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  • भाई के साथ मस्ती

    नमस्कार दोस्तो, मैं रागिनी सिंह हाजिर हूँ आपके सामने अपनी पहली कहानी लेकर, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है जिसमें आपको भरपूर मज़ा मिलने वाला है। यह कोई कहानी नहीं बल्कि एक सच्चाई है जो की मेरे बारे में है। यह सच्ची कहानी बहुत बड़ी है जो की कई भागो में आप तक भेजी जाएगी।
    तो दोस्तों तैयार हो जाइये मेरी सच्ची कहानी पढ़ने के लिए।

    मेरा नाम रागिनी सिंह है मेरी उम्र 23 साल है मेरी फैमिली में मेरे पापा अजय सिंह (45 वर्ष) मेरी मम्मी अन्नू सिंह (43 वर्ष) और मेरा भाई आशू सिंह (18 वर्ष) है। मेरा परिवार दिल्ली में रहता है। मेरे पापा स्कूल टीचर हैं और मम्मी हाउसवाइफ है, मैं कॉलेज में एम एस सी की स्टूडेंट हूँ और मेरा भाई अभी 12वीं में है।

    आप सबको मैं अपने पुराने समय के बारे में कुछ बता दूं तो ज्यादा अच्छा होगा। बचपन में जब मैं 5 साल की थी तब मेरे भाई का जन्म हुआ, धीरे-धीरे समय बीतता गया अब मैं 10 की तथा मेरा भाई 5 साल का हो गया। वह बचपन से ही मुझे बहुत प्यारा लगता था, हम दोनों का कमरा एक ही था। वह देखने में जितना क्यूट था उतना ही नटखट भी था, अक्सर वह मुझसे लड़ता झगड़ता था। आशू मेरे सामान को हमेशा इधर उधर बिखेर देता था जैसे- मेरी किताबें, कपड़े आदि।
    अब वह स्कूल जाने लगा था घर पर मैं उसकी पढ़ने में मदद किया करती थी।

    धीरे-धीरे हम बड़े होते गए, मैं जवानी की दहलीज पर खड़ी थी और आशू अब 13 साल का हो गया था। पर उसके बड़े होने के साथ साथ उसकी शैतानियाँ भी बढ़ गयी थी, वह मुझे परेशान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था। अब मैं 18 की हो गयी थी, मेरी जवानी खूब निखर के आई थी मुझ पर। 18 की उम्र में 22 की लगती थी मेरे उरोजो में गजब की वृद्धी हुयी थी। 18 की उम्र में ही मेरा साइज़ 34-28-32 का हो गया था और अभी तक मैं कुंवारी थी पर सेक्स के बारे में पूरी जानकारी रखती थी। स्कूल में मेरी सहेलियां मुझसे मेरी जवानी देख के जलन रखने लगी थी। लड़के तो देख देख के ही आहें भरते थे, कइयों ने तो प्रपोज भी कर दिया था पर मुझे इन सब में कोई इंटरेस्ट नहीं था उस समय। मैं तो सिर्फ अपनी पढाई में ध्यान लगाये हुयी थी क्योंकि 12वीं बोर्ड का एग्जाम था।

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    घर पर अक्सर मैं कम्फर्टेबल रहना पसंद करती थी चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो जैसे- सोना, कपड़े पहनना आदि। मुझे ढीले कपड़े पहनना ज्यादा पसंद था, मैं घर पर अंडरगारमेंट बहुत कम पहनती थी। बिना अंडरगारमेंट के मैं बहुत अच्छा महसूस करती थी, सोते वक्त बिना कपड़ों के ही सो जाती थी। कपड़ों के बिना सोने का अपना ही मजा है और बिना अंडरगारमेंट के तो कुछ अलग ही आनंद है। कई बार तो मैं स्कूल में भी अंदर बिना कुछ पहने ही चली जाती हूँ, मेरे स्कूल का ड्रेस कोड है- नीले रंग का स्कर्ट जोकि घुटनों तक होता है, सफ़ेद रंग का शर्ट और धारीदार ग्रे कलर की टाई।

    एक दिन रविवार को घर पर मैं अपने कमरे में बैठकर पढ़ रही थी, तभी मेरा भाई आशू आया और मेरी किताबें इधर उधर करने लगा.
    मैंने उससे कहा- मुझे डिस्टर्ब न कर आशू, मुझे पढ़ने दे!
    पर वह मेरी बात को अनसुना करके अपनी शरारत में मस्त था।
    मैंने तेजी दिखाते हुए एक झटके से अपनी किताब उससे ले ली, ऐसा होते ही वह मुझ पर टूट पड़ा और मुझे गिराकर मेरे ऊपर बैठ गया तथा हाथापाई करने लगा। इस लड़ाई में उसके प्रहार से मैं अपने आप को बचा रही थी क्योंकि मैं उसे चोट नहीं पहुँचाना चाहती थी।

    वह मेरे मम्मों पर बैठा था जिससे वे एकदम से दबे हुए थे मुझे तकलीफ हो रही थी। लेकिन वह उठने का नाम ही नहीं ले रहा था आखिर मुझे हारकर अपनी किताब उसे देनी पड़ी तब जाकर वह मेरे ऊपर से हटा। अब जाकर मुझे राहत महसूस हुई.

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    मेरे बगल में बैठ कर वह मुझे जीभ निकाल कर चिढ़ा रहा था। ऐसी ही मासूम सी हाथापाई हमेशा हम दोनों के बीच होती रहती है, जिसमें कभी कभी वह मजाक में मुझे गुदगुदी करने लिए मेरे मम्में भी दबा देता है। यह सिलसिला लगभग रोज का रूटीन बन गया है, सोने के समय तो वह जरूर मुझसे शैतानियाँ करता है। हमारा रूम छत पर होने की वजह से मम्मी पापा को इस के बारे में पता नहीं चल पाता। हम ज्यादातर छत पर ही रहते हैं, हमारे रूम के बगल में ही हमारा अलग बाथरूम भी है। नीचे वाले फ्लोर पर मम्मी पापा रहते हैं तथा किचन भी वही है और उनका बाथरूम भी। टीवी भी वही किचन के बगल में हाल में है।

    एक दिन मैं बाथरूम में नहा रही थी, तभी मेरा भाई भी नहाने के लिए अंदर घुस आया. उसे पता नहीं था कि मैं अंदर नहा रही हूँ। नहाते वक्त मैं बाथरूम का दरवाजा लॉक नहीं करती थी क्योंकि ऊपर जल्दी कोई आता नहीं था, आशू ही ऊपर होता था जिससे मुझे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि अभी वह छोटा था। तो आशू भी बाथरूम में घुस आया था नहाने के लिए!
    मैं वहाँ पर नंगी होकर नहा रही थी. पहले तो मैं डर गयी कि कौन आ गया। जब देखा कि आशू है तो जान में जान आई।
    अब डरने की बारी आशू की थी, वह मुझे पहली बार नंगी देख रहा था, मुझे बाथरूम में नंगी देखकर तो पहले तो उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी, वह मुझे एकटक घूरे जा रहा था। डर के मारे उसकी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी, मेरे डर से वह काम्प रहा था। वह डर इसीलिए रहा था कि कहीं मैं मम्मी पापा से उसकी शिकायत न कर दूँ कि यह मेरे बाथरूम में घुस गया था।
    मुझे उसको देखकर हंसी आ गयी, मैंने पूछा- क्या हुआ आशू?
    वह हकलाते हुए बोला- क..क..क.. कुउउउच्चछ… कुछ नहीं दीदी।
    और इतना कहते ही वह जाने को हुआ तो मैंने पूछा- नहाना है तुमको?
    तो वह बोला- जी दीदी।
    मैंने कहा- ठीक है, आ जाओ साथ में नहाते हैं.

    मैंने उससे कपड़े निकालने को कहा तो उसने धीरे धीरे अपने कपड़े निकाल कर अलग कर दिए और मेरी तरह बिल्कुल नंगा हो गया। अब हम साथ में बैठकर नहाने लगे, मैं उसको नहलाने लगी जैसे एक माँ अपने बच्चे को नहलाती है, वह भी चुपचाप बैठकर नहा रहा था।

    आशू के शरीर पर मैंने साबुन लगाना शुरू किया और हर एक जगह मैंने अच्छी तरह साबुन लगाया, उसके नुन्नू पर भी। उसका नुन्नू अभी छोटा था तक़रीबन 3 इंच का रहा होगा। नहाने के बाद हमने अपने कपड़े पहने और अपने अपने काम में लग गए, मैं एग्जाम की तैयारी करने लगी और आशू अपना होमवर्क करने लगा। अब लगभग रोज ही हम दोनों साथ साथ नहाने लगे थे और एक दूसरे के अंगों को पकड़कर देखने भी लगे थे।

    उस दिन के बाद से मैं अपने रूम में आशू के सामने ही कपड़े बदल लेती थी, नंगी हो जाती थी। आशू भी मेरे सामने ही अपने कपड़े बदल लेता था।

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    जैसा मैंने बताया था कि मुझे रात को सोते वक्त नंगी होकर सोना ज्यादा पसंद है। दिसम्बर का महीना था ठण्ड पड़ रही थी, मैं नंगी होकर रजाई में लेटी थी, आशू नीचे पापा के साथ टीवी देख रहा था। कुछ देर तक टीवी देखने के बाद वह ऊपर सोने के लिए आया.

    मैं जाग रही थी, आते ही वह रजाई में घुस कर मुझसे चिपक गया। रजाई में घुसने पर उसको पता चल गया कि मैं नंगी हूँ, वह अपने हाथ मेरे ऊपर फिराने लगा। वह मेरे मम्मों को टटोल रहा था.
    आशू को मेरे मम्मों से ज्यादा प्यार है.

    मेरा भाई मेरे निप्पल को उमेठ रहा था, मैंने पूछा- ऐसा क्यों कर रहा है?
    तो वह बोला- दीदी, मुझे आपका दूध पीना है।
    मैंने कहा- मुझे अभी दूध नहीं आता!
    तो वह बोला- क्यों? आपको दूध क्यों नहीं आता दीदी?

    तब मैंने उसको दूध आने की पूरी प्रक्रिया बताई।
    मेरी बात सुनने के बाद वह बोला- मुझे तो आपके दूध पीने हैं तो पीने हैं.
    मैं उसकी बचकानी बात पर हंसने लगी और बोली- ठीक है पी ले जैसी तेरी इच्छा।

    मेरे हां कहते ही आशू ने मेरे निप्पल चूसना शुरू कर दिया और बारी बारी से वह एक दुधमुंहे की तरह मेरे चूचियों को चूसता रहा, चूची चूसते चूसते कब उसे और मुझे नींद आ गयी, पता ही नहीं चला।
    अब यही प्रक्रिया लगभग रोज होने लगी, अब आशू को बगैर मेरी चूची चूसे नींद ही नहीं आती थी. शायद मुझे भी अब चूची चुसाने की आदत पड़ गयी थी। लेकिन इस सब में सेक्स नाम की कोई चीज नहीं थी. यह तो भाई बहन का प्यार था.

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    धीरे धीरे हमारी उम्र बढती गयी अब मैं 23 साल की तथा आशू 18 साल का हो गया था।

    अब आशू जवान हो गया था तथा उसका नुन्नू अब 3 इंच से 6 इंच का हो गया था। मेरे शरीर का साइज़ भी अब बदल चुका था इन 5 सालो में जो चूचियां कभी 34 की हुआ करती थी वह अब 36 की हो गयी थी। अब मेरा साइज़ 36-30-34 की हो गयी थी, मेरे सगे भाई ने मेरी चूचियां चूस चूस के बड़ी कर दी थी। इतनी चुसाई होने के बाद भी मेरे मम्में अभी भी पूरी तरह से टाइट थे, देखने में लगता था जैसे दो गोल गोल खरबूजे लटक रहे हो बिल्कुल हॉरर माडल डैनी डीवाइन की तरह।

    एक दिन मैं घर पर अकेली थी, पापा स्कूल पढ़ाने गए थे, मम्मी भी मामा के यहाँ गयी थी और आशू स्कूल गया था। मैं घर का सब काम निपटा के नहाने चली गयी, नहाने से पहले मैंने पूरे शरीर पर वैक्स किया था।
    नहाकर मैं नंगी ही वापस कमरे में गयी और बाल सुखाकर तथा मेकअप करके घर में उसी अवस्था में घूमने लगी। कुछ देर टीवी देखा और वहीं पर नंगी ही सो गयी.

    नींद में ही डोरबेल की आवाज सुनाई पड़ी तो मेरी आँख खुली। मैंने कीहोल से बाहर देखा तो आशू था, मैंने कपड़ा पहनना मुनासिब नहीं समझा और दरवाजा खोल दिया।
    जब वह अंदर आया तो मुझे नंगी देखकर बड़ा खुश हुआ, आशू तुरंत मेरी ओर लपक पड़ा। इससे पहले की वह मुझ तक पहुँचता, मैंने दरवाजा लॉक कर दिया, दरवाजा बंद होते ही वह मेरी चूचियों पर टूट पड़ा।
    आशू बोला- दीदी, आपके दूध मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मन करता है हरदम इन्हें पकड़ के चूसता रहूँ।
    मैंने भी झट से बोल दिया- तो चूसो … मना किसने किया है।
    आशू एक एक करके मेरे मम्मों को वही खड़े खड़े दबाने व चूसने लगा, मुझको भी मज़ा आने लगा।

    15-20 मिनट चूसने के बाद जब उसका मन भर गया तो उसने मेरे मम्मों को छोड़ दिया और मुस्कुराते हुए कमरे की ओर जाने लगा. मैं भी उसको देखकर मुस्कुरा रही थी। आज तक हमारे दरमियान कभी भी सेक्स की फीलिंग नहीं थी, हम दोनों ऐसा करते हुए एक अलग ही लेवल के आनंद में डूब जाते थे। ऐसा करते हुए मुझे लगता कि मैं एक माँ हूँ और अपने बच्चे को दूध पिला रही हूँ। आशू को अभी तक सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था, हाँ इतना जरूर था कि जब वो मेरी चूचियों को चूसता तो उसका नुन्नू जो अब एक लंड बन गया था, जरूर तन जाता था।

    जब भी उसका लंड तन जाता तो वह उसे पकड़ के मुझे दिखाता और कहता दीदी- ये देखो मेरे नुन्नू को क्या हो गया ये इतना बड़ा और मोटा हो गया।
    मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती और कहती- कुछ नहीं हुआ, अभी ठीक हो जायेगा.

    ऐसे ही चलता रहा, एक महीना बीत गया। अगस्त का महीना था एक रात को हम दोनों बिल्कुल नंगे लेटे लेटे बातें कर रहे थे उसका लंड तना हुआ था, वह उसको पकड़ के मुझे दिखाते हुए बोला- ऐसा क्यों होता है दीदी?
    तब मैंने उसे समझाते हुए सब कुछ बताया तथा यह भी बताया कि यह पुरुष और महिला के अट्रैक्शन के कारण होता है। यह उत्तेजना के कारण होता है।
    आशू बोला- इसको ठीक कैसे करते हैं?
    मैंने कहा- सेक्स करके या फिर अपने हाथ से!

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    फिर उसने मुझसे पूछा- ये सेक्स क्या होता है दीदी?
    तब मैंने उसको बताया- जब इस नुन्नू को किसी लड़की के (अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए) यहाँ पर डालते हैं तो उसको सेक्स करना कहते हैं।
    आशू फिर पूछने लगा- ये हाथ से कैसे होता है?
    तब मैंने उसको बताया- इसको मुट्ठी में पकड़ के आगे पीछे करते रहने से ये कुछ देर में शांत हो जाता है।

    आशू कहने लगा- दीदी, मुझे आपके साथ सेक्स करना है.
    मैंने उसे समझाया- ये सब भाई और बहन के बीच नहीं होता।
    मैंने कहा- आशू जब तुम्हारी शादी हो जाएगी, तब तुम अपनी पत्नी के साथ सेक्स करना।

    वह जिद करने लगा तो मैंने कहा- अच्छा इधर आओ, मैं अपने हाथों से तुम्हारे नुन्नू को शांत कर दूँ।
    वह मेरे पास आ गया, मैंने उसको खड़ा होने को कह दिया वह मेरे चेहरे के सामने खड़ा हो गया। मैं घुटनों के बल बैठ गयी तथा उसके लंड को अपने हाथो में पकड़ा और आगे पीछे करते हुए हिलाने लगी, वह धीरे धीरे मदहोशी में खो गया और आँखें बंद कर ली।

    आँखें बंद करके वह आहें भरने लगा- सस.. सस आह… उह.. सस एस्स.. आह दीदी, बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसे ही करती रहो।
    तकरीबन 15-20 मिनट लंड हिलाने के बाद उसका लंड फूल गया.

    इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसके लंड से पिचकारी निकली जो सीधे मेरे माथे से जा टकराई, मैं संभल पाती इससे पहले दूसरी पिचकारी निकली जो मेरे होठों पर जा गिरी, फिर उसके लंड ने मेरी चूचियों पर अपना बचा हुआ माल उलट दिया, धीरे धीरे आशू का लंड झटके खा खा कर शांत हो गया।

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    अब मैंने अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराई जहां आशू का माल गिरा था, मुझे उसका स्वाद नमकीन सा लगा जो थोड़ा अजीब था पर टेस्ट अच्छा था तो मैं पूरा चाट के साफ़ कर गयी।
    आज आशू पहली बार झड़ा था तो माल भी बहुत ज्यादा निकला था जो मेरी चूचियों पर साफ़ देखा जा सकता था।

    झड़ने के बाद आशू वही बेड पर लेट गया उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी।

    कुछ देर बाद जब उसकी आँखें खुली तो वह बहुत खुश दिखाई दे रहा था।
    मैंने पूछा- कैसा लगा?
    तो वह बोला- बहुत मज़ा आया।

    अब हम दोनों भाई बहन वहीं बेड पर लेटे लेटे जो कुछ हुआ उसके बारे में बातें करने लगे।

    कुछ देर बात करने के बाद आशू बोला- दीदी, अब मेरा नुन्नू आप रोज हिलाना, आज मुझे बहुत अच्छा लगा।
    मैंने उसको समझाया- ये रोज रोज करना अच्छा नहीं है अभी से, अभी तुम छोटे हो सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।
    मेरी यह बात उसको अच्छी नहीं लगी।

    कुछ देर चुप रहने के बाद आशू नाराज होते हुए बोला- अगर आप को नहीं करना तो ना करो, मैं खुद ही कर लूँगा।
    मैंने उस टाइम उसको तसल्ली दिला दी- ठीक है, मैं ही कर दूंगी, पर अभी सो जाओ रात बहुत हो गयी है।

    सुबह हम दोनों सोकर उठे, फ्रेश होने के बाद हम दोनों साथ में नहाये। आशू नाश्ता करके स्कूल चला गया, कुछ देर बाद मैं भी कॉलेज चली गयी।
    रात को वह मेरे पास आया और अपने कपड़े निकाल के बिस्तर में घुस गया। मैं पहले से ही नंगी रजाई के अंदर पड़ी थी, रजाई में घुसते ही उसके हाथ मेरी चूचियों पर टहलने लगे। कुछ देर मेरी चूचियों को दबाने के बाद वह एक एक करके उन्हें चूसने लगा।

    अनायास ही मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया जो अब पूरी तरह से तन गया था।

    आशू मेरी चूचियों को दबा दबा के चूस रहा था जिससे आज मेरी भी उत्तेजना जाग गयी थी, मुझे भी मज़ा आने लगा था। जोश में मैं भी उसके लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगी, आशू की सिसकारियाँ निकलने लगी- आह.. हम्म… उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स्स्स… ऊह्ह… ओह्ह… दी… दी… आह। बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही करती जाओ।
    आज तो मेरा भी मन डोल गया था, अब मेरे अंदर की वासना हिलोरें लेने लगी थी। मैं खुद को ना रोक पाई और रजाई में मैं आशू के लंड के पास पहुँच गयी थी।

    लंड के पास पहुंचते ही मैंने तपाक से उसको मुंह में भर लिया और चूसने लगी। आशू अपने लंड पर मेरे होठों का स्पर्श होते ही चिहुँक पड़ा और बोला- ओह दीदी, ये क्या किया आपने … बहुत मजा आ रहा है। ऐसे ही चूसती रहो, मैं तो जन्नत की सैर कर रहा हूँ दीदी।

    मैं भी पूरी पोर्न फिल्मो को रंडियों की तरह अपने भाई का लंड चूसे जा रही थी, मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था. अब मैं एक हाथ से लंड पकड़ के चूस रही थी तथा एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी।
    10-12 मिनट लंड चूसने के बाद आशू को उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और उसने मेरे मुंह में ही पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी, मेरा मुंह उसके लंड के माल से भर गया जिसे मैं पूरा गटक गयी।

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    इसी दौरान मैं भी भाई के लंड का पानी पीने की उत्तेजना में मैं भी झड़ने लगी। मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी- आह… ह्म्म्म… यस्सस… ओह्ह्ह… आशूशूशू… य्म्म्म!

    अब यही प्रक्रिया रोज रोज होने लगी आशू मुझसे अपना लंड चुसा के मजा लेता और मैं अपनी उँगलियों से खुद को शांत कर लेती। हमें जब भी मौका मिलता हम दोनों नंगे होकर अपने काम में लग जाते। अब तो मुझे आशू के लंड के पानी लत लग गयी थी, घर का कोई ऐसा कोना नहीं बचा था जहां पर मैंने आशू का लंड न चूसा हो। यहाँ तक की घर के बाहर लॉन में भी मैंने उसके लंड को चूस के शांत किया था।
    मैं ऐसे ही 2-3 महीनों तक अपने भाई का लंड चूसती रही। हम दोनों बहुत खुश थे।

    मेरी कहानी कैसी लगी, मेल जरूर कीजियेगा।

  • टूशन स्टूडेंट की चुत मारी

    दोस्तों आज मैं आपको एक अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हु, इस कहानी में मेरे साथ जो लड़की है जिसकी चूत की सील मैंने तोड़ी आज मैं आपको अपने शब्दों में बयां कर रहा हु, आशा करता हु, की आपको ये मेरी कहानी एक कुंवारी लड़की को चोदने का जो एहसास होता है उसी के बारे मैं आपके सामने रख रहा हु, कैसे मैंने वो टाइट बूर में अपना लौड़ा डाला था, दोस्तों शायद ये मेरी ज़िंदगी का सबसे खुशनसीब पल था वो पहला से लेके पांचवे दिन तक. अब मैं आपको आपका टाइम खराब नहीं करते हुए मैं अपनी चुदाई की कहानी सूना रहा हु.



    मैं 36 साल का हु, मैं टीचर हु, और घर पे टूशन भी पढता हु, आज जो मैं कहानी आपको सूना रहा हु, वो मेरी एक स्टूडेंट की है, जिसका नाम सिमरन है, सिमरन अठारह साल की है, गजब की सुन्दर लड़की है, भगवान् ने क्या खूबसूरत चेहरा दिया है, उसकी छोटी छोटी चूचियाँ जिसपे हलके पिंक कलर के निप्पल गजब का लगता है, यार क्या बताऊँ चूचियाँ टाइट टाइट सी छोटी छोटी जब मेरे हाथ में आती है तो मेरा तन बदन में आग लग जाता है, और मेरा लौड़ा सलामी देने लगता है, मेरी धड़कन तेज हो जाती है और तुरंत ही उससे बाहों में भर लेता हु और उसकी जिस्म की गर्मी और तेज तेज साँसे जब मेरे शारीर को छूती है तब मुझे शकुन मिलता है.

    सिमरन मेरे बात विचार से काफी प्रभावित थी, वो मुझे अपना सब कुछ सौंपने के लिए धीरे धीरे तैयार हो गई, मुझे तो पहले लगता था ये गलत है पर मैं भी एक कुंवारी को चोदना चाहता था, क्यों की आपको तो पता है, हर मर्द की ये चाहत होती है की वो जो आज तक चुदी ना हो वैसी लड़की को चोदे, ऐसे तो मैं शादी शुदा हु, पर मुझे पता ही नहीं चला था की मेरी बीवी वर्जिन थी की चुदी हुई थी. मुझे हमेशा से लालसा होती थी की मैं किसी ऐसे लड़की से सेक्स सम्बन्ध बनाऊं जो पहले से कभी चुदी हुई ना हो.



    सिमरन का हाव भाव देखकर मुझे लगा की वो मुझे पसंद करती है, वो भी सिर्फ सेक्स सम्बन्ध बनाने के लिए, क्यों की उसका कहना था की मैं चाहती हु की मैं सेक्स को जान लु, फिर मैं अपनी पढाई पर ध्यान लगाऊं शायद वो सही बोल रही थी, फिर उसकी मुस्कान और हाव भाव ने मुझे उसको छूने के लिए प्रेरित किया और मैंने धीरे धीरे गाल से स्टार्ट करके होठ को छूने लगा, जब मैं उसके दोनों गुलाब की पंखुड़ी सी होठ को छूता था वो वो कहती थी, बस ना करो प्लीज, आप तो छु कर छोड़ देते हो और मैं परेशान रहती हु, मैं पूछता भी था की परेशान कैसे रहती हो तो वो लजा जाती थी, और कहती थी की मैं नहीं बोलूंगी… मुझे भी उसके होठ को छूना बहुत अच्छा लगता था, धीरे धीरे मैं उसके चूचियों पे हाथ फेरने लगा ऊपर ऊपर से, वो कुछ भी नहीं बोलती थी, मैं कभी भी जबर्दश्ती नहीं की थी, वो खुद ही चाहती थी की मैं उससे छुऊँ,

    एक दिन की बात है, मेरी पत्नी तीन चार घंटे के लिए बाहर गई थी, मैं उसके होठ को छुआ की वो मेरा हाथ पकड़ ली और अपनी नशीली आँखों से निहारने लगी, वो निहारते रही और मैंने उसके टॉप के ऊपर से मैंने हाथ घुसा दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा, फिर मैंने उसको खड़ा किया और उसके रसीले होठ को चूसने लगा, वो भी मेरे होठ को डीप किश कर रही थी, मैंने अपने में सटा के उसके दोनों चूतड़ को पकड़ कर अपने लौड़े से सटा लिया, तभी वो छटक कर गुम गई अब उसका गांड मेरे लौड़े के पास आ गया मैंने ऊपर से ही लौड़े को उसके गांड में रगड़ने लगा, वो व्याकुल हो गई और मेरे बाल को सहलाने लगी. तभी मैंने उसके केप्री में हाथ घुसा रही था तभी वो मुझे रोक दी, मेरे हाथ पकड़ लिया, मैंने कहा क्यों तो बोली मैं अभी ये नहीं कर सकती. मैंने कहा ठीक है कुछ भी नहीं करना पर मुझे छूने तो दो. तो उसने कहा नहीं नहीं अभी मैं ठीक नहीं हु, मैंने कहा क्या तो बोली अरे आप समझ नहीं रहे हो. अभी तीन दिन ही हुए है. अभी दो दिन और बाकी है. मैं समझ गया की उसको माहवारी हुई ही. पर मैं खुश था चलो आज नहीं तो दो दिन बाद ही सही. मैंने उसको बेड पे लिटा दिया और टॉप को ऊपर कर दिया, और फिर चूचियाँ को दबाने लगा. क्रिकेट के बाल की तरह उसकी चूचियाँ थी, मैंने उसके चूच से खेलने लगा. वो भी मजे लेने लगी. फिर मैं होठ को भी चूसने लगा. और फिर दोनों पैर की ऊपर कर दिया और बिच में बैठ कर कपडे के ऊपर से ही लौड़ा रगड़ने लगा. वो खूब मजे ले रही थी और मैं भी मजे ले रहा था पर बर्दाश्त के बाहर हो रहा था. कुछ देर बाद मैं झुंझला गया, क्यों की मुझे चोदने का मन करने लगा था फिर मैं बाथरूम में जाके मूठ कार लिया.



    और फिर वापस आकर उसको हग किया, और किश किया, वो बोली किसी को कभी भी नहीं कहना, ये बात, आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो. वो बहुत खुश थी. अब तो वो मेरे पास रोज ज्यादा समय तक पढाई करने लगी. और फिर मैं भी खूब मजे लेने लगा. उसके बाद मुझे तीन चार दिन के लिए कहनी जाना था, मैं और मेरी पत्नी दोनों चले गए, पर पत्नी वही रूक गई और मैं वापस आ गया, फिर सिमरन भी आने लगी. वो जैसे ही आई. मैंने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया और बेड रूम में ही उसको बुलाया और फिर हग कर के चूचियाँ दबाने लगा. और फिर उसके होठ चूसने लगा. वो मना नहीं कर रही थी. फिर मैं उसके बूर पे हाथ फेरने लगा और फिर मैंने अपने हाथ को अंदर कर दिया, ओह्ह्ह उसका बूर काफी गरम हो गया था, और पानी पानी हो चूका था. मैंने उसको बेड पर लिटा दिया, और फिर केप्री खोल दी. ऊपर से मैंने उसके कपड़े भी उतार दिए, मैंने उसके चूची को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. वो आह अहा उफ़ यह यह उफ़ आउच आ आए आए आ आ आ कर रही थी. मैंने उसके टांग को ऊपर कर दिया और उसके बूर को देखने लगा. मैंने पहले ही सोच लिया था की कभी जल्दबाजी नहीं करनी है. मैंने उसके बूर को चिर कर देखा तो अंदर कोई भी छेद नहीं दिखई दे रहा था. मैंने चिर कर भी देखा तो भी कुछ नहीं दिख रहा था, उसके बाद मैंने अपनी जीभ लगाईं वो उछल पड़ी. बोली नहीं नहीं मैंने कहा कुछ नहीं होगा चुप हो जाओ. फिर उसने मना कर दिया और उठ खड़ी हुई और अपना कपडा फिर पहन ली.

    मैं थोड़ा नाराज भी हो गया की ये क्या हो रहा है. वो बोली मुझे थोड़ा टाइम दो. अभी मैं इस लायक नहीं हुई हु, मैंने कहा क्यों नहीं हुई है यार यही तो राइट टाइम है. वो बोली थोड़ा और टाइम दो. मैं पहले अपने मन को तो समझा लु. मेरी एक सहेली किसी से सेक्स सम्बन्ध बनाई है वो बोली है की बहुत दर्द होता है. मुझे डर भी लग रहा है. मैंने समझाया कोई डर नहीं होनी चाहिए तुम्हे और भी मजा आएगा, वो बोली ठीक है. थोड़ा टाइम दो. मैं भी सोचा जल्दवाजी नहीं करनी है नहीं तो ये हाथ से निकल जाएगी. वो दूसरे दिन आई. मैं चुपचाप था, वो बोली नाराज हो क्या? मैंने कहा तुम काम ही यही करती है. नाराज कैसे ना होऊं, तो बोली मैंने किसी चीज के लिए मना किया, मैं चुप रहा वो मेरा सर उठा के मेरी आँखों में आँख डाल कर बोली. की नाराज क्यों हो रहे हो.

    मैंने उसके होठ को चूम या और फिर उसके चूचियों को दबाने लगा. फिर लिटा दिया और एक एक कपडे उतार दिए, वो शर्मा रही थी मैंने कहा ले तुम अपना मुंह ढक लो और वो अपने ही टॉप से अपने फेस को ढक ली और फिर मेरे सामने वो नंगी लेती रही मैं उसके बदन के एक एक हिस्से को निहार रहा था, ताकि मैं इस चीज को ज्यादा दिन तक याद रख पाऊं, फिर में उसके टांग को अलग अलग कर के उसके बूर को चिर कर फिर से देखा अंदर लाल, कोई भी छेद नहीं दिखाई दे रहा था. फिर मैंने कहा क्या मैं घुसा दूँ, और ये कहते कहते अपना मोटा लंड निकाल लिया वो चुप रही. मैंने फिर पूछा डालू वो चुप रही. फिर मैंने अपना लंड उसके बूर पे सेट किया और अंदर डालने की कोशिश करने लगा. उसका बूर एक दम साफ़ सुथरा था हलके बल्कि भूरे भूरे बाल थे, मुझे लग रहा था क्या इतनी छोटी सी जगह में मेरा लंड जाएगा. और मैं कोशिश करने लगा.



    वो कहे जा रही थी दर्द हो रहा है. दर्द हो रहा है. मैं दिलासा दे रहा था अभी दर्द कम हो जायेगा, और फिर से कोशिश करता पर मेरा लंड उसके बूर के अंदर नहीं जा रहा था, में करीब पांच मिनट कोशिश की पर मेरा लंड अंदर नहीं गया और फिर वो दर्द से उठ गई और आँख में आँशु लिए अपने कपड़े पहन ली. मैंने समझाया की पहली बार थोड़ा ऐसा लग रहा है फिर ठीक हो जायेगा, दूसरे दिन फिर वो आई और फिर मैंने अपने लंड को उसके चूत पे रखा और इस बार करीब एक इंच अंदर गया और वो कहने लगी निकलो निकालो पर मैं नहीं मान और दूसरे धक्के में थोड़ा और, वो कराह रही थी छूटने की कोशिश कर रही थी पर मैं उसके जकड लिया और और फिर तीसरा झटका मारा और लंड उसके चूत में चला गया, वो दर्द से छटपटा रही थी मैं थोड़ा रूक गया और उसको भी शांत रहने बोला, करीब एक मिनट बाद मैंने फिर झटके दिए और उसके चूच को सहलाया, और उसके होठ पे किश किया, वो भी किश करने लगी और मैं धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा.

    वो अपने होठ को अपने जीभ से चाट रही थी. और मैंने उसके कान के निचे चूम रहा था और हौले हौले झटके दे रहा था, फिर मैंने पूछा कैसा लग रहा है. वो बोली अब ठीक लग रहा है. मैं फिर धीरे धीरे स्पीड बढ़ाया और वो भी साथ देने लगी, पहले वो पीछे की तरफ खींच लेती थी पर अब वो थोड़ा थोड़ा आगे आगे झटके देने लगी. फिर करीब पांच मिनट बाद वो भी झटके देने लगी. और मैं भी जोर जोर से झटके देने लगा, करीब दस मिनट बाद मैंने झड़ गया और वो भी शांत हो गई. मैंने लंड निकाला तो देखा लंड में हल्का हल्का खून लगा हुआ था और फिर मैंने उसके बूर के पहाड़ कर देखा तो अंदर लाल लग रहा था, मुझे बिस्वास नहीं हो रहा था की इतना छोटा छेद में मेरा इतना मोटा लंड जायेगा.



    फिर क्या बताऊँ दोस्तों मैंने कई सारे इंटरनेट पे क्लिप देखी अठारह साल की लड़की की चुदाई का, पर मुझे सबसे अच्छा सिमरन की चुदाई ही लगा, अब रोज रोज नहीं बल्कि कभी कभी जब मेरी बीवी नहीं होती है घर पर मैं सिमरन को चोद लेता हु, मैं भी नहीं चाहता की रोज रोज से काम ख़राब हो जायेगा इसलिए मैं धीरे धीरे ही अपने ज़िंदगी का एन्जॉय करना चाहता हु, ये कहानी सच है, आप सभी दोस्तों को नॉनवेज स्टोरी पे मेरी कहानी पढ़ने का बहुत बहुत शुक्रिय.