दो परिवारों की सेक्स कहानी

हैल्लो दोस्तों, आज की कहानी कुछ अलग है और यह दो परिवार की कहानी है और में आशा करता हूँ कि यह कहानी आपको जरुर पसंद आएगी. यह कहानी एक छोटे से शहर की है जो कि दो जोड़ो के बीच हुई एक अंजान चुदाई है, हितेश और उसकी पत्नी संजना, आशीष और उसकी पत्नी दिव्या के बीच की है.

दोस्तों हितेश और संजना उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रहते है और उनकी लाईफ बिल्कुल सही चल रही थी और हितेश ब्यौर में काम करता है तो उसकी वाईफ घर पर रहती है. हितेश अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता है और संजना भी उससे उतना ही प्यार करती है, लेकिन जिस तरह से एक आदमी की भूख सिर्फ़ प्यार ही नहीं होती तो उसी तरह हितेश भी था, उसे भी जिस्म की भूख थी और ऐसी कि जो सिर्फ़ एक जिस्म पूरा नहीं कर सकता था और हमेशा हितेश चाहता था कि वो ग्रूप सेक्स करे, लेकिन वो डरता था कि इससे उसके जीवन में बहुत मुश्किलें आ सकती थी और वो अपनी बीवी के साथ ग्रूप सेक्स करना चाहता था, लेकिन वो चाहकर भी ऐसा नहीं कर पा रहा था, क्योंकि संजना एक बहुत ही शरीफ़ और भगवान को मानने वालों में से थी और वो यह सब बिल्कुल ग़लत मानती थी और हितेश को यह बात पता थी.

हितेश अपने दिल की इस इच्छा को कई हद तक मार चुका था और इस बीच एक दिन हितेश को पता चला कि उसे किसी काम से इंदौर जाना पड़ रहा है और उसे करीब तीन चार महीने लगेंगे, उसने संजना को भी यह सब बताया और दो दिन बाद वो इंदौर के लिए निकल पड़ा. फिर वहां पर जाकर उसने ऑफिस जाकर देखा और अपना काम करने लगा. एक दिन जब वो शाम को अपने ऑफिस से घर पर आ रहा था तो एक आदमी ने उसे पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा कि और आशीष क्या हाल है? हितेश उसकी यह बात सुनकर एकदम चकित हो गया और फिर उसने कहा कि भाई साहब आपको कोई ग़लत फहमी हुई है और मेरा नाम हितेश है.

फिर वो आदमी बोला कि में मज़ाक कर रहा हूँ और अब उसने मज़ाक में हितेश को गाली दे दी तो हितेश भड़क गया और उससे झगड़ा करके वहां से चला गया. फिर जब वो अपने रूम पर पहुंचा तो इस बारे में सोचने लगा और फिर उसे लगा कि हो ना हो मेरी ही शक्ल का एक और आदमी जिसका नाम आशीष है और वो इस शहर में रहता है. फिर हितेश सोचने लगा कि क्या यह आशीष नाम का बंदा क्या सही में मेरे जैसा ही दिखता है और अब हितेश के मन में भी उससे मिलने की इच्छा होने लगी. फिर हितेश ने इस बात को कुछ देर सोचकर अपने दिमाग से निकाल दिया, लेकिन कुछ दिनों के बाद वही आदमी उसे दोबारा दिखाई दिया और हितेश उसके पास चला गया और उससे पूछा कि और आप कैसे हो? तो उस आदमी ने थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा कि क्यों उस दिन तो मुझे पहचानने से भी इनकार कर रहे थे तो फिर आज कैसे पहचान लिया?

हितेश : यार प्लीज मुझे माफ़ करना और उस दिन मेरा दिमाग़ थोड़ा खराब हो गया था, मेरे एक बॉस ने मेरी गांड में डंडा कर रखा है तो उस चक्कर में तुम पर गुस्सा निकल गया.

वो आदमी : चल कोई बात नहीं यार तू भी ऐसे उदास हो जाता है, चल अब हम कोल्ड ड्रिंक पीते है.

हितेश : कोल्ड ड्रिंक पीते हुए हितेश ने उससे कहा कि भाई मैंने तुम्हे एक मैसेज किया था तो तुमने उसका कोई जवाब नहीं दिया?

वो आदमी : लेकिन मुझे तो तुम्हारा ऐसा कोई मैसेज नहीं मिला ( और अब वो अपना मोबाईल बाहर निकालकर उसमें मैसेज दिखाने लगा. )

हितेश : क्यों दिखा? ( तो हितेश ने उसका मोबाईल लेकर आशीष का एक मैसेज खोला और उसका मोबाईल नंबर मन ही मन याद कर लिया. ) हाँ यार पता नहीं क्यों नहीं पहुंचा?

फिर हितेश वहां से चला गया और अपने रूम पर आकर उसने उस नंबर की सभी जानकारियां निकलवाई और वो उसी काम को करता था तो उसे जानकारी निकालने में ज्यादा समस्या नहीं हुई और अब उसे आशीष के बारे में सब कुछ पता चल गया. दोस्तों आशीष एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था, उसकी एक पत्नी है और जिसका नाम दिव्या है, उनकी शादी को तीन साल हुए है और हितेश को उसके घर का भी पता चल गया था.

अगले दिन उसने आशीष को फोन लगाया और उससे मिलने की बात कही तो आशीष मान गया और उसके अगले दिन वो एक होटल में मिले, हितेश वहां पर पहले ही पहुंच गया था और जब आशीष ने उसे देखा तो वो एकदम आशचर्यचकित हो गया और वो कहने लगा कि तुम तो एकदम मेरे जैसे ही लग रहे हो और मुझे ऐसा लग रहा है जैसे में कोई आईना देख रहा हूँ.

हितेश : हाँ मुझे भी बिल्कुल ऐसा ही लग रहा है.

आशीष : लेकिन तुम्हे यह कैसे पता कि में तुम्हारे जैसा ही दिखता हूँ?

फिर हितेश ने आशीष को उस दिन वाली वो बात उसे पूरी विस्तार बता दी और उस दिन से वो दोनों एक बहुत अच्छे दोस्त हो गये, जाने से पहले हितेश ने आशीष को कहा कि तुम इसके बारे में किसी को कुछ नहीं कहना, हम लोगो को बेवकूफ़ बनाएँगे. फिर आशीष उसकी यह बात मान गया. फिर आशीष और हितेश गहरे दोस्त बन गये थे. एक दिन हितेश ने आशीष को खाना खाने के लिए अपने घर पर बुलाया और उन दोनों ने साथ में बैठकर बहुत दारू पी और बहुत मस्ती भी की और सेक्स के बारे में भी बातें की और ब्लूफिल्म भी देखी और ब्लूफिल्म देखते देखते आशीष, हितेश से बोला.

आशीष : यार हितेश यह ग्रूप सेक्स में कितना मज़ा आता होगा ना?

हितेश : भाई मुझे तो बिल्कुल भी पता नहीं, क्योंकि मैंने तो कभी ऐसा किया ही नहीं.

आशीष : भाई हम अगली बार एक रंडी लेकर आते है. फिर हम मिलकर उसके मजे लेंगे.

हितेश : हाँ ठीक है भाई हम दोनों उसके साथ मस्त मज़े करेगे.

आशीष : ( फिर दुखी होकर बोला ) भाई में तो अपनी जिन्दगी से बहुत दुखी हो गया हूँ और मेरा मन करता है कि में कहीं भाग जाऊँ, यह दुनिया अब मुझे काटने को दौड़ती है.

हितेश : हाँ भाई मेरा भी यही हाल है.

फिर वो दोनों सो गए और अगले दिन रविवार था तो दोनों को ऑफिस जाने की कोई टेंशन नहीं थी, सुबह वो दोनों थोड़ा देर से उठे और फिर बातें करने लगे. फिर हितेश ने कहा कि यार रात को तुम्हे बहुत नशा हो गया था, क्या हुआ लाईफ में सब कुछ ठीक तो है ना? आशीष ने कहा कि नहीं यार में अब इस लाईफ से बहुत पक गया हूँ और इस लाईफ से कुछ दिनों की छुट्टी चाहता हूँ.

हितेश ने कहा कि मेरे पास एक आइडिया है जिससे तू अपनी लाईफ से छुट्टी ले सकता है? तो आशीष ने कहा कि भाई मुझे मरना नहीं है. फिर हितेश ने कहा कि नहीं यार देख हम दोनों अपनी लाईफ एक दूसरे से बदल लेते है क्यों तू इस बारे में क्या कहता है?

आशीष को हितेश की यह बात बहुत अच्छी लगी, लेकिन उसने एक शर्त रखी कि हितेश उसकी पत्नी को हाथ नहीं लगाएगा और हितेश ने भी यह आशीष को कहा कि वो उसकी पत्नी को हाथ नहीं लगाएगा और वो दोनों मान गए.

फिर हितेश ने कहा कि उसको चार पाँच दिन में वापस देहरादून जाना है तो वो साथ चलने के लिए तैयार रहे. फिर कुछ दिनों के बाद हितेश ने आशीष को रेलवे स्टेशन पर बुलाया और उसे सब कुछ समझा दिया और आशीष ने भी उसे सब कुछ समझा दिया कि घर कैसा है कितने रूम है और प्यार से वो अपनी पत्नी को क्या कहता है और सारी बातें. फिर वो दोनों पब्लिक बाथरूम में गये और उन्होंने अपने कपड़े और बाकी की चीज़े बदल ली आईडी पास और बाकी चीज़े. फिर वहां से आशीष देहरादून के लिए निकल गया और हितेश, आशीष के घर के लिए.

दोस्तों अब हितेश यह बात सोच रहा था कि वहां पर क्या होगा? हितेश जो अब आशीष बन चुका था और आशीष के घर पर पहुंच गया और फिर उसने घंटी बजाई, दिव्या ने दरवाज़ा खोला तो हितेश दिव्या को देखता ही रह गया और वो क्या एकदम गोरी चिट्टी और उसकी लम्बाई करीब 5.6 होगी और उसके मस्त उभरे हुए बूब्स, पतली कमर और मस्त गांड थी, उसका फिगर करीब 34-30-36 होगा और जिसने हितेश के होश बिल्कुल ही उड़ा दिए थे. फिर हितेश को वहीं पर खड़ा हुआ देखकर दिव्या ने उससे कहा कि अंदर भी आओगे या वहीं पर खड़े रहोगे? और तब हितेश को होश आया और अंदर जाते जाते उसे आशीष की वो शर्त याद आ गयी. ( तुम मेरी बीवी को हाथ नहीं लगाओगे )

दिव्या : क्या बात है आप आज बड़ी जल्दी आ गए?

हितेश : हाँ वो आज काम थोड़ा जल्दी खत्म हो गया था तो में जल्दी आ गया.

दिव्या : आप फ्रेश हो जाए और में आपके लिए चाय और नाश्ता बना देती हूँ.

हितेश : हाँ ठीक है.

फिर हितेश बेडरूम में ना जाकर लिविंग रूम की तरफ जाने लगा तो दिव्या ने उससे कहा कि आप वहां पर कहाँ जा रहे है? तभी हितेश को होश आया और उसने बात को संभालने के लिए कहा कि वो कल मैंने एक फाइल रखी थी तो में वही ढूँढ रहा हूँ. फिर दिव्या ने कहा कि आप उसे बाद में ढूँढ लेना, पहले फ्रेश हो जाओ और अब हितेश ने थोड़ा ध्यान से पूरे घर को देखा और फिर बेडरूम में चला गया और कपड़े बदलकर बाथरूम में फ्रेश होने चला गया, वहां पर उसने देखा कि दिव्या की ब्रा, पेंटी पढ़ी हुई थी और अब हितेश अपने आपको रोक नहीं पाया और उसने दिव्या की पेंटी और ब्रा को हाथ में लेकर महसूस करने लगा और अब उसका नज़रिया बदलने लगा तो वो दिव्या के साथ सेक्स करने के बारे में सोचने लगा, लेकिन वो यह बात सोचकर भी डरता था कि कहीं आशीष भी उसकी पत्नी के साथ चुदाई ना कर दे?

फिर उसे लगा कि वो भी कौन सा दूध का धुला होगा जो वो मेरी बीवी को नहीं चोदेगा और फिर यह बात सोचकर हितेश ने दिव्या की पेंटी को सूँघा और फिर वहीं पर रख दी और फ्रेश होकर वो वापस बेडरूम में आ गया, जहाँ पर दिव्या चाय और नाश्ता लेकर उसका इंतज़ार कर रही थी और वहां पर बैठकर वो दोनों चाय पी रहे थे और दिव्या अपनी कुछ बात बता रही थी, लेकिन हितेश का पूरा ध्यान तो दिव्या के उस जिस्म पर लगा हुआ था. दिव्या ने उस समय बड़े गले की ढीली मेक्सी पहनी हुई थी, जिसकी वजह से उसकी छाती साफ साफ दिख रही थी और वो चाय की चुस्की के साथ साथ उसे निहार रहा था.

तभी दिव्या ने पूछा कि है ना? तो हितेश ने कहा कि हाँ सही बात है, अब उनकी चाय खत्म हो गई थी और वो अब वहां से उठकर किचन में खाना बनाने के लिए चली गई और हितेश वहीं पर बैठा हुआ टी.वी. देखने लगा, लेकिन उसका पूरा ध्यान तो अब भी दिव्या पर ही था और वो सोच नहीं पा रहा था कि कहाँ से शुरू करूं? फिर रात का ख़ाना खाकर वो लोग सोने की तैयारी करने लगे और हितेश अपने आपको बहुत काबू में रखते हुए सोने लगा, लेकिन अब उसकी आखों में नींद कहाँ आनी थी?

रात को करीब बारह बजे उससे जब रहा नहीं गया तो वो उठकर दिव्या के बदन को देखने लगा, उस समय दिव्या पीठ के बल सोई हुई थी तो उसकी सासों के साथ साथ उसके बूब्स भी लगातार ऊपर नीचे हो रहे थे, जो कि हितेश को और भी पागल बना रहे थे. अब उसने बहुत आराम से उसकी मेक्सी के ऊपर के तीनों बटन खोल दिए, दिव्या ने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई था ( दोस्तों अधिकतर औरतें सोते समय अपनी ब्रा उतार देती है ) और अब हितेश के सामने उसके बूब्स बेपर्दा हो गये थे और जिसकी वजह से हितेश उन्हें बहुत आराम से देख पा रहा था और अब हितेश ने अपना एक हाथ उसके बूब्स पर रख दिया और धीरे धीरे बूब्स को सहलाने, दबाने लगा और उसे ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था. तभी दिव्या ने नींद में कहा कि आप यह क्या कर रहे है? हितेश ने तुरंत अपना हाथ उसके बूब्स से हटा लिया.

फिर दिव्या ने उससे कहा कि प्लीज आप मुझे सोने दीजिए ना और यह कौन सा टाईम है? प्लीज कल कर लेना. फिर हितेश को एहसास हुआ कि वो तो अब आशीष है जो यह बात सोचकर बहुत खुश होकर उठकर बाथरूम में चला गया और मुठ मारकर दिव्या के साथ लिपटकर सो गया.

फिर अगले दिन जब हितेश सोकर उठा तो उसने देखा कि तब तक दिव्या उठ चुकी थी और वो उसके लिए चाय बनाकर ले आई और अब वो उससे कहने लगी कि उठ गये आप, क्या बात है रात को बड़ा प्यार आ रहा था? हितेश ने तुरंत दिव्या का एक हाथ पकड़कर उसे अपने पास खींच लिया और उससे कहा कि क्या में अब तुमसे प्यार भी नहीं कर सकता? और वो दिव्या की गर्दन पर किस करने लगा. फिर दिव्या ने कहा कि छोड़िये आप भी ना सुबह सुबह क्या बात है आज कल जनाब के मिज़ाज़ थोड़े बदले बदले है और वो इतना कहकर वहां से चली गई.

दोस्तों उस दिन रविवार था तो उसे कोई काम नहीं था और नाश्ता करने के बाद हितेश को रात की बात याद आई और वो तुरंत उठकर सीधा अब किचन में चला गया और उसने दिव्या को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा. फिर दिव्या ने कहा कि कल से देख रही हूँ जनाब बड़े आशिकाना हो रहे है क्या बात है? तो हितेश ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं बस ऐसे ही मुझे तुम पर प्यार आ रहा था और अब वो उसे अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाने लगा तो दिव्या ने कहा कि यहाँ खाना कौन बनाएगा? और जब वो कह रही थी तो उसने उसे किस करना शुरू कर दिया और अब दिव्या भी धीरे धीरे गरम होने लगी थी.

दिव्या को उसने बेड पर लेटा दिया और फिर वो उसके ऊपर लेट गया और उसके पूरे बदन पर किस करने लगा और अब उसने दिव्या की मेक्सी को उतार दिया और दिव्या के बूब्स को किस और सक करने लगा, जिसकी वजह से दिव्या पूरी तरह से धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब हितेश उसकी पेंटी की तरफ गया और उसने उसकी पेंटी को एक ही जोरदार झटके में उतार दिया और वो उसकी चूत को चाटने लगा.

फिर दिव्या ने कहा कि यह आप क्या कर रहे है? तो हितेश ने कहा कि इससे सेक्स करने में ज्यादा मज़ा आता है तो दिव्या को उसके मुहं से यह सब सुनकर बहुत अजीब सा लगा, लेकिन वो उस समय अंदर ही अंदर कामवासना की आग में जल रही थी तो इसलिए उसने कुछ भी नहीं कहा. अब हितेश उसकी चूत को चाट रहा था और फिर वो अपने पूरे कपड़े उतारकर दिव्या के ऊपर चढ़ गया और उसने अपना लंड दिव्या की चूत पर लगाकर एक ज़ोर का झटका मारा और अपना आधे से ज्यादा लंड दिव्या की चूत में उतार दिया और उस दर्द की वजह से दिव्या एकदम से सिहर कर रह गयी और फिर एक और जोरदार झटके के साथ हितेश का पूरा लंड दिव्या की चूत में था. अब हितेश ने लगातार झटके मारने चालू किए और पूरे कमरे में पच फच पछ और दिव्या के चीखने, चिल्लाने की आवाजे गूंजने लगी तो वो कुछ देर के धक्कों के बाद चूतड़ को उठा उठाकर अपनी चुदाई के मज़े ले रही थी, लेकिन कुछ देर की चुदाई के बाद दिव्या का पूरा शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गई, जिससे उसकी चूत और फिसलन भरी हो गयी.

अब हितेश का लंड और भी तेज़ी के साथ आगे पीछे जाने लगा और हितेश ने भी अपनी धक्कों की रफ़्तार को बढ़ा दिया था और वो भी कुछ ही देर में उसकी चूत में झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट गया. फिर दिव्या ने उससे कहा कि आज कल आप बहुत जोश में आकर सेक्स करने लगे हो? और अब हितेश उसे किस करने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा और उसे एक बार फिर से चुदाई के लिए गरम करने लगा. फिर दिव्या ने कहा कि प्लीज अब छोड़ो भी, लेकिन हितेश नहीं रुका और वो दिव्या को लगातार किस करता रहा और उसने दिव्या को अब पेट के बल लेटा दिया और वो उसकी कमर को किस करने लगा और उसकी गांड को दबाने लगा, उसकी गांड में उंगली करने लगा. तभी दिव्या को यह सब बहुत अजीब लगा, क्योंकि आशीष कभी भी उसकी गांड को हाथ नहीं लगाता था और आज पहली बार उसकी गांड को कोई छू रहा था. फिर दिव्या ने तुरंत उससे कहा कि आप यह क्या कर रहे हो, प्लीज वहां पर मत करिए, लेकिन अब हितेश उसकी कहाँ सुनने वाला था? और वो उसके ऊपर लेट गया और दिव्या उससे बार बार मना करती रही नहीं वहां नहीं प्लीज प्लीज, लेकिन हितेश पर तो एक हवस सवार थी.

फिर उसने अपने लंड पर थूक लगाकर उसकी गांड के मुहं पर अपना लंड लगाकर एक जोरदार झटका मारा, लेकिन लंड फिसल गया और दिव्या ने इससे पहले कभी गांड नहीं मरवाई थी तो इसलिए वो चिल्लाने लगी. फिर हितेश ने उससे कहा कि प्लीज जानू मुझे आज बस एक बार करने दो इसके बाद में कभी नहीं करूँगा, लेकिन दिव्या मना करने लगी और हितेश ने इस बार दोबारा अपना लंड गांड पर लगाकर एक ज़ोरदार झटका मारा और इस बार उसके लंड का सुपाड़ा दिव्या की गांड में था तो उस दर्द की वजह से दिव्या की चीख उसके मुहं में ही अटक गई और इस बीच हितेश ने एक और झटका मार दिया, जिसकी वजह से उसका आधे से ज्यादा लंड दिव्या की गांड में जा चुका था और उसकी गांड पूरी तरह से फट गई थी और अब उसकी गांड से खून भी निकलने लगा था और जिसकी वजह से दिव्या बेहोश सी होने लगी थी और दर्द के मारे उसकी आखों से आँसू बह रहे थे.

फिर हितेश ने थोड़ा रुककर झटके मारने शुरू किए. कुछ देर बाद उसके हल्के हल्के धक्कों के साथ अब दिव्या भी अपनी गांड में उसके लंड के मज़े लेने लगी, लेकिन ज्यादा जोश में होने की वजह से कुछ ही देर बाद हितेश उसकी गांड में ही झड़ गया और थककर उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसकी गर्दन पर किस करता रहा. फिर हितेश ने दिव्या से बोला कि प्लीज तुम मुझे माफ़ कर दो. फिर दिव्या ने कहा कि आपने मेरे साथ ऐसा जबरदस्ती वाला काम क्यों किया और आप तो मेरे साथ कभी ऐसा नहीं करते थे? तो हितेश ने कहा कि प्लीज डियर मुझे माफ़ कर दो, में कुछ अलग तरह से सेक्स के मज़े लेने की कोशिश कर रहा था और मुझे लगा कि तुम मेरा कहा मनोगी नहीं तो इसलिए मैंने तुम्हारे साथ यह सब जबरदस्ती किया. फिर दिव्या ने कहा कि आप एक बार मुझसे पूछते तो सही और वो दोनों ऐसे ही वहीं पर लेटे रहे. दोस्तों में अपनी अगली कहानी में आप सभी को जरुर बताऊंगा कि आशीष ने कैसे संजना को चोदा, लेकिन तब तक में आपसे अलविदा लेता हूँ.
हैल्लो दोस्तों, आप सभी का जय एक बार फिर से हाजिर है और आप सभी के सामने अपनी कहानी का अगला भाग लेकर. दोस्तों आशीष अब तक देहरादून पहुंच चुका था और वो आशीष के बताए हुए पते पर हितेश के घर चला गया और फिर उसने घंटी बजाई. संजना ने दरवाज़ा खोला आशीष उसे देखता ही रह गया. वो दिखने में बिल्कुल मस्त, गोरी पहाड़ी लड़की की तरह लग रही थी और उसका फिगर ना ज्यादा बड़ा था और ना ज्यादा कम था.

अब संजना आशीष को हितेश समझकर उसे देखते ही गले लग गई उस वजह से आशीष थोड़ा सा सकपका सा गया कि वो अब क्या करे, लेकिन उसने ज्यादा दिमाग ना लगाते हुए उस भी अपने गले से लगा लिया, लेकिन तभी उसे अपना वो वादा याद आ गया (कि वो हितेश की पत्नी हो हाथ नहीं लगाएगा) और वो यह बात सोचकर तुरंत संजना से अलग हो गया और अपना सामान लेकर अंदर चला गया. इस बात से संजना को थोड़ा अटपटा सा लगा, लेकिन फिर उसने सोचा कि शायद सफ़र की वजह से वो थोड़ा ज्यादा थक गये होंगे और उसने कुछ नहीं बोला वो भी चुपचाप अंदर चली गई. फिर वो किचन में जाकर आशीष के लिए चाय और नाश्ता बनाकर ले आई. तो आशीष ने बाहर आकर उससे थोड़ी बहुत बात की ताकि संजना उससे ज्यादा सवाल ना करे.

फिर कुछ घंटो के बाद रात का खाना खाने के बाद वो दोनों सोने की तैयारी करने लगे (हितेश और संजना सेक्स में एक दूसरे से हमेशा बहुत खुलकर बातें करते थे, लेकिन संजना ग्रूप सेक्स के लिए कभी भी राज़ी नहीं थी) तो संजना ने कहा कि आज मेरा बड़ा मन हो रहा है प्लीज चलो ना करते है कितने दिन भी तो हो गए है आज मेरा बड़ा मन कर रहा है. संजना के मुहं से यह बात सुनकर आशीष भी थोड़ा गरम हो गया, लेकिन फिर उसे अपनी वो शर्त याद आ गई और उसने एक बहाना बना दिया कि वो थक गया है और अब उसे बहुत नींद आ रही है और संजना ने भी मन ही मन सोचा कि रहने दो शायद सच में थके होंगे. अब अगले दिन से वो हितेश की लाईफ जीने लगा और उसे ऐसा करने में बड़ा मज़ा आ रहा था और वो इस बात का फायदा उठाकर पूरा देहरादून घूमता तो कभी कभी वो मसूरी भी चला जाता और बहुत मजे करता रहा, लेकिन वो भी अब थोड़ा थोड़ा संजना की तरफ खिंच रहा था, लेकिन उसने आपने मन को बहुत काबू में रखा हुआ था. एक सुबह सुबह जब आशीष उठा तो वो क्या देखता है कि संजना बाथरूम से सीधी बाहर निकलकर टावल लपेटकर बेडरूम में आ गई है और अब वो उसके सामने ही कपड़े बदल रही है. अब आशीष उसकी जवानी को देखकर बिल्कुल पागल होने लगा था, लेकिन वो कुछ करना नहीं चाहता था इसलिए वो वहां से उठकर बाहर चला गया और उसका ऐसा व्यहवार देखकर संजना को बहुत बुरा लगा, लेकिन आशीष सीधा बाथरूम में गया और वो संजना के नाम की मुठ मारने लगा और अपने आपको शांत करने लगा.

फिर शाम को जब वो वापस आया तो संजना बहुत प्यार के मूड में थी और उसके अंदर आते ही उसने आशीष को तुरंत अपने गले से लगा लिया और फिर वो उसे जबरदस्ती प्यार करने लगी, लेकिन आशीष ने उसे दूर हटा दिया और आगे बढ़ गया. फिर संजना ने उसे और भी मनाने की कोशिश की और उसने आशीष को पीछे से पकड़ लिया और हग करने लगी, लेकिन आशीष ने उसे एक बार फिर से अपने से अलग कर दिया. अब तो संजना आशीष का उसके लिए ऐसा बर्ताव देखकर और भी उदास होने लगी थी और उसे पता नहीं चल रहा था कि आशीष उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा था और वो भी अब अपनी पूरी जवानी उस पर उड़ेलना चाह रही थी, लेकिन आशीष था कि उसे पूरी तरह से नकार रहा था. फिर उसका ऐसा व्यहवार देखकर संजना तुरंत उसके आगे चली गई और अब उसने अपने बूब्स को खोलकर उससे कहा कि क्या हो गया है तुम्हे, मुझमें ऐसी क्या कमी है ध्यान से देखो में तुम्हारी वही पुरानी संजना हूँ?

आशीष : हाँ में वो सब अच्छी तरह से जानता हूँ.

संजना : तो तुम आज मुझसे ऐसा व्यहवार क्यों कर रहे हो, जैसे में कोई अजनबी हूँ?

आशीष : ऐसी कोई भी बात नहीं है जैसा तुम सोच रही हो.

संजना : फिर क्या बात है? मैंने तुम पर बहुत ध्यान दिया है और तुम्हे परखकर भी देखा है कि तुम जब से आए हो मुझे एक बार भी ध्यान से देख भी नहीं रहे हो?

आशीष : क्यों देख तो रहा हूँ? तो तुम ही मुझे बताओ कि में कैसे देखूं?

संजना : क्या देख रहे हो तुम मुझे प्यार क्यों नहीं करते, तुम्हे ऐसा क्या हो गया है?

अब संजना ने आशीष का हाथ उठाकर जबरदस्ती अपने बूब्स पर रख दिया और कहा कि तुम मुझे प्यार करो में पूरी तरह से तुम्हारी हूँ. फिर आशीष ने जैसे ही उसके बूब्स छुए तो उसके बदन में जैसे कोई करंट सा दौड़ गया, लेकिन उसने कुछ सोचकर तुरंत अपना हाथ हटा लिया और वो वहां से घर छोड़कर चला गया और अपने पीछे संजना को रोता बिलखता हुआ छोड़ गया. अब संजना बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी कि वो क्या करे? लेकिन उसने भी मन ही मन ठान रखी थी कि वो इस समय यमराज से भी अपने पति को लेकर ही रहेगी और रात के करीब दस बजे आशीष आया और आते ही वो सीधा अपने कमरे में जाकर सो गया, लेकिन संजना भी आज अपने पूरे प्लान के साथ तैयार थी और उसने आशीष के लेटते ही उसे प्यार करना शुरू कर दिया, वो कभी उसे किस करती तो कभी उसके लंड को रगड़ती. अब उसके यह सब करने से आशीष का अपने ऊपर से काबू भी धीरे धीरे खोने लगा था, लेकिन इसके बाद जो संजना ने किया उस काम से आशीष के सब्र का बाँध टूट गया और वो अब अपने काबू से बाहर हो चुका था, वो अब कामवासना की उस आग में जलने लगा था, क्योंकि संजना ने आशीष का लंड उसकी पेंट से बाहर निकालकर जबरदस्ती अपने मुहं में डाल लिया था और वो उसका लंड लोलीपोप की तरह बहुत मज़े लेकर चूसने लगी जिसकी वजह से आशीष एक बिना पानी के तड़पती हुई मछली जैसा हो गया था, लेकिन अब आशीष से ज्यादा देर रहा नहीं गया और उसने संजना के सर को पकड़कर अपने लंड पर दबाने लगा जिसकी वजह से संजना और तेज़ी से उसका लंड चूसने लगी और वैसे भी आशीष बहुत दिनों से सेक्स से बहुत दूर था तो वो दस मिनट लंड को चूसने में ही उसके लंड का लावा संजना के मुहं में अब पूरी तरह से फूट पड़ा और संजना उसे पी गयी.

अब आशीष ने संजना की मेक्सी को उतारकर दूर फेंक दिया और उसने अपनी जीभ से उसके सारे बदन को नाप डाला, उसने ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी जहाँ पर उसने उसे चूमा ना हो जैसे एक बांध टूटने के बाद पानी सभी जगह पर पहुंच जाता है ठीक उसी तरह आशीष संजना के पूरे कामुक जिस्म पर टूट पड़ा था. इस बीच उसका लंड एक बार फिर से धीरे धीरे खड़ा होकर सांसे लेने लगा था और संजना की वो आहें उसके लंड को अपनी चूत में बुला रही थी. अब आशीष ने अपना लंड संजना की चूत के मुहं पर लगाकर एक जोरदार धक्का मार दिया जिससे उसका आधे से ज्यादा लंड अब संजना की चूत में था और वो एकदम के चीखकर रह गई, लेकिन आशीष पर हवस अब इतनी बुरी तरह से हावी हो चुकी थी कि उसे संजना का दर्द से तड़पना, आहें, चीखे और अपनी वो शर्त कुछ भी याद नहीं थी और अब माहोल में आशीष के लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने की थप थप और संजना की चीखे पूरी तरह से घुली हुई थी. इस बीच आशीष का बदन अकड़ गया और वो संजना के अंदर ही झड़ गया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर गया और वो दोनों उसी हालत में सो गया. सुबह आशीष की पहले नींद खुल गई उसने अपने आपको नंगी संजना के ऊपर पाया और फिर उसे लगा कि यह उसने क्या कर दिया? और वो वहीं पर बैठकर अपने आपको दोष देने लगा.

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