मम्मी को मिला दो लोड़ो का मजा

हैल्लो मेरे प्यारे दोस्तों, आज में आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने आया हूँ. दोस्तों यह कोई झूटी कहानी नहीं बल्कि एक सच्ची घटना है और इस घटना में मैंने अपनी आखों से जो सभी कुछ देखा में वो बताने आया हूँ. दोस्तों में पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ और एक दिन मैंने इसको भी आप तक पहुँचाने के बारे में सोचा, क्योंकि यह मेरी माँ की वो चुदाई थी, जिसको मेरे चाचा ने पूरा किया, इसलिए में बताने से थोड़ा झिझक महसूस कर रहा था और फिर मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके इसको आप तक पहुंचा दिया और में उम्मीद करता हूँ कि यह आप लोगों को जरुर पसंद आएगी.

दोस्तों यह उन दिनों की बात है, जब मेरी मम्मी की उम्र करीब 30 साल थी, उस समय मेरी मम्मी की जवानी अपने पूरे ज़ोर पर थी और वो दिखने में बहुत सुंदर और उनका गोरा रंग और उनके गदराए बदन की बनावट हर किसी को एक बार देखने से ही अपनी तरफ आकर्षित करती और जब वो मेक्सी को पहनकर घर में अपने काम किया करती तो उनके बड़े आकार के लटकते हुए गोरे गोरे बूब्स उनकी उस मेक्सी से बाहर आने को बेताब रहते थे और उनके कूल्हे भी बहुत भारी थे, जिनकी वजह से वो बहुत ही हॉट सेक्सी दिखती और मेरे पापा के दोस्त जब भी हमारे घर पर आते थे तो वो भी मेरी मम्मी के कूल्हों को अपनी प्यासी नजर से घूरते रहते थे.

दोस्तों उन दिनों की बात है, जब मेरे स्कूल में गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और मेरे पापा उनके ऑफिस के किसी काम से कुछ दिनों के लिए बाहर गये हुए थे. उस वजह से अब घर में हम दोनों ही थे और उसी सुबह मेरे नरेश चाचा हमसे मिलने हमारे घर पर आ गए, वैसे तो वो हमसे मिलने हर कभी आते थे, लेकिन इस बार वो बहुत दिनों के बाद हमारे घर पर आये थे. अब उनको देखकर मेरी मम्मी बहुत खुश हो गई और उनकी वो ख़ुशी में मुझे उनके खिलते हुए चेहरे से साफ साफ पता चल रहा था और में उनके चेहरे की उस हंसी को देखकर तुरंत समझ गया था कि आज मेरी मम्मी मेरे चाचा से जरुर अपनी चुदाई करवाएगी, इसलिए वो खुश थी.

अब में ड्रॉयिंगरूम में बैठकर टी.वी. देख रहा था, वहीं दीवार पर एक बड़ा सा कांच लगा हुआ था, जिससे में एक जगह पर बैठा हुआ ही पूरी किचन को साफ साफ देख सकता था. मम्मी मेरे चाचा को देखकर उनसे बोली कि में आपके लिए चाय बनाकर अभी लेकर आती हूँ. तभी मेरे चाचा उनसे कहने लगी कि चलो भाभी में भी आपकी कुछ मदद कर देता हूँ और वो यह बात कहकर मेरी मम्मी के पीछे पीछे किचन में चले गये और में उस कांच से सब कुछ देख रहा था और फिर मैंने देखा कि वो मेरी मम्मी के पास में खड़े होकर मम्मी के कूल्हों पर अपने हाथ को फेर रहे थे और मम्मी चाय बनाते हुए उनकी तरफ देखकर बार बार मुस्कुरा रही थी.

कुछ देर बाद चाचा ने उनके कूल्हों को थोड़ा ज़ोर से भींच दिया और उन्होंने उसी के साथ तुरंत मम्मी के गाल पर एक किस भी कर दिया. अब मम्मी ने बाहर मेरी तरफ देखा और देखकर उन्होंने समझा कि में तो टी.वी. देख रहा हूँ, इसलिए उन्होंने भी चाचा के लंड को उनकी पेंट के ऊपर से ही ज़ोर से दबाते हुए रगड़ दिया और तब तक उनकी चाय भी तैयार हो गयी थी, इसलिए वो दोनों ड्रॉयिंग रूम में चाय लेकर आ गये. अब वो दोनों वहीं पर मेरे सामने बैठकर चाय पी रहे थे और साथ में बहुत हंस हंसकर बातें भी कर रहे थे. फिर मम्मी मेरे चाचा से कहने लगी कि नरेश मेरी कमर में पिछले कई दिन से पता नहीं क्यों थोड़ा सा दर्द हो रहा है? तो चाचा ने उनकी तरफ मुस्कुराकर कहा कि कोई बात नहीं है भाभी, में अभी आपकी कमर पर तेल की मालिश कर देता हूँ, वो सब एकदम ठीक हो जाएगा.

उसके बाद वो दोनों तुरंत अपनी अपनी चाय को जल्दी से खत्म करके बैठ गए और मम्मी उठकर तेल की बोतल ले आई और वो उनसे कहने लगी कि नरेश हम मालिश बेडरूम में चलकर करते है और वो मुझसे बोली कि विक्की बेटा तुम हमें बिल्कुल भी परेशान मत करना.

फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है मम्मी, वैसे भी मुझे टी.वी. देखनी है और फिर में मन ही मन सोचने लगी कि अब मम्मी अंदर जाकर चाचा से अपनी चूत की मालिश करवाएगी और उन दोनों ने बेडरूम में जाकर तुरंत दरवाजे को बंद कर लिया और फिर मैंने कुछ देर बाद उठकर दरवाजे के चाबी वाले छेद से अंदर झांककर देखा तो मैंने पाया कि वो दोनों एक दूसरे से लिपटकर बाहों में खड़े है और चाचा अपने दोनों हाथों से मम्मी के कूल्हों को दबा रहे है और मम्मी के नरम गुलाबी होंठो पर उनके होंठ है. कुछ देर तक चाचा ने मम्मी के होंठो के रस को पिया.

अब वो दोनों अलग हुए और उन दोनों ने तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिए, जिसकी वजह से अब वो दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे. अब चाचा कहने लगे कि वाह भाभी तेरे यह बूब्स तो पहले से भी ज्यादा मोटे, मजेदार हो गए है और यह बात कहकर वो मम्मी के बूब्स के निप्पल को अपने मुहं में लेकर चूसने लगे और मम्मी उनके सर पर अपना एक हाथ फेर रही थी. अब मेरी मम्मी बोली कि नरेश ज़रा तुम अब मेरी चूत में ऊँगली भी डालो और चाचा ने मम्मी के मुहं से यह बात सुनकर उसी समय उनके बूब्स को चूसते हुए अपने एक हाथ की दो उँगलियाँ उन्होंने मेरी मम्मी की चूत के अंदर डालकर अपने हाथ को हिलाने लगे और आगे पीछे करने लगे.

अब उसकी वजह से मम्मी की सिसकियाँ बंद हो गयी और वो उसका मज़ा लेने लगी. अब मम्मी से उस मज़े मस्ती की वजह से ठीक तरह से खड़ा रहना भी बड़ा मुश्किल हो रहा था. तभी चाचा ने उनकी वो हालत को देखकर तुरंत उनके बूब्स को चूसना छोड़ दिया और अब वो बेड के किनारे पर जाकर बैठ गए और मम्मी नीचे जमीन पर उनके दोनों पैरों के बीच में बैठकर उनके लंड से खेलने लगी और वो अपने एक हाथ से चाचा के लंड को धीरे धीरे हिलाने लगी और फिर कुछ देर बाद मम्मी ने अपना मुहं लंड के पास ले जाकर लंड पर अपनी जीभ को घुमाया और उसका स्वाद चखा और फिर मेरे देखते ही देखते धीरे धीरे चाचा का पूरा लंबा, मोटा लंड अब मेरी मम्मी के मुहं में गहराई तक समा गया और मम्मी चाचा के लंड को पूरे जोश से चूस रही थी, उनके गाल हर सक के साथ पिचक और फूल रहे थे और चाचा मोन कर रहे थे और वो कह रहे थे, ऊऊह्ह्ह भाभी बहुत अच्छा आह्ह्ह् वाह मज़ा आ गया, थोड़ा आप इसको अपने एक हाथ से भी हिलाओ.

मम्मी ने चाचा के कहने पर उनके लंड को चूसने के साथ साथ अपने एक हाथ से लंड को हिलाना भी शुरू कर दिया था. उस समय वो दोनों बहुत जोश में पूरी तरह से गरम लग रहे थे और कुछ देर के बाद जब मम्मी ने चाचा के लंड को अपने मुहं से बाहर निकाला तो लंड अब उनके थूक की वजह से एकदम चमक रहा था.

चाचा बेड से उठ खड़े हुए और मम्मी को उन्होंने बेड का एक कोना पकड़कर डोगी की पोज़िशन में कर दिया और वो खुद उनके पीछे आकर खड़े हो गये और सबसे पहले उन्होंने मम्मी के कूल्हों पर अपना एक हाथ घुमाया और उसके बाद अपने एक हाथ में लंड को लेकर दूसरे हाथ से मम्मी के दोनों कूल्हों को फैलाया और लंड को मम्मी की चूत के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया. अब उस वजह से तो मम्मी अब ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी, वो ऊऊह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह नरेश प्लीज़ अब डाल भी दो स्सीईईईई मुझे अब और नहीं रुका जाता, प्लीज थोड़ा जल्दी करो, आईईईइ क्यों तुम मुझे आज इतना तरसा रहे हो, तुम देखते क्यों नहीं में मरी जा रही हूँ? प्लीज ज्यादा देर मत करो.

अब चाचा जोश में आकर बोले हाँ तो यह लो मेरी प्यारी भाभी तुम्हें अपनी चुदाई का बहुत शौक है मेरी चुदक्कड़ रंडी भाभी और उन्होंने यह बात कहते हुए एक झटके में ही अपना पूरा का पूरा लंड मम्मी की चूत में डाल दिया और मैंने देखा कि चाचा का मोटा लंड मम्मी की गीली चूत को फैलाता हुआ अंदर जा पहुंचा और उस जोरदार धक्के की वजह से मम्मी के मुहं से एक हल्की सी चीख बाहर निकल गई और अब चाचा ने धक्के देते हुए लगातार अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से हर एक झटके पर उनकी कमर मम्मी के कूल्हों पर जाकर टकरा रही थी और उस पूरे रूम में उनकी चुदाई के खेल का शोर गूँज रहा था और मम्मी हल्की हल्की आहें भी भर रही थी, ऊऊओ आह्ह्ह्हह ऊऊओफफफ मेरे प्यारे देवर जी बस आप ऐसे ही मुझे चोदते रहो, मुझे वाह क्या मस्त मज़ा आ रहा है, तुम अपनी भाभी को ऐसे ही लगातार धक्के देते रहो.

दोस्तों मेरी मम्मी की ऐसी जोश भरी बातें सुनकर चाचा को भी ज्यादा जोश आ गया और वो अब ज्यादा ज़ोर से अपनी कमर को हिलाने लगे, मेरी मम्मी उनके सामने कुतिया बनी हुई थी, इसलिए उनके बूब्स लटक रहे थे और वो भी हर एक धक्के की वजह से ज़ोर ज़ोर से हिल भी रहे थे. तभी मम्मी बोली नरेश में अब झड़ रही हूँ आह्ह्ह्हहह उफफफफफ और मम्मी ने अपनी चरम सीमा को पा लिया था, लेकिन चाचा अभी भी धड़ाधड़ अपनी कमर को वैसे ही हिला रहे थे. उन्होंने अपने एक हाथ को आगे करके मम्मी के सर के बाल पकड़ लिए और वो मम्मी को बिल्कुल घोड़ी बनाकर धक्के देकर चोद रहे थे और उनकी सवारी कर रहे थे.

दोस्तों पूरे कमरे में उनके गीले लंड के चूत में अंदर बाहर होने की वजह से पच पच का शोर गूँज रहा था. तभी चाचा कहने लगे कि भाभी मेरा भी अब झड़ने का समय पास आ रहा है. मम्मी उनसे बोली कि मुझे तुम्हारा पानी पीना है. फिर चाचा ने यह बात सुनकर तुरंत अपने लंड को उनकी चूत से बाहर निकाला और मम्मी बेड से हटकर चाचा के पैरों के बीच में आकर बैठ गयी और चाचा ने अपना लंड मम्मी के मुहं में डाल दिया और मम्मी लंड को हांफते हुए चूसने लगी. तभी चाचा मोन करने लगे ऊऊओ आआआः ऊऊऊओ और मैंने देखा कि मम्मी के गाल अचानक से फूल गये, क्योंकि मम्मी ने चाचा का सारा वीर्य पी लिया और वो बहुत देर तक उनके लंड को अपने मुहं में लेकर चूसती हुई मज़े करती रही, जब तक लंड छोटा नहीं हो गया, उन्होंने लंड को चूसना नहीं छोड़ा और वो मज़े लेती रही.

अब चाचा कहने लगे, ओह्ह्ह्ह भाभी बहुत दिनों के बाद मुझे तुम्हारी चूत चुदाई के लिए मिली है, इसलिए मुझे आज इसकी चुदाई करने में बहुत मज़ा आया है, यह आज भी बिल्कुल पहले जैसा मज़ा देती है. अब वो दोनों बेड पर लेट गये और मम्मी उनके लंड से खेल रही थी और चाचा उनके बूब्स को धीर धीरे दबा भी रहे थे और फिर वो कहने लगे कि भाभी मेरा एक दोस्त आज रात को आ रहा और वो तीन दिन तक यहीं पर रुकेगा.

फिर मम्मी उनकी बात को सुनकर थोड़ा उदास होकर कहने लगी. फिर हम उसके आ जाने पर चुदाई कैसे करेंगे? क्योंकि मुझे तुम्हारे साथ और भी मज़े चाहिए, मेरा मन अभी नहीं भरा है.

अब चाचा कहने लगे, भाभी अगर तुम तैयार हो तो हम उसको भी इस खेल में शामिल कर लेते है. तभी मम्मी थोड़ा गुस्से से कहने लगी, तुमने क्या मुझे कोई रंडी समझा है, जो में हर किसी से अपनी चुदाई करवाती रहूँ, किसी के भी सामने अपनी इज्जत को खोलकर बैठ जाऊं और उससे चुदाई करवाऊँ? में तुमसे अपनी चुदाई करवाती हूँ तो उसका क्या मतलब है, क्या मेरी कोई इज्जत नहीं है?

अब चाचा मेरी मम्मी को बहुत प्यार से धीरे धीरे समझाने लगे कि भाभी आप क्यों इतना बिना मतलब के गुस्सा हो रही हो, जैसा आप सोच समझ रही हो वैसा कुछ भी नहीं है और आप उसकी बिल्कुल भी चिंता मत करो, क्योंकि मैंने उस मेरे दोस्त को पहले से ही सब कुछ समझा दिया है, इसलिए वो भी मेरे साथ आपकी अच्छी तरह से चुदाई करेगा और फिर आप एक साथ दो लंड से अपनी चुदाई करवाओगी तो आपको उसमें ज्यादा मज़ा आएगा और बस तीन दिन की बात है, तब तक हम मिलकर मज़े मस्ती करेंगे और उसके बाद वो चला जाएगा और वैसे भी वो यह सभी बातें किसी से भी नहीं कहेगा, यह सब काम हम तीनों के बीच में हमेशा के लिए एकदम गुप्त रहेगा और आप इस खेल में खुश हो जाओगी.

अब मम्मी कुछ देर मेरे चाचा की बातें सुनकर सोच विचार करके बोली हाँ ठीक है, लेकिन किसी को पता नहीं चलना चाहिए, इस बात का ध्यान जरुर रखना. अब चाचा ने बहुत खुश होकर कहा हाँ मेरी प्यारी भाभी आप यह सब मुझ पर छोड़ दो और फिर रात को करीब 8 बजे मेरे चाचा का वो दोस्त जिसका अनिल था, वो हमारे घर पर आ गया. उसको देखकर मेरी मम्मी मन ही मन बहुत खुश थी, क्योंकि उनको अब एक साथ दो लंड से अपनी चुदाई का वो पहला मौका आज मिलने वाला था.

अब मम्मी ने जानबूझ कर उसको अपनी तरफ आकर्षित करने अपने गोरे सेक्सी जिस्म की नुमाइश करने के लिए सिर्फ़ एक जालीदार मेक्सी पहनी हुई थी, जिसमें से मम्मी के कुल्हे, बूब्स और चूत भी साफ दिखाई दे रहे थे और अब उनके सामने मम्मी कुछ ज़्यादा ही झुककर अनिल को चाय पानी दे रही थी और वो सेक्सी नजारा देखकर अनिल का लंड तुरंत तनकर खड़ा हो चुका था और फिर हम सभी ने साथ में बैठकर खाना खाया और कुछ देर बाद में मम्मी के कहने पर अपने रूम में सोने चला गया.

में सोने का नाटक करने लगा और उसके बाद मेरे चाचा और अनिल मेहमानों के कमरे में चले गये, लेकिन कुछ देर बाद मैंने उन दोनों को मेरी मम्मी के रूम की तरफ जाते हुए देखा और फिर उन्होंने अंदर जाते ही तुरंत रूम को अंदर से बंद कर लिया. अब उनके अंदर जाते ही मैंने भी तुरंत अपने बिस्तर से उठकर उस छेद से अंदर झाककर देखा कि अब वो दोनों अपने कपड़े उतार रहे थे और मेरी मम्मी उनके सामने नंगी बेड पर लेटी हुई थी. तभी मेरे चाचा का दोस्त उनसे कहने लगा कि यार नरेश तेरी भाभी तो जैसा तूने मुझे बताया था, उससे भी ज्यादा मस्त है, इसके साथ सेक्स करने की तो बात ही कुछ और होगी, बड़ा आज मज़ा आएगा.

अब चाचा बोले कि तू पहले इसको एक बार चोद तो ले. उसके बाद तुझे इसकी खासियत का पता चलेगा, तूने ऊपर से देखा है अंदर से नहीं ऐसी मस्त मज़े देने वाली चूत तूने कभी नहीं देखी होगी.

अब मम्मी उन दोनों की बातें और अपनी इतनी तारीफ सुनकर खुश होकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और उसी समय उठकर मम्मी ने अनिल के लंड को अपने एक हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया तो वो उनके नरम हाथ के स्पर्श को पाकर और भी तनकर खड़ा हो गया. फिर मम्मी ने तुरंत उसके लंड को अपने मुहं में ले लिया और वो चूसने लगी और इस समय चाचा ने मम्मी को कमर से पकड़कर कुतिया की तरह कर दिया और उन्होंने अपने लंड पर थूक लगाकर मम्मी की चूत में अपने लंड को डाल दिया, जिसकी वजह से लंड धीरे धीरे फिसलता हुआ मम्मी की चूत में पूरा अंदर चला गया और अब उन्होंने मम्मी को लगातार धक्के देकर चोदना शुरू कर दिया और मम्मी अनिल के लंड को चूसे जा रही थी.

कुछ देर के बाद मम्मी ने चूसना बंद कर दिया और वो बोली कि नरेश तुम बेड पर लेट जाओ. अब चाचा उनके कहते ही तुरंत बेड पर अपनी पीठ के बल लेट गये और मम्मी उनके ऊपर लेट गयी और उन्होंने अपने हाथ को बीच में डालकर चाचा के लंड को अपनी चूत में डाल लिया और वो अपनी कमर को हिलाने लगी. फिर कुछ देर में चाचा का लंड उनकी चूत में बहुत आराम से जा रहा था.

अब मम्मी ने अपने दोनों हाथ पीछे लाकर अपने कूल्हों को हाथ से फैलाया, जिसकी वजह से उनकी गांड का छेद खुलकर बाहर आ गया. उन्होंने कहा कि अनिल तुम अपना लंड मेरी गांड में डाल दो, लेकिन थोड़ा सा ध्यान से करना मुझे इसकी आदत नहीं है और में अपनी गांड में किसी का लंड आज पहली बार ले रही हूँ.

अब अनिल यह बात सुनकर तुरंत उनके ऊपर आ गया और उसने अपने लंड के टोपे को मम्मी की गांड के छेद पर रखकर हल्के से अंदर की तरफ दबाया, जिसकी वजह से उसका टोपा अंदर चला गया, लेकिन मम्मी उस दर्द से एकदम से बिलबिला उठी, उनको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था, लेकिन फिर भी अनिल ने अपने लंड और ज़ोर लगाकर अंदर किया. फिर मम्मी की अब बहुत ज़ोर से चीख निकलने लगी, ऊऊह्ह्ह आह्ह्ह् प्लीज अनिल अब बस करो बाहर निकाल लो इसको यह नहीं जाएगा, आईईईई इसका आकार बहुत मोटा है, प्लीज तुम अब हट जाओ मेरे ऊपर से आह्ह्हह्ह में मर जाउंगी और अब मम्मी दर्द से छटपटाते हुए उठने की कोशिश करने लगी, लेकिन नीचे से चाचा ने मम्मी को बहुत मजबूती से पकड़ रखा था, इसलिए वो उठ ना सखी और उनकी वो कोशिश मुझे नाकाम होती दिखाई दे रही थी और ऊपर से अनिल ने मम्मी की कूल्हों को और ज्यादा फैलाकर वो अपना लंड मम्मी की गांड में दबाता चला गया, उसको मम्मी के दर्द से कोई भी मतलब नहीं था.

उस असहनीए, जोरदार दर्द की वजह से मम्मी के मुहं से अब उनकी आहें निकलना शुरू हो गयी थी और फिर अनिल का पूरा लंड मम्मी की गांड में चला गया तो उसने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और इस बार दोबारा से डाल दिया, बहुत देर तक वो मम्मी की गांड में अपने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करता रहा, तब जाकर मम्मी की गांड थोड़ी सी ढीली हुई. अब नीचे से चाचा ने भी अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया और ऊपर से अनिल ने भी अपनी स्पीड को पहले से तेज कर दिया. दोस्तों मैंने देखकर महसूस किया कि मम्मी उन दोनों के बीच में कभी दर्द से तो कभी मस्ती में सिसकियाँ भर रही थी.

फिर कुछ देर के बाद अनिल का पूरा शरीर अकड़ने लगा और वो मम्मी की पीठ पर लेट गया और तब में तुरंत समझ गया कि वो झड़ रहा है और उसका वीर्य मम्मी के गांड में गिर रहा है. कुछ देर तक अपने लंड को मम्मी की गांड में रखने के बाद उसने बाहर निकाला. फिर मैंने ध्यान से देखा कि उसके निकलने के कुछ देर तक भी मम्मी की गांड का छेद खुला ही रहा, जिसमें से उसका वीर्य बहता हुआ बाहर आ रहा था. फिर अनिल अब मम्मी के मुहं के पास आ गया था, मम्मी ने उसके लंड को पकड़कर अपने मुहं में लेकर उसको चाटना शुरू किया और अच्छी तरह से साफ कर दिया और इधर चाचा भी झड़ रहे थे.

फिर उन्होंने मम्मी को कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और वो मम्मी के होंठो को चूसने लगे. फिर कुछ देर बाद मम्मी उनके ऊपर से हटी और वो उठकर सीधा बाथरूम की तरफ जाने लगी. तब मैंने देखा कि उनसे अब ठीक तरह से चला भी नहीं जा रहा था, वो अपने दोनों पैरों को फैलाकर बहुत अजीब तरह से चल रही थी, जिसकी वजह से उनके कूल्हे पूरे खुल गये थे और उनके हर कदम काँप रहे थे. जब मम्मी कुछ देर बाद बाथरूम से निकलकर वापस आई तो वो दोनों उस समय बेड पर लेटे हुए थे और अब मम्मी भी उन दोनों के बीच में जाकर ऐसे ही लेट गयी.

अब’ उसी समय तुरंत अनिल ने उठकर मम्मी की चूत को चाटना शुरू कर दिया, वो उसकी चूत को अपने हाथ से फैलाकर कुत्ते की तरह चपड़ चपड़ करके चाटने चूसने लगा और मम्मी पड़ी हुई उससे अपनी चूत को साफ करवाती रही. फिर उनके ऐसा करते देख मेरे चाचा ने मम्मी के बूब्स से खेलना उनको चूसना, दबाना शुरू कर दिया और मम्मी बेड पर पड़ी हुई आहें भरने लगी. दोस्तों उस रात को मम्मी की एक बार और बहुत जमकर मस्त चुदाई हुई, जिसके बाद में अपने कमरे में सोने चला गया और उसके बाद अंदर क्या हुआ मुझे नहीं पता, लेकिन हाँ दोस्तों अगले दो दिन में तो उन दोनों ने मेरी मम्मी को बिल्कुल रंडी की तरह बहुत बार जमकर चोदा.

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