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  • हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़वा कर लड़की पटाई

    हिंदी सेक्स कहानी पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम आकाश पांडे है. मैं मध्य प्रदेश के रीवा से हूँ.
    यह मेरी पहली कहानी है. मेरी यह कहानी एकदम रियल है.

    आज से एक महीने पहले की बात है, उसे आज मैं आपके सामने पेश कर रहा हूँ.

    हमारे घर के सामने के घर में एक परिवार रहता है, उस परिवार में 3 लड़कियां हैं. बड़ी वाली तो कुछ ख़ास नहीं है, लेकिन उससे छोटी बहुत सुंदर है, लेकिन वो मुझे कुछ छोटी लगती थी. अभी कुछ दिन से वो मुझे देखकर मुस्कुरा देती थी.

    फिर जब मैंने उसको ध्यान से देखना शुरू किया तो उसके चूचे कुछ बड़े से लगे, तो मैंने अहसास किया कि वो अब बड़ी होने लगी है.

    अब मेरा दिल उसके साथ सेक्स करने का करने लगा था. मैंने सोचा कि ऐसा क्या किया जाए कि ये अपने आप तैयार हो जाए.

    फिर एक दिन मैं घर पर अकेला था कि वो एक मूवी की सीडी के लिए मेरे पास आई और बोली कि मुझे विवाह मूवी देखनी है, आप ला दोगे क्या?
    तो मैंने कहा- ठीक है, कल ला दूँगा.
    इसके बाद मैंने उसे अपनी सीडी दिखाकर कहा कि इनमें से कोई चाहिए तो देख लो.

    वो कुर्सी पर बैठ गयी और एक एक करके मूवी देखने लगी.

    वो सीडी देख रही थी और मैं उसकी जवानी को आंखों से चोद रहा था.

    तभी मुझे अन्तर्वासना की चुदाई की कहानी याद आने लगी. मैं अक्सर जब भी अपने ऑफिस में बैठ कर अन्तर्वासना की सेक्स स्टोरी पढ़ता हूँ तो उसका प्रिंट निकालकर घर ले आता हूँ और रात में आराम से पढ़ता हूँ. तो उस दिन भी रात को जो स्टोरी पढ़ी थी, उसका प्रिंट पेपर फ़्रिज़ पर रखा था.

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    मुझे उसकी जवानी देख कर नशा सा होने लगा और लंड खड़ा हुआ तो मैं बाथरूम में चला गया. फिर जब मैं वापस आया, तो उसके एक हाथ में एक सीडी थी और दूसरे हाथ में वो स्टोरी का पेपर था. वो उसे पढ़ रही थी.

    उसे जैसे ही इस बात का अहसास हुआ कि कोई है, तो उसने वो पेपर तुरंत वहीं पर रख दिया और मुझे देखकर मुस्कुराते हुए बोली कि मैं ये सीडी ले जा रही हूँ.
    इतना कह कर वो चली गयी.

    मैंने सोचा कि इसने तो ये सेक्स स्टोरी पढ़ ली होगी. अब मैं सोचने लगा कि इसको तैयार करने का यही सही तरीका है.. इसको रोज एक चुदाई की कहानी पढ़ने को मिलेगी तो साली चूत खोल ही देगी. बस अब मैं रोजाना एक सेक्स स्टोरी लाता और जब वो अकेली होती तो उसके निकलने के समय उसी के घर के दरवाजे पर डाल देता.

    पहले दिन तो मैंने सोचा कि चलो देखा जाए कि ये कैसे रिएक्ट करती है.

    कुछ देर के बाद में वो आई और उसने कल जैसे पेपर अपने दरवाजे पर पड़े देखे, तो उसने इधर उधर देखा और झट से स्टोरी वाले कागज़ उठा कर अपने कपड़ों में छिपा लिए. मैं समझ गया कि इसको गर्म स्टोरी पढ़ने में मजा आने लगा है.

    ऐसा मैंने लगातार चार दिन तक किया और मुझे ये आभास भी हो गया कि वो ये जान चुकी है कि ये सेक्स स्टोरी मैं ही उसके लिए रखता हूँ.

    फिर एक दिन मेरे घर पर मेरी माँ के बड़े भाई आए और माँ से बोले- मेरे साथ चलो, मैंने अपना नया घर लिया है, उसका मुहूर्त है.
    मेरी माँ उनके साथ चली गईं और मुझे बाद में आने के लिए बोल गईं.

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    मैं उस वक्त अपने किसी काम की वजह से नहीं जा सका था. उसी वजह से उस दिन मैंने ऑफ ले रखा था, तो मैं उस दिन घर पर ही रह गया था. ये इत्तेफाक ही था कि उसकी माँ भी उस दिन बाजार गयी थीं. वो भी घर पर अकेली थी.

    काम खत्म करके मैं मूवी देख रहा था. उस दिन एक कमसिन उम्र की लड़की की चुदाई की स्टोरी पढ़ कर फ्रिज पर रख दी थी.
    तभी वो आ गयी और बोली- कौन सी मूवी देख रहे हो?
    मैंने कहा- बैठो और देख लो.

    वो भी मेरे साथ बैठकर मूवी देखने लगी. फिर मैंने देखा कि उसकी नजर बार-बार उसी स्टोरी के पेपर्स पर पड़ रही थी, जो फ्रिज पर रखे थे.

    तभी मेरे मोबाइल की बेल बजी और मैं बात करता हुआ रूम से बाहर चला गया और फिर करीब 15 के बाद अन्दर आया, तो तब मैंने देखा कि वो फ्रिज के पास खड़ी थी. इस वक्त उसकी पीठ मेरी तरफ थी. मैं धीरे से उसके पास गया तो मैंने देखा कि वो उस स्टोरी को पढ़ रही थी. मैं कुछ देर तक खड़ा रहा.. फिर मैंने कुछ आवाज़ की ताकि उससे लगे कि मैं रूम में आ गया हूँ.

    वो जल्दी से कुर्सी पर बैठ गयी, लेकिन वो सेक्स स्टोरी अभी भी उसके हाथ में थी. मैं भी मन में मुस्कुराते हुए बेड पर बैठ गया और मूवी देखने लगा, ताकि उसे ये लगे कि मैंने कुछ नहीं देखा है.
    कुछ देर के बाद मैंने उसके हाथ में पेपर देखकर कहा- ये क्या है?
    पहले तो वो उसे छुपाने लगी. फिर मैंने उसके हाथ से पेपर्स ले लिए और खोलकर देखे. फिर उसकी तरफ देखा, तो वो डर से चुपचाप बैठकर मूवी देखने लगी थी.
    मैंने उससे कहा कि तुमको ऐसी स्टोरी अच्छी लगती हैं?
    उसने कुछ नहीं कहा.

    मैंने कहा कि तुम अभी छोटी हो, तुमको ये सब नहीं पढ़ना चाहिए.
    वो बोली कि मैं इतनी छोटी भी नहीं हूँ, मैं सब समझती हूँ. तुमने ही तो मुझे ये सब पढ़ने को दिया है.
    तब मैंने कहा- अगर सब जानती समझती हो तो बताओ जब ये स्टोरी पढ़ती हो तो कैसा लगता है?
    वो हंस कर बोली- अच्छा लगता है.
    तब मैंने आंख दबा कर कहा कि बस अच्छा.. और कुछ नहीं?
    वो होंठ काटते हुए बोली- नहीं और कुछ नहीं.

    फिर मैंने कहा- रियल में महसूस करना पसंद करोगी?
    वो सर झुका कर बोली- नहीं, मुझे डर लगता है.
    मैंने कहा- अगर डरोगी तो कभी इसके मज़े नहीं ले पाओगी और फिर मैं तुम्हारे साथ हूँ, मैं कुछ गलत नहीं होने दूँगा.
    वो मेरी तरफ देख कर बोली- ठीक है, लेकिन कैसे करना है?
    मैंने उससे पूछा- ये बताओ तुम्हारी माँ कब तक आएँगी?
    तो वो चहक कर बोली कि वो बाजार गयी हैं, शायद 2 घंटे के बाद आएंगी.

    ये सुनकर मैंने दरवाजा बंद किया और उसको बेड पर बैठने को कहा.

    इस वक्त उसने टी-शर्ट और जीन्स पहनी थी, तो पहले तो मैंने उससे कहा कि अपनी टी-शर्ट उतार दो.
    वो बोली- नहीं मुझे शर्म आती है.

    फिर मैंने ही चुदाई का खेल शुरू किया और पहले उसको अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों पर किस किया.. वो एकदम से गनगना गई. उसे भी मजा आने लगा. हम दोनों करीब 10 मिनट तक किस करते रहे.
    फिर मैंने अपना एक हाथ उसके मम्मों पर रख दिया और दबाने लगा. उसे कुछ-कुछ मज़ा आने लगा था.

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    तभी मैंने झटके से उसकी टी-शर्ट उतार दी और देखा कि उसके चूचे अभी छोटे-छोटे थे और उसके पिंक कलर के निप्पल खड़े हो गए थे. मैं उसके एक मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा. इससे शायद उसे और मज़ा आने लगा था.
    वो बिस्तर पर लेट गयी और मैं उसके मम्मों को एक एक करके सक करने लगा. साथ ही धीरे से उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और अपना एक हाथ उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी जीन्स के अन्दर डाल दिया और चूत को रब करने लगा था.

    वो बहुत ज्यादा गर्म हो गयी थी और मचल रही थी. मैंने उसकी जीन्स उतार दी. अब वो मेरे सामने पेंटी में थी और उसकी आँखों में नशा भर गया था. उसे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे उसने काफ़ी शराब पी रखी हो.

    मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी, उसकी चूत बहुत छोटी थी और चूत के ब्राउन कलर के बाल बहुत कम ही आए थे, लेकिन उसकी चूत बिल्कुल पिंक थी.

    फिर मैंने अपना एक हाथ जब उसकी चूत पर रखा तो वो जैसे पागल सी हो गयी. मैं उसकी चूत के दाने को अपनी उंगली से रगड़ने लगा तो वो मचल उठी और अपने हाथों से अपने बूब्स दबाने लगी.

    तभी मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ रख दी और उसकी चूत के पिंक होंठों को किस करने लगा, तो वो तो जैसे पागल ही हो गयी थी. उसकी आँखें बंद थीं और अब वो अपने मुँह से आवाजें निकाल रही थी.

    इस समय उसके दिल की धड़कन काफ़ी तेज हो गयी थी. फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अन्दर डाली तो वो तड़प गयी. तभी मुझे बाहर एक कार रुकने की आवाज आई तो मैंने खिड़की से देखा कि कौन है? बाहर उसकी माँ वापस आ गयी थीं, लेकिन वो इन बातों से बेखबर बेड पर लेटी मछली की तरह तड़प रही थी.

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    फिर मैंने उसके कान में कहा- तुम्हारी माँ आ गयी हैं.
    वो बोली- प्लीज आप जल्दी से मुझे डिसचार्ज कर दो, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.

    तब मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डालकर उसकी चुदाई स्टार्ट की और उसके होंठों को चूसने लगा, तो कुछ ही देर में वो डिसचार्ज हो गयी.

    फिर उसने झट से अपने कपड़े पहने और जाते वक़्त मुझे किस किया और बोली कि आज तक मैं इस खूबसूरत मजे को नहीं जान पाई थी कि कैसा होता है? आज आपने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया, लेकिन आप ऐसे ही रह गए, मैं जल्द ही ये प्रोग्राम फिर से बनाती हूँ.

    अब कब उसने मेरे लंड को शांत किया ये मैं आपको जल्द ही उसकी चुदाई की कहानी लिखता हूँ.
    मुझसे बात करने के लिए मेल करें.

  • चाचा के लड़के की गांड गुस्से में मारी

    मेरा नाम सारक है और मैं दिल्ली में रहता हूं। मैं दिल्ली में ही अपनी एक कंसल्टेंसी कंपनी चलाता हूं और मुझे काफी वक्त हो चुका है यहां पर काम करते हुए। शुरुआत में मैंने जॉब की लेकिन धीरे-धीरे जब मुझे दिल्ली में समय बीतता गया तो मैंने अपनी खुद की एक कंपनी खोली। पहले मैं खुद अकेले ही काम किया करता था लेकिन अब मैंने अपने पास स्टाफ रख लिया है जो कि बहुत ही अच्छे से काम किया करते हैं और मैं उनके काम से बहुत खुश भी हूं। मुझे ऐसा लगता है कि मुझे सफलता बहुत जल्दी मिल गई है। जिसकी मुझे उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी। मैं अपने आप से बहुत खुश हूं और हमेशा यही सोचता रहता हूं कि मैंने बहुत अच्छा फैसला लिया जो मैं दिल्ली आ गया। अगर मैं गांव में रहता तो मेरी स्थिति बद से बद्दतर हो जाती और शायद मैं कभी कुछ कर भी नहीं पाता। क्योंकि वहां पर मुझे कोई भी समझाने वाला नहीं था और हमारे गांव का माहौल बहुत ही ज्यादा खराब है। वहां पर ज्यादा लोग पढ़े लिखे नहीं हैं और सिर्फ नशे की लत के आदी हैं। इस वजह से मैंने यह फैसला लेकर अच्छा किया और मुझे अपने आप पर बहुत ज्यादा गर्व महसूस होता है कि मैंने यह फैसला बहुत जल्दी ले लिया और मुझे इतनी जल्दी सफलता मिल गई। अब मैं जिस भी चीज को चाहता हूं वह मुझे आसानी से मिल जाती है। क्योंकि मैं अच्छा कमा लेता हूं। उसकी वजह से मैं किसी भी प्रकार से पैसों के लिए मोहताज नहीं होता। मैं कभी भी यह नहीं सोचता कि यह चीज मैं नहीं कर सकता।



    मैं अपने आप से बहुत खुश हूं। मुझे काफी समय हो चुका था दिल्ली में और मैं सोच रहा था कि मैं अपने गांव जाकर अपने माता-पिता से मिल आऊ। क्योंकि वह लोग गांव में ही रहना पसंद करते थे और मैंने उन्हें कई बार कहा भी कि मैंने दिल्ली में अपना घर ले लिया है तो आप लोग मेरे साथ दिल्ली में आ सकते हैं। परंतु वह चाहते ही नहीं थे और कहते थे हम गांव में ही अच्छे से हैं। क्योंकि वह लोग गांव के परिवेश में पले-बढ़े थे। इसलिए वह नहीं चाहते कि वो शहर आएं और उन लोगों से शायद शहर में एडजस्ट नहीं हो पाता। इसलिए मैंने उन्हें जिद नहीं की और वह लोग गांव में ही थे लेकिन मुझे अब उनकी बहुत याद आ रही थी और मैं सोच रहा था कि मैं उनसे मिलने चला ही जाता हूं। मैंने अपने पिताजी को फोन किया और उन्हें कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए घर आ रहा हूं। ताकि आपके साथ कुछ समय बिता पाऊं। जब मैंने उन्हें फोन किया तो वह बहुत ही खुश हुए और कहने लगे कि तुमने तो यह बहुत अच्छा फैसला लिया है। क्योंकि हम लोग भी कई दिनों से सोच रहे थे कि तुम्हें घर बुला ले। अब तुम्हारी बहन की भी शादी हो चुकी है और हमें भी थोड़ा अकेला सा लगने लगा है इस वजह से हम तुम्हें घर बुलाना चाहते थे। ताकि तुम कुछ समय तक घर में रहो और हमें भी अच्छा लगे।



    अब यह बात जब मैंने उनसे कही तो वह दोनों बहुत खुश थे और कुछ दिनों बाद मैं अपनी कार लेकर अपने गांव चला गया। जब मैं अपने गांव गया तो सब लोग मुझे देखकर बहुत हैरान थे और कहने लगे कि तुमने बहुत जल्दी तरक्की कर ली है। वह मुझसे पूछने लगे कि तुमने इतनी जल्दी कैसे तरक्की की। मैंने कहा कि मैंने शहर में बहुत ही मेहनत की है। इस वजह से मुझे शहर में तरक्की मिली है। अब जब मैं अपने माता-पिता से मिला तो वह दोनों मुझे देख कर रोने लगे और कहने लगे कि हमें तुम्हारी बहुत याद आती है लेकिन हम तुम्हारे पास नहीं आ सकते। क्योंकि हम शहर में नहीं रह पाएंगे और तुम अपना काम छोड़कर गांव नहीं आ सकते। यह तुम्हारे लिए संभव नहीं होगा। मैंने उन्हें कहा कि मैं कुछ समय गांव में ही रहूंगा और आपके साथ अच्छे से समय बिताना चाहता हूं। अब जब मैं अपने चाचा के घर गया तो मेरे चाचा ने मुझे कहा कि तुमने तो बहुत तरक्की कर ली है लेकिन राजेश के तो बुरे हाल हो चुके हैं। वह तो कुछ काम भी नहीं करता है और दिनभर निकम्मों की तरह इधर से उधर घूमता रहता है। हम बहुत ही परेशान हो चुके हैं। अब वह लोग मेरे सामने राजेश का दुखड़ा रोने लगे और मुझे भी उन्हें देखकर बहुत दया आ रही थी। क्योंकि राजेश घर में बड़ा था और उसके दो छोटे भाई और हैं। अब राजेश को ही अपने कंधों पर जिम्मेदारी लेनी थी लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा था। जब मुझे राजेश मिला तो मैंने देखा कि वह बहुत ही बदतर स्थिति में था।



    मैंने उसे कहा कि तुम गांव में अपना समय क्यों बर्बाद कर रहे हो। वह मुझे कहने लगा कि मुझे कुछ भी नहीं आता तो मैं कहां जाऊं। मैंने उसे कहा कि तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हें अपने साथ ले चलता हूं और तुम मेरे ऑफिस में ही कुछ काम कर लेना। वह पहले माना नहीं। क्योंकि उसे अब निकम्मों की तरह जगह जगह घूमने की आदत हो चुकी थी और वह इधर से उधर घूमता रहता था लेकिन अब वह मान गया और मेरे साथ शहर चलने को राजी हो गया। जब यह बात मैंने अपने पिताजी को बताई तो वह बहुत खुश हुए और कहने लगे कि तुम राजेश को अपने साथ ले जाओ। नहीं तो वह अपनी जिंदगी खराब कर लेगा। अब कुछ दिनों तक मैं घर में अपने माता-पिता के साथ बहुत ही अच्छे से समय बिता रहा था लेकिन मुझे काफी दिन हो गए थे और मेरा काम भी छूट रहा था। इस वजह से मैंने अपने पिताजी से कहा कि मैं दिल्ली जा रहा हूं और मुझे बहुत दिन हो चुके हैं। यदि आप मेरे साथ चलना चाहते हैं तो आप जल्दी से समान पैक कर लीजये लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया और कहने लगे की हम घर में ही ठीक हैं। अब मैं राजेश को अपने साथ दिल्ली ले गया। वह दिल्ली आया तो वह कहने लगा तुम तो बहुत ही अच्छी जगह रहते हो और वह मेरे साथ मेरे ऑफिस भी आया। मैंने उसे ऑफिस में ही अपने काम पर लगा दिया और वह बहुत ही खुश हुआ। अब वह बहुत ही अच्छे से काम करने लगा और मैं भी उसे देखकर बहुत ही खुश था।



    वह मेरे साथ ही रहता था और बहुत ज्यादा मेहनत भी कर रहा था। एक दिन हम दोनों लेटे हुए थे और वह बहुत ज्यादा बकचोदिया करने लगा। मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था वह इस तरीके से मुझे परेशान कर रहा था। मैंने उसे चुप होने के लिए कहा लेकिन वह बिल्कुल भी चुप नहीं हो रहा था। मैंने तुरंत ही उसे पकड़ लिया और अपने लंड को उसके मुंह के अंदर डाल दिया। वह छटपटाने लगा और अपने मुह से मेरे लंड को बाहर निकालने लगा। लेकिन थोड़ी देर बाद वह मेरे लंड को चूसने लगा और अच्छे से उसे अंदर बाहर करता जाता। मेरा लंड चूसते ही वह भी बहुत ज्यादा मजे में आ चुका था। मैंने उसकी गांड को चाटना शुरु कर दिया उसके गांड में हल्के हल्के बाल थे जो कि बाहर निकले हुए थे। थोड़ी देर बाद मैने अपने लंड को उसकी गांड मे डाल दिया। जैसे ही मैंने उसकी गांड में लंड डाला तो वह चिल्लाने लगा।



    मैंने उसे कहा कि तुम्हारे काम ही खराब है घर में भी तुम्हारी वजह से सब परेशान है और तुम यहां मुझे परेशान कर रहे हो। एक तो मैंने तुम्हें अपने साथ काम दिलाया और उल्टा तुम मेरी गांड मार रहे हो। अब मैं तुम्हें बताता हूं गांड मारना कैसा होता है। अब मैं उसकी बड़ी तेजी से गांड मार रहा था और उसकी गांड से खून भी आ चुका था मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। जब मैं उसकी गांड में अपने लंड को अंदर बाहर करने पर लगा हुआ था वह बहुत तेज चिल्ला रहा था। जब मेरा लंड उसकी गांड के अंदर सेट हो गया तो वह भी अब मेरे लंड पर अपनी गांड से धक्के देने लगा। वह कहने लगा मुझे भी अब मजा आने लगा है तुम ऐसे ही मुझे झटके मारते रहो और मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है। अब मैं उसे बड़ी तेजी से ऐसे ही झटके मारे जा रहा था जिससे कि वह बहुत ही मजे मे आने लगा। वह अपनी गांड को मुझसे मिलाया जा रहा था मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था वह जिस प्रकार से वह अपनी गांड को मुझसे मिला रहा था। मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो रहा थी और वह भी बहुत ज्यादा खुश था। मै उसे अब धक्के मार रहा था जिससे कि मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मैंने इतनी तेज तेज उसे झटके मारे की उसका शरीर पूरा गरम हो गया और उसकी गांड से आग निकलने लगी। उसकी गांड से इतनी ज्यादा गर्मी निकाल रही थी कि मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुई और मेरा वीर्य उसकी गांड में जा गिरा। उसके बाद से मैं हमेशा ही उसकी गांड मारता रहता हूं।