Tag: चूची में दूध

  • चुदक्कड़ चाची चोदू चाचा

    नमस्कार मित्रो, मैं अनिल, मेरी उम्र चौबीस साल है, ये मेरी पहली कहानी है. उम्मीद है आप सभी को पसन्द जरूर आएगी.

    यह चुदाई कहानी मेरे सगे चाचा चाची की है. मेरे चाचा की उम्र 55 साल है और चाची 50 साल की हैं, लेकिन देखने में चाची 40 की लगती हैं. चाची का नाम किरण है.. वो एक कसे हुए गदराये से बदन की मालकिन हैं. हालांकि मेरी चाची थोड़ी सी मोटी सी हैं.. लेकिन मोटी होते हुए भी मन को बेचैन कर देने वाली जवानी की दुकान हैं. उनकी विशाल थलथल करती गांड.. नागिन सी कमर पतली पर टिकी है.. जब वो चलती हैं तो मानो उनके मोटे चूतड़ों के हिलने से कयामत ही बरसती है. जब चाची अपनी गांड के गोले हिला हिला कर चलती हैं, तो मेरा लंड अनाकोंडा सा होकर फुंफकार मारने लगता है. उनकी चूचियां भी बहुत बड़ी और ठोस, बिल्कुल तने हुए पपीते की तरह हैं. उनके मुलायम पेट पे जो गहरी नाभि सामने से नजर आती है, आह.. उसका क्या कहना.. मेरा दिल तो करता है उनकी नाभि में ही लंड पेल दूँ. मीडियम कद की चाची अच्छों अच्छों का लंड खड़ा कर देने वाले जवानी की खान लगती हैं.

    मैं हमेशा ही अपनी सेक्सी चाची को ख्वाबों में चोदता हूँ.. और इस फिराक में लगा रहता हूँ कि चाची को कैसे चोदूँ.

    पर चाची वैसी औरत नहीं थीं. वो चाचा से बहुत प्यार करती हैं.

    मैं ज्यादातर चाची के घर पे ही चाची के साथ समय गुजारता हूँ.. और नजरें बचा कर चाची को घूरता रहता हूँ. मेरी छिपी हुई नजरें चाची की अधखुली चुची.. नाभि और मटकती गांड देख कर लंड को मुठ्ठ मारने पर मजबूर कर देती हैं. मेरे चाचा स्कूल टीचर हैं.. वे देखने में वो भी थोड़े मोटे ही हैं.

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    बात उस दिन की है.. मैं करीब शाम को आठ बजे चाची के घर पहुंचा, चाची खाना बना रही थीं और चाचा हॉल में पड़े बिस्तर पर लेटे कोई किताब पढ़ रहे थे. मुझे देखते ही चाचा ने मुझे बैठने को कहा, मैं चाचा के पास बैठ गया और इधर उधर की बातें करने लगा.

    तभी किचन से चाची की आवाज आई- अनिल.. खाना यहीं खा लेना.
    मैंने पूछा- कुछ विशेष बन रहा है क्या चाची?
    “हां.. सत्तू का पराँठा बना रही हूँ.”
    “ओके चाची..”

    इतना कहने के बाद मैं चाचा से बात करने लगा. रात के 9:45 बज गए. तभी चाची खाना लेकर आ गईं. चाचा के साथ मैं भी खाना खाने लगा.. साथ में चाची भी खाना खाने लगीं.

    तभी अचानक से बारिश होना शुरू हो गई. बारिश इतनी तेज होने लगी थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी. हम लोग खाना खा चुके थे, लेकिन बारिश बन्द होने का नाम ही नहीं ले रही थी. रात के 10 बज गए मौसम काफी खराब हो गया था.

    चाची बोलीं- अनिल तुम यहीं पर सो जाना, तेज बारिश हो रही है.. घर कैसे जाओगे?

    मेरे पास भी दूसरा कोई चारा नहीं था सो मैंने हामी भर दी. चाचा चाची अपने कमरे में चली गए और अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया. मैं वहीं हॉल में सो गया.. मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी.

    तभी मेरे कानों में चाची की चूड़ियों के खनकने आवाज सुनाई दी. मेरे कान खड़े हो गए और ये सोच कर मेरा लंड खड़ा हो गया कि शायद चाचा चाची चुदाई कर रहे हैं. मैं झट से बिस्तर से उठा और दबे पांव खिड़की के पास चला गया और खिड़की से कान सटा कर सुनने लगा.
    चाची फुसफुसा कर चाचा से कह रही थीं- अनिल बाहर सोया हुआ है.. कहीं उसको पता न चल जाए, आज छोड़ दीजिए कल कर लेना.
    चाचा- आज पाँच दिन हो गए हैं मेरी रानी.. आज तो बर्दाश्त नहीं हो रहा. अनिल को पता भी चल गया तो क्या हुआ.. बेचारा अपनी चाची की चुदाई सुनकर मुठ्ठ मार के सो जाएगा.
    चाची- बहुत बड़े चुदक्कड़ हो आप..
    चाचा- क्या करूँ रानी, तुम्हारी चूत ही ऐसी है कि चोदे बिना नहीं ठहर सकता.

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    उन दोनों की गर्म बातें सुन कर मेरा लंड तो सातवें आसमान पर था. मेरे पूरे बदन में एक कंपकंपी सी होने लगी, मुँह हलक तक सूख गया, कनपटी गर्म हो गईं. मैं अपने चाचा चाची की चुदाई देखने के लिये तड़प उठा. तभी अन्दर से चुम्बन की आवाजें आने लगीं. शायद दोनों एक दूसरे को ताबड़तोड़ चूम रहे थे. मैं पागल सा हो गया, खिड़की भी बन्द थी, अब उन दोनों की चुदाई कैसे देखूँ. मैं विचलित हो गया.. पता नहीं ऐसा मौका फिर कभी हाथ आएगा भी या नहीं, मैं ये मौका हाथ से गंवाना नहीं चाहता था.

    तभी चाची की लम्बी सीत्कार सुनाई दी.
    चाचा बोल रहे थे- आह.. क्या चुची बनाई है भगवान ने.. जी चाहता है इसे रात भर चूसता ही रहूँ.. पुच.. पुच..
    चूमने की आवाज सुनाई दी.. तो लगा कि शायद चाचा चाची की चुची चूसने लगे थे.
    चाची ‘आह… ओह…’ कर रही थीं.
    मेरा हाल बुरा था, मैं अपना लंड पकड़ कर तड़पने लगा. तभी मैं हॉल की दूसरी तरफ बनी खिड़की के पास दबे पांव गया, ऊपर वाली खिड़की खुली हुई थी.. अन्दर से रोशनी आ रही थी. ये देखते ही मेरी आँख मारे खुशी के चमक उठीं, मेरे दिल धड़कन तेज हो गईं. मैं किसी तरह खिड़की के पास पहुंचा.. अन्दर झाँका और जो नजारा नसीब हुआ, उसे देख कर मैं हिल गया.

    मैं सर से पांव तक काँपने लगा, मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो रहा था.
    अन्दर बिस्तर पर चाची पूरी नंगी चित लेटी हुई थीं और चाचा उनकी चूचियों पर टूटे पड़े थे.

    आज पहली बार किसी औरत को इतने करीब से पूरी नंगी देख रहा था. क्या बदन था चाची का.. दूध सी चमचमाती गदरायी हुई मादक जवानी सामने मचल रही थी. जिन चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से देखा करता था, आज वो दोनों कठोर मम्मे मेरी आंखों के सामने चमचमा रहे थे. चाची की दोनों मोटी मोटी जांघों के बीच चूत नजर आ रही थी. काफी फूली हुई बड़ी सी चूत थी, जिस पर छोटी छोटी झांटें चूत की सुन्दरता बढ़ा रही थीं.

    चाचा बार बार चाची कि चूत को मुठ्ठी भर पकड़ कर ऐसे मसल रहे थे मानो चुची मसल रहे हों. चाची भी बार बार अपनी गांड उछाल रही थीं.

    जैसे ही चाचा ने अपनी एक उंगली को चाची की चूत में घुसाया कि चाची का पूरा बदन सनसना उठा और वो अपने बदन को ऐंठते हुए चूतड़ उछालते हुएऔर बड़बड़ाने लगीं- ओह.. मेरे राजा.. बहुत मजा आ रहा है..
    चाचा- आह.. तुम्हारी चूत बहुत गर्म है मेरी चुदक्कड़ डार्लिंग..
    चाची- ओह मेरे चोदू राजा.. जब तक आपका लंड जब अन्दर नहीं घुसेगा, आपका वीर्य जब तक मेरी चूत की गहराई में नहीं गिरेगा, तब तक मेरी चूत इसी तरह आग उगलती रहेगी.. आह.. जल्दी से पेल दो.
    चाचा ने अपने हाथ की स्पीड बढ़ाते हुए मादक स्वर में कहा- कसम से आज तेरी चूत को बहुत चोदूँगा.. बहुत चोदूंगा.. मेरी चुदक्कड़.. मेरी प्राण प्यारी.. तेरी चूत चोदे बिना कहां रह पाता हूँ मैं..

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    इतना कहने के बाद चाचा ने अपना हाथ चाची की चूत से हटाकर एक चुची को दबोच लिया और पागल की तरह दोनों हाथों से दोनों चुची मसलने लगे. फिर बारी बारी से दोनों चुची को चूसने लगे.

    चाची का जोश चार गुना बढ़ गया. वो पागलों की तरह चाचा से लिपट गईं. चाची का पूरा बदन कांपने लगा.. उनकी आंखों के डोरे बिल्कुल लाल हो गए.. सांसें तेज हो गईं.. नथुने फूलने लगे और उनके मुँह से मादक सीत्कारें निकलने लगीं.

    चाचा समझ गए कि अब उनकी बीवी को लंड चाहिए है. तभी चाचा चित लेट गए और उन्होंने अपना कच्छा उतार दिया. जैसे ही चाचा ने अपना कच्छा उतारा कि उनका लंड फुंफकार मारता हुआ बाहर निकल आया. चाचा का लंड देखते ही चाची मानो पागल हो गईं.

    चाची झट से चाचा का मोटा काला लंड पकड़ कर मसलते हुए चूमते बोले जा रही थीं- हे भगवान क्या लंड दिया है मेरे पति को आह… कितना मस्त लंड है.. आज जी भर के चुदवाऊंगी इस लंड से…
    चाचा का मोटा लंड किसी बैंगन के समान था. लंड का सुपारा काफी बड़ा था, जैसे टेनिस की गेंद हो.

    चाची सुपारा देखकर हिनहिना उठीं और अपनी मुठ्ठी से सुपारा पकड़ कर बोलने लगीं- बहुत बड़ा सुपारा है आपका.. मेरी चूत आज निहाल हो जाएगी..
    चाचा- तो मुँह में भर लो न इस सुपारे को मेरी रंडी रानी..

    चाची जैसे ही सुपारा मुँह में डाला कि चाचा के मुँह से सीत्कार निकल गई और वो नीचे से कमर चलाने लगा. चाची बड़े चाव से लंड का सुपारा चूसने लगीं.
    दो मिनट बाद ही चाची कहने लगीं- अब रहा नहीं जाता.. जल्दी से चोद दो न, चूत में बहुत तेज खुजली हो रही है.

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    चाची चाचा का लंड को जोर जोर से हिलाते हुए बोले जा रही थीं- जल्दी घुसा दो अपना मूसल लंड मेरी चूत में.. इस मोटे सुपारे से चोदो मुझे..
    चाचा- आह.. कितनी बेचैन है तू लंड के लिये मेरी रानी..

    चाची लंड को जोर जोर से हिलाते हुए कहने लगीं- आपका लंड भी तो मेरी चूत चोदने के लिए देखो.. कितना फुंफकार मार रहा है.. क्या गजब का लंड है आपका.. आओ अब देर मत करो चोद लो.. प्लीज जल्दी से पेल दो मेरी झांटों से भरी चूत में अपना लौड़ा पेल दो..

    उन दोनों की बातें सुनकर मेरा लंड जोश के मारे और ज्यादा सख्त हो गया. मैंने मुठ्ठ मारना शुरू कर दिया. उधर चाचा ने चाची को चित करके उनके दोनों पैरों को घुटने तक मोड़ा और कंधों तक ले लिया. इस वजह से चाची की चूत और गांड आसमान को देखने लगी.

    क्या दिलकश नजारा था.. ऐसी पोजीशन में चाची की चौड़ी गांड देखने में और ज्यादा चौड़ी नजर आ रही थी. मांसल और भरी फूली हुई चूत और चूत की मोटी मोटी फांकें मुझे पागल बना रही थीं.
    मैं अपना लंड को जोर जोर से मसलने लगा.
    तभी मैंने देखा कि चाचा ने अपना लंड चाची की चूत की फांकों पर रख दिया. चूत पर लंड लगते ही चाची मचल उठीं और कराह भरते हुए चाचा का लंड पकड़ कर चूत की फांकों पर रगड़ने लगीं. उधर चाचा भी अपने लंड को फांकों पर रगड़ने लगे. वे दोनों पूरे जोश में थे. चाचा चूत को देखते हुए फांकों पर लंड रगड़ रहे थे. चाची भी अपने सर को उठा कर चूत पर रगड़ते हुए लंड को देख रही थीं.. और जोर जोर से सिस्कार रही थीं. चाची का चेहरा चुदास के मारे लाल हो गया था, नाक फूलने और पिचकने लगी थीं. वे आंखें फाड़ कर लंड को देखे जा रही थीं.

    चाची- कितना रगड़ रहे हो.. चूत पनिया गई है.. अब तो पेल दो न!
    चाचा- थोड़ा सा सबर कर न मेरी चुदक्कड़.. चूत की फांकों पर लंड रगड़ने में बहुत मजा आ रहा है.. थोड़ा रगड़ का मजा लेने दो मेरे रानी.. कितना गर्म है तुम्हारी बुर.. ऐसा लगता है मेरे लंड को आज जला ही देगी.
    चाची- आपका लंड भी तो बहुत गर्म है.
    चाचा- पेलता हूँ अब..
    चाची- हां पेल दो..
    चाचा- क्या पेलूँ?
    चाची- अपना लंड मेरी चूत में पेल दो..
    चाचा- आज बहुत पेलूँगा साली..
    चाची- तो पेल दो न भोसड़ी के.. खाली पेलूँ पेलूँ बोलते हो.. और पेलते नहीं हो.. प्लीज मेरी जान अब पेल दो अपना मूसल लंड..

    तभी चाचा ने अपना लंड चाची की चूत के छेद पर रखकर अपने दोनों हाथों से चाची की दोनों चुचों को पकड़ कर जोर से लंड ठेला, तो सुपारा चूत के अन्दर घुस गया. चाची गनगना उठीं.. और उन्होंने नीचे से अपने चूतड़ों को उचका दिया. इससे आधा लंड चाची की चूत के अन्दर घुस गया.

    चाची जोर जोर से सिसकारने लगीं.. और मादक स्वर में कराहते हुए बोलीं- ओह.. राजा.. स्वर्ग में पहुंच गयी मैं..
    चाचा- अभी तो आधा लंड ही घुस पाया है मेरी जान.. और तुम स्वर्ग में पहुंच गईं.. आह ले..
    चाची- पूरा पेलो न.. बहुत मजा आ रहा है.
    चाचा- इस उम्र में भी तेरी चूत इतनी कसी हुई है कि एक बार में घुसता ही नहीं है.
    चाची- मेरी चूत कसी हुई नहीं है मेरे राजा.. आपका लंड ही इतना मोटा है कि जल्दी घुसता नहीं है.

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    इतना कहकर चाची ने एक बार फिर से अपनी गांड को जोर के उछाल दिया.. और इसी वक्त चाचा ने भी जोर से लंड ठेल दिया. इस बार पूरा का पूरा लंड जड़ तक समा गया. चाची एक बार फिर से एक लम्बी सिसकारी भरते हुए दाँतों पर दाँत बैठा कर अपनी गांड को जोर जोर से उछालते हुए बोलने लगीं- आह.. अब चोदो मेरे राजा.. जितना चोदना है.. मेरी चूत को चोद चोद कर लाल कर दो.. आह चोदो मेरी चूत को.

    चाचा चाची को जोर जोर से चोदने लगे. ऊपर से चाचा का लंड ठाप मार रहा था और नीचे से चाची चूतड़ उछाल रही थीं. दोनों तरफ जोश बराबर था, दोतरफी धकापेल चलने लगा.. दोनों तरफ से चुदाई का खेल चलने लगा. दोनों एक दूसरे को चोदने लगे. पूरा कमरा गूँज उठा, पलंग चुँ.. चुँ.. करने लगा.

    चाचा का जोश शायद बहुत ज्यादा बढ़ गया था.. वो किसी सांड की भांति हुँकार भरते हुए चाची को चोदने लगे. चाची भी रुकने का नाम नहीं ले रही थीं, वो उसी तरह बेतहाशा अपनी भारी भरकम गांड को उछाले जा रही थीं.

    चाची के चूतड़ों की उछाल देखकर मैं जोश के मारे थरथर कांपने लगा. मैं तो सोच में पड़ गया कि इस उम्र में भी एक गाँव की देहाती औरत इस कदर से चुदाई कर सकती है.

    चाचा- कैसा लग रहा है मेरी लंडखोर रानी..
    चाची- बहुत मजा आ रहा है मेरे चुदक्कड़ राजा..
    चाचा- आज रात भर चोदूँगा..
    चाची- हां मेरे राजाजी.. जितना मर्जी उतना चोदो.. मेरी चूत तो तुम्हारे लंड के लिए ही तो बनी है.. तुम्हारे लंड के सिवाए दुनिया का कोई लंड मेरी चूत की आग को नहीं बुझा सकता.
    चाचा- इतना मजा देता है मेरा लंड तेरी चूत को?
    चाची- हां राजा.. बहुत मजा देता है तुम्हारा लंड..

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    चाचा का जोश और बढ़ गया, तभी चाचा ने चाची के दोनों पैरों को सीधा किया और चाची के ऊपर छा गए. वे दोनों चुची को अपने दोनों हाथों से कस कस कर मसलते हुए चोदने लगे. चाची भी अपने दोनों हाथ से चाचा की गांड पकड़ कर उनको अपनी तरफ दबा कर बदन को ऐंठने लगीं.

    तभी चाचा का मुँह और चाची का मुँह एक दूसरे से गुत्थमगुत्था करने लगा और जोर लगा कर चोदने और चुदवाने लगे. चुदाई के कारण चाची की चूत बिल्कुल पानी पानी हो गयी.. जिसकी वजह से चूत से पचर.. पचर की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी. चाचा अपने लंड से नीचे चाची की चूत चोद रहे थे और ऊपर अपनी जीभ से चाची के मुँह को चोद रहे थे. चाची की चूत से पचर.. पचर की और तेज आवाज आने लगी थी और उनके मुँह से गुँ.. गुँ की आवाज भी चाचा की चुदास को गति दे रही थी.
    इस तरह का चुदाई देख कर इधर मेरे लंड से पिचकारी निकलना शुरू हो गया. मैं झड़ गया.. लेकिन वो दोनों चुदाई करते ही जा रहे थे.

    तभी चाची बोलीं- अब मैं चोदूँगी ऊपर चढ़ कर..
    चाचा- आजा मेरी रानी..

    इतना कहकर चाचा चाची के ऊपर से एक पलटी मार कर चित लेट गए. चाचा का मोटा लंड और मोटा हो गया था. लंड की नसें उभर आई थीं.. सुपारा खुला हुआ लाल नजर आ रहा था. चूत के पानी से नहाया हुआ लंड झटके पर झटके खा रहा था.

    यह देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. तभी चाची चाचा के ऊपर सवार हो गईं. चाची की भारी भरकम गांड मोटी और गहरी गांड की दरार देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. चाची ने चाचा के लंड को पकड़ कर चूत के छेद पर टिकाया और अपनी भारी भरकम गांड का भार लंड पर छोड़ दिया. पूरा लंड सरसराता हुआ चूत के अन्दर समा गया. अब मुझे सिर्फ चाचा के आंड दिखाई दे रहे थे.

    फिर चाची ने अपनी गांड को चाचा के लंड पर पटकना शुरू किया. उनके चूचे मस्त डिस्को करने लगे थे. थप.. थप.. की मस्त आवाजों से कमरा गुंजायमान हो गया.
    चाची- अब बोलो.. राजा जी, मैं चोद रही हूँ तो कैसा लग रहा है?
    चाचा- बहुत मजा देती हो तुम.. अभी लंड पूरा अन्दर तक घुसा हुआ है.

    चाची और जोर जोर से हिलने लगीं, चाची अपनी गांड पटक पटक कर चाचा को चोद रही थीं. उनकी मांसल गांड थिरक थिरक कर हिल रही थी. चाचा भी नीचे से कमर चलाते हुए चाची की हिलती हुई चुचियों पर नजर टिकाए हुए थे.
    चाची पागलों की तरह चाचा को चोद रही थीं. चाची की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी, वे जोर जोर बोले जा रही थीं- चोद.. चोद.. साले.. चोद मुझे..
    चाचा- वाह.. मेरी रानी क्या चोद रही है तू मुझे.. कितनी चुदासी चूत है तेरी.. मेरी छिनाल.. मेरी चुदक्कड़.. आज मेरा लंड तेरी चूत में ही टूट जाएगा.. आह कितनी बड़ी चुदक्कड़ है तू.. आह.. साली हर रोज चुदवाती है.. फिर भी तेरी चूत की आग शान्त नहीं होती.
    चाची- ये तो तुम्हारे लंड का कमाल है.. कोई भी औरत तुम्हारा लंड जो एक बार देख ले, वो तुमसे चुदवाये बिना नहीं रह पाएगी.. तुम्हारा लंड ही ऐसा है कि चुदवाए बिना नहीं रह सकती..

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    इतना सुनते ही चाचा झट से उठ के बैठ गए. चाची के दोनों पैरों को पीछे की ओर किया और हाथों से चूतड़ पकड़ कर चोदने लगे. चाची भी चूतड़ चला रही थीं और चाचा भी.. दोनों तरफ से चूतड़ चल रहे थे.

    चाची की एक चुची को मुँह भर रख कर चाचा जोर जोर से चूसने लगे और चूतड़ के मांस को मुठ्ठी भर पकड़ कर अंधाधुँध चोदने लगे. चाची जोर जोर से आह.. उह.. करने लगीं. चाचा बार बार चाची की गांड पर थपकी लगाते और फिर चूतड़ के मांस को मुठ्ठी भर पकड़ कर चोदने लगते.

    चाचा- रानी अब थोड़ा घोड़ी बन जाओ.. तुम्हारी गांड की तरफ से चूत को चोदूँगा.. आह.. तुम्हारी विशाल गांड देख देख कर चोदूँगा.
    चाची झट से घोड़ी बन गईं.. चाचा वक्त गंवाए बिना जल्दी से चाची के पीछे आए और अपने लंड को फिर से चाची की चूत में घुसा दिया. फिर चाची की गांड पकड़ कर चोदते हुए बोलने लगे.

    चाचा- बाप रे बाप.. क्या गांड है मेरी रानी की.. दिल तो करता है तुम्हारी गांड भी मारूं.
    चाची- पहले चूत की आग शान्त करो गांड किसी और दिन मार लेना राजा.. अभी चूत की खुजली खत्म नहीं हुई है.. ऐसे ही चोदो..
    चाची भी गांड हिला हिला कर चुद रही थीं.

    इस आसन में करीब दस मिनट ऐसे ही चुदाई का खेल चलता रहा, फिर चाची बोलीं- अब मैं झड़ने वाली हूँ..
    इतना सुनते ही चाचा ने अपना लंड बाहर निकाला और बोले- चित लेट जा.. जल्दी.. मैं भी झड़ने वाला हूँ..

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    चाची झट से चित लेट गईं और अपने दोनों पैर खोल के आसमान की तरफ उठा लिए. चाचा भी जोश में थे. वो जल्दी से चाची के ऊपर चढ़ गए और धकाधक चोदने लगे. नीचे से चाची भी गांड उचकाने लगीं. दोनों तरफ जोश बढ़ता गया.. दोनों की स्पीड बढ़ गई. दोनों की सीत्कार भी तेज होती गईं. दोनों आनन्द की चरम सीमा पर पहुंच रहे थे. उनकी चुदाई की स्पीड और तेज हो गई. चाची अपनी टांगें और ऊपर उठाती चली गईं. चाचा की स्पीड भी बढ़ती गई.. और अगले ही पल दोनों के मुँह से एक लम्बी आह.. निकल गई.

    उसी बीच चाचा बोल उठे- कहां झड़ूं?
    चाची जोर जोर से हांफते हुए बोलीं- चूत के अन्दर ही झड़ा दो राजा..

    चाचा की स्पीड और तेज हो गई. चाची की गांड की उछाल भी तेज हो गई. तभी दोनों कचकचाकर एक दूसरे से लिपट गए और इधर मेरा लंड भी एक बार और पिचकारी छोड़ गया.
    दोनों एक साथ झड़ गए, चाचा का समूचा वीर्य चाची की चूत के अन्दर ही पिचकारी छोड़ते हुए निकल गया. चाची की चूत ने भी ढेर सारा पानी छोड़ दिया. दोनों हांफते हुए एक दूसरे से लिपट गए.. और गहरी सांसें लेने लगे.
    थोड़ी देर यूं ही पड़े रहने के बाद दोनों एक दूसरे से अलग हो गए. चाचा का लंड और चाची की चुदी हुए चूत का सीन देखने लायक था.
    कुछ देर के बाद दोनों कपड़े पहनने लगे और मैं दबे पांव अपने बिस्तर पर चला गया.

    मेरी चाची की चुदाई की कहानी पर आपके मेल का इन्तजार रहेगा.

  • माँ कि चुचिया और चुत

    दोस्तों एक दिन की बात है, में उस दिन अपने कमरे में बैठकर किताब पढ़ रहा था कि तभी अचानक से कुछ गिरने की बहुत ज़ोर से आवाज़ आई। मैंने अपने कमरे से बाहर निकलकर देखा तो मेरी माँ के हाथ से दूध नीचे गिर पड़ा, क्योंकि उनका पैर फिसल गया था, लेकिन वो नहीं गिरी थी और उसके बाद वो उसे साफ करने लगी, तो मैंने उनसे कहा कि लाओ में इसको साफ कर देता हूँ, वो बोली कि नहीं में सब साफ कर दूँगी और जब वो साफ करने लगी तो मैंने देखा कि जो उनके बूब्स है वो उनके घुटनों से दबकर बाहर आने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हे ब्लाउज के अंदर के ब्रा ने पकड़ रखा था और वो बैठी हुई जो दूध गिर गया था उसको साफ कर रही थी। में वो सब देखकर पागल सा हो गया था और जैसे ही मैंने उनके उठे हुए बूब्स देखे, तो मेरे मन में जाने कैसे कैसे विचार आने लगे। मेरी माँ की लम्बाई 5.6 और उनके बूब्स का आकार 38 था और बाकी का आकार आप अपने आप सोच सकते है। मेरी माँ दिखने में बिल्कुल अच्छी, लेकिन थोड़ी सी मोटी जरुर थी। फिर जिस दिन से मैंने माँ को उस हालत में देखा में अब माँ कि चुचिया का दूध पीना चाहता था और मुझे एक दिन वो सही मौका मिल ही गया, जिसका मुझे बहुत इंतजार था। एक दिन मेरी माँ बाथरूम में कपड़े धो रही थी, वो दोपहर का समय था और में उस समय अपनी पढ़ाई कर रहा था। फिर इतने में माँ ने मुझे आवाज़ लगाई तो में तुरंत उठकर उनके पास चला गया और वो मुझसे कहने लगी कि तुम बाजार जाकर कुछ समान ले आओ और जैसे ही में उनके कहने पर बाजार की तरफ गया तो कुछ दूर जाकर मैंने देखा कि मेरी जेब में तो पैसे ही नहीं थे और ना ही पर्स था, इसलिए में वहीं से अपने घर के लिए वापस मुड़ गया और फिर अपने घर पर पहुंच गया।

    अब मैंने दरवाजे पर लगी घंटी बजाई, लेकिन उसका कुछ असर नहीं हुआ और तभी बाहर खड़े हुए मैंने मन ही मन में सोचा कि दाल में कुछ काला ज़रूर है, इसलिए मैंने अपनी जेब से दूसरी चाबी निकालकर दरवाजा खोल लिया और जैसे ही मैंने दरवाज़ खोला तो देखा कि मेरी मम्मी उस समय बाथरूम में नहा रही है। फिर मैंने बाथरूम के बाहर से आवाज़ देकर उनसे पूछा कि पैसे कहाँ है? तो वो बोली कि अलमारी से ले लो। मैंने उनकी बात पर तुरंत हाँ भर दी, लेकिन फिर में बाथरूम के ज्यादा पास चला गया और जो मैंने उस समय देखा तो में देखता ही रह गया। मेरी मम्मी के शरीर पर केवल ब्लाउज और ब्रा ही थी। उनकी साड़ी और पेटीकोट एक तरफ उतरे हुए रखे थे और उस समय मेरी माँ अपनी चूत पर मालिश कर रही थी, क्योंकि उन्होंने अभी अभी नहाते समय अपनी चूत के बाल साफ किये थे।

    यह सब देखकर मेरा 6 इंच का लंड खड़ा हो गया और पेंट से बाहर आने लगा। में वहां से कुछ देर बाद चला गया, क्योंकि मेरे दिमाग़ ने वो सब देखकर अब बिल्कुल काम करना बंद कर दिया था। फिर जब में सामान लाकर अपने घर पर पहुंचा तो में तुरंत बाथरूम में पेशाब करने चला गया और अब रह रहकर मुझे वो द्रश्य याद आ रहे थे जिनकी वजह से में पागल हो रहा था। फिर जैसे ही में कमरे में पहुंचा तो माँ मुझसे कहने लगी कि क्या बात है तुम आज बहुत परेशान से नजर आ रहे हो? तो मैंने कहा कि कुछ नहीं वैसे ही। दोस्तों में अपनी माँ को कैसे बताता कि मेरे मन में क्या बात है? माँ बोली कि चल में तुझे सर में तेल लगाकर मालिश कर देती हूँ जिससे तेरी थकान दूर हो जाएगी। फिर मैंने कहा कि ठीक है और मैंने झट से जाकर उनकी गोद में जाकर अपना सर रख दिया और लेट गया।

    मुझे उनके बूब्स बहुत अच्छे लग रहे थे और वो मेरी मालिश करती रही और कुछ देर बाद माँ ने मुझसे कहा कि मेरे पैर बहुत दर्द कर रहे है, लेकिन मेरे पैरों में तेल कौन लगाएगा? तो मैंने कहा कि आप मुझे दो में लगा देता हूँ, वो बोली कि नहीं में खुद लगा लूँगी और अब उनका हाथ मेरे सर पर बड़े प्यार से धीरे धीरे मालिश कर रहा था कि तभी अचानक से वो कुछ लेने के लिए नीचे झुकी तो उनके बूब्स मेरे मुहं में आ गए। मैंने उन पर अपनी जीभ को लगा दिया और मेरी यह हरकत मेरी माँ को पता चल गई। फिर में थोड़ा सा घबरा गया, तो वो मुझसे पूछने लगी कि तूने यह क्या किया? मैंने कहा कि कुछ नहीं, लेकिन माँ को कुछ और ही मंजूर था। शायाद वो मेरे मुहं से कुछ सुनना चाहती थी और उनकी शरारती मुस्कान को देखकर मुझे कुछ हिम्मत आई में टीवी देख रहा था कि उसमे कुछ देर बाद अचानक से एक स्मूच करने का द्रश्य आ गया।

    मेरी माँ भी पहले से गरम थी, क्योंकि उन्होंने अभी अभी अपनी चूत के बाल साफ किए थे और उसके साथ वो अपनी चूत को पहले ही रगड़कर गरम कर चुकी थी। अब वो मुझसे बोली कि क्या तू अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कहीं बाहर घूमने नहीं जाता? तो मैंने कहा कि वो एक महीने से बाहर गयी है, अब वो हंसते हुए बोली कि तेरी बात कहाँ तक पहुँची? मैंने कहा कि कहीं नहीं मतलब वो कुछ करने से बहुत ज्यादा डरती है। फिर माँ बोली कि ठीक बात है, लेकिन अगर ग़लती से कुछ हो गया तो? तभी मैंने तुरंत उनसे पूछ लिया कि क्या? दोस्तों में अपनी माँ की शर्म को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहता था। अब वो मुझसे बोली कि तू अब ज्यादा भोला मत बन, मुझे सब पता है कि तू मेरी कही सभी बातें अच्छी तरह से समझ चुका है। तभी मैंने डरते हुए उनसे एक बात बोली कि माँ में अपने मन की एक सच्ची बात बताऊं? कि तुम मुझे बहुत ज्यादा अच्छी लगती हो और फिर मेरी बात को सुनकर माँ बोली कि धत तू बिल्कुल पागल जैसी बातें क्यों करता है? तो मैंने बोला कि नहीं में सब सच कह रहा हूँ, वो भी अब गरम होने लगी थी और वो बोली कि तुझे मुझमें क्या क्या अच्छा लगता है? मैंने कहा कि आपकी आँखे और स्माइल, वो दोबारा पूछने लगी कि चल अब सही बता झूठ क्यों बोलता है?

    फिर मैंने बोला कि में आपको एक बात बताऊं? अभी कुछ देर पहले मैंने आपको बाथरूम में अपनी आखों से देखा था कि आप क्या कर रही थी? अब वो मुझसे झूठ बोलती हुई बोली कि नहीं तू झूठ बोलता है, चल बता में क्या कर रही थी? मैंने कहा कि आप उस समय बाथरूम में खड़ी हुई थी और नीचे से पूरी नंगी थी और आपने अपनी चूत के बाल साफ किये थे और उसके बाद आप चूत की मालिश कर रही थी। दोस्तों वो मेरी यह पूरी बात को सुनकर एकदम डर गयी और अब वो मेरे ऊपर झूठा गुस्सा करने लगी। फिर मैंने उनसे कहा कि जब मैंने आपको उस हालत में देख ही लिया तो अब किस बात का गुस्सा? फिर वो मेरी बात सुनकर थोड़ा सा शांत हो गयी और फिर मैंने सही मौका देखकर तुरंत उनसे कहा कि मुझे अब आपका ऊपर का हिस्सा भी देखना है और उसके साथ में नीचे का भी, वो मेरी इस बात को सुनकर एक बार फिर से आग बबूला हो गई और अब वो उठने लगी तो मैंने उन्हे पकड़ते हुए बिस्तर पर लेटा दिया और अब में उनके ऊपर बैठ गया। वो कहने लगी कि तुझे पता है कि यह सब क्या कर रहा है? तो मैंने कहा कि मुझे बस आप एक बार दिखा दो में कभी कुछ नहीं मांगूगा।


    दोस्तों वो मेरी बात से बहुत नाराज़ होने लगी, लेकिन शायद वो कुछ देर बाद धीरे धीरे ठंडी भी होने लगी थी। पहले तो वो कुछ नहीं बोली, लेकिन फिर उन्होंने कहा कि हाँ ठीक है, लेकिन में जैसा कहूँगी तू वैसा ही करेगा? तो मैंने तुरंत कहा कि हाँ ठीक है और फिर उन्होंने कहा कि जब तक में ना कहूँ तू मुझे कहीं भी हाथ नहीं लगाएगा, मैंने बोला कि हाँ ठीक है और सबसे पहले उन्होंने मुझसे कहा कि तू अब पेटीकोट उतार तभी मैंने बहुत खुश होकर मन ही मन सोचा कि शायद आज सारा काम मुझे ही करना पड़ेगा और मैंने जैसे ही उनका ब्लाउज उतारकर अपनी चकित नजरों से देखा तो उनके बूब्स उनकी ब्रा को फाड़कर बाहर आने के लिए तड़पने लगे और में बाहर की तरफ झूलते हुए गोरे गोरे बूब्स को लगातार घूर घूरकर देखने लगा। तभी माँ बोली कि चल अब तू जल्दी से मेरी ब्रा को भी उतार दे और मैंने जैसे ही उनकी ब्रा को उतारा तो उनके बूब्स झट से कूदते हुये बाहर आ गए और यह देखकर में तो पागल हो गया और में अब उन पर टूट पड़ा और उन्हे दबाने लगा। अब माँ मेरी उस हरकत की वजह से नाराज़ हो गयी और उठने लगी, लेकिन मेरे वजन और दबाने की वजह से वो निकल ना पाई और वो दोबारा बिस्तर पर गिर गयी। फिर कुछ देर बाद उन्हे भी मज़ा आने लगा था, पहले तो में बूब्स को दबाता ही रहा, लेकिन थोड़ी देर बाद मेरी हिम्मत बढ़ने लगी तो मैंने जल्दी से एक बूब्स की निप्पल को अपने मुहं में पूरा भर लिया और अब में बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए चूसने निचोड़ने लगा, जिसकी वजह से उन्हे अब और भी ज्यादा मज़ा आने लगा था और वो अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी।

    फिर मैंने सही मौका देखकर अब में अपने एक हाथ से उनकी चूत को छूने लगा और उन्होंने मेरा थोड़ा सा विरोध किया, लेकिन कुछ देर बाद वो ज़ोर से आह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ करने लगी और में उनकी गोरी चिकनी कामुक चूत को लगातार सहलाता रहा और उसमे अपनी एक ऊँगली डालकर चूत की गरमी को महसूस करने लगा था, जिसकी वजह से वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी। फिर मैंने मौका देखकर उनसे कहा कि मुझे अब कुछ और भी चाहिए, तो वो कहने लगी कि अब तो मैंने तुम्हे अपना सब कुछ दे दिया है, तुम्हे मुझसे अब क्या चाहिए? दोस्तों शायद वो सब कुछ मेरे मुँह से कहलवाना चाहती थी, इसलिए मैंने भी कहा कि जिसके आपने बाल साफ किया है वो। फिर वो कहने लगी कि अब यह सब तेरा ही है, जो तुझे चाहिए वो सब ले ले। दोस्तों उनके मुहं से यह बात सुनकर मैंने सबसे पहले उनकी साड़ी को खोल दिया, लेकिन एक अजीब सी बात यह थी कि मैंने महसूस किया कि उन्होंने अपना पेटीकोट ठीक तरह से नहीं बांधा था, क्योंकि वो भी मेरे हल्का से खीचने पर ही तुरंत निकल पड़ा, शायद वो भी पहले से सेक्स के लिए तैयार होकर आई थी।

    फिर मैंने कुछ देर उनकी चूत को चूसा उसके बाद चूत पर थोड़ी सी क्रीम लगाई तो वो बोली कि अभी इसे इसकी ज़रूरत नहीं है और वो इतना कहकर खड़ी हो गई और अपने घुटनों के बल बैठ गयी। उसके बाद मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर पहले कुछ देर हिलाती रही और उसके बाद चूसने लगी। में फिर से अपनी माँ की चूत और बूब्स का नज़ारा देखने लगा और फिर मैंने धीरे से अपनी माँ की गोरी चमकीली चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से माँ को मस्ती चड़ने लगी और वो मुझसे बोली कि राजू प्लीज़ पहले अपना वो काम पूरा करो उफ्फ्फ्फ़ नहीं तो में पहले ही गीली हो जाउंगी आह्ह्हह्ह मुझसे अब ज्यादा देर नहीं रुका जाएगा और माँ ने यह बात कहकर अपनी दोनों आँखें बंद कर ली। फिर मैंने शावर को माँ चूत के ऊपर वाले हिस्से पर ले जाकर स्विच को चालू कर दिया और माँ बोली कि राजू शावर को धीरे धीरे रोक रोक कर चलाओ, तुम्हारे हाथ से मुझे बड़ी गुदगुदी हो रही है। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है और 6-7 बार शावर को उनकी चूत पर घुमाने पर चूत का पूरा मैदान पहले भी ज्यादा साफ हो गया माँ बहुत ही गरम हो गई थी और उस वजह से मुझको मेरा काम बीच में रोकना पड़ा।

    फिर मैंने देखा कि माँ की गांड और चूत के बीच के हिस्से में कुछ बाल रह गये थे और वो बाल थोड़े लंबे भी थे, तो मैंने माँ से बोला कि आप अपने पैरों को ऊपर छत की तरफ करो। फिर उन्होंने ठीक वैसा ही किया और अब मैंने उनके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रखकर मैंने उनकी चूत और गांड के बीच के हिस्से के बाल भी एकदम अच्छी तरह से साफ कर दिए। अब जब साफ सफाई का काम खत्म हो गया तो माँ मुझे देखने लगी और वो पूछने लगी क्यों इसके आगे क्या इरादा है, चल अब ज़रा नज़दीक आ जा और माँ ने मेरे लंड को पकड़ लिया। अब मेरा लंड खड़ा होने लगा था, लेकिन माँ बोली कि यह ऐसे खड़ा नहीं होगा, इसको सहारे की ज़रूरत है में माँ का मतलब नहीं समझ सका था और में उनको देखने लगा थी वो बोली कि अरे मुझे भी पता है कि टेड़े लंड को कैसे सीधा किया जाता है और जब लंड सीधा नहीं जाता तो उसको टेढ़ा कैसे चूत में लिया जाता है? वो बोली कि राजू डार्लिंग में तुम्हारी समस्या को बहुत अच्छी तरह से समझ गई हूँ, तुम बस सीधे लेट जाओ और अब में उनके कहने पर बेड पर एकदम सीधा लेट गया और उन्होंने अपना मुहं मेरी झाटों के पास में ले जाकर जीभ से चाटना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से अब मेरी जोश ज्यादा बढ़ गया था और मेरा लंड भी आकार में ज्यादा बड़ा होने लगा।


    फिर कभी वो बीच बीच में मेरे लंड पर भी अपनी जीभ घुमा देती और कहती कि अरे यह खंबा ही तो मुझे पार ले जाएगा यही तो पुलिस का जवान है जो हमको आज जंग के मैदान तक ले जाएगा और उसके बाद उन्होंने मेरे लंड के टोपे को अपने मुहं में ले लिया और किस करने लगी। अब तो मेरा लंड फनफनाने लगा था और उन्होंने मेरे लंड को अपने मुहं में ले लिया और और चूसने लगी, लेकिन वो बहुत धीरे से आराम से यह सब काम कर रही थी। फिर कुछ देर बाद उन्होंने मुझसे कहा कि तुझे में आज चुदाई से पहले का अनुभव देती हूँ, तू में जैसा कहूँ ठीक वैसा करना इससे तुझको चुदाई करने में आसानी होगी, वैसे तुझे पहले से पता तो होगा कि जब तक औरत भी अंदर ना ले तब तक चूत में लंड आसानी से नहीं जाता है, लेकिन इस स्टाइल में तुझको ऐसा मज़ा आएगा जैसे किसी ढीली चूत वाली रंडी की चुदाई कर रहा हो।

    फिर मैंने कहा कि हाँ मेरे दोस्तों ने मुझे ऐसा बताया था कि पहली बार में ज़ोर लगाना पड़ता है, लेकिन ब्लूफिल्मों में तो एक चूत में दो दो लंड घुस जाते है। दोस्तों अब मेरी झिझक एकदम दूर हो गयी थी और में चुदाई करने के लिए एकदम तैयार हो गया था और अब में संध्या को अपनी माँ नहीं एक रंडी की तरह ही देख रहा था, वो बोली कि तू ऐसा कर सीधा खड़ा हो जा और बाकी सब कुछ में देख लूँगी। अब में खड़ा हो गया तो मेरा लंड एकदम सीधा तनकर खड़ा हो गया, उन्होंने तुरंत नीचे बैठकर मेरे आधे लंड को अपने मुहं में ले लिया और फिर मुहं बाहर निकालकर बोली कि अब जब तेरा लंड मेरे मुहं में होगा तू यह सोचना जैसे मेरा मुहं मेरी चूत है और तू मुझे चोद रहा है। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है संध्या डार्लिंग उन्होंने मेरे तरफ देखकर मुस्कुरा दिया और एक हल्का सा किस मेरे लंड के टोपे पर ले लिया। फिर वो बोली कि चल अपनी पहली चुदाई के लिए तैयार हो जा और उन्होंने मेरे लंड के टोपे को अपने होंठों के बीच दबा लिया।


    माँ कि चुचिया
    अब मेरा लंड पूरे जोश में था और मैंने धीरे से अपना लंड उनके मुहं के अंदर डाल दिया, जिसकी वजह से वो एम्म्म उफफ्फ्फ्फ़ की आवाज़ करने लगी। फिर मैंने लंड को पीछे किया और इस बार मैंने ज़रा ज़ोर से आगे को धक्का दे दिया तो वो मुझे पीछे की तरफ धकेलने लगी, इससे मुझे पूरा मज़ा नहीं आया और मैंने उनके सर को बालों के साथ पीछे से पकड़ लिया और चुदाई वाली स्टाइल में ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चुदाई करना शुरू कर दिया। अब मुझे बहुत मज़ा आने लगा और फिर में समझ गया कि अगर में किसी ढीली चूत वाली रंडी को चोद रहा होता तो मुझे कैसा मज़ा आता। फिर करीब एक मिनट बाद उन्होंने मेरा लंड पकड़कर एक झटका देकर अपने मुहं से बाहर निकाल दिया और वो हाफते हुए बोली कि बस अब और नहीं, नहीं तो तेरा पूरा वीर्य मेरे मुहं में आ जाएगा और अब वैसे मेरी चूत भी गीली होने को है। फिर में बहुत जोश में होने की वजह से बड़ा परेशन सा हो गया और चुदाई की मस्ती बीच में रुकने की वजह मेरे लंड का सारा वीर्य लंड से बाहर आ गया और में अपने लंड को कंट्रोल नहीं कर पाया। फिर वो हंसने लगी और बोली कि राजू वैसे तो मुझे इसे अपने मुहं में लेना था, लेकिन डार्लिंग मुझे यह पसंद नहीं है, में सीधी-साधी चुदाई में ही हमेशा खुश रहती हूँ और तेरे पापा को भी सेक्स का यह तरीका बिल्कुल भी पसंद नहीं है, तू भी मुझको रंडी मत समझना, मैंने केवल आज तक बस तेरे पापा से ही अपनी चुदाई करवाई है और उनके अलावा बाहर और किसी से नहीं।

    फिर उसके बाद में उन्होंने मुझसे कहा कि अरे तेरा लंड तो फिर से ढीला हो गया और अब उन्होंने फिर से अपने हाथों, मुहं और होंठो के जादू से उसको दो तीन मिनट में फिर से तैयार कर दिया और मैंने भी अब पूरी तरह से किला फ़तह करने की इच्छा से उनके शरीर को नापना शुरू कर दिया। मैंने उनके पैरों पर भी हाथ फेरना शुरू कर दिया और उनके पैर बड़े ही मुलायम और चिकने थे। मुझे लगता है कि वो अपने पूरे बदन का बहुत ख्याल रखती है और मैंने अब तक अंदर जाने वाले दरवाजे पर दस्तक नहीं दी थी और में आज उनको पूरा मस्त कर देना चाहता था और मैंने अपने लंड को पूरे कंट्रोल में रखा और में उनके शरीर को अभी भी अपने होंठो, उंगलियों और हाथों से ही सहला रगड़ रहा था, जिसकी वजह से वो थोड़ा थोड़ा गरम होने लगी थी और फिर वो बोली कि राजू अब आ भी जा यार प्लीज़ मत तड़पा जालिम, जल्दी से मेरे ऊपर आ जा प्लीज आह्ह्ह्ह।

    फिर मैंने कहा कि बस थोड़ा सा और इतंजार करो, में तैयार हो रहा हूँ बस एक मिनट रुक जाओ में भी आता हूँ और फिर मैंने उनकी चूत पर अपना हाथ रखकर कहा कि संध्या यह क्या है? तो वो बोली कि इसे औरत का लंड कहते है यह औरत की मस्ती का बटन है, अगर तुझे किसी औरत को चोदना है और वो तैयार ना हो तो बस इस बटन पर हाथ फेर दे, वो तुझसे चुदवाए बगैर नहीं मानेगी। फिर मैंने कहा कि ठीक है, लेकिन आज में तुम्हारा बटन ऐसा दबाऊँगा कि सारे फ्यूज़ उड़ जाएँगे, वो मेरी बातें सुनकर मस्ती में आकर हंसने और चिल्लाने लगी। मैंने उनके दोनों पैरों को दूर करते हुए उनकी जांघो को अपनी कमर की तरफ़ किया और दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख दिया और उनके चूतड़ को दोंनो हाथों से धकेलते हुए अपना लंड उनकी चूत के पास ले गया और पूरे ज़ोर का धक्का दे दिया, जिसकी वजह से मेरा आधा लंड उनकी चूत में समा गया और मेरी तो चीख निकल गयी, लेकिन उनको कुछ तसल्ली हुई और वो मेरे अगले धक्के का इंतज़ार करने लगी। फिर मैंने एक और ज़ोरदार धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया। अब मैंने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया, जिसकी वजह से वो तो पूरी मस्ती में आ चुकी थी और मेरे साथ अपनी चुदाई का मज़ा ले रही थी।

    में तो सातवें आसमान पर था, लेकिन उनका पूरा ध्यान इस बात पर था कि कहीं मेरा माल बीच में ही नहीं निकल जाए, वो शुरू से ही चुदाई को लंबा करना चाह रही थी। फिर वो बोली कि पूरा अंदर तक डाल दे अपना लंड, हाँ ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मुझे बहुत मज़ा आता है, उसकी आवाज़ मुझे अच्छी लगती है। अब वो भी ज़ोर ज़ोर से अपने पेट और चूत बीच के हिस्से पर मस्ती में ज़ोर ज़ोर से धक्के देती, तो में भी ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा वो बोली कि अच्छा, तुझे भी अब बहुत मस्ती आ रही है? वाह मुझे भी मज़ा आ गया। आज बहुत दिन बाद जवानी का मज़ा पाया है, कसम से आज तूने मुझे अपनी जवानी के दिन याद दिला दिए आईईईईईईईई सस्स्स्स्सस्स उह्ह्हह्ह। अब में भी बहुत जोश के साथ धक्के देकर चुदाई कर रहा था और मैंने कहा कि में आज तेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दूँगा, अब तू पापा से चुदाई करवाना भूल जाएगी, हर वक़्त वो मेरा ही लंड अपनी चूत में डलवाने को तड़पा करेगी। फिर वो आह्ह्हहह ऊईईईईईईई वाह क्या मज़ा आ रहा है चोद मुझे और ज़ोर से आउउउ ज़ोर से और तेज, में भी बोला हाँ मेरी जान।

    फिर वो बोली कि राजू मुझे चुदाई का तो मज़ा लेते हुए बहुत समय हो गया है, लेकिन मैंने आज तुमको जोश में करके जो तुमसे अपनी चुदाई करवाई, ऐसा पहली बार हुआ है। में अब तक यह जानती थी कि आदमी ही गरम करते है, लेकिन मैंने पहली बार किसी मर्द को शुरू से गरम करके अपनी चुदाई करवाई है और वो चिल्ला रही थी वाह बहुत अच्छा राजू मज़ा आ गया उऊम्‍म्म्मम आआअहहउहह म्‍म्म्ममम। फिर अचानक जब मुझे लंड पर कुछ तरल का फील होने लगा वो बोली कि राजू अब धीरे कर दे, तूने मेरा तो पानी निकाल दिया। अब मैंने अपनी स्पीड को थोड़ा सा कम कर दिया और अब में थकने भी लगा था। अब अचानक मेरा सारा दबाव मेरे लंड के रास्ते उनकी चूत की घाटी में समा गया और में एकदम से सुस्त हो गया और मेरा लंड भी शांत हो गया। फिर वो और में एक दूसरे के ऊपर लेट गये। फिर कुछ देर बाद मैंने अपना लंड संध्या की चूत से बाहर निकाल लिया और देखा तो वो एकदम मूँगफली की तरह सिकुड़ गया था और माँ उसे देखकर हंसने लगी और वो बोली कि देख मैंने तेरे लंड का क्या हाल कर दिया राजू।

    अब मैंने माँ से कहा कि मेरी बड़ी इच्छा हो रही है कि एक बार आपकी गांड मारूं, अगर तुम बुरा ना मानो तो शुरू कर दूँ? तो माँ बोली कि अबे कहाँ तो तुझसे चुदवाने के लिए मुझे तुझको कितना तैयार करना पड़ा और कहाँ तू अब मेरी गांड मारने की भी सोचने लगा। अबे सारा काम एक दिन में ही कर देगा और फिर टाइम देख क्या हो गया है? सुबह के 5.00 बज रहे है और अगर तेरी ज्यादा ही इच्छा है तो में तुझको पूर्वाभ्यास करवा देती हूँ और इतना कहकर वो उल्टा होकर लेट गयी और उनके बड़े बड़े कुल्हे के बीच उनकी गांड का छेद मुझे नज़र नहीं आया, लेकिन उनके कुल्हे बड़े मस्त थे। जब वो पूरी तरह से गरम हो गयी तो बोली कि चल अब शुरू हो जा, तो वो ऊपर आई और मैंने उनके दोनों पैर फैलाए और अपना 6 इंच का लंबा लंड उनकी गांड पर रख दिया और हल्का सा दबाया तो वो करहाने लगी। फिर मैंने हल्की सी स्पीड बढाई तो वो कहने लगी कि आस्स्स्स्सस्स साले तेरा तो ओह्ह्ह्ह बड़ा जबरदस्त लंड है, तूने तो अपने बाप को पीछे कर दिया। फिर मैंने कहा कि अगर कहो तो में तुम्हे रोज इस तरह खुश कर दूंगा, तो वो बोली कि में तेरी माँ हूँ, पहले अब जल्दी से तू मुझे शांत कर दे। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है और यह कहकर अपनी धक्को की स्पीड को तेज कर दिया, वो मज़े की वजह से चिल्लाने लगी और हम दस मिनट तक यह बातें करने लगे और जब में शांत हुआ तो वो उठकर सीधा बाथरूम में चली गयी और नल को खोलकर नहाने से टब में नीचे बैठ गयी और मुझे आवाज़ दी। में गया तो देखा कि वो टब में बैठी हुई है और मेरी तरफ हाथ बढ़ा रही है, तो में भी उसमे जाकर समा गया और हमने वहां पर भी बहुत मस्ती की ।।