दोनों बहनों की कामकथा – xxx story

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आईशा खत्री है और हम लोग उत्तरांचल के एक छोटे से गावं से है, लेकिन में अपने गावं में कभी रही नहीं हूँ, क्योंकि मेरे पापा पुलिस विभाग में है और उनका ट्रान्सफर होता रहता था तो हमारा गावं जाना बहुत कम ही होता था. में पहाड़ी होने की वजह से बहुत गोरी हूँ और मेरी हाईट 5 फुट 5 इंच है और मेरा फिगर 36-27-38 है.

मेरे एक छोटी बहन भी है जो मुझसे भी अधिक सुंदर है और उसका नाम आईना है और उसकी हाईट 5 फुट 3 इंच है और उसका फिगर 34-25-36 है. मैंने अब तक किसी एक सिटी में तीन क्लास से अधिक नहीं पढ़ी थी और अलग-अलग शहर में रहने की वजह से मेरे दोस्त नहीं थे. में अपनी फेमिली के साथ ही रहती और मेरी माँ और बहन के साथ अच्छी बनती थी और पापा से भी अच्छी दोस्ती है, लेकिन वो ज्यादातर काम में ही व्यस्त होते है. हम लास्ट बार मुंबई में थे, लेकिन कुछ ही दिन पहले पापा का ट्रान्सफर दिल्ली हो गया.

मैंने अब तक ज्यादातर अपनी लाईफ महाराष्ट्र और गुजरात में ही गुजारी है, जहाँ लेडीस काफ़ी सुरक्षित थी. हम काफ़ी रात तक बाहर रहते और इन्जॉय करते थे, लेकिन अब दिल्ली की लाईफ बिल्कुल अलग थी, यहाँ लेडीस इतनी सुरक्षित नहीं है जितनी गुजरात और महाराष्ट्र की सिटी में होती है. पापा ने यह बात हम लोगों को पहले ही बता दी थी कि अब हम लोगों को काफ़ी ध्यान से रहना होगा, क्योंकि दिल्ली की लाईफ लेडीस के लिए इतनी सुरक्षित नहीं है. हम लोग जब ट्रान्सफर होकर दिल्ली पहुंचे तो पापा को एक हाउस मिला, जिसमे दो फ्लोर थे और नीचे के फ्लोर पर एक बेडरूम और अटेच लेट-बाथ, किचन और डाइनिंग रूम और ड्राइंगरूम था और ऊपर के फ्लोर पर एक बेडरूम और अटेच लेट-बाथ था. पापा और माँ ने आते ही नीचे का बेडरूम ले लिया और हमसे कहा कि तुम दोनों ऊपर के रूम में शिफ्ट हो जाना. हम दोनों जब ऊपर के रूम में गये तो वो रूम हमें बहुत पसंद आया, उसमें काफ़ी जगह थी. आराम से दो बेड आ सकते थे इसलिये हम दोनों ने भी वो रूम लेने के लिए हाँ कर दी.

फिर हमें यहाँ आये हुए कुछ दिन ही हुए थे और मेरा मन भी घर में बैठे-बैठ नहीं लग रहा था तो मैंने और मेरी बहन ने सोचा की थोड़ा घूम आये तो माँ ने भी कहा कि दिन का समय है तुम घूमकर आ सकती हो, बस रात होने से पहले लौट आना तो पापा ने भी हाँ कह दी. फिर मैंने बस एक पीले कलर का टॉप डाला और नीचे कॉटन की गुलाबी कलर की केफ्री पहनी और मेरी बहन ने काले कलर की फ्रॉक पहन ली और दिल्ली घूमने निकल गये और मेट्रो का टिकट लिया और सबसे पहले कुतुब मीनार देखने निकल गये.

फिर हमने मेट्रो में लेडीस कम्पार्टमेंट का उपयोग किया और फिर मेट्रो स्टेशन से उतरकर हमने ऑटो कर लिया और फिर हम कुतुब मीनार ऊतर गये, वहाँ पर जब हम देखने लगे तो हमें कुछ छिछोरे टाईप के लड़के घूरने लगे और मुझे और मेरी बहन को देखकर सीटी और आँख मारने लगे, लेकिन हम लोगों ने उन पर ध्यान नहीं दिया और कुतुब मीनार की फोटो खींचने लगे. फिर हम लोग वहाँ घूम लेने के बाद इंडिया गेट घूमने निकल गये, हमने फिर वापस मेट्रो से सफ़र किया.

इंडिया गेट घूमने के बाद हम दिल्ली के पुराने किले में घूमने चल दिए, लेकिन जब तक शाम हो गई थी और माँ लगातार वापस आने के लिए फोन कर रही थी. उनसे हमने झूठ बोल दिया कि हम घर के लिए निकल गये है और फिर हम पुराने किले घूमने चल दिए, वहाँ पर जब हम घूम रहे थे तभी वापस हमें वो ही लड़के मिले जो कुतुब मीनार पर हमें छेड़ रहे थे. फिर वापस उन लोगों ने हमें देखकर गंदे गंदे इशारे करने शुरू कर दिए, लेकिन हमने पहले की तरह उन पर ध्यान नहीं दिया और भीड़-भाड़ वाले इलाक़े में ही घूमते रहे, जिससे कि वो हमें परेशान ना कर सके, लेकिन वहाँ घूमते घूमते अंधेरा होने लगा तो मेरी बहन भी हल्का सा घबराने लगी.

मैंने उससे कहा चिंता मत कर, हम अच्छी तरह घर पहुँच जायेगें और फिर हम पूरा किला घूमकर मेट्रो स्टेशन के लिए निकल गए, लेकिन वहाँ हमें कोई ऑटो नहीं मिला और बस स्टॉप सुनसान पड़ा था. मेरी बहन बहुत घबरा गई और तभी वो बदमाश लड़के बस स्टॉप पर आ गये और हमारे पीछे आकर खड़े हो गये. हम दोनों अब बहुत घबरा गये थे और में तो अब वहाँ से भागने की सोचने लगी, लेकिन किसी तरह हिम्मत करके खड़ी रही और पीछे से वो लड़के कमेंट करने लगे कि “हाय क्या माल है कपड़ो में बाहर से इतने सुंदर लग रहे है तो सोचो बिना कपड़ो के कितने अच्छे लगेंगे” तभी दूसरा लड़का बोला “हाँ भाई ऊपर के तो है ही सुंदर, लेकिन नीचे तो देखो कितने मोटे मोटे है मन करता है कि अभी चूस लूँ” तभी बस आ गई और मुझे बहुत राहत मिली, लेकिन वो बस पूरी तरह से भरी हुई थी, लेकिन हम दोनों इतना डर चुके थे की हमने बस कंडक्टर से कुछ नहीं पूछा और बस में चढ़ गये.

हमें नहीं पता था कि वो बस कहाँ जा रही है, लेकिन मैंने सोचा कि अगले स्टॉप पर हम दोनों उतर जायेंगे और घर तक के लिए वहाँ से कुछ ऑटो कर लेंगे, लेकिन तभी कंडक्टर ने हमें अंदर घुसने को कहा तो मैंने कहा कि भैया हमें अगले स्टॉप पर उतरना है तो कंडक्टर बोला मेडम अभी अगला स्टॉप आने में टाईम है जब तक अन्दर घुस जाओ. अब हम क्या करते? हम अन्दर घुस गये, वो बस आदमीयों से बुरी तरह भरी हुई थी, उसमें कोई भी लड़की या औरत तो दिख ही नहीं रही थी, लेकिन वहाँ हम दोनों अपने आपको काफ़ी सुरक्षित महसूस कर रहे थे. तभी पता नहीं क्या हुआ बस रुक गई और थोड़ी देर में पता चला कि बस का टायर पंचर हो गया है और उसे बदलने में 15 मिनट लगेंगे.

बस के अन्दर बहुत गर्मी थी और हम दोनों पूरे पसीने में नहा गये थे. मेरा टॉप पूरा गीला हो गया था, वहाँ हर आदमी पसीने में नहा रहा था. तभी मुझे मेरे बूब्स पर कुछ महसूस हुआ, मैंने नीचे देखा तो एक बूड़ा आदमी लगभग 55 साल का होगा मेरे बूब्स को अपनी कोहनी से दबा रहा था, में थोड़ा सरक गई.

फिर थोड़ी देर बाद वो आदमी मेरी बहन के बूब्स को अपनी कोहनी से दबाने लगा, वो बड़ा अजीब सा महसूस कर रही थी. मैंने थोड़ी जगह बनाई और उसे उस आदमी से दूर अपने पास खींच लिया, लेकिन थोड़ी देर ही हुई होगी तभी कोई दूसरा आदमी मेरे कूल्हों पर हाथ फेरने लगा. में परेशान हो गई, अब अगर इधर जाऊँ तो वो बड़ा आदमी मेरे बूब्स को दबाता और इधर दूसरा आदमी मेरे चूतड़ पर हाथ फेर रहा था. अब जब तक में कुछ सोचती उससे पहले अब दूसरा हाथ भी मेरे चूतड़ पर आ गया, वो कोई तीसरा आदमी था. में समझ गई कि हम ग़लत फंस गये है. वहाँ दूसरी और मेरी बहन के पास फिर वो बड़ा आदमी आकर खड़ा हो गया और उसकी चूचीयों को फिर अपनी कोहनी से छूने लगा, यहाँ में उन हाथों से दूर हटने की कोशिश कर रही थी कि तभी उसमें से एक आदमी ने हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और दबाने लगा.

में एकदम हैरान हो गई और में हेल्प के लिए चिल्लाना चाहती थी, लेकिन तभी एक आदमी ने मेरे कान मे बोला “सुन लड़की इस बस में सभी मर्द है अगर तू चिल्लाई तो सब तेरा रेप कर देंगे, इसलिये चुपचाप जो हो रहा है होने दे और अगले स्टॉप पर उतर जाना, में उस आदमी की बात सुनकर चुप हो गई. फिर मेरी बहन की चूचीयाँ भी उस आदमी ने अब पूरी तरह से दबानी शुरू कर दी और एक और आदमी उसके चूतड़ मसलने लगा, वो मेरी और देखकर हेल्प माँग रही थी और वो हेल्प के लिए चिल्लाने वाली थी, लेकिन मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और वो शांत हो गई. फिर अब लोगों के हाथ मेरे टॉप के अन्दर जाने लगे थे और मेरे बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगे, मुझे दर्द बहुत हो रहा था, लेकिन में क्या करती? में तो बस के सही होकर चलने का इंतज़ार कर रही थी और अगला स्टॉप जल्दी आ जाये, भगवान से यह दुआ कर रही थी.

तभी एक आदमी ने मेरा टॉप ऊपर कर दिया, जिससे मेरी ब्रा सब भूखे लोगों के सामने आ गई. सबके मुँह में जैसे पानी आ गया हो. फिर तो मुझे पता नहीं चला कि किस किसने मेरे बूब्स दबाये होंगे और फिर उसमें से कब किस आदमी ने ब्रा खींचकर ऊतार दी पता ही नहीं चला और मेरे नंगे बूब्स सबके सामने आ गये और फिर क्या था? जो जो आदमी मेरे पीछे था, वो मेरे निपल्स और बूब्स को नोचने या मसलने में लग गया था. कुछ तो मेरे बूब्स को चाट रहे थे तो कुछ निपल्स को चूसने की कोशिश में थे और वहाँ मेरी बहन की तो लोगों ने पूरी स्कर्ट ही ऊतार फेंकी थी, वो बेचारी मेरे सामने ब्रा पेंटी मे खड़ी थी और बहुत सारे हाथ उसके हर अंग को छू रहे थे. इतने में बस सही हो गई और चल पड़ी.

मुझे कुछ राहत मिली, लेकिन तब तक मेरी बहन की ब्रा पेंटी लोगों ने फाड़ दी और वो बिल्कुल नंगी हो गई. एक आदमी तो उसके निपल्स को अपनी उंगलियों के बीच में दबाकर बुरी तरह मसल रहा था और कई आदमी उसके चूतडो को मसलने में लगे थे और उसकी गांड को खोज रहे थे, तो कई लोग उसकी चूचीयाँ मसलने में लगे थे, तो कई हाथ उसकी चूत पर थे. ऐसा लग रहा था जिसको जो अंग मिल रहा था वो उसे छूकर महसूस करना चाहता था, उसकी काली स्कर्ट तो पैरो के नीचे पड़ी थी अब मेरी परेशानी यह थी कि इस हालत में हम उतरेंगे कैसे.

मैंने अपनी बहन से स्कर्ट उठाने को कहा, वो बेचारी किसी तरह झुकी और नीचे से अपनी स्कर्ट उठाने लगी, लेकिन इतने में एक आदमी ने उसके झुकने का फ़ायदा उठाकर उसके झुकने से खुली हुई उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी, वो वर्जिन होने की वजह से दर्द से तिलमिला उठी. तब एक आदमी ने उसे स्कर्ट उठाकर दे दी और उसे सीधा खड़ा कर दिया और उसकी चूत में उंगली देने वाले आदमी को पीछे धक्का दे दिया. यह वो ही आदमी था, जिसने मुझे कुछ ना बोलने की सलाह दी थी और किसी तरह मेरी बहन ने वापस स्कर्ट पहन ली, लेकिन अन्दर कुछ ना होने की वजह से अभी लोग उसकी चूचीयाँ और चूत को टच कर रहे थे, यहाँ लोग मेरी केफ्री के अन्दर हाथ डालकर मेरे कूल्हों को बुरी तरह मसलने लगे.

एक आदमी तो मेरी केफ्री का बटन खोलकर उसे उतारने की कोशिश करने लगा, लेकिन मैंने किसी तरह उसे रोका. तभी बस रुकी और बस कंडक्टर ने लोगों को उतरने को बोला तो हम दोनों तेज़ी से गेट की और लपके, लेकिन लोग हमें बाहर नहीं निकलने दे रहे थे. तभी वो आदमी आया और उसने हम दोनों के लिए जगह बनाई और किसी तरह हम दोनों को उस बस से बाहर धकेला.

फिर हम दोनों नीचे उतरे तो बड़ा सुरक्षित सा महसूस हुआ और बस के जाते ही हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर रोने लगे, ऐसा गंदा एहसास हो रहा था कि क्या बताऊँ? हम दोनों तो किसी मासं के टुकड़े की तरह नोचे गये थे, लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और आस-पास देखा और फिर अपनी बहन की ड्रेस पर लगी धूल साफ की और फिर मैंने ऑटो रोका और सीधे उसे अपने घर चलने को कहा, ऑटो में बैठे बैठे हर पल वो ही हाथ अपने बदन पर महसूस हो रहे थे, मैंने आदमीयों का इतना जानवरपन आज तक नहीं देखा था.

में अपनी रोती हुई बहन को चुप करने की कोशिश करने लगी और उसे दिलासा देने लगी, वो बेचारी तो बहुत बुरी तरह से घबरा गई थी. उसकी तो लगभग इज़्ज़त लूट गई थी, लेकिन भला हो उस आदमी का जिसने हमें उस हवसी भीड़ से बचाया और में उसे धन्यवाद भी नहीं कह पाई. काफ़ी रात को हम घर पहुंचे और हमारी ख़राब हालत देख माँ और पापा को एक मिनट भी नहीं लगा यह समझते हुए कि हमारे साथ क्या हुआ है और फिर मैंने उन्हें सब घटना बताई. माँ और पापा को जब हमारे साथ क्या हुआ है यह पता चला तो पापा तो एकदम गुस्से में आग बबूला हो गये और मुझसे बस का नंबर पूछने लगे.

फिर माँ ने उन्हें समझाया कि अब बात आगे बड़ाने का कोई फ़ायदा नहीं, क्योंकि बदनामी तो अब हम लोगों की होगी और लड़कियाँ कम से कम सही सलामत घर पर तो आ गई और माँ ने हम दोनों को अपने सीने से लगा लिया और हमें समझाने लगी कि जो हुआ उसे एक बुरा सपना समझकर भूल जायें.

फिर भी भूलना इतना आसान नहीं था, हम दोनों को संभलने में काफ़ी समय लग गया और मेरी बहन तो काफ़ी दिनों तक सदमे में रही. उसने तो दो दिनों तक खाना तक नहीं खाया. रात में घबराकर उठ जाती, फिर सो भी नहीं पाती थी और में खुद भी सदमे में थी तो उसे कहाँ संभाल पाती, लेकिन कुछ दिन में, में तो नॉर्मल होने लगी और जो हुआ था उसे भूलने की कोशिश करने लगी, लेकिन आईना अभी तक सदमे में थी. कभी कभी तो वो मुझसे लिपटकर रोने लगती. में उसे किसी तरह संभालती और कहती कि अब उस घटना को भूल जाये, वो कहती थी कि में क्या करूँ? में उस दिन को भुला ही नहीं पा रही हूँ. उनके हाथ अभी तक मुझे मेरे बदन पर महसूस होते है.

मैंने कहा जो तेरे साथ हुआ वो ही मेरे साथ भी तो हुआ है, लेकिन में तो उस बात को भुला चुकी हूँ और देख में नॉर्मल हो गई हूँ. वो बोली कि आईशा ऐसा नहीं है कि में उस दिन को भूलना नहीं चाहती हूँ, लेकिन में क्या करूँ? में भुला नहीं पा रही हूँ अब बता में क्या करूँ? मैंने उससे बोला देख आईना तू जितना उस दिन के बारे में सोचेगी उतना तुझे खराब महसूस होगा इसलिये उस दिन को अपनी लाईफ से निकाल दे और सोच की कभी ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था. उसने बोला पता नहीं तू यह कैसे कर लेती है, लेकिन मुझको तो वो दिन अपनी लाईफ से निकालकर फेंकना बड़ा मुश्किल लग रहा है. फिर इसी बात पर हम में काफ़ी बहस हुई, लेकिन में उसे समझाने में नाकामयाब रही, फिर मैंने भी यह सोचा कि सब बात वक़्त पर छोड़ देते है शायद कुछ दिन में वो अपने आप नॉर्मल हो जाये. आईना मेरे साथ ही सोती थी, एक रात प्यास लगने की वजह से मेरी नींद टूट गई और में उठी तो मैंने देखा की आईना बेड पर नहीं थी.

मैंने सोचा शायद टायलेट करने गई होगी, बाथरूम की लाईट भी चालू थी. में उठी और फ्रिज से पानी की बॉटल निकालकर पानी पीने लगी, तभी मुझे बाथरूम से सिसकारियाँ भरने की आवाजें आने लगी. में एकदम चोंक गई कि क्या हुआ? और एकदम भागकर बाथरूम के गेट तक पहुंची, लेकिन जैसे ही मैंने अंदर देखा तो आईना का टॉप बाथरूम के गेट पर ही पड़ा था और थोड़े आगे उसके शॉर्ट्स कपड़े पड़े थे और फिर ब्रा पेंटी पड़ी थी. फिर में समझ गई कि कुछ तो गड़बड़ है और धीरे धीरे गेट के अंदर गई और गेट के बगल में बनी दीवार के पीछे खड़ी हो गई और मैंने अंदर देखा तो आईना बिल्कुल नंगी खड़ी थी और अपने एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी और उसकी चूत पर झाटे नहीं थी, जबकि मेरी चूत पर बाल आ चुके थे.

वो दूसरे हाथ से अपने निप्पल को मसल रही थी. ऐसा नहीं था कि मैंने आईना को नंगा नहीं देखा हो, बल्कि रोज ही हम दोनों एक दूसरे के सामने ही कपड़े बदलते थे और एक दूसरे को आधा नंगा यानी टॉपलेस तो रोज ही देखते थे और बचपन में तो एक साथ ही नहाते थे और आज भी कभी कभी हम जब लेट उठते है तो एक ब्रश कर रहा होता है तो दूसरा नहा रहा होता है, लेकिन यह सीन कुछ अलग था वो नंगी तो थी ही, लेकिन आज में उसके बदन को पहली बार इस तरह मचलता देख रही थी. थोड़ी देर तक उसे यह करता देख में भी गर्म हो गई और अपने शॉर्ट्स के ऊपर से ही अपनी चूत रगड़ने लगी, वहाँ आईना ने एक उंगली अपनी चूत में डाली और बड़े हल्के हल्के से उसे अंदर बाहर करने लगी. थोड़ी देर ऐसा करते-करते उसकी चूत गीली हो गई और वो पस्त हो कर वही अपने चूतड़ के बल बैठ गई और अपनी दोनों टाँगें खोलकर अपनी चूत हल्के हल्के सहलाने लगी. उसकी वजह से मुझे उसकी चूत पूरी दिखाई देने लगी और मुझे पता नहीं उसे नंगा देख कर क्या हो रहा था, जो में इतना गर्म हो गई थी.

फिर वो थोड़ी देर में उठी और गेट की तरफ आने लगी, तब में फटाफट बेड पर आकर लेट गई और उसके आते ही सोने का नाटक करने लगी. फिर उसने मुझे देखा कि कही में जाग तो नहीं रही और फिर धीरे से मेरे बगल में लेट गई और कुछ देर में शायद सो गई, लेकिन मुझे नींद कहाँ आने वाली थी. में पूरी रात करवटे बदलती रही और सोचती रही कि शायद यही बात थी, जो आईना उस दिन को भूल नहीं पा रही थी.

उसे उस दिन मज़ा आया था, ना कि बुरा लगा था, लेकिन मुझे क्या हुआ था आईना को नंगा देख कर? में क्यों इतना गर्म हो गई थी उसे देख कर? कहीं मुझे भी सेक्स की इच्छा तो नहीं हो रही थी और यह सोचते-सोचते पूरी रात गुजर गई और कब मेरी आँख लग गई मुझे पता भी नहीं चला.

फिर अगली सुबह में बहुत लेट उठी और उठते ही माँ से डांट खानी पड़ी. फिर माँ ने मुझे ब्रश करके और नहाकर तुरंत ब्रेकफास्ट टेबल पर आने को कहा. में ब्रश करने बाथरूम में जाने लगी, बाथरूम में पहले से ही आईना ब्रश कर रही थी, उसे देख मेरे दिमाग़ में फिर कल रात का सीन आ गया कि कैसे आईना अपनी चूत को रगड़ रही थी. फिर आईना ने मुझे देखा और बोली कि आज तू भी लेट उठी, लेकिन तू तो बहुत जल्दी सो गई थी, मैंने कहा कि पता नहीं आज नींद नहीं खुली और फिर मैंने आईना को देखकर पूछा कि तू ठीक है ना? तो वो बोली हाँ अब में ठीक हूँ, तू सही कहती थी कि उस दिन को भुला देना ही अच्छा है. फिर उसने कहा आईशा पहले में नहा रही हूँ. मैंने कहा ठीक है यह सुनकर वो थोड़ी चौक गई, क्योंकि हमेशा हम दोनों में पहले नहाने के लिए लड़ाई होती थी, लेकिन आज मेरे कुछ ना कहने पर वो चौंक गई. फिर उसने हल्का सा मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा कि आज तुझे क्या हुआ है. तू आज मुझसे पहले नहाने की जिद नहीं करेगी. मैंने भी हल्के से मज़ाक में कह दिया कि नहीं, मैंने पहले नहाने का चांस आज तुझे दिया, आख़िर में तेरी बड़ी बहन हूँ, वो भी मुस्कुराई और नहाने चल दी, में ब्रश करती रही.

मेरे सामने एक कांच था, उसमें आईना साफ दिख रही थी, नॉर्मली वो नहाती रहती है, लेकिन मेरी नज़र कभी उस कांच पर नहीं जाती थी, लेकिन आज मेरा मन उसे फिर से नंगा देखने का कर रहा था, इसलिये ना चाहते हुए भी मेरी नज़र उस कांच पर जा रही थी. आईना ने अपना टॉप उतार दिया और हम दोनों ही घर में रात को सोते समय टॉप के नीचे ब्रा नहीं पहनते है इसलिये टॉप के उतरते ही आईना के 34D साईज़ के गोरे-गोरे बूब्स अब मेरे सामने आ गये, उन्हें देखकर पहली बार मेरे बदन में कंपकपी सी छूट गई, जबकि वैसे तो जाने कितनी बार मैंने उसे नंगा देखा होगा.

फिर उसने अपने शॉर्ट्स भी ऊतार दिए और सिर्फ़ पेंटी में आ गई उसने गुलाबी कलर की पेंटी पहन रखी थी जिस पर पीछे मिकी माऊस का टेटू बन रहा था, ऐसी ही पेंटी मैंने भी पहन रखी थी, लेकिन मेरी पेंटी पर पीछे डिजनी डक का टेटू था और इस तरह हम दोनों अपनी अपनी पेंटी पहचानते थे. फिर वो शॉवर चालू करके उसके नीचे खड़ी हो गई, जिससे उसके बैक साईड को में कांच में देख सकती थी, फिर धीरे-धीरे पानी से उसका पूरा बदन गीला होता जा रहा था और पानी से कुछ ही देर में उसकी पूरी पेंटी गीली हो गई और उसके गोरे-गोरे चूतड़ो से चिपक गई.

अब उसकी पेंटी के बाहर से उसकी चूत साफ दिख रही थी, में किसी भूखे लड़के की तरह उसे देख रही थी. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मेरे मन में क्या चल रहा है मुझको अपने लेस्बियन होने का डर भी लग रहा था, लेकिन में क्या करती? लाख चाहते हुए भी मेरी नज़र आईना के आधे नंगे बदन से हट नहीं रही थी और बार-बार कल रात हुई घटना का मुझे ख्याल आ रहा था, वहाँ आईना को यह नहीं पता था कि में कांच में उसे देख रही थी. वो सोच रही थी कि में पीछे खड़े होकर ब्रश कर रही हूँ. फिर उसने शॉवर को बंद कर दिया और बगल से साबुन उठाकर उसे अपने बदन पर लगाने लगी. पीठ, जांघ और पैर पर साबुन लगाने के लिए उसे झुकना पड़ता, जिससे उसकी गांड और बाहर आ गई और उसकी पेंटी भी थोड़ी नीचे हो गई. जिससे उसके चूतड़ों की दरार दिखने लगी.

फिर उसने अपनी जाँघो पर साबुन लगाया, उसकी जांघें उसकी उम्र के हिसाब से काफ़ी मोटी-मोटी और चिकनी थी. मेरी भी जांघें चिकनी थी, लेकिन मेरी जाँघो पर मांस थोड़ा कम था. फिर वो साबुन अपने चेहरे पर लगाने लगी. इतने में ही साबुन उसके हाथ से फिसल गया और थोड़ी देर वो नीचे बैठ कर साबुन ढूँढती रही, लेकिन उसे साबुन नहीं मिला. उसने मुझसे साबुन उठाकर देने को कहा तो मैंने साबुन उठाया और उसे दे दिया, लेकिन उस शैतान ने मज़ाक मज़ाक में शॉवर चालू करके मेरी तरफ कर दिया और में पूरी गीली हो गई. मैंने कहा आईना यह क्या बदमाशी है तो वो बोली अरे क्या बदमाशी? तुझे भी तो नहाना था ना, तो मेरे साथ ही नहा ले और फिर हंसने लगी.

मैंने सोचा अगर में इसके साथ नहाने लगी तो कहीं मेरी लेस्बियन की इच्छा और ना बढ़ जाये और में कुछ ग़लत ना कर बैठूं इसलिये मैंने उससे कहा मुझे अभी नहीं नहाना, पहले तू नहा ले, में बाद में नहा लूँगी, लेकिन वो तो आज पूरे मज़े के मूड में थी. उसने शॉवर और तेज कर दिया और में बुरी तरह भीग गई. मैंने शॉवर उससे छीन लिया और बंद कर दिया और बाथरूम से बाहर जाने लगी, लेकिन आईना ने कहा कि अरे अब इतना भीग गई है तो पूरा ही नहा ले, क्यों नखरे कर रही है. बहुत दिनों बाद हम दोनों एक साथ नहायेंगे, मैंने भी सोचा जब में भीग ही गई हूँ तो पूरा ही नहा लूँ, लेकिन मुझे अपनी हरकतों पर कंट्रोल करना होगा.

फिर मैंने अपना टॉप उतारा और मेरे बूब्स भी बाहर आ गये. मेरे बूब्स आईना से बड़े थे और फिर मैंने अपने शॉर्ट्स भी उतार दिए और में भी पेंटी में आ गई. मेरी पेंटी पहले से ही भीगी हुई थी. आईना ने शॉवर फिर से चालू कर किया और कभी पानी अपनी और तो कभी मेरी और करने लगी. फिर वो मुझसे बोली कि आईशा मुझे मेरी पीठ पर साबुन लगा दे, कई जगह मेरा हाथ नहीं पहुँचता है.

में मुस्कुराई और बोली चल घूम, फिर में उसकी चिकनी पीठ पर साबुन लगाने लगी. इस बीच मेरा हाथ कई बार उसके बूब्स की साईड से भी टकराया. हम जब पहले नहाते थे तो तब हम दोनों इतने छोटे थे कि हमारे बूब्स उगे तक नहीं थे और अब दोनों के बूब्स अच्छे बड़े थे और ज्यादा मेरे थे. फिर आईना अचानक घूम गई और मेरे हाथों से अपने बूब्स पर साबुन लगवाने लगी, मुझे भी उसके बूब्स को छूने में मज़ा आ रहा था. इसलिये में उन पर साबुन लगाती रही.

फिर आईना ने मुझसे साबुन लेकर कहा कि लाओ अब में तेरे को भी साबुन लगा दूँ और फिर उसने साबुन लगाने की शुरुवात मेरे बूब्स से की, लेकिन वो बूब्स को साबुन लगाते-लगाते मसल रही थी और वो मेरे बूब्स के अलावा कहीं साबुन लगा ही नहीं रही थी. फिर वो अचानक बोली आईशा एक बात बता कि उस दिन जब वो आदमी तेरे बूब्स को मसल रहे थे तब तुझे कैसा लग रहा था. मैंने कहा फिर वही बात, मैंने कितनी बार तुझे समझाया कि भूल जा उस बात को, तो वो बोली कि नहीं प्लीज़ बता तो तुझे कैसा लगा? में थोड़ा उस सवाल से सकपका गई कि यह क्या पूछ रही है? और इसका में क्या उत्तर दूँ, लेकिन फिर मैंने कहा ऐसा लग रहा था कि में जानवरों के बीच में फंस गई हूँ और वो मुझे नोच रहे है. वो बोली सच? मैंने कहा हाँ सच.

फिर वो बोली अच्छा एक बात बताऊँ, मैंने कहा हाँ बता. तो वो बोली तू ग़लत मत समझना, लेकिन मुझे उस समय मेरे साथ जो हुआ वो बहुत बुरा लग रहा था और कई दिनों तक लगता रहा, लेकिन अब पता नहीं क्यों मुझे वो सब अच्छा लग रहा है. मैंने कहा तू पागल हो गई है. उसके हाथ अभी तक मेरे बूब्स पर ही चल रहे थे, वो बोली हो सकता है में पागल हो गई हूँ. फिर उसने मेरे बूब्स को हल्का हल्का दबाना शुरू कर दिया मैंने उससे पूछा कि तू यह क्या कर रही है तो वो बोली कि तुझे प्यार करने का मन कर रहा है. मैंने कहा हट पागल है तू तो वो बोली हो सकता है, लेकिन तू तो मेरी बड़ी बहन है, तू मेरी परेशानी समझ सकती है.

अभी तक उसके हाथ मेरे बूब्स को दबा रहे थे और में उसके हाथ अपने बूब्स से हटा नहीं रही थी. इससे उसको और बढावा मिल रहा था और कहीं ना कहीं जो हो रहा था वो मेरे भी मन में था, लेकिन में ऐसा करना नहीं चाह रही थी, लेकिन आईना तो सब कुछ भूल कर बेशर्म बन गई थी. मैंने उससे कहा तुझे तो डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा और में हल्का सा मुस्कुरा दी और मेरे मुस्कुराने को वो समझ गई कि मेरे मन में भी वो ही है जो उसके मन में है. अब वो मेरे बूब्स को छोड़ मुझसे लिपट गई और हम दोनों के बूब्स आपस में चिपक गये.

मेरा पूरा बदन थरथरा उठा और फिर में भी अब उत्तेजित हो गई. मैंने आईना का चेहरा अपनी और किया और उसकी आँखों में देखा और फिर उसके होठों को अपने होठों से चूम लिया. फिर बाकी काम उसने किया, वो मेरे होठों को चूसने लगी. कभी नीचे के होंठ तो कभी ऊपर के होंठ को. मेरी और उसकी जीभ भी आपस में टकराने लगी, ऐसा स्मूच था कि हम दोनों पागल हो गये. मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ पर थे और उसके हाथ मेरे चूतड़ पर, वो धीरे धीरे मेरे चूतड़ों को मसल रही थी और में उसकी चिकनी पीठ पर हाथ फेर रही थी.

फिर उसने मेरी पेंटी के अंदर हाथ डाल दिया और गांड की दरार को अपनी उंगलियों से चोदने लगी. मैंने भी अब उसकी पेंटी में हाथ डाल दिया और उसकी पेंटी को आधा ऊतार दिया और उसकी चूत को आधा नंगा कर दिया, लेकिन उसने मेरे हाथ पकड़े और वहीँ रोक दिए और फिर वो घुटनो के बल बैठ गई और मेरी पेंटी की इलास्टिक पकड़ी और पूरी नीचे तक ऊतार दी. मेरी चूत पर झांटे थी, उन्हें देखकर वो बोली कि तेरी चूत पर तो झांटे आ गई है. मेरी तो अभी भी क्लीन है. मैंने कहा हाँ मैंने कल रात तुझे हस्तमैथुन करते हुए देखा था.

उसने अचानक मेरी और देखा और हल्का सा मुस्कुराई, में कुछ नहीं बोली और फिर वो अपनी एक उंगली मेरी चूत पर रगड़ने लगी. मेरे पूरे बदन में आग लग गई. पानी भी भाप बनकर उड़ रहा हो ऐसा लग रहा था और उसकी उंगली के हल्के से स्पर्श से ही में अपने पंजो के बल उछल पड़ी, वो यह देख हंस गई. वो फिर हल्के-हल्के से उंगली मेरी चूत पर रगड़ने लगी और मेरी आँखें अपने आप बंद हो गई और मैंने उसका दूसरा हाथ पकड़कर अपने बूब्स पर रख दिया, वो अपने दूसरे हाथ से मेरे बूब्स को दबाने लगी.

कुछ देर तक चूत को रगड़ने के बाद उसने मेरी चूत के अंदर उंगली डाल दी, मेरे मुँह से आह्ह निकल गया, वो मुस्कुराई और बोली अभी तक तूने हस्तमैथुन नहीं किया है क्या? तो मैंने कहा नहीं यार करती हूँ, लेकिन उंगली कभी नहीं दी. फिर वो उंगली को हल्के-हल्के अंदर बाहर करने लगी और मुझे मज़ा आने लगा, मेरे पेट में गुदगुदी सी होने लगी. फिर उंगली देते हुये उसने मेरी चूत को चूमा भी. उसके होठों के स्पर्श से में और कामुक हो गई और उसके सर को अपने हाथ से पकड़कर उसके होठों को अपनी चूत पर टिका दिया, उसने अपना चेहरा ऊपर करके मेरी और देखा और बोली अब तेरी चूत को चाटूं भी.

मैंने कहा, प्लीज आईना मज़ाक मत कर, चाट ना बड़ा मज़ा आया था जब तूने होंठ से चूमा था. फिर वो हल्का सा मुस्कुराई और फिर मेरी चूत की पंखड़ियो को अपने होठों के बीच दबाकर मेरी चूत में अपनी जीभ डाल दी. में तो उछल ही पड़ी और उसके सर को दूर धकेल दिया, लेकिन उसने मेरे चूतड़ को कसकर पकड़ा और फिर मुझे अपनी और खींच लिया और मेरी चूत को चूसने लगी. अब मुझसे खड़ा नहीं रहा जा रहा था इसलिये में बाथरूम के फर्श पर ही लेट गई और आईना का मुँह मेरी दोनों टाँगो के बीच में ले लिया, इससे वो भी संतुष्ट हो गई और उसे मेरी चूत पूरी तरह से दिखाई देने लगी और उसने अब अच्छी तरह मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया. वो अब जीभ अंदर बाहर करने लगी. मेरे पेट में तितलियाँ सी उड़ने लगी और मेरी जाँघो की नसे टाईट हो गई और कुछ ही देर में झड़ गई, जिससे मेरी चूत पूरी गीली हो गई.

आईना ने तब मुँह मेरी जांघों के बीच से निकाला, उसके होंठ पर मेरी चूत का पानी लगा हुआ था. अब मेरी बारी थी आईना अब मेरे सामने खड़ी थी, में घुटनो के बल बैठ गई और आईना की पेंटी को पकड़ा और नीचे तक ऊतार दिया. अब उसकी नंगी चूत मेरे बिल्कुल सामने थी. मैंने आईना को और पैर फैलाने को कहा, उसने वैसा ही किया.

फिर में उसकी टाँगों के बीच घुटनों के बल बैठ गई और अब उसकी चूत ठीक मेरे ऊपर थी और मैंने उसकी चूत को थोड़ी देर रगड़ा और फिर अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी उसके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली. मैंने अपनी उंगली अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और मैंने एक हाथ से उससे शॉवर ले लिया. उसने भी बिना कुछ कहे मुझ को शॉवर दे दिया. मैंने शॉवर उसकी गांड के छेद पर रखा और उसे ढंग से साफ किया, वो गांड में ठंडा ठंडा पानी जाने से और कामुक होने लगी और बोली कि तू ये क्या कर रही है? मैंने कहा तू आज थोड़ा नया मज़ा ले, वो बोली क्या तू मेरी गांड चाटेगी तो मैंने कहा बस देखती जा.

फिर मैंने उसकी गांड से शॉवर हटा लिया और अब मैंने उसकी चूत में दो उंगली दे दी, वो फिर हल्का सा कहराई, लेकिन थोड़ी देर में मज़े लेने लगी और उधर में उसके चूतड़ों पर किस करने लगी, वो मधहोश हो गई. फिर मैंने अपनी जीभ उसके चूतड़ों की दरार में डालकर उसकी गांड को जीभ से छुआ. उतने में ही वो उछल पड़ी, लेकिन मैंने फिर उसे पीछे खींचा और अपनी उंगलियाँ उसकी चूत से निकाली और उसकी कमर को आगे से होल्ड करके उसे अपनी और खींचा जिससे मुझे उसकी गांड के लिए सीधा रास्ता मिल गया.

फिर मैंने अपने दोनों हाथ उसकी गांड के छेद पर रखे और उन्हें पहले किस किया, आईना तो पागल हो गई थी और अपने हाथों से अपनी गांड की दरार को और चोड़ा करने लगी. मैंने उससे कहा ऐसा कर तू घोड़ी बन जा, वो फिर घोड़ी की तरह फर्श पर बैठ गई और मैंने उसकी गांड की दरार और चोड़ी कर दी और उस पर अपने होंठ रख दिए, वो कामुकता से कराह उठी.

मैंने फिर अपनी जीभ उसकी गांड में डाली और उसकी गांड को चूसने लगी और अपने एक हाथ से उसकी चूत को रगड़ने लगी, वो पागलों की तरह अपने बूब्स मसलने लगी. मैंने कुछ देर उसकी गांड को खूब चाटा और अपनी उंगलियों से उसकी चूत को चोदा और थोड़ी देर बाद ही वो झड़ गई और हम दोनों बाथरूम में एक दूसरे के बगल में लेट गये. थोड़ी देर तक हम दोनों की साँसें तेज चलती रही और फिर हम दोनों एक दूसरे को देखकर हंसने लगे, तभी माँ की आवाज़ आई, आईना, आईशा, ब्रेकफास्ट करने नीचे आ जाओ. फिर हम दोनों उठे और एक दूसरे को एक बार और स्मूच किया और फिर अपने अपने कपड़े पहने और बाथरूम के बाहर आ गये.

फिर कुछ ही देर में हम ब्रेकफास्ट करने नीचे चले गये. आज हमें कुछ करना तो था नहीं इसलिये हम दोनों ने फटाफट ब्रेकफास्ट ख़त्म किया और अपने रूम में आ गये और गेट अंदर से लॉक कर लिया. मैंने तुरंत अपना गाउन खोला और आईना से लिपट गई और उसका गाउन भी खोल दिया और हम दोनों के नंगे बदन फिर से टकरा गये और एक दूसरे को स्मूच करने लगे, स्मूच करते करते ही में उसे बेड तक ले गई और फिर हम दोनों बेड पर गिर गये और में आईना के ऊपर थी और उसके होठों को बुरी तरह चूसने लगी और उसके बूब्स को मसलने लगी.

फिर उसने अपनी टांगो को चोड़ा कर दिया, जिससे मेरी चूत उसकी चूत के ऊपर आ गई और उसने मेरे चूतड़ों पर अपनी टाँग लपेट ली, जिससे मेरी चूत उसकी चूत से बिल्कुल चिपक गई और में उसके निचले होंठ को अपने दोनों होठों के बीच दबा कर चूसने लगी.

फिर ऐसा ही मैंने उसके ऊपरी होंठ के साथ किया और जब में थक गई तो आईना ने आगे बड़कर मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए. फिर में नीचे अपनी कमर उठा उठाकर अपनी चूत को आईना की चूत पर मारने लगी, जैसे में एक आदमी हूँ और उसे चोद रही हूँ. काफ़ी देर तक हम एक दूसरे को स्मूच करते रहे और फिर नंगे ही सो गये और पूरी दोपहर कब निकल गई मुझे पता ही नहीं चला. शाम को जब में उठी तो आईना कांच के आगे अपने बाल काट रही थी, वो उस समय भी नंगी थी. मैंने उठते ही उसे देखा और बोली, हाय हाय, किसके लिए बाल बना रही है तो वो मुस्कुराते हुए बोली कि तेरे लिए मेरी जान. में भी मुस्कुरा दी और फिर मैंने उससे पूछा टाईम क्या हो रहा है? तो वो बोली शाम के 5 बज रहे है. मैंने कहा ऑहहहहहह हम पूरी दोपहर सो रहे थे, वो बोली में नहीं तू सो रही थी.

में तो 1 घंटे बाद ही उठ गई थी तो मैंने पूछा कि तूने मुझे क्यों नहीं उठाया? तो वो बोली तू सोती हुई इतनी प्यारी लग रही थी कि मैंने तुझे उठाया नहीं. फिर मैंने कहा कि अच्छा, खूबसूरत और में? मुझे तुझ पर विश्वास नहीं है तो वो बोली तो मत मान. फिर मैंने कहा अच्छा उसे छोड़ यह बता तू इतनी देर पहले उठ गई थी तो तूने अभी तक कपड़े क्यों नहीं पहने तो वो बोली पहने थे, लेकिन अभी जब में वापस रूम में आई तो ऊतार दिए मैंने कहा क्यों? और इतनी देर तूने किया क्या?

तो वो बोली कुछ खास नहीं, माँ तो मार्केट चली गई थी तो मैंने अकेले ही लंच किया फिर कुछ देर टी.वी. देखी और फिर ऊपर आई तुझे नंगा देखकर में दुबारा कामुक हो गई तो सारे कपड़े निकालकर तेरे बूब्स से खेलने लगी थी. में बोली तू भी ना, अगर बताया तो होता कि माँ और पापा घर पर नहीं है तो हम एक बार और हस्तमैथुन करते.

फिर वो बोली मैंने तो कर लिया अब तू तड़पती रह. में उठी और आईना के पास गई और उसके चूतड़ों पर एक ज़ोर का थप्पड़ मारा, उसके मुँह से आअहह निकल गई और वो अपने चूतड़ को मसलती हुई बोली कि इतनी ज़ोर की मारते है क्या? मैंने कहा यही है तेरी सज़ा, अकेले अकेले मुझसे तो मज़े ले लिए और में खाली रह गई.

फिर मैंने भी बगल से केंची उठाई और अपने बाल भी काटने लगी. हम दोनों एक दूसरे को कांच में नंगा देख रहे थे तो आईना बोली अच्छा एक बात बता आईशा कि तुझे उस दिन जब लोग तेरे बूब्स को दबा रहे थे कैसा लग रहा था? मैंने कहा देख उस दिन तो में बहुत घबरा गई थी, लेकिन आज जब में उस दिन के बारे में सोचती हूँ तो अच्छा लगता है, वो बोली सेम ऐसा ही मेरे साथ हुआ है.

मैंने उसकी और देखा और उसके चूतड़ थपथपाये और मज़ाक करते हुए कहा कि शाबाश, वो बोली नहीं सच में मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है, तभी तो में बहुत कामुक हुई और कल रात को हस्तमैथुन कर रही थी. में बोली तो अब क्या फिर से जाना चाहती है उन लोगों के बीच में, वो बोली नहीं, लेकिन उस दिन को सोच कर अभी भी उत्तेजना होती है तो मैंने मज़ाक में बोला तू कहे तो फिर से चलकर देख सकते है, वो मेरे मज़ाक को सच में समझने लगी और बोली सच चल सकते है क्या? मैंने तुरंत अपनी बात बदलते हुए कहा, पागल है क्या. अगर अब वहाँ गये तो हमारा गैंगरेप हो जायेगा और उस दिन तो उस भले आदमी ने बचा लिया था अब तो कोई बचायेगा भी नहीं.

फिर वो बोली अरे रेप तो तब होगा ना जब हम खुद चुदने से मना करेंगे, लेकिन हम तो अपने आप ही चुदने जा रहे है तो रेप कहाँ से होगा. मैंने उसकी और देखा और बोली तू पागल हो गई है अरे वो हमें रंडी बना देंगे और जो भी बस में होगा वो चोदेगा. इतने लंड ले लेगी तू, वो पहले तो सोच में पड़ गई और फिर बोली हो सकता है कि फिर से वो दबा दबाकर के छोड़ दे. मैंने कहा तू पागल है और फिर मैंने अपना टॉप पहना और बिना पेंटी के सीधे शॉर्ट्स कपड़े पहने और आईना से कहा यह पागलपन का आइडिया छोड़ और फटाफट कपड़े पहन, मम्मी और पापा आते ही होंगे.

फिर में किचन में गई और खाना लिया और टेबल पर बैठकर खाने लगी, तभी आईना ऊपर से नीचे आई तो उसने तब भी कुछ नहीं पहना था. में उसे देखकर तुरंत बोली कि अरे तू कुछ पहन तो ले. माँ, पापा आ जायेंगे तो क्या होगा? तो वो बोली वो अभी नहीं आ रहे है, वो रात तक के लिए कह कर गये है और वो डिनर करके आयेंगे और हमारे लिए पैक करा लायेंगे. मैंने कहा ओहह तो यह तूने मुझे पहले क्यों नहीं बताया.

फिर मैंने खिड़की की और इशारा करके उससे पूछा कि इसमें से भी तो तू बाहर दिख सकती है और पड़ोसीयों ने देख लिया तो क्या होगा? इस पर वो बोली तो देखने दो, मुझे तो पूरी आदमीयों से भरी बस ने नंगा देखा है तो यह देख लेंगे तो क्या होगा. में समझ गई कि इसको समझाने का कोई फायदा नहीं, क्योंकि आईना पहले से ही बहुत डिस्टर्ब थी और ऊपर से वो अब अपनी सील तुड़वाने के लिए पागल हो रही थी.

फिर वो मेरे पीछे खड़ी हो गई और अपने निपल्स को मेरे गाल से लगाने लगी, में थोड़ी देर तक कुछ नहीं बोली फिर में गुस्सा होकर बोली कि क्या है? वो बोली बता ना चल सकते है बस में, मैंने कहा नहीं में नहीं जाउंगी, तू देख ले तुझे जाना हो तो अकेली चली जा, वो बोली कि नहीं, तेरे बिना नहीं, तू चल ना, देख मज़ा आयेगा.

फिर में चिल्लाकर बोली तू पागल हो गई है अपना वहाँ गैंगरेप हो जायेगा, कितने लोग तेरे साथ चुदाई करेंगे पता भी है तुझे. वो बोली वो ही लोग तो मज़ा भी तो देंगे. मैंने कहा और उनमें से किसी को कोई बीमारी हुई तो वो बोली तो उसे अपने साथ नहीं करने देंगे. मैंने गुस्से में कहा उसे करने नहीं देंगे कैसे? वो बोली वहाँ एक दो आदमीयों से ही हम करायेंगे जो हमें अच्छे लगेंगे, बाकि को तो हम बस अपने बदन को ही छूने देंगे और ज्यादा हुआ तो उनका लंड चूसकर झाड़ देंगे.

मैंने कहा एक बार में तू कितने लंड झाड़ सकती है तो वो बोली बहुत सारे और फिर में कुछ देर तक उसकी बात को सोचती रही, लेकिन फिर भी मेरा मन नहीं माना और मैंने उसे फिर भी मना कर दिया, लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी, वो मेरे पीछे ही लगी रही. में यह जानती थी कि में इस बात पर हाँ कहने वाली नहीं हूँ, क्योंकि इस काम में बहुत मुसीबत थी जो आईना करना चाहती थी. उसमें सबसे पहली बात सब आदमी वहाँ पर, फिर किसको क्या बीमारी है इसका पता नहीं और आख़िरकार किसी ने हमें यह सब करते हुये रिकॉर्ड कर लिया तो.

यह सब बात मैंने आईना को खूब समझाने की कोशिश की, लेकिन वो एक ही बात बोल रही थी कि करके देख मजा आयेगा. मैंने उससे साफ शब्दों में मना कर दिया और फिर वो गुस्सा होकर रूम में चली गई.

दोस्तों फिर थोड़ी देर में माँ, पापा मार्केट से आ गये और माँ ने आते ही मुझे पूरी दोपहर सोने के लिए डांट लगाई, फिर माँ ने पूछा आईना कहाँ है तो मैंने कहा कि रूम में है माँ ने कहा कि देखो हम लोग तो डिनर करके आये है और तुम्हारा डिनर पैक करा लाये है. अब तुम लोग देख लो कहाँ खाना है या तो अपने रूम में ले जाकर खा लो, या यहीं खा लो, तुम्हारी मर्ज़ी. हम लोग बहुत थक गये है और सोने जा रहे है मैंने कहा ठीक है.

फिर मैंने सारा डिनर प्लेट में लगाया और आईना को आवाज़ दी, लेकिन वो नहीं आई तो में समझ गई अब ऊपर जाकर ही उसे मनाना पड़ेगा. फिर में डिनर प्लेट में लगाकर ऊपर ही ले गई आईना एक कोने में गुस्सा होकर बैठी थी और उसने अभी तक कुछ नहीं पहना था. मैंने उससे बोला पागल ऐसे गुस्सा नहीं होते और कुछ पहन ले माँ, पापा आ गये है, वो गुस्से में बोली ना मुझे कुछ खाना है और ना ही में कुछ पहनूंगी.

मैंने मज़ाक करते हुए कहा तो तू सारी ज़िंदगी ऐसे ही नंगी रहेगी, वो मुँह फेर कर बैठ गई में उसके पास गई और उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए बोली, जो तू सोच रही है वो कभी नहीं हो सकता है आईना बहुत ज्यादा कठिन काम है तो इस बात पर वो गुस्सा हो कर बोली रिस्की माई फुट. में भी उसे समझा समझा कर हार गई थी. मैंने थक हार कर कहा चल कल देखते है उसके होठों पर मुस्कान आ गई और वो तुरंत मुझसे लिपट गई और बोली सच कल चलेगी तू, मैंने कहा हाँ देखते है कल चल सकते है कि नहीं.

फिर वो बोली कि नहीं कल पक्का चलेंगे और अगर वो ही बस मिल गई तो अन्दर चल के मज़े लेंगे और तू चिंता मत कर हमें कुछ नहीं होगा. मैंने बोला चल ठीक है चल तू अब कुछ पहन ले और फिर डिनर करते है उसने टॉप और शॉर्ट्स पहन लिया और फिर हम लोगों ने डिनर किया और फिर उसने कहा चल डिनर के बाद बाहर एक राउंड घूम कर आते है तो में बोली माँ, पापा नहीं जाने देंगे तो वो बोली अरे अपनी कॉलोनी में क्या डर? यहाँ तो घूम ही सकते है. फिर मैंने कहा चल में पूछती हूँ और फिर में पूछने माँ के रूम में गई तो देखा कि गेट हल्का सा खुला था. मैंने गेट और दरवाज़े के बीच की हल्की सी दरार से अंदर देखा तो काफ़ी अंधेरा दिखा तो मैंने सोचा शायद पापा, माँ सो गये है तो मैंने हल्के से दरवाज़ा बंद किया और आईना को नीचे आने का इशारा किया.

फिर आईना नीचे आ गई उसने सफ़ेद कलर का टॉप और नीचे शॉर्ट्स पहन रखा था. मैंने भी गुलाबी टॉप और नीचे लाल कलर का पायजामा पहन रखा था. मैंने आईना को देखा कि वो शॉर्ट्स में ही उतरकर आ रही है तो मैंने उससे धीरे से बोला पागल है क्या तू? वो बोली क्यों? मैंने कहा शॉर्ट्स में ही बाहर चलेगी क्या? उस पर वो हंसी और फिर बोली हाँ.

मैंने उसकी और देखा और फिर बोली इतने छोटे शॉर्ट्स पहनकर बाहर निकलेगी तो सड़क पर सब तुझे ही देखेंगे, तुझे शर्म नहीं आयेंगी? वो बोली अरे यार इतनी रात को बाहर कोई नहीं होगा और ऊपर से कोई देख भी लेगा तो क्या? मैंने उसकी और देखा और उसके बेफिक्र चेहरे पर चुदने की इच्छा को देखकर में मुस्कुरा दी और उसके चूतड़ों पर हल्का सा थप्पड़ मारा और बोली तू तो बिल्कुल रंडी हो गई है. उसने मेरी और देखा और मुस्कुराते हुए मेरे चूतड़ पर हल्का सा ज़ोर का थप्पड़ मारा और बोली आख़िर हूँ तो तेरी छोटी बहन ही ना. फिर हम दोनों एक दूसरे की तरफ हंस पड़े और मैंने मेन गेट खोला और हम दोनों बाहर आ गये और बाहर रोड़ बिल्कुल खाली था और हमारे घर से हर 20 मीटर के अंतराल में एक रोड़ लाईट थी.

रोड़ पर 5 स्ट्रीट लाईट लगी हुई थी. फिर उसके बाद तो पूरे रोड़ पर अंधेरा था. फिर एक दूसरे के साथ मज़ाक करते हुए हम दोनों उसी रोड़ पर चल दिए और धीरे धीरे हम सारी स्ट्रीट लाईट पार कर गये और फिर अंधेरे वाला रोड़ देखकर मैंने आईना से कहा कि चल लौट चलते है तो इस पर वो बोली अरे लाईट में घूमने का क्या मज़ा? अंधेरे में घूमते है मज़ा आयेगा.

मैंने फिर आईना को देखा और मुस्कुरा दी और फिर हमने घूमना जारी रखा और अंधेरे में चलते चले गये. फिर बात करते करते आईना अपना टॉप उतारने लगी और में देखती रह गई कि वो क्या पागलपन कर रही है? और में जब तक कुछ बोलती उससे पहले उसने अपने बूब्स बिल्कुल नंगे कर दिए. मैंने उसे धीरे से कहा कि क्या पागलपन कर रही है? आईना तू मरवायेगी क्या? कोई देख लेगा तुझे ऐसे तो? तो वो बोली अरे रोड़ पर कोई नहीं है और अपने बदन को ताजी हवा खिला रही हूँ. मैंने कहा पागल हो गई है तू तो वो बोली तू भी उतारकर देख, बड़ा अच्छा सा महसूस हो रहा है. मैंने कहा नहीं, में तेरी तरह पागल नहीं हूँ.

फिर उसने अपने शॉर्ट्स भी उतार दिए और बिल्कुल नंगी हो गई. अब में क्या बोलती? वो तो बिल्कुल पागलपन कर रही थी. मैंने गुस्से में आईना से बोला क्या पागलपन कर रही है तू? अरे किसी ने देख लिया तो क्या होगा? तुझे कोई नहीं बचा पायेगा, लेकिन उसे तो किसी बात का डर ही नहीं था, वो बोली अरे इस रोड़ पर कोई नहीं आता आईशा कुछ नहीं होगा.

मैंने कहा तू पागल है और यह कहकर मैंने उससे उसके कपड़े लिए और ज़बरदस्ती उसे कपड़े पहनाने लगी, लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी, वो मुझसे दूर भागने लगी में उसके पीछे कपड़े लेकर भाग रही थी और वो आगे आगे नंगी भाग रही थी. में आख़िरकार थक कर बोली कि रुक आईना पागलपन मत कर मेरे लिए कपड़े पहन ले, वो बोली तू पागल है में नहीं पहन रही तो तुझे क्या और देख रोड़ पर अब तक कोई नहीं आया और तू फालतू में परेशान हो रही है.

फिर मैंने भी देखा कि रोड़ सुनसान ही था, यह देख कर मेरी थोड़ी हिम्मत बड़ी तभी आईना ने पीछे से आ कर मेरा पजामा नीचे कर दिया और मेरा पजामा नीचे होते ही में पेंटी में आ गई, लेकिन अगले ही सेकेंड उसने मेरी पेंटी भी नीचे खींच दी. फिर में पीछ मूडी और पेंटी और पजामा ऊपर करते हुए आईना को मारने भागी, लेकिन फिर मैंने भी सोचा कि ट्राई करते है शायद बाहर नंगा होने का अलग ही मज़ा हो यह सोचकर मैंने अपना पजामा और पेंटी उतारकर अपने कंधे पर रख लिए और फिर में अपना टॉप उतारकर बिल्कुल नंगी हो गई और यह देख आईना मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और बोली कि देख आया ना मज़ा.

मैंने उसे ऊपर से नीचे देखा और उसे देख मुस्कुरा दी और बोली हाँ मज़ा तो आ रहा है, लेकिन बस कोई देख ना ले. फिर आईना बोली कि तू पागल है, यहाँ पर कोई नहीं आता है और वो मुझे पूरी सड़क दिखाने लगी.

फिर हम नंगे ही घूमने लगे, पूरे बदन पर ठंडी ठंडी हवा महसूस हो रही थी और जब मेरे चूतड़ और चूत पर हवा का स्पर्श होता तो पूरा बदन सरसरा उठता, घबराहट तो थी कि कोई देख ना ले, लेकिन उससे ज्यादा अब उत्तेजना होने लगी थी. फिर आईना जानबूझ कर धीरे धीरे चलने लगी और में उससे आगे हो गई और फिर वो मेरे पीछे चलती हुई बोली कि हाय तेरी क्या ग़ज़ब चाल है बिल्कुल मॉडल्स जैसी.

फिर मैंने कहा अच्छा और फिर में आईना के पीछे गई और बोली कि नहीं तेरी चाल है बिल्कुल मॉडल्स जैसी और फिर उसके कूल्हों को हल्का सा नोचा और मेरे नोचते ही उसके मुँह से हल्की सी आहह निकली और वो जैसे ही मेरी तरफ मुड़ी तो मैंने उसे कसकर अपनी और खींचा और फिर उसका स्मूच ले लिया. वो पहले तो पीछे हटने की कोशिश करने लगी, लेकिन फिर वो भी मेरा साथ देने लगी और में स्मूच करते हुये उसके चूतड़ों को मसलने लगी. फिर उसने भी पंजे उठाकर अपनी चूत मेरी चूत से बिल्कुल चिपका दी और हम दोनों ऐसे ही 1-2 मिनट तक स्मूच करते रहे, तभी मुझे किसी के पैरों की आहट सुनाई दी, में एकदम डर गई और आईना से दूर हट गई.

फिर मैंने रोड़ के किनारे लगे एक पेड़ के पीछे उसे खींच लिया और फिर आहट तेज होती गई, उधर मेरे दिल की धड़कन भी तेज होती जा रही थी. आईना भी यह सोच रही थी कि पता नहीं कौन है और चिंता उसके चेहरे पर भी साफ़ दिख रही थी, वो चौकीदार था वो हमारी परछाई देखकर शायद यहाँ आ गया था और फिर वो देखने लगा कि कौन है.

में बुरी तरह डर गई थी और आईना को बिल्कुल अपनी बाहों में जकड़ लिया था और पेड़ में कम से कम जगह में हम दोनों सिमटने की कोशिश करने लगी, जिससे कि हम पेड़ के पीछे छुप जाये और वो हमें देख ना पाये. आईना के बूब्स पेड़ के तने से सट गये और में बिल्कुल आईना के पीछे उसकी गांड से अपनी चूत सटा कर खड़ी हो गई. कुछ देर उसने देखा, लेकिन कोई नहीं दिखने पर वो जाने लगा तब मेरी जान में जान आई, लेकिन पता नहीं क्या सोचकर वो वापस मुड़ा और फिर वापस हमारे पेड़ की तरफ आने लगा, मेरी धड़कन से फिर से तेज हो गई और आईना को भी डर लग रहा था.

उस समय में यह उसके बदन के थरथराने से महसूस कर सकती थी और चौकीदार हमारे पेड़ के आगे आकर खड़ा हो गया तो मुझे लगा कि अब बस हम पकड़े गये तो यह अब हमारे साथ सेक्स करके ही हमें छोड़ेगा या हमारे पापा, मम्मी को सब बता देगा. यह सोच मैंने अपनी आँखें बंद कर बस बचने की मन्नत करने लगी.

फिर तभी मुझे चैन खुलने की आवाज़ आई, मैंने और आईना ने पेड़ के पीछे से देखा तो चौकीदार ने अपनी पेंट की चैन खोली हुई थी और अपनी पेंट का बटन खोलकर अपनी चड्डी नीचे सरका रहा था. फिर उसने जैसे ही अपनी चड्डी नीचे सरकाई तो उसका कम से कम 7 इंच बड़ा लंड झूलता हुआ बाहर आ गया और हम दोनों का मुँह फटा का फटा रह गया और जब उसका लंड बाहर आया था तो खड़ा था.

फिर उसके लंड से पेशाब बाहर आने लगा, जैसे ही पेशाब गिरने की मात्रा कम हुई वैसे वैसे उसके लंड का आकार भी छोटा होता गया और फिर आख़िरी में उसने अपने लंड को हिला कर अपनी बची हुई दो चार बूँद भी गिरा दी. में यह देख अपना डर तो भूल गई थी ऊपर से गर्म भी हो गई थी. आईना बिल्कुल पेड़ के तने से सटकर खड़ी थी और उससे बिल्कुल चिपककर में खड़ी थी.

मेरी चूत उसकी गांड से चिपकी हुई थी और मेरे बूब्स उसके कंधे को टच कर रहे थे और लंड देखकर मेरा हाथ अपने आप आईना की चूत को सहलाने लगा, लेकिन आईना का ध्यान चौकीदार के लंड पर ही था. फिर चौकीदार ने अपनी चड्डी वापस पहनी और पेंट ऊपर की और वो वापस चला गया. फिर तब आईना को मेरे हाथ का स्पर्श अपनी चूत पर होने का पता चला, वो मेरी और मूडी और फिर हमने एक दूसरे के होंठ से होंठ मिला दिए और वो मेरे होठों को चूसने लगी. फिर मैंने उसकी एक टाँग उठाकर अपनी कमर पर टिका ली, जिससे मुझे उसकी चूत के दरवाजे का आसानी से रास्ता मिल गया.

फिर में उसकी चूत को तेज़ी से रगड़ने लगी और रगड़ते-रगड़ते वो झड़ने की कगार पर आ गई, लेकिन में उसकी चूत को और तेज़ी से सहलाने लगी, वो मेरे बूब्स को मसलने लगी. फिर मैंने उसके होंठ चूसना छोड़ा और हल्का सा नीचे झुककर उसके निपल्स को चूमा, फिर धीरे धीरे उसके निपल्स को चूसना शुरू कर दिया और दूसरी और उसकी चूत में अपनी एक उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगी.

हम दोनों अभी तक वर्जिन थे इसलिये उसकी चूत बड़ी टाईट थी और उंगली ज्यादा अंदर तक नहीं जा रही थी, लेकिन मैंने भी अधिक कोशिश ना करते हुए जितनी उंगली अंदर गई थी उसे ही अंदर-बाहर करने लगी. उसको हल्का सा दर्द तो हुआ, लेकिन बाद में उसे मज़ा आने लगा. फिर उसने अपनी आँखें बंद कर ली और मज़े में खो गई और में उसके निपल को चूसने के बाद धीरे धीरे उसकी नाभि को चूसते हुए उसकी चूत तक पहुँच गई.

फिर मैंने आईना को अपने पैर छोड़ने को कहा और उसने मेरे दोनों पैर छोड़ दिए और में उसके दोनों पैरों के बीच बैठ गई और फिर मैंने उसकी चूत के होठों से अपने होंठ मिला दिए और दो चार बार उनको चूमा और फिर मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया. वहां ऐसे बैठने से मेरी गांड खुल गई थी और उसमें ताज़ी ताज़ी हवा लग रही थी. आईना की चूत को चूसते चूसते बड़ा मज़ा आ रहा था.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ की दरार को फैलाया और फिर अपनी उंगली से उसकी गांड के छेद को सहलाने लगी, वो सिसकारियां भरने लगी. फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी, मेरी जीभ का स्पर्श पाते ही वो थरथरा उठी और चूत में अंदर कुछ देर तक जीभ फेरने के बाद, मैंने अपनी जीभ उसकी चूत से बाहर निकाल दी और दो चार बार फिर से चूत को चूमा और फिर उसकी कमर पकड़ कर, मैंने उसको पलट दिया. जिससे अब उसकी गांड मेरे सामने थी.

फिर मैंने उसे पंजो पर खड़ा होने को कहा, उसने वैसा ही किया और मैंने उसकी चूत से लेकर गांड के छेद पर दो चार बार जीभ फेरी. वो पागल हो उठी और फिर मैंने उसकी गांड के छेद को चूसना शुरू कर दिया, वो कुछ ही देर में झड़ गई और उसकी चूत बिल्कुल गीली हो गई और पेड़ से लिपटते हुए ज़मीन पर चूतड़ों के बल बैठ गई उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी.

फिर में भी उसके बगल में बैठकर उसके बूब्स को सहलाने लगी, वो कुछ देर में नॉर्मल हो गई और फिर उसने मुझसे उसके ऊपर खड़े होने को कहा में खड़ी हो गई और वो मेरे पैरों के बीच में बैठ गई और मेरी चूत को चूसने लगी. में भी उसके होठों का स्पर्श अपनी चूत पर होने की वजह से पागल हो गई और में उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत से उसके मुँह को सटा दिया. फिर कुछ देर तक, वो मेरी चूत चूसती रही और में अपने हाथों से अपने ही बूब्स को सहलाती रही. फिर उसने मेरी चूत को चूसते चूसते मेरी चूत में उंगली डाल दी. उंगली डालते ही में हल्का सा उछल पड़ी.

फिर वो अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगी तो मुझे भी मज़ा आने लगा और वो अपने मुँह को मेरी गांड के छेद के ऊपर ले गई और अपने दोनों होठों को मेरी गांड के छेद पर रख दिया और चूसने लगी. इस तरह कुछ देर में ही में झड़ गई और आईना के ऊपर ही गिर गई और उसके होठों को चूमने लगी और वो भी मेरे होठों को चूमने लगी और कुछ देर में आईना के ऊपर ही पड़ी रही.

फिर हम दोनों उठे और आईना ने मुझसे पूछा कि बाहर सेक्स करने में कैसा मज़ा आया तो मैंने कहा यार तू सही थी, बहुत मज़ा आया और फिर हम दोनों नंगे ही रोड़ पर चल दिए और वॉक करते हुये मेरी गांड में ताज़ी ताज़ी हवा लग रही थीज बड़ा मज़ा आ रहा था और चलते चलते कभी में आईना के चूतड़ को मसल देती तो कभी वो मेरी चूत मसल देती.

फिर हम एक दूसरे को नंगे देखकर हंस रहे थे. तभी पता नहीं कब हम लाईट के उजाले में आ गये और हमने ध्यान नहीं दिया कि हम अब सबको नज़र आ सकते है और जब हम अपने पड़ोसी के घर के सामने थे और जब हमने उनके गेट खोलने की आवाज़ सुनी तो हमें होश आया और हम सीधे अपने घर की और भागे, लेकिन इतने में उनका गेट खुला और श्रीमती चटवाला जो कि हमारे पड़ोसी है, वो बाहर आई, लेकिन वो हमारा चेहरा देख पाती उससे पहले हम भाग गये और उनको लगा शायद कोई जानवर होगा.

फिर हम भागते भागते अपने घर में घुस गये और फिर आईना ने मेन गेट बंद किया, लेकिन दरवाजा लगाने में हल्की सी आवाज़ हो गई तो मैंने उससे कहा कि धीरे धीरे नहीं तो मम्मी पापा जाग जायेंगे और अगर उन्होंने हमें ऐसे देख लिया तो पता नहीं क्या होगा? फिर हम गेट को लॉक करके ऊपर अपने रूम में भाग गये और अपना रूम लॉक कर हम एक दूसरे को देखकर इतना हँसे कि पेट में दर्द ही होने लग गया. फिर आईना ने अपने कपड़े एक तरफ फेंके और बेड पर कूद गई.

फिर मैंने कहा कपड़े नहीं पहनेगी तो वो बोली जब बाहर नहीं पहने तो अंदर रूम में क्यों पहने? आज ऐसे ही नंगे सोते है. मैंने कहा और जब सुबह माँ आयेंगी तो चूतड़ों पर डंडे देंगी तो वो बोली अरे माँ नॉक करके आयेंगी ना और रूम तो लॉक है जब तू खोलने जाये तो मुझे जगा देना तभी कपड़े पहन लेंगे और माँ भी जानती है दिल्ली की गर्मी को, तो कुछ नहीं बोलेगी. मैंने भी सोचा कि आईना सही कह रही है और मैंने भी अपने कपड़े एक तरफ फेंके और अपने बेड पर लेट गई.

फिर आईना बोली मेरे बेड पर ही आ जाना, रात भर मज़े करेंगे, में बोली नहीं में अब थक गई हूँ अब में सोने जा रही हूँ और कितने मज़े करेगी तू, तो वो बोली तू पूरे दिन तो सोई है तुझे अब रात में नींद कहाँ से आयेगी. फिर में अपने बेड से उठी और आईना के बगल में जाकर लेट गई, उसने अपना एक हाथ फिर से मेरी चूत पर रख दिया और मेरी चूत की दरार में अपनी हल्की सी उंगली अन्दर कर दी और चूत को अपनी उंगली से सहलाने लगी. मैंने भी उसे जो कर रही थी करने दिया. फिर उसने मेरी और देखा और पूछा फिर कल कब चलेगी तू? मैंने कहा यार तू भी? वो बोली क्या तू भी?

फिर मैंने कहा हम मज़े ले तो रहे है इतना रिस्क लेने की क्या जरूरत है तो वो बोली यार वो मज़ा अलग ही होगा, उसके आगे यह सब तो कुछ नहीं है, वो तो अपने लिए मस्त माहोल होगा. मैंने कहा ठीक है चल कल शाम को देखते है, वो बोली ठीक है फिर उसने लाईट ऑफ कर दी और थोड़ी देर बाद ऐसे ही चिपके चिपके हम कब सो गये पता ही नहीं चला.

सुबह माँ आई और उन्होंने गेट नॉक किया और हमें नहा धो कर ब्रेकफास्ट के लिए नीचे बुला लिया. फिर हम दोनों एक साथ उठे और हम दोनों ने एक साथ बाथ लिया और ब्रेकफास्ट के लिए नीचे चले गये और ब्रेकफास्ट करते करते मैंने माँ से धीरे से पूछा कि माँ हम आज शाम को बाहर जा सकते है. माँ ने मेरी और देखा और फिर पूछा कि क्या काम है? मैंने कहा माँ हमें कुछ शॉपिंग करनी है. माँ बोली तो अपने सामान पापा को लिखवा दो, वो ले आयेंगे. तभी आईना बोल पड़ी नहीं माँ, हम ले आयेंगे, पापा नहीं ला पायेंगे, तभी माँ समझ गई कि हमारे सामान पापा नहीं ला सकते है.

फिर उन्होंने थोड़ी देर सोचा और बोली अच्छा चलो मुझे लिख कर दे दो, में ले आउंगी. हम दोनों के मुँह से एक साथ निकल गया नहीं, माँ चौक गई और पूछा क्यों नहीं? मैंने आईना के हाथ पर हाथ रख उसे शांत रहने को कहा और फिर में बोली नहीं माँ हम ले आयेंगे आप चिंता मत करो. तो वो बोली तुम दोनों पिछली बात को भूल गई हो, जो अब फिर अकेले बाहर जाने की जिद कर रही हो.

फिर में बोली माँ अब पिछली बार जो हुआ वो सोचकर हम दोनों पूरी लाईफ तो डरकर घर नहीं बैठ सकते और फिर अब हम दोनों अपने उसी डर को मिटाने के लिए तो बाहर जाना चाहते है. माँ ने सोचा और फिर बोली आईशा बात तो सही है, लेकिन में अब रिस्क नहीं ले सकती हूँ, अब में भी तुम्हारे साथ चलूंगी. मैंने कहा माँ आप बेकार की टेंशन ले रही हो.

फिर मैंने झूठ बोला कि हमारे साथ हमारी दिल्ली की दो चार फ्रेंड्स भी आ रही है. माँ हल्का सा चौंक गई और बोली तुम दोनों की दिल्ली में कौनसी फ्रेंड्स है. मैंने कहा अरे है मुंबई में मेरी फ्रेंड विभा थी ना, उसकी कज़िन दिल्ली में है, में जानती थी कि माँ विभा को अच्छे से जानती थी और उसकी कज़िन भी थी दिल्ली में है, यह भी वो जानती थी.

उन्होंने पूछा कि वो तुम्हें कहा मिलेगी. मैंने कहा वो हमें अगली रेड लाईट से पिक कर लेगी. फिर माँ ने कहा चलो ठीक है, लेकिन पिछली बार की तरह ज्यादा रात मत करना और उनसे कहना कि वो तुम्हें यही ड्रॉप कर दे और मोबाइल चालू रखना, ठीक है. मैंने कहा ठीक है. फिर यह सुनकर आईना बहुत खुश हो गई और फिर वो रूम में चली गई और जैसे ही में रूम में आई तो आईना ने मेरे होंठ चूम लिए और बोली अरे तू तो कमाल के बहाने लगाती है. हमें रोकने के लिए माँ के पास कोई जवाब ही नहीं बचा.

मैंने कहा चल ठीक है, लेकिन इतना खुश मत हो, बस यह सोच कि रात को कुछ गड़बड़ ना हो तो वो बोली कुछ गड़बड़ नहीं होगी. तू देखना बहुत मज़ा आने वाला है. फिर शाम होते ही मैंने ऊपर एक ग्रे कलर की टी-शर्ट डाल ली जो मेरे पेट को आधा ढक रही थी और मैंने नीचे नीले कलर की लेगी पहन ली, लेगी इतनी टाईट थी की उसमें से मेरे चूतड़ साफ़ दिखाई दे रहे थे और आईना ने गुलाबी कलर का टॉप और नीले कलर की स्कर्ट पहन ली.

फिर मैंने माँ से पूछा हम जायें तो माँ हमें बाहर तक छोड़ने आई और हमें समझाती रही कि कोई भी प्रोब्लम हो तो हम तुरंत उन्हें या पापा को फोन करें. फिर मैंने उनसे कहा हमें कुछ नहीं होगा और हम निकल गये. आईना बहुत खुश थी और वो उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था. में भी खुश तो थी कि हमारा प्लान काम कर गया, लेकिन मुझे थोड़ा डर भी था कि अब आगे बस में क्या होगा? हमने फिर मेट्रो पकड़ी और वहां से होते हुए हम पुराने किले पहुंचे और काफ़ी देर खड़े रहे और फिर बस का इंतज़ार करते रहे.

आज वहां पर बहुत लोग थे हमने सोचा कि शाम होते ही सब चले जायेंगे फिर एक बस आई पूरी भरी हुई उसमें हम चढ़ गये, लेकिन अगले दो स्टॉप तक हमें किसी ने हाथ तक नहीं लगाया. आईना ने निराश होकर बोला यहाँ कुछ नहीं होगा, ऊतर जाते है और अगली बस देखते है.

फिर हम ऊतर गये और फिर हम दूसरी बस का इंतज़ार करने लगे और फिर कई बसे आई, लेकिन किसी में कुछ नहीं हुआ और ऐसा करते करते अंधेरा होने लगा और उधर माँ के फोन आने लगे कि कब तक वापस आओगी और फिर हम दोनों निराश हो गये. फिर मैंने आईना से कहा कि चल घर चलते है फिर कभी देखेंगे, वो भी झट से मान गई और फिर हम दोनों ने एक बस पकड़ी और घर जाने के लिए और उसमें चढ़ गये, उसमें सारी सीट भरी थी और उसमें बस खड़े होने की जगह थी. ऊपर से उसमें सब बड़े लोग थे और ज्यादातर औरते थी. आईना और निराश हो गई और हम दोनों एक 40-45 साल की आंटी की सीट के पास आकर खड़े हो गये, वो और उनकी एक लड़की थी जो हमसे कुछ छोटी होगी, वो वहां बैठी थी. उनके पति हमारे पास में खड़े थे.

आईना का मुँह लटका हुआ था, में भी थोड़ी निराश थी उधर में माँ से फोन पर बात करके बता रही थी कि हम कुछ देर में वापस आ जायेंगे. तभी मुझे अपने चूतड़ पर कुछ महसूस हुआ, मैंने नीचे देखा तो वो आंटी के पति अंकल का हाथ मेरे चूतड़ पर चल रहा था, पता नहीं वो गलती से था या जानबुझ कर, लेकिन उनका हाथ मेरे चूतड़ पर चल रहा था.

मैंने भी सोचा कि देखते है यह क्या है? और यह सोचकर में वैसे ही चुपचाप खड़ी रही. फिर धीरे-धीरे जब अंकल ने देखा कि में कुछ नहीं कह रही हूँ और ना ही में दूर हटकर खड़ी हुई तो उनकी हिम्मत बड़ गई और उन्होंने अपनी पूरी हथेली मेरे चूतड़ पर रखकर मेरे चूतड़ को सहलाना शुरू कर दिया में चुपचाप खड़ी रही. तभी मैंने देखा कि वो आंटी भी आईना की जांघों को अपनी कोहनी से रगड़ रही है, लेकिन आईना इतनी दुखी थी कि उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. मैंने आईना को इशारा किया और हल्का सा अपनी जगह से आईना के पास जाने के लिए गई तो अंकल ने तुरंत मेरी इस हरकत पर अपना हाथ हटा लिया. में आईना के पास गई और उसके कान में बोला कि मुझे लगता है कि यह अंकल और आंटी ठरकी है और यह तेरी ख्वाइश पूरी कर सकते है.

तब उसका ध्यान आंटी के हाथ पर गया, वो मेरी बात सुन कर मुस्कुराई और बोली कि उसे अंकल के पास आने दे. मैंने भी कुछ नहीं कहा और हम दोनों ने एक दूसरे की जगह बदल ली, लेकिन अब एक प्रोब्लम थी कि अंकल इतना घबरा गये थे कि अब वो आईना से थोड़े दूर हटकर ही खड़े हो गये, लेकिन उनकी पत्नी ने हिम्मत दिखाते हुए आईना की जगह मेरी जांघों को कोहनी से टच करना शुरू कर दिया.

में भी वैसे ही खड़ी रही, उनकी हिम्मत थोड़ी खुली और धीरे धीरे उनकी कोहनी की जगह अब वो अपनी उंगलियों से मेरी जांघें सहलाने लगी और धीरे धीरे उनका पूरा हाथ मेरी जांघों को सहलाने लग गया. फिर धीरे धीरे उनका हाथ मेरे चूतड़ों तक पहुंचा तो मैंने उनकी और देखा तो उनकी भावना से भरा हुआ चेहरा और ठरकीपन को देखकर मेरे मुँह पर मुस्कुराहट आ गई.

यह देख वो भी मुस्कुरा दी और मुझसे बोली बेटा तुम मेरी बगल की सीट पर बैठ जाओ. मैंने कहा नहीं आंटी ठीक है और आपके बगल की सीट पर तो आपकी बेटी बैठी है ना, इस पर वो बोली इसे तो में अपनी गोद में बिठा लूँगी. तुम इधर आ जाओ. फिर उनके एक इशारे पर उनकी बेटी उठी और उनकी गोद में बैठ गई, वो लड़की हमसे कुछ ही छोटी होगी और उसका वजन लगभग आईना से थोड़ा ही कम होगा, लेकिन आंटी ने तो उसे ऐसे गोद में बैठा लिया जैसे कोई बच्ची हो और वो भी आंटी की गोद में बच्चों की तरह बैठ गई और फिर में कुछ ना कह पाई और उनके बगल की सीट पर जा कर बैठ गई. फिर धीरे धीरे उनका हाथ वापस मेरी जांघों को सहलाने लगा और में उनका साथ दे रही थी.

यह देख अंकल को भी थोड़ी हिम्मत आई और उन्होंने आईना की जांघों को अपनी उंगलियों से टच करना शुरू कर दिया और आईना ने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी तो वो भी समझ गये कि हम दोनों क्या चाहते है? फिर अंकल ने धीरे धीरे आईना की जांघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और उसकी स्कर्ट के अंदर तक हाथ को ले जाने लगे, लेकिन फिर भी वो वैसे ही खड़ी रही.

फिर उसने हल्का सा अंकल की और देखा, लेकिन वो उसकी जांघों में इतने मस्त थे कि उन्होंने आईना को देखते हुए भी नहीं देखा और फिर धीरे धीरे उनका हाथ आईना के चूतड़ों पर चला गया और वो हल्के हल्के उन्हें उसकी स्कर्ट पर से ही सहलाने लगे. आईना को भी मज़ा आ रहा था उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था. फिर धीरे धीरे बस भी खाली होती गई और फिर बस में हम दोनों के अलावा आंटी की फेमिली और एक आदमी और बैठा था और कंडक्टर और ड्राइवर ही बस में रह गये, लेकिन आईना और अंकल वहीं खड़े रहे. इधर आंटी मेरी जांघो को सहलाते हुये टी-शर्ट के अंदर जाकर मेरी लेगी के ऊपर से मेरी चूत पर टच कर रही थी. में भी बस की खिड़की के बाहर देख रही थी, मेरे कुछ ना बोलने से उनको और हिम्मत आ गई, अब उनकी बेटी ने मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए थे.

मैंने जब अपने बूब्स पर उसके हाथ देखे तो में समझ गई कि पूरी फेमिली ही ठरकी है. उधर आईना की स्कर्ट के अंदर लगभग अंकल का हाथ जाने लग गया था और कुछ ना बोलने की वजह से अंकल ने अपना पूरा हाथ एकदम से आईना की स्कर्ट के अंदर डाल दिया और पेंटी के ऊपर से उसके चूतड़ों को मसलने लग गये. उनके एकदम से इतना कामुक होने पर आईना भी थोड़ी हैरान हुई, लेकिन फिर वो कुछ ना बोली. यह देखकर अंकल की और हिम्मत बड़ गई और वो आईना की पेंटी पकड़कर खींचने लगे, लेकिन आईना ने उनका हाथ पकड़ लिया, लेकिन आईना कुछ बोल नहीं रही थी तो अंकल जानते थे कि वो क्या चाह रही है? तभी दूसरी और से एक आदमी उठा और उसने आईना का हाथ पकड़ लिया जिससे अंकल फ्री हो गये और उन्होंने तुरंत उसकी पेंटी नीचे खींच दी, अब वो सिर्फ़ स्कर्ट में थी और उसके नीचे वो बिल्कुल नंगी थी.

अब आईना के पीछे दो आदमी थे, अंकल और वो दूसरा आदमी और दोनों अब आईना की स्कर्ट उठाकर उसके चूतड़ों को मसलने लग गये. उधर आंटी और उनकी बेटी मेरे बूब्स और चूत को सहलाते हुये मसलने लग गये थे. आंटी ने मेरी टी-शर्ट को मेरी नाभि तक ऊपर उठा दिया और मेरी लेगी को उतारने लगी तो मैंने उन्हें रोका, लेकिन उनकी बेटी ने तुरंत मेरे हाथ पकड़ लिए. फिर आंटी मेरी लेगी को नीचे करने लगी, लेकिन मैंने भी अपने चूतड़ नहीं उठाये तो उन्होंने अपना एक हाथ मेरी गांड के नीचे लगाया और मुझे हल्का सा उठा दिया और फिर मेरी लेगी को पंजो तक पूरी नीचे ऊतार दिया. अब मेरे नीचे सिर्फ़ पेंटी बची थी और आंटी वापस मेरी पेंटी के ऊपर से मेरी चूत को रगड़ने लगी और उनकी बेटी मेरे बूब्स मसलने लगी और दूसरी और वहाँ अंकल और वो दूसरा आदमी आईना के नंगे चूतड़ों को बुरी तरह मसलने में लगे थे.

फिर अंकल ने अपना हाथ आगे किया और आईना की दोनों टाँगो के बीच उसकी चूत को टटोलने लगे. आईना ने भी अपने पैर हल्के से फैला लिए और दूसरा आदमी उसकी गांड और गोरे-गोरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगा. अब अंकल अपने एक हाथ से आईना की चूत सहलाने लगे और दूसरे हाथ से उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके बूब्स को मसलने लगे. आईना को बड़ा मज़ा आ रहा था. उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. अब बस का कंडक्टर भी आईना के पास आ गया और आते ही उसके बूब्स को दबाने लगा.

फिर अंकल आईना की टी-शर्ट को उतारने लगे. आईना ने पहले तो अपने हाथों से अपनी टी-शर्ट को दबाया, लेकिन अंकल कहाँ मानने वाले थे. उन्होंने उसके हाथ ज़बरदस्ती ऊपर किए और उसकी टी-शर्ट ऊतार दी, अब वो सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट में थी. इधर आंटी की बेटी ने भी मेरी टी-शर्ट ऊतार दी थी और मेरी ब्रा पर से मेरे बूब्स से खेल रही थी. फिर मैंने अपनी खिड़की बंद कर दी और उस पर पर्दा डाल दिया था जिससे कि बाहर का कोई अंदर ना देख सके, फिर आंटी ने मेरी चड्डी उतार दी और मेरे बदन पर सिर्फ़ ब्रा रह गई, कुछ ही देर में उनकी बेटी ने मेरी ब्रा को भी ऊतार कर मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया.

फिर आंटी सीट के नीचे बैठ गई और मेरी चूत को चूसने लगी और उनकी बेटी मेरे बूब्स को चूसने लगी. मैंने पीछे मुड़कर आईना की हालत देखी तो उसके शरीर पर बस स्कर्ट ही बची थी. उसकी ब्रा कंडक्टर ने उतार दी थी और वो अब उसके बूब्स को चूस रहा था और स्कर्ट भी कुछ ही बची थी, उसे अंकल ने ऊपर उठा रखा था और वो भी उसकी चूत चूस रहे थे और पीछे खड़ा आदमी उसके चूतड़ को चूम रहा था.

फिर आंटी अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर तक ले जा रही थी और मस्त तरह से मेरी चूत को चूस रही थी. फिर मैंने वहां उनकी बेटी को नंगा करना शुरू कर दिया था. आंटी ने जैसे ही ऊपर देखा तो उन्होंने अपनी बेटी को देखा और फिर मेरी और देखा और मुस्कुराई. फिर मेरी चूत को वापस चूसने लगी, फिर वहां आईना की स्कर्ट भी तीसरे आदमी ने उतार दी और फिर अपने कपड़े भी उतारने लगा.

आईना अभी भी वर्जिन थी तो मुझे डर था कि वो इतने लंड झेल पायेगी या नहीं और में यह सोच रही थी कि तीनों आदमीयों ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए थे और थोड़ी ही देर में तीनों बिल्कुल नंगे हो गये. इधर मैंने आंटी की बेटी को भी पूरा नंगा कर दिया और उसके छोटे छोटे बूब्स चूसने लगी. अब बस वहां आंटी ही कपड़े पहनी थी. अंकल ने आईना को अपना लंड चूसने को कहा तो आईना का मन नहीं कर रहा था, लेकिन फिर वो किसी तरह घुटनों के बल बैठी तो तीनों ने अपने अपने लंड उसके मुँह के सामने रख दिए, लेकिन इतने में आंटी उठी और उन आदमियों से बोली अरे उस अकेली बेचारी को क्यों पकड़ रखा है और वैसे भी यह दोनों कुँवारी लड़कियाँ है. एक लंड से ज्यादा नहीं झेल पायेंगी. यहाँ तीन जवान लड़कीयां है एक एक आदमी एक लड़की को पकड़ लो.

इस पर अंकल तो वहीं रहे और कंडक्टर मेरे पास आ गया और वो तीसरा आदमी आंटी की बेटी को लेकर अगली सीट पर चला गया. आंटी ने अपने सारे कपड़े उतारे और ड्राइवर के पास चली गई. ड्राइवर ने भी अंधेरी जगह देखकर बस साईड में खड़ी कर दी और आंटी पर सवार हो गया. फिर कंडक्टर मेरे मुँह के सामने अपना लंड लेकर खड़ा हो गया.

में जानती थी कि वो क्या चाहता है, लेकिन उसका काला लंड देखकर मेरा उसे मुँह में लेने का मन नहीं कर रहा था. उधर आईना ने अंकल के लंड को सहलाना शुरू कर दिया और उनकी बॉल्स को चूमने लगी, अंकल का लंड पूरा तन गया और लगभग 7 इंच का हो गया. फिर आईना ने अब उनके सुपाड़े को दो चार बार चूमा और फिर उनका लंड अपने मुँह में ले लिया.

यह देख मुझे भी जोश आया और मैंने अपनी आँखें बंद की और कंडक्टर के लंड को सीधे मुँह में डाल लिया और धीरे धीरे उसे चूसने लगी. फिर बगल की सीट पर लेटी आंटी की बेटी की चुदाई शुरू हो गई थी, क्योंकि उसकी सिसकियाँ में साफ सुन सकती थी और आईना ने अंकल के लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और उसे बड़े मज़े लेकर चूसने लगी, जबकि मुझे कंडक्टर का लंड चूसने में ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था, लेकिन में क्या करती? लेकिन उसका लंड भी पूरी तरह तन चुका था और करीब 8 इंच का हो गया था.

फिर उसने मुझसे रुकने को कहा और अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया और घुटनो के बल बैठ गया और मुझे सीट पर लेटने को कहा, में चुपचाप सीट पर लेट गई. फिर उसने मेरी दोनों टाँगो को उठाया और अपने कंधे पर रख लिया और मेरी चूत को चाटने लगा, उसकी जीभ के स्पर्श से में एकदम उत्तेजित हो उठी और मुझे बड़ा मज़ा आने लगा. वो मेरी चूत के आस पास हर जगह को चाट रहा था. कभी मेरी जाँघो को चूमता तो कभी मेरी चूत को चाटता और फिर जीभ उसने मेरी गांड पर रख दी और उसे चाटने लगा.

मुझ को बड़ा मज़ा आने लगा. फिर कुछ देर उसने ऐसा ही किया और मुझसे बोला लड़की कौन से छेद में चुदना चाहोगी गांड में या चूत में? में सोच में पड़ गई, क्योंकि में दोनों जगह से कुँवारी थी. फिर वो ही बोला तेरी गांड चोद दूँ में एकदम डर गई और बोली नहीं तो वो बोला तो क्या चूत देगी. मैंने कहा हाँ, लेकिन आप कंडोम पहनकर करना तो वो हंस पड़ा और बोला आज कल तुम जैसी रंडीयों के भी बड़े नखरे है. यह सुन मुझे बड़ी शर्म आई, एक दो कोड़ी का कंडक्टर मुझसे रंडी कह गया. में क्या करती और किया भी हमने रंडीयों जैसा काम था. फिर वो उठा और उसने मेरी चूत में लंड डाल कर मेरी जोरदार चुदाई की और फिर मैंने उसके लंड का पानी भी पीया और मेरी बहन की चुदाई भी लगभग ख़त्म हो गई थी और उसने भी खूब मजे लिए और फिर हम घर आ गये और अब हमें जब भी चुदाई करानी होती है तो अब हम खूब मजे करते है और लंड के मजे लेती है.

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