पडोस की जुगाड़ ने जलवे दिखा दिए

मैं और मेरा दोस्त सुरेश अपनी कार से वापस लौट रहे थे हम लोग मेरे गांव गए हुए थे मेरा गांव अहमदाबाद के पास ही है। जब हम लोग वापस लौट रहे थे तो रास्ते में कार खराब हो गई जिस वजह से हम दोनों को वहां पर काफी देर तक रुकना पड़ा आस-पास कोई मैकेनिक भी नहीं था इसलिए हम लोग काफी परेशान हो गए थे। गर्मी भी बहुत ज्यादा थी और आसपास कहीं कोई रुकने की जगह भी नहीं मिल रही थी तभी वहां से मोटरसाइकिल पर सवार एक व्यक्ति आया, वह हमें देखकर वहां रुका और कहने लगा कि आप लोगों को कहां जाना है। हमने उसे अपनी समस्या बताई और कहा कि हम लोगों को अहमदाबाद जाना है लेकिन हमारी कार खराब हो गई है क्या आसपास कोई मैकेनिक है तो वह व्यक्ति हमें कहने लगा कि यहां एक मैकेनिक तो है लेकिन यहां से करीब 10 किलोमीटर दूर होगा। हम दोनों परेशान हो गए और हमारे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए, हमने उस व्यक्ति से ही मदद मांगी और कहा कि क्या आप हम दोनों को मैकेनिक के पास तक छोड़ सकते है।

वह हमे कहने लगे कि मैं आप लोगों को वहां तक तो नहीं लेकिन आधे रास्ते तक जरूर छोड़ सकता हूं वहां से आप लोगों को कुछ ना कुछ जरूर मिल जाएगा। हम दोनों भी तैयार हो गए और उसके साथ हम दोनों मोटरसाइकिल तक आधे रास्ते तक चले गए। हम लोग करीब 6 किलोमीटर तक गये और वहीं पर हम लोगों ने खाना भी खाया क्योंकि हम लोग काफी भूखे थे और गर्मी भी बहुत ज्यादा थी। दोपहर के करीब 1:00 बज रहे थे लेकिन गर्मी इतनी ज्यादा हो रही थी कि हम दोनों पसीने में तर बदर हो गए। वहां से हम लोग एक गाड़ी से लिफ्ट लेकर आगे तक चले गए और फिर वहां हमें एक मैकेनिक मिला। मैकेनिक से हम लोगों ने हमारे साथ चलने को कहा तो वह हम लोगों की बात मान गया और हम लोग वहां से आप अपनी कार के पास गए। हम लोगों को वहां पहुंचने में काफी समय लग गया था वह मैकेनिक गाड़ी देखने लगा और कहने लगा कि साहब मुझे नहीं लगता कि आपकी गाड़ी आज ठीक हो पाएगी मुझे कम से कम एक दिन का समय चाहिए।

हम लोगों ने उसे कहा की हमें आज अहमदाबाद जाना है तो वह कहने लगा कि आज आप लोग यहीं रुक जाइए। मैंने उसे कहा लेकिन यहां आस-पास तो कहीं भी कोई रुकने की जगह नहीं है वह हमें कहने लगा कि मैं आप लोगों को अपने ही गैराज के पास रुकने की व्यवस्था करवा दूंगा। हम लोग भी उसकी बात मान गए और हम लोगों ने उसे कहा कि लेकिन यहां से गाड़ी कैसे जाएगी तो उसने एक क्रेन मंगवा लिया और क्रेन की मदद से हम लोग अब उस मैकेनिक की दुकान तक पहुंच गए। हम उसके गैरेज के पास आए तो उसने हमारी वहीं पास में रुकने की व्यवस्था करवा दी वहां एक छोटा सा कमरा था उसमें ही हम दोनों रुके। उस रात हम लोग वहीं पर रुके और अगले दिन मैकेनिक ने गाड़ी ठीक कर दी थी उसके बाद हम वहां से वापस अहमदाबाद लौट आए थे। जब हम लोग अहमदाबाद लौटे तो सुरेश और मैं एक दूसरे से इस बारे में बात कर रहे थे और मैंने सुरेश से कहा कि हमारा सफर कुछ ठीक नहीं रहा तो सुरेश इस बात पर हंसने लगा। अगले दिन से मैं अपने काम पर जाने लगा था अहमदाबाद में मेरी गारमेंट शॉप है और उसे मैं काफी सालों से चला रहा हूं मेरे जीवन में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है मेरी शादी को करीब 10 वर्ष हो चुके हैं और मेरी पत्नी मेरा बहुत ही ख्याल रखती है। मेरी जिंदगी में सब कुछ अच्छे से चल रहा है और मेरी जिंदगी में सब कुछ सामान्य है लेकिन मेरी बहन की वजह से घर में काफी ज्यादा परेशानी रहती है। मेरी बहन के डिवोर्स को हुए करीब 3 वर्ष हो चुके हैं और इन 3 वर्षों में वह मानसिक रूप से काफी ज्यादा टूट चुकी है। हालांकि हम लोगों ने उसकी काफी मदद की लेकिन उसके बावजूद भी वह काफी ज्यादा परेशान होने लगी है हम लोगों के पास भी इसका कोई जवाब नहीं था लेकिन फिर भी हम लोग उसे खुश रखने की हमेशा ही कोशिश करते हैं। एक दिन मैं अपनी शॉप पर जा रहा था अपनी शॉप पर जब मैं गया तो उस दिन मेरी पत्नी ने मुझे फोन किया और कहने लगी कि क्या आप घर आ सकते हैं। मैंने उसे पूछा कि लेकिन क्या हुआ, उसने मुझे कुछ नहीं बताया और जब मैं घर आया तो मैंने देखा कि मेरी बहन की तबीयत बिल्कुल भी ठीक नहीं है वह काफी ज्यादा बीमार है यह सब देखकर मैं बहुत ज्यादा परेशान हो गया था और तुरंत ही हमे उसे अस्पताल लेकर जाना पड़ा।

जब मैं अपनी बहन को हॉस्पिटल ले गया तो वहां पर डॉक्टर ने मुझे कहा कि आप लोगों को इन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ेगा। मुझे नहीं समझ आया की आखिर ऐसा क्या हुआ है लेकिन फिर मेरी पत्नी ने बताया कि आज सुबह से ही रीना की तबीयत खराब थी, हमें कुछ पता नहीं था कि आखिर ऐसा हुआ क्या है। इलाज के बाद रीना ठीक हो चुकी थी और उसे हम लोग घर ले आए जब हम लोग रीना को घर लाए तो मैं और मेरी पत्नी रीना का ध्यान बड़े अच्छे से रखते। पापा मम्मी भी उसे काफी ज्यादा प्यार करते हैं लेकिन उसकी इस हालत को अब हम लोग देख नहीं पा रहे थे मैं चाहता था कि जल्द से जल्द उसकी शादी कहीं हो जाए जिससे कि वह अपनी जिंदगी जी पाए लेकिन उसके लिए कोई लड़का मिल ही नहीं रहा था। काफी ढूंढने के बाद हम लोगों को रीना के लिए एक लड़का मिल ही गया और थोड़े ही समय मे हम लोगों ने उसकी शादी उससे करवा दी। रीना की मानसिक स्थिति ठीक होने लगी थी और वह अब पहले से ठीक थी मैं भी इस बात से काफी खुश था कि अब रीना की शादी हो चुकी है और वह अपनी जिंदगी अच्छे से जी रही है। हमारे पडोस मे गरिमा रहती है।

वह एक दिन मुझे मिली तो मैने उसके हालचाल पूछे उसका चरित्र सही नही है जिस वजह से मै भी उस पर लाइन मारता था। उसने मुझे उस दिन अपने घर पर चलने को कहा मै उसके घर चला गया जब मै उसके घर गया तो वह मेरे लिए तडप रही थी उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बढ रहा था। वह मेरे सामने बैठी थी और जब मैने उसके हाथ को पकडकर उसे अपनी ओर खीचा तो वह खुश हो गई। वह मेरे लंड को दबाने लगी। गरिमा की चूत मे खुजली हो चुकी थी। हम दोनों ने एक दूसरे को किस कर लिया काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे को चुम्मा चाटी करते रहे। अब हम दोनों के बदन आग बढ़ने लगी थी मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाया। वह भी अब रह नही पा रही थी और वह तडपने लगी थी। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारे होंठो को किस करने मे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है। वह मुझे कहने लगी अच्छा तो मुझे भी बहुत लग रहा है। मैने उसकी चूत से पानी बाहर को बाहर निकल दिया था इसलिए वह बहुत ज्यादा तड़पने लगी थी। मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाल लिया तो मैंने अपने मोटे और लंबे लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू किया वह मेरे लंड को देखकर कहने लगी तुम्हारा लंड तो बहुत ही ज्यादा मोटा है। मैंने उसे कहा तुम्हे इसे अपने मुंह में लेना है। उसने भी झट से अपने मुंह मे मेरे लंड को ले लिया था जैसे उसे लंड लेने की आदत हो। गरिमा की चूत से पानी बाहर निकालने लगा था मैं पूरी तरीके से मचलने लगा था और गरिमा भी उत्तेजित हो गई थी। मैंने उसके बदन से कपड़े उतारकर उसकी चूचियों को अपने हाथों से दबाना शुरू किया। जब मैं ऐसा करता तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और उसे भी बड़ा मजा आता। मेरे अंदर की आग बढ़ती ही जा रही थी उसे इतना मजा आने लगा था कि वह मुझे कहने लगी मुझे अब तुम्हारे लंड को चूत में लेना है मै तडप रही हूं।

मैंने उसकी पैंटी को उतारकर उसकी चूत को देखा तो उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी चूत गुलाबी थी। जब मैंने उसकी चूत पर अपनी उंगली का स्पर्श किया तो वह मचलने लगी। मैंने अपनी उंगली को गरिमा की गोरी चूत मे डालने की कोशिश की तो वह उछल पड़ी और बोली अब मत तडपाओ। मैंने उसकी चूत पर जीभ लगाकर चाटना शुरू कर दिया था। मैं जब उसकी योनि को चाट रहा था तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था और उसे भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था वह उत्तेजित होने लगी थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है। मैंने उसे कहा मेरे अंदर की आग अब बढ़ने लगी है हम दोनों ही एक दूसरे के लिए तडपने लगे थे।

मैं भी अपने आपको ज्यादा देर तक रोक नहीं पाया। मैंने जब उसकी चूत के अंदर अपने लंड को धकेलते हुए डाला तो वह जोर से चिल्लाई। मैंने देखा उसकी चूत से पानी निकल रहा था उसको बड़ा ही मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने गरिमा की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया था जिससे कि मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था और वह भी पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी। मैंने गरिमा के दोनों पैरों को आपस में मिला लिया। उसकी मोटी जांघो को आपस मे मिलाने के बाद जिस प्रकार से मै उसे चोद रहा था उससे वह और भी ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी। उसकी चूत के अंदर तक मेरा लंड जा रहा था। मै उसकी चूत पर प्रहार करता तो उसकी चूत और मेरे लंड के मिलन से आवाज पैदा हो रही थी। उसकी चूत लाल होने लगी थी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था। जब मुझसे रहा नही गया तो मैंने अपने माल को उसकी चूत पर गिरा दिया था और मेरा माल गरिमा की चूत मे गिर चुका था। गरिमा की चूत कमाल थी उसे चोदकर मेरा मन खुश हो गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *