फेसबुक फ्रेंड ने अपनी बीवी की चुदाई करवायी full story

फेसबुक पर दोस्त बने एक आदमी की बीवी की चुदाई की मैंने … उसने अपनी बीवी की फोटो भी डाल रखी थी. मैंने उसकी बीवी की तारीफ़ की तो वो गुस्सा हो गया. लेकिन बाद में …

नमस्कार दोस्तो … मेरा नाम निहाल सिंघानिया है. ये मेरी पहली सेक्स कहानी है, इसलिए मुझे अगर कुछ ग़लती हो जाए, तो माफ़ कर दीजिएगा. मैं पहले अपने बारे में कुछ बता देता हूँ. मैं पांच फिट सात इंच का 22 साल का एक जवान लड़का हूँ. मेरा रंग गोरा है और बॉडी भी ठीक-ठाक है. मेरे लंड का साइज़ छह इंच है. मेरी पहली चुदाई से पहले मेरे जीवन में बहुत सी लड़कियां आईं, लेकिन मैंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया. क्योंकि शुरू में मैं बहुत शरमाता था … जिसके चलते मैं उनके साथ कुछ कर ही नहीं पाया.

पर मेरी पहली चुदाई के बाद से तो मैं खुला हवसी बन गया हूँ. अब तो मैं जिसकी भी बड़ी चुची या गांड देखता हूँ, उसका दीवाना बन जाता हूँ. चाहे वो कोई लड़की हो या भाभी.

ये कहानी मेरी पहली चुदाई की है, जो बस एक साल पहले हुई थी.

मैं फ़ेसबुक की अपनी प्रोफाइल पर हमेशा सेक्सी भाभी या लड़कियों की तस्वीर डाला करता था.

एक दिन मुझे एक मैसेज आया, जिसमें लिखा हुआ था कि आपकी और मेरी पसंद बहुत मिलती है, क्या हम दोस्त बन सकते हैं.

मैंने उस आदमी की प्रोफाइल चैक की, उसका नाम राकेश (बदला हुआ नाम) था. उसकी प्रोफाइल में उसकी और उसकी बीवी की कुछ तस्वीरें थीं. मैं उसकी बीवी को देखते ही अपना लंड मसलने लगा. क्योंकि उसकी वाइफ बहुत ज़्यादा हॉट लग रही थी.

मैंने उसके साथ दोस्ती की और हमारी बात शुरू हुई. उसने बताया कि वो और उसकी बीवी एक कंपनी में काम करते हैं. उन दोनों की उम्र पैंतीस साल है.

धीरे धीरे मैंने बात को उसकी बीवी की तरफ मोड़ दी. मैंने उससे पूछा की तुम्हारी बीवी की उम्र 35 तो बिल्कुल नहीं लगती.
इस पर वो हंसने लगा और बोला- तो कितनी लगती है?
मैं चुप हो गया.

उसने अपनी बीवी का नाम काव्या (बदला हुआ नाम) बताया था. अगले मैसेज में मैंने उससे बोल दिया कि तुम्हारी बीवी बहुत सुंदर है.
उसने पूछा- सिर्फ़ सुंदर?
मैंने बोल दिया- मस्त माल है, देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
उधर से उसका मैसेज आया- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बीवी के बारे में ऐसा बोलते हुए?

दोस्तो, उस वक़्त सच में मेरी डर के मारे गांड फट गयी कि कहीं ये किसी से कोई शिकायत ना कर दे, इसलिए मैंने तुरंत उसे सॉरी का मैसेज किया.
उधर से उसका मैसेज आया- ठीक है, पर दुबारा ऐसा मत बोलना.

उसके बाद वो ऑफलाइन हो गया, लेकिन मैंने उसकी बीवी की पिक्चर सेव करके रख ली. उस रात मैंने काव्या की फोटो देखते हुए उसके नाम की मुठ मारी. मुझे सच में उसे चोदने का मन होने लगा.

अगली दिन सुबह राकेश का गुड मॉर्निंग का मैसेज आया. हमारी बात शुरू हुई, तो उसने पूछा कि तुम्हें मेरी बीवी में क्या अच्छा लगा?
मैंने लिखा- खुल कर सच बोलूँ?
उसने हामी भर दी, तो मैंने बोला कि मुझे तो सबसे ज़्यादा लड़कियों की चुचियां पसंद हैं और तुम्हारी बीवी की चुचियां तो सच में बहुत मस्त हैं.
उसने कहा कि हां, ये तो सच है, मैं खुद उसकी चुचियों का दीवाना हूँ.
मैंने हिम्मत करके उसका फिगर पूछ लिया, तो उसने बताया कि उसकी बीवी का फिगर 36-30-38 का है.

दोस्तो, मैं तो ये सुनते ही पागल हो गया और बोला- मुझे तुम्हारी बात पर बिल्कुल भरोसा नहीं है.

उसने तुरंत ही मुझे उसकी बीवी की चार फोटो भेज दीं.

मैं तो उसकी बीवी के लिए पागल हो गया. मैंने उसको बोला कि तुम बहुत भाग्यशाली हो यार … जो तुम्हें ऐसी सेक्सी बीवी मिली है.
उसने पूछा- अगर ये तुम्हें मिल जाए तो तुम क्या करोगे?
मैं समझ गया कि ये अपनी बीवी को चुदवाना चाहता है. मैंने सीधे बोल दिया कि मैं तो इसके साथ सेक्स करने के लिए कुछ भी कर जाऊंगा.

मेरा ये मैसेज पढ़ कर वो हंसने लगा उसने कहा- तुम कहां रहते हो?
मैंने बता दिया कि मैं पटना में रहता हूँ.

उसने बताया कि वो और उसकी बीवी दोनों कुछ हफ्ते बाद पटना कुछ काम से आने वाले हैं. अगर उसकी बीवी मान गयी, तो वो मुझे उससे मिलवा भी देगा.

उसकी बात सुनकर मैं सच में बहुत खुश हुआ और उसके बाद से हम दोनों रोज उसकी बीवी, काव्या को लेकर गंदी और कामुक बातें करने लगे. वो मुझे रोज काव्या की तस्वीरें देता था, लेकिन कभी उसने मुझे उसकी एक भी न्यूड फोटो नहीं दी.

आख़िर वो समय आ ही गया. उसने मुझे मैसेज किया कि मैं और काव्या आज पटना पहुंचेंगे और काम ख़त्म होने के बाद सात बजे तुमसे मिलेंगे, तुम सात बजे तक स्टेशन के पास आ जाना.

मैंने उस दिन शेव किया, थोड़ी ज़्यादा एक्सर्साइज़ की, लंड की मालिश की और अच्छे से तैयार होकर मिलने स्टेशन पहुंच गया. मैंने रास्ते में काव्या के लिए कुछ फूल भी ले लिए थे.

स्टेशन पर पहुंचने के बाद उसने बताया कि वो हनुमान मंदिर के पास एक कैब में मेरा वेट कर रहा है.

मैं जब वहां गया, तो वो बाहर खड़ा था और उसकी बीवी अन्दर बैठी हुई थी. उसने मुझे गले लगाया.

फिर वो अपनी बीवी से बोला- काव्या, देखो आ गया तुम्हारा आशिक़.
उसके बाद उसकी बीवी बाहर निकली. उफ्फ़. … इतने बड़े दूध …

मेरी उफ़फ्फ़ से आप समझ गए होंगे कि वो कैसी होगी. सच में दोस्तो, कल्पना करो कि एक मस्त गोरी लड़की, जिसकी चुचियां 36 की और गांड 38 की हो, तो वो क्या लगती होगी.

काव्या ने एक सिल्वर कलर का स्लीवलैस और बैकलैस, गहरे गले वाला ब्लाउज पहना हुआ था, जिसके अन्दर से उसके आधे चुचे और वाइट कलर की ब्रा की थोड़ी सी डिज़ाइन दिख रही थी.
आपको ये सुनकर क्या लगता है कि वो कैसी लग रही होगी.

इतना ही काफ़ी नहीं था, उसने उसके ऊपर एक मस्त पारदर्शी ब्लैक नैट की साड़ी नाभि से ऊपर बांध कर पहनी हुई थी. उसके गोरे गाल, मस्त गहरी नाभि और गुलाबी होंठ, काले लंबे खुले हुए बाल थे.

अगर मैं उसकी खूबसूरती बताने लगूं, तो पूरी कहानी उसी में चली जाएगी.

मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हुआ कि मैं इतनी गजब की सेक्सी महिला से मिल रहा हूं.

उसने मुझसे बोला- कहां खो गए? क्या रात भर यहीं रुके रहना है?
काव्या ने हंसते हुए मुझे आंख मार दी, उसके साथ राकेश भी हंसने लगा.

मैंने उसे सॉरी बोला और स्माइल के साथ उसको फूल दे दिए.
उसने कहा- वाउ. … ब्यूटीफुल..
मैंने भी मौक़ा देखकर बोल दिया- आपसे ज़्यादा नहीं..
काव्या ने बोला- अच्छा जी … मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे हो, आप तो कुछ ज़्यादा ही एड्वान्स निकले.

हम दोनों एक दूसरे की आंखों में बस देखते जा रहे थे कि तभी राकेश बोला- क्या यार निहाल … काव्या के लिए फूल और मेरे लिए?
मैंने बोला- तुम्हारे लिए तो तुम्हारी इतनी खूबसूरत बीवी है और क्या जान लोगे बच्चे की?

इसके बाद हम तीनों हंसने लगे.

मैं बोला- चलो, कहीं बैठ कर कुछ खाते हैं, मुझे बहुत भूख लगी हैं.
उसके बाद हम तीनों कैब में बैठ गए.

मैं आगे की सीट पर बैठने लगा, तो राकेश ने बोला- यार तुम भी … ये क्या कर रहे हो, तुम पीछे बैठो, मैं आगे बैठ जाता हूँ.

मैं भी खुशी खुशी पीछे बैठ गया.

कैब चल दी और मैं और काव्या पीछे बात करने लगे.

काव्या ने पूछा- निहाल, तुम दिखने में तो बहुत अच्छे हो, तुमने तो बहुत गर्लफ्रेंड पटाई होंगी ना?
मैंने बोला- नहीं यार … मैंने आज तक किसी लड़की को प्रपोज़ तक नहीं किया.
काव्या ने बोला- अच्छा जी … तो जनाब सीधा सेक्स करते हैं?
ये कह कर उसने मुझे आंख मार दी.

मैंने बोला- नहीं नहीं, जब गर्लफ्रेंड ही नहीं बनी … तो सेक्स कैसे करूंगा.
इसके तुरंत बाद ही काव्या ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला- कैसी लड़की चाहिए तुम्हें?

मैं समझ गया कि ये साली बहुत चालू माल है. मैंने भी झट से उसकी जांघों पर हाथ रख दिया और बोला कि अब बता के क्या फायदा? अब तो आपकी शादी हो गयी है.
वो हंसने लगी और बोली- तुम बिल्कुल पागल हो और लकी भी. हो सकता है कि आज तुम्हारी किस्मत तुम्हें कुछ दिला ही दे.

इसी तरह की बातें चल रही थीं कि तभी कैब एक बढ़िया से रेस्टोरेंट के बाहर जा रुकी. हम तीनों उतरे … उसके बाद अन्दर जाकर पहले काव्या बैठी. इस बार मैं बिना किसी के कुछ बोले उसके साथ जा के बैठ गया.

मैंने राकेश से बोला- तुम सामने वाली कुर्सी पर बैठ जाओ.

उसके बाद राकेश ने ऑर्डर करने लगा तो उसने मुझसे पूछा, तो मैंने बोला कि जो तुम्हें मन है, ऑर्डर कर दो.
काव्या ने भी यही कहा, क्योंकि टेबल के दूसरी तरफ मैं उसका हाथ पकड़ कर बैठा हुआ था.

उसके बाद खाना आया, हम तीनों बात करते हुए खा रहे थे और बीच बीच में मैं काव्या के साथ मस्ती भी कर रहा था. क्योंकि मुझे पता चल चुका था कि राकेश को इस बात से कोई परेशानी नहीं है.

इसी बीच मैंने जानबूझ कर अपना मोबाइल नीचे गिरा दिया और उसे उठाने के लिए जब मैं नीचे झुका, तो मैंने टेबल के नीचे से ही काव्या की साड़ी हल्की ऊपर करके उसकी टांगों को हौले से चाट दिया.

इससे काव्या चौंक गयी और उसके मुँह से निकल गया- उफफ्फ़ …
राकेश ने पूछा- क्या हुआ जान? आर यू ओके?
काव्या ने बोला- हां, कुछ नहीं, जीभ कट गयी थी.

फिर मैं बाहर निकला, तो काव्या ने चुपके से मुझे डांटा. उसके बाद खाना खा कर राकेश ने बिल दे दिया और हम तीनों बाहर आ गए.

राकेश ने बोला- चलो यार निहाल … आज मेरे साथ रुक जाओ.
मैंने बोला- यार, घर पर क्या बोलूँगा … नहीं रुक सकता, सॉरी!
इसके बाद काव्या ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला- रुक जाओ ना निहाल.

इसके बाद मैं तो क्या, दुनिया का कोई भी मर्द मना नहीं कर सकता था.
मैंने बोला- ठीक है, चलो.

उसके बाद हम तीनों उसके होटल आ पहुंचे. राकेश ने रिसेप्शन पर ही एक दारू के लिए बोल दिया, जो कि बहुत महंगी थी.

ऊपर आकर हम तीनों बेड पर बैठ गए.

राकेश ने बोला कि मैं बाथरूम से आता हूँ, फिर उसके बाद तुम दोनों भी फ्रेश हो लेना.

जैसे ही वो बाथरूम में गया, मैंने काव्या को खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया और ज़ोर से उसको अपने सीने से लगा लिया.

काव्या मुझे हटाने की कोशिश करने लगी और बोली- ये क्या कर रहे हो यार. मेरा पति देख लेगा, तो नाराज़ हो जाएगा.
मैंने कहा- अभी तो राकेश फ्रेश होने गया है, जब तक वो आता है, तब तक तो करूंगा ही.

उस वक़्त काव्या मेरे सीने पर थी, उसकी चुचियां मेरे सीने पर दबी हुई थीं. मुझे उसके चूचुकों का अहसास हो रहा था. उसके बाद मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया.

अब मेरा चेहरा उसके चेहरे के बिल्कुल पास था. हमारी आंखें मिली हुई थीं, हमारे होंठ थरथरा रहे थे और हम दोनों एक दूसरे की गर्म सांसों को महसूस कर सकते थे.

उसके बाद मैंने धीरे से काव्या के सुर्ख लाल होंठों को अपने होंठों की क़ैद में दबा लिया और उसे किस करने लगा.

हम दोनों एक दूसरे में डूब चुके थे कि तभी राकेश की आवाज़ आई- काव्या, ज़रा मेरा तौलिया देना.
राकेश की आवाज सुनते ही एकदम से हम दोनों होश में आए और काव्या बोली- हटो, मुझे जाने दो.

मैंने बोला- तौलिया की जगह उसे तुम अपनी साड़ी खोल कर दे दो … उसी से पौंछ लेगा.
मैं फिर से उसे किस करने लगा.
काव्या ने मुझे धक्का दिया और बोला- हट बदमाश … पहले मुझे तौलिया देने दो.
वो उठ कर तौलिया देने चली गयी.

काव्या ने आवाज़ लगाई- राकेश, ये लो तौलिया.

तब तक मैं काव्या के पीछे चिपक कर खड़ा हो गया था और इससे पहले कि काव्या कुछ बोलती, राकेश ने दरवाज़ा खोला और बोला- थैंक्यू … मैं बस अभी आया, फिर तुम भी फ्रेश हो जाना.

जब वो अपनी बीवी से बात कर रहा था, मैं काव्या के पीछे खड़ा होकर चुपके से अपना लंड उसकी गांड पर रगड़ रहा था.

लेकिन बेचारी काव्या कुछ बोल नहीं पा रही थी. मैंने ज़ोर से उसके चूतड़ों पर च्यूंटी काट दी, तो वो चिहुंक उठी- आअहह.
राकेश ने पूछा- क्या हुआ?
काव्या ने बोला- कुछ नहीं, बस थक गयी हूँ.

उसके बाद राकेश ने दरवाज़ा बंद कर लिया. इधर काव्या मुझे गुस्सा दिखाने लगी- क्या कर रहे थे तुम? अगर राकेश देख लेता तो?
मैंने बोला- देख लेता तो क्या? उसको भी पता है कि उसकी बीवी को देखकर कोई भी रुक नहीं सकता.

इतना बोल कर मैंने उसको दीवार से चिपका दिया, उसके दोनों हाथों को ऊपर करके पकड़ लिया और उसके होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. हम दोनों एक दूसरे की जवानी का रस पी रहे थे. मैं तो जैसे उसके होंठों को खा जाना चाहता था.

अब मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और मेरे हाथ छोड़ते ही उसने अपने दोनों हाथ मेरे गले में डाल कर मुझे और ज़ोर से अपने पास खींच लिया. वो ज़ोर ज़ोर से मुझे किस करने लगी.

इधर जैसे ही मेरे हाथ आज़ाद हुए, मैंने पहले तो उनको उसके पेट पर रखा, उसकी नाभि में उंगली डाली, उसकी कमर को सहलाया और फिर मेरे हाथ धीरे धीरे ऊपर आने लगे.

अब मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटाया, वैसे ही मुझे उसके उठे हुए गोल, मुलायम और सफेद चुचे दिखने लगे और मेरा दिमाग़ खराब होने लगा. मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से उसकी चुचियां पकड़ लीं और एकदम ज़ोर से दबा दीं.

उसके मुँह से निकला- आअह्ह्ह …
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने बोला- यार, धीरे धीरे करो ना, प्यार से … मुझे दर्द हुआ.

मैंने फिर से उसकी चुचियां मसल दीं और बोला- साली, इतने दिन से अपने पति से चुद रही है और अभी भी तुझे दर्द हो रहा है … नाटक करती है.

मैंने फिर से उसके मम्मों को मसल दिया.

वो फिर से तड़फ कर बोली- आअह्ह्ह … राकेश कभी मेरी चुचियां इतनी ज़ोर से नहीं मसलता … इसलिए मुझे दर्द हुआ कमीने.
मैंने बोला- तो आज तू थोड़ा दर्द भी सहना सीख ले.

मैं उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों को चाटने लगा, जिससे उसका पूरा ब्लाउज मेरे थूक से गीला हो गया और वो गर्म गर्म सांसें लेने लगी.
उसकी गर्म और गहरी सांसों के चलते उसकी चुचियां और तेजी से ऊपर नीचे हो रही थीं, जिसे देख के मेरा लंड पूरा टाइट हो गया. मैंने अब उसके पेट पर अपना मुँह रखा और चाटने लगा.

‘आअहह … उफ्फ़ निहाल … आहह उम्म्म्मम मज़ा आ गया … आअहह तुम तो सच में कमाल हो आहह..’ काव्या के मुँह से बस यही सब निकल रहा था. मैंने अपनी जीभ उसके नाभि में डाली और ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा, जिसके बाद उसकी सिसकारी और ज़्यादा बढ़ गईं.

अब मैं उसके ब्लाउज को खोलने ही वाला था कि तभी मुझे लगा कि कोई हमें देख रहा है. मैंने पीछे देखा, तो राकेश खड़ा था और हम दोनों को ही देख रहा था.

काव्या ने जैसे ही राकेश को देखा, वो तुरंत उठ कर खड़ी हो गयी और अपनी साड़ी ठीक करते हुए बोली- सॉरी राकेश … प्लीज़ तुम मुझे ग़लत मत समझना, ये सब बस जोश जोश में हो गया. आई एम रियली सॉरी.

तो राकेश उसके पास गया और उसे गुस्से से देखने लगा, काव्या को लगा कि अब तो वो बहुत बुरी फंस गई.
लेकिन तभी राकेश हंसने लगा और बोला- इतना क्यों डर रही हो यार. अगर मुझे गुस्सा ही करना होता, तो मैं पिछले पांच मिनट से तुम दोनों का ये खेल नहीं देख रहा होता. मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा था और ये मेरा और निहाल का पहले से प्लान था. उसने कहा था कि मैं अपनी बीवी की चुदाई करवाना चाहता हूँ.

फिर वो मेरी तरफ देख कर बोला- क्या यार निहाल … कम से कम मेरे आने तक तो रुक जाते, मुझे भी तो मज़ा लेने देते.
राकेश फिर से हंसने लगा.

मैं बोला- यार क्या करूं राकेश, तेरी बीवी है ही इतनी मस्त कि मुझसे बिल्कुल कंट्रोल भी नहीं हुआ. मैं तो बस अभी इसे नंगी करने ही वाला था.
ये सुन कर राकेश बोला- तो अब कर दो इसे नंगी … मैंने मना थोड़े ही किया है.

उसका ऐसा कहना था कि मैं फिर से काव्या के ऊपर टूट पड़ा और उसे दीवार से लगा कर उसके पल्लू को हटा कर उसके ब्लाउज खोलने लगा और उसे किस करने लगा.

काव्या भी अब मेरा खुल कर साथ दे रही थी और राकेश सामने कुर्सी पर बैठ कर हम दोनों को मस्ती करते हुए देख रहा था.

अभी मैंने काव्या के ब्लाउज के सिर्फ़ दो ही बटन खोले थे कि तभी दरवाज़े की घंटी बजी.
अब तक आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने और राकेश ने मिलने का प्लान बनाया और मिलने के बाद मैं और काव्या, एक दूसरे के प्यार में डूबे हुए थे. राकेश कुर्सी पर बैठ कर अपनी बीवी को मेरे साथ प्यार करते हुए देख रहा था. मैंने उसकी बीवी काव्या के ब्लाउज के दो बटन खोले ही थे कि तभी किसी ने दरवाज़े की घंटी बजा दी.

अब आगे:

जैसे ही घंटी बजी, मेरा मूड खराब हो गया. मैंने गुस्से में बोला- यार, जैसे ही तेरे ब्लाउज को खोलने लगता हूँ, वैसे ही कोई ना कोई आ जाता है.
काव्या हंस कर बोली- सच में यार, उफ्फ़ … अभी तो मज़ा आना शुरू ही हो रहा था कि पता नहीं कौन आ गया. राकेश, जाओ देखो ना कौन है.

उसके बाद मैं बाथरूम में चला गया और काव्या भी अपने कपड़े ठीक करके बैठ गयी.

राकेश ने दरवाज़ा खोला, तो सामने वेटर खड़ा था.

वो बोला- सर, आपने ये मँगवाई थी.
राकेश ने बोला- हां लाओ.

राकेश ने उसको कुछ टिप देकर वापस भेज दिया. अन्दर आकर उसने अभी बॉटल को खोला ही था कि मैं भी बाथरूम से बाहर आ गया. मैं उस समय सिर्फ़ टी-शर्ट और तौलिया में था.

राकेश ने बोला- आओ, आओ निहाल. बॉटल की शुरूआत तुम ही करो.

मैं गया और काव्या के बगल में बैठ गया. उसके गले पर चूमा लेने लगा और बोला- शराब क्या पीऊँगा अब … तेरी इस बीवी में तो इससे भी ज़्यादा नशा है.

इसके बाद मैंने काव्या को अपनी गोदी में बैठा कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. काव्या ने मुश्किल से अपने होंठों को आज़ाद किया और बोली- तुम दोनों तो फ्रेश हो गए, अब मुझे भी होने दो.

फिर वो भी तौलिया और कुछ कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गयी. मैं और राकेश साथ में बैठ कर पीने लगे.

धीरे धीरे राकेश को नशा चढ़ने लगा. उसने मुझसे पूछा- यार निहाल … तू जब मेरी बीवी को चूम रहा था और चाट रहा था, तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मुझे तो लग रहा था कि कब तुम उसको नंगी करके चोदोगे.
मैंने बोला- साले राकेश … अगर वो वेटर नहीं आया होता, तो अभी तक तेरी बीवी मेरे नीचे लेट कर चूत चुदवा रही होती.

वो ये सुनकर अपने लंड पर हाथ फेरने लगा.

मैंने बोला- क्या किस्मत है तेरी यार … ऐसी मस्त बीवी तो बहुत नसीब से मिलती है. स्वर्ग की अप्सरा से भी ज़्यादा मस्त माल है साली. इसको तो अगर बाज़ार में बेचने जाएंगे, तो लोग कितने भी रुपये देने के लिए तैयार हो जाएंगे.
राकेश बोला- उफफ्फ़ … तेरी इन्हीं रसीली बातों ने तो मुझे और मेरी बीवी को तेरा गुलाम बना दिया है. अब तो बस तो उसे चोद कर अपनी रांड बना ले.
मैं बोला- चिंता मत कर दोस्त. आज के बाद तेरी बीवी सिर्फ़ मेरा लंड माँगेगी.

मेरे ऐसा कहने के बाद राकेश बोला- मुझे कम से कम अपना लंड तो दिखा.
मैंने अपना तौलिया खोल दिया. मेरा लंड तो उसकी बीवी की वजह से टाइट भी था और थोड़ा गीला भी हो गया था.

उसने बोला- यार, तेरा लंड भी तो मेरे जितना ही है … बस थोड़ा ज़्यादा मोटा है.
मैंने बोला- हां … मेरा लंड भी छह इंच का ही है, लेकिन मेरी टाइमिंग बहुत ज़्यादा है. अभी देखना कैसे तू अपने हाथ से लंड हिलाता रह जाएगा और मैं तेरे सामने तेरी बीवी को अपनी बीवी बना कर पेलूंगा.

अभी राकेश मेरा लंड सहला ही रहा था कि तब तक काव्या बाहर आ गयी.

उफ्फ़ … क्या कयामत लग रही थी काव्या. उस टाइम को याद करके अभी भी मेरा लंड बहकने लगता है. उसने काले रंग की ट्रान्स्पेरेंट एक मॉडर्न नाइट ड्रेस पहनी हुई थी और उसके अन्दर उसकी सफेद ब्रा बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रही थी.

मेरा लंड राकेश के हाथ में देख कर वो बोली- ये क्या राकेश? तुम्हें भी चाहिए क्या निहाल का लंड?
ये कह कर वो हंसने लगी.

उस वक़्त वो बहुत प्यारी लग रही थी. मैंने बोला- देख राकेश … ये तुझे चिढ़ा रही है … जाकर इसको पकड़ कर ले आ और मेरी गोदी में बैठा दे.

राकेश उठा और उसने काव्या के बालों को पकड़ कर उसको खींचते हुए मेरी गोद में लाकर बैठा दिया.

काव्या बोली- आहह … मैं तो खुद से आ जाती … फिर ऐसा क्यों किया निहाल.
मैंने बोला- बेबी, जब तेरा पति तुझे खुद मेरी गोदी में बैठा रहा है, उसमें ज़्यादा मज़ा है.

उसके बाद मैंने एक गिलास उठाया और उसको दारू से भर के काव्या को दिया.

काव्या वो दारू का गिलास एक बार में ही पूरा पी गयी. फिर वो मेरे गले के चारों तरफ हाथ डाल कर मेरे होंठों को किस करने लगी. मैं भी उसके होंठों को चाटने लगा. मेरा एक हाथ उसके दूध पर था और दूसरा उसकी गांड पर.

उधर राकेश चुपचाप कुर्सी पर बैठ कर हम दोनों को एक दूसरे के होंठों के साथ खेलते हुए देख रहा था. कभी मैं काव्या के होंठों को चूसता … और कभी वो मेरे होंठों को चूसती.

इस वक्त मैं नीचे से नंगा था, इसलिए मेरा लंड उसकी गांड पर टकरा रहा था. मेरे लंड से थोड़ा थोड़ा पानी भी निकलने लगा था.

उधर काव्या भी बहुत गर्म हो गयी थी और बार बार ‘आअहह … उफफ्फ़ … हइईए निहाल … यार आआहह..’ बोल रही थी और मेरे होंठों को चूस रही थी.

हम दोनों कम से कम बीस मिनट तक ऐसे ही खेलते रहे थे, मुझे तो उसके होंठ छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था.

जब उससे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था, तो उसने कहा- निहाल, उफफ्फ़ … अब ये खेल का बस करो. … अब चलो ना बेड पर चलते हैं, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.
राकेश ने भी बोला- हां यार निहाल, मैं भी अब अपनी काव्या को चुदवाते हुए देखना चाहता हूँ … जल्दी करो.

मैंने काव्या को उठा कर बेड पर पटक दिया और फिर उसके पेट पर दारू गिरा कर चाटने लगा. मेरे ऐसा करते ही काव्या तड़पने लगी और उसने चादर को अपनी मुट्ठियों में दबा लिया. वो ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी. जिससे उसकी चुचियां हवा में पर्वत की तरह उठने बैठने लगीं और वो सिसकराने लगी.

‘आआहह … ओह माँआ … मत करो ऐसा … आहह..’

फिर मैंने भी देर ना करते हुए उसकी नाइट ड्रेस खोल दी और काव्या मेरे सामने सिर्फ़ सफेद ब्रा और पेंटी में लेटी हुई थी. मेरा तो मन हुआ कि अभी के अभी उसकी पेंटी फाड़ कर लवड़ा उसकी गीली चूत में घुसा दूं … लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया. क्योंकि मैं उसको और तड़पाना चाहता था.

उस समय उसकी सांसें बहुत तेज़ चल रही थीं और इसी वजह से उसकी चुचियां बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं. ये सीन देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं बस उसकी चूचियों को ही देख रहा था.

फिर वो उठी और उसने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया और ताबड़तोड़ मेरे होंठों और गालों और गर्दन पर चुम्मियों की बरसात कर दी. वो अब पागलों वाली हरकत करने लगी थी. लेकिन मैंने अपने आपको उससे अलग किया. क्योंकि मेरा खेल तो अभी बाकी था.

उसके बाद मैंने उसकी ब्रा को खोला और जब मैंने उसकी चुचियां देखीं, तो क्या बोलूं यार. मैंने जैसा सोचा था, ये तो उससे भी अच्छी थीं. एकदम हंस सी सफेद चुचियां, जिसके निप्पल एकदम कड़े हो गए थे. भूरे रंग के मस्त निपल्स, काव्या की हर एक सांस के साथ ऊपर नीचे होती उसकी 36 की गोरी मोटी चुचियों पर चमक रहे थे.

मुझे मालूम है कि काव्या का ये रूप सोच कर ही आप लोगों का लंड खड़ा हो गया होगा.

ये देख कर मैं भी नहीं रुका और मैंने उसकी चुचियों को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया. मैं कभी दाईं चुचि को चूसता, तो कभी बाईं को. जब दाईं वाली चूसता, तो बाईं वाली को मसलता और जब बाईं वाली को चूसता, तो दाईं वाली को मसलता. कभी कभी मैं दोनों चुचियों को एक साथ सटा कर चाटने की कोशिश भी करता था, लेकिन चूचों के बड़े साइज़ के चलते मैं पूरी तरह से ऐसा नहीं कर पा रहा था.

उधर मेरा खेल देख कर राकेश का लंड एक बार पानी छोड़ चुका था और काव्या की चूत भी पानी पानी हो रही थी.

मुझे यकीन है कि जो आदमी अभी काव्या की जगह अपनी बीवी के साथ ऐसा होते हुए सोच रहा होगा, उसके लंड का हाल भी बहुत बुरा हो गया होगा … हैं ना दोस्तों …

अब मैंने काव्या की चुचियों पर एक थप्पड़ मारा … वो दर्द से तड़प गयी.

काव्या- आअह्ह्ह … मार क्यों रहे हो … यार … दर्द हो रहा है ना.
मैंने बोला- मैं तेरी चुचियों को तैयार कर रहा हूँ.
उसने पूछा- किसलिए?
मैंने बोला- अभी मैं तेरी चुचियों को चोदूंगा.

फिर मैंने अपना लंड हाथ में लिया और उसकी दोनों चुचियों के बीच में रख कर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा.

मुझे ऐसा करते देख कर राकेश बोला- उफफ्फ़ यार निहाल … मैंने तो अपनी बीवी के बारे में कभी ऐसा सोचा ही नहीं था. तुमने तो सच में मुझे एक रंडी का पति बना दिया है.
मैं बोला- साले … तेरी बीवी रंडी नहीं है … ये तो अब मेरी जान बन गयी है.

ये सुन कर काव्या बोली- ह्म्म्म्म … आहह … सच बोला निहाल तुमने. आज तक मैं इसी प्यार के लिए तरस रही थी और तुम्हारे इस ज़ोश ने तो मुझे तुम्हारा दीवाना बना दिया है. आज से मैं तुम्हारी जान नहीं, तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ … उफफ्फ़ …

दोस्तो, उसकी चुचियों को चोदते हुए मुझे दो तीन मिनट ही हुए थे लेकिन चूंकि ये मेरा पहली बार था … इसलिए मुझे लगा कि मेरा अब निकल जाएगा, इसलिए मैंने जल्दी से अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और उसके बाल पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगा.

मेरा पूरा लंड उसकी मुँह में जा रहा था और मैं ज़ोर ज़ोर से उसके बाल पकड़ कर उसके मुँह को रंडी की तरह चोद रहा था.

बस दो मिनट के बाद मेरा लंड एकदम कड़ा हो गया. मैंने पूरा लंड उसके मुँह में एकदम अन्दर तक डाल दिया और झड़ने लगा.

इतना ज़ोर ज़ोर से मैं कभी भी मुठ मारते हुए भी नहीं झड़ा था, ऐसा लग रहा था, जैसे आज में अपने लंड का पूरा माल उसी के मुँह में गिरा दूँगा.

मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से उसके मुँह में झटके ले रहा था और थोड़ी देर बाद जब मेरा पूरा माल निकल गया, तो मैं काव्या के ऊपर गिर गया. उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया और तुरंत बाथरूम में चली गयी.

जब वो वापस आई, तो उसने बोला- छीई … पहली बार किसी ने मेरे मुँह में गिराया है. मैंने तो राकेश को भी ऐसा नहीं करने दिया था, मेरा मुँह दुखने लगा, तुम मेरे मुँह में एकदम राक्षस की तरह से कर रहे थे.

मैं बोला- कसम से काव्या, आज तक इतना मज़ा नहीं आया. जब तेरे मुँह में इतना मज़ा आया, तो तेरी चुत में कितना आएगा.

उसके बाद मैंने काव्या को बेड पर गिराया और 69 की पोज़िशन में आ गया.

अब मैं काव्या की चूत और जांघों को चाट रहा था और काव्या मेरे लंड और अंडों से खेल रही थी. मैंने ज़ोर ज़ोर से काव्या की चूत चाटना शुरू कर दिया. चाटना क्या … खाना बोलो. मुझे तो बस ऐसा लग रहा था कि उसकी चुत में घुस जाऊंगा. चूंकि काव्या पहले से ही बहुत गर्म थी, इसलिए अब उसने मेरा लंड चूसना बंद कर दिया और तड़पने लगी.

‘ओह्ह्ह निहाल … आअह्ह मेरी जान … उम्म्ह… अहह… हय… याह… … मेरा निकलने वाला है … आह्ह्ह्ह …’

मैंने जीभ के साथ साथ अपनी एक उंगली भी उसकी चूत में डाल दी और दूसरी उंगली से उसकी चूत के दाने को मसलने लगा.
ऐसा करने के बाद काव्या, तो क्या कोई भी लड़की का पानी निकल लाएगा. तुरंत ही काव्या एकदम ज़ोर से चिल्लाई- आअहह … माँआ … मर गयी मैं … आहह … मैं आई.

बस उसके बाद तो दोस्तो, लगा जैसे किसी ने पानी का बाँध खोल दिया हो. इतना पानी तो मेरा भी नहीं निकला था. मैं हटने लगा, तो उसने मेरा चेहरा ज़ोर से अपनी चुत के पास दबा लिया और तब तक नहीं छोड़ा, जब तक वो शांत नहीं हो गयी.

उसकी चूत का पानी मेरे मुँह में कम गया … लेकिन मेरे चेहरे पर पूरा फैल गया.

मेरा चेहरा देख कर राकेश हंसने लगा और बोला- हाहहाहा … इतना पानी तो काव्या कभी नहीं निकालती … तेरा तो पूरा चेहरा ही भीग गया है. जाओ, जाकर बाथरूम में साफ़ कर लो.

मैं बाथरूम में गया. इधर काव्या को तो लग रहा था कि उसे कोई होश ही नहीं है. वो बस बेसुध लेटी हुई थी.

जब तक मैं बाथरूम गया था, तब तक राकेश बेड पर आ गया था. वो अब नंगी काव्या के साथ खेलना शुरू कर चुका था. चूंकि उसका लंड खड़ा था, इसलिए उसने थोड़ी देर काव्या को किस किया. जब काव्या भी वापस उसको किस करने लगी, तो उसने काव्या की टांगों को फैला कर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया.

जब मैं वापस आया, तब तक काव्या भी गर्म हो गयी थी और राकेश उसे चोद रहा था. मैं कुर्सी पर बैठ गया और उन दोनों को देख कर शराब पीने लगा.

अब राकेश ने काव्या को उल्टा किया और उसको कुतिया बना दिया.

राकेश पीछे से काव्या को चोद रहा था और बोल रहा था- साली कमीनी … बहुत मज़ा ले रही थी निहाल के साथ. रंडी बनने का बहुत शौक है ना तुझे, अब ले मेरा लंड और चुद कुतिया की तरह.

ऐसी ही गंदी गंदी बात करते हुए राकेश उसे ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था और अब काव्या भी शुरू हो गयी थी.
काव्या- यार निहाल … देख, अभी तो ये साला बहुत जोश से चोद रहा है … लेकिन ज़्यादा देर तक नहीं रह पाएगा. साला हमेशा मुझे उंगली डाल कर शांत करता है.

मैं बस उन दोनों की चुदाई को देख रहा था. उन दोनों की मस्ती वाली गंदी बात सुन रहा था.

सच में दोस्तो, असलियत में ऐसी बात सुनने में बहुत मज़ा आता है. मुझे यकीन है कि आप लोगों को भी असलियत में ऐसी गंदी गंदी बात करके सेक्स करने में बहुत मज़ा आता होगा. अपने विचार मुझे ज़रूर बताएं.

अब जैसा कि काव्या ने कहा था. कोई दो तीन मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद राकेश का पानी निकल गया और वो वहीं बेड पर लेट कर हांफने लगा.

उसके बाद काव्या बोली- देखा साले … तेरा दम निकल गया न … इसीलिए मैं निहाल के साथ मज़े ले रही थी क्योंकि तुझसे तो कुछ होता नहीं है.

थोड़ी देर बाद राकेश नीचे आ गया और मुझसे बोला- जा यार … अब तो इस साली की गर्मी तू ही शांत कर सकता है.

मैं तो कब से तैयार था. मुझे आता देख कर काव्या मुस्कुराने लगी. मैं बेड पर गया, तो काव्या ने मेरा लंड चूस कर खड़ा कर दिया और फिर खुद ही चूत फैला कर लेट गयी.

वो चूत पर हथेली बजाते हुए बोली- आ जा मेरे राजा … आज अपनी दीवानी को अपना शिकार बना ले. आज मेरी चुत की भी गर्मी शांत कर दे मेरे यार.
उसकी ऐसी बात सुन कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

अब मुझसे भी इंतज़ार नहीं हुआ और मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर बोला- धीरे धीरे पेलूं या एक बार में डाल दूं?
वो बोली- जैसे तेरी मर्ज़ी. अब तो मैं तेरी गुलाम हूँ.

मैंने देर नहीं की … और उसके कमर को पकड़ कर एक ज़ोर का धक्का दिया. चूंकि मेरा लंड राकेश से बस एक इंच ही बड़ा है और शायद उतना ही ज़्यादा मोटा भी, इसलिए लंड घुसवाते वक़्त उसको ज़्यादा दर्द नहीं हुआ. चूंकि उसकी चुत बहुत गीली भी थी, इसलिए मेरा लंड भी एकदम फिसलते हुए उसकी चुत में घुस गया.

अब हम दोनों प्यार में खो गए और एक दूसरे के बदन के साथ खेलते हुए और अलग अलग तरीकों से चुदाई चालू हो गई. धकापेल चुदाई के बाद काव्य झड़ गई. उसके कुछ देर बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ गया.

मैंने काव्या को उस रात तीन बार चोदा. सुबह काव्या ने जाते वक़्त मुझे एक खूबसूरत सी घड़ी गिफ्ट दी.

वो बोली- धन्यवाद निहाल … तुमने मुझे जितना प्यार दिया, उतना किसी ने नहीं दिया था.

मैंने भी उसे गले से लगा लिया और बोला- तुम भी बहुत प्यारी हो काव्या. तुम्हारी जैसी लड़की से मिल कर बहुत मज़ा आया. उम्मीद करता हूँ कि हम दोबारा ज़रूर मिलेंगे.

उसके बाद राकेश बोला- बिल्कुल मिलेंगे दोस्त … मैं हमेशा तुम्हारे टच में रहूँगा.

मैं उन दोनों से गले मिला और उसके बाद वो दोनों वापस निकल गए. उसके बाद भी मैं काव्या से मिल चुका हूँ. एक बार अकेले भी मिला था. लेकिन वो सेक्स कहानी अगली बार लिखूंगा

मुझे ज़रूर बताइएगा कि आपको मेरी ये चुदाई कहानी कैसी लगी. आप लोगों के मेल का मुझे इंतज़ार रहेगा. धन्यवाद.
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