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  • भाई के साथ मस्ती

    नमस्कार दोस्तो, मैं रागिनी सिंह हाजिर हूँ आपके सामने अपनी पहली कहानी लेकर, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है जिसमें आपको भरपूर मज़ा मिलने वाला है। यह कोई कहानी नहीं बल्कि एक सच्चाई है जो की मेरे बारे में है। यह सच्ची कहानी बहुत बड़ी है जो की कई भागो में आप तक भेजी जाएगी।
    तो दोस्तों तैयार हो जाइये मेरी सच्ची कहानी पढ़ने के लिए।

    मेरा नाम रागिनी सिंह है मेरी उम्र 23 साल है मेरी फैमिली में मेरे पापा अजय सिंह (45 वर्ष) मेरी मम्मी अन्नू सिंह (43 वर्ष) और मेरा भाई आशू सिंह (18 वर्ष) है। मेरा परिवार दिल्ली में रहता है। मेरे पापा स्कूल टीचर हैं और मम्मी हाउसवाइफ है, मैं कॉलेज में एम एस सी की स्टूडेंट हूँ और मेरा भाई अभी 12वीं में है।

    आप सबको मैं अपने पुराने समय के बारे में कुछ बता दूं तो ज्यादा अच्छा होगा। बचपन में जब मैं 5 साल की थी तब मेरे भाई का जन्म हुआ, धीरे-धीरे समय बीतता गया अब मैं 10 की तथा मेरा भाई 5 साल का हो गया। वह बचपन से ही मुझे बहुत प्यारा लगता था, हम दोनों का कमरा एक ही था। वह देखने में जितना क्यूट था उतना ही नटखट भी था, अक्सर वह मुझसे लड़ता झगड़ता था। आशू मेरे सामान को हमेशा इधर उधर बिखेर देता था जैसे- मेरी किताबें, कपड़े आदि।
    अब वह स्कूल जाने लगा था घर पर मैं उसकी पढ़ने में मदद किया करती थी।

    धीरे-धीरे हम बड़े होते गए, मैं जवानी की दहलीज पर खड़ी थी और आशू अब 13 साल का हो गया था। पर उसके बड़े होने के साथ साथ उसकी शैतानियाँ भी बढ़ गयी थी, वह मुझे परेशान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था। अब मैं 18 की हो गयी थी, मेरी जवानी खूब निखर के आई थी मुझ पर। 18 की उम्र में 22 की लगती थी मेरे उरोजो में गजब की वृद्धी हुयी थी। 18 की उम्र में ही मेरा साइज़ 34-28-32 का हो गया था और अभी तक मैं कुंवारी थी पर सेक्स के बारे में पूरी जानकारी रखती थी। स्कूल में मेरी सहेलियां मुझसे मेरी जवानी देख के जलन रखने लगी थी। लड़के तो देख देख के ही आहें भरते थे, कइयों ने तो प्रपोज भी कर दिया था पर मुझे इन सब में कोई इंटरेस्ट नहीं था उस समय। मैं तो सिर्फ अपनी पढाई में ध्यान लगाये हुयी थी क्योंकि 12वीं बोर्ड का एग्जाम था।

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    घर पर अक्सर मैं कम्फर्टेबल रहना पसंद करती थी चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो जैसे- सोना, कपड़े पहनना आदि। मुझे ढीले कपड़े पहनना ज्यादा पसंद था, मैं घर पर अंडरगारमेंट बहुत कम पहनती थी। बिना अंडरगारमेंट के मैं बहुत अच्छा महसूस करती थी, सोते वक्त बिना कपड़ों के ही सो जाती थी। कपड़ों के बिना सोने का अपना ही मजा है और बिना अंडरगारमेंट के तो कुछ अलग ही आनंद है। कई बार तो मैं स्कूल में भी अंदर बिना कुछ पहने ही चली जाती हूँ, मेरे स्कूल का ड्रेस कोड है- नीले रंग का स्कर्ट जोकि घुटनों तक होता है, सफ़ेद रंग का शर्ट और धारीदार ग्रे कलर की टाई।

    एक दिन रविवार को घर पर मैं अपने कमरे में बैठकर पढ़ रही थी, तभी मेरा भाई आशू आया और मेरी किताबें इधर उधर करने लगा.
    मैंने उससे कहा- मुझे डिस्टर्ब न कर आशू, मुझे पढ़ने दे!
    पर वह मेरी बात को अनसुना करके अपनी शरारत में मस्त था।
    मैंने तेजी दिखाते हुए एक झटके से अपनी किताब उससे ले ली, ऐसा होते ही वह मुझ पर टूट पड़ा और मुझे गिराकर मेरे ऊपर बैठ गया तथा हाथापाई करने लगा। इस लड़ाई में उसके प्रहार से मैं अपने आप को बचा रही थी क्योंकि मैं उसे चोट नहीं पहुँचाना चाहती थी।

    वह मेरे मम्मों पर बैठा था जिससे वे एकदम से दबे हुए थे मुझे तकलीफ हो रही थी। लेकिन वह उठने का नाम ही नहीं ले रहा था आखिर मुझे हारकर अपनी किताब उसे देनी पड़ी तब जाकर वह मेरे ऊपर से हटा। अब जाकर मुझे राहत महसूस हुई.

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    मेरे बगल में बैठ कर वह मुझे जीभ निकाल कर चिढ़ा रहा था। ऐसी ही मासूम सी हाथापाई हमेशा हम दोनों के बीच होती रहती है, जिसमें कभी कभी वह मजाक में मुझे गुदगुदी करने लिए मेरे मम्में भी दबा देता है। यह सिलसिला लगभग रोज का रूटीन बन गया है, सोने के समय तो वह जरूर मुझसे शैतानियाँ करता है। हमारा रूम छत पर होने की वजह से मम्मी पापा को इस के बारे में पता नहीं चल पाता। हम ज्यादातर छत पर ही रहते हैं, हमारे रूम के बगल में ही हमारा अलग बाथरूम भी है। नीचे वाले फ्लोर पर मम्मी पापा रहते हैं तथा किचन भी वही है और उनका बाथरूम भी। टीवी भी वही किचन के बगल में हाल में है।

    एक दिन मैं बाथरूम में नहा रही थी, तभी मेरा भाई भी नहाने के लिए अंदर घुस आया. उसे पता नहीं था कि मैं अंदर नहा रही हूँ। नहाते वक्त मैं बाथरूम का दरवाजा लॉक नहीं करती थी क्योंकि ऊपर जल्दी कोई आता नहीं था, आशू ही ऊपर होता था जिससे मुझे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि अभी वह छोटा था। तो आशू भी बाथरूम में घुस आया था नहाने के लिए!
    मैं वहाँ पर नंगी होकर नहा रही थी. पहले तो मैं डर गयी कि कौन आ गया। जब देखा कि आशू है तो जान में जान आई।
    अब डरने की बारी आशू की थी, वह मुझे पहली बार नंगी देख रहा था, मुझे बाथरूम में नंगी देखकर तो पहले तो उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी, वह मुझे एकटक घूरे जा रहा था। डर के मारे उसकी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी, मेरे डर से वह काम्प रहा था। वह डर इसीलिए रहा था कि कहीं मैं मम्मी पापा से उसकी शिकायत न कर दूँ कि यह मेरे बाथरूम में घुस गया था।
    मुझे उसको देखकर हंसी आ गयी, मैंने पूछा- क्या हुआ आशू?
    वह हकलाते हुए बोला- क..क..क.. कुउउउच्चछ… कुछ नहीं दीदी।
    और इतना कहते ही वह जाने को हुआ तो मैंने पूछा- नहाना है तुमको?
    तो वह बोला- जी दीदी।
    मैंने कहा- ठीक है, आ जाओ साथ में नहाते हैं.

    मैंने उससे कपड़े निकालने को कहा तो उसने धीरे धीरे अपने कपड़े निकाल कर अलग कर दिए और मेरी तरह बिल्कुल नंगा हो गया। अब हम साथ में बैठकर नहाने लगे, मैं उसको नहलाने लगी जैसे एक माँ अपने बच्चे को नहलाती है, वह भी चुपचाप बैठकर नहा रहा था।

    आशू के शरीर पर मैंने साबुन लगाना शुरू किया और हर एक जगह मैंने अच्छी तरह साबुन लगाया, उसके नुन्नू पर भी। उसका नुन्नू अभी छोटा था तक़रीबन 3 इंच का रहा होगा। नहाने के बाद हमने अपने कपड़े पहने और अपने अपने काम में लग गए, मैं एग्जाम की तैयारी करने लगी और आशू अपना होमवर्क करने लगा। अब लगभग रोज ही हम दोनों साथ साथ नहाने लगे थे और एक दूसरे के अंगों को पकड़कर देखने भी लगे थे।

    उस दिन के बाद से मैं अपने रूम में आशू के सामने ही कपड़े बदल लेती थी, नंगी हो जाती थी। आशू भी मेरे सामने ही अपने कपड़े बदल लेता था।

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    जैसा मैंने बताया था कि मुझे रात को सोते वक्त नंगी होकर सोना ज्यादा पसंद है। दिसम्बर का महीना था ठण्ड पड़ रही थी, मैं नंगी होकर रजाई में लेटी थी, आशू नीचे पापा के साथ टीवी देख रहा था। कुछ देर तक टीवी देखने के बाद वह ऊपर सोने के लिए आया.

    मैं जाग रही थी, आते ही वह रजाई में घुस कर मुझसे चिपक गया। रजाई में घुसने पर उसको पता चल गया कि मैं नंगी हूँ, वह अपने हाथ मेरे ऊपर फिराने लगा। वह मेरे मम्मों को टटोल रहा था.
    आशू को मेरे मम्मों से ज्यादा प्यार है.

    मेरा भाई मेरे निप्पल को उमेठ रहा था, मैंने पूछा- ऐसा क्यों कर रहा है?
    तो वह बोला- दीदी, मुझे आपका दूध पीना है।
    मैंने कहा- मुझे अभी दूध नहीं आता!
    तो वह बोला- क्यों? आपको दूध क्यों नहीं आता दीदी?

    तब मैंने उसको दूध आने की पूरी प्रक्रिया बताई।
    मेरी बात सुनने के बाद वह बोला- मुझे तो आपके दूध पीने हैं तो पीने हैं.
    मैं उसकी बचकानी बात पर हंसने लगी और बोली- ठीक है पी ले जैसी तेरी इच्छा।

    मेरे हां कहते ही आशू ने मेरे निप्पल चूसना शुरू कर दिया और बारी बारी से वह एक दुधमुंहे की तरह मेरे चूचियों को चूसता रहा, चूची चूसते चूसते कब उसे और मुझे नींद आ गयी, पता ही नहीं चला।
    अब यही प्रक्रिया लगभग रोज होने लगी, अब आशू को बगैर मेरी चूची चूसे नींद ही नहीं आती थी. शायद मुझे भी अब चूची चुसाने की आदत पड़ गयी थी। लेकिन इस सब में सेक्स नाम की कोई चीज नहीं थी. यह तो भाई बहन का प्यार था.

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    धीरे धीरे हमारी उम्र बढती गयी अब मैं 23 साल की तथा आशू 18 साल का हो गया था।

    अब आशू जवान हो गया था तथा उसका नुन्नू अब 3 इंच से 6 इंच का हो गया था। मेरे शरीर का साइज़ भी अब बदल चुका था इन 5 सालो में जो चूचियां कभी 34 की हुआ करती थी वह अब 36 की हो गयी थी। अब मेरा साइज़ 36-30-34 की हो गयी थी, मेरे सगे भाई ने मेरी चूचियां चूस चूस के बड़ी कर दी थी। इतनी चुसाई होने के बाद भी मेरे मम्में अभी भी पूरी तरह से टाइट थे, देखने में लगता था जैसे दो गोल गोल खरबूजे लटक रहे हो बिल्कुल हॉरर माडल डैनी डीवाइन की तरह।

    एक दिन मैं घर पर अकेली थी, पापा स्कूल पढ़ाने गए थे, मम्मी भी मामा के यहाँ गयी थी और आशू स्कूल गया था। मैं घर का सब काम निपटा के नहाने चली गयी, नहाने से पहले मैंने पूरे शरीर पर वैक्स किया था।
    नहाकर मैं नंगी ही वापस कमरे में गयी और बाल सुखाकर तथा मेकअप करके घर में उसी अवस्था में घूमने लगी। कुछ देर टीवी देखा और वहीं पर नंगी ही सो गयी.

    नींद में ही डोरबेल की आवाज सुनाई पड़ी तो मेरी आँख खुली। मैंने कीहोल से बाहर देखा तो आशू था, मैंने कपड़ा पहनना मुनासिब नहीं समझा और दरवाजा खोल दिया।
    जब वह अंदर आया तो मुझे नंगी देखकर बड़ा खुश हुआ, आशू तुरंत मेरी ओर लपक पड़ा। इससे पहले की वह मुझ तक पहुँचता, मैंने दरवाजा लॉक कर दिया, दरवाजा बंद होते ही वह मेरी चूचियों पर टूट पड़ा।
    आशू बोला- दीदी, आपके दूध मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मन करता है हरदम इन्हें पकड़ के चूसता रहूँ।
    मैंने भी झट से बोल दिया- तो चूसो … मना किसने किया है।
    आशू एक एक करके मेरे मम्मों को वही खड़े खड़े दबाने व चूसने लगा, मुझको भी मज़ा आने लगा।

    15-20 मिनट चूसने के बाद जब उसका मन भर गया तो उसने मेरे मम्मों को छोड़ दिया और मुस्कुराते हुए कमरे की ओर जाने लगा. मैं भी उसको देखकर मुस्कुरा रही थी। आज तक हमारे दरमियान कभी भी सेक्स की फीलिंग नहीं थी, हम दोनों ऐसा करते हुए एक अलग ही लेवल के आनंद में डूब जाते थे। ऐसा करते हुए मुझे लगता कि मैं एक माँ हूँ और अपने बच्चे को दूध पिला रही हूँ। आशू को अभी तक सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था, हाँ इतना जरूर था कि जब वो मेरी चूचियों को चूसता तो उसका नुन्नू जो अब एक लंड बन गया था, जरूर तन जाता था।

    जब भी उसका लंड तन जाता तो वह उसे पकड़ के मुझे दिखाता और कहता दीदी- ये देखो मेरे नुन्नू को क्या हो गया ये इतना बड़ा और मोटा हो गया।
    मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती और कहती- कुछ नहीं हुआ, अभी ठीक हो जायेगा.

    ऐसे ही चलता रहा, एक महीना बीत गया। अगस्त का महीना था एक रात को हम दोनों बिल्कुल नंगे लेटे लेटे बातें कर रहे थे उसका लंड तना हुआ था, वह उसको पकड़ के मुझे दिखाते हुए बोला- ऐसा क्यों होता है दीदी?
    तब मैंने उसे समझाते हुए सब कुछ बताया तथा यह भी बताया कि यह पुरुष और महिला के अट्रैक्शन के कारण होता है। यह उत्तेजना के कारण होता है।
    आशू बोला- इसको ठीक कैसे करते हैं?
    मैंने कहा- सेक्स करके या फिर अपने हाथ से!

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    फिर उसने मुझसे पूछा- ये सेक्स क्या होता है दीदी?
    तब मैंने उसको बताया- जब इस नुन्नू को किसी लड़की के (अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए) यहाँ पर डालते हैं तो उसको सेक्स करना कहते हैं।
    आशू फिर पूछने लगा- ये हाथ से कैसे होता है?
    तब मैंने उसको बताया- इसको मुट्ठी में पकड़ के आगे पीछे करते रहने से ये कुछ देर में शांत हो जाता है।

    आशू कहने लगा- दीदी, मुझे आपके साथ सेक्स करना है.
    मैंने उसे समझाया- ये सब भाई और बहन के बीच नहीं होता।
    मैंने कहा- आशू जब तुम्हारी शादी हो जाएगी, तब तुम अपनी पत्नी के साथ सेक्स करना।

    वह जिद करने लगा तो मैंने कहा- अच्छा इधर आओ, मैं अपने हाथों से तुम्हारे नुन्नू को शांत कर दूँ।
    वह मेरे पास आ गया, मैंने उसको खड़ा होने को कह दिया वह मेरे चेहरे के सामने खड़ा हो गया। मैं घुटनों के बल बैठ गयी तथा उसके लंड को अपने हाथो में पकड़ा और आगे पीछे करते हुए हिलाने लगी, वह धीरे धीरे मदहोशी में खो गया और आँखें बंद कर ली।

    आँखें बंद करके वह आहें भरने लगा- सस.. सस आह… उह.. सस एस्स.. आह दीदी, बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसे ही करती रहो।
    तकरीबन 15-20 मिनट लंड हिलाने के बाद उसका लंड फूल गया.

    इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसके लंड से पिचकारी निकली जो सीधे मेरे माथे से जा टकराई, मैं संभल पाती इससे पहले दूसरी पिचकारी निकली जो मेरे होठों पर जा गिरी, फिर उसके लंड ने मेरी चूचियों पर अपना बचा हुआ माल उलट दिया, धीरे धीरे आशू का लंड झटके खा खा कर शांत हो गया।

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    अब मैंने अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराई जहां आशू का माल गिरा था, मुझे उसका स्वाद नमकीन सा लगा जो थोड़ा अजीब था पर टेस्ट अच्छा था तो मैं पूरा चाट के साफ़ कर गयी।
    आज आशू पहली बार झड़ा था तो माल भी बहुत ज्यादा निकला था जो मेरी चूचियों पर साफ़ देखा जा सकता था।

    झड़ने के बाद आशू वही बेड पर लेट गया उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी।

    कुछ देर बाद जब उसकी आँखें खुली तो वह बहुत खुश दिखाई दे रहा था।
    मैंने पूछा- कैसा लगा?
    तो वह बोला- बहुत मज़ा आया।

    अब हम दोनों भाई बहन वहीं बेड पर लेटे लेटे जो कुछ हुआ उसके बारे में बातें करने लगे।

    कुछ देर बात करने के बाद आशू बोला- दीदी, अब मेरा नुन्नू आप रोज हिलाना, आज मुझे बहुत अच्छा लगा।
    मैंने उसको समझाया- ये रोज रोज करना अच्छा नहीं है अभी से, अभी तुम छोटे हो सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।
    मेरी यह बात उसको अच्छी नहीं लगी।

    कुछ देर चुप रहने के बाद आशू नाराज होते हुए बोला- अगर आप को नहीं करना तो ना करो, मैं खुद ही कर लूँगा।
    मैंने उस टाइम उसको तसल्ली दिला दी- ठीक है, मैं ही कर दूंगी, पर अभी सो जाओ रात बहुत हो गयी है।

    सुबह हम दोनों सोकर उठे, फ्रेश होने के बाद हम दोनों साथ में नहाये। आशू नाश्ता करके स्कूल चला गया, कुछ देर बाद मैं भी कॉलेज चली गयी।
    रात को वह मेरे पास आया और अपने कपड़े निकाल के बिस्तर में घुस गया। मैं पहले से ही नंगी रजाई के अंदर पड़ी थी, रजाई में घुसते ही उसके हाथ मेरी चूचियों पर टहलने लगे। कुछ देर मेरी चूचियों को दबाने के बाद वह एक एक करके उन्हें चूसने लगा।

    अनायास ही मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया जो अब पूरी तरह से तन गया था।

    आशू मेरी चूचियों को दबा दबा के चूस रहा था जिससे आज मेरी भी उत्तेजना जाग गयी थी, मुझे भी मज़ा आने लगा था। जोश में मैं भी उसके लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगी, आशू की सिसकारियाँ निकलने लगी- आह.. हम्म… उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स्स्स… ऊह्ह… ओह्ह… दी… दी… आह। बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही करती जाओ।
    आज तो मेरा भी मन डोल गया था, अब मेरे अंदर की वासना हिलोरें लेने लगी थी। मैं खुद को ना रोक पाई और रजाई में मैं आशू के लंड के पास पहुँच गयी थी।

    लंड के पास पहुंचते ही मैंने तपाक से उसको मुंह में भर लिया और चूसने लगी। आशू अपने लंड पर मेरे होठों का स्पर्श होते ही चिहुँक पड़ा और बोला- ओह दीदी, ये क्या किया आपने … बहुत मजा आ रहा है। ऐसे ही चूसती रहो, मैं तो जन्नत की सैर कर रहा हूँ दीदी।

    मैं भी पूरी पोर्न फिल्मो को रंडियों की तरह अपने भाई का लंड चूसे जा रही थी, मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था. अब मैं एक हाथ से लंड पकड़ के चूस रही थी तथा एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी।
    10-12 मिनट लंड चूसने के बाद आशू को उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और उसने मेरे मुंह में ही पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी, मेरा मुंह उसके लंड के माल से भर गया जिसे मैं पूरा गटक गयी।

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    इसी दौरान मैं भी भाई के लंड का पानी पीने की उत्तेजना में मैं भी झड़ने लगी। मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी- आह… ह्म्म्म… यस्सस… ओह्ह्ह… आशूशूशू… य्म्म्म!

    अब यही प्रक्रिया रोज रोज होने लगी आशू मुझसे अपना लंड चुसा के मजा लेता और मैं अपनी उँगलियों से खुद को शांत कर लेती। हमें जब भी मौका मिलता हम दोनों नंगे होकर अपने काम में लग जाते। अब तो मुझे आशू के लंड के पानी लत लग गयी थी, घर का कोई ऐसा कोना नहीं बचा था जहां पर मैंने आशू का लंड न चूसा हो। यहाँ तक की घर के बाहर लॉन में भी मैंने उसके लंड को चूस के शांत किया था।
    मैं ऐसे ही 2-3 महीनों तक अपने भाई का लंड चूसती रही। हम दोनों बहुत खुश थे।

    मेरी कहानी कैसी लगी, मेल जरूर कीजियेगा।

  • ठंड का बहाना कर रजाई में आया और चोद दिया मेरा भाई

    मेरा नाम पिंकी शर्मा है। मैं 19 साल की हूँ सीधी सादी हूँ, पर हुस्न की मल्लिका हूँ। मेरे गोर गोर गाल लाल लाल होठ मदमस्त मेरी चाल और उभरे हुए चूतड़, मध्यम साइज की मस्त चूचियां और पतली कमर किसी को भी दीवाना बना दे। पर मुझे पता नहीं था एक दिन मेरा भाई ही दीवाना हो जाएगा और मुझे चोद देगा। आज मैं आपको अपनी कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर सुनाने जा रही हूँ।

    मैं उदयपुर में रहती हूँ, मेरा भाई कल ही दिल्ली से उदयपुर आया वो दिल्ली में पढता है। मेरे से तीन साल बड़ा है। हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुले विचार के हैं हम दोनों भाई बहन की तरह कम बल्कि एक दोस्त की तरह ज्यादा रहते हैं। माँ पापा दोनों ही इंडियन एयरलाइन्स में काम करते हैं। वो दोनों भी घर पर बहुत कम रहते हैं। मैं ज्यादातर अकेली रहती हूँ।

    कल की ही बात है हम दोनों भाई बहन खाना खाकर सोने चले गए इस बार मम्मी गलती से अपने ट्रंक (बड़ा बक्सा) का चाभी अपने साथ ही ले चली गई और रजाई और विछावन उसी में होता है। बस मेरे लिए एक रजाई बाहर था। और भाई अचानक ही आ गया था। पर एक पतला कंबल बाहर थे। वो वही लेके सो गया।



    मैं रात के करीब दस बजे नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर कहानियां पढ़ने लगी। कल जो एक नई कहानी जो बड़ी ही मस्त थी “ससुर ने मुझे शादी के दूसरे दिन जम कर चोदा” पढ़कर ऐसा लगा की मुझे भी कोई चोद दे। रोज की तरह मैं अपने चूत को सहलाते हुए कहानियां पढ़ी पर कल की कहानी बहुत सेक्सी थी इसलिए जोश में आ गई और मैं अपना ऊपर का कपड़ा उतार दी ब्रा भी खोल दी ताकि अपने चूचियों को सहला सकूँ। और वही कर रही थी मैं अपने चूचियों को सहला कर अपने चूत में ऊँगली कर रही थी और जब मेरी वासना थोड़ी कम हुई तो शांत हो गई और सोने लगी।

    तभी मेरा भाई मेरी बेड पर आ गया और फिर मेरी रजाई में घुस गए और बोला मैं भी तुम्हारे साथ ही सोऊंगा क्यों की ठंढ लग रही थी उस कंबल में. पर मैं थोड़ी परेशान हो गई कोण की मैं नंगी थी अंदर। पर अब कुछ कर भी नहीं सकती थी। वो तभी मेरे पीठ पर हाथ रखा तो देखा मेरे बदन पर कपडे नहीं हैं। वो हाथ से सहलाया। मैं सीधी हो गई उसने डायरेक्ट मेरी चूचियों पर हाथ रख दिया। और फिर रख कर हाथ हटा ही नहीं रहा था।

    मैं उसका हाथ हटा दी। पर वो फिर से मेरी छाती पर हाथ रखा और इसबार वो दबाने लगा। मेरे जिस्म से वासना की धुआँ निकलने लगा थोड़े ही देर में मुझे अच्छा लगने लगा और मैं टाँगे फैला दी और पेंटी उतार दी। अब वो मेरी चूत को भी सहलाने लगा। अब मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी। वो अब मेरे करीब आ कर अपना होठ मेरे होठ पर रख दिया। वो मेरी होठ को चूसने लगा किस करने लगा। मैं अपना जीभ उसके मुँह में घुसा दी। अब तो वो पागल हो गया। वो वाइल्ड होकर मेरी चूचियों को दबाया होठ चूसे और फिर निप्पल मुँह में लेकर वो चूसने लगा।

    मैं पागल हो रही थी। जिस्म में घंटियां बजने लगी थी करंट दौड़ रहा था पुरे शरीर में। वो मेरे ऊपर चढ़ गया और ऊपर से जीभ लगाता हुआ चूत तक पहुंचा और फिर चूत को चाटने लगा। मैं मदहोश हो गई थी। मैं अपना पैर अलग कर ली और चटवाने लगी। मैं बार बार चूत में पानी छोड़ रही थी वो अपने जीभ से चाट रह था। मैं सिसकारिआं ले रही थी आह आह आह आह कर रही थी।

    तभी वो रजाई हटा दिया और फिर मेरे पैरों को अलग अलग कर अपना लौड़ा चूत में रगड़ा और फिर थोड़ा थूक लगाकर घुसेड़ दिया। मैं कराह उठी तकिये दबोच ली अपना होठ खुद ही काटने लगी दॉंतो से। बार बार मेरे होठ सुख रहे थे। और फिर शुरू हुई मेरी चुदाई। दोस्तों वो मेरी चूचियों को दबोचते हुए चोदने लगा और मैं भी उसको हेल्प करने लगी।

    अब दो जिस्म एक जान हो गए थे ऐसा लगा रहा था वो मेरे में समा गया था। लौड़ा अंदर बाहर हो रहा था। हम दोनों एक दूसरे को खुश कर रहे थे। जब वो चूमना चाहता मैं खुद उसे चूमने लगती। जब वो झटके देता मैं भी झटके देती।



    दोस्तों इस तरह करीब एक घंटे वो मुझे चोदा फिर हम दोनों ही झड़ गए। और फिर दोनों एक ही रजाई में सो गए। कल से आजतक वो मुझे आठ बार चोद चुका है। अब बस वो मुझे बुला ही रहा है। कह रहा है आज गांड का उद्घाटन करूंगा। जो भी होगा कल फिर बताउंगी। अब जा रही थी हूँ।

  • भाई को गले लगाना पूरी रात की सजा हो गई

    मेरी शादी हुए छह महीने हुए हैं। मैं अपने ससुराल में रह रही हूँ। बाबूजी और माँ दोनों तीर्थ यात्रा पर गए हुए थे और मेरे पति देव तीन दिन के लिए बिज़नेस टूर पर, इस बिच मेरा छोटा भाई मुझसे मिलने आया और मैं भी ज्यादा प्यार दिखाने के चक्कर में गले लगा ली और फिर गले लगाना पूरी रात चुदाई में बदल गया कैसे मैं आपको यही बताने जा रही हूँ। दोस्तों दिवाली के बाद से ही अपने मन को हल्का करने की सोच रही हूँ क्या मैं गलती कर दी या सही किया समझ नहीं आ रहा है तो सोची नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर अपनी कहानी लिखकर अपने मन को हल्का करू. अब मैं कहानी पर आती हूँ।

    मेरा नाम मोनिका है बीस साल की हूँ। खूबसूरत हूँ। हॉट हूँ टिक टोक पर भी काफी फेमस हूँ। पति देखने में बहुत खूबसूरत है पर चुदाई करने में कमजोर है कारन है की वो बाइक से गिर गए थे तभी से उनके कमर में दर्द रहता है लंड खड़ा तो हो जाता है पर वो झटके नहीं दे पाते हैं। आप खुद सोचिये लंड सिर्फ चूत में घुसा देने से ही नहीं होता है जब तक जोर जोर से झटके नहीं लगे तब तक चुदाई में मजा नहीं आता है। मैं कितनी चूत चटवा लूँ। कितनी चूचियां पीला लूँ पर इन सब से कुछ भी नहीं हो रहा था। तभी मैं अपने भाई से गले लगते ही मैं भी बहक गई थी और पूरी रात रंगीन कर डाली।

    मायके से मिठाई और कपडे भेजे थे। दिवाली के दो दिन बाद आया रात के करीब 10 बज रहे थे मैं अकेली थी जैसा की आपको पता है ऊपर बता चुकी हूँ। उसको देखकर रहा नहीं गया और ज्यादा भाई के प्रति प्यार दिखने के चक्कर में गले लगा ली। मेरी चूचियां जैसे ही उसके सीने से टकराई वो तो पागल हो गया। वो मुझे कस के पकड़ लिया और मेरी पीठ सहलाने लगा। मैं रुई की तरह लिपट गई वो मेरे कंधे को चूमने लगा। मैं बोली ये क्या कर रहे हो रोहन। तो वो बोला कुछ नहीं दीदी आज मुझे मत रोको, आपसे इतने दिन तक मिला नहीं इसलिए छोड़ने का मन नहीं कर रहा है। मैं मान गई और थोड़ा और सहला दी। इसमें तो वो और भी पागल हो गया।

    सच तो ये है दोस्तों मैं खुद ही अपने आप पर काबू नहीं रख पा रही थी क्यों की मैं खुद भी वासना पूरी नहीं होने के कारण मेरी वासना की आग धधक रही थी मेरे जिस्म में, मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और मैंने अपना होठ उसके होठ पर रख दिया। फिर मेरा भाई मेरे गुलाबी होठ को चूसने लगा मेरी गाल को काटने लगा मेरी पीठ को सहलाते सहलाते मेरे गांड पर हाथ फेरने लगा. ऐसा लगा मेरे शरीर में करंट दौड़ गया. मैं झट से घूम गई वो मुझे पीछे से पकड़ लिया। मेरे गांड में अपना लौड़ा रगड़ने लगा। पीछे से हाथ आगे करके मेरी चूचियों को दबाने लगा और फिर उसने मेरे ब्लाउज का हुक खोल दिया।

    मैं ब्रा पर आ गई थी वो अब मेरे पीठ को चूमने लगा। जब भी वो मेरी पीठ पर अपना होठ रखता मेरे रोम रोम खड़े हो जाते। और उफ्फ्फ उफ्फ्फ उफ़ की आवाज निकलती। उसमे बाद वो पीछे से ब्रा के हुक को खोल दिया। मेरी दोनों चूचियां टाइट हो चुकी थी निप्पल भी खड़ा हो गया था। मेरे बाल बिखर गए थे। मैंने उसके लंड को पकड़ ली. अब हम दोनों बैडरूम में गए और मैं लेट गई।

    उसने मेरे कमर पर बंधे साडी को उतारा पेटीकोट का नाडा खोला और मेरी रेड कलर की पेंटी को सुंघा और फिर खोल दिया। तब तक मेरी चूत काफी गरम हो चुकी थी. वो मेरी चूत को सहलाते हुए कहा काश ये मौक़ा तुम मुझे पहले देते तो मैं तुम्हारे नाम का करीब 20 किलो वीर्य बाथरूम में बर्बाद नहीं करता। तो मैं बोली कोई बात नहीं अब मत करना बर्बाद मुझे जरूरत है विक्की डोनर की तुम्हारे जीजा तो चोद ही नहीं पाते।

    इतना सुनकर मेरा भाई मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा। मैं उसके बाल पकड़ पर अपने चूत से सटाती मेरी सिसकारियां बढ़ रही थी। मैं पागल हो रही थी मुझे तो बस अब लौड़ा चाहिए था। मैंने कहा देर मत कर अब तो तड़पाना छोड़ दे। उसने तुरंत अपना लौड़ा निकला और मेरी चूत पर लगाया और जोर से घुसा दिया। मेरी तो जान निकल गई थी जब उसने थोड़ा घुसाया था। पर जब उसने पूरा लौड़ा घुसा कर एक दो बार अंदर बाहर किया तो फिर मुझे मजा आने लगा. मेरी चूत से सफ़ेद क्रीम निकल रहा था और वो जोर जोर से धक्के दे रहा था।

    मुझे तो बस ऐसे ही धक्के का इंतज़ार था जो मेरे पति से मुझे नहीं मिल रहा था। दोस्तों उसने मेरी टांगो को ऊपर कर दिया और फिर चौड़ी गांड के बिच में पतली सी खाई जो मेरी चूत थी उसमे अपना लौड़ा पेलने लगा वो जोर जोर से धक्के देता मेरी चूचियां हिलती फिर वो पकड़ता वो अपनी दांतो से निप्पल को पकड़ा मुँह में लेता मेरी होठ चूसता और फिर जोर से मेरी चूत में झटके देता.

    क्या बताऊँ दोस्तों आज मुझे लगा की चुदाई में कितना मजा है और मैं इस मजे से अभी भी दूर थी पर आज मेरा भाई ने मुझे खुश कर दिया चोद कर। उसने मुझे करीब अलग अलग स्टाइल में एक घंटे तक चोदा फिर हम दोनों ने खाना खाया फिर साथ ही सोये। यहाँ तक की वो सुबह ही जाने वाला था पर तो तीन दिन तक नहीं गया जब तक मेरे पति और सास ससुर नहीं आ गए। आप खुद ही सोचिये उसने तीन दिन तक मेरे साथ सारे चुदाई के तरीके आजमा लिए। मैं अपनी दूसरी कहानी जल्द ही नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर लिखने वाली हूँ।