Tag: Gand Ki Chudai

  • दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड full story

    दीवाली की शाम मैं अपने मित्र के घर गया. उस समय घर में उसकी माँ अकेली थी. तभी मेरे दोस्त की बहन भी आ गयी. उसकी खिली जवानी देख मैं देखता ही रह गया.

    नमस्कार दोस्तो, मैं राजीवअपनी एक सेक्सी कहानी के साथ हाजिर हूँ जो इस दीपावली मेरे साथ हुई।

    दोस्तो इस दीपावली की छुट्टी में मैं अपने गाँव गया हुआ था। दीपावली की शाम को दिए जलाने के बाद मैं अपने पड़ोस में एक मित्र के घर गया जो मेरे साथ ही वाराणसी में काम करता है और इस बार वो वापस गांव नहीं आ पाया था।

    उसके घर में उसके पापा मम्मी और एक छोटी बहन, जिसका नाम पीहू था, रहती थी। जब मैं उसके घर पहुँचा तो घर पर सिर्फ उसकी मां थी।
    मैंने उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दी और पीहू और उसके पापा के बारे पूछा.
    तो उन्होंने बताया कि पीहू के पापा किसी काम से रिश्तेदार के यह गए है कल आएंगे। पीहू गांव में मन्दिर पर दिए जलाने गयी है, कुछ देर बाद आएगी।

    तब मैंने उनके साथ मिलकर पूरे घर में दीये जलाये।
    दिए जलाने के बाद उसकी माँ और मैं छत पर खड़े होकर बात कर रहे थे तभी वहाँ पीहू आ गयी।
    उसने मुझसे कहा- भैया, आप कब आये?

    मैं तो बस उसे देखता रह गया.
    वो नीले रंग का कमीज और सफेद सलवार पहने थी।

    दोस्तो, पहले मैं पीहू के फिगर के बारे में बता दूँ. उसकी हाइट लगभग पांच फुट, उसकी चूचियों का साइज बत्तीस इंच, कमर छब्बीस इंच और गांड का साइज़ बत्तीस इंच था।

    मैं पीहू से दो साल बाद मिला था। इन दो सालों में उसका बदन काफी भर गया था। उसकी उम्र बाइस साल की हो गयी थी।

    उसके आने के बाद उसकी मम्मी ने कहा- तुम दोनों बात करो, मैं नीचे जा रही हूँ खाना बनाने।

    उसकी मम्मी के जाने के बाद मैं पीहू को कुछ देर तक लगातार देखता रहा तो पीहू ने हंसकर कहा- भैया, क्या देख रहे हो? पहले कभी नहीं देखा क्या?
    तब मैंने कहा- पहले भी देखा है पर तब और अब तुम काफी बदल गयी हो।

    यह सुनकर पीहू ने कहा- मैं कहाँ बदली हूँ, मैं तो वैसी ही हूँ.
    तब मैंने कहा- बदल तो गयी हो. अब पहले से ज्यादा खूबसूरत लग रही हो।

    पीहू बोली- झूठी तारीफ मत करिए.
    तब मैंने कहा- झूठ नहीं कह रहा हूँ. सच में तुम बहुत ही खूबसूरत लग रही हो. तुम्हें देखकर तो कोई भी पागल हो जाएगा। किसी का भी दिल तुम्हें पाने के लिए मचल जाएगा।

    पीहू यह सुनकर मुस्कुराती हुई बोली- भैया, खूबसूरत तो आप भी बहुत लग रहे हैं, आपको भी कई सारी लड़कियां पसन्द करती होंगी।
    मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है, मुझे तो आज तक किसी ने नहीं कहा.
    तो वो बोली- डरती होंगी आपसे!
    तब मैंने कहा- इसमें डरने वाली क्या बात है। जब तक कोई कहेगा नहीं … तब तक किसी के दिल का हाल कैसे पता चलेगा।

    पीहू ने कहा- भैया आपकी कोई गर्लफ्रैंड है?
    तो मैंने कहा- नहीं!

    मैंने उससे पूछा बॉयफ्रेंड के बारे में तो उसने भी न में जवाब दिया।

    पीहू ने मुझसे पूछा- भैया, आपको कैसी गर्लफ्रैंड चाहिए?
    तब मैंने कहा- बिल्कुल तुम्हारे जैसी!
    तो उसने कहा- मतलब?
    तब मैंने कहा- तुम्हारे जैसी न ज्यादा पतली न ज्यादा मोटी! तुम्हारे जैसी खूबसूरत और जिस पर मैं तुम्हारे जितना विश्वास कर सकूं कि वो हमारी बातें किसी और से न कहे।

    पीहू बोली- भैया, इस तरह की तो सिर्फ मैं हूँ. तब तो आपको मुझे ही अपनी गर्लफ्रैंड बनाना पड़ेगा. नहीं तो बिना गर्लफ्रैंड के रह जाएंगे।
    तब मैंने कहा- मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहाँ कि तुम मेरी गर्लफ्रैंड बनो।
    पीहू ने कहा- आपको मुझसे अच्छी मिलेगी!
    तब मैंने कहा- मुझे तुमसे अच्छी नहीं, तुम्हारे जैसी चाहिए।

    पीहू ने कहा- भैया क्या आप अपनी बहन को अपनी गर्लफ्रैंड बनाना चाहते हैं?
    तो मैंने कहा- अगर मेरी प्यारी बहना को एतराज न हो तो मैं उसे गर्लफ्रैंड बनाना चाहता हूँ।

    पीहू ने कहा- कहीं आप भाई को तो नहीं बता देंगे कि मैं आप से ऐसे बात कर रही थी?
    तब मैंने कहा- क्या मुझपर विश्वास नहीं है?
    तो उसने कहा- आप पर तो मैं खुद से भी ज्यादा विश्वास करती हूँ।

    मैंने पीहू से कहा- पीहू, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
    तो पीहू ने कहा कि वो भी मुझसे प्यार करती है।

    इसके बाद मैंने पीहू को पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया। मैंने पीहू का सर अपने दोनों हाथों में लेकर उसके माथे पर एक चुम्बन किया तो उसने अपनी आँखें बंद कर ली.

    फिर मैं उसके पूरे चेहरे पर किस करने लगा.
    पीहू मदहोश हो गयी थी।

    फिर मैं उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी. करीब दो तीन मिनट तक हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।

    इसके बाद मैंने पीहू को पलट कर उसके पीछे आ गया और अपने दोनों हाथों को समीज के अंदर उसके चूचियों पर रखकर दबाने लगा और अपने होंठों से उसके गर्दन पर किस करने लगा।
    पीहू ने मुझसे कहा- भैया, मम्मी कभी भी ऊपर आ सकती हैं.

    तब मैं उसी तरह उसकी चूचियों को दबातें हुए उसे सीढ़ी के किनारे के पास रेलिंग तक ले आया।
    वो नीचे की तरफ देख रही थी और मैं उसे किस करते हुए उसकी चूचियों को दबा रहा था।

    तभी उसकी मम्मी ऊपर आने लगी तो हम दोनों एक दूसरे से अलग होकर बातें करने लगे।

    उसकी मम्मी चाय लेकर ऊपर आयी थी. हम लोग चाय पीने लगे।

    उसकी मां चाय देकर नीचे चली गयी तब पीहू ने कहा- भैया, आप मेरे लिए दीपावली का क्या गिफ्ट लाये हैं?
    मैंने कहा- हाँ गिफ्ट लाया हूँ, बहुत ही खूबसूरत है.
    तब पीहू बोली- इस समय साथ लाये हैं?
    तो मैंने कहा- हाँ!
    तो वो बोली- जल्दी से मेरा गिफ्ट मुझे दीजिये.
    मैंने कहा- पहले अपनी आँखों को बंद करो, तब तुम्हें गिफ्ट मिलेगा।

    पीहू ने अपनी आँखों को बंद कर लिया और बोली- दीजिये गिफ्ट!

    तो मैंने अपनी पैन्ट को खोलकर अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और पीहू के हाथों को अपने हाथ में लेकर लन्ड उसकी हाथ में दे दिया।

    मेरे गर्म लन्ड का एहसास पाते ही उसने चौंक कर अपनी आँखों को खोल दिया और लन्ड अपनी हाथ में देखकर बोली- भैया, आप बहुत शरारती हो। क्या आप मेरे लिए यही लेकर आये थे?
    तब मैंने कहा- गिफ्ट तो तुम्हारा घर पर है पर ये वाला भी सबसे कीमती गिफ्ट मेरी प्यारी बहन के लिए है. क्या ये वाला गिफ्ट मेरी बहन को पसंद नहीं आया?
    पीहू ने कहा- ये गिफ्ट तो बहुत अच्छा है।

    तो पीहू से मैंने कहा- नीचे झुककर इसे चूसो.
    उसने मना कर दिया, बोली- ऐसा कौन करता है?
    तब मैंने कहा- सभी करती हैं, लन्ड में से निकलने वाला माल को पीने के बाद लड़कियाँ और खूबसूरत हो जाती हैं। तुम्हें भी अच्छा लगेगा.
    काफी मनाने के बाद वो लन्ड मुंह में लेने को तैयार हुई।

    Behan Ne Lund Chusa
    Behan Ne Lund Chusa
    पीहू नीचे झुककर घुटनों के बल बैठ गयी और हाथों में मेरा लन्ड लेकर उस पर एक किस किया।
    मैंने उसके हाथों के ऊपर अपना हाथ रखकर लन्ड के चमड़े को पीछे किया तो सुपारा बाहर आ गया।
    अब मैंने पीहू से कहा- मुंह में लेकर चूसो.
    तो वो लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।

    जब पीहू मेरा लन्ड चूस रही थी तो मुझे कितना मज़ा आ रहा था यह मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।

    कुछ देर के बाद मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मेरे लन्ड ने पूरा माल पीहू के मुंह में निकाल दिया। पीहू मेरा पूरा माल पी गयी पर उसके चेहरे के भाव देखकर ऐसा लगा जैसे उसका स्वाद पसन्द नहीं आया।
    मैंने उससे कहा- धीरे धीरे इसका स्वाद पसन्द आने लगेगा. और मेरा माल मेरी बहन की खूबसूरती को और बढ़ाएगा।

    यह सुनकर पीहू मुस्कुराने लगी.

    मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होंठों को चूसने लगा, वो भी मेरे होंठो को चूसने लगी।

    कुछ देर बाद मैंने पीहू से कहा- मैं अपनी प्यारी बहन को चोद कर दीपावली मनाना चाहता हूँ. क्या मेरी प्यारी बहना अपनी चुदाई मुझसे करवाएगी?
    पीहू ने कहा- भैया, आप मेरे साथ कुछ भी कर सकते हैं. मैं आपको रोकूंगी नहीं … पर यहाँ कुछ करने में रिस्क है।
    मैंने पीहू से कहा- तुम मेरा साथ दो, मैं कोई तरकीब निकलता हूँ।

    इसके बाद मैं पीहू के साथ नीचे आ गया और उसकी मम्मी से कहा- मैं पीहू को मार्केट लेकर जा रहा हूँ दीपावली का गिफ्ट दिलवाने … उसके बाद घर होते हुए आएंगे।

    उसके बाद मैं पीहू को लेकर आने घर आया और उसके लिए जो कपड़े लेकर आया था, वो ले लिये और बाइक निकाल कर उसकी डिग्गी में डाल दिया।
    मैंने घर पर बोल दिया कि पीहू को लेकर मार्किट जाऊंगा और उसे उसके घर छोड़ते हुए आऊंगा।

    पीहू को बाइक पर बैठा कर गांव के बाहर आ गया और बाइक अपने खेतों वाली ट्यूबेल की तरफ मोड़ दिया जो एकदम सुनसान स्थान पर था।
    ये देखकर पीहू बोली- भैया, आप तो मुझे गिफ्ट दिलवाने मार्केट ले जा रहे थे?
    तब मैंने कहा- गिफ्ट ही दूंगा अपनी प्यारी बहन को … वो भी सबसे अच्छा वाला।

    बाइक को मैंने अपनी ट्यूबेल पर खड़ी कर दिया। ट्यूबेल पर एक छोटा सा कमरा बना था जिसमें पम्पिंग सेट लगा था. उसके बगल में एक खाट पड़ी थी. जब खेतों में पानी देना होता था तो पिताजी यहीं पर सोते हैं।

    मैंने ट्यूबेल का दरवाजा खोला और पीहू को अंदर कर बाइक को भी दरवाजा बंद कर लिया।

    मैं कुछ देर पहले ही ट्यूबवैल पर दीये जला कर गया था. बाहर जो दीये जल रहे थे, मैं कमरे में उन्हें ले आया और कमरे में पूरा उजाला हो गया।
    पीहू ने कहा- भैया, यहाँ कोई आएगा तो नहीं?
    मैंने कहा- यहाँ कौन आएगा पागल इस समय … वैसे भी आज दीपावली मना रहे हैं लोग।
    पीहू ने कहा- लोग दीपावली मना रहे हैं और हम …

    इतने में मैंने उसे कमर से पकड़ कर खींच कर अपने सीने से लगा लिया और कहा- हम भी दीपावली को अपनी यादगार बना रहे हैं एक दूसरे से प्यार करके!

    इसके बाद मैं पीहू के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर पूरे चेहरे पर चूमने लगा. पीहू भी मदहोश होकर अपनी बांहों में मुझे कसकर पकड़ लिया।

    कुछ देर मैं पीहू को ऐसे ही चूमता रहा, फिर मैंने अपने होंठों में उसके निचले होंठ को लेकर चूसने लगा. तो वो भी मेरे ऊपर वाले होंठ को चूसने लगी.

    थोड़ी देर बाद मैंने पीहू से कहा कि वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दे.
    तो पीहू ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. मैं उसकी जीभ को चूसने लगा।

    कुछ देर तक उसकी जीभ चूसने के बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और वो मेरी जीभ चूसने लगी।
    करीब दस मिनट तक हम ऐसे ही चुम्माचाटी करते रहे।

    अब तक पीहू पूरी तरह चुदाई की मस्ती में आ गयी थी.
    मैंने पीहू से कहा- पीहू, हाथ ऊपर करो, तुम्हारी कमीज उतारनी है.
    तो वो बोली- भैया, मुझको शर्म आ रही है।
    मैंने कहा- शर्म कैसी पागल जब भैया तुझे चोदने के लिए तैयार है और तू भैया से चुदवाने के लिए।

    उसने शर्म से अपना सर मेरे सीने में छिपा लिया।
    अपने दोस्त के घर गया तो उसकी बहन से मिला. हम दोनों की जवानी ने जोर मारा और मैं उसकी चुदाई के लिए उसे अपने खेतों में ट्यूबवैल के कमरे में ले आया. जवान लड़की की पहली चुदाई का मजा लें.

    मेरे ख़ास दोस्त की बहन की चूत चुदाई की इस कहानी के पहले भाग
    दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड-1
    में आपने पढ़ा कि मैं दीपावली की शुभकामनाएं देने अपने दोस्त के घर गया तो उसकी बहन से मुलाकात हुई. उसकी जवानी मुझे घायल कर गयी. बातों बातों में हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी भावनाएं बता दी और मैं उसकी पहली चुदाई के लिए उसे अपने खेतों में ट्यूबवैल के कमरे में ले आया.
    अब आगे:

    वो बोली- भैया, मुझको शर्म आ रही है।
    मैंने कहा- शर्म कैसी पागल जब भैया तुझे चोदने के लिए तैयार है और तू भैया से चुदवाने के लिए।

    उसने शर्म से अपना सर मेरे सीने में छिपा लिया। मैंने उसके हाथ ऊपर कर उसका कमीज निकाल दिया।

    अब वह नीले रंग की ब्रा में मेरे सामने खड़ी थी। उसके बाल उसके चूतड़ों से नीचे तक की लंबाई के थे, जिनको उसने बाँध कर रखा था. मैंने उसे सीने से लगा कर उसके बालों को खोल दिया।

    पीहू को सीने से चिपकाए हुए ही मैंने अपने दोनों हाथों को उसकी कमर पर फिराते हुए ऊपर ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसके कंधों पर से ब्रा की डोरी को सरकाकर नीचे कर ब्रा को उसके जिस्म से अलग कर दिया।

    अब मैंने पीहू को घुमाकर उसकी पीठ को सीने से चिपका कर दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियाँ के निप्पल जोर से मसलने लगा।
    पीहू ने कहा- भैया धीरे धीरे करो दर्द हो रहा है, अब मैं तुम्हारी हो गयी हूँ।
    मैंने कहा- पीहू जान … यह तो प्रेम का मीठा दर्द है … भैया का प्यार में दिया इतना दर्द नहीं सहोगी?
    तो उसने कहा- आप मेरे भैया और सईंया आज से दोनों हैं।

    मैंने अपने शर्ट और बनियान को निकाल दिया और पीहू को सीने से लगा लिया. फिर पीहू को गोद में उठा कर खाट पर लिटा दिया।

    अपनी पैंट निकाल कर मैं पीहू के ऊपर चढ़ गया। मैं पीहू के चेहरे को चूमने लगा. उसके चेहरे को चूमते हुए उसके कानों को भी बारी बारी मुंह में लेकर चूसने लगा।
    पीहू पूरी तरह से चुदासी होकर मादक आहें भरने लगी थी।

    फिर मैं उसके कानों को चूमते हुए उसके गर्दन और कंधों को चूमने लगा। पीहू के कंधों से होते हुए उसके बायें हाथ को चूमते हुए उंगलियों तक आया और बारी बारी उसकी अंगुलियों को मुंह में लेकर चूसने लगा.
    फिर यही सब उसकी दायें हाथ के साथ भी किया।

    पीहू मादक आहें भर रही थी और मुझसे बोली- भैया कुछ हो रहा है, जल्दी करिये.
    मैंने कहा- क्या?
    तो वो शर्मा गयी।

    मैंने उसकी चूचियाँ के निप्पलों को दोनों हाथों की उंगलियों और अंगूठे से मसलते हुए पूछा- मेरी प्यारी बहना, क्या करूँ तुम्हारे साथ?
    तो वो बोली- भैया, आप बहुत बेशर्म हो गए हैं।
    तब मैंने उसके दोनों निप्पलों को जोर से मसलते हुए कहा- अपनी प्यारी बहना को चोदने के लिए बेशर्म तो होना ही पड़ेगा।

    उसके मुँह से एक आह निकल गयी शर्माकर उसने अपनी आँखें बंद कर ली।

    अब मैं पीहू की बायीं चूची की निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दायीं चूची को अपने हाथों से मसलता रहा.
    पीहू धीरे धीरे आहें भर रही थी.

    फिर मैं पीहू की दायीं चूची को मुंह में लेकर बायीं को मसलने लगा।
    मैंने पीहू से पूछा- कैसा लग रहा है?
    तो वो बोली- बहुत अच्छा भैया।

    उसकी चूचियों को चूसने के बाद उसके पेट और कमर को चूमने लगा उसके बाद मैंने पीहू की ठोड़ी के चारों तरफ अपनी जीभ से चाटने लगा।
    पीहू ने मेरा सर कसकर पकड़ लिया और धीरे धीरे ‘आह भैया … आह …’ कह कर आहें भर रही थी।

    अब मैंने पीहू के सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को निकाल दिया। अब वो मेरे सामने नीले रंग की पैंटी में थी। पैंटी के ऊपर से ही मैंने उसकी बुर पर किस किया तो वो सिहर उठी।
    मैंने उसकी पैंटी को उसकी टाँगों से निकल दिया। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी।

    Jawan Ladki Ki Chut
    Jawan Ladki Ki Chut
    पीहू का गोरा जिस्म बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।

    मैंने उसकी टांगों को फैलाकर अपना मुँह उसकी बुर पर रख कर किस किया तो वो सिहर उठी।

    अब मैं अपनी जीभ उसकी बुर के अंदर डालकर चाटने लगा तो उसने मेरे सर को कसकर पकड़ लिया और धीरे धीरे ‘भैया … भैया …’ कहते हुए आहें भरने लगी.
    लगभग पांच मिनट तक मैं उसकी बुर को चूसता रहा.

    इसके बाद पीहू शरीर अकड़ने लगा और उसकी बुर ने पानी छोड़ दिया।
    स्खलित होने के बाद पीहू काफी रिलैक्स दिख रही थी।

    पीहू से मैंने कहा- अब तुम्हारी बारी है.
    और उसके ऊपर लेट कर उसको बांहों में भर कर करवट बदल कर उसको ऊपर कर दिया।

    उसकी दोनों टांगों में अपनी टाँगें फंसा ली और उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से दबाते हुए कहा- किस करो पूरे बदन को!
    तो पीहू मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर किस करने लगी।

    चेहरे को कुछ देर चूमने के बाद उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी जीभ मेरे मुँह डाल दिया. मैं उसकी जीभ चूसते हुए उसकी कमर को सहला रहा था और उसके चूतड़ों को दबा रहा था।
    उसके बाल कुछ उसके चूतड़ों पर थे कुछ बाल मेरे चेहरे के दोनों तरफ लटके थे। बालों के साथ उसके कमर को सहलाने में एक अलग ही मज़ा आ रहा था।

    इसके बाद मेरे गले को चूमते हुए पीहू नीचे मेरे सीने की तरफ आयी और मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। धीरे धीरे पीहू फिर गर्म होने लगी थी।

    निप्पलों को चूसने के बाद जब उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे अपनी चड्डी उतारने का इशारा किया।
    उसने मेरी चड्डी को उतार दिया।

    मैंने लन्ड चूसने का इशारा किया तो वो मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ कर चूसने लगी। मैं पीहू के बालों को सहलाने लगा।

    थोड़ी देर बाद मैंने पीहू को रुकने का इशारा किया. वो मेरी तरफ देखने लगी तो मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर ऊपर की तरफ खींच लिया और पीहू के होंठों को चूसने लगा।
    कुछ देर तक उसके होंठों को चूसने के बाद मैंने उसे पेट के बल लिटा दिया और उसके बायें पैर की एड़ी को चूमते हुए उसके चूतड़ों तक आया फिर उसके दायें पैर की एड़ी को चूमते हुए चूतड़ों तक आया।

    उसके बल उसके चूतड़ों तक फैले हुए थे। उनके ऊपर से ही उसके चूतड़ों को किस करते हुए उसकी पूरी पीठ पर चुम्बन करने लगा।

    अब तक पीहू पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और आहें भरने लगी थी।

    मैंने पीहू के चूतड़ों पर अपने दांतों से हल्का सा काट लिया तो उसने एक मदहोश करने वाली आह भरी। फिर मैंने पीहू को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोनों टाँगों को फैलाकर उनके बीच में घुटनो के बल बैठ गया।

    पीहू मेरी तरफ मदहोश होकर देख रही थी।

    मैंने पीहू से कहा- मेरी प्यारी बहना दीपावली की शाम अपने भाई के लन्ड से चुदने के लिए तैयार है।
    तब पीहू ने सर हिलाकर हाँ का इशारा किया।

    मैंने कहा- ऐसे नहीं, बोलकर कहो!
    तब उसने कहा- हाँ, मेरे प्यारे भैया, आपकी बहन भाई के लन्ड से चुदने के लिए तैयार है।

    पीहू ने कहा- भैया … पर आपका इतना मोटा लन्ड मेरी बुर में कैसे जाएगा?
    तब पीहू से मैंने पूछा- सच बताओ कि अब तक कभी चुदी हो या नहीं?
    तो उसने कहा- नहीं … पर कभी कभी उंगली से कर लेती हूं।

    पीहू बोली- भैया, इतना मोटा लंड मेरी बुर में नहीं जा पायेगा.
    तो मैंने कहा- पहली बार में हल्का सा दर्द हो सकता है। अपने भाई के लिए इतना तो कर ही सकती हो?
    तो उसने हाँ का इशारा किया।

    मैंने मुँह से ढेर सारा थूक उसकी बुर और अपने लन्ड पर लगाया और अपना लन्ड उसकी बुर की छेद पर रख कर पीहू की तरफ देखकर कहा- डालूं? तैयार हो?
    तो उसने हाँ कहा.

    फिर मैंने उसकी कमर को जोर से पकड़ कर लन्ड पर दवाब बनाकर एक झटके से पूरा लन्ड उसकी बुर में उतार दिया।
    मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे मेरा लन्ड किसी चीज़ को चीरते हुए आगे बढ़ रहा था।
    और पीहू के मुंह से एक आह निकल गयी।

    मैंने पीहू से पूछा- दर्द तो नहीं हो रहा है?
    तो उसने कहा- नहीं … मैं तो सोचती थी कि बहुत दर्द होगा।
    तब मैंने कहा- अगर लड़की को पूरी तरह गर्म करके चुदने के लिए तैयार करके लन्ड डालेंगे तो उसे ज्यादा दर्द नहीं होता है।

    इस पर पीहू ने कहा- पर भैया, ऐसा लग रहा है जैसे कोई गर्म लोहे का रॉड मेरी बुर में चल गया है।
    तब मैंने कहा- मुझे भी ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लन्ड किसी गर्म भट्टी में चला गया है। पीहू तुम्हारे अंदर बहुत गर्मी है जिसे मैं अपने लन्ड से पानी निकाल कर तुम्हारी जिस्म की गर्मी को आज शांत करूँगा।

    यह सुनकर पीहू मुस्कुराने लगी और बोली- तो शांत कर दीजिए।
    और मैं धीरे धीरे पीहू की चूचियाँ दबाते हुए धक्के मारने लगा।

    नीचे से पीहू भी धक्के लगाकर जवाब दे रही थी और धीरे धीरे बोल रही थी- चोद दो भैया … और चोदो।

    कुछ देर ऐसे ही अपने दोस्त की बहन की चूत को चोदने के बाद मैं रुक गया और पीहू से कहा- अपनी टांगें मेरी कमर में लपेट लें और हाथों से मुझे कसकर बांहों में भर ले. मैं तुझे खाट से उठाऊंगा.
    तो उसने ऐसा ही किया।

    मैंने पीहू को खाट से अपनी गोद में उसकी बुर में अपना लन्ड डाले ही उठा लिया। मैंने पीहू को लाकर दरवाजे से लगा दिया और उसकी बायीं चूची को मुंह में लेकर पीने लगा.
    तो पीहू ने कहा- भैया, मैं आपको भारी नहीं लग रही हूँ?
    तो मैंने कहा- मेरी बांहों में इतनी ताकत तो ही ही कि तुम्हें गोद में लेकर चोद सकूँ।

    मैंने उसके चूतड़ों को नीचे से उठाया हुआ था और वो मुझे अपने पैरों से कसकर लपेटे हुए अपनी बांहों के घेरे में लेकर मुझसे कसकर चिपकी हुई थी।
    उसकी नर्म चूचियाँ मेरे सीने से दबी हुई थी और मैं उसके होंठों का रस पी रहा था।

    मैंने उससे पूछा- कैसे लग रहा है?
    तो उसने कहा- बहुत ही अच्छा! भइया पर ये आप किसी को कभी बताइयेगा मत … नहीं तो तो मैं मर ही जाऊंगी।
    मैंने उससे कहा- आज के बाद मरने की बात कभी मत करना! तुम्हें तो जीना है मेरे लिए! वादा करो कि तुम मुझे यूं ही प्यार करोगी.
    तो उसने कहा- भैया, मैं हमेशा आपकी रहूंगी, जब चाहे आप मुझसे प्यार कर सकते हैं।

    पीहू से मैंने कहा- पीहू, दरवाजा खोलो!
    तो उसने कहा- क्यों भैया?
    मैंने कहा- पहले खोलो, फिर बताऊंगा.
    तो उसने दरवाजा खोल दिया।

    मैं उसे गोद में लिए बाहर आ गया तो उसने कहा- भैया, कोई देख लेगा.
    तो मैंने कहा- देखो बाहर कितना अंधेरा है. वैसे भी यहाँ खेत पर कौन आएगा।
    उसने चारों तरफ देखा, फिर बोली- भैया, आप मुझे बाहर क्यों लाये हो?
    तो मैंने कहा- मेरी प्यारी बहना, तेरी चुदाई खुले आसमान के नीचे खेत में करूँगा.
    तो उसने कहा- भैया, आप बहुत शरारती हो।

    पीहू को मैंने अपनी गोद से नीचे उतार दिया, उससे बोला- बहना, अब तुम घोड़ी बन जाओ, पीछे से तुमको चोदूंगा।
    वो घोड़ी बन गयी मैं भी उसके पीछे घुटनों के बल बैठ गया और अपना लन्ड उसकी बुर में पीछे से डाल दिया.
    मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगा, नीचे से वो आहें भर रही थी।

    कुछ देर चोदने के बाद मैं रुक गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
    फिर कुछ देर बाद उसके बालों को पकड़ कर उसका सर हल्का पीछे खींच कर फिर से उसे चोदने लगा. जब मुझे लगता कि मेरा माल निकल जायेगा तो मैं रुक जाता और उसके बाद उसके जिस्म से कुछ देर खेलने लगता।

    लगभग पन्द्रह मिनट तक उसे घोड़ी बनाकर चोदने के बाद मैंने अपना लन्ड उसकी बुर से निकाल कर उसको खड़ा किया।
    अब तक कि चुदाई से वो मस्त हो गयी थी वो सही से खड़ा भी हो पा रही थी।

    मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
    तो वो बोली- आप बहुत बेरहम होकर चोद रहे हैं.
    तब मैंने कहा- क्या तब मज़ा नहीं आ रहा?
    तो वो बोली- मज़ा तो बहुत आ रहा है भइया। क्या आप मुझे हमेशा ऐसे ही प्यार करेंगे?
    मैंने कहा- हाँ, हमेशा करूंगा।

    फिर मैंने उसे गोद में लेकर रूम के अंदर लेकर खाट पर लिटा दिया. उसकी दोनों टाँगें फैलाकर अपना लंड उसकी बुर में डाल कर मैं उसके ऊपर लेट गया.
    उसकी उसकी आँखों में देखते हुए मैं बोला- मेरी प्यारी बहना को मेरे लन्ड की चुदाई कैसी लगी?
    तो वो बोली- भैया, आप बहुत अच्छा चोदते हैं.

    फिर मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगा.
    कुछ देर बाद उसने पानी छोड़ दिया और मुझसे बोली- भैया बस करो!
    तो मैंने कहा- बस थोड़ी देर और!
    मैं जोर से धक्के लगा कर उसको चोदने लगा।

    कुछ देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा, मैं पीहू के ऊपर लेट कर और जोर से धक्के लगाकर उसे चोदने लगा. पीहू ने मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया।
    मेरे लन्ड ने अपना सारा माल पीहू की बुर में निकल दिया और मैं निढाल होकर पीहू के ऊपर लेट गया।

    कुछ देर ऐसे ही पीहू के ऊपर लेटा रहा और पीहू मेरी पीठ सहलाती रही.
    उसके बाद मैं उसके ऊपर से उठ गया।

    मैंने उसकी चड्डी से अपना लन्ड साफ करके उसकी बुर को भी साफ किया।
    पीहू से मैंने कहा- पीहू आज की चुदाई के यादगार के रूप में ये तुम्हारी चड्डी और ब्रा मेरे पास रहेगी.
    तो वो मुस्कुराती हुई बोली- रख लीजिए।

    उसके बाद हम दोनो ने कपड़े पहन लिए और मैं पीहू को लेकर घर आ गया।

    मैं अपने दोस्त की कुँवारी बहन की चुदाई एक बार खेतों में कर चुका था. अब रात को उसी के घर में रात भर सुहागरात मनाने का कार्यक्रम था. क्या मैं उस देसी लड़की के साथ सेक्स कर पाया?

    मेरे ख़ास दोस्त की बहन की चूत चुदाई की इस कहानी के दूसरे भाग
    दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड-2
    में आपने पढ़ा कि मैं अपने दोस्त की बहन से दोस्ती करके उसे अपने साथ अपने खेतों के बीच में बने कमरे में ले आया उसकी चुदाई का कार्यक्रम बना कर. वो भी अपनी पहली चुदाई का मजा लेकर चुद गयी थी.

    अब आगे:

    नमस्कार दोस्तो मैं फिर से हाजिर हूँ अपनी कहानी को लेकर!

    तो पीहू को खेत में चोदने के बाद मैं उसे उसके घर छोड़ने गया। वहाँ मैंने पीहू को उसका गिफ्ट नीले रंग की जीन्स और सफेद रंग का टॉप उसे दिया।
    उसे पीहू लेकर काफी खुश हो गयी.
    मैंने उससे कहा- पहन कर देख लो कि ठीक है या नहीं!
    तो वो रूम में उसे पहनने चली गयी।

    मैं उसकी मम्मी से बातें करने लगा।

    वो जीन्स टॉप पहन कर जब बाहर आई तो बोली- बिल्कुल सही साइज का है।
    और हम लोग आपस में बातें करने लगे।

    उसकी मम्मी ने कहा- राज, आज पीहू के पापा घर पर नहीं हैं, ऐसा करो कि तुम आज यही हमारे साथ खाना खाकर यहीं सो जाओ।
    मैंने कहा- ठीक है आंटी, पर अभी मैं घर जा रहा हूँ कुछ देर बाद आऊंगा तो सभी लोग साथ खाएंगे।

    उसके बाद मैं बाइक लेकर वहां से सीधे मार्केट चला गया। रास्ते में मैंने पीहू को कॉल कर पूछा- मम्मी कहाँ हैं?
    तो वो बोली- रसोई में!
    मैंने कहा- पीहू तैयार रहना, आज अपनी सुहागरात मनाएंगे।

    उसके बाद मैंने मार्केट में मेडिकल की दुकान से गर्भ रोकने की दवाई, सेक्स की गोली और नींद की गोली खरीद ली।

    वापसी में मैंने एक दुकान से दो जोड़ी ब्रा और पैंटी और दो बड़े वाले डेरी मिल्क चॉकलेट और सुनार की दुकान से सोने की एक चेन लेकर पीहू के घर आ गया।
    अपने घर पर मैंने कॉल कर बता दिया कि आज दोस्त के घर पर सोऊंगा क्योंकि उसके पापा घर पर नहीं है।

    उसके बाद पीहू के घर गया तो उसकी मम्मी ने कहा- तुम लोग बैठो, मैं खाना निकालती हूँ।
    उसकी मम्मी खाना निकालने रसोई में चली गयी तो मैंने पीहू से कहा- ये नींद की गोली किसी तरह से अपनी मम्मी को खिला दो।
    पीहू ने मुझसे वो दवा ले ली और अपनी मोबाइल से अपने भाई को कॉल कर बात करते हुए रसोई में चली गयी।

    थोड़ी देर बाद उसकी मम्मी मोबाइल पर बात करते हुए मेरे पास आकर बैठ गयी और मेरे दोस्त से बात करने लगी।

    कुछ देर बाद पीहू खाना लेकर आई और हम लोगों के सामने रख दिया। फिर एक प्लेट में वो खीर लेकर आई और एक कटोरी मेरे सामने रखी, एक अपनी मम्मी को दी और एक कटोरी अपने लिए रखी।
    उसके बाद हम सभी लोगों ने खाना खाया।
    खाने के बाद हम लोग बातें करने लगे।

    कुछ देर बाद उसकी मम्मी बोली- मुझे नींद आ रही है, मैं सोने जा रही हूं.
    उन्होंने मुझसे कहा- तुम बाहर वाले रूम में सो जाना और पीहू अपने रूम में सो जाएगी।

    फिर वो और पीहू अपने अपने रूम में सोने चली गयी।

    उनके जाने के बाद मैंने वियाग्रा की गोली खा ली और बाइक की डिग्गी में से सामान निकल कर रूम में आया और आराम करने लगा।

    कुछ देर बाद मैंने पीहू को कॉल किया और बोला- देखो, तुम्हारी मम्मी सो गई हैं या नहीं?
    तो कुछ देर बाद उसका कॉल आया- मैंने मम्मी को आवाज दी मगर वो बोल नहीं रही हैं।
    मैंने कहा- अब तुम्हारी मम्मी सुबह ही उठेंगी। अब तुम जल्दी से मेरे रूम में आ जाओ।

    कुछ देर बाद मेरे रूम का दरवाजा खुला और पीहू अंदर आ गयी। वो लाल रंग की साड़ी पहन कर आई थी।

    साड़ी में पीहू और भी खूबसूरत लग रही थी।
    मैंने पूछा- साड़ी पहन कर क्यों आयी हो?
    तो उसने कहा- आज पूरी रात अपनी है. आज मैं भैया आपकी दुल्हन बनकर आपके साथ सुहागरात मनाना चाहती हूं। क्या आप मुझको अपनी दुल्हन बनायेंगे?
    मैंने कहा- क्यों नहीं मेरी प्यारी बहना।

    इसके बाद वो बाहर चली गयी कुछ देर बाद वापस आयी तो वो अपने साथ सिंदूर,एक ग्लास दूध और एक जलता हुआ दीया लेकर आई।
    उसने कहा- पहले मेरी मांग में सिंदूर भरिये!
    तो मैंने उसकी मांग में सिंदूर लगा दिया.

    उसके बाद उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- इस दीये के चारों तरफ हम सात फेरे लेंगे।
    फिर हमने दीये के चारों तरफ घूमकर सात फेरे पूरे किए।

    मैंने पीहू को अपने सीने से लगाते हुए कहा- अब तुम मेरी दुल्हन हो, तुम्हारे मन और इस खूबसूरत तन पर किसका अधिकार है?
    तो वो बोली- मेरे प्यारे भइया का … जो अब मेरे सईंया भी हैं।

    मैंने पीहू से कहा- अब हम सुहागरात मनाएंगे.
    तो वो बोली- हाँ!

    मैंने कहा- जानती हो न कि सुहागरात में तुम्हारे साथ क्या होगा?
    तो वो मेरी आँखों में देखती हुई बोली- आप ही बता दो न आप क्या करेंगे?

    पीहू से मैंने कहा- आज तुमको मैं सुहागरात की सेज पर चोदूंगा।
    मैंने पीहू से पूछा- बताओ मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा?
    तो वो बोली- आप मुझे चोदेंगे।

    मैंने उससे पूछा- तुम चुदाई के तैयार हो?
    तो उसने कहा- हाँ!

    मैंने कहा- बिस्तर पर ले चलूं?
    तो उसने कहा- हाँ!

    मैंने उसको गोद में उठाया और बिस्तर पर ले जाकर बैठा दिया।
    उसने अपने चेहरे पर घूंघट खीच लिया और बोली- दूल्हन का चेहरा देखने के लिए भइया आपको मुंह दिखाई देनी पड़ेगी।
    मैंने कहा- ठीक है, दूंगा.
    और उसके घूंघट को उठा दिया।

    इस पर पीहू बोली- अब मेरी मुँह दिखाई दीजिये?
    तो मैंने कहा- अपनी आँखें बंद करो.
    उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
    मैंने सोने की चैन निकाल कर उसके गले में पहना दी।

    उसने आँखें खोल कर चैन को देख कर बोली- बहुत खूबसूरत मुंह दिखाई दी है भइया आपने।
    तो मैंने कहा- इसलिए कि मेरी प्यारी बहन ही मेरी ही दुल्हन बनी है।

    मैंने पीहू से पूछा- क्या अब तुम्हारे बदन का दीदार करने की इजाज़त है मुझे?
    तो उसने कहा- हाँ, पर पहले आप दूध पी लीजिये।
    मैंने कहा- जरूर पिऊंगा पर उसे तुम्हें अपने मुंह में लेकर पिलाना होगा।
    उसने कहा- ठीक है!

    और थोड़ा सा दूध अपने मुंह में लेकर मेरे मुंह में डाल दिया।
    इसी तरह मैंने भी थोड़ा सा दूध उसकी मुंह में डाल दिया।
    इस तरह सारा दूध हम दोनों ने एक दूसरे को पिला दिया।

    इसके बाद मैंने पीहू को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ के उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर चूमने लगा। उसके बाद मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।

    फिर मैंने उसके सीने पर से उसकी साड़ी को हटा दिया। ब्लाउज के ऊपर से ही मैं उसकी दोनों चूचियाँ दोनों हाथों से कसकर मसलने लगा।

    पीहू अब तक एकदम चुदासी होकर आह भरते हुए आह भ..इ..या कहने लगी। उसकी मद भरी आहें सुनकर मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। मैंने उसकी साड़ी के चुन्नट जो साया के अंदर किये हुए थे, उनको निकाल दिया और पूरी साड़ी उतार दी।

    अब वह साया और ब्लाउज में मेरे सामने थी। मैंने बिस्तर पर अपने दोनों पैर सटाकर फैला दिए और पीहू को अपनी जांघों पर बैठने का इशारा किया।

    पीहू अपने दोनों पैर मेरे कमर के दोनों तरफ करके अपना मुँह मेरी तरफ करके मेरी जाँघों पर बैठ गयी। मैंने कसकर उसे सीने से लगा लिया उसने भी मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया।

    मैंने पीहू का सर अपने हाथों में पकड़ कर पहला चुम्मा उसकी माथे पर किया तो उसने शर्म से अपनी आँखों को बंद कर लिया।
    उसके बाद मैं उसके पूरे चेहरे को चूमने लगा।

    कुछ देर बाद मैंने पीहू से अपने चेहरे पर किस करने को कहा तो वो मेरे पूरे चेहरे पर चुम्बन करने लगी।

    मैं पीहू के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा वो भी मेरा साथ देने लगी. उसके बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी तो वो मेरे जीभ को चूसने लगी. फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी मैं उसकी जीभ चूसने लगा।

    फिर मैं उसके दोनों कानों और गर्दन को चूमते हुए उसके कंधे तक आया।
    अब तक पीहू पूरी तरह चुदासी हो गयी थी।

    फिर मैंने उसके ब्लाउज के हुक को खोल कर उसका ब्लाउज निकाल दिया और उसकी कमर को सहलाते हुए अपने हाथों को सजी पीठ पर ले जाकर उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया।
    फिर धीरे धीरे उसके कंधे से ब्रा की डोरी को सरका कर नीचे कर दिया और ब्रा को भी निकाल कर उसके जिस्म से अलग कर दिया।

    उसके बाद मैंने कहा- मेरी बहन, अपनी चूची अपने हाथों से मुझे पिलाओ!
    तो उसने घुटनों के बल होकर अपने हाथ से अपनी बायीं चूची का निप्पल मेरे मुँह में दे दिया और बोली- भइया मेरी चूची का सारा रस पी जाइये।
    मैं उसकी चूची का निप्पल अपने दांतों में दबाकर चूसने लगा और बायें हाथ से उसकी दूसरी चूची और उसके निप्पल को मसलने लगा।
    पीहू मेरे सर को सहलाते हुए मादक आहें भर रही थी।

    बारी बारी उसकी दोनों चूचियों को पीने और मसलने के बाद पीहू को लिटा कर उसकी साया का डोरी खोल दिया और उसके साया को निकाल दिया। फिर मैंने उसकी पैंटी भी निकाल कर उसको बिल्कुल नंगी कर दिया औऱ मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया।

    मैंने अपना लन्ड उसके हाथ में देकर पूछा- ये क्या है?
    तो उसने कहा- आपका लन्ड है.
    मैंने पूछा- इससे क्या करूँगा मैं?
    तो वो बोली- इससे आज अपनी बहन को दुल्हन बना कर चोदोगे।

    मैंने उसे लन्ड चूसने का इशारा किया तो मेरे दोस्त की बहन मेरा लन्ड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.

    Dost Ki Behan Ki Chut Chati
    Dost Ki Behan Ki Chut Chati
    कुछ देर बाद मैंने अपना लन्ड उसके मुंह से निकाल लिया और उसको लिटा कर उसकी टाँगें फैला दी और अपना मुंह उसकी बुर पर लगा उसे चूसने लगा।
    मैं उसकी बुर तब तक चूसता रहा जब तक उसकी बुर ने पानी नहीं छोड़ दिया। मैं उसकी बुर के पानी को पी गया।

    उसके बाद मैं उसकी दूसरी चूची के निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगा और एक को अपने हाथों से मसलकर उसको चुदने के लिए गर्म करने लगा।

    लगभग दस मिनट तक दोनों चूचियाँ दबाने और चूसने के बाद वो चुदने के लिए फिर से तैयार हो गयी और बोली- भैया, प्लीज अब मुझे चोद दीजिये।
    अपने दोस्त की बहन की चूत मैं दो बार चोद चुका था. अब मेरा मन उसकी गांड मारने का था. वो डर रही थी कि गांड में लंड जाएगा तो दर्द होगा. तो मैंने उसकी गांड मारी या नहीं?

    कहानी का पिछला भाग: दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड-3

    फिर मैं उसके पेट और कमर को चूमते हुए उसकी चूत पर आकर एक चुम्बन किया। उसके बाद बायें पैर के जाँघों को चूमते हुए घुटनों से नीचे उसके पैरों की एड़ियों तक आया फिर दायें पैर की एड़ी को चूमते हुए उसकी घुटनों से होते हुए उसकी जाँघों तक जाकर फिर से उसकी चूत पर किस किया।
    वो आह भ..इ..या कहते हुए मादक आहें भर रही थी जिससे मेरी उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी।

    फिर मैंने उसको पेट के बल लिटा दिया और उसके बाएं पैर की उँगलियों को चाटते हुए घुटनों से होकर उसके बायें चूतड़ पर आया। फिर इसी तरह दायें पैर को चूमते हुए उसके दायें चूतड़ तक आया। फिर मैं उसके बालों को उसकी पीठ और चूतड़ों के पास से हटाकर पूरी पीठ को चूमते हुए उसके गर्दन तक आया।

    अब पीहू आहें भरती हुई कहने लगी- भइया, अब चोद दो मुझे … नहीं तो मर जाऊंगी।

    मैंने उसे पेट के बल लिटा दिया और उसके माथे पर उसकी चूचियाँ दबाते हुए प्यार से उसको चूम लिया। उसकी दोनों टाँगों को फैलाकर मैं उसके बीच घुटनों के बल बैठ गया और उसके दोनों टाँगों को अपने कंधों पर रखकर लन्ड का सुपारा उसकी चूत की छेद पर रखकर एक ही झटके में पूरा लन्ड उसकी चूत में पेल दिया।

    पीहू के मुंह से एक दर्द भरी आह निकली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… भइ..या धीरे करो … दर्द होता है,
    फिर मैं दोनों हाथों में उसकी दोनों चूचियाँ पकड़ कर दबातें हुए उसकी चूत को चोदने लगा।

    करीब पंद्रह मिनट बाद पीहू का जिस्म अकड़ने लगा वो बोली- भैया मेरा निकलने वाला है.
    और कसकर मेरे बदन से लिपट गयी।

    चार पांच झटके खाने के बाद उसका बदन ढीला पड़ गया। इसके बाद वो बोली- भइया, थोड़ी देर रुक जाओ, दर्द हो रहा है.
    तो मैंने अपना लन्ड उसके चूत से निकल लिया।

    दवा अपना असर दिखा रही थी। फिर मैं पीहू को घोड़ी बनाकर पीछे से अपना लन्ड उसकी चूत में डाल कर उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगा.

    कुछ देर अपने दोस्त की जवान बहन ऐसे चोदने के बाद मैं लन्ड उसकी चूत से निकाल कर बिस्तर पर लेट गया और पीहू से कहा- मेरे लंड के ऊपर आकर इसकी सवारी करो।

    पीहू मेरी कमर के दोनों तरफ अपने घुटनों के बल होकर अपनी चूत की छेद पर मेरे लन्ड को सेट कर बैठ गयी। मेरा पूरा लन्ड उसकी चूत में समा गया।
    मैंने पीहू से कहा- पीहू, अब तुम मुझे चोदो.
    तो वो कमर हिला कर मुझे चोदने लगी।

    कुछ देर बाद मैंने इशारा किया तो वो मुझसे लिपट गयी।

    मैंने करवट बदल कर पीहू को नीचे कर दिया और उसे चोदने लगा। अब मैं पूरी तरह उत्तेजित हो गया था और कसकर धक्के लगा कर पीहू को चोदने लगा।

    करीब दस मिनट तक धक्के लगता रहा तब तक पीहू का शरीर फिर अकड़ने लगा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
    पीहू अब बिल्कुल तृप्त हो गयी थी, उसने मुझसे कहा- भइया, अब बस करो … क्या चोद कर मेरी जान लेने का इरादा है? बहुत दर्द हो रहा है।
    मैंने कहा- बहना, आज तुम्हारी ऐसी चुदाई करूँगा कि जिंदगी में कभी भूल नहीं पाओगी मेरे लन्ड को।
    तब पीहू ने कहा- भइया, आपने मेरी पहली चुदाई कर मेरी सील तोड़ी है. मैं आपको कैसे भूल सकती हूं।

    मैं उसकी बातों को अनसुना कर और तेज़ी से धक्के लगाकर उसे चोदने लगा.
    नीचे से पीहू मादक आहें भर रही थी- भ..इ…या… बस करो. मैं मर जा…ऊं…गी.

    करीब दस मिनट तक लगातार चोदने के बाद मेरा जिस्म अकड़ने लगा और मेरे लन्ड ने अपना माल उसकी चूत में निकाल दिया।

    मैं निढाल होकर अपना लन्ड उसकी चूत में डाले ही उसके ऊपर लेट गया और वो प्यार से मेरी पीठ को सहलाने लगी।
    पीहू ने कहा- भइया, आपने तो आज मुझे चोद कर मेरी जान ही निकाल दी। ऐसे बेरहमी से कोई अपनी बहन को चोदता है क्या?
    मैंने उससे पूछा- सच बता, इस चुदाई में तुझे मज़ा आया या नहीं?
    तो उसने कहा- मज़ा तो बहुत आया। आपने सच में बहुत अच्छे से मुझे चोदा. मज़ा आ गया।

    फिर मैंने करवट बदल कर उसको अपने ऊपर ले लिया उसकी टाँगों में टांगें फंसाकर उसकी चूतड़ों और कमर को सहलाते हुए उससे बातें करने लगा।

    लगभग चालीस मिनट के बाद मेरे लन्ड ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू की. तब मैंने पीहू से कहा- पीहू आज मैं तुम्हारी गांड भी मारूँगा.
    तो वो बोली भइया- आपका इतना मोटा लन्ड मेरी गांड में कैसे जाएगा? बहुत दर्द होगा.
    तब मैंने कहा- धीरे धीरे डालूंगा, थोड़ा दर्द होगा पर आज ये दर्द मेरे लिए सहना पड़ेगा तुमको।

    पीहू बोली- भइया, मैं आपके दिया हर दर्द सहूंगी. पर धीरे से डालियेगा।
    मैंने कहा- मेरी प्यारी बहन तेरी गांड में अपना लन्ड धीरे से ही डालकर तेरी गांड चोदूँगा ज्यादा दर्द नहीं होगा।

    पीहू से मैंने पूछा कि उसके पास वैसलीन है तो उसने कहा- मेरे रूम में है.
    तो मैंने लाये हुए दोनों चॉकलेट के पैकेट उसके हाथों में दिए और उसको गोद में उठाकर उसके कमरे में ले आया।

    बाहर जाकर उसकी मम्मी के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और पीहू के रूम में आया। चॉकलेट के दोनों पैकेट पिघल गए थे।
    पीहू ने कहा- भइया, ये तो पिघल गए हैं.
    तब मैंने कहा- हाँ इन्हें जानबूझकर कर पिघलाया है।
    तब वो बोली- क्यों भैया?

    तो मैंने एक पैकेट फाड़कर उसका चॉकलेट अपने पूरे लन्ड पर लगा दिया और उसे कहा- चाटकर इसे खा जाओ.
    वो मेरे लन्ड को चाटते हुए पूरी चॉकलेट को खा गयी।

    मैंने उससे पूछा- कैसा लगा मेरे लन्ड चॉकलेट का स्वाद?
    तो बोली- भैया, बहुत अच्छा लगा।

    फिर मैंने उसे लिटा कर दूसरे पैकेट को फाड़ कर पूरा चॉकलेट उसकी चूत पर लगा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा।
    मैं उसकी चूत को चाटते हुए चॉकलेट को खा रहा था और पीहू की बेकरारी बढ़ती जा रही थी।

    उसकी चूत को चाट कर साफ कर देने के बाद मैंने उससे कहा- घोड़ी बन जाओ, अब तुम्हारी गांड मारूँगा.
    तो वो बोली- भइया, धीरे धीरे डालियेगा. गांड में लंड जाएगा तो दर्द होगा।

    उसे घोड़ी बनाने के बाद मैंने वैसलीन उंगली में निकाल कर गांड के छेद के ऊपर ढेर सारी वैसलीन लगा दी और अपने लन्ड पर भी वेसलीन लगा ली।
    फिर मैंने लन्ड का सुपारा उसकी गांड की छेद पर रख और हल्का सा दवाब बनाया तो सुपारे का नोकीला सिरा उसकी गांड की छेद में सेट हो गया।

    Desi Ladki Gand Chudai
    Desi Ladki Gand Chudai
    मैंने कसकर पीहू का कमर पकड़ लिया और उससे बोला- अपना लन्ड तुम्हारी गांड में डाल रहा हूँ. बर्दाश्त करना.
    तो उसने कहा- ठीक है भैया, कोशिश करूंगी. पर आराम से डालना आप!
    मैंने कहा- ठीक है।

    उसकी कमर को मैंने कस कर पकड़ लिया और लन्ड पर दवाव बनाया तो उसका सुपारा उसकी गांड की छेद के अंदर चला गया।
    उसके मुँह से एक जोर की चीख निकल गयी- उईइ माँ मर गयी … निकालो भैया!
    उसने लन्ड अपनी गांड में से निकलने की कोशिश की.

    मगर मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़ा हुआ था और एक जोर का झटका देकर पूरा लन्ड उसकी गांड में डाल दिया।
    वो जोर से चीख उठी- भ..इ…या, प्लीज अपना लन्ड बाहर निकाल लो!
    उसकी आँखों में आँसू आ गए।

    मैंने उससे कहा- पीहू, प्लीज शांत हो जाओ, दर्द अभी खत्म हो जाएगा।
    कुछ देर तक वैसे ही रहने के बाद पीहू से पूछा- दर्द कम हुआ?
    तो वो बोली- हाँ!
    फिर मैंने धीरे धीरे उसकी गांड में धक्के लगाना शुरू कर दिया।

    कुछ देर धक्के लगाने के बाद मैंने पीहू से पूछा- गांड में लंड का मज़ा आ रहा है?
    तो वो बोली- हाँ … पर शुरू में जब मेरी गांड में लंड घुस रहा था तो मेरी जान ही निकल गयी थी।

    मैंने उसकी गांड में धक्के लगाने की स्पीड बढ़ा दी।

    करीब आधे घण्टे तक लगातार अपने दोस्त की बहन की गांड में धक्के लगाने के कारण मेरा लन्ड आराम से अंदर बाहर होने लगा था।
    अब उसे भी गांड मरवाने में मज़ा आने लगा था। नीचे से वो धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी।

    कुछ देर चोदने के बाद मेरे लन्ड ने अपना माल उसकी गांड में निकाल दिया और मैं निढाल होकर उसकी बगल में लेट गया।
    मैंने पीहू को अपने ऊपर ले लिया और उसके बदन को सहलाते हुए उससे बातें करने लगा।

    घड़ी में तीन बजे का अलार्म सेट कर हम सो गए।

    तीन बजे घड़ी का अलार्म बजा तो मेरी नींद टूट गयी। मैंने अलार्म बन्द किया, पीहू को देखा तो वो बेसुध नंगी लेटी थी। उसके नंगे बदन को देखकर लन्ड महाराज फिर तन कर खड़े हो गए।

    मैंने पीहू को जगाया और चालीस मिनट तक फिर उसकी चूत की चुदाई पूरा मजा लेकर और देकर की।

    उसके बाद पीहू ने अपने कपड़े पहन लिए. उसने बिस्तर को सही किया और मेरे साथ बाहर वाले कमरे में आ गयी।
    वहाँ पर मैंने अपने कपड़े पहने और उसने अपनी साड़ी और अन्य कपड़े समेट लिए।

    मैंने उसे वो ब्रा और पैंटी दे दी जो मैं उसके लिए लाया था.
    और उसने मुझे वो सोने की चैन वापस दे दी, बोली- भैया, इसे आप रखे रहिये, बाद में कोई मौका देखकर मुझे दे दीजियेगा।

    इसके बाद वो अपने रूम में चली गयी और मैं बिस्तर पर सो गया।

    सुबह मेरी नींद तब खुली जब मेरी जान पीहू मेरे लिए चाय लेकर आई और मुझे जगाया।
    मैंने प्यार से उसे चूमा और उसके हाथों से चाय ले ली.

    चाय पीने के बाद मैं अपने दोस्त की मम्मी से मिल के अपने घर चला आया।

    दोस्तो, मेरे जिगरी दोस्त की सगी जवान बहन की चूत चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी? मुझे बताना मत भूलियेगा. मुझे आपकी राय का इंतजार रहेगा।
    दुनिया का सबसे बड़ा नशा चूत का नशा होता है। ऐसा ही मेरे साथ हुआ। दोस्त की बहन को जमकर चोदने के बाद मेरे ऊपर हमेशा उसकी चूत चोदने का नशा छाया रहता था।

    कहानी का पिछला भाग: दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड-4
    दोस्तो नमस्कार!
    कहते हैं दुनिया का सबसे बड़ा नशा चूत का नशा होता है। अगर वो भी एक कमसिन कली की चूत मारने को मिल जाये तो उसको चोदने के चक्कर में आप हमेशा पड़े रहते हैं।
    ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ।
    पीहू को दीपावली की रात जमकर चोदने के बाद मेरे ऊपर हमेशा उसकी चूत चोदने का नशा छाया रहता था।

    मैं अक्सर उसके घर जाया करता पर उसको चोदने का कोई मौका मिल नहीं पा रहा था। मैं उसे देखकर बस आहें भरकर रह जाता था। मैं उसे चोदने की तरकीब सोचता रहता था।

    मेरी दीपावली की छुट्टियां खत्म होने वाली थी।
    एक दिन मैं उसके घर पर बैठकर उसकी मम्मी और पीहू से बातें कर रहा था।

    मैंने पीहू से पूछा- तुम बी ए के आखरी साल में हो, इसके बाद क्या करने का सोचा है?
    पीहू ने कहा- इसके बाद बी एड करना है।
    मैंने कहा- अगर पढ़ना है तो किसी अच्छे कॉलेज से पढ़ो.

    तब उसकी मम्मी ने कहा- यहाँ पास में कहाँ कोई अच्छा कॉलेज है।
    मैंने उसकी मम्मी से कहा- पीहू को बाहर भेज दो पढ़ने के लिए!
    तो वो बोली- अकेली लड़की को कैसे बाहर भेज सकते हैं।

    मैंने उसकी मम्मी से कहा- आप परेशान क्यों हो रही हो? आप पीहू को वाराणसी भेज दीजिये. वहाँ पर मनीष भी होगा और मैं तो रहूंगा ही।

    काफी समझाने के बाद उसकी मम्मी बोली- ठीक तो है, पीहू को अगर किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल जाएगा तो अच्छा ही रहेगा।

    मौका सही देखकर मैंने उसकी मम्मी से कहा- पीहू को क्यों नहीं एक बार वाराणसी भेज देती हैं, मेरे साथ वहाँ थोड़ा ये भी घूम फिर लेगी और कुछ दिनों के बाद मनीष के साथ वापस आ जायेगी।

    मैंने पीहू को आंखों से इशारा किया तो उसने कहा- हाँ मम्मी, क्यों नहीं मुझे भैया के साथ भेज देती. कुछ दिनों घूम फिर कर मनीष भैया के साथ वापस आ जाऊंगी।

    बार बार कहने और उनकी बात मनीष से करवाने के बाद वो मेरे साथ पीहू को भेजने के लिए तैयार हो गयी।

    उस दिन जब पीहू अकेले में मिली तो बोली- भैया, मैं सब समझती हूं। आप मुझे घुमाने के बहाने चोदने के लिए लेकर जा रहे हैं।
    मैं मौका देखकर उसकी चूचियाँ दबाते हुए बोला- मेरी छोटी बहना तो काफी समझदार हो गयी है।

    तीन दिन बाद मेरी छुट्टियां खत्म हो गयी तो मैं पीहू को साथ लेकर वाराणसी रूम पर आ गया। मनीष भी रूम पर था। हमारा रूम तीसरी मंजिल पर था। सबसे नीचे मकान मालकिन रहती थी। दूसरी मंजिल पर एक टीचर अपनी पत्नी के साथ रहते थे। दूसरे में एक आदमी अकेले रहता था। सबसे ऊपर वाले रूम में हम दोनों लोग रहते थे।

    कुछ देर आराम करने के बाद शाम को हम तीनों तैयार होकर घाट की तरफ घूमने चले गए फिर होटल में खाना खाकर हम लोग वापस रूम पर आ गए।

    वापस आने के बाद मनीष ने कहा- तुम दोनों आराम करो. मेरी नाईट शिफ्ट चल रही है, मैं ड्यूटी पर जा रहा हूँ।
    इसके बाद वो तैयार होकर ड्यूटी पर चल गया।

    मैं एक जरूरी काम से नीचे चला गया था।

    कुछ देर बाद मनीष का काल आया कि वो ड्यूटी पर पहुँच गया है।
    अब मैं रूम पर आ गया।

    पीहू फोन पर अपनी मम्मी से बात कर रही थी। मैं पीछे से जाकर उसको अपनी बांहों में भर कर उसकी दोनों चूचियाँ दबाने लगा।

    कुछ देर बाद उसने कॉल कट कर दिया और बोली- भइया, आप मुझे क्या इसीलिए यहाँ लेकर आये हैं?
    तब मैंने उसे घुमाकर सीने से लगा लिया और उसकी आँखों में देखकर बोला- मैं तुम्हें चोदने के लिए यहाँ लेकर आया हूँ. क्या तुम मुझसे चुदने के लिए यहाँ नहीं आई हो?
    वो कसकर मुझे अपनी बांहों में भरती हुई बोली- हाँ भैया, घूमना तो सिर्फ एक बहाना है. असल में मैं सिर्फ आपसे चुदने के लिए आई हूँ।

    पीहू मुझसे बोली- भैया आपके जाने के बाद भाभी आयी थी। वो तो बहुत खूबसूरत है आपने कभी उनपर लाइन नहीं मारी क्या?
    मैंने उसकी चूचियाँ दबातें हुए कहा- वो खूबसूरत तो है ही पर कभी भाव ही नहीं दिया. और कहने में गांड भी फटती है कि किसी से कह दिया तो बवाल हो जाएगा।

    पीहू ने कहा- भैय्या कहो तो आपके लिए उससे बात करूं?
    मैंने पीहू की चूचियों को दबाते हुए कहा- उससे सेटिंग करा दो न मेरी प्यारी बहना … तुम्हारा अहसान रहेगा।
    उसने कहा- कोई बात नहीं भैया, जाने से पहले आपके लिए इनकी व्यवस्था करके जाऊंगी। पर भाभी से सेटिंग होने के बाद मुझे तो नहीं भूल जाओगे?
    मैंने उसकी चूचियो को दबाते हुए कहा- अपनी प्यारी बहन पर ऐसी सौ भाभियां कुर्बान … मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा।

    पीहू ने कहा- भैया ऐसा क्या मुझमें है जो भाभी में नहीं है?
    तब मैंने कहा- भाभी भी खूबसूरत है. पर तुम मुझे उनसे भी खूबसूरत लगती हो, तुम्हारी सील तोड़कर मैंने तुमको कली से फूल बनाया है। तुमको चोदने के चक्कर में तो बहुत लड़के पड़े होंगे. पर तुमने ये मौका मुझे दिया. तब बताओ मैं तुमको कैसे भूल सकता हूँ।

    पीहू ने कहा- भैया, सिर्फ लड़के ही नहीं बुड्ढे भी मेरे पीछे पड़े हैं।
    मैंने उसकी गर्दन पर किस करते हुए कहा- तुम इतनी खूबसूरत हो ही कि तुम्हें चोदने के ख्याल मात्र से ही बुड्ढों के भी लन्ड खड़े हो जाते होंगे।

    यह सुनकर पीहू बोली- भईया क्या सच में मैं इतनी खूबसूरत हूँ?
    मैंने उससे कहा- हीरे की परख सिर्फ जौहरी जानता है. तुम कितनी खूबसूरत हो ये सिर्फ वही बता सकते हैं जिनका लन्ड तुम्हें देखते ही खड़ा हो जाता होगा और उनका दिल तुमको चोदने के लिए मचल जाता होगा।

    इतना कहकर मैं उसके कानों को बारी बारी मुंह में लेकर चूसने लगा।
    मैंने पीहू से कहा- जरूर मैंने कुछ अच्छे काम किये होंगे जो तुम्हारे जैसी लड़की की सील तोड़ने और तुमको चोदने को मिला।
    उसने मुझसे कहा- भैया आप जब कभी मौका मिलेगा तब तब अपनी बहन को नहीं अपनी दुल्हन को चोद सकते हैं।
    इतना कहकर वो मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।

    मैंने उसके बंधे हुए बालों को खोल दिया उसके बाल उसके चूतड़ों तक लटकने लगे। मैं उसके चूतड़ों को अपने हाथों से दबाने लगा।
    होंठों को चूसने के बाद उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं उसकी जीभ चूसने लगा।

    फिर मैंने उसके हाथ को ऊपर कर उसका गुलाबी रंग का टीशर्ट निकाल दिया।
    मैंने उसे इशारा किया तो उसने मेरा टीशर्ट और बनियान निकल कर अलग कर दिया।

    हमारे रूम में दो तख्त सटाकर डाले गए थे। मैं तख्त के बीच में बिस्तर पर टांगें फैलाकर बैठ गया और पीहू को अपनी गोद में आने का इशारा किया।
    वो मेरी तरफ मुँह करके मेरी गोद में आकर मेरी जाँघों पर बैठ गई।
    मैं उसके होंठों को अपने मुँह में लेकर पीने लगा।

    उसके होंठों को चूसते हुए ही उसकी ब्रा को खोल कर निकाल दिया। उसके बाद उसको लिटा कर उसके लैगी और पैंटी को उसकी टाँगों से निकाल कर नंगी कर दिया।
    फिर मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया।

    फिर मैं पीहू के साथ सिक्सटी नाइन वाली पोजीशन में लेट कर उसकी चूत को चूसने लगा और वो मेरा लन्ड चूस रही थी। कुछ देर ऐसे ही चूसने के बाद उसके ऊपर से उठ गया और उसकी दोनों टाँगों के बीच आकर बैठ गया।

    पीहू पूरी तरह चुदासी होकर मुझसे बोली- भइया अब डाल दीजिए!
    मैंने पूछा- क्या?
    तो बोली- अपना लन्ड और क्या!

    Dost Ki Nangi Bahan Ki Chudai
    Dost Ki Nangi Bahan Ki Chudai
    मैं अपना लन्ड उसकी चूत में डाल कर उसकी टाँगों को कंधे पर रख कर चोदने लगा. जब मुझे लगता कि मेरी उत्तेजना ज्यादा बढ़ गयी है तब धक्के लगाना रोक देता और उसकी चूचियाँ को मसलने लगता था.

    लगभग दस मिनट बाद पीहू के चूत ने पानी छोड़ दिया। पीहू के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ दिख रहे थे।

    फिर मैंने उसको घोड़ी बना दिया और लन्ड उसकी गांड में डाल कर उसकी कमर को पकड़ कर धक्के मारने लगा। कुछ देर तक उसकी गांड में धक्के लगाकर चोदने के बाद अपना लन्ड उसकी गांड में से निकाल कर उसकी चूत में डाल कर उसकी चूत चोदने लगा।

    अब मैंने लन्ड निकाल कर पीहू को बिस्तर पर लिटा कर उसकी दोनों टाँगों को उठा कर उसके गर्दन की तरफ मोड़ दिया और उसकी चूत में लन्ड डालकर चोदने लगा।
    पहले ही झड़ चुकने के कारण उसकी चूत काफी गीली हो गयी थी और छप छप की आवाज के साथ लन्ड आसानी के साथ अंदर बाहर हो रहा था।

    पीहू नीचे से गांड उठाकर हर धक्के का जवाब दे रही थी और ‘आह भ…ई…या और जोर से भ…ई…या मेरे प्यारे भ..ई..या.. मेरी जान भ…इ…या आई लव यू भइया’ कह करके आहें भर रही थी।

    उसकी आहें सुनकर उसकी चूत को जोर से चोदते हुए मैंने कहा- हाँ मेरी प्यारी बहना, मेरी प्यारी दुल्हनिया … आज पूरी रात तुमको चोदूंगा।
    यह सुनकर पीहू ने कहा- हाँ भैया, आज पूरी रात आपसे चुदवाऊंगी।

    मेरी उत्तेजना ज्यादा बढ़ गयी थी इसलिए मैंने लन्ड उसकी चूत से निकाल लिया और उसकी दोनों टाँगों को फैलाकर उसकी चूत को चूसने लगा।

    थोड़ी देर बाद पीहू मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ खींचने लगी. मैं समझ गया कि अब वो दुबारा झड़ने वाली है।
    कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

    मैं उसकी चूत का पूरा पानी पी गया और उठकर पीहू के ऊपर लेट गया और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।

    कुछ देर उसके होंठों को चूसने के बाद मैं लेट गया और पीहू को अपने लन्ड पर बैठने का इशारा किया।
    पीहू मेरे लन्ड को चूत पर सेट कर बैठ गयी। मेरा लन्ड पूरा उसकी चूत में चला गया. उसके बाद वो थोड़ा झुककर अपने हाथों को मेरे दोनों कंधो के बगल में रखकर धीरे धीरे कमर उठा कर मुझको चोदने लगीं और मैं उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगा।

    कुछ देर तक वो मुझे ऐसे ही चोदती रही. उसके बाद मैंने इशारा किया तो उसने मुझे सहारा देकर बैठा लिया। अब वो मेरे गोद में थी और मेरा लन्ड अब भी उसकी चूत में!

    मैं उसके होंठों को मुंह में लेकर चूसने लगा।
    कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- मुझे पकड़ ले! मैं तुझे गोद में लेकर खड़ा होकर उसे चोदूंगा।

    उसने अपने पैरों को कसकर मेरे कमर से लपेट लिया और मेरे बांहों में चिपक गयी। मैंने उसकी गांड के नीचे दोनों हाथों को लगा दिया और खड़ा हो गया।
    अब कमरे में खड़े होकर मैं इधर उधर घूमते हुए उसे चोद रहा था।

    कुछ देर खड़े होकर चोदने के बाद मैं उसे बिस्तर के किनारे लिटा कर खड़ा हो गया और जोर जोर से उसकी चूत में धक्के लगा कर उसको चोदने लगा।
    पूरा कमर पीहू की मादक आहों और छप छप की आवाज से गूंज रहा था।

    लगातार पांच मिनट धक्के लगाने के कारण मैं उत्तेजना के शिखर पर पहुँच गया और मेरे लन्ड ने अपना सारा माल पीहू की चूत में गिरा दिया।
    मैंने पीहू के माथे पर एक किस किया और निढाल होकर उसकी बगल में लेट गया।

    कुछ देर बाद मैं उठ कर बैठ गया और पीहू की पीठ को अपने सीने से चिपका कर उसको अपनी गोद में बैठा कर उसकी दोनों चूचियों के निप्पल को उंगलियों में ले कर मसलने लगा और पीहू से बातें करने लगा।

    पीहू ने मुझसे कहा- भैया अगर आपको भाभी अच्छी लगती है तो बात आगे बढ़ाऊ?
    मैंने पीहू से कहा- जैसी तुम्हारी इच्छा!
    तो पीहू ने कहा- जाने से पहले मैं वादा करती हूं कि भाभी को आपकी गोद में बैठा कर जाऊँगी।

    कुछ देर बाद लन्ड फिर से खड़ा होने लगा तो मैंने पीहू को बिस्तर पर लिटा दिया और अपना लन्ड उसकी टाँगों को उठाकर उसके चूत के अंदर डालने लगा.
    तो पीहू ने कहा- भैया आपके अंदर तो बहुत स्टेमिना है, इतनी जल्दी आपका लन्ड दुबारा खड़ा हो गया है। आपकी बीवी आपसे बहुत खुश रहेगी।
    मैंने पीहू से कहा- स्टेमिना तो मेरे अंदर है ही … पर तुम भी इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हारे इस जवान और गदराए बदन को देखकर तुम्हें चोदने का मन अपने आप करने लग रहा है। और रही बात बीवी की … तो क्या तुम भूल गयी हो हो कि तुम भी मेरी बीवी हो।

    यह सुनकर पीहू मुझको अपनी बांहों में भरते हुए बोली- नहीं भैया, मैं भूली नहीं … आपको दिल से हमेशा अपन पति मानूँगी।
    इसके बाद मैं उसे चोदने लगा।

    मैंने पीहू से कहा- मनीष दूसरी कम्पनी में साक्षात्कार देने वाला है. अगर वो वहां सलेक्ट हो जाएगा तो वो मुम्बई चला जायेगा। तुम अच्छी तरह से तैयारी करके यहाँ एड्मिशन ले लो. और जब मनीष चला जायेगा तो फिर यहाँ पर हम दोनों पति पत्नी की तरह रहेंगे। फिर मेरी जान, तुमको मैं रोज इसी तरह चोदूँगा।

    लगभग चालीस मिनट लगातार पीहू का चूत चोदने के बाद लन्ड ने मेरे पानी छोड़ दिया। उस रात पीहू को मैंने चार बार अलग अलग तरीके से जमकर चोदा। पीहू और मैं दोनों लोग चुदाई से पूरी तरह थक कर चूर हो गए थे। मैं पीहू को अपनी नंगी ही अपनी बांहों में लेकर सो गया।

    सुबह नींद खुली तो सात बज रहे थे।
    मैं जल्दी से उठा और पीहू को जगाया और बोला- सुबह हो गयी है।
    जल्दी जल्दी हम दोनों लोग फ्रेश होकर नहाए और खाना बनाने लगे।

    पीहू हमारे साथ एक हफ्ते रही दिन में मनीष उसको शहर घुमाता और रात भर मैं पीहू की जमकर चुदाई करता।

    इसके एक हफ्ते बाद पीहू मनीष के साथ वापस घर चली गई। मनीष ने पीहू से वादा किया है कि पीहू के एग्जाम खत्म होने के बाद उसका एडमिशन यहाँ कम्प्यूटर क्लासेस में करवाएगा।

    उसके बाद से मैं उसके एग्जाम खत्म होने का इन्तजार कर रहा हूँ कि वो एग्जाम देकर फ्री हो जाए और मैं उसे यहाँ फिर से लेकर आऊं और उसको चोद सकूँ।

    दोस्तो आपको मेरे ख़ास दोस्त की बहन की चूत और गांड चुदाई की ये कहानी कैसी लगी आप बताना मत भूलियेगा.
    आप मुझसे [email protected] पर सम्पर्क कर सकते हैं।

  • दोस्त की बीबी की प्यासी चूत गांड में मेरा लंड

    औरत की चुदाई की प्यास जागती है तो वह चुदने के लिए लाखों बहाने ढूंढती है. मेरे दोस्त की शादी हुई और कुछ दिन बाद ही उसे ड्यूटी पर जाना पड़ा तो उसकी बीबी ने क्या किया?



    हाय दोस्तो, नमस्कार! मैं हूँ शिवा!
    मैं आज आप लोगों के लिए एक सच्ची कहानी लेकर आया हूँ जिसमें आप लोग पढ़ेंगे कि कैसे मैंने अपने दोस्त की नयी नवेली दुल्हन बीबी की प्यासी चूत की प्यास बुझाई.

    दोस्तो, एक बात बता दूं कि जब औरत की चुदाई की प्यास जागती है तो वह चुदने के लिए लाखों बहाने ढूंढ लेती है.
    कुछ ऐसी ही कहानी है मेरी!

    अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ.

    मेरे दोस्त की शादी को अभी 1 महीना ही हुआ था कि उसे उसकी कम्पनी से काल आया कि तुम्हें ड्यूटी ज्वाइन करनी है.
    और वह ड्यूटी पर चला गया.
    उसके घर पर सिर्फ उसकी माँ थी और उसकी नवविवाहिता सुंदर बीबी!

    एक दिन अचानक मेरे दोस्त का फ़ोन आया और कहा- यार शिवा, तेरी भाभी की तबियत खराब हो गई है, तुम उसे डॉक्टर से दवा दिलवा दो.
    तो मैंने कहा- ठीक है!



    और मैं अपनी बाइक से उसके घर गया.

    मैंने दरवाजा खटखटाया तो दोस्त की बीबी ने ही दरवाजा खोला और मुस्मेंकुरा कर मेरा स्वागत किया, अंदर आने को कहा.
    भाभी का खिला चेहरा देख कर मुझे उसमें बीमारी वाली कोई बात नहीं दिखी. फिर भी मैं उसे लेकर डॉक्टर के पास गया और उसे दवा दिलवा दी.

    मेरे दोस्त की बीबी दिखने में एकदम हॉट माल थी. भाभी का रंग गोरा, चिकनी त्वचा, मध्यम कद, और उसका साईज 28 30 32 का होगा. पर मैंने भाभी को सेक्स वाली कामुकता भरी नजर से नहीं देखा था.

    डॉक्टर ने अगले दिन फिर से दिखाने को कहा था तो दूसरे दिन मैं भाभी को लेकर फिर से डाक्टर के पास गया.



    जब हम अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे तो उसने मुझसे कहा- देवर जी, तुम्हारे दोस्त ड्यूटी पर क्या गये, तुमने तो मेरे घर पर आना ही बन्द कर दिया?
    मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसा कुछ भी नहीं! जब आपको मेरी जरूरत होगी तो मैं हाजिर हो जाऊँगा.
    और फिर हम दोनों के बीच में हंसी मजाक होने लगी.

    उसके बाद डाक्टर के पास से दवा ली. पर उस दिन उसने डाक्टर से नींद की गोलियां भी ली. और उसके बाद हम वापिस आ गये.

    एक दो दिन गुजरे … तभी अचानक एक दिन मेरे दोस्त का फ़ोन आया और कहा- अभी घर जाओ, तुम्हारी भाभी को फीवर आ गया है.

    अभी रात के 10 बजे थे, सर्दी का मौसम था. मेरा मन तो नहीं था जाने का … तब भी दोस्त की दोस्ती तो निभानी ही थी, मैंने अपने कपड़े पहने और चला गया.



    मैंने दोस्त के घर जाकर डोरबेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला और कहा- अंदर आ जाओ!
    मैंने कहा- आपको तो फीवर था? पर आप तो बिल्कुल सही हैं. और आँटी कहाँ हैं?
    उसने कहा- वो सो रही हैं. तुम अंदर तो आओ.

    तो मैं उसके कमरे में गया. मैंने कहा- आपको दवा लेने चलना है तो चलो. नहीं तो मैं जाऊँ. रात काफी हो चुकी है.
    उसने कहा- पहले बैठो तो सही!

    मैं बैठ गया और बो भी मेरे साथ बैठ गई और बोली- शिवा, हमारी शादी के तुरंत बाद ही तुम्हारे दोस्त चले गये.
    तो मैंने कहा- नौकरी तो करनी ही होगी. बास की काल आई तो जाना तो पड़ेगा ही.
    उसने कहा- मेरा क्या?
    मैंने भाभी- वो आ जायेगा. आप परेशान क्यों हो रही हो?



    उसके बाद उसने जो कहा, उसे सुनकर मेरे होश उड़ गए.
    उसने कहा- मेरी शादी के बाद तुम्हारे दोस्त सिर्फ दो तीन बार मेरे साथ लेटे हैं. पहली बार सुहागरात को और फिर एक आध बार उसके बाद!
    तो मैंने कहा- मैं आपकी इसमें क्या मदद कर सकता हूँ?

    उसने कहा- शिवा, मैं बहुत दिनों से चुदना चाहती हूँ. इसलिए मैं बार बार दवा के बहाने तुम्हें बुलाती थी. पर तुमने कभी मुझे समझा ही नहीं! पर आज तुमको मुझे चोदने होगा.
    और इतना कहकर भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे दबाने लगी.

    तो मैंने कहा- देखो, आँटी आ जायेंगी तो क्या कहेंगी?
    उसने कहा- मैंने मम्मी को नींद की गोली दे दी है. वो सुबह तक नहीं उठेंगी.



    इतना कहकर उसने मेरा लंड बाहर निकाला और उसे आगे पीछे करने लगी. अब मैं भी अपने आप को संभाल नहीं पाया और उसे अपनी बांहों में भर लिया. हम लोग एक-दूसरे को चूमने लगे.
    चूमते चूमते मैंने उसकी साड़ी खोल दी और उसके बाद मैंने उसका ब्लाउज खोला और उसके चूचे दबाने लगा.

    वो भी उसके मुँह से सेक्सी आवाज निकलने लगी जिससे मैं और भी जोश में आ गया.

    फिर मैंने भाभी का पेटीकोट भी उतार दिया अब वह मेरे सामने केवल ब्रा और पेंटी में थी.
    क्या मस्त लग रही थी.

    और फिर मैंने भाभी की ब्रा खोल दी और उसके मम्मे चूसने लगा. उसके मुँह से निकलने वाली आवाज मुझे पागल कर रही थी.



    अब मैंने भाभी की पेंटी भी उतार दी. उफ्फ … क्या मस्त चिकनी चूत थी! उसकी चूत गीली हो चुकी थी. मैं धीरे-धीरे भाभी की चूत सहलाने लगा. फिर मैंने उसकी चूत को किस किया.

    तभी भाभी ने कहा- अब चोदो मुझे! मैं बहुत दिनों से चुदना चाहती हूँ.
    तो मैंने कहा- अब चोदना तो है ही … पर पहले तुम मेरा लंड चूसो. उसके बाद मैं तुम्हें चोदूगा.

    इतना कहते ही मेरे दोस्त की बीबी ने मेरी पैंट और अंडरवियर उतार दिया और मेरा लंड चूसने लगी.
    क्या स्टाइल से लंड चूस रही थी … ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई पोर्न स्टार मेरा लंड चूस रही थी.

    करीब बीस मिनट तक लंड चूसने के बाद मैं झड़ने वाला था. मैंने उससे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ.
    पर उसने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और थोड़ी देर में मेरे लंड ने अपना सारा माल उसके मुँह में छोड़ दिया और वह मेरा सारा माल गटक गई.

    फिर कुछ देर तक मैं भाभी के नंगे जिस्म से खेल करता रहा, भाभी की चूत सहलाता रहा.
    तभी उसने कहा- अब चोदो … मुझे तुम्हारा लंड चाहिए!
    और वह मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगाने लगी.



    पर मेरा लंड अभी चोदने के लिए तैयार नहीं था. मैंने उससे कहा- पहले इसे चोदने के लिए तैयार करो. फिर हम चुदाई करेंगे.

    उसने फिर मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. और मैं सोच रहा था कि उसकी चूत चोदूँ या गांड … क्योंकि मुझे उसकी मटकती गांड बहुत पसंद थी.
    पर वह चूत चुदवाना चाहती थी.

    अब मेरा लंड भी एकदम लोहे की तरह खड़ा हो गया. और तभी वह मुझसे बोली- अब तुम्हारा लंड तैयार है, अब चोदो मुझे!
    तो मैंने कहा- मुझे तुम्हारी गांड मारनी है.
    भाभी ने कहा- पहले मेरी चूत की आग शांत कर दो. उसके बाद तुम मेरी गांड भी चोद लेना. अब सब कुछ तुम्हारा ही है.

    और वह लेट कर मेरे लंड को अपनी चूत में डालने लगी.

    Dost Ki Bibi Ki Chut Gand Chudai
    Dost Ki Bibi Ki Chut Gand Chudai
    तभी मैंने एक जोर का झटका दिया और मेरा पूरा लंड एक ही बार में भाभी की टाइट चूत में घुस गया. जिससे भाभी की चीख निकल गई और बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आराम से … तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है और मोटा भी!

    मगर मैं बिना रुके धकापेल चुदाई करने लगा. पहले उसे थोड़ा दर्द हुआ पर थोड़ी देर में वह भी नीचे से अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी.
    भाभी ने कहा- पहली बार इतना लम्बा और मोटा लंड मुझे चोद रहा है. चोदो मुझे … फाड़ दो मेरी चूत … बना दो इसका भोसड़ा. और तेज चोदो!



    और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी. पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूज रही थी. करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था. वह भी झड़ चुकी थी.

    मैंने पूछा- मैं अपना पानी कहाँ निकालूं?
    तो उसने कहा- मेरी चूत में ही निकालो और इसकी प्यास बुझा दो.

    मैं भी अपनी स्पीड बढ़ाते हुए भाभी की चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर लेट गया.

    हम लोग पूरी तरह थक चुके थे.



    थोड़ी देर बाद भाभी ने पूछा- और करना है?
    तो मैंने कहा- अब मुझे तुम्हारी गांड मारनी है.
    उसने कहा- जो तुम्हारी इच्छा … मगर आराम करना. क्योंकि मैंने कभी भी गांड में लंड नहीं डलवाया है.
    मैंने कहा- कोई बात नहीं, आज मैं डालूंगा. पहले मेरा लंड तैयार करो.

    और मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया. मेरे दोस्त की बीबी बड़े मजे से मेरा लंड चूसने लगी.

    थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से तैयार हो गया और अब मैंने मेरे दोस्त की बीबी को डागी स्टाइल में लिया और अपना लंड उसकी गांड पर सेट किया. फिर हल्का धक्का दिया.
    पर भाभी की गांड टाइट होने के कारण लंड फिसल गया.

    मैंने फिर से भाभी की गांड पर लंड सेट किया और हल्का दबाव दिया. फिर से लंड फिसल गया.

    इस बार मैंने अपने लंड पर थोड़ी क्रीम लगाई और उसकी गांड पर भी! और फिर से अपना लंड भाभी की गांड पर सेट किया और जोर का धक्का दिया.

    इस बार एक ही बार में मेरा आधा लंड भाभी की गांड में घुस गया. लंड अंदर जाते ही भाभी की चीख निकल गई और वह लेट गई जिससे मेरा लंड बाहर निकल गया.
    उसने कहा- प्लीज मेरी गांड मत चोदो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.



    मैंने कहा- बस एक बार … अगर मज़ा न आए तो मैं नहीं करूंगा.
    वो मान गई और इस मैंने उसे लिटा दिया ताकि वह आगे पीछे न हो सके.

    और मैंने उसके पैर फैलाकर उसके ऊपर लेट कर अपना लंड भाभी की गांड पर सेट किया और जोर का धक्का दिया. इस बार मेरा पूरा लंड एक ही बार में भाभी की गांड में घुस गया जिससे वह चीखने लगी और रोने लगी.

    वह बोल रही थी- छोड़ दो मुझे … बहुत दर्द हो रहा है.
    उसकी छटपटाहट से पता चल रहा था कि उसे कितना दर्द हो रहा होगा.

    पर मैं हटा नहीं … मैं थोड़ी देर रूका और फिर से भाभी की गांड में धक्के देना शुरू कर दिया.
    वह चीख रही थी पर मैं रुका नहीं.



    कुछ ही देर में वह भी मेरा साथ देने लगी और अपनी गांड उठाकर मेरा पूरा लंड अपनी गांड में लेने लगी.
    भाभी बोल रही थी- और जोर से चोदो … मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. काश तुम मुझे पहले मिले होते! आह चोदो और जोर से चोदो! फाड़ दो मेरी गांड!
    और मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया.

    अब मैं झड़ने वाला था. मैंने उससे पूछा- अपना पानी कहाँ निकालूं?
    तो उसने कहा- अपनी भाभी की चूत में डालो!
    फिर मैंने अपना लंड भाभी की चूत में डाला और 8-10 झटकों के बाद मैं झड़ गया.

    उसके बाद हम लोग बाथरूम में गये उसने मेरा लंड अच्छी तरह साफ किया. भाभी ने अपनी चूत और गांड भी साफ की.

    बाथरूम से आने के बाद हम लोग नंगे ही लेट गये.

    फिर उस रात हमने दो बार और जमकर चुदाई की और उसके बाद हमें जब भी मौका मिला … हम लोग चुदाई करते. कभी मैं भाभी की गांड मारता और कभी भाभी की चूत!



    तो भाभी की चूत और गांड की चुदाई की मेरी यह रियल कहानी कैसी लगी आपको? और कमेन्ट करके जरूर बताएं!

  • मेरी बहन पड़ोसी लड़के और उसके दोस्त से चुदी

    मेरी बहन की वासना ने उसे चालू रंडी बना दिया था. वो हर वक्त हर किसी का लंड लेने को तैयार रहती थी. इस सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि वो पडोसी लड़के और उसके दोस्त से कैसे चुदी.



    अपनी चुदक्कड़ बहन की चुदाई की पिछली कहानी
    मेरी लंडखोर रंडी बहन की गैंग बैंग चुदाई-2https://www.freesexkahani.com/group-sex-stories/randi-bahan-chudai-2/
    में मैंने आप लोगों को बताया था कि मेरी बहन अंजलि कैसे रंडी बन चुकी है. ये भाग और मजेदार है. माफ करियेगा पाठको, मैं थोड़ा लेट हो गया आप लोगों के लिए कहानी का आगे का भाग लाने में।

    मैं अपनी बहन अंजलि पर नजर रखने लगा. अब तो मैं जान चुका था सब कुछ।

    सुबह मैं उठा, फ्रेश हुआ, नाश्ता किया और उसको बोला- मैं कॉलेज जा रहा हूँ. टू दरवाजा बंद कर ले!
    इतना बोल कर छत पर जाकर छुप गया. अंजलि थोड़ी देर बाद आई और मेन गेट लॉक करके अंदर चली गयी.

    मैंने अपने फोन की रिंगटोन बंद की और अपनी बहन को 5 मिनट बाद कॉल किया और पूछा- गैस है क्या सिलिंडर में? हिला कर देखना वरना मंगवाना होगा।
    तो वो किचन में गयी और सिलिंडर हिला कर चेक करने लगी.



    इतने में मैं छत से नीचे आकर घर में अंदर छुप गया। घर में करीब करीब सभी लाइट बंद थी, थोड़ी रोशनी थी.

    दो मिनट बाद ही मेरी बहन का फोन आया, उसने बताया कि गैस मंगवाने की जरूरत नहीं है.
    मैंने धीरे से ओके बोल कर फोन बंद कर दिया.

    फिर मैं चुपके से रसोई की तरफ गया तो मुझे पीछे से अपनी बहन दिखी. वो तो बस एक झीना बेबीडॉल नाईटी पहने हुए थी जो उसकी चूत को भी मुश्किल से ढक पा रही थी. इसके अलावा उसने कुछ नहीं पहना था … कुछ भी नहीं … न ब्रा न पैंटी! मेरी बहन की पूरी गोरी गांड नंगी दिख रही थी।



    और तभी डोर बेल बजी. दूध वाले के आने का टाइम था ये!
    मैं सोच रहा था कि मेरी बहन ऐसे ही जाएगी क्या दूध लेने?
    और वो वैसे ही गयी. उसकी चूचियों के निप्पल उसकी नाईटी में से साफ़ दिख रहे थे. साफ पता चल रहा था कि उसने और कुछ भी नहीं पहन रखा है।

    मेरी अधनंगी बहन ने दरवाजा खोला।
    दूध वाले ने बड़ी हैरानी से मेरी बहन को नीचे से ऊपर तक निहारा.
    फिर वो बोला- कोई घर पर नहीं है क्या?
    बहन- क्यों?
    दूध वाला- बस ऐसे ही।
    बहन- नहीं, कोई भी नहीं है।

    दूध वाला- थोड़ा पानी मिल सकता है पीने के लिए?
    बहन- जो पीना है घर के अंदर आकर पी लीजिये।

    बहन पीछे घूमी अंदर जाने के लिए तो दूधवाले को मेरी बहन की पूरी गोरी गांड के दर्शन हो गए।

    दूध वाला- केला खाओगी?
    बहन- हाँ, खाऊँगी।
    अंजलि यह बोलती हुई किचन में चली गयी। उसने दूध गैस पर हल्की आँच पर चढ़ा दिया।

    दूध वाला तो पूरा खुश हो गया था. वो अंदर आया और गेट बंद करके किचन में आ गया.



    उसने मेरी बहन को पीछे से पकड़ के स्लैब पर झुका दिया और नीचे बैठ कर मेरी बहन की गांड को चूमने लगा. उसके बाद उसने मेरी बहन को सीधा घुमा कर बहन की चूत को चूसना शुरू कर दिया.
    मेरी बहन आनन्द से उसके सर को अपने चूत पर दबा रही थी और आहें भर रही थी।

    उसके बाद दूध वाले ने अंजलि की एक टांग उठा कर किचन की स्लैब पर रख दिया और अपना लन्ड निकाल कर उस पर थूक लगा कर मेरी बहन की चूत में घुसा दिया और जोर जोर से चोदने लगा।
    मेरी बहन वासना से पूरी मदहोश हो चुकी थी. फिर दूध वाले ने बहन को अपनी गोद में उठा लिया और चोदने लगा.



    उसके बाद उसने वैसे ही लन्ड बहन की चूत में घुसाए हुए ही बेडरूम में लेजा कर बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया. लेकिन इतने में उसका लंड मेरी बहन की चूत में से निकल गया. उसने अपना लन्ड बहन की चूत के मुंह पर रखकर जोरदार झटका दिया, एक ही झटके में पूरा अंदर चला गया।

    Chalu Bahan Ki Chut Gaand Chudai
    Chalu Bahan Ki Chut Gaand Chudai
    मेरी बहन थोड़ी आवाज़ें निकल रही थी- आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊह उम्म!

    करीब 10 मिनट चोदने के बाद दूध वाले ने अपना वीर्य उसकी चूत के अंदर ही छोड़ दिया और बोला- तुम्हारी चूत कभी चोदने को मिलेगी, मैंने कभी नहीं सोचा था।
    मेरी बहन अंजलि हंसती हुई बोली- और भी मौके मिलते रहेंगे भैया आपको!
    दूध वाला मेरी बहन की चूची को मसलते हुए बोला- अब जाना होगा, और भी जगह दूध बाँटना है।

    उसके बाद दूध वाला चला गया।

    मेरी बहन ने उठकर अपनी चूत को तौलिये से साफ़ किया, फिर उस तौलिये को अपनी नाक के पास लेजाकर सूंघा और फिर दरवाजा बंद किया।

    तभी अंजलि दौड़ कर किचन में जाने लगी, तब मुझे भी याद आया कि दूध चढ़ाया था उसने गैस पर।

    फिर अंजली नहाने गयी और फिर नहा कर बाहर नंगी ही आ गयी. वो अपने बाल संवार रही थी.

    कुछ देर बाद मेरी बहन का फोन बजा. उसने फोन उठा कर स्पीकर ऑन करके रख दिया और जोर से बात करने लगी. मैं भी सुन रहा था कि क्या बात हो रही है।
    फोन बगल वाले घर से अभय का था.

    अभय- फ्री हो क्या?
    बहन- फ्री ही हूँ, घर पर कोई नहीं है।
    अभय- भैया? मम्मी पापा तो बाहर गए हैं।
    अंजलि- कॉलेज।



    अभय- घर आ जाऊँ क्या?
    बहन- आ जाओ। डेरी मिल्क लेते आना।
    अभय- मेरा खा लेना।
    अंजलि- वो भी खाऊँगी।

    अभय- तेरा लेने को बहुत मूड कर रहा है।
    बहन- तुम आओ तो!
    अभय- दोस्त आये हुए हैं घर पर, साथ में ले आऊं? कोई प्रॉब्लम तो नहीं न?
    अंजलि- बिल्कुल नहीं … तुम्हारे उस दोस्त के सामने मुझे कॉल करके ये सवाल पूछने का मतलब है कि तुम अपने दोस्त के साथ ही आओगे।

    अभय- समझदार तो हो ही, आजकल रंडी होते जा रही हो।
    अंजलि- रंडी नहीं हूँ.. अगर चोदने न दूँ तो कहां जाओगे?
    अभय- सॉरी, सॉरी! मेरी सेक्सी बेबी डॉल।

    अंजलि- तुम अगर रंडी समझते हो मुझे तो जाओ कहीं और जाओ, मुझे क्यों कॉल किया?
    अभय- अरे हवस चढ़ा है, उतार दे ना!
    अंजलि- आ गया न मेरे झांट के नीचे … गांड चाटेगा तो ही चोदने दूंगी।
    अभय- इतनी गंदी कबसे हो गयी तू?
    अंजलि- कुछ नहीं जानते तुम मेरे बारे में, और रंडी बोलते हो?
    अभय- आता हूँ।



    मुझे तब पता चला कि बहन कितनी गंदी हो चुकी है।

    अब मेरी बहन तैयार होने लगी. उसने मस्त काली ब्रा पैंटी का सेट पहना और स्कर्ट और टॉप।
    अभय घर के बगल में रहता है. मेरी बहन का हमउम्र है तो मेरी बहन उससे थोड़ा फ्रेंडली है घर वालों के नज़र में!
    बाकी आप और मैं तो जानते हैं कि कितना फ्रेंडली है दोनों।

    अभय हमारे घर आया अपने 1 दोस्त के साथ।
    अंजलि- वेलकम!
    अभय- ये सौरभ है मेरा दोस्त!
    सौरभ- हाय!
    वो मेरी सेक्सी बहन को देख कर मचल उथा.

    मेरी बहन बोली- आओ मेरे पीछे मेरे रूम में चलो.

    तभी सौरभ ने पीछे से मेरी बहन की गांड पर धीरे से एक हाथ मार दिया. अंजलि उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा दी।
    अभय- ये लो डेरी मिल्क!
    अंजलि- थैंक्स! पर क्या बोल रहा था तू मुझे रंडी?

    अभय अंजलि को लिप किस करके बोलला- सॉरी बाबू!
    सौरभ- साइज क्या है तुम्हारा?
    अंजलि- लोग नाम, नंबर, उम्र पूछते हैं, तुम तो सीधा साइज पूछ रहे हो?
    सौरभ- तुम्हारा साइज़ परफेक्ट लग रहा है।

    अंजलि- वैसे तुम्हारा क्या साइज है? बाहर से तो अच्छा बड़ा लग रहा है।
    अंजलि उसका और अभय का लन्ड जीन्स के ऊपर से ही सहला रही थी।

    इतना सुनकर सौरभ- लो मेरा लॉलीपॉप!
    बोलते हुए उसने अपना 8 इंच का काला लन्ड मेरी बहन के हाथ में दे दिया।
    अंजलि- क्या तगड़ा लन्ड है; बिल्कुल मेरे लिए ही बना है।



    अभय- ले मेरा भी ले!
    अभय का भी 7 इंच का रहा होगा।

    सौरभ से छोटा था अभय का… इसीलिए बहन सौरभ को ज्यादा अटेंशन दे रही थी।
    मेरी कामुक बहन दोनों का लन्ड बारी बारी से चूस रही थी और साथ साथ सहला रही थी।

    उसके बाद अभय ने अंजलि को उठा कर बेड पर पटक दिया और मेरी बहन की टांगें फैला कर उसकी पैंटी और स्कर्ट उतार दी और फिर मेरी चालू बहन की चूत पर अपना मुंह लगा दिया।
    अंजलि- उम्म आआह … आराम से … आआह … हम्म आह आआह उउम्म!
    सौरभ- मुझे भी चाटने दे।

    फिर सौरभ मेरी बहन की गीली चूत चाटने लगा और अभय आगे जाकर बहन के मुंह में लंड देकर चोदने लगा और कुछ ही देर में उसके मुख में ही अपना रस गिरा दिया। मेरी बहन सारा माल पी गयी।



    सौरभ ने अंजलि की टॉप को खोल दिया, फिर ब्रा! और उसके बाद वो मेरी बहन के बड़े बड़े चूचों को जोरों से चूसने लगा. मेरी बहन की सिसकारियों की आवाज पूरे रूम में गूंज रही थी.

    उसके बाद सौरभ ने मेरी गर्म बहन की चूत पर अपना लन्ड लगा कर धक्का दिया. और उसका लन्ड बिना कोई दिक्कत के मेरी बहन की चिकनी चूत में घुस गया.
    मेरी चुदक्कड़ बहन उसका चेहरा देख कर मुस्कुरा रही थी और सौरभ लगातार झटके मार रहा था.

    सौरभ- इतने आराम से कैसे?
    बहन- तुम लोग के आने से पहले कोई और भी मेहनत कर के हल चला गया है इस खेत में!
    अभय- तो मैंने गलत क्या बोला था कॉल पर तुम्हें? रंडी।

    उसके बाद अंजलि ने सौरभ को कहा- रुको, अभय को नीचे आने दो!
    अभय नीचे लेट गया और अंजलि उसका लन्ड गांड में लेने का कोशिश करने लगी. पर लन्ड अंदर नहीं गया तो अभय मेरी बहन को झुका कर उसकी गांड चाटने लगा.

    उसके बाद अभय ने मेरी बहन की गांड में लंड डाला तो वो आसानी से घुस गया.

    और फिर अंजलि ने सौरभ को लन्ड चूत में घुसाने को कहा. सौरभ का लंड मेरी बहन की प्यासी चूत में एकदम चला गया. मेरी बहन अब अपने दोनों यारों का साथ दे रही थी!

    अंजलि- आह आआह … अभय तुझे आज अभी मैंने चूत दी भी नहीं और गांड चटवा ली न!

    उसके बाद मेरी बहन अपनी मनपसंद पोज़ सैंडविच में आई और अपनी चूत और गांड चुदवाने लगी। वो पूरी खिलाड़िन लग रही थी इस चुदाई के खेल की!
    मेरी बहन कभी खुद घूम जाती तो कभी उनको ऊपर नीचे करवाती।

    इसी तरह लगभग आधे घंटे तक चुदाई चलती रही। पूरे कमरे में मेरी बहन की वासना भारी आहें और फच फच की आवाज गूंज रही थी.

    हर पोजीशन में चुदाई हुई अंजलि की! और तीनों एक बार झड़ चुके थे. अभय तो 2 बार!

    फिर कुछ देर बाद दोबारा चुदाई का दौर शुरू हुआ. मेरी बहन की चुदाई पूरे चरम पर थी.
    मेरी बहन ने कहा- अब तुम दोनों एक साथ मेरी चूत में घुसाओ और अंदर गिराओ।
    दोनों ने वैसा ही किया।

    फिर सभी निढाल होकर नंगे ही एक दूसरे से लिपटे हुए बेड पर पड़े हुए थे।

    मेरी बहन की चिकनी चूत से मर्दाना रस बह रहा था. क्या मस्त लग रही थी मेरी बहन की चुदी हुई चूत! उसकी गांड का छेद भी बड़ा हो गया था, ये साफ पता चल रहा था.

    कोई एक बार मेरी बहन की चूत और गांड के छेद देख ले तो चोदे बिना रह ही नहीं सकता।

    तभी मेरी बहन अपनी चूत में उंगली करते हुए बोली- न जाने कितने और लन्ड खायेगी ये मेरी चूत। मजा आ रहा है इस जवानी का।



    अभय- तूने गैंगबैंग ट्राय किया है?
    अंजलि- ट्राय नहीं, गैंगबैंग करवा चुकी हूं 6 लोगों से।
    सौरभ और अभय एक साथ बोले- दर्द नहीं हुआ?
    अंजलि- दर्द सहने के बाद मज़े की बात ही कुछ और है। मुझे बड़े लन्ड से डर नहीं लगता, उनसे चुदने मे मज़ा आता है।

    सौरभ- नंबर दे दे अपना तू मुझे, दीवाना बना दिया तेरी फिगर ने मुझे!
    अंजलि- अब पूछा न सही चीज़ तुमने। वैसे मेरा साइज पता चला तुमको?
    सौरभ- 36-24-36
    बहन- नजर अच्छी है तुम्हारी, और हथियार भी।

    फिर दोनों दोस्तों ने मेरी बहन अंजलि को किस किया, उसकी चूचियों को दबाया. उसके बाद दोनों हमारे घर से चले गए.

    अंजलि भी दुबारा नहाने चली गयी. मैं भी चुके से घर से निकल गया और आधे घंटे बाद घर आया.

    अंजलि बहुत खुश दिख रही थी.

    मैं भी खुश था लाइव पोर्न देख कर को भी अपनी बहन का जो कि खुद किसी पोर्नस्टार से कम नही।

    आगे मैं बताऊंगा

    कि कैसे सौरभ मेरी बहन को अपने दोस्तों के साथ चोदने के लिए बुलाता है और मेरी बहन एक परेशानी में फंस जाती है।

    मेरी चालू बहन की चूत और गांड चुदाई की कहानी कैसी लगी?

  • ट्रेन में मिली अनजान भाभी की चुत चुदाई

    मैं ट्रेन के स्लीपर कोच में था पर बहुत सारे बिना रिजर्वेशन वाले लोग मेरे डिब्बे में थे. मैंने एक भाभी को अपनी बर्थ पर जगह दी. उसके बाद मैंने भाभी की जवानी का मजा लिया.

    सभी दोस्तो और उनकी सहेलियों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम हैप्पी शर्मा है. मैं बिहार का हूँ मगर फिलहाल हरियाणा के सोनीपत में रहता हूं. मेरी 2 महीने पहले की मार्केटिंग जॉब लगी थी.



    यह बात अभी एक हफ्ते पहले की है, जब मैं दिल्ली से अपने गांव सोनपुर जा रहा था. मैं वैसे तो कुछ नहीं करता, लेकिन नॉलेज सबकी रखता हूं.

    मैं ट्रेन से जाने की तैयारी कर रहा था. आम्रपाली ट्रेन में ऊपर की बर्थ की स्लीपर कोच की मेरी टिकट कंफर्म थी. मैं ठीक टाइम पर स्टेशन पहुंच गया. मेरे पास एक बैग और ओढ़ने बिछाने के लिए चादर थी.

    ट्रेन अपने टाइम से आई और चल दी. दस ही मिनट के अन्दर ट्रेन में इतनी भीड़ हो गयी जैसे और सारी ट्रेनें कैंसल हो गयी हों.

    मेरी रिजर्व बर्थ होने के बावजूद मुझे अपनी बर्थ तक पहुंच पाने का अवसर बड़ी मुश्किल में मिल सका. भीड़ हद से ज्यादा थी इसलिए मुझे नीचे सीट पर बैठने का मौका नहीं मिला. मैं ऊपर की बर्थ पर चला गया.

    ट्रेन दस मिनट देरी से चली. गाज़ियाबाद के करीब ट्रेन पहुंची तो बारिश होना शुरू हो गयी. इससे गाज़ियाबाद से आने वाले लोगों की भीड़ और बढ़ गयी.

    कुछ टाइम बाद जब टीटी आया, तो सबने टिकट चैक कराए. जो बिना रिजर्व टिकट के थे, उनकी टीटी ने जेब काटी.

    जब टीटी था, उसी समय मैं ऊपर की बर्थ से नीचे उतर आया. मुझे सुसु लगी थी. जब मैं बाथरूम से वापस आया, तो मेरी ऊपर वाली सीट पर एक भाभी आकर बैठ गई थीं. भाभी बड़ी मस्त दिख रही थीं. नीचे भीड़ भी ज्यादा थी, तो मैं भी ऊपर अपनी बर्थ पर जाने लगा.

    वो बोलीं- ये आपकी सीट है?
    मैंने हां में उत्तर दिया. इस पर वो बोलीं कि ठीक है, मैं थोड़ी देर में टीटी से अपने लिए सीट पक्की करवा लूंगी, अभी भीड़ ज्यादा है.
    इस पर मैंने कहा- कोई बात नहीं … आप बैठ सकती हो.

    मैं बर्थ पर आ गया और अपने फ़ोन में फेसबुक फ़्रेंड्स के साथ लूडो खेलने लगा. वो बार बार मेरी तरफ देख रही थीं.

    मैंने उनसे खेलने को पूछा, तो वो बोलीं- ओके.

    मैं और भाभी नार्मली लूडो खेलने लगे. कोई 4-5 मैच खेल कर हमने खाना खाने का प्लान किया और टिफिन निकाल कर खाना खाने लगे.

    मैंने उनसे उनका नाम जानना चाहा, तो मालूम हुआ कि भाभी का नाम मनीषा था. जब हम दोनों खेलने के साथ बात कर रहे, तभी उन्होंने अपने बारे में बताया था कि वो दिल्ली पेपर देने आई थीं. उनके पति की कोई हलवाई की शॉप है.



    खाना खाने के बाद हम बातें कर रहे थे. करीब 9 बजे के आस पास मैंने पूछा- टीटी आया नहीं … और भीड़ भी ज्यादा है … आप कैसे करोगी?
    वो कुछ नहीं बोलीं, बस मेरी तरफ असहाय सी देखने लगीं.
    मैंने कहा- ओके आप मेरी सीट पर ही रह जाओ. जब टीटी आएगा तब देख लेंगे.
    तो भाभी ने कहा- ठीक है.

    मुझे बिना चादर के नींद नहीं आती, तो मैंने चादर अपने ऊपर कर ली और आधे पैर सीधे करके बैठ गया. वो भी वैसे ही बैठ गईं.

    जब कम्पार्टमेंट की सारी लाइटें बन्द हो गईं … तो एकदम घुप्प अँधेरा हो गया. उस डिब्बे की नाईट लैम्प खराब थे. कोई भी नाईट लैम्प नहीं जल रहे थे.

    मैंने भाभी से पूछा कि आपको सोना है, तो आप सो सकती हो. उनका पैर मेरी तरफ था और मेरा पैर उसकी तरफ था.

    वो भी लेट गयी और मैं भी लेट गया. रात 11 बजे के करीब थोड़ी थोड़ी ठंड लगने लगी … तो उन्होंने मेरी चादर को अपने ऊपर कर लिया. मुझे ट्रेन में नींद नहीं आ रही थी, मैं उठा हुआ था.

    मैंने नोट किया कि भाभी का जिस्म मेरे बदन से टच हो रहा था. इससे मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था. मैंने भाभी की जांघों के नीचे से टांग बढ़ाते हुए उनकी गांड से नीचे पैर लगाने लगा.

    ट्रेन चलने के कारण और मेरा पैर उनकी गांड को छूने लगा. उन्होंने कुछ नहीं कहा. फिर जब भाभी ने अपने पैर सीधे किए और चादर को अपने ऊपर पूरा ढक लिया, तो मैं डर गया और हल्का सा खुद को सिकोड़ कर पीछे कर लिया.

    फिर भाभी के पैर से मेरा लंड छूने लगा. इस बार मैं उनके पैरों को अपने शरीर की हरकत से सहला रहा था.

    फिर अचानक से भाभी ने करवट बदल ली, अब मेरे पैर उनकी चुचों से लग रहे थे. उधर उनके पैर मेरे लंड को छूते हुए मेरी छाती से लग रहे थे.

    इससे मेरा लंड और भी खड़ा होने लगा था. ट्रेन के हिलने का फायदा लेकर मैंने एक हाथ उनकी गांड पर रख दिया, वो कुछ नहीं बोलीं.

    ट्रेन तेज चलने के कारण मेरा हाथ हिल रहा था और मैं उसी का फायदा लेते हुए उनकी गांड को सहला भी रहा था. कुछ टाइम बाद उनका हाथ मेरे हाथ के ऊपर आ गया, इससे मैं डर गया.



    मैं कुछ पल ऐसे ही पड़ा रहा … लेकिन मेरा लंड ट्रेन की गति के वाइब्रेशन से उनकी दोनों जांघों के बीच मस्ती ले रहा था.

    कुछ टाइम बाद उन्होंने मेरा हाथ दबाया और साथ ही अपने पैरों से मेरे लंड को दबाया. इससे मैं समझ गया कि भाभी गर्म हो गयी हैं.

    मैंने अपने हाथ से धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा. भाभी ने मेरा हाथ छोड़ दिया और मेरे पैर पर हाथ रख दिए.

    मैं इससे उत्साहित हुआ और धीरे से उनके शर्ट के नीचे हाथ करने लगा. भाभी ने भी मेरे पैरों को पकड़ रखा था. मैंने अपना हाथ सूट के ऊपर से ही उनकी चूत पर रखा, तो वो और नीचे हो गईं.

    Train Me Anjan Bhabhi Ki Chut Chudai
    Train Me Anjan Bhabhi Ki Chut Chudai
    अब मैं धीरे धीरे उनके पैरों को किस करने लगा और अपना हाथ ऊपर से ही चूत पर सहलाने लगा.

    इससे वो भी मेरे लंड की ओर हाथ बढ़ाने लगीं … तो मैंने उनके पजामे के अन्दर हाथ डाल दिया. मुझे ऐसा लगा कि मेरा हाथ किसी गर्म जगह पर चला गया. एक पल में ही मैं समझ गया कि मेरा हाथ उनकी चुत के ऊपर आ गया था. मैंने भाभी की चुत को ठीक से टटोला और चूत में उंगली करने लगा. भाभी भी मेरा लंड सहलाने लगीं.

    अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और अपने आपको ठीक करके बैठ गया. पहले मैंने नीचे झांक कर ट्रेन की भीड़ का जायजा लिया. सब लगभग सो रहे थे. मैंने उनको पैरों को हिला कर अपनी तरफ सिर करके लेटने का इशारा किया, वो कुछ पल इधर उधर देख कर मेरी तरफ आ गईं.

    मैंने अपनी चादर को ठीक से ओढ़ लिया और भाभी को भी चादर में ले लिया. हमारे सामने वाली बर्थ पर एक लड़की लेटी हुई थी. वो शायद 19-20 साल की थी. उसका चेहरा चादर के अन्दर था. हम दोनों ने उसे एक बार देखा और चिपक कर लेट गए.

    अब भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा दिया. मैंने एक बार मना किया और उतर कर नीचे चला गया. मैंने टॉयलेट में जाकर अंडरवियर उतार दिया और लोअर में आ गया. मैं फिर से सीट पर आ गया. इसके बाद भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया. मैं भी उनके मम्मों को दबाने लगा और किस करने लगा.

    चलती ट्रेन ने हमारा काम और भी आसान कर दिया था. मैंने उनकी पजामी को नीचे किया और चुत में उंगली डालने लगा. सच में यारों मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ.

    उसके बाद मैं 69 की पोजीशन लेते हुए नीचे की ओर हो गया … इससे मैं चादर के अन्दर ही उनकी चूत को चाटने लगा. वो भी मेरे लंड को मुँह में डाल रही थीं. कुछ टाइम बाद मैं भाभी के ही मुँह में झड़ गया. मेरा कुछ माल उनके मुँह में … और कुछ माल नीचे गिर गया.

    कुछ पल बाद भाभी भी झड़ गईं. लेकिन मैंने उनकी चुत का रस नहीं पिया. बस उंगली घुसा कर मजे लेने लगा.

    कुछ पल यूं ही रहने के बाद भाभी ने इशारा किया, तो मैं सीधा होकर भाभी से चिपक कर लेट गया. अब मैं चुत में उंगली करते करते उन्हें किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं. ट्रेन की कम्पन करती हुई गति हम दोनों को पूरा साथ दे रही थी.

    पांच मिनट बाद मेरा लंड खड़ा हो गया. मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे पैर ने या भाभी ने खुद ही अपनी पजामी पूरी उतार दी थी. ऊपर ब्रा भी खोल दी थी.



    मैंने पोजीशन बनाई और भाभी के ऊपर चढ़ कर अपना लंड भाभी की चूत में पेल दिया. भाभी ने अपनी टांगें फैलाते हुए मेरा लंड जज्ब कर लिया और मादक सिसकारियां लेने लगीं. लेकिन मैंने उनके होंठों को अपने मुँह में दबा रखा था … तो उनकी आवाजें बाहर नहीं निकल पा रही थीं.

    भाभी मेरे नीचे गरमगरम सांसें छोड़ते हुए मस्ती से लेटी हुई चुद रही थीं. मैं सिर्फ लंड घुसाए पड़ा था, बाकी का चुदाई का काम चलती ट्रेन ने किया.

    दस मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ गयी थीं. मैं लगा हुआ था. कुछ देर बाद मेरा लंड छूटने को हुआ.
    मैंने उनसे कान में कहा तो भाभी ने फुसफुसा कर कहा- अन्दर ही आ जाओ.

    मैं भाभी की चुत तेजी से लंड चलाते हुए झड़ गया. मेरे साथ ही भाभी ने भी अपनी गांड उठाते हुए चुत को झाड़ दिया. हम दोनों एक साथ ही झड़ गए थे.

    कुछ पल बाद भाभी ने अपने कपड़े पहने और उतर कर टॉयलेट में चली गईं. मैंने अपना लंड अपने लोअर में समेटा और भाभी का इन्तजार करने लगा.

    भाभी बाथरूम से तैयार हो कर आ गईं. अब रात के 3 बजे थे. तभी ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकी. मैंने देखा और उतर कर चाय ले आया. मैं भी पी और भाभी को भी पिलाई.

    ट्रेन चल दी और हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार थे. लेकिन इस बार मेरे दिमाग में कुछ अलग था.

    मैं अपने साथ हमेशा एक एनर्जी बढ़ाने वाला पाउडर रखता था, जो कि खाने में मीठा होता है. उसे मैंने अपने बैग से निकला. उसे मैंने खाया और कुछ भाभी को भी खिलाया.

    भाभी ने पूछा कि ये क्या है.
    मैंने कहा- स्पेशल पंजीरी है … प्रसाद में मिली थी.

    भाभी ने बड़ी श्रद्धा से पाउडर खा लिया.

    इसको खाने से किस करने में और भी मजा आता है. हम दोनों वापस लेट गए और एक ही चादर में लेटे हुए एक दूसरे को किस कर रहे थे. पाउडर ने काम दिखाना शुरू कर दिया था. मेरा लंड खड़ा हो गया था. भाभी उसे हिला रही थीं.

    अब मैंने उनसे घूमने को कहा, वो पलट कर घूम गईं. मेरे लंड के सामने उनके मोटे मोटे चूतड़ थे.

    मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और भाभी की गांड पर लगा दिया. एक हाथ से मैंने भाभी की एक टांग को उनके सीने की तरफ की और दूसरी अपने टांग के नीचे दबा ली. लंड ने भाभी की गांड के छेद को खोज लिया था.

    तभी ट्रेन ने एक झटका लिया और मैंने मौके का फायदा उठा कर लंड अन्दर पेल दिया. इससे भाभी को बहुत दर्द हुआ. वो उछल कर आगे को हो गईं और बैठ गईं. वो मेरी तरफ गुर्रा कर देखने लगीं, तो मैंने उनकी चुची को पकड़ कर मसल दिया और सोने को कहा.

    वो लेट गईं, लेकिन गांड में लंड नहीं डालने का इशारा करके लेट गईं. मैंने उन्हें प्यार से फिर से गर्म किया. भाभी के मम्मों को दबाकर और चुत में उंगली करके उसे कामुकता के शिखर पर ला दिया. अब मैंने भाभी से गांड मरवाने को कहा, वो गरम हो गई थीं, तो ये कहते हुए लेट गईं कि धीरे करना.



    मैं धीरे धीरे करके अपना लंड भाभी की गांड में डालने लगा और मम्मों दबाने लगा. कुछ पल के दर्द के बाद उन्हें भी मजा आने लगा. हल्का दर्द भी हो रहा था. तब भी हम दोनों धीरे धीरे ऐसे ही गांड चुदाई करते रहे.

    कुछ देर बाद मैंने भाभी की गांड से लंड खींचा और उनको सीधा लिटा कर अपने सामने कर लिया. भाभी ने अपनी एक टांग उठा कर मेरे ऊपर की और मैंने उनकी चूत में लंड पेल दिया. लंड पेल कर मैं भाभी को किस करने लगा. वो भी मजे से आगे पीछे होकर चुत चुदवा रही थी.

    इस तरह से हम दोनों ने 3 बार चुदाई का खेल खेला और सो गए. अगली सुबह उठे तो ट्रेन में भीड़ उतनी ही थी. जब ट्रेन गोरखपुर पहुंची, तो भीड़ कम हुई और हम नीचे सीट पर आ कर बैठ गए.

    मैंने एक हाथ पजामे के ऊपर से उनकी चुत पर रख हुआ था. भाभी की चुत को सहला रहा था, मेरे हाथ के ऊपर उनका बैग था, तो किसी को पता नहीं चल रहा था. फिर मैंने देखा कि ट्रेन छपरा से सोनपुर के 3 घंटे के सफर में 7 ट्रेन थीं तो मैंने भाभी से पूछा कि अगर आप चाहें तो हम इधर उतर कर किसी होटल या रूम में एक घंटे चुदाई का मजे कर सकते हैं.

    भाभी ने कुछ पल सोचा, फिर बोलीं- आपको तो आगे जाना है.

    मैं बोला कि आगे एक स्टेशन जाने की 6-7 ट्रेन हैं … मैं उनमें से किसी भी ट्रेन से चला जाऊंगा.

    वो बोलीं कि मैं अपने पति को क्या बोलूंगी?
    मैंने कहा- बोल देना कि बस या कोई ट्रेन में जगह ही नहीं मिली. भीड़ के कारण आज आना नहीं हो पा रहा है. आज यही रुक जाना सुबह चली जाना.

    इस पर वो मान गईं.

    मैंने ट्रेन से उतर कर बाहर आकर एक होटल में एक रूम ले लिया. हम दोनों होटल के कमरे में घुसते ही किस करने लगे.

    मैंने कहा- भाभी, हम पहले फ्रेश हो जाते हैं फिर मजा लेंगे.

    पहले मैंने भाभी से एक साथ ही नहाने का कहा, मगर वो मना करने लगीं कि बाथरूम छोटा है. एक एक करके आराम से नहा लेना.

    वो वाशरूम चली गईं, तो मैंने वहीं एक दूसरे कमरे में नहाने के लिए मैनेजर से कहा. उसने हां कह दिया. मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं था. जब मैं नहा कर जब रूम में गया, तो भाभी भी नहा कर बाहर आ गई थीं. उन्होंने अब साड़ी पहन ली थी. मैं कैप्री और बनियान में था.

    फिर मैंने अपना मुँह उसकी तरफ कर दिया और भाभी को किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मैंने अपने हाथ से उनका ब्लाउज खोल दिया और मम्मों को दबाने लगा. वो गर्म सिसकारियां लेने लगीं. हम दोनों बेड पर लेट गए. और किस करते करते अपने कपड़े भी उतार दिए.



    वो सिर्फ पैंटी में थीं. काले रंग की पैंटी में भाभी क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं. मैं उन्हें नीचे लेटा कर उनके सारे बदन को पागलों की तरह चूमने लगा और उनकी पेंटी निकाल दी.

    उनकी चुत पर छोटे छोटे से रेशम से बाल थे. ऐसा लग रहा था, जैसे 3-4 दिन पहले ही झांटों को साफ़ किया हो.

    मैंने 69 की पोजिशन ली और उनकी चुत पर जीभ लगा कर चुत चाटने लगा. उन्हें भी चुत चटवाने में मजा आ रहा था. वो पूरी तरह से गर्म हो गयी थीं.

    तभी उनका पूरा शरीर अकड़ गया और वो झड़ गईं.

    फिर हम दोनों सीधे होकर लिप किस करने लगे. उसके बाद भाभी फिर से 69 में हो गईं और वो मेरे लंड को चूसने लगीं.

    कुछ टाइम बाद वो सीधी लेट गईं और लंड पेलने का इशारा करने लगीं. मैंने उनकी टांगें चौड़ी कीं और अपना पूरा लंड चुत में पेल दिया. वो सिसकारियां भर रही थीं और मुझे किस कर रही थीं. दस मिनट की चुदाई के बाद हम झड़ गए और किस करते हुए लेटे रहे.

    दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने उन्हें अब पीछे गांड में लंड लेने को कहा, तो वो मना करने लगीं. मेरे समझाने पर वो मान गईं.

    मैंने थूक लगा कर लंड को उनकी गांड में पेला और गांड मारने लगा. उसे इस बार कम दर्द हो रहा था. मैं एक बार में लंड पेल कर रुक गया.

    कुछ पल बाद वो खुद आगे पीछे होने लगीं. तो मैंने झटके मार मार कर भाभी की गांड चुदाई की.

    अब हम दोनों कपड़े पहन कर जाने के लिए तैयार हो गए.



    भाभी ने जाते जाते मेरा फोन नम्बर ले लिया. भाभी उसी रूम में रुक कर दूसरे दिन अपने गांव जाने वाली थीं.

    दोस्तो, ये मेरी सच्ची और पहली सेक्स कहानी थी. आपको कैसी लगी, जरूर बताएं. धन्यवाद.