंटी निकाल दी है और इसलिए मुझे थोड़ी देर बाद बस में आने को कहा, फिर में दूसरी तरफ मुँह करके सो गया. फिर हमारा शहर आया, तब रात के 4 बजे थे. फिर हम लोग बस से उतरे और मेरे घर आये और फिर मैंने घर से बाइक की चाबी ली और उसे उसके घर छोड़ने के लिए बाइक के पास गया, तो बाइक में पंक्चर था तो एकता बोली कोई बात नहीं सुबह छोड़ देना.

    फिर हम लोग घर में आए और कपड़े बदले और मैंने एकता से कहा कि तुम बेड पर सो जाओ, में नीचे सो जाता हूँ. तभी उसने हंसकर मेरी तरफ देखा और कहा कि क्यों बस में तो बड़े मज़े ले रहे थे जीजू? फिर में कुछ नहीं बोल पाया और वो मेरे पास आई, उसने गाउन पहन लिया था और बोली क्यों मैंने कुछ ग़लत कहा क्या?

    फिर मैंने उससे सॉरी कहा और बोला कि तुम्हारा शरीर मुझसे टच हुआ इसलिए में कंट्रोल नहीं कर पाया था. तब उसने कहा कि सॉरी क्यों? में भी तुम्हारा तंबू देखकर उसकी दीवानी हो गई हूँ. इतना कहते ही मैंने उसे एक लिप किस कर दिया और बेड पर लेटा दिया और उसे चूमने लगा और चूमते-चूमते कब हम दोनों नंगे हो गये पता ही नहीं चला.

    उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और बोली कि तुम्हारे साले साहब का तो सिर्फ़ 4 इंच का है और 5 मिनट में ही झड़ जाते है, मैंने बस में जब से तुम्हारा लंड देखा है तब से ही में सोच में थी कि जीजू के साथ ज़रूर नंगा खेल खेलूँगी.

    फिर मैंने उसके बूब्स चूसे तो उसके मुँह से.. आआआआआआहह निकल गई. फिर में धीरे-धीरे उसकी चूत के पास आया और देखा तो उसकी एकदम कुंवारी चूत लग रही थी, बाल कम थे और वो गुलाबी थी. तो मैंने उस पर अपना मुँह रखते ही वो.. उईईईईईईईआआआआ करके चीख पड़ी और गांड उठाकर चूत चटवाने लगी.

    5 मिनट के बाद बोली कि जीजू जान अब मत तड़पाओ आ जाओ बना लो मुझे अपनी और में उसके ऊपर आ गया और मेरा लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे से धक्का मारा तो वीर्य की वजह से मेरा टोपा घुसा और वो चिल्ला उठी.. हाईईईइ मार डालल्ल्ल्ल्ल्ल्ला आआईई. फिर मैंने एक और झटका मारा और मेरा 9 इंच का लंड सीधा उसकी चूत में चला गया.

    फिर थोड़ी देर रुकने के बाद वो खुद ही अपने कूल्हें उठा-उठाकर चुदवाने लगी और पूरा रूम फ़च फ़च और आाआह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह की आवाज़ से गूंजने लगा. फिर 30 मिनट के बाद जब में झड़ने वाला था तो मैंने उठने की कोशिश की तो उसने कहा कि नहीं अंदर ही डाल दो, आज ही मेरी सच्ची सुहागरात हुई है और में उसके अंदर ही झड़ गया.

    हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गये. सुबह 8 बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि एकता मेरे लंड पकड़े हुए सोई हुई है और फिर से मेरा हथियार तैयार था तो वो उठी और मुझे एक किस किया. फिर मैंने उससे कहा कि चलो में तुम्हें घर छोड़ दूँ तो बोली पहले नहा लेते है तो मैंने पूछा क्या मतलब? तो वो बोली कि हम दोनों साथ में नहाते है और साथ में नहाकर हम तैयार हुआ और उसे उसके घर छोड़ आया.

  • बस में बोबे दबवाकर मजा लिया

    हैल्लो दोस्तों, यह मेरी पहली Hindi sex story है तो दोस्तों अगर मुझसे इसमें कुछ ग़लती हो गई हो तो प्लीज मुझे माफ कर देना. दोस्तों मेरी उम्र 20 साल है और में दिखने में एकदम सेक्सी लड़की हूँ. मेरे बूब्स और गांड मुझे देखने वालों के लंड को खड़ा कर देते है. मेरी पतली कमर, बड़ी सी गांड, गोल गोल आकार के बूब्स मेरे टाईट कपड़ो से हमेशा बाहर की तरफ दिखते है. मेरे फिगर का साईज 34-26-36 है और देखा जाए तो दोस्तों वैसे मेरे बूब्स कुछ ज़्यादा ही बड़े है और सुंदर भी है जिसे कोई भी मर्द देखते ही दबा देगा और मेरा बॉयफ्रेंड भी उन्हे बहुत दबाता है, लेकिन फिर भी मेरी भूख मिटती ही नहीं है. तो बस में आते जाते कोई भी दबा देता है और में मज़े ले लेती हूँ, लेकिन इस बार बात कुछ अलग थी.

    एक बार में अपने मामा के घर से बस में बैठकर अपने घर पर वापस आ रही थी और मेरा पूरा सफर रात का था तो मामा जी मुझे बस स्टॉप पर छोड़ने आए थे और बस में चड़ते ही मुझे एक खिड़की वाली सीट मिल गई और में वहां पर बैठ गई. वहां एक कम उम्र का आदमी मेरी पास वाली सीट पर बैठा हुआ था, वो दिखने में एकदम सीधा-साधा लग रहा था और फिर बस रात के करीब 8 बजे वहां से रवाना हुई. मैंने उस समय एक काली कलर की शर्ट और गुलाबी कलर की स्कर्ट पहनी हुई थी जिसमे से मेरी काली कलर की ब्रा साफ नज़र आ रही थी और मैंने पेंटी हरे कलर की पहनी हुई थी.

    दोस्तों वैसे तो में अभी तक वर्जिन ही थी, लेकिन में बहुत फिंगरिंग करती थी और कभी कभी मेरा बॉयफ्रेंड भी करता था. तो बस में बैठते ही मुझे वो दिन याद आ गया जब मेरा एक गणित का टीचर मुझे अलग से क्लास देने के बहाने मेरे बूब्स को दबाता था और अब उस बात को सोचकर मेरा थोड़ा उंगली करने का मन कर रहा था, लेकिन में अभी बस में हूँ यह बात सोचकर मैंने अपनी भूख को दबा लिया, लेकिन मुझे मेरी गीली पेंटी मुझे वो अहसास दे रही थी. तो में कुछ देर के बाद मामी के दिए हुए पराठे, सब्जी खाकर सोने चली. इतने में मेरे पास वाले अंकल ने मुझसे कहा कि बेटा प्लीज थोड़ा खिड़की को बंद करना. मैंने कहा कि हाँ जी अंकल और मेरे बहुत कोशिश करने के बाद भी जब खिड़की बंद नहीं हो रही थी. तो मैंने उन अंकल से फिर से कहा कि अंकल आप ही कोशिश करो ना, यह मुझसे बंद नहीं हो रही है.

    तो यह बात सुनकर वो मेरी तरफ झुककर खिड़की को बंद करने लगे और अब उनकी कोहनी ठीक मेरे बूब्स के ऊपर थी और वो जैसे जैसे कोशिश करते मेरे बूब्स दबते जाते, मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो ऐसा अपनी मर्जी से नहीं कर रहे थे और मैंने उनसे कुछ नहीं कहा. फिर हम सो गये और कुछ देर के बाद अचानक से मुझे मेरी छाती पर कुछ भारी सा वजन महसूस हुआ जिसकी वजह से में बहुत डर गई और मेरी नींद खुल गई.

    जब मैंने अपनी आंख खोलकर देखा तो वो अंकल का एक हाथ था जो मेरी छाती के ऊपर रखा हुआ था और कुछ देर के बाद वो हाथ मेरे बूब्स को कपड़ो के ऊपर से धीरे धीरे सहलाने और दबाने लगा, लेकिन मैंने ऐसा नाटक किया कि जैसे में बहुत गहरी नींद में हूँ. मैंने उनका किसी भी तरह का विरोध नहीं किया बस में तो चुपचाप मज़े लेने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मुझे बहुत अच्छा लगने लगा, क्योंकि वो मेरे बूब्स को बहुत अच्छी तरह धीरे धीरे दबा रहे थे और मेरे बूब्स की मसाज कर रहे थे.

    फिर कुछ देर के बाद मैंने महसूस किया कि उनका दबाव अब धीरे धीरे मेरे बूब्स पर बढ़ने लगा था, वो अपनी स्पीड को बढ़ाने लगे और में तो उस रात के लिए उसी की हो गयी थी और क्यों ना होऊँ, पिछले 15 दिन से में अपने बॉयफ्रेंड से दूर जो थी और इतने में मैंने मोन करना शुरू कर दिया था और वो जितना ज़ोर से दबाए में उतना ही ज़ोर से मोन करने लगी और वो और ज़ोर से दबाने लगा. फिर इतने में तो वो समझ गया था कि में जागी हुई थी तो उसने धीमी आवाज़ में मुझसे कहा कि आवाज़ मत कर कुतिया वरना तेरे यह बूब्स काटकर रख दूँगा और लोग जाग जाएँगे तो सभी लोग तुझे एक रंडी मानेंगे.

    उसके मुहं से यह बात सुनकर मुझे बहुत डर लगने लगा और में बहुत धीमी आवाज़ में मोन करने लगी. दोस्तों मज़ा तो मुझे भी बहुत आ रहा था और फिर कुछ देर के बाद उसने आगे की तरफ बड़ते हुए मेरी शर्ट का पहला बटन खोला और काली कलर की ब्रा में ज़बरदस्ती घुसाए हुए मेरे बूब्स को देखते ही वो एकदम पागल जैसे हो गया और वो ज़ोर से दबाने लगा और बूब्स को चूसने लगा और बूब्स को ऊपर नीचे हिलाने लगा और अब मुझे दर्द होने लगा था. आज तक किसी ने भी इतना ज़ोर से मेरे बोबे को नहीं दबाया था और दर्द के कारण मेरी आंख से आंसू आने लगे, लेकिन में कुछ भी करने लायक हिम्मत में नहीं थी.

    तो इतने मे उसने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल दिए थे और अब पीठ के पीछे से हाथ डालकर ब्रा के भी हुक खोल दिए और अब मेरे शरीर का उपरी हिस्सा पूरा नंगा हो चुका था और में एक अजीब तरह का महसूस कर रही थी और उस समय बस में सारे लोग सो रहे थे, सिवाए हम दोनों और ड्राइवर के. दोस्तों आज तक में सिर्फ़ अपने बॉयफ्रेंड के सामने ही नंगी हुई हूँ और सिर्फ़ उसी ने ही मेरे बूब्स को देखा है और मेरे निप्पल को चूसा है और आज मुझे एक अंजाने आदमी के सामने आधा नंगा होकर शरम आ रही थी.

    में पहले अपने आपको छुपाने की नाकाम कोशिश करती रही, लेकिन मेरी हर एक कोशिश बेकार रही. तो वो मेरे बूब्स के साथ फिर से खेलने लगा और इस बार उसने एक हाथ से मेरे बूब्स को दबाया तो दूसरे हाथ से मेरी पेंटी को सरकाकर कमर से नीचे घुटनों तक ला दिया और मेरी चूत के मुहं पर हाथ घुमाने लगा और मेरी चूत को खोलने की कोशिश करने लगा.

    उसके ऐसा करने से मेरे पूरे शरीर में जोश से भरे झटके लगने लगे और में धीरे धीरे पूरी तरह से गरम होने लगी और फिर उसने अपनी एक उंगली को धीरे से चूत के अंदर किया और मुझे चोदने लगा. फिर मुझे फिर से पूरा मज़ा आ रहा था और वो अब मुझे धीरे धीरे अपनी तीन उँगलियों से चोदने लगा और में तो मज़े से बिल्कुल पागल होने वाली थी कि इतने में उसने मेरा एक बूब्स अपने मुहं में ले लिया.

    दोस्तों वाह क्या सक किया उसने? मेरा बॉयफ्रेंड तो कभी भी कर ही नहीं पाएगा. वो मुझे ऐसे सक कर रहा था जैसे मानो दूध पीता हुआ बच्चा कर रहा हो और नीचे तीन उंगलीयों से मेरी चूत को फाड़ रहा था. दोस्तों में तो खुशी के मारे पागल होने लगी और ऐसे करते करते करीब दो घंटे हो गए थे और में बहुत थक गयी थी, लेकिन उसके हाथ तो बिल्कुल भी नहीं थके थे, लेकिन तभी मैंने देखा कि वो मुझे छोड़कर एक मिनट के लिए अपनी ज़िप को लेकर व्यस्त हो गया. तो मेरे समझ में आया कि वो अब अपने लंड को बाहर निकालने जा रहा था और फिर उसके लंड को देखते ही में तो एकदम से डर गई, क्योंकि मेरे बॉयफ्रेंड का लंड तो इसका आधा भी नहीं था.

    उसने मेरा मुहं अपने लंड के पास लाकर मुझसे कहा कि डर मत, चोदूंगा नहीं सिर्फ़ तू ऐसे ही मेरे लंड को चूस दे. में उसके कहने के हिसाब से चूसने लगी और कुछ देर बाद उसने मेरे मुहं में ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर अपना पूरा वीर्य निकाल दिया. मुझे बहुत घिन हो रही थी. मैंने वहीं पर थूक दिया और अब उसका बड़ा सा लंड थोड़ा मुरझा गया था और इस बार वो थोड़ा थक भी गया था. कुछ देर आराम लेने के बाद उसने अपना लंड मेरे दोनों बूब्स के बीच में रखकर मेरे बूब्स को चोदने लगा.

    दोस्तों यह मेरी सबसे अच्छी पोज़िशन है क्योंकि में अक्सर यह वाली पोज़िशन अपने बॉयफ्रेंड के साथ करती हूँ तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और ऐसे ही मेरे बूब्स की चुदाई करते हुए उसने कहा कि तू अभी बच्ची है इसलिए तेरी चूत को लंड से नहीं चोदा, वर्ना आज तेरी चूत का स्वाद मेरा लंड लेकर ही रहता, तेरे जैसा माल मुझे आज तक कभी भी नहीं मिला, तू मेरे साथ रहती तो में तेरे बूब्स को दबा दबाकर एक महीने में दुगना बड़ा कर देता, लेकिन इसके बाद तू अपने रास्ते में अपने रास्ते. तो उसकी बातों से में थोड़ी सी शरमाई और हंसकर बोली कि तूने मुझे आज एक लड़की से औरत बना दिया, में यह अहसान कभी नहीं भूल सकती, यह बोलते ही वो मुझे वैसे ही हालात में छोड़कर अपना लंड पेट के अंदर डालकर बस से उतर गया.

    फिर में कुछ देर तक बिल्कुल चुपचाप बैठी रही. मेरे बूब्स पर बहुत दर्द हो रहा था और उस दर्द के मारे मुझे रोना भी आ रहा था और फिर धीरे धीरे मैंने अपनी ब्रा पहनी शर्ट पहनी और अपनी पेंटी को चेंज कर लिया क्योंकि वो वाली पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और सुबह होने से पहले में एकदम ठीक भोली भाली सी लड़की बन गई थी, लेकिन उस दिन की तरह चुदाई की खुशी मुझे आज तक कोई भी नहीं दे सका और में उस सफर को आज भी बहुत याद करती हूँ. में उसे अब तक नहीं भुला सकी हूँ.

  • हाइवे पर गांड मरवाई

    हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम विमला है और में इंदौर की रहने वाली हूँ और यह कहानी आज से 2 साल पहले की मेरी और मेरे बॉयफ्रेंड की है. अंकित को भोपाल में कुछ काम था, तो वो मुझे भोपाल लेकर जाना चाहता था और वो चाहता था कि में भी उसके साथ जाऊं और एक बार अंकित ने कहा, तो मेरा मना करने का सवाल ही नहीं उठता था.

    मैंने अपने घर में बहाना बनाया और में शुक्रवार की शाम अंकित के साथ निकल गई, अंकित अपने दोस्त की कार लाया था. में अगले दो दिन अंकित के साथ ही रहने वाली थी. मैंने अपनी ब्रा, पेंटी और स्कर्ट्स पैक कर ली, जो मुझे अंकित ने गिफ्ट कि थी. मैंने पूरी तरह क्लीन शेव रहना शुरू कर दिया था. में अंकित की गाड़ी में जैसे ही बैठी, अंकित ने ज़ोर से मेरा बूब्स दबाया, मैंने भी रिटर्न में अंकित को स्माइल दी और आगे झुक कर एक लिप पर किस किया, उसने ड्राईव करना स्टार्ट किया और सारे ग्लास चढ़ा कर ए.सी चालू कर दिया, इस समय शाम के 7-8 बज रहे थे.

    करीब एक घंटे की ड्राईव के बाद हम सिटी से बाहर आ गये थे और म्यूज़िक सिस्टम पर कम आवाज में म्यूज़िक बज रहा था में अंकित के साथ मजे कर रही थी. फिर अचानक पता नहीं क्या सोच कर अंकित ने अपनी पेंट की चैन खोल दी और अपना लंड बाहर निकाल दिया और उसको हाथ में लेकर धीरे-धीरे मुठ मारने लगा.

    उसने अपना हाथ मेरे सिर पर रखा और मेरा मुँह उसके लंड कि तरफ खींचते हुए कहा “चल मेरी रानी शुरू हो जा” अंकित के लंड की तो में वैसे ही दीवानी थी. मैंने झट से लंड मुँह में ले कर चलती कार में ही चूसना शुरू कर दिया. अंकित आराम से हाइवे पर कार चला रहा था और में पास की सीट पर बैठ के उसका लंड चूस रही थी और अंकित को मज़े आ रहे थे. अब वो आअहह ऊहह की हल्की-हल्की आवाज़ें निकाल रहा था और वो उसके हाथ से कभी कभी मेरे बालों से खेल रहा था. मैंने अपना चेहरा पूरी तरह उसकी झाटों में गड़ा रखा था और लंड को अच्छे से चूसने में लगी थी.

    फिर अंकित ने गाड़ी हाइवे पर साईड में रोककर कार की लाईट चालू कर दी और मेरा चेहरा पकड़कर किस करने लगा. वो काफ़ी गर्म हो चुका था. उसकी टांग मेरी टांग से लिपटी हुई थी, में भी बीच बीच में उसकी जुबान को अपने मुँह में लेकर उसे चूस रही थी और उसने इतने अच्छे से फ्रेंच किस मुझे कभी नहीं दी थी. फिर उसने मुझे पीछे वाली सीट पर जाने को बोला और खुद भी उतरकर पीछे चला गया. मैंने कभी कार में अपनी गांड नहीं मरवाई थी और ये मेरे लिए एक नया अनुभव था.

    उसने पीछे जाकर अपनी पेंट पूरी तरह उतार दी, मैंने भी अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स उतार दिए और हम पूरे नंगे हो गये. फिर में खिसक कर उसके पैरों के बीच में बैठ गई और उसने अपनी दोनों टांगे उठाकर आगे वाली सीट के ऊपर रख दी और में उसका लंड चूसने लगी. में थोड़ी देर लंड चूसती, तो फिर कुछ देर बाद उसके आंड चाटने लगती, फिर थोड़ी देर उसकी गांड चाटने लगती.

    अंकित को मेरा गांड चाटना बहुत पसंद था, इससे उसका लंड स्टील की तरह खड़ा हो जाता था, मुझे भी उसको खुश करना अच्छा लगता था, इसलिये मुझे उसकी गांड चाटना भी अच्छा लगता था. काफ़ी देर ऐसे ही गांड चाटने के बाद उसने मुझे ऊपर खींचा और मेरे लिप पर किस किया और फिर मुझे अपनी गोद में बैठाया. में उसके दोनों साईड पैर रखकर उसकी तरफ मुँह करके बैठ गई.

    अंकित तो अब पागल हो रहा था, वो अब मेरी गर्दन पर किस करते करते मेरे निपल्स तक पहुँच गया था, फिर उसने मेरा निप्पल मुँह में ले लिया और उसके साथ अपनी जीभ से खेलने लगा. फिर मैंने उसका सिर अपने हाथों से अपने बूब्स पर दबाया और अपने निप्पल को उसके मुँह में दबाने लगी, में पूरे टाइम “ओह अंकित आअहह…अया… अंकित…. ओहओ….अयाया… आराम से अंकित” की आवाजे निकाल रही थी.

    फिर अंकित ने मुझसे सीट पर लेटने को कहा, मुझे पता था वो क्या करने वाला है में झट से सीट पर लेट गई और अपनी टाँगे हवा में उठा ली. फिर अंकित ने अपना लंड गांड के छेद पर लगाया और अंदर धकेलने लगा, मैंने अपने हाथ उसके चूतड़ो पर रखकर उसको अंदर खींचने लगी, आह्ह्ह अंकित ओह हनी.

    अंकित ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए और फिर मैंने भी अपनी गांड को धक्का देकर उसके धक्को का साथ देने लगी. फिर अंकित आगे झुका और मुझे किस किया और फिर अपनी उंगलियों से मेरे बूब्स से खेलने लगा और यह सब करने से मेरी चूत बिना लंड को टच किए ही पानी छोड़ने लगी थी. अंकित ने अपनी उंगली को चूत के पानी से गीला किया और मेरे मुँह में वो उंगली घुसा दी.

    फिर मैंने अंकित कि उंगली चाट के साफ कर दी. अब अंकित के धक्को की स्पीड बढ़ गई थी और में भी अंकित को और ज़ोर से करने के लिए बोल रही थी “ज़ोर से अंकित और तेज़, में तुम्हारी रंडी हूँ, चोद डालो इस रांड़ को, मेरी गांड का फाड़ दो आज, अया अया… हाँ अंकित और ज़ोर से, आई लव यू अंकित आआआह्ह्ह्ह. फिर एक ज़ोर के झटके के साथ अंकित ने अपना पानी मेरी गांड में छोड़ दिया.

    2 मिनट साँस लेने के बाद अंकित ने अपना लंड बाहर निकाला, मैंने अच्छी रखेल की तरह उसका लंड चूस के साफ कर दिया. फिर जब में कपड़े पहनने लगी, तो अंकित ने मुझे नंगे ही आगे बैठने को कहा और में भी उसकी बात मान कर आगे बैठ गई और फिर उसने कार ड्राईव करना शुरू कर दी. वो बीच बीच में कभी मेरे निपल पर हाथ फेरता, तो कभी गांड सहलाता, तो कभी ऊँगली डालता और पूरे रास्ते हमने खूब मजा किया.

  • बस में अंजान लड़की के साथ

    हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम अतुल मेहरा है और मेरी उम्र 20 है और में यमुनानगर का रहने वाला हूँ.. दोस्तों यह बात उन दिनों की है.. जब में 20 साल का था और में किसी काम से कुछ दिनों के लिए दिल्ली गया हुआ था.. तो मेरा पूरा दिन दिल्ली में अपना काम खत्म करने में ही लग गया और इस वजह से में अपने एक बहुत अच्छे दोस्त से भी नहीं मिल पाया.. जो कि दिल्ली में रहता है और मुझे उसी शाम को वापस निकलना पड़ा. लगभग 7 बजे में दिल्ली बस स्टैंड पर यमुनानगर की बस पकड़ने गया और जब में वहाँ पर पहुँचा.. तो एक बस निकलने को थी और में जल्दी से उस बस में चढ़ गया.. लेकिन उस बस में एक भी सीट खाली नहीं थी.

    फिर मैंने दूसरी बस का इंतजार करना ठीक नहीं समझा और चुपचाप बस में पीछे जाकर खड़ा हो गया और मैंने देखा कि मेरे पीछे एक लड़की भी बस में चड़ी. उसके पास एक बहुत भारी बेग था.. जिस वजह से उसे चलती बस में चढ़ने में प्रोब्लम हो रही थी और में पिछले दरवाजे के पास ही खड़ा हुआ था. फिर मैंने उस लड़की का बेग पकड़ लिया.. ताकि वो बस में आसानी से चढ़ सके और बस में चड़ने के बाद उसने मुझे धन्यवाद बोला. फिर मैंने भी हल्की सी स्माईल के साथ उसे वेलकम कहा. दोस्तों वो लड़की बहुत सुंदर थी और क्या फिगर था उसका.. मेरे हिसाब से उसके फिगर का साईज 34-26-36 रहा होगा.

    फिर मैंने उसके बेग को ठीक जगह पर सेट किया.. लेकिन उसे भी मेरी तरह बस में खड़ा होना पड़ा.. क्योंकि बस में एक भी सीट खाली नहीं थी और वो मुझसे थोड़ी आगे खड़ी हुई थी. फिर मैंने कुछ ज्यादा ध्यान नहीं दिया.. क्योंकि मेरी किसी भी लड़की को घूरने की आदत नहीं है और फिर बस स्टैंड से कुछ दूरी पर ही बाहर निकली थी और लगभग 20 या 25 मिनट बाद वो बाईपास पर पहुँचकर रुक गई.. तो वहाँ से बहुत सारे लोग बस में चड़े.. जिस वजह से बस में काफ़ी भीड़ हो गई.. क्योंकि कुछ इक्के दुक्के लोग बीच में भी बस में चड़े थे.

    अब वो लड़की बिल्कुल मेरे पास मुझसे सटकर खड़ी हुई थी और वो क्या मस्त लग रही थी. उसने पटियाला सूट पहना हुआ था.. शायद वो एक पंजाबी लड़की थी और वैसे में भी पंजाबी लड़को की तरह दिखने में अच्छा हूँ.. मेरी हाईट 5.10 इंच है और फिर वो लड़की मेरे इतने करीब थी कि में उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर रहा था. तभी बस थोड़ी दूरी पर एक जगह रुकी और दो लोग पिछले गेट से और चढ़ गये.. इस वजह से में और वो लड़की एक दूसरे से बिल्कुल चिपक गये और अब हमारे जिस्म के बीच से हवा तक भी बाहर नहीं निकल सकती थी.. लेकिन उसने बस में ज्यादा भीड़ होने की वजह से मुझसे कुछ भी नहीं कहा. उसने गहरे गले वाला कुर्ता पहना था.. जो कि आगे और पीछे दोनों साईड से गहरे गले का था.. लेकिन पीछे का गला कुछ ज़्यादा ही बड़ा था और उसकी गर्दन के पीछे वाली साईड से उसका गोरा रंग देखकर मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा था और में उस लड़की से फिर भी जगह बनाकर खड़ा होने की कोशिश कर रहा था.. लेकिन बस में इतनी भीड़ हो गई थी कि मुझे उससे चिपककर ही खड़ा होना पड़ रहा था और ऊपर से मेरा लंड खड़ा होने लगा था. फिर मैंने अपना ध्यान और कहीं पर लगाने की बहुत कोशिश की.. लेकिन हूँ तो में भी एक मर्द ना.. कितनी भी कोशिश कर लूँ.. लेकिन अपने लंड पर कंट्रोल नहीं कर सकता और इसी वजह से मेरा लंड उसकी गांड को छूने लगा. तभी उसने पीछे मुड़कर मुझे देखा.. लेकिन में क्या कर सकता था.. भीड़ ही इतनी थी कि थोड़ी देर तक तो उसने सहन किया.. लेकिन जब उसे महसूस हुआ कि मेरा मोटा लंड उसकी गांड में घुसा ही जा रहा है.. तो वो सीट का सहारा लेकर थोड़ा तिरछा होकर खड़ी हो गई.. इस वजह से जगह थोड़ी टाईट हो गई और मेरा लंड उसकी जांघ पर छूने लगा.

    वाह क्या कोमल जिस्म था उसका और ऐसे खड़े होने की वजह से उसके बूब्स की लाईन भी मुझे दिख रही थी.. क्योंकि उसके सूट का गला बहुत बड़ा था.. जिसकी वजह से उसके बूब्स मुझे साफ दिख रहे थे. उसके बहुत मस्त बूब्स थे.. एकदम टाईट बड़े बड़े और गोल थे. इस तरह खड़े होने की वजह से तो और प्रोब्लम हो रही थी. उससे वो बार बार मेरी तरफ देख रही थी और पता नहीं उसके मन में क्या आया और वो फिर से वैसे ही खड़ी हो गई.. जैसे पहले खड़ी थी.

    फिर से मेरा लंड उसकी गांड पर रगड़ खा रहा था और उसने फिर से मुड़कर पीछे देखा. फिर मैंने धीरे से उसके कान में बोला कि बस में भीड़ बहुत है और में तो ऐसा कुछ करना नहीं चाहता.. लेकिन पता नहीं यह खुद ही हो रहा है.. क्योंकि तुम बहुत सुंदर हो. फिर वो मेरी यह बात सुनकर धीरे से हंस पड़ी और मैंने भी उसको हल्की सी स्माईल दी और अभी भी मेरा लंड उसकी गांड पर ही था.. लेकिन अब उसकी तरफ से कोई भी विरोध नहीं था और कहीं ना कहीं वो भी मेरे शरीर से आकर्षित हो गई थी और में धीरे धीरे उसकी गांड पर लंड को रगड़ने लगा.. तो वो भी मज़े कर रही थी और फिर मैंने उससे उसका नाम पूछा.. तो उसने अपना नाम कनिका बताया ( नाम बदला हुआ है क्योंकि में किसी भी लड़की को बदनाम नहीं कर सकता ) और उसने मुझे बताया कि वो चंडीगढ़ से ही है और दिल्ली से अपनी पढ़ाई कर रही है और फिर धीरे धीरे हमारी बातों का दोर आगे बड़ने लगा और वो अब मुझसे बहुत खुल गई थी और हमारे बीच गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड की बातें चल पड़ी और उसका बॉयफ्रेंड दिल्ली में ही था.

    फिर उसने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हरी कोई गर्लफ्रेंड है. फिर मैंने हाँ बोल दिया.. उसने मुझसे कहा कि क्यों तुम्हारी गर्लफ्रेंड तो तुमसे बहुत खुश रहती होगी. मैंने बहुत हैरानी से पूछा कि तुम्हे ऐसा क्यों लगा. फिर उसने नीचे की तरफ देखते हुए कहा कि क्योंकि तुम मेरा इतना इम्तिहान ले रहे हो.. तो पता नहीं उसका क्या हाल करते होंगे. फिर मैंने हँसी हँसी में उससे बोला कि नहीं यार ऐसा कुछ नहीं है.. वो तो बस ऐसे ही. फिर वो बोली कि अगर ऐसे ही है.. तो अभी तक उसे शांति क्यों नहीं मिली. दोस्तों उसका मतलब मेरा लंड था. मैंने कहा कि यार पता नहीं यह तुम्हे देखकर बहुत उछल रहा है.. तो उसने बोला कि थोड़ा सम्भालो इसे.. कहीं किसी ग़लत जगह ना उछलकर चला जाए.

    फिर ऐसी बातें करने से मेरा लंड पहले से भी ज़्यादा टाईट हो गया और अब थोड़ी हिम्मत करके मैंने अपना एक हाथ उसकी गांड पर रख दिया और उसे सहलाने लगा और वो भी अब थोड़ा थोड़ा गरम होने लगी थी और उसकी गांड को सहलाने के बाद मैंने सही मौका देखकर अपनी उंगलियों को उसकी चूत तक पहुँचाया और मेरे ऐसा करने से उसके मुहं से सिसकियाँ निकल गयी.. जब कि मैंने अभी उसकी सलवार के ऊपर से ही सहलाया था.. लेकिन दोस्तों उसकी चूत बहुत हॉट थी और मैंने महसूस किया कि उसमे से पानी भी निकल चुका था.. जो कि मुझे मेरी उंगलियों पर महसूस हुआ. इसका मतलब उसे भी मेरे साथ इन सभी कामो में बहुत मज़ा आ रहा था और इतने में किस्मत से बस की लाईट भी बंद हो गई और अब तो मेरा मन उसके बूब्स पकड़ने का करने लगा और मैंने उससे धीरे से पूछा कि में क्या तुम्हारे बूब्स को छू लूँ?

    तो उसने अपने सर को हिलाकर हाँ बोला और बस उसके हाँ कहने की देर थी और मैंने उसके बूब्स को पकड़ लिया.. वो बहुत ही टाईट थे और दोस्तों वो बिल्कुल अनछुए लग रहे थे और उसके निप्पल भी बहुत टाईट हो गये थे.. तो वो भी खुद को रोक नहीं पाई और उसने अपना एक हाथ पीछे लाकर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसने मेरे लंड की तारीफ करते हुए कहा कि यह तो बहुत बड़ा है.

    फिर मैंने कहा कि अभी तो यह पेंट के अंदर है और जब यह इससे आजाद हो जाएगा.. तो और भी बड़ा लगेगा. फिर उसने मुझसे मेरे लंड का साईज़ पूछा.. तो मैंने 8 इंच उसे बताया. उसने कहा कि तुम कहीं झूठ तो नहीं बोल रहे. फिर मैंने कहा कि अगर बस में भीड़ ना होती.. तो में तुम्हे इसे अपनी पेंट से बाहर निकालकर दिखा देता.

    फिर उसने कहा कि इसका भी ईलाज़ है मेरे पास. मैंने बोला कि वो क्या? तो वो बोली कि तुम उसे पेंट की जिप खोलकर बाहर निकालो.. में उसे छूकर महसूस कर लूँगी कि तुम्हारा इतना बड़ा है या नहीं. फिर मैंने जल्दी से लंड को पेंट से बाहर निकाल लिया और उतनी ही जल्दी से उसने भी उसे पकड़ लिया और पकड़ते ही उसकी साँसे अटक गई. फिर वो बोली कि हाँ यार तुम्हारा लंड तो 8 इंच लंबा तो होगा ही.. लेकिन यह मोटा भी बहुत है.

    फिर मैंने कहा कि लड़कियाँ लेते हुए बोलती ही है और लंड को अपनी चूत की गहराइयों में गायब भी कर जाती है.. पता भी नहीं लगता और वो हंस पड़ी और अब वो लंड को आगे पीछे कर रही थी और में उसके बूब्स का स्वाद ले रहा था और इतना सब कुछ इसलिए मुमकिन हो पाया.. क्योंकि हमारी आस पास की सीट पर सभी लोग सो रहे थे और इतने में ही बस पानीपत पहुँच गयी और वहाँ पर बहुत सारी सवारियां उतर गई. दोस्तों ऐसा समझो कि बस में अब 7-8 सवारियां ही बची थी और हमने पीछे वाले गेट के पास वाली दो सीटर सीट खड़ी की और वो खिड़की की साईड बैठी थी.. उसकी आखों में साफ साफ दिख रहा था कि वो मुझसे क्या चाहती है और थोड़ी देर में फिर से लाईट बंद हो गई और वो अगली सीट के पिछले हिस्से पर अपना सर झुकाकर बैठ गई. मेरा हाथ अब उसके मुलायम और बड़े बड़े बूब्स पर था. मैंने उसके कपड़ो के गले में से हाथ अंदर पहुँचा दिया और उसके निप्पल को अपनी उंगली और अंगूठे से रगड़ने लगा. ऐसा करने से वो पागल सी हो गई और वो मेरा लंड बाहर निकालकर उसे जोर ज़ोर से रगड़ने लगी और फिर में भी मस्ती में आ गया.

    फिर में भी उसके निप्पल को और रगड़ने लगा और देखते ही देखते वो नीचे झुकी और मेरे लंड को मुहं में ले लिया.. ओहहह भगवान वो बहुत अच्छी सकर थी और वो मेरे लंड को जितना हो सकता था.. अपने मुहं में अंदर लेकर जाती. फिर मैंने उससे कहा कि में तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूँ..

    उसने बोला कि यह कैसे मुमकिन हो सकता है? फिर मैंने कहा कि हम बिल्कुल आखरी सीट पर चलते है.. क्योंकि बस में सवारियां बहुत कम थी और जो भी थे वो सब आगे की तरफ थे.. पीछे तो बस बिल्कुल खाली थी और मेरे ऐसा कहने पर वो एकदम मान गई और ह्म पिछली सीट पर चले गये. फिर मैंने उसकी सलवार को नीचे कर दिया..

    लेकिन उसने पूरा उतारने से साफ मना कर दिया और मैंने उससे कहा कि यह बस अब अंबाला से पहले कहीं नहीं रुकेगी.. क्योंकि उस रूड़ पर रात को सवारियां नहीं होती.. में बहुत बार आ चुका हूँ.. तो इस टाईम तो वो राज़ी हो गई और मैंने उसकी सलवार भी उतार दी. उसने नीचे गुलाबी कलर की पेंटी पहनी हुई थी और मैंने उसे भी उतार दिया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए. मेरे ऐसा करने से वो सिसकियां लेने लगी और कहती.. आअहहहह अविनाश चूसो इसे ऊहहहह और ज़ोर से करो.. बहुत मज़ा आ रहा है और साथ ही में उसके बूब्स भी रगड़ रहा था. फिर उसने मुझे बताया कि उसका बॉयफ्रेंड भी इतने अच्छी तरह से नहीं चूसता.. जैसा की मैंने चूसा.

    फिर मैंने उससे पूछा कि क्या तुम मेरा लंड लोगी और उसने झट से हाँ बोल दिया और मैंने ज्यादा टाईम ना लगाते हुए उसके एक पैर को अपने कंधे पर रखा और झट से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया. अभी आधा ही लंड गया होगा और उसकी चीख सी निकल गई.. लेकिन बस चलने की आवाज़ होने के कारण कनिका की चीख की आवाज़ किसी को सुनाई नहीं दी.

    फिर वो धीरे धीरे नॉर्मल हो गई और मुझे बाकी का लंड डालने को कहने लगी और मैंने भी एक ही झटके में अपना पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसने किसी तरह उसे झेल लिया और करीब 3-4 मिनट के बाद वो खुलकर साथ देने लगी.. वो भी नीचे से झटके देने लगी और कहने लगी आआआआहह वूऊओवववव अविनाश चोदो मुझे और ज़ोर से आआआआ और चोदो मुझे.. मेरी चूत को शांत कर दो.. यह मुझे बहुत तंग करती है आआआअहउउ चोदो मुझे और ज़ोर से अह्ह्ह. फिर में भी जोश में आकर उसे चोद रहा था और करीब 20-25 मिनट के बाद हम दोनों शांत हो गये और उसके बूब्स पर अपना वीर्य छोड़ दिया.. मुझे वो बहुत खुश लग रही थी और उसके बाद उसने मेरा लंड चाटकर एकदम साफ किया.

    अब हमने कोल्डड्रिंक और चिप्स खाए.. जो कि वो अपने साथ लाई थी और कुछ बातें भी शेयर की.. उसने बताया कि उसके बॉयफ्रेंड का लंड इतना बड़ा नहीं है और उसने बहुत मज़े किए.. करीब 20 मिनट के बाद मैंने उससे बोला कि एक घंटे बाद अंबाला आने वाला है.. अगर तुम चाहो तो हम एक ट्रिप और ले सकते है और वो तो राज़ी थी. दोस्तों क्योंकि उसे आज एक मर्द का लंड मिला था और हमारा अगला सेक्स फिर से शुरू हो गया.

    करीब 25 मिनट के बाद वो झड़ गई.. लेकिन मेरा लंड अभी भी नहीं झड़ा था और उसने मुझसे लंड को बाहर निकालने को बोला. फिर मैंने कहा कि मेरा काम तो अभी हुआ ही नहीं.. तो उसने कहा कि उसे अब चूत में लंड सहन नहीं हो रहा है और वो लंड को चूसकर मुझे डिसचार्ज कर देगी. फिर मैंने उससे कहा कि नहीं.. में तो अब तुम्हारी गांड में करूंगा और थोड़ी देर के बाद वो मान गई. मैंने जल्दी से उसे घोड़ी बनाया और पीछे से थोड़ा उसकी गांड के छेद को रगड़ने लगा और थोड़ी देर उसे सहलाने के बाद मैंने अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया.

    दोस्तों उसका तो बहुत बुरा हाल हो गया.. वो बहुत ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगी और मुझसे लंड को बाहर निकालने का आग्रह करने लगी. फिर में एकदम शांत हो गया और उसके बूब्स को सहलाने लगा और उसकी चूत में उंगली करने लगा.. जिससे 10 मिनट बाद वो थोड़ी ठीक हो गई और अब वो भी अपनी गांड को पीछे धक्का दे देकर मज़ा लेने लगी.. शायद अब उसे गांड को पीछे की तरफ धक्के देने में भी मज़ा आ रहा था.. लेकिन उसकी गांड का छेद बहुत ही टाईट था और लंड को अंदर धक्के देने में मेरी बहुत मेहनत लग रही थी.. लेकिन उसे मज़े करता देख मेरा जोश बड़ गया और में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और में करीब 15 मिनट में उसकी गांड में ही झड़ गया. अब हमने अपने कपड़े ठीक किए और नॉर्मल होकर बैठ गये.. क्योंकि अंबाला आने वाला था.

    फिर अंबाला से कुछ दूरी पहले कुछ और सवारी बस में चड़ गई.. जो कि पीछे ही बैठ गई थी.. जिस वजह से हमे फिर से कुछ करने का मौका ही नहीं मिला. कनिका कहने लगी कि ठीक ही हुआ.. जो मौका नहीं मिला.. क्योंकि अब उसकी कुछ करने की हिम्मत भी नहीं थी और उसने यह भी बताया कि आज तक उसने अपने बॉयफ्रेंड को गांड में कुछ भी नहीं करने दिया.. लेकिन पता नहीं क्यों उसने मुझे यह सब करने दिया. फिर हम बातें करते रहे और पता ही नहीं चला कि कब चंडीगढ़ आ गया. फिर हमने बस में ही एक किस किया और नीचे उतरने से पहले हमने अपने मोबाईल नंबर एक्सचेंज किए. उसको उसके पिताजी लेने आए थे.. उसने मुझे किस के साथ बाय बोला और चली गई.

  • ऑटो में मिली मस्त भाभी की चुदाई

    हैल्लो दोस्तों, आज में आपको अभी कुछ दिन पहले की एक कहानी बता रहा हूँ. अभी कुछ दिन पहले मेरी कार खराब हो गयी थी और मेरी बाइक मेरा भाई काम पर ले गया था तो मैंने सर्विस सेंटर पर फोन करके कहा कि मेरी कार घर पर आकर ठीक कर दे और फिर में ऑटो से चला गया.

    ऑटो आया और में उसमें बैठ गया. फिर कुछ दूर चलने के बाद उस ऑटो में एक बहुत सुंदर सी औरत आकर बैठ गयी, उसकी उम्र यही कुछ 25-26 साल की होगी. अब में उसके एकदम बगल में बैठा हुआ था, उसकी टांगे मेरी टांगो से एकदम चिपकी हुई थी. अब में मन ही मन सोच रहा था कि क्या मस्त टांगे है इसकी? और अब वो अपनी टांगे बार-बार मेरी टांगो से टच कर रही थी. फिर स्टॉप आते ही हम लोग उतर गये.

    फिर में पैसे देकर पान की दुकान पर मसाला खाने लगा, तो तब मैंने देखा कि ऑटो वाला और वो औरत लड़ रहे थे. वो औरत अपना पर्स लाना भूल गयी थी, वो कह रही थी कि मेरा घर यही पास में है, आप चलो में पैसे दे रही हूँ, लेकिन अब वो कहाँ मानने वाला था? तो मैंने उसके भी पैसे दे दिए और वो ऑटो वाला वहाँ से चला गया.

    उस औरत ने मुझसे कहा कि आप मेरे घर चलो, में आपको पैसे देती हूँ. तो पहले तो मैंने मना किया अरे रहने दीजिए, लेकिन वो तो जैसे मुझको अपने घर पर ले जाने के लिए पागल थी. फिर उसके बहुत कहने पर में उसके साथ चल दिया. फिर उसके घर पहुँचकर उसने मुझको बैठाया और मेरे लिए ठंडा लेकर आई, उसके घर पर कोई नहीं था.

    फिर मैंने उससे पूछा कि आप घर में अकेली रहती हो? आपके पति कहाँ है? तो तब वो बोली कि वो यहाँ नहीं रहते है. तो तब मैंने पूछा कि आपके पति क्या करते है? तो वो बोली कि वो सऊदी अरब में है, हम लोगों की शादी को अभी 3 साल हुए है, मेरी शादी के 6 महीने के बाद ही वो चले गये थे.

    अब उनका फोन आता है, देखिए अब उनका यहाँ कब आना होता है? लेकिन फिर वो औरत बोली कि अब आप आए है तो कुछ खाकर ही जाना. फिर उसके बहुत कहने पर में रुक गया. फिर उसके बाद वो चेंज करने चली गयी. फिर जब वो चेंज करके वापस आई, तो में उसको देखता रह गया.

    अब वो बहुत पतली सी नाइटी पहनकर आई थी, जिसमें उसकी ब्रा और पेंटी एकदम साफ दिख रही थी. फिर तभी वो बोली कि क्या देख रहे हो आप? तो में एकदम से चौंक गया. फिर तब वो बोली कि अरे आप तो शर्मा गये, अरे किसी की जवानी को देखना बुरी बात थोड़ी है. अब में उसका इरादा समझ गया था कि इसकी चूत लगता है बहुत दिन से चुदवाने के लिए मचल रही है.

    फिर तब में उससे बोला कि आप अपना घर मुझको दिखाओ. तो उसने मुझको अपना घर दिखाया और फिर अपने बेडरूम में ले जाकर बैठा दिया और बोली कि आप वाइन पियोगे. तो में बोला कि हाँ ले आओ. तो वो दो गिलास और वाईन लेकर आ गयी और फिर हम लोग बैठकर पीने लगे. फिर पीने के बाद मुझसे रहा नहीं गया, अब वो सामने खड़ी होकर कुछ निकाल रही थी. अब उसकी पेंटी मुझको एकदम साफ दिखाई दे रही थी.

    मैंने उसको उसकी कमर से पकड़ लिया. तो तब वो बोली कि अरे आप यह क्या कर रहे है? तो में बोला कि आप किसी अनजाने को घर पर बुलाकर उसके सामने ऐसे कपड़े पहनकर उसको दारू पिला रही हो और उसका मतलब में ना समझ पाऊँ, में इतना पागल तो हूँ नहीं. तो वो यह सुनकर हंस पड़ी और बोली कि तो फिर देर किस बात की है? आज मेरी पूरी प्यास बुझा दो ना. तो यह सुनते ही मैंने उसकी नाइटी को उतार दिया. अब वो मेरे सामने ब्रा और पेंटी में पड़ी थी, उसका बदन बहुत गोरा था, मैंने इतना गोरा बदन अपनी लाईफ में पहले कभी नहीं देखा था.

    फिर कुछ देर के बाद मैंने उसकी ब्रा और पेंटी को भी उतार दिया. अब वो मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थी. फिर में अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा तो वो एकदम पागल होने लगी और कहने लगी कि आज मेरी कसकर चुदाई कर दो, मेरे बरसो की प्यास को बुझा दो, प्लीज.

    अब में उसको किस करने लगा था. अब मेरी हरकतों से वो एकदम पागल सी होने लगी थी. फिर उसने मेरा लंड पकड़कर अपने मुँह में डाल लिया और खूब मस्ती में चूसने लगी थी. फिर उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चूत को फैलाया और अपना लंड उसकी चूत पर रखकर एक कसकर धक्का मारा तो मेरा पूरा लंबा लंड उसकी चूत में समा गया था. फिर वो एकदम से चीख पड़ी आआहह और चोदो, प्लीज, प्लीज कहने लगी थी.

    मैंने उसकी चुदाई शुरू की, उसकी चूत बहुत टाईट थी और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था, लेकिन में चुदाई में एकदम मग्न था. फिर तब वो बोली कि और कसकर चोदो.

    अब में पूरी अपनी ताकत से उसकी चुदाई कर रहा था और वो आआहह, आआ कह रही थी. अब उसकी चूत से पानी निकलने लग गया था. अब ऐसा लग रहा था कि कुछ नहीं तो वो पूरे 2 साल के बाद चुदाई करवा रही हो. अब में समझ गया था कि अब यह झड़ने वाली है. अब में और कस-कसकर धक्के मारने लगा था और फिर थोड़ी देर के बाद वो वक़्त आ गया, जब हम दोनों एक साथ झड़ गये. अब वो इतनी तेज़ी से झड़ी थी कि उसकी चूत का सारा रस उसके बिस्तर पर गिर गया था. फिर हम दोनों थककर लेट गये.

    में कुछ देर तक उसके ऊपर ही लेटा रहा. अब वो भी एकदम शांत हो गयी थी. फिर में उससे बोला कि मज़ा आया तो वो बोली कि इतनी मस्त चुदाई के लिए में कब के तड़प रही थी? फिर उसके बाद मैंने उसकी फिर से चुदाई की और फिर इस बार मैंने उसकी गांड भी मारी. फिर यह सब होने के बाद में अपने काम पर चला गया.

    अब तब जाते समय वो बोली कि रात को कभी आ जाया करो, तो मेरी प्यास बुझ जाया करेगी. अब में अभी भी कभी-कभी उसकी चुदाई करने जाता हूँ और खूब मजा करता हूँ.

  • स्कूल की बस में चुदाई – Teacher

    करीब तीन साल पहले मैं अठाइस साल की ही थी जब मेरे शौहर की सड़क हादसे में मौत हो गयी। तब हम दिल्ली में रहते थे। उसके दो-तीन महीने बाद दिल्ली का मकान किराये पे दे कर मैं मेरठ से थोड़ी दूर अपने पेरन्ट्स के साथ आकर रहने लगी। मैं अच्छे खानदान से हूँ और पैसे की कोई कमी नहीं है। मेरे वालिद की शुगर-मिल है और वो मुक़ामी पॉलिटिशन भी हैं। मैं शुरू से ही ऐशो-आराम में पली बड़ी हुई हूँ… बोर्डिंग स्कूल में पढ़ी और फिर दिल्ली के नामी कॉलेज से बी-ए और फिर बी-एड किया था। आज़ाद ख्यालात की की होने के बावजूद मैं काफी अच्छे इखलाक़ वाली तहज़ीब यफ़ता और परहेज़गार थी।

    अपने पेरन्ट्स के यहाँ आकर मैंने वक़्त गुज़ारने के लिये अलीगढ़ युनिवर्सिटी से कॉरस्पान्डन्स से इंगलिश में एम-ए करना शुरू किया। मुझे यहाँ आये हुए दो-तीन महीने ही हुए थे कि मेरे अब्बा के एक दोस्त ने उनके स्कूल में इंगलिश पढ़ाने की ऑफर दी। मेरठ के पास उनका एक बड़ा प्राइवेट स्कूल था। ये स्कूल बारहवीं क्लास तक था और मैं कम क्वालिफिकेशन होने पर भी बारहवीं क्लास तक इंगलिश पढ़ाने लगी। इसकी दो वजह थी। एक तो मैं शुरू से ही इंगलिश मीडियम में पढ़ी थी और बी-ए भी इंगलिश में ही किया था। दूसरी ये कि स्कूल भी मेरे अब्बा के दोस्त का था और उन्हें कोई और काबिल टीचर मिल भी नहीं रहा था।

    स्कूल में तमाम स्टाफ़ को मालूम था कि मैं स्कूल के मालिक के करीबी पहचान की हूँ और मुक़ामी पॉलिटिशन की बेटी हूँ… जिस वजह से स्कूल में मेरा काफ़ी रुतबा था। मैं बहुत ही स्ट्रिक्ट टीचर थी और स्कूल के ज्यादा बिगड़े हुए और नालायक काम-चोर लड़कों की पिटायी भी कर देती थी। इसलिये सब स्टूडेंट्स मुझसे डरते थे। कुछ ही हफ़्तों में मैं स्कूल की डिसप्लिन इंचार्ज और स्टूडेंट काउन्सलर भी बन गयी थी और मुझे अपना छोटा सा ऑफ़िस भी मिल गया था। प्रिंसपल मैडम स्कूल के तमाम इंतेज़ामी मुआमलातों में भी मुझे शामिल करने लगीं ।

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    स्कूल मेरे घर से करीब पच्चीस किलोमिटर था। शुरू में दो-तीन हफ़्ते मैं खुद कार ड्राइव करके जाती थी लेकिन फिर मैं स्कूल की बस से ही जाने लगी। हमारे रूट की स्कूल की बस हमेशा खचाखच भरी होती थी लेकिन टीचरों को और छोटे बच्चों को हमेशा बैठने की जगह मिलती थी और बड़े स्टूडेंट्स खड़े होकर जाते थे।

    सब कुछ बखूबी चल रहा था। पर एक दिन छुट्टी के बाद घर जाते वक़्त मैंने देखा कि बारहवीं क्लॉस की एक लड़की रोने जैसा चेहरा लिये हुए बस से उतरी और उसकी सहेली उसके कान में कह रही थी, “सुहाना तू घबरा मत… कल हम इंगलिश वाली तबस्सुम मैम से बात करेंगे… वो उन्हें अच्छा सबक सिखायेंगी!” मुझे बात कुछ समझ में नहीं आयी लेकिन मैंने सोचा कि अगले दिन जब ये मुझसे बात करेंगी तब खुद-ब-खुद पता चल जायेगा। स्कूल की सभी बड़ी लड़कियाँ कभी-कभी अकेले में अपने कईं मसले अक्सर मेरे साथ डिस्कस करती थीं। इसकी वजह शायद ये थी कि बाकी टीचरों के मुकाबले मैं काफी यंग थी। बारहवीं क्लॉस की लड़के-लड़कियों से तो उम्र में मैं सिर्फ़ दस-ग्यारह साल ही बड़ी थी। इसके अलवा बारहवीं के कुछ चार-पाँच लड़कों और दो-तीन लड़कियों से तो मैं सिर्फ़ आठ-नौ साल ही बड़ी थी क्योंकि वो पहले किसी ना किसी क्लॉस में कमज़-कम दो-दो दफ़ा फेल हो चुके थे।

    खैर अगले दिन मैं जब स्कूल पहुँची तो मैं इंतज़ार कर रही थी कि कब वो लड़कियाँ आ कर मुझे अपना मसला बतायें और मैं उसे हल कर सकूँ। वैसे वो दोनों लड़्कियाँ भी उन फेल होने वाले लडके-लड़कियों में से एक थीं और स्कूल की सबसे बड़ी लड़कियाँ थीं। उनकी उम्र करीब बीस-इक्कीस साल होगी। एक दिन बीता… दो दिन बीते, फिर पूरा हफ़्ता बीत गया पर उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं की और मैं भी उसे भूल गयी। फिर एक दिन अचानक उसी दिन की तरह वो लड़की इस दफ़ा रोते हुए बस से उतरी। बल्कि बाकी टीचरें भी उसकी सहेलियों से पूछने लगी कि इसे क्या हुआ। इस पर उसकी सहेली ने कहा, “मैम इसका सर बहुत ज़ोर से दर्द कर रहा है!

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    उन टीचरों के लिये बात वहीं दब गयी लेकिन मुझे इस बात पर यकीन नहीं हुआ क्योंकि दोनों काफी दबंग किस्म की लड़कियाँ थीं थीं और इतनी ज़रा सी बात पे रोने वाली लड़कियाँ नहीं थीं। इसलिये मैंने अगले दिन खुद सुहाना और उसकी सहेली फ़ातिमा को खाली पीरियड में अपने कमरे में बुलाया और उससे पूछा कि प्रॉब्लम क्या है। वो बोली, “कुछ नहीं तबस़्सुम मैम… सब ठीक है!”

    “मुझसे झूठ मत बोलो”, मैंने कहा, “उस दिन भी मैंने तुम्हें इसी तरह बस से रोते हुए उतरते देखा था और फ़ातिमा तुम्हें कह रही थी कि हम कल तबस़्सुम़ मैम को ये बात बतायेंगे और वो उनकी खबर लेंगी! मुझसे छुपाओ मत और खुल के बताओ कि प्रॉब्लम क्या है?”

    इस पर सुहाना फूट-फूट कर रोने लगी। तब फ़ातिमा बोली, “त़बस्सुम मैम मैं आपको बताती हूँ कि प्रॉब्लम क्या है। आप तो जानती हैं कि हमारी बस में कितनी भीड़ होती है और हमें पीछे खड़े हो कर जाना पड़ता है!”

    “हाँ! हाँ!” मैंने कहा।

    “तो मैम प्रॉब्लम ये है कि पिछले एक महीने से वो हमारी क्लॉस के मुस्टंडे… वो बास्केटबॉल प्लेयर्स… वो फेल्यर्स… हमें बस में रोज़ तंग करते हैं। हम लड़कियों का उन्होंने बस में सफ़र करना मुश्किल कर दिया है! कभी तो वो हमारे लोअर बैक में उंगली डालते हैं तो कभी हमारी ब्रेस्ट पर चुँटी काटते हैं! कल तो उन्होंने हद ही कर दी। कल उन चारों ने हमें कस कर पीछे से पकड़ लिया और ज़ोर से हमारी ब्रेस्ट्स मसल दी!” वो बोली।

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    “क्या उनकी ये हिम्मत! मैं आज ही उनकी शिकायत प्रिंसपल से करती हूँ और खुद भी उनकी अच्छी पिटाई करुँगी… और ये सब तुमने पहले क्यों नहीं बताया… और बाकी लड़कियों ने इसकी शिकायत क्यों नहीं की?” मैं बोली।

    “नहीं-नहीं त़बस्सुम मैम… आप प्लीज़ ये बात किसी से ना कहियेगा वरना सब हम पर हसेंगे और हमारी स्कूल में बदनामी होगी और मज़ाक बनेगा। आप चाहें तो उनकी पिटाई कर दीजिये पर ये बात आप उनसे भी ना कहियेगा कि हमने बताया है वरना वो हमें और तंग करेंगे या फिर बदनाम करेंगे!” वो बोली।

    “ठीक है, मैं देख लूँगी!” मैंने कहा। उस दिन उस क्लॉस में जाते ही मैंने उन चारों को खड़ा कर लिया और बिना कुछ बताये उनको जमकर थप्पड़ लगाये कि मेरे हाथ दुखने लगे और उनके गालों पर मेरे थप्पड़ों की वजह से निशान पड़ गये। जब उन्होंने पूछा कि “अख़तर मैम आप हमें क्यों मार रही हैं?” तो मैंने कहा, “तुम्हें बस में सफ़र करने की तमीज़ सिखा रही हूँ!” और वो चारों सिर झुका कर खड़े हो गये।

    उस वाकिये के बाद कुछ दिन तक सब ठीक रहा, लेकिन एक दिन फिर वो लड़कियाँ मेरे पास आयी तो मैंने उनसे पूछा, “अब क्या हुआ… अब तुम किस बात पर परेशान हो? क्या वो तुम्हें अभी भी तंग करते हैं?”

    इस पर वो मुझे बोलीं, “त़बस्सूम मैम आपने जब उनकी पिटाई की थी तो कुछ दिन तक सब ठीक रहा लेकिन पिछले दो दिन से वो फिर से हमें तंग कर रहे हैं!”

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    “लगता है अब प्रिंसपल से बात करनी ही पड़ेगी।” मैं बोली।

    “प्लीज़ प्लीज़ तबस्सुम मैम आप प्रिंसपल से कुछ मत कहियेगा… ये बात अगर फ़ैल गयी तो हमारा मज़ाक उड़ेगा! हमारा स्कूल आना मुश्किल हो जायेगा!” वो गिड़गिड़ायीं।

    “तो ठीक है… आज मैं तुम लोगों के साथ बस में खड़ी रहुँगी। अगर उन्होंने कुछ किया तो में उनकी वहीं पिटाई करूँगी!” मैंने गुस्से में तमतमाते हुए कहा।

    उस दिन मैंने क्लॉस में फिर उन चारों की पढ़ाई और होमवर्क ना करने के बहाने से पिटाई की और छुट्टी के बाद बस में लड़कियों के साथ पीछे खड़ी हो गयी। जब मेरी साथी टीचरों ने पूछा तो मैंने कहा कि मैं स्टूडेंट्स के साथ मिक्स-अप होने की कोशिश कर रही हूँ ताकि ये मुझसे इतना ज़्यादा ना डरें। उस दिन सब ठीक रहा। मैं उनके साथ तीन-चार दिन बस में खड़े हो कर सफ़र करती रही। वो चार बदमाश हमारे पीछे ही खड़े रहते थे लेकिन उनमें से किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कुछ कर सकें। फिर कुछ दिन बाद मैं फिर आगे बैठने लगी। दो ही दिन बाद वो लड़कियाँ फिर मेरे पास वही शिकायत ले कर आ गयीं। उस दिन मैं फिर पीछे खड़ी हो कर सफ़र करने लगी।

    दो-एक दिन तक सब ठीक था लेकिन फिर एक दिन अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने कोई चीज़ मेरे पीछे मेरे चूतड़ों के बीच घुसा दी हो। मैं एक दम काँप गयी। मेरा पूरा जिस्म ठंडा पड़ गया। मेरे शौहर को गुज़रे हुए सात-आठ महीने हुए थे और इस दौरान मैंने अपनी जिस्मनी ख्वाहिशों को बिल्कुल दबा कर रखा था। कभी-कभार रात को अपनी उंगलियों से अगर खुद-लज़्ज़ती कर भी लेती थी तो तसव्वुर हमेशा अपने मरहूम शौहर का ही होता था।

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    मैं बेहद पाक और नेक तरबियत वाली औरत थी। वैसे तो मैं गोरी-चिट्टी बेहद खूबसूरत और स्लिम और सैक्सी हूँ और अपने शौहर के साथ बेहद एक्टिव और अच्छी सैक्स लाईफ़ थी मेरी। लेकिन मेरे शौहर के अलावा किसी गैर-मर्द ने मुझे कभी छुआ तक नहीं था और ना ही मैंने कभी उनके अलावा किसी को ऐसी नज़र से देखा था।

    लेकिन उस पल मुझे जैसे बिजली का झटका लगा। इतने महीनों में पहली मर्तबा मैंने किसी को अपने जिस्म के एक नाज़ुक हिस्से के अंदर शरारत करते हुए महसूस किया था। मेरी टाँगें कमज़ोर हो गयीं और हाई हील सैंडल में मेरा बैलेंस बिगड़ने लगा। एक लम्हे के लिये मेरे होश उड़ गये… चेहरे का रंग एक दम फ़ीका पड़ गया… गला सूख गया… मैं लड़खड़ा कर गिरने लगी लेकिन फिर बस की सीट पर लगे हैंडल को पकड़ कर अपने आप को संभाला। मेरे हाथ काँप रहे थे। उन लड़कियों ने पूछा, “तवस्सुम मैम आप ठीक तो हैं?”

    “हाँ मैं ठीक हूँ”, मैंने कहा लेकिन मेरे चेहरे के उतरे रंग को देख कर मेरी साथी टीचरों ने जब यही सवाल मुझसे पूछा तो मैंने कहा कि शायद मुझे बुखार हो रहा है। उस दिन रात को देर तक मुझे नींद नहीं आयी। पूरी रात मुझे अपने चूतड़ों के बीच वो चीज़ सरकती महसूस होती रही। उस एहसास ने मेरे अंदर दबी हुई चिंगारी को जैसे हवा दे दी थी। मैंने उस रात करीब तीन मर्तबा अपनी उंगलियों से मैस्टरबेशन किया। मैं अगले दो दिन स्कूल भी नहीं गयी और बिमार होने का बहाना कर दिया।

    जिस दिन मैं स्कूल गयी भी तो उस दिन बस में मैं आगे अपनी सीट पर जा कर चुपचाप बैठ गयी। वो लड़कियाँ उतरे से चेहरे के साथ मेरी जानिब देखती रही। मुझे टीचरों ने भी पूछा, “आज आपने स्टूडेंट्स के साथ खड़े नहीं होना क्या? क्या बात है? सब ठीक तो है ना तब्बू मैम?” सब टीचर्स मुझे त़ब्बू कह कर बुलाती थीं।

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    “सब ठीक है… बस थोड़ी वीकनेस लग रही है”, मैंने बहाना किया। अगले दिन वो लड़कियाँ फिर मेरे पास आयी और मुझसे बोली, “तबस्सुम मैम आपको क्या हुआ? मैम जब आप हमारे साथ खड़ी नहीं होती हैं तो वो लोग हमें फिर तंग करना शुरू कर देते हैं! मैम आप प्लीज़ हमारे साथ पीछे खड़ी हो जाया कीजिये… प्लीज़!”

    मैंने कहा, “अच्छा ठीक है!” और वो चली गयी लेकिन मैं पूरा दिन टेंशन में रही और उस दिन का वाक़या याद करती रही। छुट्टी के बाद किसी तरह हिम्मत जुटा कर मैं पीछे जा कर खड़ी हो गयी। तकरीबन पूरा सफ़र आराम से कट गया और मैं भी इत्मिनान से हो गयी थी लेकिन मेरा स्टॉप आने से तीन-चार मिनट पहले ही किसी ने फिर पीछे से मेरे चूतड़ों में हाथ दे दिया और इस दफ़ा अच्छी तरह एक झटके में मेरे चूतड़ों के बीचों-बीच नीचे से सरकाते हुए ऊपर तक ले गया। मैं एक दम से पीछे पलटी तो सभी लड़के इधर-उधर देख रहे थे और मुझे पता भी नहीं चला कि ये किसने किया है। सुहाना और फ़ातिमा भी मेरे साथ ही खड़ी थीं। उन्होंने पूछा, “तब़स्सुम़ मैम सब ठीक है ना?” उन लड़कियों के पूछने के अंदाज़ में मुझे फ़िक्र की बजाय तंज़ महसूस हुआ और ऐसा लगा जैसे कि उन्हें पता था कि मेरे साथ किसी ने क्या हरकत की है। “हाँ!” मैंने जवाब दिया।

    उस रात भी मैं ठीक से सो नहीं पायी। आज भी उन लड़कों की हरकत ने मेरे अंदर दबी हुई जिस्मानी हसरतें भड़का दी थी जो मैं बिल्कुल नहीं चाहती थी। ये मेरे तहज़िबे-इख्लाक़ के खिलाफ़ था लेकिन अपने जिस्म में उठती मीठी सी सनसनाहट मुझे कमज़ोर कर रही थी। अपनी अजीब सी जिस्मानी और ज़हनी हालत के लिये मुझे उन लड़कों पे बेहद गुस्सा आ रहा था। अगले दिन क्लॉस में जाते ही मैंने जानबूझ कर उन चारों से इंगलिश के ऐसे मुश्किल सवाल पूछे जिनका मुझे पता था कि वो नालायक जवाब नहीं दे सकेंगे और इस बहाने से उनकी खूब पिटाई की।

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    उस दिन शाम को बस में चढ़ते ही जब लड़कियों ने मुझे पीछे बुलाया तो मैं कॉन्फिडेंस के साथ उन लड़कों को घूरती हुई पीछे जा कर खड़ी हो गयी। अब इतनी पिटाई होने के बाद भला वो क्यों नहीं सुधरेंगे। लेकिन बस चलने के थोड़ी देर बाद ही किसी ने मेरे चूतड़ों में फिर हाथ दे दिया। जब मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो इस बार चारों ने मेरी आँखों में देखा और मुस्कुरा पड़े। मैं आगे देखने लगी।

    उन चारों में से दो लड़कों की उम्र तो करीब बीस साल होगी और चारों थे भी हट्टे-कट्टे। मेरी हाइट पाँच फुट पाँच इंच है और ऊपर से मैं हमेशा चार से पाँच इंच ऊँची पेन्सिल हाई हील की सैंडल ही पहनती हूँ तो भी मैं उनमें से सबसे बिगड़े लड़के कुल्दीप के कंधे तक ही पहुँचती थी जबकी सैंडल पहन के बाकी तीनों के करीब-करीब बराबर पहुँचती थी।

    खैर कुछ पल बाद उन्होंने फिर मेरे चूतड़ों में हाथ दिया तो इस दफ़ा मैं थोड़ा सरक कर आगे हो गयी। उन्होंने फिर मेरे चूतड़ों हाथ दिया तो मैं थोड़ा और आगे सरक गयी। ऐसा चार-पाँच दफ़ा हुआ। आज भी पूरी रात मुझे अपने चूतड़ों में उनके हाथ ही महसूस होते रहे और मैंने तीन-चार मर्तबा मैस्टरबेट किया। मुझे बेहद शर्मिंदगी और गुनाह का एहसास हो रहा था। फ्रस्ट्रेशन और गुस्से में अगले दिन मैंने फिर किसी बहाने से उनकी पिटाई कर दी और क्लास के बाहर खड़ा कर दिया। शाम को बस में उस दिन उन्होंने मुझे छुआ भी नहीं।

    मैं बहुत खुश थी लेकिन तीन दिन बाद ही फिर बस में उन्होंने अचानक मेरी गाँड में हाथ डाला तो मैं चिहुँक कर झटके से थोड़ा आगे सरक गयी जिस से बस के मटैलिक फर्श पे मेरे हील वाले सैंडल के ज़ोर से बजने की आवाज़ भी हुई। हर रोज़ की तरह सुह़ाना और फ़ातिमा बारहवी क्लास की कुछ और लड़कियों के साथ मेरे पास ही खड़ी थी। फ़ातिमा ने मुस्कुराते हुए पूछा कि मुझे क्या हुआ तो मैंने कहा कि “कुछ नहीं…

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    बस खड़े-खड़े पैर सो गया था!” लेकिन अब मुझे गुस्सा आ गया था और मैंने ठान लिया कि अबकी बार मैं आगे नहीं सरकुँगी और देखती हूँ इनमें कितनी हिम्मत है। आखिर कब तक ये ऐसे ही उंगली देते रहेंगे। इस मर्तबा जब फिर से मेरे चूतड़ों में किसी ने हाथ दिया तो मैं वहाँ से नहीं हिली। उसने दो-तीन दफ़ा फिर हाथ दिया तो भी मैं नहीं हिली। इस बार उसने हाथ मेरे चूतड़ों के बीच डाल कर वहाँ टिका कर ही रख लिया। मैंने भी अपनी रानें जोड़ कर चूतड़ों के बीच उसके हाथ को दबा लिया। कुछ देर तक ना वो हिला और ना मैं।

    जब मैंने गर्दन घुमा कर पीछे देखा तो उनमें से सब से ज्यादा बिगड़ा लड़का मेरे पीछे खड़ा था। मेरे पीछे गर्दन घुमाने पर भी उसने हाथ नहीं हटाया बल्कि उसे मेरी टाँगों के बीच सरकाता हुआ आगे मेरी चूत तक ले गया और सलवार के ऊपर से उसे मसलने लगा। मेरे चेहरे का रंग उड़ गया। मेरी तो हालत खराब हो गयी और मेरी टाँगें काँपने लगीं। मेरी आँखें बंद हो गयीं और मेरे पेट में बल सा पड़ा और मेरी चूत ने धड़धड़ाते हुए पानी छोड़ दिया। बड़ी मुश्किल से अपने होंठ दबाते हुए मैंने अपने मुँह से सिसकारियाँ निकलने से रोकीं।

    पहली मर्तबा इस तरह मैं पब्लिक प्लेस में झड़ी थी और वो भी स्टूडेंट्स से भरी हुई बस में। सच कहुँ तो मुझे बेहद अच्छा लगा और मेरे चेहरे का रंग तो ठीक हो गया लेकिन मेरी चूत ने इतना पानी छोड़ा था कि मेरी रानों के गिर्द सलवार बिल्कुल गीली हो गयी थी।

    घर पहुँच कर बार-बार बस का सीन मेरे ज़हन में घूमता रहा। रात को बेडरूम लॉक करके मैं सारे कपड़े उतार के बिल्कुल नंगी हो गयी और वही सीन याद करते हुए दो दफ़ा अपनी चूत को उंगलियों से सहलाते हुए झड़ी। फिर भी जब चैन नहीं पड़ा तो ज़िंदगी में पहली दफ़ा गाजर चूत में घुसेड़ कर मैस्टरबेट किया।

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    इससे पहले सिर्फ़ उंगलियों से ही मैस्टरबेट किया था। बाद में ऐसे ही नंगी सो गयी लेकिन ख्वाब में भी मुझे वही बस में उस लड़के का बार-बार मेरी चूत और गाँड को रगड़ना और सहलाना ही याद आया और मैं सोते हुए भी अपनी चूत सहलाती रही। सुबह जब उठी तो मेरे हाथ टाँगों के बीच में चूत पे ही मौजूद थे।

    अगले दिन क्लास में जब वो लड़के फिर से होमवर्क करके नहीं लाये तो पहली दफ़ा ना चाहते हुए भी मैंने उनकी पिटाई की क्योंकि शायद मैं ये जताना चाहती थी कि पिछले दिन बस में हुए वाकिये के बावजूद मेरा इख़्तियार बरकरार है। टीचर हूँ इसलिये रौब रखना भी ज़रूरी है… लेकिन मुझे दिल में बेहद अफ़सोस महसूस हुआ। उस दिन बस में उनके करीब खड़ी थी लेकिन जब उन्होंने मुझे नहीं छुआ तो थोड़ी मायूसी हुई। लेकिन पता नहीं क्यों अब पहली बार मैं चाहती थी कि वो मुझे छुयें… मेरे चूतड़ों के बीच में हाथ डालें… मेरी चूत को सहलायें।

    इसी उम्मीद में मैं बस में पीछे उनके पास जाकर खड़ी होती लेकिन अगले दो-तीन दिन भी मेरे साथ ऐसी कोई हरकत नहीं की और उसके बाद फिर चार-पाँच दिन तो वो स्कूल ही नहीं आये। मैं तड़प कर रह जाती और मायूस हो कर अपने स्टॉप पे उतर जाती। वो लड़के मेरे दिलो-दिमाग में बस से गये थे और ये हालत हो गयी थी कि रोज़ रात को उनके बारे में सोच-सोच कर बार-बार अपनी चूत सहलाती और गाजर से मैस्टरबेट करती। स्कूल में भी कईं दफ़ा उनका ख्याल आ जाता तो चूत गीली हो जाती

    और फिर अपने ऑफिस या टॉयलेट में जा कर खुद-लज़्ज़ती करती। मुझे पोर्नोग्राफी से नफ़रत थी लेकिन एक रात को मैंने पहली दफ़ा अपने लैपटॉप पे पोर्न-वेबसाईट तक खोल ली। इससे पहले मैंने कभी गंदी तस्वीरें या ब्लू-फिल्म नहीं देखी थी लेकिन उस रात और फिर अगली दो-तीन रातें मैंने घंटों तक अलग-अलग तरह की चुदाई की क्लिप्स का मज़ा लिया। मेरे जिस्म में हवस की आग इस कदर भड़क गयी थी कि मेरे सारे इख़लाक़ और नेक तर्बियत उसमें जल कर ख़ाक हो रहे थे और कुछ ही दिनों में मेरी फ़ितरत और चाल-चलन में किस कदर बेइंतेहा तब्दीली आ गयी थी।

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    फिर एक दिन काफी बारिश हो रही थी और स्कूल में बच्चे भी कम आये थे तो स्कूल में जल्दी छुट्टी हो गयी। उस दिन बस में भीड़ नहीं थी। मैं आसानी से कहीं भी खड़ी हो सकती थी लेकिन खुश नसीबी से मुझे वो लड़के पीछे खड़े नज़र आये तो मैं पीछे उन ही लड़कों के पास जा कर खड़ी हो गयी क्योंकि मैं तो दिल में ये ही चाहती थी कि वो मुझे छुयें। हमेशा की तरह सुहाना और फ़ातिमा भी वहीं मौजूद थीं। मुझे पूरा शक हो गया था कि वो दोनों भी जानती थी कि लड़के मेरे साथ क्या फ़ाहिश हरकतें करते हैं।

    बस में भीड़ ना होने की वजह से वो मुझसे थोड़ा पीछे खड़े थे। लेकिन बस चलने के थोड़ी देर बाद ही वो मेरे नज़दीक आ गये। बारिश की वजह से हाईवे पे काफी ट्रैफिक था और बस धीरे-धीरे चल रही थी। मैं मोबाइल फोन पे किसी से बात करने में मसरूफ थी कि अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई लड़का एक दम मेरे साथ चिपक कर खड़ा हो गया हो। मैंने फोन कॉल बंद करते हुए पीछे देखा तो वो बोला, “अखतर मैम आप ज्यादा पीछे आ गयी हैं… थोड़ा आगे सरक सकती हैं!” उस लम्हे मैंने गौर किया कि दर असल मैं ही फोन पे बात करते हुए पीछे उन लड़कों तक सरक गयी थी। इसके अलावा मैंने देखा कि सुहाना और फ़ातिमा भी उनमें से दो लडकों से बिल्कुल चिपक के खड़ी थीं। मैंने उन लड़कियों की जानिब देखा तो वो मेरी जानिब देखते हुए मुस्कुराने लगीं। तब मुझे एहसास हुआ कि हक़िकत में वो दोनों भी इन लड़कों से मिली हुई हैं और खुद उनसे उंगली करवा के मज़े लेती हैं।

    मैं भी झेंप कर थोड़ा सा आगे सरक गयी तो वो सब भी आगे सरक आये और एक लड़के ने हल्के से मेरी गाँड में हाथ दे दिया। मैं तो खुद इसी इंतज़ार में थी इतने दिन से और इस बार मैं भी थोड़ा पीछे सरक गयी ताकि उसका हाथ अच्छी तरह से मेरी टाँगों के बीच में घुस जाये। मैंने अपनी रानों को थोड़ा-थोड़ा खोला और फिर बंद किया तो उस लड़के ने एक हाथ मेरी टाँगों के बीच में घुसा दिया

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    और दूसरा हाथ वो मेरे चूतड़ों पे फेरने लगा। मुझे बेहद मज़ा आ रहा था। मेरी तरफ़ से कोई मुखालफ़त ना देख कर शायद मेरी नियत का भी अंदाज़ा हो गया था। फिर उसने मेरे कान में कहा, “तब़्बू मैम अगले स्टॉप पर पीछे की सीट खाली हो रही है… आप मेरे और मेरे दोस्त के बीच मैं बैठ जायें… बाकी दोनों लड़के और ये लड़कियाँ आगे अपनी हो जायेंगे ताकि किसी को आगे से पता ना चले!”

    मैं कुछ नहीं बोली। ये लड़के हमेशा मुझे अख़्तर या तबस़्सुम़ मैम कह कर बुलाते थे लेकिन आज बाकी स्टॉफ की तरह तब्बू मैम कह कर उस लड़के ने मुझसे बात करी। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था और चूत गिली हो चुकी थी। बारिश की हल्की सी ठंडक मेरे जिस्म की गर्मी में और इज़ाफ़ा कर रही थी। हवस ने मुझे इतना अंधा कर दिया था कि अगर वो वहीं मुझे नंगी करके चोदना भी शुरू कर देते तो शायद मैं उन्हें मना नहीं करती।

    उस वक़्त मुझे अपनी इज़्ज़त-आबरू… हैसियत और सोसायटी में रुसवाई या बदनामी… किसी बात की ज़रा सी भी परवाह नहीं थी। मैंने देखा कि वो दोनों लड़कियाँ असल में मजे से दूसरे दो लड़कों का हाथ अपनी स्कूल युनीफॉर्म की ट्यूनिक के अंदर अपनी टाँगों के बीच में ले रही थी। वो मेरी जानिब देख कर बेहयाई से मुस्कुराने लगीं। तब मेरे पीछे वाले लड़के ने मेरे कान में कहा, “ये दोनों तो अक्सर हम चारों चुदती हैं… तब्बु मैम आप इनकी परवाह ना कीजिये… इनका काम अब पूरा हो गया… अब इन्हें अगले संडे मजे से चोदेंगे… आज आपका नम्बर है!”

    मैं उसकी हिम्मत पे हैरान थी कि किस तरह खुल कर गंदे लफ़्ज़ों में वो अपनी टीचर के साथ चुदाई की बातें कर रहा था। उसकी गंदी बातें सुनकर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन मुझे ज़रा भी बुरा नहीं लगा। मैं कुछ नही बोली और चुप रही। मैं तो खुद अपनी हवस की आग में अंधी हो गयी थी और अपनी इज़्ज़त लुटाने के लिये खुद ही तड़प रही थी।

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    अगले स्टॉप पर पीछे वाली सीट खाली हुई तो मेरे पीछे वाला लड़का दायीं तरफ़ बैठ गया और मैं चुपचाप उसके बगल में बैठ गयी। दूसरा लड़का मेरी बांयी तरफ़ बैठ गया। बाकी दोनों लड़के और वो लड़कियाँ हमारे आगे खड़ी हो गयीं। बस चलने लगी तो मेरी बगल वाले लड़कों को जैसे खुली छूट मिल गयी मेरे साथ खेलने की… मेरे खज़ाने लूटने की।

    दायीं तरफ़ वाले लड़के ने एक बाँह मेरे सर के पीछे सीट पर पसार दी और दूसरे हाथ को मेरी नरम और हवस की वजह से गरम दाहिनी रान पर रख दिया और उसे सहलाने लगा। बांयी तरफ़ वाला लड़का मेरी बांयी रान को सहलाने लगा। मेरी साँसें एक दम से और तेज़ और गरम हो गयीं और मेरा सर हल्का-हल्का महसूस होने लगा। मैं मदहोश सी हो गयी थी। मैंने आँखें बंद कर लीं। दोनों लड़कों ने अपने हाथ मेरी रानों पर ऊपर की जानिब सरकाये और मेरी कमीज़ के पल्ले के नीचे से सरकाते हुए मेरे पेट की तरफ़ बढ़ा दिये।

    तभी एक लड़के ने अपने हाथ को मेरी रानों के बीच मेरी चूत की जानिब सरकाने की कोशिश की तो मेरे मुँह से हल्की सी सिसकरी छूट गयी और मैंने अपनी दोनों टाँगों को ज़ोर से आपस में जोड़ लिया और अपने हाथों से उन लड़कों के हाथों को पकड़ लिया और मेरे मुँह से ज़ोर से एक साँस अटकती हुई निकली। इस पर मेरी दांयी तरफ़ वाले लड़के ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख कर ज़ोर से से चूम लिया और मेरे होंठ चूसने लगा।

    मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी हो। मेरे होश उड़ गये और मेरा सर बिल्कुल हल्का हो गया। मेरा जिस्म काँपने लगा और वो मेरे होंठ चूसता रहा। मेरे शौहर ने भी कभी मेरे होंठों को चूमते हुए इस तरह नहीं चूसा था। ये मेरी ज़िंदगी का पहला माकूल फ्रेंच-किस था। उसने मेरे सर के पीछे वाले अपने हाथ से मेरे सर को पकड़ कर हमारे होंठों को कस कर सी लिया और उसी पल मेरी बांयी तरफ़ वाले लड़के ने अपने दूसरे हाथ से मेरी छाती पकड़ ली और कमीज़ के ऊपर से ही मेरे बूब्स मसलने लगा।

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    मेरी साँसें फूलने लगी और मैं अपने दोनों हाथों से उसके हाथ को पकड़ कर रोकने लगी तो दोनों लड़कों ने मेरी रानों को सहला रहे दूसरे हाथों से हल्का सा ज़ोर लगा कर मेरी टाँगों को खोल दिया और दांयी तरफ़ वाले लड़के ने तपाक से अपना हाथ मेरी सलवार के ऊपर से मेरी चूत पे रख दिया और उसे ऊपर से ही सहलाने लगा। कुछ ही देर में मेरे पेट में अकड़ाव पैदा हुआ और फिर एक ज़ोर का झटका लगा और मेरी चूत में फ़ुव्वारे फूटने लगे। मैं झड़ चुकी थी और मेरी पैंटी और उसके आसपास की सलवार भी भीग गयी। मैं झड़ी तो उस लड़के ने मेरे होंठ चूसने बंद कर दिये और मेरी साँसें भी ठीक हो गयीं।

    फिर दूसरा लड़का मुझे फ्रेंच-किस करने लगा तो पहले वाला बोला, “वाह यार मज़ा आ गया… आज तो अंग्रेज़ी वाली को अच्छे से चूसा है और अब अच्छे से चोदेंगे भी! साली मारती बहुत ज़ोर से है… आज उतने ही ज़ोर से हम इसकी मारेंगे!” और फिर वो बारी-बारी मुझे चूमने लगे।

    थोड़ी देर बाद जो लड़के हमारे सामने खड़ी उन लड़कियों की गाँड में उंगली कर रहे थे उन्होंने कहा, “चलो बहुत हुआ… अब हमें भी तो त़बस्सूम मैडम का थोड़ा मज़ा लेने दो… तुम इधर आ कर इन लड़कियों के मम्मों को थोड़ा मसल दो… ये भी बहुत गरम हैं आज बरिश की ठंडक में!”

    फिर उन चारों ने जगह बदल ली। अब दूसरे दोनों लड़के मेरे अगल-बगल बैठ कर मुझे किस करने और मेरे मम्मे और चूत को सहलाने लगे। फिर उनमें से एक ने मेरी सलवार का नाड़ा खोलना शुरू किया तो मैंने अपने दोनों हाथों से नाड़ा पकड़ लिया। फिर दोनों लड़कों ने मेरे दुपट्टे के नीचे से मेरी कमीज़ के गले में से हाथ डाल कर मेरे एक-एक मम्मे को पकड़ लिया और उन्हें मसलने लगे। मैं पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी और मैंने अपने हाथ दोनों की एक-एक रान पर रख दिये और उनके किस के बदले में उन्हें किस करने लगी। बेहद अजीब पर मजेदार चुंबन थे। बार-बार वो मेरे होंठ चूमते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल रहे थे। चारों लड़कों ने शायद पोलो-मिन्ट काफी खा रखी थी इसलिये उन्हें किस करते हुए मुझे मीठा-मीठा लग रहा था।

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    तभी मौका पाकर उनमें से एक ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल ही दिया और मेरी सलवार और भीगी पैंटी को एक साथ नीचे खींचने लगा। पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने भी अपनी गाँड सीट से ऊपर उठा दी और उसे मेरी सलवार और पैंटी मेरे घुटनों के नीचे तक खींच दी। फिर उसने अपनी उंगली को अपने मुँह में डाल कर गीला किया और मेरी चूत के हल्का सा अंदर ऊपर-ऊपर घुमाने लगा। हाय अल्लाह! मैं तो पागल सी हो गयी और मेरे मुँह से तेज़-तेज़ आहें निकलने लगी। बच्चों से भरी स्कूल की बस में अपनी नंगी चूत खोले मैं अपने ही स्टूडेंट से उसमें उंगली करवा रही थी। इस एहसास ने मेरी गरमी और बढ़ा दी और मैं कुछ ही पलों में फिर झड़ गयी।

    मेरे झड़ते ही उसने मेरी पैंटी ओर सलवार को ऊपर कर दिया और मेरा नाड़ा दोबारा बाँध दिया। फिर वो बोला, “तबस़्सुम़ मैम अगर आपको चुदाई का पूरा मज़ा लेना है तो आप घर फोन कर दीजिये कि आप अपनी किसी सहेली के घर जा रही हो और हमारे स्टॉप पर ही उतर जाओ! ये संजय पास ही अपने घर से कार ले आयेगा… हम इसके खेत पे चलते हैं ऐश करने के लिये…. बाद में शाम को हल्का सा अंधेरा होते ही अपको आपके घर के करीब छोड़ देंगे!”

    मैंने थोड़ा शरमाते हुए गर्दन हिलाकर रज़ामंदी ज़ाहिर की। मेरे अब्बू और अम्मी एक हफ़्ते के लिये अजमेर गये हुए थे एक रिश्तेदार की शादी में लेकिन मैं इन लड़कों को ये ज़ाहिर नहीं करना चाहती थी इसलिये अपने पर्स में से मोबाइल निकाल कर झूठमूठ एस-एम-एस करने का नाटक किया। इतने में जब उनका स्टॉप आ गया तो मैं उनके पीछे-पीछे वहीं उतर गयी। बस में आगे बैठी एक टीचर ने पूछा, “अरे तब़्बू… तुम कहाँ छुपी बैठी थी और तुम यहाँ क्यों उतर रही हो?”

    मैंने कहा, “मैं यहाँ अपनी एक सहेली के घर जा रही हूँ… कई दिनों से मिली नही उससे और आज किस्मत से जल्दी छुट्टी हो गयी तो मैंने सोचा उसे मिल लूँ…. और मेरा थोड़ा सर दर्द कर रहा था… इसलिये पीछे की सीट पर लेट कर थोड़ा सो गयी थी!”

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    “अरे तू अभी कुछ दिन पहले भी तो बीमार हो गयी थी! तेरी अम्मी से बोलुँगी कि अपनी बेटी को कुछ अच्छा खिलाया करो… स्लिम और खूबसूरत दिखने के चक्कर में कैसे सूख के मरी जा रही है!” उनमें से सबसे उम्र-दराज़ टीचर जो मेरी अम्मी को जानती थी वो बोली।

    “जी सकीना आँटी ज़रूर बता देना… पर मैं इतनी भी कमज़ोर नहीं हूँ… आप मुझे कभी अपनी क्लास के मुस्टंडों की पिटाई करते देखना… फिर पता चलेगा आपको!” मैं हंसते हुए बोली और बस से उतर गयी।

    बस से उतरी तो बारिश रुक गयी थी। मैं पीछे की जानिब चल पड़ी और एक साइड वाली गली में मुड़ गयी और एक तन्हा जगह पर जा कर खड़ी हो गयी। हवस में मैं इतनी बहक गयी थी कि उस वक़्त एक मर्तबा भी मुझे किसी तरह की शर्मिंदगी या बद-अखलाक़ी का एहसास नहीं हुआ। मेरी शरमो-हया और सारी सक़ाफ़त और अखलाक़ियत हवस की आग में फ़ना हो गयी थी। धड़कते दिल के साथ मैं बेकरारी से उन लड़कों के आने का इंतज़ार कर रही थी। जिस्म की आग ने मुझे इतना अंधा कर दिया था कि एक दफ़ा भी ख्याल नहीं आया कि मैं कोई गुनाह करने जा रही हूँ और इस बदकारी का क्या नतीजा होगा। मेरी टाँगें काँप रही थी और चूत गिली हो रही थी और इक्साइटमेम्ट में निप्पलों में भी सनसनाहट महसूस हो रही थी।

    कुछ ही देर में एक काले शीशों वाली टाटा सफ़ारी आ कर मेरे सामने रुकी और उसका पिछली सीट वाला दरवाजा खुला। उसमें से मेरा एक स्टूडेंट नीचे उतरा और बोला, “अंदर आ जाओ तब़्बु मैडम!” अंदर पीछे की सीट पर एक लड़का बैठा था जबकि दो लड़के आगे बैठे थे। जैसे ही मैं गाड़ी के अंदर घुसकर बैठने लगी तो अंदर बैठे दूसरे लड़के ने मुझे कमर से पकड़ कर ज़ोर से अपनी गोद में खींच लिया। दूसरे ने भी फ़ौरन अंदर बैठते ही गाड़ी का दरवाज़ा बंद किया और गाड़ी चल पड़ी। जिस लड़के की गोद में मैं बैठी थी उसने अपना एक हाथ मेरी बगल में से निकालकर मेरी छाती पर रख दिया और मेरे मम्मे ज़ोर से रगड़ने लगा और दूसरा हाथ उसने मेरी रानों के बीच मेरी चूत पर रख दिया और उसे प्यार से मसलने लगा।

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    दूसरे लड़के ने मेरे ऊँची पेन्सिल हील वाली सैंडल वाले पैरों को पकड़ा और मेरी टाँगों को अपनी जानिब खींच लिया। अब मेरी टाँगें उसके अगल बगल थीं और वो मेरी टाँगों के बीच। “साली रंडी! कुत्ती! क्लास में बहुत मारती है ना… आज तेरी गाँड ना फाड़ दी तो हमारे नाम बदल देना!” ये कहते ही वो मेरी चूत को ज़ोर से मसलने लगा। दूसरे वाले ने झुक कर मेरे होंठों को अपने होंठों से सी लिया और मेरे निचले होंठ को काटने लगा और मेरे मम्मों को मसलने लगा। तभी आगे बैठा लड़का बोला, “यार दारू के ठेके पे रोकना पहले… दारू पी के तब्बू मैडम जी को चोदने में और मज़ा आयेगा!”

    “हाँ यार… इस साली तब़्बू को भी पिलायेंगे तो ये भी खुल के चुदवायेगी….!” दूसरा बोला। स्कूल की बस में तो चारों लड़के फिर भी मुझसे इज़्ज़त और अदब से बात कर रहे थे लेकिन अब उनका लहज़े में अचानक तब्दीली आ गयी थी और बेहद बद-तमीज़ी से पेश आ रहे थे। ‘मैम’ या ‘मैडम’ कहते हुए भी उनका लहज़ा तंज़िया था।

    इधर एक लड़के ने ज़ोर से अपने दाँत मेरी कमीज़ में बाहर निकल रहे थोड़े से कंधे वाले हिस्से पर गड़ा दिये। मेरे मुँह से चींख और सिसकरी एक साथ निकली। उस एक लम्हे में मुझे दर्द और मज़े का एक साथ ऐसा एहसास हुआ कि मुझे लगा कि मैं उसी लम्हे झड़ जाऊँगी लेकिन झड़ी नहीं। वो दोनों मिल के मुझे मसल रहे थे…. चूम रहे थे… काट रहे थे और मेरे होंठों से मुसलसल सिसकारियाँ निकल रही थी। इतने में कार हाइ-वे पे एक शराब के ठेके पे रुकी तो उन्होंने मुझे अपने बीच में सीधी कर के बिठा लिया। आगे ड्राइविंग सीट वाला संज़य उतर कर ठेके पे चला गया। इतनी देर मेरी अगल-बगल बैठे दोनों लड़के मुझे दोनों तरफ से चूमते रहे और मेरे मम्मे और रानें सहलाते रहे। मैं भी मस्त होकर उनकी युनिफॉर्म की ग्रे पैंट के ऊपर से उनके लंड मसलते हुए महसूस करने लगी।

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    इतने में संजय शराब की बोतल लेकर आ गया। आगे बैठा दूसरा लड़का बोला, “यार गिलास तो हैं नहीं कार में… खेत पे जा के ही दो-दो पैग खींचेंगे!”

    ये सुनकर मेरी बगल में बैठा एक लड़का हंसते हुए बोला, “यार तब़्बु मैम को क्यो इंतज़ार करवा रहे हो… लाओ इन्हें तो बोतल से ही पिला दें थोड़ी… तो खेत पे पहुँचने तक इसकी शरम तो खुल जाये…!”

    ये सुनकर मैं इंकार करते हुए बोली, “नहीं.. नहीं… मैं शराब नहीं पीती… तुम चारों को पीनी हो तो पियो… मैं नहीं पियुँगी!”

    “अरे तब्बू मैम… पी कर तो देखो… जब थोड़ा नशा होगा तो चुदाई में खूब मज़ा आयेगा….!” मेरे बगल में बैठा एक लड़का बोतल खोलते हुए बोला और मेरे होंठों से लगाने लगा तो मैंने मुँह फेरते हुए फिर इंकार किया, “नहीं… मुझे नहीं पीनी… पहले कभी नही पी मैंने…!”

    “अरे रंडी तब़्बू साली… पहले नहीं पी तो आज पी ले… अपने स्टूडेंट्स के साथ चुदाने भी तो पहली बार आयी है कि नहीं… या फिर और दूसरे स्टूडेंट्स से चुदवाया है पहले!” उनमें से एक लड़का बोला और सब हंसने लगे। “थोड़ी सी पी लो तबस़्सुम़ मैम… कुछ नहीं होगा… हम चारों के नाम के दो-दो घूँट भर लो बस… फिर अच्छी नहीं लगे तो और ज़ोर नहीं देंगे!” आगे ड्राइविंग सीट से संजय बोला।

    वो लोग मानने वाले तो थे नहीं और जब फिर से उस लड़के ने बोतल मेरे मुँह से लगा दी तो पता नही क्यों मैंने और मुज़ाहमत नहीं की और एक बड़ा सा घूँट भर के हलक के नीचे उतार लिया। मेरे हलक और पेट में इस क़दर जलन हुई कि मेरा दम घुटने लगा और मैं खाँसने लगी। मेरी बगल में बैठा एक लड़का मेरी कमर सहलाते हुए बोला, “बस बस त़ब्बू मैडम जी… अभी ठीक हो जायेगा… पहली बार पी रही हो ना इसलिये…!”

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    फिर कुछ ही लम्हों में मेरी साँसें नॉर्मल हो गयीं और जलन भी खतम हो गयी तो उन्होंने ये कहते हुए फिर बोतल मेरे मुँह से लगा दी कि इस बार मुझे अच्छी लगेगी और तकलीफ भी नहीं होगी। जब मैंने दूसरा घूँट पिया तो उतनी जलन नहीं हुई और ऐसे ही उन्होंने इसरार करते हुए ज़बरदस्ती आठ-दस घूँट पिला दिये। कुछ ही देर में मुझे बेहद खुशनुमा सुरूर महसूस होने लगा और मैं उन लड़कों के बीच में बैठी हुई झूमने लगी।

    इतने में उस लड़के का खेत आ गया जो ज्यादा दूर नहीं था। बारिश तो पहले ही बंद हो चुकी थी लेकिन काले बादल अभी भी छाये हुए थे। काले बादलों के बीच में से सूरज की हल्की गुलाबी सी रोशनी क़ायनात को रंगीन बना रही थी। उनके खेत में पानी की मोटर के साथ एक छोटा सा कमरा था। उसके बाहर तीन-चार मजदूर बैठे थे। आगे वाले एक लड़के ने गाड़ी से उतरते ही उनसे कहा, “ओये! आज तुम सबकी छुट्टी है… तुम सब घर जाओ अभी!”

    “जी बाबू जी!” ऐसा बोल कर वो सब मजदूर जाने के लिये उठे। इतने में गाड़ी के पीछे वाली सीट का दरवाजा खोल कर एक लड़का मुझे गोद में उठाये बाहर निकला। अरे ये तो वो आपके स्कूल वाली मास्टरनी है ना! वो शुगर मिल वाले खुर्शीद साहब की लौंडी? इसको चोदने लगे हो बाबू…. आपने तो राम कसम हमारा दिल खुश कर दिया! ऐसी मक्खन जैसी चिकनी गोरी कहाँ मिलेगी और वो भी अपनी ही मास्टरनी! जियो बाबू जियो! और खूब जम कर चोदना! रंडी बना देना आज साली को! और तू घबरा मत मास्टरनी हम किसी से नहीं कहेंगे कि तू इस मोटर पर किनसे चुदी है!” एक मजदूर बोला।

    “अच्छा अच्छा… अब तुम जल्दी जाओ यहाँ से!” एक लड़का बोला।

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    “जाते हैं बाबू जी! पर एक तकलीफ़ होगी आपको! मोटर पर जो चारपायी है ना वो टूट गयी थी इसलिये बनने के लिये गयी हुई है… आपको इसे अंदर कमरे में जो सूखे चारे का ढेर पड़ा है उसी पर चोदना पड़ेगा!” वो मजदूर जाता-जाता बोला।

    उस एक लम्हे के लिये मुझे एहसास हुआ कि आज मैं कितनी बिगड़ गयी हूँ और मुझे अपने पर थोड़ी सी शरम भी आयी और थोड़ी घबराहट भी महसूस हुई। लेकिन अगले ही लम्हे चार-चार जवान लड़कों से एक ही साथ खेत में सूखे चारे के ढेर पर चुदने के खयाल से मेरी हवस और ज़्यादा बढ़ गयी। इतने में वो लड़का मुझे गोद से नीचे उतार चुका था। मैं खुद ही मोटर के साथ बने कमरे की जानिब झूमती हुई चलने लगी। एक तो मैंने ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल पहने हुए थे और फिर शराब का सुरूर भी था तो ज़ाहिर है मेरे कदम ज़रा लड़खड़ा से रहे थे। कमरे के दरवाजे के पास पहुँच कर मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो चारों लड़के मेरी जानिब देख कर हंस पड़े।

    “बड़ी जल्दी है भई हमारी तब़स्सुम़ मैडम को चुदने की आज तो… फिर शुरू हो जाये!” एक ने कहा और सभी हंस पड़े।

    “हाँ-हाँ जल्दी चलो!” दूसरा बोला।

    “अरे पहले तब्बू मैम से तो पूछ लो के हम से चुदना है कि नहीं!” तीसरा बोला।

    “क्यों त़बस्सूम मैडम चुदोगी हमसे?” एक ने सवाल किया।

    अब तक शराब के सुरूर में मैं बिल्कुल बेशरम हो चुकी थी। मैंने मुस्कुराते हुए अपने टीचर वाले कड़क अंदाज़ में कहा, “तो अब क्या ये भी दो-दो थप्पड़ मार के तुम नालायकों को समझाना पड़ेगा…!”

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    उनमें से एक लड़के ने डॉयलॉग मारा, “हाय तब़स्सुम़ मैडम जी… मार लो थप्पड़ भी मार लो… हमें आपके थप्पड़ से डर नहीं लगता… आपकी सैक्सी अदाओं से लगता है!” और सब हंसने लगे और मुझे भी उसकी बात पे ज़ोर से हंस पड़ी।

    “चलो यरों! हरी झंडी मिल गयी”, एक लड़का बोला। फिर वो मुझे लेकर कमरे में घुस गये और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और एक मद्धम सी रोशनी वाला बल्ब चालू कर दिया। उनमें से एक लड़के ने आ कर पीछे से मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे दबोच लिया और मेरे गाल और गर्दन को पीछे से चूमने लगा और मेरे चूतड़ दबाने लगा। मेरे होंठों से सिसकरी निकलने लगी। इतने में दूसरे लड़के ने आगे से मुझे दबोच लिया और मेरे मम्मे और तने हुए निप्पल मसलने लगा। मुझे उसकी पैंट में से उसका तना हुआ लौड़ा अपनी नाफ़ के नीचे चुभता हुआ महसूस हुआ और वैसे ही अपनी कमर के नीचे चूतड़ों के बीच में भी पीछे वाले का लौड़ा महसूस हो रहा था। पीछे वाला लड़का कपड़ों के ऊपर से ही अपने लंड से मेरी गाँड में धक्के मारने लगा तो मैंने भी तड़पते हुए अपने चुतड़ उसके लौड़े पे दबा दिये।

    “अरे देखो यार… साली तबस़्सुम मैडम को कितना मज़ा आ रहा है… क्यों री चूतमरानी… बोल मज़ा आ रहा है कि नहीं!” तीसरा लड़का बोला।

    मैं कुछ नहीं बोली तो एक लड़का जोर से बोला, “बोल ना साली चूत… शरमा क्यों रही है… खुल के बता मज़ा आ रहा है कि नहीं…?”

    मैंने गर्दन हिलाते हुए धीरे से कहा, “हाँ! हाँ! अच्छा लग रहा है!” और आगे वाले लड़के की गर्दन में बाँहें डाल दी।

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    फिर मेरे आगे खड़े लडके ने मेरी कमीज़ का दामन उठा कर मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और बाकी दोनों लड़के बैठ कर मेरी पेंसिल हील वाले सैंडल खोलने लगे क्योंकि मेरी टाइट चुड़ीदार सलवार बिना सैंडल खोले उतारना मुमकिन नहीं होता। सैंडल खुलते ही उन्होंने मेरी सलवार पैरों तक खिसका दी और पहले एक ने मेरा पैर उठा कर सलवार मेरे पैर से निकाली और फिर दूसरे ने दूसरे पैर से मेरी सलवार निकाल दी। उसके बाद दोनों ने फिर मेरे सैंडल दोबारा पहना कर स्ट्रैप के बकल लगा दिये। मेरे आगे और पीछे मुझसे से चिपक कर खड़े दोनों लड़के अभी भी मुझे चूमते हुए मेरे जिस्म पे हाथ फिरा रहे थे। मैं बिल्कुल मस्त होकर सिसकारियाँ भर रही थी और अपनी गाँड आगे पीछे हिलाते हुए उनकी युनिफॉर्म की पैंटों में तने हुए लौड़ों पर दबाने लगी।

    फिर एक लड़का बोला, “अरे अखतर मैम… इतनी बेसब्री क्यों हो रही हो… बहुत टाईम है हमारे पास… हम कहीं भागे नहीं जा रहे… ज़रा ढंग से ऐश करेंगे…!” और अचानक दोनों लड़के मुझसे अलग हो गये। एक लड़का भाग के गाड़ी में से शराब की बोतल ले आया और उन्होंने जल्दी से कमरे में पड़े गिलासों में शराब और पानी डाल कर पाँच पैग तैयार लिये। चारों ने एक-एक गिलास उठया और मुझे भी एक गिलास पकड़ा दिया और फिर चारों लड़के मेरे गिलास से अपने गिलास टकराते हुए ज़ोर से ‘चियर्स’ बोले। मैं तो अब तक पुरी तरह मस्त हो चुकी थी और मैंने भी चियर्स कह के गिलास अपने होंठों से लगा लिया और पीने लगी। इस बार तो शराब में पानी मिला होने की वजह से उसका ज़ायका बिल्कुल बुरा नहीं लगा।

    उनमें से एक लड़का बोला, “अरे यार सुरिंदर! अपने फोन पे कोई गरमा-गरम ऑइटम साँग तो बजा यार… आज तब्बू मैडम का मुजरा देखेंगे पहले!”

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    ये सुनकर मैं चौंकते हुए बोली, “नहीं… नहीं… पागल हो गये हो क्या…. मुझे नाचना नहीं आता!”

    “अरे तब़्बू मैडम! क्यों नखरा कर रही हो! तुम क्या कटरीना या हिरोइन तब्बू से कम हो क्या… और गाने पे ठुमके लगाते हुए ज़रा अदा के साथ धीरे-धीरे नंगी ही तो होना है तुम्हें… वो क्या कहते हैं तुम्हरी अंग्रेज़ी में… स्ट्रिपटीज़!” उन्होंने कहा तो मैं उनकी बात मानने को राज़ी हो गयी। चारों अपने-अपने गिलास लेकर ज़मीन पे बैठ गये और सुरिन्दर ने अपने स्मार्ट-फोन पे “चिकनी चमेली… छुप के अकेली… पव्वा चढ़ा के आयी…” लगा दिया। मैंने जल्दी से अपना गिलास खाली किया और फिर बिना सलवार के सिर्फ़ कमीज़ और ऊँची पेन्सिल हील वाले सैंडल पहने एक आइटम-गर्ल की तरह अपने स्टूडेंट्स के बीच में नाचने लगी। वो लोग “वाह-वाह” करने लगे। नाचते-नाचते मैं बारी- बारी से उनके करीब जाती और किसी को झुक कर चूम लेती तो किसी की टाँगों के बीच में पैर रख के लौड़े को सैंडल के पंजे से दबा देती।

    फिर एक लड़का खड़े हो कर मेरे साथ चिपक कर नाचने लगा और और मेरी कमीज़ की पीछे से ज़िप मेरी कमर तक खोल दी तो मैंने मुस्कुराते हुए उसे प्यार से धक्का मार के वापस बिठा दिया और नाचते हुए बड़ी शोख अदा से उन्हें तड़पाते हुए धीरे-धीरे अपनी कमीज़ उतारने लगी। कुछ ही लम्हों में मैं सिर्फ़ ब्रा-पैंटी और हाई पेन्सिल हील के सैंडल पहने नशे में झूमती हुई अपने स्टूडेंट्स के सामने नाच रही थी। चारों लड़के मस्त होकर पैंट के ऊपर से ही अपने लौड़े मसलने लगे। ये देख कर मैं भी और ज्यादा गरम हुई जा रही थी। फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी ब्रा भी उतार के एक लड़के के चेहरे पर फेंक दी। इतने में गाना खतम हुआ तो सुरेंदर ने वही गाना फिर से चला दिया। मैंने अपने नंगे बूब्स उछालते हुए नाचना ज़ारी रखा। उसके बाद मैंने अपनी गाँड मटकाते हुए धीरे-धीरे पैंटी अपनी टाँगों से नीचे खिसकानी शुरू की तो चारों लड़के आँखें फाड़े हवस-ज़दा नज़रों से मुझे देखने लगे।

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    जब मैंने अपने पैरों से पैंटी निकाल के हवा में उछाली तो चारों उसे पकड़ने के लिये लपके लेकिन पैंटी उनमें से सबसे बिगड़े और बड़े लड़के कुलदीप के हाथ आयी। वो फतेहाना अंदाज़ में इतराते हुए बैठ कर मेरी गीली पैंटी को सूँघने लगा। अब मैं सिर्फ़ ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने बिल्कुल मादरजात नंगी उन लड़कों के बीच में नाच रही थी। मुझे अपने जिस्म पर बाल अच्छे नहीं लगते इसलिये मैं वैक्सिंग करके सिर के अलावा जिस्म के हर हिस्से को बालों से पाक रखती हूँ।

    “अरे तबस़्सुम मैडम… साली तू तो मक्खन से भी ज्यादा चिकनी और गोरी है और तेरे गोल-गोल बूब्स कितने प्यारे हैं! इसकी चिकनी चूत भी कितनी गोरी है और गुलाबी है… आज तो मज़ा आ जायेगा इसे चोदने का! और गाँड भी कितनी सैक्सी है… आज साली रंडी की चूत फाड़ देंगे…! मैं तो रसीली गाँड भी मारुँगा साली तब़्बू मैडम की!” ये सब तबसरे करते हुए चारों लड़के खुद भी अपनी स्कूल की युनिफॉर्म उतार के नंगे होने लगे। उनके नंगे जिस्म और खासतौर पे उनके तने हुए जवान लौड़े देख कर मेरी धड़कने तेज़ हो गयी और फरेफ्ता हो कर उनके लौड़े निहारने लगी। तने हुए चार नौजवान बे-खतना लौड़े मेरी हवस की आग बुझाने के लिये मौजूद थे। चारों लौड़े मेरे मरहूम शौहर के लंड के मुकाबले काफी बड़े थे। उनमें से सबसे छोटा लंड कमज़ कम आठ इंच होगा और कुल्दीप का लंड तो दस-ग्यारह इंच से कम नहीं था। अचानक मुझे शराब का नशा पहले से बुलंद महसूस हो रहा था। ज़िंदगी में पहली दफ़ा जो शराब पी थी।

    उनमें से एक लड़का बोला, “ऐसे आँखें फाड़े क्या देख रही हो त़ब्बू मैडम… ये चारों लौड़े आज तेरी जम के खूब चुदाई करेंगे कि तेरी सारी अकड़ निकल जायेगी… स्कूल में लड़कों की पिटाई करने का बहुत शौक है ना तुझे… आज इन लौड़ों से चुद के तेरी सारी फ्रस्ट्रेशन दूर हो जायेगी!”

    “चल मैडम… पहले हमारे लौड़े तो चूस के चिकना कर…!” दूसरा लड़का मुझे नीचे बिठाने के मकसद से मेरे कंधे दबाते हुए बोला। चारों लड़के मुझे घेर के खड़े थे और जैसे ही मैं उनके बीच में उकड़ू बैठी तो एक लड़के ने अपना लंड मेरे चेहरे के आगे कर दिया। उसके लंड की चमड़ी में से बाहर झाँकती टोपी उसकी मज़ी से भीगी हुई थी। मैं अपने शौहर का लंड कईं दफ़ा चूसती थी इसलिये मुझे इन लड़कों के लंड चूसने में कोई परहेज़ नहीं था। वैसे भी इस वक़्त मैं शराब और हवस के नशे में इस कदर मखमूर थी कि कुछ भी नागवार नहीं था।

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    उस लड़के ने अपना लंड मेरे होंठों पे लगाया तो पेशाब और पसीने की तेज़ बू मेरी नाक में समा गयी लेकिन उस वक़्त मेरी कैफ़ियत ऐसी थी कि वो बू भी मेरे लिये शहवत-अंगेज़ थी। उसके लंड में से चिकना सा मज़ी रिस रहा था। मैंने एक लम्हा भी ताखीर किये बिना अपने होंठ खोलकर उसके लंड की टोपी अपने मुँह में ले ली। उसका तीखा सा तल्ख ज़ायका भी वाकय में मुझे बेहद लज़ीज़ लगा। ठोस और सख्त होने के साथ-साथ उसका लौड़ा गुदगुदा और लचकदार भी था। मेरे लरज़ते होंठों पे तपिश भरा मखसूस एहसास मेरी तिश्नगी बढ़ा रहा था। अपने मुँह के अंदर ही मैं अपनी ज़ुबान उसके लंड के सुपाड़े पे ज़ोर से चारों तरफ़ फिराने लगी जैसे कि वो कोई लज़ीज़ कुल्फ़ी हो। फिर अपने होंठ और ज्यादा खोल कर मैंने उसका लंड अपने मुँह में और अंदर तक ले लिया और बिल्कुल बेहयाई से मस्ती में अपने स्टूडेंट का लौड़ा चूसने लगी। ये बे-खतना लौड़ा मेरे मरहूम शौहर के लंड के मुकाबले काफी बड़ा था।

    बाकी तीनों लड़के भी मेरे चारों तरफ़ खड़े थे। मेरे दोनों तरफ़ खड़े लड़के अपने लौड़े मसलते हुए मेरे दोनों गालों पे छुआ रहे थे और पीछे खड़े लडके का लंड मेरी गर्दन पे टकरा रहा था। अपने सामने वाले लड़के का लौड़ा चूसते हुए मैंने अपने दोनों तरफ़ खड़े लड़कों के लंड अपने एक -एक हाथ में पकड़ लिये और उन्हें मसलते हुए उनकी चमड़ी आगे-पीछे करने लगी। चार-चार जवान तगड़े लौड़ों से घिरी हुई मैं बे-इंतेहा मस्ती के आलम में थी।

    कुछ ही देर में मैं ऐसे बारी-बारी से चारों के लंड बदल-बदल कर अपने मुँह में ले कर मस्ती में शिद्दत से चूसने लगी और साथ-साथ दोनों मुठियों में दो लौड़े मसलने लगी। मेरे दोनों हाथ दो लड़कों के लौड़ों पे मसरूफ़ होने की वजह से मेरे सामने जो भी लड़का मौजूद होता वो खुद अपना लंड मेरे मुँह में डाल कर आगे-पीछे करते हुए चुसवाता और मैं भी पूरी शिद्दत से उनके लौड़े चूस रही थी। उनकी मज़ी का ज़ायका जब मुझे अपनी ज़ुबान पे महसूस होता तो पूरे जिस्म में सनसनी लहर दौड़ जाती। कितना फ़ाहिश मंज़र था। एक टीचर अपने से कम उम्र के स्टूडेंट्स के बीच में उनसे घिरी हुई सिर्फ़ ऊँची हील वाले सैंडल पहने बिकुल नंगी बैठी उनके लौड़े चूस रही थी।

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    “हाय मैडम… क्या मस्त लंड चूसती है साली…. साली तब़्बू का मुँह इतना मज़ेदार है तो चूत कितनी गरम होगी… मज़ा आ गया… मस्त लंड-चुसक्कड़ है साली!” उन लड़कों के फाहिश तबसरे मेरा जोश और हवस भी बढ़ा रहे थे। अपना लंड मेरे मुँह में चोदते हुए मस्ती में वो लड़के बाज़ दफ़ा अपना लंड मेरे हलक तक ठेल देते तो मेरी साँस घुट सी जाती लेकिन मुझे तड़पते देख कर वो कुछ लम्हों के लिये मेरे थूक से सना हुआ अपना लंड बाहर खींच लेते। मैं खाँसते हुए ज़ोर-ज़ोर से लंबी साँसें लेती तो मेरी हालत पे हंस पड़ते और तबसीरे कसते, “अब पता चला तब़स्सुम मैडम… क्लास में थप्पड़ मार-मार के हमारे गाल सुजा देती है साली!”

    इसी तरह करीब आठ-दस मिनट मैं उनके लौड़े चूसती रही। इस दौरान मेरा मुँह और हलक़ भी उनके लौड़ों की जसामत से काफी हद तक मुवाफिक़ हो गये थे। फिर जब एक लड़का बोला कि “चलो यारों… अब इस साली मुसल्ली तब़्बू को चोदना भी है कि नहीं!” तो उन्होंने अपने लौड़े मेरे मुँह और मुठियों में से निकाले।

    उनके तने हुए लौड़े मेरे थूक से बूरी तरह तरबतर थे और मेरे खुद के गाल, गला और छाती भी मेरे थूक से भीगे हुए थे। मैं वहीं ज़मीन पे अपने चूतड़ टिका कर बैठ गयी और पास पड़े अपने डुपट्टे से अपना चेहरा, गला और छाती पोंछने लगी। इतने में दो लड़कों ने जल्दी से पाँच गिलासों में फिर से व्हिस्की और पानी मिला कर पैग तैयार कर लिये। मैं तो पहले से ही नशे में मखमूर थी तो मैंने कोई मुज़ाहमत नहीं की और अपना गिलास ले कर धीरे-धीरे पीने लगी। वो चारों भी खड़े-खड़े अपने पैग पी रहे थे। एक लड़का बोला, “वाह तब़्बु मैडम… कमाल का लंड चूसती हो… मज़ा आ गया!”

    “वो सुहाना और फ़ातिमा तो बिल्कुल अनाड़ी हैं आपके सामने… तबस़्सुम़ मैडम जी अंग्रेज़ी के साथ-साथ लंड चूसना भी तो सिखाओ उन माँ की लौड़ियों को!” दूसरे लड़के ने कहा और फिर तीसरा बोला, “देखो तो चूस-चूस के हमारे लौड़े किस तरह भिगो दिये त़ब्बू मैडम ने अपने थूक से!” इतने में एक लड़का मेरे हाथ से मेरा आधा भरा गिलास लेते हुए बोला, “तो क्या हुआ दोस्तों… लो साफ़ कर लो अपने-अपने लौड़े!”

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    और ये कहते हुए वो अपना लंड मेरे गिलास में शराब में डुबा के हिलाने लगा। बाकी तीनों लड़के हंसने लगे और फिर उन तीनों ने भी बारी-बारी अपने लंड उस गिलास में डाल कर शराब से धोये। उसके बाद जब उन्होंने वो गिलास मुझे वापस पकड़ाया तो उनका इरादा समझ आते ही मैं हैरान रह गयी ओर थोड़ा गुस्से से बोली, “ये क्या बदतमीज़ी है… तुम लोगों का दिमाग तो ठिकाने पे है?”

    “अरे मैडम जी… क्यों भड़क रही हो… अभी यही लौड़े तो मज़े से मुँह में लेकर चूस रही थी और इन पे लिसड़ा हुआ थूक भी तुम्हारा ही तो था…!” एक लड़के ने कहा तो इतने में दूसरा बोला, “अरे पी लो त़बस्सूम मैडम… बड़ा मज़ा आयेगा… चार-चार लौड़ों के मर्दाना फ्लेवर का मज़ा मिलेगा…!”

    उन्होंने इसरार किया तो मुझे भी लगा कि वो सही ही तो कह रहे हैं और मैं ज़रा झिझकते हुए पीने लगी। ये देख कर वो खुशी से तालियाँ और सीटियाँ बजाने लगे तो मेरे चेहरे पे भी मुस्कुराहट आ गयी। उसके बाद उन्होंने मुझे खड़ा किया और फिर एक लड़के ने पीछे से मुझे कंधे से पकड़ कर और एक ने आगे से टाँगों से पकड़ कर उठा लिया और सूखी घास पे लिटा दिया। उनमें से सबसे बड़ा लड़का कुल्दीप मेरे ऊपर झुक कर मेर गालों पर, होंठों पर और गर्दन पर सब जगह चूमने लगा। उसका लंड बीच-बीच में मेरी चूत को छू जाता तो मुझे बिजली का झटका सा लगता और मैं सिसक जाती। फिर कुल्दीप गर्दन उठा कर अपने दोस्तों से बोला, “देख क्या रहे हो… आओ मिलकर तब़्बू मैडम की नशीली जवानी को शराब में मिलाकर पियेंगे…!”

    उसके बाद बाकी तीनों भी मेरे करीब आ गये। एक लड़के ने मुझे कंधे से पकड़ कर बिठा दिया औरे मेरी दोनों तरफ़ अपनी टाँगें खोलकर मेरे पीछे बैठ गया। उसका लौड़ा मेरी कमर में चुभ रहा था। इतने में दो लड़के मेरे एक-एक पैर पे झुक गये और बोतल से थोड़ी-थोड़ी व्हिस्की मेरे सैंडल और पैरों पे उड़ेल कर उन्हें चाटने और चूमने लगे। उन लड़कों को इस तरह अपने सैंडल के तलवे, हील

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    और स्ट्रेप्स के बीच में से मेरे पैर शराब में भिगो कर चाटते देख मेरे जिस्म में अजीब सी मस्ती भरी लहरें उठने लगी। इसी तरह मेरे जिस्म को शराब में भिगोते हुए वो दोनों आहिस्ता-आहिस्ता मेरी टाँगों को चूमते और चाटते हुए मेरी रानों की जानिब बढ़ने लगे। मेरी बगल में बैठा लड़का मेरे मम्मों पे अपने गिलास में से शराब उड़ेल-उड़ेल कर चाट रहा था और मेरे पीछे वाला मेरी गर्दन और कमर पे व्हिस्की उड़ेल कर चाट रहा था। इसी तरह कुछ देर वो चारों मेरे हुस्न को शराब में भिगो कर चूमते और चाटते रहे।

    इतने में सुरिंदर बोला, “बस यार अब नहीं रुका जाता मुझसे… मैं तो अब तब्बू मैडम की चूत मारुँगा!” ये सुनके संज़य बोला, “गाड़ी मेरी… ये खेत मेरे बाप का तो पहले मैं चोदुँगा तब़्बु मैडम को!” इतने में कुल्दिफ बोला, “ओये इसको सुह़ाना और फात़िमा की हेल्प से इसे फंसाने का प्लैन मेरा था और बस में भी मैंने ही सबसे ज्यादा खतरा उठा कर तब़स्सुम मैडम की गाँड में उंगली करी थी तो इसकी चूत में मैं ही सबसे पहले अपना लौड़ा पेलुँगा!”

    मुझे सबसे पहले चोदने के लिये उन लड़कों को इस तरह बहस करते देख मुझे बेहद अच्छा लगा और अपने हुस्न पे फ़ख्र सा महसूस हुआ। खैर कुळदीप ही एक बार फिर मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गया और बाकी तीनों एक तरफ़ हो गये। कुल्दीप ही सबसे लम्बा-चौड़ा था और उसका लंड भी उनमें से सबसे बड़ा था। कुलद़ीप मेरे ऊपर झुक कर मेरे होठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा। मैं भी उससे लिपट गयी और उसके होंठ और ज़ुबान चूसने लगी। मेरी कमर और चूतड़ों पर सूखा चारा रगड़ खा रहा था पर मेरे अंदर की हवस की आग मुझे इसका एहसास भी नहीं होने दे रही थी।

    मेरे होंठों को चूमने के बाद कुल्दीप ने मेरे मम्मे भींच-भींच कर चूसे और चाटे। फिर से वो पास पड़ी बोतल उठा कर फिर से मेरे पेट और नाफ़ पे व्हिस्की उड़ेल कर उन्हें चाटने लगा। उसके बाद उसने दोनों हाथों से मेरे घुटने पकड़ कर मेरी टाँगें खोल दीं। जब वो मेरी चूत पे शराब डाल कर मेरी चूत चाटने लगा तो मैं मस्ती में पागल सी हो गयी।

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    मेरे मरहूम शोहर ने भी कभी मेरी चूत को नहीं चाटा था। ये मेरे लिये बिल्कुल नया तजुर्बा था और मैं जोर-जोर से सिसकने लगी और उसके बाल अपनी मुठ्ठियों में जकड़ कर उसका चेहरा अपनी रानों में भींचने लगी। मेरा पेट अकड़ने लगा और चूत में फुव्वारे फूट पड़े। फिर उसने मेरी टाँगों के बीच में बैठ कर अपने अकड़े हुए सख्त लौड़े को मेरी चूत पे रख दिया तो मैं जोर से सिसक उठी “ऊँऊँम्फफ!”

    “ओये कंडोम नहीं डालेगा क्या?” एक लड़के ने पूछा तो कुल्दीप बोला, “साला कंडोम लाया ही कौन है… पता थोड़ी था कि ये छिनाल त़ब्बू इतनी आसानी से आज ही चुदवाने के लिये तैयार होके दौड़ी चली आयेगी हमारे साथ!”

    “कोई बात नहीं यार… इसे घर छोड़ते हुए रास्ते में केमिस्ट से आई-पिल दिलवा देंगे!” संज़य ने कहा।

    “चल रंडी साली… कुत्तिया तब़स्सुम़ मैडम… तुझे स्वर्ग की सैर कराता हूँ!” कहते हुए कुलद़ीप ने अपना बे-खतना लौड़ा मेरी चूत में डालना शुरू किया। मेरी चूत तो महीनों से चुदी नहीं थी और उससे पहले भी चुदी थी तो अपने मरहूम शौहर के लंड से जो लंबाई और मोटाई दोनों में कुल्दीप के लंड से आधे से भी कम था। इसलिये कुल्दीप को मेरी बेहद भीगी हुई चूत में भी अपना लंड दाखिल करने के लिये काफी ज़ोर लगाना पड़ रह था। दर्द के मारे मेरी ज़ोर से चींख निकल गयी तो उसने फौरन अपने होंठों से मेरे होंठों को सी दिया

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    और ज़ोर से अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत में आगे ढकेलने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी से ने गरम-गरम लोहे की मोटी सलाख मेरी चूत में घुसेड़ दी हो। मैं अपना सिर भी नहीं हिला पा रही थी और उसके जिस्म के नीचे कुचली पड़ी हुई दर्द से छटपटा रही थी और वो था कि मेरी चूत फाड़ने पर अमादा था। इतना दर्द तो मुझे अपनी सुहागरात में अपने शौहर से पहली दफ़ा चुदवाने में भी नहीं हुआ था।

    उसका लंड मेरी चूत में फंस-फंस कर जा रहा था तो उसने मेरे होंठों से अपने होंठ हटा लिये और मेरी कमर में अपनी बाँहें डाल कर जकड़ते हुए ज़ोर से अपनी तरफ़ खींचते हुए अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसाने लगा। मेरी टाँगें छटपटा रही थीं और मैं अपनी मुठियों में सूखी घास भींचे हुए बे-तहाशा चींखने लगी, “आआआईईईई…. हाय…. अल्लाह के लिये छोड़ दो… प्लीज़… ऊऊऊँईईई कुऽऽलदीऽऽप बहोत बड़ाऽऽ है तेरा…!”

    “और चिल्ला साली रंडी… और चिल्ला… तुझे कहा था ना कि आज तेरी चूत फाड़ देंगे… साली तब़्बू क्लॉस में बहुत मारती है ना!” वो बोला।

    “प्लीज़ मुझे छोड़ो… आआआअहहह ईईईई! नहीं प्लीज़…” मैं गिड़गिड़ायी तो चारों हंसने लगे। “अभी बोल रही है छोड़ दो… पर जब दर्द चला जायेगा और मज़ा आने लगेगा तो डियर तब्बू मैडम… तुम ही बार-बार कहोगी कि मुझे चोद दो!” एक लड़का बोला।

    “भोंसड़ चुदी! तू खुद ही तो अपनी मर्ज़ी से आयी थी ना चुदने के लिये… हम कोई ज़बरदस्ती नहीं लाये तुझे यहाँ पे…!” दूसरा लड़का बोला।

    कुल्दीप ने इतने में अचानक से ज़ोर का झटका मारते हुए अपना तमामतर लौड़ा मेरी चूत में इतनी गहरायी तक पेल दिया जहाँ तक आज से पहले कोई चीज़ दाखिल नहीं हुई थी। इस अचानक हमले से मेरी ज़ोर से चींख निकल गयी, “आआआआईईईईई कुऽऽऽलद़ीऽऽऽप नहींऽऽऽ अळ्ळाऽऽहऽऽऽऽ रहम….!”

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    वो थोड़ी देर रुका तो मुझे दर्द थोड़ा कम होता महसूस हुआ लेकिन फिर उसने जब लौड़ा बाहर निकालना शुरु किया तो दर्द फिर शुरू हो गय। फिर वो अपने लौड़े को मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। कब मेरा दर्द खतम हुआ और कब मेरी दर्द भरी चींखें, गरम आहों और मस्ती भरी सिसकियों में तब्दील हो गयीं और कब मेरी छटपटाती टाँगें और बाँहें खुद-ब-खुद उसकी कमर में लिपट गयीं मुझे इसका पता भी नहीं चला। जैसा कि उन्होंने कहा था, थोड़े दर्द के बाद मुझे इस कदर मज़ा आने लगा कि दिल कर रहा था कि ये चुदाई खतम ही ना हो। वैसे भी कमबख्त ये चुदाई खतम भी कहाँ हो रही थी। वो मेरे स्कूल का सबसे ताकतवर और बिगड़ा हुआ स्टूडेंट था

    और आसानी से कहाँ थकने वाला था। अब तो मैं खुद भी मस्ती में सिसकती हुई अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदवा रही थी। मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि मेरे जैसी पाक और परहेज़गार और स्ट्रिक्ट टीचर एक दिन इस तरह शराब पी कर बिल्कुल नंगी होकर सूखी घास के ढेर पे सिर्फ़ ऊँची हील के सैंडल पहने अपने ही स्टूडेंट के नीचे लेटी हुई उसके लंड से पुर-जोश अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदवा रही होगी।

    पता नहीं कितनी दफ़ा मेरा जिस्म अकड़ा… पर जब भी मेरा जिस्म अकड़ता तो मेरी टाँगें और बाँहें उसकी कमर पर ज़ोर कस जाती और फिर जब मैं झड़ जाती तो मेरी टाँगें और बाँहें भी कुलद़ीप की कमर पे ढीली पड़ जाती। लेकिन वो कमबख्त काफी देर बाद झड़ा और झड़ा भी मेरी चूत में कहीं दूर अंदर तक। मुझे मेरी चूत के गहराइयों में कहीं गरम-गरम फुव्वारा छूटता महसूस हुआ। वो हाँफते हुए मेरे ऊपर गिर पड़ा लेकिन फिर संभल कर मुझे थोड़ी देर किस करने के बाद मेरे ऊपर से हटा।

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    मैंने देखा की मेरी गाँड के नीचे और आसपास की सुखी घास मेरी चूत से कईं दफ़ा खारिज़ हुए पानी से भीग चुकी थी। इतनी दफ़ा झड़ने के बावजूद मेरा जोश कम नहीं हुआ था क्योंकि कुल्दीप के मूसल जैसे लौड़े से चुदने के बाद मुझे चूत में बेहद खालीपन महसूस हो रहा था और चूत में लंड लेने की तलब बरकरार थी। इसके अलावा मुझे पता था कि अभी तो शुरुआत है। अभी तो तीन और लौड़े मेरी चूत चोदने के लिये बेताब थे। कुल्दीप हटा तो मेरा दूसरा बिगड़ा स्टूडेंट संज़य जिसे पता नहीं क्यों मैं पहले सबसे ज्यादा नफ़रत करती थी

    और जिसकी सबसे ज्यादा और खतरनाक पिटाई करती थी वो मेरे ऊपर आ गया और मेरे गालों और होंठों को चूमते हुए बोला, “मेरी प्यारी अखतर मैडम… अब मेरी बारी है… आज मुझे कुछ पढ़ाओगी नहीं! ओह सॉरी मैं तो भूल ही गया था… आज तो मैंने आपको सिखाना है कि अपने प्यारे स्टूडेंट की रंडी कैसे बनते हैं!” और वो मेरे होंठों को ज़ोर से चूमने लगा।

    वो मुझे चूम भी रहा था और एक हाथ से मेरी छाती मसल रहा था और एक हाथ से मेरी कमर की साइड को सहलाते हुए मेरी बाँह सहला रहा था। उसका लौड़ा भी करीब-करीब कुळ्दी़प के लौड़े के मुकाबले का ही था और मुझे वो अपनी चूत और रानों के बीच में रगड़ता हुआ महसूस हो रहा था। मैं मस्त हो गयी थी और मेरी हवस फिर से भड़क उठी थी। मुझसे रहा नहीं गया और मैं उससे लिपट गयी और उसे किस करने लगी।

    “ऊँहह… संजेऽऽय तुम मेरे सबसे अज़ीज़ स्टूडेंट हो गये हो आज!” हवस और शराब के नशे में पता नहीं कहाँ से मेरे मुँह से निकला। मैंने उसकी छाती को किस किया तो उसने मुझे मेरे सिर के बालों से पकड़ कर पीछे खींचा और मेरी गर्दन पर किस करने लगा। फिर मुझे उलटा करके मेरी कमर और मेरी गर्दन को पीछे से किस करने लगा और मेरे कान में बोला, “त़बस्सुम़ मैडम जी! कुल्दीप ने तो आपकी चूत मारी लेकिन मैं तो आपकी गाँड मारुँगा!”

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    ऐसा कह कर उसने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर मेरे चूतड़ ऊपर उठा दिये। अब मैं अपना सिर आगे झुका कर सूखी घास के ढेर पर टिकाये और कुहनियों और घुटनों के बल कुत्तिया बनी हुई थी। मेरी गाँड हवा में उठी हुई थी। उसने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ पकड़ कर उन्हें खोला और एक उंगली को थूक लगा कर मेरी गाँड पे रगड़ा। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। क्या वो वही करने जा रहा था जो मैं सोच रही थी। मैं बेहद डर गयी। मेरे धड़कने बढ़ गयीं और पसीना आ गया।

    मैंने अपनी टाँगों के बीच में से अपनी गाँड के पीछे लटक रहे उसके टट्टों को देखा और उसके तने हुए लौड़े को देखा जो कमज़-कम दस इंच का था। उसने मेरी कमर को दोनो हाथों से पकड़ा और अपना लौड़ा मेरी गाँड के मुँह पर रखा तो मैं खौफ़ज़दा होकर गिड़गिड़ाते हुए बोली, “नहीं संजय! अल्लाह् के लिये ये ज़ुल्म ना करो… मैंने वहाँ कभी नहीं करवाया पहले…. मैं वहाँ पे तुम्हारा लौड़ा बर्दाश्त नहीं कर सकुँगी! प्लीज़ वहाँ नहीं…!” पिछली कुछ दो घंटों में उनकी सोहबत का मेरे ऊपर इतना असर हुआ कि ज़िंदगी में पहली दफ़ा मैंने “लौड़ा” जैसे गंदे और फ़ाहिश अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किया और उस वक़्त तो मुझे इस बात का एहसास तक भी नहीं हुआ।

    लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी और मुझे अपनी जानिब खींचते हुए अपना लौड़ा मेरी गाँड के छेद में ढकेल दिया। दर्द के मारे मेरी चींखें निकल गयी, “आआआआईईईईई सऽऽन्जयऽऽऽ मरररऽऽऽ गयीऽऽऽऽऽ मैं… अळ्ळाहहहऽऽऽ नहींऽऽऽ!” उसके लौड़े का सुपाड़ा अभी आधा इंच भी अंदर नहीं गया था कि मेरी गाँड फट के हाथ में आ रही थी। मेरी आँखों में आँसू आ गये और मैं चींखे जा रही थी।

    मैंने कुहनियों के बल आगे भागने की कोशिश की पर उसकी मजबूत बाँहों ने मुझे कमर से जकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया। “कहाँ जा रही है तब्बूमैडम मेरी जान… बड़ा दुख दिया है तूने क्लॉस में… आज मेरी बारी है… चल इधर आ जा मेरी तब़्बूजान!” वो बोला।

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    उसने और जोर लगाया तो मुझे उसके लौड़े से अपनी गाँड चीरती हुई महसूस हुई। उसका लौड़ा आहिस्ता-आहिस्ता गाँड के अंदर सरकने लगा। मैं रोते हुए दर्द से छटपटाती हुई ज़ोर-ज़ोर से चींख रही थी “आआऊ… आआऊ… नहीं…. प्लीऽऽ… आआऊ… अल्ल्ल्लाहहह… आआऊ… मर गयीऽऽऽ… संजेऽऽयऽऽ बाहर… बाहर निकाल ले ज़ालिम… ऊऊऊऊहहह अल्ल्लाहऽऽऽ चीर दिया मुझे!” मेरी गाँड बुरी तरह फैल गयी थी और बे-इंतेहा दर्द बर्दाश्त के बाहर था। तीन-चार मिनट ही लगे होंगे उसे अपना तमाम लौड़ा मेरी सूखी गाँड में घुसाने में लेकिन मुझे लगा जैसे कि बर्सों लग गये हों। दर्द के मारे मैं करीब-करीब बेहोश ही हो गयी थी।

    “अरे भोंसड़ी की तऽऽब्बू मैडम… सब्र कर ज़राऽऽ… अभी अच्छा लगने लगेगा तुझे!” वो बोला और फिर उसने भी अपना लौड़ा अंदर बाहर करना शुरू किया। मैं सुबकते हुए जोर-जोर से कराह रही थी “ओहहह आआऊ… ओहह अल्लाआहहह… आआउ… आआह….” लेकिन कुछ देर बाद दर्द कम होने लगा और मुझे अजीब से मज़े का एहसास होने लगा… दर्द और मज़े का मिलाजुला एहसास। मैं वैसे ही कराहती रही लेकिन अब दर्द के साथ बेहद मज़ा भी आ रहा था और मैं नीचे से एक हाथ पीछे ले जाकर अपनी चूत रगड़ने लगी। जब उसने मेरी गाँड में अपनी मनी इखराज़ की तब तक मैं दो-तीन दफ़ा झड़ गयी।

    वो उतरा तो मैं घूम के घास के ढेर पे पीठ के बल लेट गयी। गाँड में हल्का सा दर्द का एहसास अभी भी था तो मैं हाथ से अपनी गाँड का मुआयना करने लगी। चारों लड़के हंसते हुए बोले, “चिंता ना करो तबस़्सुम़ मैडम… कुछ नहीं हुआ… बिल्कुल ठीक है तुम्हारी गाँड… देखो कैसे फैल के खुल गयी है… लगता है और लंड माँग रही है ये!”

    संज़य ने मेरी गाँड मार के मुझे मुख्तलिफ़ मज़े से वाक़िफ़ करवाया था लेकिन फिर भी चूत में खालीपन का एहसास और उसमें लंड लेने की बेकरारी बरकरार थी। मुझे पता था बाकी दोनों लड़के भी बेकरार हो रहे थे मुझे चोदने के लिये। मैं बस यही दुआ कर रही थी कि वो दोनों मेरी गाँड ना मारें और बस मेरी चूत की धुंआधार चुदाई कर दें। तीसरे लड़के सुरेंदर ने ज्यादा वक़्त ज़ाया नहीं किया और मेरे ऊपर आ गया।

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    उसका लंड पहले दोनों लड़कों से लंबाई में ज़रा कमतर ज़रूर था लेकिन फिर भी तकरीबन आठ-नौ इंच लंबा था और उसके लंड की खासियत ये थी कि चारों लड़कों में सबसे ज्यादा मोटा था। चूसते वक़्त भी उसकी गैर-मामूली मोटाई की वजह से मुझे सुरिंदऱ का लंड मुँह लेने में सबसे ज्यादा तकलीफ हुई थी।

    सुरिंदर ने मेरे ऊपर आते ही लौड़े की टोपी चूत के लबों के दर्मियान दबाते हुए एक ही धक्के में अपना तमाम लौड़ा ज़ोर से मेरी भभकती चूत में पेल दिया। इस तरह अचानक हमले से मेरी ज़ोरदार चींख निकल गयी। उसका मोटा लंड लेने के लिये मेरी चूत की दीवारों को फ़ैलाते हुए एक दफ़ा तो हद्द से ज्यादा खिंचाव बर्दाश्त करना पड़ा लेकिन उसका लंड मेरी रसीली चूत में दाखिल होने के बाद फिर तकलीफ कम हो गयी। मेरी चूत अब उसके लौड़े से ठसाठस भर गयी थी।

    मस्ती में मैंने अपनी टाँगें उसकी कमर पे लपेट कर कैंची की तरह कस दीं और वो पागलों की तरह मुझे वहशियाना तरीके से दनादन चोदनए लगा। “ऊँऊँह सुऽऽऽरिंदऱऽऽऽ आँआह…” मैं अलमस्त होकर सिसकने और आहें भरने लगी। मुझे चोदते हुए वो मेरे मम्मों पे झुका हुआ मेरे निप्पल और मम्मे मुँह में लेकर चूसने और काटने लगा। कुछ ही देर में मेरा जिस्म अकड़ा और चूत ने पानी छोड़ दिया लेकिन उसने मुझे चोदना ज़ारी रखा।

    इतने में चौथा लड़का अनिल बोला, “जल्दी करो यार… मुझसे अब और इंतज़ार नहीं हो रहा!” तो सुरिंदर ने मेरी चूत में दो-तीन ज़ोरदार धक्के मारे और मेरी कमर में बाँहें डाल कर अपना लौड़ा मेरी चूत में गहरायी तक घुसाये हुए ही घूम कर पलट गया जिससे कि अब मैं उसके ऊपर आ गयी। मैं इस कदर मस्ती के आलम में थी कि उसके ऊपर आगे झुकी हुई मैं उसके लौड़े पे ऊपर-नीचे उछलने लगी। वो भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मेरी चुत में लंड ठोक रह था। इतने में सुरेंदर हाँफते हुए बोला, “आजा अनि़ल! साथ में चोदते हैं इस माँ की लौड़ी तबससुम मैडम को!”

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    सुरिंदर की बात मुझे समझ नहीं आयी कि दोनों कैसे एक साथ मुझे चोद सकते हैं। पिछले तीन-चार दिनों में इंटरनेट पे जो मैंने कुछ-एक ब्लू-फिल्में और गंदी तसवीरें देखी थी तो उनके हिसाब से तो मुझे लगा शायद अनिल मेरे मुँह में लंड डाल कर चुसवायेगा। लेकिन जब मुझे उसके हाथ पीछे अपने चूतड़ों पे महसूस हुए और फिर अगले ही लम्हे उसके लंड का सुपाड़ा अपनी गाँड के छेद पे महसूस हुआ तो मेरी साँसें हलक़ में ही अटक गयीं। “हाय अल्लाह! ये कैसे मुमकिन है!” मैं तो ख्वाब में भी इस तरह की चुदाई का तसव्वुर नहीं कर सकती थी।

    इससे पहले कि मैं कुछ रद्दे-अमल कर पाती, अनि़ळ ने एक ही धक्के में बेहद बेरहमी से आठ-नौ इंच लंबा अपना तमाम बे-ख़तना लौड़ा मेरी गाँड में अंदर तक पेल दिया। कुछ देर पहले संजय के लौड़े से चुदने के बाद मेरी गाँड खुल तो गयी थी लेकिन अनिल ने जिस बेरहमी से अपना लंड एक बार में पेला और फिर चूत में भी सुरिंदर का मोटा लौड़ा मौजूद होने के वजह से मैं दर्द के मारे ज़ोर से चींख पड़ी, “नहींईईंईंईंईं अऽऽनिलऽऽऽ…. रुक जाओ ओ ओ ओ ओ…. मर गयीईईई…! एक दफ़ा फिर मेरी आँखों में आँसू आ गये। मेरे दोनों स्टूडेंट मिलकर मेरी चूत और गाँड एक साथ चोदने लगे और मैं सुबकती हुई कराहने और चींखने लगी। चारों लड़के कुछ-कुछ तबसीरे कर रहे थे।

    गनिमत है कि इस दफ़ा दो-तीन मिनट में ही दर्द का एहसास कम होना शुरू हो गया। मैं सिसकते हुए बोली, “हाय अल्लाह़! तुम लड़कों का दिमाग खराब हो गया क्या… आहहह…. ऊम्म्म ये क्या कर रहे हो… ऐसे भी कोई करता है क्या… ऊँहहह!” इस दोहरी चुदाई में मुझे अजीब सा मज़ा आने लगा था। एक लंड पीछे खिसकता तो दूसरा लंड अंदर फिसलता। गाँड और चूत के दर्मियान की झिल्ली पे मुझे उन दोनों लड़कों के लौड़े आपस में रगड़ते हुए महसूस हो रहे थे। दोनो लड़के वहशियाना जुनून में अपने लौड़े मेरे दोनों छेदों में बेहद तालमेल के साथ चोद रहे थे।

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    मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरी चूत और गाँड एक हो गयी थीं जिसमें दो अज़ीम लौड़े एक साथ अंदर-बाहर चोद रहे थे। मेरे जिस्म के रोम-रोम में हवस के शोले भड़क रहे थे और बिजली का करंट दौड़ता हुआ महसूस हो रहा था। मेरी मस्ती भरी कराहें उस छोटे से कमरे में गूँजने लगी। ज़िंदगी में मैंने कभी इस कदर लुत्फ़ महसूस नहीं किया था। मेरी चूत ने इस दौरान तीन-चार दफ़ा पानी छोड़ा और फिर दोनों लड़कों ने भी तकरीबन साथ-साथ ही मेरी चूत और गाँड में अपनी-अपनी मनी भर दी।

    उसके बाद एक दफ़ा फिर चारों ने अपने-अपने लौड़े मुझसे चुसवाये। उस वक़्त शराब के सुरूर और जिस्मानी लुत्फ़ और सुकून की कैफ़ियत में मैंने अपनी चूत और गाँड में से निकले उनके बेहद नाजिस लौड़े भी खूब शौक़ से मज़े ले कर चूसे। इस दफ़ा चारों ने अपना-अपना रस मेरे मुँह में और चेहरे पर इखराज़ किया।

    तब तक शाम हो चुकी थी और मैं बेखुद सी होकर ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी घास के ढेर पे लेटी थी। मैं उनके लौड़ों के रस से भर चुकी थी। लिहाजा अब मुझसे सुबह वाली पर्फ़्यूम की खुशबू नहीं बल्कि शराब और उनके लौड़ों के रस की मस्तानी सी महक आ रही थी। मैं उठ कर अपनी सलवार और कमीज़ की जानिब जाने लगी तो थकान और नशे में ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।

    “अरे तब्बू मैडम… इतना ज़ोर मत दो… कमर लचक जायेगी… इस हालत में घर कैसे जाओगी… आओ पहले नहला दें तुम्हें!” एक लड़का बोला और मुझे नंगी को ही गोद में उठा के कमरे के बाहर पानी की मोटर के सामने पानी से भरी हौज़ में फेंक दिया। मुझे सैंडल उतारने का मौका भी नहीं दिया उन्होंने। सूरज डूबने से अंधेरा होने लगा था लेकिन आसमान में हल्की सी लाली अभी भी थी। फिर चारों लड़के खुद भी हौज़ में मेरे साथ कूद गये और हम पाँचों दस-पंद्रह मिनट एक दूसरे के साथ छेड़छाड़ करते हुए पानी में नहाते रहे।

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    जब हम हौद में से नहा कर निकले तो थकान और नशा भी पहले से कम महसूस हो रहा था। चारों लड़कों ने अपने साथ-साथ मेरा जिस्म भी एक तौलिये से पौंछा। उन्होंने खुद अपने कपड़े तो पहन लिये लेकिन मुझे उन्होंने कपड़े पहनने नहीं दिये। मैं खुले खेत में ऊँची पेंसिल हील की सैंडल पहने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और हैरत की बात है मुझे ज़रा सी भी शरम महसूस नहीं हो रही थी।

    अपने कपड़े पहनने के बाद उनमें से एक लड़का मुझे चूमते हुए बोला, “चलो तबस़्सुम मैडम… अब तुम्हें घर छोड़ दें!” फिर उसने मुझे नंगी को ही गोद में उठा लिया और टाटा सफ़ारी में ले गया। मैंने देखा कि एक लड़का मेरा पर्स और सारे कपड़े इकट्ठे करके ले आया। सब कार में बैठ गये और मेरे घर की जानिब चल पड़े। करीब आधे घंटे का ही रास्ता था।

    रास्ते में चारों लड़कों ने बारी-बारी अपनी सीट और ड्राइवर बदल-बदल के मुझे खूब चूमा और मसला। मेरी शर्म-ओ-हया तो बिल्कुल काफ़ूर हो ही चुकी थी और मैं सरगर्मी से उनका पूरा साथ दे रही थी और मज़े ले रही थी। उनमें से कोई मेरे गुदाज़ रसीले मम्मों का ज्यादा दिवाना था तो कोई मेरी हसीन गाँड को ज्यादा तवज्जो दे रहा था। एक दिलचस्प बात ये थी कि ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल में मेरे खूबसूरत पैरों पे चारों लड़के फ़िदा थे और चारों ने मेरे सैंडलों और पैरों को काफ़ी चूमा चाटा। इस दौरान थोड़ी सी शराब जो बोतल में बाकी रह गयी थी वो भी उन्होंने बातों-बातों में मुझे ही पिला दी।

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    रास्ते में एक केमिस्ट की दुकान के करीब कार रोक के एक लड़का उतर कर जल्दी से मेरे लिये ‘आई-पिल’ की गोली ले आया और बोला कि घर जाते ही मैं वो गोली ले लूँ ताकि प्रेगनन्सी की कोई गुंजाईश ना रहे। उन्होंने मेरे घर से थोड़ी दूर पे कार रोकी और सलवार-कमीज़ पहनने में मेरी मदद की। लेकिन उन नामाकूलों ने मेरी ब्रा और पैंटी नहीं लौटायी।

    उनमें से एक लड़का बोला, “अरे तब़्बू मैडम जी! ये तो हमारे पास निशानी रहेगी कि हमने हमारी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत, गोरी-चिट्टी और हमारे स्कूल की सबसे स्ट्रिक्ट टीचर तब़स्सुमअख़तर मैडम को जमकर चोदा था! उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुरा दी और फिर अपना दुपट्टा और पर्स लेकर बड़ी बेदिली से कार से उतरी क्योंकि उनके चूमने चाटने और मसलने की वजह से मैं एक दफ़ा फिर बेहद गरम हो चुकी थी।

    नशे की हालत में झूमती हुई बड़ी मुश्किल से ऊँची ऐड़ी की सैंडल में चलती हुई मैं घर तक पहुँची। अगर अंधेरा ना हुआ होता और कोई मुझे इस तरह चलते हुए देख लेता तो झट सारा माजरा समझ जाता। हमारे घर ‘आख्तर-हाऊज़’ के गेट पे एक सिक्युरिटी गार्ड अपनी चौंकी में मौजूद होता है लेकिन किस्मत से उस वक़्त वो शायद खाना खाने चला गया था। घर के अंदर भी एक नौकरानी के अलावा कोई नहीं था और वो भी अपने कमरे में मौजूद थी। घर आते ही मैं एक दफ़ा फिर नहाने के लिये बाथरूम में घुस गयी

    और फिर कपड़े बदल कर उसे खाना लगाने के लिये आवाज़ दी। खाना खा कर मैंने वो आई-पिल की गोली भी ली। बाद में अपने बेडरूम में लेटी हुई मैं सोचने लगी कि कैसे मेरे लुच्चे कमीने स्टूडेंट्स ने अपनी पिटाई का बदला लेने के लिये अपनी टीचर ही चोद डाली। उनका भी क्या कसूर… जब मैं खुद भी तो अपनी हवस की आग की चपेत में अपने तमाम इखलाक़ भूल कर अपनी इज़्ज़त-आबरू और स्टेटस की भी परवाह किये बिना एक ही दिन में एक साथ कितनी ही हरामकारियों में शामिल हो गयी।

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    मुझे तो ज़िनाकारी और शराब के नाम से भी नफ़रत थी और आज मैंने खुद अपनी रज़ामंदी से शराब के नशे में मस्त हो कर चार-चार नौजवान स्टूडेंट्स के साथ हर किस्म की चुदाई का लुत्फ़ उठाया। लेकिन फिर भी मुझे गुनाह या गिल्ट का ज़रा भी एहसास नहीं हो रहा था बल्कि निहायत सुकून और खुशनुदी महसूस हो रही थी। यही सब सोचते-सोचते मेरी आँख लग गयी। उस रात जैसी गहरी और अच्छी नींद मुझे पहले कभी नही आयी।

    उस दिन के बाद तो मेरी ज़िंदगी का रुख ही बदल गया… मेरा जीने का अंदाज़… मेरा नज़रिया बिल्कुल बदल गया और मेरे कदम बस बहकते ही चले गये और मैं निहायत ही चुदक्कड़ और ऐय्याश बन गयी। शराब और सिगरेट भी मामूलन पीने लगी। अगले सात दिन मैं घर में अकेली थी क्योंकि अम्मी और अब्बू अजमेर गये हुए थे। उनकी गैर-मौजूदगी का फ़ायदा उठा कर मैं हर रोज़ स्कूल के बाद शाम के वक़्त चारों स्टूडेंट्स को अपने ही घर पे बुला लेती और कईं घंटों तक उनके साथ शराब के नशे में दिल खोल कर ऐयाशी करती।

    चारों मिलकर मेरी चूत और जिस्म चूमते चाटते और मुझे खूब मसलते। मैं भी उनके लौड़े मुँह में ले कर चूसती और कभी वो एक-एक करके मेरी चूत चोदते या गाँड मारते और कभी एक साथ दो तो कभी तीन लड़के मेरी चूत और गाँड और मुँह में एक साथ अपने लौड़े डाल कर चोदते। मुझे भी सबसे ज्यादा मज़ा अपनी गाँड और चूत एक साथ दो लौड़ों से चुदवाने में आने लगा। प्रेग्नेन्सी से बचने के लिये मैंने कान्ट्रासेप्टिव पिल्स लेना भी शुरू कर दिया।

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    वो एक हफ़्ता तो रोज़ शाम को खूब दिल खोल के ऐय्याशी की लेकिन मेरे अम्मी और अब्बू के लौटने के बाद तो हर रोज़ शाम को इस तरह अपने स्टूडेंट्स से मिलना मुमकिन नहीं था। मुझे तो चुदवाने का शद्दीद चस्का लग चुका था। मैं स्कूल की बस से स्कूल जाने की बजाय अब फिर से अपनी स्कोरपियो ड्राइव करके जाने लगी। छुट्टी के बाद चारों लड़के मेरे साथ मेरी स्कोरपियो में घर जाते लेकिन उससे पहले रास्ते में हाइवे से एक सुनसान कच्चे रास्ते से होते हुए हम एक पुरानी खंडहर बनी फैक्ट्री के पीछे कार रोकते और कार में ही मैं नंगी होकर उनसे चुदवाती। हफ़्ते के पाँच दिन इस ज़ल्दबाज़ी की चुदाई के अलावा कोई चारा भी तो नहीं था।

    शाम को फोन पे उनके सैक्सी मेसेज आते तो मैं भी वैसे ही जवाब दे देती। रात को सोने से पहले इंटरनेट पे पोर्न वेबसाइट देखती या फोन पे उन चारों स्टूडेंट्स के साथ गरम-गरम शहवत-अंगेज़ बातें करते हुए मोटे केले या लंबे बैंगन से खुद-लज़्ज़ती का लुत्फ़ उठाती। उनकी टीचर होते हुए भी उन चारों नालायकों की इंगलिश तो मैं ज्यादा सुधार नहीं सकी लेकिन मैं उनसे गंदी-गंदी गालियाँ और फ़ाहिशी गंदी ज़ुबान ज़रूर सीख गयी। उनके साथ गंदे अल्फ़ाज़ों में बात करने में अजीब-सा लुत्फ़ महसूस होता था और फिर आहिस्ता-आहिस्ता मेरी ज़ुबान में भी गालियाँ और गंदे अल्फ़ाज़ इस तरह शामिल हो गये कि अब तो किसी से आमतौर पे बातचीत के दौरान मुझे एहतियात बरतनी पड़ती है।

    हफ़्ते भर मैं फ्राइडे का बेसब्री से इंतज़ार करने लगी क्योंकि अगले दो दिन स्कूल की छुट्टी होती थी और फ्राइडे को हम पूरी रात ऐयाशी करते। मैंने अपने घर पे कह दिया था कि हर फ्राइडे को मैं अपनी एक सहेली के घर रुक कर एम-ए की पढ़ाई करती हूँ और वो चारों लड़के तो थे ही आवारा किस्म के। वो भी अपने घरों में कोई ना कोई बहाना बना देते थे।

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    फिर हम संजय के खेत के उसी कमरे में या कुल्दीप के फार्म-हाउज़ पे जहाँ कहीं भी मुनासिब होता वहाँ रात गुज़ारते। मैं शराब पी कर नशे में बदमस्त होकर देर रात तक घंटों उनसे चुदवाती। इन मौकों पर वो मज़दूरों और दूसरे नौकरों को पहले ही फ़ारिग कर देते थे।

    इतना चुदवाने के बावजूद मेरी हवस की आग दिन-ब-दिन और ज्यादा बुलंद होती जा रही थी। हर वक़्त मेरे ज़हन में फ़ाहिश और शहवत अंगेज़ तसव्वुरात रहने लगे। स्कूल में भी अपने कमरे में हर रोज़ एक-दो दफ़ा सलवार औए पैंटी नीचे खिसका कर उंगलियों या केले के ज़रिये खुद-लज़्ज़ती कर लेती। अब तब़स्सुम़ अखतर पहले वाली स्ट्रिक्ट टीचर नहीं थी और स्टूडेंट्स की पिटाई करना भी कम कर दिया था। उन चारों लड़कों के लिए तो अब मैं अख़तर मैडम से आमतौर पे भी तब्बू मैम हो गयी थी

    और अकेले में तो तब्बु जान के अलावा तब्ससुम रंडी… तब्बू डार्लिंग और भी बहोत कुछ नामों से बुलाई जाती। जब उन चारों लड़्कों की क्लास में जाती तो बाकी स्टूडेंट्स से छुपा कर उनके साथ इशारेबाजी करती और दोहरे माइने वाले अल्फाज़ों के ज़रिये उनके साथ मज़ाक और छेड़छाड़ करती थी। आहिस्ता-आहिस्ता मेरी हिम्मत बढ़ने लगी तो बाज़ दफ़ा जब अपनी चुदास पे काबू नहीं रहता तो स्कूल में ही उन चारों में से किसी एक को अपने कमरे में बुला कर चुदवाने का खतरा भी लेना शुरू कर दिया।

    अगले दो-ढाई महीने तो ये ही सिलसिला चला। फिर मुझे एक तदबीर नज़र आयी जिससे मैं रोज़ अपने घर में भी शाम को इन लड़कों के साथ चुदाई का मज़ा ले सकूँ। मैंने घर में बताया कि मैं पढ़ाई में कमज़ोर तीन-चार स्टूडेंट्स की मदद करने के लिये उन्हें शाम को घर पे एक-दो घंटे मुफ़्त में ट्यूशन देना चाहती हूँ तो उम्मीद के मुताबिक मेरे अम्मी और अब्बू ने कोई ऐतराज़ नहीं किया और खुशी-खुशी मंज़ूरी दे दी। हमारा बंगला काफी बड़ा है

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    और घर के पीछे वाले लॉन के एक तरफ़ एक छोटा सा बिल्कुल फर्निश्ड गेस्ट-हाऊज़ भी है जिसमें हॉल और एक बेडरूम और अटैचड बाथरूम भी है। ये गेस्ट हॉऊज़ ज्यादातर बंद रहता है और उस तरफ़ कोई जाता भी नहीं है इसलिये अपने स्टूडेंट्स के साथ बिला-परेशानी ऐयाशी करने के लिये वो गेस्ट हाऊज़ सबसे मुनासिब जगह थी।

    शाम को चार से छः बजे के बीच में मैं उन चारों लड़्कों को हर रोज़ ट्यूशन पढ़ाने के बहाने घर पे बुलाने लगी। उस वक़्त आम-तौर पे मेरे वाल्दैन घर पे मौजूद भी नहीं होते हैं और वैसे भी वो मेरे साथ बिल्कुल भी दखल अंदाज़ी नहीं करते हैं। एहतियात के तौर पे नौकरों को भी मैंने हिदायत दे दी कि उस वक़्त कोई मुझे गेस्ट हाऊज़ में डिस्टर्ब ना करे। अब हर रोज़ किसी सुनसान जगह पे कार में जल्दबाज़ी में चुदवाना नहीं पड़ता था और उस गेस्ट-हाऊज़ में मैं उन चारों से हर रोज़ तसल्ली से चुदवाने लगी।

    एक दिन स्कूल में सुहाना और फ़ातिमा मेरे कमरे में आयी और बोलीं, “तब़्बू मैडम हमें आपसे शिकायत करनी है!” मैंने तंज़िया अंदाज़ में उन्हें कहा, “अब ये कौनसा नया नाटक है तुम दोनों का… मुझे सब खबर है तुम दोनों क्या-क्या गुल खिलाती हो!”

    फ़ातिमा बेबाकी से बोली, “आप भी तो वही सब गुल खिला रही हो तब्बस्सुम मैडम! और हम आपके पास आपकी ही शिकायत ले कर आयी हैं!” फात़िमा का उल्टा तंज़िया जवाब कर सुनकर मेरे गाल सुर्ख हो गये लेकिन मैंने फिर कड़कते हुए पूछा, “तमीज़ में रहो तुम दोनों और अपने काम से काम रखो! जो भी मसला है जल्दी बोलो… मेरे पास वक़्त नहीं है ज्यादा!”

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    सुहाना बोली, “मैडम मसला ये है कि इन दिनों आपके पास उन लड़कों के लिये कुछ ज्यादा ही वक़्त है… पता नहीं आपने उन पर क्या जादू कर दिया है कि हमें तो तवज्जो ही नहीं देते वो चारों!”

    मैं तुनकते हुए बोली, “तो मैं इसमें क्या कर सकती हूँ? मुझसे क्या चाहती हो तुम दोनों!” इस दौरान दोनों लड़कियाँ जो मेज के दूसरी तरफ़ खड़ी थीं अब मेरी कुर्सी के करीब आ गयी थीं। फति़मा झुक कर मेरे कान के नीचे चूमते हुए बोली, “हमें भी अपने साथ शामिल कर लो ना त़बस्सूम मैडम! आप अकेली ही उन चारों के लौड़ों से चुदवा कर ऐश करती हो… ये तो गलत बात है ना!” दूसरी तरफ़ से सुह़ाना भी मेरा गाल चूमते हुए बोली, “हाँ तब़्बु मैडम! मिल कर चुदाई करेंगे तो ज्यादा मज़ा आयेगा और हमारा दिल तो आप पर भी आ गया है… यू आर सो सैक्सी!” उसने मेरे कान को हल्के से अपने दाँतों से कुतरते हुए मेरे मम्मे को अपने हाथ में भरके दबाया तो मेरे होंठों से सिसकी निकल गयी।

    आहिस्ता-आहिस्ता दोनों लड़कियाँ जबरदस्ती मेरे होंठ और गर्दन चूमती हुई मेरे कपड़ों के ऊपर से ही मेरा जिस्म मसलने लगीं। उनकी हरकतों से मुझ पे भी हवस का नशा छाने लगा और मैं उन्हें रोकने की कोई कोशिश नहीं की। उन दोनों ने मेरे कपड़े उतार दिये और खुद भी अपनी यूनिफॉर्म उतार कर नंगी हो गयी और फ़ातिमा नीचे बैठ कर मेरी चूत चूमने और चाटने लगी और सुहाना मेरे मम्मों को मसलते हुए उन्हें चूमने लगी। अगले आधे घंटे उन दोनों लड़कियों ने लेस्बियन चुदाई के मुखतलिफ़ और बेइंतेहा लुत्फ़ से वाकिफ़ करवाया। उस दिन के बाद सुह़ाना और फातिमा भी हफ़्ते में एक-आध दफ़ा मेरे साथ मिलकर उन लड़कों से चुदवाने लगी। इसके अलावा उनके साथ लेस्बियन चुदाई में भी मुझे बेहद मज़ा आता था।

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    इससे पहले मैंने हमेशा इन दोनों को स्कूल युनिफॉर्म में ही देखा था लेकिन जब वो स्कूल के बाहर फेशनेबल कपड़े और सैंडल पहन के और मेक-अप करके आती तो बेहद सैक्सी और ज्यादा मच्योर भी नज़र आती थी। दोनों अमीर घरानों की बेहद बिगड़ी हुई लड़कियाँ थीं और उन से ही मुझे पता चला कि दोनों का एक-एक दफ़ा अबॉर्शन तक हो चुका था। अब तो वो मेरी स्टूडेंट्स कम और सहेलियाँ और मेरी राज़दार ज्यादा बन गयी थीं।

    मेरी हवस और चुदाई-परस्ती में रोज़-बरोज़ इज़ाफ़ा होता चला गया। हालत ये हो गयी कि हर वक़्त लुत्फ़े-चुदाई की मुस्तक़िल तलब रहने लगी और मैं निहायत सैक्साहोलिक बन गयी। चुदाई से मेरा दिल ही नहीं भरता और हर वक़्त ज़हन में और जिस्म पे शहूत सवार रहने लगी। कुछ ही महीनों में मेरी ऐय्याशियों का दायरा भी तेज़ी से बढ़ने लगा। उन चारों लड़कों ने स्कूल में और दुसरे तीन-चार जूनियर स्टूडेंट्स से मेरी जान-पहचान करवायी जिन्हें पहले चुदाई का तजुर्बा भी नहीं था। इन लड़कों को चुदाई का सबक सिखा कर उनके कुंवारे वर्जिन लौड़ों से चुदने में इस कदर बे-इंतेहा मज़ा आया कि मैं बयान नहीं कर सकती।

    फिर वो चारों लुच्चे लड़के और वो दोनों चुदैल लड़कियाँ भी साल भर पहले मेरी नाजायज़ मदद से जैसे तैसे बारहवीं क्लास पास कर ही गये। उसके बाद अपने सबसे अज़ीज़ इन चारों लड़कों से रोज़-रोज़ चुदवाने का सिलसिला खतम हो गया। सन्जय और कुलद़ीप ने तो करीब ही गाज़ियाबाद के एक प्राइवेट आर्ट्स कॉलेज में दाखिला ले लिया जिस वजह से रोज़-रोज़ ना सही लेकिन कमज़-कम हर फ्राईडे को तो पहले की तरह उनके खेत या फिर फार्महाउज़ पे सारी-सारी रात उन दोनों के साथ चुदाई और ऐय्याशियाँ ज़ारी रही। बाकी दोनों लड़कों में से एक रोहतक और दूसरा कानपूर चला गया इसलिये इन दोनों से चुदवाने का सबब तो तभी हो पाता है जब कभी ये किसी वीकेन्ड या छुट्टियों में घर आते हैं। फ़तिमा और सुह़ाना से तो ताल्लुकात बिल्कुल खतम हो गये क्योंकि एक भोपाल में है और दूसरी बरेली में।

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    खैर मैं तो निहायत लंडखोर बन चुकी थी तो मैंने दसवीं से बारहवीं क्लास के नये-नये लड़कों को अपने हुस्न और अदाओं से फुसला कर उनके वर्जिन लौड़ों से चुदवाना शुरू कर दिया। शुरू-शुरू में तो नये लड़कों को यकीन ही नहीं होता कि ऊपर से इतनी शरीफ और मुतमद्दिन या सफिस्टिकेटिड नज़र आने वाली उनकी इंगलिश की टीचर ‘तबस्सुम अखतर’ हकीकत में दो टके की रंडियों की तरह गंदी-गंदी गालियाँ बकने वाली और बेहद फ़ाहिश ज़ुबान में बोलने वाली पियक्कड़ और बेहद ऐय्याश और चुदक्कड़ औरत है। वक़्त के साथ-साथ मैं नये-नये लड़्कों को फुसला कर उन्हें इब्तेदायी शर्म और खौफ़ या झिझक से निज़ात दिलाने में भी बेहद माहिर हो गयी।

    उन चार लड़कों के अलावा अब तक करीब पच्चीस-छब्बीस वर्जिन स्टूडेंट्स को मैं हवस का शिकार बना कर अपने हुस्न का गुलाम बना चुकी हूँ। इन सभी नौजवान लड़कों को उनकी ज़िंदगी में चुदाई के लुत्फ़ से मैंने ही वाकिफ़ करवाया है। एक किस्म से मैंने इन स्टूडेंट्स के ज़रिये अपने लिये पर्सनल हरम बना रखा है और किसी मल्लिका की तरह मैं अपनी बेइम्तेहा जिन्सी हवस की तस्कीन के लिये इन लड़कों का हर तरह से इस्तेमाल करती हूँ। इन लड़कों पे मेरा पूरा इख्तियार है और मैं जब और जहाँ और जैसे भी चाहती हूँ ये मेरे हुक्म की तामिल करते हुए मुझे चोदने के लिये तैयार रहते हैं।

    अब तो आमतौर पे दिन भर में कईं – कईं लड़कों से चुदवाये बगैर मुझे करार नहीं होता। स्कूल में जो मेरे तीन-चार खाली पीरियड्स होते हैं और लंच टाइम में भी मैं हमेशा अपने कमरे में किसी ना किसी स्टूडेंट से अपनी चूत या गाँड चुदवाना शुरू कर दिया। फिर स्कूल की छुट्टी के बाद भी किसी मुनासिब सुनसान जगह पे अपनी स्कोर्पियो की पिछली सीट पे एक-दो स्टूडेंट्स से चुदवाने के बाद ही घर जाने लगी। फिर हर रोज़ शाम को मैं पाँच-छः लड़कों के ग्रुप को ट्यूशन के बहाने घर पे बुलाकर उनसे गेस्ट हाऊज़ में दो-दो घंटे चुदवाने का सिलसिला शुरू हो गया।

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    इन में से किसी भी लड़के का लंड जसामत में तो उन चारों के लौड़ों के मुकाबले का नहीं है लेकिन ये कमी इन कम्सिन लड़कों की तादाद और इनके जोश-ओ-जुनून से पूरी हो जाती है। हर रोज़ मुख्तलिफ पाँच-छः स्टूडेंट्स का एक ग्रुप मुझसे चुदाई की ट्यूशन पढ़ने आता है। घर के पीछे वो गेस्ट हाऊज़ मेरी ऐय्याशियों का अड्डा… मेरी ऐश-गाह ही बन गया है जहाँ मैं बिला रोकटोक के शराब पी कर खूब मस्ती में इन लड़कों से ग्रुप में चुदवाती हूँ। इस दौरान पिछले दस-बारह महीनों से मेरे अब्बू की पॉलीटिक्स में मसरूफ़ियत ज्यादा बढ़ने की वजह से अब्बू और अम्मी का लखनऊ आना-जाना काफी बढ़ गया है जिससे अब मैं अक्सर घर पे अकेली होती हूँ। ।

    प्रेग्नेन्सी से बचने के लिये शुरू-शुरू में तो पिल्स लेती थी लेकिन अब दिल्ली में अपनी गाइनकालजिस्ट से हर तीसरे महीने कोन्ट्रासेप्टिव का इंजेक्शन लगवा लेती हूँ। इस इंजेक्शन का एक और अहम फायदा ये भी हुआ कि अब पीरियड्स हर महीने की जगह साल में तीन-चार दफ़ा ही आते हैं। इंजेक्शन लगवाने के साथ-साथ गाइनकालजिस्ट से बाकी चेक अप भी बाकायदा हो जाता है जिस वजह से उन्हें भी मेरी गैर-मामूली तौर पे फआल चुदास ज़िंदगी का इल्म है।

    फति़मा और सुह़ाना की खासतौर पे कमी महसूस होती है क्योंकि उनके जाने के बाद लेस्बियन लज़्ज़त का मुनासिब और माकूल ज़रिया मुझे नहीं मिला। बारहवीं क्लास की जवान और बड़ी दिखनी वाली दो-तीन खूबसूरत लड़कियों को अपने रौब के दम पर उन्हें फुसला कर उनके साथ तीन-चार दफ़ा लेस्बियान चुदाई की तो सही लेकिन मुझे वैसी लज़्ज़त महसूस नहीं हुई जैसी फात़िमा और सूहाना के साथ लेस्बियन चुदाई में होती थी। एक तो इन लड़कियों में कुछ खास जोशो-खरोश नहीं था और मुझे महसूस हुआ कि जैसे ये लड़कियाँ महज़ मेरे दबाव में मेरे साथ लेस्बियन चुदाई में शरीक हुई थीं।

    स्कूल की बस – Teacher kamukta stories

    दूसरे ये कि मुझे खुद को भी ज़रा मच्योर और पुर-शबाब लड़कियाँ ज्यादा पसंद हैं जबकि लड़कों के मामले में इससे मुख्तलिफ़ मैं कम्सिन लड़कों की दिवानी हूँ। खैर अपनी लेस्बियन हसरतें पूरी करने के लिये फिलहाल मैंने दूसरा ज़रिया ढूँढ लिया है। हर महीने एक-आध मर्तबा जब भी शॉपिंग वगैरह के लिये मैं दिल्ली जाती हूँ तो वहाँ की एक एस्कॉर्ट एजन्सी के ज़रिये होटल के कमरे में रात भर लेस्बियन कॉल गर्ल्स के साथ ऐयाशी कर लेती हूँ। दस से बीस हज़र रुपये में रात भर के लिये देसी या परदेसी हाई-क्लॉस कॉल गर्ल्स मिल जाती हैं।

  • ट्रेन सेक्स स्टोरी एक जवान लड़की की

    यह ट्रेन सेक्स स्टोरी एक जवान लड़की की है जो मुझे दिल्ली से मुंबई राजधानी ट्रेन में मिली. मेरा मन तो पहले ही उसे देखकर बावला हो गया था और वो भी कुछ कम नहीं निकली!

    दोस्तो, अन्तर्वासना स्टोरी साइट अपने सेक्स अनुभव को शेयर करने के लिए बहुत अच्छी जगह है. यहाँ लेखकों की कहानी पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है. मैं भी मेरी एक कहानी यहाँ शेयर करना चाहता हूँ. उम्मीद करता हूँ कि आप सब को मेरी यह कहानी पसंद आयेगी.

    मेरा नाम सुमित है. मेरी उम्र 28 साल है, लम्बाई 6 फ़ीट और शरीर की बनावट के हिसाब से मैं थोड़ा मोटा हूँ. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और यहाँ सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हूँ. ये बात करीब 3 साल पुरानी है जब मैं मुंबई एक इंटरव्यू के लिए जा रहा था. शाम को पांच बजे के करीब दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस में मेरा टिकट था.

    उस दिन ट्रेन में ज्यादा भीड़ नहीं थी. मेरा रिजर्वेशन वातानुकूलित बोगी की द्वितीय श्रेणी में था. मेरी नीचे की सीट पर एक औरत थी जिसकी उम्र करीब 55 साल की होगी. मेरी सीट उसके ऊपर वाली थी. सामने की दोनों सीट खाली थीं, उन पर कोई नहीं था तो मैं नीचे ही बैठा रहा.

    आंटी से थोड़ी बाते होने लगी और शाम करीब 8 बजे उन्होंने खाना खाया और दवाई ले कर सो गयी. करीब 9.15 बजे कोटा स्टेशन से एक लड़की सीट के साथ आकर खड़ी हो गयी. मेरे पास आकर वो बोली कि ये मेरी सीट है. मैंने उसके कहने पर वो नीचे वाली सीट खाली कर दी.

    फिर वो लड़की अपना सामान सेट करने लगी. मैं उसके बदन को देख रहा था. मेरी नजर उसके बदन को नाप रही थी लेकिन मैंने उसको इस बात का अहसास नहीं होने दिया कि मैं उसके बदन को निहार रहा हूं. उसके टी-शर्ट के अंदर भरे हुए उसके गोल-गोल चूचे देखने में बड़ा मजा आ रहा था.

    उसकी गांड भी बहुत मस्त सी थी. जीन्स में एकदम कमाल लग रही थी वो. मैं उसके पूरे बदन को ताड़ रहा था कि तभी उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने अपने फोन की स्क्रीन में देखना शुरू कर दिया.
    उसने कहा- सुनिये.
    मैंने जवाब दिया- आपने मुझे पुकारा?
    वो बोली- हां, मेरे पास सामान काफी ज्यादा है तो आप प्लीज मेरी थोड़ी मदद कर दीजिये सामान सेट करवाने में.
    मैंने कहा- हां क्यों नहीं!

    मैं उसका सामान सेट करवाने लगा. जब सारा सामान सेट हो गया तो मैं भी हांफने लगा था. उसने मुझे अपने बैग से पानी की बोतल निकाल कर दी और मुझे पानी पीने के लिए कहा. मैं उसी की सीट पर बैठ कर पानी पीने लगा. वो भी मेरे बगल में ही बैठी हुई थी. मेरे मन में हलचल सी हो रही थी.

    दोस्तो, उस लड़की की उम्र करीब 27-28 साल थी. देखने में बेहद ही खूबसूरत थी. मैं उसके पास बैठा हुआ था लेकिन उससे बात करने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी.

    फिर पानी पीकर मैंने उसको बोतल वापस कर दी और उसको थैंक्स कहा.
    वो बोली- थैंक्स तो मुझे आपको बोलना चाहिये. आपने मेरी मदद जो की.
    मैंने कहा- कोई बात नहीं, इसमें थैंक्स बोलने की क्या बात है. मेरी जगह कोई और होता तो वो भी आपकी मदद कर देता.

    फिर वो मेरी बात सुन कर मुस्कराने लगी और अपने बैग से चिप्स का एक पैकेट निकाल कर उसे खोला और चिप्स खाने लगी. उसने मुझे भी चिप्स खाने के लिये कहा तो मैंने भी दो-तीन चिप्स निकाल ली और उसके साथ बैठ कर ही खाने लगा.

    उसके बाद हम दोनों में बातें होना शुरू हो गईं. मैंने उसके बारे में पूछा कि कहां से आई है और कहां पर जा रही है. फिर वो मेरे बारे में भी ऐसे ही सवाल करने लगी. दोनों एक दूसरे को सामान्य परिचय देते हुए बातें करते रहे. काफी देर तक हम दोनों के बीच में बातें हुईं और उसके बाद वो भी मेरे साथ काफी कम्फर्टेबल हो गई.

    काफी देर तक बातें करने के बाद मैंने टाइम देखा तो रात के 10.30 बज गये थे. मैंने उससे कहा कि आप भी थकी हुई होंगी. थोड़ा आराम कर लीजिये. मैं भी अपनी सीट पर जाकर कमर थोड़ी सीधी कर लेता हूं.
    वो बोली- ठीक है.

    मैं ऊपर वाली अपनी सीट पर जाकर बैठ गया और पानी पीकर लेट गया. मुझे नींद नहीं आ रही थी मगर मैं चादर ओढ़ कर लेटा गया. मेरे नीचे वाली सीट पर जो आंटी थी वो भी सो चुकी थीं और उनके खर्राटों की आवाज मेरे कानों में आ रही थी तो मैंने हेडफोन लगा लिये और मूवी देखने लगा.

    आधे घंटे के बाद मुझे पेशाब लगा तो मैं उठ कर टॉयलेट में चला गया. उसके बाद जब मैं वापस आया तो मैंने देखा कि वो लड़की अपनी सीट पर बैठी हुई थी. वो किसी से फोन पर बात कर रही थी और बात करते हुए ही उसकी आंखों से आंसू भी निकल आये थे.

    मैं हैरान था कि अचानक से इसको क्या हो गया. अभी तक तो ये आराम से लेटी हुई थी.
    उत्सुकतावश मैं वहीं पर खड़ा हो गया. काफी देर तक वो फोन पर बात करती रही.

    जब उसने फोन रखा तो मैंने पूछा- क्या हुआ? सब ठीक है तो आपके घर में?
    वो बोली- मेरे घर में तो सब ठीक है.
    मैंने पूछा- तो फिर आपकी आंखों में ये आंसू?
    वो बोली- मेरी एक दोस्त का फोन आया था. उसकी मां गुजर गई है. वो फोन पर ही रो रही थी इसलिए मेरे भी आंसू निकल आये.
    ये बात सुन कर मैं उसके पास ही बैठ गया. उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- ये तो बहुत ही दुखद समाचार है. लेकिन होनी को कौन टाल सकता है … आप दुखी मत होइये.

    उसने मेरे कंधे पर सिर रख लिया और मुझसे लिपट कर रोने लगी. मेरा भी गला सा भर आया. वो लड़की बहुत ही प्यारी थी इसलिए उसको रोते हुए देख कर मेरा मन भी दुखी हो गया था. मैं उसके कंधे को सहलाने लगा. उसे सांत्वना देने लगा.

    कंधे को सहलाने के बाद मैं उसकी पीठ को सहलाने लगा. उसकी मुलायम पीठ पर सहलाते हुए मेरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी. अब करुणा की जगह आसक्ति ने ले ली थी. मैं जान-बूझकर उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा. मुझे लगा कि शायद आज ट्रेन में सेक्स की मेरी ख्वाहिश पूरी हो जायेगी और मेरी यह ट्रेन सेक्स स्टोरी बन जायेगी.

    वो भी चुप हो गई थी और उसने मेरे गले में अपनी बांहें डाल ली थीं. उसके चूचे मुझे मेरे शरीर पर टच होते हुए महसूस हो रहे थे. मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था. अब मेरा हाथ उसकी पीठ को अच्छी तरह सहला रहा था. मैं बीच-बीच में उसके कंधे को भी दबा रहा था.

    पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा था लेकिन वो अभी भी मुझसे से ऐसे ही लिपटी हुई थी. फिर उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया. मेरे लंड में तूफान सा उठा और हिम्मत करके मैंने उसका हाथ अपनी जीन्स के अन्दर तने हुए अपने लंड पर सरका दिया. उसने आराम से अपना हाथ रख लिया और मुझसे कस कर लिपट गई.

    अब मैं भी उसकी मंशा समझ चुका था, इसलिए अब कोई खतरा नहीं था तो मैंने उसके चूचों पर हाथ रख कर उनको दबाना शुरू कर दिया. अब उसका हाथ मेरे तने हुए लंड को दबाने लगा. दोनों की ही सांसें तेज हो चली थीं. मगर साथ में सो रही आंटी का भी डर था इसलिए उस लड़की ने खुद ही लाइट बंद कर दी.

    उसने कम्बल खींच कर हम दोनों के ऊपर डाल लिया और मेरे साथ ही लेट गई. अगले ही पल हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे. मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल दिया और उसके चूचों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा.

    वो मेरे लंड को मेरी जीन्स के ऊपर से ही सहलाने लगी. हम दोनों ही एक दूसरे से लिपट रहे थे. इतना मजा आ रहा था कि मेरी तो जैसे किस्मत ही खुल गई थी. मैं जोर से उसके होंठों का रस पी रहा था और साथ में ही उसके कसे हुए जिस्म के मजे भी ले रहा था.

    फिर उसने मेरी जीन्स की चेन खोल ली और मेरी जीन्स के अंदर हाथ डाल कर मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को हाथ में भर लिया. मैंने भी उसकी जीन्स के बटन को खोल कर उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया.

    उसके बाद उसने अपनी जीन्स खुद ही निकलवा दी और मुझे नीचे होने के लिए इशारा करने लगी. मैं समझ गया कि ये अपनी चूत की तरफ इशारा कर रही है. हम दोनों चुपचाप ये सब कर रहे थे क्योंकि आंटी भी बगल में ही सो रही थी. मैं धीरे से सरक कर उसकी जांघों के बीच में चला गया.

    जांघों में फंसी हुई पैंटी को निकाल कर मैंने उसकी चूत पर नाक लगा कर उसकी चूत को सूंघा तो उसकी चूत से मस्त सी खुशबू आ रही थी. उसकी चूत गीली हो रही थी. मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया तो वो मेरे बालों को सहलाने लगी.

    अब वो भी पूरी गर्म हो चुकी थी. मैंने उसकी चूत में जीभ डाल कर उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चोदना शुरू कर दिया. उसके बाद मैंने एक हाथ से अपनी पैंट को भी नीचे सरका दिया. अपना अंडरवियर नीचे करके मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.

    लंड को बाहर लाने के बाद अब मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था. मैं वापस से उसके ऊपर की तरफ आ गया और उसके होंठों को चूसते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर लगाने लगा. उसकी गांड मेरे लंड की तरफ धक्के देने लगी तो मैं समझ गया कि अब ये भी चुदने के लिए तैयार हो चुकी है.

    मैंने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर रखा और एडजस्ट करते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा तो वो चुपके से मेरे कान के पास आकर बोली- यहां सेक्स करना सेफ नहीं है.
    मैंने फुसफुसाते हुए कहा- तो फिर कहां सेफ है!
    वो बोली- टॉयलेट में चलो.
    मैंने कहा- ओके.

    फिर हम दोनों धीरे से उठ कर टॉयलेट में चले गये. पहले मैं गया और उसके बाद वो अंदर आ गयी. मैं लंड को बाहर निकाल कर खड़ा हुआ था. वो अंदर आकर मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी.

    मैंने उसको नीचे बैठा दिया और अपना लंड चूसने का इशारा किया. वो नीचे बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी. पांच मिनट तक लंड चूसने के बाद मेरे लंड की नसें फटने को हो गईं. मैंने उसको उठा लिया और कस कर उसके जिस्म को भींचने लगा. कभी उसके चूचों को दबा देता तो कभी उसकी गांड को.

    वो भी मेरी गर्दन को चूसने और काटने लगी. मैंने उसकी टी-शर्ट को उठा दिया और उसकी ब्रा को पीछे से खोलने लगा. उसने ब्रा खोलने में मेरी मदद की. उसकी ब्रा को निकाल कर मैंने अपनी जेब में ठूंस लिया और फिर उसके टी-शर्ट को ऊपर करके उसके चूचों को पीने लगा.

    उसके चूचे बहुत ही कोमल और नर्म थे. मैं उसके निप्पलों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. वो पागल सी होने लगी. उसके हाथ मेरी गांड पर पहुंच गये और वो मेरी गांड को अपनी चूत की तरफ खींचने लगी. वो चुदने के लिए बेताब सी हो चली थी.

    मगर मुझे उसके चूचों का रस पीने में बहुत मजा आ रहा था. मैंने उसके चूचों को काट-काट कर लाल कर डाला. उसके निप्पल एकदम से तन कर टाइट होकर बिल्कुल नुकीले हो गये. मैंने अपने मुंह को उसके निप्पलों से हटा कर उसके निप्पलों को चुटकी में लेकर मसल दिया.

    उसने मेरे गाल पर अपने दांतों से काट लिया. फिर मैंने उसकी जीन्स में पीछे हाथ डाल कर उसकी गांड को दबाना शुरू कर दिया और दोनों फिर से एक दूसरे होंठों को चूसने लगे. उसकी लार मेरे मुंह में आ रही थी और मेरी लार उसके मुंह में जा रही थी.

    काफी देर तक चूमा-चाटी के बाद मैंने उसकी पैंट को निकलवा दिया और उसको एक साइड में खड़ी करके उसकी टांग उठा कर अपना लंड उसकी चूत पर सेट करके उससे चिपक गया. मैं अपनी गांड को धकेलते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा. वो मेरे सीने से लिपटती हुई मेरी पीठ को अपनी बांहों में भरने लगी.

    लंड उस जवान सेक्सी चुदक्कड़ की गीली चूत में घुस चुका था. उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मैंने एक हाथ से पीछे सहारा लिया और उसकी चूत में अपनी गांड के सहारे से लंड को धकेलते हुए उसकी चूत की चुदाई करने लगा. चूंकि रात का समय था इसलिए हवस बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी.

    एक फायदा ये भी था कि उस वक्त तक बाकी सभी लोग भी सो चुके थे और बोगी में लोग भी कम थे. इसलिए हम दोनों मस्ती में चुदाई का मजा लेने लगे. वो मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी चूत में लंड को लेती रही और मैं उसकी चूत में धक्के लगाता रहा.

    करीब 10 मिनट बाद हम दोनों साथ में झड़ गए. उसकी चूत में वीर्य को छोड़ कर जो आन्नद मुझे उस रात मिला वो मैं यहां पर बता नहीं सकता. हम दोनों ही हांफ रहे थे. वो दो मिनट तक मुझसे लिपटी रही. फिर वो मुझसे अलग हो गई.

    हमने अपनी-अपनी जीन्स ऊपर की और फिर मैं चुपके से बाहर निकल आया. उसके दो मिनट बाद ही वो भी वापस से बाहर आ गयी. हम दोनों अपनी-अपनी सीट पर आकर बैठ गये. उसने लाइट जला दी और मेरी तरफ देखते हुए मुस्कराने लगी.

    मैंने भी उसको एक फ्लाइंग किस दे दी. फिर सुबह उठने के बाद मैंने उसका नम्बर ले लिया और उसने मेरा नम्बर ले लिया. फिर तो अक्सर हमारी बात होने लगी. उस घटना के बाद जब भी उसको मुंबई जाना होता था वो मुझे बता देती थी और मैं उसके साथ में ही चला जाता था.

    मुझे चाहे काम होता या न होता लेकिन मैं उसके साथ सफर पर निकल पड़ता था. सफर के दौरान कई बार तो हमको अपनी यह ट्रेन सेक्स स्टोरी आगे बढ़ाने का मौका मिल जाता था लेकिन कई बार नहीं मिल पाता था. अगर ट्रेन में हमें मौका न मिलता तो हम बाहर किसी गेस्ट हाउस में जाकर चुदाई के मजे लेते थे.

    कई बार मैंने उसकी चूत को चोदा और उसके मजे लिये. लगभग साल भर के दौरान वो मुझसे चूत चुदवाती रही. फिर अचानक से उसका नम्बर स्विच ऑफ हो गया. मैंने उससे संपर्क करने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर कभी उससे न तो मुलाकात हो पाई और न ही बात हो पाई.

    लेकिन जो भी हो उस सेक्सी लड़की ने मुझे पूरे मजे दिये. आज भी मैं उसके बारे में सोचता हूं तो मेरा मुठ मारने को मन कर जाता है. उस घटना के बाद मैं अक्सर इस तरह से ट्रेन के सफर के दौरान यह ट्रेन सेक्स स्टोरी बनाने की कोशिश करता रहता हूं.

    अभी तक मुझे कोई और चूत नहीं मिली है. जब भी मिलेगी मैं आप लोगों को नई सेक्स कहानी के माध्यम से जरूर बताऊंगा. अगर आपको मेरी यह स्टोरी पसंद आई हो तो अपनी प्रतिक्रया मेरी इस यह ट्रेन सेक्स स्टोरी पर जरूर दें. आप लोगों को मेरी तरफ से ढेर सारा प्यार. जिन्दगी के मजे लेते रहिये.
    [email protected]

  • मेरी चूत की चुदाई कार में

    मैं नर्स हूँ और एक डॉक्टर से प्यार करती हूँ. वो मेरी चूत की चुदाई भी कर चुका है. उसके बाद हालत कुछ ऐसे बने कि मेरी मुलाक़ात मेरे एक रिश्ते के भाई से हुई. तो उसके बाद …

    दोस्तो, मैं अन्तर्वासना कहानियों को बहुत पसंद करती आयी हूँ। इसी लिये आज मैं अपनी एक भूल को आप लोगों के साथ शेयर करना चाहती हूँ।
    सबसे पहले मैं अपने बारे में बता देती हूँ।

    मेरा नाम मीना है और मैं 24 वर्ष की कुंवारी लड़की हूँ। मेरे बदन का आकार 32 28 36 व ऊंचाई 5’1″ है. और मैंने नर्सिंग की पढ़ाई की हुई है। मैं शहडोल के एक निजी अस्पताल में नौकरी करती हूँ।

    मैं शुरू से ही एक इंसान को चाहती आ रही हूँ, वो एक डॉक्टर है और सुकमा बस्तर में सरकारी नौकरी कर रहे हैं और वो भी मुझे दिलो जान से प्यार करते हैं। हम दोनों के बीच बारम्बार शारीरिक संबंध बन चुका है और उनके साथ रह रह के पूरी तरह ओपन माइंड हो चुकी हूँ।

    जब मैं डॉ आशु के साथ काम करती थी तो वो मुझे रोज चोदते थे, मुझे खूब मजा आता था. हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं.

    अब मैं सीधे अपनी कहानी में आती हूँ। यह घटना अप्रेल 2019 की है जब मेरी लड़ाई मेरे प्यार डॉ आशु से चल रही थी. हमें महीने बीत गये बात किये और मिले हुये। जब प्यार होता है तो उसमें नोक झोंक भी चलती रहती है. यह सामान्य बात है.

    लेकिन इस नोक झोंक का असर मेरी चूत पर पड़ रहा था जिसे अब कोई लंड नहीं मिल रहा था. मेरी चूत की चुदाई नहीं हो रही थी.
    जब कभी मेरी वासना ज्यादा उफान पर होती तो मैं अपनी उंगली चूत में लेकर चूत की गर्मी निकालने की कोशिश करती थी. लेकिन जो मजा लंड के चूत में जाने में है वो उंगली से कहाँ मिलता है.

    और जब तक मर्द के जिस्म का बोझ नंगी लड़की के गर्म जिस्म पर ना पड़े … मजा ही नहीं आता.
    तो कुल मिला कर मैं लंड के अभाव में रह रही थी.
    फिर भी मैंने किसी दूसरे लडके की तरफ सेक्स की दृष्टि से नहीं देखा था.

    एक दिन हमारे अस्पताल में एक पति पत्नि का जोड़ा इलाज के लिये आया हुआ था। पति का नाम दीपक और उनकी पत्नि नीलिमा था. दीपक की पत्नि माँ नहीं बन पा रही थी. इसी सिलसिले में वो लोग इलाज कराने आये हुए थे।

    उन लोगों को जल्दी थी शायद इसलिये बार बार परेशान कर रहे थे जिससे तंग आके मैंने दीपक को बहुत कुछ सुना दी।
    इस पर वो चुप शांत हो गए थे और आखिर उनका नंबर आ ही गया।

    जब डॉक्टर ने दीपक की पत्नि की पूरी जांच के लिए उसको एक दिन के लिए भर्ती करने का लिखा तो मैंने दीपक का पूरा नाम पता लिखा। तो मुझे पता चला कि वो मेरे दूर के रिलेशन का भाई था।
    अब मुझे अपने व्यवहार पर अफसोस हुआ तो मैं दीपक से माफी मांगने चल दी और पूरा परिचय हुआ।

    बातचीत के बाद जब दीपक ने मेरा मोबाईल नं० मांगा तो मैंने तुरंत दे दिया।
    अगले दिन उनकी छुट्टी हो गयी और दोनों मुझसे मिलकर चल दिये।

    कुछ दिन बाद दीपक का मैसेज आया, फिर बातें चालू हुई। चूँकि मेरी बातें आशु से नहीं हो पा रही थी तो मैं रात में दीपक से बातें करने लगी। दीपक से मेरा रिश्ता दोस्ताना सा हो गया था.

    कुछ दिन बाद दीपक के रिेलेशन में एक शादी थी यहीं शहडोल में … दीपक बोला- जब मैं शादी में आऊंगा तो तुम मुझे शहडोल घुमाना!
    तो मैंने ड्यूटी के बाद उसे घुमाने को हाँ बोल दी।

    शादी वाले दिन दीपक शाम 4 बजे ही मेरी क्लिनिक में आ गया और मुझे साथ चलने बोलने लगा। मैंने अपने डॉक्टर से छुट्टी मांगी और जल्दी से बकाया काम खत्म करके अपने पी जी चल दी कपड़े बदलने!

    और दीपक बाहर ही अपनी कार में मेरा इंतजार करने लगा।

    मैं जल्दी से तैयार होकर कार में बैठ गयी. फिर हम दोनों क्षीर सागर पिकनिक स्पॉट में गये। वहाँ कुछ समय मंदिर में दर्शन किये फिर एक शांत जगह में पुलिया के ऊपर बैठ के बातें करने लगे। मैं पिंक शर्ट और सफेद जींस में खिली हुई लग रही थी।

    अचानक मैंने नोटिस किया कि दीपक मुझे एकटक देखे जा रहा था. तो मैं अपने शर्ट पर गौर किया।
    उसका ऊपर का बटन टूट गया था और मेरे वक्ष के उभार खिल के बाहर दिखाई दे रहे थे जिन्हें देख दीपक के मुंह में शायद पानी आ रहा था।

    मेरी चूचियां हैं ही ऐसी कि किसी के भी मुंह में पानी आ जाए इन्हें चूसने के लिए और ये किसी का भी लंड खडा कर सकती हैं.

    मैं कुछ कर नहीं सकती थी तो दीपक को बोली- क्या देख रहे हो?
    दीपक- मीना, तुम बहुत हॉट और खूबसूरत हो मीना। तुम्हें खा जाने को मन हो रहा है मेरा!
    मैं बोली- हटो पागल, ऐसा कुछ नहीं है।

    लेकिन दीपक लगातार मेरे जिस्म की तारीफें करता रहा और उसकी आंखों से ही मुझे लगने लगा कि ये आज मुझे छोड़ेंगे नहीं।
    बहुत देर बातें होने के बाद अंधेरा होने लगा तो मैं दीपक से बोली- चलो अब आपको शादी में भी जाना है।

    दीपक ने दुखी मन से कार चालू की.
    कुछ आगे चलने के बाद मैं उसे बोली- मुझे बाथरूम जाना है। जरा कहीं सुनसान में गाड़ी रोक लो!

    दीपक ने थोड़ा जंगल के पास सुनसान में गाड़ी साइड में खड़ी कर दी और मैं पेशाब करके वापस आयी तो दीपक कहीं दिखा नहीं।
    ध्यान से देखा तो पता चला दीपक कार के पीछे बैठा है।

    मैं दीपक के पास जाकर बोली- क्या हुआ? अब चलो भी।
    दीपक मेरी आंखों में देखते हुए बोला- मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ. और जब तक तुम हाँ नहीं बोलोगी, मैं कहीं नहीं जाऊंगा।
    मैं बोली- दीपक, मुझे डर लग रहा है. यहाँ जंगल और अंधेरा है।

    दीपक ने मेरा हाथ पकड़ के अपनी बांहों में कस लिया और बोला- कार के अंदर हम सुरक्षित हैं.
    और वह मेरे होठों को चूमने लगा।

    Meri Chut Ki Chudai Car Me
    Meri Chut Ki Chudai Car Me
    मेरे शर्ट का बटन टूटा था तो वो ऊपर से सीधे मेरे उभारों को छूने लगा। थोड़ी देर ही किस करने और उभारों को मसलने से मैं वासना के नशे में आ गयी क्योंकि आशु से रिलेशन बने महीनों बीत गये थे।
    मैं भी अब दीपक को किश करने लगी और हम दोनों गर्म हो गये।

    फिर दीपक मेरे सारे कपड़े एक एक करके हटाता गया। दीपक भूखे शेर की तरह मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगा।
    मैं बस सिसकारियाँ लेती रह गयी।

    फिर दीपक ने खुद के सारे कपड़े जैसे हटाये तो मैंने देखा कि दीपक का लण्ड थोड़ा छोटा है।
    मैंने सोचा कि इसे मुंह में लेकर बड़ा कर दूं।
    और मैं दीपक का लण्ड पकड़ के चूसने लगी।

    मैं बहुत दिन बाद लंड चूस रही थी तो मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं पूरे दिल से भाई का लंड चूस रही थी.

    दीपक कराह उठा और मुझे उठा के अपने ऊपर 69 पॉजीशन में ले आया. फिर मैं उसके लण्ड को चूस रही थी और दीपक मेरी चूत चाटने लगा। हम दोनों के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी।

    जब हम दोनों गर्म हो गये तो दीपक ने मुझे डॉगी स्टाईल में आने बोला।
    मेरे डॉगी स्टाईल में आते साथ दीपक मुझे पीछे से जकड़ लिया और अपने लण्ड में थूक लगा के मेरी चुत से सटा दिया और एक जोर के झटके से अपने लण्ड को पूरा मेरी चुत में डाल दिया।

    मैं जोर से कराह उठी उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्योंकि बहुत दिनों से किसी ने मेरी चूत की चुदाई नहीं हुई थी।

    दीपक मेरा पीठ और उभारों को सहलाते हुए जोर जोर से झटके मारने लगा। दीपक का लण्ड छोटा जरूर था लेकिन मुझे देर तक चोदता रहा।

    मैं जल्द झड़ गयी लेकिन दीपक झड़ नहीं रहा था तो दीपक गाड़ी से मुझे बाहर लाकर अपनी गोद में उठा के चोदने लगा। अब मेरा पूरा वजन दीपक के लण्ड पे पड़ने लगा और दीपक मुझे उछाल उछाल के चोदने लगा।

    दीपक ने झड़ने से पहले मुझे कार में वापस लाके लेटा दिया और चिपक के बांहों में कस के चोदने लगा।
    मुझे भी जन्नत का अहसास होने लगा और मैं दुबारा झड़ गयी.

    थोड़ी देर में दीपक भी झड़ गया और हम दोनों चिपक के लेटे रहे।

    कुछ देर बाद दीपक ने मुझे दुबारा चोदा और पूरा आनंद दिया जो मैं चाहती थी।

    इसके बाद हम दोनों वापस गये। दीपक मुझे गुड नाईट किस देकर शादी में चला गया और अगले दिन वापस चला गया।

    इसके बाद दीपक जब भी शहडोल आता है तो अच्छे से मेरी चूत की चुदाई करके ही जाता है।
    दीपक से मुझे सेक्स का मजा मिलता है और मुझे उससे लगाव भी हो गया है.
    ऐसा नहीं कि डॉ आशु के साथ चुदाई में मुझे मजा नहीं आता था. पर सच यही है कि दीपक ज्यादा मजा देकर चोदता है.

    लेकिन अब आशु से मेरी फिर से बात चालू हो चुकी है। आशु मेरा भविष्य है और दीपक शादीशुदा इंसान जो दूर का भाई भी है।

    मैं दोनों को एक दूसरे की बात बता नहीं सकती.
    कई बार मुझे लगता है कि रिश्तों में चुदाई करके मैं गलत कर रही हूँ. मैं अपने ही भाई की बीवी का हक़ छीन रही हूँ.
    यही वजह है कि मुझे आप लोगों की राय चाहिये कि अब मैं क्या करूं?

    मेरी चूत की चुदाई की सच्ची कहानी आपको कैसी लगी? अपने विचार मुझे जरूर बताएं नीचे कमेन्ट करके और मुझे इमेल करके!
    [email protected]

  • ट्रेन में मिली अनजान भाभी की चुत चुदाई

    मैं ट्रेन के स्लीपर कोच में था पर बहुत सारे बिना रिजर्वेशन वाले लोग मेरे डिब्बे में थे. मैंने एक भाभी को अपनी बर्थ पर जगह दी. उसके बाद मैंने भाभी की जवानी का मजा लिया.

    सभी दोस्तो और उनकी सहेलियों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम हैप्पी शर्मा है. मैं बिहार का हूँ मगर फिलहाल हरियाणा के सोनीपत में रहता हूं. मेरी 2 महीने पहले की मार्केटिंग जॉब लगी थी.



    यह बात अभी एक हफ्ते पहले की है, जब मैं दिल्ली से अपने गांव सोनपुर जा रहा था. मैं वैसे तो कुछ नहीं करता, लेकिन नॉलेज सबकी रखता हूं.

    मैं ट्रेन से जाने की तैयारी कर रहा था. आम्रपाली ट्रेन में ऊपर की बर्थ की स्लीपर कोच की मेरी टिकट कंफर्म थी. मैं ठीक टाइम पर स्टेशन पहुंच गया. मेरे पास एक बैग और ओढ़ने बिछाने के लिए चादर थी.

    ट्रेन अपने टाइम से आई और चल दी. दस ही मिनट के अन्दर ट्रेन में इतनी भीड़ हो गयी जैसे और सारी ट्रेनें कैंसल हो गयी हों.

    मेरी रिजर्व बर्थ होने के बावजूद मुझे अपनी बर्थ तक पहुंच पाने का अवसर बड़ी मुश्किल में मिल सका. भीड़ हद से ज्यादा थी इसलिए मुझे नीचे सीट पर बैठने का मौका नहीं मिला. मैं ऊपर की बर्थ पर चला गया.

    ट्रेन दस मिनट देरी से चली. गाज़ियाबाद के करीब ट्रेन पहुंची तो बारिश होना शुरू हो गयी. इससे गाज़ियाबाद से आने वाले लोगों की भीड़ और बढ़ गयी.

    कुछ टाइम बाद जब टीटी आया, तो सबने टिकट चैक कराए. जो बिना रिजर्व टिकट के थे, उनकी टीटी ने जेब काटी.

    जब टीटी था, उसी समय मैं ऊपर की बर्थ से नीचे उतर आया. मुझे सुसु लगी थी. जब मैं बाथरूम से वापस आया, तो मेरी ऊपर वाली सीट पर एक भाभी आकर बैठ गई थीं. भाभी बड़ी मस्त दिख रही थीं. नीचे भीड़ भी ज्यादा थी, तो मैं भी ऊपर अपनी बर्थ पर जाने लगा.

    वो बोलीं- ये आपकी सीट है?
    मैंने हां में उत्तर दिया. इस पर वो बोलीं कि ठीक है, मैं थोड़ी देर में टीटी से अपने लिए सीट पक्की करवा लूंगी, अभी भीड़ ज्यादा है.
    इस पर मैंने कहा- कोई बात नहीं … आप बैठ सकती हो.

    मैं बर्थ पर आ गया और अपने फ़ोन में फेसबुक फ़्रेंड्स के साथ लूडो खेलने लगा. वो बार बार मेरी तरफ देख रही थीं.

    मैंने उनसे खेलने को पूछा, तो वो बोलीं- ओके.

    मैं और भाभी नार्मली लूडो खेलने लगे. कोई 4-5 मैच खेल कर हमने खाना खाने का प्लान किया और टिफिन निकाल कर खाना खाने लगे.

    मैंने उनसे उनका नाम जानना चाहा, तो मालूम हुआ कि भाभी का नाम मनीषा था. जब हम दोनों खेलने के साथ बात कर रहे, तभी उन्होंने अपने बारे में बताया था कि वो दिल्ली पेपर देने आई थीं. उनके पति की कोई हलवाई की शॉप है.



    खाना खाने के बाद हम बातें कर रहे थे. करीब 9 बजे के आस पास मैंने पूछा- टीटी आया नहीं … और भीड़ भी ज्यादा है … आप कैसे करोगी?
    वो कुछ नहीं बोलीं, बस मेरी तरफ असहाय सी देखने लगीं.
    मैंने कहा- ओके आप मेरी सीट पर ही रह जाओ. जब टीटी आएगा तब देख लेंगे.
    तो भाभी ने कहा- ठीक है.

    मुझे बिना चादर के नींद नहीं आती, तो मैंने चादर अपने ऊपर कर ली और आधे पैर सीधे करके बैठ गया. वो भी वैसे ही बैठ गईं.

    जब कम्पार्टमेंट की सारी लाइटें बन्द हो गईं … तो एकदम घुप्प अँधेरा हो गया. उस डिब्बे की नाईट लैम्प खराब थे. कोई भी नाईट लैम्प नहीं जल रहे थे.

    मैंने भाभी से पूछा कि आपको सोना है, तो आप सो सकती हो. उनका पैर मेरी तरफ था और मेरा पैर उसकी तरफ था.

    वो भी लेट गयी और मैं भी लेट गया. रात 11 बजे के करीब थोड़ी थोड़ी ठंड लगने लगी … तो उन्होंने मेरी चादर को अपने ऊपर कर लिया. मुझे ट्रेन में नींद नहीं आ रही थी, मैं उठा हुआ था.

    मैंने नोट किया कि भाभी का जिस्म मेरे बदन से टच हो रहा था. इससे मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था. मैंने भाभी की जांघों के नीचे से टांग बढ़ाते हुए उनकी गांड से नीचे पैर लगाने लगा.

    ट्रेन चलने के कारण और मेरा पैर उनकी गांड को छूने लगा. उन्होंने कुछ नहीं कहा. फिर जब भाभी ने अपने पैर सीधे किए और चादर को अपने ऊपर पूरा ढक लिया, तो मैं डर गया और हल्का सा खुद को सिकोड़ कर पीछे कर लिया.

    फिर भाभी के पैर से मेरा लंड छूने लगा. इस बार मैं उनके पैरों को अपने शरीर की हरकत से सहला रहा था.

    फिर अचानक से भाभी ने करवट बदल ली, अब मेरे पैर उनकी चुचों से लग रहे थे. उधर उनके पैर मेरे लंड को छूते हुए मेरी छाती से लग रहे थे.

    इससे मेरा लंड और भी खड़ा होने लगा था. ट्रेन के हिलने का फायदा लेकर मैंने एक हाथ उनकी गांड पर रख दिया, वो कुछ नहीं बोलीं.

    ट्रेन तेज चलने के कारण मेरा हाथ हिल रहा था और मैं उसी का फायदा लेते हुए उनकी गांड को सहला भी रहा था. कुछ टाइम बाद उनका हाथ मेरे हाथ के ऊपर आ गया, इससे मैं डर गया.



    मैं कुछ पल ऐसे ही पड़ा रहा … लेकिन मेरा लंड ट्रेन की गति के वाइब्रेशन से उनकी दोनों जांघों के बीच मस्ती ले रहा था.

    कुछ टाइम बाद उन्होंने मेरा हाथ दबाया और साथ ही अपने पैरों से मेरे लंड को दबाया. इससे मैं समझ गया कि भाभी गर्म हो गयी हैं.

    मैंने अपने हाथ से धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा. भाभी ने मेरा हाथ छोड़ दिया और मेरे पैर पर हाथ रख दिए.

    मैं इससे उत्साहित हुआ और धीरे से उनके शर्ट के नीचे हाथ करने लगा. भाभी ने भी मेरे पैरों को पकड़ रखा था. मैंने अपना हाथ सूट के ऊपर से ही उनकी चूत पर रखा, तो वो और नीचे हो गईं.

    Train Me Anjan Bhabhi Ki Chut Chudai
    Train Me Anjan Bhabhi Ki Chut Chudai
    अब मैं धीरे धीरे उनके पैरों को किस करने लगा और अपना हाथ ऊपर से ही चूत पर सहलाने लगा.

    इससे वो भी मेरे लंड की ओर हाथ बढ़ाने लगीं … तो मैंने उनके पजामे के अन्दर हाथ डाल दिया. मुझे ऐसा लगा कि मेरा हाथ किसी गर्म जगह पर चला गया. एक पल में ही मैं समझ गया कि मेरा हाथ उनकी चुत के ऊपर आ गया था. मैंने भाभी की चुत को ठीक से टटोला और चूत में उंगली करने लगा. भाभी भी मेरा लंड सहलाने लगीं.

    अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और अपने आपको ठीक करके बैठ गया. पहले मैंने नीचे झांक कर ट्रेन की भीड़ का जायजा लिया. सब लगभग सो रहे थे. मैंने उनको पैरों को हिला कर अपनी तरफ सिर करके लेटने का इशारा किया, वो कुछ पल इधर उधर देख कर मेरी तरफ आ गईं.

    मैंने अपनी चादर को ठीक से ओढ़ लिया और भाभी को भी चादर में ले लिया. हमारे सामने वाली बर्थ पर एक लड़की लेटी हुई थी. वो शायद 19-20 साल की थी. उसका चेहरा चादर के अन्दर था. हम दोनों ने उसे एक बार देखा और चिपक कर लेट गए.

    अब भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा दिया. मैंने एक बार मना किया और उतर कर नीचे चला गया. मैंने टॉयलेट में जाकर अंडरवियर उतार दिया और लोअर में आ गया. मैं फिर से सीट पर आ गया. इसके बाद भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया. मैं भी उनके मम्मों को दबाने लगा और किस करने लगा.

    चलती ट्रेन ने हमारा काम और भी आसान कर दिया था. मैंने उनकी पजामी को नीचे किया और चुत में उंगली डालने लगा. सच में यारों मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ.

    उसके बाद मैं 69 की पोजीशन लेते हुए नीचे की ओर हो गया … इससे मैं चादर के अन्दर ही उनकी चूत को चाटने लगा. वो भी मेरे लंड को मुँह में डाल रही थीं. कुछ टाइम बाद मैं भाभी के ही मुँह में झड़ गया. मेरा कुछ माल उनके मुँह में … और कुछ माल नीचे गिर गया.

    कुछ पल बाद भाभी भी झड़ गईं. लेकिन मैंने उनकी चुत का रस नहीं पिया. बस उंगली घुसा कर मजे लेने लगा.

    कुछ पल यूं ही रहने के बाद भाभी ने इशारा किया, तो मैं सीधा होकर भाभी से चिपक कर लेट गया. अब मैं चुत में उंगली करते करते उन्हें किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं. ट्रेन की कम्पन करती हुई गति हम दोनों को पूरा साथ दे रही थी.

    पांच मिनट बाद मेरा लंड खड़ा हो गया. मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे पैर ने या भाभी ने खुद ही अपनी पजामी पूरी उतार दी थी. ऊपर ब्रा भी खोल दी थी.



    मैंने पोजीशन बनाई और भाभी के ऊपर चढ़ कर अपना लंड भाभी की चूत में पेल दिया. भाभी ने अपनी टांगें फैलाते हुए मेरा लंड जज्ब कर लिया और मादक सिसकारियां लेने लगीं. लेकिन मैंने उनके होंठों को अपने मुँह में दबा रखा था … तो उनकी आवाजें बाहर नहीं निकल पा रही थीं.

    भाभी मेरे नीचे गरमगरम सांसें छोड़ते हुए मस्ती से लेटी हुई चुद रही थीं. मैं सिर्फ लंड घुसाए पड़ा था, बाकी का चुदाई का काम चलती ट्रेन ने किया.

    दस मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ गयी थीं. मैं लगा हुआ था. कुछ देर बाद मेरा लंड छूटने को हुआ.
    मैंने उनसे कान में कहा तो भाभी ने फुसफुसा कर कहा- अन्दर ही आ जाओ.

    मैं भाभी की चुत तेजी से लंड चलाते हुए झड़ गया. मेरे साथ ही भाभी ने भी अपनी गांड उठाते हुए चुत को झाड़ दिया. हम दोनों एक साथ ही झड़ गए थे.

    कुछ पल बाद भाभी ने अपने कपड़े पहने और उतर कर टॉयलेट में चली गईं. मैंने अपना लंड अपने लोअर में समेटा और भाभी का इन्तजार करने लगा.

    भाभी बाथरूम से तैयार हो कर आ गईं. अब रात के 3 बजे थे. तभी ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकी. मैंने देखा और उतर कर चाय ले आया. मैं भी पी और भाभी को भी पिलाई.

    ट्रेन चल दी और हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार थे. लेकिन इस बार मेरे दिमाग में कुछ अलग था.

    मैं अपने साथ हमेशा एक एनर्जी बढ़ाने वाला पाउडर रखता था, जो कि खाने में मीठा होता है. उसे मैंने अपने बैग से निकला. उसे मैंने खाया और कुछ भाभी को भी खिलाया.

    भाभी ने पूछा कि ये क्या है.
    मैंने कहा- स्पेशल पंजीरी है … प्रसाद में मिली थी.

    भाभी ने बड़ी श्रद्धा से पाउडर खा लिया.

    इसको खाने से किस करने में और भी मजा आता है. हम दोनों वापस लेट गए और एक ही चादर में लेटे हुए एक दूसरे को किस कर रहे थे. पाउडर ने काम दिखाना शुरू कर दिया था. मेरा लंड खड़ा हो गया था. भाभी उसे हिला रही थीं.

    अब मैंने उनसे घूमने को कहा, वो पलट कर घूम गईं. मेरे लंड के सामने उनके मोटे मोटे चूतड़ थे.

    मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और भाभी की गांड पर लगा दिया. एक हाथ से मैंने भाभी की एक टांग को उनके सीने की तरफ की और दूसरी अपने टांग के नीचे दबा ली. लंड ने भाभी की गांड के छेद को खोज लिया था.

    तभी ट्रेन ने एक झटका लिया और मैंने मौके का फायदा उठा कर लंड अन्दर पेल दिया. इससे भाभी को बहुत दर्द हुआ. वो उछल कर आगे को हो गईं और बैठ गईं. वो मेरी तरफ गुर्रा कर देखने लगीं, तो मैंने उनकी चुची को पकड़ कर मसल दिया और सोने को कहा.

    वो लेट गईं, लेकिन गांड में लंड नहीं डालने का इशारा करके लेट गईं. मैंने उन्हें प्यार से फिर से गर्म किया. भाभी के मम्मों को दबाकर और चुत में उंगली करके उसे कामुकता के शिखर पर ला दिया. अब मैंने भाभी से गांड मरवाने को कहा, वो गरम हो गई थीं, तो ये कहते हुए लेट गईं कि धीरे करना.



    मैं धीरे धीरे करके अपना लंड भाभी की गांड में डालने लगा और मम्मों दबाने लगा. कुछ पल के दर्द के बाद उन्हें भी मजा आने लगा. हल्का दर्द भी हो रहा था. तब भी हम दोनों धीरे धीरे ऐसे ही गांड चुदाई करते रहे.

    कुछ देर बाद मैंने भाभी की गांड से लंड खींचा और उनको सीधा लिटा कर अपने सामने कर लिया. भाभी ने अपनी एक टांग उठा कर मेरे ऊपर की और मैंने उनकी चूत में लंड पेल दिया. लंड पेल कर मैं भाभी को किस करने लगा. वो भी मजे से आगे पीछे होकर चुत चुदवा रही थी.

    इस तरह से हम दोनों ने 3 बार चुदाई का खेल खेला और सो गए. अगली सुबह उठे तो ट्रेन में भीड़ उतनी ही थी. जब ट्रेन गोरखपुर पहुंची, तो भीड़ कम हुई और हम नीचे सीट पर आ कर बैठ गए.

    मैंने एक हाथ पजामे के ऊपर से उनकी चुत पर रख हुआ था. भाभी की चुत को सहला रहा था, मेरे हाथ के ऊपर उनका बैग था, तो किसी को पता नहीं चल रहा था. फिर मैंने देखा कि ट्रेन छपरा से सोनपुर के 3 घंटे के सफर में 7 ट्रेन थीं तो मैंने भाभी से पूछा कि अगर आप चाहें तो हम इधर उतर कर किसी होटल या रूम में एक घंटे चुदाई का मजे कर सकते हैं.

    भाभी ने कुछ पल सोचा, फिर बोलीं- आपको तो आगे जाना है.

    मैं बोला कि आगे एक स्टेशन जाने की 6-7 ट्रेन हैं … मैं उनमें से किसी भी ट्रेन से चला जाऊंगा.

    वो बोलीं कि मैं अपने पति को क्या बोलूंगी?
    मैंने कहा- बोल देना कि बस या कोई ट्रेन में जगह ही नहीं मिली. भीड़ के कारण आज आना नहीं हो पा रहा है. आज यही रुक जाना सुबह चली जाना.

    इस पर वो मान गईं.

    मैंने ट्रेन से उतर कर बाहर आकर एक होटल में एक रूम ले लिया. हम दोनों होटल के कमरे में घुसते ही किस करने लगे.

    मैंने कहा- भाभी, हम पहले फ्रेश हो जाते हैं फिर मजा लेंगे.

    पहले मैंने भाभी से एक साथ ही नहाने का कहा, मगर वो मना करने लगीं कि बाथरूम छोटा है. एक एक करके आराम से नहा लेना.

    वो वाशरूम चली गईं, तो मैंने वहीं एक दूसरे कमरे में नहाने के लिए मैनेजर से कहा. उसने हां कह दिया. मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं था. जब मैं नहा कर जब रूम में गया, तो भाभी भी नहा कर बाहर आ गई थीं. उन्होंने अब साड़ी पहन ली थी. मैं कैप्री और बनियान में था.

    फिर मैंने अपना मुँह उसकी तरफ कर दिया और भाभी को किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मैंने अपने हाथ से उनका ब्लाउज खोल दिया और मम्मों को दबाने लगा. वो गर्म सिसकारियां लेने लगीं. हम दोनों बेड पर लेट गए. और किस करते करते अपने कपड़े भी उतार दिए.



    वो सिर्फ पैंटी में थीं. काले रंग की पैंटी में भाभी क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं. मैं उन्हें नीचे लेटा कर उनके सारे बदन को पागलों की तरह चूमने लगा और उनकी पेंटी निकाल दी.

    उनकी चुत पर छोटे छोटे से रेशम से बाल थे. ऐसा लग रहा था, जैसे 3-4 दिन पहले ही झांटों को साफ़ किया हो.

    मैंने 69 की पोजिशन ली और उनकी चुत पर जीभ लगा कर चुत चाटने लगा. उन्हें भी चुत चटवाने में मजा आ रहा था. वो पूरी तरह से गर्म हो गयी थीं.

    तभी उनका पूरा शरीर अकड़ गया और वो झड़ गईं.

    फिर हम दोनों सीधे होकर लिप किस करने लगे. उसके बाद भाभी फिर से 69 में हो गईं और वो मेरे लंड को चूसने लगीं.

    कुछ टाइम बाद वो सीधी लेट गईं और लंड पेलने का इशारा करने लगीं. मैंने उनकी टांगें चौड़ी कीं और अपना पूरा लंड चुत में पेल दिया. वो सिसकारियां भर रही थीं और मुझे किस कर रही थीं. दस मिनट की चुदाई के बाद हम झड़ गए और किस करते हुए लेटे रहे.

    दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने उन्हें अब पीछे गांड में लंड लेने को कहा, तो वो मना करने लगीं. मेरे समझाने पर वो मान गईं.

    मैंने थूक लगा कर लंड को उनकी गांड में पेला और गांड मारने लगा. उसे इस बार कम दर्द हो रहा था. मैं एक बार में लंड पेल कर रुक गया.

    कुछ पल बाद वो खुद आगे पीछे होने लगीं. तो मैंने झटके मार मार कर भाभी की गांड चुदाई की.

    अब हम दोनों कपड़े पहन कर जाने के लिए तैयार हो गए.



    भाभी ने जाते जाते मेरा फोन नम्बर ले लिया. भाभी उसी रूम में रुक कर दूसरे दिन अपने गांव जाने वाली थीं.

    दोस्तो, ये मेरी सच्ची और पहली सेक्स कहानी थी. आपको कैसी लगी, जरूर बताएं. धन्यवाद.

  • ट्रेन के सफ़र में देसी चूत की चुदाई

    हैल्लो दोस्तों.. में साहिल एक बार फिर से आप सभी के सामने अपनी एक और सच्ची घटना लेकर आया हूँ. मेरी उम्र 24 साल है और में मुंबई का रहने वाला हूँ. में नयी मुंबई में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूँ और में वहां पर मार्केटिंग मैंनेजर हूँ. दोस्तों मुझे सेक्स करना बहुत अच्छा लगता है . अब में चुदाई का काम एकदम ठीक तरह से सीख चुका हूँ.



    दोस्तों एक बार मेरी कोई जरूरी मीटिंग थी और मीटिंग सुबह 10 बजे की थी तो मैंने उस मीटिंग को पूरा किया और 11:30 तक फ्री हुआ. फिर मैंने सोचा कि में गुजरात एक्सप्रेस पकड़ लेता हूँ. तभी मेरी किस्मत से वो ट्रेन लेट हुई और में उसका इंतजार करता रहा और लेट होने के कारण ट्रेन में बहुत भीड़ थी.. लेकिन मेरा टिकट लोकल था.. इसलिए में बहुत मुश्किल से एक लोकल डिब्बे में जाकर खड़ा हो गया.

    वहाँ पर कुल 4 औरतें बैठी हुई थी. 3 औरतें और एक बूड़ा, एक साईड पर 1 लड़की और 4 लड़के दूसरी साईड में थे जहाँ पर 3 औरते बैठी हुई थी.. वहाँ एक भाभी बहुत ही मस्त जानदार, एक नंबर वाला फिगर था उसका.



    उसको देखकर मुझे बहुत मज़ा आया. उसने साड़ी पहनी हुई थी और उसका ब्लाउज बहुत गहरे गले का था.. जिसमें से उसकी पूरी गली साफ साफ दिखाई दे रही थी.. लेकिन में तो मज़े ले रहा था और में लगातार उसे ही देख रहा था और उसकी गली के दर्शन कर रहा था. फिर उसने कई बार मुझे देखा कि में उसके बूब्स को देख रहा हूँ.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली और ना ही अपनी साड़ी का पल्लू सीधा किया.

    तो दोस्तों मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और स्टेशन निकल जाने के बाद वहाँ पर एक बूड़ा बैठा हुआ था और उसके पास एक बच्चा भी था और उस बच्चे का सर उस बूड़े की गोद में था और बच्चे का पैर भाभी की गोद में था. फिर में उस बूड़े की जगह पर बैठ गया. उसका बच्चा मेरे पास था और उसका पैर भाभी के पास था.

    में बच्चे के पैर पर हाथ लगा रहा था तो मेरे हाथ भाभी के बूब्स को छू रहे थे और में तो बहुत मज़े ले रहा था. तभी उसने मुझे एक शरारती स्माईल दी.. मेरी तो हिम्मत बड़ गयी और मैंने बिल्कुल बिंदास होकर उसके बूब्स को बार दबा दिया और वो कुछ भी नहीं बोली और ना ही उसने मेरा कोई विरोध किया.



    मैंने उनसे पूछा कि आप कहाँ उतरोगे? तो वो बोली कि मुझे मजबूरी में बोरीवली उतरना पड़ेगा.. क्योंकि यह ट्रेन विरार नहीं रुकती है ना.. तो मैंने कहा कि हाँ वो तो है और फिर मैंने उनसे पूछा कि आपको वैसे जाना कहाँ है? तो वो बोली कि मुझे विरार जाना है.. लेकिन मुझे पता नहीं है.. क्योंकि में पहली बार अपने भाई के घर जा रही हूँ और में अहमदाबाद रहती हूँ और वो बोली कि में तो उतरकर उसे कॉल करके कुछ इंतज़ाम करती हूँ.

    आप बिल्कुल भी टेन्शन मत लो.. में मुंबई में रहता हूँ और आपको वहां तक पहुंचा दूँगा. वहाँ से कैसे जाना है.. वो भी में आपको बता दूंगा.

    फिर उसने तुरंत अपने भाई को कॉल करके कहा कि मुझे यहाँ से एक फ्रेंड मिली है तो वो मुझे थाने तक छोड़ देगी.. में बहुत खुश हो गया और फिर बोरीवली आने ही वाला था और में उसके पीछे खड़ा हो गया और अपना हाथ उसकी गांड पर रखकर मसलने लगा तो वो एकदम से पीछे मुड़ी और मुझे एक प्यारी सी स्माईल दी.



    फिर मैंने उसके कान में पूछा कि कोई प्राब्लम तो नहीं है ना? तो उसकी और से एक और स्माईल आई और उसने अपना हाथ पीछे किया और मेरे लंड को सहलाने लगी और में भी अपना हाथ उसकी चूत के पास ले गया.. तो वो मुझे एकदम धीमी आवाज़ में बोली कि सब कुछ क्या यहीं कर लोगे? इतने में स्टेशन आ गया और हम उतर गये और फिर मैंने उसे लोज में जाने के लिए मना लिया और हम कल्याण पहुंचकर एक लोज में गये

    हम जैसे ही अंदर घुसे तो मैंने उसे बहुत ही ज़बरदस्त स्मूच किया और उसके बूब्स दबाने लगा और वो मोन करने लगी.. मुऊुअहह आआहह उहह और ज़ोर से प्लीज इन्हे चूसो प्लीज. फिर मैंने उसका ब्लाउज उतारा.. उसने सफेद कलर की ब्रा पहन रखी थी और में उसके बूब्स को बहुत ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था और उसका एक हाथ मेरे लंड पर सहला रहा था.

    फिर में बहुत जोश में आ गया और मैंने उसकी साड़ी को उतार दिया.. उसने हरे कलर का पेटीकोट और काले कलर की पेंटी पहनी हुई थी. फिर मैंने वो भी उतार दिया.. उसे तो मानो मैंने फाड़ दिया और वो मेरे शरीर पर जानवरो जैसे नोच रही थी तो कुछ देर बाद उसने मेरी पेंट और अंडरवियर उतारी और घुटनों के बल नीचे बैठकर मेरे लंड को मुहं में लेने लगी.



    में तो मानो सातवें आसमान पर था.. उसने मेरा लंड चूसकर मुझे ऐसा अहसास दिया कि मैंने अपनी लाईफ में कई लड़कियों से अपना लंड कई बार चुसाया है.. लेकिन इस तरह किसी ने भी मेरा लंड नहीं चूसा.. जिस तरह छोटे बच्चे लोलीपोप चूसते है. वो वैसे ही मेरे लंड को चूस रही थी.. यहाँ तक जो मेरे लंड से पानी बाहर आ रहा था.. वो भी चाट रही थी.

    वो मुझसे बोली कि अब रहा नहीं जा रहा है.. प्लीज मुझे चोदो. फिर मैंने उसे बेड पर लेटाया.. मेरा लंड वैसे कोई बड़ा नहीं है नॉर्मल इंडियन जैसा है.. 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है और मैंने उसकी चूत के छेद पर अपने लंड को रखा और ज़ोरदार झटका मारा.

    उसके मुहं से आवाज़ निकली.. आह्ह्हहह मर गयी.. प्लीज बाहर निकालो अह्ह्ह अईईईइ माँ में मरी.. प्लीज निकालो इसे मेरी चूत से.. लेकिन मैंने उसकी एक बात नहीं सुनी और झटके पे झटके मारता रहा और लगभग 10 मिनट लगातार धक्के देने के बाद उसकी चूत का पानी निकल गया और वो एकदम ठंडी पड़ गयी.. लेकिन मेरा तो अभी सिर्फ़ आधा ही काम हुआ था तो में उसे ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदता गया और उसके बूब्स दबाता गया और



    जैसे ही मेरा वीर्य निकलने वाला था तो मैंने लंड को चूत से बाहर निकालकर पूरा वीर्य उसके बूब्स पर और उसके पेट पर डाल दिया.

    फिर में थोड़ी देर थककर लेट गया और सोचा कि में एक सिगरेट जला लूँ. फिर में सिगरेट पीने लगा और वो मुझसे सटकर मस्ती कर रही थी. हम दोनों पूरे नंगे बैठ हुए थे तो वो बोली कि चलो हम साथ में नहाते है और सिगरेट ख़त्म करके हम लोग बाथरूम नहाने चले गये. फिर पहले उसने मेरे बदन पर साबुन लगाया और मेरा लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया और में उसकी गांड पर हाथ लगाकर बोला कि चलो ना प्लीज एक और बार मजा हो जाए तो वो बोली कि ठीक है.. लेकिन पीछे नहीं आगे सब कुछ चलेगा.

    फिर मैंने उससे कहा कि प्लीज मुझे सिर्फ एक बार पीछे करने दो ना.. तो वो बोली कि बाथरूम में नहीं और हम दोनों ने बाहर आकर टावल से अपने शरीर को साफ किया और में सीधा बेड पर गया.. वहां पर पास में तेल का पाउच पड़ा हुआ था. म

    ैंने थोड़ा अपने लंड पर और थोड़ा उसकी गांड पर लगा लिया और लंड को अपनी जगह पर रखकर एक झटका मारा तो वो दर्द के मारे बहुत ज़ोर से चिल्लाई और बोलने लगी कि भगवान के वास्ते मुझे छोड़ दो.. ऐसा लग रहा है किसी ने मेरी गांड में लोहे का गर्म गर्म सरिया डाल दिया है.. प्लीज अब बस करो और में मर गई करती रही.



    फिर मैंने कुछ देर बाद लंड को बाहर निकालकर उसकी चूत में डाला.. वो एकदम शांत हो गयी और में उसे ताबड़तोड़ धक्के देकर चोदता रहा और अब मेरा वीर्य निकलने वाला था. फिर मैंने उससे पूछा कि में क्या करूं? तो वो बोलती है कि अंदर ही डाल दो.. में घर पर जाकर एक गर्भनिरोधक गोली खा लूंगी. फिर मैंने अपना गरम गरम लावा उसकी चूत में डाल दिया और थोड़ी ही देर के बाद हम वहाँ से निकले और में उसे उसके घर के कुछ दूर तक छोड़कर अपने घर चला गया.