Tag: किरायेदार सेक्स कहानी

  • भाई के साथ मस्ती

    नमस्कार दोस्तो, मैं रागिनी सिंह हाजिर हूँ आपके सामने अपनी पहली कहानी लेकर, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है जिसमें आपको भरपूर मज़ा मिलने वाला है। यह कोई कहानी नहीं बल्कि एक सच्चाई है जो की मेरे बारे में है। यह सच्ची कहानी बहुत बड़ी है जो की कई भागो में आप तक भेजी जाएगी।
    तो दोस्तों तैयार हो जाइये मेरी सच्ची कहानी पढ़ने के लिए।

    मेरा नाम रागिनी सिंह है मेरी उम्र 23 साल है मेरी फैमिली में मेरे पापा अजय सिंह (45 वर्ष) मेरी मम्मी अन्नू सिंह (43 वर्ष) और मेरा भाई आशू सिंह (18 वर्ष) है। मेरा परिवार दिल्ली में रहता है। मेरे पापा स्कूल टीचर हैं और मम्मी हाउसवाइफ है, मैं कॉलेज में एम एस सी की स्टूडेंट हूँ और मेरा भाई अभी 12वीं में है।

    आप सबको मैं अपने पुराने समय के बारे में कुछ बता दूं तो ज्यादा अच्छा होगा। बचपन में जब मैं 5 साल की थी तब मेरे भाई का जन्म हुआ, धीरे-धीरे समय बीतता गया अब मैं 10 की तथा मेरा भाई 5 साल का हो गया। वह बचपन से ही मुझे बहुत प्यारा लगता था, हम दोनों का कमरा एक ही था। वह देखने में जितना क्यूट था उतना ही नटखट भी था, अक्सर वह मुझसे लड़ता झगड़ता था। आशू मेरे सामान को हमेशा इधर उधर बिखेर देता था जैसे- मेरी किताबें, कपड़े आदि।
    अब वह स्कूल जाने लगा था घर पर मैं उसकी पढ़ने में मदद किया करती थी।

    धीरे-धीरे हम बड़े होते गए, मैं जवानी की दहलीज पर खड़ी थी और आशू अब 13 साल का हो गया था। पर उसके बड़े होने के साथ साथ उसकी शैतानियाँ भी बढ़ गयी थी, वह मुझे परेशान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था। अब मैं 18 की हो गयी थी, मेरी जवानी खूब निखर के आई थी मुझ पर। 18 की उम्र में 22 की लगती थी मेरे उरोजो में गजब की वृद्धी हुयी थी। 18 की उम्र में ही मेरा साइज़ 34-28-32 का हो गया था और अभी तक मैं कुंवारी थी पर सेक्स के बारे में पूरी जानकारी रखती थी। स्कूल में मेरी सहेलियां मुझसे मेरी जवानी देख के जलन रखने लगी थी। लड़के तो देख देख के ही आहें भरते थे, कइयों ने तो प्रपोज भी कर दिया था पर मुझे इन सब में कोई इंटरेस्ट नहीं था उस समय। मैं तो सिर्फ अपनी पढाई में ध्यान लगाये हुयी थी क्योंकि 12वीं बोर्ड का एग्जाम था।

    यह कहानी भी पड़े बुआ और उनकी सेक्सी बेटियों को चोदने का मौका मिला
    घर पर अक्सर मैं कम्फर्टेबल रहना पसंद करती थी चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो जैसे- सोना, कपड़े पहनना आदि। मुझे ढीले कपड़े पहनना ज्यादा पसंद था, मैं घर पर अंडरगारमेंट बहुत कम पहनती थी। बिना अंडरगारमेंट के मैं बहुत अच्छा महसूस करती थी, सोते वक्त बिना कपड़ों के ही सो जाती थी। कपड़ों के बिना सोने का अपना ही मजा है और बिना अंडरगारमेंट के तो कुछ अलग ही आनंद है। कई बार तो मैं स्कूल में भी अंदर बिना कुछ पहने ही चली जाती हूँ, मेरे स्कूल का ड्रेस कोड है- नीले रंग का स्कर्ट जोकि घुटनों तक होता है, सफ़ेद रंग का शर्ट और धारीदार ग्रे कलर की टाई।

    एक दिन रविवार को घर पर मैं अपने कमरे में बैठकर पढ़ रही थी, तभी मेरा भाई आशू आया और मेरी किताबें इधर उधर करने लगा.
    मैंने उससे कहा- मुझे डिस्टर्ब न कर आशू, मुझे पढ़ने दे!
    पर वह मेरी बात को अनसुना करके अपनी शरारत में मस्त था।
    मैंने तेजी दिखाते हुए एक झटके से अपनी किताब उससे ले ली, ऐसा होते ही वह मुझ पर टूट पड़ा और मुझे गिराकर मेरे ऊपर बैठ गया तथा हाथापाई करने लगा। इस लड़ाई में उसके प्रहार से मैं अपने आप को बचा रही थी क्योंकि मैं उसे चोट नहीं पहुँचाना चाहती थी।

    वह मेरे मम्मों पर बैठा था जिससे वे एकदम से दबे हुए थे मुझे तकलीफ हो रही थी। लेकिन वह उठने का नाम ही नहीं ले रहा था आखिर मुझे हारकर अपनी किताब उसे देनी पड़ी तब जाकर वह मेरे ऊपर से हटा। अब जाकर मुझे राहत महसूस हुई.

    यह कहानी भी पड़े बेटी की सास मुझसे चुदने आई
    मेरे बगल में बैठ कर वह मुझे जीभ निकाल कर चिढ़ा रहा था। ऐसी ही मासूम सी हाथापाई हमेशा हम दोनों के बीच होती रहती है, जिसमें कभी कभी वह मजाक में मुझे गुदगुदी करने लिए मेरे मम्में भी दबा देता है। यह सिलसिला लगभग रोज का रूटीन बन गया है, सोने के समय तो वह जरूर मुझसे शैतानियाँ करता है। हमारा रूम छत पर होने की वजह से मम्मी पापा को इस के बारे में पता नहीं चल पाता। हम ज्यादातर छत पर ही रहते हैं, हमारे रूम के बगल में ही हमारा अलग बाथरूम भी है। नीचे वाले फ्लोर पर मम्मी पापा रहते हैं तथा किचन भी वही है और उनका बाथरूम भी। टीवी भी वही किचन के बगल में हाल में है।

    एक दिन मैं बाथरूम में नहा रही थी, तभी मेरा भाई भी नहाने के लिए अंदर घुस आया. उसे पता नहीं था कि मैं अंदर नहा रही हूँ। नहाते वक्त मैं बाथरूम का दरवाजा लॉक नहीं करती थी क्योंकि ऊपर जल्दी कोई आता नहीं था, आशू ही ऊपर होता था जिससे मुझे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि अभी वह छोटा था। तो आशू भी बाथरूम में घुस आया था नहाने के लिए!
    मैं वहाँ पर नंगी होकर नहा रही थी. पहले तो मैं डर गयी कि कौन आ गया। जब देखा कि आशू है तो जान में जान आई।
    अब डरने की बारी आशू की थी, वह मुझे पहली बार नंगी देख रहा था, मुझे बाथरूम में नंगी देखकर तो पहले तो उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी, वह मुझे एकटक घूरे जा रहा था। डर के मारे उसकी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी, मेरे डर से वह काम्प रहा था। वह डर इसीलिए रहा था कि कहीं मैं मम्मी पापा से उसकी शिकायत न कर दूँ कि यह मेरे बाथरूम में घुस गया था।
    मुझे उसको देखकर हंसी आ गयी, मैंने पूछा- क्या हुआ आशू?
    वह हकलाते हुए बोला- क..क..क.. कुउउउच्चछ… कुछ नहीं दीदी।
    और इतना कहते ही वह जाने को हुआ तो मैंने पूछा- नहाना है तुमको?
    तो वह बोला- जी दीदी।
    मैंने कहा- ठीक है, आ जाओ साथ में नहाते हैं.

    मैंने उससे कपड़े निकालने को कहा तो उसने धीरे धीरे अपने कपड़े निकाल कर अलग कर दिए और मेरी तरह बिल्कुल नंगा हो गया। अब हम साथ में बैठकर नहाने लगे, मैं उसको नहलाने लगी जैसे एक माँ अपने बच्चे को नहलाती है, वह भी चुपचाप बैठकर नहा रहा था।

    आशू के शरीर पर मैंने साबुन लगाना शुरू किया और हर एक जगह मैंने अच्छी तरह साबुन लगाया, उसके नुन्नू पर भी। उसका नुन्नू अभी छोटा था तक़रीबन 3 इंच का रहा होगा। नहाने के बाद हमने अपने कपड़े पहने और अपने अपने काम में लग गए, मैं एग्जाम की तैयारी करने लगी और आशू अपना होमवर्क करने लगा। अब लगभग रोज ही हम दोनों साथ साथ नहाने लगे थे और एक दूसरे के अंगों को पकड़कर देखने भी लगे थे।

    उस दिन के बाद से मैं अपने रूम में आशू के सामने ही कपड़े बदल लेती थी, नंगी हो जाती थी। आशू भी मेरे सामने ही अपने कपड़े बदल लेता था।

    यह कहानी भी पड़े चाची की सहेली की बेटी चुद गई
    जैसा मैंने बताया था कि मुझे रात को सोते वक्त नंगी होकर सोना ज्यादा पसंद है। दिसम्बर का महीना था ठण्ड पड़ रही थी, मैं नंगी होकर रजाई में लेटी थी, आशू नीचे पापा के साथ टीवी देख रहा था। कुछ देर तक टीवी देखने के बाद वह ऊपर सोने के लिए आया.

    मैं जाग रही थी, आते ही वह रजाई में घुस कर मुझसे चिपक गया। रजाई में घुसने पर उसको पता चल गया कि मैं नंगी हूँ, वह अपने हाथ मेरे ऊपर फिराने लगा। वह मेरे मम्मों को टटोल रहा था.
    आशू को मेरे मम्मों से ज्यादा प्यार है.

    मेरा भाई मेरे निप्पल को उमेठ रहा था, मैंने पूछा- ऐसा क्यों कर रहा है?
    तो वह बोला- दीदी, मुझे आपका दूध पीना है।
    मैंने कहा- मुझे अभी दूध नहीं आता!
    तो वह बोला- क्यों? आपको दूध क्यों नहीं आता दीदी?

    तब मैंने उसको दूध आने की पूरी प्रक्रिया बताई।
    मेरी बात सुनने के बाद वह बोला- मुझे तो आपके दूध पीने हैं तो पीने हैं.
    मैं उसकी बचकानी बात पर हंसने लगी और बोली- ठीक है पी ले जैसी तेरी इच्छा।

    मेरे हां कहते ही आशू ने मेरे निप्पल चूसना शुरू कर दिया और बारी बारी से वह एक दुधमुंहे की तरह मेरे चूचियों को चूसता रहा, चूची चूसते चूसते कब उसे और मुझे नींद आ गयी, पता ही नहीं चला।
    अब यही प्रक्रिया लगभग रोज होने लगी, अब आशू को बगैर मेरी चूची चूसे नींद ही नहीं आती थी. शायद मुझे भी अब चूची चुसाने की आदत पड़ गयी थी। लेकिन इस सब में सेक्स नाम की कोई चीज नहीं थी. यह तो भाई बहन का प्यार था.

    यह कहानी भी पड़े मेरी गांड के लिए पहला मर्द मिला
    धीरे धीरे हमारी उम्र बढती गयी अब मैं 23 साल की तथा आशू 18 साल का हो गया था।

    अब आशू जवान हो गया था तथा उसका नुन्नू अब 3 इंच से 6 इंच का हो गया था। मेरे शरीर का साइज़ भी अब बदल चुका था इन 5 सालो में जो चूचियां कभी 34 की हुआ करती थी वह अब 36 की हो गयी थी। अब मेरा साइज़ 36-30-34 की हो गयी थी, मेरे सगे भाई ने मेरी चूचियां चूस चूस के बड़ी कर दी थी। इतनी चुसाई होने के बाद भी मेरे मम्में अभी भी पूरी तरह से टाइट थे, देखने में लगता था जैसे दो गोल गोल खरबूजे लटक रहे हो बिल्कुल हॉरर माडल डैनी डीवाइन की तरह।

    एक दिन मैं घर पर अकेली थी, पापा स्कूल पढ़ाने गए थे, मम्मी भी मामा के यहाँ गयी थी और आशू स्कूल गया था। मैं घर का सब काम निपटा के नहाने चली गयी, नहाने से पहले मैंने पूरे शरीर पर वैक्स किया था।
    नहाकर मैं नंगी ही वापस कमरे में गयी और बाल सुखाकर तथा मेकअप करके घर में उसी अवस्था में घूमने लगी। कुछ देर टीवी देखा और वहीं पर नंगी ही सो गयी.

    नींद में ही डोरबेल की आवाज सुनाई पड़ी तो मेरी आँख खुली। मैंने कीहोल से बाहर देखा तो आशू था, मैंने कपड़ा पहनना मुनासिब नहीं समझा और दरवाजा खोल दिया।
    जब वह अंदर आया तो मुझे नंगी देखकर बड़ा खुश हुआ, आशू तुरंत मेरी ओर लपक पड़ा। इससे पहले की वह मुझ तक पहुँचता, मैंने दरवाजा लॉक कर दिया, दरवाजा बंद होते ही वह मेरी चूचियों पर टूट पड़ा।
    आशू बोला- दीदी, आपके दूध मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मन करता है हरदम इन्हें पकड़ के चूसता रहूँ।
    मैंने भी झट से बोल दिया- तो चूसो … मना किसने किया है।
    आशू एक एक करके मेरे मम्मों को वही खड़े खड़े दबाने व चूसने लगा, मुझको भी मज़ा आने लगा।

    15-20 मिनट चूसने के बाद जब उसका मन भर गया तो उसने मेरे मम्मों को छोड़ दिया और मुस्कुराते हुए कमरे की ओर जाने लगा. मैं भी उसको देखकर मुस्कुरा रही थी। आज तक हमारे दरमियान कभी भी सेक्स की फीलिंग नहीं थी, हम दोनों ऐसा करते हुए एक अलग ही लेवल के आनंद में डूब जाते थे। ऐसा करते हुए मुझे लगता कि मैं एक माँ हूँ और अपने बच्चे को दूध पिला रही हूँ। आशू को अभी तक सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था, हाँ इतना जरूर था कि जब वो मेरी चूचियों को चूसता तो उसका नुन्नू जो अब एक लंड बन गया था, जरूर तन जाता था।

    जब भी उसका लंड तन जाता तो वह उसे पकड़ के मुझे दिखाता और कहता दीदी- ये देखो मेरे नुन्नू को क्या हो गया ये इतना बड़ा और मोटा हो गया।
    मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती और कहती- कुछ नहीं हुआ, अभी ठीक हो जायेगा.

    ऐसे ही चलता रहा, एक महीना बीत गया। अगस्त का महीना था एक रात को हम दोनों बिल्कुल नंगे लेटे लेटे बातें कर रहे थे उसका लंड तना हुआ था, वह उसको पकड़ के मुझे दिखाते हुए बोला- ऐसा क्यों होता है दीदी?
    तब मैंने उसे समझाते हुए सब कुछ बताया तथा यह भी बताया कि यह पुरुष और महिला के अट्रैक्शन के कारण होता है। यह उत्तेजना के कारण होता है।
    आशू बोला- इसको ठीक कैसे करते हैं?
    मैंने कहा- सेक्स करके या फिर अपने हाथ से!

    यह कहानी भी पड़े मां बहन का आशिक बेटा 2
    फिर उसने मुझसे पूछा- ये सेक्स क्या होता है दीदी?
    तब मैंने उसको बताया- जब इस नुन्नू को किसी लड़की के (अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए) यहाँ पर डालते हैं तो उसको सेक्स करना कहते हैं।
    आशू फिर पूछने लगा- ये हाथ से कैसे होता है?
    तब मैंने उसको बताया- इसको मुट्ठी में पकड़ के आगे पीछे करते रहने से ये कुछ देर में शांत हो जाता है।

    आशू कहने लगा- दीदी, मुझे आपके साथ सेक्स करना है.
    मैंने उसे समझाया- ये सब भाई और बहन के बीच नहीं होता।
    मैंने कहा- आशू जब तुम्हारी शादी हो जाएगी, तब तुम अपनी पत्नी के साथ सेक्स करना।

    वह जिद करने लगा तो मैंने कहा- अच्छा इधर आओ, मैं अपने हाथों से तुम्हारे नुन्नू को शांत कर दूँ।
    वह मेरे पास आ गया, मैंने उसको खड़ा होने को कह दिया वह मेरे चेहरे के सामने खड़ा हो गया। मैं घुटनों के बल बैठ गयी तथा उसके लंड को अपने हाथो में पकड़ा और आगे पीछे करते हुए हिलाने लगी, वह धीरे धीरे मदहोशी में खो गया और आँखें बंद कर ली।

    आँखें बंद करके वह आहें भरने लगा- सस.. सस आह… उह.. सस एस्स.. आह दीदी, बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसे ही करती रहो।
    तकरीबन 15-20 मिनट लंड हिलाने के बाद उसका लंड फूल गया.

    इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसके लंड से पिचकारी निकली जो सीधे मेरे माथे से जा टकराई, मैं संभल पाती इससे पहले दूसरी पिचकारी निकली जो मेरे होठों पर जा गिरी, फिर उसके लंड ने मेरी चूचियों पर अपना बचा हुआ माल उलट दिया, धीरे धीरे आशू का लंड झटके खा खा कर शांत हो गया।

    यह कहानी भी पड़े मैं और मेरा भाई अर्पित के साथ चोदन
    अब मैंने अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराई जहां आशू का माल गिरा था, मुझे उसका स्वाद नमकीन सा लगा जो थोड़ा अजीब था पर टेस्ट अच्छा था तो मैं पूरा चाट के साफ़ कर गयी।
    आज आशू पहली बार झड़ा था तो माल भी बहुत ज्यादा निकला था जो मेरी चूचियों पर साफ़ देखा जा सकता था।

    झड़ने के बाद आशू वही बेड पर लेट गया उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी।

    कुछ देर बाद जब उसकी आँखें खुली तो वह बहुत खुश दिखाई दे रहा था।
    मैंने पूछा- कैसा लगा?
    तो वह बोला- बहुत मज़ा आया।

    अब हम दोनों भाई बहन वहीं बेड पर लेटे लेटे जो कुछ हुआ उसके बारे में बातें करने लगे।

    कुछ देर बात करने के बाद आशू बोला- दीदी, अब मेरा नुन्नू आप रोज हिलाना, आज मुझे बहुत अच्छा लगा।
    मैंने उसको समझाया- ये रोज रोज करना अच्छा नहीं है अभी से, अभी तुम छोटे हो सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।
    मेरी यह बात उसको अच्छी नहीं लगी।

    कुछ देर चुप रहने के बाद आशू नाराज होते हुए बोला- अगर आप को नहीं करना तो ना करो, मैं खुद ही कर लूँगा।
    मैंने उस टाइम उसको तसल्ली दिला दी- ठीक है, मैं ही कर दूंगी, पर अभी सो जाओ रात बहुत हो गयी है।

    सुबह हम दोनों सोकर उठे, फ्रेश होने के बाद हम दोनों साथ में नहाये। आशू नाश्ता करके स्कूल चला गया, कुछ देर बाद मैं भी कॉलेज चली गयी।
    रात को वह मेरे पास आया और अपने कपड़े निकाल के बिस्तर में घुस गया। मैं पहले से ही नंगी रजाई के अंदर पड़ी थी, रजाई में घुसते ही उसके हाथ मेरी चूचियों पर टहलने लगे। कुछ देर मेरी चूचियों को दबाने के बाद वह एक एक करके उन्हें चूसने लगा।

    अनायास ही मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया जो अब पूरी तरह से तन गया था।

    आशू मेरी चूचियों को दबा दबा के चूस रहा था जिससे आज मेरी भी उत्तेजना जाग गयी थी, मुझे भी मज़ा आने लगा था। जोश में मैं भी उसके लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगी, आशू की सिसकारियाँ निकलने लगी- आह.. हम्म… उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स्स्स… ऊह्ह… ओह्ह… दी… दी… आह। बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही करती जाओ।
    आज तो मेरा भी मन डोल गया था, अब मेरे अंदर की वासना हिलोरें लेने लगी थी। मैं खुद को ना रोक पाई और रजाई में मैं आशू के लंड के पास पहुँच गयी थी।

    लंड के पास पहुंचते ही मैंने तपाक से उसको मुंह में भर लिया और चूसने लगी। आशू अपने लंड पर मेरे होठों का स्पर्श होते ही चिहुँक पड़ा और बोला- ओह दीदी, ये क्या किया आपने … बहुत मजा आ रहा है। ऐसे ही चूसती रहो, मैं तो जन्नत की सैर कर रहा हूँ दीदी।

    मैं भी पूरी पोर्न फिल्मो को रंडियों की तरह अपने भाई का लंड चूसे जा रही थी, मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था. अब मैं एक हाथ से लंड पकड़ के चूस रही थी तथा एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी।
    10-12 मिनट लंड चूसने के बाद आशू को उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और उसने मेरे मुंह में ही पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी, मेरा मुंह उसके लंड के माल से भर गया जिसे मैं पूरा गटक गयी।

    यह कहानी भी पड़े सेक्सी सुशीला भाभी की रसीली जवानी
    इसी दौरान मैं भी भाई के लंड का पानी पीने की उत्तेजना में मैं भी झड़ने लगी। मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी- आह… ह्म्म्म… यस्सस… ओह्ह्ह… आशूशूशू… य्म्म्म!

    अब यही प्रक्रिया रोज रोज होने लगी आशू मुझसे अपना लंड चुसा के मजा लेता और मैं अपनी उँगलियों से खुद को शांत कर लेती। हमें जब भी मौका मिलता हम दोनों नंगे होकर अपने काम में लग जाते। अब तो मुझे आशू के लंड के पानी लत लग गयी थी, घर का कोई ऐसा कोना नहीं बचा था जहां पर मैंने आशू का लंड न चूसा हो। यहाँ तक की घर के बाहर लॉन में भी मैंने उसके लंड को चूस के शांत किया था।
    मैं ऐसे ही 2-3 महीनों तक अपने भाई का लंड चूसती रही। हम दोनों बहुत खुश थे।

    मेरी कहानी कैसी लगी, मेल जरूर कीजियेगा।

  • विधवा मकान मालकिन हूँ चुदाई की आदत लग गई है

    ज़िंदगी कभी कभी किस मोड़ पर ले आती है समझ नहीं आता है। जब एक औरत समाज की नजरों में विधवा हो और उससे सही से रहने चाहिए। पर अगर उस विधवा को सेक्स करने का चस्का लग जाये तो क्या करे। दोस्तों अपने आप को कितना समझाया पर शुरुआत में गलतियां हो गई थी पर ये गलतियां अब आदत बन गई है। आज मैं आपको नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम के माध्यम से अपनी कहानी आपको बताने जा रही हूँ।



    मेरा नाम मीनू है मैं 32 साल की हूँ। मेरी एक बेटी है वो बहुत ही छोटी है। मेरे पति का देहांत पिछले साल हो गया है। उन्होंने कुछ अच्छा किया है तो बस एक ही चीज मकान तीन मंजिला बना दिए है। आज उसी से आने वाले किराये से ही घर चलता है। मैं अभी भरपूर जवानी में हूँ। किसी अठारह साल लड़की से कम नहीं हूँ। क्यों की मैंने अपना फिगर मेंटेन करके रखा है। जब पति थे तब भी अपने आप को बर्बाद नहीं की। अपने शरीर का खूब ख्याल रखा। पर अब मेरी जवानी को भोगने वाला कोई नहीं।

    दोस्तों मैं भी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम की बड़ी फैन हूँ। रोजाना सेक्स कहानियां पढ़ती हूँ। और वही से आदत लगा मुझे चुदाई का क्यों की शुरआत में तो कहानी पढ़कर अपने चूचियों को मसल लेती थी चूत सहला लेती थी। चुत में ऊँगली कर अपने आप को समझा लेती थी पर ये सब कितना दिन चलेगा। आपको भी दोस्तों सिर्फ मुठ मार के कितना दिन चला सकते हैं आपको भी चुदाई का मौक़ा मिलना चाहिए। जब तक आपको चूत नसीब नहीं हो रहा है तब तक। फिर भी लोग अपने लिए कोई ना कोई जुगाड़ बना ही लेते हैं। चाहे चुदाई बीवी की हो, भाभी की हो, गर्लफ्रेंड की हो, अपने परिवार में किसी के साथ हो या किसी रंडी के साथ हो।

    मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ पति के जाने के बाद छह महीने तक तो सोची नहीं सेक्स के बारे में। उसके बाद कहानियां पढ़ने लगी। फिर दो महीने तक ऐसे ही चूत सहला सहला कर निकाली। फिर मेरा एक किरायेदार आया सोनू , सोनू की उम्र चौबीस साल है, वो जिम में ट्रेनर है तो मैं मर मिटी उसके शरीर के बनावट पर, देखने में हैंडसम, लंबा भुजाएं चौड़ी दोस्तों किसी भी औरत का दिल धड़क जाये उसको देख कर। पर ये सब काम मेरे लिए आसान नहीं था. क्यों की कैसे उसे पटाती ये सोच कर मैंने नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर कुछ कहानियां पढ़ी ताकि कोई आईडिया मिले और मिल भी गया।

    एक रात करीब दस बजे मैं उसके कमरे में गई उसका कमरा ऊपर के फ्लोर पर था। मैं सब्जी देने के बहाने लगी। और पहन रखी थी नाइटी जो की सिल्क की थी हलकी थी बिना बांह की, अंदर मैं ब्रा नहीं पहनी निचे पेंटी भी नहीं। अब मेरे अंग नाइटी के ऊपर से दिख रहे थे। मेरी चूचियां कितनी बड़ी है निप्पल कैसा है आप ऐसे ही फील कर सकते थे। जब चलती थी तो गांड मटकती थी और बिच में नाइटी गांड से सटती और चूचियां हिलती तो और भी सेक्सी लगती।

    दोस्तों जैसे ही उसने मुझे देखा उसकी आँखे मेरे बूब्स पर अटक गई मुँह खुला का खुला रह गया। ऊपर से निचे तक देखा वो तो पागल हो गया उठकर खड़ा हो गया। बोला भाभी आप तो मैं बोली बस सब्जी देनी आई हूँ। और सब्जी वही निचे रखने लगी झुक कर तो आगे से मेरी दोनों चूचियों उसको साफ़ दिखाई दी। वो एक टक मुझे देखने लगा तभी मैं मुड़कर जाने लगी तो मटकती गांड देखा। मैं समझ गई वो दीवाना हो गया है।

    उसके बाद वो बोला भाभी बैठो, मैं बोली रात ज्यादा हो रही है. बैठने का तो मन है पर कैसे बैठूं आपको सुबह जिम जाना पडेगा देर हो जाएगी। तो वो बोला अरे नहीं नहीं कल तो जिम वीकली ऑफ है। आप आराम से बैठ सकते हो। तो मैं बोली फिर क्या फायदा अगर आराम से बैठूं तो? तो बोला अरे मुझे बोलने नहीं आता है। आप जैसे चाहो वैसे रहो मुझे क्या तो मैं बोली सच में ? तो वो बोला हां हां इसमें मेरा क्या। तभी मैं बोली तो क्या आज रात मुझे खुश कर सकते हो।

    वो बोला भाभी आप क्या बोल रहे हों। दोस्तों मेरी धड़कन तेज हो गई थी। पता नहीं चल रहा था क्या कह रही हूँ। क्या सुन रही हूँ। मैं होश हवस खो दी थी उस समय मेरी दिल की धड़कन बढ़ रही थी। और फिर हिम्मत करके उसके करीब पहुंच गई और बाहों में भर ली। दोस्तों आँखें बंद हो गई थी और उससे लिपट गई थी। पहले वो थोड़ा सम्हला और फिर उसने भी मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मैं उसको चूमने लगी वो भी मुझे चूमने लगा वो मेरी चूचियों को दबाने फिर मेरी कामुकता चरम पर पहुंच गई। मैं चुदने को बेताब होने लगी थी पर फोरप्ले करवाना और करना चाह रही थी यानी की मैं उसके प्राइवेट पार्ट को चाटने और उससे अपनी चूत चटवाने को सोच रही थी। जो इसके कमरे में संभव नहीं था।

    मैं बोली आ जा निचे। दोस्तों वो कुत्ते की तरह मेरे पीछे भाग कर आया। जैसे की मैं रोटी देने वाली हूँ। दोस्तों उसके आते ही मैं रूम का दरवाजा बंद की और अपनी नाइटी उतार फेंकी और वो भी तब तक अपने कपडे उतार चुका था। वो खड़ा था मैं तुरत ही बैठ गई और उसका लौड़ा मुँह में ले ली और चाटने लगी। उसका लौड़ा करीब आठ इंच का था और तीन इंच मोटा था। गजब का सॉलिड लौड़ा था। फिर वो मुझे उठाकर पलंग पर लिटा दिया और फिर मेरी चूत चाटने लगा। जब वो मेरी चूत में जीभ लगाता मेरे तन बदन में आग लग जाती। दोस्तों मेरे रोम रोम सिहर रहे थे। मैं कामुक हो गई थी।

    उसके बाद उसने मेरे पुरे बदन पर पीठ पर गांड में चूत में कांख में कान में गर्दन में नाभि में चूतड़ में जांग पर ऊँगली में चूमने लगा और अपनी जीभ फिराने लगा ये कराना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं अंगड़ाइयां लेने लग रही थी मेरे होठ सुख रहे थे। मेरी चूत गीली हो गई थी चूचियां टाइट हो गई थी। मैं आह आह आह आह की आवाज निकलने लगी थी। और कह रही थी चोदो मुझे खूब चोदो आज मेरी चूत फाड़ दो, मेरी आग बुझा दो, मेरी चूचियों को खूब पियो जैसे कोई बच्चा पीता है दूध, वैसे ही चाटो, मेरी गांड चाटो मेरी चूत चाटो। वो तो पागल हो गया था।

    उसने अपने लौड़े को मेरी चूत पर सेट किया और जोर से घुसा दिया चूत में, दोस्तों इतना मोटा लौड़ा पहली बार मेरी चूत में गया था पति का भी इससे आधी था। फिर वो चोदना शुरू किया और मैं चुद्वाना, दोस्तों वो आगे से पीछे से खड़े होक कुतिया बना कर लिटा कर बैठा कर खूब चोदा, मेरे रोम रोम खिल गए थे। मुस्कुरा रही थी। अपनी चूचियों को मसल रही थी।

    दोस्तों हम दोनों पूरी रात एक दूसरे को खुश कर रहे थे। जो मर्जी जिसको कर रहा था वो वही कर रहा था। हम दोनों एक दूसरे को साथ दे रहे थे। रात भर चुदने के बाद मेरी चूत में सूजन आ गया था। पर मैं बहुत खुश थी आप पति की कमी महसूस नहीं हो रही थी।

    दोस्तों हम दोनों तीन महीने तक सेक्स किये, पर वो अब गाँव चला गया है। पर मुझे तो चुदाई की लत लग चुकी है. मैं समझ नहीं पा रही हु क्या करूँ। अब किसी और को पटाने वाली हूँ। दूसरी कहानी जल्द ही नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर लिखने वाली हूँ।