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  • पति पत्नी और औलाद का सुख

    मेरा नाम कोमल है और मेरी उम्र 30 साल है। मैं एक कंपनी में बहुत अच्छी नौकरी करती हूँ। मेरे पिता कुछ समय पहले तक इसी कंपनी में महाप्रबंधक थे जिसकी वजह से मुझे नौकरी ढूंढने में कोई परेशानी नहीं हुई।
    अब वो सेवा निवृत्‍त हो चुके हैं। मगर उनकी वजह से मुझे कभी कोई परेशानी नहीं हुई।

    जब मैंने आफिस ज्‍वाइन ही किया था, तभी धीरज नाम का एक और लड़का भी इसी आफिस में मेरी तरह ही नया नया लगा था। उससे मेरी कुछ बातचीत होने लगी। उसको मैंने नहीं बताया था कि मेरे पापा इसी कम्पनी में महाप्रबंधक हैं। धीरे धीरे हमारी दोस्ती बढ़ने लगी। वो मुझसे दो साल बड़ा था. उसके माता पिता किसी दूसरे शहर में रहते थे और वो यहाँ पर नौकरी करने के लिए ही आया था और हमारे शहर में एक किराये का मकान लेकर रहता था। हम दोस्त ज़रूर बने मगर हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं था जिससे कोई कुछ कह सकता। हमारा मिलना जुलना और लंच भी बस आफिस तक ही था। और हम लंच भी एक साथ ही किया करते थे.

    धीरज एक मिडिल क्‍लास परिवार से था, उसने मुझे बताया कि वो एक मिडल क्लास के परिवार से है और उसके कुछ रिश्तेदार तो बहुत ही ग़रीब हैं. उसकी बहन की शादी एक बहुत अच्छे परिवार में हुई थी जहाँ किसी किस्म की कोई दिक्कत नहीं थी मगर उसके जीजा को शादी के कुछ समय बाद व्यापार में बहुत ही नुकसान हो गया था जिसकी वजह से उनको अब गुज़ारा करना भी मुश्किल होता है. वो कभी कभी उनकी सहायता के लिए कुछ रुपये भेज देता है. उसके मुक़ाबले में मेरी माली हालत कहीं अच्छी थी.

    धीरज बहुत ही मेहनती था और कुछ ही समय में वो कंपनी में उच्‍च पद पर आ गया।
    अब क्योंकि मैं उससे रोज़ ही मिलती जुलती थी धीरे धीरे मैंने खुद को पाया कि मैं उसको चाहने लगी हूँ मगर मैंने कभी उससे जाहिर नहीं होने दिया क्योंकि मुझे नहीं पता था कि वो मेरे बारे में क्या सोचता है. अगर मैंने कुछ पहल दिखाई और उसने मना कर दिया तो मैं उससे फिर नज़र नहीं मिला पा सकूँगी.

    जब मेरे पापा सेवानिवृत्‍त हुए तब उसे पता लगा कि मैं उनकी बेटी हूँ।
    उसने तब मुझसे कहा कि मैंने उसे पहले क्यों नहीं बताया इस बारे में तो मैंने उससे कहा- मैं अपनी दोस्ती के बीच तुमसे यह नहीं बताना चाहती थी कि मेरा परिवार कौन सा है जिससे तुम यह ना समझो कि मैं अपनी पारिवारिक पृष्‍ठ भूमि तुमको जता रही हूँ. मैंने उसको अहसास दिलाया कि मेरे लिये हमारी दोस्‍ती ज्‍यादा मायने रखती है।

    कुछ दिन बाद उसने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हारी शादी अभी तक कहीं पक्की नहीं की?
    मैंने कहा- मेरे पिता तो बहुत जल्दी कर रहे हैं मगर मैं ही नहीं मानती.
    उसने पूछा- क्यों क्या हुआ?
    मैंने कहा- मुझे एक लड़के से प्यार हो चुका है.
    “तब क्यों नहीं अपने पिता से कहकर उससे शादी पक्की कर लेती हो.”

    मैंने कहा- मुझे नहीं पता कि वो लड़का मेरे बारे में क्या सोचता है.
    उसने कहा- महामूर्ख होगा जो तुम जैसी को ना करेगा.
    मैंने कहा- मैं क्या कर सकती हूँ … मैं उससे पूछ कर अपनी दोस्ती ख़त्म नहीं करना चाहती. अगर उसके दिल में कोई और लड़की हुई तो?
    उसने मुझसे कहा- तुम मुझे उसका नाम बताओ, मैं उससे बात करने की कोशिश करता हूँ.
    मैंने कहा- अगर काम बनता हुआ तो भी नहीं बनेगा, वो यह सोचेगा कि तुम मेरे बहुत नज़दीक हो और वो बिदक जाएगा.
    यह सुनकर उसने कहा- बात तो तुम सही कह रही हो.

    फिर वो बोला- मेरी भी किस्मत देखो, जिसे मैं चाहता हूँ वो किसी और को चाहती है.
    मैंने पूछा- कौन है वो खुश नसीब जिसे तुम चाहते हो?
    वो बोला- छोड़ो … अब बताना भी ठीक नहीं होगा.
    मैंने कहा- क्यों, मैं क्या किसी को बताने जा रही हूँ?
    उसने कहा- नहीं, मैं अब कुछ नहीं बता सकता.
    मैंने कहा- तुम्हें उसकी कसम होगी, जिसको तुम सब से ज़्यादा प्यार करते हो … अगर नहीं बताओगे तो.
    उसने कहा- ठीक है, मैं आज नहीं बता सकता क्योंकि आज मेरे दिल बहुत उचाट हो गया है मगर कल बता दूँगा.

    अगले दिन वो आफिस में नहीं आया मगर मेरी टेबल पर एक लिफ़ाफ़ा पड़ा था जिस पर मेरा नाम लिखा था। उसे खोलकर देखा तो उसमें बस दो लाइन ही लिखी हुई थी- कोमल जी, मैं आपको चाहता था मगर जब मुझे पता लगा कि आप किसी और की होने वाली हैं तो मैं कैसे आपको बताता। क्योंकि आपने मुझे यह पूछा है, सिर्फ इसलिये मुझे यह सब मजबूरी में लिखना पड़ रहा है क्योंकि आपने मुझे कसम दे कर यह पूछा है।
    पढ़कर मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा, मैंने उसी समय उसको फोन किया और बोली- इतने दिन तक क्यों तरसाया मुझे? आपको नहीं पता मैंने अपने माता पिता को कितनी बार शादी से इन्कार किया तुम्हारी खातिर! मुझसे कई बार उन्होंने पूछा था कि अगर कोई लड़का है तुम्हारी नज़र में तो बता दो, हम बिना झिझक तुम्हारी शादी वहीं कर देंगे.
    उसने कहा- मैं डरता था कि कहीं तुम्हारे घर वाले मुझे अपने परिवार का हिस्सा ना बनाना चाहें।
    मैंने उसे रोते हुए कहा- बहुत तरसाया है तुमने मुझे. क्या यही समझा था तुमने मुझे आज तक?

    अगले दिन जब वो ऑफिस में आया तो मैंने उससे कहा- मुझे नहीं करनी कोई भी बात, तुमने मुझे बहुत रुलाया है.
    उसने कहा- मेरी अपनी मजबूरी थी, मैं भी तुम्हें नहीं खोना चाहता था, अगर तुम्हारी तरफ से हाँ ना होती तो!
    खैर गिले शिकवे होने के बाद मैंने उससे कहा- ऑफिस के बाद किसी जगह बैठकर खुलकर बात करेंगे.

    ऑफिस के बाद हम किसी रेस्टोरेंट में चले गये और वहाँ बैठकर मैंने उससे पूछा- तुम्हारे घर वाले मुझे दिल से अपना मानेंगे ना?
    उसने कहा- इस बात की तुम चिंता ना करो, बस अपने घर वालों को यही बात मेरे बारे में पूछो.
    उससे मैंने कहा- तुम अभी चलो मेरे घर पर … सब कुछ तुम्हारे सामने ही बोलूंगी, तुम्हें पता लग जाएगा।
    उसने कहा- नहीं, कल चलूँगा आज नहीं. मुझे अपना मनोबल बना कर तुम्हारे साथ चलना है.
    अगले दिन हम दोनों घर पर आए तो मेरे पापा ने ही दरवाजा खोला और उसे देखकर पूछा- हेलो धीरज, कैसे हो? तुम्हारी अगली प्रमोशन हो गई या नहीं? मैं तो पूरी सिफारिश करके आया था।
    उसने पूरे अदब से जवाब दिया और बोला- सर, आपकी मेहरबानी है. वो तो बहुत दिन पहले ही हो चुकी है।

    पापा ने कहा- आओ आओ अंदर आकर बात करते हैं.
    पापा ने उससे पूछा- और सुनाओ कैसे काम चल रहा है. अगर मेरे लायक कोई काम हो तो बताओ. मुझे खुशी होगी करने में तुम जैसे लायक लड़के के लिए!

    इतने में मैं बोली धीरज को देखकर बोली- बोलो ना पापा से कि मेरी प्रमोशन तो अब आपके ही हाथ में है.
    पापा कुछ समझ नहीं पाए और हैरानी से मुझे देखने लगे.
    फिर उन्होंने धीरज से कहा- बोलो क्या बात है?
    मगर धीरज अभी झिझक रहा था.

    तब मैंने कहा- पापा, यह आपसे कुछ माँगने आया है.
    पापा ने कहा- अब मैं क्या दे सकता हूँ सिवा इसके कि कम्पनी में कोई सिफारिश करनी हो तो!
    मैंने कहा- नहीं पापा, यह आपकी लड़की का हाथ माँगने के लिए आया है.
    यह सुन कर पापा ने मुझसे कहा- तो यही है वो … जिसके लिए तुम आज तक मेरा कहना नहीं मान रही थी?

    फिर उन्होंने मेरी मां को आवाज़ लगा कर कहा- सुनाती हो … जल्दी से आओ यहाँ पर!
    जब माँ आई तो पापा बोले- मुबारक हो, तुम्हाऱी इच्छा पूरी हो गई. इनसे मिलो!
    धीरज की तरफ इशारा करते हुए बोले- ये हैं तुम्हारी बेटी की पसंद जिसके लिए इसने हमें इतना तंग किया है.

    मेरे पापा ने धीरज से कहा- मेरी खुशनसीबी होगी अगर तुम जैसा लड़का मेरा दामाद बने तो. मगर यह रिश्ता तभी पक्का हो सकता है जब तुम्हारे माँ बाप इसके लिए राज़ी हों तो!
    धीरज ने कहा- ठीक है, मैं कल या परसों ही बुलवा लेता हूँ. मगर सर, वो साधारण तरह से रहने वाले हैं, उन्‍हें आपके घर पर आने में कुछ झिझक हो सकती है.
    मेरा पापा ने कहा- जब वो तुम्हारे पास आयें तब मुझे बताना, हम लोग उनसे मिलने के लिए आएँगे.

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    दो दिन बाद मेरे माँ बाप ने धीरज के मां बाप से मिल कर हमारा रिश्ता पक्का कर दिया.

    अब धीरज जो मुझसे हमेशा दूरी बनाकर रखता था मेरे बहुत ही करीब आने लगा। जब भी हम लोग अकेले होते थे वो मेरे गालों को चूम लेता। धीरे धीरे गालों से अब वो मेरे होंठों को भी चूमने लगा। मैं भी उसका उसी तरह से जवाब देती।

    एक दिन उसने मेरे मम्मों को कपड़ों के ऊपर से दबा दिया। जब मैंने कुछ विरोध किया तो “क्या करूँ अब ये बेईमान दिल नहीं मानता।” कहते हुए उसने अबकी बार मेरे उभारों को पूरी तरह से सहलाना शुरू कर दिया।
    मैंने नारी सुलभ लज्‍जा दिखाते हुए उससे कहा- ये सब ठीक नहीं है, जो करना हो, शादी के बाद करना।
    जवाब मिला- शादी में तो अभी एक महीना पड़ा है, तब तक कुछ तो करने की इजाजत दे दो।

    क्योंकि अंदर से मेरा भी दिल तो करता था कि मैं भी उसकी बाहों में सिमट जाऊं, मैंने कहा- ठीक है मेरे कपड़े उतारे बगैर जो चाहो कर सकते हो.
    उसने कहा- ठीक है मगर अपनी बात पर कायम रहना.
    मैंने कहा- मैंने सोच समझ कर ही कहा है और इस पर मैं कायम रहूंगी.

    अब वो बिना कपड़े उतारे अपना हाथ मेरी शर्ट के अंदर डाल कर मेरे मम्मों को दबाने लगा और उनकी निप्पल से खेलने लग गया.
    कुछ देर बाद मैंने कहा- बस अब बंद करो, मुझे कुछ होने लगा है. मैं और सह नहीं पाऊँगी.

    अबकी बार उसने मेरी पेंटी के अंदर हाथ डाल कर मेरी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.
    मैंने उससे कहा- तुम वकीलों की तरह से मेरे शब्दों को ना लो वरना मैं तुमसे शादी से पहले मिलना ही बंद कर दूँगी। तुम जानते हो कि जब मैंने तुमसे कहा था ‘कपड़ों को उतारे बिना’ तो इसका मतलब यह नहीं था कि तुम अपना हाथ कपड़ों के अंदर डालकर जो चाहो करो।
    तब वो बोला- ठीक है, मगर मुझे डराओ नहीं कि तुम मुझे शादी से पहले मिलोगी भी नहीं.
    मैंने कहा- अगर इसी तरह से करोगे तो मुझे मजबूरी में करना पड़ेगा.
    उसने सहम कर कहा- अच्छा बाबा, अब नहीं करूँगा। मगर कपड़ों के ऊपर से तो इज़ाज़त है ना?

    इसी तरह से हम लोग एक दूसरे से मिलते वो मेरे बूब्स को कपड़ों के ऊपर से ही दबाता रहा और कई बार टाँगों के बीच भी सहला देता तो मुझे अच्‍छा लगता। मैं भी उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके हथियार को दबा देती थी।

    इसी तरह से एक महीना बीत गया और हमारी शादी हो गई।
    शादी के बाद आखिर हमारे प्रथम मिलन की रात भी आ गई, हमने एक दूसरे से अनेक कसमें वादे किये। वो तो मुझे अपने आगोश में लेने को उतावला था।
    जब उसके उतावलेपन को मैंने देखा तो उससे कहा- मैं अब पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ ही रहूंगी, क्यों जल्दी मचा रखी है. मैं पूरी तरह से तुम्हें समर्पण कर दूँगी. मगर मुझ से पहले एक वायदा करो कि चाहे कोई कुछ भी कहे, तुम मुझसे पूछे बिना कोई अंतिम फैसला नहीं करोगे जिसमें तुम्हारी और मेरी जिंदगी की बात हो.
    उसने कहा- यह भी कोई कहने की बात है? मैं जिंदगी में कोई भी फैसला तुमसे बिना सलाह लिए नहीं करूँगा.

    उसके बाद उसने मुझे अपने आगोश में ले लिया और मेरे कपड़े उतारने लगा.
    मेरे अन्‍दर की हया ने धीरज से कमरे की लाईट बन्‍द करने का अनुरोध किया।
    जिसको ठुकराते हुए वो बोला- आख़िर मैं भी तो देखना चाहता हूँ कि मेरे चाँद की रोशनी कैसी है उस पर यह रोशनी पड़कर कैसे लगती है।

    अब धीरज मुझे पूरी नंगी करके मेरे मम्मों को दबा दबाकर उसकी घुंडियों को चूसने लगा। मैंने भी बिना शर्माये उसका लंड पकड़ लिया जो पूरे शवाब पर था और अपना जलवा दिखाने को पूरी तरह से तैयार था।
    कुछ देर बाद वो बोला- सुनो मेरी प्राण प्रिय, अब मैं और तुम मिलकर एक जिस्म बन जायेंगे।

    यह कहते हुए उसने अपनी तलवार को मेरी म्‍यान पर रख दिया और ज़ोर से अंदर डालने की कोशिश की। मगर म्यान का मुँह बहुत छोटा था और तलवार का मुँह बड़ा था मगर तलवार तो फिर तलवार ही होती है उसने जबरदस्‍ती उसे म्यान में डालने की कोशिश की आखिर में उसकी जबरदस्‍ती कामयाब हई और म्यान का मुँह फट गया खून बहने लगा और तलवार अंदर जाने लग गई।
    मै कहती रही- बहुत दर्द हो रहा है, ज़रा धीरे से करो.
    उसने कहा- बहुत तरसाया है तुमने मुझे, जब भी मैंने तुम्हें ज़रा सा हाथ लगाने की कोशिश की. तुम कभी कुछ और कभी कुछ बोलती रही. आज तो मुझे पूरा अधिकार है तुमसे पूरी तरह से मिलने का … मेरा हर एक अंग तुम्हारे अंग अंग तो भेदता हुआ आज तुमसे मिलेगा.

    उसने अपना हथियार पूरा अंदर कर के मुझे अपनी बांहों से जकड़ लिया. फिर उसका शरीर मेरे साथ घमासान करने लग गया. मैं मीठे मीठे दर्द से कराह रही थी। पर आज वो पूरे अधिकार से मुझ पर सवार था। थोड़ी मेहनत के बाद उसने अपना लावा मेरे अन्‍दर उड़ेल दिया। उसके गरम लावे की एक एक बूंद मेरे अन्‍दर अंग अंग तक ठंडक पहुंचा रही थी। आखिरी बूंद तक निचुड़ जाने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला।

    उसके बाद हम दोनों ने बाथरूम में जाकर एक दूसरे का अंग अंग अच्‍छी तरह धोकर साफ दिया और बिस्‍तर पर आकर फिर से एक दूसरे की बांहों में समा गये।
    धीरज रात भर मेरा बैंड बजाने के मूड में था। सच यह था कि मेरा दिल भी चाहता था कि जिस चुदाई को मैं महीनों से तड़प रही थी उसकी सारी कसर धीरज आज ही पूरी कर दे।

    इस तरह से हम दोनों फिर से एक दूसरे के साथ थे. अबकी बार 69 में होकर हम लोगों ने एक दूसरे को पूरी तसल्ली से चूसा और दोनों का पानी जब निकला तो दोनों ने ही अपने अपने मुँह में लेते हुए पी लिया.
    इसके बाद उसने मुझे पूरी रात सोने नहीं दिया और मेरे शरीर से अच्छी तरह से खिलवाड़ करता रहा. ऊपर से तो मैं कह रही थी कि अब छोड़ो भी ना … मगर मेरा दिल यही चाहता था कि यह करता ही रहे … करता ही रहे.

    जिंदगी की गाड़ी यूँ ही चल रही थी। मेरा पति रोज ही मेरी चुदाई करता रहा मगर कोई बच्चा नहीं ठहरा।
    आख़िर एक दिन मेरी सास ने मेरे पति से पूछ ही लिया- मुझे पोते या पोती का मुँह कब दिखाओगे?
    यह सुनकर मुझे लगा कि कहीं ना कहीं किसी ना किसी में तो कोई कमी है। मैंने बिना पति से कहे अपनी जाँच एक डॉक्टर से करवाई तो पाया कि मैं मां नहीं बन सकती। कुछ कमी है मुझमें!
    जब मैंने डॉक्टर से पूछा कि इसका कोई इलाज तो होगा?
    तब उसने कहा- जहाँ तक मैं समझती हूँ, बहुत मुश्किल है. हम तुमसे पैसे ऐंठने के लिए तुम्हारा इलाज़ करेंगे मगर कोई परिणाम नहीं निकलेगा.

    मेरा दिल टूट गया। जब मैंने धीरज को ये बताया तो वो भी बहुत परेशान हुआ। कुछ दिनों बाद यह बात मेरी सास तक भी पहुँच गई। अब तो वो मेरे पति को मेरे विरुद्ध भड़काने लगी। यहाँ तक की उसको मुझसे तलाक़ लेकर दूसरी शादी करने के लिए भी कहने लगी.

    जब मैंने यह सुना तो मैंने अपने पति से कहा- सुनो, अगर तुम चाहो तो मुझे तलाक़ दे सकते हो मैं उसमें कोई रोड़ा नहीं बनूँगी. हां मुझे बहुत अफ़सोस होगा कि मैं तुमसे दूर हो जाऊँगी.
    मेरे पति ने कोई जवाब नहीं दिया, कुछ भी नहीं कहा.
    मगर उसकी चुप्पी मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। अब वो मेरे साथ रात को कुछ भी नहीं करता था। मैं भी कुछ नहीं बोल पाती। मैं शर्म के मारे उनसे कुछ नहीं कहती थी कि आओ, मुझे तुम्हारे लंड की ज़रूरत है, मेरी चूत इस का इंतजार कर रही है. पता नहीं वो किस मिट्टी का बना हुआ था, मेरे साथ सोते हुए भी मुझे हाथ भी नहीं लगाता था.

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    आख़िर मैंने ही फैसला कर लिया कि मैं अब इसके साथ नहीं रहूंगी और रोते रोते धीरज को अपनी बात कह दी। मगर इसका भी उस पर कोई असर नहीं हुआ।

    धीरज ने चुपचाप अपनी बदली भी शहर की दूसरी शाखा में करवा ली। अब मुझसे सिवा घर पर मिलने के अलावा और कोई समय नहीं मिलता था और घर पर वो मुझसे कोई बात नहीं करते थे। दुखी होकर एक दिन मैं ही अपने पिता के घर चली आई, उनसे कहा कि मैं कुछ दिन आपके साथ रहना चाहती हूँ.

    अभी मुझे पिता के घर आये कुछ ही दिन हुए थे कि मुझे पता लगा मेरी ननद जिसका एक 6 महीने का बच्चा भी था अपने पति के साथ किसी दुर्घटना में चल बसी। दुर्घटना में सारा परिवार परलोक सिधार गया मगर बच्चे को कुछ भी नहीं हुआ, उसे तो एक खरोंच तक नहीं आई.
    इस हादसे को सुनकर मेरा पति जल्दी से पहुँचा और ननद आदि के अन्तिम संस्‍कार के बाद उस बच्‍चे को अपने साथ अपने घर ही ले आया क्योंकि मेरी ननद की आर्थिक दशा बहुत खराब थी, उसके ससुराल में भी कोई ऐसा नहीं था जो बच्चे को संभाल सके.

    इस दुःख की घड़ी में मैं भी ससुराल आ गयी.
    अब छह महीने का बच्चा जो कुछ दिन पूर्व सबकी आँखों का तारा होना चाहिए था, रोड़ा बन गया. दबी ज़ुबान से सब कह रहे थे कि यह भी अगर उनके साथ ही चला जाता तो अच्छा था. अब इसको कौन संभालेगा. मेरी सास और ससुर अपनी उमर को देखते हुए यह ज़िम्मेदारी नहीं ले सकते थे.
    आखिर यही सोचा गया कि इसे किसी अनाथ आश्रम में भेज दिया जाए.

    जब मैंने देखा की यह क्या हो रहा है, तब मैंने सभी से सामने यह कह सुनाया- नहीं, यह बच्चा किसी अनाथ वनाथ आश्रम में नहीं जाएगा. आज से यह मेरे बेटा बन कर रहेगा. मैं कल ही किसी वकील से मिल कर इसे गोद लेने की पूरी क़ानूनी करर्वाही करती हूँ. अगर मेरा निर्णय आप लोगो को पसंद ना आया हो तो भी मैं इसे अपने साथ ही रखूँगी और मैं कोई अलग मकान लेकर इसे पालूंगी. ईश्वर ने मेरी गोद में इसे डाला है अब यह बिन माँ का बच्चा नहीं है, इसकी माँ मैं हूँ. आज के बाद इसे कोई बिन माँ का बच्चा नहीं कहेगा.

    मेरी बात सुन कर सब लोग जो वहाँ पर थे, मेरा मुँह देखने लग गये. मेरी सास और ससुर और पति को यकीन ही नहीं हो रहा था जो मैंने कहा था.
    मेरी सास ने मुझसे सबके जाने के बाद कहा- बहू मुझे नहीं पता था कि मेरे घर पर तुम जैसे बहू आई है. पता नहीं किस जन्म के किए कर्मों का फल ईश्वर ने मुझे दिया है जो तुम जैसे बहू मिली है. इतनी बड़ी ज़िमेदारी एक पल में तुमने ले ली यह जानते हुए भी कि ये बच्चा अभी इतना छोटा है जिसे पालना बहुत मुश्किल होगा.
    मैंने कहा- मां जी, अगर यह बच्चा मेरा होता और मैं अपनी ननद की जगह मैं होती तो क्या होता? यही सोच कर मैं बहुत डर गई.

    क्योंकि घर पर कई रिश्तेदार आए हुए थे मेरी ननद की मौत का सुन कर इसलिए मेरा पति मेरे पास नहीं आया.

    दूसरे दिन क्योंकि बच्चा अभी माँ का दूध पीने का आदी था, इसलिए मैंने सुबह सुबह ही किसी दुकान से माँ के दूध का सब्स्टिट्यूड लाकर दूध पिलाया और वो उसे बहुत मज़े से पीने लगा जैसे वो उसकी माँ का दूध हो.

    उसी दिन मैंने एक वकील को बुलाकर उससे कहा- इस बच्चे को मैं गोद ले रही हूँ, इसके पूरे क़ानूनी कागज बनवाइए ताकि कभी कोई अड़चन ना आए.
    इस तरह से मैं अब उस बच्चे में पूरी तरह से खो गई. ऑफिस से मैंने कुछ दिन की छुट्टी ले ली जब तक कि कोई आया पूरे दिन के लिए उसकी देख भाल के लिए ना मिल जाए.

    अब मैं अपने पति से कोई खास बात भी नहीं करती थी। बल्कि अगर यह कहा जाए की एक ही छत के नीचे जैसे दो अंजान हस्तियाँ रहती हों, हम ऐसे ही रहते थे।

    कुछ दिन बाद रात को सोते हुए मेरे पति ने मेरे मम्मों को दबाया तो मैंने कहा- छोड़ो … बच्चा जाग जाएगा, बहुत मुश्किल से सोया है.
    यह सुन कर वो बोले- आख़िर बच्चे के अलावा भी तो कोई और है इस घर में!
    मैंने कहा- वो कोई और तब कहाँ था जब मुझे डॉक्टर ने बताया था कि मैं माँ नहीं बन सकती? मैं तो अब भी वही हूँ, मैं आपको कोई बच्चा भी नहीं दे सकूँगी.
    इस पर वो बोला- अब ताने मारना छोड़ो. तुम्हें नहीं पता कि मैं किन हालातों से गुज़रा हूँ जब से मुझे तुमने यह सब बताया था. तुमने तो बहुत आसानी से कह दिया कि तुम मुझे तलाक़ देकर कोई दूसरी शादी कर लो. उधर मेरे माँ और बाप तो कितने पुराने ख़यालात के हैं. मैं उनसे कुछ भी कहकर उनका दिल नहीं दुखाना चाहता था और जब तुमने भी कुछ ऐसा बोल दिया तो मुझे अपने आप से ही बहुत घृणा होने लगी. कभी तुमने सोचा था कि जो तुम मुझसे बोल रही हो, उसका मुझ पर क्या असर होगा. मैं कई दिन तक रात को नहीं सो पाया था और अंदर ही अंदर घुटता रहा था. ना मैं तुमसे कुछ कहने लायक था और ना ही माँ बाप से. मगर उस दर्दनाक हादसे और उसके बाद जो तुमने किया वो मुझे बहुत हैरान कर देने वाला था. मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था की तुम ऐसे भी कर लोगी. उसी रात मैंने माँ से कहा ‘माँ, देखा जिसे तुम मुझ से दूर करना चाहती थी, उसने आज तुम्हारी बेटी की बच्चे की बिना किसी झिझक के अपना बना लिया. और एक तुम हो जो मेरी बीवी से मुझको दूर कर रही थी.

    यह सब सुन कर मुझे बहुत रोना आया और मैं अपने पति के सीने से लग कर रोते हुए बोली- तुमने मुझे कभी कुछ कहा क्यों नहीं?
    उसने जवाब दिया- तुम्हारी बात सुनकर मुझे ऐसा लगा था कि शायद तुम भी मुझसे अलग रहना चाहती हो. वरना कोई भी लड़की इस तरह से नहीं कहती. मेरा दिल बहुत टूट गया था. मैंने देखा कि वो भी रो रहा था.
    मैंने उसकी आँखों के आँसुओं को पौंछते हुए उससे कहा- अब सब भूल जाओ, भगवान ने एक हंसता खेलता बेटा हमारी गोद में डाल दिया है.
    यह कहकर मैंने उस का लंड जोर से पकड़ कर दबाया और बोली- इसके बिना तुम्हें नहीं पता कि मेरी रातें कितनी मुश्किल से बीती हैं.

    उसने एक हाथ को मेरे मम्मों और दूसरे को मेरी चूत पर रख कर बोला- मैं हर दिन इनके बिना कैसे रहता था, मैं ही जानता हूँ. आज भी जब मैंने हाथ लगाया तो तुमने बुरी तरह से झटक दिया. मैंने कहा- नहीं धीरज, मैं तो कई दिन से चाहती थी कि तुम्हारा हाथ इनको जोर जोर से दबाए और तुम्हारा लंड मेरी चूत में जाए … मगर मैं कैसे कहती जब तुम मुझसे बात ही नहीं करते थे.
    धीरज ने उसी समय अपना लंड निकाल कर मेरी चूत में डाला और मुझे जितनी भी जोर से चोद सकता था चोदा और बोला- कोमल, अब पिछली कसर पूरी निकालनी पड़ेगी.
    उस रात उसने मुझे चार बार चोद कर मेरी चूत को खुश किया.

    जब वो सुबह उठने को हुआ तो मैंने उसे अपने पास खींच कर उस का लंड अपने मुँह में लेकर अच्छी तरह से चूसा, तब तक … जब तक कि उसका पूरा लावा नहीं निकला.
    मैंने कहा उसको- मैं भी तुम्हें इस काम में निराश नहीं करूँगी. अगर मेरी चूत रोती रही है तो तुम्हारा लंड भी रोता रहा है, अब हम दोनों का ही यह फ़र्ज़ है कि एक दूसरे का पूरा ख्याल रख कर उनको खुश करते रहें.

  • भाई के साथ मस्ती

    नमस्कार दोस्तो, मैं रागिनी सिंह हाजिर हूँ आपके सामने अपनी पहली कहानी लेकर, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है जिसमें आपको भरपूर मज़ा मिलने वाला है। यह कोई कहानी नहीं बल्कि एक सच्चाई है जो की मेरे बारे में है। यह सच्ची कहानी बहुत बड़ी है जो की कई भागो में आप तक भेजी जाएगी।
    तो दोस्तों तैयार हो जाइये मेरी सच्ची कहानी पढ़ने के लिए।

    मेरा नाम रागिनी सिंह है मेरी उम्र 23 साल है मेरी फैमिली में मेरे पापा अजय सिंह (45 वर्ष) मेरी मम्मी अन्नू सिंह (43 वर्ष) और मेरा भाई आशू सिंह (18 वर्ष) है। मेरा परिवार दिल्ली में रहता है। मेरे पापा स्कूल टीचर हैं और मम्मी हाउसवाइफ है, मैं कॉलेज में एम एस सी की स्टूडेंट हूँ और मेरा भाई अभी 12वीं में है।

    आप सबको मैं अपने पुराने समय के बारे में कुछ बता दूं तो ज्यादा अच्छा होगा। बचपन में जब मैं 5 साल की थी तब मेरे भाई का जन्म हुआ, धीरे-धीरे समय बीतता गया अब मैं 10 की तथा मेरा भाई 5 साल का हो गया। वह बचपन से ही मुझे बहुत प्यारा लगता था, हम दोनों का कमरा एक ही था। वह देखने में जितना क्यूट था उतना ही नटखट भी था, अक्सर वह मुझसे लड़ता झगड़ता था। आशू मेरे सामान को हमेशा इधर उधर बिखेर देता था जैसे- मेरी किताबें, कपड़े आदि।
    अब वह स्कूल जाने लगा था घर पर मैं उसकी पढ़ने में मदद किया करती थी।

    धीरे-धीरे हम बड़े होते गए, मैं जवानी की दहलीज पर खड़ी थी और आशू अब 13 साल का हो गया था। पर उसके बड़े होने के साथ साथ उसकी शैतानियाँ भी बढ़ गयी थी, वह मुझे परेशान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था। अब मैं 18 की हो गयी थी, मेरी जवानी खूब निखर के आई थी मुझ पर। 18 की उम्र में 22 की लगती थी मेरे उरोजो में गजब की वृद्धी हुयी थी। 18 की उम्र में ही मेरा साइज़ 34-28-32 का हो गया था और अभी तक मैं कुंवारी थी पर सेक्स के बारे में पूरी जानकारी रखती थी। स्कूल में मेरी सहेलियां मुझसे मेरी जवानी देख के जलन रखने लगी थी। लड़के तो देख देख के ही आहें भरते थे, कइयों ने तो प्रपोज भी कर दिया था पर मुझे इन सब में कोई इंटरेस्ट नहीं था उस समय। मैं तो सिर्फ अपनी पढाई में ध्यान लगाये हुयी थी क्योंकि 12वीं बोर्ड का एग्जाम था।

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    घर पर अक्सर मैं कम्फर्टेबल रहना पसंद करती थी चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो जैसे- सोना, कपड़े पहनना आदि। मुझे ढीले कपड़े पहनना ज्यादा पसंद था, मैं घर पर अंडरगारमेंट बहुत कम पहनती थी। बिना अंडरगारमेंट के मैं बहुत अच्छा महसूस करती थी, सोते वक्त बिना कपड़ों के ही सो जाती थी। कपड़ों के बिना सोने का अपना ही मजा है और बिना अंडरगारमेंट के तो कुछ अलग ही आनंद है। कई बार तो मैं स्कूल में भी अंदर बिना कुछ पहने ही चली जाती हूँ, मेरे स्कूल का ड्रेस कोड है- नीले रंग का स्कर्ट जोकि घुटनों तक होता है, सफ़ेद रंग का शर्ट और धारीदार ग्रे कलर की टाई।

    एक दिन रविवार को घर पर मैं अपने कमरे में बैठकर पढ़ रही थी, तभी मेरा भाई आशू आया और मेरी किताबें इधर उधर करने लगा.
    मैंने उससे कहा- मुझे डिस्टर्ब न कर आशू, मुझे पढ़ने दे!
    पर वह मेरी बात को अनसुना करके अपनी शरारत में मस्त था।
    मैंने तेजी दिखाते हुए एक झटके से अपनी किताब उससे ले ली, ऐसा होते ही वह मुझ पर टूट पड़ा और मुझे गिराकर मेरे ऊपर बैठ गया तथा हाथापाई करने लगा। इस लड़ाई में उसके प्रहार से मैं अपने आप को बचा रही थी क्योंकि मैं उसे चोट नहीं पहुँचाना चाहती थी।

    वह मेरे मम्मों पर बैठा था जिससे वे एकदम से दबे हुए थे मुझे तकलीफ हो रही थी। लेकिन वह उठने का नाम ही नहीं ले रहा था आखिर मुझे हारकर अपनी किताब उसे देनी पड़ी तब जाकर वह मेरे ऊपर से हटा। अब जाकर मुझे राहत महसूस हुई.

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    मेरे बगल में बैठ कर वह मुझे जीभ निकाल कर चिढ़ा रहा था। ऐसी ही मासूम सी हाथापाई हमेशा हम दोनों के बीच होती रहती है, जिसमें कभी कभी वह मजाक में मुझे गुदगुदी करने लिए मेरे मम्में भी दबा देता है। यह सिलसिला लगभग रोज का रूटीन बन गया है, सोने के समय तो वह जरूर मुझसे शैतानियाँ करता है। हमारा रूम छत पर होने की वजह से मम्मी पापा को इस के बारे में पता नहीं चल पाता। हम ज्यादातर छत पर ही रहते हैं, हमारे रूम के बगल में ही हमारा अलग बाथरूम भी है। नीचे वाले फ्लोर पर मम्मी पापा रहते हैं तथा किचन भी वही है और उनका बाथरूम भी। टीवी भी वही किचन के बगल में हाल में है।

    एक दिन मैं बाथरूम में नहा रही थी, तभी मेरा भाई भी नहाने के लिए अंदर घुस आया. उसे पता नहीं था कि मैं अंदर नहा रही हूँ। नहाते वक्त मैं बाथरूम का दरवाजा लॉक नहीं करती थी क्योंकि ऊपर जल्दी कोई आता नहीं था, आशू ही ऊपर होता था जिससे मुझे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि अभी वह छोटा था। तो आशू भी बाथरूम में घुस आया था नहाने के लिए!
    मैं वहाँ पर नंगी होकर नहा रही थी. पहले तो मैं डर गयी कि कौन आ गया। जब देखा कि आशू है तो जान में जान आई।
    अब डरने की बारी आशू की थी, वह मुझे पहली बार नंगी देख रहा था, मुझे बाथरूम में नंगी देखकर तो पहले तो उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी, वह मुझे एकटक घूरे जा रहा था। डर के मारे उसकी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी, मेरे डर से वह काम्प रहा था। वह डर इसीलिए रहा था कि कहीं मैं मम्मी पापा से उसकी शिकायत न कर दूँ कि यह मेरे बाथरूम में घुस गया था।
    मुझे उसको देखकर हंसी आ गयी, मैंने पूछा- क्या हुआ आशू?
    वह हकलाते हुए बोला- क..क..क.. कुउउउच्चछ… कुछ नहीं दीदी।
    और इतना कहते ही वह जाने को हुआ तो मैंने पूछा- नहाना है तुमको?
    तो वह बोला- जी दीदी।
    मैंने कहा- ठीक है, आ जाओ साथ में नहाते हैं.

    मैंने उससे कपड़े निकालने को कहा तो उसने धीरे धीरे अपने कपड़े निकाल कर अलग कर दिए और मेरी तरह बिल्कुल नंगा हो गया। अब हम साथ में बैठकर नहाने लगे, मैं उसको नहलाने लगी जैसे एक माँ अपने बच्चे को नहलाती है, वह भी चुपचाप बैठकर नहा रहा था।

    आशू के शरीर पर मैंने साबुन लगाना शुरू किया और हर एक जगह मैंने अच्छी तरह साबुन लगाया, उसके नुन्नू पर भी। उसका नुन्नू अभी छोटा था तक़रीबन 3 इंच का रहा होगा। नहाने के बाद हमने अपने कपड़े पहने और अपने अपने काम में लग गए, मैं एग्जाम की तैयारी करने लगी और आशू अपना होमवर्क करने लगा। अब लगभग रोज ही हम दोनों साथ साथ नहाने लगे थे और एक दूसरे के अंगों को पकड़कर देखने भी लगे थे।

    उस दिन के बाद से मैं अपने रूम में आशू के सामने ही कपड़े बदल लेती थी, नंगी हो जाती थी। आशू भी मेरे सामने ही अपने कपड़े बदल लेता था।

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    जैसा मैंने बताया था कि मुझे रात को सोते वक्त नंगी होकर सोना ज्यादा पसंद है। दिसम्बर का महीना था ठण्ड पड़ रही थी, मैं नंगी होकर रजाई में लेटी थी, आशू नीचे पापा के साथ टीवी देख रहा था। कुछ देर तक टीवी देखने के बाद वह ऊपर सोने के लिए आया.

    मैं जाग रही थी, आते ही वह रजाई में घुस कर मुझसे चिपक गया। रजाई में घुसने पर उसको पता चल गया कि मैं नंगी हूँ, वह अपने हाथ मेरे ऊपर फिराने लगा। वह मेरे मम्मों को टटोल रहा था.
    आशू को मेरे मम्मों से ज्यादा प्यार है.

    मेरा भाई मेरे निप्पल को उमेठ रहा था, मैंने पूछा- ऐसा क्यों कर रहा है?
    तो वह बोला- दीदी, मुझे आपका दूध पीना है।
    मैंने कहा- मुझे अभी दूध नहीं आता!
    तो वह बोला- क्यों? आपको दूध क्यों नहीं आता दीदी?

    तब मैंने उसको दूध आने की पूरी प्रक्रिया बताई।
    मेरी बात सुनने के बाद वह बोला- मुझे तो आपके दूध पीने हैं तो पीने हैं.
    मैं उसकी बचकानी बात पर हंसने लगी और बोली- ठीक है पी ले जैसी तेरी इच्छा।

    मेरे हां कहते ही आशू ने मेरे निप्पल चूसना शुरू कर दिया और बारी बारी से वह एक दुधमुंहे की तरह मेरे चूचियों को चूसता रहा, चूची चूसते चूसते कब उसे और मुझे नींद आ गयी, पता ही नहीं चला।
    अब यही प्रक्रिया लगभग रोज होने लगी, अब आशू को बगैर मेरी चूची चूसे नींद ही नहीं आती थी. शायद मुझे भी अब चूची चुसाने की आदत पड़ गयी थी। लेकिन इस सब में सेक्स नाम की कोई चीज नहीं थी. यह तो भाई बहन का प्यार था.

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    धीरे धीरे हमारी उम्र बढती गयी अब मैं 23 साल की तथा आशू 18 साल का हो गया था।

    अब आशू जवान हो गया था तथा उसका नुन्नू अब 3 इंच से 6 इंच का हो गया था। मेरे शरीर का साइज़ भी अब बदल चुका था इन 5 सालो में जो चूचियां कभी 34 की हुआ करती थी वह अब 36 की हो गयी थी। अब मेरा साइज़ 36-30-34 की हो गयी थी, मेरे सगे भाई ने मेरी चूचियां चूस चूस के बड़ी कर दी थी। इतनी चुसाई होने के बाद भी मेरे मम्में अभी भी पूरी तरह से टाइट थे, देखने में लगता था जैसे दो गोल गोल खरबूजे लटक रहे हो बिल्कुल हॉरर माडल डैनी डीवाइन की तरह।

    एक दिन मैं घर पर अकेली थी, पापा स्कूल पढ़ाने गए थे, मम्मी भी मामा के यहाँ गयी थी और आशू स्कूल गया था। मैं घर का सब काम निपटा के नहाने चली गयी, नहाने से पहले मैंने पूरे शरीर पर वैक्स किया था।
    नहाकर मैं नंगी ही वापस कमरे में गयी और बाल सुखाकर तथा मेकअप करके घर में उसी अवस्था में घूमने लगी। कुछ देर टीवी देखा और वहीं पर नंगी ही सो गयी.

    नींद में ही डोरबेल की आवाज सुनाई पड़ी तो मेरी आँख खुली। मैंने कीहोल से बाहर देखा तो आशू था, मैंने कपड़ा पहनना मुनासिब नहीं समझा और दरवाजा खोल दिया।
    जब वह अंदर आया तो मुझे नंगी देखकर बड़ा खुश हुआ, आशू तुरंत मेरी ओर लपक पड़ा। इससे पहले की वह मुझ तक पहुँचता, मैंने दरवाजा लॉक कर दिया, दरवाजा बंद होते ही वह मेरी चूचियों पर टूट पड़ा।
    आशू बोला- दीदी, आपके दूध मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मन करता है हरदम इन्हें पकड़ के चूसता रहूँ।
    मैंने भी झट से बोल दिया- तो चूसो … मना किसने किया है।
    आशू एक एक करके मेरे मम्मों को वही खड़े खड़े दबाने व चूसने लगा, मुझको भी मज़ा आने लगा।

    15-20 मिनट चूसने के बाद जब उसका मन भर गया तो उसने मेरे मम्मों को छोड़ दिया और मुस्कुराते हुए कमरे की ओर जाने लगा. मैं भी उसको देखकर मुस्कुरा रही थी। आज तक हमारे दरमियान कभी भी सेक्स की फीलिंग नहीं थी, हम दोनों ऐसा करते हुए एक अलग ही लेवल के आनंद में डूब जाते थे। ऐसा करते हुए मुझे लगता कि मैं एक माँ हूँ और अपने बच्चे को दूध पिला रही हूँ। आशू को अभी तक सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था, हाँ इतना जरूर था कि जब वो मेरी चूचियों को चूसता तो उसका नुन्नू जो अब एक लंड बन गया था, जरूर तन जाता था।

    जब भी उसका लंड तन जाता तो वह उसे पकड़ के मुझे दिखाता और कहता दीदी- ये देखो मेरे नुन्नू को क्या हो गया ये इतना बड़ा और मोटा हो गया।
    मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती और कहती- कुछ नहीं हुआ, अभी ठीक हो जायेगा.

    ऐसे ही चलता रहा, एक महीना बीत गया। अगस्त का महीना था एक रात को हम दोनों बिल्कुल नंगे लेटे लेटे बातें कर रहे थे उसका लंड तना हुआ था, वह उसको पकड़ के मुझे दिखाते हुए बोला- ऐसा क्यों होता है दीदी?
    तब मैंने उसे समझाते हुए सब कुछ बताया तथा यह भी बताया कि यह पुरुष और महिला के अट्रैक्शन के कारण होता है। यह उत्तेजना के कारण होता है।
    आशू बोला- इसको ठीक कैसे करते हैं?
    मैंने कहा- सेक्स करके या फिर अपने हाथ से!

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    फिर उसने मुझसे पूछा- ये सेक्स क्या होता है दीदी?
    तब मैंने उसको बताया- जब इस नुन्नू को किसी लड़की के (अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए) यहाँ पर डालते हैं तो उसको सेक्स करना कहते हैं।
    आशू फिर पूछने लगा- ये हाथ से कैसे होता है?
    तब मैंने उसको बताया- इसको मुट्ठी में पकड़ के आगे पीछे करते रहने से ये कुछ देर में शांत हो जाता है।

    आशू कहने लगा- दीदी, मुझे आपके साथ सेक्स करना है.
    मैंने उसे समझाया- ये सब भाई और बहन के बीच नहीं होता।
    मैंने कहा- आशू जब तुम्हारी शादी हो जाएगी, तब तुम अपनी पत्नी के साथ सेक्स करना।

    वह जिद करने लगा तो मैंने कहा- अच्छा इधर आओ, मैं अपने हाथों से तुम्हारे नुन्नू को शांत कर दूँ।
    वह मेरे पास आ गया, मैंने उसको खड़ा होने को कह दिया वह मेरे चेहरे के सामने खड़ा हो गया। मैं घुटनों के बल बैठ गयी तथा उसके लंड को अपने हाथो में पकड़ा और आगे पीछे करते हुए हिलाने लगी, वह धीरे धीरे मदहोशी में खो गया और आँखें बंद कर ली।

    आँखें बंद करके वह आहें भरने लगा- सस.. सस आह… उह.. सस एस्स.. आह दीदी, बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसे ही करती रहो।
    तकरीबन 15-20 मिनट लंड हिलाने के बाद उसका लंड फूल गया.

    इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसके लंड से पिचकारी निकली जो सीधे मेरे माथे से जा टकराई, मैं संभल पाती इससे पहले दूसरी पिचकारी निकली जो मेरे होठों पर जा गिरी, फिर उसके लंड ने मेरी चूचियों पर अपना बचा हुआ माल उलट दिया, धीरे धीरे आशू का लंड झटके खा खा कर शांत हो गया।

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    अब मैंने अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराई जहां आशू का माल गिरा था, मुझे उसका स्वाद नमकीन सा लगा जो थोड़ा अजीब था पर टेस्ट अच्छा था तो मैं पूरा चाट के साफ़ कर गयी।
    आज आशू पहली बार झड़ा था तो माल भी बहुत ज्यादा निकला था जो मेरी चूचियों पर साफ़ देखा जा सकता था।

    झड़ने के बाद आशू वही बेड पर लेट गया उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी।

    कुछ देर बाद जब उसकी आँखें खुली तो वह बहुत खुश दिखाई दे रहा था।
    मैंने पूछा- कैसा लगा?
    तो वह बोला- बहुत मज़ा आया।

    अब हम दोनों भाई बहन वहीं बेड पर लेटे लेटे जो कुछ हुआ उसके बारे में बातें करने लगे।

    कुछ देर बात करने के बाद आशू बोला- दीदी, अब मेरा नुन्नू आप रोज हिलाना, आज मुझे बहुत अच्छा लगा।
    मैंने उसको समझाया- ये रोज रोज करना अच्छा नहीं है अभी से, अभी तुम छोटे हो सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।
    मेरी यह बात उसको अच्छी नहीं लगी।

    कुछ देर चुप रहने के बाद आशू नाराज होते हुए बोला- अगर आप को नहीं करना तो ना करो, मैं खुद ही कर लूँगा।
    मैंने उस टाइम उसको तसल्ली दिला दी- ठीक है, मैं ही कर दूंगी, पर अभी सो जाओ रात बहुत हो गयी है।

    सुबह हम दोनों सोकर उठे, फ्रेश होने के बाद हम दोनों साथ में नहाये। आशू नाश्ता करके स्कूल चला गया, कुछ देर बाद मैं भी कॉलेज चली गयी।
    रात को वह मेरे पास आया और अपने कपड़े निकाल के बिस्तर में घुस गया। मैं पहले से ही नंगी रजाई के अंदर पड़ी थी, रजाई में घुसते ही उसके हाथ मेरी चूचियों पर टहलने लगे। कुछ देर मेरी चूचियों को दबाने के बाद वह एक एक करके उन्हें चूसने लगा।

    अनायास ही मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया जो अब पूरी तरह से तन गया था।

    आशू मेरी चूचियों को दबा दबा के चूस रहा था जिससे आज मेरी भी उत्तेजना जाग गयी थी, मुझे भी मज़ा आने लगा था। जोश में मैं भी उसके लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगी, आशू की सिसकारियाँ निकलने लगी- आह.. हम्म… उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स्स्स… ऊह्ह… ओह्ह… दी… दी… आह। बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही करती जाओ।
    आज तो मेरा भी मन डोल गया था, अब मेरे अंदर की वासना हिलोरें लेने लगी थी। मैं खुद को ना रोक पाई और रजाई में मैं आशू के लंड के पास पहुँच गयी थी।

    लंड के पास पहुंचते ही मैंने तपाक से उसको मुंह में भर लिया और चूसने लगी। आशू अपने लंड पर मेरे होठों का स्पर्श होते ही चिहुँक पड़ा और बोला- ओह दीदी, ये क्या किया आपने … बहुत मजा आ रहा है। ऐसे ही चूसती रहो, मैं तो जन्नत की सैर कर रहा हूँ दीदी।

    मैं भी पूरी पोर्न फिल्मो को रंडियों की तरह अपने भाई का लंड चूसे जा रही थी, मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था. अब मैं एक हाथ से लंड पकड़ के चूस रही थी तथा एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी।
    10-12 मिनट लंड चूसने के बाद आशू को उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और उसने मेरे मुंह में ही पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी, मेरा मुंह उसके लंड के माल से भर गया जिसे मैं पूरा गटक गयी।

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    इसी दौरान मैं भी भाई के लंड का पानी पीने की उत्तेजना में मैं भी झड़ने लगी। मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी- आह… ह्म्म्म… यस्सस… ओह्ह्ह… आशूशूशू… य्म्म्म!

    अब यही प्रक्रिया रोज रोज होने लगी आशू मुझसे अपना लंड चुसा के मजा लेता और मैं अपनी उँगलियों से खुद को शांत कर लेती। हमें जब भी मौका मिलता हम दोनों नंगे होकर अपने काम में लग जाते। अब तो मुझे आशू के लंड के पानी लत लग गयी थी, घर का कोई ऐसा कोना नहीं बचा था जहां पर मैंने आशू का लंड न चूसा हो। यहाँ तक की घर के बाहर लॉन में भी मैंने उसके लंड को चूस के शांत किया था।
    मैं ऐसे ही 2-3 महीनों तक अपने भाई का लंड चूसती रही। हम दोनों बहुत खुश थे।

    मेरी कहानी कैसी लगी, मेल जरूर कीजियेगा।

  • देवर ने की भाभी की चूत चुदाई

    दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार, मेरा नाम सुनीता है. मैं थोड़ी प्यासी औरत हूँ. वैसे मेरे पति तो मुझे चोदते ही हैं लेकिन मुझे और ज्यादा चुदवाने का मन करता है. मेरा अन्दर बहुत सेक्स है. मेरे पति जब भी मुझे चोदते हैं तो वो जल्दी झड़ जाते हैं जबकि मैं और सेक्स के लिए तड़पती रहती हूँ.
    मेरी सेक्स की तड़प ने ही मुझे अपनी चूत में उंगली करने के लिए मजबूर कर दिया और मैं अपनी चूत में उंगली करके अपनी चूत को शांत करती हूँ. मेरा मन जब नहीं लगता है तो कभी कभी अन्तर्वासना सेक्स कहानियां पढ़ती हूँ जिससे मुझे बहुत अच्छा लगता है.

    मैं आप अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रही हूँ जो मेरे और मेरे देवर की है.
    जब पति से चुदकर मेरी चूत को शांति नहीं मिली तो मैं अपने देवर से अपनी चूत शांत करवाने लगी. वो भी क्या दिन थे जब मैं अविवाहिता थी तो मुझे बहुत लंड मिलते थे चुदवाने के लिए … लेकिन ससुराल में तो डर लगता है. किसी का लंड अपनी चूत में लेने से! अगर मेरे ससुराल वालों को पता चल गया तो कितनी बदनामी होगी.
    वैसे मैं मौका देख कर किसी न किसी को पटा लेती हूँ और उससे चुदवा लेती हूँ. ज्यादातर लोग तो मुझे ही पटाते हैं मुझे चोदने के लिए. और मैं भी अपने जिस्म का बहुत ध्यान रखती हूँ.

    मेरे पति थोड़ा पैसा भी कम कमाते हैं और मेरा देवर मेरे पति से ज्यादा पैसा कमाता है. वैसे मुझे यह पता था कि मेरा देवर मुझे शुरू से ही पसंद करता था क्योंकि वो हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ बाजार से लाता रहता था, मुझे त्योहार पर उपहार भी देता था.
    मैं अपने देवर को कभी गलत नजरिये से नहीं देखती थी. मैं भी अपने देवर को बहुत मानती थी. मेरे पति मुझे अच्छे से नहीं चोद पाते थे या मैं ही थोड़ा ज्यादा चुदासी थी कि मुझे अपने पति के लंड के अलावा भी दूसरे के लंड से चुदवाने का मन करता था.

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    मैं अपने देवर से पहले से ज्यादा बातें करने लगी. मैं जब भी अपने देवर को सुबह में चाय देने जाती थी तो उनका खड़ा लंड देखती थी.

    एक दिन देवर ने मुझे उनका खड़ा लंड देखते हुए देख लिया और बोले- भाभी क्या हुआ, आपको कुछ चाहिए?
    मेरे देवर अपने लंड की तरफ देख कर मुझसे बातें कर रहे थे. मेरे देवर ने पहली बार मुझसे डबल मीनिंग में बात की थी.

    अब तो उसी दिन से हम दोनों लोग गंदे गंदे मजाक करने लगे. अब तो मेरे पति जब जॉब करने जाते थे तो मैं घर का सारा काम करके अपने रूम में आराम से सोती थी. दोपहर में मेरा यही काम था कि मैं दोपहर में सोती थी.

    एक दिन मैं दोपहर में अपने रूम में सो रही थी. उस दिन मेरे देवर अपने जॉब पर नहीं गए थे. मैं सोते समय अपनी साड़ी खोल एक ब्लाउज और पेटीकोट में सोती हूँ. इससे मुझे सोने में आराम रहता है और नींद भी अच्छी आती है. मैं रात को भी ब्लाउज और पेटीकोट में ही सोती हूँ.
    मैं अपने रूम में दोपहर को सो रही थी और मेरी पेटीकोट मेरे जांघों तक आ गयी थी. मेरी पेंटी दिख रही थी और मैं सो रही थी. मेरा देवर मेरे कमर में आकर मेरी पेंटी को देख रहे थे. मैं जब थोड़ा नींद में उठी तो देखा कि मेरा देवर मेरी पेंटी को बहुत ध्यान से देख रहा है.

    मैंने अपने देवर की तरफ देखा तो मेरा देवर मुझे देख कर मुस्कुराने लगा और बोलने लगा- भाभी, आप सोते समय बहुत सेक्सी लगती हो. आप कभी मेरे साथ भी सो लिया करिए.
    मैं अपने देवर की डबल मीनिंग बात समझ गयी. मैं समझ गयी कि मेरा देवर भी मुझे चोदना चाहता है. मेरी उभरे हुए चुचे और बड़ी गांड जो थोड़ी सी उभरी हुई है.

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    मेरा देवर मेरे जिस्म को देख कर दीवाना हो गया. मेरा देवर मेरे जिस्म की तारीफ करने लगा- भाभी आप बहुत सुन्दर हो. भईया तो आपको खूब रात में प्यार करते होंगे.
    मैं यह बात सुनकर थोड़ा उदास हो गयी क्योंकि मुझे अपने पति से चुदाई का सुख नहीं मिल पाता था जैसा मैं चाहती थी. वैसा मेरा पति मुझे नहीं चोदता था.

    मेरे देवर मेरे पास आया और बोला- भाभी क्या बात है. आप मुझे बताओ मैं हूँ न आपकी सहायता करने के लिए!
    मैंने अपने देवर को बताया- मेरे पति को अब ज्यादा मुझमे रूचि नहीं है. मेरे पति अब मुझसे ज्यादा प्यार नहीं करते हैं जैसा वो पहले करते थे.

    मेरा देवर यह बात सुनकर बोला- भाभी मैं हूँ ना आपका देवर … मैं आपसे प्यार करूँगा.
    मैं और मेरा देवर हम दोनों लोग एक दूसरे से नज़रें मिलाकर बात कर रहे थे. मेरा देवर मुझे देख कर थोड़ा हवस भरी नजरों से मुझसे बातें कर रहा था.
    मेरे सास और ससुर दोनों लोग बाहर गए हुए थे.

    मेरा देवर मुझसे बातें करते करते मुझे किस करने लगा. मैं भी अपने देवर के बालों में अपना हाथ फिराने लगी और हम दोनों लोग एक दूसरे को किस करने लगे. हम दोनों लोग एक दूसरे को बहुत अच्छे से किस कर रहे थे और मेरा देवर मेरे होंठों को चूस रहा था. मेरा देवर मुझे किस करते करते मेरी चूची को मेरे ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा.

    मैं भी अब चुदासी हो गयी थी और मेरे अन्दर की सेक्स की बहार आ गयी थी. मेरे देवर ने मेरी ब्लाउज निकाल दी और उसके बाद वो मेरे ब्रा को भी निकाल कर मेरी बड़ी बड़ी चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. मेरे पति तो मेरी चूची को ठीक से चूसते भी नहीं थे.

    मेरे देवर ने मेरी दोनों चूची को बहुत देर तक चूसा और उसके बाद वो मेरी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, मेरी पेटीकोट को निकाल दिया और मैं उसके सामने बस एक पेंटी में थी. मेरा देवर भी अपने कपड़े निकालने लगा और वो भी कुछ देर के बाद नंगा हो गया.

    देवर ने मेरी पेंटी को निकाल कर मुझे एकदम नंगी कर दिया और मुझसे बोलने लगा- भाभी, मैं आपको बहुत पहले से पसंद करता था लेकिन आपके साथ ये सब करने की हिम्मत नहीं होती थी. मैं आपको बहुत पहले ही चोदना चाहता था. मेरा भाई बहुत किस्मत वाला कि उसको आप जैसे खूबसूरत बीवी मिली है.

    मेरा देवर मेरी चूत को सूंघने लगा लगा और मेरी चूत को सूंघने के बाद वो मेरी पेंटी को भी सूंघने लगा. मेरा देवर मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा. वो मेरी चूत की दरार को बहुत देर तक अपनी जीभ से चाटता रहा और उसके बाद वो मेरी चूत को खोलकर मेरी चूत को अन्दर तक चाट रहा था. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी, मेरा देवर मेरी चूत के पानी को पी रहा था और मेरी चूत को चाट रहा था.

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    मेरे देवर ने मेरी चूत को बहुत देर तक चाटा जिससे मेरे अन्दर की सेक्स की आग बाहर निकल गयी और मुझे अपने देवर से चुदवाने का मन करने लगा. मैं अपने देवर को बोलने लगी- आप मेरी चूत कब तक चाटोगे? मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोदो! प्लीज मुझे अब मत तड़पाओ.

    मेरा देवर मेरी चूत को चाट रहा था और मेरी चूत से अब थोड़ा ज्यादा पानी निकलने लगा और मैं एक बार झड़ गयी.

    मेरा देवर मेरी चूत चाटने के बाद अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा. मेरी चूत के पानी से मेरे देवर का लंड भी भीग गया था और उसके बाद मेरे देवर ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. मेरे देवर का लंड मेरी चूत में जाते ही मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मेरी प्यासी चूत को लंड मिल गया था और हम दोनों लोग सेक्स करने लगे. मेरा देवर मेरी गर्दन पर किस कर रहा था और मेरे गर्दन को चाट रहा था. मेरी देवर मुझे चोदते चोदते मेरी चूची चूस रहा था.

    हम दोनों लोगों का कामुक जिस्म एक दूसरे से मिल रहा था. मैं क्या बताऊँ कि मुझे अपने देवर से चुदवाने में कितना मजा आ रहा था. वो भी बहुत जोश से मुझे चोद रहा था. मैं उसके नीचे थी वो मेरे ऊपर था और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था.

    चुदाई से हम दोनों की आवाज भी निकल रही थी. जब उसका लंड मेरी चूत में जा रहा था तो चट चट की आवाज आ रही थी. हम दोनों की चुदाई से पूरे कमरे में गर्मी हो गई थी.

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    अचानक मेरे देवर ने मुझे चोदते चोदते अपना लंड बाहर निकल दिया और अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया और मैं अपने देवर के लंड को चूसने लगी. मैं अपने मुलायम होंठों से अपने देवर का लंड चूस रही थी और वो मुझे अपना लंड चुसवा रहा था और अपनी आँखें बंद करके लंड चुसवाने का मजा ले रहा था.

    कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मेरे देवर ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगा. हम दोनों चुदाई कर रहे थे और हम दोनों के पसीने से बिस्तर भी भीग गया था. साथ में बिस्तर भी गर्म हो गया था. इस बार मेरा देवर मुझे बहुत ताकत के साथ चोद रहा था. वो अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल रहा था और बाहर निकाल रहा था.

    हम दोनों लोग सेक्स करते करते थोड़ा थक गए लेकिन हम दोनों की सेक्स करने की आग और बढ़ती जा रही थी. हम दोनों चुदाई करते करते एक दूसरे के होंठों को भी कभी कभी चूस रहे थे. मेरा देवर मुझे चोद रहा था और मैं कामवासना भरी आवाजें निकाल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

    हम दोनों देवर भाभी एक दूसरे को जोर से पकड़ कर चुदाई कर रहे थे. मेरा देवर मुझे जोर जोर से चोदने लगा और मैं अपनी गांड उछाल उछाल कर अपने देवर से चुदवाने लगी. हम दोनों लोग चुदाई करते करते चरम सीमा पर पहुँच गए और हम दोनों चुदाई करते करते झड़ गए. हम दोनों का पानी निकल गया और हम बिस्तर पर थक कर सो गए.
    हम दोनों की कब नींद लग गयी, हमें पता भी नहीं चला.

    अब हम दोनों लोग शाम को सो कर उठे, चुदाई करने के बाद मैं बहुत फ्रेश महसूस कर रही थी. मैं जल्दी से अपनी साड़ी पहनने लगी क्योंकि अब मेरे सास ससुर का आने का समय हो गया था. मेरे सास ससुर खेत में काम करने जाते हैं और शाम को घर आते हैं. मैंने और मेरे देवर ने एक दूसरे को किस किया और उसके बाद अपने अपनी साड़ी पहन कर घर का काम करने लगी.

    उस दिन के बाद से तो मैं और मेरा देवर हम दोनों का जब भी चुदाई करने के मन करता था और जब भी हम दोनों घर में अकेले रहते थे तो चुदाई करते थे. मेरा देवर कभी कभी रात में मुझे बाहर बुलाकर मेरी चूची चूसता था और मेरी चूत में उंगली करता था.

    मेरी चूत तो हमेशा लंड लेने के लिए तैयार रहती है और जब हम दोनों को चुदाई करने के मौका नहीं मिलता था तो हम दोनों लोग रात छत पर जाकर चुदाई करते थे. मेरा देवर मुझे छत पर ले जाता था और मुझे छत पर चोदता था.

    आप सब को मेरी चुदाई की कहानी कैसी लगी. आप मुझे मेल करके बतायें. आप मेरी कहानी पर फीडबैक देंगे तब भी मुझे पता चलेगा कि मेरी कहानी आपको कैसी लगी.

  • भाई के दोस्तों से एक साथ चुद गई

    हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम कविता है. आज में अपनी एक सच्ची घटना के बारे में बताने यहाँ आई हूँ और अब जो में कहानी आप लोगों को बताने जा रही हूँ यह मेरे साथ तब घटी जब मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता नहीं था, लेकिन उसके बाद मुझे बड़ा दुःख हुआ और अब में इस काम में बहुत अनुभवी हो चुकी थी. मुझे अपनी पहली चुदाई के समय बुरा तो बहुत लगा, लेकिन फिर मुझे भी उस ज़ोर जबरदस्ती में मज़ा आने लगा और अब आगे आप ही पढ़कर उसके मज़े ले.

    दोस्तों में बीस साल की एकदम गोरी चिट्टी लड़की हूँ. मेरे फिगर का आकार 34-24-34 है. मेरी आंखे भूरी रंग की बहुत नशीली है और मेरी लम्बाई 5.5 इंच है. दोस्तों मेरे पापा और भैया मुंबई में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते है और मम्मी भी नौकरी करती है. उनके चले जाने के बाद तो में अपने कॉलेज या घर में अकेली रहती हूँ. यह दो महीने पहले की बात है, उस दिन मम्मी को जल्दी सुबह उठकर अपनी नौकरी के लिए जाना था, हमारी वो नौकरानी ही हमारे लिए नाश्ता और दोपहर का खाना बनाती थी. रात का खाना हमेशा मेरी मम्मी ही बनाती थी.

    उन दिनों मेरे बी.टेक पहले साल के पेपर खत्म हो चुके थे, इसलिए में अब बिल्कुल फ्री हो चुकी थी. फिर उन्ही दिनों मेरा भैया का एक बहुत पक्का दोस्त शेरू मुंबई से दिल्ली अपने कुछ काम की वजह से आया हुआ था और उसके साथ उसके तीन दोस्त भी थे. उन तीनों का नाम विजय, केसरी और हरी था. फिर कुछ ही दिनों में हम सभी आपस में बहुत घुल चुके थे और हम सभी सारा दिन हंसी मज़ाक किया करते थे.

    एक दिन अचानक मम्मी ने मुझसे कहा कि मुझे अपनी दोस्त के साथ कानपुर जाना है, तब शेरू ने उनसे कहा कि चाची हम लोग नहीं जाएँगे चाहे तो आप चली जाओ, तब तक कविता भी हमारे साथ ही रह लेगी. फिर मैंने भी उनकी वो बातें सुनकर कहा कि हाँ मम्मी मुझे नहीं जाना तुम ही चली जाओ, में यहीं रहूंगी. मम्मी ने कहा कि ठीक है कमला भी यहीं तुम्हारे पास रहेगी. फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है.

    दूसरे दिन मेरी मम्मी पूरे तीन दिन के लिए कानपुर चली गयी, उस दिन मैंने लाल रंग का टॉप और काले रंग की स्कर्ट पहनी हुई थी, विजय ने मुझे देखा और वो मुझसे कहने लगा कि क्या बात है तुम आज बहुत ही सेक्सी लग रही हो? में उसके मुहं से यह बात सुनकर हंस पड़ी और फिर मैंने ध्यान से देखा कि उन सभी की नज़र मेरे बूब्स पर थी, इसलिए में अब थोड़ा सा शरमा गयी और इतने में कमला ने आवाज देकर कहा कि खाना तैयार है, तुम सब आ जाओ और खाना खा लो. फिर हम सभी ने साथ में बैठकर खाना खा लिया और खाना खाने के बाद कमला ने मुझसे कहा कि आज मुझे किसी काम की वजह से घर जल्दी जाना है, में रात को आकर खाना बना दूँगी. फिर शेरू ने उससे कहा कि कोई बात नहीं है, रात को हम लोग घूमने बाज़ार जा रहे है और इसलिए रात का खाना हम लोग बाहर ही खा लेंगे, तुम कल सुबह तक वापस आ जाना, यह बात सुनकर कमला बोली कि हाँ ठीक है और फिर कमला चली गयी.

    अब में एकदम हैरान हो गयी और में शेरू की तरफ देखने लगी, शेरू मुझसे बोला कि इसमे हैरान होने की कोई बात नहीं है, आज रात भर हम लोग बड़े मज़े करेंगे, मुझसे यह बात कहकर शेरू ज़ोर से हंसने लगा और साथ ही साथ उसके तीनो दोस्त भी हंसने लगे, लेकिन मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. में कुछ बातें सोचती हुई अपने रूम में चली गयी और अपनी एक किताब को उठाकर अलमारी में रखने लगी.

    तभी उसी समय मेरे पीछे से शेरू भी मेरे रूम में आ गया और वो किताब को ऊपर रखने में मेरी मदद करने लगा, में किताब को रख ही रही थी कि वो भी मेरे पीछे से आकर किताब को रखने लगा और तब मुझे एहसास हुआ कि कोई चीज़ मेरे कूल्हों को छू रही है, यह शेरू का ही बदन था वो अपना लंड मेरी गांड से घिस रहा था और मुझे उसके लंड का स्पर्श अंदर से बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन मैंने इस बात का उसको अहसास नहीं होने दिया. फिर शेरू ने मुझसे कहा कि आज हम लोग फिल्म देख रहे है और तुम भी हमारे साथ चलकर फिल्म देखो.

    दोस्तों में भी फिल्म की बहुत शौक़ीन थी, इसलिए में झट से शेरू के साथ उस बेडरूम में चली आई और उसके बाद केसरी ने सीडी को चालू कर दिया. फिर कुछ देर बाद मुझे देखकर पता चला कि वो एक इंग्लीश ब्लूफिल्म थी, इसलिए में उस ब्लूफिल्म को देखकर घबरा गयी और उसी समय शेरू ने मुझे अपने पास आकर बैठने को कहा, लेकिन में वापस भागकर अपने रूम में चली गयी. अब मेरे पीछे पीछे विजय भी मेरे रूम में आ गया और आते ही उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से वो मेरे बूब्स को दबाने लगा. उसके यह सब करने से में चिल्ला उठी. अब उसने मेरे गाल पर मुझे दो थप्पड़ मार दिए.

    उसके बाद वो मुझे अपनी गोद में उठाकर शेरू के बेडरूम में ले आया और बेड पर लेटा दिया, तब मैंने फिर से उठकर भागने की कोशिश की, तभी हरी ने दौड़कर बेडरूम का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और अब शेरू ने मुझसे कहा कि कविता तुम अब यह नाटक बंद करके हमारे साथ सेक्स के मज़े करो और अगर तुम अपनी मर्जी से नहीं करोगी तो हम लोगों को करवाना भी बड़ी अच्छी तरह से आता है. अब में यह बातें सुनकर डर की वजह से बुरी तरह से कांप रही थी और उसी समय हरी ने मुझे वापस बेड पर खींच लिया और उसने ब्लूफिल्म को चालू कर दिया.

    तब तक विजय अपनी शर्ट को उतार चुका था. उसके बाद केसरी ने मेरे टॉप को निकाल दिया और विजय ने मेरी स्कर्ट को एक ही झटके से उतारकर मेरे बदन से अलग कर दिया, जिसकी वजह से अब में उन सभी के सामने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी. शेरू, केसरी, विजय और हरी अब सिर्फ़ अंडरवियर में ही थे और वो सभी बेड पर आ गये और में उनके बीच में लेटी हुई थी. अब शेरू ने मुझे पकड़कर किस करना शुरू किया और थोड़ी देर तक किस करने के बाद उसने मेरी ब्रा की हुक को खोल दिया, जिसकी वजह से अब मेरे बूब्स एकदम आज़ाद हो चुके थे.

    हरी ने मेरे एक बूब्स को चूसना शुरू किया और शेरू ने भी मेरे दूसरे बूब्स को चूसना शुरू किया. दोस्तों में उनसे बार बार आग्रह कर रही थी कि प्लीज मुझे अब छोड़ दो, लेकिन उन्होंने मेरी एक ना सुनी और मेरे दोनों बूब्स को वो दोनों किसी छोटे बच्चे की तरह चूसते हुए दबा रहे थे, जिसकी वजह से कुछ देर बाद मेरे अंदर का जोश धीरे धीरे जागने लगा था. मुझे उनका वो सब करना अच्छा लगने लगा था, लेकिन जब मुझे होश आता तब मेरा मन कहता कि यह सब गलत है मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए, लेकिन में यह बातें सोचकर भी शांत ही रही और थोड़ा बहुत विरोध बार बार करती रही.

    अब केसरी ने एक झटके से मेरी पेंटी को उतार दिया, जिसकी वजह से अब में एकदम नंगी हो चुकी थी. उसके बाद केसरी ने अपने एक हाथ से मेरी कुंवारी चूत को सहलाना शुरू किया और विजय ने अपनी अंडरवियर को उतार दिया और विजय का लंड देखकर तो मेरी सांसे अटक गयी. फिर उसने मुझसे कहा कि तुमको मेरा यह लंबा और मोटा लंड पूरा आज अपनी इस कुँवारी चूत के अंदर लेना पड़ेगा और में यह बात उसके मुहं से सुनकर एकदम डर गयी और मन ही मन सोचने लगी कि यह इतना बलशाली लंड मेरी छोटी चूत के अंदर जाएगा कैसे, मुझे इसकी वजह से कितना दर्द होगा? इन्ही बातों ने मेरा पसीना छुड़ा दिया. में बिल्कुल घबरा गई और मेरा पूरा चेहरा लाल हो चुका था. फिर मेरे देखते ही देखते वो सभी एकदम नंगे हो चुके थे और उन सभी का लंड एक से बढ़कर एक था.

    अब हरी ने हंसते हुए मुझे कहा कि साली आज यह चार लंड तेरी चुदाई करने के लिए बहुत बेताब है, तुझे इन सभी का मज़ा मिलने वाला है तू कितनी किस्मत वाली है जो पहली बार ही चार लंड लेने जा रही है. अब विजय ने जबरदस्ती अपने लंड को मेरे मुहं में डाल दिया और वो मेरे एक बूब्स के साथ खेलने लगा. तभी थोड़ी ही देर के बाद उसने मेरे मुहं में अपना लंड हल्के धक्के देते हुए अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और अब केसरी किसी पागल कुत्ते की तरह मेरी चूत को अपनी जीभ से चाट रहा था. में भी अब पूरी तरह से जोश में आ चुकी थी और मुझे भी उनके साथ यह सब करके बड़ा मज़ा आने लगा था.

    फिर हरी और शेरू ने मुझसे अपना लंड सहलाने को कहा और में उन दोनों का लंड बिना किसी विरोध के सहलाने लगी. उधर विजय मेरे मुहं में ही एक बार झड़ चुका था. मैंने उसका वीर्य अपने मुहं से बाहर थूकना चाहा, लेकिन उसने मुझे थूकने नहीं दिया और वो मुझसे कहने लगा कि तुम यह सारा पानी पी जाओ. फिर मैंने डर की वजह से उसके लंड का सारा पानी पी लिया, शेरू अभी भी मेरे बूब्स को मसल रहा था. उसके हाथों का स्पर्श मेरे जिस्म को गरम करने का काम कर रहे थे.

    अब विजय ने अपना लंड मेरे मुहं से बाहर निकाला और उसके बाद वो मेरी जीभ को चूसने लगा. उसने अपने एक हाथ से मेरे सर को सहलाना शुरू किया, जिसकी वजह से में और भी ज़्यादा गरम हो गयी और मेरी चूत से अब पानी निकल रहा था. दोस्तों वो सभी अपने अपने काम को बड़े मन से कर रहे थे वो बड़े अनुभवी थे और फिर केसरी ने पूछा कौन सबसे पहले कविता की चुदाई करेगा? तब हरी ने कहा कि यह शेरू के दोस्त की बहन है इसलिए शेरू ही सबसे पहले कविता की कुँवारी चूत की चुदाई करेगा, यह उसका हक है. अब शेरू यह बात सुनकर खुश होता हुआ मेरे पास आ गया और उसके बाद विजय ने मेरे एक बूब्स को और हरी ने मेरे दूसरे बूब्स को चूसना सहलाना शुरू कर दिया और केसरी अपना लंड मेरे मुहं में डालकर अंदर बाहर कर रहा था और उसी समय शेरू ने नीचे झुककर मेरी चूत को अपनी जीभ से किसी भूखे कुत्ते की तरह चाटना चूसना शुरू कर दिया.

    दोस्तों मेरा पूरा जिस्म एक साथ चार लड़को से घिरा हुआ था और वो सभी मेरे बदन को अपने काम से गरम किए जा रहे थे. में जोश और मस्ती के सातवें असमान पर पहुंच चुकी थी और में जोश में आकर सिसकियाँ लेते हुए आहह ओह्ह्ह्ह स्सीईईईई वो आवाजे निकाल रही थी और थोड़ी देर तक मेरी चूत को चाटने के बाद शेरू ने अपना सात इंच का लंड मेरी चूत के बीच में रखा और उसको अंदर दबाना शुरू किया, कुँवारी होने की वजह से मेरी चूत बहुत ही टाइट थी, इसलिए शेरू ने जैसे ही थोड़ा सा अपना दम लगाया तो मुझे बहुत तेज़ दर्द हुआ और में दर्द की वजह से चिल्लाने लगी.

    फिर हरी ने मेरा दुःख समझकर शेरू से कहा यार थोड़ा धीरे धीरे डालो यह अभी कुँवारी है और इसकी चूत बहुत टाइट है देखो इसको बहुत दर्द हो रहा है यह मर जाएगी. अब शेरू ने एक हल्का सा धक्का दिया तो उसका लंड मेरी चूत में एक इंच अंदर चला गया, लेकिन मेरी तो दर्द की वजह से ऊउईईईईईइ आईईईइ माँ मर गई चीख निकल गयी और मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी ने गरम लोहा मेरी चूत में जबरदस्ती पूरा अंदर डाल दिया गया हो.

    अब हरी ने बिना देर किए मेरे होठों को अपने होंठों से जकड़ लिया, जिसकी वजह से मेरी आवाज़ बाहर ना निकले और में दर्द से लगातार छटपटा रही थी, क्योंकि यह ऐसा दर्द मुझे पहली बार हुआ था, जो कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. जैसे आज मेरी चूत को किसी ने चीरकर उसमे जलन को पैदा कर दी थी. बड़ा ही अजीब दर्द मुझे हुआ, जिसको में किसी शब्दों में नहीं बता सकती. अब शेरू ने कुछ देर रुकने के बाद एक बार फिर से ज़ोर लगाया, जिसकी वजह से उसका लंड तीन इंच अंदर चला गया.

    मुझे बहुत तेज़ दर्द होने लगा और में चिल्लाना चाहती थी, लेकिन हरी ने अपने होठों से मेरे होठों को सील कर रखा था, इसलिए में चिल्ला ना सकी और में अब रोने लगी थी और मेरी आखों से आँसू बहने लगे. मैंने छूटने की नाकाम कोशिश को करना शुरू किया, लेकिन में सफल नहीं हुई और एक को छोड़कर बाकि के मेरे दर्द को कम करने के लिए मेरे पूरे जिस्म को सहला रहे थे. अब शेरू ने मुझे ठंडा होता हुए देखकर एक बार फिर से ज़ोर लगाया. मुझे लगा जैसे कि अब मेरी जान ही निकल जाएगी और उसका लंड मेरी चूत के अंदर पहले से ज्यादा घुस चुका था और जबरदस्ती धक्के की वजह से मेरी चूत से खून भी निकल आया.

    फिर शेरू मेरी हालत को देखकर अब थोड़ी देर रुका रहा और फिर उसने अचानक से दोबारा एक ज़ोरदार धक्का मार दिया, जिससे मुझे बहुत तेज़ दर्द हुआ और यह दर्द मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था. वो बड़ा अजीब सा था, क्योंकि शेरू का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर जा चुका था, क्योंकि में उसके दोनों आंड को अपनी जांघ के पास छूकर महसूस कर रही थी. अब शेरू ने रुककर मेरे बूब्स को मसलना शुरू कर दिया और जब में कुछ शांत हुई तो उसने अपना लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से में फिर से चिल्ला उठी और मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई चाकू से मेरी चूत को काट रहा था.

    शेरू ने मुझसे कहा कि तुम बिल्कुल घबराओ मत, अभी थोड़ी देर में यह सब ठीक हो जाएगा और तुमको भी बड़ा मज़ा आएगा. फिर इतना कहने के बाद से शेरू ने अपने धक्को की स्पीड को बढ़ा दिया, जिसकी वजह से मुझे एक बार फिर से दर्द होने लगा, लेकिन थोड़ी देर तक चुदवाने के बाद मेरा दर्द भी अपने आप कम हो गया और मुझे अब मज़ा आने लगा था. मेरे मुहं से अब सेक्सी आवाजे निकलने लगी और जोश की वजह से मेरे अंदर एकदम आग सी लग चुकी थी, इसलिए मैंने भी अब शेरू का साथ देना शुरू कर दिया. फिर शेरू ने यह सब देखकर खुश होते हुए अब बहुत तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करना शुरू कर दिया था. करीब 15 मिनट तक मुझे वैसे ही चोदने के बाद शेरू चिल्लाया ऑश कविता में आह्ह्ह झड़ रहा हूँ और में अपनी गांड को उठा उठाकर शेरू से अपनी चुदाई करवा रही थी.

    दोस्तों मैंने कभी किसी के साथ अपनी चुदाई का यह खेल नहीं खेला था, इसलिए में अब तक उसका मतलब ठीक तरह से नहीं समझ सकी और मुझे क्या पता था कि इस खेल को खेलने के बाद इतना मज़ा भी आता है और तभी मेरी चूत में शेरू के लंड से कुछ गरम गरम सा निकलने लगा और साथ ही साथ मेरी चूत ने अपना वीर्य निकालना शुरू कर दिया. मुझे यह पानी महसूस करने से बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था. में अब ख़ुशी के सातवें आसमान पर थी और ढेर सारा वीर्य मेरी चूत में निकालने के बाद शेरू ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और वो मुझसे दूर हट गया.

    दोस्तों में अभी ठीक तरह से संभल भी नहीं सकी थी कि केसरी ने मेरे दोनों पैरों को पूरा खोलकर मेरी चूत में एक झटके से ही अपना आधे से ज़्यादा लंड डाल दिया. मुझे थोड़ा सा दर्द जरुर हुआ, लेकिन मुझे अब मज़ा भी बहुत आ रहा था. केसरी ने फिर एक ज़ोरदार धक्का मारा और अपना सारा लंड मेरी चूत के अंदर घुसा दिया. उसके बाद केसरी ने बड़ी तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और में भी उसका साथ देने लगी थी. उस समय शेरू मेरे बूब्स को मसल रहा था और उसने मुझे चूमते हुए कहा कि वाह कविता तू तो बहुत ही जल्दी चुदाई करवाना सीख गयी. देख अब तुझे भी इस काम में बड़ा मस्त मज़ा आने लगेगा. उधर विजय मेरे मुहं में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था और केसरी तो मेरी गरम गीली चूत को चोदते हुए एकदम पागल सा हो चुका था और वो अपनी पूरी ताकत के साथ बहुत ही तेज़ी से मुझे चोद रहा था, जिसकी वजह से मेरा पूरा बदन हिलने लगा था.

    फिर करीब दस मिनट तक एक जैसे धक्के देकर चुदाई करने के बाद वो भी झड़ गया, लेकिन में अभी भी उतनी ही गरम थी और उस चुदाई के दौरान में दो बार पहले ही झड़ चुकी थी. फिर केसरी के पीछे हट जाने के बाद हरी ने मुझे चोदना शुरू किया. मैंने महसूस किया कि हरी का लंड उन सभी के मुक़ाबले पतला और आकार में भी छोटा था. उसका लंड केवल पांच इंच का था. अब हरी ने भी जोश में आकर ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर मुझे चोदना शुरू किया.

    में हर धक्के से बड़े मस्त मज़े लेकर उससे चुदवा रही थी और उसका साथ भी दे रही थी. अब विजय मुझे चूम रहा था और वो मेरे बूब्स को भी मसल रहा था कुछ सेकिंड के बाद हरी ने अपनी स्पीड को पहले से भी तेज कर दिया, जिसकी वजह से में एकदम मस्त हो गयी और में अपने कूल्हों को उठा उठाकर उसका साथ देने लगी थी. फिर करीब दस मिनट तक चोदने के बाद हरी भी मेरी चूत के अंदर ही झड़ गया और हरी से चुदाई करवाने के दौरान में केवल एक बार ही झड़ी. अब विजय से चुदाई करवाने की बारी थी, विजय मेरे दोनों पैरों के बीच में आ गया और उसने मेरे दोनों पैरों को पूरा फैला दिया, मेरी चूत अपना मुहं खोलकर विजय का मोटा लंबा लंड देख रही थी.

    फिर उसने अपना मोटा और लंबा लंड मेरी चूत के मुहं पर रख दिया और उसके बाद उसने मेरी कमर को पकड़कर जैसे ही एक धक्का लगाया तो मुझे बहुत दर्द होने लगा, जिसकी वजह से में फिर से चीख पड़ी, उसका आधा लंड अभी भी बाहर ही था. फिर उसने एक ज़ोर का धक्का मारा, लेकिन फिर भी उसका पूरा लंड मेरी चूत में नहीं गया. में दर्द से एकदम बेहाल होने लगी थी और उस समय शेरू केसरी और हरी मेरे बूब्स को मसलने में मस्त थे.

    अब विजय ने फिर से मेरी चूत में अपना पूरा लंड डालने की एक नाकाम कोशिश की, लेकिन उसका लंड मेरी चूत में नहीं घुसा और विजय ने मुझे बिना लंड निकाले ही उठा लिया और वो खुद नीचे लेट गया में अब उसके ऊपर थी. अब शेरू, केसरी और हरी ने मुझे ज़ोर से पकड़कर विजय के लंड पर दबा दिया ऐसा करने से उसका पूरा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया और में दर्द की वजह से चिल्लाने लगी, लेकिन फिर भी उन तीनों ने मुझे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया उनके ऐसा करने से विजय का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर बाहर होने लगा था और थोड़ी ही देर के बाद मेरा दर्द बिल्कुल खत्म हो गया और मुझे बहुत मज़ा आने लगा.

    फिर कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद विजय ने मुझे कुतिया स्टाइल में कर दिया और वो मुझे चोदने लगा. वो मुझे बहुत ही तेज़ी के साथ धक्के देकर चोद रहा था और नीचे से वो मेरे बूब्स को भी मसल रहा था. में विजय के साथ चुदाई करवाने में सबसे ज़्यादा मज़ा ले रही थी, क्योंकि विजय से लगातार चुदवाते हुए मुझे करीब बीस मिनट हो चुके थे और में इस बीच दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन वो था कि अब भी झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.

    फिर करीब 15 मिनट और चोदने के बाद वो मेरी चूत में ही झड़ गया और साथ ही साथ में भी एक बार फिर से झड़ गयी और में एकदम थककर चूर हो चुकी थी. अब विजय ने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाला और में उसके लंड को चाटने लगी. मेरी चूत अभी भी दर्द कर रही थी और मैंने विजय का लंड चाट चाटकर एकदम साफ कर दिया और उसके बाद में उठकर बाथरूम में चली गयी. बाथरूम से आने के बाद हम सभी वैसे ही पूरे नंगे आराम करने लगे.

    फिर शाम के करीब चार बजे में किचन में जाकर चाय बनाने लगी तभी शेरू मेरे पीछे आ गया उसने मुझे किचन में ही कुतिया की तरह बैठा दिया और वो वहीं पर मेरी चुदाई करने लगा, इस बार मुझे शेरू से चुदाई करवाने में बहुत मज़ा आ रहा था और करीब 15 मिनट के बाद शेरू मेरी चूत में झड़ गया और इतने में केसरी भी किचन में आ गया और उसने भी मुझे बिना कोई मौका दिए चोदना शुरू किया जिसकी वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मेरी चुदाई की भूख और भी बढ़ गयी. फिर करीब 20 मिनट तक चोदने के बाद केसरी भी मेरी चूत में ही झड़ गया. अब तक में तीन बार झड़ चुकी थी कि तभी वहाँ हरी भी आ गया और उसने भी मेरी चुदाई करना शुरू कर दिया. उसने भी मुझे 25 मिनट तक तेज दमदार धक्के देकर चोदा और वो भी मेरी चूत में झड़ गया.

    में एक बार फिर से झड़ गयी. फिर उन तीनों के बाहर चले जाने के बाद मैंने चाय बनाई और में किचन से बाहर आ गयी. मेरी भूख अभी भी पूरी तरह से शांत नहीं हुई थी और चाय पीने के बाद में विजय का लंड चूसने लगी, जिसकी वजह से थोड़ी ही देर में उसका लंड पूरी तरह से तनकर खड़ा हो गया. उसने मुझे कुतिया स्टाइल में बैठाकर चोदना शुरू कर दिया और में बड़े मज़े ले लेकर विजय से अपनी चुदाई करवा रही थी.

    फिर विजय ने मुझे करीब 45 मिनट तक चोदा और फिर वो भी झड़ गया. विजय से चुदाई के दौरान में तीन बार झड़ चुकी थी और अपनी मम्मी के आने तक मैंने उन सभी के साथ मिलकर करीब बीस बार चुदाई के हर तरह से मज़े लिए और हर बार की चुदाई के बाद मेरी भूख कम होने की जगह पहले से ज्यादा बढ़ जाती. में उन सभी के लिए एक अनुभवी रंडी बन चुकी थी, जिसको वो जब चाहे जहाँ चाहे वैसे अपनी मर्जी से चोदकर अपने लंड को शांत करते जा रहे थे, लेकिन उनके यह सब करने से मेरी आग बढ़ती ही गई.

    मुझे और भी लंड चाहिए थे, मेरी चूत अब पूरी तरह से खुलकर भोसड़ा बन चुकी थी, जिसमे कितने भी मोटे लंबे लंड का अब कोई असर नहीं था, बस में धक्के खाकर चूत की खुजली को शांत करती रही और वो मेरी प्यास को बढ़ाते चले गए. दोस्तों फिर मेरी मम्मी के आ जाने के बाद यह सब बिल्कुल बंद हो गया, ना उन लोगों ने मुझे चोदने के बारे में कहा और ना ही में तैयार थी, मुझे बस अब अपने जिस्म को अपने वश में करना था और पांच दिन बाद वो सभी अपने घर वापस चले गये. में आज भी वो दिन नहीं भुला सकती, मैंने उनके साथ अपने जीवन के सारे मज़े बस उन्ही दिनों में ले लिए थे.